पिंकी जब पढ़ने के लिये हमारे घर आई, उस समय मेरी भाभी मुझे पढा रही थी इसलिये कमरे मे आते ही पिँकी की नजर सीधा ही मुझ पर पङी.. मै तो पहले से ही पिँकी की ओर ही देख रहा था जिससे हमारी नजरे अब आपस मे टकरा गयी...
पिँकी को देखते ही मेरे चेहरे पर हँशी आ गयी थी इसलिये मुझे देख अब पिँकी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गयी, पर उसने अब एक बार तो मेरी ओर देखा फिर अपनी नजरे नीचे झुकाकर चुपचाप पढने के लिये बैड पर आकर बैठ गयी।
भाभी मुझे मैथ पढा रहा थी और पिँकी मुझसे थोङा दुर होकर बैठी थी इसलिये पिँकी को बुक्स दिखाने के लिये भाभी ने बुक्स को अब पिँकी की ओर कर लिया..
पिँकी के करीब होने का मुझे ये अच्छा बहाना मिल गया था इसलिये भाभी ने जैसे ही बुक्स को पिँकी की तरफ किया, मै तुरन्त खिसककर अब पिँकी के करीब हो गया.. और करीब भी इतना की मेरा एक हाथ अब उसके हाथ को ही छु गया..
मेरे अब पिँकी के करीब होते ही उसने फिर से मेरी ओर देखा, हम दोनो की नजरे अब एक बार तो आपस मे मिली फिर पहले के जैसे ही पिँकी के चेहरे पर हल्की मुस्कान सी तैर गयी और वो वापस नीचे बुक्स मे देखने लगी..
मैने भी अब मौका देखकर धीरे से पिँकी के हाथ पर अब अपना हाथ रख दिया जिससे पिँकी ने अब एक बार फिर से मेरी ओर देखा.. मगर इस बार उसके चेहरे पर मुस्कान की जगह हल्की घबराहट सी थी।
पिँकी डर रही थी की कही मेरी हरकत मेरी भाभी ना देख ले इसलिये वो घबरा रही थी। वो धीरे धीरे अपने हाथ को भी मेरे हाथ से निकालने की कोशिश कर रही थी मगर मैने उसके हाथ को जोरो से दबाये रखा।
मेरी भाभी भी की नजर भी हम दोनो पर ही थी। वो भी समझ रही थी की ये क्या खिचङी पक रही है इसलिये भाभी ने हमे अब एक मैथ की एक प्रोबलम तो सोल्व करके दिखाई, फिर बाकी की हमे खुद सोल्व करने की बोलकर बाहर चली गयी...
अब मेरी भाभी के बाहर जाते ही..
"क्या है.. सुधर जा नही तो मै सच मे तेरी शिकायत कर दुँगी..!" पिँकी ने अब झुठमुठ का गुस्सा सा करते हुवे झटक कर अपना हाथ मेरे हाथ के नीचे से खीँच लिया।
मै और पिँकी कमरे मे अकेले थे इसलिये मौका देख मैने अब उसे बैठे बैठे ही अपनी बाँहो मे भर लिया..
"ऊ.ऊ.म्.म्.म्म्म.ह्ह्ह्.. क्या है..छोङ मुझे नही तो मै सच मे तेरी शिकायात कर दुँगी..!" पिँकी ने अब कसमसाकर कर मुझसे छुङाने का प्रयास करते हुवे कहा।
"नही छोङुँगा..!,पहले ये बाता तुमने अभी तक मैने जो कहा था उसका कोई जवाब क्यो नहीं दिया..?" ये कहते हुवे मैने उसे अपनी बाँहो मे और भी कसकर जकङ लिया...
"ऊ.ऊ.म्.म्.म्म्म.ह्ह्ह्.. क्.क्.कयाआ..?" उसने अब पहले के जैसे ही कसमसाते हुवे कहा।
"मैंने जो तुमसे आई लव यू.. कहा था उसका...?" मैने उसे वैसे ही पकङे पकङे कहा।
मेरे अब ऐसे पकङे रहने से पिंकी की साँसे तेज हो गयी तो उसका चेहरा भी अब शरम से लाल होता जा रहा था इसलिये..
"म्.म् मुझे..न्.न. नहीं पता…!" उसने बस अब हकलाते हुवे इतना ही कहा था की तब तक मेरी भाभी अब फिर से कमरे में आ गयी।
भाभी के आते ही मैने उसे छोङ दिया तो पिंकी भी अब चुपचाप तुरन्त एक ओर होकर बैठ गयी। पर उसके चेहरे पर अभी शरम हया के से भाव थे।
उसने कोई जवाब नहीं दिया था मगर उसकी शरम हया से मुझे मेरा जवाब मिल गया था। उसकी तरफ से ये हाँ ही थी। बस मुझे ही अब उसे धीरे धीरे पटरी पर लाना था।
इसके लिये मैं अब जानबुझकर पिंकी के बिल्कुल पास होकर बैठता और जब भी मुझे मौका मिलता मैं कभी उसके बदन को सहला देता, तो कभी उसके गोरे गोरे गालो को चूम लेता...
यहाँ तक ही कभी कभी तो कपड़ों के ऊपर से ही उसके छोटे छोटे उरोजों को भी मसल देता जिसका वो बनावटी गुस्से से मेरा हल्का सा विरोध तो करती मगर किसी से कुछ कहती नहीं।
पिँकी को देखते ही मेरे चेहरे पर हँशी आ गयी थी इसलिये मुझे देख अब पिँकी के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गयी, पर उसने अब एक बार तो मेरी ओर देखा फिर अपनी नजरे नीचे झुकाकर चुपचाप पढने के लिये बैड पर आकर बैठ गयी।
भाभी मुझे मैथ पढा रहा थी और पिँकी मुझसे थोङा दुर होकर बैठी थी इसलिये पिँकी को बुक्स दिखाने के लिये भाभी ने बुक्स को अब पिँकी की ओर कर लिया..
पिँकी के करीब होने का मुझे ये अच्छा बहाना मिल गया था इसलिये भाभी ने जैसे ही बुक्स को पिँकी की तरफ किया, मै तुरन्त खिसककर अब पिँकी के करीब हो गया.. और करीब भी इतना की मेरा एक हाथ अब उसके हाथ को ही छु गया..
मेरे अब पिँकी के करीब होते ही उसने फिर से मेरी ओर देखा, हम दोनो की नजरे अब एक बार तो आपस मे मिली फिर पहले के जैसे ही पिँकी के चेहरे पर हल्की मुस्कान सी तैर गयी और वो वापस नीचे बुक्स मे देखने लगी..
मैने भी अब मौका देखकर धीरे से पिँकी के हाथ पर अब अपना हाथ रख दिया जिससे पिँकी ने अब एक बार फिर से मेरी ओर देखा.. मगर इस बार उसके चेहरे पर मुस्कान की जगह हल्की घबराहट सी थी।
पिँकी डर रही थी की कही मेरी हरकत मेरी भाभी ना देख ले इसलिये वो घबरा रही थी। वो धीरे धीरे अपने हाथ को भी मेरे हाथ से निकालने की कोशिश कर रही थी मगर मैने उसके हाथ को जोरो से दबाये रखा।
मेरी भाभी भी की नजर भी हम दोनो पर ही थी। वो भी समझ रही थी की ये क्या खिचङी पक रही है इसलिये भाभी ने हमे अब एक मैथ की एक प्रोबलम तो सोल्व करके दिखाई, फिर बाकी की हमे खुद सोल्व करने की बोलकर बाहर चली गयी...
अब मेरी भाभी के बाहर जाते ही..
"क्या है.. सुधर जा नही तो मै सच मे तेरी शिकायत कर दुँगी..!" पिँकी ने अब झुठमुठ का गुस्सा सा करते हुवे झटक कर अपना हाथ मेरे हाथ के नीचे से खीँच लिया।
मै और पिँकी कमरे मे अकेले थे इसलिये मौका देख मैने अब उसे बैठे बैठे ही अपनी बाँहो मे भर लिया..
"ऊ.ऊ.म्.म्.म्म्म.ह्ह्ह्.. क्या है..छोङ मुझे नही तो मै सच मे तेरी शिकायात कर दुँगी..!" पिँकी ने अब कसमसाकर कर मुझसे छुङाने का प्रयास करते हुवे कहा।
"नही छोङुँगा..!,पहले ये बाता तुमने अभी तक मैने जो कहा था उसका कोई जवाब क्यो नहीं दिया..?" ये कहते हुवे मैने उसे अपनी बाँहो मे और भी कसकर जकङ लिया...
"ऊ.ऊ.म्.म्.म्म्म.ह्ह्ह्.. क्.क्.कयाआ..?" उसने अब पहले के जैसे ही कसमसाते हुवे कहा।
"मैंने जो तुमसे आई लव यू.. कहा था उसका...?" मैने उसे वैसे ही पकङे पकङे कहा।
मेरे अब ऐसे पकङे रहने से पिंकी की साँसे तेज हो गयी तो उसका चेहरा भी अब शरम से लाल होता जा रहा था इसलिये..
"म्.म् मुझे..न्.न. नहीं पता…!" उसने बस अब हकलाते हुवे इतना ही कहा था की तब तक मेरी भाभी अब फिर से कमरे में आ गयी।
भाभी के आते ही मैने उसे छोङ दिया तो पिंकी भी अब चुपचाप तुरन्त एक ओर होकर बैठ गयी। पर उसके चेहरे पर अभी शरम हया के से भाव थे।
उसने कोई जवाब नहीं दिया था मगर उसकी शरम हया से मुझे मेरा जवाब मिल गया था। उसकी तरफ से ये हाँ ही थी। बस मुझे ही अब उसे धीरे धीरे पटरी पर लाना था।
इसके लिये मैं अब जानबुझकर पिंकी के बिल्कुल पास होकर बैठता और जब भी मुझे मौका मिलता मैं कभी उसके बदन को सहला देता, तो कभी उसके गोरे गोरे गालो को चूम लेता...
यहाँ तक ही कभी कभी तो कपड़ों के ऊपर से ही उसके छोटे छोटे उरोजों को भी मसल देता जिसका वो बनावटी गुस्से से मेरा हल्का सा विरोध तो करती मगर किसी से कुछ कहती नहीं।