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Waaah bahut hi khoob,,,,भाग -17
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" यस आई प्रॉमिस कि अगर तेरी तरफ से मुझे आजादी है, किसी से भी मिलन की और प्यार करने की, तो तुझे भी मेरी तरफ से पूरी आजादी है, कि चाहे जिससे तू मिल और चाहे जिससे तू प्यार कर..!"
"इसीलिए तो मुझे भी तू बहुत पसंद है, क्योंकि अब तक जो कोई भी मुझे मिला, सब ने मुझे अपनी जागीर समझ लिया और हम पर अपना हुकुम चलाने लगा। किसी और के साथ तो मेरा बात करना भी उन्हें बुरा लगता। लेकिन तू बहुत साफ दिल का लड़का है। इसीलिए मैंने तुझको अपना राजा बना लिया और अपने आपको तुझे समर्पित कर दिया। अभी तो मैंने तुझे नकली सिंदूर लगाया है, लेकिन अगर हम दोनों की केमिस्ट्री मस्त रही, तो कल की तारीख में तुझको असली सिंदूर भी लगाऊंगी..!" रानी ने कहा और पूरी तरह से उसकी बाहों में समा गई।
Ye rani to sach me kafi dilchasp ladki hai. Raajan uski baaho me hote huye bhi uski saheli bholi se pyar karne ki baat kar raha tha, ye tharki maanus nahi sudhrega,,,,
Hahaha aakhir wahi hua jiski aashanka thi. Kamla rani ke andar aa gayi aur usne puri raat raajan ke jism ko nocha aur uska khoon piya. Raajan ki awaaz band kar di thi usne is liye bechara apni cheekhe kisi ko suna bhi nahi sakta tha. Kamla ka pratishodh to bada bhayankar hai. Subah jaate jaate wo raajan ko chetaavni bhi de gayi ki agar usne rani ko kuch kaha to wo uske sath aur bhi bura karegi. Yaha tak theek tha lekin agli raat fir se waapas aane ka bol kar usne raajan ke to toote hi uda diye hain. Khair dekhte hain aage kya hota hai,,,,लेकिन मैं तुझे मरने भी नहीं दूंगी। क्योंकि मेरा तो मकसद है तुझे तड़पाना और तुझे मौत से भी बदतर सज़ा देना। इसलिए तू दिन में जिंदा रहेगा और रात में अपनी मौत की मुझसे भीख मांगेगा..! वैसे एक शर्त पर तुझे मुझसे मुक्ति मिल सकती है, और वो रास्ता है तेरे सुसाइड करने का। लेकिन तेरे जैसा बुजदिल इंसान सुसाइड करेगा, मेरा दिल इस बात को स्वीकार नहीं करता। और हां, पहचान तो लिया न मुझे..? या नहीं..? मैं तेरी कमला हूं। तू यही चाहता था न, कि मैं शादी से पहले ही तेरे से जिस्मानी खेल खेलूँ..! तेरे बदन को नोचूँ खसोटूँ..! तो वही तो कर रही हूँ अब मैं..! अब जाती हूं, क्योंकि मेरे जाने का टाइम हो गया है..! रात में फिर मिलूंगी। बाय..!"
और तभी घड़ी ने 4:00 बजाये। राजन की जुबान वापस आ गई। उसके शरीर के सारे जख्म ठीक हो गए। लेकिन दर्द अब भी बहुत बुरी तरह हो रहा था। तभी रानी की नींद खुल गई। उसने कहा-''सॉरी यार, अपनी सुहागरात तो फीकी रह गई। थकान के कारण बिस्तर पर आते ही नींद आ गई और मैं गहरी नींद में सो गई। पर कोई बात नहीं डियर। अभी सब सो रहे हैं।" यह कहते हुए उसने एक अंगड़ाई ली, और राजन के मस्त बदन को अपनी बाहों में भर कर उसके लघु को चूमने लगी।
लेकिन राजन दर्द से छटपटाने लगा और उससे अलग हो कर बोला, "प्लीज़ अभी नहीं। बहुत दर्द हो रहा है मुझे इस समय..!"
रानी को कुछ समझ में न आया कि राजन को अचानक क्या हुआ, और वो क्यों उसके साथ इस तरह का निगेटिव बर्ताव कर रहा है..!!"