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Horror प्रायश्चित (Completed)

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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354
भाग -17
~~~~~~~~~~~~~~

" यस आई प्रॉमिस कि अगर तेरी तरफ से मुझे आजादी है, किसी से भी मिलन की और प्यार करने की, तो तुझे भी मेरी तरफ से पूरी आजादी है, कि चाहे जिससे तू मिल और चाहे जिससे तू प्यार कर..!"

"इसीलिए तो मुझे भी तू बहुत पसंद है, क्योंकि अब तक जो कोई भी मुझे मिला, सब ने मुझे अपनी जागीर समझ लिया और हम पर अपना हुकुम चलाने लगा। किसी और के साथ तो मेरा बात करना भी उन्हें बुरा लगता। लेकिन तू बहुत साफ दिल का लड़का है। इसीलिए मैंने तुझको अपना राजा बना लिया और अपने आपको तुझे समर्पित कर दिया। अभी तो मैंने तुझे नकली सिंदूर लगाया है, लेकिन अगर हम दोनों की केमिस्ट्री मस्त रही, तो कल की तारीख में तुझको असली सिंदूर भी लगाऊंगी..!" रानी ने कहा और पूरी तरह से उसकी बाहों में समा गई।
Waaah bahut hi khoob,,,,:claps:
Ye rani to sach me kafi dilchasp ladki hai. Raajan uski baaho me hote huye bhi uski saheli bholi se pyar karne ki baat kar raha tha, ye tharki maanus nahi sudhrega,,,,:lol:

लेकिन मैं तुझे मरने भी नहीं दूंगी। क्योंकि मेरा तो मकसद है तुझे तड़पाना और तुझे मौत से भी बदतर सज़ा देना। इसलिए तू दिन में जिंदा रहेगा और रात में अपनी मौत की मुझसे भीख मांगेगा..! वैसे एक शर्त पर तुझे मुझसे मुक्ति मिल सकती है, और वो रास्ता है तेरे सुसाइड करने का। लेकिन तेरे जैसा बुजदिल इंसान सुसाइड करेगा, मेरा दिल इस बात को स्वीकार नहीं करता। और हां, पहचान तो लिया न मुझे..? या नहीं..? मैं तेरी कमला हूं। तू यही चाहता था न, कि मैं शादी से पहले ही तेरे से जिस्मानी खेल खेलूँ..! तेरे बदन को नोचूँ खसोटूँ..! तो वही तो कर रही हूँ अब मैं..! अब जाती हूं, क्योंकि मेरे जाने का टाइम हो गया है..! रात में फिर मिलूंगी। बाय..!"

और तभी घड़ी ने 4:00 बजाये। राजन की जुबान वापस आ गई। उसके शरीर के सारे जख्म ठीक हो गए। लेकिन दर्द अब भी बहुत बुरी तरह हो रहा था। तभी रानी की नींद खुल गई। उसने कहा-''सॉरी यार, अपनी सुहागरात तो फीकी रह गई। थकान के कारण बिस्तर पर आते ही नींद आ गई और मैं गहरी नींद में सो गई। पर कोई बात नहीं डियर। अभी सब सो रहे हैं।" यह कहते हुए उसने एक अंगड़ाई ली, और राजन के मस्त बदन को अपनी बाहों में भर कर उसके लघु को चूमने लगी।

लेकिन राजन दर्द से छटपटाने लगा और उससे अलग हो कर बोला, "प्लीज़ अभी नहीं। बहुत दर्द हो रहा है मुझे इस समय..!"

रानी को कुछ समझ में न आया कि राजन को अचानक क्या हुआ, और वो क्यों उसके साथ इस तरह का निगेटिव बर्ताव कर रहा है..!!"
Hahaha aakhir wahi hua jiski aashanka thi. Kamla rani ke andar aa gayi aur usne puri raat raajan ke jism ko nocha aur uska khoon piya. Raajan ki awaaz band kar di thi usne is liye bechara apni cheekhe kisi ko suna bhi nahi sakta tha. Kamla ka pratishodh to bada bhayankar hai. Subah jaate jaate wo raajan ko chetaavni bhi de gayi ki agar usne rani ko kuch kaha to wo uske sath aur bhi bura karegi. Yaha tak theek tha lekin agli raat fir se waapas aane ka bol kar usne raajan ke to toote hi uda diye hain. Khair dekhte hain aage kya hota hai,,,,:smoking:
 
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The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,152
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354
भाग - 23
~~~~~~~~~~~~~

हम शहर के लोग सोचते हैं गांव में रहने वाले बहुत तकलीफ में रहते होंगे. ! उनके पास मोबाइल नहीं.. उनके गांव में बिजली नहीं ..खाने को बढ़िया-बढ़िया भोजन नहीं ..और पहनने को तड़क-भड़क वाले कपड़े नहीं..! लेकिन ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। गांव में किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है, तो उसे स्मार्टफोन न होने का कोई गम नही है..! क्योंकि उसे उसकी आदत नहीं है। हाँ, आप ज़रूर हो सकते हैं दुखी क्योंकि आप स्मार्टफोन चलाते हैं।

इसी प्रकार कोई भी चीज, जिसकी आदत बना ली है आपने वह चीज आपको नहीं मिलती, तो आपको दुख होता है। तकलीफ होती है। अगर आप रोज कार से घूमते हैं और आप कार से घूमने की अपनी आदत बना ली है, तो कार के ना होने पर आपको तकलीफ होगी लेकिन। लेकिन जो लोग साइकिल पर चलते हैं, उनको साइकिल पर ही चलने की आदत है, इसलिए अगर साइकिल ना मिले तो उनको तकलीफ होगी। तो जितनी तकलीफ एक साइकिल चलाने वाले को साइकिल न मिलने पर होगी उतनी ही तकलीफ आपको कार के न मिलने पर होगी..!

मतलब तकलीफ दोनों की बराबर है लेकिन एक को तकलीफ साइकिल कि ना होने की है, जबकि दूसरे की तकलीफ कार के ना होने पर है। ठीक इसी प्रकार अगर गांव में एक बच्चा लकड़ी की फंटी से क्रिकेट खेलता ह, तो उसको जितनी तकलीफ उस लकड़ी की फंटी के छीन लिए जाने से होगी उतनी ही तकलीफ शहर के बच्चे से उसका मोबाइल छीन लिए जाने से होगी।

इसी प्रकार गांव के बच्चे को जितनी तकलीफ रोटी के ना मिलने से होगी, शहर के बच्चे को उतनी ही तकलीफ पिज्जा और बर्गर के ना मिलने से होगी..! इस तरह के बहुत से उदाहरण आपको मिल जाएंगे। और इससे यह सिद्ध हो जाएगा की तकलीफ ज्यादा कीमती सामान के ना होने से नहीं होती है बल्कि अपनी जरूरत का सामान ना मिलने पर होती है चाहे वह सामान रुपए दो रुपये का ही क्यों ना हो..!

मतलब यह हुआ, कि खुशी की परिभाषा यह है कि जिस चीज की आप आदत बना ले, बस वह चीज आपको मिलती रहे तो आप खुश रहेंगे और वह चीज ना मिलेगी तो आपको तकलीफ होगी। और इसीलिए कहा गया है, कि थोड़े में गुजारा करना सीख लो। क्योंकि अगर थोड़े में गुजारा करना सीख जाओगे तो उसी में तुमको खुशी मिलेगी और उतनी ही खुशी मिलेगी कितनी खुशी की किसी लाखों और करोड़ों कमाने और खर्च करने वाले को मिलती है..!
Ye wala update bahut hi shandaar tha swati madam,,,,:claps:
Shahar ki aur gaav ki life ka jis tarah se vishleshan kiya hai wo kaabile tareef hai aur ye puri tarah waastavik tha. Waise aapko ye anubhav kaha se mila,,,, :D

फिर रानी ने उसके सीने में अपना दांत गड़ा दिया, और बोली- कितना टेस्टी है यार तेरा खून..! वह चिल्लाने को था कि फिर अचानक कल रात की ही तरह उसकी जुबान बंद हो गई। रानी के खून पीने के बाद दूसरी ओर से भोली ने भी उसके सीने में अपने दांत गड़ा दिए और उसका खून मजे मजे से पीने लगी और बोली-"तेरा गरम गरम खून बहुत टेस्टी है मेरे राजा..!"

हां यार भोली, कितना मस्त है अपना राजन। सो लवली ..! तूने इसका मांस टेस्ट किया या नहीं..? मैंने कल इसके सीने का मांस नोच कर खाया था बहुत टेस्टी था।"

"रियली..?" भोली ने पूछा..!

"हाँ, रियली बहुत टेस्टी था। मैं तेरे से झूठ क्यों बोलूंगी ..?"

"ओके डियर..! फिर तो मैं भी टेस्ट करती हूं..!" और यह कहते हुए भोली ने अपने अपने दांत उसके सीने में गड़ा दिए उसका मांस नोच कर खाने लगी और रानी से बोली-"रियली यार..! ये तो बहुत टेस्टी है..!" और राजन दर्द से चिल्ला रहा था, तड़प रहा था, मुझे उसके गले से आवाज निकल पा रही थी और ना वह उनसे अपने आप को छुड़ा पा रहा था, क्योंकि उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी, कि उनसे छूटने की उसकी हर कोशिश बेकार हो रही थी.. और दर्द से तड़पते तड़पते अंततः वह बेहोश हो गया..!
Abhi to rani hi bas thi aur ab bholi bhi shaamil ho gayi. Kamla ne dono par kabja kiya aur raajan ki maa bahen ek kar di,,,,:lol:
Raajan ne apraadh nahi balki sangeen paap Kiya tha. Kamla ko jaan se maarna bhi paap hi tha kintu use jaan se maarne ke baad kamla ke mrit shareer ke sath balaatkaar karna to bhayankar paap tha jiske liye raajan ko agar kamla ke dwara aisi yaatnaye mil rahi hain to galat nahi hai,,,,:nope:
 
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Thanks for your Lovely comments The_InnoCent...
गांव और शहर दोनों ही जगह का मुझे अनुभव है,
ननिहाल मेरा गांव में ही है, और माँ पापा के साथ मैं शहर में रहती हूं
 
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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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Thanks for your Lovely comments The_InnoCent...
गांव और शहर दोनों ही जगह का मुझे अनुभव है,
ननिहाल मेरा गांव में ही है, और माँ पापा के साथ मैं शहर में रहती हूं
Maine aaj tak shahar nahi dekha, shahar me rahne ki to baat hi door hai,,,,,:verysad: :rondu:
 
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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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भाग ~ 29

तभी मम्मी और राधा भी आ गई। राजा ने मम्मी के पैर छुए और राधा से भी हाथ जोड़ कर अपने किए की माफी मांगी।

फिर पापा से बोला-"मैंने दो खून किए हैं पापा। लेकिन मैं खूनी नहीं हूं, क्योंकि कोर्ट जब तक किसी अपराधी को सजा नहीं सुना देती, तब तक वो अपराधी नहीं माना जाता। और मैं उम्मीद करता हूं कि वह दिन कभी नहीं आएगा जब कोर्ट मुझे मेरी गुनाहों की सजा देगी, क्योंकि मैं खुद ही अपने आप को अपने गुनाहों की सजा देने को तैयार हूं। पापा आप लोगों से भी यही उम्मीद है कि आप मेरे लिए दुआ करना कि कभी कोर्ट जाने कि मेरी नौबत ना आए।

और पापा, आप मेरे लापता होने की खबर अखबार में निकलवा देना और अपने रिश्ते नाते परिवार में सबसे यही कहना, कि मेरे बेटे ने किसी का खून नहीं किया बल्कि शायद उसका किसी ने किडनैप कर लिया है। यही एक रास्ता है आप लोगों को अपनी इज्जत बचाने का।

और बाकी कोई क्या कहता है, उससे कोई बहुत ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि आपका बेटा गुनहगार तभी माना जाएगा जब कोर्ट में यह साबित हो जाए, कि उसने गुनाह किया है।

वैसे आप कहे, तो मैं अपने आप को कानून के भी हवाले कर सकता हूं।

पर आप इस बात को अच्छी तरह जानते हैं, कि इंसान की सबसे बड़ी अदालत ऊपर वाले की अदालत होती है और ऊपर वाला ही सबसे बड़ा न्यायाधिकारी है। और उस ऊपर वाले द्वारा दी गई सजा को मैं खुशी-खुशी भुगतने को तैयार हूं।

"ठीक है बेटा। मैं गुमशुदा मैं तेरा नाम अखबारों में छपवा दूंगा।

"ठीक है पापा। अब अगर किसी ने मेरा पता आपको या पुलिस को बता भी दिया, तो मैं समझ लूंगा कि कि शायद ऊपर वाले की भी यही मर्जी है, कि मैं अपने आप को कानून के हवाले कर दूँ। और तब मैं खुशी खुशी अपने आप को कानून के हवाले कर दूंगा। और अगर ईश्वर मेरी गुमनामी में रजामंद है, तो मैं अपना पूरा जीवन एकांतवास में बिता दूंगा। लेकिन पापा, कभी-कभी मैं आप सबसे मिलने ज़रूर आऊंगा..!

अब मै चलता हूँ।

खुश रहो बेटा। और ये लो एक लाख रुपये नकद और atm card..!
Bahut hi badhiya,,,,:claps:
Aakhir raajan ko aughad baba ke dwara kamla se chhutkara mil gaya aut ab wo ek achha insaan banne ki raah par chal pada hai. Ghar aa kar wo apne pita se mila aur unse pne paapo ka prayaashchit karne ki baate ki. Raajan ke pita ne bhi apne bete ka saath diya aur use paise aur ATM card de kar vida kar diya. Dekhte hain ki raajan apne paapo ka prayaashchit karne ke liye kya kya karta hai,,,,:smoking:
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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354
भाग ~ 35

यह जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है। किसी इंसान के चाहने वाले अनेक होते हैं, फिर भी उसके अंदर एक अधूरापन होता है। जबकि कोई सिर्फ एक से ही संतुष्ट हो जाता है।

भोली एक वैश्या थी। उसके आठ दस ग्राहक फिक्स थे, जिनके साथ वो खुलकर ऐश करती थी। और उसके सभी ग्राहक बहुत अच्छे थे। कोई उसके साथ जबरदस्ती करने वाला और बेरहमी से पेश आने वाला नहीं था। और इसीलिए अपने सभी ग्राहकों से वो संतुष्ट भी थी। लेकिन राजन के प्रति न जाने कैसा खिंचाव था उसके अंदर, कि उसके बिना उसे अपनी जिंदगी में एक अधूरापन का एहसास होता था। यद्यपि राजन ने एक बार भी उसके शरीर को नहीं भोगा था। और जिस दिन उसको रानी और भोली से जिस्मानी रिश्ता कायम करने का खुल कर मौका मिला,उसी दिन अचानक उसको इन कामों से विरक्ति हो गई और अपने पूर्व में किये पापों का प्रायश्चित करने वह शहर चला गया।

वैसे राजन को गए अभी सिर्फ तीन दिन ही हुए थे लेकिन इस तीन दिनों में हीं एक अजीब सा खालीपन सा उसे महसूस हो रहा था।

शाम का समय था। मंद मंद शीतल वायु जिस्म को ठंडक पहुंचाने की बजाय तन की आग को और भी भड़काने का काम कर रही थी। और यही हाल रानी का भी था। वो भोली के साथ झुग्गी के बाहर चट्टान पर सोई हुई थी।

अचानक भोली ने रानी के सीने पर अपना हाथ रखते हुए कहा-" कितनी मस्ती से लेटी हुई है इस वीराने में..! चिंतामुक्त..! जबकि मेरे जिस्म में आग लगी हुई है। अगर इस समय राजन यहां होता, तो मोहब्बत में आज इस कदर तड़पना ना पड़ता..!

तू वेश्या है और अपने जिस्म में लगी आग को किसी से भी बुझा सकती है। पर मुझसे पूछ, कि मेरा क्या हाल है। मुझे मुंबई जाना था। वहां पर बार डांसर बनना चाहती थी। लेकिन अकेले जाने की हिम्मत नहीं थी। राजन मिला तो ऐसा लगा जैसे सहारा मिल गया। और इसीलिए मैंने उसे अपना पति मान लिया जिससे उसकी सुरक्षा में मुंबई जा सकूं। लेकिन मुंबई जाने से पहले यहां आ गई। और यहां की खूबसूरत वादियों में खो गई।

लोग कहते हैं, कि इंसान बुरा क्यों है और क्यों गलत काम करता है। पर यहां तो सारा मामला ही उल्टा है डियर। क्योंकि राजन के अच्छा बनने के कारण ही आज हम दोनों तकलीफ में है। काश वो बुरा ही होता, तो आज हम दोनों कि जिंदगी कितनी रंगीन होती। लेकिन उसकी अच्छाई और सच्चाई ने हम दोनों की जिंदगी बर्बाद कर दी।

" किसी की सच्चाई और अच्छाई कभी किसी की जिंदगी को बर्बाद नहीं करती। हमें भी बुरे रास्ते से अच्छे रास्ते पर आने की प्रेरणा देती है। लेकिन हमें निराश नहीं होना चाहिए। क्योंकि उम्मीद पर ही सारी दुनिया कायम है। राजन ने आने को कहा है तो वो जरूर आएगा। और इस बार जब वह आएगा तो हमारी जिंदगी में बहारें भी आएंगी, फूल भी खिलेंगे और जिनसे जीवन में बेशुमार खुशियां होगी, और ये खुशी बहुत मस्त होगी और पाप रहित होगी।"

"लेकिन यह भी तो सोच, कि वह एक हत्यारा है और उसने जिन दो लड़कियों की हत्या की है, उन्हीं के घर गया है ..। पुलिस भी उसके पीछे पड़ी है। तो क्या ऐसी स्थिति में वह वापस आ सकता है..?"

"उसे हत्यारा मत कह बहन, क्योंकि उसने अपने गलत कर्मों से तौबा कर लिया है। महर्षि बाल्मीकि जो लूट मार कर के अपने घर का खर्चा चलाते थे, क्या उन्हें कोई डकैत कहता है..? नहीं कहता है ना..? तो बहन इसका सीधा सा मतलब यह है, कि ऊपर वाले की निगाह में जब कोई सुधर जाता है, तो हम उसको हत्यारा नहीं कह सकते, क्योंकि प्रायश्चित करने से इंसान के सारे पाप धुल जाते हैं। और यह तो सभी जानते हैं कि महर्षि बाल्मीकि ने बाद में रामायण की रचना की..!

"और अब अगर हमारा राजन आता है, तो वो हत्यारा नहीं होगा बल्कि एक नेक इंसान होगा और एक नेक इंसान से प्यार करना हमारी खुशकिस्मती होगी।"

"और सच तो यह है रानी, कि आज उसकी अच्छाई के कारण ही मेरे को उसकी याद आ रही है..! काश! वो आकर मेरे को अपनी बाहों में ले ले।"

"और मेरे को भी।" रानी ने कहा।

'हां यार, हम दोनों बहनें मिलकर उसे प्यार करेंगे।"

"लेकिन समस्या फिर वही आती है, कि हम दोनों उससे शादी कैसे करेंगे..? मुझे तो लगता है कि हमारे कानून में यह व्यवस्था होनी चाहिए, कि अगर दो लड़कियां अपनी मर्जी से किसी एक पुरुष से शादी करना चाहें, तो उन्हें इस शादी की अनुमति मिलनी चाहिए।"

"हमारे यहां राजा महाराजाओं के हरम में कितनी औरतें होती थी। और उन औरतों में कितनी औरतें तो मजबूर भी होती थी। लेकिन राजा उन सभी के साथ ऐश करता था।"

"राजन भी हमारी नजर में राजा है। और हम दोनों मजबूर नहीं है, बल्कि अपनी खुशी से उसको अपनाना चाहते हैं, तो इसमें गलत कुछ भी नहीं है।"

"और इस दुनिया में कितने लोग छुप छुप कर गलत काम करते हैं। लेकिन हम जो कुछ भी करेंगे खुलकर करेंगे। और अगर हम दोनों की अंतरात्मा उसे स्वीकार करती है, तो अपनी नजर में इसमें कोई बुराई नहीं है। हम पहाड़ों पर रहते हैं और हमारा कानून अलग है। हम अपना कानून खुद बनाएंगे।"

"अरे यार, तू ज्यादा सपने न दिखा। क्योंकि उसका नाम लेते ही मेरे दिल की धड़कने तेज हो जाती है।"

"तो कोई बात नहीं! चल आपस में ही थोड़ा प्यार कर लेते हैं। कुछ तो दिल को राहत मिलेगी! क्योंकि आज का मौसम बहुत ही मस्त है।"

अभी उनमें आपस में बातें चल ही रही थी कि अचानक उनकी नजर राजन पर पड़ी।

और राजन ने आते ही उन दोनों का अपने बाहुपाश में ले लिया

और बोला-"अब मैं हमेशा के लिए यहां आ गया हूं।"

"क्योंकि मैं जिनका गुनाहगार था, आज मुझको वहां से माफी मिल गई है। अब मैं हमेशा तुम लोगों के साथ रहूंगा और तुम्हारी हर इच्छाओं तो पूरा करूंगा। क्योंकि अगर मुझे कमला की आत्मा ने माफ कर दिया, कमला के मां बापू ने माफ कर दिया, और सोनी के भाई ने भी माफ कर दिया, तो अब मुझे कानून का कोई डर नहीं है।"

"क्योंकि इंसान के कानून से कहीं ज़्यादा कुदरत के कानून पर मुझे भरोसा है। और मुझे उस कानून पर भरोसा है, जो कानून तुम दोनों मिलकर हमारे लिए बनाओगी। क्योंकि हमको एक अच्छी और नेक जिंदगी तुम दोनों के प्यार ने ही दी है। इसलिये मैं तुम दोनों के आगे नतमस्तक हूं और तुम दोनों को अपने दिल से और अपनी आत्मा से प्यार करता हूं।

इतना कह कर राजन ने उनके हाथ को अपने हाथ में ले लिया.. और कहीं दूर पहाड़ियों की ओट में चला गया , जहां उन तीनों और ईश्वर के अलावा और कोई ना हो..!


(समाप्त)
Bahut hi shandaar kahani thi swati madam. Main to bewajah hi horror prefix dekh kar dar gaya tha, jabki is kahani me kahi bhi aisa koi scene nahi aaya jisse ki dar lage,,,:lol1:

Raajan achhe raaste par aa gaya aur usne kamla ki shart ke anusaar kamle ke pita ko bank ke karz se mukti de di, Soni ke bhai mukut ko doctori padhaane ke liye jimmedari le li. Kahani kaafi dilchasp thi aur main last me yahi kahuga ki prayaashchit ki raah par chalte huye raajan ko koi dukh nahi jhelna pada balki mauj masti ke liye do sundar kanyaaye mil gayi jinke saath wo ab saari zindagi aish hi karega,,,,::D

Shandaar kahani thi swati madam,,,:claps:
 
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Bahut hi shandaar kahani thi swati madam. Main to bewajah hi horror prefix dekh kar dar gaya tha, jabki is kahani me kahi bhi aisa koi scene nahi aaya jisse ki dar lage,,,:lol1:

Raajan achhe raaste par aa gaya aur usne kamla ki shart ke anusaar kamle ke pita ko bank ke karz se mukti de di, Soni ke bhai mukut ko doctori padhaane ke liye jimmedari le li. Kahani kaafi dilchasp thi aur main last me yahi kahuga ki prayaashchit ki raah par chalte huye raajan ko koi dukh nahi jhelna pada balki mauj masti ke liye do sundar kanyaaye mil gayi jinke saath wo ab saari zindagi aish hi karega,,,,::D

Shandaar kahani thi swati madam,,,:claps:
Hmm...Horror theme thi pr uspr thoda horror km tha ,😂😂
main mudda uska prayschit hi tha... jo kafi asaani se ho gaya...
Kahani pdne ke liye dil se shukriya apka
 
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