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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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Jaise jaise ju ki age badhti Jaa Rahi haiगुड्डी और गुंजा के जलवे से आनंद साहब उबर ही नही पाए थे कि एक और हसीना ' रीत ' ने भी अपने हुस्न के जलवे बिखेरने शुरू कर दिए ।
लेकिन रीत नामक अंगूर आनंद साहब के लिए खट्टे ही लग रहे है मुझे । इस अंगूरी शबाब पर शायद सिर्फ करण साहब की ही मिल्कियत हो । जहां तक मुझे याद है रीत और करण ( अगर यह नाम सच है ) की भूमिका उस वक्त शब्बो शबाब पर थी जब हिन्दुस्तान के कई हिस्सों मे बम ब्लास्ट हुआ करते थे ।
इरोटिका लेखन , शब्दों के साथ खेलना , शब्दों का एक नया अर्थ तैयार करने मे आप का कोई जबाव नही ।
इंटर कोर्स के बाद इस बार कॉमर्स का डेफिनिशन तय किया आपने - काम रस । यह हास्य से लोत प्रोत था और वास्तव मे फनी था ।
इस स्टोरी मे कहीं न कहीं काफी फेरबदल किया गया है ।
वैसे मुझे गॉसिप मे पोस्ट हुई इस स्टोरी का अपडेट दर अपडेट याद नही है लेकिन कुछ बदलाव जरूर महसूस हो रहा है ।
यह एक रीजन है कि हमारा कौतुहल फैक्टर लगातार बढ़ते जा रहा है । क्या आनंद साहब सिर्फ दो चार महिलाओं के साथ प्रणय सीन्स मे नजर आएंगे या वह लेडीज मैन के किरदार मे दिखाई देंगे ।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट कोमल जी ।
हमेशा की तरह बेहतरीन और वाह वाह अपडेट ।
शायद आपने जय मुखर्जी , सायरा बानो , आई एस जौहर साहब अभिनीत " शागिर्द " फिल्म नही देखी है ।Jaise jaise ju ki age badhti Jaa Rahi hai
Waise waise aur Rangeen hote Jaa re ho ju
Orgy dekhne ko mil jaaye bas
Bohot badiya shuruaat.फागुन के दिन चार भाग 1
फागुन की फगुनाहट
भाभी की चिट्ठी
--8128
=
“मेरे देवर कम नंदोई,
सदा सुहागन रहो, दूधो नहाओ पूतो फलो,
तुमने बोला था की इस बार होली पे जरूर आओगे और हफ्ते भर रहोगे तो क्या हुआ? देवर भाभी की होली तो पूरे फागुन भर चलती है और इस बार तो मैंने अपने लिए एक देवरानी का भी इंतजाम कर लिया है, वही तुम्हारा पुराना माल। न सतरह से ज्यादा न सोला से कम। क्या उभार हो रहे हैं उसके।
मैंने बोला था उससे की अरे हाई स्कुल कर लिया पिछले साल, अब इंटर में चली गयी हो तो अब तो इंटरकोर्स करवाना ही होगा, तो फिस्स से हँसकर बोली-
“अरे भाभी आप ही कोई इंतजाम नहीं करवाती। अपने तो सैयां, देवर, ननदोइयों के साथ दिन रात और।“
तो उसकी बात काटकर मैं बोली अच्छा चल आ रहा है होली पे एक, और कौन तेरा पुराना यार, लम्बी मोटी पिचकारी है उसकी और सिर्फ सफेद रंग डालेगा। एकदम गाढ़ा बहुत दिन तक असर रहता है।
तो वो हँसकर बोली की ,”अरे भाभी आजकल उसका भी इलाज आ गया है चाहे पहले खा लो चाहे अगले दिन। बाद के असर का खतरा नहीं रहता,”
और हाँ तुम मेरे लिए होली की साड़ी के साथ चड्ढी बनयान तो ले ही आओगे, उसके लिए भी ले आना और अपने हाथ से पहना देना। मेरी साइज तो तुम्हें याद ही होगी। मेरी तुम्हारी तो एक ही है। 34सी और मालूम तो तुम्हें उसकी भी होगी। लेकिन चलो मैं बता देती हूँ। 30बीबी हाँ होली के बाद जरूर 32 हो जायेगी…”
फागुन चढ़ गया था, फगुनाहट शुरू हो गयी थी, होली कुछ दिन बाद ही थी। भाभी की इस चिठ्ठी पर उसी का असर था, ... मैं अभी ट्रेनिंग में था, पिछले साल ट्रेनिंग में होली में छुट्टी नहीं मिल पायी थी, पर अब कुछ दिनों बाद ही ट्रेनिंग खतम होने वाली थी और मैंने बोला था की अबकी होली में जरूर आऊंगा और हफ्ते भर कम से कम,... छुट्टी मिल भी गयी थी भाभी की चिट्ठी में उसी का दावतनामा था, होली में घर आने का।
मैं समझ गया की भाभी चिट्ठी में किसका जिकर कर रही थी। मेरी कजिन, हाईस्कूल पास किया था उसने पिछले साल। अभी इंटरमीडिएट में थी. जब से भाभी की शादी हुई थी तभी से उसका नाम लेकर छेड़ती थी, आखिर उनकी इकलौती ननद जो थी। शादी में सारी गालियां उसी का बाकायदा नाम लेकर, और भाभी तो बाद में भी प्योर नानवेज गालियां। पहले तो वो थोड़ा चिढ़ती लेकिन बाद में,… वो भी कम चुलबुली नहीं थी।
कई बार तो उसके सामने ही भाभी मुझसे बोलती, हे हो गई है ना लेने लायक, कब तक तड़पाओगे बिचारी को कर दो एक दिन। आखिर तुम भी 61-62 करते हो और वो भी कैंडल करके, आखिर घर का माल घर में। पूरी चिट्ठी में होली की पिचकारियां चल रही थी। छेड़-छाड़ थी,मान मनुहार थी और कहीं कहीं धमकी भी थी। मैंने चिट्ठी फिर से पढ़नी शुरू की।
“माना तुम बहुत बचपन से मरवाते, डलवाते हो और जिसे लेने में चार बच्चों की माँ को पसीना आता है वो तुम हँस हँसकर घोंट लेते हो। लेकिन अबकी होली में मैं ऐसा डालूंगी ना की तुम्हारी भी फट जायेगी, इसलिए चिट्ठी के साथ 10 रूपये का नोट भी रख रही हू, एक शीशी वैसलीन की खरीद लेना और अपने पिछवाड़े जरूर लगाना, सुबह शाम दोनों टाइम वरना कहोगे की भाभी ने वार्निंग नहीं दी…”
लेकिन मेरा मन मयूर आखिरी लाइनें पढ़कर नाच उठा-
“अच्छा सुनो, एक काम करना। आओगे तो तुम बनारस के ही रास्ते। रुक कर भाभी के यहाँ चले जाना। गुड्डी की लम्बी छुट्टी शुरू हो रही है, उसके स्कूल में बोर्ड के इम्तहान का सेंटर पड़ा है, तो पूरे हफ्ते दस दिन की होली की छुट्टी,... वो होली में आने को कह रही थी, उसे भी अपने साथ ले आना। जब तुम लौटोगे तो तुम्हारे साथ लौट जायेगी…”
चिठ्ठी के साथ में 10 रूपये का नोट तो था ही एक पुडिया में सिंदूर भी था और साथ में ये हिदायत भी की मैं रात में मांग में लगा लूं और बाकी का सिंगार वो होली में घर पहुँचने पे करेंगी। आखिरी दो लाइनें मैंने 10 बार पढ़ीं और सोच सोचकर मेरा तम्बू तन गया
अगर आनंद बाबू का सपना पूरा हुआ तो गुड्डी के रिश्ते से सबसे छोटी साली तो वही है।छुटकी दूर रह के भी मजेदार आईडिया सरका रही है...
और आनंद बाबू को पूरा शृंगार करवा करवाने का सामान करके रहेगी...
अब आपको इतना ज्यादा याद है तो बता ही देती हूँ, रफ़ूगीरी करना, कपडे सिलने से ज्यादा मुश्किल है, उसी रंग का उसी टाइप का धागा लाओ, उसे से मैच, फिर सरफेस पे भी गैप न लगे,पिछली बार रितु से इंट्रो हुआ और बाद में नवरीत से रीत बनी...
लेकिन इस बार शुरू से हीं रीत...
और इंटर पास अब ग्रेजुएशन में...
तीन-तीन से शुरुआत करने वाली अभी तक कच्ची कली....
लेकिन रीत की इंट्री से धमाका होने का अंदेशा बढ़ गया है...
बेचारे आनंद बाबू..
चक्की की तरह पिस जाएंगे...
कॉमर्स... नहीं काम-रस ... वाह.. वाह...
और ठगनियों के ग्रुप से पला पड़ा है तो..
तो भी आनंद बाबू बचने की सोच रहे हैं...
ऐसी ठगनियों द्वारा लुट जाने पर भी सुख हीं सुख है...
इस कहानी को लिखने में रिसर्च का थोड़ा बहुत इस्तेमाल हुआ है और मैं ये शेयर करने से नहीं रोक पा रही हूँ की जिस भाग का आपने उल्लेख किया है, रम का,Wonderful update Madam...full erotic, teasing dialogs...
Ragging of Anand Babu..well and truly on...Guddi missed the "fun" of bathing with Anand Babu due to her "red ribbon"..
Guddi pulling leg of Anand babu about the "cream" was really sexy..with reference to chanda bhabhi..and the "quantity" of cream applied..
The reference to beer and rum was quite good as well...
Overall, a super episode...continuing from where it left last time...
Awesome!!
komaalrani
बहुत बहुत आभारवाह कोमल जी
हमेशा की तरह लाज़वाब अपडेट और रीत का आगमन।
अगले अपडेट का इंतजार रहेगा।
सादर
मैं हर बार यही कहती हूँ रीत के लिएगुड्डी और गुंजा के जलवे से आनंद साहब उबर ही नही पाए थे कि एक और हसीना ' रीत ' ने भी अपने हुस्न के जलवे बिखेरने शुरू कर दिए ।
लेकिन रीत नामक अंगूर आनंद साहब के लिए खट्टे ही लग रहे है मुझे । इस अंगूरी शबाब पर शायद सिर्फ करण साहब की ही मिल्कियत हो । जहां तक मुझे याद है रीत और करण ( अगर यह नाम सच है ) की भूमिका उस वक्त शब्बो शबाब पर थी जब हिन्दुस्तान के कई हिस्सों मे बम ब्लास्ट हुआ करते थे ।
इरोटिका लेखन , शब्दों के साथ खेलना , शब्दों का एक नया अर्थ तैयार करने मे आप का कोई जबाव नही ।
इंटर कोर्स के बाद इस बार कॉमर्स का डेफिनिशन तय किया आपने - काम रस । यह हास्य से लोत प्रोत था और वास्तव मे फनी था ।
इस स्टोरी मे कहीं न कहीं काफी फेरबदल किया गया है ।
वैसे मुझे गॉसिप मे पोस्ट हुई इस स्टोरी का अपडेट दर अपडेट याद नही है लेकिन कुछ बदलाव जरूर महसूस हो रहा है ।
यह एक रीजन है कि हमारा कौतुहल फैक्टर लगातार बढ़ते जा रहा है । क्या आनंद साहब सिर्फ दो चार महिलाओं के साथ प्रणय सीन्स मे नजर आएंगे या वह लेडीज मैन के किरदार मे दिखाई देंगे ।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट कोमल जी ।
हमेशा की तरह बेहतरीन और वाह वाह अपडेट ।