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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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Black

Some people's misery is some people's dream
Prime
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गुड्डी और गुंजा के जलवे से आनंद साहब उबर ही नही पाए थे कि एक और हसीना ' रीत ' ने भी अपने हुस्न के जलवे बिखेरने शुरू कर दिए ।
लेकिन रीत नामक अंगूर आनंद साहब के लिए खट्टे ही लग रहे है मुझे । इस अंगूरी शबाब पर शायद सिर्फ करण साहब की ही मिल्कियत हो । जहां तक मुझे याद है रीत और करण ( अगर यह नाम सच है ) की भूमिका उस वक्त शब्बो शबाब पर थी जब हिन्दुस्तान के कई हिस्सों मे बम ब्लास्ट हुआ करते थे ।

इरोटिका लेखन , शब्दों के साथ खेलना , शब्दों का एक नया अर्थ तैयार करने मे आप का कोई जबाव नही ।
इंटर कोर्स के बाद इस बार कॉमर्स का डेफिनिशन तय किया आपने - काम रस । यह हास्य से लोत प्रोत था और वास्तव मे फनी था ।

इस स्टोरी मे कहीं न कहीं काफी फेरबदल किया गया है ।
वैसे मुझे गॉसिप मे पोस्ट हुई इस स्टोरी का अपडेट दर अपडेट याद नही है लेकिन कुछ बदलाव जरूर महसूस हो रहा है ।
यह एक रीजन है कि हमारा कौतुहल फैक्टर लगातार बढ़ते जा रहा है । क्या आनंद साहब सिर्फ दो चार महिलाओं के साथ प्रणय सीन्स मे नजर आएंगे या वह लेडीज मैन के किरदार मे दिखाई देंगे ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट कोमल जी ।
हमेशा की तरह बेहतरीन और वाह वाह अपडेट ।
Jaise jaise ju ki age badhti Jaa Rahi hai
Waise waise aur Rangeen hote Jaa re ho ju
Orgy dekhne ko mil jaaye bas :D
 
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Jaise jaise ju ki age badhti Jaa Rahi hai
Waise waise aur Rangeen hote Jaa re ho ju
Orgy dekhne ko mil jaaye bas :D
शायद आपने जय मुखर्जी , सायरा बानो , आई एस जौहर साहब अभिनीत " शागिर्द " फिल्म नही देखी है ।
उस फिल्म के एक सीन्स मे आई एस जौहर साहब जय मुखर्जी को कहते है - इश्क मुहब्बत बच्चों का खेल नही है और यह ना ही जवानों की जागीर "
 

Tiger 786

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फागुन के दिन चार भाग 1

फागुन की फगुनाहट

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भाभी की चिट्ठी

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मेरे देवर कम नंदोई,

सदा सुहागन रहो, दूधो नहाओ पूतो फलो,

तुमने बोला था की इस बार होली पे जरूर आओगे और हफ्ते भर रहोगे तो क्या हुआ? देवर भाभी की होली तो पूरे फागुन भर चलती है और इस बार तो मैंने अपने लिए एक देवरानी का भी इंतजाम कर लिया है, वही तुम्हारा पुराना माल। न सतरह से ज्यादा न सोला से कम। क्या उभार हो रहे हैं उसके।

मैंने बोला था उससे की अरे हाई स्कुल कर लिया पिछले साल, अब इंटर में चली गयी हो तो अब तो इंटरकोर्स करवाना ही होगा, तो फिस्स से हँसकर बोली-

“अरे भाभी आप ही कोई इंतजाम नहीं करवाती। अपने तो सैयां, देवर, ननदोइयों के साथ दिन रात और।“

तो उसकी बात काटकर मैं बोली अच्छा चल आ रहा है होली पे एक, और कौन तेरा पुराना यार, लम्बी मोटी पिचकारी है उसकी और सिर्फ सफेद रंग डालेगा। एकदम गाढ़ा बहुत दिन तक असर रहता है।
तो वो हँसकर बोली की ,”अरे भाभी आजकल उसका भी इलाज आ गया है चाहे पहले खा लो चाहे अगले दिन। बाद के असर का खतरा नहीं रहता,”

और हाँ तुम मेरे लिए होली की साड़ी के साथ चड्ढी बनयान तो ले ही आओगे, उसके लिए भी ले आना और अपने हाथ से पहना देना। मेरी साइज तो तुम्हें याद ही होगी। मेरी तुम्हारी तो एक ही है। 34सी और मालूम तो तुम्हें उसकी भी होगी। लेकिन चलो मैं बता देती हूँ। 30बीबी हाँ होली के बाद जरूर 32 हो जायेगी…”

फागुन चढ़ गया था, फगुनाहट शुरू हो गयी थी, होली कुछ दिन बाद ही थी। भाभी की इस चिठ्ठी पर उसी का असर था, ... मैं अभी ट्रेनिंग में था, पिछले साल ट्रेनिंग में होली में छुट्टी नहीं मिल पायी थी, पर अब कुछ दिनों बाद ही ट्रेनिंग खतम होने वाली थी और मैंने बोला था की अबकी होली में जरूर आऊंगा और हफ्ते भर कम से कम,... छुट्टी मिल भी गयी थी भाभी की चिट्ठी में उसी का दावतनामा था, होली में घर आने का।

मैं समझ गया की भाभी चिट्ठी में किसका जिकर कर रही थी। मेरी कजिन, हाईस्कूल पास किया था उसने पिछले साल। अभी इंटरमीडिएट में थी. जब से भाभी की शादी हुई थी तभी से उसका नाम लेकर छेड़ती थी, आखिर उनकी इकलौती ननद जो थी। शादी में सारी गालियां उसी का बाकायदा नाम लेकर, और भाभी तो बाद में भी प्योर नानवेज गालियां। पहले तो वो थोड़ा चिढ़ती लेकिन बाद में,… वो भी कम चुलबुली नहीं थी।

कई बार तो उसके सामने ही भाभी मुझसे बोलती, हे हो गई है ना लेने लायक, कब तक तड़पाओगे बिचारी को कर दो एक दिन। आखिर तुम भी 61-62 करते हो और वो भी कैंडल करके, आखिर घर का माल घर में। पूरी चिट्ठी में होली की पिचकारियां चल रही थी। छेड़-छाड़ थी,मान मनुहार थी और कहीं कहीं धमकी भी थी। मैंने चिट्ठी फिर से पढ़नी शुरू की।



“माना तुम बहुत बचपन से मरवाते, डलवाते हो और जिसे लेने में चार बच्चों की माँ को पसीना आता है वो तुम हँस हँसकर घोंट लेते हो। लेकिन अबकी होली में मैं ऐसा डालूंगी ना की तुम्हारी भी फट जायेगी, इसलिए चिट्ठी के साथ 10 रूपये का नोट भी रख रही हू, एक शीशी वैसलीन की खरीद लेना और अपने पिछवाड़े जरूर लगाना, सुबह शाम दोनों टाइम वरना कहोगे की भाभी ने वार्निंग नहीं दी…”



लेकिन मेरा मन मयूर आखिरी लाइनें पढ़कर नाच उठा-

“अच्छा सुनो, एक काम करना। आओगे तो तुम बनारस के ही रास्ते। रुक कर भाभी के यहाँ चले जाना। गुड्डी की लम्बी छुट्टी शुरू हो रही है, उसके स्कूल में बोर्ड के इम्तहान का सेंटर पड़ा है, तो पूरे हफ्ते दस दिन की होली की छुट्टी,... वो होली में आने को कह रही थी, उसे भी अपने साथ ले आना। जब तुम लौटोगे तो तुम्हारे साथ लौट जायेगी…”



चिठ्ठी के साथ में 10 रूपये का नोट तो था ही एक पुडिया में सिंदूर भी था और साथ में ये हिदायत भी की मैं रात में मांग में लगा लूं और बाकी का सिंगार वो होली में घर पहुँचने पे करेंगी। आखिरी दो लाइनें मैंने 10 बार पढ़ीं और सोच सोचकर मेरा तम्बू तन गया
Bohot badiya shuruaat.
 

komaalrani

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छुटकी दूर रह के भी मजेदार आईडिया सरका रही है...
और आनंद बाबू को पूरा शृंगार करवा करवाने का सामान करके रहेगी...
अगर आनंद बाबू का सपना पूरा हुआ तो गुड्डी के रिश्ते से सबसे छोटी साली तो वही है।
 

komaalrani

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पिछली बार रितु से इंट्रो हुआ और बाद में नवरीत से रीत बनी...
लेकिन इस बार शुरू से हीं रीत...
और इंटर पास अब ग्रेजुएशन में...
तीन-तीन से शुरुआत करने वाली अभी तक कच्ची कली....
लेकिन रीत की इंट्री से धमाका होने का अंदेशा बढ़ गया है...
बेचारे आनंद बाबू..
चक्की की तरह पिस जाएंगे...
अब आपको इतना ज्यादा याद है तो बता ही देती हूँ, रफ़ूगीरी करना, कपडे सिलने से ज्यादा मुश्किल है, उसी रंग का उसी टाइप का धागा लाओ, उसे से मैच, फिर सरफेस पे भी गैप न लगे,

पहली रफू गिरी करनी पड़ी यूपी बोर्ड के इम्तहान को लेकर।

मैंने बहुत दिमाग कुरेदा होली और बोर्ड के इम्तेहान को लेकर झगड़ा हमेशा रहता है अक्सर होली बीच में पड़ती है, या अगर बहुत जल्दी पड़ी तो इम्तहान शुरू होने के पहले, होली कभी भी मार्च के बाद नहीं पड़ती, इसलिए अगर कोई दसवे या बारहवे में हो तो बोर्ड के इम्तहान के बीच निकलना मुश्किल है ।

छुटकी वाली कहानी जिसका सीक्वेल है, मजा पहली होली का ससुराल में, उसमे भी बोर्ड के इम्तहान और होली का झगड़ा है लेकिन मंझली जो बोर्ड का इम्तहान दे रही है, होली के दिन जीजा के साथ होली खेलकर शाम को ही मिश्राइन भाभी के यहाँ चली जाती है और छुटकी जो अभी नौवे में है और उसकी सहेलियां अगले दिन भी होली खेलती है और बाकी सब कुछ भी,

तो हल ये निकला की गुड्डी की क्लास एक आगे बढ़ेगी, और रीत उससे भी दो तीन साल बड़ी है, तो फिर उसे ग्रेजएशन में जाना होगा।

सिरिएल टाइप कहानियों में परेशानी ये होती है की शुरू के पोस्टों में कहानी का एक रूप रहता है और धीरे धीरे जैसे कहानी आगे बढ़ती है कुछ पाठकों के सुझाव, कुछ घटनाओं के क्रम से कहानी में मोड़ भी आते हैं, पात्रों के रूप बदलते हैं, और उसी में कुछ महीन छोटे छोटे अंतर्विरोध नजर आते हैं, लेकिन एक तो पाठक कहानी के साथ चलते हैं और दूसरे उस से भी बढ़कर उनकी सदाशयता के कारण वो गड़बड़ियां नजर नहीं आतीं।

लेकिन जब आप उस कहानी को फिर से कहना चाहते हैं तो सब से पहले लिखने वाले को ही गड़बड़ी नजर आने लगती है, अब एक लाइन थी इस कहानी में ' गब्बू तुम जाकर रिक्शा ले आ", लाइन अभी भी है बस दो चार शब्दों का हेर फेर हैं, लेकिन उसके लिए बहुत रफ़ूगीरी करनी पड़ी।

जो बातें आप ने कही रीत के बारे में वो सब भी रफ़ूगीरी का नतीजा हैं, और आगे और भी थोड़ी बहुत करनी पड़े, लेकिन रीत एक मस्त बिंदास बनारसी बाला है उस में कहीं कुछ बदलाव नहीं होगा, हाँ इतने बदलाव के बाद भी यह कहानी पुराने का भी मजा देगी नए का भी जैसी देवदास जितनी बार बनी उस समय के हिसाब से बनी और हिट हुयी।

तो इतने बदलाव के कारण इसे एक नयी ही कहानी मान के चलें तो अच्छा रहेगा, हाँ कथावस्तु, मुख्य घटनाएं पात्र वही।
 

komaalrani

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भाग ८३
महुआ चुये

updates posted, please read, enjoy, like and comment.
 

komaalrani

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कॉमर्स... नहीं काम-रस ... वाह.. वाह...
और ठगनियों के ग्रुप से पला पड़ा है तो..
तो भी आनंद बाबू बचने की सोच रहे हैं...
ऐसी ठगनियों द्वारा लुट जाने पर भी सुख हीं सुख है...

कबीरा आप ठगाइये, और न ठगिये कोय।
आप ठगे सुख होत है, और ठगे दुःख होय।।

कबीर दास जी बनारस के थे और ये सत्य उनको बहुत पहले मालूम हो गया था।
 

komaalrani

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Wonderful update Madam...full erotic, teasing dialogs...
Ragging of Anand Babu..well and truly on...Guddi missed the "fun" of bathing with Anand Babu due to her "red ribbon".. 😜 😜

Guddi pulling leg of Anand babu about the "cream" was really sexy..with reference to chanda bhabhi..and the "quantity" of cream applied.. :) 😛😛

The reference to beer and rum was quite good as well...
Overall, a super episode...continuing from where it left last time...

Awesome!!

👌👌👌👏👏👏👏

komaalrani
इस कहानी को लिखने में रिसर्च का थोड़ा बहुत इस्तेमाल हुआ है और मैं ये शेयर करने से नहीं रोक पा रही हूँ की जिस भाग का आपने उल्लेख किया है, रम का,

आपने यह ध्यान दिया होगा की आनंद बाबू ने एक ऑस्ट्रियन रम stroh ८० का इस्तेमाल किया। इसके पीछे थोड़ी रिसर्च ये थी की हिन्दुस्तान में मिलने वाली ज्यादातर रम में अल्कोहोल कंटेंट ५० % से कम होता है। सबसे प्रचलित ओल्ड मांक में ४३ % के आसपास ( आयतन के अनुसार ) अल्कोहल होती है, और मैक। .वेल, कंटेसा इत्यादि में इतनी ही और कुछ में इससे भी कम करीब ४० % के आसपास

अब आनंद बाबू को लगा की होली का आनंद तभी आएगा, जब साली सलहज सब मस्त हो मिश्रण के लिए ८० % वाली रम और चंदा भाभी के पति विदेश में रहते हैं, शौक़ीन तबियत के हैं तो ऑस्ट्रियन रम उनके पास होना सामान्य सी बात होगी

इसलिए मैंने ढूंढ कर उस ८० % वाली आस्ट्रियन रम के बॉटल का चित्र भी सुधि पाठको के लिए प्रस्तुत किया।

इस प्रकार की बातें और भी मिलेंगी इस कहानी में आगे, बार बार

आपको धन्यवाद, नियमित रूप से पढ़ने के लिए टिप्पणी और सबसे बढ़कर उत्साह वर्धन के लिए।
 
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komaalrani

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वाह कोमल जी

हमेशा की तरह लाज़वाब अपडेट और रीत का आगमन।

अगले अपडेट का इंतजार रहेगा।

सादर
बहुत बहुत आभार

रीत की एक झलक सी मिली है लेकिन रीत की असली एंट्री अगले पोस्ट में बस एक दो दिन में और आपने पिछली एक पोस्ट में जिस कशीदाकारी का जिक्र किया था, उसकी थोड़ी सी बानगी अगले पोस्ट में मिलेगी, और वह पोस्ट करीब करीब पूरी तरह रीत की, रीत के लिए होगी।
 

komaalrani

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गुड्डी और गुंजा के जलवे से आनंद साहब उबर ही नही पाए थे कि एक और हसीना ' रीत ' ने भी अपने हुस्न के जलवे बिखेरने शुरू कर दिए ।
लेकिन रीत नामक अंगूर आनंद साहब के लिए खट्टे ही लग रहे है मुझे । इस अंगूरी शबाब पर शायद सिर्फ करण साहब की ही मिल्कियत हो । जहां तक मुझे याद है रीत और करण ( अगर यह नाम सच है ) की भूमिका उस वक्त शब्बो शबाब पर थी जब हिन्दुस्तान के कई हिस्सों मे बम ब्लास्ट हुआ करते थे ।

इरोटिका लेखन , शब्दों के साथ खेलना , शब्दों का एक नया अर्थ तैयार करने मे आप का कोई जबाव नही ।
इंटर कोर्स के बाद इस बार कॉमर्स का डेफिनिशन तय किया आपने - काम रस । यह हास्य से लोत प्रोत था और वास्तव मे फनी था ।

इस स्टोरी मे कहीं न कहीं काफी फेरबदल किया गया है ।
वैसे मुझे गॉसिप मे पोस्ट हुई इस स्टोरी का अपडेट दर अपडेट याद नही है लेकिन कुछ बदलाव जरूर महसूस हो रहा है ।
यह एक रीजन है कि हमारा कौतुहल फैक्टर लगातार बढ़ते जा रहा है । क्या आनंद साहब सिर्फ दो चार महिलाओं के साथ प्रणय सीन्स मे नजर आएंगे या वह लेडीज मैन के किरदार मे दिखाई देंगे ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट कोमल जी ।
हमेशा की तरह बेहतरीन और वाह वाह अपडेट ।
मैं हर बार यही कहती हूँ रीत के लिए

रीत की रीत रीत ही जाने

और हाँ इस संस्करण में बहुत सारे परिवर्तन हैं जो इसे नूतन और नवीन बना रहे हैं, कुछ पात्रों की भूमिका बढ़ी है, कुछ के स्वरूप में हो सकता है थोड़ा बहुत बदलाव हो, लेकिन असली चीज है रस, चाहे बनारस का हो कहानी का, मैं पूरी कोशिश करुँगी की वो कम न हो।

और जहाँ तक आनंद बाबू का सवाल है, यथा नामे तथा गुणे के अनुसार उनका काम ही आनंद देना, आनंद लेना है। हाँ थोड़ी झिझक थी तो गुड्डी और गुड्डी की मम्मी के हड़काने, चंदा भाभी के नाइट स्कूल और गुड्डी और गूंजा की छेड़खानी से कुछ सुधार तो हो रहा है। अब रीत भी आ गयी है गुड्डी का साथ देने और फिर जब छत पर होली शुरू होगी तो और महिलाये भी, तो एकदम देखिये आनंद बाबू किस किस का रस लेते हैं,

ससुराल है, बनारस है फागुन है

आपका धन्यवाद आभार, आप समय निकल कर इन लम्बे अपडेट्स को पढ़ते हैं और सारे भागों को समेकित कर अपने विचार शेयर करते है, ऐसे समीक्षक जिनके एक एक शब्द के लिए अप्रूवल के लिए इस फोरम की हर लेखनी तरसती है , आप हर भाग पर अपने विचार रख रहे हैं और उत्साहित कर रहे हैं

यह कहानी और मैं कृतार्थ हैं आपका संबल पा कर।
 
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