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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट हैभाग ६ -
चंदा भाभी, ---अनाड़ी बना खिलाड़ी
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तेल मलते हुए भाभी बोली- “देवरजी ये असली सांडे का तेल है। अफ्रीकन। मुश्किल से मिलता है। इसका असर मैं देख चुकी हूँ। ये दुबई से लाये थे दो बोतल। केंचुए पे लगाओ तो सांप हो जाता है और तुम्हारा तो पहले से ही कड़ियल नाग है…”
मैं समझ गया की भाभी के ‘उनके’ की क्या हालत है?
चन्दा भाभी ने पूरी बोतल उठाई, और एक साथ पांच-छ बूँद सीधे मेरे लिंग के बेस पे डाल दिया और अपनी दो लम्बी उंगलियों से मालिश करने लगी।
जोश के मारे मेरी हालत खराब हो रही थी। मैंने कहा-
“भाभी करने दीजिये न। बहुत मन कर रहा है। और। कब तक असर रहेगा इस तेल का…”
भाभी बोली-
“अरे लाला थोड़ा तड़पो, वैसे भी मैंने बोला ना की अनाड़ी के साथ मैं खतरा नहीं लूंगी। बस थोड़ा देर रुको। हाँ इसका असर कम से कम पांच-छ: घंटे तो पूरा रहता है और रोज लगाओ तो परमानेंट असर भी होता है। मोटाई भी बढ़ती है और कड़ापन भी…”
भाभी ने वो बोतल बंद करके दूसरी ओर रख दी और दूसरी छोटी बोतल उठा ली। जैसे उन्होंने बोतल खोली मैं समझ गया की सरसों का तेल है। उन्होंने खोलकर दो-चार बूंदें सीधे मेरे सुपाड़े के छेद पे पहले डाली।
मजे से मैं गिनगिना गया।
“क्यों बचपन में तो ऐसे ही पड़ता रहा होगा ना। याद आया। वैसे तो मुझे किसी चिकनाई की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन तुम्हारा आदमी की जगह गधे, घोड़े का लगता है, इसलिए। मैं वैसलीन की जगह सरसों का तेल ही लगाती हूँ। लेकिन किसी लड़की के साथ, कच्ची कली के साथ तो पहले तो गीला करना अच्छी तरह से। फिर खूब वैसलीन चुपड़ के उंगली करना। अपने लण्ड में भी खूब वैसलीन मल लेना। हाँ एक बात और तुम एक काम करो। अपना सुपाड़ा कभी कवर मत करना। इसको खुला ही रखना…” भौजी ने समझाया
“क्यों भाभी?” मैंने उत्सकुता से पूछा।
भाभी पूरे सुपाड़े पे तेल लगाते हुए बोली-
“अरे देवरजी, आपको आम खाने से मतलब या। यही सब तो ट्रिक हैं असली मर्द बनने के। आप भी क्या याद करियेगा कि कोई सिखाने वाली मिली थी। खुला रहने से बचपन से रगड़ खा-खाकर वो ऐसा सुन्न हो जाता है कि बस। तो जल्दी झड़ने का खतरा खत्म हो जाता है। और औरत क्या चाहती है कि मर्द खूब रगड़कर अच्छी तरह, देर तक चोदे, ये नहीं की बस घुसेड़ा, निकाला और कहानी खतम। जो मरद औरत को झाड़ के झड़े, वो असली मर्द। तो अगर इसको ढकोगे नहीं तो तुम्हारे कपड़े से रगड़ खा-खाकर ये भी। समझ गए और हाँ अगर तुम मुझसे पहले गए तो समझ लेना…”
तेल की दोनों बोतल बंद करके वो टेबल पर रख चुकी थी।
“भाभी। प्लीज…” मेरी आँखें गुहार लगा रही थी।
“चल ठीक है तू भी क्या याद करेगा। होली का मौका है तो आज देवर भाभी की होली हो जाये। बस याद रखना की तुम बस ऐसे ही लेटे रहना उठने कि कोशिश भी मत करना…”
मैंने वोमन आन टाप की कई कहानियां पढ़ी थी, फोटुयें और फिल्में भी देखी थी, लेकिन वो सीन।
चंदा भाभी पर वो जोबन था। नाईट लैंप की हल्की नीली रोशनी में, लंबे-लंबे बाल, सिंदूर से सजी माँग, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, गले में नेकलेश जिसका पेंडेंट उनके गदराये मस्त जोबन के बीच लटकता हुआ, खूब बड़ी-बड़ी लेकिन एकदम कड़ी मस्त चूचियां,
गोरी-गोरी चिकनी जांघें, और उसके बीच काली झुरमुट।
भाभी मेरे ऊपर आ गई थी, उनकी फैली हुई जांघों के बीच, ... मेरा
भाभी- “क्यों ले लूँ इसे अपने अन्दर?” हँसकर अपनी नशीली आँखें मेरी आँखों में डालकर वो बोली।
“एकदम…” मैंने भी हँसकर जवाब दिया। बेचैनी से मेरी हालत खराब थी। उनका जन्नत का खजाना मेरे ‘उससे’ टच कर रहा था। बता नहीं सकता वो पहली बार का स्पर्श।
भाभी रुक गई थी।
मैं बेताब हो रहा था। मैंने अपनी कमर उचकायी।
तभी भाभी बोली- “मना किया था ना की हिलोगे नहीं। बदमाश…” कहकर भाभी ने आँखें तरेरी।
मैं एकदम रुक गया।
भाभी मुश्कुराने लगी और उन्होंने कमर थोड़ी और नीची की।
अपने हाथों से उन्होंने अपने निचले होंठों को थोड़ा फैलाया और मेरा सुपाड़ा उनकी चूत के अंदर। उन्होंने मेरे जंधे पकड़कर एक और धक्का दिया, और बोली-
“अब मैं मर्द हूँ और तुम औरत। वैसे भी कल होली में अच्छी तरह सेचुदवाओगे तुम। और चोदेगी हम सब। । ठीक से बोल आ रहा है मजा?”
और इसके साथ उन्होंने एक जबर्दस्त धक्का मारा।
सुपाड़ा पूरी तरह उनकी चूत के गिरफ्त में था। दोनों कन्धों पर जो उनका हाथ था वो सरक के मेरी छाती तक आ चुका था। जैसे कोई किशोरी के नए जोबन को सहलाए,... वो उसी तरह।
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है आनंद बाबू तो पहली बार पिच पर उतरे और अच्छे खासे शॉट खेल गएकथा रति विपरीत की
मैं बनूँ साजन, तुम बनो सजनी
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भाभी मुश्कुराने लगी और उन्होंने कमर थोड़ी और नीची की। अपने हाथों से उन्होंने अपने निचले होंठों को थोड़ा फैलाया और मेरा सुपाड़ा उनकी चूत के अंदर। उन्होंने मेरे जंधे पकड़कर एक और धक्का दिया, और बोली-
“अब मैं मर्द हूँ और तुम औरत। ” और इसके साथ उन्होंने एक जबर्दस्त धक्का मारा।
सुपाड़ा पूरी तरह उनकी चूत के गिरफ्त में था। दोनों कन्धों पर जो उनका हाथ था वो सरक के मेरी छाती तक आ चुका था। जैसे कोई किशोरी के नए जोबन को सहलाए,वो उसी तरह।
मैं चाह रहा था की भाभी जल्दी से पूरा अन्दर ले लें पर वो तो।
उन्होंने सुपाड़े को अपनी चूत से कस-कसकर भींचना शुरू कर दिया। साथ ही उनके एक हाथ ने मेरे एक निपल को कसकर पिंच कर लिया। उनके लम्बे नाखून वहां निशान बना रहे थे। अब मुझसे नहीं रहा गया। मैंने कसकर अपने दोनों हाथों से उनके झुके हुए मस्त रसीले जोबन पकड़ लिए और कस-कसकर दबाने लगा। जवाब में भाभी ने एक जोर का धकका मारा और आधा लण्ड अन्दर चला गया।
लेकिन अब वो रुक गईं। वो गोल-गोल अपनी कमर घुमा रही थी।
अब मुझसे नहीं रहा गया। मैंने उनकी कमर कसकर पकड़ी और नीचे से जोर का धक्का मारा। साथ ही मैंने अपने हाथ से उनकी कमर पकड़कर नीचे की ओर खींचा। अब बाजी थोड़ी सी मेरे हाथ में थी। भाभी सिसकियां भर रही थी। और मेरा लण्ड सरक-सरक के और उनकी चूत में घुस रहा था।
भाभी- “तुम ना। बदमाश,... कल अगर तुम्हारी। …”
लेकिन भाभी की बात बीच में रह गई क्योंकि मैंने कसकर उनकी क्लिट दबा दी।
भ।भी जोर-जोर से सिसकी भरने लगी-
“साले। बहनचोद। मेरी सीख मेरे ही ऊपर। तेरे सारे खानदान की फुद्दी मारूँ…” और फुल स्पीड चुदाई चालू हो गई।
भाभी की चूची मेरी छाती से रगड़ रही थी। मैंने कस को उनको बांहों में भींच रखा था। और उन्होंने भी कसकर मुझे पकड़ रखा था। हचक के सटासट। ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे। थोड़ी देर तक भाभी खुद पुश कर रही थी और साथ में मैं। उनकी कमर पकड़कर। लेकिन कुछ देर बाद। उन्होंने जोर कम कर दिया और मैं ही अपनी कमर उचका के उनकी कमर नीचे खींचकर, चूतड़ उठाकर अपना लण्ड उनकी चूत में सटासट।
थोड़ी देर बाद ऐसी ही जबरदस्त चुदाई के बाद भाभी ने मेरे कान में कहा- “सुनो। तुम अपनी टाँगें कसकर मेरी पीठ पे पीछे बाँध लो। पूरी ताकत से…”
उस समय ‘मेरा’ पूरी तरह से भाभी के अन्दर पैबस्त था। मैंने वही किया। भाभी ने भी कसकर अपने हाथ मेरी पीठ के नीचे करके बाँध लिए। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
तभी भाभी पलटी और। गाड़ी नाव के ऊपर। नीचे से भाभी बोली-
“बस ऐसे ही रहो थोड़ी देर…” और उन्होंने कुछ ऐडजस्ट किया और मैं उनकी जाँघों के बीच।
भाभी मुझे देखकर मुश्कुरा रही थी। मैंने भाभी को पहले हल्के से फिर पूरी ताकत से किस किया। उन्होंने भी उसी तरह जवाब दिया। मुझे भाभी की बात याद आई। थोड़ी ही देर में मेरा होंठ उनके एक निपल को कसकर चूस रहा था और दूसरा निपल मेरी उंगलियों के बीच था। धक्कों की रफ्तार मैंने कम कर दी थी।
भाभी मस्त सिसकियां भर रही थी। कुछ देर बाद ही वो चूतड़ उचकाने लगी-
“करो ना देवरजी। और जोर से करो बहुत मजा आ रहा है। ओह्ह… ओह्ह…” करके भाभी सिसक रही थी बोल रही थी।
मैं कौन होता था अपनी इस मस्त भाभी को मना करने वाला। मैंने पूरी तेजी से कमर चलानी शुरू कर दी। इंजन के पिस्टन की तरह।
भाभी ने अपने हाथों से मेरे चूतड़ कसकर पकड़ रखे थे। मस्त गालियां। चीखें-
“साले रुके तो तेरी गाण्ड मार लूँगी। कल पूरी पिचकारी तेरी गाण्ड फैलाकर पेल दूँगी। बहनचोद। तेरी बहन को मेरे सारे देवर चोदें। बहुत मजा आ रहा है। हाँ…”
और भाभी ने फिर पोज बदल दिया।
वो मेरी गोद में थी। उनकी फैली जांघें मेरी कमर के चारों ओर, चूचियां मेरे सीने से रगड़ती।
मैं अब हल्के-हल्के धक्के मार रहा था। साथ में हम लोग बातें भी कर रहे थे।
भाभी ने चिढ़ाया- “सीख तो तुम ठीक रहे हो। अपने मायके जाकर उस छिनाल ननद के साथ प्रैक्टिस करना एकदम पक्के हो जाओगे…”
मैं- “गुरु तो आप ही हैं भाभी…”
भाभी कभी मेरे कान में अपनी जीभ डाल देती,
कभी हल्के से मेरे होंठ काट लेती और एक बार उन्होंने मेरे निपल को कसकर काट लिया।
मैं क्यों पीछे रहता।
मैंने ध्यान से सब सुना और पढ़ा था, और फिल्में देखी थी सो अलग।
मैंने दोतरफा हमला एक साथ किया। मैंने होंठों से पहले तो कसकर उनके निपल फ्लिक करना फिर चूसना शुरू किया और निपल हल्के से काट लिए।
एक हाथ जोबन मर्दन में लगा था। दूसरे हाथ को मैं नीचे ले गया और पहले तो हल्के-हल्के फिर जोर से उनके क्लिट को रगड़ने लगा।
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भाभी झड़ने के कगार पे पहुँच गईं लेकिन वो मेरी ट्रिक समझ गईं। उन्होंने धक्का देकर मुझे गिरा दिया और फिर मेरे ऊपर आ गईं, कहा-
“बदमाश हरामी, बहनचोद। बहन के भंड़वे, तेरी बहन को कोठे पे बैठाऊँ। मेरी सीख मुझी पे…”
और कस-कसकर धक्के लगाने लगी।
एक हाथ उनका मेरे निपल पे तो दूसरा मेरे पीछे गाण्ड के छेद पे।
मैं भी उसी तरह जवाब दे रहा था। हम लोग धकापेल चुदाई कर रहे थे। मैं बस अब रुकना नहीं चाहता था। मेरे हाथ कभी उनकी चूची पे कभी क्लिट पे। मेरा लण्ड अब बिना रुके अन्दर-बाहर हो रहा था।
भाभी की चूत कस-कसकर मेरे लण्ड को निचोड़ने लगी, और भाभी बोल रही थी-
“ओह्ह्ह… आह्ह… हाँ ओह्ह्ह… नहीं मैन्न…”
मुझे लग रहा था की मैं अब गया तब गया, लेकिन भाभी निढाल हो गईं, उनके धक्के रुक गए। लेकिन उनकी चूत कस-कसकर सिकोड़ती रही। निचोड़ती रही। और मैं भी। लगा मेरी जान निकल जायेगी पूरी देह से, आँखें बंद हो गई मैं कमर हिला रहा था।
जैसे कोई फव्वारा फूटे, मेरी देह शिथिल पड़ गई थी।
भाभी मेरे ऊपर लेटी थी। थोड़ी देर तक हम दोनों लम्बी-लम्बी साँसें लेते रहे। भाभी ही उठी और फिर मेरे बगल में लेट गईं। थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे बाहों में भरकर एक जबर्दस्त किस कर लिया। मुझे जवाब मिल गया था की मैं इम्तेहान मैं पास हो गया, बाहर जबर्दस्त होली के गाने चल रहे थे।
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बहुत ही शानदार अपडेट है खिलाड़ी का पिच पर अच्छा प्रदर्शन करने के बाद कोच खिलाड़ी को अच्छे से समझा रही है साथ ही उसके बारे मे भी सब कुछ पूछ लिया है थोड़ी थोड़ी शर्म दूर हो रही हैंनकबेसर कागा लै भागा,
बाहर जबर्दस्त होली के गाने चल रहे थे।
नकबेसर कागा लै भागा, मोरा सैयां अभागा ना जागा,
अरे अरे उड़ उड़ कागा चोलिया पे बैठा जोबना पे,
अरे जोबना के सब रस ले भागा।
थोड़ी देर हम लोग एक दूसरे को कसकर पकड़कर लेटे थे। मैं धीरे-धीरे उनके बाल सहला रहा था। मेरी एक उंगली उनके गालों पे फिर रही थी। चन्दा भाभी भी मेरे पीठ पे हल्के-हल्के हाथ फिरा रही थी।
फिर बातें शुरू हुई।
चन्दा भाभी ने कुछ इधर-उधर की फिर कुछ और ट्रिक्स। खोद-खोद के चन्दा भाभी ने सब कुछ पूछ लिया, मैं इतना शर्मीला कैसे हूँ। मैंने बता दिया की साथ के लड़कों में मैं अकेला था जिसने आज तक ‘कुछ नहीं’ किया था। ज्यादातर लड़कों ने तो 18-19 साल की उम्र में ही। और मोस्टली ने तो कम से कम पांच-छ के साथ। दो-चार ने तो कजिन के साथ ही। गर्लफ्रेंड तो आलमोस्ट सबकी थी।
“अरे तो तुमने क्यों नहीं?” चंदा भाभी ने पूछा।
“पता नहीं। मन तो बहुत करता था। लेकिन कुछ शर्माता था। कुछ डर की कहीं लड़की मन ना कर दे। और कुछ बदनामी का डर…”
पहली बार मैंने अपने मन की बात किसी को बतायी। चंदा भाभी की उंगली मेरे पीठ के निचले हिस्से पे, मेरे नितम्बों की दरार के ठीक ऊपर सहला रही थी।
“चल कोई बात नहीं,.. अब तो। अरे यार यही तो उम्र होती है। पढ़ाई पूरी हो गई। इत्ती अच्छी नौकरी मिल गई। अभी शादी नहीं हुई। तुम इत्ते लम्बे चौड़े हो। सब कुछ एकदम…”
और ये कहते हुए उनके एक हाथ की उंगली मेरे निपल पे पहुँच गई और पीठ वाली नितम्बों के दरार में।
‘वो’ कुनमुनाने लगा। फिर उन्होंने गुड्डी के बारे में सब कुछ पूछ लिया। पहली बार पिक्चर हाल में से लेकर, आज तक।
भाभी बोली-
“तुम ना बुद्धू हो। अरे जब पेड़ की डाल पे कोई फल पक जाय और उसे कोई ना तोड़े तो क्या होगा?”
मैं बोला- “वो गिर जाएगा और फिर कोई भी उठाकर ले जाएगा…”
भाभी ने प्यार से समझाया- “एकदम वो तो एकदम तैयार थी। वो तो तुम्हारी किश्मत अच्छी थी की किसी और ने। अब तक तुम्हारी जगह कोई और होता तो कब का…”
“मैं सोच रहा था की वो अभी 10वीं में पढ़ती है उसे कुछ मालूम नहीं होगा। फिर कहीं वह भाभी को शिकायत कर दे तो। वैसे वो है बहुत अच्छी…”
मैंने अपनी मन की बात बताई।
भाभी ने मेरे कान की लौ पे एक छोटी सी किस्सी ले ली और बोली- “अरे बुद्धू। कित्ती बहने हैं उसकी …”
“दो …” मैं बिना समझे बोला।
“तो सोचो ना, तो क्या उसकी मम्मी के बिना चुदवाये। और तुमने तो देखा ही है की पहले वह लोग एक कमरे में रहते थे। उसने बचपन से कितनी बार अपने मम्मी पापा को करते देखा होगा। और मैं जानती हूँ ना उसकी मम्मी को,... कितनी बार दिन दहाड़े।
फिर लड़कियां तो,... कितनी खुली बातें सब लोग करते हैं आपस में और वो तो गाँव शहर दोनों की है। गाँव में तो शादी ब्याह में, गन्ने के खेत में। लड़कियां बहुत जल्दी तैयार हो जाती हैं। लेकिन एक बात गांठ बाँध लो…”
“क्या?” मैं बड़ी उत्सुकता से भाभी की एक-एक बात सुन रहा था।
“किसी भी कुँवारी लड़की को पहली बार मजा नहीं आता। जो तुमने कहानियों में पढ़ा होगा, सब गलत है। मन उसका जरूर करता है, सहेलियों की बातें सुनकर, भाभी की छेड़खानी से। इसलिए। …”
“बताइये ना फिर क्या करना चाहिए?” मैं बेताब हो रहा था।
“अरे बोलने तो दे…” भाभी बोली-
“पहली बार उसे दर्द होगा। लेकिन ये दर्द सबको होता है। वह पहली लड़की तो होगी नहीं जिसकी फटेगी। इसलिए उसे थोड़ा प्यार से समझाना चाहिए। मनाना चाहिये और जब दर्द कम हो जाए तो उसे दूसरी बार जरूर चोदो। भले वह चीखें चिल्लाये, थोड़ा गुस्सा हो। वरना पहली चुदाई का दर्द अगर उसके मन में बैठ गया ना तो फिर उसे दुबारा राजी करना मुश्किल होगा।
दुबारा करने पे ही उसे असल मजा मिलेगा। ज्यादातर लड़के ही उसके बाद थक जाते हैं। थक तो वो भी जायेगी। लेकिन कुछ देर बाद अगर कोई, किसी तरह। लड़की को गरम करना उतना मुश्किल नहीं।
तीसरी बार उसे चोद दे ना, फिर तो वो लड़की उसकी गुलाम हो जायेगी। जब भी उससे कहोगे खुद तैयार रहेगी, और कहीं तीन-चार दिन कर दिया तो। फिर तो उसकी चूत में चींटे काटेंगे। तुम नहीं चाहोगे तो भी तुम्हारे पीछे-पीछे आएगी, सबके सामने बिना किसी की परवाह किये…”
मैं आने वाले कल की रात के बारे में सोच रहा था। जब मैं उसे लेकर अपने घर पहुँचूंगा।
“भाभी अगर किसी लड़की के वो वाले पांच दिन चल रहे हों, और जिस दिन खतम हो उस दिन मौका मिले तो। उस दिन करना ठीक होगा की नहीं?”
मैंने भाभी से दिल की बात पूछ ही ली।
भाभी- “अरे वो तो सबसे अच्छा है। उस दिन तो चूत को ऐसी भूख लगी रहती है। वो खुद राजी हो जायेगी। उस दिन तो छोड़ना, कामदेव का अपमान करना है। बस पटक के चोद दो…”
भाभी ने फिर समझाया- “उस दिन तो लड़की को ऐसी खुजली मचती है ना की बस पूछो मत। बड़ी से बड़ी शर्मीली सती साध्वी होगी वो भी खुद टांग उठाकर। उस दिन तो कोई रह नहीं सकती। लण्ड देव की कृपा ना हुई तो बैगन, मोमबत्ती। कुछ नहीं हुआ तो उंगली। उस दिन तो बस तुम्हें पूछने की देर है…”
हँसकर भाभी बोली।
हम दोनों नें एक दूसरे को कसकर पकड़ रखा था। बाहर अभी भी होली के गाने, जोगीड़ा चल रहा था।
अरे कौन गाँव में सूरज निकले कौन गाँव में चन्दा,
किसने गोरी की चूची पकड़ी किसने हचक के चोदा, जोगीरा सा रा रा।
“बनारस है ये सारी रात चलता है। और तुम सोच रहे की लड़की को ये नहीं पता होगा, वो नहीं पता होगा…”
भाभी जोगीड़ा सुनकर मुश्कुराते हुए बोली। तभी अच्छानक मुझे छुड़ाकर वो उठ खडी हुई।
“क्या हुआ, किधर जा रही हैं आप?” मैंने पूछा।
“कहीं नहीं…” हल्के से उन्होंने बोला और धीरे से दरवाजे की कुण्डी खोलकर बाहर झाँका। दोनों लड़कियां घोड़े बेचकर सो रही थीं। उन्होंने फिर दरवाजा बंद कर दिया और मुझसे बोली-
“अरे वो जो पान तुम लाये थे। वो तो मैंने खाया ही नहीं। और वैसे तो तुम पान खाते नहीं, जब तक कोई जबरदस्ती ना खिलाये। तो फागुन में तो देवर से जबरदस्ती बनती है खास तौर से जब वो अगर तुम्हारे ऐसा चिकना हो। है ना?”
हँसते हुए बर्क में लिपटा हुआ वो ‘स्पेशल’ पान लेकर भाभी आ गईं।
बहुत बहुत धन्यवाद इतने अच्छे कमेंट के लिए और कहानी का साथ देने के लिए
इस भाग में रीत के जीवन दर्शन और नजरिये का पता चलता है जिसने आनंद को बहुत अधिक प्रभावित किया और ये बनारस शहर के भी जीवन दर्शन को बताती है
" कल अब नही है ......" - यही मेरे प्रोफाइल के शब्द है ।
Tomorrow is not promised us so let us take today and make the most of it.
Thanks so much, welcome and ummid karti hun balki vishwas hai ki aapke comments har update ke baad milengeBahut hi behtarin update … har ke update ek se badh kar ek hai …
Thanks so much, will post a long reply after the next post which most probably i will post in a day or two.Can you help in listing out a few of them? with their original sources/authors....in both the languages or if their English/Hindi translation is also available there