- 22,114
- 57,286
- 259
फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
मैं, गुड्डी और होटल
is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
Last edited:
लेकिन रॉकी बेचारा...अरे कोई कमसिन, चिकना ससुराल में फंस जाए साली सलहज के बीच तो सबसे ज्यादा रगड़ाई तो उसकी बहन की ही होती है, कभी उससे जोड़ के और कभी ससुराल वाले लड़कों से जोड़ के हां इसमें बात थोड़ी आगे बढ़ गयी, दूबे भाभी एक लैब्राडोर , रॉकी का भी नाम आनंद बाबू की बहन से जोड़ दिया गया और क्या पता कब कौन बात सच हो जाए
सोलहवां सावन वाली कहानी में भी तो रॉकी था
अभी तो पार्टी शुरू हुई है...अभी तो होली की शुरुआत हुयी है अगले पार्ट में जबरदस्त रगड़ाई होगी
Those who dance... have more flexibility..yess Reet was dancing queen of her college
Thanks for comment and support
और उनकी शैतानियां और शरारतें भी....You are absolutely right, thanks so much.
I think per day 2000-2500.उम्मीद पे दुनिया कायम है अभी तो हर पोस्ट पे १० हजार व्यूज मिलने में भी दस दिन लगते हैं
दूर कि सोच रखते हैं...असल में पलंग बहुत मजबूत थी और फटने वाली चीज पहले ही फट चुकी थी
लेकिन पान का असर हुआ और जबरदस्त हुआ
और बिना पान के भी असर शायद गुंजा और गुड्डी पर हो
और ये एक प्रकार से ट्रेनिंग भी होगी आनंद बाबू के लिए...मगज अस्त्र का इस्तेमाल आगे भी बहुत होगा
आनंद बाबू तो करेंगे ही उनसे बढ़कर रीत
मौका भी है ... और दस्तूर भी...एकदम और होली और ससुराल तो होश खोने के लिए ही होते हैं, कल से गुड्डी और चंदा भाभी यही समझा रहे हैं और जो थोड़ा बहुत होश था वो दहीबड़े और रीत के रूप ने ले लिया
और उसके बाद गृह प्रवेश भी...डांस भी आमंत्रण भी निमंत्रण भी
लेकिन क्या गुड्डी मुतमूइन हुई...और बात भी रीत ने संभाली