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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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I am humbled and speechless to see you here. I and my thread both feel privileged. your presence itself enthuses me and such words, I am so happy to see you on my threadwow
aisi tayyari dekhkar hi maja aa gaya
2 gulaab jamun me hi sab set tha
upar se beer
guddi ki aaj shamat nahi haiI
wonderful update
अरे कैसे भेंट नहीं होगी ? आनंद बाबू की जिंदगी का सवाल है, गुड्डी के बारे में लाइफ टाइम फैसला बिना गुड्डी की मम्मी के हाँ के तो हो नहीं सकता और उन्होंने पहले ही हुकुम सुना दिया है की आनंद बाबू को ' होली आफटर होली ' में कम से कम तीन दिन बनारस में भी बिताने हैं तो मम्मी का हुकुम और ऊपर से भी अब दूबे भाभी ने भी वही बात कह दीं,वाह कोमलजी. ये डूबे भाभी भी क्या जबरदस्त किरदार है. आनंद बाबू जैसे चिकन पर तो पूरी फ़िदा है. जैसे गुड्डी और रीत दोनों को खुद ही परोस देगी. अब रीत हे भी सरारती. और लगे भी डूबे भाभी की नांदिया. मौका वो भी ना छोड़े. आनंद बाबू का साथ उनका सहारा लेकर डबल डोज़ वाले दो गुलाब जामुन खिला दिये. साथ मे बियर का केन भी चढ़वा लिया. माझा आ गया. पर रंग पंचमी वाले दिन वैसी भेट होंगी??? अगर होंगी तो माझा ही आ जाएगा. और गुड्डी रानी मतलब लम्बे वक्त से कोरी ही है. इंतजार रहेगा कब आनंद बाबू के प्रेम की छाप लगेगी. माझा आ गया कोमलजी.
आपको इस थ्रेड पर देख कर जो ख़ुशी होती है मैं बता नहीं सकती,आनंद की दशा देख कर ऐसा महसूस होता है जैसे एक शरीफ , भले और चिकने - चुपड़े युवक को चार - चार तेज तर्रार महिलाओं के बीच मे एक कमरे के अंदर छोड़ दिया गया हो ।
सवाल ही नही पैदा होता ऐसे सिचुएशन मे कोई भी मर्द इनसे पार पा सके ।
आनंद साहब का ब्रेक फास्ट भांग मिश्रित पकवानों के साथ साथ वाइन , वोदका और वियर का रूकने का नाम ही नही ले रहा । कभी चंदा भाभी के साथ , कभी गुड्डी के साथ , कभी रीत के साथ और कभी दूबे भाभी के साथ मिलाकर कई - कई दौर का यह खान-पान हो चुका ।
पर ताज्जुब है अब तक आनंद साहब होशो हवाश मे है और साथ मे सभी महिलाएं भी भली चंगी हैं । काफी मजबूत मिट्टी के बने हैं यह सब ।
इस अपडेट मे आनंद साहब को रंगपंचमी मे वापस बनारस आने की बात कही गई है । कारण अवश्य रंग खेलने का और उस दौरान कुछ मस्ती करने का है । लेकिन चूंकि आनंद को ट्रेनिंग के लिए बाहर जाना है इसलिए यह प्रोग्राम कुछ फेरबदल के साथ दो दिन पहले तक का कर दिया गया ।
नो डाऊट , इस दौरान वह सबकुछ होगा जो इन महिलाओं ने सोच रखा है एक्सेप्ट राॅकी इवेंट । राॅकी की चर्चा सिर्फ आनंद साहब की शर्म दूर करने की ही है ।
और वह सब भी होगा जो आनंद साहब के ममेरी बहन के बारे मे कहा गया है । गुड्डी अपने कमिटमेंट पर खरा न उतरे , यह हो नही सकता ।
आनंद साहब को ट्रेनिंग से वापसी के बाद शायद वह बनारस और वह ससुराल न दिखे जो वर्तमान मे दिखाई दे रहा है । मुझे याद है बनारस उस वक्त बम धमाकों से बहुत कुछ बदल चुका था । शायद रीत का साथ भी उनके ट्रेनिंग जाने से पूर्व तक का ही है ।
बहुत खुबसूरत अपडेट कोमल जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
वाह भाई वाह. आनंद बाबू को रोकने के लिए गुड्डी का सहारा लिआ जा रहा था. अमेज़िंग.
सादी से पहले सादी वाली फीलिंग कुछ अलग ही होती है. एक दूसरे पर निर्भरता जताना
जैसे आनंद बाबू के बोल : गुड्डी ना होती तो मेरा क्या होता. वाओ... जबरदस्त सिंपल पर खट्टी मीठी फील है.
वही प्यार मे हक़ जमाना वो भी प्रेमिका से. दिल गुद गुदा देता है.
गुड्डी :
डूबे भाभी की मन की मुराद पूरी तो हुई. एक दिन कम सही. पर आनंद बाबू रुके तो. सारा श्रेय गुड्डी की जवानी, रीत का जोबन, और खुबशुरत सालियों के कारण ही हुआ. सब ने अपने होने वाले जीजा को बाट ही रखा है.
बहोत सारा है इस अपडेट मे. पर बता ही नहीं पाई. अमेज़िंग अपडेट. लव इट.
रही बात आनंद बाबू तो अभी से मान भी गए. जोरू के गुलाम... अब आने वाले वक्त मे गुड्डी भी को
आप की कहानी पढ़ के जो सुख मिलता है वही आपके कमेंट में भी
एकदम सटीक कुछ ही शब्दों में बात कहने का जादू
" शादी से पहले शादी वाली फीलिंग" एकदम सही बात कही है, आपने लड़की का हक जताना, और लड़के के मन में ये बात आना की ये हक जमाये, सब के सामने जताये, एक गुदगुदी सी, और यह बात भी आपकी एकदम सटीक है
गुड्डी की जवानी, रीत का जोबन और खूबसूरत सालिया ( उनमे वो दर्जा नौ वाली भी है जिसने मिर्च वाले ब्रेड रोल खिला के अपना इरादा बता दिया था, वो छोटी साली है करेगी तो अपनी मर्जी की, आखिर साली किस बात की )
बहुत बहुत धन्यवाद इतने अच्छे सटीक कमेंट्स के लिए, बाकी जादू टोना आपको कितना आता है पता नहीं लेकिन शब्दों का जादू बहुत अच्छा है, आपको प्रुस्कृत करके फोरम ने अपना सम्मान बढ़ाया है।
मलिया की तरह बोलेगी. मेला छोनु मोनू....
गुड्डी की हिम्मत नहीं जो दूबे भाभी की बात टाले, बल्कि पूरे बनारस में किसी की हिम्मत नहींवाह भाई मान गए. गजब की शारारत है ये तो.
अरे आनंद बाबू मुबारक हो. तुम्हारी बहना का रिस्ता पक्का भी हो गया. किस से. अरे तुम्हारे ही ससुराल वालों की तरफ से. तुम्हारा साला रोकी.
वाह नथ उत्तरी या नहीं ये भी चैक होगा. नहीं उत्तरी तो कोई बात नहीं आनंद बाबू. वो मौका तो आप को ही दिया जाएगा. चढोगे ना.
डूबे भाभी ने भी काम किसे सौपा. वो भी तुम्हारी वाली को. अब दाव पर तो उसका पिछवादा लग गया. अब पीछे मत हटना.
हर जेनरेशन का अलग मजा, अलग स्टाइलबनारस का असली मजा तो देह की होली...
और गुंजा तो कसम धरा के चंदा भाभी की बराबरी करेगी...
असली कारण दूसरा हैकिसी को कोई कमी नहीं होने दी जाएगी....
यही तो,लेकिन रॉकी बेचारा...
शायद फोरम के रुल के मुताबिक....
कोमल जी ,आपको इस थ्रेड पर देख कर जो ख़ुशी होती है मैं बता नहीं सकती,
एक मूर्धन्य, सिद्धहस्त समीक्षक की उपस्थिति ही अन्य पाठको को थ्रेड को ' कम से कम एक बार ट्राई करने लायक, पढ़ कर देखने लायक' बनाने की हिम्मत देता है,
ऊपर से आपके कमेंट, कहानी के पीछे की भावना, उसका मूल रस, जैसे कोई समुद्र मंथन कर अमृत निकाल कर परोस दे
और सबसे बड़ी बात आपका कमिटमेंट, आप ने शुरू में वायदा किया की आप नियमित पढ़ेंगे, कमेंट भी देंगे और मुझे कभी कहना नहीं पड़ा,
मैं अनुग्रहित हूँ बहुत बहुत आभार