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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
Last edited:

motaalund

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सच कहूँ तो दो चार शब्द चुराने आया था अपने लिये
लेकिन हाय रे लेखनी , आप लिखतीं नहीं बल्कि दिल पर गोदतीं हैं :D
फिर वो गुदगुदी और आलस होती है , अन्गडाईया उठने लगती है , मिजाज खुश , होठ खिल जाते है और दुनियादारी वो क्या होती है 😏 मन होता है कि चादर ओढ़ कर सो जायें ।
इसी आलस मे बाकी कहानियों भी छूट रखी है ।

अत: अब आपसे अनुरोध है कि ऐसा कोई टानिक बता दो कि एक सांस मे आपकी कहानियां पढ लूँ 🤭

खैर शुरुवात हुई है पहले अपडेट से देखता हु कहा तक हुन्कारि भर पाता हु
हाय मेरी निन्दिया रे !!
लेकिन पढ़ने के बाद भी कुछ प्रसंग बार-बार दुहरा के पढ़ने का तलब होता है...
उसका क्या....
 

Shetan

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मस्ती

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“अरे यार तुम्हारी कुँवारी बहन की नथ उतरने वाली है कित्ती बड़ी खुशखबरी है। चलो इसी खुशी में मीठा हो जाए…” और चंचल रीत ने एक झटके में फिर गुलाब जामुन मेरे मुँह में।

“हे हे…” मैंने खाने से पहले कुछ नखड़ा किया। लेकिन वो कहाँ मानने वाली।

“दूबे भाभी दे रही थी तो झट से ले लिया और मैं दे रही हूँ तो। इत्ता नखड़ा। भाव बता रहे हो…” वो इस अदा से बोली की,...


“अरे नहीं यार। तुम दो और मैं ना लूं ये कैसे हो सकता है?” मैंने भी उसी अंदाज में जवाब दिया।

“अरे तो एक और लो ना…” वो बोली।

लेकिन मैंने बात मोड़ दी- “अरे गुड्डी को भी तो खिलाओ…”

और मैंने कसकर गुड्डी को पकड़ लिया और दबाकर उसका मुँह खोल दिया। भांग वाला एक गुलाब जामुन उसके मुँह के अन्दर। वो छटपटाती रही

और मैंने एक और गुलाब जामुन
लेकर कहा- “मेरे हाथ से भी तो खाओ ना। रीत का हाथ क्या ज्यादा मीठा है?”

खा तो उसने लिए लेकिन बोली-

“पहले तो मैं सोच भी रही थी लेकिन जैसे तुमने जबरदस्ती की ना। वैसे ही तुम्हारे साथ हाथ पैर पकड़कर। भले ही अपने हाथ से पकड़कर डलवाना पड़े तुम्हीं से उसकी नथ उतरवाऊँगी…”

“क्या पकड़ोगी, क्या डलवाओगी?” चन्दा भाभी ने हँसकर गुड्डी से पूछा।

बात काटने के लिए मैंने चन्दा भाभी से कहा- “भाभी, आपने गुझिया इत्ती अच्छी बनायी है, खुद तो खाइए…” और उनके न न करते हुए भी मैंने और रीत ने मिलकर उन्हें खिला ही

“अन्दर नहीं जा रहा है, तो लीजिये इसके साथ…” और मैंने बैकार्डी मिली हुई लिम्का भी चन्दा भाभी को पिला दी। सब पे असर शुरू हो गया।

रीत ने गुड्डी को भी बियर का एक ग्लास पिला ही दिया। खुद उसे तो मैं पहले ही वोदका कैनेबिस और भांग से मिले दो गुलाब जामुन खिला चुका था। रीत ने दूबे भाभी को भी बियर दे दिया था और मुझे भी।
“हाँ तो तुमने बताया नहीं। क्या पकड़ोगी, क्या डलवाओगी?” चंदा भाभी गुड्डी के पीछे पड़ गई थी।



मैंने बचाने की कोशिश की तो रीत बिच में आ गई। उसे भी चढ़ गई थी-


“अरे बोल ना गुड्डी। अरे नाम लेने में शर्म लग रही तो कैसे पकड़ोगी और कैसे डलवाओगी?” रीत ने उसे चैलेंज किया और बोली- “सुन अगर बिना उसे नथ उतरवाए ले आई ना…”

“एकदम…” गुड्डी के गोरे-गोरे गालों को सहलाते हुए दूबे भाभी ने प्यार से कहा-


“अरे बोल दे ना साफ-साफ की इसका लण्ड पकडूँगी और इसकी बहन की बुर में डलवाऊँगी…”

“अरे ये गाने वाने का इंतजाम किया है तो कुछ लगाओ ना…” चंदा भाभी ने कहा।

और दूबे भाभी भी बोली- “ये रीत बहुत अच्छा डांस करती है…”


“पता नहीं, मैंने तो देखा नहीं…” मैंने उसे चढ़ाया।
जबरदस्त क्या नशीला अपडेटेड है. माझा ही आ गया.

पर ये गुड्डी की लाइन. जो एक ही लाइन मे कमुख्ता और शारारत के साथ साथ अपने प्यार का भी इज़हार कर रही है.

वैसे ही तुम्हारे साथ हाथ पैर पकड़कर। भले ही अपने हाथ से पकड़कर डलवाना पड़े तुम्हीं से उसकी नथ उतरवाऊँगी…”

माझा ही आ गया. रीत का भी जवाब नहीं. साली हो तो ऐसी. मौके पर चौका भी तुरंत माझा ही आ गया.
अरे आनंद बाबू तुम्हारी बहनिया की नथ उतराई की मिठाई बट रही है. वाह रीत वाह.

अब तो गुड्डी रानी के मुँह से पूरा बुलवाके ही मानेगी. क्या डलवाएगी.

माझा आ गया.

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Premkumar65

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रीत - डांस--पव्वा चढ़ा के आई।
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“अभी दिखाती हूँ…” वो बोली और उसने गाना लगा दिया कुछ देर में स्पीकर गूँज रहा था- “आय्यी। चिकनी चमेली, चिकनी चमेली…” और साथ में रीत शुरू हो गई-
बिच्छू मेरे नयना, वादी जहरीली आँख मारे।
कमसिन कमरिया साली की। ठुमके से लाख मारे।

सच में कैट के जोबन की कसम। रीत की बलखाती कमर के आगे कैटरीना झूठ थी।
मैंने जोर से सीने पे हाथ मारा और गिर पड़ा। बदले में रीत ने वो आँख मारी की सच में जान निकल गई। उस जालिम ने जाकर बियर की एक ग्लास उठाई, पहले तो अपने गदराये जोबन पे लगाया और फिर गाने के साथ-

आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली। छुप के अकेली,
पव्वा चढ़ा के आई। वो जो उसने होंठों से लगाया।

उधर रीत का डांस चल रहा था इधर गुड्डी ने बियर के बाकी ग्लास चंदा और दूबे भाभी को।
एक मैंने गुड्डी को दे दिया और और एक खुद भी। चंदा भाभी पे भंग और बियर का मिक्स चढ़ गया था। मेरे चेहरे पे हाथ फेरकर बोली-
“अरे राज्जा बनारस। तुन्हू तो चिकनी चमेली से कम ना हौउवा…”
दूबे भाभी को तो मैंने बैकर्डी के दो पेग लगवा दिए थे। ऊपर से बियर और उसके पहले डबल भांग वाले दो गुलाब जामुन। लेकिन नुकसान मेरा ही हुआ। मेरे पीछे की दरार में उंगली चलाती बोली-
“अरे राज्जा। कोइयी के कम थोड़ी है। ये बस निहुराओ। सटाओ। घुसेड़ो। बचकर रहना बनारस में लौंडे बाजों की कमी नहीं है…”
लेकिन इन सबसे अलग मेरी निगाह। मन सब कुछ तो वो हिरणी, कैटरीना, ऊप्स मेरा मतलब रीत चुरा के ले गई थी। वो दिल चुराती बांकी नजर, चिकने चिकने गोरे-गोरे गाल। रसीले होंठ।

जंगल में आज मंगल करूँगी मैं।
भूखे शेरों से खेलूंगी मैं आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली। छुप के अकेली।

मेरा शेर 90° डिग्री पे हो गया। मेरे हाथ का बियर का ग्लास छीन के पहले तो उसने अपने होंठों से लगाया और फिर मुझे भी खींच लिया और अपनी बलखाती कमर से एक जबरदस्त ठुमका लगाया। मैंने पकड़कर उसे अपनी बांहों में भर लिया और कसकर उसके गालों पे एक चुम्मा ले लिया।
हाय, गहरे पानी की मछली हूँ राज्जा,
घाट घाट दरिया में घूमी हूँ मैं,
तेरी नजरों की लहरों से हार के आज डूबी हूँ मैं।

बिना मेरी बाहें छुड़ाये मेरी आँखों में अपनी कातिल आँखों से देखती। वो श्रेया के साथ गाती रही और उसने भी एक चुम्मा कसकर मेरे होंठों पे।
हम दोनों डूब गए, बिना रंग के होली।

उसने कसकर अपनी जवानी के उभारों से मेरे सीने पे एक धक्का लगाया, और वो मछली फिसल के बाहों के जाल से बाहर और मुझे दिखाते हुए जो उसने अपने उभार उभारे। वैसे भी मेरी रीत के उभार कैटरीना से 20 ही होंगे उन्नीस नहीं।
आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली
जोबन ये मेरा कैंची है राज्जा
सारे पर्दों को काटूँगी मैं

शामें मेरी अकेली हैं आ जा संग तेरे बाटूंगी मैं।
उसके दोनों गोरे-गोरे हाथ उसके जोबन के ठीक नीचे, और जो उभारा उसने। फिर सीटी।
जवाब में दूबे भाभी ने भी सीटी मारी और बोली-
“अरे दबा दे, पकड़कर साली का मसल दे…”
जवाब में रीत ने अपनी मस्त गोरी-गोरी जांघें चौड़ी की और मेरी ओर देखकर फैलाकर एक धक्का दिया, जैसे चुदाई में मेरे धक्के का जवाब दे रही हो और अपने हाथ सीधे अपने उभारों पे करके एक किस मेरी ओर उछाल दिया।
“अरे अब तो बसंती भी राजी। मौसी भी राजी…”
ये कहकर मैंने पीछे से उसे दबोच लिया और उसके साथ डांस करने लगा। मेरे हाथ उसके उभारों के ठीक नीचे थे। दुपट्टा तो ना जाने कब का गायब हो गया था।
गुड्डी ने आँखों से इशारा किया, अरे बुद्धू ठीक ऊपर ले जा ना। सही जगह पे। साथ में चन्दा भाभी ने भी। डांस करते-करते वो बांकी हिरणी भी मुड़कर मुश्कुरा, और फिर उसने जो जोबन को झटका दिया-

तोड़कर तिजोरियों को लूट ले जरा,
हुस्न की तिल्ली से बीड़ी-चिल्लम जलाने आय्यी,
आई चिकनी,.. चिकनी,... आई,...आई।

फिर तो मेरे हाथ सीधे उसके मस्त किशोर छलकते उभारों पे।
जवाब में उसने अपने गोल-गोल चूतड़ मेरे तन्नाये शेर पे रगड़ दिया। फिर तो मैंने कसकर उसके थिरकते नितम्बों के बीच की दरार पे लगाकर। अब मन कर रहा था की बस अब सीधी इसकी पाजामी को फाड़कर ‘वो’ अन्दर घुस जाएगा।
हम दोनों बावले हो रहे थे, फागुन तन से मन से छलक रहा था बस गाने के सुर ताल पे मैं और वो। मेरे दोनों हाथ उसके उभारों पे थे और, बस लग रहा था की मैं उसे हचक-हचक के चोद रहा हूँ और वो मस्त होकर चुदवा रही है।
हम भूल गए थे की वहां और भी हैं।
लेकिन श्रेया घोषाल की आवाज बंद हुई और हम दोनों को लग रहा था की किसी जादुई तिलिस्म से बाहर आ गए।
एक पल के लिए मुझे देखकर वो शर्मा गई और हम दोनों ने जब सामने देखा तो दूबे भाभी, चंदा भाभी और गुड्डी तीनों मुश्कुरा रही थी। सबसे पहले चंदा भाभी ने ताली बजाई। फिर दूबे भाभी ने और फिर गुड्डी भी शामिल हो गई।
“बहुत मस्त नाचती है ना रीत…” दूबे भाभी बोली और वो खुश भी हुई, शर्मा भी गई। लेकिन भाभी ने मुझे देखकर कहा- “लेकिन तुम भी कम नहीं हो…”

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Shetan

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रीत - डांस--पव्वा चढ़ा के आई।
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“अभी दिखाती हूँ…” वो बोली और उसने गाना लगा दिया कुछ देर में स्पीकर गूँज रहा था- “आय्यी। चिकनी चमेली, चिकनी चमेली…” और साथ में रीत शुरू हो गई-



बिच्छू मेरे नयना, वादी जहरीली आँख मारे।

कमसिन कमरिया साली की। ठुमके से लाख मारे।


सच में कैट के जोबन की कसम। रीत की बलखाती कमर के आगे कैटरीना झूठ थी।

मैंने जोर से सीने पे हाथ मारा और गिर पड़ा। बदले में रीत ने वो आँख मारी की सच में जान निकल गई। उस जालिम ने जाकर बियर की एक ग्लास उठाई, पहले तो अपने गदराये जोबन पे लगाया और फिर गाने के साथ-


आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली। छुप के अकेली,
पव्वा चढ़ा के आई। वो जो उसने होंठों से लगाया।


उधर रीत का डांस चल रहा था इधर गुड्डी ने बियर के बाकी ग्लास चंदा और दूबे भाभी को।

एक मैंने गुड्डी को दे दिया और और एक खुद भी। चंदा भाभी पे भंग और बियर का मिक्स चढ़ गया था। मेरे चेहरे पे हाथ फेरकर बोली-

“अरे राज्जा बनारस। तुन्हू तो चिकनी चमेली से कम ना हौउवा…”

दूबे भाभी को तो मैंने बैकर्डी के दो पेग लगवा दिए थे। ऊपर से बियर और उसके पहले डबल भांग वाले दो गुलाब जामुन। लेकिन नुकसान मेरा ही हुआ। मेरे पीछे की दरार में उंगली चलाती बोली-

“अरे राज्जा। कोइयी के कम थोड़ी है। ये बस निहुराओ। सटाओ। घुसेड़ो। बचकर रहना बनारस में लौंडे बाजों की कमी नहीं है…”

लेकिन इन सबसे अलग मेरी निगाह। मन सब कुछ तो वो हिरणी, कैटरीना, ऊप्स मेरा मतलब रीत चुरा के ले गई थी। वो दिल चुराती बांकी नजर, चिकने चिकने गोरे-गोरे गाल। रसीले होंठ।


जंगल में आज मंगल करूँगी मैं।

भूखे शेरों से खेलूंगी मैं आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली। छुप के अकेली।


मेरा शेर 90° डिग्री पे हो गया। मेरे हाथ का बियर का ग्लास छीन के पहले तो उसने अपने होंठों से लगाया और फिर मुझे भी खींच लिया और अपनी बलखाती कमर से एक जबरदस्त ठुमका लगाया। मैंने पकड़कर उसे अपनी बांहों में भर लिया और कसकर उसके गालों पे एक चुम्मा ले लिया।

हाय, गहरे पानी की मछली हूँ राज्जा,

घाट घाट दरिया में घूमी हूँ मैं,

तेरी नजरों की लहरों से हार के आज डूबी हूँ मैं।


बिना मेरी बाहें छुड़ाये मेरी आँखों में अपनी कातिल आँखों से देखती। वो श्रेया के साथ गाती रही और उसने भी एक चुम्मा कसकर मेरे होंठों पे।

हम दोनों डूब गए, बिना रंग के होली।


उसने कसकर अपनी जवानी के उभारों से मेरे सीने पे एक धक्का लगाया, और वो मछली फिसल के बाहों के जाल से बाहर और मुझे दिखाते हुए जो उसने अपने उभार उभारे। वैसे भी मेरी रीत के उभार कैटरीना से 20 ही होंगे उन्नीस नहीं।


आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली

जोबन ये मेरा कैंची है राज्जा

सारे पर्दों को काटूँगी मैं


शामें मेरी अकेली हैं आ जा संग तेरे बाटूंगी मैं।



उसके दोनों गोरे-गोरे हाथ उसके जोबन के ठीक नीचे, और जो उभारा उसने। फिर सीटी।

जवाब में दूबे भाभी ने भी सीटी मारी और बोली-

“अरे दबा दे, पकड़कर साली का मसल दे…”

जवाब में रीत ने अपनी मस्त गोरी-गोरी जांघें चौड़ी की और मेरी ओर देखकर फैलाकर एक धक्का दिया, जैसे चुदाई में मेरे धक्के का जवाब दे रही हो और अपने हाथ सीधे अपने उभारों पे करके एक किस मेरी ओर उछाल दिया।

“अरे अब तो बसंती भी राजी। मौसी भी राजी…”

ये कहकर मैंने पीछे से उसे दबोच लिया और उसके साथ डांस करने लगा। मेरे हाथ उसके उभारों के ठीक नीचे थे। दुपट्टा तो ना जाने कब का गायब हो गया था।

गुड्डी ने आँखों से इशारा किया, अरे बुद्धू ठीक ऊपर ले जा ना। सही जगह पे। साथ में चन्दा भाभी ने भी। डांस करते-करते वो बांकी हिरणी भी मुड़कर मुश्कुरा, और फिर उसने जो जोबन को झटका दिया-


तोड़कर तिजोरियों को लूट ले जरा,

हुस्न की तिल्ली से बीड़ी-चिल्लम जलाने आय्यी,

आई चिकनी,.. चिकनी,... आई,...आई।


फिर तो मेरे हाथ सीधे उसके मस्त किशोर छलकते उभारों पे।

जवाब में उसने अपने गोल-गोल चूतड़ मेरे तन्नाये शेर पे रगड़ दिया। फिर तो मैंने कसकर उसके थिरकते नितम्बों के बीच की दरार पे लगाकर। अब मन कर रहा था की बस अब सीधी इसकी पाजामी को फाड़कर ‘वो’ अन्दर घुस जाएगा।

हम दोनों बावले हो रहे थे, फागुन तन से मन से छलक रहा था बस गाने के सुर ताल पे मैं और वो। मेरे दोनों हाथ उसके उभारों पे थे और, बस लग रहा था की मैं उसे हचक-हचक के चोद रहा हूँ और वो मस्त होकर चुदवा रही है।

हम भूल गए थे की वहां और भी हैं।

लेकिन श्रेया घोषाल की आवाज बंद हुई और हम दोनों को लग रहा था की किसी जादुई तिलिस्म से बाहर आ गए।

एक पल के लिए मुझे देखकर वो शर्मा गई और हम दोनों ने जब सामने देखा तो दूबे भाभी, चंदा भाभी और गुड्डी तीनों मुश्कुरा रही थी। सबसे पहले चंदा भाभी ने ताली बजाई। फिर दूबे भाभी ने और फिर गुड्डी भी शामिल हो गई।

“बहुत मस्त नाचती है ना रीत…” दूबे भाभी बोली और वो खुश भी हुई, शर्मा भी गई। लेकिन भाभी ने मुझे देखकर कहा- “लेकिन तुम भी कम नहीं हो…”




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अमेज़िंग... रीत ने तो माहोल ही गरमा दिया. मेने तो पहले ही कहा था साली हो तो रीत जैसी. देखा अपने जीजा नादौई के लिए कैसे चिकनी चमेली बन कर ठुमका लगाई है. जोबन का जादू कैसे चलाई है.
. अरे आनंद बाबू तुम्हारी वाली ने तो पहले ही छूट दे रखी है. फिर देर किस बात की. भौजी भी तो बोल रही है. पकड़ के मसल दो. माझा ही आ गया.


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Mass

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Wonderful update Madam....literally taking off..from where it was left in the last update..Dubey Bhabhi having a "major say" in the proceedings...
With new characters coming into the mix...Rocky, Anand Babu's sister...Anand Babu's stay here seems to be damn "sexy and interesting"...

All the more reason to look forward to the next sexy updates...which I am sure will be amazing as usual...

Outstanding update!!

:thumbup: :thumbup: :thumbup: 👍👍👍👏👏👏

komaalrani
 

dangerlund

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रीत - डांस--पव्वा चढ़ा के आई।
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“अभी दिखाती हूँ…” वो बोली और उसने गाना लगा दिया कुछ देर में स्पीकर गूँज रहा था- “आय्यी। चिकनी चमेली, चिकनी चमेली…” और साथ में रीत शुरू हो गई-



बिच्छू मेरे नयना, वादी जहरीली आँख मारे।

कमसिन कमरिया साली की। ठुमके से लाख मारे।


सच में कैट के जोबन की कसम। रीत की बलखाती कमर के आगे कैटरीना झूठ थी।

मैंने जोर से सीने पे हाथ मारा और गिर पड़ा। बदले में रीत ने वो आँख मारी की सच में जान निकल गई। उस जालिम ने जाकर बियर की एक ग्लास उठाई, पहले तो अपने गदराये जोबन पे लगाया और फिर गाने के साथ-


आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली। छुप के अकेली,
पव्वा चढ़ा के आई। वो जो उसने होंठों से लगाया।


उधर रीत का डांस चल रहा था इधर गुड्डी ने बियर के बाकी ग्लास चंदा और दूबे भाभी को।

एक मैंने गुड्डी को दे दिया और और एक खुद भी। चंदा भाभी पे भंग और बियर का मिक्स चढ़ गया था। मेरे चेहरे पे हाथ फेरकर बोली-

“अरे राज्जा बनारस। तुन्हू तो चिकनी चमेली से कम ना हौउवा…”

दूबे भाभी को तो मैंने बैकर्डी के दो पेग लगवा दिए थे। ऊपर से बियर और उसके पहले डबल भांग वाले दो गुलाब जामुन। लेकिन नुकसान मेरा ही हुआ। मेरे पीछे की दरार में उंगली चलाती बोली-

“अरे राज्जा। कोइयी के कम थोड़ी है। ये बस निहुराओ। सटाओ। घुसेड़ो। बचकर रहना बनारस में लौंडे बाजों की कमी नहीं है…”

लेकिन इन सबसे अलग मेरी निगाह। मन सब कुछ तो वो हिरणी, कैटरीना, ऊप्स मेरा मतलब रीत चुरा के ले गई थी। वो दिल चुराती बांकी नजर, चिकने चिकने गोरे-गोरे गाल। रसीले होंठ।


जंगल में आज मंगल करूँगी मैं।

भूखे शेरों से खेलूंगी मैं आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली। छुप के अकेली।


मेरा शेर 90° डिग्री पे हो गया। मेरे हाथ का बियर का ग्लास छीन के पहले तो उसने अपने होंठों से लगाया और फिर मुझे भी खींच लिया और अपनी बलखाती कमर से एक जबरदस्त ठुमका लगाया। मैंने पकड़कर उसे अपनी बांहों में भर लिया और कसकर उसके गालों पे एक चुम्मा ले लिया।

हाय, गहरे पानी की मछली हूँ राज्जा,

घाट घाट दरिया में घूमी हूँ मैं,

तेरी नजरों की लहरों से हार के आज डूबी हूँ मैं।


बिना मेरी बाहें छुड़ाये मेरी आँखों में अपनी कातिल आँखों से देखती। वो श्रेया के साथ गाती रही और उसने भी एक चुम्मा कसकर मेरे होंठों पे।

हम दोनों डूब गए, बिना रंग के होली।


उसने कसकर अपनी जवानी के उभारों से मेरे सीने पे एक धक्का लगाया, और वो मछली फिसल के बाहों के जाल से बाहर और मुझे दिखाते हुए जो उसने अपने उभार उभारे। वैसे भी मेरी रीत के उभार कैटरीना से 20 ही होंगे उन्नीस नहीं।


आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली

जोबन ये मेरा कैंची है राज्जा

सारे पर्दों को काटूँगी मैं


शामें मेरी अकेली हैं आ जा संग तेरे बाटूंगी मैं।



उसके दोनों गोरे-गोरे हाथ उसके जोबन के ठीक नीचे, और जो उभारा उसने। फिर सीटी।

जवाब में दूबे भाभी ने भी सीटी मारी और बोली-

“अरे दबा दे, पकड़कर साली का मसल दे…”

जवाब में रीत ने अपनी मस्त गोरी-गोरी जांघें चौड़ी की और मेरी ओर देखकर फैलाकर एक धक्का दिया, जैसे चुदाई में मेरे धक्के का जवाब दे रही हो और अपने हाथ सीधे अपने उभारों पे करके एक किस मेरी ओर उछाल दिया।

“अरे अब तो बसंती भी राजी। मौसी भी राजी…”

ये कहकर मैंने पीछे से उसे दबोच लिया और उसके साथ डांस करने लगा। मेरे हाथ उसके उभारों के ठीक नीचे थे। दुपट्टा तो ना जाने कब का गायब हो गया था।

गुड्डी ने आँखों से इशारा किया, अरे बुद्धू ठीक ऊपर ले जा ना। सही जगह पे। साथ में चन्दा भाभी ने भी। डांस करते-करते वो बांकी हिरणी भी मुड़कर मुश्कुरा, और फिर उसने जो जोबन को झटका दिया-


तोड़कर तिजोरियों को लूट ले जरा,

हुस्न की तिल्ली से बीड़ी-चिल्लम जलाने आय्यी,

आई चिकनी,.. चिकनी,... आई,...आई।


फिर तो मेरे हाथ सीधे उसके मस्त किशोर छलकते उभारों पे।

जवाब में उसने अपने गोल-गोल चूतड़ मेरे तन्नाये शेर पे रगड़ दिया। फिर तो मैंने कसकर उसके थिरकते नितम्बों के बीच की दरार पे लगाकर। अब मन कर रहा था की बस अब सीधी इसकी पाजामी को फाड़कर ‘वो’ अन्दर घुस जाएगा।

हम दोनों बावले हो रहे थे, फागुन तन से मन से छलक रहा था बस गाने के सुर ताल पे मैं और वो। मेरे दोनों हाथ उसके उभारों पे थे और, बस लग रहा था की मैं उसे हचक-हचक के चोद रहा हूँ और वो मस्त होकर चुदवा रही है।

हम भूल गए थे की वहां और भी हैं।

लेकिन श्रेया घोषाल की आवाज बंद हुई और हम दोनों को लग रहा था की किसी जादुई तिलिस्म से बाहर आ गए।

एक पल के लिए मुझे देखकर वो शर्मा गई और हम दोनों ने जब सामने देखा तो दूबे भाभी, चंदा भाभी और गुड्डी तीनों मुश्कुरा रही थी। सबसे पहले चंदा भाभी ने ताली बजाई। फिर दूबे भाभी ने और फिर गुड्डी भी शामिल हो गई।

“बहुत मस्त नाचती है ना रीत…” दूबे भाभी बोली और वो खुश भी हुई, शर्मा भी गई। लेकिन भाभी ने मुझे देखकर कहा- “लेकिन तुम भी कम नहीं हो…”




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Nice update
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २२४ -खेल खिलौने

स्लेव कॉलर -ननदिया के लिए

updates posted, please do read, comment, like and enjoy.

Erotica - जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

 

komaalrani

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Sab ladkiyo ne milkar, dulhan ki tarah sharmane ke liye majboor kr dia.
Soooooo romantic update
👌👌👌👌👌👌
💯💯💯💯
✅✅✅
Thanks so much for being the first to post a comment and the first to like

such a popular writer graces this thread, is a fortune, thanks for the encouragement
 

komaalrani

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Kya mix kiya hai colours, gulab jamun aur daaru ko.Very nicely, romantically crafted updates.
💯💯💯💯💯
👌👌👌👌
✅✅✅
होली हो ससुराल हो फागुन हो तो और सबसे बढ़कर बनारस हो, बनारस की सालिया और सलहज हों तो फिर मस्ती आ ही जाती है
 

komaalrani

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सच मे डूबे भाभी नहीं आई होती तो रीत से भी प्रीत हो जाती. वैसे तो हो ही गई है. सली जो ठहरी. और साली आधी घरवाली.

वाह दोनों के जोबन का रंग आनंद बाबू के रंग से मिल गया. वर्णिश वाला. पर डूबे भाभी भी मस्त खुले विचारों वाली मिली है. ऐसी सालिया हो तो..... उन्हें ही वापस आनंद बाबू को वैसा ही चिकन बनाने का काम सौपा. वाओ. माझा आ गया.

पर आनंद बाबू तुम्हरे देख कर तो डूबे भाभी की नियत भी फिसल रही है. फुल माझा आया. जबरदस्त...

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बनारस के नशे में सबसे खतरनाक नशा, दूबे भाभी का है, गुड्डी की मम्मी की सहेली और उनसे भी दो हाथ आगे, रंग उन्होने इसलिए छुड़वाया क्योंकि उनकी पैनी आँखों ने रंग के नीचे लगा तेल और फाउंडेशन देख लिया था, जिससे रंग कितने भी कोट लगता, छूट जाता। अब दूबे भाभी के निर्देशन में जो रंग लगेगा वो आनंद बाबू के मायके में भी जाकर जल्दी नहीं छूटेगा, उनके घर वालों को पता तो चले की कैसी जबरदस्त रगड़ाई हुयी है बनारस में
 
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