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फागुन के दिन चार भाग २७
मैं, गुड्डी और होटल
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मैं, गुड्डी और होटल
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फिर से आनंद बाबू की बहना दूबे भाभी के निशाने पे..आनंद की बहना
तभी रीत बोली- “असल में रंग पंचमी में आने की इनकी एक शर्त थी, बोलो ना। भाभी से क्या शर्माना?”
वो शैतान की चरखी। मेरे समझ में नहीं आ रहा था की ये क्या खतरनाक तीर छोड़ने जा रही है।
“बोलो ना…” बचा खुचा शीरा मेरे गाल पे लथेड़ती दूबे भाभी प्यार से बोली। मुझे मालूम होता तो बोलता न?
“तू बोल ना। तुझसे तो तिहरा रिश्ता है…” चन्दा भाभी ने रीत को चढ़ाया।
“बोल दूं…” अपनी बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें नचाकर वो बोली।
“बोलो न…” दूबे भाभी और चंदा भाभी एक साथ बोली।
“असल में इनकी एक बहन है…” रीत ने मुझे देखकर मुश्कुराते हुए कहा- “मेरे ही क्लास में पढ़ती है, इंटर में गई है…” गुड्डी बोली।
मैंने बोला- “मेरी ममेरी…लेकिन सगी से बढ़कर, सगी तो कोई हैं नहीं तो वही।"
“बिन्नो की इकलौती ननद…” चंदा भाभी बोली।
“वो असल में जब से राकी को उन्होंने देखा है। ‘उसका’ इन्हें पसंद आ गया है तो उसके लिए। इसलिए ये तोल मोल के बोल-कर रहे थे। उसे ये अपना…” रीत ने आग लगायी, मेरी बहन को जोड़ कर। पक्की स्साली।
लेकिन उसकी बात काटकर दूबे भाभी बोली- “नहीं ऐसे नहीं…”
गुड्डी और चन्दा भाभी मुश्किल से अपनी हँसी दबा रही थी। सिर्फ मेरी समझ में नहीं आ रहा था की कैसे रियेक्ट करूं समझ में नहीं आ रहा था।
दूबे भाभी बोली- “मेरी भी एक, बल्की दो शर्त है। पहली राकी का रिश्ता सिर्फ उससे थोड़े ही इनके घर की सारी। मायके वालियों से…”
“एकदम सही बोली आप…” चंदा भाभी ने जोड़ा- “और एक बार जब राकी उसपे चढ़ जाएगा। तो इनके घर वालियां सारी उसकी साली, सलहज, तो लगेंगी ही। और दूसरी बात…”
“ठीक बोली तुम। तो पहली शर्त तो मंजूर ही हो गई और दूसरी सुन…” वो गुड्डी से मुखातिब थी-
“इनकी जो कजिन है। ना उसकी सील अभी खुली है की नहीं?”
गुड्डी तो तुरंत उस गेम में जवाइन हो गई- “नहीं मेरे खयाल से नहीं…” बड़ी सीरियस बनकर वो बोली।
“तो फिर वो राकी का कैसे?” दूबे भाभी ने कुछ सोचकर फिर गुड्डी को पकड़ा-
“अच्छा सुन तू जा रही है ना इनके साथ। तो ये तेरी जिम्मेदारी है की यहाँ लाने के पहले उसकी नथ उतरवा देना। किससे उतरवाएगी?” दूबे भाभी ने फिर गुड्डी से बोला।
गुड्डी कुछ बोल पाती उसके पहले रीत मैदान में आ गई और मेरी रूह काँप उठी।
उसने सीधे दूबे भाभी से बोला-
“अरे इसमें कौन सी प्रोब्लम है? ये है ना पांच हाथ का आदमी और वैसे भी गुड्डी ये तेरी कोई बात तो टालते नहीं। तो तू बोलेगी तो ये वो काम भी कर देंगे। अरे सीधे से नहीं तो टेढ़े से। है ना? और मजा तो इनको भी आएगा है ना?”
उसकी शरारत से भरी आँखें मेरी ओर ही थी।
मैं या गुड्डी कुछ बोलते उसके पहले दूबे भाभी बोल पड़ी-
“ये तो तूने सही बात बोली, और इस गुड्डी की हिम्मत नहीं मेरी कोई बात टालने की और सीधे गुड्डी को धमकाते बोली-
“समझ गई ना तू। अगर तूने नथ नहीं उतरवाई ना उसकी यहाँ आने से पहले। तो सोच ले मैं चेक करूँगी। अगर वो कच्ची कली निकली। तो मैं तेरी गाण्ड की नथ उतार दूंगी। पूरी कुहनी तक डालकर, तू तो जानती है मुझको…”
दुष्ट रीत वह मौका क्यों छोड़ती- “और वो भी समझ ले की उतरवानी किससे है। कोई कनफूजन नहीं होना चाहिए…”
“एकदम…” चन्दा भाभी और दूबे भाभी दोनों ने मेरी ओर देखते हुए, मुश्कुराकर एक साथ बोला।
खबर सुन के हीं मुँह मीठा हो रहा है तो...मस्ती
“अरे यार तुम्हारी कुँवारी बहन की नथ उतरने वाली है कित्ती बड़ी खुशखबरी है। चलो इसी खुशी में मीठा हो जाए…” और चंचल रीत ने एक झटके में फिर गुलाब जामुन मेरे मुँह में।
“हे हे…” मैंने खाने से पहले कुछ नखड़ा किया। लेकिन वो कहाँ मानने वाली।
“दूबे भाभी दे रही थी तो झट से ले लिया और मैं दे रही हूँ तो। इत्ता नखड़ा। भाव बता रहे हो…” वो इस अदा से बोली की,...
“अरे नहीं यार। तुम दो और मैं ना लूं ये कैसे हो सकता है?” मैंने भी उसी अंदाज में जवाब दिया।
“अरे तो एक और लो ना…” वो बोली।
लेकिन मैंने बात मोड़ दी- “अरे गुड्डी को भी तो खिलाओ…”
और मैंने कसकर गुड्डी को पकड़ लिया और दबाकर उसका मुँह खोल दिया। भांग वाला एक गुलाब जामुन उसके मुँह के अन्दर। वो छटपटाती रही
और मैंने एक और गुलाब जामुन
लेकर कहा- “मेरे हाथ से भी तो खाओ ना। रीत का हाथ क्या ज्यादा मीठा है?”
खा तो उसने लिए लेकिन बोली-
“पहले तो मैं सोच भी रही थी लेकिन जैसे तुमने जबरदस्ती की ना। वैसे ही तुम्हारे साथ हाथ पैर पकड़कर। भले ही अपने हाथ से पकड़कर डलवाना पड़े तुम्हीं से उसकी नथ उतरवाऊँगी…”
“क्या पकड़ोगी, क्या डलवाओगी?” चन्दा भाभी ने हँसकर गुड्डी से पूछा।
बात काटने के लिए मैंने चन्दा भाभी से कहा- “भाभी, आपने गुझिया इत्ती अच्छी बनायी है, खुद तो खाइए…” और उनके न न करते हुए भी मैंने और रीत ने मिलकर उन्हें खिला ही
“अन्दर नहीं जा रहा है, तो लीजिये इसके साथ…” और मैंने बैकार्डी मिली हुई लिम्का भी चन्दा भाभी को पिला दी। सब पे असर शुरू हो गया।
रीत ने गुड्डी को भी बियर का एक ग्लास पिला ही दिया। खुद उसे तो मैं पहले ही वोदका कैनेबिस और भांग से मिले दो गुलाब जामुन खिला चुका था। रीत ने दूबे भाभी को भी बियर दे दिया था और मुझे भी।
“हाँ तो तुमने बताया नहीं। क्या पकड़ोगी, क्या डलवाओगी?” चंदा भाभी गुड्डी के पीछे पड़ गई थी।
मैंने बचाने की कोशिश की तो रीत बिच में आ गई। उसे भी चढ़ गई थी-
“अरे बोल ना गुड्डी। अरे नाम लेने में शर्म लग रही तो कैसे पकड़ोगी और कैसे डलवाओगी?” रीत ने उसे चैलेंज किया और बोली- “सुन अगर बिना उसे नथ उतरवाए ले आई ना…”
“एकदम…” गुड्डी के गोरे-गोरे गालों को सहलाते हुए दूबे भाभी ने प्यार से कहा-
“अरे बोल दे ना साफ-साफ की इसका लण्ड पकडूँगी और इसकी बहन की बुर में डलवाऊँगी…”
“अरे ये गाने वाने का इंतजाम किया है तो कुछ लगाओ ना…” चंदा भाभी ने कहा।
और दूबे भाभी भी बोली- “ये रीत बहुत अच्छा डांस करती है…”
“पता नहीं, मैंने तो देखा नहीं…” मैंने उसे चढ़ाया।
तोड़कर तिजोरियों को लूट ले जरा,रीत - डांस--पव्वा चढ़ा के आई।
“अभी दिखाती हूँ…” वो बोली और उसने गाना लगा दिया कुछ देर में स्पीकर गूँज रहा था- “आय्यी। चिकनी चमेली, चिकनी चमेली…” और साथ में रीत शुरू हो गई-
बिच्छू मेरे नयना, वादी जहरीली आँख मारे।
कमसिन कमरिया साली की। ठुमके से लाख मारे।
सच में कैट के जोबन की कसम। रीत की बलखाती कमर के आगे कैटरीना झूठ थी।
मैंने जोर से सीने पे हाथ मारा और गिर पड़ा। बदले में रीत ने वो आँख मारी की सच में जान निकल गई। उस जालिम ने जाकर बियर की एक ग्लास उठाई, पहले तो अपने गदराये जोबन पे लगाया और फिर गाने के साथ-
आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली। छुप के अकेली,
पव्वा चढ़ा के आई। वो जो उसने होंठों से लगाया।
उधर रीत का डांस चल रहा था इधर गुड्डी ने बियर के बाकी ग्लास चंदा और दूबे भाभी को।
एक मैंने गुड्डी को दे दिया और और एक खुद भी। चंदा भाभी पे भंग और बियर का मिक्स चढ़ गया था। मेरे चेहरे पे हाथ फेरकर बोली-
“अरे राज्जा बनारस। तुन्हू तो चिकनी चमेली से कम ना हौउवा…”
दूबे भाभी को तो मैंने बैकर्डी के दो पेग लगवा दिए थे। ऊपर से बियर और उसके पहले डबल भांग वाले दो गुलाब जामुन। लेकिन नुकसान मेरा ही हुआ। मेरे पीछे की दरार में उंगली चलाती बोली-
“अरे राज्जा। कोइयी के कम थोड़ी है। ये बस निहुराओ। सटाओ। घुसेड़ो। बचकर रहना बनारस में लौंडे बाजों की कमी नहीं है…”
लेकिन इन सबसे अलग मेरी निगाह। मन सब कुछ तो वो हिरणी, कैटरीना, ऊप्स मेरा मतलब रीत चुरा के ले गई थी। वो दिल चुराती बांकी नजर, चिकने चिकने गोरे-गोरे गाल। रसीले होंठ।
जंगल में आज मंगल करूँगी मैं।
भूखे शेरों से खेलूंगी मैं आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली। छुप के अकेली।
मेरा शेर 90° डिग्री पे हो गया। मेरे हाथ का बियर का ग्लास छीन के पहले तो उसने अपने होंठों से लगाया और फिर मुझे भी खींच लिया और अपनी बलखाती कमर से एक जबरदस्त ठुमका लगाया। मैंने पकड़कर उसे अपनी बांहों में भर लिया और कसकर उसके गालों पे एक चुम्मा ले लिया।
हाय, गहरे पानी की मछली हूँ राज्जा,
घाट घाट दरिया में घूमी हूँ मैं,
तेरी नजरों की लहरों से हार के आज डूबी हूँ मैं।
बिना मेरी बाहें छुड़ाये मेरी आँखों में अपनी कातिल आँखों से देखती। वो श्रेया के साथ गाती रही और उसने भी एक चुम्मा कसकर मेरे होंठों पे।
हम दोनों डूब गए, बिना रंग के होली।
उसने कसकर अपनी जवानी के उभारों से मेरे सीने पे एक धक्का लगाया, और वो मछली फिसल के बाहों के जाल से बाहर और मुझे दिखाते हुए जो उसने अपने उभार उभारे। वैसे भी मेरी रीत के उभार कैटरीना से 20 ही होंगे उन्नीस नहीं।
आय्यीई। चिकनी चमेली चिकनी चमेली
जोबन ये मेरा कैंची है राज्जा
सारे पर्दों को काटूँगी मैं
शामें मेरी अकेली हैं आ जा संग तेरे बाटूंगी मैं।
उसके दोनों गोरे-गोरे हाथ उसके जोबन के ठीक नीचे, और जो उभारा उसने। फिर सीटी।
जवाब में दूबे भाभी ने भी सीटी मारी और बोली-
“अरे दबा दे, पकड़कर साली का मसल दे…”
जवाब में रीत ने अपनी मस्त गोरी-गोरी जांघें चौड़ी की और मेरी ओर देखकर फैलाकर एक धक्का दिया, जैसे चुदाई में मेरे धक्के का जवाब दे रही हो और अपने हाथ सीधे अपने उभारों पे करके एक किस मेरी ओर उछाल दिया।
“अरे अब तो बसंती भी राजी। मौसी भी राजी…”
ये कहकर मैंने पीछे से उसे दबोच लिया और उसके साथ डांस करने लगा। मेरे हाथ उसके उभारों के ठीक नीचे थे। दुपट्टा तो ना जाने कब का गायब हो गया था।
गुड्डी ने आँखों से इशारा किया, अरे बुद्धू ठीक ऊपर ले जा ना। सही जगह पे। साथ में चन्दा भाभी ने भी। डांस करते-करते वो बांकी हिरणी भी मुड़कर मुश्कुरा, और फिर उसने जो जोबन को झटका दिया-
तोड़कर तिजोरियों को लूट ले जरा,
हुस्न की तिल्ली से बीड़ी-चिल्लम जलाने आय्यी,
आई चिकनी,.. चिकनी,... आई,...आई।
फिर तो मेरे हाथ सीधे उसके मस्त किशोर छलकते उभारों पे।
जवाब में उसने अपने गोल-गोल चूतड़ मेरे तन्नाये शेर पे रगड़ दिया। फिर तो मैंने कसकर उसके थिरकते नितम्बों के बीच की दरार पे लगाकर। अब मन कर रहा था की बस अब सीधी इसकी पाजामी को फाड़कर ‘वो’ अन्दर घुस जाएगा।
हम दोनों बावले हो रहे थे, फागुन तन से मन से छलक रहा था बस गाने के सुर ताल पे मैं और वो। मेरे दोनों हाथ उसके उभारों पे थे और, बस लग रहा था की मैं उसे हचक-हचक के चोद रहा हूँ और वो मस्त होकर चुदवा रही है।
हम भूल गए थे की वहां और भी हैं।
लेकिन श्रेया घोषाल की आवाज बंद हुई और हम दोनों को लग रहा था की किसी जादुई तिलिस्म से बाहर आ गए।
एक पल के लिए मुझे देखकर वो शर्मा गई और हम दोनों ने जब सामने देखा तो दूबे भाभी, चंदा भाभी और गुड्डी तीनों मुश्कुरा रही थी। सबसे पहले चंदा भाभी ने ताली बजाई। फिर दूबे भाभी ने और फिर गुड्डी भी शामिल हो गई।
“बहुत मस्त नाचती है ना रीत…” दूबे भाभी बोली और वो खुश भी हुई, शर्मा भी गई। लेकिन भाभी ने मुझे देखकर कहा- “लेकिन तुम भी कम नहीं हो…”
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कभी नाव पानी में... कभी पानी में नाव....Sab ladkiyo ne milkar, dulhan ki tarah sharmane ke liye majboor kr dia.
Soooooo romantic update
जिधर देखे उधर हीं हुस्न का नजारा है...सच मे डूबे भाभी नहीं आई होती तो रीत से भी प्रीत हो जाती. वैसे तो हो ही गई है. सली जो ठहरी. और साली आधी घरवाली.
वाह दोनों के जोबन का रंग आनंद बाबू के रंग से मिल गया. वर्णिश वाला. पर डूबे भाभी भी मस्त खुले विचारों वाली मिली है. ऐसी सालिया हो तो..... उन्हें ही वापस आनंद बाबू को वैसा ही चिकन बनाने का काम सौपा. वाओ. माझा आ गया.
पर आनंद बाबू तुम्हरे देख कर तो डूबे भाभी की नियत भी फिसल रही है. फुल माझा आया. जबरदस्त...
अभी तो नहीं... लेकिन का प्रोग्राम शायद पक्का...wow
aisi tayyari dekhkar hi maja aa gaya
2 gulaab jamun me hi sab set tha
upar se beer
guddi ki aaj shamat nahi hai
wonderful update
दूबे भाभी ने रंगपंचमी के पहले प्रोग्राम सेट करके अपना इरादा जता दिया है...वाह कोमलजी. ये डूबे भाभी भी क्या जबरदस्त किरदार है. आनंद बाबू जैसे चिकन पर तो पूरी फ़िदा है. जैसे गुड्डी और रीत दोनों को खुद ही परोस देगी. अब रीत हे भी सरारती. और लगे भी डूबे भाभी की नांदिया. मौका वो भी ना छोड़े. आनंद बाबू का साथ उनका सहारा लेकर डबल डोज़ वाले दो गुलाब जामुन खिला दिये. साथ मे बियर का केन भी चढ़वा लिया. माझा आ गया. पर रंग पंचमी वाले दिन वैसी भेट होंगी??? अगर होंगी तो माझा ही आ जाएगा. और गुड्डी रानी मतलब लम्बे वक्त से कोरी ही है. इंतजार रहेगा कब आनंद बाबू के प्रेम की छाप लगेगी. माझा आ गया कोमलजी.
ये सब भी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग का पार्ट है...आनंद की दशा देख कर ऐसा महसूस होता है जैसे एक शरीफ , भले और चिकने - चुपड़े युवक को चार - चार तेज तर्रार महिलाओं के बीच मे एक कमरे के अंदर छोड़ दिया गया हो ।
सवाल ही नही पैदा होता ऐसे सिचुएशन मे कोई भी मर्द इनसे पार पा सके ।
आनंद साहब का ब्रेक फास्ट भांग मिश्रित पकवानों के साथ साथ वाइन , वोदका और वियर का रूकने का नाम ही नही ले रहा । कभी चंदा भाभी के साथ , कभी गुड्डी के साथ , कभी रीत के साथ और कभी दूबे भाभी के साथ मिलाकर कई - कई दौर का यह खान-पान हो चुका ।
पर ताज्जुब है अब तक आनंद साहब होशो हवाश मे है और साथ मे सभी महिलाएं भी भली चंगी हैं । काफी मजबूत मिट्टी के बने हैं यह सब ।
इस अपडेट मे आनंद साहब को रंगपंचमी मे वापस बनारस आने की बात कही गई है । कारण अवश्य रंग खेलने का और उस दौरान कुछ मस्ती करने का है । लेकिन चूंकि आनंद को ट्रेनिंग के लिए बाहर जाना है इसलिए यह प्रोग्राम कुछ फेरबदल के साथ दो दिन पहले तक का कर दिया गया ।
नो डाऊट , इस दौरान वह सबकुछ होगा जो इन महिलाओं ने सोच रखा है एक्सेप्ट राॅकी इवेंट । राॅकी की चर्चा सिर्फ आनंद साहब की शर्म दूर करने की ही है ।
और वह सब भी होगा जो आनंद साहब के ममेरी बहन के बारे मे कहा गया है । गुड्डी अपने कमिटमेंट पर खरा न उतरे , यह हो नही सकता ।
आनंद साहब को ट्रेनिंग से वापसी के बाद शायद वह बनारस और वह ससुराल न दिखे जो वर्तमान मे दिखाई दे रहा है । मुझे याद है बनारस उस वक्त बम धमाकों से बहुत कुछ बदल चुका था । शायद रीत का साथ भी उनके ट्रेनिंग जाने से पूर्व तक का ही है ।
बहुत खुबसूरत अपडेट कोमल जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
गुलामी कबूल करने से पहले हीं गुलामी...वाह भाई वाह. आनंद बाबू को रोकने के लिए गुड्डी का सहारा लिआ जा रहा था. अमेज़िंग.
सादी से पहले सादी वाली फीलिंग कुछ अलग ही होती है. एक दूसरे पर निर्भरता जताना
जैसे आनंद बाबू के बोल : गुड्डी ना होती तो मेरा क्या होता. वाओ... जबरदस्त सिंपल पर खट्टी मीठी फील है.
वही प्यार मे हक़ जमाना वो भी प्रेमिका से. दिल गुद गुदा देता है.
गुड्डी :
डूबे भाभी की मन की मुराद पूरी तो हुई. एक दिन कम सही. पर आनंद बाबू रुके तो. सारा श्रेय गुड्डी की जवानी, रीत का जोबन, और खुबशुरत सालियों के कारण ही हुआ. सब ने अपने होने वाले जीजा को बाट ही रखा है.
बहोत सारा है इस अपडेट मे. पर बता ही नहीं पाई. अमेज़िंग अपडेट. लव इट.
रही बात आनंद बाबू तो अभी से मान भी गए. जोरू के गुलाम... अब आने वाले वक्त मे गुड्डी भी कोमलिया की तरह बोलेगी. मेला छोनु मोनू....
चेक भी होगा और वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ सबूत भी....वाह भाई मान गए. गजब की शारारत है ये तो.
अरे आनंद बाबू मुबारक हो. तुम्हारी बहना का रिस्ता पक्का भी हो गया. किस से. अरे तुम्हारे ही ससुराल वालों की तरफ से. तुम्हारा साला रोकी.
वाह नथ उत्तरी या नहीं ये भी चैक होगा. नहीं उत्तरी तो कोई बात नहीं आनंद बाबू. वो मौका तो आप को ही दिया जाएगा. चढोगे ना.
डूबे भाभी ने भी काम किसे सौपा. वो भी तुम्हारी वाली को. अब दाव पर तो उसका पिछवादा लग गया. अब पीछे मत हटना.