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दो कारण थे, पहला और ज्यादा जरूरीEk baat samajh nhi aai, guddi or gunja ko nind ki goli dene ki kya jrurat thi, unhe to sab pta hi hai, wo bhi dusre kamre me sunte rehte
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होली का राशिफल
आनंद बाबू -कर्क राशि
गुड्डी ने हँसकर बात बदली और बोली- “अच्छा चलो अपना सुनाओ…”
नहीं पहले तुम्हारा शुरू करता हूँ, मैंने बोला पर भाभी भी गुड्डी के साथ आखिर मैंने कर्क राशी का राशिफल पढ़ना शुरू किया।
“कर्क राशी के देवरों, जीजा और यारों के लिए। आपकी पकड़ बहुत मजबूत होती है। (गुड्डी बोल पड़ी। कोई शक। तब मैंने महसूस किया की मैंने उसके गदराये किशोर उभार बहुत कसकर दबा रखे थे।) पकड़ सिर्फ हाथों की ही नहीं, आगे से, पीछे से आप जो भी पकड़ेगे उसे बहुत कसकर घोंटेंगे…”
ओर भाभी और गुड्डी दोनों एक साथ कहकहा लगाकर हँस पड़ी।
“तभी तो मैं कहती थी की तुम्हारे और तुम्हारी बहन में कुछ खास फर्क नहीं है। वो आगे से लेती है तुम पीछे से लेते हो…” भाभी ने चिढ़ाया।
“और क्या अच्छा हुआ हम लोगों ने इन्हें रोक लिया वरना जरूर कोई ना कोई हादसा हो जाता…” गुड्डी भी कम नहीं थी।
“अरे हादसा हो जाता या इनको मजा आ जाता। लेकिन चलिए कोई बात नहीं, कल सूद समेत हम लोग आपके पिछवाड़े का भी हिसाब पूरा कर देंगें…” ये चंदा भाभी थी।
“और क्या कल आपका डलवाने का दिन होगा और हम लोगों का डालने का…” गुड्डी बोली।
“और वैसे भी आपकी इस आदत से तो आपकी बहन की भी दुकान बढ़िया चलती होगी। जिसको जो पसंद हो…” चन्दा भाभी पूरे जोश में थी।
“और क्या? एक के साथ एक फ्री। स्पेशल होली आफर…” गुड्डी बड़ी जोर से खिलखिलाई।
“अरे साफ-साफ क्यों नहीं कहती की बुर के साथ गाण्ड फ्री…” भाभी बोलीं
“और राशिफल में है की कसकर। तो क्या? बहुत दिनों की प्रैक्टिस होगी…”गुड्डी ने छेड़ा
“बचपन के गान्डू हैं ये। जैसे बहन इनकी बचपन की छिनार है…” अब भाभी पीछे पड़ गयीं
दोनों की जुगलबंदी में मैं फँस गया था। झुंझला के मैं बोला- “अच्छा रुको ना वरना मैं आगे नहीं सुनाऊंगा…”
“नहीं नहीं सुनाइये। अभी तो ये शुरूआत थी आगे देखिये क्या बातें पता चलती हैं। तो चुप रह…
” चन्दा भाभी ने प्यार से मेरे गाल सहलाते और गुड्डी को घुड़कते बोला।
“हाँ तो…” मैंने फिर शुरू किया-
“आपकी यह होली बहुत अच्छी भी होगी और बहुत खतरनाक भी। आप पहले ही किसी किशोरी के गुलाबी नयनों के रस रंग से भीग गए हैं। इस होली में आप इस तरह रस रंग में भीगेंगे की ना आप छुड़ा पाएंगे ना छुड़ाना चाहेंगे। वो रंग आपके जीवन को रंग से पूरे जीवन के लिए रंग देगा। हाँ जिसने की शर्म उसके फूटे करम। इसलिए। पहल कीजिये थोड़ा बेशर्म होइए उसे बेशर्म बनाइये आखिर फागुन महीना ही शर्म लिहाज छोड़ने का है…”
एक पल रुक कर मैंने गुड्डी की ओर देखा।
गुड्डी गुलाल हो रही थी। उसने अपनी बड़ी-बड़ी पलकें उठाएं और गिरा ली। हजार पिचकारियां एक साथ चल पड़ी। मैं सतरंगे रंगों में नहा उठा। मैंने उस किशोरी की ओर देखा
तो बस वो धीमे से बोली- धत्त और अपने होंठ हल्के से काट लिए।
मेरी तो होली हो ली पर चन्दा भाभी बोली- “अरे लाला आगे भी तो पढ़ो…”
और मैंने पढ़ना शुरू किया पर एक शरारत की, मैंने अपनी टांगें उसकी लम्बी-लम्बी टांगों के बीच में इस तरह फँसा दी की अब वो पूरी तरह ना सिर्फ मेरी गोद में थी बल्की उसका मुँह मेरे चेहरे के पास था और वो मेरी ओर फेस करके बैठी थी। मैंने आगे पढ़ना शुरू किया।
“कर्क राशि वालों के लिए विशेष चेतावनी। इस होली में अगर आप अपनी, अपने भाई की या कैसी भी ससुराल की ओर रुख करेंगे तो…”
“अब तो आ ही गए हैं अब क्या कर सकते हैं?”
गुड्डी ने मुश्कुराकर मेरी बात काटते हुए कहा
और चन्दा भाभी ने भी सिर हिला के उसका साथ दिया।
हमने आगे पढ़ना जारी रखा-
“ससुराल की ओर रुख करेंगे तो आपका कौमार्यत्व खतरे में पड़ जाएगा। भाभियां, सालियां या आपकी चाहने वालियां। अब मिलकर नथ उतार देंगी। इसलिए अगर फटनी ही है तो चुपचाप फड़वा लीजिये…”
“एकदम सही बात कहीं है। ज्यादा उछल कूद मत कीजियेगा चुपचाप डलवा लीजिएगा…” गुड्डी हँसकर बोली।
“एकदम अपनी बहन की तरह वो भी बिचारी इन्हीं की तरह सीधी हैं सबका दिल रख देती हैं…” चन्दा भाभी क्यों छोड़ती।
मैं बिचारा। चुपचाप पढ़ता रहा-
“आप का आगे-पीछे दोनों ओर का कुँवारापना उतर जाएगा। और भाभियां और उनके साथ वालियां,... अबकी होली उनके नाम ही की है इसलिए जीतने की कोशिश मत कीजिएगा। आपकी होली में वो गत होगी जो कोई सोच भी नहीं सकता। रगड़ा जाएगा, हचक के डाला जाएगा इसलिए मौके का फायदा उठाइये और बेशर्म होकर होली का मजा लीजिये। हाँ ये तीन उपाय कीजिएगा तो होलिका देवी आपके ऊपर खुश रहेंगी, आपकी रक्षा करेंगी और नई पुरानी एक से एक मस्त चूचियां भी।
पहली बात, किसी बात का बुरा ना मानियेगा, बल्की उनकी हर बात मानियेगा, वरना जबरदस्त घाटा होगा। उनके पैरों पे सिर रखकर। तभी पैरों के बीच की जन्नत मिलेगी…दूसरी बात, ससुराल में है तो डालने का काम ससुराल में ससुराल वालो के जिम्मे, तो जहाँ जैसे जब जितना डालना चाहें, भाभियाँ सालिया या कोई भी बस बिना हाथ पैर झटके, ताकत दिखाए, नखड़ा किये डलवा लीजियेगा।
दोनों ने एक साथ कहा- “एकदम सही बात। याद रखियेगा। हर बात माननी होगी…”
गुड्डी के सामने सिर झुका के कहा- “एकदम मंजूर…”
और तीसरी बात- “मैंने पढ़ना जारी रखा। आखिरी बात। अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर वैसलीन लगाकर रखियेगा सटासट जाएगा और न डालने वाले को तकलीफ होगी और हाँ भाभी का फगुवा उधार मत रखियेगा। जो मांगेंगी दे दीजिएगा…”
“एकदम मुझे बस तुम्हारा वो माल चाहिए। लौटना तो साथ ले आना यहाँ के लोगों की चांदी हो जायेगी और उसका भी स्वाद बदल जाएगा…” भाभी ने छेड़ा।
“ठीक है ये भूल जायेंगे तो मैं याद दिला दूंगी। लौटूंगी तो तुम्हारे साथ ही। हाँ और स्वाद तो उसका बदलेगा। ही दोनों बल्की तीनों मुँह का…” दुष्ट गुड्डी।
लेकिन बात जो मेरे मन में उमड़ घुमड़ कर रही थी, चंदा भाभी ने कहा दिया और गुड्डी की ओर देख कर , और अबकी थोड़ी सिरियस होकर,
" देख लो लाला, कोई चीज के लिए आप ललचा रहे हो, चीज सामने रखी है और अब तीन शर्तें आपके सामने आ गयीं, आपने खुद पढ़ दी तो सोच लो, अगर तीनो शर्त मान लो तो क्या पता २४ घंटे के अंदर ही कोई चीज मिल जाए,... और उससे बढ़के अगली होलिका के पहले वो चीज भी परमानेंट तेरे पास आ जाए,... "
भाभी बोली भी रही थीं गुड्डी को छेड़ भी रही थीं मुस्करा भी रही थी ,
और गुड्डी जो अबतक इतना खुल के मजाक कर रही थी, चिढ़ा रही थी, गुलाल हो गयी थी. नजरें झुकी, पैरों के अंगूठे से भाभी के कमरे की मोजेक फर्श कुरेदती, और कभी मेरी ओर देखती, बाजी अब मेरे हाथ थी,
और मुझे कुछ जल्दी करना था,... पहले तो था पहले पढाई, फिर नौकरी ,. और डेढ़ साल पहले जब नौकरी भी मिल गयी, ... वो भी मैं जो चाहता था, और उस समय बिन कहे हम दोनों ने अपने मन की बात कह भी दी थी, फिर बहाना था ट्रेनिंग का दो साल की ट्रेनिंग , इधर उधर आना जाना, लेकिन अब पांच -छह महीने में ट्रेनिंग भी ख़तम हो जायेगी,... तो इस बार अगर मैंने साफ़ साफ़ नहीं कहा, मामला तय नहीं हुआ,...
बिना सोचे मेरे मुंह से निकल गया, " भौजी आपके मुंह में गुड़ घी, तीन क्या तीस शर्त मंजूर "
लेकिन माहौल को हल्का बनाने में गुड्डी से बढ़कर कौन होता, वो खिलखिलाती चंदा भाभी से बोली,
" अच्छा मौका है ये मान भी गए हैं बस अब मैं निकलतीं हूँ झट अपने कोरे कुंवारे देवर की नथ उतार दीजिये, आपका भी राशिफल पूरा हो जाये, ये भी थोड़ा क ख ग घ सीख जाएंगे। "
अच्छा रुक अब तेरा नंबर है राशिफल है सुनाने का। क्या राशी है तुम्हारी। अब मेरा नंबर था।
Chanda bhabhi Role play bhi achha kr leti hai, guddi ka demo mil gyaफगुनाई भौजी
और भाभी के शरारती हाथ भी ना, वो क्यों चुप बैठते।
जो उंगली मेरे पिछवाड़े के छेद में घुसने की कोशिश कर रही थी, वो अब मेरे बाल्स को सहला रही थी। छेड़ रही थी।
और दूसरे हाथ ने जबड़े को छोड़कर, कस-कसकर मेरे निपलों को पिंच करना, कस-कसकर खींचना शुरू कर दिया, और 8-10 मिनट के जबर्दस्त चुम्बन के बाद ही भाभी ने छोड़ा।
लेकिन बस थोड़ी देर के लिए।
मेरा मुँह उन्होंने फिर जबरन खुलवा दिया और अबकी सीधे उनकी चूची, पहले इंच भर बड़े, खड़े निप्पल और उसके बाद रसीली गदराई मस्त चूची। मेरा मुँह फिर बंद हो गया। मैं हल्के-हल्के चूसने लगा। कभी जीभ से फ्लिक करता, कभी हल्के से काट लेता, और कभी चूस लेता।
भाभी ने पहले तो एक हाथ से मेरा सिर पकड़ रखा था
लेकिन वो हाथ एक बार फिर मेरे टिट्स पे, अबकी तो वो पहले से भी ज्यादा जोर से वहां चिकोटी काट रही थी, उसे नोच रही थी। दूसरे हाथ की बदमाश उंगलियां मेरे लण्ड के बेस पे हल्के-हल्के सहला रही थी। वो एकदम तन्नाया हुआ, खड़ा था जोश में पागल, बस घुसने को बेताब। अब चन्दा भाभी के होंठ खुल गए थे।
तो फिर तो वो, एकदम जोश में,... क्या-क्या नहीं बोल रही थी-
“साले, चूस कस-कसकर। बहनचोद। तेरी सारी बहनों की फुद्दी मारूँ, गली के कुत्तों से चुदवाऊं, उन्हीं की चूची चूस-चूसकर ट्रेन हुआ है ना, गान्डू साले…”
चंदा भाभी की गालियां भी इत्ती मस्त थी। साथ में इतने जोर से मेरे मुँह में अपनी बड़ी-बड़ी चूचियां घुसेड़ रही थी जैसे कोई झिझकती शर्माती मना करती दुल्हन के मुँह में जबरदस्ती पहली बार लौड़ा पेले। मेरा मुँह फटा जा रहा था, लेकिन मैं जोर-जोर से चूस रहा था।
भाभी के हाथ ने अब कसकर मेरा लण्ड पकड़ लिया था और वो हल्के-हल्के मुठिया रही थी। लेकिन एक उंगली अभी भी मेरी गाण्ड की दरार पे रगड़ खा रही थी, और अब उनकी गालियां भी-
“साले कहता है की तेरी,... कल देखना तेरी वो हालत करूँगी ना। गाण्ड से भोंसड़ा बना दूंगी। जो लण्ड लेने में चार-चार बच्चों की माँ को पसीना छूटता होगा ना। वो भी तू हँस-हँसकर घोंटेगा। ऐसे चींटे काटेंगे ना तेरी गाण्ड में की खुद चियारता फिरेगा…”
पता नहीं भाभी की गालियों का असर था, या उनके हाथ का, या मेरे मुँह में घुल रहे पलंग-तोड़ पान का। बस मेरा मन कर रहा था की बस भाभी को अब पटक के चोद दूं। भाभी ने अपनी एक चूची निकालकर दूसरी मेरे मुँह में डाल दी।
मैंने भी कसकर उनका सिर पकड़कर अपनी ओर खींचा और कस-कसकर पहले तो निपल चूसता रहा फिर हल्के-हल्के दांत उनके सीने पे गड़ा दिए।
भाभी चीखीं- “उई क्या करता है। तेरे उस माल की चूची नहीं है। निशान पड़ जाएगा…”
जवाब में कसकर मैंने उसी जगह पे दांत और जोर से गड़ा दिए। दूसरी चूची अब कसकर मैं रगड़ मसल रहा था। दांत गड़ाने के साथ-साथ मैंने उनके निपल को भी काटकर पिंच कर दिया।
वो फिर चीखीं, लेकिन वो चीख कम थी सिसकी ज्यादा थी।
मैं रुका नहीं और कस-कसकर उनके निपल को पिंच करता रहा, चूसता रहा। भाभी अब छटपटा रही थी, सिसक रही थी पलंग पे अपने भारी-भारी चूतड़ रगड़ रही थी। उन्होंने मेरे मुँह से अपन चूची निकाल ली और पलंग पे निढाल पड़ गईं।
बिना मौका गवांए मैं भी उनके ऊपर चढ़ गया और उनको कसकर किस लेकर बोला-
“भाभी अबकी मेरा नंबर। अब तो मैं उत्ता अनाड़ी भी नहीं रहा…”
भाभी मुस्कुरायीं और मेरे कान में फुसफुसा के कहा-
“लाला, तुम अनाड़ी भले ना हो लेकिन सीधे बहुत हो। अरे अगर तुम ऐसे किसी लौंडिया से पूछोगे तो क्या वो हाँ कहेगी? अरे बस चढ़ जाना चाहिये उसके ऊपर और जब तक वो सोचे समझे अपना खूंटा ठूंस दो उसके अन्दर…”
और फिर कुछ रुक के बोली-
“चलो देवर हो फागुन है। तुम्हारा हक बनता है लेकिन। तुम अपनी ‘उसको’ समझ के करना। मैं शर्माऊँगी भी, मना भी करूँगी। अगर आज तुम ये बाजी जीत गए तो फिर कभी नहीं हारोगे और वो पहले झड़ने वाली बात याद है ना?”
मैं हँसकर बोला- “हाँ याद है, कैसे भूल सकता हूँ। अगर मैं पहले झड़ा तो आप मेरी गाण्ड मार लेंगी…”
मैं समझ गया था बात भौजी की मतलब रोल प्ले, वो गुड्डी बनेंगी औरमुझे एक ऐसी टीनेजर जिसके साथ पहली बार हो रहा हो, उसके साथ कैसे उसे मनाना है, पटाना है, ना ना करते रहने पर भी करना है और उसे गरम करना है, इतना की वो खुद टाँगे फैला दे। और अगर आज पास हो गया तो कल जब गुड्डी मेरे साथ चलेगी तो रात को, इत्ते दिन का सपना पूरा होगा।
भाभी- “वो तो मैं मारूंगी ही। सुसराल आये हो तो होली में ऐसे कैसे सूखे सूखे जा सकते हो? ये होली तो तुम्हें याद रहेगी…”
तब तक मैं उनके ऊपर चढ़ चुका था और मेरे होंठों ने उनके होंठ सील कर दिए थे। बात बंद काम शुरू, अबकी मेरी जीभ उनके मुँह के अन्दर थी।
वो अपना सिर इधर-उधर हिला रही थी जैसे मेरे चुम्बन से बचने की कोशिश कर रही हों।
मैं समझ गया वो अब उस किशोरी की तरह हैं, जिसे मुझे कल पहली बार यौवन सुख देना है। तो वो कुछ तो शर्मायेंगी, झिझकेंगी और मेरा काम होगा उसे पटाना, तैयार करना और वो लाख ना ना करे उसे कच्ची कली से फूल बना देना। मैंने कसकर उनके मुँह में जीभ ठेल रखी थी।
कुछ देर की ना-नुकुर के बाद उनकी जीभ ने भी रिस्पोंड करना शुरू कर दिया। अब हल्के से मेरी जीभ के साथ खिलवाड़ कर रही थी। उनके रसीले होंठ भी अब मेरे होंठों को धीरे-धीरे कभी चूम लेते। लेकिन मैं ऐसे छोड़ने वाला थोड़े ही था। मेरे हाथ जो अब तक उनके सिर को पकड़े थे अब उनके उभारों की ओर बढ़े और बजाय कसकर रगड़ने मसलने के एक हाथ से मैंने उनके जवानी के फूलों को हल्के-हल्के सहलाना शुरू किया।
जैसे कोई भौंरा कभी फूल पे बैठे तो कभी हट जाय, मेरी उंगलियां भी यही कर रही थी।
दूसरे हाथ की उंगलियां उनके जोबन के बेस पे पहले बहुत हल्के-हल्के सहलाती रही फिर जैसे कोई शिखर पे सम्हल-सम्हल के चढ़े वो उनके निपल तक बढ़ गईं। उनका पूरा शरीर उत्तेजना से गनगना रहा था।
भाभी- “नहीं नहीं। छोड़ो ना। फिर कभी आज नही…”
लेकिन मैंने गालों को छोड़ा नहीं। हल्के से उसी जगह पे फिर किस किया और उनके सपनों से लदी पलकों की ओर बढ़ चला।
भाभी बुदबुदा रही थी- “उन्न्। हो तो गया प्लीज…”
लेकिन मैं नहीं सुनने वाला था। मेरे होंठ अब उनके होंठों को छोड़कर रसीले गालों का मजा ले रहे थे। मैंने पहले तो हल्के से किस किया फिर धीरे से। बहुत धीरे से काट लिया।
भाभी- “नहीं नहीं। प्लीज कोई देख लेगा। निशान पड़ जाएगा। मेरी सहेलियां क्या कहेंगी? वैसे ही सब इत्ता चिढ़ाती हैं। छोड़ो ना। हो तो गया…”
उनकी आवाज में उस किशोरी की घबराहट, डर, लेकिन इच्छा भी थी।एकदम गुड्डी की तरह
लेकिन मैंने गालों को छोड़ा नहीं। हल्के से उसी जगह पे फिर किस किया और उनके सपनों से लदी पलकों की ओर बढ़ चला।
एक बार मैंने जैसे कोई सुबह की हवा किसी कली को हल्के से छेड़े। बस उसी तरह बड़ी-बड़ी आँखों को छू भर दिया। और फिर एक जोरदार चुम्बन से उन शर्माती लजाती पलकों को बंद कर दिया, जिससे मैं अब मन भर उसकी देह का रस लूट सकूँ।
मेरे होंठ उनके कानों की ओर पहुँच गए थे और मेरी जीभ का कोना उनके कान में सुरसुरी कर रहा था, जैसे ना जाने कब की प्रेम कहानियां सुना रहा हो। मेरे होंठों ने उनके इअर-लोबस पे एक हल्की सी किस्सी ली और वो सिहर सी गईं।
उनके दोनों गदराये रस भरे जोबन मेरे हाथों की गिरफ्त में थे। एक हाथ उसे बस हल्के-हल्के सहलाकर रस लूट रहा था और दूसरा बस धीरे-धीरे दबा रहा था। मैं भी बस उन्हें अपनी प्यारी सोन चिरैया ही मान रहा था, जिसका जोबन सुख मैं पहली बार खुलकर लूट रहा होऊं। एक हाथ की उंगलियां टहलते-टहलते धीरे-धीरे उनके यौवन शिखरों की ओर बढ़ रही थी और बस निपल के पास पहुँचकर ठिठक के रुक गईं।
मेरे होंठों ने उनके कानों को एक बार फिर से किस किया, हल्के से पूछा-
“उन उभारों का रस चूस सकता हूँ?”
भाभी बस कुछ बुदबुदा सी उठी और मैंने इसे इजाजत मान लिया।
एक निपल मेरे उंगलियों के बीच में था। मैं उसे हल्के-हल्के दबा रहा था, घुमा रहा था।
दोनों जोबन मारे जोश के पत्थर हो रहे थे। मेरे होंठों ने बस उनके उभार के निचले हिस्से पे एक छोटी सी किस्सी ली। पत्ते की तरह उनकी देह काँप गईं लेकिन मैं रुका नहीं। मेरे होंठ हल्के चुम्बन के पग धरते निपल के किनारे तक पहुँच गए। जीभ से मैंने बस निपल के बेस को छुआ। वो उत्तेजना से एकदम कड़ा हो गया था।
मैं जान रहा था की वो सोच रही थी की अब मैं उसे गप्प कर लूंगा। लेकिन मुझे भी तड़पाना आता था। जीभ की टिप से मैं बस उसे छू रहा था। छेड़ रहा था।
भाभी- ( एकदम गुड्डी की आवाज में गुड्डी की तरह ही ) “छोड़ो ना प्लीज। क्या कैसा हो रहा है। क्या करते हो। तुम बहुत बदमाश हो। नहीं। न न। बस वहां नहीं…”
वो सिसक रही थी। उनकी देह इधर-उधर हो रही थी बिलकुल किसी किशोरी की तरह।
मेरी भी आँखें अपने आप मुंद चली थी और मुझे भी लग रहा था की मेरे साथ चन्दा भाभी नहीं वो मेरे दिल की चोर, वो किशोरी सारंग नयनी है। मैंने जीभ से एक बार इसके उत्तेजित निपल को ऊपर से नीचे तक लिक किया और फिर उसके कानों के पास होंठ लगाकर हल्के से बोला-
“हे सुन। मेरा मन कर रहा है। तुम्हारे इन जवानी के फूलों का रस लेने का। मेरे होंठ बहुत प्यासे हैं। तुम्हारे ये रस कूप। तुम्हारे ये। …”
“ले तो रहे हो। और क्या?” हल्के से वो बुदबुदायीं।
मैंने बोला- “नहीं मेरा मन कर रहा है और कसकर इन उभारों को कस-कसकर…”
साथ-साथ मैं अब कसकर मेरे हाथ उसके सीने को दबा रहे थे। वो शुरू की झिझक जैसे खतम हो जाए। एक हाथ अब कसकर उसके निपल को फ्लिक कर रहा था।
भाभी चुप रही। लेकिन उसकी देह से लग रहा था की उसे भी मजा मिल रहा है।
मैं- “हे प्लीज किस कर लूं तुम्हारे इन रसीले उभारों पे बोलो ना?”
चन्दा भाभी मेरे कान में फुसफुसायीं-
“लाला अरे अब उसे चूची बोलना शुरू करो नहीं तो वो भी शर्माती ही रह जायेगी…”
मैं समझ गया। मैंने दोनों हाथों से अब कस-कसकर उसके जोबन को मसलना शुरू कर दिया और फिर उसके कान में बोला- “सुनो ना। एक बार तुम्हारे रसीले जोबन को किस कर लूं। बस एक बार इन। इन चूचियों का रसपान करा दो ना…”
अबकी उसने जोर से जवाब दिया- “क्या बोलते हो। कैसे बोलते हो प्लीज। ऐसे नहीं। मुझे शर्म आती है…”
मुझे मेरा सिगनल मिल गया था। अब मेरे होंठ सीधे उसके निपल पे थे। पहले मैंने एक हल्के से किस किया फिर उसे मुँह में भरकर हल्के-हल्के चूसने लगा। वो सिसक रही थी उसके चूतड़ पलंग पे रगड़ रहे थे।
दूसरा निपल मेरी उंगलियों के बीच था।
मैंने हाथ को नीचे उसकी जाँघों की ओर किया। वो दोनों जांघें कसकर सिकोड़े हुए थी। हाथ से वो मेरी जांघ पे रखे हाथ को हटाने की भी कोशिश कर रही थी। लेकिन मेरी उंगलियां भी कम नहीं थी। घुटने से ऊपर एकदम जाँघों के ऊपर तक। हल्के-हल्के बार-बार।
भाभी ने दूसरे हाथ से मुझे नीचे छुआ तो मैं इशारा समझ गया। मेरे तन्नाया लिंग भी बार-बार उनकी जाँघों से रगड़ रहा था। मैंने उनके दायें हाथ में उसे पकड़ा दिया। उन्होंने हाथ हटा लिया जैसे कोई अंगारा छू लिया हो। लेकिन मैंने मजबूती से फिर अपने हाथ से उनके हाथ को पकड़कर रखा और कसकर मुट्ठी बंधवा दी।
अबकी भाभी ने नहीं छोड़ा।
थोड़े देर में ही उनकी उंगलियां उसे हल्के-हल्के दबाने लगी।
मेरा दूसरा हाथ उनकी जांघों को प्यार से सहला रहा था। एक बार वो ऊपर आया तो सीधे मैंने उनकी योनि गुफा के पास हल्के से दबा दिया। जांघें जो कसकर सिकुड़ी हुई थी अब हल्के से खुली। मैं तो इसी मौके के इंतजार में था। मैंने झट से अपना हाथ अन्दर घुसा दिया।
और अबकी जो जांघें सिकुड़ी तो मेरी हथेली सीधे योनि के ऊपर।
वो अब अपने दोनों हाथों से मेरा हाथ वहां से हटाने की कोशिश में थी लेकिन ये कहाँ होने वाला था।
“हे छोड़ो ना। वहां से हाथ हटाओ प्लीज। बात मानो। वहां नहीं…” वो बोल रही थी।
“कहाँ से हाथ हटाऊं। साफ-साफ बोलो ना…” मैं छेड़ रहा था साथ में अब योनि के ऊपर का हाथ हल्के-हल्के उसे दबाने लगा था।
जाँघों की पकड़ अब हल्की हो रही थी। और मेरे हाथ का दबाव मजबूत। हाथ अब नीचे दबाने के साथ हल्के-हल्के सहलाने भी लगा था, और वो हालाँकि हल्की गीली हो रही थी। उसका असर पूरे देह पे दिख रहा था। देह हल्के-हल्के काँप रही थी। आँखें बंद थी। रह-रहकर वो सिसकियां भर रही थी। मेरी भी आँखें मुंदी हुई थी। मुझे बस ये लग रहा था की ये मेरी और ‘उसकी’ मिलन की पहली रात है। मेरे होंठ अब कस-कसकर उसके निपल को चूस रहे थे। मैं जैसे किसी बच्चे को मिठाई मिल जाए बस उस तरह से कभी किस करता, कभी चाट लेता, कभी चूस लेता।
आपके कमेंट की एक एक पंक्ति मेरी पूरी पोस्टों पर भारी है,
होली का राशिफल
गजब ,
आज तो भविष्य मल्लिका भी पढ ली गयी
वैसे ये सही किरदारों को कैरेकटर एक्सप्लोर कराने की निन्जा टेक्नीक
आनन्द बाबू सच मे थोड़े अनाड़ी है ,
मगर ये भी समझ रहे है , अगर चासनी मे डुबेंगे नही तो किसी के मुह के रसगुल्ला बनेन्गे भी नही ।
Exactly, ab Ananad Babu ko Guddi ke saath koyi dikkat nahi hogi, agali raat koChanda bhabhi Role play bhi achha kr leti hai, guddi ka demo mil gya