आप के इस अपडेट को पढ़कर उन दिनों की यादें ताजा हो गई जब भारत के लगभग हर राज्य और शहर मे बम ब्लास्ट हुआ करते थे ।
शहर के बीचोंबीच , स्टेशन , मंदिर , नुक्कड , गली - चौराहें , होटल बम के धमाकों से गूंज उठता था , सैकड़ों बेगुनाह लोग मारे जाते थे । लाशों के ऐसे चीथड़े हो जाते थे कि उन्हे पहचान पाना असंभव हो जाता था ।
उन दिनों ट्रेन मे , बस मे , शहर मे रेडियो - टेलीविजन , माइक के माध्यम से यात्रीगण को चेताया जाने लगा था कि वह किसी लावारिस वस्तु या किसी भी संदिग्ध सामान को स्पर्श न करें ।
यह वास्तव मे दहशत का माहौल था । लोग-बाग यह समझने लगे थे कि पता नही वो भी कब इन बम धमाकों का शिकार बन जाए ।
पर ऊपर वाले का बहुत बहुत धन्यावाद , लोगों ने सता बदल दी ।
ऐसा नही था कि यह धमाके उस वक्त रूक नही सकते थे । लेकिन उस समय के गवर्नमेंट ने एक तो वोट बैंक की गलत राजनीति की , ऊपर से लगभग सभी सुरक्षा एजेन्सी को अपाहिज भी बना दिया । राॅ के पर कतर दिए गए थे ।
खैर , इस अध्याय ने फिर से हमे उन दिनो का स्मरण करा दिया ।
इस अपडेट की बात करें तो निस्संदेह स्कूल पर टेररिस्ट का कब्जा हो गया है । गुड्डी और आनंद को गुंजा की फिक्र है पर मुझे गुंजा के साथ साथ उन दो लड़कियों की भी चिंता सता रही है जो उन टेररिस्ट के कब्जे मे है । वह लड़कियाँ भी किसी मां-बाप के आंख का तारा होगी , किसी भाई की मासूम गुड़िया होगी ! किसी परिवार की आशा होगी ! किसी अभिभावक के सपने होंगी !
मुझे याद नही है इस कहानी के पिछ्ले संस्करण मे क्या हुआ था लेकिन इस संस्करण मे इनके सुरक्षित और सलामत होने की प्रार्थना करता हूं ।
बहुत खुबसूरत अपडेट कोमल जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।