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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
Last edited:

motaalund

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इन झलकियों की जरूरत मुझ इस लिए लगी की शुरू के चार पांच पोस्टों को पढ़ कर या इस कहानी का नाम देख कर या सिर्फ इरोटिका में शामिल होने से पाठक गण , विशेष रूप से जो इस कहानी की कहानी से परिचित नहीं है वो यह न समझ ले की

" एक और कहानी होली की " या

" इसमें तो एक बस टीनेज रोमांस ही लगता है " या

" हीरो का कुछ रोल ही नहीं लग रहा है "

इसमें नौ रसों में अधिकतर रस आये हैं करूण भी है, रौद्र भी , हास्य भी है श्रृंगार के दोनों पक्ष हैं लेकिन जो पाठक इन शुरू के भागों से कहानी से भाग सकते हैं ,...
उन्हें इस कहानी के थ्रिलर के आयामों से परिचित कराने के लिए झलकियां मैंने दी, आगे तो दो चार पार्ट पोस्ट होने के बाद ही अंदाज लगेगा की पाठक इसे किस रूप में लेते हैं।

जोरू का गुलाम में मैंने कमेंट्स या व्यूज की चिंता न कर के , क्योंकि मेरा पहला उदेश्य उस कहानी को पूरा करने का था, पोस्ट्स किया नतीजा यह हुआ की पहली चालीस पोस्ट्स , सिर्फ ४५ पेजों में और औसत व्यूज दो हजार के आसपास,... और बाद में जो पढ़ना चाहता भी है वो सोचता है की अरे अब तो आधी कहानी निकल गयी अब पढ़ने से क्या फायदा ,

इसलिए अबकी मैं शुरू से बार बार आग्रह कर रही हूँ पाठकों से कमेंट और व्यूज के लिए और झलकियां भी इसी लिए हैं।
और हर रस को आपने बाखूबी उभारा है...
बल्कि कुछ रस तो अपने उच्चतम स्तर पर थे...
 

motaalund

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मुझे लगा की निराला से ज्यादा अनुकूल बसंत पञचमी के लिए किसी की कविता नहीं हो सकती , बस इसलिए बजाय ग्रीटिंग कॉपी पेस्ट करने के एक कविता निराला की और एक अमीर खुसरो की,
ये भी आपकी खूबी है कि..
उचित अवसर के लिए उचित कविता/कहानी पेश करने की आप में काबिलियत है...
 

motaalund

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आपने पकड़ ही लिया 😂

मैंने कहा था की कहानी में कुछ बदलाव नहीं होगा लेकिन मुझे लगा की कुछ रफ़ूगीरी जरूरी है कहीं कहीं इस तरह के बदलाव नजर आएंगे

नहीं यहाँ मेडिकल का मामला नहीं है , वो कोचिंग तो जोरू का गुलाम में है यहाँ पर बस यह समझिये की कोई आधार कार्ड मांग बैठे या मूल बर्थ सर्टिफिकेट की सत्यापित प्रति

फिर मुझे लगा की अक्सर बोर्ड के इक्जाम के बीच होली पड़ती है, हाँ बोर्ड के इक्जाम के दिनों में कुछ क्लासेज की छुट्टी जरूर हो जाती है बस इसलिए , आप ने वास्तव में कहानी बहुत ध्यान से पढ़ी है और इस पार्ट को भी उतने ही मनोयोग से पढ़ रहे हैं , बहुत बहुत धन्यवाद.
अरे .. सिर्फ रफूगिरी नहीं है...
बल्कि आपने तो और परिष्कृत किया है...
साथ में कंटीन्यूटी की कमियों को ध्यान में रखते हुए उसे परिपूर्ण किया है...
 
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