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फागुन के दिन चार भाग ३० -कौन है चुम्मन ? पृष्ठ ३४७
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गुड्डी ने चंदा भाभी को हटा कर.. दूबे भाभी और चंदा भाभी की एक-एक की जोड़ी को ग्यारह होने से बचाया...माझा ही आ गया. शारारत का लेवल अप ही नहीं पार कर गया.
यहाँ तो खागड़ दुबे भाभी फस गई. शिकारी ही शिकार बन गया. दुबे भाभी का ओवर कॉन्फिडेंस ने ही उन्हें फसा दिया. आनंद बाबू मान गए क्या चाल चली. मुँह तो काला हुआ. लेकिन हाथो को लॉक किया और रीत और संध्या भाभी फूल फॉर्म मे. आखिर वो भी तो खेली खाई है. रीत ने साड़ी उतार दी. और खेला शुरू.
अरे भाभी होली मे साडी का क्या काम. महंगी साड़ी ख़राब थोड़ी करवानी है. ये सुन्दर जोबन कहा छुपाओगी.
संध्या भाभी ने भी सही टाइम पे पॉइंट मारा. ब्लाउज भी मैचिंग का है.
क्या प्लान बनाया है. मान गए. चंदा भाभी को गुड्डी के जरिये दूर किया. और दुबे भाभी को लपेट लिया. माझा ही आ गया.
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और जब दूबे भाभी और चंदा भाभी मिलके मुट्ठी पेलेंगी तो...वाह जी वाह वाह. ऑपरेशन ब्लाउज चिर हरण.
रीत की बात तो आनंद बाबू ऐसे समझ रहे है. जैसे रीत से ही प्रीत लगा ली हो. अरे साली आधी घरवाली होती है आनंद बाबू... पूरी नहीं.
गुड्डी सही है. पूरा हक़ जमाती है. सीधा हुकम करती है. सो रोमांटिक.
आखिर दुबे भाभी का ब्लाउज उतार ही गया. और नचाया भी खूब तीनो ने मिलकर. आनंद बाबू रीत और गुड्डी.
लेकिन नारी रस का खेल तो अब चलेगा भाभी ननंद.
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ससुराल के मजे से बढ़कर गुड्डी का मिलना आनंद बाबू के ज्यादे नसीब की बात है....वाह आनंद बाबू नसीब वाले हो जो बनारस की होली खेल रहे हो. तभि तो कन्या रस और नारी रस का संगम दिख रहा है. मन मोह लेने वाला नजारा दिख रहा है. रीत जिस से तुम प्रीत लगाने की कोसिस कर रहे हो. तुमने दबोच मशला लेकिन नजारा तो अशली भाभियों ने दिखाया.
तुम्हे जोबन की झलक दिखलाई, भरतपुर और प्रेम गली भी दिखाई. जिसे देख कर तुम्हे नशा हो गया. पिछवादा खोल कर दिखलाया. पसंद आया. आखिर रीत साली है तुम्हारी.
थ्रीसम नारी रस सेंडविच कमुख्ता से भी परे था. अब तो समझो की नांदिया छिनार हो या देवर नथ तो सिर्फ भाभी ही उतरती है.
और साथ मै भाभियों के नशीले जोबन के नजरे. प्रेटीकोट साया. भाभी कोई रीत के जैसे थोड़ी ना जींस वगेरा पहनती है.
गारी का तड़का जबरदस्त था. थोड़ी और गरिया डालो गीत के साथ मे रसिया हु. इनकी.
और अब तुम्हारी वाली की बारी.
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कभी नाव में पानी .. कभी पानी में नाव..वाह अब तो गुड्डी रानी भी घाट मे आ गई बेचारी. जादूगर्नी की तरह जब गुड्डी की ब्रा आनंद बाबू की तरह फेकि. वो चूमना और फ़्लाइंग किश. और गुड्डी का कैच करना. जबरदस्त इरोटिक रोमांटिक था.
वहां चंदा भाभी भले ही भरी पड रही हो. रीत की ट्रिक के आगे चंदा भाभी ही फस गई. लगता है संध्या भाभी और रीत चंदा भाभी को पूरा ही नंगा कर देंगे.
संध्या भाभी का वो आ रहे है. चंदा भाभी के तो नन्दोई लंगेंगे. होली भी तो है. माझा आ जाएगा.
पर सोने पे सुहागा तो आनंद बाबू तुम्हारा है. दुबे भाभी ने दोनों कच्ची नांदिया के लिए फरमान सुना दिया है.
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ससुराल में माय-बहिन पर हर तरह के कमेंट और गारियां तो आम बात है...कुछ भी हो आनंद बाबू घूम फिर कर तुम्हारी बाहनिया पर बात आ ही जाती है. अरे उनकी नांदिया लगी. और नांदिया तो छिनार होती है. उपर से तुम अपनी होने वाली ससुराल मे.
संध्या भाभी तो राजी से दुबे भाभी के निचे है. खेल भी रही है. और खिला भी रही है. माझा ले लो आनंद बाबू. यही तो अशली नारी रस है.
वही रीत तो सबसे ही अलग. जल्दी तो चंदा भाभी के काबू मै नहीं आएगी.
मगर दोनों को देख कर जो तुम्हारी गुड्डी रानी जो गोद मे है. उसके जोबन का माझा तो ले ही लो.
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सही कहा ...Arre raat bhar to chhapanbhog ka maja udaya tha, Chanda Bhabhi ka aur abhi to HOLI shuru huyi hai, ummid pe duniya kaayam hai
Thanks for comments
और गुड्डी का चंदा ... लंबे से पूरनमासी ऐसा गोल हो जाएगा...ekdm aur us ke pahale raat bhi hogi Chanda bhi niklega fir dekhiya kya hota hai Guddi ke saath
फिर गुड्डी इनकी गुड्डी उड़ा देगी...एकदम सही कहा आपने गुड्डी, रीत और संध्या भाभी की चाल, लेकिन गुड्डी का कहा टाल भी तो नहीं सकते वो