स्कूल में होली
" हे तेरे स्कूल में होली जबरदस्त हुयी " मैंने कस के दोनों उभारों को मसलते हुए पूछा, जहाँ उसकी सहेलियों ने जम के रंग लगाया था।
गुंजा जोर से खिलखिलाई और गुड्डी की ओर इशारा करते बोली, " अपनी दिलजनिया से पूछिए न, वो भी तो उसी स्कूल में हैं और दो दिन पहले जब ११ वी की छुट्टी हुयी तो क्या मस्ती काटी इनलोगो ने "
गुड्डी ने गुझिया मुझे खिलाते हुए गुंजा को बनावटी गुस्से से हड़काया, " हे ' अपनी ' का क्या मतलब, तू इनकी नहीं है कुछ क्या ?"
अपना हक़ जताते हुए मेरे खड़े खूंटे पे कस कस के अपने छोटे छोटे खुले चूतड़ गुंजा ने कस के रगड़ा, और बोली, " एकदम हूँ, और साली का हक़ तो पहले होता है वो भी छोटी साली का, इसलिए तो मैं गोद में बैठी हूँ, क्यों जीजू " और गुंजा ने कस के चुम्मी ली और अबकी गुंजा के मुंह से , उसके मुख रस के स्वाद के साथ बियर मेरे मुंह में।
और गुड्डी ने सुनाना शुरू किया लेकिन हंसी के मारे, वो बोली, एक तो हम दोनों के स्कुल का नाम ऐसे और फिर ही ही ही
बात गुंजा ने पूरी की और आगे होली के बदलते नियमो की बात भी
एक कोई मारवाड़ी सेठ ने अपनी पूज्य स्वर्गीया की स्मृति में स्कूल बनवाया था, मैनेंजमेंट और कंट्रोल पूरा उन्ही का, नाम था चूड़ा देवी बालिका विद्यालय, लेकिन सब लोग चू दे विद्यालय कहते थे, नयी सड़क के पास ही था। गुंजा ने अपने हाथ से बियर मुझे पिलाते हुए हंस के बोला,
" जीजू सोचिये न जिस स्कूल का नाम ही चुदे है वहां की लड़कियां नहीं चुदेंगी तो कहाँ की लड़कियां चुदेंगी"
" तो चुदवा ले, देख बेचारे इतनी दुर्गत सह के भी छोटी साली के लिए रुके थे " गुड्डी ने मेरी ओर देखते हुए गुंजा को चढ़ाया,
गुंजा ने बड़े प्यार से मेरे गाल पे एक खूब मीठी वाली चुम्मी ली और बोली, मेरे जीजू चाहे जो करें और गुड्डी ने स्कूल की होली का किस्सा शुरू किया।
पहले रूल्स बहुत स्ट्रिक्ट थे, जब गुड्डी क्लास ८ में थी, होली एकदम मना थी, लेकिन लड़कियां कहाँ मानती थीं तो जबतक गुड्डी नौ में पहुंची तो अबीर गुलाल की होली परमिट हो गयी लेकिन क्लास में नहीं, और वो भी सिर्फ टीका लगा के,
" दी उसमें क्या मजा आता होगा, जबतक अंदर हाथ डाल के गुब्बारे न रगड़े जाएँ " गुंजा ने बियर की एक घूँट लेते हुए कहा।
गुड्डी उसे देख के मुस्करा रही थी, बोली,
" तू क्या सोचती है, मैं थी न। मैं घर से तो गुलाल ही ले गयी घर पे भी नोटिस आयी थी अगर कोई लड़की रंग लाते हुए पकड़ी गयी या उसके बैग में रंग मिला तो फाइन। लेकिन मैं भी, रस्ते में एक दूकान से पूरे ढाई सौ ग्राम पक्का लाल रंग , ये बोल के की दुपटा रंगना है, और उसी गुलाल में मिला दिया और गुलाल का पैकेट फिर से बंद। स्कूल में भी सब के बैग चेक हुए दो चार के बैग में रंग पकड़ा गया तो वहीँ सब के सामने कान पकड़ के और सब पैकेट जब्त। "
फिर मैंने हुंकारी भरते हुए गुड्डी की ओर तारीफ़ की नजर से देखा और गुंजा ने अपने हाथ की बियर की बॉटल से मुझे बियर पिलाया।
असल में बियर पिलाने का कभी अपने मुंह से कभी बियर की बॉटल से गुंजा कर रही थी और भांग वाली गुझिया खिलाने का काम गुड्डी
मेरी तो मज़बूरी थी, दोनों हाथ फंसे थे, बिजी थे, उस सेक्सी किशोरी के उभरते हुए उभारों को मसलने रगड़ने में और गुड्डी ने जब वो गुंजा की क्लास में थी उस समय की होली का किस्सा आगे बढ़ाया,
गुड्डी बोली, " तो मेरा और मेरी और छह साथ सहेलियों के पास ' असली गुलाल ' वाला पैकेट था, फिर तो वही पक्का रंग मिला गुलाल, जबतक कोई टीचर देखती तो बस माथे पे और बहुत हुआ तो गाल पे, और टीचर भी तो कभी हम लोगो की तरह थीं तो जहां वो निकलीं, बस दो लड़कियां पीछे से हाथ पकड़ती और मैं यूनिफार्म वाले ब्लाउज के खोल के सीधे कबूतरों पे वो वाला गुलाल, और आराम से सहलाना मसलना और साथ में गरियाना भी, स्साली जाके अपने भाइयों से चूँची मिजवाओगी, रगड़वाओगी और हम लोगो से मसलवाने में शर्म आ रही है "
" दी एकदम सही कह रही हैं मेरी क्लास में भी करीब आधे से ज्यादा तो अपने भाइयों के साथ ही, दो चार तो सगे
" लेकिन तब भी तो सूखा रंग ही रहा न, झाड़ झुड़ के " मेरे समझ में अभी गुड्डी की पूरी प्लानिंग नहीं आयी तो मैंने पूछ लिया।
" अरे तो फिर रंगरेज के यहाँ से दुपट्टे रंगने वाले रंग लेने का फायदा क्या, " गुड्डी मुझे घूरते बोली, फिर उसने राज खोला, उसकी और सहेलियों ने , कुछ ने रुमाल तो कुछ ने दुप्पट्टे ही स्कूल से निकलने के पहले गीले कर लिए थे और फिर निकलते समय फिर वही, एक ने पीछे से दोनों कलाई पकड़ी और गीली रुमाल या गीले दुपट्टे से तो टॉप के अंदर डाल के निचोड़ दिया, सूखा रंग गीला हो गया, और उसके बाद रगड़ रगड़ के फिर से दोनों गुब्बारे, ज्यादातर लड़कियां जब हफ्ते भर की होली की छुट्टी के बाद लौटी तब भी उनके रंग पूरी तरह नहीं छूटे थे। "
मान गया गुड्डी को मैं हम तीनो खूब हँसे, और गुंजा ने जोड़ा,
तभी दीदी,… पिछले साल से जब आप दसवीं में थी, मुझे याद है , रंग परमिट हो गया था आखिरी दिन लेकिन बस अब दो कंडीशन है, यूनिफार्म पे रंग नहीं पड़ना चाहिए और क्लास में होली नहीं होगी, बाकी कुछ भी कर लो। अब तो आखिरी पीरियड में टीचर सब हर क्लास की, बस अटेंडेंस लेके चली जाती हैं टीचर रूम में और घंटे भर हम लोगों की मस्ती, और आज तो मस्ती हुयी, इंटरवल के बाद ही हम लोगो की टीचर चली गयी, बस दो घण्टे,
और ये किसने किया, गुड्डी ने एक भांग वाली गुझिया को सीधे गुंजा के मुंह में डालते हुए पूछा, " ये किसने किया, "
गुड्डी का इशारा गुंजा के दोनों उभारों पर उँगलियों के निशानों पर था,
" और कौन करेगा, " गुझिया खाते हुए गुंजा बोली और फिर जोड़ा, ' वही शाजिया, और अकेले पार तो पा नहीं सकती मुझसे तो वो कमीनी छिनार महक, उसने मेरे दोनों हाथ पीछे से पकड़ के अपने दुपट्टे से बाँध दिया और शाजिया ने गोल्डन पेण्ट अपने हाथ में लगा के, पूरे पांच मिनट तक दबाती रही, और बोली, यार तेरे जोबन इत्ते जबरदस्त हैं, जो भी तेरा यार होगा कम से कम मेरा इसी बहाने नाम पूछेगा "
" सच में दोनों बहने होली में एकदम पागल हो जाती हैं " मेरी कुछ समझ में नहीं आया तो गुड्डी ने मैं कुछ बोलूं एक बियर की बोतल खोल के मेरे मुंह में, और बोलना शुरू कर दी,
" नादिया, नादिया है शाजिया की बड़ी बहन, मेरी अच्छी दोस्त है। वो और श्वेता, होली में ऐसे दोनों बौरातीं हैं, लड़कियां तो छोड़, लड़के भी उन दोनों से पनाह मानते हैं, श्वेता से तो कल वीडियो काल पे मिले थे, छुटकी के साथ, "
और मैंने एक फैसला कर लिया। गुड्डी की मम्मी, मेरा मतलब मम्मी और गुड्डी की दोनों बहनों का तो कानपुर से होली के बाद लौटने का रिजर्वेशन तो कराना ही है , श्वेता का एकदम पक्का, उसने गुड्डी की दोनों बहनों के साथ होली आफ्टर होली में मेरा बटवारा कर लिया था, सर से कमर तक छुटकी के हिस्से, घुटने के नीचे दोनों पैर मंझली के हवाले और कमर से लेकर घुटने तक श्वेता के कब्जे में।
और गुझिया ख़तम कर के गुंजा ने अपने क्लास की होली की हाल बतानी शुरू की, लेकिन उसके पहले गुड्डी ने पूछ लिया और गाने में कौन जीता, और ये बात भी मेरे समझ में नहीं आयी।