आनंद साहब के पांचो उंगलियाँ घी मे और सर कढ़ाई मे है । किरदार बदल जाते हैं लेकिन आनंद साहब की खिदमतगारी नाॅन स्टाप जारी रहती है ।
इस बार बारी थी गुंजा की । एक अल्हड़ , कमसिन और चंचल बाला की ।
जिस तरह रीत ने अपने अदाओं और नारी सुलभ नखरों से आनंद साहब को घायल कर डाला था ठीक उसी तरह इस बार गुंजा ने आनंद साहब को साक्षात दण्डवत करने के लिए कमान अपने हाथ मे ले लिया ।
एक और इरोटिक होली का वर्णन आपने गुंजा और आनंद साहब के मार्फत से हमारे समक्ष प्रस्तुत किया ।
बचपन की यादें , खासकर स्कूल और कॉलेज के समय की यादें हमारे मानस पटल से धूमिल होती नही । गुंजा की स्कूल की होली हमे भी अपने अतीत की ओर ले चली गई । वैसे यह यादें थी तो सेक्सुअल पर होली का विशेष सिचुएशन भी तो था ही ।
गुड्डी के इशारों से लगा कहीं चंदा भाभी के बाद अब गुंजा का ही नम्बर न लग जाए पर लगता है यह परिस्थिति दोबारा यहां वापस आने पर ही बनेगी ।
शायद संध्या भाभी इस कड़ी की दूसरी नम्बर पर होंगी ।
एक बार फिर से इरोटिक लेखन का अद्भुत स्किल ।
और बहुत ही खूबसूरत अपडेट कोमल जी ।