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Erotica फागुन के दिन चार

motaalund

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एकदम सही कहा आपने गुंजा का नंबर बस लगते लगते रह गया, सिर्फ दो बातें बीच में आ गयी, सरसो के तेल का अभाव और गुंजा की एक्स्ट्रा क्लास, लेकिन गुंजा की भूमिका आगे भी आएगी और जबरदस्त आएगी

हाँ अब इसके बाद संध्या भाभी का नंबर है वहां देखिये क्या होता है अगले भाग में
अब ससुराल में अकेले पकड़े गए... वो भी फगुआ में..
तो खातिरदारी भी ससुराल वालियों द्वारा विशिष्ट और अनूठी होगी...
 

motaalund

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न चार सौ पार हुआ न सारे छेद फटेंगे

लेकिन भरतपुर विजय मिल जाये आंनद बाबू को यही कामना है
ये तो सही कहा...
पहला स्टेप पहले...
लेकिन पिछवाड़ा संध्या भाभी का बचा रह जाए..
ये तो पूरे नाइंसाफी होगी संध्या भाभी के साथ..
अभी नहीं तो पंचमी में...
आखिर आपके रहते ऐसी नाइंसाफी नहीं हो सकती....
 

motaalund

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But your suggestion is perfect. On the first opportunity, it will change it to a tabular form as this is also a novella like JKG and will have 100 + parts, and tabular form will be easy to eyes and update.

I have posted an update in Chhutaki and this post is Different, with a tinge of poignancy, dispelled by some teasing and jokes anything more will require a spoiler's alert, hence my request is please do have a look, part 91 on page 943.
You are pundit and expert in presentation of pungency.
 
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