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Erotica फागुन के दिन चार

komaalrani

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फागुन के दिन चार भाग २७

मैं, गुड्डी और होटल

is on Page 325, please do read, enjoy, like and comment.
 
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Shetan

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गुड्डी और गली की सहेली


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मै भी चुप हो गया, लेकिन बस १०० कदम चलने के बाद गुड्डी जोर से मुस्करायी और मैंने देखा, एक लड़की गुड्डी की ही उम्र की, शलवार कुर्ते में और उस के साथ एक कोई औरत, संध्या भाभी की उम्र की रही होंगीं, वो दुप्पटे को हिजाब की तरह सर पर लपेटे,

वो लड़की पहले गुड्डी को देखकर मुस्करायी, फिर साथ वाली औरत को इशारा किया, वो तो हम दोनों को देख कर लहालोट और गुड्डी से बिन बोले मेरी ओर देख के इशारा किया,

अब गुड्डी की कस के मुस्कराने की बारी थी और उन दोनों को दिखा के मुझसे एकदम चिपक गयी और गुड्डी का हाथ मेरे कंधे पे, मुझे भी अपनी ओर पकड़ के खींच लिया, एकदम चिपका लिया उन दोनों को दिखाते,


मान गया मैं बनारस को, वो जो दुपट्टे वाली थीं,

पहले तो गुड्डी की ओर तर्जनी और मंझली ऊँगली को जोड़ के चूत का सिंबल बना के इशारा किया,

और फिर मेरी ओर देख के अंगूठे और तर्जनी को मिला के गोल छेद और उसमे ऊँगली डाल के आगे पीछे, चुदाई का इंटरनेशनल सिंबल,

और अब मैं भी मुस्करा पड़ा,

और गिरते गिरते बचा, जो बिल्डिंग पीछे हम छोड़ आये थे, जो गिर रही थी, उसके ईंटे सड़क पे यहाँ तक बिखरे पड़े थे, उसी से ठोकर लगी, वो तो गुड्डी ने कस के मेरा हाथ पकड़ रखा था,



वो दोनों, लड़की और साथ में औरत तब तक एक घर में घुस गए थे और गुड्डी ने मेरे बिना पूछे सब मामला साफ़ कर दिया।


गुड्डी की एक सहेली है सी गली में, एकदम शुरू में जहाँ मकान टूट रहा था उससे भी बहुत पहले, एकदम शुरू में।

तो बस उस की जो सहेलियां वो गुड्डी की भी, वो जो लड़की थी उसका नाम अस्मा है, गुड्डी से एक साल सीनियर, इंटर में पढ़ती है।
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तो सहेलियों के साथ इस मोहल्ले में १५ -२० भाभियाँ, और उनमे से आठ दस तो गुड्डी के शलवार का नाडा खोलने के चक्कर में पड़ी रहती थीं, सब बोलती,

"कैसी लड़की हो इंटर में पहुँच गयी और अभी तक इंटरकोर्स नहीं किया, "

कोई कहती की "तुझसे कोई नहीं पट रहा हो तो मैं अपने भाई से तेरी सील खुलवा दूँ, "

तो कोई कहती ,अरे इस गली में मेरे कितने देवर भी हैं, लटकाये टहलते रहते हैं, जब कहो तब।"

अस्मा की भाभी नूर जो साथ में थीं वो तो सबसे ज्यादा, अंत में गुड्डी की सहेली ने साफ़ साफ़ बता दिया, इसका कोई है, इसलिए किसी और से तो


नूर भाभी ने हड़काया और बोलीं
"फिर तो मेरी ननद एकदम, अरे बियाह तक इन्तजार करोगी क्या, शुरू कर दो गपगप, गपगप, और वो भी स्साला एकदम बुरबक है, अइसन माल अभी तक छोड़ के रखा है"

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आगे की बात मैं बिन बोले समझ गया, अस्मा ने जब अपनी भाभी को इशारा किया गुड्डी की ओर तो नूर ने मेरी ओर इशारा करके बिन बोले यही पूछा

" यही है क्या "

और गुड्डी ने मुझसे चिपक के, मेरे कंधे पे हाथ रख के, मुझे अपनी ओर खींच के, एकदम से इशारे में हामी भर दी

और वो ऊँगली जोड़ के चूत और चुदाई का इशारा, और हलके साथ में गुड्डी को दिखा के गपगप बोलना, मेरे लिए ही थी, मैं मुस्कराने लगा, और फिर गिरते गिरते बचा, एक और मकान टूट रहा था उसकी ईंटे,



गिरने का सवाल ही नहीं था गुड्डी ने इत्ती कस के हाथ पकड़ रखा था।
Sorry ye vala update chhut gaya to thoda back hui. Vese ye shararti pal chhutne to nahi dungi.

Apne vale ko apni saheliyo ke dikhane me bada maza aata hai. Aur guddi ne apne vale ko dikhakar ashma ko dikha bhi diya. Dekh le mera vala. Tera to jija lagega.

Ohhh yaha bhi ashma bhabhi. Are bhabhi ji ye pakke vale nandoi hai. Amezing. Update.

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Shetan

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मार्केट और

पहली बुकिंग गुड्डी की होने वाली ननदिया की
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और हम लोग गलियों के मकड़ जाल से निकल के में मार्केट में पहुँच गए।

पहुँच तो सच में हम लोग आधे टाइम में गए थे, एक तो सड़क के मुकाबले रस्ता छोटा था, फिर बनारस की ट्रैफिक, लेकिन पैदल और वो भी कोई बात नहीं,

गुड्डी के सामान का का बीस किलो का बोझ लादे लादे और चंदा भाभी ने भी ढेर सारे झोले, पैकेट पकड़ा दिए थे, थकान भी लग रही थी थोड़ा गुस्सा भी,

गुड्डी मेरा हाथ कस के दबा के मुझे चिढ़ाते बोली,

" देख यार मेरा मरद है, मैं उसे चाहे जिस पे चाहे उस को चढ़वाऊं, तुझ से क्या,.... चाहे उस की बहन हो महतारी हो, ...और जो मेरी ननदिया है, मेरी मरजी, मैं चाहे जिस के आगे उस की टांग फैलवाऊं, उसके शलवार का नाड़ा खुलवाऊं "


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और वो जोर से मुस्करायी

मेरी सारी थकान और गुस्सा एक मिनट में पिघल गया।मैं एकदम खुश, बीस किलो वजन ढोने का पैसा वसूल, अगर मेरी बहन उसकी ननद और मैं मरद तो वो,

मतलब हाँ

गली-गली हम लोग थोड़ी ही देर में गोदौलिया चौराहे पे पहुँच गये। भीड़, धक्कम धुक्का, जबकी अभी शाम भी नहीं हुई थी। समय तो कम लगा, लेकिन मैं जो नहीं चाहता था वही हुआ।

मेरी शर्ट पे आगे और पीछे, जो “अच्छी अच्छी बातें…” मेरी और मेरी ममेरी बहन के बारे में रीत और गुड्डी ने लिखी थी। एकदम खुले आम दावत देते हुये। सब उसे पढ़ रहे थे और मुझे घूर रहे थे। और कुछ देर बाद मेरे मोबाइल का मेसेज बजा।

था तो वो गुड्डी के बैग मे। लेकिन उसने तुरत फुरत निकाला और मेरी ओर बढ़ाया और बोली- “बधाई हो तेरी ममेरी बहन की पहली बुकिन्ग आ गई…”



उन दुष्टों ने मेरी शर्ट पे मेरे मोबाइल के 9 डिजिट लिख रखे थे और आखिरी नम्बर की जगह ऐस्टेरिक लगा रखा था। पहले तो मैं सोच रह था कि ये सेफ है, कौन दसवां नम्बर ढूँढ़ पायेगा? लेकिन लगता है ये उतना मुश्किल नहीं था। गुड्डी ने जो मेसेज दिखाया, उसमें लिखा था-

“क्या दो के साथ एक फ्री होगा, या कम से कम कुछ डिस्काउंट…”


गुड्डी ने मुझे दिखाते हुये वो मेसेज पहले तो रीत को पास किया और फिर मुझे दिखाते हुये जवाब भेज दिया-

“आपकी पहली बुकिन्ग थी इसलिये स्पेशल डिस्काउंट। तीसरा 50% डिस्काउंट पे। लेकिन पहले दो के साथ। साथ…”


उसने मेरे रोकते-रोकते मेसेज भेज दिया और जब तक मोबाइल मैं उससे लेता वापस उसके पर्स में।

बाद में मैंने नोटिस किया कि वो हर मेसेज के जवाब के साथ-साथ रीत का नम्बर दे रही थी आगे की सेटिन्ग के लिये और मेसेज डिलिट भी कर दे रही थी। यानि कि मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता था। तभी मुझे जोर का झटका जोर से लगा। मेरी ममेरी बहन का तो पूरा नम्बर सालियों ने मेरी शर्ट के पीछे टांक रखा है, तो उस बिचारी के पास तो सीधे ही और वो कितनी लज्जित फील कर रही होगी।

लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं, मेसेज उसको मिले और एक से एक। लेकिन जैसा उसने गुड्डी से बोला, की उसे खूब मजा आया और उसने भी उसी अन्दाज में उन लोगों को जवाब दिया। कईयों को तो उसने अपनी मेल आई॰डी॰ और फेस बुक पेज के बारे में भी बता दिया। वो समझ गई थी की ये होली का प्रैंक है और उसी स्प्रिट में मजा ले रही थी।


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गुड्डी को उसने दिखाया की कईयों ने तो उसे अपने “अंग विशेष…” के फोटो भी भेज दिये थे, कड़े कड़े, खड़े एकदम तन्नाए

एक बार इश्तेमाल करने की गुजारिश के साथ।

असल में वो फोटुयें तो मेरे मोबाइल पे भी आई इस रिक्वेस्ट के साथ कि-


“राजा, अरे तुन्हूं मजा ला,,... तोहरि बहिनियों के मजा देब। एक बार में पूरा सटासट-सटासट। सरसों का तेल लगाकर। तनिको ना दुखायी। मजा जबरदस्त आई…"


और साईज भी एक से एक, लम्बे भी मोटे भी। मैं अपने आपको शेर समझता था लेकिन वो भी मेरे से 20 नहीं तो 19 भी नहीं थे।



खैर, मैं ये कहां कि बात ले बैठा। ये बात तो मेरे घर पहुँचने के बाद के प्रसंग में आ
नी है।
Lo kar diya na do minit me gussa gayab. Esi hai hamari guddi.
Mera vala jo marji karu. Jispe chahe chadhau.
Par uske bad. Chahe uske bahen pe chahe mahtari pe

Aur bap re. Tumhari baheniya ko to sach me rate card ke sath. Aur msg bhi aane lage. Lo jilla top bana hi dalegi.

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Shetan

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शॉपिंग और गुड्डी की मस्ती

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खैर, हम जब दुकान में घुसे तो गुड्डी जी ने बहुत अहसान करके मेरा मोबाइल मुझे वापस कर दिया।

लेकिन पर्स क्रेडिट कार्ड उसी कि मुट्ठी में, और जब उसने शापिन्ग कि लिस्ट निकाली। उसके हाथ से पर्स तक निकली। मेरी तो रूह कांप गई।

लेकिन मुझे वो कार्ड निकालकर दिखाते हुये बोली- “चिन्ता मत करो बच्चे। मैंने और रीत ने चेक कर लिया था की ये प्लेटीनम कार्ड है, दो लाख तक तो ओवरड्राफ्ट मिलेगा और इसमें भी बैलेन्स काफी है…” वो दुकान ड्रेसेज की थी।

“क्या साइज है?” दूकानदार ने पूछा।

जोबन उभार के गुड्डी बोली- “बस मेरी साइज समझ लीजिये। क्यों?” मुश्कुराकर वो बोली।



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लेकिन पुष्टि के लिये उसने मेरी ओर देखा।

दुकानदार कभी गुड्डी की ओर देखता तो कभी मेरी शर्ट पे पेंट, इश्तहार पे।

तब तक गुड्डी ने आर्डर पेश कर दिया, स्लीवलेश टाप, वो भी हो सके तो शियर। एकदम आइटम गर्ल टाईप और एक लो-कट जीन्स। आप समझ गये ना?”

दुकानदार समझ गया शायद और अन्दर चला गया।

लेकिन मेरे समझ में नहीं आया-

“ये किसके लिये ले रही हो, कौन पहनेगा इतना बोल्ड वो भी…”



“तुम्हारे खिचड़ी वाले शहर में है ना…” खिलखिलाती हुई वो बोली-

“और कौन तुम्हारा माल, तुम्हारी ममेरी बहन गुड्डी (रंजीता), अरे यार उसे पटाना चाहते हो, उससे सटाना चाहते हो, तो बाहर से जा रहे हो। होली का मौका है कुछ हाट-हाट गिफ़्ट तो ले जानी चाहिये ना। तभी तो चिड़िया दाना चुगेगी…”


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दुकानदार बाहर आया और साथ में कई टाप, सबके सब स्लीवलेश, लो-कट। लाल, गुलाबी, पीला और आलमोस्ट शियर। मेरे तो पैरों के तले जमीन सरक गई। ये कोई भी कैसे?

लेकिन गुड्डी ने तब तक मेरे हाथ में से मोबाइल छीन लिया और एक पिक्चर निकालती हुई दुकानदार को दिखाया। वो बड़ी प्राइवेट सी फोटो थी।

उसने दोनों हाथ एक दूसरे में बाँधकर, सिर के पीछे उभारों को उभार के, मस्ती की अदा में हाट माडल्स की नकल में। मैंने बस मोबाइल से खींच ली। मेरी ममेरी बहन ने मुझसे कहा था की मैं डिलीट कर दूँ लेकिन मैंने बोला की यार मेरे मोबाइल में है कर दूंगा।

बस वो गुड्डी के हाथ और वही पिक्चर।
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फिर बोली- “ठीक है लेकिन एक नम्बर छोटा…”

“हे हे। अरे थोड़ा कम हाट, पहनने लायक तो हो…” मैंने दुकानदार से रिक्वेस्ट की।

वो बिचारा फिर अन्दर गया।

गुड्डी ने ठसके से बिना मुड़े मुझे सुनाते हुए बोला-


“पहनेगी वो और उसकी सात पुस्त। और पहनाओगे तुम अपने हाथ से। देखना…”

तब तक मेरे फोन पे एक मेसेज आया। नम्बर फोन बुक में नहीं था। मैंने खोला तो लिखा था-


“अरे पांच के बदले पच्चास लग जाय। बिन चोदे ना छोड़ब चाहे जेहल होय जा। अरे बनारस में आकर जरूर मिलना। हो गुड्डी…”

जब तक मैं ये मेसेज देख ही रहा था वो फिर निकला। अबकी उसने जो टाप दिखाए वो थोड़े कम हाट लेकिन तब भी स्लीवलेश तो थे ही।


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“दोनों टाइप के एक-एक दे दीजिये…” गुड्डी बोली। मैं इरादा बदलता उसके पहले गुड्डी ने आर्डर दे दिया।



“हे तू भी तो कोई ले ले…” मैंने गुड्डी को बोला।


वो ना-ना कराती रही पर मैंने उसके लिए भी टाप, कैपरी और एक बहुत ही टाईट लो-कट जीन्स ले ली।
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दुकानदार के सामने ही मुझसे बोली- “ये सब तो ठीक है, तेरी वो इसके अन्दर कुछ नहीं पहनेगी क्या? बनारस वालों का तो फायदा हो जाएगा। लेकिन…”

दुकानदार मुश्कुराने लगा और बोला-


“मैं अभी दिखाता हूँ। मेरे पास एक से एक हाट ब्रा पैंटी हैं…” और सचमुच जब उसने निकाली तो हम देखते रह गये। एक से एक। कलर, कट, डिजाइन। विक्टोरिया’स सिक्रेट भी मात खा जाय। जो गुड्डी ने छांटी, कयामत थी।

वो एक तो स्किन कलर को ध्यान से ना देखो तो लगेगा ही नहीं कि अन्दर कुछ पहने हैं की नहीं, और पतली इतनी की निपल का आकार प्रकार सब सामने आ जाय।


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लेकिन दुकानदार नहीं माना, और कहा- “मेरी सलाह मानिये तो ये वाली ले जाइये…” और उसने अन्दर से चुनकर एक निकाली।

थी तो वो भी स्किन कलर की लेकिन सिर्फ हाफ कप, अन्डर वायर्ड। और साथ में हल्की सी पैडेड- उभार उभरकर सामने आयेंगे, 30 साल की होगी तो 32 साल की दिखेगी, कप साइज भी एक बडा दिखेगा। क्लीवेज भी पूरा खुलकर…”



अब गुड्डी के लिये सोचने की बात ही नहीं थी। उसने एक पसंद कर लिया और साथ में एक सफेद भी।



मैंने दुकानदार से कहा- “इनके दो सेट दे देना…”

फिर वो पैन्टी ले आया। गुड्डी जब तक चुन रही थी। वो धीरे से आकर बोला-


“साहब। वो जो आखिरी एम॰एम॰एस॰ मिला होगा ना, वो मैंने ही भेजा है…”

मेरा माथा ठनका। तो इसका मतलब- “पान्च के बदले पचास लग जाय, बिन चोदे ना छोड़ब। चाहे जेहल होइ जाय…” वाला मेसेज इन्हीं जनाब का था।

तब तक गुड्डी ने दो थान्गनुमा पैन्टी पसन्द कर ली थी। मैंने फिर उसे दो सेट का इशारा किया।

पैक करते हुये वो बोला- “सही चुना आपने इम्पोर्टेड है…”

“तब तो दाम बहुत होगा?” गुड्डी ने चौंक के पूछा।

“अरे रहने दीजिये आपसे पैसे कौन मांगता है? वो मेरा मतलब है आप लोग तो आयेंगी ना बस ऐड्जस्ट हो जायेगा…”

“मतलब। ऐसा कुछ नहीं है…” मैं उसे रोकते हुये बोला।

लेकिन बीच में गुड्डी बोली-

“अरे भैया आप इनसे पैसा ले लिजिये। होली के बाद जब वो आयेगी ना तो आपके पास लेकर आयेंगे और फिर हम दोनों मिलकर आपकी दुकान लूट लेंगें…”

गुड्डी की कातिल अदा और मुश्कान कत्ल करने के लिये काफी थी।

जब हम बाहर निकले तो हमारे दोनों हाथ में शापिन्ग बैग और गुड्डी पर्स निकालकर पैसे गिन-गिन के रख रही थी। गुड्डी ने जोड़कर बताया। 40% ड्रेसेज पे और 48% बिकनी टाप पे छूट, कुल मिलाकर 42% छूट।

फिर नाराज होकर मेरी ओर देखकर बोली-

“तुम भी ना बेकार में इमोशनल हो जाते हो। अगर वो फ्री में दे रहा था तो ले लेते। बाद की बात किसने देखी है? कौन वो तुम्हारे ऊपर मुकदमा करता? और फिर मान लो, तुम्हारी वो ममेरी बहन दे ही देती तो कौन सा घिस जायेगा उसका? फिर इसी बहाने जान पहचान बढ़ती है। अब आगे किसी और दुकान पे टेसुये बहाये ना तो समझ लेना। तड़पा दूंगी। बस अपने से 61-62 करते रहना। बल्की वो भी नहीं कर सकते हो। मैंने तुमसे कसम ले ली है की अपना हाथ इश्तेमाल मत करना…”

और उसके बाद जिस अदा से उसने मुश्कुराकर तिरछी नजर से मुझे देखा, मैं बस बेहोश नहीं हुआ।

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उसके बाद एक बाद दूसरी दुकान।
Bap re kya irada hai guddi rani ka. Platinum card ka to pura fayda utthaya ja raha hai. Akhir marad ki kamai pe joru ka hak nahi to fir kiska hoga. Aur itne hot hot dress lie kiske lie ja rahe hai. Vo to apni nandiya ke lie le rahi aur tum?? Are fir sach me 61, 62 karoge. Mazedar update.

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