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Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Devang

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गजब का अद्भुत संभोग था,,, जमीदार की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी किस तरह का भी संभव है औरत के साथ संभव है और संभोग में इतना अत्यधिक सुख की प्राप्ति होती है यह सब जमीदार की बीवी के लिए पहली बार था वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी मदहोशी के आलम में पूरी तरह से तांगे में लेटी हुई गहरी गहरी सांसे ले रही थी,,। और रघु उसके ऊपर उसकी मदमस्त गोलाकार चुचियों पर सर रखकर अपनी लड़खड़ाती हुई सांसो को दुरुस्त कर रहा था,,,, अद्भुत और अतुल्य सुख की प्राप्ति दोनों को हुई थी एक बड़े घर की औरत की चुदाई करके रखो अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझ रहा था और भाग्यशाली था भी,,, क्योंकि रघु ऐसी औरत की चुदाई कर चुका था जिसे देखकर गांव के सभी लोग आहें भरते थे लेकिन किसी की बाहों में अब तक नहीं आ पाई थी लेकिन आज रघू की किस्मत इतनी तेज थी कि वह खूबसूरत मदमस्त यौवन से छलकती हुई औरत उसके नीचे आ चुकी थी,,,, ना तो रघु ने और ना ही जमीदार की बीवी ने कभी इस बारे में कल्पना किए थे कि उनकी जिंदगी में ऐसा पल भी आएगा कि जंगल में विराने मे अंधेरी रात के समय वह दुनिया की नजरों से बचकर अपनी जिंदगी का बेहतरीन पल बिताएंगी,,, जमीदार की बीवी के कदम लड़खड़ा चुके थे,,, अपने पति से शरीर सुख की अतृप्ती के एहसास तले दबी हुई जमीदार की बीवी रघु की संगत पाकर हवा में उड़ने लगी थी उसके अरमानों के पर लग चुके थे,,,एक जवान लड़का और एक प्यासी औरत अगर इस तरह से वीराने में मिल जाए तो स्वाभाविक तौर पर संभोग होना निश्चित होता है और वही दोनों के साथ हुआ,,,,

जमीदार की बीवी की आंखें बंद थी वह इस अद्भुत अहसास ने अपने आप को पूरी तरह से भीगो देना चाहती थी,,,उसे यह सब सपना ही लग रहा था इसलिए अपनी आंखें खोल कर इस सपने को टूटने नहीं देना चाहती थी,, लालटेन की रोशनी में उसके खूबसूरत गोरे मुखड़े पर तृप्ति का आभास साफ झलक रहा था उसकी सांसों की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही उसकी चूचियां जिसके ऊपर रघू अपना सर रख कर लेटा हुआ था उसे किसी झूले का आभास हो रहा था वह बेहद खुश नजर आ रहा था,,,,, रघू प्रताप सिंह की बीवी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,।

कैसा लगा मालकिन,,,,
( जवाब में वह बोली कुछ नहीं बस आंखें बंद किए हुए होठों पर मुस्कान ला दी,,,जो कि उसकी मौन स्वीकृति थी कि उसे भी अद्भुत एहसास हुआ है,,, लेकिन रघु उसके मुंह से सुनना चाहता था इसलिए अपना सवाल दोहराते हुए बोला,,,)

बोलो ना मालकिन कैसा लगा,,,,?
( इस बार उससे रहा नहीं गया और वह अपनी आंखें धीरे से खोल दी रघु उसे ही देख रहा था रघु से नजरें मिलते ही एकदम से शर्मा गई लेकिन फिर भी शरमाते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आया रघू,,, आज तक तेरे मालिक ने मुझे ऐसा सुख नहीं दिया,,

क्या आप सच कह रही हो मालकिन क्या मालिक,,, आपको इस तरह से शरीर सुख नहीं दे पाते,,,।

उनकी उम्र देखा है,,, तुझे क्या लगता है इस उमर में वाह तेरे जैसा जबरदस्त धक्का लगा पाते होंगे,,,। तुम नहीं जानते रघू,, मैं अपनी जिंदगी कैसे बिता रही हूं,,, मेरे भी कुछ अरमान थे लेकिन तेरे मालिक ने मेरे सारे अरमानों को धो डाला,,,,

मैं कुछ समझा नहीं मालकिन,,,,(उसके खूबसूरत चेहरे पर आई बालों की लट को अपने हाथ की उंगलियों से हटाकर कान के पीछे ले जाते हुए बोला)

यह शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई थी मैं शादी नहीं करना चाहती थी तुम तो देखे ही होगे कि मेरी उम्र में और तुम्हारे मालिक की उम्र में जमीन आसमान का फर्क है,,,,


फिर कैसे हो गई शादी मालकीन,,,,

मेरे पिताजी ने तुम्हारे मालिक से कर्जा लिया हुआ था,,, हमारी जमीन खेत खलिहान सब कुछ तुम्हारे मालिक के पास गिरवी पड़ी हुई थी,,, एक तरह से मेरे पिताजी और हम लोग तुम्हारे मालिक के बोझ तले दबे हुए थे,,, ऐसे में एक बार कर्जा का तकादा करने के लिए तुम्हारे मालिक हमारे घर आए थे और उनकी नजर मुझ पर पड़ गई 2 साल हुए थे उनकी पत्नी को गुजरे मुझ पर नजर पड़ते ही वह मेरे पिताजी से मुझसे शादी करने के लिए बोले बदले में उन्होंने सारे खेत खलियान और कर्जा माफ करने के लिए बोल दिया और मेरे पिताजी मेरे मन की सुने बिना ही हामी भर दीए,, और ना चाहते हुए भी मुझे तुम्हारे मालिक की बीवी बन कर आना पड़ा,,,,


यह तो अच्छा नहीं हुआ मालकिन,,,, तभी मैं सोचूं कि मालिक और आपकी उम्र में इतना जमीन आसमान का फर्क क्यों है,,,, तब तो सच में मालकिन आपको चुदाई का सुख बिल्कुल भी नहीं मिलता होगा,,,,( रघू जानबूझकर गंदे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए बोला,,, लेकिन इस तरह की बातों से जमीदार की बीवी को अच्छा ही लग रहा था,,, रघु की बातें सुनकर वह जवाब देते हुए बोली,,,।)

जब से मेरी शादी हुई है तब से आज जाकर मुझे खुशी मिली है,,,।

चुदवाकर,,,,(रघु फटाक से बोला उसे बड़े घर की औरत से इस तरह की गंदी बातें करने में आनंद आ रहा था,,,)

हां तुम सच कह रहे हो,,, समय के साथ साथ जिस तरह से मर्दों की इच्छा होती है उसी तरह से औरतों की भी इच्छा होती है मैं भी उनमें से अलग नहीं हुं,,,,

आप सच में बहुत खूबसूरत है मालकिन,,,,


क्या खूबसूरत है (वह ,,,मुस्कुराते हुए बोली,,)

तुम्हारा चेहरा तुम्हारी आंखें (अपनी उंगली को उसके खूबसूरत चेहरे पर इधर से उधर सरकाते हुए ) तुम्हारे लाल लाल होंठ,,,,


और क्या,,,,,( वो शरमाते हुए बोली)


तुम्हारी बड़ी-बड़ी दोनों चुचियां जो इतनी दशहरी आम की तरह मीठे रस से भरी हुई है,,,( कुछ सेकंड तक रुकने के बाद उसकी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथ से पकड़ते हुए बोला,,, वह उत्तेजना के मारे इतनी जोर से उसकी चुचियों को दबाया था कि उसके मुंह से कराहने की आवाज निकल गई,,,।)

आहहहहहहहह,,,,, और क्या खूबसूरत है,,,,

और बताऊं,,,,,

हां बताओ ,,,,(अपने होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए वह बोली,,, उसकी बात सुनकर रखो अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाते हुए बोला,,,)

और और और तुम्हारी यह रसीली कसी हुई बुर,,,,(जैसे ही रघु की हथेली उसकी बुर के ऊपर पहुंची वैसे ही उसके मुख से गरम आह निकल पड़ी,,,)

ससससहहहहईईइईईईईई,,,,,,,, रघू,,,,,
(रघु की बातों से जमीदार की बीवी एक बार फिर से गरमाने लगी थी उसे रघु का लंड जो कि झड़ने के बाद भी एकदम बडा था,,, जमीदार की बीवी को अपनी दोनों टांगों के बीच एकदम साफ लहराता हुआ महसूस हो रहा था एक बार फिर से जमीदार की बीवी के तन बदन में उमंग जगने लगी थी,,, रघु अपनी हथेली से जमीदार की बीवी की बुर को रगड़ रहा था,,,,जमीदार की बीवी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज निकलने लगी थी,,। रघु एकटक उसको देखे जा रहा था वह एकदम मदहोश हुए जा रही थी रघु की कामुक हरकत उसके बदन में उत्तेजना की लहर को एक बार फिर से बढाने लगी थी,,,उत्तेजना के मारे गर्म सांसे लेते हुए जमीदार की बीवी के होठ खुले के खुले रह गए थे,,, उसके लाल लाल रसीले होठों को देखकर,प्रभु से रहा नहीं गया और उसके लाल-लाल होठों पर अपना होठ रख कर उसके होठों का रस चूसने लगा,,,, जमीदार की बीवी मदहोश होने लगी उसके तन बदन में खुमारी छाने लगी,,, लेकिन उसे बड़ी जोरों की पेशाब लगी हुई थी दोबारा रघू का लंड उसकी बुर में जाता इससे पहले वह उसे रोकते हुए बोली,,,।

रुको रघू,,,,

क्या हुआ मालकिन,,,,


मुझे जाना है,,

इतनी रात को इस वीराने में कहां जाना है आपको,,,,


तुम समझ नहीं रहे हो मेरे ऊपर से हटो पहले(इतना कहते हुए वह खुद ही रघु को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली और रघु एक तरफ हो गया)


मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,,,(बड़ी हिम्मत दिखाते हुए वह पेशाब शब्द बोली थी,,, लेकिन इस शब्द को बोलते हुए इसके तन बदन में अद्भुत एहसास फैल गया था,,,, उसे आनंद की अनुभूति हुई थी।रघु तो उसके मुंह से पेशाब वाली बात सुनकर एकदम से दंग रह गया और पेशाब शब्द सुनते ही उसके लंड का तनाव एकाएक एकदम से बढ़ गया,,, इतना बोल कर जमीदार की बीवी अपनी साड़ी को अपने बदन पर लपेटने लगी तो रघु उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,,)

कपड़ा पहनने की क्या जरूरत है मालकिन यहां कौन सा कोई देखने वाला है,,,, और मैं तो कहता हूं नीचे उतरने की भी जरूरत नहीं है,,

नीचे उतरुगी नहीं तो पेशाब कैसे करूंगी,,,,(वह सवालिया नजरों से रघु की तरफ देखते हुए बोली)

यहीं से कर लो तांगे के ऊपर से ही नीचे उतरने की जरूरत ही नहीं है वैसे भी नीचे सांप बिच्छू सब घूम रहे होंगे अंधेरे में पता नहीं चलेगा,,,


नहीं नहीं रघूइस तरह से पेशाब करने में मुझे शर्म आएगी मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगी,,,

मेरा मोटा लंड अपनी बुर में लेकर चुदवाने में शर्म नहीं आती और मेरे सामने मुतने में शर्म आ रही है,,,।
(रघु कि यह बातें सुनते ही वह एकदम से शर्म से पानी-पानी हो गई और शरमाते हुए बोली)

नहीं मैं इस तरह से नहीं कर पाऊंगी,,,,(इतना कहते हो आप फिर से अपनी साड़ी उठाकर अपने बदन से लपेटने लगी तो रघु उसके हाथ से साड़ी खींचकर एक कोने में रखते हुए बोला,,,)

मालकिन इसकी क्या जरूरत है,,,, चलो ऐसे ही नीचे चलो मैं लालटेन लेकर चलता हूं अगर अंधेरे में जाओगी तो सांप बिच्छू के काटने का डर लगा रहेगा,,,(रघु कि यह बात उसे भी ठीक लग रही थी,,, लेकिन जिस तरह से वहां उसकी साड़ी उसके हाथों से खींचकर एक कोने में रख दिया था उसका इरादा कुछ ठीक नहीं लग रहा था इसलिए वह बोली)

मेरी साड़ी तो दे दो,,,

साड़ी की क्या जरूरत है मालकिन तुम भी नंगी में भी नंगा और यहां पर कोई देखने वाला भी नहीं है,,,(वह लालटेन को हाथ में लेते हुए बोला)
अब नीचे उतरीए मालकिन,,,,
(रघु का इरादा उसे अच्छी तरह से समझ में आ गया था लेकिन उसका यह इरादा अंदर ही अंदर उसे भी पसंद आ रहा था इसलिए वह बेझिझक टांगे से नीचे उतरने लगी एकदम नीचे रखकर एक टांग अभी भी उसकी तांगे के ऊपर थी जिससे उसकी गोलाकार गांड कुछ ज्यादा ही उभर कर बाहर की तरफ निकल आई थी,,, और यह नजारा देखकर एकदम से गरमा गया,,, और उतरते उतरते हैं उसकी भारी-भरकम गांड पर अपना हाथ रख कर सहलाते हुए बोला,,,)

वाहहहहह,,,, मालकिन क्या मस्त गांड है तुम्हारी,,,,

अरे उतरने तो दो,,,,(इतना कहकर वह नीचे उतर गई और पीछे पीछे रघु भी नीचे उतर गया लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, बड़े-बड़े पेड़ एकदम घना जंगल सब कुछ भयानक लग रहा था,,, ऐसे में दोनों एकदम नग्न अवस्था में थे जमीदार की बीवी पहली बार इस तरह से खुले में अपने वस्त्र निकालकर एकदम नंगी घूम रही थी,,, बाहर का माहौल उसे थोड़ा डरावना लग रहा था,,,, वह चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए बोली,,,)

कहां करूं कितना डरावना लग रहा है सब जगह,,,,


कहीं भी कर लीजिए मालकिन मेरे होते हुए तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है,,,,, एक काम करिए वहां झाड़ के पास कर लीजिए,,,,(5 कदम की दूरी पर इशारा करते हुए रघु बोला,,, और वहां डरते डरते आगे बढ़ने लगी जब वह चल रही थी तो उसकी मटकती हुई गांड बेहद लुभावनी लग रही थी,,, रघू यह देखकर गरम आहें भरने लगा,,, जमीदार की बीवी झाड़ी के पास जाकर तुरंत नीचे बैठ कर मुतने लगी और तुरंत उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज उसके कानों में पड़ने लगी रघु एकदम मदहोश होने लगा इस सफर के दौरान दूसरी बार था जब वह मालकिन को इस तरह से पेशाब करते हुए देख रहा था,,,, रघु का दिल फिर से जोरो से धड़कने लगा साथ ही उसकी मत मस्त जवानी को सलामी भरते हुए उसका लंड कुछ ज्यादा ऊंचाई नापने लगा,,,, उसे भी जोरों की पेशाब लगी हुई थी ऊससे रहा नहीं जा रहा था,,, जमीदार की बीवी डरते हुए पेशाब कर रही थी अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देख ले रही थी कि कहीं कोई जानवर तो नहीं आ रहा है,,,,और उसके 5 कदम पर ठीक पीछे खड़ा रघु उसकी गोलाकार गाने देखकर अपनी उत्तेजना को अपने काबू में नहीं कर पाया और वही पास की झाड़ी में लालटेन को टांग कर धीरे से उसकी तरफ आगे बढ़ा,,,और जिस तरह से वह बैठी हुई थी ठीक उसके पीछे उसी तरह से अपनी दोनों टांगों को थोड़ी कर के अपने आगे वाले भाग को उसके नितंबों पर सटाता हुआ बैठ गया,,,, रघु की इस तरह की हरकत से वह एकदम से घबरा गई उसे समझ में नहीं आया कि युं एकाएक उसके पीछे कौन आकर बैठ गया है,,,,वह समझ पाती इससे पहले ही रघु उसके कंधे को पकड़कर उसी तरह से बैठने पर मजबूर कर दिया उसकी दूर से अभी भी पेशाब की धार फूट रही थी और रघु का मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड पर दस्तक दे रहा था,,,,


क्या कर रहे हो रघु,,,,(गर्म सांसे लेते हुए वह बोली)

मुझे भी पेशाब लगी है मालकिन,,,(रघु उसके कानों पर अपनी जीभ घुमाते हुए बोला)

तो कहीं और जाकर कर लीए होते,,, इस तरह से औरतों की तरह बैठ कर मुतने का क्या मतलब है,,,,


मैं भी देखना चाहता हूं मालकिन की बैठे-बैठे तुम औरत लोग कैसे मुतत हो,,,(रघु उसी तरह से उसके कान पर चुंबन लेते हुए बोला रघु की इस हरकत से वह पूरी तरह से कामोत्तेजीत हुए जा रही थी,,, मदहोशी उसके नस नस में फैलती चली जा रही थी,,, अपना एक नीचे की तरफ लाकर उसे सीधा करते हुए ठीक उसकी बुर की आगे कर दिया,,, रघु का लंड कुछ ज्यादा ही लंबा था इसलिए आराम से उसकी बुर के आगे आ गया,,, उसकी बुर से अभी भी पेशाब की धार फुट रही थी,,, जो कि उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार सीधे उसके लंड के मोटे सुपाड़े पर पड रही थी,,, जमींदार की बीवी अपनी नजर नीचे की तरफ करके देखी तो दंग रह गई अपनी पेशाब को उसके लंड पर पडते हुए देखकर वो एकदम से मदहोश होने लगी,,, उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी,,, उसकी आंखों में खुमारी थी,,, वह अपने आप को एकदम मस्त होता हुआ महसूस कर रही थी वह प्यासी नजरों से रघु की तरफ देखी रघु भी एकदम पागल हुए जा रहा था,,, लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आया था,,, अपने होठों को अपनी मालकिन के होठों की तरफ बढ़ाया और अगले ही पल ऊसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, जमीदार की बीवी भी उसका साथ देने लगी अपना और अपनी मालकिन का आनंद बढ़ाने के लिए वह अपने मोटे तगड़े लंबे लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी मालकिन की रसीली गुलाबी बुर के ऊपर पटकने लगा,, मोटे सुपाड़े की चोट जमीदार की बीवी से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,। रघु की यह हरकत उसकी कामोत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रही थी,,,, जमीदार की बीवी की हालत खराब हुए जा रही थी,,,वह यही सोच रही थी कि अपनी बुर से निकलने वाली पेशाब की धार को और जोर से उसके लंड पर मारेलेकिन पेशाब की धार धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही थी उसकी पेशाब खत्म हो रही थी लेकिन रघु के लंड से निकलने वाली पेशाब की धार बड़ी दूर तक जा रही थी जिसे देखकर जमीदार की बीवी एकदम मस्त हुए जा रही थी एकदम से मदहोश हो चुकी थी इसलिए अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर रघु के लंड को पकड़ ली और‌ रखो एकदम मस्त होता हुआ और जोर से पेशाब करने लगा जमीदार की बीवी अब खुद प्रभु के लंड को पकड़ कर अपनी बुर के ऊपर मार रही थी और उसकी पेशाब की धार ऊपर नीचे होते हुए दूर जा रही थी,,,,, दोनों एकदम मदहोश हो चुके थे रघु थोड़ी थोड़ी देर के बाद संभोग के अध्याय का एक नया पन्ना खोल रहा था जिसमें जमीदार की बीवी को अध्ययन करने में और भी ज्यादा आनंद की प्राप्ति हुई थी जमीदार की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोचा कि किस तरह से भी आनंद प्राप्त होता है वरना पेशाब करना तो एकदम सहज बात थी,,,। रघु एकदम मस्त हुआ जा रहा था अपने दोनों हाथ ऊपर की तरफ लाकर जमीदार की बीवी के दो नेता शायरी हमको एक बार फिर से अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया और इसी के साथ ही दुगना आनंद प्राप्त करती हुई जमीदार की बीवी गरम सिसकारी की आवाज निकालने लगी,,,।

सससहहहह आहहहहहह,,,, रघु यह क्या कर रहा है तु,,, मुझे बहुत मजा आ रहा है।


मुझे भी मालकीन बहुत मजा आ रहा है,,,,,

तू बहुत छिछोरा है,,,।

तुम भी तो छिनार हो मालकिन,,,,
(अपने लिए छिनार सब्द सुनकर वह आश्चर्य से रघु की तरफ देखने लगी तो रघू अपने लंड के सुपाड़े को उसके गुलाबी बुर के क्षेंद में डालने की कोशिश करने लगा तो जमीदार की बीवी एकदम से मदहोश हो गई रघु लगातार अपने लंड कै सुपाड़े को उसकी बुर में डालने की कोशिश कर रहा था,,,, लेकिन उसका लंड का सुपारा उसके गुलाबी बुर के अंदर घुस नहीं पा रहा था,,,, इसलिए रघू उसकी बांह पकड़कर उसे उठाते हुए बोला,,,)

उठ जाओ मालकिन ऐसे घुस नहीं पा रहा है,,,,
(जब इधर की बीवी यही चाहती थी कि जल्द से जल्द उसका लंड उसकी बुर के अंदर घुस जाए इसलिए वह भी बिना किसी झिझक के खड़ी हो गई,,,, मदहोशी के आलम में वह एकदम से भूल गई कि रघु ने उसे छिनार कहा था,,, एकदम मस्त हो चुकी थी एकदम नंगी वीराने में रात के समय अपने गाड़ीवान से चुदवाने के लिए तैयार थी,,,, रघू बोला,,,)

थोड़ा झुक जाओ मालकीन,,,
(रघु की बात सुनते ही एकदम आज्ञाकारी बच्चे की तरह लेकिन सही स्थिति शायद उसे भी नहीं मालूम थी तो रघु ही उसकी पीठ पर अपनी हथेली रखकर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा और जैसे ही वह और उसकी रसीली बुर एकदम स्थिति में आई तो वह बोला,,,)

बस अब बिल्कुल ठीक है,,,,(इतना कहते हुए रघु अपना मोटा तगड़ा लंड पकड़ कर लालटेन की रोशनी में उसकी गुलाबी बुरके छेद में डालना शुरू कर दिया,,, मदन रस के बहाव के कारण जमीदार की बीवी की बुर एकदम गीली हो चुकी थी,,,इसलिए बिना अड़चन के इस बार धीरे-धीरे करके रखो का पूरा लंड एक बार फिर से उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,,, लेकिन जेसे ही रघू का लंड उसकी बुर की गहराई में पहुंचा था वैसे ही एक दर्द की मीठी फुहार उसके तन बदन को अपनी आगोश में लेकर भीगोने लगी,,,और उसके मुख से मीठी दर्द की कराह फुट पड़ी,,,।

आहहहहह रघू संभाल के,,,,

चिंता मत करो मालकिन,,, लंड पूरा बुर में घुस चुका है,,,( रघू अपने दोनों हाथों से जमींदार की बीवी की कमर को थामते हुए बोला,,, मालकिन को थोड़ा डर भी लग रहा था क्योंकि रघू के जबरदस्त धक्कों से वह अच्छी तरह से वाकीफ हो चुकी थी,,ऊसका हर एक धक्का उसके पुरे वजुद को झकझोर कर रख दिया था,,, इसलिए वह एक बार फिर से उसके धक्के को झेलने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी,,, रघू एकबार फिर से उसे चोदने के लिए तैयार हो गया था,,,)

ओहहहहह मेरी प्यारी मालकिन,,,आहहहहहहहह,,,, और इतना कहते हुए वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,, एकबार फिर से वह अपनी मालकिन को चोद रहा था,,, जमीदार की बीवी मदहोश हो गई,, रघू की चुदाई में ऊसे पहले जैसा ही सुख मिलने लगा,,,उसमें जरा भी बदलाव नहीं आया था,,,अंधेरी रात में और जंगल के ईस विराने में मालकीन और नौकर दोनों पुरी तरह से नंगे होकर चुदाई का भरपूर आनंद ले रहे थे,,,। ऊतेजना के मारे जमींदार की बीवी का गला सूखने लगा था,,, जिसे वह बार-बार अपने थुक से गीला कर रही थी,,,,,

पेड़ की टहनी पर लालटेन लटकी हुई थी जिसकी पीली रोशनी सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, रघु को अपनी किस्मत पर अपने भाग्य पर नाज हो रहा था,,, जो उसे जमीदार की बीवी चोदने की मिल रही थी,,, रघु अभी तक गांव की सभी औरतों को लेकर कल्पना कर चुका था लेकिन उसने कभी भी जमीदार की बीवी के बारे में सोचा भी नहीं था उसे अब इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो रहा था कि जमीदार की बीवी जीस तरह के खूबसूरत भरे हुए बदन की मालकिन थी उस तरह की औरत पूरे गांव में नहीं थी,,,, रघू जमीदार की बीवी की चिकनी कमर को अपने दोनों हाथों से थामे हुए था,,,। दोनों एकदम नंगे थे शायद पहली बार ही चुदाई के समय जमीदार की बीवी पूरी तरह से नंगी हुई थी वरना जमीदार कभी भी उसके पूरे कपड़े उतार कर उसके चुदाई नहीं किया था और यह बात शत प्रतिशत सच थी किजिस तरह से रघु नए-नए पेंतरे आजमा कर उसे आनंद के चरम सीमा तक पहुंचा रहा था उस तरह से कभी भी जमीदार में कोशिश भी नहीं किया था और ना ही उसे शायद इसका ज्ञान था,,,

लेकिन सारा कसर रघू पूरा कर दे रहा था शादी से लेकर अब तक जिस तरह से वह प्यासी ही अपने जीवन को बिता रही थी आज जाकर उसकी प्यास बुझी थी,,, उसके तन बदन को एक नई उमंग प्राप्त हुई थी,,, रघु अपनी मालकिन की कमर पर थामे गचा गच पेल रहा था,,, उस वीराने में जंगल के बीचो-बीच अंधेरी रात में इंसान की मौजूदगी नामुमकिन थी लेकिन जानवरों की आवाज पंछियों की आवाज से पूरा माहौल गूंज रहा था बड़ा ही भयानक माहौल था लेकिन ऐसे में जिस तरह से दोनों एक दूसरे का साथ देते हुए संभोग क्रिया में लिप्त हो चुके थे उन्हें इस बात का बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ रहा था कि उन दोनों घर में है या इस वीराने में,,,, प्रभु का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से जमीदार की बीवी के बच्चेदानी से टकरा रहा था और जब जब रघु का मोटा तगड़ा लंड का सुपाड़ा बच्चेदानी से टकराता तब तक जमीदार की बीवी के चेहरे का हाव भाव बदल जाता,,,, जमीदार की बीवी के रेशमी बाल जुड़ों में बंधे हुए थे,,,जिसे रघु अपने हाथ से खोल कर उसके रेशमी बालों को एकदम खोल दिया,,, शीतल बह रही हवा में उसके रेशमी बाल लहरा रहे थे जिसे रघु अपने हाथ से पकड़ कर अपनी कमर जोर जोर से हिला रहा था ऐसा लग रहा था कि मानव जैसे घोड़ी पर सवार होकर सपनों की दुनिया में घूम रहा हो और उसकी लगाम उसके हाथों में हो,, जमीदार की बीवी को यहां चुदाई बड़ा ही आनंददायक प्रतीत हो रहा था,,,,रघु के मर्दाना अंग कि वह पूरी तरह से दीवानी हो चुकी थी एक तरह से वह उसकी गुलाम बन चुकी थी,,,,

आहहहह आहहहहहह रघू,,,,आहहहहहहह,,, बड़ा दम है तुम्हारे लंड में रघू,,,,,आहहहहहह,,,,,


तुम्हारी बुर में भी तो बहुत दम है मालकिन तुम्हारी बुर ईतनी कसी हुई है कि लगता ही नहीं की,,, तुम्हारी है,,,,

फिर कैसी लगती है रघू,,,,,


ऐसा लगता है मालकिन की किसी जवान लड़की की है,,,,

सच में ऐसा लगता है,,,,,।

हां आपकी अपनी कसम ऐसा ही लगता है,,, जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर के अंदर रगड़ रगड़ के जाता है तो बहुत मजा आता है,,,

मुझे भी रघू,,,,,


सच में मालकीन,,,,


हां रे मैं सच कह रही हूं,,,( सुखी हुई पेड़ की टहनी पकड़े हुए बोली,, बस फिर क्या था रघु और ज्यादा जोश में आ गया और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर एक बार फिर से जमीदार की बीवी के लटक रहे दशहरी आम को दोनों हाथों में थाम कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया जमीदार की बीवी की मोटी मोटी गांड से रघु की जांघे टकरा रही थी और उनमें से अद्भुत ठाप की आवाज आ रही थी,,। झुके झुके जमीदार की बीवी की कमर दुखने लगी थी लेकिन जुदाई के अद्भुत सुख की आगे कमर का दर्द कोई मायने नहीं रखता था।

धीरे-धीरे दोनों चरम सुख के करीब बढ़ते जा रहे थे देखते ही देखते जमीदार की बीवी के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज आना तेज हो गई और उसके बुर की अंदरूनी मांसपेशियां अकड़ने लगी थी जिससे उसका दबाव रघू के लंड पर बढ़ता जा रहा है,,, रघु समझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए अपने धक्के को तेज कर दिया,,
आखिरकार एक बार फिर से दोनों अपना गर्म लावा एक दूसरे के अंगों में उड़ेलते हुए झड़ गए,,,।
Behtareen update
 

Devang

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रघु जमीदार की बीवी की दो बार ले चुका था,,, झाड़ियों पर लालटेन को लटका कर उसकी पीली रोशनी में जमीदार की बीवी की जमकर चुदाई करने पर उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी और जमीदार की बीवी भी रघु की जबरदस्त घमासान चुदाई से एकदम तृप्त हो चुकी थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी किअपने से आधी उम्र के लड़के के साथ उसे संभोग करना पड़ेगा और उस संभोग से वह एकदम तृप्त हो जाएगी,,,, जिस तरह से रघू ने उसे पेशाब करते हुए अद्भुत सुख की प्राप्ति कराया था,,, यह सब जमीदार की बीवी को एकदम कल्पना की तरह लग रहा था कोई सपना की तरह वह अभी भी विश्वास नहीं कर रही थी कि जो कुछ भी हुआ वह हकीकत हां उसे सब कुछ सपना ही लग रहा था,,,।
जमीदार की बीवी अपनी ऊखती हुई सांसो को दुरुस्त करके तांगे की तरफ जाने लगी तो रघु पलक झपकते ही उसे उठाकर अपनी गोदी में ले लिया,,, रघु की इस हरकत से वो एकदम से हड़बड़ा गई,,,।

अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, छोड़ मुझे,,, मुझे नीचे उतार गिर जाऊंगी,,,।


ऐसे कैसे गिर जाओगी,,,, मालकिन तुम मेरे हाथों में हो और मैं तुम्हें गिरने दूंगा ऐसा कभी सपने में भी नहीं हो सकता,,,
(रघु की बात सुनकर उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,और वह झूठा गुस्सा दिखाते हुए उसकी चौड़ी छाती पर मुक्का मारने लगी,,,)

तू बहुत शैतान है,,,,।

हां हूं लेकिन सिर्फ तुम्हारे लिए,,,,(झाड़ी पर टंगी हुई लालटेन को एक हाथ से उतार कर अपने हाथ में लेते हुए)
अगर सोचो मैं शैतान ना होता तो आज मैं तुम्हारी दो बार ले,ना चुका होता,,,(इतना कहते हुए रघु उसे गोद में उठाए हुए तांगे की तरफ ले जाने लगा,,, और दो बार लेने की बात सुनकर,, जमीदार की बीवी एकदम से शर्मा गई,,,)सच मालकिन इस उम्र में भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है एकदम जवान लड़की की तरह,,,,, लेकिन मालकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आ रही है,,,

कौन सी बात,,,

यही कि इस उम्र में भी तुम्हारी बुर ईतनी कसी हुई क्यों है,,,
(रघु कि यह बात सुनकर आप एक बार फिर से जमीदार की बीवी शर्मा गई,,, वह बोली कुछ नहीं तो रघू फिर से अपनी बात को दोहराते हुए बोला,,)

बोलो ना मालकिन क्या कारण हो सकता है इसका,,, कहीं मालिक के छोटे और पतले लंड की वजह से तो नहीं,,,
(रखो कि इस तरह की बेलगाम गंदी बातें जमीदार की बीवी के तन बदन में हलचल मचा रही थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह की कोई गंदी बातें उससे करेगा,,, और वह भी उसकी उम्र के आधे उम्र के लड़के के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह और ज्यादा शर्म से गड़ी जा रही थी,,) बोलो ना मालकिन खामोश क्यों हो,,,
(रघु तांगे के करीब पहुंचकर तांगे पर उसे अपने हाथों से बैठाते हुए बोला,,, जमीदार की बीवी के पास जवाब दो था लेकिन वह जवाब देने में शर्मा रही थी फिर भी दो दो बार अपने से आधी उम्र की लड़की के साथ चुदाई करवा कर और वह भी एकदम गंदे तरीके से वह थोड़ा बहुत खुल चुकी थी,,, इसलिए इत्मीनान से तांगे में बैठे हुए वह बोली तब तक रघुवीर तांगे के अंदर जाकर बैठ चुका था,,,।)

जो तुम कह रहे हो एक कारण वह भी है लेकिन सबसे बड़ा कारण यह है कि अभी तक मेरी गोद हरि नहीं हो पाई है,,,

मतलब मैं कुछ समझा नहीं,,,(रघु आश्चर्य जताते हुए बोला)

अरे बुद्धू मतलब कि मैं अभी तक मां नहीं बन पाई हूं,,,(रघु के सिर में ठोकते हुए बोली,,,)

ओहहहह,,, मतलब कि तुमने अभी तक किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया,,,,।


लेकिन मालकिन ऐसा क्यों हुआ,,, शादी के बाद तो सभी लड़कीया मां बन जाती है तो तुम क्यों नहीं,,,।


शायद तुम्हारे मालिक की उम्र कुछ ज्यादा ही हो चुकी है वह बाप बनने के लायक नहीं रह गए,,,,।( वह उदास होते हुए बोली)

मालकिन,,, कहीं तुम मेरी चुदाई से मां बन गई तो,,,
( रघु की यह बात सुनते ही वह,, रघु की तरफ देखने लगी और अपने होठों पर मुस्कान लाते हुए बोली,,)

धत्,,,, 1 दिन की चुदाई से थोड़ी होता है,,,,


तो,,,,


बार बार करने से होता है,,,,,( जमीदार की बीवी यह बात जानबूझकर बोली थी क्योंकि वह रघु के लंड की दीवानी हो चुकी थी,,, और वह रघु से बार-बार चुदवाने की लालसा मन में जगा चुकी थी,,, जमीनदार की बीवी की बात सुन कर रघू बोला,,,)

मैं बार-बार तुमको कर सकता हूं,, लेकिन मौका मिलेगा या नहीं,,,,
(रघु की यह बात सुनकर जमीदार की बीवी मुस्कुराती और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

यह तो घर पर पहुंचने के बाद पता चलेगा कि मौका मिलेगा या नहीं,,,, अब हमें सो जाना चाहिए काफी रात हो चुकी है,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार की बीवी लेट गई और रघु भी उसे अपनी बाहों में लेकर सो गया,,, सुबह पंछियों की मधुर आवाज के साथ दोनों की नींद खुली तो दोनों एक दूसरे को देखकर एकदम दंग रह गए क्योंकि दोनों एक दूसरे के जवानी मदहोशी में इस कदर खो गए थे कि कपड़े पहने बिना ही एकदम नंगे ही एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल कर सो गए थे,,,, जमीदार की बीवी एकदम हड़बड़ाहट दिखाते हुए उठी और अपने कपड़े पहनने लगी,,, सुबह हो चुकी थी लेकिन इस जंगल में आदमी का नामोनिशान नहीं था चारों तरफ जंगल ही जंगल बड़े-बड़े पेड़ हरियाली बस यही थे और कुछ नहीं,,, जब जमीदार की बीवी अपने ब्लाउज का बटन बंद कर रही थी तो रघु के मन में शरारत सूझी और वह जमीदार की बीवी को बोला,,,)

मालती मैं सोच रहा था कि घर पहुंचने पर भी मौका मिलेगा या नहीं,,,,लेकिन इस समय तो हमारे पास मौका है इस जंगल में कोई देखने वाला भी नहीं है,,,(रघु की बात का मतलब जमीदार की बीवी अच्छी तरह से समझ रही थी,,, और वह मुस्कुराते हुए बोली,,)

तेरा इरादा क्या है,,,,

इरादा तो मेरा एकदम साफ है,,, तुम्हारी मस्त चूचियों को देखकर एक बार फिर से मेरा लंड खड़ा हो गया है,,,

तो,,(रघु की तरफ आंख दिखाते हुए बोली,,,, जो रघु चाह रहा था वही जमीदार की बीवी भी चाह रही थी उसके मन में भी यही था कि घर पर पहुंचने के बाद मौका मिले ना मिले यहां पर मौके का फायदा उठा लेना चाहिए,,,)

तो क्या माल कि मैं एक बार फिर से तुम्हारी यही पर ले लेना चाहता हूं,,,


तो इसमें मुझे क्या करना होगा,,,,(अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली)

ज्यादा कुछ नहीं बस अपनी घुटनों के बल झुक जाना होगा बाकी का काम मैं संभाल लूंगा,,,,(रघु एक बार फिर से अपने पजामे को उतारते हुए बोला,,, और पैजामा के ऊतरते ही एक बार फिर से सुबह-सुबह रघु के खड़े मोटे तगड़े लंड के दर्शन करके जमीदार की बीवी एकदम से मस्त हो गई,,,,)

तुम मानोगे नहीं,,,,


अगर मानना होता तो,,,, तुम्हारी दो बार चुदाई ना कर चुका होता,,,,,
(रघु की बात सुनकर जमीदार की बीवी हंसने लगी और हंसते हुए,,, अपने घुटने और हाथों की कोहनी के बल तांगे के अंदर ही झुक गई,,, और रघू मौका देखते ही अपने दोनों हाथों से उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाकर कमर पर लाकर रख दिया जमीदार की बीवी की बड़ी-बड़ी मदमस्त गोलाकार तरबूज जेसी गांड देखकर रघु का लंड और ज्यादा कड़क हो गया और एक बार फिर से वह जमीदार की बीवी के गुलाबी छेद में समा गया,,,, एक बार फिर से थाने के अंदर हो रही घमासान चुराई से पूरा जंगल गर्म सिसकारीयो से गूंजने लगा,,,,
रघु तांगा लेकर जमीदार की बीवी के घर पहुंच चुका था जमीदार की बीवी का घर एकदम कोठी की तरह लग रही थी बहुत खूबसूरत बनी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जल्द ही बनाई गई है जो कि हकीकत में जमीदार ने ही बनवाया था,,,, घर के आगे ताना के रुकते ही सबसे पहले एक बेहद खूबसूरत लड़की भागते हुए आई,,,,)

दीदी दीदी तुम आ गई दीदी,,,,,

हां रानी मैं आ गई,,,,
(उस लड़की का नाम रानी था यह जानकर रघु के दिल में कुछ कुछ होने लगा क्योंकि वह लड़की जो कि जमीदार की बीवी की छोटी बहन की बेहद खूबसूरत एकदम राजकुमारी की तरह रघु तो उसे चोर नजरों से देखता ही रह गया,,,)
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Devang

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प्रताप सिंह की बीवी अपने मायके पहुंचकर बहुत खुश नजर आ रही थी,,, तांगे पर से उतरते ही उसकी छोटी बहन रानी दौड़ते हुए उसके पास आई थी और उसके गले लग गई थी,,, दोनों के मिलन से कहीं ज्यादा रानी की खूबसूरती रघु के दिल में उतर गई थी जब वह अपनी बहन से गले मिल रही थी तो रघु तिरछी नजरों से रानी के खूबसूरत बदन के संपूर्ण भूगोल का अपनी नजरों से जायजा ले रहा था,,, पहली नजर में ही कुर्ती में कैद उसके दोनों कबूतरों और नितंबों के उभार के बारे में पता लगा लिया था कुल मिलाकर रानी पूरी तरह से आनंद और जवानी से भरपूर थी जिसका रस पान करने के लिए रघु अपने मन में योजना बनाने लगा था क्योंकि मैं जानता था कि पांच सात दिन तक यहां पर रुकना ही होगा तब तक रघु का जुगाड़ कुछ ना कुछ बैठ ही जाएगा,,,
तांगे में रखा हुआ सामान उठाकर उसकी छोटी बहन रानी घर में ले जाने लगी तो जमीदार की बीवी रघु को भी अंदर आने के लिए बोली,,,,, रघु घर के बाहर ही एक अच्छी सी जगह घने पेड़ की छांव देखकरटांगे को खड़ा किया और घोड़े को हटाने से खोलकर उसे पेड़ से बांध दिया और उसके आगे ढेर सारी हरी घास रख दिया,,,,जमीदार की बीवी घर में उसकी छोटी बहन और उसकी मां और बाबू जी के सिवा और कोई नहीं था कुल मिलाकर घर में चार लोग ही थे,,,, और चार लोगों के हिसाब से कोठी कुछ ज्यादा ही बड़ी और बेहद सुख सुविधा से भरपूर थी,,,,।
रास्ते की थकान की वजह से रघु नहा धोकर एकदम तैयार हो गया और जलपान करने के बाद उसे एक अलग कमरा दे दिया गया था जो कि जमीदार की बीवी जानबूझकर अपने कमरे के बगल वाला ही कमरा उसके लिए मुहैया कराई थी,,, उसमें जाकर आराम से सो गया,,।

दूसरी तरफ उसकी बहन शालू के साथ-साथ उसकी मां को भी रघु की बेहद याद आ रही थी शालू को तो अपने भाई के मोटे तगड़े लंड की आदत पड़ चुकी थी इसलिए अपनी भाई की गैरमौजूदगी में उसे अपनी बुर में कुछ ज्यादा ही खुजली महसूस होने लगी थी,,,, और उसकी मां कजरी जब से अपने बेटे के मोटे तगड़े लंबे लंड का दीदार अपनी आंखों से हुई थी तब से उसकी आंखों में बिल्कुल भी चैन नजर नहीं आता था,,, बार-बार उसका मन अपने बेटे के लंड को देखने के लिए मचल उठता था,,,। बार-बार अपने बेटे के बारे में सोच कर उसकी बुर गीली हो जा रही थी,,, कजरी इससे पहले कभी भी अपने आप को इस तरह से बेचैन और विचलित होते हुए नहीं महसूस की थी लेकिन अब उसका मन कहीं भी नहीं लगता था,,, बार-बार उसके बेटे के साथ जाने अनजाने में हुए हादसे के बारे में वह सोचने लगी थी किस तरह से वह खेत में जब पेशाब करने के लिए बैठी थी तो उसे घूर घूर कर देख रहा था इसलिए वह उसे खरी-खोटी सुनाई भी थी,,, और गुड रखते समय किस तरह से अपने आप ही उसकी पेटिकोट छुट कर नीचे गिर गई थी और वह अपने बेटे के सामने एकदम नग्न अवस्था में आ गई थी,,, और रघु किस तरह से उसे अपनी आंखों के सामने एकदम नंगी देखकर पागलों की तरह मुंह फाड़े उसे घूरते जा रहा था,,,,, वह सब पल याद करके उसे रघू की याद बहुत आ रही थी,,,हालांकि वह अपने मन में इस तरह के गंदे ख्याल आना नहीं चाहती थी लेकिन उसका मन इस तरह के ख्याल अपने अंदर लाने से मान भी नहीं रहा था,,,,,
दूसरी तरफ सालु अपनी टांगों के बीच खुजली महसूस कर रही थी,,, उसे रघू याद आ रहा था,,, रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड याद आ रहा था,,,, जिस तरह से वह बेरहमी से अपना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर में डालकर जोर जोर से धक्के लगाता था उस पल को याद करके वह एकदम पानी पानी हुए जा रही थी,,,,। रघु की गैरमौजूदगी में उसे बिरजू से मिलने की ललक जाग रही थी,,,, और वह बिरजू से मिलने के लिए आम के बगीचे में जा पहुंची उसे मालूम था कि बिरजू वहीं पर होगा,,,, शालू को देखते ही बिरजू एकदम खुश हो गया,,,, दोपहर का समय था कड़ी धूप गांव वालों को घर से निकलने से रोक रही थी इसलिए सभी लोग घर में आराम कर रहे थे,,, इसलिए शालू को किसी बात की चिंता नहीं थी,,,बिरजू को देखकर उसके भी चेहरे पर प्रसन्नता के भाव दिखाई देने लगी,,,,अपनी मम्मी यही सोच रही थी कि रघू ना सही आज बिरजू से ही काम चला लेगी,,,,इसलिए वह अपने मन में ठान कर आई थी कि आज बिरजू को वह कुछ भी करने से बिल्कुल भी नहीं रोकेगी,,,, बिरजू भी आज शालू से करीब करीब 10 दिनों के बाद मिल रहा था,,,इसलिए शालू को देखते ही वह सालु की तरफ आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया,,,, शालू भी मर्दाना बाहोंकी गर्मी अपने तन बदन में महसूस करते ही एकदम गरम होंगे लेकिन वह पहले से ही तय कर ली थी कि बिरजू को बिल्कुल भी नहीं रुकेगी लेकिन फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए बोली,,,।

हाय दैया क्या कर रहे हो छोड़ो ना,,,,

नहीं छोडूंगा मेरी जान आज तो बिल्कुल भी नहीं छोडूंगा 10 दिनों के बाद आज तुम मुझसे मिलने आई हो इसका हर्जाना तो तुम्हें भरना पड़ेगा,,,,


कैसा हर्जाना,,,,(शालू शरमाते हुए बोली)

वही हर्जाना जो एक मर्द औरत के साथ करता है,,,।

पागल हो गई हो क्या शादी के बाद कर लेना अभी कुछ भी नहीं,,,,और हां अभी तक तो तुमने अपने पिताजी से शादी के बारे में बात भी नहीं किए हो मैं कैसे मान लूं कि तुम मुझसे ही शादी करोगे,,,

कर लूंगा मेरी जान मैं जानता हूं पिताजी मेरी बात कभी नहीं टालेंगे मेरी खुशी के लिए मेरी बात जरूर मान लेंगे,,,


तुम्हें पूरा यकीन है कि तुम्हारे पिताजी मान जाएंगे,,,


पूरा यकीन है मेरी जान तभी तो आज तुमसे प्यार करने का मन कर रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू एक बार फिर से उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और शालू उसे एक बार फिर से छुड़ाते हुए बोली,,),,,

नहीं नहीं यह सब शादी के बाद मुझे शर्म आती है,,,,


अपने होने वाले पति से कैसी शर्म मेरी रानी आ जाओ मेरी बाहों में,,,(और इतना कहने के साथ ही बिरजू जबरदस्ती करते हुए शालू को अपनी गोद में उठा लिया और उसे उठाकर उस बगीचे में बनी घास फूस की झोपड़ी में ले जाने लगा,,,,)

अरे मुझे छोड़ो नीचे उतारो कहां ले जा रहे हो बिरजू,,,,

शादी के पहले सुहागरात मनाने मेरी रानी,,,,


नहीं नहीं रघु ऐसा मत करो किसी को पता चल गया तो,,,


अरे किसी को भी पता नहीं चलेगा तुम डरो मत,,,(शालू भी तो यही चाहती थी और ज्यादा ना नुकुर नहीं करना चाहती थी वरना उसका बना हुआ काम बिगड़ सकता था उसकी बुर में तो चींटियां रेंग रही थी,,, और बिरजू झोपड़ी में ले जाकर उसे सूखी घास के ढेर में लगभग लगभग फेंक दिया घास के ढेर में शालू को तो चोट बिल्कुल भी नहीं लगी,,, बिरजू हंसने लगा और हंसते हुए अपना कुर्ता उतारने लगा,,, हालांकि वह अभी अपना पजामा नहीं उतारा था,,, बिरजू का भी बदन गठीला था,,, शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, बिरजू आगे बढ़ा और शालू की कमीज पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाते हुए उतारने लगा,,, शालू गर्म होने लगी थी इसलिए उसका बिल्कुल भी विरोध नहीं की जैसे ही कमीज उसके बदन से अलग हुई बिरजू तो शालू की मदमस्त गोल-गोल सूचियों को देखकर एकदम मदहोश होने लगा और वह बिना एक पल भी गवाएअपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर ऊसके दोनों कबूतरों को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया,,,, मर्द तो आखिर मर्द होते हैं बिरजू भी कम नहीं था वह भी पूरी तरह से दम लगा कर शालू की चूचियों को दबा रहा था,,,शालू के मुंह से दर्द से कराहने के साथ-साथ मस्ती भरी सिसकारी की आवाज भी फुटने लगी थी,,, बिरजू पहली बार शालू के साथ एकदम खुले तौर पर उसके बदन से खेल रहा था उसे मजा आ रहा था वह पागल हुए जा रहा था उसे लगने लगा था कि आज वह शालू की बुर अपना लंड डालकर अपनी जवानी का खाता खोल लेगा,,,,,

ओहहहहह,,,, बिरजू आराम से दबाओ दर्द हो रहा है,,,
(बिरजू कहां सुनने वाला था उसे तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई थी वह पागलों की तरह सालु की मदमस्त चूचियों से खेल रहा था,,, जी भर के चुचियों से खेलने के बाद,, वह एक हाथ नीचे की तरफ लाकर शालू की सलवार की डोरी को खोलने लगा,,, लेकिन इस बार जानबूझ कर वह उसका हाथ पकड़ते हुए बोली,,,।

नहीं नहीं रघू अभी रहने दो शादी के बाद कर लेना,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं आज तो मैं नहीं रुकने वाला,,,( और इतना कहने के साथ ही वह सालू का हांथ पकड़कर झटक दिया और तुरंत उसके सलवार के नाड़े को खोलकर एक झटके में उसकी सलवार को उसकी पतली चिकनी टांगों से खींच कर अलग कर दिया,,, बिरजू की आंखों के सामने जवान शालू एकदम नंगी थी वह शर्मा रही थी,,,अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को छुपाने के लिए अपनी दोनों जांघों को आपस में सटा रखी थी,,, जिसे अपने दोनों हाथों से अलग करते हुए बिरजू बोला,,)

मेरी जान मुझे देखने तो दो तुम्हारी बुर कैसी है,,,
(सालू ज्यादा बातें नहीं बनाना चाहती थी इसलिए अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,, बिरजू तो शालू की चिकनी बुर को देखते ही एकदम पागल हो गया ,,, पहली बार वह शालू की बुर को देख रहा था और पहली बार ही वह किसी लड़की की बुर की रचना से अवगत हो रहा था वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा था उसकी आंखें फटी जा रही थी शालू यह देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, बिरजू के हाव भाव देखकर और अपनी मदमस्त जवानी की गर्मी से मदहोश होकर शालू के मुंह से आखिरकार निकल ही गया,,,।


चाटो राजा,,,,,( शालु तुरंत अपने आप को संभाल ली और इसके आगे कुछ नहीं बोली,,,वह तो बिरजू इतना चालाक नहीं था कि शालु की बात को पकड़ पाता,,वो तो शालु की मदहोश जवानी में चुर हो चुका था,,, इसलिए शालु की चाटने वाली बात को मानते हुए वह शालु की टांगों के बीच आ गया,,,बुर चटाई वह पहले भी देख चुका था और वह भी अपनी नई जवान मां और पिताजी के कमरे में,,, इसलिए इस बात का उसे पता था कि औरतों की बुर को चाटा जाता है,,,, बिरजू के लिए यह पहली बार था,,,इसलिए वह टुट पडा,,, अनुभव का आभाव था लेकिन फिर भी शालू को मजा आ रहा था,,,।वह पानी पानी हुई जा रही थी,,, कुछ देर बुर चाटने के बाद,, बिरजू खड़ा हुआ और अपना पजामा उतार दिया,,, बिरजू एकदम नंगा था,,,शालु उसके लंड को प्यासी नजरों से देखे जा रही थी,,, रघू के बमपिलाट लंड की तरह तो बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी कामचलाउ था,,, दोनों आम के बगीचे में बनी झोपड़ी में एकदम मदहोश हो चुके थे,,, बिरजू नादान था,,उसे मालुम नहीं था कि कैसे कीया जाता है लेकिन फिर भी बिरजू था तो एक मर्द ही,,, इसलिए जैसे तैसे करके वह शालु की दोनों टांगों के बीच जगह बना लिया,,, शालू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,उसे यकीन था कि चुदाई का प्यासा बिरजू ऊसकी जमके चुदाई करेगा,,और रघू की कमी ईस समय महसूस नहीं होने देगा,,,,, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था रघु के लिए इतना आसान था साले की मदहोश मत मस्त जवानी से भरपूर सील को तोड़ पाना इतना आसान बिरजू के लिए बिल्कुल भी नहीं था कि अपना लंड उसकी गरम बुर में डालकर कुछ देर तक टिक पाए बल्कि वह तो जैसे ही,, सालु की दोनों टांगों के बीच जगह बना कर जैसे ही अपने खड़े लंड को उसकी मदमस्त गर्म जवानी के केंद्र बिंदु उसकी बुर के ऊपर अपने लंड का सुपाड़ा छुआया भर था कि उसके लंड में पिचकारी फेंक दिया जिससे उसके लंड की पिचकारी सीधे उसके चिकने पेट पर जाकर गिरने लगी,,,, बिरजू की हालत को देखकर शालू एकदम से क्रोधित हो गई और बिरजू भी एकदम शर्मिंदा हो गया वह दोबारा अपने लैंड को खड़ा करने की भरपूर कोशिश करता रहा लेकिन डर और शर्मिंदगी की वजह से उसका लंड दोबारा खड़ा हुआ ही नहीं,,,, और शालू गुस्से में उसके ही पहचानी से उसका गिरा लावा साफ करके अपने कपड़े पहन कर झोपड़ी से निकलते हुए गुस्से में बोली,,,

तुम से कुछ नहीं होने वाला,,,,(पर इतना क्या करवा चली गई बिरजू में भी अब बिल्कुल भी ऊसे रोकने की ताकत नहीं बची थी,,,,,
और दूसरी तरफ जमीदार के ससुराल में जमीदार की बीवी शाम ढलने के बाद रानी को रघु को उठाने के लिए भेजी,,, क्योंकि थकान के मारे रघु अभी तक सो रहा था)
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Devang

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शाम धीरे धीरे ढल रही थी,,, रघु एकदम बेसुध होकर चारों खाने चित बिस्तर पर ढेर पड़ा था,,,, प्रताप सिंह की बीवी सुमन अपनी छोटी बहन रानी को उसे जगाने के लिए भेज दी थी,,, थोड़ी ही देर में रानी रघु जहां पर सो रहा था उस कमरे के पास पहुंच गई,,, दरवाजा खुला हुआ था रानी को लगा कि शायद रघू जाग गया होगा,,, वह दरवाजे पर खड़ी होकर आवाज लगाई,,,

ओ तांगे वाले भैया,,,, उठ गए कि अभी तक सो रहे हो,,,,(रानी कमरे के अंदर देखे बिना ही बोली क्योंकि वह बहुत ही सीधी-सादी और नेक दिल की लड़की थी इस तरह से किसी के कमरे में झांकना उसकी फितरत में बिल्कुल भी नहीं था,,,दो तीन बार आवाज लगाई लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आ रही थी तब उसे ऐसा लगा कि शायद वह सो रहा होगा इसलिए उसे जगाने के लिए कमरे में दाखिल होते हुए बोली,,,)

ओ तांगे वाले भैया सुनते हो,,,(कमरे में प्रवेश करते ही उसकी नजर बिस्तर पर पड़े रघु पर पड़ी क्योंकि पीठ के बल चारों खाने चित होकर सो रहा था दोनों हाथ पहले हुए और पैर भी फैला हुआ है ऐसा लग रहा था कि जैसे नशा करके सोया हो,,,, रानी उसे जगाने ही वाली थी कि उसकी नजर उसके पजामे में बनेतंबू पर पड़ा और वह उसे देखकर आश्चर्यचकित हो गई इस तरह का नजारा वह पहली बार देख रही थी शादी लायक हो चुकी थी इसलिए उसे इतना तो पता ही था कि पजामें मैं बना तंबू क्या होता है,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया वह उसे एकटक देखती ही रह गई,,, पल भर में ही रानी का दिल जोरो से धड़कने लगा,,, एक अजीब सा एहसास उसके तन बदन को झकझोरने लगा,,,अब ऊसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसे हालात में रघु को जगाना चाहिए कि नहीं जगाना चाहिए,,,, और वह झट से फैसला ले ली,, इस हालत में उसे वह करीब से जगाना नहीं चाहती थी,,,,,, क्योंकि वह यह सोच रही थी कि अगर इस हालत में वह उसे चलाती है तो जागने के बाद उसे अपने स्थिति का एहसास होगा और वह जानकर ना जाने उसके बारे में क्या क्या सोचेगा इसलिए वह कमरे से बाहर निकल गई और दरवाजे पर दस्तक देने लगी थोड़ी ही देर में दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज को सुन कर रखो कि नींद टूट गई और वह दरवाजे की तरफ देखा तो बहुत ही खूबसूरत लड़की खड़ी थी जिसका नाम रानी था यह बात उसे यहां पहुंचने पर ही पता चल चुकी थी उसे देखते हैं उसके फोटो पर मुस्कान आ गई और वह मुस्कुराता हुआ बोला,,,।

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद,,,,

किस लिए,,,,

मुझे जगाने के लिए,,,,


कोई बात नहीं नीचे आ जाओ दीदी बुला रही थी,,,,

ठीक है आप चलो मैं आता हूं,,,,
(रानी जा चुकी थी बिस्तर पर बैठा बैठा रघु उसके बारे में सोच रहा था,,,, रानी को वह भोगने की फिराक में था,,,वैसे भी अब रघू की फितरत बन चुकी थी कि जिस औरत के संगत में वह आता था उसे चोदने का पूरा मन बना लेता था,,, फिर चाहे वह हलवाई की बीवी हो या अपने ही दोस्त रामू की मां या फिर अपनी खुद की सभी बड़ी बहन इन तीनों को तो वह चोद चुका था लेकिन अब उसका मन रामू की दोनों बहने उनके साथ साथ अपनी खूबसूरत मां कजरी को चोदने की फिराक में था,,,, प्रताप सिंह की बीवी को तो वह अपने नीचे ले चुका था,,,, अब उसका दिन उसकी छोटी बहन रानी पर आ चुका था,,, अब देखना यह था कि रानी को अपने नीचे लाने मे रघू को कितना समय लगता है,,,।
आलस मरोड़ करवा बिस्तर पर से खड़ा हुआ है और सीढ़ियों से होता हुआ नीचे की तरफ आ गया,,, उसे हाथ मुंह धोना था इसलिए हेड पंप के पास चला गया,,, हेडपंप के थोड़ी ही दूर पर रानी अपना काम कर रही थी,,, उसकी पीठ रघू की तरफ थी लोगों की प्यासी नजर उसके गोल गोल नितंबों पर घूमने लगे उसके मुंह में पानी आ रहा था,,, वह हेडपंप चलाने के बहाने रानी को बुलाया और रानी भी उसकी मदद करते हुए हेडपंप चलाने लगी,,,, जैसे ही रानी थोड़ा सा नीचे झुककर हेड पंप के हत्थे को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू की वैसे ही रघु की प्यासी नजरें झुकने की वजह से उसके दोनों नारंगी ऊपर चली गई जो कि कुर्ती में से थोड़ी थोड़ी नजर आ रही थी,,,,,, रानी के संतरे अभी पूरी तरह से तैयार नहीं थे,,, इस बात का अंदाजा रघु को लग गया था क्योंकि वह तो उसकी बड़ी बहन के खरबूजे से खेलता आ रहा था,,,,फिर भी रघु को इस बात से संतोष था कि जो कुछ भी हो रानी की गर्म जवानी से खेलने में बहुत मजा आने वाला है लेकिन कैसे अभी इसका प्लान उसके पास बिल्कुल भी नहीं था,,,,

हाथ मुंह धोकर रघु बरामदे में पहुंच गया जहां पर प्रताप सिंह की बीवी और उसके माता-पिता बैठे हुए थे जोकी रघु को देखते ही,,,, उसका स्वागत करते हुए बोले,,,,।

आओ आओ बेटा,,,, आओ इधर कुर्सी पर बैठो,,,,

रघु जमीदार के बीवी के माता-पिता को नमस्कार करके कुर्सी पर जाकर बैठ गया,,,,।

अरे रानी,,,, पानी और मिठाई लेते आना तो,,,,

इसकी क्या जरूरत है बाबूजी,,,,

अरे नहीं नहीं बेटा पहली बार तुम यहां पर आए हो और वह भी हमारे दामाद के घर से तो इतनी तो सेवा भाव बनता ही है,,,,।
(सुमन अपने माता-पिता की बातें सुनकर रघु की तरफ देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,, उसके मन में कुछ और ही चल रहा था शाम ढल चुकी थी रात अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ती जा रही थी तो कुछ ही घंटों में सबसे नजरें बचाकर वह रघु से एकाकार होना चाहती थी,,, थोड़ी ही देर में रानी एक हाथ में मिठाई की प्लेट और ठंडा पानी का भरा जग लेकर हाजिर हो गई,,,।)

लीजिए बाबूजी,,,(टेबल पर पानी का जग और मिठाई की प्लेट रखते हुए बोली,,,)

अरे मुझे नहीं खाना है मिठाई मेहमान को खिलाओ,,,,
(इतना सुनते ही रानी टेबल के ऊपर झुके हुए ही मिठाई की प्लेट उठाकर रघु की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली)

लीजिए मेहमान जी,,, मुंह मीठा कीजिए,,,,(मिठाई को उठाते हुए रघु की नजर एक बार फिर से झुकने की वजह से उसकी कुर्ती में से झांक रहे उसके दोनों संतरो पर चली गई,, लेकिन इस बार रघु की किस्मत कुछ ज्यादा ही अच्छी थी क्योंकि इस बार रघु की नजरे रानी के संतरो के साथ-साथ ऊसमें लगी डुट्टी को भी देख ली थी,,,, उस पर नजर पड़ते ही रघू एकदम से मचल उठा,,,, प्लेट में से एक मिठाई का टुकड़ा उठाकर वह खाने लगा,,, और रानी मिठाई के प्लेट को अपनी बड़ी बहन के आगे करते हुए बोली,,,)

लो सुमन दीदी तुम भी अपना मुंह मीठा करो,,,


किस बात के लिए,,,,(वह मुस्कुराते हुए बोली)

अरे यहां आने के लिए और किस बात के लिए तुम तो मुझे मौसी बनाने से रही,,,, ना जाने कब मैं मौसी बन पाऊंगी,,,
(रानी की बात सुनते ही,,, सुमन के चेहरे पर उदासी छा गई और सुमन की मा यह देखकर रानी को डांटते हुए बोली)


भाग यहां से कुछ भी बोलती रहती है ईतनी बड़ी हो गई लेकिन जरा भी अब तक नहीं कहां पर क्या बोलना चाहिए,,,,।


जाने दो मां बच्ची है,,,,
(रानी को भी इस बात का एहसास हुआ कि उसके मुंह से कुछ गलत निकल गया इसलिए वहां से चली गई,,
रात को भोजन करने के बाद,,, सब लोग अपने अपने कमरे में चले गए,,, रघु भी अपने कमरे में चला गया जो कि सुमन के कमरे से सटा हुआ था,,, सुमन अपने कमरे में जैसे भी प्रवेश की वैसे ही उसके पीछे पीछे उसकी छोटी बहन रानी आ धमकी,,,)

अब क्या है रानी जाकर सो जाओ आराम करो,,,

नहीं दीदी मुझे नींद नहीं आ रही है मुझे आपसे ढेर सारी बातें करनी है,,,,


अरे कल कर लेना मैं चली थोड़ी जा रही हूं,,(सुमन किसी भी तरह से रानी को अपने कमरे से बाहर निकालना चाहती थी,,, क्योंकि उसके जाने के बाद हीं तो वह रघु के कमरे में जा सकती थी,, आखिरकार सुमन जमीदार की बीवी समझा-बुझाकर अपनी छोटी बहन को उसके कमरे में भेज दी,,,,और कुछ समय तक इंतजार करने के बाद वह कमरे में से धीरे से बाहर निकली और तुरंत रघु के कमरे में दरवाजा खोल कर अंदर घुस गई जो कि पहले से ही वो रघु से दरवाजा खुला रखने के लिए बोल दी थी,,,,, कमरे में घुसते ही जमीदार की बीवी तुरंत दरवाजा बंद करके सिटकनी लगा दी,,, रघु उसका ही इंतजार कर रहा था,, सुमन को कमरे में आकर दरवाजा बंद करते हुए उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी उसकी टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गई,,,। सुमन दरवाजा बंद करते ही,,, रघू के ऊपर चढ गई और उसको चुंबनों से नहलाने लगी,,,,, रघु भी पूरी तरह से उत्तेजित होकर जवाबी कार्रवाई में उसके ऊपर पूरी तरह से चढ़ी हुई जमीदार की बीवी की बड़ी-बड़ी कहां को साड़ी के ऊपर से ही दबाते हुए वह भी उसे चूमने चाटने लगा,,,,,,

ओहहहहह,,,, रघू मैं कब से रात होने का इंतजार कर रही थी,,,,

और मे भी मालकिन,,,(इतना कहने के साथ ही रघू दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ खींचने,,लगा,,,पर देखते ही देखते उसकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और कमर के नीचे से जमीदार की बीवी पूरी तरह से नंगी हो गई,,,,, सुमन की नंगी गांड पर जोर जोर से चपत मारते हुए रघु अपनी हथेली में जितना हो सकता था उतना गांड के मांस को भर भर कर दबा रहा था,,,, इस तरह से नंगी गांड पर चपत लगने पर सुमन को भी मजा आ रहा था,,। दोनों मदहोश हुए जा रहे थे,,,दोनों एक दूसरे के बदन वपर से कब वस्त्र उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिए इस बात का पता दोनों को भी नहीं चला,,,,दोनों बिस्तर पर एकदम नंगे हो चुके थे,,,,

एक बार फिर से रघु का मोटा तगड़ा लंबा लंड,,, जमीदार की बीवी की गुलाबी बुर में प्रवेश कर गया,,, एक बार फिर से दोनों का जिस्म एक हो गया,,,, दोनों की सांसे तेज होने लगी,,, रघू अपनी कमर ऊपर से तो जमींदार की बीवी अपनी कमर नीचे से ऊछाल रही थी,,, दोनों एक दूसरे से बिल्कुल भी कम नहीं थे,,, या फिर एक दूसरे से हार मानना नहीं चाहते थे,,,,, रघु के हर एक धक्के का जवाब जमीदार की बीवी अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल कर दे रही थी,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,, तकरीबन आधा घंटा की जबरदस्त चुदाई के बाद रघू अपना दोनों हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के जमीदार की बीवी को एकदम से अपनी बाहों में ले लिया और कस के अपने बदन से सटाते हुए,,, बड़ी तेजी से धक्का लगाने लगा क्योंकि उसका लावा निकलने वाला था और यही हाल जमीदार की बीवी का भी था वह भी लोगों को अपनी बाहों में कस के पकड़े हुए थी और जोर-जोर से सांसे ले रही थी,,,, देखते ही देखते दोनों का गर्म लावा एक साथ फूट पड़ा,,, जमीदार की बीवी को अपनी बुर के अंदर अपनी बच्चेदानी पर रघू,,, के लंड से निकला हुआ गरम लावा की पिचकारी की बौछार साफ महसूस हो रही थी,,,,, जमीदार की बीवी एकदम तृप्त हो चुकी थी,,,, गर्म पिचकारी को अपनी पुर की गहराई में महसूस करके जमीदार की बीवी कि मातृत्व की झंकना एकाएक तीव्र हो गई,,,,अपने मन में यह सोच रही थी कि जमीदार से ना सही रघू के बच्चे की मां बन जाए तो उसके जीवन में हरियाली आ जाए,,,, और यही सोचकर वह रघु को और कस के अपनी छाती से लगा ली,,, और तब तक रघू के लंड को अपनी बुर से बाहर निकलने नहीं दी जब तक कि उसके लंड का पानी पूरी तरह से उसकी बुर के अंदर उतर नहीं गया,,,, रघु जमीदार की बीवी के ऊपर निढाल होकर गिरा हुआ था,,,, दोनों अपनी तेज चल रही सांसो को दुरुस्त करने में लगे हुए थे,,,, थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो गया,,, रघु जमीदार की बीवी के ऊपर से उठा और उसके बगल में लेट गया दोनों मस्त हो चुके थे एक अजीब सा सुख दोनों के तन बदन में अपना असर दिखा रहा था जमीदार की बीवी बहुत खुश थी क्योंकि जिंदगी में पहली बार वह अपने मायके में गैर मर्द के साथ चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी,,,,,, सुमन के चेहरे पर तृप्ति का अहसास साफ साफ झलक रहा था,, वह अपने होठों पर माधव मुस्कान लाते हुए बोली,,,।

अब मुझे लगता है कि मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती रघू,,,

ऐसा क्यों मालकिन,,,? (रघु छत की तरफ देखते हुए बोला)

ऐसा ही है रघू,,,, मुझे तुम्हारी आदत पडती जा रही है,,,
(जमीदार की बीवी भी छत की तरफ देखती हुई बोली,,, रघु को यह बात अच्छी तरह से मालूम थी कि जिस औरत की चुदाई और अपने लंड से कर दे वह औरत उसकी गुलाम बन जाती है और यही जमीदार की बीवी के साथ भी हो रहा था,, रघु ऊसके मन की बात जानने के लिए बोला।)

लेकिन मालकिन यहां से जाने के बाद मैं शायद आपसे कभी मिल ना पाऊं,,,,, क्योंकि आप से मिलने का कोई बहाना ही नहीं होगा,,,


नहीं नहीं रघू ऐसा मत बोलो मैं तुम्हारे बिना मर जाऊंगी,,,(रघु की बात सुनकर उसकी सच्चाई को जानकर घबराते हुए जमीदार की बीवी उसे अपनी बाहों में लेते हुए लगभग रोते हुए बोली)

लेकिन यह कैसे मुमकिन है मालकीन,,,,(रघु अपने हाथों से सुमन के रेशमी बालों को सहलाते हुए बोला,,,)

तुम हमारा तांगा चलाना,,,, अपने पति से बोल कर तुम्हें नौकरी पर रख लूंगी,,,,।


लेकिन मालकिन तांगा चलाने से घर में और कमरे में आना जाना तो मुमकिन नहीं हो पाएगा ना,,,,

( रघु की बात सुनकर जमीदार की बीवी सोच में पड़ गई क्योंकि रघु सच कह रहा था वह कुछ देर सोचने के बाद बोली,,,)

रघु तुम ही कोई रास्ता निकालो,,,, क्योंकि अब सच में मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती,,,,


मैं भी मालकिन आपके बिना नहीं रह सकता,,,,, हमें कुछ ऐसा रास्ता सोचना पड़ेगा जिससे हम दोनों एक दूसरे से बेझिझक कभी भी मिल सकते हैं,,,,


तो क्या कोई ऐसा रास्ता है,,,,।
(जमीदार की बीवी की बात सुनकर रघु सोच में पड़ गया अपने मन में यही सोच रहा था कि अपनी बहन की शादी बिरजू से कराने में मालकिन ही काम आएगी,,, अगर मालकिन मान गई तो शालू जरूर प्रताप सिंह के घर की बहू बन जाएगी,,और, यही मौका सही है,,,,, रघू यह विचार करने के बाद जमीदार की बीवी से बोला,,,)

एक रास्ता हे मालकिन अगर आप चाहे तो ही संभव हो सकता है,,,,

कौन सा रास्ता है रघू तुम मुझे बताओ,,,,

आपके बेटे बिरजू और मेरी बड़ी बहन शालू का घर विवाह हो जाए तो मेरा आपके घर में आना-जाना बेझिझक हो जाएगा,,,


क्या,,,, ?


हां मालकिन अगर यह हो गया तो फिर सब कुछ सही हो जाएगा,,,,


लेकिन यह कैसे मुमकिन है,,,, मालिक को तो मैं समझा लूंगी लेकिन बिरजू,,,,


बिरजू की चिंता बिल्कुल भी मत करो मालकिन,,, बिरजू और सालु एक दूसरे को चाहते हैं एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी भी करना चाहते हैं,,,,

क्या तुम सच कह रहे हो रघु,,,,(रघु की बात सुनते ही जमीदार की बीवी के चेहरे पर प्रशंसा के भाव नजर आने लगे वह बेहद खुश हो गई थी)

हां मालकिन मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,,।

अगर तुम वाकई में सच कह रहे हो तो फिर तो हम दोनों का काम एकदम आसान हो जाएगा,,,,


आप दोनों की शादी करवा देंगी ना मालकिन,,,,

हां रघु जरूर,,,,,आखिरकार इस शादी से सबसे ज्यादा फायदा तो हम दोनों को होने वाला है,,,,

(जमीदार की बीवी की बात सुनकर रघु को पूरी तसल्ली हो गई कि उसकी बड़ी बहन की शादी बिरजू से जरूर होगी और इस बात से खुश होकर वह जमीदार की बीवी को एक बार फिर से गले लगा लिया,,,, और जमीदार की बीवी भी मारे खुशी के अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर रघु के मुरझाए लंड को पकड़ कर हिलाने लगी,,,, रघु जमीदार की बीवी की हरकत को देख कर उसे आश्चर्य से देखने लगा तो जमीदार की बीवी बोली,,,)

मेरा मन फिर से कर रहा है तुम्हारा लंड लेने का,,,

अभी अभी तो चुदवाई हो मालकिन,,,,


छिनार बोले थे ना मुझे,,,, और छिनार तो बार-बार चुदवाती है,,,

वह जोश में मेरे मुंह से निकल गया था मालकीन,,, मैं उसके लिए माफी चाहता हूं,,,,


माफी किस बात के लिए रघू मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,,,(वह मुस्कुराते हुए पूरी और उसको मुस्कुराता हुआ देख कर रघु बोला,,,)

क्या सच में तुम्हें बुरा नहीं लगा मालकिन,,,,


नहीं रे मैं सच कह रही हूं मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा,,, अब तो चोदेगा ना अपनी छिनार को,,,

औहहहह,,, मेरी प्यारी छीनार,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु एक बार फिर से जमीदार की बीवी के दोनों खरबुजो को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाना शुरू कर दिया,,, और जमीदार की बीवी वाकई में छिनारपन दीखाते हुए,,, रघु के ढीले लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दि,, देखते ही देखते एक बार फिर से रघू का लंड अपनी औकात में आ गया,,, और एक बार फिर से रघु जमीदार की बीवी में समा गया,,,,।

रघु का दिन अच्छे से गुजरने लगा वह जमींदार के बीवी के गांव घर में सारा दिन घूमता रहता था,,,, देखते ही देखते 2 दिन ही रह गए उसे वापस लौटने में लेकिन अब तक रानी उसके हाथ नहीं लगी थी,,,,,।
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Devang

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रघु को वापस लौटने में केवल 2 दिन ही बचे थे जो कुछ भी करना था यह उसे 2 दिन में ही करना था और रानी की मद मस्त जवानी उसकी आंखों में वासना की चमक भर रही थी,,, रानी सुमन से छोटी थी लेकिन बहुत खूबसूरत थी,,,,, उसका हर एक अंग तराशा हुआ था,,,,रघु को उसका पूरा बदन उसकी जवानी अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर रही थी रघु पूरे जुगाड़ में था कि कैसे रानी को पाया जाए,,,, इसलिए आज वह सुबह से ही उसकी हर एक काम में उसकी मदद कर रहा था,,,, गाय को चारा डालना उनको नहलाना उनका दूध निकालना,,,, इधर-उधर के छोटे-मोटे काम हर एक काम में उसका हाथ बंटा रहा था,,,, और ऐसे ही जब रानी घर के पीछे वाले जगह पर गाय भैंस के लिए बने तबेले में बैठकर गाय का दूध निकाल रही थी तो रघु भी उसके साथ ही था वह दबा दबा कर गाय का दूध निकाल रही थी यह देखकर रघु के मन में शरारत सुझ रही थी,,,रानी को गाय का दूध निकालता हुआ देखकर वह अपने मन में ही सोच रहा था कि काश उसका भी दूध निकालने का मौका उसे मिल जाता तो एक ही दिन में उसके चूची का पूरा दूध निचोड़ डालता,,,,,,, रानी नीचे बैठकर दूध निकाल रही थी और इस तरह से बैठने पर उसकी कुर्ती के अंदर उसके दूध झलक रहे थे जिस पर रघू की नजर पड़ते ही उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,,,


बहुत खूबसूरत दूध है रानी,,,,
(रघु की बातें सुनते ही रानी एकदम से झेंप गई,,, लेकिन कभी रघु बात को संभालते हुए आगे बोला)

कम से कम सुबह शाम 5 5 लीटर तो देती होगी,,,,।

नहीं इतना तो नहीं दे पाती,,,, कुल मिलाकर 4 5 लीटर देती है,,,,(रानी मुस्कुराते हुए बोली)

तब तो तुम्हें अच्छे से निकालने नहीं आता,,,, दूध निकालने में और वह भी दबा दबा कर,,,, मुझसे बेहतर यह काम कोई नहीं कर सकता,,,,


क्यों नहीं कर सकता,,,, मैं भी तो करती आ रही हूं,,,,


अपने हाथ से,,,, मेरा मतलब है कि तुम्हारे हाथ मैं और मेरे हाथ में बहुत फर्क है,,,,
( अपने हाथ से वाली बात का मतलब रानी समझ गई थी इसलिए उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा छाने लगी थी,,, लेकिन वह बोली कुछ नहीं,,,, और रघू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मैं जब भी दबा दबा कर दूध निकालता हूं तो बड़ी शिद्दत से निकालता हूं,,, थोड़ा भी कसर नहीं छोड़ता,,,,,(रघू कुर्ती में से झांक रहे उसके दोनों दूध को देखते हुए बोला,,,)

तो तुम ही निकाल दो,,,(इतना कहते हुए रानी ऊपर नजर घुमाकर रघू की तरफ देखी तो उसकी नजरों को अपनी कुर्ती में आता हुआ देखकर एकदम से शर्मा गई,,, और वह अपनी नजर को अपनी कुर्ती के अंदर घुमा कर देखी तो तो उसे अपनी स्थिति का भान होते ही एकदम शर्म से पानी पानी हो गई इस बात का आभास हो गया कि कुर्ती में से उसकी दोनों चूचियां बड़ी आसानी से नजर आ रही थी,,, रानी अपने आप को व्यवस्थित करते हुए खड़ी हो गई हो रघु को गाय का दूध निकालने के लिए बोली,,,, ओर रघु एकदम उत्साहित होता हुआ अपनी जगह बना कर बैठते हुए बोला,,,।

अच्छा हुआ रानी तुमने मुझे यह काम सौंप दें क्योंकि दूध निकालने का काम केवल मर्दों का ही औरतों का नहीं,,,
(रघु के कहने का मतलब रानी अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रही थी वह खामोश खड़ी होकर देखती रह गई,,,, क्योंकि इस तरह से उसके साथ किसी ने भी अब तक इस तरह की बातें नहीं की थी रघु पहला लड़का था जो उससे इस तरह की गंदी बातें कर रहा था लेकिन बेहद सुलझे हुए शब्दों में,,, रघू गाय के दूध को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए दूध की पिचकारी बाल्टी में मारने लगा,,,, वह काफी उत्साहित और उत्तेजित था क्योंकि उसके ख्यालों में रानी बसी हुई थीपर वो ऐसा कल्पना कर रहा था कि जैसे वह गाय के दूध को नहीं बल्कि रानी की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा हो,,,, और जिस तरह से रघु गाय के थन को अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाता था उसे देखकर रानी शर्म से कड़ी जाएगी ना जाने क्यों उसे ऐसा महसूस होने लगा था कि जैसे वह गाय का दूध नहीं बनती उसकी ही सूची को पकड़कर जोर जोर से दबा रहा है उसके बदन में सिहरन सी दौड़ ने लगी,,, उसे अजीब सा महसूस होने लगा,,,, और वह वाकई में देखते ही देखते पूरी बाल्टी दूध से भर दिया रानी भी हैरान थी क्योंकि आज तक उसने इतना दूध कभी नहीं निकाल पाई थी,,,,। तभी रघू एक और शरारत करते हुए गाय के दूध को पकड़ कर उसकी दूध की पिचकारी को अपना मुंह खोलकर अपने मुंह में मारने लगा और उसका दूध पीने लगा रानी के तन बदन में हलचल सी मच में लगी उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति खराब होने लगी उसे अजीब सा महसूस होने लगा इस तरह से उसने कभी भी अपने बदन में हलचल महसूस नहीं की थी,,,,,

दूध पकड़कर दबा दबा कर पीने का मजा ही कुछ और है,,,
(रानी रघु के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन शर्म के मारे कुछ भी बोल नहीं पा रही थी,,, तभी रघु अपनी बात को घुमाते हुए बोला,,,।)

अच्छा रानी कल तो तुम्हारी दीदी अपने ससुराल चली जाएंगी,,, तुम्हें कैसा लगेगा,,,,।

मुझे तो बहुत खराब लगेगा,,,,, सच कहूं तो मैं तो दीदी का हमेशा आने का इंतजार करती रहती हूं,,,,।


तो इसलिए दुखी होने की क्या बात है फिर चली आएंगी,,,


फिर ना जाने कब आना होगा,,,,


जल्द ही आना होगा रानी,,,, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तुम्हारे और तुम्हारी दीदी के चेहरे की उदासी भगवान ज्यादा दिन तक देख पाएंगे,,।


मैं कुछ समझी नहीं तुम क्या कहना चाहते हो,,,,।


मेरा मतलब बिल्कुल साफ है,,,, तुम बोली थी ना कि अभी तक मौसी नहीं बन पाई हो,,,, तो मुझे इस बार जरूर लगता है कि तुम्हारी दीदी मां बनेगी और तुम मोसी,,,


अगर ऐसा हुआ रघु तुम्हें बहुत खुश होंऊगी,,,, क्योंकि मुझे भी दीदी का दुख देखा नहीं जाता,,।

ऐसा ही होगा रानी मेरा दिल कहता है,,,,,(रघु यह बात अपने आत्मविश्वास के साथ कह रहा था क्योंकि उसे प्रताप सिंह पर नहीं बल्कि अपने ऊपर विश्वास अपनी चुदाई पर विश्वास था,,, क्योंकि जिस तरह से वह मौका मिलते ही जमीदार की बीवी की ले रहा था और अपना वीर्य उसकी बुर के अंदर भर रहा था उससे उसे पूरी उम्मीद थी कि जल्द ही प्रताप सिंह की बीवी मां बन जाएगी,,,, रानी रघू की बात सुनकर बेहद खुश नजर आ रही थी,,, और उसका प्रसन्नता से भरा हुआ चेहरा रघु के दिल पर दस्तक दे रहा था रघु का दिल कर रहा था कि उसे आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में ले ले उसके लाल-लाल होठों को अपने होंठों में भर कर उसका रसपान कर ले,,,, रघु रानी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,,)

रानी तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,
(रघु की यह बात सुनकर रानी उसे आश्चर्य से देखने लगी,,,)

सच रानी तुम बहुत खूबसूरत हो मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की नहीं देखा,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी शर्मा के क्योंकि इस तरह की बात कहने वाला रघु उसकी जिंदगी में पहला लड़का था इसलिए इस तरह की बातें सुनकर वो एकदम से शरमा गई और शर्मा को लगभग भागते हुए तबेले के बगल में ही बने स्नानागार में घुस गई,,,, और जोर जोर से सांस लेने लगी,,, रघु की बातों से वह घबरा गई थी लेकिन रघु की यह बात उसे अच्छी भी लगी थी,,,,,)


तुम्हें मेरी बात अच्छी नहीं लगी क्या रानी,,,,(रघु स्नान घर के दरवाजे के बाहर खड़ा होकर बोला,,, रानी का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,, वह क्या बोले उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,)

तुम नाराज तो नहीं हो ना रानी,,,,
(रानी को अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि जवाब में वह क्या बोले )

कुछ तो बोलो रानी,,,,,


नहीं,,,,,(रानी कांपते स्वर में बोली,,,, रानी का जवाब सुनकर रघू के होठों पर हंसी आ गई,,,,)

अब तुम यहां से जाओ मुझे शर्म आ रही है मुझे नहाना है,,,


लेकिन मैं तो बाहर खड़ा हूं कुछ देख भी नहीं रहा हूं और ना ही कुछ दिखाई दे रहा है दरवाजा भी बंद है फिर भी तुम्हें शर्म आ रही है,,,,


हां आ रही है मैं कुछ और नहीं सुनना चाहती तुम अभी जाओ,,,,(रानी मंद मंद मुस्कुराते हुए लेकिन बेहद कड़े लहजे में बोली)

ठीक है तुम नहा लो फिर बाद में बातें करेंगे,,,,
(इतना कहकर रघू खामोश हो गया,,,, लेकिन वहां से गया नहीं क्योंकि वह रानी को यह आभास दिलाना चाहता था कि वह वहां से चला गया है और रानी भी कुछ देर तक छाई खामोशी को महसूस करते हुए समझ गए कि रघु वहां से चला गया है लेकिन फिर भी तसल्ली कर लेने के लिए वह धीरे से दरवाजा खोल कर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी लेकिन वहां कोई नहीं था यह देख वह मुस्कुराते हुए दरवाजा बंद कर दे लेकिन किसी के ना होने की तसल्ली पाकर वह दरवाजे की कड़ी नहीं लगाई और दरवाजा बंद करते हुए पेड़ की ओट में छुपा हुआ रघु बाहर निकल आया और वहीं पर बैठ गया,,, रानी गीत गुनगुनाते हुए अपने कपड़े उतारने लगी,।,,,एक-एक करके उसने अपने सारे कपड़े उतार कर बाथरूम के अंदर एकदम नंगी हो गई लेकिन जब वह,,,, अपनी सलवार को रस्सी पर टांग रही थी तो उसे अपनी सलवार पर छोटा सा चूहा चिपका हुआ नजर आया और वह उसे देखकर एकदम से घबरा गई और घबराहट में उसकी चीख निकल गई,,,, उसकी चीख को पास में ही बैठे रघू ने सुन लिया,,,, रानी स्नानघर में एकदम से घबरा गई थी यही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी चूहा छिपकली और तिलचट्टे को देख कर वह चीख उठती थी,,, बाप ने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो चुकी थी लेकिन घबराहट में उसे कुछ भी सूझ नहीं रहा था वह स्नान घर का दरवाजा खोलकर बाहर निकलने ही वाली थी कि तभी उससे पहले ही रघु स्नान घर के दरवाजे को जोर से धक्का देकर अंदर घुस गया रानी कम घबराई हुई थी वह स्नान घर से बाहर निकलना चाहती थी इसलिए सीधे जाकर रघु से टकरा गई और उसे कस के पकड़ ली,,,,, रघु स्नानघर में घुसते ही अपनी प्यासी आंखों से देख लिया था की रानी एकदम नंगी थी और खुद ही उसकी बाहों में आ चुकी थी इसलिए बार इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था और मैं खुद उसे अपनी बाहों में भर लिया उसकी नंगी चिकनी पीठ को सहला ते हुए उसे शांत करते हुए बोला,,,।

शांत हो जाओ शांत हो जाओ रानी क्या हुआ बताओ,,,।

चचचचच,,,, चूहा चूहा है वहां,,,(अपने हाथ से सलवार की तरफ इशारा करते हुए बोली)

चूहा कहां है चूहा और तुम चूहे से इतना घबराती हो,,,,


मुझे चूहे से बहुत डर लगता है रघु मेरी सलवार में चुका है,,,(रानी एकदम घबराती हुई उसके सीने में अपने आप को छुपाते हुए बोली)

सलवार में,,,,लेकिन रानी तुम तो कपड़े नहीं पहनी हुई हो तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई हो,,,,।

(इतना सुनते ही वह एकदम से घबरा गई और अपने आप को एक निगाह डाल कर देखने लगी और अपने आप को एकदम नंगी पाकर वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,, घबराहट में उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि वह कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी है,,,, उसे रघू से अलग होने में भी झुंझलाहट महसूस हो रही थी,,, ऊसे शर्म आ रही थी,,,वह रघु को ही अपना वस्त्र बनाकर उसे लिपटी हुई थी और अपने अंगों को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,, वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करें,,, अजीब सी उलझन में फंसी हुई थी,,,, उसे इस बात का डर था कि या गरबा रघु के बदन से अलग होकर रस्सी पर टंगे हुए कपड़ों तक जाएगी तो रघु उसके अंदरूनी अंगों को देख लेगा,,, जो कि वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी उसे शर्म आ रही थी,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

शायद रानी डर की वजह से तुम्हें इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि तुमने की हो चुकी हो और इसी स्थिति में यहां से बाहर निकलने वाली थी सोचो अगर यहां से बाहर निकल जाती और तुम्हें कोई और देख लेता तो क्या होता,,,।

मैं नहीं जानती,,,,

तुम बहुत डरपोक हो रानी छोटे से चूहे से डर गई और वह भी इस स्थिति में एकदम नंगी,,,, तुम्हारा एक एक अंग दिखाई दे रहा है,,,,(रानी को समझ में नहीं आ रहा था कि रघु के इन सब बातों का वह क्या जवाब दें,,, ना जाने क्यों रघु की बाहों में उसे सुकून महसूस हो रहा था उसके लिए पहली मर्तबा था जब वह एक जवान लड़के का स्पर्श पा रही थी,,,,)

ऐसा मत बोलो रघू मुझे शर्म आ रही है,,,।


और यहां से बाहर चली गई होती तो क्या होता ,,,,,

कुछ नहीं होता तुम यह सब बातें मत करो,,,,


कैसे ना करूं रानी तुम बहुत खूबसूरत हो,,,( रानी के जवान नंगे बदन का स्पर्श रघु मदहोश हुआ जा रहा था,,,, पहली बार एक जवान लड़की उसकी बाहों में थी और वह भी एक दम नंगी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह धीरे-धीरे उसे अपनी बाहों में कस रहा था और उसकी नंगी चिकनी पीठ पर अपनी हथेलियां फिरा रहा था,,, रघु की हरकत की वजह से रानी के बदन में खुमारी छा रही थी रघु के पजामे में उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होता जा रहा था और तंबू की शक्ल में आता जा रहा था और देखते ही देखते रानी की दोनों टांगों के बीच दस्तक देने लगा रानी को अजीब लग रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था उसकी दोनों टांगों के बीच क्या चुभ रहा है,,, अपनी दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेना चाहती थी और रघु इस बात को अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसका खड़ा लंड तंबू की शक्ल में रानी की बुर पर दस्तक दे रहा है,,,रघु की हालत खराब होती जा रही थी और आने की खूबसूरत गुलाबी बुर को देखना चाहता था अपनी आंखों में उसके अक्स को भर लेना चाहता था,,,,,, तभी रानी अपनी दोनों टांगों के बीच क्या चुका है यह देखने के लिए हल्का सा अपनी नजर को नीचे की तरफ घुमाई तो अपनी दोनों टांगों के बीच का नजारा देखकर उसकी घिघ्घी बंध गई,,,,उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी दोनों टांगों के बीच क्या चुभ रहा है वह एकदम मदहोश होने लगी,,, उसकी सांसों की गति तेज होने लगी उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी नरम नरम चुचियों का दबाव रघु की चौड़ी छाती पर बढने लगा,,,,रघु को इस बात का एहसास हो गया कि जाने को पता चल गया है कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका लंड ठोकर मार रहा है इसलिए अब रघु उसे अपनी बांहों की कैद से आजाद नहीं होने देना चाहता था इसलिए अपना दोनों हाथ उसकी चिकनी नंगी पीठ सहलाते हुए नीचे की तरफ ले जाने लगा और देखते ही देखते जितना हो सकता था उतना रानी कीमत मस्त गांड को अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया,,,, उत्तेजना के मारे रघु रानी कीमत मस्त गोल-गोल कांड को इतनी चोरों से दबाया की रानी के मुंह से हल्की सी कराहने की आवाज फुट पड़ी,,,।


आहहहहहह,,,,,,,

(लेकिन जवानी का जोश नई उम्र की उमंग और पहली बार एक मर्दाना जोश से भरे हुए नौजवान लड़के का स्पर्श पाकर रानी बिगड़ने लगी वह उसे रोकने के लिए जरा भी हरकत नहीं कर रही थी वह खामोश थी मदमस्त थी मदहोश थी खुमारी से भरी हुई मदमस्त जवानी से भरी हुई,,, ऐसा लग रहा था उसने अपना सारा वजूद रघू कि हाथों में सौंप दि है,,,,एक तरह से वह रघू को उसकी मनमानी करने की पूरी तरह से आजादी दे दी थी,,, रघु जी भर के उसके जवान नितंबों से खेल रहा था देखते ही देखते उसकी गौरी गांड टमाटर की तरह लाल होने लगी,,,,रघु इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा देना चाहता था इसलिए हल्की-हल्की अपनी कमर को हिलाता हुआ अपने लंड का ठोकर उसकी बुर पर बराबर दे रहा था,,, और रघु की यह हरकत रानी को पिघलने के लिए मजबूर कर रही थी,,,। देखते ही देखते रानी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,, यह गर्म सिसकारी की आवाज उसकी तरफ से पूरी तरह से इजाजत थी रघु को कुछ भी करने के लिए,,,,रानी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी लेकिन हालात ही कुछ ऐसे होते जा रहे थे जिससे वह अपने आप को रोक नहीं पा रही थी और ना ही रघु को रोक रही थी,,,। रानी के लिए सब कुछ पहली बार था,,,पहली बार वह मदहोश हो रही थी पहली बार वो जवानी के अद्भुत पल में खोती चली जा रही थी पहली बार पुरुष संसर्ग का सुख प्राप्त कर रही थी,,,

रानी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रघु को भी लगने लगा कि मंजिल अब बिल्कुल भी दूर नहीं है बस सही तरीके से रास्ता पार करना है उनकी मंजिल से मिलने का मजा भरपूर मिल सके,,,

रघु धीरे से रानी का खूबसूरत चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर उसे ऊपर उठाते हुए उसके खूबसूरत गुलाबी होठों को देख कर बोला,,।

तुम्हारे होंठ बहुत खूबसूरत है रानी,,,,
(इतना सुनकर रानी के गुलाबी होंठ उत्तेजना के मारे कांपने लगे और रघु बिल्कुल भी देर न करते हुए रानी के गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख कर उसके होंठों का रसपान करने वाला देखते ही देखते रानी उसका सहयोग करने लगी जवानी के मदहोशी में वह अपने आप को बहने पर मजबूर कर दे रही थी,,, रघु को मजा आ रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी आसानी से रानी उसकी बाहों में आ जाएगी भला उस छोटे से चूहे का जिसने इतना बड़ा काम इतनी जल्दी और एकदम आसानी से कर दिया,,,रघु उसके गुलाबी होठों का रसपान करते हुए अपना एक हाथ ऊपर की तरफ जाते हुए उसके संतरे पर रखकर उसे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया रघु की इस हरकत की वजह से रानी के उत्तेजना में चार चांद लग ते जा रहे थे,,,, वह मदहोश होने लगी थी छोटे छोटे संतरो को दबाने में रघू को बेहद आनंद आ रहा था,,,,

सससहहहहहहहह आहहहहहहहहहह,,,,,,,
(रानी के मुख से निकलने वाली गरमा-गरम सिसकारी रघु को मदहोश किए जा रही थी भले ही रानी के लिए पहली बार था लेकिन उसकी गर्म सिसकारी की आवाज वही बरसों पुरानी हर एक औरत के मुंह से मदहोशी के आलम में निकलने वाली गर्म सिसकारी की आवाज थी,,,, जिसे सुनकर रघु रानी के साथ आगे बढ़ने के लिए मजबूर होता चला जा रहा था,,,,, कुछ देर तक उसके गुलाबी होठों का रसपान करने के बाद रघु अपने मुंह को नीचे की तरफ लाकर उसके दोनों संतानों में से एक संतरे को हाथ से पकड़ कर दूसरे संतरे को मुंह में भर कर उसे चूसना शुरू कर दिया,,,


ससससहहहहहह आहहहहहहहह,,, रघू,,,,,,आहहहहहहह,,,,( रघु की कामुक हरकत की वजह से रानी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज निकलते जा रही थी रघु अपनी जीत और मुंह का बराबर उपयोग करते हुए रानी के दोनों संतरो को अपने मुंह में बारी बारि से भर कर उन दोनों का स्वाद ले रहा था,,,,, स्नानघर में रानी कभी सोची भी नहीं थी कि उसके साथ इस तरह का वाकया पेश हो जाएगा,,,कुछ भी हो रानी अपने कौमार्य को अपनी गुलाबी बुर को अपने पति के लिए संजो के रखी हुई थी,,,,लेकिन उसे आज यकीन हो चला था कि जवानी के जोश में वह अपनी प्रतिज्ञा को बरकरार नहीं रख पाए कि और आज वह अपनी गुलाबी बुर को रघु के हाथों में सौंप देगी,,,,,और उसकी यही सोच को सच करते हुए रघु अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर उसकी गुलाबी बुर पर अपनी हथेली रखकर उसे मसल ना शुरू कर दिया,,, हथेली का स्पर्श अपनी गुलाबी बुर के ऊपर करते ही,,, रानी एकदम से मचल उठी उसके अंग अंग में उत्तेजना का तुफीन उमड़ने लगा वह अपने आप को बिल्कुल भी संभाल नहीं पा रही थी,,,, उत्तेजना के मारे उसका अंग ऊपर की तरफ उठ जा रहा था ,,

ओहहहहहह,,,,,रानी तुम्हारी बुर कितनी खूबसूरत हो मस्त है बहुत पानी निकल रहा है,,,।
(रघु के इस तरह की गंदी बातें सुनकर रानी का बुरा हाल था वह पूरी तरह से पिघल रही थी वह अपने आप हमें बिल्कुल भी नहीं थी रघु पूरी तरह से उसे अपने गिरफ्त में ले चुका था रघु के द्वारा हथेली की रबड़ अपनी बुर के ऊपर महसूस करते हुए पूरी तरह से गर्मा चुकी थी,,,,, रघु के क्लियर यह पल बेहद अद्भुत और उन्माद से बना हुआ था वह इस पल को जिंदगी में कभी भी भूलने वाला नहीं था देखते ही देखते रहने की आंखों के सामने वह अपने घुटनों के बल बैठ गया रानी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करने वाला है शर्म के मारे वह ठीक से रघू को देख भी नहीं रही थी वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी,,, रघु अपनी आंखों में उत्तेजना का समंदर लिए रानी की गुलाबी बुर को देख रहा था जोकि बेहद चिकनी और हल्की-हल्की रेशमी बालों से सुशोभित थी,,,।रघु उसे बड़े गौर से देख रहा था अपनी बड़ी बहन के पास यह उसकी जिंदगी में आने वाली दूसरी लाजवाब और लजीज बुर थी,,,

उत्तेजना के मारे रानी का गला सूखता चला जा रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था सांसे बेहद भारी चल रही थी और सांसो के ऊपर नीचे उठ रही लहर के साथ-साथ उसकी दोनों लाजवाब संतरे ऊपर नीचे हो रहे थे,,, रानी को इस बात का अहसास तक नहीं था कि आगे क्या होने वाला है और उसकी सोच के बिल्कुल विरुद्ध रघु उसकी दोनों मांसल चिकनी जांघों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़ा सा फैलाते हुए अपने प्यासे होठों को रानी की कोरी बुर पर रख दिया,,,,।

आहहहहहह,,,,,,,, रघु की इस हरकत की वजह से रानी का पूरा वजूद कांप उठा उसके घुटनों में कंपन महसूस होने लगी,,,, वह लगभग लगभग गस्त खाकर गिरने वाली थी लेकिन रघु उसके दोनों जांघों को मजबूती से पकड़ कर उसे संभाले हुए था,,, रानी को यकीन नहीं हो रहा था कि बुर को कोई चाट भी सकता है ,,,,उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन यह हकीकत था कि जो कुछ भी हो रहा है वह शत प्रतिशत सत्य था रघु पागलों की तरह उसकी बुर को चाट रहा था उसमें से निकलने वाला नमकीन मधुरस वह अपनी जीभ से चाट चाट कर अपने गले के नीचे उतार रहा था,,,। रघु यह बात अच्छी तरह से जानता था कि रानी के लिए पहला मौका था अब तक उसने चुदाई का किसी भी तरह से आनंद नहीं दी थी इसलिए वह इस बात से संपूर्ण रूप से अवगत था कि उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी छोटी सी दूर के अंदर घुसने वाला नहीं है लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि चोदने लायक बुर के अंदर लंड आखिरकार घुस ही जाता है,,,, बस थोड़ी बहुत मशक्कत करनी पड़ती है इसलिए रघुअपनी एक उंगली धीरे से रानी की बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करते हुए रानी को और ज्यादा मस्त करने लगा,,,दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था शायद यह जरूरी भी नहीं था सब कुछ आंखों ही आंखों में बयां हो रहा था,,, देखते ही देखते रघू अपनी दूसरी उंगली भी,,, रानी की बुर के अंदर डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगा रानी की हालत खराब होती जा रही थी,,। रानी कोरघु की उंगली से ही चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था वह मजे लेकर रघु के उंगली को अंदर बाहर करवा रही थी,,, रानी का संपूर्ण बदन थर थर कांप रहा था,,,, वह सब कुछ भूल चुकी थी रघु बेहद चालाक लड़का था वह अपनी उंगली का उपयोग करके अपने लंड के लिए रानी की कसी हुई बुर के अंदर जगह बना रहा था,,, रानी की तेज चलती सांसो को देखकर रघु को समझ में आ गया कि अब वक्त आ चुका है लोहे पर वार करने के लिए,,,, इसलिए रघु खड़ा हुआ और पलक झपकते ही अपने कपड़े को उतार करएकदम नंगा हो गया रानी जिंदगी में पहली बार किसी लड़के का मर्दाना ताकत से भरपूर लंड देख रही थी जितना लंबा तगड़ा लंड देखकर वह अंदर ही अंदर सिहर उठी,,,,

बाप रे बाप इतना बड़ा,,,,(इन सब क्रियाकलाप के दौरान यह उसके मुंह से निकलने वाला पहला शब्द था जिसे सुनकर रघु एकदम खुश हो गया वह अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,)

लंड लंबा और मोटा हो तभी तो लड़कियों को चुदवाने में मजा आता है,,,,

लेकिन क्या यह घुस पाएगा,,,(रानी अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी छोटी सी बुर की तरफ देखते हुए बोली,,,।)

आराम से चला जाएगा रानी बिल्कुल की चिंता मत करो,,,,

(रानी अंदर ही अंदर घबरा रही थी लेकिन रघु के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए लालायित भी थी,,,,)
बस इसे एक बार अपने हाथ में लेकर इस से प्यार करो फिर देखो यह कितने आराम से तुम्हारी बुर के अंदर जाता है,,,, डरो मत रानी,,,(रघु रानी का हाथ पकड़ते हुए बोला,,, रानी भी रघु के लंड से से खेलना चाहती थी लेकिन वह शर्म आ रही थी,,अरे रघु उसके शर्म को दूर करते हुए उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया जो कि बेहद गर्म था,,, रानी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी पहली बार उसका हाथ का स्पर्श लंड पर हुआ था वह मदहोश होने लगी और कस के रघु के लंड को अपनी मुट्ठी में भींच ली,,,

देखी तुम खामखा घबरा रही थी,,,, अब इसे हिलाओ रानी बहुत मजा आएगा,,,,
(रानी आज्ञा का पालन करते हुए हिलाने से क्या उसे मजा आया था ज्यादा मजा उसे लंड को देखने में आ रहा था अजीब सा बनावट था वह अपने मन में लंड के आकार को लेकर बेहद उत्सुक थी अपने मन में यही सोच रही थी कि लंड एकदम गाय भैंस को बांधने वाला खूंटा की तरह था एकदम खड़ा एकदम कड़क एकदम मजबूत,,,,, रघु आनंद से भाव भीभोर होता जा रहा था,,,,)

बस रानी अब ईसे मुंह में लो,,,,

नहीं नहीं यह मुझसे बिल्कुल भी नहीं होगा, (रानी खबर आते हुए बोली और रघु से समझाते हुए बोला,,)

घबराओ मत रानी कुछ नहीं होगा बस मजा आएगा,,,,, देखी नहीं मैंने कैसे तुम्हारी बुर को अपनी जीभ से चाटा कितना मजा आया तुम्हें भी और मुझे भी,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी का भी मन करने लगा था उसे भी इस बात का आभास था कि परसों रघु और उसकी दीदी चले जाएंगेफिर ना जाने कब ऐसा मौका मिले ना मिले इसलिए वह भी इस मौके का पूरा फायदा उठा लेना चाहती थी वह भी उस मर्दों के द्वारा मिलने वाले हर एक से खुद को महसूस कर लेना चाहती थी इसलिए वह तैयार हो गई,,,, और वह भी प्रभु की करा अपने घुटनों के बल बैठ गई।,,और रघु के लंड को मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दी शुरू में तो उसे कुछ अजीब सा लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे वह मदहोश होने लगी उसे मजा आने लगा जितना हो सकता था उतना गले तक उतार कर मजा लेने लगी,,,,
थोड़ी ही देर में दोनों तैयार हो चुके थे रानी चुदवाने के लिए और साधु चोदने के लिए,,,,

रघु अच्छी तरह से जानता था कि आप उसे क्या करना है,,, वह नीचे रानी के हीं कपड़ों को बिछाकरउस पर पीठ के बल रानी को लिटा दिया और उसकी दोनों टांगों को फैला कर अपने लिए जगह बना लिया रानी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह धड़कते दिल और प्यासी नजरों से अपनी दोनों टांगों के बीच देखे जा रही थी जिस पर रघु पूरी तरह से छाने के लिए तैयार था,,,। धीरे-धीरे करके रघू थूक लगाकर आखिरकार अपने लंड को रानी की कुंवारी बुर के अंदर डाल ही दिया हालांकि ऐसा करने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी रानी को बेहद दर्द का सामना करना पड़ा लेकिन रघु बार-बार उसका हौसला बढ़ाता जा रहा था कि दर्द के बाद ही मजा आएगा और सच में ऐसा ही हो रहा था कुछ देर पहले लंड की घुसते ही जिस तरह से रानी चिल्ला रही थी रघु को लग रहा था कि रानी उसे ज्यादा जेल नहीं पाएगी लेकिन जैसे ही रघु पूरी तरह से रानी को अपनी आगोश में लेकर धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया वैसे वैसे ही रानी का दर्द कम होता गया और देखते ही देखते दर्द आनंद में बदल गया अब उसके मुख से दर्द की कराने की आवाज नहीं बल्कि मस्ती भरी सिसकारी की आवाज आ रही थी जोकि पूरे स्नानघर में गूंज रही थी,,,, रघु का लंड काफी मोटा और लंबा था,,,जिसे हिम्मत दिखाते हुए रानी पूरा अंदर तक ले चुकी थी और उसे इस बात का अहसास अच्छी तरह से हो रहा था कि वाकई में चुदाई का असली मजा लंबे लंड से ही आता है,,,रानी की सांसे तेज चल रही थी गरम सिसकारी की आवाज पूरी तरह से मस्त कर रही थी,,, रानी की गोरी गोरी चिकनी जांघें है रघु की जांघों से टकरा रही थी,,,, मजा दोनों को आ रहा था रघु ने एक और बुर पर फतह पा लिया था,,,,,, तकरीबन 35 मिनट की अद्भुत गरमा गरम चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,,,।

रानी खुश थी जिंदगी में पहली बार उसे चुदाई का आनंद जो प्राप्त हुआ था चुदाई का आनंद ईतना अद्भुत होता है इस बात का एहसास उसे आज पहली बार हो रहा था,,, रानी शर्म के मारे रघु से नज़रें नहीं मिला पा रही थी वह रघू से बार-बार स्नानाघर से बाहर निकल जाने के लिए कह रही थी,,, रघु अपने कपड़े उठाकर पहन चुका था लेकिन रानी उसी तरह से नंगी पड़ी थी क्योंकि उसे नहाना था,,,।

रघु अब तुम जाओ मुझे नहाना है बहुत देर हो चुकी है,,,,

ठीक है रानी मैं जा रहा हूं तुमने जो मुझे अद्भुत सुख दी हो वह मुझे जिंदगी भर याद रहेगा,,,,
(रघु की बात सुनकर रानी शर्मा कहीं और शर्मा का दूसरी तरफ मुंह फेर कर खड़ी हो गई रघु जाने वाला था लेकिन उसे इस तरह से घूम कर दूसरी ओर मुंह करके खड़ी देखकर उसकी नजर एक बार फिर से उसके गोलाकार नितंबों पर पड़ी है और वह रनिंग के जवान मदमस्त गोल गोल गांड को देखकर एक बार फिर से मदहोश होने लगा,,,और उससे रहा नहीं गया और वह रानी का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया तो रानी बोली,,,

अब क्या है रघू,,,?

रानी अब ना जाने कब तुमसे मुलाकात होगी,,,

तो,,,,?

तो क्या मैं एक बार फिर से तुम्हारी लेना चाहता हूं लेकिन इस बार पीछे से,,,,(रानी को समझ पाती इससे पहले ही रघु उसे दीवार की तरफ घुमा कर खड़ी कर दिया,,, और उसे दीवार का सहारा लेकर झुकने के लिए कहने लगा रानी भी एक बार फिर से रघु के लैंड का मजा लेना चाहती थी इसलिए वह भी रघु की बात मानते हुए झुक गई और एक बार फिर से रघु कि जैसे रानी की बुर के अंदर अपना लंड उतार दिया,,,, एक बार फिर से नई तरीके से रानी ने चुदाई का भरपूर आनंद ली,,,।

आखिरकार विदाई का समय आ गया सबकी आंखें नम थी लेकिन सबसे ज्यादा दुखी रानी थी शायद जिंदगी में संभोग का सुख उसे फिर कब मिले यह सोचकर व ज्यादा दुखी थी,,,, रघू सब से विदा लेकर और प्रताप सिंह की बीवी को तांगे में बिठाकर अपने गांव के लिए निकल पड़ा,,,।
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Devang

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रघु की याद में ललिया तड़प रही थी,,, केवल उसके साथ संभोग के लिए क्योंकि जिस तरह का सुख उसने अपने मोटे तगड़े लड़के से उसकी बुर की चुदाई करके उसे महसूस कराया था उस तरह का सुख उसने आज तक नहीं भोग पाई थी,,,, और रामू को जब से इस बारे में पता चला था कि उसका दोस्त रघु उसकी मां को चोद चुका है तब से रामू भी ऐसे फिराक में रहता था कि वह भी अपनी मां को चोद सके,,, लेकिन ना तो उसे मौका मिल पाता था और ना ही उसकी हिम्मत हो पाती थी,,, इससे यह बात बर्दाश्त नहीं हो पा रही थी कि घर की बुर का मजा बाहर वाले ले और घर का लड़का मुंह देखते रहे इसीलिए वह इसी फिराक में रहता था कि कब उसको भी मौका मिले उसकी मां की चुदाई करने के लिए,,,।

ऐसे ही 1 दिन दोनों मां बेटेखाना खाने के लिए बैठे हुए थे दोनों खाना खा रहे थे तभी ललिया अपने बेटे से बोली,,,।

क्यों रे कब आएगा रघू,,,, बहुत दिन हो गए उसे गए,,,,(पानी का गिलास रामू की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,, अपनी मां की यह बात सुनकर रामू को अंदर ही अंदर गुस्सा आ रहा था,,, क्योंकि उसे इस बात का मलाल था कि घर में जवान लड़का होते हुए भी वह बाहर के लड़के से चुदाई करवा रही थी अपनी मां की बात सुनने के बाद रामू बोला,,,)

क्यों बहुत तड़प रही हो उससे मिलने के लिए,,,
(रामू की यह बात सुनते ही ललिया एकदम से सहन उठी,,, उसे तिरछी नजरों से देखते हुए बोली,,,)

ऐसा क्यों कह रहा है तू मैं तो ऐसे ही कह रही थी,,,,पड़ोसी के घर के कामकाज में हाथ बताता है उसे ज्यादा दिन हो गए यहां से गए इसलिए कह रही हुं,,,,


मुझे सब पता है किस लिए कह रही हो,,,(रामू निवाला मुंह में डालते हुए बोला वह अंदर ही अंदर काफी गुस्से में था गुस्सा उसे इस बात का नहीं था कि रघु उसे चोद चुका था बल्कि इसलिए गुस्सा था कि उसकी मां रघु को दे रही थी और उसकी तरफ जरा भी ध्यान नहीं दे रही थी)


किस लिए कह रही हुं,,,,(रामू की बात सुनकर ललिया अंदर से डर चुकी थी,,, उसे डर इस बात का था कि कहीं रामू को पता तो नहीं चल गया उसके और रघू के बारे में,,, इसलिए वह पता लगाने के लिए रामू से बोली थी,,,) बोलना किस लिए कह रही हूं वह क्या मेरा आदमी है जो मैं उसके लिए तड़प रही हुं,,,,
(ललिया यह बात उसे गुस्से में बोल रही थी,,,वैसे भी जब बात सच होती है तो गुस्सा तो आ ही जाता है जो कि ललिया के चेहरे और उसकी बात से साफ लग रहा था,, रामु को भी गुस्सा आ रहा था रामू अपनी मां को चोदना चाहता था,,,इसलिए अपने मन में यही सोच रहा था कि जो कुछ भी उसने देखा सुना है सब कुछ अपनी मां को बता दें ताकि इस बात को राज रखने के लिए उसकी मां उसके लिए भी अपनी दोनों टांगें खोल दें,,, वैसे भी रामू समझ चुका था कि अब उसकी मां को जवान लंड की जरूरत थी,,,रघु और उसकी मां के बीच क्या चल रहा है रामू यह सब कुछ अपने मुंह से बता देना चाहता था लेकिन ना जाने क्यों वह अंदर से डर भी रहा था,,। और दूसरी तरफ ललिया अंदर ही अंदर घबरा रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसके बेटे को सब कुछ पता चल गया तो कहीं सबको पता ना चल जाए और यही जानने के लिए नदिया उसे जानबूझकर उकसा रही थी उसे ऐसा भी लग रहा था कि कहीं वह ऐसे ही ना बोल रहा हो और मन ही मन भगवान से प्रार्थना भी कर रही थी कि काश उसके बेटे को कुछ भी ना पता हो,,,)
अब क्यों चुप है बोलता क्यों नहीं बस खाए जा रहा है,,,इसलिए कहती हूं कि तुझसे अच्छा रघु है जो घर का कामकाज तो कर लेता है हाथ बटा लेता है,,,


तभी तो खुश होकर उसके लिए दोनों टांग खोल देती हो,,,(रामू एकदम से गुस्से में बोल गया,,,,उसकी बात सुनते ही नदिया के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई हो एकदम से हक्की बक्की रह गई वह आंखें फाड़े बस रामू की तरफ देखती रह गई,,,)

यययय,,, यह क्या,,,,,, क्या कह रहा है तू,,,,,, तुझे शर्म नहीं आती इस तरह से बातें करते हुए,,,,।

तुम्हें करवाने में शर्म नहीं आ रही है और मुझे कहने में क्यों शर्म आएगी,,,,


देख रही हूं अब तू ज्यादा बोल रहा है तेरे पिताजी से कह दूंगी,,,,।

कह दो मैं भी पिताजी से कह दूंगा,,की,,,तूफान वाली रात में तुम्हारे और रघु के बीच क्या हुआ था,,,,,
(रामू की बात सुनते ही ललिया एकदम से घबरा गई क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था वह बिल्कुल सच था लेकिन इसे कैसे पता चल गया इस बारे में उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था,,,)

दददद,,, देख रामु,,, तू मनगढ़ंत कहानी मत बना मैं डरने वाली नहीं तेरी बातों से,,, समझ गया ना आने दे तेरे पिताजी का मैं तेरे बारे में सब बता दूंगी तो कितनी गंदी गंदी बातें कर रहा था,,,,

सब झूठ लगता है ना मां तुम्हें,,, क्या यह भी झूठ है कि उस दिन जब रामू घर पर आया था तो तुम्हें चोदने के लिए आया था,,, मैं अपने कानों से सुना था,,, कि तुम दोनों के बीच क्या चल रहा था और क्या चल चुका था,,,, वह तो मैं अंदर वाले कमरे में मौजूद था वरना उस दिन भी रघू तुम्हें चोद कर जाता,,, अब कहो क्या वह भी गलत था,,,,
(रामू की बात सुनकर ललिया को पूरी तरह से समझ में आ गया और यकीन हो चला कि उसके बेटे को उसके और रघु के बीच जो कुछ भी चल रहा है सब कुछ पता चल गया है इस बात का एहसास ललिया को होते ही वह रोने लगी,,,, अब उसके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं बचा था,,,, रामू उसे चुप कराने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानता था,,,,, यही सही मौका है उसकी चुदाई करने का,,,,ललिया सिसक सिसक कर रो रही थी और सिसकते हुए बोली,,,)

इसमें मेरी कोई भी गलती नहीं है रघू की हीं गलती है,,, वही मुझे यह सब करने के लिए उकसाया था,,,।

अब जैसे भी हुआ हुआ तो सही ना अगर सोचे यह बात पिताजी को पता चल गई तो क्या होगा,,,

नहीं नहीं रामू तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा अपने पिताजी को यह बात बिल्कुल भी नहीं बताएगा,,,(ललिया रामू के दोनों कंधों पर अपना हाथ रख कर उसे समझाने के उद्देश्य से बोली अपनी मां की बातें सुनकर रामू को पूरा विश्वास हो गया कि यही सही मौका है अपनी मनमानी करने का,,,, इसलिए रामू अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला)


नहीं मुझसे यह बिल्कुल भी नहीं होगा जो गंदा काम तुमने की हो उसे पिताजी को बताना ही होगा और अगर साथ में चंदा और रानी दोनों को इस बारे में पता चलेगा तो उन पर क्या गुजरेगी और तुम्हारी ऐसी गंदी हरकत का ऊन पर क्या असर पड़ेगा कभी सोची हो,,,,


लेकिन रामू तो समझता क्यों नहीं जब तक तुउन्हें बताएगा नहीं तो उन्हें पता कैसे चलेगा,,,


मुझे बताना होगा,,,,।


नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं करेगा रामू,,,,( ललिया रामू के दोनों हाथों को अपने हाथ में कस के पकड़ते हुए बोली,,, ललिया के ब्लाउज का ऊपर का बटन खुला हुआ था जिस पर रामू की नजर पड़ गई थी और वह ब्लाउज में से झांकती अपनी मां की दोनों चूचियों को देखते हुए बोला,,,)

अगर मैं यह राज किसी को ना बताऊं तो इसमें मेरा क्या फायदा होगा मुझे क्या मिलेगा,,,,
(ललिया अपने बेटे की प्यासी नजरों को अपनी चुचियों पर धरती हुई महसूस कर ली,,, पल भर के लिए तो ललिया को एकदम से झटका सा लगा लेकिन उम्र दराज और अनुभवी होने के नाते उसके बेटे के मन में उसके लिए क्या चल रहा है उसे जल्द ही समझ में आ गया,,, वह अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए बोली,,,)

सब कुछ मिलेगा तुझे मैं वह सब कुछ दूंगी जो तू चाहता है बस तू यह राज अपने सीने में दफन रखना,,,,, क्या चाहिए तुझे,,,,?

सच कह रही हो जो मैं चाहता हूं वह तुम दोगी,,,,(रामू एकदम बेशर्म बन चुका था उसकी आंखों में वासना और हवस साफ नजर आ रहे थे,,, वह अपनी मां की चूचियों पर से अपनी नजर हटा नहीं रहा था उन्हें हीं घूरे जा रहा था,,,)

सब कुछ दूंगी रामू क्या चाहिए तुझे,,,, बस यह बात तु किसी को मत बताना,,,
(अपनी मां की यह बात सुनकर रामू को पक्का यकीन हो गया कि आज उसे वह सब कुछ मिलेगा जो उसकी मां ने रघु को दी थी अभी भी वह अपनी मां की दोनों चुचियों को देखे जा रहा था, जो कि ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से उसके ब्लाउज से बाहर आने के लिए फडफड़ा रहा था,,,)

बाद में मुकर तो नहीं जाओगी,,,

नहीं बिल्कुल भी नहीं बेटे,,,,


सोच समझकर बोलना,,,,,


मैं पूरी तरह से सोच विचार कर ही बोल रही हूं,,,।
(इतना सुनकर रामु से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था,,, अपनी मां की अर्धनग्न चुचियों को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,और वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की दोनों चुचियों को पकड़ते हुए बोला,,,)

मुझे वही चाहिए जो तुमने बारिश वाली रात को रघु को दी थी,,,,,।
(ललिया को इस बात का आभास हो गया था कि उसके बेटे के मन में क्या चल रहा है और वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार भी कर चुकी थी लेकिन फिर भी ऊपरी मन से गुस्सा दिखाते हुए बोली,,)

क्या,,,,,, पागल तो नहीं हो गया है तु,,,, तुझे कुछ पता है कि तू क्या बोल रहा है,,,,(ललिया अपने बेटे के हाथ को अपनी दोनों चूचियों पर से हटाते हुए बोली लेकिन चुचियों का स्पर्श रामू के तन बदन में उत्तेजना की लहर बढ़ा रहा था इसलिए वह फिर से अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की चुचियों पर ब्लाउज के ऊपर से ही रखते हुए बोला,,,)

मैं अपने पूरे होश में हूं मैं जानता हूं मैं क्या बोल रहा हूं और अगर तुम्हें अपना राज राज रखना है तो मेरी बात मानना पड़ेगा वरना मैं आज शाम को ही पिताजी से सब कुछ बता दूंगा और यह बात मैं चंदा और रानी दोनों को बता दूंगा,,,,


रामू तु एकदम बेशर्म हो गया है,,,, तु हवस मैं इतना अंधा हो गया है कि यह बात तु अपनी मां से ही बोल रहा है,,,,(ललिया इस बार अपने बेटे के हाथ को अपनी चूचियों पर से नहीं हटाई,,, क्योंकि रानी धीरे-धीरे ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियों को दबा रहा था और कई दिनों की प्यासी ललिया को अपने बेटे का इस तरह से इस तन मर्दन करना अच्छा लग रहा था,,,)

मैं सब जानता हूं कि मैं यह बात किस से बोल रहा हूं,,, मैं भी जानता हूं कि अब तुम्हें जवान लंड की जरूरत हो गई है,,, इसलिए तो रघु के बारे में पूछ रही हो,,,,(रामू अपनी मां की सूचियों को थोड़ा जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,)

,,रामू यह तो कैसी बातें कर रहा है इतनी गंदी बात बोल रहा है,,,,।


मैं कोई गंदी बात नहीं कर रहा हूं यह सब जरूरत है मेरी तुम्हारी रगों की एक दूसरे से अपनी जरूरत मिटाने की,,,, अगर मौका दो तो मैं भी तुम्हें घोड़े की सवारी का मजा दे सकता हूं जिस तरह से रघु ने तुमको दिया है,,,,(इतना कहते हुए रखो अपनी मां के ब्लाउज के बटन खोलने लगा उत्तेजना और वासना की आग में उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,, ऊसे मजा भी आ रहा था,,, और सही मायने में देखा जाए तो ललिया को भी इसमें आनंद मिल रहा था,,,। ललिया उसे रोकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं कर रही थी,,, क्योंकि उसे भी वही जरूरत थी जो रामू उससे मांग रहा था तभी तो उसे रघू की याद आ रही थी,,, देखते ही देखते रामू अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी नंगी चूचियों को अपने दोनों हाथों में थाम लिया और उसे दबाते हुए बोला,,,)

दोगी ना मौका मुझे,,,,, मैं तुम्हें एक दम मस्त कर दूंगा,,,


लेकिन तू यह बात किसी को भी मत बताना,,,,

बिल्कुल भी नहीं बताऊंगा मां,,,,,(इतना कहने के साथ ही रामू दरवाजे की तरफ देखा क्योंकि कुंडी नहीं लगी हुई थी वह तुरंत खड़ा हुआ और जाकर दरवाजे की कुंडी लगा दिया उसकी दोनों बहने अपनी सहेली के घर गई हुई थी और दोपहर के पहले आने वाली नहीं थी उसके पास पूरा मौका था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और यही हाल ललिया का भी था जो मजा उसे रघु के साथ मिला था उसी मजा के लालच में वह अपने बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए तैयार हो चुकी थी क्योंकि रामू भी उसका हमउम्र था और नौजवान हट्टा कट्टा लड़का था उसे यकीन था कि रघु की तरह वह भी उसकी जवानी को रोंग देगा,,,, रामू के पजामे में तंबू बन चुका था जिस पर रह-रहकर ललिया की नजर चली जा रही,,,, रघु अपनी मां के पास दुबारा पहुंचते ही उसे हाथ पकड़ कर खड़ी किया और उसी तरह से उसे अपनी बाहों में भर लिया,,,, नंगी नंगी चूचियों को अपनी छाती पर महसूस करते ही उसके तन बदन में आग लग गई प्रभा तुरंत अपनी कमी से निकाल कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी मां के ब्लाउज को भी उतार फेंका कमर के ऊपर से वह पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,,,, अपनी मां के बड़े बड़े दूध को देख कर उसके मुंह में पानी आने लगा और वह अपने दोनों हाथों से बनाकर अपनी मां की दोनों चुचियों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से दबाता हुआ मस्त होने लगा पहली बार वह चूची को हाथ में पकड़ा था और वह भी अपनी मां की,,, स्तन मर्दन की गर्माहट ललिया को व्याकुल कर रही थी रामू भी अपनी ताकत लगाकर अपनी मां की चुचियों को दबाने में मस्त था ललिया को अच्छा लग रहा था,,,,और देखते ही देखते रामू अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथ में पकड़ कर बारी-बारी से उसकी कड़ी तनी हुई निप्पल को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, ललिया के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज आने लगी,,,, जिंदगी में पहली बार रघु औरत के मुंह से इस तरह की आवाज को सुन रहा था या आवाज उसे मदहोश किए जा रही थी,,,, रामु इस मौके को पूरी तरह से जी लेना चाहता था इसलिए अपनी मां का हाथ पकड़कर वह बोला,,,,

खटिया पर चलो,,,,,, मां,,,,

(ललिया भी मदहोश हुई जा रही थी,,, इसलिए अपने बेटे की बात मानते हुए वह जाकर खटिए पर लेट गई,,, रामू की हालत खराब थी,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रामू का पूरा ध्यान उसकी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो पर थी जो की पूरी तरह से नंगी थी,,, रामू एक बार फिर से दरवाजे की जांच कर लिया कि कहीं कुंडी खुली तो नहीं रही गई है लेकिन दरवाजा पूरी तरह से बंद था,,, रामू धीरे से जाकर खटिया पर बैठ गया उसकी आंखों में शर्म बिल्कुल भी नहीं थी,,,,,क्योंकि उसे इस बात का पता था कि उसकी मां खुद बेशर्म है वरना उसके दोस्त के साथ चुदवाती नहीं,,,)

क्या मस्त चूचियां है मां तुम्हारी,,,,आहहहहह,,,इतनी बड़ी बड़ी हो रसीली इन्हें देख कर ही मेरे मुंह में पानी आ रहा है,,,(इतना कहने के साथ नहीं रामू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर एक बार फिर से अपनी मां की दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर उन्हें दबाना शुरू कर दिया और साथ ही उन्हें बारी बारी से अपने मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, ललिया मस्त हए जा रही थी उसे ऐसा लग रहा था कि रघू की कमी रामू जरूर पूरी कर देगा,,,, ललिया कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, उसे शर्म आ रही थी रामू की जगह अगर कोई और होता तो शायद खुलकर इसका मजा लेती लेकिन उसका बेटा था,,, इसलिए उसे शर्म आ रही थी लेकिन धीरे-धीरे अपने बेटे की बेशर्मी की वजह से उसके तन बदन में मदहोशी की लहर उठने लगी थी और उसे मजा आ रहा था देखते ही देखते यदि अपना हाथ अपने बेटे के सर पर रख कर उसे पुचकारने लगी,,, रामू को बहुत मजा आ रहा था उसकी जवानी आज पूरी तरह से अंगड़ाई ले रही थी,,,,खटिया पर लेटे लेटे ललिया कसमसा रही थी वह भी अपनी तरफ से हरकत करना चाह रही थी लेकिन शर्म के मारे उसके हाथ ज्यादा नहीं चल रहे थे,,,कुछ देर तक अपनी मां की चुचियों के साथ खेलने के बाद उसकी इच्छा और ज्यादा बढ़ने लगी वह अपनी मां की बुर देखना चाहता था जो कि उसकी मां ने उसके दोस्त को दे चुकी थी,,,,पर इसीलिए वह अपना एक हाथ नीचे की तरफ नहीं लाकर अपनी मां की साड़ी की गांठ को खोलने लगा,,,शर्म के मारे ललिया एकदम से कसमसा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका पिता उसे पूरी तरह से नंगी करना चाहता है लेकिन ऐसा करने से वह अपने बेटे को रोक भी नहीं रही थी क्योंकि उसे भी अपने बेटे की आंखों के सामने एकदम नंगी होना था और वह अच्छी तरह से जानती थी एक बार उसकी जवानी का सुहाग उसका बेटा चख लेगा तो जिंदगी भर के लिए उसका गुलाम बनकर रह जाएगा और जो राज को बेनकाब करने का नाम लेकर खूबसूरत बदन से खेल रहा है इसके बाद वह रोज उसकी जवानी से खेलेगी,,,।

देखते ही देखते अपने कांपते हाथों से रामू अपनी मां की साड़ी को खोल कर अपनी मां के पेटीकोट की डोरी को खोल दिया और उसे खींचकर निकालने की कोशिश करने लगा लेकिन ललिया की भारी-भरकम गांड के वजन के नीचे दबी होने के कारण पेटीकोट नीचे की तरफ खींचा नहीं पा रही थीइसलिए ललिया अपने बेटे का सहयोग करते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को पल भर के लिए ऊपर की तरफ उठा ले और इसी मौके का फायदा उठाते हुए रामू तुरंत अपनी मां की पेटीकोट को नीचे की तरफ खींच कर उसे एकदम से लंबी कर दिया अपनी मां के नंगे बदन को देखकर रामू की आंखों में वासना की चमक जाग उठी गोरी गोरी मोटी मोटी जांगे,,,,लेकिन ललिया शर्म के मारे अपनी हथेली से अपनी बुर को छिपाए हुए थी,,, रामु अपनी मां की बुर देखना चाहता था इसलिए अपनी मां के हाथ को हटाते हुए बुला,,,,।

हाय मेरी रानी अपना हाथ तो हटाओ,,,,(अपने बेटे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनकर वह एकदम शर्म से पानी पानी हो गई,,, रामू की नजर जैसे कि अपनी मां की रसीली बुर पर पड़ी वह हक्का-बक्का रह गया,,,,जिंदगी में पहली बार हुआ अच्छी तरीके से और इतने करीब से बुर देख रहा था और वह भी अपनी मां की,,, वह इतना ज्यादा उत्तेजना से भर गया कि उसे लगने लगा कि जैसे उसका पानी निकल जाएगा सिर्फ अपनी मां की बुर देखकर उसका यह हाल था,,, ललिया मदहोश हुए जा रही थी,,,अपने बेटे को पागलों की तरह फटी आंखों से अपनी बुर को देखते हुए पाकर ललिया से रहा नहीं गया और वह अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के बाल को पकड़ कर उसके मुंह को लगभग जबरदस्ती दबाते हुए अपनी दोनों टांगों के बीच दबा दी और उसके मुंह से बस इतना निकला,,,

चाट मेरी बुर,,,,,,
(अपनी मां की हरकत को देखते हुए रामू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां कितनी बड़ी छिनार हैऔर वह भी अपनी मां की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया,,, शुरू शुरू में उसका स्वाद थोड़ा सा अजीब लगा लेकिन उसके बाद उसे मजा आने लगा,,, ललिया मदहोश हो गए जा रही थी टूटी खटिया चरर चरर कर रही थी हालांकि अभी चुदाई बिल्कुल भी शुरू नहीं हुई थी लेकिन भारी भरकम शरीर लिए हुए दोनों के वजन से खटिया चरर चरर कर रही थी,,, लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका था, बस हथोड़ा मारने की देरी थी,,,, वह रामू को अपनी जांघों के बीच से हटाई और उसे अपना पजामा उतारने के लिए बोली रामू भी काफी उतावला था इसलिए खटिया से नीचे उतर कर अपना पजामा उतार फेंका ,,, अपनी मां की आंखों के सामने का पूरी तरह से नंगा हो गया,,, रामू का भी लंड अच्छा खासा था,,, जिसे देखकर ललिया को संतुष्टि हुई वह अपनी दोनों टांगें फैला दी और देखते ही देखते रामू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर एकदम से एक ही झटके में अपना लंड उसकी बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया,,,, रामू में धैर्य बिल्कुल भी नहीं था इसलिए नतीजा यह हुआ कि चार-पांच झटके में ही उसका पानी निकल गया ललिया एकदम से नाराज हो गई,,,, और उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए बोली,,,।

इसलिए मे रघू को याद कर रही थी क्योंकि वहा तेरी तरह पागल नही हो जाता बल्कि दिमाग से काम लेता है और देर तक टिका रहता है ताकि उसे भी मजा मिले और मुझे भी,,,
(रामू अपनी मां की बात सुनकर शर्मिंदा हो गया था लेकिन एकदम से टेस में आ गया था,,, और बोला)

मुझे एक मौका और दे फिर देखना मैं तुझे रघु को भुला दूंगा,,, बस एक बार मेरा लंड मुंह में लेकर चूसकर खड़ा कर दें,,,,
(ललिया की प्यास बुझी नहीं थी बल्कि और ज्यादा बढ़ गई थी इसलिए वह तुरंत अपने बेटे के मुरझाए लंड को मुंह में लेकर चुस कर एक बार फिर से खड़ा कर दी,,,और एक बार फिर से रामू अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आ गया और एक बार फिर से उसकी पेड़ के अंदर उतर गया लेकिन इस बार वाकई में रामू धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,, लेकिन जिस तरह की रगड़ और जबरदस्त धक्के का प्रहार ललिया रघु के लंड से महसूस करती थी उस तरह से अपने बेटे के लंड से बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था लेकिन मजा जरूर आ रहा था,,, इस बार रामू अपनी मां को लगभग लगभग 15 मिनट तक जमकर चुदाई किया और उसके ऊपर ढेर हो गया,,,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे बढ़िया को यह बात अच्छी तरह से महसूस हो रही थी कि जिस तरह से रघू अपने लंड से चोद कर उसकी बुर को पानी पानी कर देता था,,, उस तरह का दम रामू नहीं दिखा पाया था लेकिन कोशिश बराबर किया था ललिया का दो काम हो चुका था एक तो उसका राज राज बन कर रह गया था और घर में ही उसे जवान लंड का जुगाड़ हो चुका था लेकिन फिर भी रघु से मिलने की तड़प उसके मन में बार-बार जाग रही थी,,,।
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Devang

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रघु सही सलामत जमीदार की बीवी को लेकर घर वापस आ चुका था,,, जमीदार की बीवी का सामान लेकर रघु उसके पीछे पीछे उसके कमरे तक उसका सामान पहुंचाने गया,,,, जब रघू प्रताप सिंह की हवेली पर पहुंचा था तब प्रताप सिंह वहीं पर मौजूद था और दो चार लोग से बातें कर रहा था,,, उसी नहीं रघु को तांगे से सामान उतार कर उसके कमरे तक पहुंचाने के लिए इशारा किया था,,,,।
थोड़ी ही देर में रघू जमीदार की बीवी के पीछे पीछे उसके कमरे तक पहुंच गया,,,,।

ठीक है रघु उस कोने में सामान रख दो मैं रख लूंगी,,,
(बताए गए जगह पर रघु सामान रखकर जमीदार की बीवी से इजाजत लेने लगा,,,)

अच्छा तो मालकिन अब मैं चलता हूं,,,,
(जमीदार की बीवी रघु को बड़े गौर से देखने लगी,,, रघु से पूछा था ना वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी पिछले कुछ दिनों में जो सुख रघु ने उसे दिया था उसी सुख के लिए वह तड़प रही थी,,,, अब रघु उससे दूर होने वाला था अब ना जाने कब उससे मुलाकात होती है इसलिए वो रघु को जी भर कर देख लेना चाहती थी,,,, जमीदार की बीवी ऊसे बस देखे जा रही थी कुछ बोल नहीं रही थी,,, रघु भी जाने से पहले उसके खूबसूरत चेहरे को जी भर कर देख लेना चाहता था ,,, इसलिए वह भी जमीदार की बीवी के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए बोला,,,)

क्या हुआ मालकिन ऐसे क्यों देख रही है,,,?

अब ना जाने तुझ से कब मुलाकात होगी,,, जिस तरह का सुख तूने मुझे दिया है वह शायद सुख में अब कभी भी नहीं पा सकूंगी,,,,।


ऐसा क्यों कहती है मालकिन मैं आपसे मिलने आता रहूंगा,,,, लेकिन यहां आने का कोई तो बहाना होना चाहिए ना मालकीन,,,,,,,,(रघु यह कहकर अपना काम निकला ना चाहता था वह अपनी बहन का रिश्ता आगे बढ़ाना चाहता था इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) अगर मेरी बड़ी बहन तुम्हारे घर की बहू बन जाए तो मेरा यहां पर आना जाना हमेशा बना रहेगा,,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ना करो मैं वादा करती है मैं उनसे बात करूंगी और वह मेरी बात कभी भी इनकार नहीं कर पाएंगे,,,,,(मालकिन की बात सुनते ही रघु एकदम से खुश हो गया और खुशी के मारे और उत्तेजना के असर में वह तुरंत जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोला,)

औहहहह ,,,, मालकिन,,, आप कितनी अच्छी हो,,,।
(रघु की यह हरकत प्रताप सिंह की बीवी के तन बदन में एक बार और मादकता की चिंगारी को भरने लगी वह और कस के उसकी बाहों में समाने लगी,,,, एक बार फिर से औरत के संसर्ग में आते ही उत्तेजना के मारे उसका लैंड खड़ा होने लगा और देखते ही देखते जमीदार की बीवी की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर के ऊपर ठोकर मारने लगा,,,, प्रताप सिंह की बीवी आंखों के लेंस को अपनी बुर के ऊपर ठोकर मारता हुआ बड़े अच्छे से महसुस कर रही थी,,, वह भी एकदम से उत्तेजित हो गई और खुद ही अपनी कमर को आगे बढ़ा दी,,, रघू कामवासना से एकदम लिप्त हो गया और देखते ही देखते अपने दोनों हाथों को ठीक उसकी बड़ी बड़ी गांड पर रखकर जोर जोर से दबाने लगा साड़ी के ऊपर से भी जमीदार की बीवी को रघु के द्वारा इस तरह से नितंब मर्दन का आनंद बड़े अच्छे से प्राप्त हो रहा था,,, रघू का लंड एकदम कठोर हो चुका था,,,,। एक बार फिर से उसका लंड जमीदार की बीवी की बुर में जाने के लिए मचल उठा और जमीदार की बीवी भी अपनी बुर में रघू के लंड को अपने अंदर समाने के लिए तड़प उठी,,,,,। रघु पागल हुआ जा रहा था वो धीरे धीरे जमीदार की बीवी की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा लेकिन जमीदार की बीवी पूरे होशो हवास में थी भले मदहोशी के आलम में मस्त हुए जा रही थी दरवाजा अभी भी खुला हुआ था इसलिए वह,, रघु की बाहों से अपने आप को छुड़ाते हुए बोली,,।)

रुको रघू दरवाजा खुला है,,,(इतना कहने के साथ ही वह दरवाजे की तरफ आगे बढ़ी हो दरवाजा को बंद करके कड़ी लगा दी,,,,जमीदार की बीवी भी जल्दबाजी में थी क्योंकि उसे अपने घर का हाल मालूम था बहुत दिनों बाद वह अपने घर से लौटी थी इसलिए उससे मिलने के लिए कोई भी आ सकता था उसका पति प्रताप सिंह भी आ सकता था और वह इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे क्योंकि वास्तव में रघु से कब मुलाकात होगी इसका ज्ञान उसे बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह रघु से इस समय चुदवाने के मूड में थी,,,,)

रघु जो भी करना जल्दी करना क्योंकि कोई भी आ सकता है,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मालकिन मैं फटाफट काम खत्म कर दूंगा,,,,, बस मेरी जान दरवाजा पकड़कर घोड़ी बन जा,,,,,(रघु जमीदार की बीवी की चिकनी कमर पकड़कर उसे दरवाजे की तरफ घुमाते हुए बोला,,,जमीदार की बीवी को अच्छी तरह से मालूम था कि अब उसे क्या करना है वह तुरंत दरवाजे की तरफ घूम गई और दोनों हाथ से दरवाजे का सहारा लेकर झुक गई रघु पूरी तरह से तैयार था इसलिए तुरंत,,, जमीदार की बीवी की साड़ी को पकड़कर एक झटके से उठाकर उसे कमर तक कर दिया,,, पलक झपकते ही जमीदार की बीवी कमर से नीचे एकदम नंगी हो गई जमीदार की बीवी की तरबूजे जैसी गोल-गोल गांड देखकर रघु की आंखों में चमक आ गई,,, और वह अपना पैजामा नीचे करके अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर जमीदार की बीवी की गुलाबी बुर में डाल दिया,,,,आहहहहहह,,,की आवाज के साथ जमीदार की बीवी रघु के लंड को अपनी बुर के अंदर प्रस्थान करने की इजाजत दे दी,,,,पहले से ही रघू के लंड का सांचा जमीदार की बीवी की बुर में बन चुका था इसलिए ज्यादा कठिनाई उसे अंदर ठेलने में रघु को बिल्कुल भी नहीं हुई,,,, रघु जमीदार की बीवी की मद मस्त गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया,,,, थोड़ी ही देर में जमीदार की बीवी की गर्म सिसकारी कमरे में गुंजने लगी,,, जमीदार की बीवी एकदम मदहोश हो चुकी थी वह भी भूल गई कि वह अपने शयनकक्ष में एक गैर लड़के से चुदाई का मजा लूट रही है,,, चुदाई एकदम चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी रघु के माथे पर जमीदार की बीवी की गर्म जवानी का असर साफ दिख रहा था उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,, सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी और सांसो से भी तेज उसकी कमर चल रही थी जमीदार के बीवी दरवाजे की कड़ी पकड़कर लटकी हुई थी उस का सहारा लेकर चुदाई का मजा लूट रही थी,,,, तभी कदमों की आहट और पायल की छनक दरवाजे के बाहर सुनाई देने लगी दोनों चुदाई में एकदम मसगुल थे,,,, और दरवाजे पर दस्तक होने लगी दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर दोनों एकदम सन्न हो गए,,, रघु एकदम से घबरा गया,,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है,,,,।


माजी दरवाजा खोलिए,,,,,
(आवाज सुनते ही जमीदार की बीवी समझ गई थी उसकी बड़ी बहू राधा है और वह बहाना बनाते हुए बोली,,,)

थोड़ा रुक जाओ बहु,,, मैं सामान ऊपर चढ़वा रही हुं,,, थोड़ा इंतजार करो मैं दरवाजा खोलती हूं,,,,।
(जमीदार की बहू राधा इतना सुनकर खामोश हो गई और वही खड़ी हो गई उसे यही लग रहा था कि उसकी सास अंदर सामान ऊपर चढ़वा रही होगी,,, उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था कि कमरे के अंदर उसकी सास गैर लड़के से चुदवा रही है,,,, रघु का लंड अभी भी जमीदार की बीवी की बुर की गहराई में धंसा हुआ था,,,, रघु अभी भी घबराया हुआ था,, उसे अभी भी समझ में नहीं आ रहा था कि अपने लंड को अंदर डाले या बाहर निकाल ले तभी जमीदार की बीवीरघु की तरफ पीछे मुड़कर देखते हुए उसे हाथ से इशारा करके आगे बढ़ने के लिए बोली और उसे अपने होठों पर अपनी उंगली रख कर चुप रहने का इशारा भी की,,,रघु को अब तक इस बात का एहसास तो हो गया था कि दरवाजे पर दस्तक देने वाली उसकी बहू थी और इस बात से उसकी उत्तेजना और बढ़ गई थी कि एक औरत अपनी बहू की मौजूदगी में किसी गैर मर्द से चुदाई का भरपूर आनंद लूट रही थी,,, जमीदार की बीवी की तरफ से खुला इशारा पाते ही रघु भला कहां रुकने वाला था वह एक बार फिर से जमींदार की बीवी की कमर दोनों हाथों से पकड़कर चोदना शुरू कर दिया बड़ी मुश्किल से जमीदार की बीवी अपने मुंह से निकलने वाली गर्म सिसकारी को अपने होठों को दबाकर रोके हुए थी,,,,,,, जमीदार की बीवी भी काफी उत्साहित और उत्तेजित हो चुके थे केवल अपनी बहू की मौजूदगी की वजह से इसलिए उत्तेजना के मारे वह अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी,,,, बाहर खड़ी राधा कुछ समझ नहीं पा रही थी,,, उसे केवल कमरे के अंदर से चूड़ी की खनक और पायल की छनक की आवाज के साथ साथ ठप्प ठप्प की आवाज आ रही थी और जहां तक राधा एक शादीशुदा औरत है और इस तरह की आवाज से अच्छी तरह से वाकिफ थी उसे शंका हो रही थी कि कमरे के अंदर जरूर कुछ गलत चल रहा है,,, वह कमरे के अंदर देखना चाहती थी आखिरकार यह आवाज आ कैसी रही है,,, वह दरवाजे मेसे ऐसी जगह ढूंढने लगी जिससे अंदर का नजारा देखा जा सके,,लेकिन दरवाजे के अंदर उसे जरा सी भी तरह की दरार या छेद नजर नहीं आया जहां से वह अपनी शंका को दूर कर सके,,,और इसी बीच दोनों अपने चरम सीमा पर है दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी साथ ही रघु की कमर बड़ी तेजी से अपना रास्ता नाप रही थी,,, और उसकी कमर के लय के साथ पूरी तरह से अपनी लय मिलाते हुए जमीदार की बीवी बड़ी बड़ी गांड को पीछे की तरफ ठेल रही थी,,। देखते ही देखते रघु अपने दोनों हाथ जमीदार की बीवी की चिकनी कमर पर से हटा करआगे की तरफ ले आया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दोनों कबूतरों को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए अपने आखिरी धक्कों को मारने लगा,,, और दोनों एक साथ झड़ गए,,,दोनों का काम खत्म हो चुका था दोनों एक बार फिर से अद्भुत सुख को भोग चुके थे,,, जैसे ही रघू ने न अपना लंड बाहर निकालाप्रताप सिंह की बीवी तुरंत खड़ी हुई और अपने कपड़ों को सही करने लगी,, और हाथ का इशारा करके रघू को सामने की दीवार पर लगी सीढ़ी पर चढ जाने के लिए बोली और रघु ने वैसा ही किया,,,, रघू तुरंत सीढ़ी पर चढ़ गया और प्रताप सिंह की बीवी अपना सामान उसे हम आने लगी और ऊपर रखने के लिए बोलने लगी ताकि बाहर आवाज सुनाई दे,,,।

हां हां रघु बस वैसे ही ऊपर रख दो बस हां ऐसे ही,, देखना गिरे नहीं आराम से,,,
(बाहर खड़ी राधा को अपनी सास की यह आवाज सुनाई दे रही थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब तक तो सब कुछ शांत और अजीब अजीब सी आवाज आ रही थी तो एकाएक बोलने की आवाज कैसे आने लगी और वह भी इतनी देर के बाद,,, उसे बराबर शंका हो रही थी कि अंदर जरूर गलत ही हो रहा था इसलिए एक बार फिर से दरवाजे पर दस्तक देने लगी और बोली,,,।)

माझी खोलिए ना इतना देर क्यों लगा रही हो,,,,

अरे आई बहू,,,, बस थोड़ा रुको,,,,,
(इतना कहते हुए वह जानबूझकर दरवाजे के पास आई और दरवाजे की कड़ी खोलकर दरवाजे को खोलते हुए बोली,,,)

क्या है बहु कब से कह रही हूं कि अभी खोल रही हूं फिर भी,,,
(जैसे ही दरवाजा खुला वैसे ही प्रताप सिंह की बहू राधा कमरे के अंदर निगाह डाल कर देखने लगी तो सामने ही सीढ़ी पर चढ़ा हुआ उसे हट्टा कट्टआ नौजवान नजर आया,,, जिसके जवान बदन को देखते ही राधा के मन में हलचल होने लगी,,, जमीदार की बीवी एक बार फिर से रघु की तरफ जाते हुए बोली।)

रुक रघु तुझे दूसरा सामान थमाती हूं,,,(इतना कहकर वह दूसरे सामान को उठाकर थमाने लगी लेकिन सामान थोड़ा वजन थाइसलिए प्रताप सिंह की बीवी से उठ नहीं रहा था तो उसकी मदद करने के लिए उसकी बहू रहा था आगे बढ़ी और दोनों मिलकर सामान ऊपर की तरफ उठा कर रघ को थमा दिए रघु अकेला ही उस सामान को उठा कर ऊपर बने मेड पर रख दिया,,, समान रखकर वह नीचे उतर आया,,, और जमीदार की बड़ी बहू को नमस्ते किया और नमस्ते करने के साथ ही उसकी खूबसूरती को अपनी आंखों में उतार लिया वह भी बला की खूबसूरत थी लंबी सुडौल बदन की मालकिन,,,,,, तभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि प्रताप सिंह की बड़ी बहू मतलब लाला की बेटी,,,, और इतना एहसास होते ही वह उससे बातचीत करने का बहाना ढूंढते हुए बोला,,,।)

बड़ी बहू अगर कोई संदेशा हो तो मुझे कह दीजिएगा मैं आपके पिताजी तक पहुंचा दूंगा क्योंकि मैं उन्हीं का तांगा चलाता हूं,,,,।
(इतना सुनते ही राधा के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और वो खुश होते हुए बोली,,,) सच में तुम पिताजी का तांगा चलाते हो,,।

हां बड़ी बहू सच में,,,

औहह,,, यह तो बहुत खुशी की बात है वैसे तो कोई संदेशा नहीं है लेकिन फिर भी कह देना कि मैं बहुत जल्दी आने वाली हूं,,,,।

ठीक है मैं कह दूंगा,,,, और मालकिन आप भी अपना वादा याद रखना,,,,
(इतना कह कर रघु कमरे से बाहर निकल गया मन में यह सोचता हुआ कि यह बड़ी बहू और छोटी बहू उसकी बड़ी बहन शालु बनेगी,,, दोनों सास बहू रघु को जाते हुए देखती रह गई,,, जमीदार से इजाजत लेने के बाद वह अपने घर पहुंच गया जहां पर उसे देख कर उसकी मां और बहन बहुत खुश थी और जब रघु के आने की खबर लगी आपको हुई तो वह अपना काम छोड़कर उससे मिलने आई वह भी बहुत खुश थी रामू को भी रघु के आने की खबर मिली लेकिन अब उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और वैसे ही वह रघु को मन ही मन धन्यवाद भी दे रहा था क्योंकि उसकी वजह से ही उसे चुदाई का सुख भोगने को मिला था और वह भी अपनी मां के साथ,,,।
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दोपहर का समय था रघु नहा धोकर खाना खाने बैठा हुआ था उसके ठीक सामने उसकी मां बेटी थी और रघु के बगल में शालू बैठकर खाना खा रही थी,,, रघु केवल तोलिया लपेट कर बैठा हुआ था,,, एक टांग घुटने से मोड़कर और दूसरे टांग को नीचे जमीन पर घुटने से मोड़कर आराम से बैठा हुआ था,,,, इस तरह से रघू बेहद चालाकी दिखाते हुए बैठा था क्योंकि उसके ठीक सामने उसकी मां बेठी हुई थी,,, खाना खाते समय तीनों में बातचीत चल रही थी कजरी जमीदार की बीवी के मायके के बारे में पुछ रही थी और रघु बड़े चाव से रास्ते से लेकर प्रताप सिंह की बीवी के घर तक की खबर बता रहा था,,,। जिस इरादे से रघु अपनी मां के ठीक सामने बैठा था अभी तक वह अपने इरादे में कामयाब नहीं हुआ था,,, बातचीत का दौर शुरू था कजरी अपने बेटे की नंगी चौड़ी छाती को देखकर गर्व महसूस कर रही थी जिस पर से अभी भी पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह फिसल रहे थे रघु को इस बात का एहसास था कि उसकी मां चोर नजरों से उसकी लंबी चौड़ी छाती को देख रही है लेकिन वह जो दिखाना चाह रहा था अभी तक उस पर नजर नहीं पड़ी थी कि तभी जानबूझकर अपनी मां से बात करते हुए रघु अपना एक हाथ नीचे तो ले जाकर अपने लंड को खुजाने लगा जो कि वह यह पूरी तरह से जता रहा था कि उसे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं है कि तौलिए के अंदर से उसका लंड नजर आ रहा है,,, रघु के द्वारा अपना लंड खुजाने की वजह से कजरी की नजर एकाएक उसके तौलिए के अंदर पहुंच गई और अंदर का नजारा देखते ही वह एकदम से सिहर उठी,,,। कजरी अपने बेटे के लंड को एकदम साफ साफ देख आ रही थी जो कि अभी इस समय से सुसु्तावस्था में था,,,, रघू सफर की सारी बातें बताता चला गया केवल जमीदार की बीवी की चुदाई की बात छोड़ कर,,,,रघु को इस बात का एहसास हो गया था कि उसकी मां की नजर उसके तोलिए में पहुंच चुकी है,,,।इस बात को लेकर रघु के तन बदन में हलचल सी होने लगी थी क्योंकि यह पहला मौका था जब जानबूझकर अपनी मां को अपने लंड के दर्शन करा रहा था,,, कजरी से तो अब खाना बिल्कुल भी खाया नहीं जा रहा था उसका ध्यान पूरी तरह से अपने बेटे के तौलिया के अंदर सिमट कर रह गया था,,,। रघु जानबूझकर अपनी मां से बातें कर रहा था,,,,,।

सच कहूं तो जमीदार की बीवी बहुत अच्छी औरत है,,,,, उनके बात करने का ढंग बोलने का तरीका रहन सहन सब कुछ बहुत ही बेहतरीन है,,,,( रघु को इस बात का एहसास की उसकी मां उसके लंड को देख रही है उसके सोए हुए लंड में जान आने लगी उसका तनाव बढ़ने लगा और कजरी ध्यान से लेकिन चोर नजरों से अपने बेटे के लंड में आए तनाव को बराबर देख रही थी,,, बरसों के बाद वह लंड को अपनी आंखों से बड़ा होता हुआ देख रही थी,,,, अपने बेटे की बात को आगे बढ़ाते हुए कजरी बोली)

मुझे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगता था की मालकिन इतनी अच्छी होगी,,,, वैसे मालिक और मालकिन दोनों की उम्र में काफी अंतर है,,,।

हां मां,,, मालकिन खुद मुझे यह बताइ कि उनके और उनके पति के उम्र में काफी अंतर है,,,,।(इतना कहते हुए रघू एक बार फिर से,,, अपने लंड को खुजाने का नाटक करने लगा अपने लंड को अपने हाथ का स्पर्श देकर वह इतना तो समझ गया कि उसका लैंड पूरी औकात में आ चुका है,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था आखिरकार अपनी मां को जो अपना लंड दिखा रहा था यह बेहद कामुकता भरा नजारा था जोकि किसी भी औरत के लिए अद्भुत और कामुकता के साथ-साथ अतुल्य देखा क्योंकि इस तरह का नजारा देख पाना शायद दूर्लभ ही होता है और जब खुद सगा बेटा अपना लंड दिखाएं तो,,, शालू कुछ भी नहीं बोल रही थी वहां बस खाना खाए जा रहे थी और अपने मन में यही सोच रही थी कि कब उसका भाई उसे अकेले मिले,,, लेकिन कजरी की हालत खराब थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और उत्तेजना के मारे उसकी सांसे काफी भारी चल रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार कुछ ज्यादा ही मादक रस,,, उगल रही थी,,। कजरी अपने बेटे की बातें सुनकर बोली।)

क्या बताई तुझे मालकिन ने,,,(निवाला अपने मुंह में डालते हुए बोली )

बाकी ने मुझे यह बताइए कि उनकी शादी उनके मर्जी के खिलाफ हुई थी वह जमीदार से शादी नहीं करना चाहती थी लेकिन उनके पिताजी जमीदार से काफी पैसा उधार लिए हुए थे और जमीदार ने उन उधारी के बदले मे उनकी बेटी से शादी करने की इच्छा जाहिर की,,,, और मालकिन के पिता जी मान गए और उनकी शादी हो गई,,, और तो और मां मालिक ने तो मालकिन के मायके में हवेली बनाकर उन्हें दिया है सब कुछ सही है,,,,।
(रखो अपनी बात कह तो रहा था लेकिन ज्यादातर वह इसी फिराक में था कि वह कितना अपने लंड का दर्शन अपनी मां को करा दे,,, और इसी ताक मेकजरी भी लगी हुई थी भले वो एक कान से अपनी बेटे की बातों को सुन रही थी लेकिन उसकी नजरें उसके चोलिए में उसके खड़े लंड पर टिकी हुई थी,,,,वह अपने बेटे के लंड को बराबर देख रही थी और अपने मन में यही सोच रही थी कि उसके बेटे का लंड कितना भयानक लेकिन कितना लुभावना है,,,,,और अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में जाएगा तो,,,हाय राम यह क्या मैं सोच रही हूं इस तरह की बातें सोचना भी गुनाह है,,,,, नहीं नहीं मैं अपने बेटे को लेकर इस तरह के गंदे ख्याल अपने मन में नहीं ला सकती,,,,, कजरी को इस तरह के गंदे ख्याल अपने मन में लाकर अपने आप पर ग्लानी भी हो रही थी लेकिन इस अद्भुत मनमोहक नजारे को देखे बिना उसका मन भी नहीं मान रहा था वह बराबर अपनी बेटे के लंड को देख रही थी जो कि पूरी तरह से खिल उठा था,,, कजरी अपने बेटे की बात सुनकर बोली,,,)

बाप रे मालकिन ने तुझे सब कुछ बता दी,,,,

हां मां मालकीन ने मुझे सब कुछ बता दी,,,, लेकिन एक बात और मां,,,


क्या,,,,(ग्लास उठाकर पानी पीते हुए कजरी बोली,,,)


यही कि अगर भगवान ने चाहा तो,,,,(इतना कहते हुए रघु एक बार फिर से अपना हाथ अपने तोलिया के अंदर डाला और अपने लंड को दोनों उंगलियों से पकड़ कर उसे पीछे की तरफ खींच कर उसके बदामी रंग के सुपाड़े को पूरी तरह से उजागर कर दिया,,,,, और इतना करने के बाद वहां तकरीबन 2 सेकंड के लिए अपने लंड को उसी अवस्था में ऊपर नीचे करके हिला दिया,,,, यह अद्भुत नजारा कजरी के लिए जानलेवा था,,,,यह नजारा देखकर कजरी अपने सब्र का बांध पूरी तरह से खो चुकी थी और देखते ही देखते उसकी बुर से मदन रस की दो बूंद नीचे चु गई,,,यह नजारा कजरी के लिए बेहद अद्भुत था वह पूरी तरह से अपने बेटे के लंड पर मर मिटी थी,,,, रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) अपनी सालु उस घर में बहू बनकर जाएगी,,,,
(इतना सुनते ही जो कि अभी तक शालू और दोनों की बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी वह एकदम से रघु की तरफ देखने लगी कजरी भी आश्चर्य से अपने बेटे के चेहरे की तरफ देखने लगी क्योंकि जो कुछ भी हो कह रहा था उस पर विश्वास करने लायक कजरी के लिए बिल्कुल भी नहीं था,,, अपनी मां के चेहरे पर आश्चर्य के भाव देखकर रघु बोला,,,)

मैं सच कह रहा हूं मैं बात ही बात में मैंने शालू के शादी की बात उनके छोटे लड़के बिरजु के साथ कर दिया था,,,

तो क्या तेरी बात मालकिन मान गई,,,,

वह तो खुश हो गई ,,, और मुझसे वादा देख ली है कि वह मालिक से जरूर बात करेंगे और उनकी बात मालिक कभी नहीं टालेंगे,,,,।
(रघु की बात का विश्वास कजरी को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि जमीन और आसमान कभी एक नहीं हो सकते थे भले ही देखने में एक हो जाए लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सकता और प्रताप सिंह ने और उन में जमीन आसमान का फर्क था इसलिए रघु कि यह बात को हवा में उड़ाते हुएकचरी एक बार फिर से अपना सारा ध्यान अपने बेटे के तोलिए में केंद्रित कर दी,,,। अपने बेटे का फुंफकारता हुआ लंड देखकर उसकी बुर फुदक रही थी,,,,, और अपने मन में बोल रही थी हाय राम इसका तो एकदम मुसल जैसा है एक बार बुर मे घुसा तो फाड़ कर ही निकलेगा,,,,,। जिस तरह का नजारा रघु दिखा रहा था उसे देखकर कजरी की बुर पानी पानी हो गई थी वह हैरान थी इतने वर्षों तक वह सुखी पड़ी हुई थी लेकिन अब उसमें हरियाली और नमी आना शुरू हो गई थी ऐसा लग रहा था कि सावन करीब आ रहा है,,,,,। रघु का दिल भी जोरों से धड़क रहा था पहली बार हिम्मत करके अपनी मां को अपना खड़ा लंड दिखाया था और वह भी उसे छूकर स्पर्श करके हिला कर के,,,अपनी मां के सामने इस तरह की गंदी हरकत करना एक बेटे के लिए नामुमकिन सा होता है लेकिन रघु के लिए भी यह नामुमकिन ही था लेकिन वासना उसके ऊपर पूरी तरह से अपना असर दिखा चुकी थी अब तो उसकी जिंदगी में अनगिनत औरतें और लड़कियां आती जा रही थी जिन्हें चोद कर वह दिन-ब-दिन ,, और भी ज्यादा परिपक्व होता जा रहा था,,,, अपनी मां को भी लाइन पर लाना चाहता था इसलिए इस तरह से अपनी गंदी हरकत करके उसे दिखा रहा था ताकि उसके मन में भी काम ज्वाला भड़के और वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तड़प उठे,,,, वैसे तो रघु की यह हरकत कजरी पर एकदम बराबर काम कर रही थी कजरी अपने बेटे पर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी खास करके उसके बमपिलाट लंड पर,,,
खाना खाकर रघु दिन भर की थकान से थक कर आराम करने लगा वही कजरी का बुरा हाल था अपने बदन की गर्मी को शांत करने के लिए उसे ठंडे पानी से नहाना पड़ा,,, और शालु एकांत ढूंढ रही थी अपने भाई से एकाकार होने के लिए उसके गैरमौजूदगी में उसने प्रताप सिंह के बेटे बिरजू से शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की थी लेकिन वह निरर्थक ही रहा,,,जिससे उसकी प्यास और बढ़ गई थी लेकिन इस समय उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिला था अपने भाई के साथ चुदवाने के लिए,,,

देखते ही देखते शाम हो गई और रघू अपनी गाय भैंस और बकरी उन्हें चराने के लिए बाहर निकल गया,,, वही खुले मैदान में जहां हरी हरी घास उगी हुई थी वहीं पर चंदा और रहने और रामू तीनों की अपने अपने जानवर लेकर आ गए थे,,,, इधर उधर की बातें और खेलकूद में शाम बीत गई रामू और रानी दोनों घर वापस लौट गए लेकिन चंदा वहीं रुक गई थी क्योंकि उसके भरोसे जो जानवर था वह काफी दूर निकल चुका था,,,, वह रघू से,,, दूर गई हुई गाय को लाने के लिए बोली तो रघू बोला,,,।

मैं नहीं जाऊंगा तु जा कर ले आ जब दूर जा रही थी तो जाने क्यों दी,,,


मैं नहीं देख पाई थी रघू,,,देख अंधेरा हो रहा है और मुझे इतनी दूर जाने में डर लग रहा है ,,,


मैं नहीं जाऊंगा बस तुझे ही लाना होगा,,,।


मैं तेरे हाथ जोड़ती हूं रघू जाकर ले आ,,,,,


देख मेरे सामने इस तरह से गिड़गिड़ा मत,,,,,, मुझे भी घर पहुंचने में देर हो जाएगी तो मां डांटेगी,,,,।


देख रहा हूं वहां पर जाकर मेरी गाय को वापस लेकर आना तेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है तु ऐसा कर सकता है,,,।

मैं ऐसा कर तो सकता हूं लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा,,,।


बदले में,,,,, बदले में,,,,(कुछ पल तक सोचने के बाद) कल मेरे मामा के वहां से ढेर सारा मीठा गुड़ आया है मैं तुझे 2 गेट्टे दूंगी,,,,

धत्त,,,,,, मुझे गुड़ से मुंह मीठा थोड़ी करना है,,,,,।


मुझे तो तेरे होठों से मुंह मीठा करना है,,,,

(इतना सुनते ही चंदा आश्चर्य से रघु की तरफ देखते हुए लेकिन एकदम से शरमाते हुए बोली।)

धत्त,,, पागल हो गया है क्या तू ,,,,,तुझे यह कहते शर्म भी नहीं आती,,,,,,
(चंदा शर्मा रही थी,,,, आखिरकार वह भी जवान थी उसके भी अरमान थे लेकिन रघू इस तरह से एकाएक यह शब्द बोल देगा उसे इस बात का अंदाजा तक नहीं था इसलिए मैं एकदम से शर्मा गई थी,,, और चंदा की बात सुन कर रघु बोला,,,)

तो फिर जाने दे मैं तो जा रहा हूं,,,,।


नहीं नहीं रघु ऐसा मत करो,,,,,,( रघू का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए बोली,,,)


देख चंदा चारों तरफ अंधेरा छाता चला जा रहा है,,,,अगर तू फैसला नहीं ले पाई तो तेरी गाय और दूर चली जाएगी और ऐसा भी हो सकता है कि हांथ से निकल जाए फिर तू ही सोच तेरी मां और तेरे पिताजी तेरे साथ क्या सलूक करेंगे,,,


नहीं नहीं रघु ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा तू जा कर ले आ मेरी गाय को,,,,।


लेकिन शर्त का क्या,,,,?

(थोड़ी देर सोचने के बाद चंदा बोली,,)

ठीक है तू जा कर लिया मैं तैयार हूं,,,,,

(इतना सुनते ही रघु एकदम से खुश हो गया और अपने जानवर को उसके भरोसे वहीं छोड़कर भागता हुआ चला गया चंदा का दिल जोरों से धड़क रहा था अब दूर गई हुई गाय के लिए नहीं बल्कि रघु के शर्त को मान लेने की वजह से जिस तरह का शर्त रघू ने उसके साथ रखा था इस तरह का शर्त चंदा के साथ किसी ने भी नहीं रखा था,,,,वह चित्र से जानती थी कि कुछ ही देर में रघु उसकी गाय को लेकर वहां पहुंच जाएगा और उसके बाद वह कैसे उसे चुंबन करने देगी,,,, चंदा भी काफी खूबसूरत थी गोरी थी भरे बदन की थी,, गदराई गांड की मालकिन थी,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रघु के साथ या रघु उसके साथ क्या करेगा,,,, थोड़ी ही देर में रघू गाय को लेकर उधर आ गया,,,,, और बोला,,,)

ले चंदा तेरी गाय लेकर आ गया हूं,,,, अब अपना वादा पूरा कर,,,,।


कैसा वादा मैंने कोई वादा नहीं की हूं,,,(इतना कहते हुए चंदा अपनी गाय की रस्सी पकड़कर आगे बढ़ने लगी तो रखो उसका हाथ पकड़कर एकाएक अपनी तरफ खींच लिया और चंदा सीधे जाकर उसके सीने से लग गई,,, एकाएक चंदा की नरम नरम चुचीयां रघु के सीने से दब गई,,,इस अद्भुत अहसास से वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और उसे अपनी बाहों में कसके दबाता हुआ बोला,,,।


हाय मेरी चंदा रानी कैसा वादा अभी बताता हूं तुझे,,,,,
(इतना कहने के साथ ही रघूउसे अपनी बाहों में कसे हुए ही उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और उसे चूसने लगा,,, चंदा अभी अभी जवान हो रही थी पहली बार किसी जवान मर्द की बांहों में थी और इस तरह से अपने होठों पर उसके द्वारा चुंबन करने की वजह से वो एकदम से उत्तेजित हो गई उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,, और साथ ही रघु की हरकत बढ़ती जा रही थी वह अपने दोनों हाथों को उसकी कमर के नीचे जाकर उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों में थाम कर उसे दबाते हुए उसके लाल लाल होठों के रस को जूस रहा था,,,,, पल भर में ही चंदा की हालत खराब होने लगी उसकी सांसे तेज हो गई पजामे के अंदर रघू का लंड पूरी तरह से खडा हो चुका था,,, जो कि सीधे चंदा की सलवार के बीचो बीच उसकी टांगों के बीच में उसकी बुर के ऊपर ठोकर मार रहा था पहली बार चंदा अपने कोमल अंग पर कठोर अंग का स्पर्श महसूस कर रही थी,,, उसके बदले में उत्तेजना के साथ-साथ कसमसाहट बढ़ती जा रही थी,,, वह रघु की बाहों से अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन यह कोशिश सिर्फ दिखावा थी,,, रघु जोर-जोर से जितना हो सकता था उतना चंदा की मदमस्त गांड को अपनी हथेली में ले ले कर दबा रहा था,,,,, और लगातार उसके होठों का रसपान कर रहा था,,,, रघु पागल हुआ जा रहा था वह एक हाथ से अपने पजामें को नीचे करके,,, अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,, और चंदा का हाथ पकड़ कर उसे सीधे अपने लंड पर रख दिया,,,, पहले तो चंदा को इस बात का पता ही नहीं चला कि उसके हाथ में गर्म गर्म मोटी सी चीज क्या है,,,, लेकिन जब उसे इस बात का पता चला कि उसके हाथ में मोटी सी गरम गरम चीज और कुछ नहीं रघु का लंड है तो वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,, और तुरंत घबराकर अपना हाथ पीछे खींच ली और रघु को धक्का देकर नीचे गिरा दी,,,, और अपने गाय की रस्सी पकड़कर लगभग भाग ते हुए वहां से जाने लगी,,,। रघु उसे जाता हुआ देख रहा था और मुस्कुरा रहा था,,,।
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Devang

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रात को सोते समय कजरी की हालत खराब हो रही थी दिन में खाना खाते समय जिस तरह का नजारा रघु ने अपनी मां को दिखाया था उसे देखकर उसका तन बदन तुझको देखा रहा था,,, उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि एक मर्द का लंड कितना मोटा तकड़ा होता है,,, वाकई में पैसे भी अपने बेटे के मुसल पर पूरी तरह से फिदा हो चुकी थी,,,हालांकि उसके मन में अपने बेटे को लेकर इस तरह के ख्याल जब भी आते थे तब तो हम वाला ग्लानि से भर जाती थी उसे अपने ऊपर गुस्सा भी आता था और बार बार कसम खाकर अपने बेटे की तरफ,, उसके प्रति गंदे विचार मैं नहीं लाती थी लेकिन क्या करें नजरों के साथ-साथ जरूरत और जवानी दोनों का कसूर था जो कि बार-बार कजरी का ध्यान अपने बेटे पर चला जाता था,,, और अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को याद करके ना जाने कितनी बार उसकी बुर पसीज ऊठती थी,,,। वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका आकर्षण उसके ही सगे बेटे के प्रति हो जाएगा,,,अगर किसी के प्रति उसका आकर्षण बढ़ता तो शायद उसके मन में इतनी ग्लानी नहीं होती लेकिनअपने ही बेटे के बारे में अपने मन में गंदे विचार लाकर उसे दुख तो बहुत होता था लेकिन मजबूर हो जाती है क्योंकि जिस तरह के ख्याल उसके मन में अपने बेटे को लेकर आ रहे थे उससे उसके तन बदन में जिस तरह की हलचल होती थी उसे महसूस करके उसका तन बदन आनंद भीबोर हो जाता था यह अलग बात थी कि उसकी प्यास दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी,,,, इसलिए तो वह रात को छत पर सोते समय अपने हाथों से ही अपने खरबूजे को हल्के हल्के दबा रही थी,, साथ ही ,,,रह रह कर अपना एक हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच में जाकर अपनी मखमली रोटी की तरह फुली हुई बुर को दबा दे रही,,,जब जब अपने ही हाथों से अपनी फुली हुई बुर को दबाती थी तब तब उसका मन मचल उठता था उसके बदन में अजीब सी ऐंठन होने लगती थी,,,लेकिन फिर भी उसकी यह हरकत ऊसके बेटे और उसकी बेटी की नजरों में ना आ जाए इसलिए अपना मन मार कर जैसे तैसे करके वह नींद की आगोश में चली गई,,,।

दूसरी तरफ शालू के तन बदन में आग लगी हुई थी वह अपने भाई से फिर से एकाकार होना चाहती थी,,, जिस दिन से उसका भाई गया था उस दिन से उसकी प्यास को ज्यादा ही भड़कने लगी थी,,, बिरजू के साथ,, शारीरिक संबंध बनाते समय उसकी आंखों के सामने सरेआम उसकी नाकामी को देख कर उसे इस बात का आभास हो गया था कि उसकी गर्म जवानी को उसका भाई ही ठंडा कर सकता है,,,। खाना खाने के बाद वह भी छत पर आ गई जहां पर एक कोने पर उसका भाई सो रहा था,,,शालू एक नजर अपनी मां के ऊपर डाली तो वह पूरी तरह से गहरी नींद में सो रही थी वह निश्चिंत हो गई,,, और सीधे अपने भाई के पास चली गई,, शालू से रहा नहीं जा रहा था उसकी बुर में आग लगी हुई थीजिस तरह कि वह संस्कारी और सीधी-सादी लड़की थी अपने भाई के संगत में आते ही एक बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद से वह संस्कारी से बेशर्म लड़की बन गई अब दीन रात‌ ऊसे सिर्फ अपने भाई के लंड की जरूरत रहती थी,,, अपने भाई के करीब पहुंचते ही वह बैठ गई और सीधे तोलिए के अंदर हाथ डाल कर अपने भाई के लंड को पकड़ ली जो कि अभी पूरी तरह से,,, खड़ा नहीं था,,, रघु की नींद तुरंत खुल गई लेकिन सामने अपनी बड़ी बहन को देखकर उसके होठों पर मुस्कान आ गई,,,।

हरामी कितना तड़पा रहा है तू,,, सुबह से आया है लेकिन मेरी तरफ जरा भी ध्यान नहीं दिया,,।(लंड को जोर से अपनी हथेली मे कसते हुए बोली जिसकी वजह से रघु के मुंह से दर्द भरी आह निकल गई,,,)

आहहहह,,, दीदी तुम्हारे लिए तो गया था मैं,,,

क्या करने के लिए,,,,(अपने भाई के लंड को ऊपर नीचे करके मुठीयाते हुए बोली,,)

सससहहहह आहहहहहह,,, दीदी तुम्हारी शादी की बात करने के लिए,,,।

तो हुई कि नहीं,,,,


हुई ना दीदी बड़ी मालकिन से,,,,


वो मान गई,,,,,(लंड को हिलाते हुए)


मानेंगी कैसे नहीं वह बहुत अच्छी है,,,
(अपने छोटे भाई के बाद सुनकर शालू मन ही मन खुश हो रही थी,,, लेकिन इस समय तो अपने भाई के लंड को पकड़ कर उसके बदन में उन्माद चढ रहा था,,, उसका जोश बढ़ रहा था उसकी आंखों में नशा छा रहा था,,, इसलिए वह अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी कमीज को ऊपर करके उसे निकालते हुए बोली,,,।)

क्या मुझसे भी ज्यादा अच्छी है,,,,(कमीज निकलते ही शालू की दोनों नारंगी हवा में उछलने लगी जिस पर नजर पड़ते ही रघु की हालत खराब होने लगी और वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपने हाथ में भरकर दबाते हुए बोला,,,)

नहीं तुमसे अच्छी नहीं है,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपनी बहन को उसकी चूची पकड़कर ही अपनी तरफ खींचा जिससे शालू दर्द से कराह उठी लेकिन जिस तरह से उसका भाई उसकी चूचियों को दबा रहा था दर्द से ज्यादा उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी और काफी दिन हो गए थे मर्दाना हाथों को अपने जिस्म कोई स्पर्श कराएं इसलिए वह पूरी तरह से मचल उठी,,, रघु अपनी बहन को अपनी बाहों में भर लिया था और साथ ही उसकी एक चूची को अपने मुंह में भर कर पीना भी शुरू कर दिया था पल भर में ही शालू के मुंह से उन मादक सिसकारियां निकलने लगी,,, अपनी बहन की चूची को पीते हुए अपना दोनों हाथ नीचे की तरफ से जाकर रघु अपनी बहन की सलवार की डोरी खोलने लगा,,, जिस तरह से रघु पूर्ति दिखाता हुआ अपनी बहन के बदन से खेल रहा था ऐसा लग रहा था कि सालों से ज्यादा उतावला रघू है,,, पल भर में ही रख लो अपनी बहन को पूरी तरह से निर्वस्त्र कर दिया वह अपने भाई की बाहों में एकदम नंगी थी,,।दोनों पूरी तरह से जोश से भरे हुए थे इस समय दोनों को अपनी मां का भी डर नहीं लग रहा था कि कहीं उसकी नींद खुल गई और वह दोनों को इस तरह से निर्वस्त्र अवस्था में देख ली तो क्या होगा,,, दोनों जवानी के नशे में खोए हुए थे,,,, शालू अपने भाई को अपनी बुर से चटाना चाहती थी इसलिए वह बिना अपने भाई को आगाह किए सीधा अपनी गोल-गोल गांड को अपने भाई के मुंह पर रख दी,,,शालू की यही हरकत से पता चल रहा था कि जवानी के जोश में पवित्र रिश्ते भी इस तरह से तार तार हो जाते हैं क्योंकि सालु की आंखों में इस समय बिल्कुल भी शर्म नहीं थी वह बेशर्म हो चुकी थी,,,रघु को मालूम था उसे क्या करना है इसलिए वह अपना दोनों हाथों से अपनी बहन की बड़ी बड़ी गांड को थाम कर अपनी जीभ अपनी बहन की बुर में डाल कर चाटना शुरू कर दिया,,, रघु की यह हरकत सालु की जान लिए जा रही थी उसका बदन अकड़ रहा था,,, और देखते ही देखते पलभर में ही शालू झड़ने लगी और उसका छोटा भाई अपनी बहन की बुर में से निकले मदन रस को अमृत रस समझकर सारा का सारा गटगटा गया,,,। रघु की यह हरकत शालू को बहुत प्यारी लगती थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे आज पूरा मोर्चा शालु ही संभालेगी,,, इसलिए तो वह बिना कुछ बोले अपने दोनों घुटनों को मोड़कर अपने भाई के कमर के इर्द-गिर्द रखकर और एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने भाई के खड़े लंड को पकड़ लिया और उसके लंड का मोटा छुपाना धीरे-धीरे अपनी गांड को नीचे की तरफ लाकर अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखने लगी,,, शालू की इस अद्भुत हरकत की वजह से रघु के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,, और देखते ही देखते शालू अपनी गांड का वजन अपने भाई के लंड पर रख कर उसे धीरे-धीरे अपनी गुलाबी बुर के अंदर ले ली,,,, अद्भुत अदम्य और जवानी का जोर से खाते में शालू अपने भाई के लंबे मोटे तगड़े लंड को अपनी गुलामी पुर के छोटे से छेद में पूरी तरह से ले चुकी थी एक तरह से अपने भाई के लंड को अपनी बुरनुमा गुफा में छुपा ली थी,,,, रघु का लंड भी अपनी बहन की बुर के अंदर जाकर राहत महसूस कर रहा था,,,। शालू पूरा जोर लगा कर अपने भाई के लंड पर अपनी बुर पटक रही थी,,, दोनों का मजा आ रहा था रघु को और ज्यादा कुछ करने की जरूरत बिल्कुल भी जान नहीं पड रही थी वह केवल अपना दोनों हाथ उठाकर अपनी बहन के दोनों संतरो को पकड़कर उन्हें दबा रहा था,,,, शालू मस्त हो जा रही थी जवानी का सुख क्या होता है उसे पूरी तरह से अपने भाई से नीचोड़ लेना चाहती थी,,,, और थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ आपने लगे क्योंकि दोनों चरम सुख को प्राप्त कर चुके थे,,,,

अपने भाई से चुदवाने के बाद शालू कपड़े पहन कर उसके बगल में ही सो गई और सुबह अपनी मा के उठने से पहले ही उठ गई,,,। रघु भी उठ कर सीधे लाला के घर जाने लगा क्योंकि वह पूछना चाहता था कि कहीं तांगा से आना जाना तो नहीं है क्योंकि एक तरह से लाला ने उसे नौकरी पर रख लिया था,,,,

लाला की बहू कोमल नहाने के लिए गुशल खाने में गई हुई थी,,, नही लेने के बाद उसे पता चला कि वह कपड़े लेकर गुशलखाने में आई ही नहीं थी,, इसलिए वह अपने भी के कपड़ों को वापस से अपने बदन से लपेट ली लेकिन कपड़े गीले होने की वजह से उसके बदन से एकदम से चिपक गए और उसके नितंबों का उभार सही मायने में सही आकार सहित नजर आने लगा,,,, और वह उसी तरह से गीले कपड़ों में ही गुशल खाने से बाहर आ गई,,,, लेकिन तभी लाला का उधर आना हुआ और वह दरवाजे पर पहुंचते ही अपनी बहू के भीगे बदन और उनके कपड़ों में उसके गोलाकार नितंबों को देखकर उसकी आंखों में बसना की चमक नजर आने लगी अपनी बहू के खूबसूरत भीगे नितंबों को देखकर उसके लंड बरकत होने लगी उसकी धोती में सुरसुराहट होने लगी,,,, उससे रहा नहीं गया वह पुरी तरह से वासना में अंधा हो गया और तुरंत दरवाजा बंद करके उस पर कड़ी लगा लिया दरवाजा बंद होने की आवाज सुनते ही उसकी बहू कोमल की नजर दरवाजे पर पड़ी तो वहां पर वह अपने ससुर को देखकर घबरा गई,,,

बाबूजी आप यहां,,,,(गीले वस्त्रों में से झांक रहे अपने कोमल अंगों को छुपाते हुए वह बोली,,,)

हां बहू तुम्हारी खूबसूरत जवानी देख कर मुझसे रहा नहीं किया और मैं इधर आ गया,,,
(अपने ससुर के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर को एकदम से आश्चर्य में पड़ गई और घबराते हुए बोली,,)

यह क्या कह रही बाबू जी इस तरह की बातें आपको शोभा नहीं देती,,,,।(उसी तरह से अपने अंगों को छुपाते हुए वह बोली)

बहू तुम्हारी गर्म जवानी देख कर मैं बहकगया हूं आओ मेरी बाहों में आ जाओ,,,( इतना कहते हुए लाला अपनी बाहों को अपनी बाहों में लेने की चेष्टा करने लगा तो उसकी बहू घबरा कर उसे धक्का देने लगी,,,)

भगवान के लिए ऐसा मत करिए आप मेरे पिता समान है इस तरह की गंदी हरकत करके पवित्र रिश्ते को लांछन मत लगाइए,,,।


कैसा पवित्र रिश्ता बाबू तुम एक औरत हो और एक मर्द अच्छी तरह से जानता हूं तुम्हें एक मर्द की आवश्यकता है और मेरा बेटा वह कमी कभी पूरा नहीं कर सकता यह बात तो भी अच्छी तरह से जानती हो और मैं भी अच्छी तरह से जानता हूं वह मंदबुद्धि का है तभी तो तुम्हें छोड़कर ना जाने कहां भटक रहा है,,, तुम्हें जवानी की आग में इस तरह से तड़पता हुआ मैं नहीं देख सकता,,,।(ऐसा कहते हुए वह एक बार फिर से अपने बाबू के करीब जाने लगा और इस बार बार नहीं बहू का दोनों हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसे अपने सीने से लगा लिया ऐसा करने से लाला की छाती पर कोमल के नरम नरम सूची एकदम से दसवीं लगी जिसे अपनी छाती पर महसूस कर के लाला एकदम से मगन हो गया एकदम से मस्त हो गया मदहोश होने लगा और तुरंत अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर के अपनी बहू की गोल-गोल बड़ी बड़ी गांड को दबाना शुरू कर दिया लाला की बहू एकदम से घबरा गए और उसे छोड़ देने की दुहाई देने लगी लेकिन लाल आप कहां मानने वाला था वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था वासना में चूर हो चुका था मदहोशी और उत्तेजना उसके सर पर सवार हो चुकी थी धोती के अंदर उसका लंड खड़ा होने लगा था,,, लेकिन फिर भी उसकी बहू पूरा जोर लगा कर उसकी कैद से आजाद होना चाहती थी,,, और इस बार बार लाला को धक्का देने में सफल भी हो गई लेकिन दूर झटकते हुए लाला के हाथों में उसकी बहू की साड़ी आ गई और एक झटके में ही वह साड़ी खींचती चली गई और लाला की बहू कॉल को उसी जगह पर घूमने लगी और पल भर में ही उसके बदन पर से उसकी गीली साड़ी भी उतर गई वह पूरी तरह से नंगी हो गई,,, लाला की बहू अपने नंगे बदन को छुपाने की भरपूर कोशिश करने लगी लेकिन क्या छुपा पाती चूचियों पर हाथ रखती तो जांघों के बीच के पतली दरार नजर आने लगती थी और पतली दरार पर हाथ रखती तो ऊपर के दोनों खरबूजे हवा में लहरा उठते थे,,,लाला तो अपनी खूबसूरत बहू के नंगे जिस्म को देखकर बावला हो गया उसके होठों पर मादक मुस्कान तैरने लगी,,,।

छोड़ दो बाबू जी भगवान के लिए छोड़ दो मैं कहीं भी किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाऊंगी,,,।

ऐसा कभी नहीं होगा बहु यह राज सिर्फ मेरे और तुम्हारे बीच ही रहेगा,,,।(ऐसा कहते हो हमें इतना ना फिर से आगे बढ़ने,,, लाला की बहू एकदम से घबरा गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने ससुर के सामने अपने आप को एकदम नंगी होता हुआ देखकर वह एकदम शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी ,,, और अपनी बहू का नंगा बदन देखकर लाला का दिल एक बार फिर से जवान होने लगा वह आगे बढ़ कर उसे फिर से एक बार अपनी बाहों में ले लिया और पूरी तरह से मस्त हो गया इस बार क्योंकि वह अपनी नंगी बहू को अपनी बाहों में लिया था बरसों के बाद में किसी औरत को एकदम नंगी करके अपनी बाहों में ले रहा था हालांकि वह कई औरतों के साथ शारीरिक संबंध बना चुका था लेकिन पूरी तरह से नंगी करके बहुत कम औरतों को चोदा था,,,लाला की बहू घबरा चुकी थी उसे लगने लगा था कि अाज ऊसकी इज्जत उसके ससुर के हाथों नहीं बच पाएगी,,, वह जोर से चिल्लाना चाहती थी अपनी इज्जत बचाने की गुहार लगाना चाहती थी कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,।


लालाजी,,,, मे‌ रघू,,,,
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Devang

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रघु की आवाज सुनते ही लाला की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई,,, उसकी बहू कोमल अभी भी संपूर्ण रूप से नंगी उसकी बाहों में थी,,, जो कि रघू की आवाज सुनते ही उसके चेहरे पर खुशी के भाव प्रकट होने लगे,,,। लाला की हालत खराब हो जाएगी दरवाजे के अंदर लाला अपनी बहू के साथ मुंह काला करने के फिराक में था,,, इसीलिए तो उसे एकदम नंगी अपनी बाहों में भर लिया था और दरवाजे के बाहर रघू,,, आकर खड़ा हो गया था उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि दरवाजे के पीछे एक ससुर अपनी बहू की इज्जत लूटने के लिए पूरी तरह से उतारू हो चुका है,,, वह तो लाला के पास काम की वजह से ही आया था और शायद भगवान कोमल की इज्जत बचाना चाहते थे तभी तो रघु को एन मौके पर भेज दिए थे,,,,, कमरे के अंदर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था लाला कभी अपनी बहू की तरफ तो कभी दरवाजे की तरफ देख रहा था दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी और कोमल अंदर ही अंदर खुश हो रही थी और भगवान से प्रार्थना करते हुए ऐसे धन्यवाद दे रही थी कि सही मौके पर उसने रघू को भेज दिया था,,, लाला को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें उसके तो खड़े लंड पर हथोड़ा पड़ गया था,,,
अंदर से आवाज नाता देख कर रखो फिर से दरवाजे की सीट के नहीं पकड़ कर उसे बजाते हुए बोला,,,,।

लाला कोई है क्या छोटी बहू,,,,,
(इतना सुनते ही कोमल जोर से चिल्लाने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोलने को हुई लाला जोर से उसका मुंह अपने हाथ से दबाते हुए उसे चुप कर दिया,,,। और उसे धमकी देता हुआ बोला,,,,।)

खबरदार जो तूने मुंह से एक शब्द भी निकाले तो,,,, तुम मुझे अच्छी तरह से जानती नहीं मैं जितना सीधा दिखता हूं इतना सीधा हुं नहीं,,,, देख मैं जा रहा हूं दरवाजा खोलने यहां जो कुछ भी हुआ अगर तुम्हें एक शब्द भी इसे बताई तो तुम दोनों की लाश ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी,,, मेरे आदमी तुम दोनों को मार कर ऐसी जगह दफन करेंगे की तुम दोनों की लाश ढूंढने पर भी नहीं मिलेगी,,,, समझ रही है ना मैं क्या कह रहा हूं,,,,।(अपने ससुर की बात सुनकर कोमल एकदम से घबरा गई थी क्योंकि वह उसका मुंह बंद करने के साथ-साथ उसका गला भी जोर से दबाए हुए था जिससे उसकी सांस घुट रही थी,,, और वह अपने ससुर की बात मानते हैं हां मैं से हिला दे क्योंकि अपने ससुर की हरकत को देख कर उसे अंदाजा हो गया था कि वह किस कदर तक नीचे गिर सकता है वह जो बोल रहा है वह कर भी सकता है इसलिए वह खामोश रहना ही उचित समझी,,,)
देख अंदर की बात बाहर नहीं जानी चाहिए अगर गई तो तेरी खेर नहीं और तेरे साथ साथ इस रघू को कुछ भी बताई तो यह भी मारा जाएगा,,,,(इतना सुनकर कोमल हां में सिर हिला दी वह पूरी तरह से घबरा चुकी थी,,,) देख अब अंदर जा और कपड़े पहन ले लेकिन बाहर बिल्कुल भी मत आना,,,(इतना कहते हुए लालाअपनी बहू को अपनी पकड़ से आजाद करने लगा लेकिन अभी तक उसके नंगे बदन की गर्माहट को अपने बदन में महसूस करके वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था,,,इसलिए उसे अपनी बाहों के कैद से आजाद करते हुए अपना एक हाथ उसकी तनी हुई चूची पर रख कर जोर से दबाते हुए बोला,,,।)
सससससस,,,,मस्त चुची है रे तेरी,,, तुझसे तो मैं बाद में निपटुंगा,,,, जा अंदर चली जा,,,,(इतना सुनते ही उसकी बहू अपनी गीली साड़ी उठाई और अंदर जाने लगी,,, लाला एक नजर अपनी बहू पर मारा जो किउसकी बहू अभी भी पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी वह अपने बदन को ढकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की थी शायद वह पूरी तरह से सदमे में थी इसलिए उसी तरह से अपने कमरे की तरफ जा रही थी और लाला उसके गोलाकार नितंबों की थिरकन को देखकर मदमस्त होता हुआ अपनी नजरों को सेंक रहा था,,। जैसे ही लाला की बहू कमरे में गई वह दरवाजा बंद कर ली,,,

लालाजी हो कि नहीं,,,,।

हां आया रुक जा,,,,(लाला को रघु पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था अगर उसकी जगह कोई और होता तो शायद उसकी हड्डी पसली एक करवा देता लेकिन ऐसा हुआ रघु के साथ नहीं कर सकता था क्योंकि कजरी पर उसका दिल आ गया था और लाला को ऐसा लगता था कि वह उसके बेटे के जरिए ही उसकी मां तक पहुंच सकता है,,,। इतना कहने के साथ ही लाला दरवाजा खोल दिया,,,, और रघु दरवाजा खुलते ही अंदर चकर पकर देखने लगा,,, उसकी नजरें लाला की बहू कोमल को ढूंढ रही थी लेकिन वह कहीं नजर नहीं आ रही थी तो रघु बोला,,,।)

लाला जी इतनी देर क्यों लगा दी दरवाजा खोलने में कब से खड़ा हूं,,,,।

कुछ नहीं बस खाना खा रहा था इसलिए देर हो गई,,,।

कोई बात नहीं मैं पूछ रहा था कि कहीं जाना है,,,।

हां हां जाना तो है मेरे समधी प्रताप सिंह के घर मेरी बेटी से मिलने जाना है,,,।

ठीक है मैं तैयार हूं मैं तांगा निकालता हूं,,,(इतना कहकर रघु तांगा निकालने के लिए चला गया उसे भी प्रताप सिंह के घर जाने का बहाना मिल गया था क्योंकि वह उसकी बीवी से मिलना चाहता था थोड़ी ही देर में तांगा लेकर रघु और लाला दोनों निकल पड़े,,,,,,, दूसरी तरफ लाला की बहू कमरे में बैठी सिसक सिसक कर रो रही थी उसे अपनी किस्मत पर गुस्सा आ रहा था इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी उसे नकारा पति मिला था जो कि मंदबुद्धि का था तभी तो उसे छोड़कर ना जाने कहां भटक रहा था वह कहां पर था इसका भी कोई अंदाजा नहीं था ना तो उसे और ना ही उसके बाप को तभी तो मौके का फायदा उठाकर उसका ससुर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता था कोमल कभी भी अपने मन में यह नहीं सोचते कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा जब उसका भी बाप समान ससुर उसकी इज्जत लूटने पर उतारू हो जाएगा,, वह तो भला हो रघु का जो इन मौके पर आकर उसकी इज्जत बचा लिया था भले ही इस बात का पता रघु को नहीं था लेकिन फिर भी उसका सही समय पर वहां पहुंच जाना कोमल की इज्जत बचा ले गया था,,,, कोमल को शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वह अपनी नजरों में गिरी जा रहीवह अपने ससुर की बहुत इज्जत करती थी उसे बाप समान का दर्जा देती थी लेकिन आज उसकी आंखों के सामने अपने आप को एकदम नंगी पाकर वह बेहद शर्मिंदगी महसूस कर रही थी उससे भी ज्यादा गुस्सा उसे अब अपने ससुर पर आ रहा था जो कि उसकी लाचारी का पूरा फायदा उठाना चाहता था और उसके नंगे बदन को अपनी बाहों में लेकर अपनी मनमानी करना चाहता था,,, यही सोचकर वह रोती रही और कब सो गई उसे पता नहीं चला,,,।

दूसरी तरफ रघु तांगा लेकर प्रताप सिंह के घर पहुंच चुका था,,,,प्रताप सिंह अपने समिति लाला को देखते ही उसका स्वागत करने के लिए खुद खड़े हो गए और उसे आदर पूर्वक घर में लेकर आए,,, रघु तांगा में रखा हुआ मिठाई और पके हुए आम की टोकरी उठा लिया और हवेली के अंदर चला गया,,, अंदर पहुंचते ही उसे सबसे पहले राधा नजर आई लाला की बेटी जोकि बला की खूबसूरत थी जमीदार की बीवी से राधा का कद कुछ लंबा ही था और भरा हुआ बदन होने की वजह से वह काफी खूबसूरत लग रही थी,,,, राधा को देखते ही रघू उसे नमस्ते किया,,, रघू को देखते ही राधा के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, और वह बोली,,,।

तुम यहां कैसे,,,,।

मैं यहां आपके पिताजी के साथ आया हूं,,, और यह लो मिठाईयां और पके हुए आम,,,(पके हुए आम कहते हुए रबर की नजर अपने आप ही राधा के दोनों गोलाईयों पर चली गई,,, जो कि खरबूजे के आकार में बेहद खूबसूरत नजर आ रहे थे,,, राधा की भी पैनी नजर रघु की तीखी नजरों को भांप गई थी,,। और उसकी नजरों से सिहर उठी थी,,, लेकिन राधा अपने पिताजी क्या आने की खबर सुनकर बिना कुछ लिए तुरंत भागी,,, पर जैसे ही मेहमान खाने मैं पहुंची वैसे ही तुरंत लंबा सा घूंघट डाल दी क्योंकि उसके ससुर भी वहीं बैठे थे,,, वह बहुत खुश थी और अपने पिताजी के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद ली,,,, अपने बाप के लिए राधा के मन में बहुत इच्छा थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि जिसे वह इतना इज्जत दे रही है वह खुद उसके लिए उम्र की अपनी खुद की सगी बहू की इज्जत लूटने पर आमदा हो चुका है,,,, लाला भी अपनी बेटी को देखकर खुश हुआ और ऊसे आशीर्वाद दिया,,, पीछे पीछे रघु भी वही पहुंच चुका था,,,,। रघु दरवाजे पर खड़ा था और राधा अपने पिताजी का आशीर्वाद लेकर वापस लौट रही थी तभी प्रताप सिंह अपनी बहू राधा पर नजर घुमाते हुए लाला से बोला,,,।

सब कुछ सही हो गया है लाला जी बस अब छोटे लड़के बिरजू की किसी अच्छी लड़की से शादी हो जाए बस तब समझ लो कि गंगा नहा लिया,,,,।

पर इसमें क्या हर्ज है समधी जी,,, मेरी नजर में एक लड़की है बहुत ही सुशील और खूबसूरत बहुत गरीब घर में आ जाएगी तो समझ लो चार चांद लग जाएगा,,,।

अरे वाह लाला जी तुमने तो क्या खबर सुनाइ है मैं तो खामखां खा परेशान हो रहा था,,,, तो कब चले लड़की देखने,,,,।

अभी कुछ दिन के लिए रुक जाइए फिर मैं खुद ही आपको ले चलूंगा और मेरा विश्वास है कि आप उसे देखते ही हां कह देंगे,,,।

बस बस लाला जी यही तो चाहिए मुझे,,,,
(इतना कह कर दो ना खुश हो गए और आपस में बातचीत का दौर आगे बढ़ाते रहें लेकिन उन दोनों की बात सुनकर रघु परेशान हो गया था,,,, वह तुरंत हाथ में लिया हुआ तेरा राधा को थाना ते हुए मालकिन के कमरे की तरफ जाने लगा तो राधा उसे पीछे से आवाज देते हुए बोली,,,।)

अरे कहां जा रहे हो ऐ लड़के सुनो तो,,,,

अभी आता हूं छोटी मालकिन,,,,,(इतना कहते हुए रघु आगे बढ़ गया हूं सीधा जाकर जमीदार की बीवी के कमरे के आगे खड़ा हो गया दरवाजा खुला हुआ था इसलिए उसे दस्तक देने की जरूरत नहीं पड़ी और वो धीरे से दरवाजा खोल कर कमरे में दाखिल हो गया और कमरे में,,आईने के सामने जमीदार की बीवी बैठकर अपने बालों को संवार रही थी,,,और आईने में रघू को देखते ही वह खुश हो गई और अपनी जगह से खड़ी होते हुए रघू की तरफ देख कर बोली,,,।)

अरे रघू तुम,,, तुम्हें देख कर मैं कितनी खुश हूं यह शायद तुम नहीं समझ पाओगे,,,।

लेकिन मैं खुश नहीं हूं मालकिन,,,


क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है,,,,(जमीदार की बीवी रघु की तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए)

क्यों ना कमी,,,, मैं तो अपना वादा निभा रहा हूं जो तुमसे किसी न किसी बहाने मिलने के लिए चला आया हूं लेकिन शायद आप अपना वादा भूल गई हो,,,

कैसा वादा,,,, ? (जमीदार की बीवी कुछ याद करते हुए बोली,,)

देखी ना मालकिन मैं कहता था ना कि आप अपना वादा भूल गई हो,,, मेरी बहन की शादी का वादा,,,

अरे रघु बस इतनी सी बात मुझे याद है बस उचित समय मिलते ही मैं उनसे शादी की बात करूंगी अभी समय नहीं मिल पाया है,,,,।


लेकिन मालकिन जब तक समय मिलेगा तब तक देर हो चुकी होगी,,,(रघु गुस्से में बोला)

देर हो चुकी होगी मैं कुछ समझी नहीं,,,।

लालाजी से मालिक बिरजू के लिए किसी लड़की को ढूंढने की बात कर रहे थे और लालाजी की नजर में कोई लड़की है,,, और कुछ दिनों बाद मालिक लाला के साथ मिलकर उस लड़की को देखने जाएंगे,,,,।


अरे तुम चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना आ जाइए मुझसे बात करूंगी करना चाहिए क्योंकि वह मेरी बात बिल्कुल भी नहीं टालेंगे,,,,।


देखिए मालकिन मुझे आप पर पूरा भरोसा है लेकिन समय रहते अगर बात कर लोगी तो ठीक रहेगा वरना मैं यहां कभी नहीं आऊंगा,,,,


अरे रघु तू तो खामखा नाराज हो रहा है,,, मुझ पर भरोसा है जैसा तू चाहता है वैसा ही होगा,,, बस मुझ पर यकीन रख,,,।

(जमीदार की बीवी की बात सुनकर रघु को कुछ राहत महसूस हुई और जमीदार की बीवी रघु की उपस्थिति में अपने तन बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रही थी ना जाने कि उसकी टांगों के बीच हलचल सी होने लगी,,,, वह रघू के साथ संभोग करना चाहती थी,,, इसलिए धीरे से आगे बढ़ी और दरवाजे के दोनों पल्लो को बंद करके हल्की सी सीटकनी लगा दी,,,,जमीदार की बीवी को इस तरह से दरवाजा बंद करता देख कर रघू को समझ में आ गया कि आगे क्या होने वाला है,,, पजामे के अंदर रघू का लंड भी धीरे-धीरे खड़ा होने लगा,,,, और जैसे ही दरवाजा बंद हुआ जमीदार की बीवी अपने कंधे पर से अपने साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दी जिससे उसकी भारी-भरकम छातियां एकदम तनकर ऊजागर हो गई,,, यह देखकर रघू की आंखों में चमक आ गई,,, और वो खुद आगे बढ़कर जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर लिया,,,,

औहहहह,,, रघू,,,तुझसे अलग हुए अभी 2 दिन भी नहीं हुआ है लेकिन ऐसा लग रहा है कि 2 महीना बीत गया है,,,।


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है मालकिन,,,,,ओहहहहह मालकिन,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु,,, ब्लाउज के ऊपर से ही जमीदार की बीवी की चूची को दबाना शुरू कर दिया,,, जमीदार की बीवी भी पागल हुए जा रही थी,,,।

ऐसे नहीं रघू ब्लाउज के बटन खोल लेने दे तब और मजा आएगा,,,(इतना कहने के साथ ही जमीदार की बीवी खुद ही अपने हाथ से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,और पल भर में ही बात ने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी खरबूजे जैसी चूची को एकदम आजाद कर दी,,,अपनी आंखों के सामने एक बार फिर से जमीदार की बीवी की नंगी चूची देख कर रखो पागल हो गया और दोनों हाथों में दोनों चूचियों को पकड़ कर बारी-बारी से उसे पीना शुरू कर दिया,,,, दूसरी तरफ जमीदार की बहू राधा रघु जिस तरह से जल्द बाजी में भागता हुआ गया था उसे दाल में कुछ काला लग रहा था,,, इसलिए वह भी पीछे पीछे अपनी सास के कमरे तक पहुंच चुकी थी अंदर उसे उसी दिन की तरह आवाजें आ रही थी,,, लेकिन आज की आवाज थोड़ा अलग थी,,, चूड़ियों की खनक कुछ ज्यादा ही आ रही थी,,, राधा अपनी शंका को पूरी तरह से साबित कर रख लेना चाहती थी इसलिए दरवाजे से कान लगाकर अंदर की बात सुन रही थी तभी उसके कान में जो आवाज गई उसे सुनकर वो एकदम से दंग रह गई उसकी टांगों के बीच हलचल बढ़ने लगी,,, वह आवाज रघु की थी जो उसकी सास की दोनों चुचियों को जोर जोर से दबा काम हुआ उसकी तारीफ कर रहा था,,,।

वाह मार्केट मैंने आज तक तुम्हारी जैसी बड़ी बड़ी और गोल चुचिया नहीं देखा,,,,

तो देर क्यों कर रहा है जोर जोर से दबा और इसे मुंह में भर कर पी,,,,
(अपनी सांस की आवाज सुनते ही उसके तो होश उड़ गए उसे समझते देर नहीं लगी कि जिस तरह की वह शंका का कर रही थी वह बिल्कुल सत प्रतिशत सच था,,,, और वह तुरंत दरवाजे को थोड़ा सा धक्का दि तो दरवाजा एकदम से खुल गया,,, जैसे ही दरवाजा खोला जमीदार की बीवी और रघू के तो होश उड़ गए,,, साथ ही कमरे के अंदर का नजारा देखकर राधा की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी आंखों में जो देखा वह कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी,,, उसकी सास अपने दोनों हाथ को रघु के सर पर रखी हुई थी और रघू अपने एक हाथ में उसके साथ की एक चुची को लेकर दबा रहा था और दूसरी चूची को मुंह में भर कर पी रहा था,,,। यह नजारा राधा के लिए बेहद मादकता और उत्तेजना से भरा हुआ था वह फटी आंखों से यह देखती रह गई,,,। उसके तो होश उड़ गए थे पर उसकी सास भी पूरी तरह से चौक गई थी उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें रघु ज्यों का त्यों जडवंत बन गया था,,। राधा खुद शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी और वह जल्दी से खुद ही दरवाजा बंद करके वहां से चलती बनी,,,।

जैसे ही दरवाजा बंद करूंगा वैसे ही जैसे दोनों को होश आया हो,,,

अब क्या होगा रघु,,, अगर यह मेरे पति को सब बता देगी तो मेरी और तुम्हारी खैर नहीं होगी,,,।

(रघु पहली नजर में राधा की प्यासी नजर को भाप गया था इसलिए जमीदार की बीवी को दिलासा देते हुए बोला)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो जो होगा देखा जाएगा लेकिन मुझे इस समय जाने दो,,,
(जमीदार की बीवी के पास उसे रोकने का कोई कारण भी नहीं था इसलिए वह बिना रोके उसी जाने दी रघु कमरे से बाहर निकल कर राधा के पीछे पीछे हो लिया,,,)
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