• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest बरसात की रात,,,(Completed)

Devang

Member
160
187
43
जमीदार की बहू राधा जल्दी-जल्दी चली जा रही थी उसके मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी उसकी आंखों ने जो देखा था,,, उसे अपनी आंखों पर ही भरोसा नहीं हो रहा था वैसे तो पहले दिन ही जब रघु और उसके साथ घर पर लौटे थे तो बंद कमरे के अंदर की अजीब आवाज को सुनकर उसे शक हो गया था और आज वासक एकदम यकीन में बदल गया था जब उसने अपनी आंखों से सब कुछ देख लिया,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कहां जाए एक अजीब सी हलचल तन बदन को झकझोर कर रख दे रही थी,,, इसलिए अफरा-तफरी में अपनी हवेली के पीछे चली गई,,, जहां पर गाय भैंस का तबेला बना हुआ था वैसे तो घर में नौकर चाकर की कोई कमी नहीं थी लेकिन राधा यह काम अपने हाथों से ही कर दी थी गाय भैंस को चारा देना और बाकी का सारा काम वो खुद अपने हाथों से करती थी,,,अपनी सास को एक जवान लड़के के साथ मजा लेते देखकर ना जाने क्यों उसके अरमानों को भी पंख लगना शुरू हो गए थे,,, वह तो मैंने के पास एक घने पेड़ की छांव के नीचे बैठ गई दोपहर का समय था इसलिए यहां पर कोई भी आने वाला नहीं था वह पेड़ के नीचे बैठकर कमरे के अंदर के दर्शय के बारे में सोच रही थी जो उसने खुद अपनी आंखों से देखी थी,,,, उसे अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था उसकी सास जो कि यह बात खुद ही वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी सास उसकी सास की उम्र की नहीं बल्कि,,, उसकी जेठानी या बड़ी दीदी की उम्र की थी,,, राधा अपनी सास की उम्र के साथ-साथ उसके पद की गरिमा का भी ध्यान रखते हुए अपने मन में यह सोच रही थी कि आखिरकार भले ही कितनी भी उम्र की हो लेकिन थी तो उसकी सांस ही जमीदार की बीवी,,, पर इतने बड़े जमीदार की बीवी होने के बावजूद भी वह एक गांव के लड़के के साथ काम क्रीड़ा में मस्त हो गई,,, यह ख्याल मन में आते ही बस सोचने लगी कि क्या ससुर जी का खड़ा नहीं होता अगर होता भी होगा तो कितनी देर टीकते होंगे,,, जब मेरा पति खुद एक ही बार में पूरी तरह से ध्वस्त हो जाता है दोबारा करने के लिए उसके पास ताकत ही नहीं रहती तो,,, बाप का क्या हाल होता होगा और औरत तभी बाहर मुंह मारती है जब घर में उसे पूरी तरह से संतुष्टि नहीं मिलती,,, तो क्या सासुमा संतुष्ट नहीं हो पाती,,,, होंगी भी कैसे,, सासु मां की उम्र और उनके भरा हुआ बदन देखकर लगता नहीं कि ससुर जी से कुछ होता होगा उन्हें तो वाकई में उस रघू जैसा हटा कटा नौजवान लड़का ही चाहिए जो उनकी हड्डियां तडतडा सके,,, यह ख्याल मन में आते ही राधा की टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो गई,,, उसके मन में भी अजीब अजीब सी ख्याल आ रहे थे अपनी सांसे को लेकर उसे रखो को नहीं करो अपने ससुर जी को लेकर और साथ ही अपने पति को लेकर सबको मिलाजुला कर उसका ख्याल वासना से लिप्त होता जा रहा था,,,वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जरूर रघु उसकी सांसें मां को भरपूर संतुष्टि देता होगा तभी तो सासु मां दुनिया भर की लाज शर्म छोड़कर ऊंच-नीच का बिल्कुल भी ख्याल ना करते हुए गांव के लड़की के साथ शादी संबंध बना रही हैं हालांकि वह शारीरिक संबंध बनाते हुए देखी नहीं थी लेकिन जिस तरह की हरकत दोनों कर रहे थे उसी से पूरा पक्का यकीन हो गया था कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध है क्योंकि जब हुआ सासू मां को उनके मायके सेलेकर घर आया था तो बंद दरवाजे के पीछे जिस तरह की आवाजें आ रही थी उस तरह की आवाजों से राधा भलीभांति परिचित थी,,, इन सब खयालो कोई चिंता राधा की हालत खराब होने लगी थी,,,
ना जाने क्यों उसका मन अपने सास के नक्शे कदम पर चलने के लिए मचल रहा था,,,बार बार उसकी आंखों के सामने गायत्री से नजर आ जा रहा था जब उसकी सास अपना ब्लाउज खोल कर अपनी बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथों से ऊसके मुंह में देकर पिला रही थी और वह रघु पागलों की तरह उसकी सास के चूचियों को दबा दबा कर पी रहा था यह पहली बार में इस तरह का हो पाना बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था जब इंसान आपस में पूरी तरह से खुल जाता है तभी एक दूसरे के अंगों से इस तरह से मस्ती ले ले कर खेलता हैं,,, राधा को पक्का यकीन हो चला था कि रास्ते में ही इन दोनों के बीच इस तरह की वारदात हुई है तभी तो दोनों इतना खुल चुके हैं,,,,अपनी सास और बहू के बीच जिस्मानी ताल्लुकात को लेकर राधा के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी सांसो की गति तेज होती जा रही थी और साथ ही दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में से मदन रस का बहाव होना शुरू हो गया था जिस तरह की उत्तेजना और अपनी बुर को ऐसी स्थिति में एकदम गीला महसूस कर रही थी उससे वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, इस तरह की उत्तेजना उसे अपने पति के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने से पहले के खेल में भी कभी नहीं महसूस हुआ था,,,, इसलिए राधा और ज्यादा मचलने लगी थी,,, उसका दिल ना जाने क्यों उसके साथ की तरह रघु के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मचल रहा था हालांकि उसने आज तक किसी भी गैर मर्द के साथ जिस्मानी ताल्लुकात नहीं बनाए थे,,, उसका पति उसकी जिंदगी में पहला मरता था जो उसके अंगों को उसके बदन को स्पर्श किया था लेकिन आज ना जाने क्यों रघु का ख्याल मन में आती हुई और उसके साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाने के ख्याल से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा हो रही थी,,,, उसकी मद भरी जवानी चिकोटी काट रही थी,,,।
वह उसी तरह से पेड़ की छाया में बैठी हुई थी उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने कमरे के अंदर का दृश्य घूम जा रहा था जिससे उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,। दूसरे पेड़ की ओट में छुपकर रघु राधा को ही देख रहा था राधा के हाव भाव को देखकर उसे समझते देर नहीं लगी थी कि कमरे के अंदर के दृश्य को देखकर उसका असर राधा पर बुरी तरह से पड़ा है,,,अफरा तफरी में उसके साड़ी का आंचल उसके कंधे से नीचे की तरफ लुढ़क कर गिर गया था जिससे ब्लाउज के अंदर से झांक रही उसकी दोनों चूचियों के बीच की गहरी लकीर काफी लंबी नजर आ रही थी और बेहद मनमोहक भी,,,, रघु के तन बदन में राधा की जवानी देखकर अरमान मचलने लगे थे,,, वह प्यासी नजरों से राधा को ही देख रहा था,,, लेकिन उसके मन में यह डर बराबर बना हुआ था कि अगर राधा ने अपने पति या उसके ससुर को यह बात बता देगी उसकी सास और उसके बीच गलत संबंध है तो उसका क्या होगा कहीं का नहीं रह जाएगा जमीदार उसे मार कर फेंकवा देंगे और कोई कुछ नहीं कर पाएगा,,,, यह ख्याल मन में आते हैं डर के मारे रघु एकदम से सिहर उठा,,, क्योंकि वह जमीदार की ताकत से अच्छी तरह से वाकिफ था,,, उसके आदमी उसके साथ कुछ भी कर सकते थे,,,,अब इस परिस्थिति से निकलने का उसके पास कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था,,, सब कुछ राधा के हाथों में था,,, इसलिए वह अपने आप को राधा के हाथों में सौंप देना चाहता था,,,, दूसरी तरफ राधा अपनी आंखों से जो नजारा देख चुकी थी अपनी सास और रघु को रंगे हाथों पकड़ चुकी थी उसका फायदा उठाने के चक्कर में थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि अगर वहां रघु के साथ शारीरिक संबंध बना लेगी तो भी उसके साथ उसके पति को मतलब कि उसके ससुर को अपने बेटे को यह बात बिल्कुल भी नहीं बताएगी और रघू तो कभी सपने में भी यह बात बताने की सोच नहीं सकता,,, इसलिए राधा के ख्यालों का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ रहा था अपने मम्मी यही सोच रही थी कि गैर मर्द मतलब एक नव जवान लड़की के साथ अगर में शारीरिक संबंध बनाएगी तो उसे कैसा महसूस होगा,,, एक नौजवान लड़का अपने हाथों से उसके कपड़ों को उठा देगा उसे नंगी करेगा उसकी नंगी चूचीयो से खेलेगा उसे मुंह में भरकर पिएगा जैसे कि वह उसकी सास की चुची को पी रहा था,,,, और तो और अपने लंड को जो कि उसने आज तक अपने पति के बिना किसी और किसी और मर्द का लंड देखी तक नहीं थी,,, वह गैर नौजवान लड़का अपना लंड उसकी बुर में डालकर उसे चोदेगा,,,,ओके सा महसूस करेगी लेकिन लड़के के सामने अपने आप को नग्न अवस्था में पाकर उसकी बाहों में पाकर उसे अपने अंगों से खेलने की खुली छूट देकर उसके साथ संभोग सुख क्या उसे पूरी तरह से संतुष्ट ही दे पाएगा अगर वह सच में उसे संतुष्टि दे सका तो यह उसके लिए बेहद खुशी की बात होगी,,,, उसके मन में ढेर सारे सवाल चल रहे थे वह यह भी सोच रही थी कि अपने पति के साथ चोडू आकर उसे जिस तरह से महसूस होता है क्या उस नौजवान लड़के के साथ चुदवाकर उसे वेसा ही महसूस होगा या उससे भी ज्यादा मजा आएगा,,,, यही सब सोचकर वह बिल्कुल कामविह्वल में लिप्त होती जा रही थी,,,, और दूसरी तरफ रघु पेड़ की ओट में अपने आप को पाने के चक्कर में उसका पैर फिसल गया और वह पेड के लग ही गिर गया,,,, राधा की नजर सीधे रघू ऊपर चली गई,,,,रघु राधा की नजरों से अपने आप को बचाने की कोशिश कर रहा था तो राधा ही थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।

ए लड़के,,,, इधर आ,,,,,,,।
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
राधा की आवाज सुनते ही रघू की हालत खराब हो गई हो एकदम से घबरा गया क्योंकि राधा गुस्से में उसे बोली थी,,,,
रघु घबराया हुआ था उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी उसके चेहरे की चमक गायब हो चुकी थी उसे इस बात का डर था कि अगर राधा ने उसकी ओर मालकिन के बीच के संबंध को लेकर मालिक को बता दिया तो उसकी खैर नहीं,,, इसलिए वह राधा के आगे हाथ जोड़कर खड़ा हो गया,,, उसे इस तरह से हाथ जोड़कर खड़ा हुआ देखकर राधा मनी मन खुश होने लगी,,, वह अपने मन में योजना बनाने लगी,,, वह जानती थी कि जिस हालात में उसने अपनी सास पर उस रघु को देखा है,,, उसका सही तरह का उपयोग करके वह अपने मन की मनसा पूरी कर सकती हैं,,, और इस राज को राज रखने के लिए कोई भी अपना मुंह नहीं खोल पाएगा,,,, वह पूरी तरह से अपने मन में योजना बना रही थी लेकिन योजना को कैसे अंजाम देना है यह उसे भी पता नहीं था,,,।

ऐई,,,, लड़के वहां क्यों खड़ा है इधर आ,,,,( राधा उंगली से इशारा करके उसे अपने पास बुलाने लगी,,,, रघू आज्ञाकारी लड़के की तरह डरता सहमता हुआ धीरे-धीरे कदम बढ़ा कर उसके पास जाने लगा,,, डर के मारे रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह राधा के सामने खड़ा होकर अपने दोनों हाथ को जोड़कर धीरे से बोला,,,)


जी मालकिन,,,,,,

सच-सच बताना क्या हो रहा था तुम दोनों के बीच,,, और झूठ बोलने की कोशिश बिल्कुल भी मत करना क्योंकि मेरी आंखों ने तुम दोनों के बीच बहुत कुछ देख लिया है,,,,।
(जिस अंदाज में अपनी दोनों आंखों को नचाते हुए राधा ने यह बात कही थी,, उससे रघु वाकई में एकदम घबरा गया था,,,, रघु डर के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था यह उसका पहला मौका था जब वह किसी औरत के सामने इतना कमजोर पड रहा था,,, इसमें गलती भी तो उसी की ही थी रंगे हाथ जो पकड़ा गया था,,, इसलिए तो वह पूरी तरह से नाजुक कोमल देंह वाली वऔरत के सामने घुटने टेक दिया था,,,वह राधा के सवाल का जवाब देने लायक बिल्कुल भी नहीं था वह खामोश रहा उसकी ख़ामोशी को देखकर राधा और गुस्सा दिखाते हुए जोर से बोली,,,)
बताता है या तुम दोनों की काली करतूत को मैं मालिक से बता दु,,, फिर वही फैसला करेंगे कि तेरे साथ क्या करना है सासु मां को तो वह पत्नी होने के नाते एक बार माफ भी कर सकते हैं लेकिन तेरा क्या होगा कभी सोचा है तेरी लाश भी तेरे परिवार वालों को नहीं मिलेगी,,,,( लास वाली बातें सुनकर रघु पूरी तरह से घबरा गया... जमीदार की बीवी के साथ शारीरिक संबंध बनाते समय वह पूरी तरह से वासना में लिप्त हो चुका था उसे इस बात का अहसास तक नहीं कहा कि अगर उन दोनों के बीच की अनैतिक संबंध के बारे में जमीदार को पता चल गया तो क्या होगा जो कि इस समय राधा उसे सच्चाई से वाकिफ करा रही थी,,,) तेरी मां रो-रो कर पागल हो जाएगी,,, और कौन है तेरे घर में,,,.

मेरी बड़ी बहन शालु,,,,,

हां,,,,शालु,,,, जो तूने सासू मां के साथ किया है सर गुस्से में मालिक तेरी बड़ी बहन के साथ भी कर सकते हैं,,, फिर क्या होगा कभी सोचा है समाज में तो मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाएगा,,,
(इतना सुनते ही रघू पूरी तरह से घबरा गया और तुरंत नीचे राधा के कदमों में गिर गया और उसके पांव पकड़ लिया,,, वह पेड़ की छांव में बैठी हुई थी रघू के इस तरह की हरकत को देखकर वह तुरंत खड़ी हो गई,,,, और उसे अपने पैर छुड़ाने के लिए बोलने लगे लेकिन डाकू पहली बार हकीकत से वाकिफ हो रहा था उसे अपनी आंखों के सामने सच्चाई का पता चल जाने के बाद मालिक के हाथों मौत के मुंह में जाने का डर लग रहा था,,,,)

नहीं छोटी मालकिन आप बिल्कुल भी ऐसा मत करना वरना मैं कहीं का नहीं रह जाऊंगा,,, मेरी इज्जत और जिंदगी सब कुछ आपके हाथ में है,,,, आप जो चाहो मेरे साथ सलूक कर सकती हो लेकिन यह बात मालिक को कभी मत बताना,,,,।
(जिस तरह से रघु उसके कदमों में गिरा हुआ था राधा बहुत खुश हो रही थी पहली बार कोई इस तरह से उसके पेर पकड़ कर माफी मांग रहा था,,, उसे अपने आप पर गर्व भी हो रहा था और रघु की हालत को देखकर उसे पक्का यकीन हो गया था कि अब वह जो भी बोलेगी रघु वैसा ही करेगा,,,,)

चल उठ जा मेरे पैर छोड,,,,,,

नहीं नहीं मैं नहीं छोडूंगा जब तक आप मुझे माफ नहीं कर देती,,,,,,,

तुझे क्या लगता है कि मैं तुझे माफ कर दूंगी,,,, मैं तुझे कभी माफ नहीं करने वाली मैं मालिक को सब कुछ बता दूंगी,,, तब तुझे पता चलेगा कि बड़े घर की औरतों के साथ रंगरेलियां मनाने का क्या नतीजा होता है,,,,


नहीं नहीं मालकिन ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,, मुझसे भूल हो गई,,,,(रघु एकदम घबरा चुका था क्योंकि ,,, राधा जितना से बोल रही थी रघु को ऐसा ही लग रहा था कि वह मालिक को सब कुछ बता देगी,,,)

भूल तो तुझ से हुई है और छोटी नहीं बहुत बड़ी भूल,,, तू ही जरा सोच अगर मैं मालिक को कमरे के अंदर क्या हो रहा था सब कुछ बता दुं तो क्या तू अपने पैरों पर खड़ा हो पाएगा ,,, बिल्कुल नहीं,,, तु मर भी सकता है,,, और मरेगा क्यों नहीं आखिरकार जमीदार की बीवी की इज्जत पर जो तूने हाथ डाला है,,,।


नहीं नहीं मालकिन ऐसा बिल्कुल मत करना,,,,(ऐसा कहते हुए वह राधा के पैरों को और जोर से पकड़ लिया) जो कुछ भी हुआ उसमे मेरी गलती बिल्कुल भी नहीं थी,,, सब कुछ मालकिन के कहने पर हुआ,,, वरना मेरी ऐसी हैसियत कहां,,,
(रघु की बातों को सुनकर राधा कुछ देर तक सोचने लगी,,, वह एक एक बात रघु के मुंह से निकलवा लेना चाहती थी,,, लेकिन बड़े आराम से वह जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसे अपना काम भी निकालना था,,, इसलिए वह बोली,,,)

गलती किसी की भी हो तूने किया या सासु मां ने लेकिन मालिक के सामने तो तेरी ही गलती नजर आएगी,,,,

नहीं-नहीं मालकिन आप ही मेरा सहारा है आप ही मुझे बचा सकती हो आप जो कहोगी मैं सब करूंगा,,, बस मुझे बचा लो,,,,।
(राधा चारों तरफ देख कर यह तसल्ली कर ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है और तसल्ली करने के बाद,, वह कुछ सोच कर बोली,,,)

यह बात तो एकदम पक्की है कि तेरी जान अब मेरी मुट्ठी में है,,,अगर मैं मुट्ठी खोल दी तो समझ लें तेरी जान तेरे सीने से उड़ जाएगी,,,,


नहीं नहीं मालकिन ऐसा गजब बिल्कुल भी मत करना,,,,

तो तुझे वैसा ही करना होगा जैसा कि मैं कहूंगी और हमेशा,,,



जिंदगी भर आपका गुलाम बन कर रहूंगा छोटी मालकिन बस मुझे बचा लीजिए,,,(रघु राधा के पैरों को पकड़े हुए गिड़गिड़ाते हुए बोला,, राधा के होठों पर मुस्कान पैर में लगी थी वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, अब उसकी आंखों के सामने वही नजारा दिखाई दे रहा था जब वह दरवाजा खोल कर अंदर के नजारे को देखी थी लेकिन अब उसकी सासु मां की जगह वह अपने आप को पाती थी,,,। और ऐसी कल्पना करके वह अंदर तक सिहर उठती थी जिंदगी में कभी भी वह पराए मर्द के बारे में कभी सोचा भी नहीं था लेकिन आज अपनी सासू मां को एक जवान लड़के के साथ रंगरेलियां मनाते देखकर उसकी भावनाओं के भी पर लगने लगे थे,, उसके भी अरमान जंवा हो रहे थे,,, वह भी पराए जवान लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हुए जा रही थी,,,,, आने वाले फल की जबरदस्त हलचल को अपने अंदर महसूस कर रही थी वह एक नई जिंदगी जीने के लिए मचल रही थी अपने पति के साथ धोखा करने की सोच कर ही वह काफी उत्तेजित नजर आ रही थी वह इस अनोखे पल का अनुभव लेना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि ऐसा करने पर औरत को कैसा महसूस होता है,,,।)

तेरा क्या करना है यह बाद में सोचूंगी पहले चल काम में मेरा हाथ बटा,,,।

मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूं मालकिन बस आप काम बताइए ,,,।
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
दिख रहा है क्या,,,,?
(राधा यह बात इतनी मादक अदा से बोली थी कि रघु एकदम से शर्मा गया,,, और शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर लिया,,,राधा समझ गई कि रघु ने उसकी बुर को देख लिया है अब जरूर तड़प उठेगा उसे पाने के लिए इसलिए कुछ बोली नहीं बस कपड़ों को धोती रही,,, थोड़ी देर बाद वह रघु से बोली,,,)

रघु सच-सच बताना,,,, जो तुमने अभी-अभी मेरी टांगो के बीच में से देखा है,,,, क्या मेरी सासू मां की मुंह से लगा कर चाटा है,,,।
(राधा के मुंह से इतनी साफ शब्दों में गंदी बात सुनकर रघु हो तेरी तो हो गया लेकिन एकदम सन्न रह गया क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि बड़े घर की बहु इस तरह के शब्द उसके सामने बोल देगी,,, राधा इतना बोल कर कपड़े धोती रही और रघु की तरफ उसके जवाब सुनने के लिए देखती रही....रघु को इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि बड़े घर की बहू राधा उसके सामने कुछ इस तरह से कह देगी,,, लेकिन उम्मीद से ही दुनिया टिकी हुई है राधा के मुंह से इस तरह की बात सुनकर रघु के अंतर्मन में यह बात इस बात का एहसास दिलाने लगी कि जरूर राधा के मन में कुछ और चल रहा है,,, वरना बड़े घर की बहू इस तरह की खुली बातें बिल्कुल भी नहीं कहती और वह भी एक अनजान लड़के से,,, रघु इस समय अपना एक-एक कदम बहुत ही भूख भूख कर रखना चाहता था क्योंकि वैसे भी जमीदार की बीवी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे जितनी खुशी और संतुष्टि प्राप्त हुई थी उसे ज्यादा डर राधा को अपनी आंखों से उसके और जमीदार की बीवी के बीच हो रही गंदी हरकत को देख कर रही थी,,,इसलिए अपनी गलती के चलते उसके दोनों हाथ कटे हुए थे वह राधा के इशारों पर चलने वाला कठपुतली हो चुका था वैसे भी उसका अंतर्मन कहीं ना कहीं इस बात का दिलासा दे रहा था कि भले ही राधा उसकी सास और उसके बीच गंदी हरकतों को अपनी आंखों से देख चुकी है लेकिन उसी के चलते राधा की दोनों टांगों के बीच पहुंचने में उसे समय नहीं लगेगा,,, राधा की बात सुनकर वह खामोश ही रहा,,, उसी तरह से कपड़ों को धोनी की चेष्टा करता रहा डर के मारा उसकी निगाहें ऊपर की तरफ नहीं उठ रही थी लेकिन कुछ देर पहले जिस तरह का नजारा है उसने राधा के दोनों टांगों के बीच देखा था वह नजारा देखकर उसके तन बदन में हलचल सी मच चुकी थी,,,राधा भी खामोश होकर कपड़े धोते हुए तिरछी नजरों से उसकी तरफ ही देख रही थी मानो उसके चेहरे पर उपस रही रेखाओं को पढ़ने की कोशिश कर रही हो,,,,, राधा मन ही मन खुश हो रही थी एक तो जिंदगी में पहली बार,,, उसने इस तरह के कदम उठाए थे और पहली बार में ही वह एक अनजान लड़के को अपनी दोनों टांगों के बीच के उस मखमली बेहद खूबसूरत और गुप्त अंग को दिखा चुकी थी,,,जिसे देख कर रखो क्या मन में किस तरह की उत्कंठा पैदा हो रही है इस बात से वह पूरी तरह से वाकिफ थी तभी तो वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,। दोनों के बीच चुप्पी फैली हुई थी चारों तरफ खामोशी खामोशी केवल मन मन हवा के चलने की आवाज के साथ साथ पंछियों की मधुर आवाज सुनाई दे रही थी जिससे वातावरण बेहद खुशनुमा हो चुका था,,,)

क्या हुआ बोलता क्यों नहीं,,,

क्या,,,,,(घबराहट भरी आवाज के साथ रघु बोला)

वही जो मैं पूछ रही हूं,,


मैं कुछ समझा नहीं छोटी बहू,,,,


मैं अच्छी तरह से समझ रही हूं कि तू क्या नहीं समझा तो अच्छी तरह से समझता है,,,,, मुझसे चालाकी करेगा तो सब कुछ बाबू जी से जाकर बता दूंगी फिर वहीं पर,,, अपनी सारी बयान बाजी करते रहना,,,,।


नहीं नहीं छोटी बहू ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,,,,
(रघु एकदम से हाथ जोड़ते हुए बोला क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानता था कि राधा के ही हाथों में अब सब कुछ था,,, रघु की घबराहट को देखकर राधा मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, लेकिन कुछ देर खामोश रहने के बाद वह,,, रघु को
तकरीबन 10 फीट की दूरी पर रखी हुई बाल्टी लाने के लिए बोली,,, यह सुन कर रघु तुरंत खड़ा हुआ और बाल्टी लेने के लिए आगे बढ़ गया लेकिन इस जल्दबाजी में वह यह भूल गया था कि कुछ देर पहले ही राधा की दोनों टांगों के बीच जो दृश्य उसने देखा था उसे देख कर,,, पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,और यही राधा देखना चाहती थी कि उसकी रसीली बुर को देखकर ऊसके मन मस्तिष्क पर क्या प्रभाव पड़ता है जिसका असर वह अपनी आंखों के सामने उसके पजामे में बने तंबू को देखकर कर रही थी,,,,,और उसके पजामे में जिस तरह का तंबू बना हुआ था उसे देखकर राधा को समझते देर नहीं लगी थी कि उसके पहचाने ने कोई आम हथियार नहीं बल्कि बमपिलाट अद्भुत ताकतों से भरा हुआ लंड था,,,, रघु के तंबू पर नजर पड़ते ही राधा का गला उत्तेजना से सूखने लगा,,, टांगों के बीच जबरदस्त हलचल होने लगी,,,जिस अंग को दिखाने के लिए राधा अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर चुकी थी और उसने कामयाब भी हो चुकी थी अब,, रघु के तंबू को देखकर उसे अपने उसी अंग में लेने की इच्छा होने लगी,,,घबराहट में और जल्दबाजी में रघु को इस बात का अहसास तक नहीं था कि पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है और जिसकी वजह से उसके पजामे में बना तंबू राधा को साफ तौर पर नजर आ रहा है,,,। रघु जल्दी से बाल्टी लाकर राधा के करीब रख दिया,,, तो राधा बोली,,,।)

इसमें पानी भर ऐसे ही नहीं रखना है,,,,
(इतना सुनते ही रघु बाल्टी को पकड़कर हेड पंप के नीचे लगा दिया और उसके पीछे जाकर हैंडपंप के हत्थे को पकड़कर चलाने लगा जिससे हेड पंप में से पानी निकलने लगा,,,, रघु अपनी नजरों को बचाया हुआ था क्योंकि अभी भी,,, राधा ने अपने साड़ी के पल्लू को ठीक तरह से व्यवस्थित नहीं की थी जिसकी वजह से अभी भी ब्लाउज में से उसके दोनों खरबूजो के बीच की पतली लकीर एकदम गहरी होकर नजर आ रही थी,,,। और साड़ी घुटनों के ऊपर तक उठी हुई थी जिसकी वजह से दोनों टांगों के बीच की गहराई भी नजर आ रही थी लेकिन उस में झांकने की हिम्मत अब रघु में शायद नहीं थी इसलिए वह अपनी नजरों से उधर पहुंचने से बचा रहा था,,, वाह हेड पंप चलाए जा रहा था और राधा कपड़ों को बाल्टी में डाल कर धो रही थी हालांकि अभी भी उसकी नजर रघु के तंबू पर टिकी हुई थी,,, जिस बात का एहसास रघु को बिल्कुल भी नहीं था,,,)

अब सच सच बता जो तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखा था क्या तू,,, मेरी सासू मां की मुंह लगाकर चाटा है,,,(राधा कपड़ों को धोते हुए बोली)

यह क्या कह रही हो छोटी बहू,,,ममममम,,,,मैं,,,,।


अब तु ज्यादा बकरी के बच्चे की तरह मैं मैं,,,,,मत कर मैं तेरे से जानती हूं कि तू मेरी दोनों टांगों के बीच देख रहा था और देख भी चुका है तभी तो तेरी ये हालत है,,,।
(राधा की यह बात रघु को बिल्कुल भी समझ में नहीं आई,,, तो राधा ही सब कुछ साफ करते हुए बोली)

अपने पजामे में देख तुझको खुद पता चल जाएगा मैं क्या कह रही हूं,,,,।(इतना सुनते ही रघु की नजर अपने पहचाने के ऊपर गई और पजामे का हाल देखकर वह पूरी तरह से स्तब्ध रह गया एकदम से हैरान हो गया वह अपनी दोनों हाथों को झट से उस पर रखकर तंबू को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा रघु कोई इस तरह से हरकत करता हुआ देखकर राधा मुस्कुराते हुए बोली,,,)

अब कोई फायदा नहीं है उसे छुपाने का अच्छी तरह से जानती हूं कि तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखकर ही इस हालत तक पहुंचा है,,, मेरे सवालों का सही सही जवाब दे वरना मैं सब कुछ,,,बाबू जी को बता दूंगी फिर तो तू जानता ही है तेरे साथ क्या होगा,,,,


नहीं नहीं छोटी मालकिन ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,,

हां तो रघु जो तू मेरी दोनों टांगों के बीच देखा है क्या तू मेरी सासू मां की मुंह लगाकर चाटा है,,,,।

(रघु समझ गया था कि अब छुपाने से कोई फायदा नहीं है,,, पर इस समय वह राधा के हाथों की कठपुतली सा बन चुका था इसलिए उसके जवाब में हामी भरते हुए अपना सिर हिलाने लगा,,,,, उसका इस तरह से हामी में सिर हिलाना देखकर राधा की हालत खराब होने लगी उसकी आंखों के सामने कल्पनातीत दृश्य उभरने लगा वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे व्हिस्की सासू मां अपनी दोनों टांगे फैला कर रघु को अपनी बुर चाटने की इजाजत देते हुए अपने हाथों से उसका सिर पकड़ कर अपनी बुर पर दबा रही है,,, राधा के मन में आए कल्पना का यह दृश्य इसे पूरी तरह से उत्तेजित कर गया,, इस दृश्य की कल्पना करके उसकी बुर अपने आप गीली होने लगी,,, गहरी सांस लेते हुए वह बोली,,,)

तुझे मजा आया था,,,,सच सच बताना बिल्कुल भी झूठ मत बोलना मैं जानती हूं कि यह सब काम करने में मर्दों को कितना मजा आता है,,,।


इस बार भी रघु अपने मुंह से बोला कुछ नहीं बस हा में सिर हिला दिया,,,।

ईसका मतलब,,, तुम दोनों बहुत आगे निकल चुके हो,,, चल अब इन कपड़ों को उठाकर मेरे पीछे पीछे आ,,,(इतना कहते हुए राधा खड़ी हो गई,,, और आगे आगे चलने लगी,,, रघु सारे धुले हुए कपड़े को बाल्टी में रखकर राधा के पीछे पीछे चलने लगा,,,, राधा अपनी गोलाकार गांड को कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी वह चाहती थी कि जिस तरह से रघु उसकी सास को शारीरिक सुख देकर संतुष्ट किया है उसी तरह से उसे भी वह पूरी तरह से संतुष्ट करें इसी के बारे में सोचते हुए वह आगे आगे बढ़ने लगी और साथ ही अपने खूबसूरत माधव अंगों के हर एक कटाव का पूरी तरह से उपयोग करके रघु को अपनी तरफ रिझाने की कोशिश करने लगी और ऐसा नहीं था कि रघु उसकी तरफ आकर्षित नहीं था वह तो पूरी तरह से राधा की मदमस्त जवानी के आगे अपने घुटने देख चुका था बस हल्के से इशारे की जरूरत थी,,, हाथों में धुले हुए कपड़ों का ढेर लिए उसकी नजरें राधा की चिकनी मांसल पीठ के साथ-साथ उसकी मदमस्त गोलाकार उभार दार मटकती हुई गांड पर टीकी हुई थी,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे इस बात का एहसास हो चुका था कि रघु को सजा के रूप में राधा के हाथों से कुछ बेहद अनमोल चीज हाथ लगने वाली है,,, लेकिन फिर भी औरतों के मन का भरोसा बिल्कुल भी नहीं था यह बात भी अच्छी तरह से जानता था,,, आज राधा के हाथों से खुद उसकी जवानी खोलने की इजाजत मिलने वाली थी या तो फिर राधा के हाथों उसके क़त्ल का सामान तैयार होना था,,,, राधा बार-बार पीछे की तरफ देख ले रही थी यह देखने के लिए किस रघु की नजर कहां पर है और रघु की नजर अपनी मटकती गांड पर केंद्रित पाकर वह मन ही मन खुश हो रही थी,,,, थोड़ी ही दूरी पर दो पेड़ों के बीच बनी हुई मजबूत रस्सी नजर आने लगी उस रस्सी को देखकर रघु भी समझ गया था कि रस्सी पर कपड़े सूखने के लिए डालना है इसलिए रस्सी के करीब पहुंचते ही वह बाल्टी नीचे रख दीया और कपड़ों को एक-एक करके रस्सी पर डालने लगा यह देखकर राधा बोली,,,।)

बहुत समझदार है तू,,,, और इतना भी तो समझता ही होगा कि मेरी सास और तेरे पीछे जो कुछ भी चल रहा है अगर बाबुजी को पता चल जाए तो क्या होगा,,,(राधा के मुंह से इतना सुनते ही रघु घबराहट भरी नजरों से राधा की तरफ देखने लगा,,,)

क्या तू चाहता है कि मैं सब कुछ बाबूजी को बता दूं,,,,



नहीं छोटी बहू में बिल्कुल भी नहीं चाहता कि यह सब मालिक को पता चले,,,, और यह भी जानता हूं कि अगर आप मालिक को सब कुछ बता देंगे तो मेरी मृत्यु निश्चित है,,,,।


तो क्या तूने अपनी मालकिन के साथ चुदाई करने से पहले यह सब नहीं सोचा था,,,।(राधा जानबूझकर अपने होठो पर चुदाई जैसे गंदे लफ्जों का प्रयोग करने लगी,,, इस शब्द को सुनकर रघु के भी तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, क्योंकि उसे यह उम्मीद नहीं थी कि राधा इस तरह से खुले शब्दों का प्रयोग कर देगी,,,, राधा की बात सुनकर वह जवाब देते हुए बोला,,,।)

छोटी बहू में अपने मन से नहीं किया था बल्कि मालकिन ने मुझे ऐसा करने के लिए कही थी,,,,।( रघु घबराहट भरी स्वर में बोला,,,)

फिर भी रघु अगर यह सब कुछ बाबूजी को बता दूं तो तू अच्छी तरह से जानता है कि तेरा क्या होगा,,,,


नहीं नहीं छोटी बहू ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,(इतना कहने के साथ ही रघु तुरंत उसके दोनों पैर पकड़कर वहीं बैठ गया,,,,, राधा उसे तुरंत पकड़ कर खड़ा करने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

अच्छा चल मान लो कि अगर मैं कुछ भी नहीं बताऊंगी तो इसमें मेरा क्या फायदा होगा,,,,
(राधा की यह बात सुनकर रघु का दिल जोरो से धड़कने लगा,, क्योंकि रघु राधा के कहने का मतलब अच्छी तरह से कुछ कुछ समझ रहा था जिसमें उसके फायदे के साथ-साथ उसका खुद का फायदा था,,,। रघु को लगने लगा कि जरूर उसे बड़े घर की बहू की दोनों टांगों के बीच जाने का मौका मिलेगा,,, फिर भी रघु अनजान बनने की पूरी कोशिश करते हुए बोला,,,)

छोटी बहू कुछ भी करने को तैयार हूं,,, आप जो कहोगी मैं वह मानुंगा,,, बस यह बात मालिक को बिल्कुल मत बताना,,,,


कुछ भी करने को तैयार है,,,,,(राधा रघु की आंखों में आंखें डाल कर बोली वह अभी भी उसके दोनों पैरों को पकड़कर घुटनों के बल बैठा हुआ था,)

हां छोटी मालकिन में कुछ भी करने को तैयार हूं,,,,

कुछ भी,,,,(एक बार फिर से अपनी बात को पक्की कर लेने के उद्देश्य से राधा बोली)


हां छोटी मालकिन कुछ भी करने को तैयार हूं,,,,


अच्छा तो उठ,,,,, तेरी भलाई भी इसी में है कि तू मेरी हर एक बात माने,,,, वरना तू अच्छी तरह से जानता है कि क्या होगा,,,,,


जानता हूं छोटी मालकिन,,,,


तो जल्दी से बाकी के कपड़ों को रस्सी पर डाल दें उसके बाद बताती हूं कि तुझे क्या करना है,,,,

(राधा की बातें सुनते ही रखो जल्दी-जल्दी गीले कपड़ों को रस्सी पर डालकर उसे सूखने के लिए छोड़ दिया काम खत्म होने के बाद राधा उसे बाल्टी को हेड पंप के पास रखने के लिए बोली जो कि रघु बाल्टी को हेड पंप के पास रख दिया,,, राधा इधर उधर नजर घुमाकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी कि कोई उधर है तो नहीं जा कोई उन दोनों को देख तो नहीं रहा है जब पूरी तरह से तसल्ली कर ली तब वह,,, पास में घास फूस की झोपड़ी जो कि जिस में ईंधन रखा हुआ था,,,, उसे देखने लगी वह जो परी काफी बड़ी थी जिसमें ढेर सारा गाय के लिए चारा और इंधन रखा हुआ होता था,,, राधा को अपनी बात मनवाने का इससे अच्छा मौका शायद और कभी मिलने वाला नहीं था इसलिए वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी वैसे भी जिस तरह से,,, रघु उसकी दोनों टांगों के बीच ऐसी नजरों से देख रहा था और शायद उसकी बुर को देख पी चुका था तभी तो उसके पजामे में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और पजामे में बने तंबू को देखकर राधा का मन उस पर ललच उठा था,,, और जिस तरह से रघु उसकी सास की बुर को चाटा था,,, उसका भी मन लालायित हो रहा था रघु के द्वारा अपनी बुर चटवाने के लिए,,, वह जल्द से जल्द रघु के मुंह को अपनी दोनों टांगों के बीच देखना चाहती थी उसे महसूस करना चाहती थी ,,, वह इस अद्भुत सुख से वाकिफ होना चाहती थी क्योंकि उसकी भी दिली चाहत यही थी कि उसका पति उसकी बुर को अपना मुंह लगाकर चाटे ,,,लेकिन इतने वर्षों में आज तक ऐसा नहीं हो पाया था क्योंकि उसके पति को बुर चाटना कतई गवारा नहीं था,,, वह इस क्रिया को बहुत ही गंदा समझता था जबकि मर्दों को किसी चिड़िया में अद्भुत सुख प्राप्त होता है और औरत को भी इसमें अत्यधिक संतुष्टि का अहसास होता है,,,, रघू उसके करीब पहुंचकर बोला,,,।

छोटी मालकिन मैंने सब कुछ कर दिया जो कुछ भी आपने बोला,,,,।( रघु की बात सुनते हैं उसकी नादानी पर राधा को गुस्सा भी आया लेकिन हंसी भी आ गई उसे हंसता हुआ देखकर राधा बोली,,,)

तुझे क्या लगता है तू मेरी सासू मां के साथ हमारे खानदान की इज्जत के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ कर रहा है और तुझसे बस कपड़े दिलवा करो बाल्टी इधर-उधर करवा कर माफ कर दूंगी,,,


मैं कुछ समझा नहीं मालकिन,,,,

चल इधर आ सब समझाती हूं,,,,(इतना कहकर राधा झोपड़ी की तरफ जाने लगी रघु उसके पीछे जाने लगा रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि उसे पता था कि एक औरत जब इस तरह से एक मर्द से सर्दी रखती है तो उसके पीछे क्या राज छुपा होता है जिसमें उसका खुद का ही फायदा था उसे यकीन हो चुका था कि आज ऊसे एक और रसीली चोदने को मिलने वाली है,,,। राधा के पीछे पीछे उसी झोपड़ी में चला गया,,,, दोनों झोपड़ी के अंदर थे,,, राधा रघु को झोपड़ी का दरवाजा जोकि बांस के लकड़ी को जोड़कर बनाया गया था,,, उसे बंद करने के लिए बोली अब रघु का दिल और जोरो से धड़कने लगा वह उत्तेजित हुआ जा रहा था और जल्दी से जाकर दरवाजे को जैसे तैसे करके बंद कर दिया,,, राधा की भी हालत खराब थी पहली बार में किसी गैर मर्द के साथ इस तरह से एकांत में झोपड़ी में खड़ी थी,,,, दूसरी तरफ अपनी बहू की आंखों से देखे जाने पर जमीदार की बीवी हक्की बक्की रह गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें कुछ देर तक वह अपने कमरे में ही बैठे रहोगे लेकिन वो जानती थी किस तरह से बैठे रहने से काम चलने वाला नहीं है वो किसी भी तरह से अपनी बहू को मनाना चाहती थी इसलिए थोड़ी देर बाद वह अपने कमरे से बाहर निकलकर अपनी बहू को ढूंढने लगी,,,,।
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
राधा रघु को झोपड़ी का दरवाजा जोकि बांस के लकड़ी को जोड़कर बनाया गया था,,, उसे बंद करने के लिए बोली अब रघु का दिल और जोरो से धड़कने लगा वह उत्तेजित हुआ जा रहा था और जल्दी से जाकर दरवाजे को जैसे तैसे करके बंद कर दिया,,, राधा की भी हालत खराब थी पहली बार में किसी गैर मर्द के साथ इस तरह से एकांत में झोपड़ी में खड़ी थी,,,, दूसरी तरफ अपनी बहू की आंखों से देखे जाने पर जमीदार की बीवी हक्की बक्की रह गई थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें कुछ देर तक वह अपने कमरे में ही बैठे रहोगे लेकिन वो जानती थी ईस तरह से बैठे रहने से काम चलने वाला नहीं है वो किसी भी तरह से अपनी बहू को मनाना चाहती थी इसलिए थोड़ी देर बाद वह अपने कमरे से बाहर निकलकर अपनी बहू को ढूंढने लगी,,,,।

राधा का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें इतना कुछ तो वह कर चुकी थी जो कि उसके पास में बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी वह एक अनजान लड़के के साथ अपनी शारीरिक जरूरत को पूरा करने के लिए इतना बड़ा कदम उठा चुकी थी और वह भी जानती थी कि अगर इस बारे में किसी को थोड़ी सी भी भनक लगी तो उसके साथ क्या होगा लेकिन फिर भी वहां अपने और रघु के बीच आने वाले हर खतरे का सामना करने के लिए अपने मन को तैयार कर चुकी थी,,, रघु की हालत पतली होती जा रही थी,, अपने मन में यही सोच रहा था कि राधा की हाथों की कठपुतली ही सही,,, कठपुतली बनने में भी अपना अलग मजा है और इसलिए वह अपने आप को भी पूरी तरह से तैयार कर चुका था कई औरतें के साथ शारीरिक संबंध बना लेने के बाद रघु को इतना तो पता चलने लगा था कि औरत के मन में क्या चलता है और उन्हें क्या चाहिए रहता है राधा को जो चाहिए था ना उसके पास था तभी तो राधा एक बड़े घर की बहू होने के बावजूद भी उसे इस तरह से झोपड़ी में लेकर आई थी भले ही डरा धमका कर ही सही,,,। राधा के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की स्थिति कुछ ज्यादा ही खराब थी जब से उसे इस बात का पता चला था कि उसकी सास की पूर्व को रघु अपना मुंह लगाकर जाता था तब से उसके मन की इच्छा प्रबल होने लगी थी कि वह भी अपने सास की तरह रघु से अपनी बुर चटवाएगी,,,,, दोनों के बीच खामोशी छाई हुई थी रघु को इस बात का एहसास था कि जब सांस में इतनी भरपूर जवानी है तो उसकी बाहों में तो आग लगा देने वाली जवानी होगी उसे अपनी आंखों से साफ नजर भी आ रहा था राधा के खूबसूरत मद भरी जवानी का हर एक मादक कटाव उठाव और उसकी बनावट,,,, हालांकि सब कुछ अभी तक साड़ी के अंदर ही था लेकिन फिर भी रघु की तेज नजर साड़ी के अंदर होने के बावजूद भी उसके हर एक अंगो को अपनी आंखों से भाप ले रहा था,,,। राधा की गर्म जवानी के एहसास से ही उसका तन बदन पानी पानी हो रहा था उसके माथे पर पसीने की बूंदें उपसने लगी थी,,,। राधा की सांसे भी बड़ी तेजी से चल रही थी हालांकि अभी तक दोनों के बीच में कुछ हुआ नहीं था लेकिन फिर भी उस बात के एहसास से ही राधा के तन बदन जिस तरह से मचल रहा था उसे शारीरिक सुख की अनुभूति करा रहा था और वह उस सुख से पूरी तरह से वाकिफ होने के लिए और ज्यादा उत्साहित हो रही थी,,,, खामोशी को तोड़ते हुए रघु बोला,,,

अब क्या करना है छोटी मालकिन,,,? (राधा की तरफ सवालिया नजरों से देखता हुआ रघु बोला.... रघु की आवाज सुनकर जैसे राधा की तंद्रा भंग हुई हो वह इस तरह से चौक गई वह अपने ख्यालों में खोई हुई थी उसकी आवाज को सुनकर उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसके पास भी समय पर्याप्त मात्रा में नहीं है क्योंकि,,, कपड़े धोने के लिए घर से निकले काफी समय हो गया था उसे घर कभी काम करना था इसलिए वह सब कुछ जल्दी से निपटाना चाहती थी हालांकि ऐसे कामों के लिए पर्याप्त समय होना ही उचित रहता है लेकिन कम समय का भी अपना एक अलग मजा होता है इसलिए राधा रघु की तरफ देखते हुए बोली,,,)

जैसे कि तुझे कुछ मालूम ही नहीं है कि क्या करना है,,,,

मममममम,,,, मुझे कैसे मालूम होगा छोटी मालकिन,,,,(रघु हक लाते हुए बोला,,,)


रुक जा तुझे बताती हूं कि क्या करना है,,,,(इतना कहने के साथ ही राधा उत्तेजना बस बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए अपनी साड़ी को दोनों छोर से पकड़कर आहिस्ता आहिस्ता उसे ऊपर की तरफ उठाने लगी यह देख कर रघु का दिल बल्लियों उछलने लगा,,, अपनी इस हरकत पर अंदर ही अंदर राधा को शर्म का एहसास भी हो रहा था लेकिन मजा लेने के लिए बेशर्म बनना भी जरूरी था,,, जैसे-जैसे साड़ी पैरों से होकर ऊपर की तरफ जा रहे थे वैसे वैसे राधा का गोरापन रघु की आंखों में चमकने लगा था,,, गोरी गोरी पिंडलियों को देखकर पजामे के अंदर रघु का लंड उछलने लगा,,, राधा को भी रघु के पजामे के अंदर उसका तनता हुआ तंबू नजर आ रहा था,,, जिसे देखकर वह और ज्यादा उत्साहित हो रही थी,,, धीरे-धीरे करके राधा ने अपनी साड़ी को अपनी मोटी चिकनी गोरी गोरी जा6 तक उठा दी,,,,, मोटी मोटी गोरी मांसल चिकनी जांघों को देखकर रख के मुंह से आह निकल गई,,,, बेहद रोमांचक दृश्य नजर आ रहा था,,,,, राधा के तन बदन में भी हलचल कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी क्योंकि अब वह पल आ गया था जब वह अपनी साड़ी को कमर पर उठाकर अपना वह बेशकीमती अंग दिखाने वाली थी जिसे देखने के लिए दुनिया का हर एक मर्द तड़पता रहता है और हमेशा उत्साहित रहता है,,,राधा के लिए भी उसके जिंदगी का यह पहला मौका था जब वह एकदम बेशर्म बनते हुए पहली बार अपनी साड़ी उठाकर किसी गैर लड़के को अपनी बुर दिखाने वाली थी,,,इस तरह की हरकत तो वह अपने पति के सामने भी कभी नहीं की थी जो कुछ भी किया था उसके पति ने ही किया था इसलिए तो उसे आज गैर लड़के के साथ इस हरकत को अंजाम देने के लिए मजबूर होना पड़ा,,,रघु प्यासी नजरों से देख रहा था उसका पूरा ध्यान राधा के दोनों टांगों के बीच उसके ऊपर उठती हुई साड़ी पर ही केंद्रित था वह इस इंतजार में था कि कब उसकी साड़ी कमर तक उठेगी और कब उसे बेहतरीन खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा जिसके लिए वह तड़प रहा था और जिसे वह राधा के द्वारा दिए गए सजा के रूप में कबूल करके आनंद के सागर में डुबकी लगाने वाला था,,,, राधा को भी रघु को इस तरह से तड़पाने में मजा आ रहा था,,,, लेकिन राधा ज्यादा समय,,, बिगड़ना नहीं चाहती थी क्योंकि उसके पास भी समय कम था,,,,आखिरकार वह अपने खूबसूरत खजाने के ऊपर से पर्दा उठाते हुए धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर तक उठा दे इसके बाद जो नजारा रघु की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर मंत्रमुग्ध हो गया उसकी सांसो की गति थम गई ऐसा लग रहा था कि सारा समय का चक्र वही पर रुक गया हो,,, रघु की नजरें राधा की बुर पर जैसे जम सी गई थी उसे और कुछ नजर नहीं आ रहा था,,। उत्तेजना के मारे राधा की बुर तवे पर रखी हुई रोटी की तरह फूल गई थी,,,,रघु जल्द से जल्द लालायित हो रहा था उसके ऊपर अपनी प्यासी होठों को रखकर उसके मदन रस को अपने गले से नीचे उतारने के लिए लेकिन जब तक राधा की इजाजत नहीं मिल जाती तब तक वह अपनी तरफ से किसी भी प्रकार की मनमानी नहीं करना चाहता था लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि जिस तरह के हालात बन चुके थे उससे वह राधा के साथ कुछ भी मनमानी करता फिर भी राधा कोई एतराज नहीं होता,,, रघु को इस तरह से अपनी साड़ी उठाकर दूर दिखाने की वजह से उत्तेजना के मारे राधा का गला सूखता जा रहा था उसे गले से नीचे थुक तक निगला नहीं जा रहा था,,,,,, दोनों अपनी अपनी जगह पर खड़े थे रघु तक जैसे मंत्रमुग्ध होकर जड़वंत पुतले की तरह हो गया था,,,, आखिरकार उसकी तंद्रा भंग करते हुए राधा बोली,,,।

अब देखता ही रहेगा या ईधर आएगा भी,,,,।(इतना सुनते ही रघु अपने कदम आगे बढ़ाने लगा,,, पजामे में उसका तंबू इधर उधर हील रहा था,,,और राधा उसके हिलते हुए तंबू को देखकर अपना पूरा वजूद डामाडोल कर रही थी,,,। जिंदगी में पहली बार राधा इस तरह का कदम उठा रही थी वह भी काफी उत्तेजित थी,,, अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए वह उसी स्थिति में खड़ी थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस तरह की हरकत कर सकेगी लेकिन वह बेशर्मी की सारी हदों को पार करते हुए इस तरह के काम कर कर को करते हुए अपने से कम उम्र के जवान लड़के के सामने अपनी साड़ी उठाए खड़े होकर अपनी रसीली फुली हुई बुर उसे दिखा रही थी,,,, एक तरह से वह रघु को अपनी बुर दिखाकर ललचा रही थी,,,, रघु तो पागल हुआ जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी आंखें जो कुछ देख रही है वह कोई सपना है या हकीकत,,,,क्योंकि जो नजारा उसकी आंखों के सामने था वह कल्पना और सपना से भी बेहद अद्भुत और रोमांचक था,,, राधा की भी स्थिति बेहद नाजुक होती जा रही है उसकी आंखें बार-बार रघु के पजामे पर टिक जा रही थी वह जल्द से जल्द रघु के दमदार लंड के दर्शन करना चाहती थी,,, वह देखना चाहती थी कि आखिरकार रघु कैलेंडर में ऐसी कौन सी ताकत है जिसकी वजह से उसकी सास अपने खानदान की मान मर्यादा इज्जत को एक तरफ रखते हुए अपने से छोटे उम्र के लड़के के साथ शारीरिक संबंध बना बैठी,,,, राधा की बात सुन कर रखो धीरे-धीरे अपने कदम राधा की तरफ बढ़ाने लगा और उसके हर बढ़ते कदम के साथ-साथ राधा की स्थिति और खराब होने लगी खास करके उसके दोनों टांगों के बीच उस गुलाबी बुर में तो जैसे हलचल मची हुई थी,,,,राधा को इस बात का एहसास हो रहा था कि उत्तेजना के मारे उसकी बुर तवे पर रखी हुई गरम रोटी की तरफ फुल चुकी है,,। राधा का दिल जोरों से धड़क रहा था एक अनजान जवान लड़के के सामने साड़ी को का मतलब उठाकर खड़ी होकर जिस तरह से हुआ अपनी नंगे पन मदहोश जवानी का प्रदर्शन कर रही थी उसे अपनी हरकत पर खुद विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन क्या करें जवानी का नशा और संतुष्टिपन के एहसास का आनंद ही ऐसा कुछ होता है कि कुछ भी कर सकने के लिए मर्द और औरत दोनों तैयार हो जाते हैं,,,। देखते ही देखते रखो राधा के बेहद करीब पहुंच गया इतना करीब कि दोनों के बीच केवल 1 फीट की ही दूरी रह गई थी रघु का तंबू पूरी तरह से तन चुका था,,, तंबू और राधा की बुर इस समय एक दम आमने-सामने थी,,, रघु को तो राधा की गरम कि आंच अपने लंड पर अच्छी तरह से महसूस हो रही थी रघु आज फिर से पिक बड़े घराने की औरत के बेशर्मी पन को अपनी आंखों से देख रहा था,,,यह उसके लिए दूसरा मौका था जब बड़े खानदान की औरत को इस तरह से अपनी आंखों के सामने साड़ी उठाकर अपनी बुर दिखाते हुए देख रहा था,,,,आज उसे इस बात का पूरी तरह से एहसास हो चुका था कि औरत चाहे बड़े घर की हो या छोटे घर की उनकी जरूरत एक मोटा तगड़ा लंड से पूरा कर सकता है फिर पहले ही वह औरत बड़े घराने की होने के बावजूद भी छोटे घराने के मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाए,,,, औरत अपनी शारीरिक भूख मिटाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं रघु को इस बात का एहसास हो चुका था कुछ देर पहले रखो राधा की बातों से एकदम से डर गया था लेकिन अब मामला पूरी तरह से उसके पक्ष में था राधा के द्वारा दिया जाने वाला यह सजा उसे एकदम दिल से मंजूर था,,,,रघु को मालूम था कि ऊसे क्या करना है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर बोला,,,।


अब क्या करना है छोटी मालकिन,,,,,(रघु गहरी सांस लेता हुआ बोला रघु की बात सुनकर राधा ऐसी नजरों से उसके चेहरे की तरफ देखते हुए अपनी साड़ी को उसकी स्थिति में पकड़े हुए सुखी कोई घास के ढेर पर पर बैठने लगी और आराम से बैठकर अपनी दोनों टांगों को फैला कर अपनी आंख से रघु की तरफ इशारा करके उसे अपनी दोनों टांगों के बीच बुलाते हुए बोली,,,।)

चल अब आजा जैसे तु मेरी सास की बुर अपना मुंह लगाकर चाटता है उसी तरह से मेरी बुर भी अपना मुंह लगाकर चाट,,,,,(इतना कहते हुए राधा गहरी सांस लेने लगी और उसकी गहरी सांस की लय के साथ-साथ ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर ऊपर नीचे होकर अपने पंख फड़फड़ाने लगे,,,, रघु के लिए यह बेहद उत्तेजक नजारा था उसके तन बदन में आग लगी हुई थी वैसे भी राधा की गर्म जवानी शोले बरसा रही थी जिसकी गर्माहट रघु के तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना का संचार कर रही थी,,, रघु तो इसी मौके की ताक में था राधा का इशारा पाते ही वह झट से उसके करीब जाकर घुटनों के बल बैठ गया,,,।
रघु की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, रघु धीरे-धीरे उसकी दोनों टांगों के बीच अपना मुंह झुकाने लगा,,,। जैसे-जैसे रघुअपना मां राधा के दोनों टांगों के बीच ले जा रहा था वैसे वैसे राधा की हालत और ज्यादा खराब होती जा रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, रघु को अच्छी तरह से मालूम था कि अब उसे क्या करना है वह भी बेहद उत्सुक था राधा के नमकीन रस का स्वाद चखने के लिए,,,रघु को अच्छी तरह से नजर आ रहा था कि राधा की बुर कचोरी की तरह फुल चुकी थी,,। वह उसे स्पर्श करने का आनंद लेना चाहता था इसलिए पूरे से अपना हाथ आगे बढ़ा कर उस पर अपनी हथेली रख दिया,,,, यह कहना गलत है नहीं था कि हथेली की गर्माहट से ज्यादा राधा की बुर की गर्मी थी,,, जैसे ही रघु की हथेली राधा को अपनी बुर के ऊपर महसूस हुई वह पूरी तरह से उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,,ससससहहहहह,,,,,,,,, की गरम सिसकारी की आवाज उसके मुख से निकल गई,,,,,उसकी गर्म सिसकारी की आवाज सुनकर रघु अपनी नजरों को उठाकर राधा की तरफ देखने लगा जो कि उसे ही बड़े गौर से देख रही थी उसके चेहरे की लालिमा उत्तेजना के मारे तमतमा रही थी,,, रखो अपनी अंगुलियों से टटोलकर बड़े अच्छे से राधा की बुर का मुआयना कर रहा था और जहां जहां उसकी उंगली घूम रही थी वैसे वैसे राधा के बदन में करंट का एहसास हो रहा था,,,, रघु पूरी तरह से आनंदित और उत्तेजित हुआ जा रहा था वह उत्तेजना बस राधा की कसी हुई बुर की दरार में से झांक रही उसकी गुलाबी पत्तीयों को अपनी दोनों उंगलियों के बीच रखकर हल्के से मसल दिया,,, इस बार भी राधा के मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी और पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, रघु की भी हालत खराब हुए जा रही थी बुर से उठ रही मादक खुसबु रघु के तन बदन में उत्तेजना की आग को और ज्यादा भड़का रही थी,,,,,
राधा पूरी तरह से मचल रही थी रघु की हरकत की वजह से उसकी बुर से मदन रस की बूंदे रीसना शुरू हो गई थी,,,
राधा के मन में यही हो रहा था कि रघु जल्द से जल्द ही उसकी बुर पर अपना मुंह रख कर उसे अद्भुत सुख का अहसास कराएं वह ऊस सुख से वाकिफ होना चाहती थी उस आनंद से सराबोर होना चाहती थी,,, रघु के भी मन में यही सब बातें चल रही थी,,,, वह धीरे-धीरे अपना मुंह गुलाबी बुर के बेहद करीब लिए जा रहा था और देखते ही देखते रघु अपने प्यासे होठों को राधा के दहकते हुए बुरपर रख दिया,,,।
ससससहहहह,,,,,,,आहहहहहहहहहहहह,,,,,,(राधा के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी राधा पूरी तरह से कामविभोर हो गई,,,, उसकी सांसों की गति पलभर में ही तेज हो गई,,, रघु को भी राधा की बुर का स्वाद बेहद अद्भुत और रसीला लग रहा था इसलिए वह एक ही बार में अपनी जी को जितना हो सकता था उतना बाहर निकाल कर उसकी बुर की पतली दरार के नीचले छोर से लेकर के ऊपरी छोर तक जीभ रखकर चाटना शुरू कर दिया,,,,, रघु मस्त हुआ जा रहा था वह बुर के ऊपरी सतह को चाट कर मजा ले रहा था और राधा को भी मजा दे रहा था,,,, राधा को मजा आ रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके लिए भी ऐसा पल आएगा जब वह अपनी बुर पर किसी मर्द के होठों को उसकी जीभ को महसूस कर पाएगी,,, राधा उत्तेजना बस अपनी दोनों टांगों को थोड़ा और ज्यादा फैला ली और दोनों हाथों को पीछे की तरफ सूखी घास पर रखकर सहारा लेकर अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच केंद्रित कर दी,,,,, कुछ देर तक रघु बुर के ऊपरी सतह को ही जीभ से चाट कर मजा लेता रहा,,,, अपने जीवन में कभी भी बुर चटवाने का आनंद ना ले सकने की वजह से,,उसे इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि औरत की बुर मर्द को किस तरह से चाटते हैं उसे ऐसा ही लग रहा था कि शायद ऊपर ही ऊपर से चाटा जाता है लेकिन उस समय उसकी आंखें फटी की फटी रह गईजब उसने अपनी आंखों से रघु को उसकी गुलाबी बुर की दोनों आंखों को अपनी उंगली से अलग करता हुआ देखी और बुर की फांक के अंदर उसे अपनी जीभ डालकर चाटते हुए देखी ,,,,,, राधा के तो होश उड़ गए उसकी सांसे और ज्यादा तेज चलने लगी उसे साफ नजर आ रहा था कि रघु अपनी जीत को जितना हो सकता था उतना उसकी बुर के अंदर डालकर लपालप चाट रहा था,,,, उत्तेजना के मारे राधा का गला सूखने वाला बेहद अद्भुत सुख का अनुभव ऊसे हो रहा था,,,, रघु के कारीगरी उसकी जीभ की हरकत को वह देखती ही रह गई,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि ऐसा अद्भुत सुख उसे आज तक प्राप्त नहीं हुआ,,, इस तरह के बेहद आनंद से भरपूर सुख से आज तक वंचित कैसे रह गई,,, वह मन ही मन अपने पति को भला बुरा कहने लगी कि इस तरह के स्वर्गीय सुख से वह आज तक उसे वंचित रखा था,,,। रघु पागल हो जा रहा था मैं पागलों की तरह जोर-जोर से राधा की बुर को चाट रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे दोबारा उसे बुरा मिलने वाली नहीं है,,,।

ओहहहहह,,, रघु,,,,,,,(मस्ती भरी आवाज के साथ ही राधा अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर रघु के सर पर रख दी और उसे अपनी बुर पर जोर जोर जोर से दबाते हुए बोली,,,,)
ससससहहहहहह,,,,, रघु,,,,,,बहुत मजा आ रहा है बहुत अच्छा लग रहा है मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि बुर चाटवाने में इतना मजा आता है,,,,,सससहहहहहहहहह,आहहहहहहह,,,,,, राधा की बातें और उसकी गरम सिसकारी की आवाज रघु के कानों में मध घोल रही थी उसे राधा की बातें अच्छी लग रही थी,,,। राधा मस्ती के सागर में हिलोरे मार रही थी,,,, कभी दाएं हाथ से उसका सर दबाती तो कभी बाएं हाथ से,,,,,,,, उसे अपनी छातियों का भार को ज्यादा लगने लगा था क्योंकि उसकी चुचियों में भी चींटियां रेंग रही थी वह अपने दोनों खरबुजो को,,,, रघु के मुंह में देखना चाहती थी,,,,, उत्तेजना के मारे रघु का लंड लगभग पूरी तरह से लोहे के रोड की तरह हो चुका था,,,वह अपने लंड को राधा की बुर में जल्द से जल्द डाल देना चाहता था लेकिन इतना उतावला हो जाना अच्छी बात नहीं था उसे सब्र से काम लेना था धीरे-धीरे करके आगे बढ़ना था,,, इसलिए वह अपनी एक उंगली को राधा की गुलाबी बुर के अंदर धीरे धीरे अंदर की तरफ सरका ने लगा और जैसे-जैसे उसकी उंगली अंदर की तरफ जा रही थी वैसे वैसे राधा के तन बदन में हलचल बढ़ती जा रही थी,,, राधा मदहोश हुए जा रही थी उसकी बुर से लगातार मदन रस बह रहा था,,।)

क्या ऐसे ही चाटता था तु मेरी सासु मां की बुर,,,,,,

(राधा की बात सुनकर रघु बोला कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दिया क्योंकि उसके पास अपने होठों को खोलने का समय बिल्कुल भी नहीं था वह तो राधा की बुर से खेलने में लगा था,,,)

क्या सासू मां को भी मजा आता था,,,,

(रघु उसी तरह से अपने होठों को उसकी बुर पर लगाए अपनी नजरों को ऊपर की तरफ करके राधा की नजरों से मिलाया और हां में सिर हिला दिया,,,,,)


सहहहहहह,,,,,,आहहहहहहहह,,,,, रघु,,,,,,,,,ऊफफ,,,,
(राधा की गरम सिसकारी और ज्यादा फूटने लगी जब रघु अपनी दूसरी उंगली को भी उसकी बुर के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,) आहहहहहहहहह,,,,

क्या हुआ छोटी मालकिन,,,,?


तेरी दूसरी उंगली जाते ही दर्द करने लगा,,,,


छोटी मालकिन जब उंगली डालने पर इतना दर्द हो रहा है तो अगर मेरा मोटा लंड जाएगा तो कितना दर्द करेगा,,,,(इतना कहने के साथ ही राधा की तरफ से किसी भी प्रकार का जवाब सुने बिना ही वह वापस अपना मुंह उसके गुलाबी बुर पर टिका दिया,,,, रघु की बात सुनकर,,, राधा मस्त हो गई लेकिन दर्द वाली बात सुनकर सिहर गई लेकिन फिर भी वह बोली,,,)

कैसा है तेरा लंड,,,,? ( राधा एकदम बेशर्म बनते हुए बोली क्योंकि लंड शब्द उसके होठों पर पहली बार था,,, लेकिन यह शब्द बोलने में उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,,)

मुझे तो ठीक ही लगता है,,,, लेकिन मालकिन कहती थी कि बहुत मोटा है और लंबा भी,,,,(इतना कहते ही फिर से वह राधा की बुर पर टूट पड़ा,,,,)

क्या सच में तेरा ज्यादा लंबा और मोटा है,,,,?

क्या पता बड़ी मालकिन तो यही कहती थी मुझे तो ठीक ही लगता है,,,,।


मुझे दिखा मैं बताती हूं,,,,,? (राधा उत्सुकता दिखाते हुए बोली रघु जानता था कि अभी वह पूरी तरह से उसकी बुर को संतुष्टि भरा एहसास नहीं दिलाया है इसलिए वह अपनी दोनों उंगली को एक साथ उसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए अपनी जीभ को उसकी बुर के बीचो बीच रखकर चाटते हुए उसे मजा देने लगा रघु की हरकत की वजह से राधा के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फिर से फूटने लगी,,, राधा की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी,,, उसका संपूर्ण वजुद कांपने लगा और देखते ही देखते,,, राधा जोर से सिसकारी लेते हुए झड़ने लगी,,,,, उसकी गुलाबी बुर के छेद से,, मदन रस की पिचकारी फूट पड़ी,,,, लेकिन रघु उस मदनरस की एक भी बूंद को जाया नहीं देना चाहता था,,, इसलिए अपनी जीभ लगाकर लपालप उसे पीना शुरू कर दिया,,,कर्म सिसकारी लेती हुई राधा रघु की हरकत देखकर एकदम से सिहर उठी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि एक मर्द औरत की बुर से निकला हुआ उसका नमकीन पानी इस कदर चाट चाट कर अपनी गले के नीचे उतार लेता है,,,,, राधा झाड़ चुकी थी राधा हेरान भी थी कि,,, बिना बुर में लंड डाले उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,। लेकिन उसे इस तरह से पानी छोड़ते हुए बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, राधा कुछ देर तक उसी तरह से घास के ढेर पर बैठी रही औररघु इतने से समझ गया था कि राधा के साथ कुछ भी कर सकता हूं इसलिए वह शांत नहीं बैठा रहा बल्कि अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर राधा की चूचियों को पकड़ लिया ब्लाउज के ऊपर से भी पकड़े जाने पर उसे राधा की चुचियों का अहसास बड़ी अच्छी तरह से हो रहा था एक बार पानी छोड़ने के बाद रघु उसे जल्द ही गर्म करना चाहता था,,, इसलिए जोर-जोर से ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया राधा को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि रघु उससे बिना कुछ पूछे इस तरह की हरकत करने लगेगा,,, लेकिन रघु की हरकत से उसे फिर से जोश चढ़ाने का का कुछ देर पहले ही रघु ने अपनी उंगली और मुंह का करामत दिखाते हुए जिस तरह से उसका पानी निकाला था उसे देखकर राधा उस पर पूरी तरह से आफरीन चुकी थी,,,। इसलिए उसकी हरकत का तहे दिल से स्वागत करते हुए बोली,,,।

ऊपर से ही दबाता रहेगा या इसके बटन भी खोलेगा,,,
(इतना सुनते ही रघु ने एक पल की भी देरी नहीं किया उसके ब्लाउज के बटन खोलने में,,, देखते ही देखते रहा था का ब्लाउज बगल में सुखी हुई घास पर पड़ा हुआ था,,, राधा की गोल गोल चुचियां रघु के होश उड़ा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथों में दशहरी आम आ गया हो जिस का रस वह दबा दबा कर पीना चाहता था,,, राधा पागल हुए जा रही थी रघु की हर एक हरकत राधा के तन बदन में आग लगा रही थी,,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहह,,,,ऊमममममममम,,,, थोड़ा धीरे दबा दर्द होता है,,,,(दर्द से सिसकारी लेते हुए वह बोली,,,)

दर्द नहीं तो ही मजा आता है छोटी मालकिन अभी मैं तुम्हारा सारा दर्द दूर कर देता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही रघु राधा की एक चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,राधा एकदम से मस्त हो गई उसके मुंह से फिर से गर्म सिसकारी फूटने लगी,,,,रघु बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को दशहरी आम की तरह मुंह में लेकर चूस रहा था,, राधा पागल हुए जा रही थी इस तरह से उसके पति ने कभी भी उसके साथ प्यार नहीं किया था,,,। राधा का मन रघु के लंड को देखने की उसे छूने की कर रहा था इसलिए वह एक हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से ही रघु के लंड को टटोलने लगी,,,, पजामे के ऊपर से ही,,, रघु के लंड को टटोलकर ही लंड की मोटाई और लंबाई का अंदाजा वह लगा ली,,,, उसकी बुर में सिरोही से दौड़ने लगी,,,, उसे थोड़ा सा डर लगने लगा कि वह इतना मोटा और लंबा लैंड अपनी बुर में ले पाएगी कि नहीं,,,, रघु पुरी शिद्दत से उसकी दोनों चूचियों की सेवा करने में लगा हुआ था कभी दाईं चूची तो कभी बांई चूची,, बारी-बारी से दोनों चूचियों को अपने मुंह में भर कर पी रहा था उनसे खेल रहा था,,उसे इस बात का एहसास भी हो रहा था कि राधा पजामे के ऊपर से उसकी लंड को अपनी मुट्ठी में जोर जोर से दबा रही है,,,।
रघु को यही मौका ठीक लगा जब वह अपने लंड को राधा के मुंह में देकर उसे गन्ने की तरह चुसा सकता था,,, इसलिए वहां राधा की चूचियों पर से अपना मुंह हटाया और राधा की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

देखोगी क्या छोटी मालकिन,,,,?
(राधा पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी गरम सिसकारी के साथ-साथ गहरी सांस ले रही थी इसलिए रघु की बात सुनकर वो बोली कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दी बस फिर क्या था रघु तुरंत खड़ा हुआ और उसकी आंखों के सामने अपने पजामे को नीचे कर दिया,,,,, जैसे ही पैजामा नीचे घुटनों तक आया उसका मोटा तगड़ा लंबा लैंड हवा में लहराने लगा जिसे देखकर आश्चर्य से राधा का मुंह खुला का खुला रह गया,,, जिंदगी में पहली बार रहा था इस तरह के जबरदस्त मोटे तगड़े लंबे लंड के दर्शन कर रही थी और रघु के लंड के दर्शन करते हैं उसकी बुरा पानी छोड़ने लगी मानो कि रघु के लंड को अंदर लेने के लिए बेताब हो रही है,,, रघु अपने दाएं हाथ से अपने लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हीलाते हुए राधा से बोला,,,।

पकड़ के देखो छोटी मालकिन बहुत मजा आएगा,,
( रघुको ईस तरह से उसकी आंखों के सामने अपना लंड पकड़ कर हीलाते हुए और उसकी बात सुनकर उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन गनगनाने लगा,,, और वह अपनी मुट्ठी में प्रभु के मोटे तगड़े लंड को पकड़ कर उसकी गर्माहट को अपने अंदर महसूस करने की लालच को रोक नहीं पाई और अपना हाथ आगे बढ़ाकर रघु के लंड को पकड़ ली,,, राधा के जीवन का यह पहला मौका था जब वह किसी गैर मर्द के लंड को अपने हाथ से पकड़ रही थी,,,, लंड की गर्माहट उसे अपनी हथेली में अच्छी तरह से महसूस हो रही थी,,,।
राधा धीरे-धीरे उसे हीलाना शुरू कर दी राधा को मजा आ रहा था उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव को देखते हुए रघु बोला,,,)

बुरा ना मानो तो छोटी मालकिन एक बात कहूं,,,

बोल,,,,,( राधा रघु के लंड से खेलते हुए बोली)

अगर इसे अपने मुंह में लेकर चूसोगी तो और ज्यादा मजा आएगा,,,,(रघु के मुंह से इतना सुनते ही राधा उसकी तरफ देखने लगी रघु ने उसके मुंह की बात कह दी थी लेकिन फिर भी वह थोड़ा सा आनाकानी करते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं ऐसा मैं नहीं करूंगी गंदा लगता है,,,,


कुछ गंदा नहीं लगेगा छोटी मालकिन बहुत मजा आएगा मेरी बात मानो,,,,
(कुछ देर तक राधा नानू कर करती रही और रघु उसे मनाता है आखिरकार राधा के मन में भी तो ही चल रहा था इसलिए वह रघु की बात मानते हुए अपना मुंह आगे पढ़ाई और धीरे-धीरे लंड के मोटे सुपाड़े को अपने मुंह में भर ली,,, एक अद्भुत और गजब के एहसास से रघु का तन बदन भर गया,,,लेकिन अगले ही पल जानबूझकर नाटक करते हुए राधा अपने मुंह से रघु के लंड के सुपाड़े को बाहर निकाल लि लेकिन रघु के द्वारा एक बार फिर से जोर देने परराधा एक बार फिर से रघु के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दी और इस बार तो वह जितना हो सकता था उतना लंड अपने गले के नीचे उतारकर उसे चूस रही थी,,, राधा को जिंदगी में पहली बार लंड चूसने में इतना मजा आ रहा था,,, रघु पागल हुआ जा रहा था वह अपने दोनों हाथों सेराधा का सिर पकड़ कर अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया था मानो कि जैसे उसके मुंह को ही चोद रहा हो,,, दोनों मस्त हो रहे थे राधा जल्द से जल्द रघु के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी ,,, इसलिए वह रघु के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाल कर लगभग हांफते हुए बोली,,,)

बस कर बहुत देर हो रहा है अब जल्द से अपने लंड को मेरी बुर में डाल कर मुझे चोद,,, वरना मुझे ढूंढते हुए कोई ना कोई आ जाएगा,,,,।
(राधा के मुंह से इस तरह से खुले शब्दों में अपनी चुदाई करने की बात सुन कर रघु का जोश बढने लगा,,, फिर क्या था वहराधा की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा राधा पीठ के बल पूरी तरह से चित्त लेट गई,,,, राधा की बुर अपनी ही पानी से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी रघुअपना दोनों हाथ उसके नितंबों के नीचे रखकर उसे जोर से पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी जांघों पर रख दिया,,, राधा का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, कुछ ही पल में रघु का लंड उसकी बुर के अंदर होने वाला था इसलिए वह काफी बेचैन और उत्सुक नजर आ रही थी,,,उसे थोड़ी शंका थी कई रघु का मोटा तगड़ा लंड उसकी चूत के अंदर घुस पाएगा भी कि नहीं और उसकी शंका सही साबित होने लगी जब रघु अपने लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद पर रख कर ऊसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,,, लेकिन सुपाड़ा बस थोड़ा सा ही अंदर जा पा रहा था पूरी तरह से अंदर घुस नहीं रहा था,,,।


लगता नहीं घुस पाएगा,,,(राधा शंका जताते हुए रघु से बोली,,)

घुसेगा कैसे नहीं छोटी मालकिन,,,,, अभी घुसाता हूं,,,(इतना कहकर रघु अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया और ढेर सारा थुक राधा की बुर पर भी लगा दिया था कि दोनों चिकना हो जाएं,,,राधा का दिल जोरों से धड़क रहा था वह बड़े उत्सुक नजरों से अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी उसे शंका तो हो रही थी कि नहीं घुसेगा लेकिन मन में उम्मीद की किरण बाकी थी कि रघु जरूर अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसे चुदाई का अद्भुत सुख प्रदान करेगा,,, पर इस बार रघु की मेहनत रंग लाई देखते ही देखते धीरे-धीरे रघु के लंड का मोटा सुपाड़ा आहिस्ता आहिस्ता बुर की दीवारों को चौड़ा करता हुआ अंदर की तरफ घुसने लगा,,,लेकिन राधा को दर्द भी हो रहा था लेकिन फिर भी किसी तरह से वह अपने दर्द को अपने अंदर समेटे हुए थी,,, देखते ही देखते रहो अपने आधे लंड को राधा की बुर में डाल दिया,,, वह जानता था कि एक झटके से अगर वहां डालेगा तो उसका लंड पूरा का पूरा अंदर घुस जाएगा लेकिन,,, ऊसे दर्द भी होगा लेकिन यह बात भी अच्छी तरह से जानता था कि दर्द में ही मजा है,,, इसलिए वह इस बार राधा की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर एक जोरदार करारा धक्का लगाया,,,और इस बार उसका लंड बुर की अंदरूनी अड़चनों को एक तरफ धकेल ता हुआ पूरा का पूरा अंदर घुस गया और पहली बार में ही उसके बच्चेदानी से जा टकराया,,, इस बारराधा अपने दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसके मुख से जोर से चीख निकल गई,,,, उसकी चीख थोड़ी तेज थी,,, जो कि उसे ढूंढने आई मालकिन सुन ली उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है को धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ाने लगी जहां से चीख की आवाज आई थी,,,, और रघु उतने पर ही एकदम से रुक गया था,,, राधा दर्द से बिलबिला रही थी वह रघु को मिन्नतें करने लगी कि वह अपने लंड को बाहर निकाल ले,,, लेकिन म्यान से निकली हुई तलवार अपना लक्ष्य पूरा किए बिना अंदर कैसे जाने वाली थी इसलिए वह राधा की बात ना मानते हुए उसे थोड़ा गर्म करने के उद्देश्य से उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया और उसे मुंह में भरकर बारी-बारी से पीना शुरू कर दिया इसका असर राधा पर होने लगा और उसका दर्द धीरे-धीरे मस्ती में बदलने लगा तब तक जमीदार की बीवी को घास फूस की बनी झोपड़ी के करीब आ चुकी थी,,,।

बस छोटी मालकिन अब देखना तुम्हें कितना मजा आएगा,,,
(रघु के यह शब्द जमीदार की बीवी के कानों में पड़ते हैं वह उसकी आवाज को पहचान ली,, उसने यह समझते देर न लगी कि अंदर जरूर कुछ गड़बड़ चल रही है वह अंदर के नजारे को अपनी आंखों से देखना चाहती थी, इसलिए धीरे-धीरे बिना अटके वह अपने कदम आगे बढ़ाने लगी झोपड़ी की तरफ और जैसे ही झोपड़ी के करीब पहुंच गई हो तो वह,,, थोड़ी सी जगह देखकर उसने अपनी आंख गडा दी,,, अंदर का नजारा देखते हैं उसकी आंखों में चमक आ गई उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, राधा की आंखों में अभी भी आंसू थे लेकिन अब उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी रघु उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,, वह धीरे-धीरे उसे चोद रहा था,,,,देखते ही देखते झोपड़े के अंदर राधा की कर्म सिसकारियां गुजरने लगी जो कि जमीदार की बीबी के कानों तक भी पहुंच रही थी,,।
रघु को इस तरह से राधा को चोदता हुआ देखकर,,जमीदार की बीवी की भी सांसे अटक गई वह बात तो अच्छी तरह से जानती थी कि रघु के लंड में गजब की ताकत है,, उसे पूरा यकीन था कि पहली चुदाई में ही राधा रघु की दीवानी हो जाएगी,,,, और ऐसा हो भी रहा था रघु राधा को चोदते हुए,,, राधा के नाजुक अंगों से खेल भी रहा था और उसमे राधा को मज़ा भी आ रहा था,,।

अब कैसा लग रहा है छोटी मालकिन ,,(रघु अपनी कमर हिलाता हुआ बोला)

बहुत मजा आ रहा है रे ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं आया,,,,


तुम भी बहुत मस्त हो छोटी मालकिन,,, तुम्हारी बुरे तुम कसी हुई है,,,,।

तेरे जैसा मोटा तगड़ा लंड नहीं गया ना इसलिए,,,


मेरा लंड क्या ज्यादा मोटा और लंबा है,,,


हां रे तेरा लंड बहुत मोटा और लंबा है मेरे पति का तो इससे आधा भी नहीं है,,,।

तब तो तुम्हें मजा भी नहीं आता होगा चुदवाने में,,,


नहीं आता तभी तो तेरे पास आई हूं,,,, तेरा लंड देखकर मैं पागल हो गई थी तभी तो सासु मां तुझ से चुदवाती है,,,
(अपना जिक्र सुनकर जमीदार की बीवी के चेहरे पर शर्म की लालिमा छा गई,,, और रगु उसकी जमकर चुदाई करता रहा,,,, कुछ देर तक इसी स्थिति में चोदने के बाद वह बोला,,,)

छोटी मालकिन घोड़ी बन जाओ,,,,
(रघु के कहने का मतलब राधा समझ नहीं पा रही थी,, तो रखो उसे समझाते हुए उसे अपने घुटनों और अपनी कोहनी केबल बैठने के लिए बोला,,, राधा उसी स्थिति में हो गई पीछे से उसकी गांड को ज्यादा ही बड़ी-बड़ी और गोल नजर आ रही थी जिसे देख कर रघु का जोश और ज्यादा बढ़ने लगा,,, जमीदार की बीवी भी उसकी गोल गोल गाल देखकर मस्त हो रही थी,,, रघु एक बार फिर से पीछे से उसकी बड़ी बड़ी गांड पकड़कर अपना लंड उसकी बुर में डाल दिया और से चोदना शुरू कर दिया राधा जिंदगी में इस तरह के सुख की कभी कल्पना भी नहीं की थी जिस तरह का सुख ऊसे रघु दे रहा था,,,, गरम सिसकारीयो से पूरा वातावरण गूंज रहा था,,, इस चुदाई के दौरान राधा दो बार पानी छोड़ चुकी थी और दूसरी बार की तैयारी थी उसकी सांसों की गति तेज चलने लगी रघु भी चरम सुख के करीब पहुंचता जा रहा था इसलिए उसने भी अपने धक्को को तेज कर दिया था,,,, और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,, रघु अपना पानी उसकी बुर में छोड़ते हुए उसके ऊपर ही पसर गया,,,,।

थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो गए तो अपने अपने कपड़ों को व्यवस्थित करने लगे ,, जमीदार की बीवी बाहर खड़ी थी जिस तरह से राधा ने उसे रंगे हाथ पकड़ा था उसी तरह से जमीदार की बीवी भी उन दोनों को रंगे हाथ पकड़ना चाहती थी ताकि दोनों का हिसाब बराबर हो जाए और दोनों एक दूसरे के राजदार हो जाए इसलिए जैसे ही राधा लकड़ी से बने दरवाजे को खोलकर बाहर निकली वैसे ही सामने अपनी सास को खड़ी देखकर एकदम से चौंक गई और अभी भी अपनी साड़ी को कमर में खुश रहे थी और उसके पीछे पीछे पजामे की डोरी बांधते हुए रघु बाहर निकल रहा था,,, राधा को उन दोनों की स्थिति का भान होते ही अपनी सासू मां के सामने एकदम से शर्मिंदा होना पड़ गया था,,, राधा कुछ बोल नहीं पा रही थी और रघु वहां से खिसक लिया,,,, राधा पूरी तरह से घबरा चुकी थी वह रोने ही वाली थी कि उसे रोकते हुए जमीदार की बीवी बोली,,,।

कोई बात नहीं राधा हम दोनों की उससे भी एक जैसे ही है लेकिन याद रखना हम दोनों का राज हम दोनों के सिवा और कोई नहीं जान आए आज से हम दोनों एक दूसरे के हमराज हैं समझ गई ना,,,,
(अपनी सास की ऐसी बात सुनकर राधा के जान में जान आई और उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह दोनों वहां से हवेली में आ गई)
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
जमीदार की बहू राधा के साथ संभोग करने के बाद रघु काफी खुश था क्योंकि उसके माथे से बहुत बड़ी मुसीबत जो टल गई थी,,, सास बहू दोनों अब उसके लंड की दीवानी हो चुकी थी,,,,राधा की कसी हुई चूत का स्वाद चक्र कर रखो कि तन बदन में जिस तरह का उत्तेजना का अनुभव हो रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,, जमीदार की हवेली से वह सीधा अपने घर की तरफ चला गया था,,। अब उसे बिल्कुल भी चिंता नहीं थी,, क्योंकि सास बहू दोनों की पहले चुका था और दोनों अब एक दूसरे के राजदार हो चुके थे इसलिए जमीदार के सामने दोनों में से कोई भी रघु का किसी भी प्रकार से जिक्र नहीं कर सकता था,,, दूसरी तरफ राधा के साथ-साथ उसकी सास भी बहुत खुश थी,,, क्योंकि राधा के तरफ से अब उसे किसी भी प्रकार का डर नहीं था और राधा के मन में भी अपनी सास को लेकर अब किसी भी प्रकार का वाद विवाद नहीं था,,,। रघु की पांचों उंगलियां घी में थी,,,ऊंचे घराने की औरतों के साथ चुदाई का सुख भोग पर रघु अपने आप को बहुत ही भाग्यशाली समझने लगा था,,,और रघु अपने आप में बहुत ही भाग्यशाली था अभी क्योंकि अब तक उसने बहुत सारी औरतों के साथ संभोग सुख का मजा ले चुका था सबसे पहले हलवाई की बीवी,,,, जिसने पहली मर्तबा उसे चुदाई के सुख से वाकिफ कराई थी,,, लेकिन रघु भी उसे पहली बार में ही संतुष्टि का जबरदस्त एहसास कराया था जैसा कि हलवाई की बीवी ने अब तक नहीं कर पाई थी,,, उसके बाद उसके दोस्त रामू की मां ललिया,,, जिसके साथ तूफानी बारिश में रात भर उसके साथ चुदाई का सुख भोगता रहा,,, और शालू उसकी खुद की सगी बड़ी बहन जिस की चुदाई वह हर रोज कर रहा था,,,, उसके बाद जमीदार की बीवी और फिर जमीदार की बहू अब तक उसकी जिंदगी में एक से एक खूबसूरत औरत आती जा रही थी,,,, जिसके साथ वह संभोग सुख का परम आनंद लूट रहा था,,,।

रात हो चुकी थी रघु शालू और उसकी मां तीनों बैठकर खाना खा रहे थे,,,, बात बात में कजरी अपने बेटे से बोली,,,।


क्या रघु तुझे ऐसा लगता है कि जमीदार अपने बेटे का रिश्ता शालू से करने के लिए राजी हो जाएंगे,,,!(कजरी मुंह में निवाला डालते हुए बोली,,,)

हां हां क्यों नहीं मुझे पूरा विश्वास है,,,, बड़ी मालकिन बहुत अच्छी है आज भी रिश्ते की बात कर रही थी और अब तो उनकी छोटी बहू भी हां में हां मिला रही है देखना बहुत ही जल्दी अपनी सालु उस हवेली में राज करेगी,,,,(रघु अपनी बहन शालू की तरफ देखते हुए बोला जो कि अपने छोटे भाई की बात सुनकर शरमा गई और उठ कर वहां से भाग गई,,,.. दोनों मां-बेटे सालु को इस तरह से शर्मा कर देखते हुए हंसने लगे,,,खाना खाते समय कजरी के मन में वही दृश्य घूम रहा था जब वह दोनों साथ में खाना खा रहे थे और रघु का लंड उसकी तोलिए में से एकदम साफ नजर आ रहा था,,,,अपने बेटे के खड़े दमदार लंड को देखकर जिस तरह से उसकी बुर पानी पानी हुई थी उसी तरह से इस समय भी सिर्फ उसके बारे में सोच कर ही उसकी बुर फुदकने लगी थी,,,।उसके मन में यही चल रहा था कि काश ईस समय उसके बेटे का खड़ा लंड देखने को उसे मिल जाता तो रात अच्छी गुजरती,,,, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था दोनों खाना खा चुके थे और ऊपर छत पर सोने के लिए चले गए,,,, कजरी को तो जैसे तैसे नींद आ गई,,, लेकिन रघु को नींद नहीं आ रही थी वह हवेली में हुई घटना के बारे में सोच रहा था और भगवान को लाख-लाख धन्यवाद कर रहा था क्योंकि आज उसकी जान बच गई थी और यह सब उसकी दमदार मर्दानगी की वजह से थी वरना राधा अगर अपना मुंह खोल देती तो शायद वह अपने पैरों पर घर नहीं पहुंचता या फिर किसी नदी में उसकी लाश तैरती हुई मिलती,,, रघु अपने मन में ही सोच रहा था कि राधा की तन की प्यासी एक ही करना पति के होने के बावजूद भी वह,,, उसके साथ क्यों संभोग करने के लिए इतना आडंबर रचती,,, लेकिन जो भी हुआ अच्छा ही हुआ राधा जैसी खूबसूरत औरत को चोदने का जो मजा उसे प्राप्त हुआ है उसके बारे में सोच सोच कर ही उसका लंड खड़ा हो जा रहा था,,, पर यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे पायल की छन छन की आवाज सुनाई देने लगी वह समझ गया कि शालु आ रही है उसे भी शालू का बेसब्री से इंतजार था,,,, सीढ़ियों से ऊपर आकर सालुएक नजर अपनी मां के ऊपर डाली वह गहरी नींद में सो रही थी और अपनी मां की तरफ से पूरी तरह से निश्चित होकर बार रघु के पास जाने लगी और रघु को जागता हुआ पाकर वो मुस्कुराने लगी,,,, वह रघु के पास बैठते हुए बोली,,,..


रघु तु मेरा मन रखने के लिए तो यह सब नहीं कह रहा है,,,।


नहीं देती यह कैसी बातें कर रही हो भला मैं तुमसे क्यों झूठ बोलूंगा,,,, पहले तो बड़ी मालकिन की ही हामी थी,,, लेकिन अब तो छोटी मालकिन की भी हामी निश्चित है,,,, बस एक बार बड़ी मालकिन मालिक से बात कर ले बस सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,,
(रघु की बातें सुनकर शालू मन ही मन प्रसन्न होने लगी लेकिन अपनी ही शादी की बात सुनकर उसके चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी जिससे उसका खूबसूरत चेहरा और ज्यादा दमकने लगा,, अपनी बहन को इस तरह से शर्माता हुआ देखकर रघु उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचता हुआ बोला,,,)

मैं तुम्हारी शादी की बात कर के आया हूं वह भी हवेली में मुझे कुछ तो इनाम दो,,,,


ले लो मैं कब इनकार की हूं,,,,(शालू शरमाते हुए बोली और अपनी बहन को इस तरह से शर्माता हुआ देखकर रखो खुश होता हुआ उसे अपनी बाहों में खींचता हुआ बोला,,,)

ओहहहहह मेरी प्यारी दीदी तुम कितनी अच्छी हो,,,,(और इतना कहने के साथ ही रखो तब अपनी बहन के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया इस बात का पता शालू को भी नहीं हुआ और देखते ही देखते रघु अपनी बड़ी बहन शालू को अपने मोटे तगड़े लंबे लंड पर बैठा कर उसे लंड की सवारी करने लगा,,, सालु को अपने भाई के मोटे तगड़े लैंड की सवारी करने में बहुत आनंद आता था,,, दो बार अपनी बहन की चुदाई करने के बाद दोनों अपनी अपनी जगह जाकर सो गए,,,

शुबह जब रघु की नींद खुली तो सूरज सर पर चढ़ आया था,,, जैसे तैसे वह मन मार कर उठकर बैठ गया,,,। उसे उठने में आज काफी देर हो चुकी थी,,, खेतों में पानी देने जाना था,,, वह जल्दी से छत से नीचे उतर कर आया लेकिन घर में कोई भी नहीं था वह समझ गया कि शालू और उसकी मां दोनों खेतों पर पानी देने चले गए हैं वह भी हाथ मुंह धो कर खेतों की तरफ चल दिया,,,। थोड़ी देर में खेतों पर पहुंचकर उसे ट्यूबवेल मैं से पानी निकलता हुआ नजर आने लगा,,,, और थोड़ी ही दूरी पर उसकी बहन शालू और उसकी मां कचरे दोनों मिट्टी से एक तरफ कीनारी कर के खेतों में जाने के लिए पानी के लिए रास्ता बना रहे थे,,,, सालु और उसकी मां का चली दोनों झुककर मिट्टी से रास्ता बना रहे थे और झुकने की वजह से दोनों की मदमस्त गांड रघु को साफ नजर आ रही थी क्योंकि वह दोनों रघु की तरफ पीठ करके काम कर रहे थे,,,, रघु के मुंह में पानी आने लगा वह कुछ देर तक वही खड़ा होकर अपनी बड़ी बहन और अपनी मां की गोल-गोल गांड के बीच तुलना करने लगा कि किसकी गांड बेहद खूबसूरत है,,,। लेकिन रघु अपनी मां बहन दोनों की गांड में से किसकी गांड बेहद खूबसूरत है इसकी तुलना नहीं कर पा रहा था क्योंकि दोनों की गांड बेहद खूबसूरत और गोल गोल थी और किस्मत से उसने अपनी मां और बहन दोनों की गांड को बिना कपड़ों के नंगी देख चुका था अपनी मां की गांड वह सबसे पहले खेतों में पेशाब करते हुए देखा था तब से उसके मन में अपनी मां के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा था और शालु कि खूबसूरत गांड को तो रोज ही देखता रहा था और उसे चोदते भी आ रहा था,,,,। आखिरकार उसे इस निष्कर्ष पर आना पड़ा कि दोनों की गांड उसके लिए बेहद ही खूबसूरत थी हालांकि यह हकीकत था कि उसकी मां की गांड उसकी बहन की तुलना में काफी बड़ी और गोल गोल और खूबसूरत है,,,अपनी मां और बहन और दोनों को इस तरह से झुक कर खेतों में काम करता हुआ देखकर उनकी गोल-गोल गांड को देखकर रघु एक बार फिर से उत्तेजित होने लगा,,,, काम करते हुए सालु की नजर अपने भाई पर पड़ी तो वह उसे आवाज देते हुए बोली,,,।


अरे वही खड़ा रहेगा या इधर आकर काम भी करेगा,,,(अपनी बहन की आवाज कानों में पड़ते ही रघु जैसे नींद से जागा हो और वह तुरंत उन दोनों की तरफ आगे बढ़ गया,, और वह भी काम में हाथ बंटाने लगा,,, सुबह का ठंडा मौसम था इसलिए,, उन तीनों को थकान महसूस नहीं हो रही थी,,, रघु और कजरी दोनों मां-बेटे आमने-सामने झुककर कर काम कर रहे थे,,, और शालू थोड़ा आगे काम कर रही थी,,,, काम करते हुए रघु की नजर अपनी मां की दोनों चूचियों पर चली जा रही थी जोकि ब्लाउज में से बाहर की तरफ झांक रही थी रघु के मुंह में पानी आ रहा था,,,, कजरी अपने काम में मस्त थी,,, उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि काम करते समय उसके झुकने की वजह से ब्लाउज के बाहर ऊसकी चुचीयां झांक रही हैं और उसके दोनों दशहरी आम को उसका बेटा ललचाई नजरों से देख रहा है,,,। अपनी मां की चूची को देखते ही रघु के लंड में खलबली होने लगी,,, तभी काम करते समय कजरी की नजर अपने बेटे पर गई और उसकी नजरों को भांपते ही उसके तन बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,, एक पल के लिए उसके तन बदन में सिरहन सी दौड़ने लगी थी लेकिन बहुत ही जल्द वह अपने आप को संभाल ले गई,,,यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके दोनों दशहरी आम को प्यासी नजरों से देख रहा है फिर भी वह साड़ी के पल्लू से उसे ढंकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की,,, और रघु बेशर्म बनता हुआ अपनी नजरों को अपनी मां के ब्लाउज में ही गाड़े हुए था,,,।

चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी हरे हरे खेत लहरा रहे थे और खेत में केवल रघु उसकी मां और उसकी बहन ही थी,,,
और दूर दूर तक कोई भी नजर नहीं आ रहा था,,,, रघु अपनी मां में भी एक खूबसूरत औरत को देखता था,,, उसे आप अपनी मां के अंदर एक खूबसूरत औरत के साथ-साथ उसके खूबसूरत अंग नजर आते थे,,, अपनी मां की चुचियों से लेकर उसकी मद भरी रसीली बुर तक की कल्पना वह कर चुका था,,, और कुछ कुछ अपनी नजरों से उसके दर्शन भी कर चुका था,,,, वैसे भी अपनी मां को गंदी नजरों से देखना उसे अच्छा लगता था,,, बिना कुछ किए ही अपनी मां के बारे में सोच कर ही उसकी उत्तेजना अत्यधिक बढ जाती थी,,,। वह इतना ज्यादा अत्यधिक उत्तेजित हो जाता था कि उसे बिना अपना लंड हीलाएं शांति नहीं मिलती थी,,। वह अपनी गंदी नजरों से अपनी मां की दोनों चूचियों को देखता हुआ बोला,,,,,।

मां क्यों ना हम दशहरी आम का पेड़ लगाएं,,, ताकि जब वह बड़े बड़े हो जाए तो हम उसे तोड़कर उसे दबा दबा कर उसका मीठा रस पी सके,,,।
(रघु इशारों ही इशारों में दो अर्थ वाली बातें कर रहा था जो कि कजरी तुरंत समझ गई थी,,, अपने बेटे की बातें सुनकर उसके अंदर की मस्ती छाने लगी,,, और वह बोली।)

हां मुझे अगर पसंद है तो जरूर दशहरी आम के पेड़ लगाएंगे,,,, क्या तुझे सच में बड़े बड़े आम पसंद है,,,।

हा मा सच कह रहा हूं बड़े-बड़े आम देखते ही मेरे मुंह में पानी आने लगता है,,,,मन करता है कि अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे तोड़ दूंगा और अपने मुंह में भर कर उसका रस निचोड़ निचोड़ कर पी जाऊं,,,,(देखो अपनी मां की मस्ती भरी चूचियों को देखता हुआ बोला और यह बात कजरी अच्छी तरह से समझ रही थी इसीलिए तो अपनी बेटे की बात सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच थरथराहट होने लगी,,,। कजरी अपने आप को संभालते हुए बोली,,)

तुझे इतना पसंद है दशहरी आम ऐसा क्यों,,,?

क्योंकि मां दशहरी आम बड़े बड़े और गोल गोल के साथ बहुत मीठे होते हैं,,,।(रघु एकदम खुश होता हुआ और अभी भी बेशर्मी भरी निगाहों से अपनी मां के ब्लाउज में झांकते हुए बोला,,,)

मुझे तो पता ही नहीं था कि तुझे दशहरी आम इतने ज्यादा पसंद है लेकिन तू तो जब छोटा था तब आम पसंद ही नहीं करता था,,, तो अब यह बदलाव कैसा,,,?



तब मै छोटा था लेकिन अब बड़ा हो गया हूं,,, जैसे-जैसे समय गुजरता जाता है वैसे वैसे हम लड़कों की पसंद होगी बदलती जाती है,,,।(रघु मुस्कुराता हुआ बोला और कजरीअपने बेटे के कहने का मतलब को साफ-साफ समझ रही थी इसीलिए तो उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, अपने बेटे की बात सुनकर कुछ बोल नहीं पाई लेकिन उसका बेटा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) तुम को क्या पसंद है मा उसके भी पेड़ लगा देंगे,,,।

केला ,,,,,मुझे केला पसंद है,,,,(एकदम से कजरी के मुंह से निकल गया,,,, अपनी मां के मुंह से केला सब्द सुनकर रघु को भी ऐसा लगने लगा कि जैसे उसकी मां भी दो अर्थ वाली बातें कर रही है,,,)

केला ,,,,पर मैंने तो तुम्हें कभी खाते हुए नहीं देखा,,,(रघु आश्चर्य जताते हुए बोला)

तो क्या केला सबके सामने खाया जाता है,,,, वह तो मैं अकेले में खाती हूं,,,,(कजरी मिट्टी से रास्ता बनाते हुए मुस्कुराते हुए बोली,,, अपनी मां की मुस्कुराहट देखकर रघु उत्तेजित होने लगा अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,)


केला क्या अकेले में खाने वाली चीज है,,,,


किसी को आए या ना आए लेकिन मुझे तो आती है,,, केला खाने में,,,,(कजरी गहरी सांस लेते हुए बोली)


मुझे पता है क्यों आती है तुमको शर्म,,,,(रघु अपनी मां की तरफ देखता हुआ बोला)


क्यों आती है,,,?( कजरी भी तपाक से बोली,,,)


क्योंकि केला मोटा और लंबा होता है इसलिए,,,,(रघु भी जानबूझकर यह बात बोला था और कजरी अपने बेटे के कहने का मतलब कुछ इस तरह से समझ गई थी इसलिए कुछ देर तक उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुरा दी और बोली)

ठीक कह रहा है तू बड़ा अजीब लगता है इतना लंबा और मोटा केला मुंह में भर भर कर खाना,,, लेकिन मोटा लंबा केला खा लेने से एक ही बार में पेट भर जाता है,,,,


अब यह तो तुम्हें ही पता होगा मां मुझे तो अकेला नहीं पसंद मुझे तो दशहरी आम ही पसंद है,,,।


हां मैं जानती हूं औरतो और मर्दों की पसंद एक दूसरे से अलग ही होती है,,,,(कजरी ढेर सारी मिट्टी एक तरफ करते हुए बोली,,,, इस तरह की बातें करके दोनों के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थीकजरी अपने बेटे की बातें सुनकर मस्त हो जा रही थी और रघु अपनी मां की इस तरह की बातें सुनकर उत्तेजित और चुदवासा हुआ जा रहा था,,, दोनों की बातें और आगे बढ़ पाती इससे पहले ही सालु उधर आ गई और बोली,,,)

काम हो चुका है मा,,, खेतों में पानी बराबर जा रहा है,,,,


चलो अच्छा हुआ कि जल्दी काम हो गया,,, चलो अब एक काम करते हैं इसी ट्यूबवेल में नहा भी लेते हैं क्योंकि हम तीनों ने अभी तक नहाया नहीं है,,,


तीनों एक साथ,,,,(शालू अपनी मां की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली,,,)


तो क्या हुआ,,,, यहां कौन देखने वाला है,,,, और वैसे भी कपड़े पहन कर ही नहाना है उतार कर नही,,,
(रघु अपनी मां की बात सुनकर मन ही मन खुश हो रहा था शालू को भी किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं थी इसलिए वह भी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, वह तीनों ट्यूबवेल की तरफ आगे बढ़ने लगे,,, ट्यूबवेल का पानी पहले बड़ी सी पाइप में से बाहर निकलता था जिसके इर्द-गिर्द 4 4 फिट की दीवार बनाकर टंकी की तरह बनाई गई थी,,, पहले पानी उसमें इकट्ठा होता था उसके बाद उसमें से निकलकर मिट्टी से बनाई हुई नाली में से गुजर कर हर खेतों में जाता था,,, सबसे पहले रघु ट्यूबवेल की टंकी में उतर गया पानी बहुत ठंडा था इसलिए वह अपनी मां से बोला,,,


पानी बहुत ठंडा है मां,,,, संभल के,,,,


कोई बात नहीं ठंडा पानी मुझे अच्छा लगता है,,,


और मुझे भी,,,(शालू भी पीछे से आते हुए बोली,,, शालू अपनी मां के पीछे पीछे चल रही थी कि तभी उसे झाड़ियों के बीच से एक चेहरा नजर आने लगा गौर से देखने के बाद उसका मन प्रसन्नता से भर गया क्योंकि वह बिरजू था और उसे इशारा करके अपने पास बुला रहा था,,,, शालू अपनी मां से बहाना बनाते हुए बोली,,,,)

तुम नहाती रहो मैं थोड़ी देर में आती हूं,,,,

कहां जा रही है,,,,

सौच करने,,,,,(सानु धीरे से अपनी मां के कान में बोली और कजरी बोली)

जा जल्दी आना,,,,


अभी गई और अभी आई,,,,(इतना कहने के साथ ही शालू नजर बचाकर झाड़ियों के बीच चली गई जहां पर पहले से ही बिरजू छिपा हुआ था और झाड़ियों में पहुंचते ही बिरजू ऊसका हाथ पकड़कर अपने साथ ले जाने लगा।)
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
रघु ट्यूबवेल की टंकी में ठंडे पानी का मजा ले रहा था पानी उसके छाती तक था,,,, बहुत दिनों बाद करो ट्यूबवेल की टंकी में घुसकर नहाने का आनंद ले रहा था और अपनी मां की तरफ देख रहा था जो कि अपनी साड़ी को धीरे धीरे उतार कर एक तरफ झाड़ियों पे रख रही थी,,, रघु,, तिरछी नजरों से अपनी मां की तरफ देख रहा था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसकी मां भी उसी में ट्यूबवेल की टंकी में नहाने के लिए आने वाली थी,,, पहली बार उसकी मां उसके बेहद करीब नहाने वाली थी,,, रघु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से अपनी ही मां के सामने नहाएगा,,, और यही बात कजरी के मन में भी चल रही थी,,, उसके तन बदन में भी अजीब सी बेचैनी छाई हुई थी उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था,,, अपने बेटे की आंखों के सामने उसके बेहद करीब नहाने का अनुभव कैसा होता है इससे वह भी पूरी तरह से अंजान थी,,,। देखते ही देखते कजरी अपने आप को अपने बेटे के बेहद करीब उस टंकी में जाने के लिए तैयार कर ली,,, एक बार उस ट्यूबवेल की टंकी में घुसने से पहले वह चारों तरफ निगाह घुमाकर पूरी तरह से तसल्ली कर ली कि कोई उसे देख तो नहीं रहा है,,,, ना जाने आज कजरी के मन में क्या चल रहा था,,, इस बात का अंदाजा रघु को भी नहीं था,,। कजरी धीरे धीरे टंकी की तरफ आगे बढ़ने लगी जो कि पानी से लबालब भरा हुआ था और उसमें से पानी निकल कर खेतों में जा रहा था,,,रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जैसे-जैसे उसकी मां टंकी की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे उसकी दोनों टांगों के बीच उसके मुसल में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, धीरे-धीरे उसके पजामे में तंबू बन गया,,, कजरी आगे बढ़ी और थोड़े से ऊंची पत्थर पर अपने पैर रखकर टंकी के पत्थर पर बैठ गई और पहले पानी से भरी टंकी में अपने दोनों पैर डालकर पानी की गहराई और उसकी ठंडक का अंदाजा लगाने लगी,,, पानी बहुत ठंडा था लेकिन गर्मी में बहुत ही शीतलता प्रदान कर रहा था,,, टंकी में घुसने से पहले विवाह ट्यूबवेल के पानी के आगे अपने दोनों हाथ लगाकर उसमें से ठंडे ठंडे पानी को पी कर अपने गले को तर करने लगी,,, रघु अपनी मां को बड़े गौर से देख रहा था हाथ में पानी लेकर पीने की वजह से पानी उसके ब्लाउज कर गिर रहा था जिसकी वजह से उसका ब्लाउज गीला होने के साथ-साथ अंदर के मनमोहक दृश्य को उजागर कर रहा था,,। पानी की बुंदो का यू ब्लाउज को गीला करना और उसके अंदर के बेहद खूबसूरत नग्नता को ब्लाउज की ऊपरी सतह पर उजागर करना यह सब रघु के लिए कामवासना को और ज्यादा बढ़ावा दे रहे थे,,, रघु का दील जोर से उछल रहा था,,, रघु दोनों हाथों से टंकी के पानी को छप छपाते हुए अपनी मां के खूबसूरत नजारे को देखकर मस्त हो रहा था कजरी अपने पेटिकोट को घुटनो पर चढ़ा कर पानी के अंदर अपने पैर को डालकर अपने पैरों को हिला रही थी अपनी मां की गोरी गोरी टांग को देख कर,, रघु का लंड पजामे में गदर मचा रहा था,,।कजरी कोठी इस बात का आभास था कि जिस तरह से वह पानी पी रही थी पानी के कारण इसका ब्लाउज पूरी तरह से गीता होने लगा था और पल भर में उसका पूरा ब्लाउज पानी से गीला हो करके ब्लाउज के अंदर की चूचियों के गोलाकार आकार को एकदम से उजागर कर रहा था जोकि रघु के दिल पर कामुकता भरी छुरीयां चला रहा था,,,। रघु से रहा नहीं जा रहा था वह चाहता था कि उसकी मां जल्द से जल्द पानी के अंदर आ जाए ताकि कोई ना कोई बहाने से उसके अंगों को छूने का उसे मौका मिल जाए,,, इसलिए वो खुद ही अपनी मां से बोला,,,।

अब ऊपर बैठी ही रहोगी अंदर भी आओगी,,,(अपने दोनों हाथ से पानी लेकर अपने चेहरे पर मारते हुए रघु बोला,, कजरी अपने बेटे की उत्सुकता देखकर उत्साहित हो गई और धीरे से पांव अंदर डालकर अपना दूसरा पांव भी पानी में डालकर टंकी की गहराई में उतरने लगी,,, ट्यूबवेल का पानी काफी ठंडा था,,,जिसकी वजह से कजरी को अपने बदन में ठंडक का एहसास हो रहा था लेकिन वह ठंडक उसे बेहद भा भी रहा था,, क्योंकि गर्मी अत्यधिक थी,,, वह तो गनीमत थी कि तीनों ने मिलकर काम को जल्दी से पूरा कर लिया था वरना एकदम दोपहर हो जाती तो गर्मी की वजह से और ज्यादा हालत खराब हो जाती,,,,)

पानी बहुत ठंडा है रघु,,,,(कजरी अपने दोनों पैरों को टंकी की गहराई में धीरे-धीरे उतारते हुए बोली)

गर्मी में ठंडा पानी ही सुकून देता है मां,,,, और देखो तो तुम कितनी गर्म हो गई हो,,,,(रघु एक बहाने से अपनी मां के दोनों हाथों को पकड़ते हुए बोला,,,) जब बदन गरम हो जाए तो,,, ठंडा पानी पड़ने से ही बदन शांत होता है,,,,।


तु ठीक कह रहा है,,,, रघु,,,(कजरी पूरी तरह से टंकी के अंदर उसकी गहराई में अपने दोनों पैरों को रखकर अपने आप को संभालते हुए बोली,, उसे इतना तो समझ में आ रहा था कि उसका बेटा दो अर्थ वाली बातें कर रहा था लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह जानबूझकर ऐसा कह रहा था या उसके मन से यूं ही औपचारिक रूप से निकल गया था,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे की कही गई बात का दूसरा अर्थ निकाल कर कजरी अपने तन बदन में सुरसुरा हट का अनुभव कर रही थी,,,, टंकी में भरे हुए पानी में उतरते ही कजरी का बेटी कौन है हवा भरे गुब्बारे की तरह होने लगा और पूरा का पूरा पेटीकोट टंकी के पानी के ऊपरी सतह पर आ गया यह देखते ही रघु के लंड में खलबली मचने लगी क्योंकि,,,वह अच्छी तरह से जानता था कि पेटीकोट का इस तरह से हवा भरे गुब्बारे की तरह फूलकर पानी के ऊपरी सतह पर फुल कर गुब्बारा बन जाने का मतलब था कि उसकी मां कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी हो चुकी है,,,, कजरी को जैसे ही इस बात का एहसास हुआ वह तुरंत अपने हाथों से पानी के ऊपरी सतह पर फूली हुई अपनी पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ दबाने की कोशिश करने लगी रघु अपनी मां की यह मद भरी हरकत को देखकर अपने अंदर उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,, रघु की हालत खराब हो रही थी क्योंकि रुको यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां पानी के अंदर अपने नंगे पन को ढकने की कोशिश कर रही थी जो कि पानी के अंदर वह अपनी कोशिश को अंजाम नहीं दे पा रही थी,,,, वह रघु की तरफ देख भी रही थी औरकमर के नीचे के नंगे पन को ढकने की कोशिश भी कर रही थी और इसी अफरा-तफरी में वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और पानी के अंदर ही टंकी के नीचली सतह पर पैर फिसल जाने की वजह से वह सीधा रघु के ऊपर जा गिरी रघु उसे संभालने की कोशिश करते हुए पानी के अंदर ही अपने दोनों हाथ उसे पकड़ने के चक्कर में उसके गोलाकार नितंबों पर रखकर पकड़ लिया हालांकि वह अपनी मां को संभाल लिया था लेकिन पानी के अंदर अपने दोनों हाथों से वह अपनी मां की गांड को थामे हुए था जैसे ही रघु को इस बात का एहसास हुआ उसके तन बदन में बिजली सी दौड़ने लगी उसका पूरा वजूद उत्तेजना के मारे कांपने लगा,,, उसके दोनों पैरों में थरथराहट महसूस होने लगी,,,कजरी भी अपने बेटे के दोनों हाथों को अपनी गांड पर महसूस कर के ऊपर से नीचे तक गनगना गई,,,, पल भर में ही उसकी सांसो की गति तेज हो गई,,, रघु टंकी के अंदर के बाहर का सहारा लेकर खड़ा था और उसकी मां उसके ऊपर एकदम से जा गीरी थी लेकिन फिर भी रघु उसे अपने हाथों से संभाल लिया था और उसे चोट लगने नहीं दिया था,, अभी भी रघु को का हाथ उसकी मां की गांड पर था एकदम नंगी बिल्कुल कोरी,,, नरम नरम रुई की तरह,,, रघुअपनी मां की भारी-भरकम गोल गोल गांड को छूने का स्पर्श करने का उसे दबाने के एहसास से वंचित नहीं रहना चाहता था,,,इसलिए अपनी मां को संभालने की अफरातफरी में वह अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी दोनों फांकों को अपनी हथेली में भर कर उसे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया था,,,रघु अपने दोनों हाथों में अब तक ना जाने कितनी औरतों की गांड को लेकर दबा चुका था लेकिन जो मजा उसे अपनी मां की गांड दबाने में आ रहा था वैसा मजा उसे आज तक नहीं आया था पहली बार उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि साड़ी के अंदर से साड़ी के सतह पर दिखने वाली गोलाकार कड़क गांड अंदर से कितनी नरम नरम थी,,,,, कजरी संभल कर स्थिर हो पाती इससे पहले ही रघु अपना काम कर चुका था,,,कजरी को भी इस बात का आभास हो चुका था कि उसका बेटा उसे संभालने के चक्कर में अपने दोनों हाथों से उसकी गांड को पकड़े हुए हैं बरसों के बाद किसी मर्द के हाथों में उसकी दोनों मदमस्त गोरी गोरी कहां थे और वह भी किसी गैर के नहीं बल्कि अपने खुद के सगे बेटे के हाथों में,,, इस बात का एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था तभी कजरी को अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कड़क चीज महसूस होने लगी,,, कजरी अभी भी कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी थी उसका पेटीकोट गुब्बारे की तरह टंकी के पानी की सतह के ऊपर फुला हुआ था जिसे कजरी चाह कर भी नीचे नहीं कर पाई थी,,, रघु भी जानता था कि पर जाने के अंदर उसका खड़ा लंड सीधे उसकी मां की मखमली बुर के ऊपर दस्तक दे रहा था,,,, रघु को यह अद्भुत सुख संभोग से भी कहीं ज्यादा ऊत्तेजनिया और संतुष्टि भरा एहसास दिला रहा था,,, आखिरकार एक औरत होने के नाते कब तक कजरी अभी दोनों टांगों के बीच कड़क चीज के चुभने का गलत अंदाजा लगाती,,, जैसे ही कचरी को इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर्के ऊपर कड़क चीज चोदने वाली कोई और नहीं उसके बेटे का खड़ा लंड है तो इस बात के एहसास से वह पूरी तरह से पानी-पानी हो गई,, और पल भर में ही टंकी के ठंडे पानी के अंदर ही उसकी बुर पानी छोड़ने लगी,,,। कजरी हैरान थी क्योंकि पहली बार हुआ इस कदर मदहोश होते हुए चुदाई का एहसास को महसूस करते हुए झड़ी थी,,,इतनी जल्दी वह कभी भी नहीं झड़ी थी जितनी जल्दी उसके बेटे ने अपने खड़े लंड का एहसास उसकी बुर के ऊपर करा कर उसे पानी छोड़ने पर मजबूर कर दिया था,,,। उत्तेजना के मारे कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी,,,। रघु अपने अंदर इतना अत्यधिक ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था कि उसका बस चलता तो इसी समय अपनी मां की दोनों टांगें फैलाकर अपनी खड़े लंड को उसकी नंगी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,, लेकिन शायद अभी उचित समय नहीं था इसलिए वह अपने आप को एकदम वश में कर के रखे हुए था,,, यही हाल कजरी का भी था अगर उसका बेटा अपने हाथों से उसकी दोनों टांगे फैलाकर उसकी चुदाई करने लगता तो शिकायत कैसी उसे रोक पाने में असक्षम थी,,। कचरी अपने आप को संभाल कर पीछे अपने पैर लेते हुए बोली,,,।

ना जाने कैसे पैर फिसल गया,,,,,


हा मा,,,, अच्छा हुआ कि चोट नहीं लगा,,,,।


सही समय पर तूने थाम लिया वरना मैं गिर जाती,,,,


मैं तुमको गिरने नहीं दूंगा,,,, देखो तो सही तुम्हारा पेटीकोट कैसे गुब्बारे की तरफ फूल गया है,,,,(अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही वह एकदम शर्म से पानी पानी होने लगी और अगले ही पल रघु अपने हाथों से पानी की ऊपरी सतह पर गुब्बारे जैसी बोली हुई पेटीकोट को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे पानी के अंदर करते हुए बोला,,।) रुक जाओ में ही ठीक कर देता हूं,,,(कजरी एकदम शर्म से थोड़ी जा रही थी क्योंकि उसका बेटा अपने हाथों से उसके नंगे पन को ढकने की कोशिश कर रहा था लेकिन रघु की यह हरकत उसे काफी हद तक उत्तेजित भी कर रही थी रघु पेटीकोट को पानी के नीचे करते हुए अपने दोनों हाथों को उसकी मोटी मोटी जांघों पर रखकर नीचे की तरफ फिसलाने लगा था,,,,रघु को अपनी मां की चिकनी चिकनी जांघों का स्पर्श बेहद मदहोश कर देने वाला लग रहा था,,, और कजरी को भी अच्छा ही लग रहा था देखते ही देखते रघु अपनी मां की पेटीकोट को एकदम सही कर दिया लेकिन उसे छुने का उसके नंगे पन के एहसास को अपने अंदर महसूस करने के सुख को भी प्राप्त कर लिया था,,, कजरी शर्म के मारे अपने बेटे से आंख नहीं मिला पा रही थी,,,

और दूसरी तरफ बिरजू शालू का हाथ पकड़े हुए उसे घनी झाड़ियों के बीच ले गया,,,।


क्या है मुझे इस तरह से यहां लाने का क्या मतलब है,,,?(शालू धीरे से बोली)

क्या तुम्हें नहीं पता एक प्रेमी प्रेमिका को इस तरह से झाड़ियों में क्यों ले जाता है,,,,( बिरजू शालू को अपनी बाहों में भरते हुए बोला,,,)

नहीं मुझे तो बिल्कुल भी नहीं पता,,,,


अभी बताता हूं,,,,(इतना कहने के साथ बिरजू शालू के होठों पर अपने होंठ रखकर चुंबन करने लगा,,, थोड़ी ही देर में सालु भी गर्म होने लगी,,,लेकिन शालू के मन में यही था कि बिरजू उसके बदन की प्यास उसकी गर्मी नहीं मिटा पाएगा,,, इसलिए वह बिरजू के चुंबन का आनंद लेते हुए बोली,,,)

रहने दो काम शुरू तो कर देते हो लेकिन पूरा नहीं कर पाते,,,


आज पूरा करूंगा मेरी जान,,,, आज तुम्हें बीच मझधार में छोड़कर नहीं जाऊंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू अपने हाथों से सालु के सलवार की डोरी खोलने लगा,,, शालू हैरान भी थी कि आज बिरजू में इतनी ताकत कहां से आ गई इसलिए वह बोली)

क्या बात है आज इतनी हिम्मत कहां से आ गई,,,,।

तुम्हारे प्यार में बहुत ताकत है सालु,,,,(इतना कहने के साथ ही बिरजू सालु के सलवार का नाड़ा को खोल दिया और उसे नीचे घुटनों तक सरका दिया,,, शालू का दिल जोरो से धड़कने लगा झाड़ियों के बीच वह अपने प्रेमी से मिल रही थी और उसमें एकाकार होने जा रही थी उसे डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले इसलिए अपने चारों तरफ नजर घुमाकर देखते हुए बोली,,)

बिरजू अगर किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,।


कुछ नहीं होगा मेरी जान और यहां कोई देखने वाला नहीं है इतनी घनी झाड़ियों के बीच कोई नहीं आता,,, बस अब पीछे की तरफ घूम जाओ अपनी गांड को थोड़ा उठा दो,,,
(बिरजू के मुंह से ऐसा की गंदी बातें शालू को बेहद रोचक लग रही थी इसलिए तुरंत वह वीडियो की बात मानते हुए अपनी गांड को,,, बिरजू की तरफ कर दी और झाड़ियों को पकड़कर अपनी गोलाकार तरबूज जेसी गांड को हवा में उछाल दी,,,, बिरजू तो सालु की गोरी गोरी नंगी गांड देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया,,, और तुरंत अपने पजामा का नाड़ा खोल कर घुटनों तक नीचे गिरा कर अपने खड़े लंड को हाथ में ले लिया और,, थोड़ा सा थूक लगाकर उसे सालु की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,। सालु की सांसे अटक गईहालांकि उसे अपने छोटे भाई रघु के लंड के स्पर्श जितनी गर्माहट महसूस नहीं हुई लेकिन फिर भी वह बिरजू का मन रखने के लिए उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हो गए थे क्योंकि उसके साथ उसे शादी जो करना था,,, लेकिन इस बार बिरजू गजब की ताकत दिखा रहा था और देखते ही देखते सालु की कमर को पकड़ कर वो धीरे धीरे अपने लंड सालु की गुलाबी बोर के नाम से डालना शुरू कर दिया,,, शालू को धीरे-धीरे मजा आने लगा था देखते ही देखते बिरजू अपना पूरा लंड सालु कि गुलाबी छेद में डाल दिया,,,, और देखते ही देखते वह सालु को चोदना शुरू कर दिया,,,, शालू को मजा आ रहा था,,, महीनों की कोशिश के बाद आज जाकर बिरजू अपने मर्दाना लय में आया था,,।


दूसरी तरफ ट्यूबवेल की टंकी में दोनों मां बेटे आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे हालांकि दोनों संभोग के मंजिल तक नहीं पहुंच पाए थे लेकिन उस सफ़र से गुजर रहे थे और उन्हें इस समय मंजिल से ज्यादा सफर का आनंद मिल रहा था,,, उत्तेजना के मारे कजरी की बुर कचोरी की तरफ फूल चुकी थी,,, पजामे के अंदर होने के बावजूद भी जिस तरह का स्पर्श कजरी को अपने बेटे का लंड अपनी पेड़ के ऊपर हुआ था उसे महसूस करके वह अपने मन में यही प्रार्थना कर रही थी कि काश वह अपने बेटे के नंगे लंड को अपनी बुर पर महसूस कर पाती,,,।

थोड़ी देर बाद वह साबुन लेकर उसे अपने बदन पर लगाने लगी,,, रघु प्यासी नजरों से अपनी मां को ही देख रहा था,,, वाकई में जितनी भी औरतें उसने अपने बेहद करीब देखा था उस में से सबसे ज्यादा खूबसूरत उसे अपनी मां की लग रही थी,, पीठ तक कजरी का हांथ नहीं पहुंच पा रहा था तो रघु अपनी मां से बोला,,,।

लाओ मे लगा देता हूं,,,,,,(इतना सुनकर कजरी अपनी बेटियों को साबुन थमा दी और उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उत्तेजना के परम शिखर पर वह पूरी तरह से विराजमान हो चुका था,,, कांपते हाथों से रघु अपनी मां की पीठ पर साबुन लगाने लगा हालांकि ब्लाउज पहने होने की वजह से वह ठीक तरह से साबुन लगा नहीं पा रहा था और अपनी मां को यह भी नहीं कह पा रहा था कि अपना ब्लाउज उतार दो,,,कजरी के मन में भी यही हो रहा था कि काश उसका बेटा उसे अपना ब्लाउज उतारने के लिए कह दे,,, कुछ देर तक वह उसी तरह से ब्लाउज के ऊपर से ही साबुन लगाता रहा रघु की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया होता ना देख कर कजरी बोली,,,)

साबुन ठीक तरह से नहीं लगा पा रहा है ना,,,।


हां मां ब्लाउज है ना इसके लिए,,,
(रघु की बात सुनते ही कजरी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि उसकी बात सुनकर उसने भी ऐसा लग रहा था कि रघु भी शायद यही चाहता है कि वह अपना ब्लाउज उतार दे इसलिए वह बोली,,)

अच्छा रुक जा मैं ब्लाउज थोड़ा ऊपर कर देती हुं,,,(कजरी चाहती तो अपना पूरा ब्लाउज उतारने की बात कर सकती थी लेकिन वह अपने बेटे के सामने इतनी भी ज्यादा बेशर्म नही बनना चाहती थी इसलिए थोड़ा सा लिहाज रख कर वह अपने ब्लाउज को थोड़ा ऊपर करने के लिए बोली थी इसलिए वह अपने ब्लाउज के पीछे के तीन बटन को खोलकर ब्लाउज को ऊपर की तरफ कर दी एक बटन अभी भी ब्लाउज में लगा हुआ था जिसकी वजह से ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज पहनी हुई है लेकिन जिस तरह से ब्लाउज को वह अपने हाथों से पकड़ कर ऊपर की तरफ कर दी थी उसे सेवकों को लगने लगा था कि उसके दोनों खरबूजे बाहर उछल रहे होंगे और वास्तव में ऐसा ही हो रहा था उसकी दोनों चूचियां पानी में डूबी हुई थी,,, अपने बेटे के इतने करीब रहकर अपने वस्त्रों को इस कदर से अस्त व्यस्त कर के उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, इस बार कजरी को कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ी और रघु खुद ही उसकी नंगी पीठ पर साबुन लगाने लगा,,,धीरे-धीरे साबुन लगाने के बहाने रखो अपनी मां के बेहद करीब पहुंच गया इतना करीब कि उसका खड़े लंड उसके लिए तंबू पर हल्के हल्के से स्पर्श होने लगा था जो कि पानी के अंदर भी साफ महसूस हो रहा था,,, कचरी का दिल जोरों से धड़क रहा था,, उसकी सांसे अटक रही थी ट्यूबवेल की पाइप में से पानी दोनों के सिर पर गिर रहा था दोनों भीग रहे थे,,,, रघु मेरे पर इतना ज्यादा आगे की तरफ आ जाता था कि उसका खड़ा लंड पजामे मेंहोने के बावजूद भी कजरी को पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी दोनों गांड की फांकों के बीच चुभता हुआ महसूस हो रहा था,,,। रघु के साथ-साथ कजरी को भी मजा आ रहा था कजरी के मन में इस बात का डर दिखाकर कहीं उसकी बेटी सालु ना आ जाए,,, अपने बेटे के हाथों से साबुन लगवा कर उसे आनंद की अनुभूति हो रही थी,,,,वह चाहती थी कि उसका बेटा अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूचियों पर भी साबुन लगाएं,,, इसलिए वह खुद ही बोली,,,।

आगे भी लगा दे रघु,,,,
(बस फिर क्या था कजरी ने तो रघु के मन की बात बोल दी थी इसलिए वह बिना कुछ सोचे समझे ही अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां की छातियों पर साबुन लगाने लगा हालांकि उसकी दोनों चूचियां पानी के अंदर डूबी हुई थी लेकिन फिर भी वह उसे साबुन लगाने के बहाने उसे छुने का आनंद प्राप्त कर रहा था,,,।उसके एक हाथ में शामिल था लेकिन वह दोनों हाथों से अपनी मां की चूची पकड़ कर उस पर साबुन लगाने के बहाने उसे दबा रहा था जो कि यह बात कजरी को भी अच्छी तरह से समझ में आ रहा था लेकिन उसे अपने बेटे के हाथों की हरकत बेहद आनंददायक लग रही थी,,,कजरी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारी फूट पड़ रही थी जो कि ट्यूबवेल में से निकल रहे पानी के शोर में दब जा रही थी,,,चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी चारों तरफ घनी झाड़ियां के खेतों के बीच में बनाती बगैर किसी भी दूर चलते राही के नजर में नहीं आ सकता था और ना ही दूर दूर तक कोई नजर आ रहा था इसलिए डर उसे सिर्फ अपनी बेटी सालु से था कि वह किसी भी वक्त वहां आ सकती थी,,। रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था उसकी नंगी छाती उसकी मां की नंगी पीठ पर सटी हुई थी उसे अधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,। ट्यूबवेल की पाइप में से पानी बड़ी तेजी से दोनों के ऊपर गिर रहा था जिसकी वजह से अपने आप ही कजरी का पेटीकोट नीचे की तरफ सरक रहा था,, जिसे कजरी संभालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,, लेकिन इस बात का एहसास रघु को हो इसलिए वह जानबूझकर बोली,,


मेरा पेटीकोट नीचे सरक रहा है,,,,


पानी की वजह से मां,,,,, पानी इतना ज्यादा है ना और टंकी के अंदर ही इधर उधर उड़ल रहा है इसलिए आपकी पेटीकोट नीचे उतर रही है मेरा पैजामा भी नीचे खसक रहा है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतनी बात सुनते ही कजरी की बुर फुदकने लगी,,, वह बोली कुछ नहीं वह तो यहीं चाहती थी कि उसके बेटे का पजामा नीचे सरक जाए,,, लेकिन रघु का पैजामा अपने आप नहीं सरक रहा था बल्कि वह खुद अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने पजामे के नाड़े को खोल रहा था,,, रघु अपनी इस खुद की हरकत पर अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह अपना पजामा खोल कर अपनी मां को चोदने जा रहा है,,, हालांकि अपने हाथ की हरकत को अपनी मां की चुचियों पर जारी रखें हुए था,, ब्लाउज का एक बटन बंद होने के बावजूद भी रघु के हाथों में कजरी की दोनों चूचियां बड़ी आसानी से आ जा रही थी लेकिन कजरी की चूचियां काफी बड़ी थी खरबूजे के आकार की लेकिन उसमें ढीलापन बिल्कुल भी नहीं था एकदम जवान लड़की की तरह एकदम टाइट और कड़क थे लेकिन दबाने पर एहसास होता था कि जैसे दशहरी आम,,,, रघु को आनंद ही आनंद मिल रहा था,,,कजरी लगातार अपने नितंबों पर अपने बेटे के मुसल की रगड़ को महसूस करके काफी उत्तेजित हुए जा रही थी,,,अब तो रघु ने अपनी पजामे का नाड़ा खोल कर उसे नीचे कर दिया था और पानी के अंदर उसका लंड एकदम नंगा हो चुका था कचरी को अपने बेटे की इस अद्भुत हरकत का एहसास तब हुआ जब रघु उसकी दोनों चूचियों पर साबुन लगाते हुए,,, उसके बेहद करीब आ गया इतना करीब कि उसका खड़ा लंड उसकी दोनों टांगों के बीच सीधे-सीधे उसकी बुर वाली जगह पर रगड़ खाने लगी,,, कजरी के तन बदन में अजीब सी कुलुकुलाहट होने लगी,,, कजरी को अपने बेटे के लंड की ताकत और उसकी लंबाई का अंदाजा इससे ही लग गया कि उसके पीछे पड़ा था लेकिन फिर भी उसकी दोनों टांगों के बीच से होता हुआ उसका लंड सीधे दिल के ऊपर मानो उसकी बुर की गुलाबी फांको पर चुंबन कर रहा हो और वहां तक बड़ी आसानी से पहुंच गया था,,,, इस अहसास से कजरी के तनबदन में झुंनझुनी फैलने लगी,,, रघु अपने दोनों हाथों से अपनी मां की दोनों चूचियों को मसल रहा था अब वह साबुन नहीं लगा रहा था बल्कि उसकी चूचियों की मालिश कर रहा था जो कि ट्यूबवेल की पाइप में से पानी सीधे उसकी छातियों पर ही गिर रहा था जिससे कजरी की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ रही थी,,,, कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसकी टांगों के बीच उसके बेटे का लंड बिल्कुल नंगा है और उसकी नंगी बुर पर दस्तक दे रहा है,,, कजरी अपनी सांसो को दुरुस्त नहीं कर पा रही थी उसकी सांसें उखड़ने लगी थी,,,।
रघु तो मानो सातवें आसमान में उड़ रहा हूो वह अपनी मां की दोनों चुचियों को पकड़कर इन सूचियों का सहारा लेकर अपनी मां की नंगी पीठ के साथ-साथ उसके नितंबों पर एकदम से सट गया था,,,,और उसका लंड उसकी दोनों टांगों के बीच से गुजरता हुआ सीधे उसकी बुर के ऊपरी भाग पर स्पर्श कर रहा था,,,। टंकी पानी से लबालब भरी हुई थी और दोनों की अंदर मौजूदगी की वजह से पानी में ज्वार भाटा की तरह हलन चलन हो रहा था जिसका फायदा रघु को बराबर मिल रहा था क्योंकि उसका बदन इस तरह से हील रहा था मानों जैसे वह अपनी मां की चुदाई कर रहा हो,,। और रघु की मां कजरी भी उसका साथ बराबर देते हुए टंकी के दीवाल को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गांड को उसकी तरफ ही ऊचकआए हुए थी,,,, दोनों को मजा आ रहा था,,,, बरसों के बाद कजरी की सूखी जमीन पर ओस की बूंदे गिला कर रही थी,,,

रघु बराबर से साबुन लगाने के बहाने अपनी मां की दोनों चूचियों से जी भर कर खेल रहा था उन्हें अपने हाथ में लेकर उन्हें दबाने का मजा उसे बेहद संतुष्टि प्रदान कर रहा था ,,हालांकि वह अपनी मां की चूचियों को अपनी आंखों से देख नहीं पा रहा था क्योंकि उसकी मां की पीठ उसकी तरफ थी और वह दोनों हाथ आगे की तरफ लाकर उसकी चूचियों को दबा रहा था जो कि टंकी के पानी में पूरी तरह से डुबी हुई थी,,।अपने बेटे के हाथों द्वारा स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए कजरी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी निकल जा रही थी लेकिन ऊपर माथे पर पानी गिरने की वजह से उसकी आवाज रघु के कानो तक नहीं पहुंच पा रही थी।
रघु के दोनों हाथों में लड्डू तो नहीं लेकिन लड्डू से भी बेशकीमती और स्वादिष्ट उसकी मां की चूचियां और नीचे दोनों टांगों के बीच लंड की रगड़ जोकि उसकी मां की बुर्के मुहाने तक रगड खा रहा था जिससे प्रभु की उत्तेजना और ज्यादा प्रज्वलित हो रही थी,,,।

बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ नजारा था,,,ना तो कजरी नहीं और ना ही रघु ने कभी सपने में भी सोचा था कि दोनों मां-बेटे इस तरह से एक साथ लगभग लगभग नग्न अवस्था में ट्यूबेल की टंकी में नहाएंगे,,, कजरी की हालत खराब हो रही थी क्योंकि बरसो के बाद किसी मर्दाना लंड ने उसकी बुर को छुआ था जिससे वह पानी में भी पानी पानी हो रही थी,,,,रघु के लंड की रगड उसकी बुर के ऊपर इतनी ज्यादा दबाव डाल रही थी कि ना चाहते हुए भी उसकी बुर ने दूसरी बार पानी फेंक दिया,,, अद्भुत अतुल्य चरम सुख का अहसास कजरी को हो रहा था,,। कजरी बादलों में उड़ रही थी उसके मन में यही हो रहा था कि जितनी हिम्मत है उसका बेटा दिखा रहा है काश और हिम्मत दिखाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल देता,,,,, और यही मन रघु का भी कर रहा था जिस तरह से अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रगड़ रहा था उसकी इच्छा भी हो रहा था कि वह अपने लंड को अपनी मां की बुर में डालकर उसे चोदना शुरू कर दे,,। लेकिन इसे आगे बढ़ने की दोनों की हिम्मत नहीं हो रही थी शर्म और हया दोनों को आगे बढ़ने से रोक रही थी कजरी तो शायद अपने मन पर काबू कर पाने में असमर्थ साबित हो रही थी और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बुर में लंड डालने के लिए बोल देती लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं शालू ना आ जाए और काफी समय भी हो रहा था,,,,

सालु अपनी मां से सौच करने को बोल कर गई थी,,उसे गए काफी समय हो गया था इसलिए कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे डर था कि कहीं शालू आ ना जाए और उन दोनों को इस हाल में ना देख ले,,,, इसलिए वह रघु को रोकते हुए बोली,,,,।


बस बेटा,,,,, मैं नहा ली हूं अब मुझे बाहर निकलना चाहिए वरना पानी ज्यादा ठंडा है कहीं सर्दी लग गई तो बुखार आ जाएगा,,,,
(इतना कहकर वह निकलने को हुई तो तभी उसे याद आया कि ऊसकआ पेटीकोट तो नीचे सरक गया है और वह नीचे जो करो पानी सकती थी क्योंकि ऐसा करने से उसे पानी में अपना मुंह डालना पड़ता ऐसा उससे नहीं हो पाता इसलिए वह रघु से बोली,,,)

रघु मेरी पेटी कोट नीचे गिर गई है तू जरा पानी में घुस कर निकाल दे,,,

(इतना सुनते ही रघु पानी में डुबकी लगाने और नीचे हाथ डालकर अपनी मां की पेटीकोट को उठाने लगा लेकिन इस दौरान ,,, अनजाने में ही उसका सर उसकी मां की दोनों टांगों के बीच रगड़ खाने लगा कजरी को अपने बेटे का सिर अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी फुली हुई बुर के ऊपर महसूस होते ही एक बार फिर से वह उत्तेजित होने लगी,,, एक बार फिर से उसके बदन में कशमसाहट की तरंगे फैलने लगी,,,, जैसे ही इस बात का आभास रघु को हुआ इस मौके का फायदा उठाते हुए वह अपना मुंह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच कर दिया जिससे उसकी नाक सीधे कजरी की बुर की पतली दरार के बीच रगड़ खाने लगी,,।
एक बार फिर से कजरी के बदन में कंपन होने लगा और रघु का लंड और ज्यादा कड़क हो गया,,, ज्यादा देर तक रघु अपनी इस हरकत को जारी नहीं रख सकता था इसलिए तुरंत वह अपनी मां की पेटीकोट को हाथ में लेकर ऊपर आ गया,,, कजरी अपने बेटे से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,,,। हालांकि जब वो पानी में डुबकी लगाया था तब वह अपने ब्लाउज के सारे बटन बंद कर ली थी,,, रघु अपनी मां को पेटीकोट थमाते समय उसके ब्लाउज को देखा था लेकिन उसे निराशा हाथ लगी थी,,, कजरी अपने हाथ में पेटीकोट पकड़कर अजीब सी दुविधा में फंसी हुई थी क्योंकि इस हालत में बाहर निकलने का मतलब था कि वह पूरी तरह से नंगी थी और वह इस हालत में अपने बेटे की आंखों के सामने नंगी नहीं दीखना चाहती थी इसलिए वह पेटिकोट का अपने सिर के ऊपर से डालकर पहनने लगी,,, और टंकी से बाहर आकर अपने कपड़े पहन कर वहां से चलती बनी वह अपने बेटे से नजर तक मिला नहीं पा रही थी लेकिन एक मलाल उसके मन में रह गया था कि अपने बेटे के खड़े मोटे लंड को अपनी गांड पर और अपनी बुर पर महसूस कर चुकी थी लेकिन उसे अपने हाथ में पकड़ कर उसकी गर्माहट को उसकी लंबाई को नाप नहीं पाई थी,,,
दूसरी तरफ रघु भी अपना हाथ मलता रह गया था आज उसे जो सुख मिला था वह बेहद अद्भुत था और कल्पना से बिल्कुल परे था दूसरी तरफ शालू अपने प्रेमी बिरजू से चुदवा कर वापस लौट आई थी,,,, रघु को वहां अकेला देख कर बोली,,,।

मां कहां गई,,,

वह तो नहा कर कब से चली गई,,,, लेकिन दीदी मेरा मन बहुत कर रहा है तुम्हारी लेने के लिए,,,


यहां पर,,,,


तो क्या इस टंकी में पानी के अंदर बहुत मजा आएगा,,,, तुम अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर अंदर आ जाओ यहा कोई देखने वाला नहीं है,,,,।
(अपनी भाई की बात सुनकर उसके तन बदन में भी सुरसुरा हट होने लगे और उसकी बुर में खुजली होने लगी जो कि कुछ देर पहले ही अपने प्रेमी के लंड को लेकर आई थी लेकिन अपने भाई के प्रस्ताव से वहां इनकार नहीं कर पाई और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार कर वही रख दी ,,और नंगी हो गई अच्छी तरह से जानती थी कि यहां कोई आने वाला नहीं है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत थी और अकेले ही बनवा भी टंकी के अंदर उतर गई जहां पर एक बार फिर से रघु अपनी बड़ी बहन की बुर में पीछे से अपना लंड डालते हुए से चोदना शुरू कर दिया पानी के अंदर चुदाई का उन दोनों का पहला मौका था और बेहद उत्तेजक तरीके से अपनी बहन को चोद रहा था,,,)
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
आहहहहहह आहहहहहह,,,,,ऊईईईईईईईई,मां,,,,,,,, मार डाला रे,,,, क्या खाया है आज तूने,,,,,,ऊफफ,,,,,आहहहहहह,,,,
(शालू के मुंह से लगातार सिसकारी के साथ-साथ दर्द भरी कराहने की आवाज भी निकल रही थी,,, वाकई में ऐसा लग रहा था कि आज रघु में घोड़े की शक्ति आ गई है,,,और यह सब उसकी मां कजरी कीमत मस्त जवानी का नतीजा उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी की खुशबू वह महसूस कर चुका था उसके बदन की गर्मी को अपने अंदर तपता हुआ महसूस कर चुका था,,, गजब की ताकत और लय दिखा रहा था रघु,,, पानी के अंदर भी गजब की फुर्ती का प्रदर्शन हो रहा था ,,, तेज गति से आगे पीछे हो रही रुकी कमर की वजह से छोटे से टंकी में भी लग रहा था जैसे पानी का सैलाब उठ रहा हो,,, शालू के चेहरे पर उत्तेजना मदहोशी उत्साह और आश्चर्य जनक का संपूर्ण भाव नजर आ रहा था उसका मुंह खुला का खुला रह गया था मानो बुर के अंदर घुसा लंड मुंह से बाहर आ जाएगा,,,, भले ही रघुअपनी बड़ी बहन शालू को चोद रहा था लेकिन उसके मन में शालू के बदन की जगह उसकी मां का खूबसूरत जिस्म ही था,,, जिसे भोगने की चाह में वह अपने अंदर घोड़े की स्फूर्ति और ताकत महसूस कर रहा था,,,, आखिरकार साधु एक बार फिर से अपना पानी छोड़ दी और कुछ देर बाद रघु भी अपनी बहन की बुर में ही भलभला कर झड़ गया,,,।

घर पर पहुंचने तक और पहुंचने के बाद भी कजरी की बुर टंकी के अंदर के दृश्य को याद करके पानी छोड़ रही थी,,,
वह आईने में अपना चेहरा देख कर उस पर फैली शर्म की लाली को देखकर खुद ही शर्मा गई,,, आज से पहले उसने अपनी जवानी की शुरुआत से लेकर अब तक इस तरह की उत्तेजना का अनुभव कभी नहीं कर पाई थी,,, अपने बालों को संवारते हुए बार-बार कजरी को अपने दोनों टांगों के बीच अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे के खड़े लंड के कड़क पन का एहसास हो रहा था जो कि यह एहसास उसके तन बदन में अजीब सी चिकोटि काट रहा था,,, कजरी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा कि जब वह अपने बेटे के सामने इस तरह से पूरी तरह से बेशर्मी का खुला प्रदर्शन करेगी भले ही ऐसा करने में उसे थोड़ी बहुत शर्म का एहसास हो रहा था लेकिन उसे अद्भुत आनंद की अनुभूति भी हो रही थी जिससे वह इंकार नहीं कर पा रही थी,,,अभी भी वह उस पल के बारे में सोच कर उत्तेजना से गदगद हो जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुसते घुसते रह गया,,,, कजरी को इस बात का एहसास हो गया था कि उसका बेटा नादान बिल्कुल भी नहीं था उसे औरत और मर्द के बीच इस तरह के छेड़छाड़ और आकर्षण के बारे में पूरी तरह से मालूम था तभी तो उसकी मौजूदगी में उसके बेटे का लंड इस कदर खड़ा और कड़क हो गया था अगर उसके अंदर इस तरह की अनुभूति और ज्ञान नहीं होता तो उसका लंड बिल्कुल खड़ा नहीं होता,,, इसका मतलब साफ था कि टंकी के अंदर जो कुछ भी हो रहा था उससे उसके बेटा पूरी तरह से उत्तेजित था और पूरी तरह से समझता भी था,,,, आईने में अपने बालों को कंघी से संवारते हुए कजरी के मन में भावनाओं के साथ साथ प्रश्नों का बवंडर उठ रहा था,,, जिसमें वह पूरी तरह से फंस चुकी थी और उसमे से निकलने का रास्ता ढूंढ रही थी,,,। उसके अंदर उठना एक सवाल बार-बार उसके दिमाग और उसकी बुर पर ठोकर मार रहा था कि क्या वाकई में उसका बेटा उसको चोदना चाहता था,,,इतना तो अच्छी तरह से समझते थे कि जो कुछ भी उसका बेटा उसके साथ कर रहा था या टंकी में जो कुछ भी हो रहा था अनजाने में तो बिल्कुल भी नहीं हो रहा था,,, जिस तरह से वह उसकी चूचियों पर साबुन लगा रहा था,,,आमतौर पर इस तरह से कोई भी साबुन नहीं लगाता बल्कि उसका बेटा साबुन नहीं लगाया था बल्कि साबुन लगाने के बहाने उसकी चूचियों से खेल रहा था उसे जोर जोर से दबा रहा थाना उससे आनंद ले रहा था तभी तो पल भर मे ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होकर उसके नितंबों पर ठोकर मार रहा था,,, और टांगों के बीच घुस कर अपने लिए जगह तलाश कर रहा था,,, कजरी यह बात अच्छी तरह से जानते थे कि उसका बेटा इस बात से भी भली-भांति अवगत था कि नीचे उसका लंड उसकी मां के कौन से अंग पर रगड़ खा रहा है और ठोकर मार रहा है,,,, यह सब सोचकर कजरी इसी निष्कर्ष पर आ रही थी कि,,, उसका बेटा पूरी तरह से जवान हो चुका है और उसे चोदने के लिए बुर चाहिए थी तभी तो वह उसके साथ इस तरह की कामुक हरकत कर रहा था,,,,यह सब सोचकर कजरी का दिमाग एकदम से चकराने लगा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी और उसकी बुर पूरी तरह से पानी-पानी हो रही थी जिसे वह अपनी ही पेटीकोट से साफ कर रही थी,,।

थोड़ी देर में शालू और रघु भी घर पर पहुंच गए शालू तो लोगों के साथ पूरी तरह से सहज थी लेकिन कजरी अपनी बेटे के साथ असहज महसूस कर रही थी शर्म के मारे उसे आंख तक नहीं मिला पा रही थी,,,

दूसरे दिन सुबह ही शालू को उल्टी होने लगी,,,, शालू को उल्टी करता हुआ देखकर उसकी मां उसे एक लोटा पानी भर कर ला कर दी और वह फिर से सामान्य हो गई लेकिन 1 घंटे बाद फिर से वह उल्टी करने लगी,,, लेकिन अब कजरी का दिन जोरो से धड़कने लगा उसका दिमाग घूमने लगा अनुभव से भरी हुई कजरी को इतना समझ में आ गया था कि शालू जिस तरह की उल्टी कर रही है वह बिल्कुल सामान्य नहीं है,,,। कजरी एकदम से घबरा गई थी,,,, वह शालू के पास गई और बोली,,,


यह सब क्या है सालु,,, तुझे कैसा लग रहा है,,,

मुझे अजीब सा लग रहा है मां चक्कर आ रहा है,,, बार बार उल्टी हो रही है,,,, लगता है खाना पचा नहीं है,,,।
(सालु की बात सुनते ही कजरी उसका हाथ पकड़कर घर के अंदर ले गई और उसे खटिए पर बैठा कर उसे डांटते हुए बोली,,,)

देख मुझसे झूठ मत बोल,,, यह उल्टी जो तू कर रही है यह सामान्य बिल्कुल भी नहीं है,,,।


मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है मां की तु क्या बोल रही है,,,।(इस बात का अंदाजा शालू को भी बिल्कुल नहीं था इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

जिस तरह से तू उल्टी कर रही है यह सब तेरे पांव भारी होने की निशानी है तु पेट से है,,,,(कजरी एकदम गुस्से से बोली,, और यह सुनते ही शालू के पैरों तले से जमीन खिसकने लगी उसे चक्कर आने लगा,,,, वह हैरान होते हुए बोली,,)

यह तुम क्या कह रही हो मां,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता,,,,



भगवान करे ऐसा बिल्कुल भी ना हो लेकिन निशानी तो सब वैसे ही है,,,, बता सालु,,,,, तेरे पेट में पल रहा बच्चा किसका है,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर सालु को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, शालू के पास अपनी मां के सवाल का जवाब बिल्कुल भी नहीं था वह क्या बोलती खामोश रही,,, वह तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि ऐसा दिन भी आएगा,,,, शालू को इस तरह से खामोश बैठी देखकर कजरी गुस्से में चिल्लाते हुए बोली,,,)



बोल हरामजादी खामोश क्यों है,,,, किससे मुंह पर कालिख पोतवा कर आई है,,,।(कजरी शालू की बांहों को पकड़कर उसे झकझोरते हुए बोली,,,,पहली बार शालू अपनी मां के मुंह से अपने लिए इस तरह की गाली सुन रही थी और पहली बार कजरी अपने ही बेटी पर इस तरह से गुस्सा हो गई थी बात ही कुछ ऐसी थी,,, अगर यह बात बाहर पहुंच जाए तो तो कजरी किसी को मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाती,,,, फिर भी शालू खामोश थी अब वह अपनी मां से क्या कहती,,, शालू की खामोशी कजरी के दिल में शुल की तरह चुभ रही थी ,,, इसलिए कजरी एक मोटा सा डंडा उठा ली,,, यह देखकर शालू घबरा गई,,,)

बताती है या इस डंडे से तेरी चमड़ी निकाल लु,,,(कजरी एकदम क्रोधित होते हुए बोली और शालू अपनी मां का गुस्सा देखकर डर गई और अपने मन में सारी गणित लगाने लगी वह चित्र से जानती थी कि उसका छोटा भाई राकू ही दिन रात की चुदाई करता आ रहा था,,, और बिरजू तो कल हीं पहली बार ही सफलतापूर्वक उसके चुदाई कर पाया था,,। 1 दिन की चुदाई से दूसरे दिन ही गर्भ रहने का सवाल ही नहीं उठता था,,, यह सब अपने मन में सोचते हो सालु एकदम से घबरा गई क्योंकि जो उसकी मां कह रही थी अगर इस बात में सच्चाई है तो उसके पेट में उसके ही भाई का बच्चा था,,,। सानू की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा उसे कुछ सूझ नहीं रहा था लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं कर सकती थी कि बिना किसी से संभोग किए उसके पेट से होने का तो सवाल ही नहीं उठता था,,, और यह बात उसकी मां अच्छी तरह से जानती थी कि शालू और बिरजू दोनों के बीच प्रेम संबंध है और जाहिर है कि ऐसे में शारीरिक संबंध होना लाजमी था ,,,। इसलिए सालों रोते हुए बोली,,,)

मेरी इसमें कोई गलती नहीं है ,,,, बिरजू,,,,, बिरजू का ही दोष है,,,,,।


यह सुनते ही कजरी एक डंडा शालू की पीठ पर मारते हुए बोली,,,,

हरामजादी कुत्तिया शादी तक रुक नहीं सकती थी अगर उस बड़े बाप की औलाद है ना तेरा हाथ थामने से इंकार कर दिया तब क्या करेगी तू कहां जाएगी यह बात समाज से कैसे छुपाएगी,,,, इसके बारे में जरा भी सोची थी तु,,,


मुझे माफ कर दो,,,मां,,,,,,, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।
(शालू अपनी मां के आगे हाथ जोड़ते हुए रो रही थी और उससे बोल रही थी अपनी बेटी को इस तरह से रोते हुए देख कर एक मां का दिल एकदम से व्यतीथ हो गया,,, और वह शालू को अपने गले लगा कर रोने लगी,,, और रोते हुए अपनी बेटी को दिलासा देते हुए बोली,,,)

मैं जानती हूं बेटी इस में तेरी कोई गलती नहीं है उस बड़े बाप की औलाद की ही गलती है,,,, तू चिंता मत कर मैं कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल लूंगी,,,, और हां इस बारे में किसी को जरा भी कानो कान भनक नहीं लगनी चाहिए सब कुछ वैसे ही चलते रहना चाहिए मानो सब कुछ सामान्य है,,,, में खेतों में जा रही हूं,,,, तू आराम कर और किसी को भी यह बात मत बताना,,,,,(कजरी यह कह कर उठते हुए) अब जल्दी ही जमीदार से बात करनी होगी,,,
(इतना कहकर कजरी खेतों की तरफ चली गई और साधु वहीं बैठी सुबकते रही,,,, रघु इधर उधर से घूमकर घर पर आया और सालों को इस तरह से रोता हुआ देखकर एकदम से परेशान हो क्या और उसके करीब जाकर उसका दोनों हाथ अपने हाथों में लेकर बोला,,,)

क्या हुआ दीदी तुम रो क्यों रही हो,,,?
( रघु की बात सुनकर सालु बोली कुछ नहीं बस रोए जा रही थी,,, यह देखकर बार-बार रखो उसे समझा रहा था लेकिन सालु थी कि कुछ बोलने को तैयार नहीं थी,,, इस‌ समय ना जाने क्यों उसे रघु पर गुस्सा आ रहा था,,,)


बोलो ना दीदी क्या हुआ अगर बोलो कि नहीं तो पता कैसे चलेगा,,,
(इतना सुनकर वह रघु की तरफ गुस्से से देखने लगी,,, रघु को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी बहन ऐसा क्यों कर रही है,,,)

मुझे क्यों गुस्से से देख रही हो बताओगी भी क्या हुआ,,,?

यह सब तेरी वजह से हुआ है,,,(शालू रोते हुए बोली)


मेरी वजह से क्या हुआ है मेरी वजह से,,,(रघु आश्चर्य जताते हुए बोला)


तुम्हारी वजह से मैं पेट से हो गई हूं,,,,(शालू रोते हुए एकदम से शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह करके बोली,,,, इतना सुनकर रघु के भी हाथ पांव सुन्न हो गए,,,,)

यह क्या कह रही हो दीदी,,,


सच कह रही हूं,,,


लेकिन यह कैसे हो गया,,,,?

यह भी बताना पड़ेगा,,,,


लेकिन इसमें मेरा तो कसूर नहीं है,,,।


देख कसूर तेरा हो या मेरा लेकिन भुगतने को तो मुझे ही है,,,
(दोनों भाई बहन एकदम परेशान थी दोनों को कुछ भी सूझ नहीं रहा था दोनों खामोश होकर खटिए पर एक साथ बैठे हुए थे दोनों में जवानी की आग बुझाने के लिए एक दूसरे के बदन का सहारा लिया दोनों पूरी तरह से एक दूसरे से मस्ती का आनंद लिया,,, लेकिन दोनों ने कभी यह नहीं सोचा था कि उन दोनों का यह वासना से भरा खेल एक दिन यह मोड़ भी ले लेगा,,,शालू अपने भाई से रोज मौका मिलते ही चुदवाती हुई है रघु भी अपनी बड़ी बहन को उसकी गर्म जवानी के मदहोशी में मदहोश होकर उसे चोदता रहा लेकिन दोनों को नहीं पता था कि दोनों का यह वासना भरा खेल इस अंजाम तक पहुंच जाएगा कि सालु के पांव भारी हो जाएंगे,,,, दोनों खामोश थे शालू की आंखों से आंसू गिरना बंद हो गया था लेकिन उसका दिल रो रहा था अपने आप को कोस रही थी उस पल को कोस रही थी जब वह अपने भाई के प्रति आकर्षित हुई थी,,, शुन्य मनस्क होकर,,, सालु सामने की दीवार की तरफ देखते हुए बोली,,,।)

अब क्या होगा रघु,,, आज नहीं तो कल समाज को इस बारे में पता चल ही जाएगा तब लोग पूछेंगे तो मैं क्या कहूंगी क्या जवाब दुंगी,,,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो तेरी मैं कुछ सोचता हूं,,,


क्या सोचेगा तू करते समय बिल्कुल भी नहीं सोचा तो अब क्या सोचेगा,,,,।


तुम तो देखने से कह रही हो कि सारी गलती मेरी ही है मैं तो कोई तुम्हारे साथ जबरदस्ती तो किया नहीं था,,,, जो कुछ भी हुआ था आकर्षण के चलते हुआ था,,,,


यही तो रोना है रघु,,, अगर किसी को इस बारे में पता चल गया की हम दोनों के बीच अवैध संबंध के चलते ऐसा हुआ है तो हम लोग बर्बाद हो जाएंगे मां तो मर ही जाएगी,,,,(शालू रोते हुए बोली)

नहीं नहीं तेरी ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मैं ऐसा नहीं होने दूंगा,,,, तुम सिर्फ मुझे एक बात बताओ,,, क्या तुम्हारी और बिरजू के बीच कुछ हुआ है,,,,
(रघु के मुंह से यह सवाल सुनकर शालू फिर से रघु को गुस्से से देखने लगी,,)

दीदी गुस्सा करने का वक्त नहीं है जो मैं पूछता हूं वह बताओ,,,

(इस बार शालू बोली कुछ नहीं बस हां मै सिर हिला दी,,)

कब,,,, मतलब कितना दिन हुआ,,,।

कल ही तो,,,


क्या कल,,,,,(रघु आश्चर्य जताते हुए बोला क्योंकि अभी तक उसे ऐसा लगता था की शायद यह सब बिरजू की वजह से हुआ हो,,,इन दोनों के बीच कल ही हुआ था तो संभव था कि जो कुछ भी हुआ है वह उसी के वजह से हुआ है,,, रघु अपने मन में यह सब सोच रहा था और कल वाली बात सुनकर सालु से बोला,,,)

कल तो तुम मेरे और मां के साथ खेत पर ही काम कर रही थी घर पर आ गई इसके बाद कहीं गई नहीं तो कल कैसे हो गया,,,,
( रघु के ईस सवाल पर शालू को शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि भले ही दोनों के बीच शारीरिक संबंध का रिश्ता था लेकिन फिर भी दूसरों के साथ के संबंध के बारे में बताने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह रघु से बोली,,)

कल जब टंकी में नहाने के लिए जा रहे थे तब मैं एक बहाने से वहां से चली गई थी,,,, बिरजू ने ही मुझे इशारा करके बुलाया था,,,, और खेतों में ले जाकर,,,(इतना काकरवा खामोश हो गई,,,, )

चलो कोई बात नहीं अच्छा ही हुआ कि तुमने उसके साथ चुदवा ली,,,, क्योंकि अब हम दावे के साथ कह सकते हैं कि तुम्हारे पेट में बिरजू का ही बच्चा है ,,,। और यह सुनकर जमीदार अपने बेटे की शादी तुमसे कराने के लिए राजी हो जाएगा,,,


अगर ऐसा नहीं हुआ तो अगर वह इनकार कर दिया तो,,,


ऐसा नहीं होगा,,, बिरजू की शादी तुमसे ही होगी मुझे मालकिन पर पूरा विश्वास है,,,,
(रघु की बातें सुनकर सालु को कुछ राहत महसूस हुई,, तो रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)

मां को इस बारे में पता है,,,।

हां उनसे ही तो मुझे पता चला,,,


मां क्या बोली,,,


वो तो मुझ पर बहुत गुस्सा कर रहे थे लेकिन फिर भी बोली कि सब सही हो जाएगा,,,


फिर क्यों चिंता करती हो,,,, सब सही हो जाएगा,,,,


रात को खाना खाते समय कजरी अपने बेटे रघु से बोली,,।

रखो अब हमें देर नहीं करना चाहिए जल्द से जल्द शालू के हाथ पीले हो जाए तो गंगा नहाए समझ लो,,,,


इतनी जल्दी क्या है मां,,,(रखो अपनी मां की बात को कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन फिर भी सोच रहा था कि देखे ही उसकी मां क्या कहती है,,,)

नहीं नहीं शालू अब बड़ी हो गई है शादी की उम्र निकली जा रही है जल्द से जल्द उसका शादी कर देना चाहिए तो अपनी मालकिन से बात कर और जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी शादी का इंतजाम कर दे,,,,
(रघु अपनी मां के चेहरे पर चिंता की लकीरों को अच्छी तरह से पढ़ रहा था मैं जानता था कि एक कुंवारी लड़कियों का बिन ब्याही मां बन जाना मां बाप के लिए कितना कष्ट दायक होता है,,,)

तुम चिंता मत करो मा मैं दो-तीन दिन में ही मालकिन से बात कर लेता हूं और सब कुछ तय कर लेता हूं,,,,


सोते समय जब कजरी सो गई इसके बाद शालू उठकर रघु के पास आई,,, यह देख कर रघु चुटकी लेते हुए बोला,,,।

क्या दीदी आज भी लेना है क्या तुम्हें,,,


बदमाश कहीं का,,,,मैं लेने नहीं मैं तुझसे यह कह रही हूं कि क्या बिरजू मान जाएगा कि मेरे पेट में उसका ही बच्चा है अभी 1 दिन तो हुआ है,,,


मान जाएगा दीदी,,, मैं जानता हूं उसे यह सब गणित बिल्कुल समझ में नहीं आएगा उसे बस इतना ही समझ में आता है कि वह तुम्हारी चुदाई कर चुका है,,,,(चुदाई वाली बात सुनकर शालू शर्मा गई,,,,) बस इतना ही काफी है,,, और वैसे भी वह अपने मां-बाप से यह तो नहीं कह पाएगा ना कि मैं कल ही सालु को चोदा हुं,,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो दीदी,,,, जाकर सो जाओ और अगर नींद नहीं आ रही है तो एक बार फिर से चढ जाओ,,, शादी के बाद फिर ना जानें कब मौका मिले,,,।


यह मुसीबत कम है क्या,,,?
(इतना कह कर सालु वहां से चली गई और सो गई,,)
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
कजरी को बहुत चिंता हो रही थी,,, और चिंता होना लाजमी था क्योंकि वह शालू की मां थी,, वह नहीं चाहती थी कि उसकी बदनामी हो समाज में नाम खराब है और शादी में किसी भी प्रकार की दिक्कत पैदा हो,,, वह तो भगवान से मन ही मन रोज प्रार्थना करती थी कि कैसे भी करके शालू की शादी हो जाए बस,,,, जैसे जैसे दिन गुजर रहा था वैसे वैसे कजरी की चिंता बढ़ती जा रही थी,,, वह रोज रघु को जमीदार से शादी की बात करने को कहती और रघु भी दोनों मालकिन को जमीदार के ऊपर शादी का दबाव बनाने के लिए कहती रहती थी,,,, लेकिन दोनों की हिम्मत नहीं होती थी कि वह जमीदार को शादी की बात कर सके और वह भी शालू के साथ क्योंकि वह दोनों भी अच्छी तरह से जानती थी कि रघु के परिवार में और उनके परिवार में जमीन आसमान का फर्क था,,,,
लेकिन जमीदार की बीवी रात के समय जब जमीदार उसके साथ संभोग रत थे,,, जमीदार की बीवी सालु की शादी की बात छेड़ते हुए बोली,,,,।

आपसे एक बात करनी थी,,,,(जमीदार के झटको की वजह से हक लाते हुए उसकी आवाज निकली)


क्या बात करनी थी,,,,(जमीदार अपनी कमर को हिलाते हुए बोला)

शादी की बात करनी थी,,,


किसकी शादी,,,,


अरे विरजू की और किसकी,,, मेरी नजर में एक लड़की है बहुत सुंदर,,,, उसका नाम शालू है,,, अपने गांव की कजरी की लड़की,,,,


कजरी की,,,,(अपने धक्को पर काबु करते हुए जमीदार बोला,,,)

हां बहुत ही अच्छा परिवार है,,, अरे उसी की बड़ी बहन,,, जो तांगे से मुझे मेरे मायके लेकर गया था,,,,


तुम पागल हो गई हो,,,, हमारी और उसकी बराबरी कर रही हो,,,, यह बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है,,,(जमीदार अपने दोनों हाथों का कसाव अपनी बीवी की चूचियों पर बढ़ाता हुआ बोला,,,)

पर एक बार देखने में क्या हर्ज है मुझे पूरा यकीन है कि एक बार उसको देखोगे तो आपका इरादा बदल जाएगा,,,।(जमीदार को अपनी बाहों के घेरे में करते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं मेरा इरादा कभी नहीं बदलने वाला,,, और वैसे भी मैं अपने समधी को वादा कर चुका हूं क्योंकि उन्होंने भी मुझे एक लड़की के बारे में बताया है वह भी ऊंचे घराने की तो नहीं लेकिन उनके कहे अनुसार बहुत सुंदर है,,, अब मैं उनकी बात नहीं काट सकता,,,(जमीदार अपनी कमर की रफ्तार को बढ़ाता हुआ बोला,,,)


मेरी जुबान का क्या,,,, मैं भी उससे वादा कर चुकी हूं कि बिरजू की शादी उसकी बहन से ही होगी और वैसे भी अपना बिरजू उससे प्रेम करता है,,,।
(अपनी बीवी की यह बात सुनकर जमीदार थोड़ा सा परेशान हो गया लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए और अपने लंड को अपनी बीवी की बुर में पेलते हुए बोला)

तो क्या हुआ प्रेम तो सभी को हो जाता है पर यह जरूरी तो नहीं किसी से प्रेम हो उसे शादी भी हो,,,, हम बिरजू की शादी वहीं करेंगे जहां हम चाहते हैं,,,,


लेकिन सुनो तो,,,,(जमीदारी की बीवी बात को संभालने की गरज से बोली)




हम कुछ नहीं सुनना चाहते,,,, चुदवा रही हो अच्छे से चुदवाओ मेरा दिमाग मत खराब करो,,,,(अब उसके पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं बचे थे वह अच्छी तरह से जानती थी कि अब बहस करना ठीक नहीं है ,,,, जमींदार वैसे भी अपनी मनमानी ही करता था वह किसी की भी दखल गिरी बर्दाश्त नहीं करता था खासकर के औरतों की भले ही वह क्यों ना उसकी बीवी हो,,,, जमीदार अपनी बीवी की एक चूची को मुंह में भर कर पीते हुए अपनी कमर को बड़ी तेजी से हिलाने लगा,,, जो कि इस बात का संकेत था कि उसका पानी निकलने वाला है,,,, जमीदार की बीवी अपने पति से कभी भी संतुष्ट नहीं हो पाई थी क्योंकि जमीदार एक उम्र दराज व्यक्ति थे और जमीदार की बीवी एकदम जवान, हसीन गदराए बदन की मालकिन थी,,, उसे रघु जैसा हट्टा कट्टा नौजवान चाहिए था जोकि उसके बदन की गर्मी को शांत कर सके,,,पूरा रखो उसकी उम्मीद पर पूरी तरह से खरा उतरा था उसके लिए तो रघु खरा सोना था लेकिन अब उसे जमीदार पर बेहद क्रोध आने लगा था वह बड़ेआत्मविश्वास के साथ रघु को इस बात का दिलासा दी थी कि उसकी बहन उसके घर की बहू बनेगी,,, लेकिन जमीदार ने सब कुछ बिगाड़ के रख दिया था उसके अरमानों पर पानी फेंक दिया था,,, वह उसी तरह से पीठ के बल अपनी दोनों टांगे फैलाए पड़ी रही और जमीदार तब तक उसकी बुर को रौंदता रहा जब तक कि उसका पानी नही निकल गया,,,। अपनी बीवी की चुदाई करने के बाद वह उसके बगल में करवट लेकर पसर गया और सोने से पहले अपनी बीवी को हिदायत देते हुए बोला,,,।

कल सुबह हम अपने समधी के साथ लड़की देखने जा रहे हैं सुबह तैयारी कर लेना,,,।( और इतना कहकर वह करवट लेकर सो गया,,, मानो की उसकी बीवी की कोई कदर ही नहीं थी उसके मन की कभी भी नहीं हो पाती थी जमीदार केवल उसे अपनी रातों को रंगीन करने के लिए ही लाया था,,, कहने को तो वह घर की मालकिन पीने की मालकिन जैसा उसे किसी भी प्रकार का अधिकार नहीं प्राप्त था,,,, इसलिए अपनी किस्मत को कोसते हुए वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो गई,,,।)


दूसरे दिन रघु,,, नीम की दातून करते हुए घर के पीछे की तरफ जा रहा था तो उसके कानों में जानी पहचानी सीटी की मधुर आवाज सुनाई देने लगी,,, सीटी की आवाज सुनते ही उसका मन अधीर हो गया वह एकदम से व्याकुल हो गया,,, पर अपने चारों तरफ इधर उधर नजर घुमा कर देखने लगा लेकिन उसे कहीं भी कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो वह ध्यान से सीटी की आवाज वाली दिशा में ध्यान लगाकर सुनने लगा तो,,, वह सीटी की आवाज सामने की झाड़ियों में से आती हुई उसे सुनाई दी,,,,,, रघु का दिल जोरों से धड़क रहा था वह धीरे-धीरे उन झाड़ियों के करीब जाने लगा,,,,, सीटी की आवाज को वह अच्छी तरह से पहचानता था इसीलिए तो उसका मन एकदम व्याकुल हुए जा रहा था,,,,वह बड़े ही आराम से धीरे धीरे कदम रख रहा था क्योंकि सूखी हुई पत्तियां नीचे गिरी हुई थी जिसकी आवाज से हो सकता था की झाड़ियों के बीच कोई चौकन्ना हो जाए,,,, लेकिन रघु किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहता था,,,
धीरे-धीरे वह झाड़ियों के बिल्कुल करीब पहुंच गया,,, और हल्के से झाड़ियों को अपने हाथों से अलग करते हुए जैसे ही उसकी नजर झाड़ियों के अंदर बीच में गई उसके होश उड़ गए उसके दिल की धड़कन बढ़ गई क्योंकि सिटी की मधुर आवाज सुनकर जिस नजारे कि उसने कल्पना किया था ठीक वैसा ही नजारा उसकी आंखों के सामने था,,,, एक बार फिर से उसकी नजरों ने अपनी मां को पेशाब करते हुए देख लिया था,,, उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,, सिटी की मधुर आवाज सुनकर उसके मन में जिस चित्र की कल्पना उभर रही थी ठीक वैसी ही चलचित्र उसकी आंखों के सामने उपसी हुई थी,,,,,कजरी निश्चिंत होकर अपनी साड़ी को कमर तक उठाए उसे कमर पर लपेट कर अपनी गोलाकार गांड को दिखाते हुए पेशाब कर रही थी,,,हालांकि वह इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसकी गोरी गोरी मदमस्त कर देने वाली गांड को पीछे से खड़ा होकर उसका लड़का देख रहा है,,,,,, पल भर में ही रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,, वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा,,,,,, खेत में ट्यूबवेल की टंकी में नहाते समय अपनी मां की खूबसूरती से पूरी तरह से वाकिफ हो चुका था और अपने मर्दाना मस्ताए लंड को अपनी मां की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी मखमली गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर महसूस भी कर चुका था,,, लेकिन एक जवान लड़के का मन कहां मानने वाला था,,, यह जानते हुए भी कि अपनी मां को इस अवस्था में देखना ठीक नहीं है,,फिर भी रघु टस से मस नहीं हो रहा था आखिरकार नजारा ही ऐसा अद्भुत मादकता से भरा हुआ था कि रघु तो क्या उसकी जगह कोई भी मर्द होता तो उसकी पलक झपकना भूल जाती,,,, वास्तव में कजरी की गांड बेहद खूबसूरत गोल गोल और एकदम गोरी थी,, अंधेरे में भी जिसके होने का आभास हो जाए,, अभी भी रघु के कानों में उसकी मां की बुर से आ रही सीटी की आवाज गूंज रही थी मतलब साफ था कि अभी भी कजरी बड़ी शिद्दत से पेशाब कर रही थी,,,,, रघु का लंड तो पजामे के अंदर बवाल मचाए हुए था,,,, ऐसा लग रहा था किसी भी वक्त वह पैजामा फाड़ कर बाहर आ जाएगा,,, सुबह-सुबह इतना बेहतरीन खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा ऐसा कभी रघु ने बिल्कुल भी नहीं सोचा था,,, रघु बड़े गौर से अपनी मां की खूबसूरत गांड को देख रहा था जो कि उस समय ट्यूबवेल की टंकी में उसके बेहद करीब थी जिसकी गर्माहट और गोलेपन का एहसास उसे बड़ी अच्छी तरह से हुआ था,,, लेकिन एक कसक प्रभु के मन में रह गई थी कि वह अपनी मां की गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे मसल नहीं पाया,,,कजरी सी जगह पर बैठी हुई थी उसके चारों तरफ घनी झाड़ियां थी धांसू की हुई थी और गौर से देखने पर रखो कोई भी आभास हुआ कि उसकी मां उस जगह मैं इसे धीरे-धीरे आलू खोद रही थी,,,, उसकी मां एक साथ दो काम कर रही थी पैसा भी कर रही थी और खेतों में से आलू की खोद रही थी,,, जिसकी शायद सुबह सुबह सब्जियां बनानी थी,,,,

कजरी इस बात से बेखबर थी वह निश्चिंत होकर मुतने में लगी हुई थी और आलू खोदने में,,,, लेकिन तभी उसे आहट सुनाई थी,,,,वह एकदम से सचेत हो गई,,, वह घबराकर पीछे मुड़ कर देखना नहीं चाहती थी हालाकी ऊसे डर भी लग रहा था,,,, कि ना जाने कौन उसे इस तरह से पेशाब करते हुए देख रहा है,,, एकाएक उसकी पेशाब की धार एकदम से कमजोर पड़ गई,,,, और वह धीरे से अपनी नजरों को तिरछी करके पीछे की तरफ देखी तो उसे केवल पैजामा नजर आया और वह उस पजामे को अच्छी तरह से पहचानती थी,,,, जिसे वह रोज सुबह धोती थी,,,, इस बात का एहसास होते हैं कि पीछे खड़ा शख्स जान पहचान का क्या उसका खुद का बेटा रघु है उसका दिल धक से करके रह गया,,, उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह समझ गई कि उसका बेटा फिर से उसे पेशाब करते हुए देख रहा है,,,,लेकिन इस समय ना जाने क्यों उसे अपने बेटे की हरकत पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था जैसा कि पहली बार वह खेतों में अपने बेटे को अपने आप को पेशाब करते हुए देखकर गुस्से से आगबबूला हो गई थी,,,, , लेकिन आज तो अपने बेटे की हरकत पर,, उसे प्यार आ रहा था और अपने अंदर की उसे उत्तेजना महसूस हो रही थी,,,, एक औरत के लिए भी वहां पर देहाती शर्मसार कर देने वाला होता है जब वह पेशाब करती हो और उसे पीछे से कोई चोरी-छिपे देख रहा है,,, क्योंकि वैसे भी औरतें हमेशा छुप कर पर्दे में ही पेशाब करती है,,,,,,एक औरत मर्द के सामने तभी पेशाब करती है जब आपस में वह दोनों पूरी तरह से खुल गए होते हैं और दोनों के अंदर वासना की चिंगारी बराबर भड़कती रहती है तब वह एक दूसरे को खुश करने के लिए उन्माद जगाने के लिए इस तरह की हरकत कर बैठते हैं,,,,। लेकिन यहां तो पहले अनजाने में ही हुआ था लेकिन जब इस बात का आभास कजरी को हो गया कि उसका बेटा पीछे से खड़ा होकर उसकी नंगी गांड को और उसे पेशाब करते हुए देख रहा है तब कजरी के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी ऊफान मारने लगी,,,,,, उसका दिल धड़कने लगा,,,और जो कुछ पल के लिए किसी की अपने पीछे आहट सुनकर उसकी पेशाब रुक गई थी वह अब उत्तेजना के मारे और तेज धार छोड़ते हुए मुतने लगी,,, रघु की धड़कनें तेज चलने लगी थी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ट्यूबवेल की टंकी में जिस तरह की हरकत वह अपनी मां के साथ कर चुका था उसका दिल यही कर रहा था कि वह पीछे से जा करके अपनी मां बुर ‌में पीछे से लंड डाल दे,,, क्योंकि उस दिन उसकी मां उसकी हरकत की वजह से उसे एक शब्द तक नहीं बोली थी,,, लेकिन इस तरह की हरकत करने में उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसकी मां उसके गाल पर थप्पड़ ना लगा दे,,,,

और दूसरी तरफ कजरी के तन बदन में वासना की आग सुलग रही थी इस समय वह अपने मन में सोच रही थी कि ऐसा क्या करें कि उसका बेटा पूरी तरह से उसकी जवानी का कायल हो जाए,,,क्योंकि वह जानती थी कि झाड़ियों के बीच इस तरह से वह बैठी है उसके बेटे को सिर्फ उसकी गोरी गोरी गांड नजर आ रही होगी लेकिन उसका असली और अनमोल खजाना उसके बेटे की नजरों से अभी काफी दूर है इसलिए वह चाहती थी कि उसका बेटा उसके गुलाबी खजाने को अपनी आंखों से देखें,,,,,, वैसे भी वह खेत में से आलू खोदकर निकाल रही थी,,,, इसलिए वह अपना मन बना चुकी थी अपने बेटे को अपनी गुलाबी बुर के दर्शन कराने के लिए,,, इसलिए वह एक बहाने से आगे झुकना चाहते थे आलू खोदने के बहाने ताकि उसका बेटा उसके गुलाबी बुर को अपनी नंगी आंखों से देख सकें,,, लेकिन ऐसा सोचकर ही कजरी की बुर से पानी बहा जा रहा था,,,, जिंदगी में पहली बार उसके साथ इस तरह की घटना घट रही थी उसने आज तक अपने पति के सामने भी के साथ करने की हिम्मत नहीं की थी क्योंकि वह पहले से ही बहुत शर्मीले किस्म की औरत थी,,,, और किसी मर्द के सामने पेशाब करने के बारे में तो कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी,,,, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं सोचने का नजरिया बदल चुका था अपने बेटे में उसे अब अपना बेटा नहीं बल्कि हट्टा कट्टा जवान मर्द नजर आता था,,,,

कजरी से रहा नहीं जा रहा था उसके तन बदन में उन्मादक हीलोरे गोते लगा रही थी,,, अपना दोनों हाथ पीछे की तरफ लाकर अपनी गोरी गोरी गांड पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगी,,, अपनी मां की यह हरकत देखकर रघु के तन बदन में शोले भड़कने लगे,,, पजामे में उसका लंड फट पड़ने की कगार पर आ गया था,,, रघु से रहा नहीं जा रहा थाऔर वह अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलना शुरू कर दिया,,,। तभी रघु की आंखों ने जो देखा उसे देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कजरी अपने बेटे को अपनी गुलाबी बुर दिखाना चाहती थी और इसीलिए वह आगे की तरफ झुक कर आलू खोदने के बहाने अपनी गोरी गोरी गांड को थोड़ा सा ऊपर उठा दी,,, जिससे उसके गुलाबी बुर गुलाबी पत्तियों सहित रघु की आंखों के सामने चमकने लगी,,, यह नजारा देखकर तो रघु कि सांस ही अटक गई,,,, कजरी जानबूझकर आगे झुक कर मिट्टी में से आलू खोदने का क्रियाकलाप कर रही थी जबकि हकीकत यही था कि वह अपने ही बेटे को अपनी गुलाबी बुर के दर्शन करा रही थी,,, और यही देखने के लिए वह चुपके से अपनी नजरों को तिरछी करके पीछे की तरफ देखी तो अपने बेटे की हालत देखकर वह मन ही मन मुस्कुराने लगी और उसे अपने बेटे की हालत पर तरस भी आ रहा था क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जिस तरह से वह नीचे झुकी हुई है साफ तौर पर उसकी बुर उसके बेटे की आंखों में अपनी चमक छोड़ रही होगी,,, रघु का मुंह खुला का खुला रह गया था कजरी अपनी तिरछी नजरों को नीचे की तरफ पिलाकर उसके पजामे की स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां पर अपनी नजरों को टिकाई तो उसके होश उड़ गए,,, क्योंकि उसके पजामे में जबरदस्त तंबू बना हुआ था,,, यह देख कर ही कजरी की बुर से मदन रस की बूंदे नीचे टपकने लगी,,,,,,, हालांकि अब कजरी की बुर से पेशाब की धार टूट चुकी थी,,, लेकिन वह फिर भी उसी अवस्था में अपनी गांड को ऊपर उठाएं झुकी रही और खेतों में से आलू खोदने का कार्यक्रम जारी रखी,,,,, उत्तेजना से पूरी तरह से रघु मस्त हो चुका था,, उसे ऐसा लग रहा था कि बिना लंड हीलाए ही उसका लंड पानी छोड़ देगा,,,।,,,
और ऐसा हो भी जाता अगर उसकी बड़ी बहन की आवाज उसके कानों में ना पड़ती तो क्योंकि वह उसे ढूंढते हुए उसी दिशा में आ रही थी वह तुरंत एकदम हक्का-बक्का हो गया,,, और अपने कदमों को पीछे ले लिया,,, कजरी के कानों में भी उसकी बेटी की आवाज पड चुकी थी इसलिए वह भी तुरंत,,, खोदे हुए आलू को बटोरने लगी,,,,।

यहां क्या कर रहा है तू अभी दांतुन हीं कर रहा है,,,, खाना बन गया है पहले जाकर नहा ले फिर खा लेना,,,, और मा कहां है,,, आलू खोदने के लिए गई थी अभी तक वापस नहीं आई पता नहीं कहां रह गई तुझे मालूम है कहां है,,,,


नहीं मुझे कैसे मालूम हो सकता है मैं तो अभी अभी उठ कर आया हूं,,,,(रघु अपनी नजरों को इधर-उधर घुमाते हुए बोला तभी शालू की नजर उसके पजामे पर पड़ी तो वह एकदम दंग रह गई,,, पजामे के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,, इसलिए वह आश्चर्य से अपने हाथ की उंगली से उसके पजामे की तरफ इशारा करते हुए बोली,,,)

यह क्या है सुबह-सुबह,,,,,


कककक,,,कुछ नही,,,,, यह तो तुमको देखते ही खड़ा हो गया दीदी,,,,,(रघु एकदम शरारती अंदाज में बोला)


बाप रे सुबह सुबह तुझे यही सब सुझता है,,,,


क्या करूं दीदी तुम हो ही इतनी खूबसूरत,,,,


चल रहने दे मस्का लगाने को अभी कुछ नहीं होने वाला जा जाकर नहा ले,,,,
(इतना सुनकर बिना बोले रघु वहां से चला गया और शालू अपनी मां को खोजने लगी उसे लगा कि उसकी मां किसी से बात करने में लग गई होगी क्योंकि वैसे भी अक्सर वह गांव की औरतों के साथ बात करने बैठती थी तो घंटे बिता देती थी,,,, इसलिए वह खुद ही आलू खोदने के लिए झाड़ियों के करीब जाने लगी जहां पर कजरी अभी भी उसी अवस्था में बैठी हुई थी और खोदे हुए आलू को इकट्ठा कर रही थी,,,।
जैसे ही वहां झाड़ियों के बेहद करीब पहुंचीउसकी नजर झाड़ने के बीच बैठी अपनी मां पर पड़ गई जो कि अभी भी उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी और वह बैठी हुई थी मानों जैसे की पेशाब कर रही हो,,,,,,।


क्या मां तुम अभी तक यहीं बैठी हुई हो मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हुंं,,,
(पीछे से आ रही आवाज को सुनते ही,, कजरी एकदम से हड़बड़ा गई और तुरंत उठ कर खड़ी हो गई और अपनी साड़ी को दुरुस्त करने लगी,,,,)

वो ,,वो,,,मममम,, में,,,, आने ही वाली थी कि मेरे पेट में दर्द होने लगा इसलिए मैं यहां बैठ गई,,,, तू चल मैं आती हूं,,,,(इतना कहकर वह नीचे झुक कर होते हुए आलू को अपनी साड़ी के पल्लू में इकट्ठा करने लगी,,, कजरी शर्मा से अपनी बेटी से नजरें नहीं मिला पा रही थी,,, शालू को भी सब कुछ सामान्य ही लग रहा था कि तभी उसके दिमाग की घंटी बजना शुरू हो गई,,,, क्योंकि उसे याद आ गया कि उसका भाई रघु भी यहीं से वापस आ रहा था,,,, अपनी मां की हालत अपने भाई रघु के पजामे की स्थिति को देखकर उसका दिल जोर से धड़कने लगा,,,, उसके मन में शंका के बादल उमड़ने लगे,,,,क्योंकि वह अपनी आंखों से अपनी मां की गांड को देख चुकी थी जो कि कमर के नीचे से पूरी तरह से नंगी थी और वह बैठी हुई थी और इस बात का भी आभास उसे था कि उसका भाई वापस जाते समय उसे नजर चुरा रहा था और उसके पहचानने की स्थिति कुछ और बयां कर रही थी,,,,, वह वापस लौटते समय अपने मन में यही सोचने लगी कि कहीं उसका भाई खड़ा होकर अपनी ही मां की गांड को देखकर उत्तेजित तो नहीं हो रहा था,,,, क्योंकि उसके लंड की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी,,,, ऐसा तभी होता है जब एक मर्द उत्तेजित दृश्य को देख ले,,, और ऐसा ही हुआ होगा,,,, रघु इधर झाड़ियों में पेशाब करने आया होगा और उसे मां दिख गई होगी,,,उसकी नंगी गोरी गोरी गांड देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया होगा तभी तो पजामे में उसका लंड खड़ा हो गया था,,,,।

सच्चाई से वाकिफ होते ही शालू के तन बदन मे अजीब सी हलचल होने लगी,,, यह सोच कर कि उसका छोटा भाई अपनी ही सगी मां को गंदी नजरों से देख रहा है इस बातों से उसे पहले तो गुस्सा आया लेकिन फिर तन बदन में अजीब सी चिकोटि काटने लगी,,, अपनी भाई की गंदी नजरों को अपनी मां के बारे में सोचते हैं उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी वह इस बारे में अपने भाई से बात करना चाहती थी और मौके की तलाश में थी,,,।

दूसरी तरफ रघु अपने लंड की गर्मी को शांत करना चाहता था,,, इसलिए अपने छोटे से लकड़ी के बने हुए स्नानागार में जाकर अपनी मां को याद करके मुठ मारने लगा,,, और गर्मी बाहर निकलते ही वहां नहा धोकर वापस खाना खाने के लिए आ गया तब तक उसकी मां भी वहां आ चुकी थी शालू अपनी मां की उपस्थिति में अपने भाई से बात नहीं कर पाई,,, और खाना खाकर रघु वहां से बाहर चला गया,,,,।


जमीदार लड़की देखने के लिए जाने वाला था इसलिए वह तांगा लेकर अपने समधी लाला के घर की तरफ निकल गया,,, जहां पर लाला,,,अपनी बहू कोमल की खूबसूरत नितंबों की थिरकन को आते जाते देखकर लार टपका रहा था,,, उसका गला सूख रहा था उसी प्यास लगी थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी प्यास बुझाने के लिए उसे अपनी बहु कोमल के पास जाना चाहिए या मटके के पास,,,, वैसे तो अक्सर वह अपनी बहू से पानी मांग लिया करता था लेकिन आज वह खुद ही मटके से पानी लेने के लिए उठ खड़ा हुआ और रसोई घर की तरफ जाने लगा जहां पर उसकी बहू खड़ी होकर लकड़ी के पाटिया पर सब्जी काट रही थी,,, अपनी बहू पर नजर पड़ते ही उसकी धोती में हलचल होने लगी और मटके के करीब जाते-जाते वह अपना एक हाथ अपनी बहू को हमारी के नितंबों पर रखकर उसे जोर से दबा दिया,,,।

आहहहह,,, बाबूजी यह क्या कर रहे हैं आप,,,,(कोमल चौक ते हुए बोली,,,)


कुछ नहीं मेरी प्यारी बहू तेरी खूबसूरत मुलायम बदन का जायजा ले रहा था,,,।


बाबू जी आपको इस तरह की हरकत करते हुए शर्म आनी चाहिए,,,,।


शर्म तो आती है मेरी रानी लेकिन क्या करूं तुझ पे तरस भी तो आता है,,,, साला मेरा बेटा ही नालायक और निकम्मा निकल गया कितनी खूबसूरत औरत को छोड़कर ना जाने कहां भटक रहा है,,,,(मटके में गिलास डालकर उसे पानी से भरते हुए बाहर निकालते हुए) आखिरकार तु एक औरत है तुझे भी तो अपने जिस्म में आग लगती हुई महसूस होती होगी,,, तुझे भी तो अपनी दोनों टांगों के बीच कुछ कुछ होता होगा,,,,(इतना कहकर लाला पानी पीने लगा और अपने ससुर की इस तरह की गंदी बात सुनकर कोमल शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,,)


आपको शर्म आनी चाहिए बाबूजी मुझसे इस तरह से बातें करते हुए मैं आपकी बेटी समान हूं,,,।


तू एक औरत है और वह भी प्यासी,,,, और मेरा पूरा अधिकार बनता है तुझे प्यास से मुक्त कराने के लिए,,,,(इतना कहने के साथ है कि लाला अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहू का हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसे सीधे अपनी बाहों में भरकर उसके लाल-लाल होठों को चूमने की कोशिश करने लगा,,, की तभी बाहर दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,।)

लालाजी,,,, अरे ओ लाला जी कहां हो,,,,,
(इतना सुनते ही उसके होश उड़ गए अपने समधी की आवाज वह अच्छी तरह से पहचानता था,,,इसलिए तुरंत राधा को अपनी बाहों से आजाद करता हुआ बिना कुछ बोले वह दरवाजे की तरफ जाने लगा,,,)

अरे आया समधी जी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह दरवाजा खोल दिया सामने उसके समधी खड़े थे,,)


अरे आज हमें लड़की देखने जाना था तुम भूल गए क्या,,,?

अरे भूला नहीं हूं सरकार आइए पहले जलपान तो कीजिए,,,


नहीं नहीं रहने दो मैं जलपान करके आया हूं,,,, हमें देर हो रही है हमें चलना चाहिए,,,, तांगा तैयार है,,,।


जी सरकार में अभी आया,,,,(इतना कहकर बा अंदर गया और गमछा लेकर बाहर आ गया दोनों तांगे पर बैठकर लड़की देखने के लिए दूसरे गांव की तरफ निकल गए और कोमल दीवाल से सेट करें बैठ गई और अपनी किस्मत पर रोने लगी,,,, थोड़ी देर बीता ही था कि दरवाजे पर फिर दस्तक होने लगी,,,, कोमल घबरा गई उसे लगा कि उसका ससुर फिर वापस आ गया है,,,)
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
लाला और जमीदार दोनों लड़की देखने के लिए जा चुके थे अंदर दरवाजा बंद करके कोमल सुबक रही थी,,, उसे अपनी किस्मत पर रोना आ रहा था,,,,उस मनहूस घड़ी के लिए अपने आप को कोस रही थी जब वह शादी करके इस घर में आई थी पति का सुख तो उसे मिला नहीं ऊपर से उसका ससुर उस पर गंदी नजर रखने लगा था कोमल अपने मन में यही सोच रही थी कि भला वह अपने ससुर की नजरों से कब तक बची रहेगी,,,, वो तो किस्मत अच्छी रही थी कि कोई ना कोई आ जाता है,,,, अगर जिस दिन कोई समय पर नहीं पहुंचा तो उसका क्या होगा उसकी इज्जत का क्या होगा,,,। वह यही सोच कर रो रही थी,,,, कि तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,, दरवाजे पर हो रही दस्तक की आवाज सुनकर कोमल घबरा गई उसे लगने लगा कि उसका ससुर फिर वापस आ गया है,,,, उसके चेहरे पर चिंता की लकीर उपसने लगी,,, तभी जब दस्तक के साथ-साथ रघु की आवाज उसके कानों में पड़ी तो वह खुशी से चहक ने लगी उसकी सारी चिंता हवा में फुर्र हो गई,,।


लालाजी ,,,,,,,दरवाजा खोलिए ,,,,,,,लालाजी,,,
(इतना सुनते ही कोमल तुरंत उठ खड़ी हुई और भागते हुए जाकर दरवाजा खोल दी सामने दरवाजे पर रघु को खड़ा देखकर उसके होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,, और रघु भी दरवाजे पर कोमल को देखकर मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,)

लालाजी नहीं है क्या,,,?


नहीं वह तो बाहर गए हैं,,,( कानों में रस घोलने वाली मधुर आवाज में बोली,,, रघु तो कोमल की आवाज सुनकर ही उत्तेजित हो जाता था और ऐसा हुआ भी उसके तन बदन के तार बजने लगे,,,)

कब तक लौटेंगे,,,,


कुछ कहकर नहीं गए हैं लेकिन जल्दी नहीं लौटेंगे वो किसी दूसरे गांव गए हैं,,,।
(कोमल की बातें सुनकर रघु की आंखों में चमक आने लगी,,, कोमल की खूबसूरती को वह पहले ही देख चुका था,,, उसके बदन के कटाव को उसकी बनावट की मुरत पहले ही उसके मन में बस चुकी थी,,, रघु कोमल को गले लगाना चाहता था उसे अपनी बाहों में भर कर उससे प्यार करना चाहता था लेकिन उसे डर भी लगता था,,, कि कहीं लाला को ईस बारे में पता चल गया तो क्या होगा,,, कोमल घूंघट डाले उसी तरह से खड़ी थी,,, रघु लाला की अनुपस्थिति में उसे बातें करना चाहता था उसके मन का राज जानना चाहता था लेकिन कैसे कहे उसे पता नहीं चल रहा था इसलिए वह जानबूझकर बहाना बनाते हुए बोला,,)

अच्छा ठीक है मैं फिर आ जाऊंगा अभी चलता हूं,,,।
(कोमल उसे जाने नहीं देना चाहती थी उससे बातें करना चाहती थी,,,,,, इसलिए उसकी यह बात सुनकर उसका मन उदास हो गया मुझे ऐसे ही जाने के लिए वापस मुड़ा वैसे ही कोमल बोल पड़ी,,,)

आए हो तो पानी तो पीकर जाओ बाबूजी का तांगा चलाते हो अगर बाबूजी को पता चल गया कि तुम घर पर आए थे और मैं तुम्हें पानी भी नहीं पूछी तो वह खामखा नाराज होंगे,,,।
(कोमल की बातें सुनकर रघु के चेहरे पर खुशी के भाव झलकने लगे और वह मुस्कुरा दिया,,,)

जैसी तुम्हारी इच्छा,,,,,लेकिन घर में कोई नहीं है क्या मेरा आना ठीक होगा,,,


हां क्यों नहीं,,,, आ जाओ,,,, यहां कौन देखने वाला है,,,,
(कोमल की यह बात सुनकर रघु के तन बदन में हलचल होने लगी,,,, वो भी देखना चाहता था कि कोमल के मन में क्या है,,, इसलिए वह बिना कुछ बोले घर में प्रवेश कर गया कोमल उसे बैठने के लिए बोली बार अंदर पानी लेने के लिए चली गई,,,, रघु से जाते हुए देखता रह गया क्योंकि कसी हुई साड़ी में उसके नितंबों का उभार जानलेवा नजर आ रहा था,,, तभी अंदर से कोमल एक हाथ में पानी भरा लोटा और दूसरे हाथ में मीठे गुड़ की प्लेट लेकर आई,,, उसके हाथों में पानी के साथ गुड़ देखकर रघु औपचारिकता बस बोला,,,)

अरे इसकी क्या जरूरत थी छोटी मालकिन,,,,


छोटी मालकिन नहीं कोमल नाम है हमारा,,,,(गुड वाली प्लेट को रखो की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,रख मुस्कुराते हुए उस प्लेट में से गुड़ का एक टुकड़ा उठाकर उसे तोड़ते हुए बोला,,,)

हमारे लिए तो तुम छोटी मालकिन ही हो,,,



नहीं हमें यह नहीं पसंद की कोई हमें मालकिन कहे,,,, तुम मुझे कोमल कहकर पुकारा करो,,,।


लेकिन क्या तुम्हें कोमल कहना उचित रहेगा कोई सुन लिया तो,,,,


सुन लिया तो सुन लिया मुझे उस की बिल्कुल भी परवाह नहीं है मैं तुम्हें अपना दोस्त समझती हूं,,,,
(इस बात पर रघु के चेहरे पर मुस्कान खिलने लगी और वह खुशी-खुशी गुड़ के टुकड़े को अपने मुंह में डालकर खाते हुए दूसरे टुकड़े को कोमल की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,)

तो यह दोस्त की तरफ से मुंह मीठा करने के लिए हमारी दोस्ती की मिठाई,,,
(रघु की बात सुन तेरी कोमल हंसने लगी और मिठाई के उस टुकड़े को लेकर अपने मोतियों जैसे दांत के नीचे रखकर काट कर उसे खाने लगी,,, रघु उसकी खूबसूरती उसके मोहक रूप को देखकर एकदम से फिदा हो गया,,, वह उसे देखता ही रह गया,,,,उसे इस तरह से अपनी तरफ देखता हूं आप आकर कोमल शर्मा गई और अपनी नजरों को नीचे कर ली,,, लेकिन फिर भी रघु उसे देखता ही रह गया,,, इस बार कोमल से रहा नहीं गया और वो शरमाते हुए बोली,,)

ऐसे क्या देख रहे हो,,,?


अगर बुरा ना मानो तो बता दु कि ऐसे क्यों देख रहा हूं,,,


हम तुम्हारी बात का बुरा नहीं मानेगे,,,,


तुम बहुत खूबसूरत हो छोटी मालकिन,,,,


छोटी मालकिन,,,,!(कोमल आश्चर्य जताते हुए बोली)

मेरा मतलब है कोमल जी,,,,


कोमल जी नहीं,,,, केवल कोमल


अच्छा बाबा कोमल,,,,, लेकिन सच कह रहा हूं तुम बहुत खूबसूरत हो,,,, तुम्हारे पति तो अपने आप को बहुत खुशनसीब समझते होंगे,,, समझते क्या होंगे खुशनसीब हैं जो तुम जैसी बीवी उन्हें मिली है,,,,

( रघु की यह बात सुनकर कोमल,,, के जख्म ताजा हो गई और दूसरी तरफ देखते हुए हंसने लगी और एकाएक जोर जोर से हंसने लगी उसे हंसता हुआ देख कर रघु को अजीब लगने लगा,,,, वह हंसती जा रही थी,,,,, तभी एकाएक शांत हो गई और रघु की तरफ देखते हूए बोली,,,)


तुम भी वही समझते हो जो दूसरे लोग समझते हैं बड़े घर की बहू जरूरी नहीं है कि दुनिया की सबसे खुशनसीब बहू होगी सबसे खुशनसीब पत्नी होगी सबसे खुशनसीब बीवी होगी,,,,, बड़े घर में भी बदनसीबी जन्म लेती है,,,,



मैं कुछ समझा नहीं,,,,


समझ जाते तो जो बात तुम कहे हो वह कभी नहीं कहते,,,(कोमल दुखी मन से घर की छत को देखते हुए बोली,,)


क्या तुम इस बड़े घर में बड़े घर की बहू होने के नाते खुश नहीं हो,,,,


रहने दो रघु हमारी किस्मत ही शायद यही है,,,,(इतना कहकर कोमल खामोश हो गई और उसकी ये खामोशी रघु को भाले की नोक की तरह चुभने लगी,,, वह कोमल से सारी बातें सुनना चाहता था इसलिए बोला,,,)


कोमल तुमने मुझे अपना दोस्त माना है और एक दोस्त से अपने मन की बात कह देनी चाहिए,,, मुझे बताओ कोमल क्या तुम खुश नहीं हो,,,।


एक औरत के लिए खुशी क्या होती है रघु,,, इसके मायने भी शायद मैं भूल चुकी हूं,,,,, एक औरत के लिए सबसे बड़ी खुशी होती है उसका पति जोर ऊससे प्यार करें ढेर सारा प्यार करें उसके सुख दुख का ख्याल रखें,,, एक औरत के लिए खुशनसीबी होती है उसका ससुराल उसका घर जहां पर उसे सम्मान मिले प्यार मिले,,, बाप के रूप में ससुर और मां का रूप में सांस मिले,,,। लेकिन मेरे नसीब में तो कुछ भी नहीं ना पति का प्यार ना ससुर का स्नेह और सास तो मेरी किस्मत में ही नहीं,,,
(कोमल की बातें सुनकर रघु एकदम हैरान था,,,)

तो क्या तुम्हें तुम्हारे पति का प्यार नहीं मिलता,,,,।


प्यार,,,,, वो जब हमारे पास रहते ही नहीं है तो प्यार कैसे मिलेगा,,,,


मैं कुछ समझा नहीं,,,


शादी के बाद बड़ी मुश्किल से 1 साल तक ही वह हमारे साथ है उसके बाद कहां चले गए आज तक ना मुझे पता है ना ससुर जी को,,,


क्या कह रही हो कोमल क्या लाला जी ने भी अपने बेटे को खोजने की दरकार नहीं लिए,,,,।

खोजने की उन्हें तो अपने बेटे की पड़ी ही नहीं है,,,, उल्टा उनकी गंदी नजर मुझ पर हैं,,,
(कमल की बात सुनकर रघु बुरी तरह से चौक गया,, उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ तो वह फिर से बोला,,,)

क्या कही तुमने,,,


वही जो तुम सुन रहे हो,,,,


मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कोमल,,,,


मुझे तो अभी तक यकीन नहीं हो पा रहा है,,,, कि मेरे ससुर जी इतने गंदे इंसान होंगे,,,,(कोमल दुखी मन से बोली)


तुम्हारे ससुर जी गंदे इंसान हैं यह तो मुझे मालूम था लेकिन अपने ही घर में गंदी नजर रखेंगे यह मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था,,,


तुम्हें कैसे मालूम है,,,,


मैं तो अपनी आंखों से देख चुका हूं कोमल,,, ,,,


अपनी आंखों से,,,,,, क्या देख चुके हो,,,,(कोमल उत्सुकता वश बोली,,, और रघु उसकी आंखों में अपने ससुर के गंदे कारनामे को जानने की उत्सुकता साफ नजर आ रही थी और यही मौका भी था रघु के पास उसके मन को बहकाने के लिए,,,, वैसे भी अब तक वह यह बात अच्छी तरह से जान चुका था कि औरत को सहारा की जरूरत होती है खास करके तब जब घर से उसे प्यार नहीं मिलता और ऐसे में थोड़ा सा भी सहारा देने का मतलब था कि उसे पूरी तरह से अपनी बना लेना,,,, और रघु कोमल को भी अपना बना लेना चाहता था क्योंकि वह समझ चुका था कि बरसों से उसे पति का प्यार,,, शरीर सुख नहीं मिला है,,,,,, इसलिए रघु कोमल को पूरी तरह से अपनी बातों के जादू में लपेट लेना चाहता था अपनी तरफ आकर्षित कर लेना चाहता था ताकि जो सुख उसे उसका पति ना दे सका वह सुख उसे वह दे सके,,,)

बहुत कुछ देख चुका हूं कोमल,,,, तुम्हारे ससुर बहुत ही गंदे इंसान हैं,,,, उनका राज में जान चुका हूं तभी तो उन्होंने मुझे तांगा चलाने की नौकरी दे दी है और मुझे कुछ ज्यादा बोलते भी नहीं है,,,,
(कोमल की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी रघु की बात सुनकर वह बोली,,,)

ऐसा क्या देख लिया तुमने की ससुर को तुम्हें नौकरी देनी पड़ी,,,,


मैं जो देखा हूं वह तुम्हें बताने लायक नहीं है,,,, रहने दो कोमल,,,


नहीं नहीं मुझे सुनना है में भी तो सुनु मेरे ससुर कितने गंदे इंसान हैं इंसान के रूप में हैवान है,,,।
( कोमल की बात सुनकर रघु समझ गया कि कोमल सब को सुनना चाहती है भले ही वह बात कितनी भी गंदी हो और उसकी वही उत्सुकता रघु के लिए उस तक पहुंचने का रास्ता बनने वाला था,,, रघु भी अपनी बातों को नमक नीचे लगाकर बताने में माहिर था,,, लेकिन फिर भी वह जानबूझकर ना नुकुर करते हुए बोला,,,)


रहने दो कोमल तुम एक औरत हो और औरत को ईस‌तरह की गंदी बातें नहीं सुनना चाहिए,,,।


रघु गंदा इंसान औरत के साथ गंदा काम कर सकता है और मैं सुन भी नहीं सकती,,,,। तुम कहो मैं सुनूंगी,,,, मुझे सब कुछ सुनना है,,, ताकि मैं अपने आपको अपने ससुर की गंदी नजरों से बचा सकूं,,,,


मैं तुम्हें सब कुछ बताता हूं लेकिन क्या तुम्हारे ससुर भी तुम्हारे साथ भी,,,,


नहीं नहीं रघु,,, हमने अभी तक अपने ससुर को अपने बदन को छूने तक नहीं दीया है,,, लेकिन तू गंदी नजरों से मुझे डर लगने लगा है वह मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं आखिरकार मैं एक औरत हूं कब तक अपने आप को एक मजबूत हाथों से बचा सकती हूं,,,,
(कोमल की बातें सुनकर रघु के मन में सुकून महसूस होने लगा उसे इस बात की तसल्ली हो गई थी उसके ससुर ने अभी तक उसके साथ गंदा काम नहीं कर पाया है,,,वह मन ही मन खुश था लेकिन अपनी खुशी को अपने चेहरे पर जाहिर नहीं होने देना चाहता था इसलिए वह बोला)


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो कोमल मैं हूं ना,,,, मैं तुम्हारी इज्जत पर आंच भी नहीं आने दूंगा,,,
(रघु कि इस तरह की सांत्वना भरी बातें सुनकर कोमल का मन प्रसन्न हो गया,,,, और वह बोली,,,)

चलो कोई तो है जो मेरी चिंता करता है और मेरी रक्षा करने के लिए तैयार है,,,, मैं तुमसे बहुत खुश हूं रघु,,, तुम बहुत अच्छे लड़के हो,,,


और तुम भी बहुत अच्छी हो,,,,
(रघु उसकी खूबसूरती में खोता चला जा रहा था,,, कोमल अब रघु से पर्दा नहीं की थी और अच्छे से रघु को कोमल का खूबसूरत चेहरा नजर आ रहा था,,,, रघु उसे एकटक देखता ही रह गया,,, तो कोमल बोली,,,)

देखते ही रहोगे या बताओगे भी कि हमारे ससुर को कौन सा गंदा काम करते देखे हो,,,,
(कोमल की उत्सुकता देखकर रघु भी कहां पीछे रहने वाला था वह नमक मिर्च लगाकर अपनी बात को सुनाना शुरू किया,,,)


वैसे तो तुम्हारे ससुर को जो गंदा काम करते मैंने देखा है वह तुम्हें बताना तो नहीं चाहिए था लेकिन एक दोस्त होने के नाते मैं तुम्हें बता रहा हूं,,,।
Behtareen update
 

Devang

Member
160
187
43
रघु अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था और कोमल रघु के साथ होने की वजह से खुश थी उसे रघु का साथ अच्छा लगने लगा था,,,,, और भाई यह जाने के लिए उत्सुक थी कि उसके ससुर ने ऐसा कौन सा गंदा काम कर दिया हां जो कि रघु उसे बताना नहीं चाहता था,,,, कोमल के चेहरे पर उसकी उत्सुकता साफ नजर आ रही थी,,, इस समय घर पर केवल कोमल और रघु ही थे और लाला देर से आने वाला था,,, इसलिए कोमल थोड़ा निश्चित थी,,,रघु अपनी बातों को नमक मिर्ची लगा कर बताना शुरू किया,,,।

कोमल अब तुमसे क्या कहूं कि मैंने उस दिन क्या देखा था दोपहर का समय था मैं और रामु दोनों बगीचे में घूम रहे थे,,, और वो भी लाला के आम के बगीचे में ही,,, क्योंकि हम दोनों को आम खाना था,,,। अच्छा तुम कभी गई हो अपने आम के बगीचे पर,,,।


नहीं तो मैं तो कभी नहीं गई और मुझे वहां लेकर कौन जाएगा जब से आई हूं तब से इस घर की चारदीवारी में कैद हूं,,,(कोमल उदास मन से बोली)

कोई बात नहीं मैं तुम्हें घुमा दूंगा,,,,अच्छा तुम्हें बता रहा था कि हम दोनों को आम खाना था और अच्छे आम तुम्हारे बगीचे में ही मिलते हैं,,,(रघु कोमल की दोनों चूचियों की तरफ देखते हुए बोला जो कि ब्लाउज में कैद थे,, पहले तो कोमल को सब कुछ सामान्य सा लगा लेकिन उसकी बात का मतलब और उसकी नजरों को देख कर उसे समझ में आ गया और वह शर्म से पानी पानी होने लगी,,,) हम दोनों दोपहर के समय तुम्हारे बगीचे में पहुंच गए तुम्हारे आम तोड़ने के लिए,,,(इस बार भी रघु आम वाली बात कोमल की चूचियों को देखते हुए बोला,,,,, रघु की दो अर्थ वाली बात कोमल के तन बदन में आग लगा रही थी,,,)

फिर क्या हुआ,,,,? (कोमल उत्सुकता दर्शाते हुए बोली,,)

फिर क्या बगीचे में एक घर बना हुआ है जो कि बाहर से थोड़ा खंडहर जैसा ही दिखता है लेकिन काफी बड़ा है उसके बगल में एक आम का पेड़ है बहुत बड़ा,,, और उस आम के पेड़ के फल बहुत ही मीठे होते हैं इसलिए मैं उस पेड़ पर चढ़ गया मुझे ऐसा लगा था कि बगीचे में कोई नहीं होगा,,, और मैं निश्चिंत होकर पेड़ पर चढ़ने लगा,,,, मैं थोड़ा ऊंचाई तक चढ गया जहां से उस घर की खिड़की नजर आती थी,,,, मैंने ऐसे ही उस खिड़की के अंदर झांकने की कोशिश किया पहले तो कुछ नजर नहीं आया लेकिन ध्यान से देखने पर जो नजारा मेरी आंखों ने देखा मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,.।


ऐसा क्या देख लिया तुमने,,,,?


कैसे कहूं तुमसे कहने में शर्म आती है,,,(रघु जानबूझकर शर्मा का बहाना करते हुए बोला,,)

हमसे क्यों शर्मा रहे हो,,, हम दोनों तो दोस्त हैं और दोस्त में शर्म नहीं होनी चाहिए,,,, मैं भी तो बिना शर्माए सब कुछ बता दि,,,


हां यह ठीक है,,, तुम मुझे दोस्त समझकर सब कुछ बता दी तो मैं भी तुम्हें दोस्त समझकर सब कुछ बता देता हूं,,,(कोमल की उत्सुकता रघु की उत्तेजना को बढ़ावा दे रही थी,,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)
मैं खिड़की में से जो देखा वह सचमुच अविश्वसनीय था मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि लाला का यह रूप भी मुझे देखने को मिलेगा,,,

कौन सा रूप,,?


एक औरत जो कि पास के ही गांव की थी वह बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसके ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम नंगी थी,,,,(रघु जानबूझकर नंगी और चूचियां जैसे अश्लील शब्दों का प्रयोग कर रहा था और इन शब्दों का प्रयोग करते समय वह कोमल के चेहरे की तरफ देख भी ले रहा था वह देखना चाहता था कि इन शब्दों को सुनकर उसके चेहरे का भाव बदलता है या नहीं लेकिन अश्लील शब्दों को सुनकर कोमल के चेहरे का भाव बदल जा रहा था खास करके रघु के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,) बिल्कुल नंगी,,, वह औरत लाला को ही देख रही थी,,, जोकि लाला अपना कुर्ता उतार रहे थे मुझे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था लेकिन जो मेरी आंखें देख रही थी वह गलत भी नहीं था सब कुछ सनातन सत्य था मैं खिड़की में से अंदर झांकता रह गया,,। लाला अपना कुर्ता उतारने के बाद धोती पहने हुए ही उस औरत के ऊपर चढ़ गए और अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पकड़कर दबाना शुरू कर दिए,,,
(रघु की चूचियां दबाने वाली बात सुनकर कोमल के कोमल अंग में थिरकन शुरू हो गई,,) मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था कि लाला ऐसा कर सकते हैं लेकिन सब कुछ सच था कुछ भी बनावट नहीं था खिड़की में से मुझे साफ दिख रहा था लाला दोनों हाथों से उस औरत की चुची पकड़ कर जोर जोर से दबा रहे थे मानो दशहरी आम को अपने हाथ में लेकर दबा रहे हो,,, और इतनी ज्यादा जोर से दबा रहे थे कि उस औरत की कराहने की आवाज मुझे बाहर सुनाई दे रही थी,,,,,, मैं तो भूल ही गया कि मैं यहां क्या करने आया हूं,,,, मैं तो बस खिड़की से अंदर का नजारा देखता ही रह गया,,,, थोड़ी देर बाद दबाने के बाद लाला बारी बारी से उस औरत की चूची को अपने मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिए,,,(कोमल अपने ससुर के बारे में इतनी गंदी बात सुनकर एकदम से सिहर उठी लेकिन जिस अंदाज में रघु उसे बता रहा था कोमल के बदन में हलचल सी हो रही थी उसकी कही बातों के बारे में वह कल्पना करने लगी थी कि कैसे उसके ससुर उस औरत के साथ रंगरेलियां मना रहे थे,,, रघु अपनी कहानी बताते समय कमल के चेहरे को बराबर पढ़ रहा था जब जब उसके मुंह से गलती से भी निकल रहे थे तब तब कोमल के चेहरे पर लालीमा छी रही थी,, रघु अपनी बात को जारी रखते हुए बोला।)
कोमल मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह औरत उन्हीं इंकार क्यों नहीं कर रही है क्योंकि उसके चेहरे से ऐसा ही लग रहा था कि लाला की हरकत से उसे बहुत दर्द हो रहा है,,,, तभी लाला खड़े हुए और अपने बदन पर से अपनी धोती को भी उतार फेंके,,, लाला उस औरत के सामने एकदम नंगा खड़े थे,,, उनका लंड जो कि कोई खास नहीं था लेकिन फिर भी खड़ा हो चुका था,,,(रघु जानबूझकर अपने होठों पर लंड शब्द लाया था,,, और लंड शब्द कहते हुए कोमल की नजरों के सामने ही तेजा में में अपनी खड़े लंड को नीचे बैठाने की कोशिश करने लगा और इसकी यह कोशिश को कोमल देख रही थी और रघु की इस तरह की हरकत पर उसके बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी थी ,,,)


क्या कह रहे हो रघु हमें तो यकीन ही नहीं हो रहा है,,,,, मेरे ससुर जी ईतने गंदे इंसान है,,,,,(कोमल आश्चर्य जताते हुए बोली)


मुझे भी यकीन नहीं होता अगर मैं यह सब अपनी आंखों से ना देखता तो,,,,, मैं तो सब कुछ देख कर हैरान हो गया था औरत बिस्तर पर लेटी हुई थी और लाला एकदम नंगा होकर उसके करीब जा रहे थे,,, और देखते-देखते उसकी दोनों टांगों को फैला कर साड़ी को उठाते हुए उसकी कमर तक कर दिए,,, कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई सच कहूं तो कोमल मैं तुमसे झूठ नहीं कहूंगा पहली बार किसी औरत को मैं कमर के नीचे नंगी देख रहा था,,,

तततत,,,,, तुम्हें कैसा लग रहा था,,,,(रघु की बातें सुनकर मदहोश होते हुए उत्तेजित स्वर में कोमल बोली,,)

मैं तुमसे झूठ नहीं कहूंगा कोमल,,,मैं तो एकदम पागल हो गया मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या देख रहा हूं जिंदगी में पहली बार में वो देख रहा था,,,,


वो,,, क्या,,,?


अरे वही जो साड़ी के अंदर होता है,,,,,(रघु बेशर्मी दिखाते हुए लेकिन थोड़ा सा घबराने का नाटक करते हुए बोला।)

बोलोगे नहीं तो पता कैसे चलेगा,,,,(कोमल रघु की तरफ देखते हुए बोली,,, रघु जानता था कि पति का प्यार ही से नहीं मिलता इसलिए उसकी बातें सुनकर वह गर्म होने लगी है,,, अरे रघु तो ऐसे ही मौके की तलाश में रहता था,,,वह, बात को घुमाते हुए बोला,,,)

अब कैसे बताऊं,,,,,,


बता दो हम तो तुम्हारे दोस्त हैं,,,,



अरे वही जो साड़ी के अंदर होता है ना,,,,, बबबब,, बुर,,,,,
( रघु जानबूझकर घबराने और हकलाने का नाटक करते हुए बोला,,, रघु के मुंह से बुर शब्द सुनकर कोमल की हालत खराब हो गई,,,शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए और हल्की मुस्कान के साथ अपने नजरों को नीचे झुका दी,, गुरु शब्द सुनकर उसके अंदर क्या प्रभाव पड़ा यह रघु अच्छी तरह से समझ गया था,,, वह समझ गया था कि कोमल प्यार के लिए तरस रही है भरपूर प्यार,,,, जो कि अब वह उसे देखा यह भी अपने अंदर ही निश्चय कर लिया था,,, बुर शब्द सुनकर कोमल कुछ बोल नहीं पाई,,,, पर रघु उसके मन की मनोमंथन को समझते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)



हां सच कह रहा हूं कोमल जिंदगी में पहली बार में किसी औरत की बुर को देख रहा था,,,,(इस बार भी ना डरे बिना हक लाए रघु कोमल के सामने बुर शब्द बोल गया,,,) मैं मदहोश हो चुका था उस औरत की दोनों टांगों के बीच का वह अंग मेरे होश उड़ा रहा था सोचो मैं इतनी दूर से देख रहा था तब मेरा यह हाल था लाला का क्या हाल हुआ होगा,,,


क्या हुआ लाला का,,,,(कोमल लोगों की बातों में इतने मजबूर हो गई कि अपने ससुर को लाला कहकर बोलने लगी,,,)

लाला तो एकदम पागल हो गए,,, लाला उस औरत की दोनों टांगों के बीच जाकर बैठ गए,,,


क्या करने के लिए,,,,


चाटने के लिए,,,,


चाटने के लिए,,,, क्या चाटने के लिए,,(कोमल आश्चर्य से बोली,)

बुर चाटने के लिए,,,,, उस औरत की बुर चाटने के लिए,,,(रघु एकदम तपाक से बोला)

क्या,,,,?


हां मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं जिस तरह से तुम्हें आश्चर्य हो रहा है मुझे भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, भला औरत की बुर कोई आदमी चाट सकता है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था,,,(रघु सब कुछ जानता था कि जानबूझकर कोमल के सामने इस तरह से अनजान बनने की कोशिश कर रहा था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि औरतों को अपनी बुर चटवाने में सबसे ज्यादा मजा आता है,,,, और ऊस मजा को प्राप्त करने के लिए औरत किसी भी हद तक चली जाती है,,, कोमल के चेहरे पर बुर चाटने वाली बात का असर एकदम साफ झलक रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी उसके मन में यही चल रहा था कि क्या वाकई में मर्द औरत की बुर चाटते हैं,,, वह तो शादीशुदा जिंदगी में भी अब तक कुंवारी ही थी तो उसे कैसे पता चलता कि औरत की बुर भी चाटी जाती है,,,)


लाना अपना मुंह उस औरत की दोनों टांगों में डालकर उसकी बुर चाटना शुरू कर दीए,,,,, लाला पागल हुए जा रहे थे,,,, वह औरतजो लाला के द्वारा चूची दबाने पर दर्द से कराह रही थी इस बार लाला की हरकत की वजह से उसके मुंह से अजीब अजीब से गर्म सिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,
(रघु की बातें और कोमल की कल्पना कमल की दोनों टांगों के बीच हालत खराब कर के रख दिया उसकी बुर गीली होती जा रही थी,,, पहली बार उसे अपनी बुर से पानी बहता हुआ महसूस हो रहा था,,, रघु की खुद की हालत खराब होती जा रही थी बार-बार वह अपने पजामे में खड़े लंड को बैठाने की कोशिश कर रहा था जोकीयह हरकत भी वह कोमल की आंखों के सामने जानबूझकर कर रहा था ताकि कोमल का ध्यान उसकी दोनों टांगों के बीच जाए और ऐसा हो भी रहा था,,,)

उस औरत की आवाज में और उसके चेहरे को देखकर साफ पता चल रहा था कि लाला की हरकत की वजह से उसे मजा आने लगा था,,, धीरे-धीरे लाला उसकी साड़ी की गांठ खोलने लगी और देखते ही देखते मेरी आंखों के सामने
ही,, ऊस औरत को उसके साड़ी के साथ-साथ उसका पेटीकोट और ब्लाउज उतार कर एकदम नंगी कर दिए,,,
पहली बार मैं अपनी आंखों से किसी औरत को संपूर्ण रूप से नंगी देख रहा था,,,, गजब का दृश्य था,,,(रघु बताते बताते इतना गरम हो गया कि गरम आंहे लेने लगा,,, प्रभु की हालत में देखकर कोमल की भी हालत खराब होने लगी,,, वह कांपते स्वर में बोली,,)

फिर क्या हुआ,,,,


फिर क्या लाला ने अपने हाथों से उस औरत की दोनों टांगे फैलाकर उसकी बुर पर ढेर सारा थूक लगाए और अपने लंड को उसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दीए,,, मैं तो देख कर हैरान हो गया लाला की कमर बड़ी तेजी से आगे पीछे हो रही थी और पलंग पर लेटी हुई उस औरत की दोनों चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर-उधर हील रही थी,,, लाला उसे बड़ी बेरहमी से चोद रहे थे... मेरी खुद की हालत खराब हो रही थी,,,
(कोमल की सांसे भारी हो चली थी,,,)

और थोड़ी ही देर में लाला उसके ऊपर गिर कर हांफने लगी,,, सच में कोमल उस दिन का दृश्य मेरे दिमाग से मिट नहीं रहा है,,,,।


लेकिन मेरे समझ में आ नहीं रहा है कि वह औरत कौन थी और वह लाला को मना क्यों नहीं कर पा रही थी,,,


यह तो मैं बताना भूल ही गया,,,,उस औरत की चुदाई करने के बाद लाला और वह औरत अपने अपने कपड़े पहनने लगे और लाला अपनी कुर्ते में से पैसे निकाल कर उसे देते हुए बोलेगी जब भी पैसे की जरूरत पड़े उसके पास चली आना,,,, लाला की बात सुनकर में सारा माजरा समझ गया क्योंकि लाला उन औरतों की मदद करते थे जिन औरतों को पैसे की जरूरत होती थी और उसके बदले में लाना उसकी चुदाई भी करते थे और बाद में पैसे भी वसूल करते थे और पैसे वसूल करने के लिए अपने पास लट्ठ पहलवान भी रखे हुए हैं,,,


बाप रे मेरे ससुर इतने गंदे हैं,,,, हमे तो डर लगता है रघु कि मेरा क्या होगा,,,,


तुम्हे कुछ नहीं होगा कोमल,,, मैं हूं ना मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा,,,,,
(कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, रघु के द्वारा कही गई उसके ससुर की कहानी कोमल के कोमल मन पर हथौड़ी बरसा रही थी उसका मन देखने लगा था उसकी दोनों टांगों के बीच की हालत खराब थी,,,, रघु से क्या कहे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,रघुवंश की प्यासी जवानी का रसपान करना चाहता था लेकिन जल्दबाजी दिखाने में उसे डर भी लग रहा था कि कहीं अगर वह नाराज हो गई तो क्या होगा क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है अभी रघु पूरी तरह से नहीं जानता था और अपनी बेवकूफी से इतनी खूबसूरत औरत को अपने हाथों से नहीं जाने देना चाहता था,,, रघु उसके साथ आज पूरा दिन बिताना चाहता था उसे बगीचा घुमाना चाहता था इसलिए उसके सामने प्रस्ताव रखते हुए बोला,,,।)

तुम चलोगी मेरे साथ बगीचा घूमने झरने में नहाने ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर बहुत मजा आएगा,,,


क्या सच में तुम हमें ले चलोगे,,,,


हां ले चलूंगा अगर तुम चलने के लिए तैयार हो तो,,,


मैं तो तैयार ही हुं,,,स्केट खाने से निकलना चाहती हूं खुली हवा में सांस लेना चाहती हूं,,,,


तो चलो फिर देर किस बात की है,,,


रुको हम अभी आते हैं,,,(इतना कहकर वह उठकर कमरे के अंदर बनी गुसल खाने की तरफ चली गई और बाहर से दरवाजा बंद कर दी,,, रघु की गरमा गरम बातें सुनकर वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसकी बुर पसीजने लगी थी इसलिए उसे जोरों की पेशाब लग गई थी और वह गुसल खाने में जाकर अपनी साड़ी उठाकर बैठकर मुतना शुरू कर दी थी,,, रघु को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह दरवाजा क्यों बंद कर दी,,,इसलिए वह दरवाजे के करीब जाकर अंदर देखने की कोशिश करने लगा लेकिन दरवाजे पर ऐसा कोई भी दरार या छेद नहीं था जिसे अंदर देखा जा सके लेकिन उसके कानों में जो आवाज गूंज रही थी उसे सुनते ही उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, गुशल खाने के अंदर से बंद दरवाजे के पीछे सीटी की आवाज आ रही थी,, जिसे सुनते ही रघु को समझते देर नहीं लगी कि कोमल मूत रही थी,,,, इस बात का एहसास से ही रघु पूरी तरह से मदहोश हो गया उसका मन कर रहा था कि दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाए और कोमल की चुदाई करदे लेकिन वह बना काम बिगाड़ना नहीं चाहता था,,,, इसलिए वह उस मधुर आवाज को सुनकर मदहोश होता हुआ दरवाजे के बाहर ही खड़ा रहा,,, लेकिन जैसे ही उसकी चूड़ियों की खनक और पायल की आवाज है उसके कानों में पड़ी वह तुरंत दूर खड़ा हो गया और थोड़ी ही देर में दरवाजा खोल कर कोमल बाहर आ गई और मुस्कुराते हुए उसके साथ बगीचा घूमने के लिए निकल गई,,।
Behtareen update
 
Top