sparmjeet786
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Komal ji nayi kahani ki subhkamnaye. Umid hai hamesha ki tarah yeh bhi garmagarm kahani hogi.मजा पहली होली का, ससुराल में
( इस कहानी के सभी पात्र वयस्क हैं और सभी चित्र इंटरनेट से लिए गए हैं यदि किसी को कोई आपत्ति हो तो टिप्पणी कर सकता है। अंडर एज सेक्स न सिर्फ इस फोरम के नियमों के खिलाफ है बल्कि वैधानिक रूप से भी निषिद्ध है , और मैं वयक्तिगत रूप से भी इसे नहीं पसंद करती।)
मुझे त्योहारों में बहुत मज़ा आता है, खास तौर से होली में.
पर कुछ चीजें त्योहारों में गड़बड़ है. जैसे, मेरे मायके में मेरी मम्मी और उनसे भी बढ़ के छोटी बहनें कह रही थीं
कि मैं अपनी पहली होली मायके में मनाऊँ. वैसे मेरी बहनों की असली दिलचस्पी तो अपने जीजा जी के साथ होली खेलने में थी.
परन्तु मेरे ससुराल के लोग कह रहे थे कि बहु की पहली होली ससुराल में हीं होनी चाहिये.
मैं बड़ी दुविधा में थी. पर त्योहारों में गड़बड़ से कई बार परेशानियां सुलझ भी जाती हैं. इस बार होली २ दिन पड़ी.
मेरी ससुराल में 17 मार्च को और मायके में 18 को.
मायके में जबर्दस्त होली होती है और वो भी दो दिन. तय हुआ कि मेरे घर से कोई आ के मुझे होली वाले दिन ले जाए और ‘ये’ होली वाले दिन सुबह पहुँच जायेंगे. मेरे मायके में तो मेरी दो छोटी बहनों नीता और रीतू के सिवाय कोई था नहीं.
मम्मी ने फिर ये प्लान बनाया कि मेरा ममेरा भाई, चुन्नू, जो 11वीं में पढ़ता था, वही होली के एक दिन पहले आ के ले जायेगा.
"चुन्नू कि चुन्नी..." मेरी ननद गीता ने छेड़ा.
वैसे बात उसकी सही थी. वह बहुत कोमल, खूब गोरा, लड़कियों की तरह शर्मीला, बस यों समझ लीजिए कि जबसे वो क्लास ८ में पहुँचा, लड़के उसके पीछे पड़े रहते थे.
यूं कहिये कि ‘नमकीन’ और हाईस्कूल में उसकी टाइटिल थी, “है शुक्र कि तू है लड़का..”, पर मैंने भी गीता को जवाब दिया,
“अरे आएगा तो खोल के देख लेना क्या है, अंदर हिम्मत हो तो...”
“हाँ, पता चल जायेगा कि... नुन्नी है या लंड”
मेरी जेठानी ने मेरा साथ दिया.
“अरे भाभी उसका तो मूंगफली जैसा होगा... उससे क्या होगा हमारा?”
मेरी बड़ी ननद ने चिढ़ाया.
“अरे मूंगफली है या केला.. ये तो पकड़ोगी तो पता चलेगा. पर मुझे अच्छी तरह मालूम है कि तुम लोगों ने मुझे ले जाने के लिये उसे बुलाने की शर्त इसीलिये रखी है कि तुम लोग उससे मज़ा लेना चाहती हो.”
हँस के मैं बोली.
“भाभी उससे मज़ा तो लोग लेना चाहते है, पर हम या कोई और ये तो होली में हीं पता चलेगा, आपको अब तक तो पता चल हीं गया होगा कि यहाँ के लोग पिछवाड़े के कितने शौक़ीन होते है?”
मेरी बड़ी ननद रानू जो शादी-शुदा थी, खूब मुँह फट्ट थी और खुल के मजाक करती थी.
बात उसकी सही थी.
मैं फ्लैश बैक में चली गई.
सुहागरात के चार-पांच दिन के अंदर हीं, मेरे पिछवाड़े की... शुरुआत तो उन्होंने दो दिन के अंदर हीं कर दी थी.