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Serious *महफिल-ए-ग़ज़ल*

क्या आपको ग़ज़लें पसंद हैं..???

  • हाॅ, बेहद पसंद हैं।

    Votes: 12 85.7%
  • हाॅ, लेकिन ज़्यादा नहीं।

    Votes: 2 14.3%

  • Total voters
    14

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,152
115,982
354
इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ।
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ।।

तू भी हीरे से बन गया पत्थर,
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ।।

तू कि यकता था बे-शुमार हुआ,
हम भी टूटें तो जा-ब-जा हो जाएँ।।

हम भी मजबूरियों का उज़्र करें,
फिर कहीं और मुब्तला हो जाएँ।।

हम अगर मंज़िलें न बन पाए,
मंज़िलों तक का रास्ता हो जाएँ।।

देर से सोच में हैं परवाने,
राख हो जाएँ या हवा हो जाएँ।।

इश्क़ भी खेल है नसीबों का,
ख़ाक हो जाएँ कीमिया हो जाएँ।।

अब के गर तू मिले तो हम तुझ से,
ऐसे लिपटें तिरी क़बा हो जाएँ।।

बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़'
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ।।

_______अहमद फ़राज़
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,152
115,982
354
अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएँ हम।
ये भी बहुत है तुझ को अगर भूल जाएँ हम।।

सहरा-ए-ज़िंदगी में कोई दूसरा न था,
सुनते रहे हैं आप ही अपनी सदाएँ हम।।

इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब,
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम।।

तू इतनी दिल-ज़दा तो न थी ऐ शब-ए-फ़िराक़,
आ तेरे रास्ते में सितारे लुटाएँ हम।।

वो लोग अब कहाँ हैं जो कहते थे कल 'फ़राज़'
हे हे ख़ुदा-न-कर्दा तुझे भी रुलाएँ हम।।

________अहमद फ़राज़
 

komaalrani

Well-Known Member
21,726
55,105
259
आज बाज़ार में पा-ब-जौला चलो

चश्म-ए-नम जान-ए-शोरीदा काफी नहीं
तोहमत-ए-इश्क़ पोशीदा काफी नहीं
आज बाज़ार में पा-ब-जौला चलो

दस्त-अफ्शां चलो, मस्त-ओ-रक़्सां चलो
खाक-बर-सर चलो, खूं-ब-दामां चलो
राह तकता है सब शहर-ए-जानां चलो

हाकिम-ए-शहर भी, मजम-ए-आम भी
तीर-ए-इल्ज़ाम भी, संग-ए-दुश्नाम भी
सुबह-ए-नाशाद भी, रोज़-ए-नाकाम भी

इनका दमसाज़ अपने सिवा कौन है
शहर-ए-जानां मे अब बा-सफा कौन है
दस्त-ए-क़ातिल के शायां रहा कौन है

रख्त-ए-दिल बांध लो दिलफिगारों चलो
फिर हमीं क़त्ल हो आयें यारों चलो

आज बाज़ार में पा-ब-जौला चलो


 

komaalrani

Well-Known Member
21,726
55,105
259
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं


हदीस-ए-यार के उनवाँ निखरने लगते हैं
तो हर हरीम में गेसू सँवरने लगते हैं


हर अजनबी हमें महरम दिखाई देता है
जो अब भी तेरी गली गली से गुज़रने लगते हैं


सबा से करते हैं ग़ुर्बत-नसीब ज़िक्र-ए-वतन
तो चश्म-ए-सुबह में आँसू उभरने लगते हैं


वो जब भी करते हैं इस नुत्क़-ओ-लब की बख़ियागरी
फ़ज़ा में और भी नग़्में बिखरने लगते हैं


दर-ए-क़फ़स पे अँधेरे की मुहर लगती है
तो "फ़ैज़" दिल में सितारे उतरने लगते हैं
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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354
आज बाज़ार में पा-ब-जौला चलो

चश्म-ए-नम जान-ए-शोरीदा काफी नहीं
तोहमत-ए-इश्क़ पोशीदा काफी नहीं
आज बाज़ार में पा-ब-जौला चलो

दस्त-अफ्शां चलो, मस्त-ओ-रक़्सां चलो
खाक-बर-सर चलो, खूं-ब-दामां चलो
राह तकता है सब शहर-ए-जानां चलो

हाकिम-ए-शहर भी, मजम-ए-आम भी
तीर-ए-इल्ज़ाम भी, संग-ए-दुश्नाम भी
सुबह-ए-नाशाद भी, रोज़-ए-नाकाम भी

इनका दमसाज़ अपने सिवा कौन है
शहर-ए-जानां मे अब बा-सफा कौन है
दस्त-ए-क़ातिल के शायां रहा कौन है

रख्त-ए-दिल बांध लो दिलफिगारों चलो
फिर हमीं क़त्ल हो आयें यारों चलो

आज बाज़ार में पा-ब-जौला चलो
Waah bahut khoob,,, :applause:
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं


हदीस-ए-यार के उनवाँ निखरने लगते हैं
तो हर हरीम में गेसू सँवरने लगते हैं


हर अजनबी हमें महरम दिखाई देता है
जो अब भी तेरी गली गली से गुज़रने लगते हैं


सबा से करते हैं ग़ुर्बत-नसीब ज़िक्र-ए-वतन
तो चश्म-ए-सुबह में आँसू उभरने लगते हैं


वो जब भी करते हैं इस नुत्क़-ओ-लब की बख़ियागरी
फ़ज़ा में और भी नग़्में बिखरने लगते हैं


दर-ए-क़फ़स पे अँधेरे की मुहर लगती है
तो "फ़ैज़" दिल में सितारे उतरने लगते हैं
Waah kya baat, bahut khoob :applause:
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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रोग ऐसे भी ग़म-ए-यार से लग जाते हैं।
दर से उठते हैं तो दीवार से लग जाते हैं।।

इश्क़ आग़ाज़ में हल्की सी ख़लिश रखता है,
बाद में सैकड़ों आज़ार से लग जाते हैं।।

पहले पहले हवस इक-आध दुकाँ खोलती है,
फिर तो बाज़ार के बाज़ार से लग जाते हैं।।

बेबसी भी कभी क़ुर्बत का सबब बनती है,
रो न पाएँ तो गले यार से लग जाते हैं।।

कतरनें ग़म की जो गलियों में उड़ी फिरती हैं,
घर में ले आओ तो अम्बार से लग जाते हैं।।

दाग़ दामन के हों दिल के हों कि चेहरे के 'फ़राज़'
कुछ निशाँ उम्र की रफ़्तार से लग जाते हैं।।

________अहमद फ़राज़
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते।
जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते।।

अंदर की फ़ज़ाओं के करिश्मे भी अजब हैं,
मेंह टूट के बरसे भी तो बादल नहीं होते।।

कुछ मुश्किलें ऐसी हैं कि आसाँ नहीं होतीं,
कुछ ऐसे मुअम्मे हैं कभी हल नहीं होते।।

शाइस्तगी-ए-ग़म के सबब आँखों के सहरा,
नमनाक तो हो जाते हैं जल-थल नहीं होते।।

कैसे ही तलातुम हों मगर क़ुल्ज़ुम-ए-जाँ में,
कुछ याद-जज़ीरे हैं कि ओझल नहीं होते।।

उश्शाक़ के मानिंद कई अहल-ए-हवस भी,
पागल तो नज़र आते हैं पागल नहीं होते।।

सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं है,
जैसे कई अशआर मुकम्मल नहीं होते।।

_________अहमद फ़राज़
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,152
115,982
354
मैं लाख कह दूँ कि आकाश हूँ ज़मीं हूँ मैं।
मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूँ मैं।।

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को,
वहाँ पे ढूँड रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं।।

मैं आइनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।।

वो ज़र्रे ज़र्रे में मौजूद है मगर मैं भी,
कहीं कहीं हूँ कहाँ हूँ कहीं नहीं हूँ मैं।।

वो इक किताब जो मंसूब तेरे नाम से है,
उसी किताब के अंदर कहीं कहीं हूँ मैं।।

सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ,
ये मेरा हुक्म है हालाँकि कुछ नहीं हूँ मैं।।

यहीं हुसैन भी गुज़रे यहीं यज़ीद भी था,
हज़ार रंग में डूबी हुई ज़मीं हूँ मैं।।

ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएँगी,
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूँ मैं।।

________राहत इंदौरी
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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मैं लाख कह दूँ कि आकाश हूँ ज़मीं हूँ मैं।
मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूँ मैं।।

अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को,
वहाँ पे ढूँड रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं।।

मैं आइनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।।

वो ज़र्रे ज़र्रे में मौजूद है मगर मैं भी,
कहीं कहीं हूँ कहाँ हूँ कहीं नहीं हूँ मैं।।

वो इक किताब जो मंसूब तेरे नाम से है,
उसी किताब के अंदर कहीं कहीं हूँ मैं।।

सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ,
ये मेरा हुक्म है हालाँकि कुछ नहीं हूँ मैं।।

यहीं हुसैन भी गुज़रे यहीं यज़ीद भी था,
हज़ार रंग में डूबी हुई ज़मीं हूँ मैं।।

ये बूढ़ी क़ब्रें तुम्हें कुछ नहीं बताएँगी,
मुझे तलाश करो दोस्तो यहीं हूँ मैं।।

________राहत इंदौरी
:adore:
 
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