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फागुन के दिन चार भाग २४
मस्ती गुड्डी की -मजे शॉपिंग के
3,33,214==
00===
फिर वो पैन्टी ले आया। गुड्डी जब तक चुन रही थी। वो धीरे से आकर बोला- “साहब। वो जो आखिरी एम॰एम॰एस॰ मिला होगा ना, वो मैंने ही भेजा है…”
मेरा माथा ठनका। तो इसका मतलब- “पान्च के बदले पचास लग जाय, बिन चोदे ना छोड़ब। चाहे जेहल होइ जाय…” वाला मेसेज इन्हीं जनाब का था।
तब तक गुड्डी ने दो थान्गनुमा पैन्टी पसन्द कर ली थी।
मैंने फिर उसे दो सेट का इशारा किया।
पैक करते हुये वो बोला- “सही चुना आपने इम्पोर्टेड है…”
“तब तो दाम बहुत होगा?” गुड्डी ने चौंक के पूछा।
“अरे रहने दीजिये आपसे पैसे कौन मांगता है? वो मेरा मतलब है आप लोग तो आयेंगी ना बस ऐड्जस्ट हो जायेगा…”
“मतलब। ऐसा कुछ नहीं है…” मैं उसे रोकते हुये बोला।
लेकिन बीच में गुड्डी बोली-
“अरे भैया आप इनसे पैसा ले लिजिये। होली के बाद जब वो आयेगी ना,.... तो आपके पास लेकर आयेंगे और फिर हम दोनों मिलकर आपकी दुकान लूट लेंगें…”
गुड्डी की कातिल अदा और मुश्कान कत्ल करने के लिये काफी थी।
जब हम बाहर निकले तो हमारे दोनों हाथ में शापिन्ग बैग और गुड्डी पर्स निकालकर पैसे गिन-गिन के रख रही थी।
गुड्डी ने जोड़कर बताया। 40% ड्रेसेज पे और 48% बिकनी टाप पे छूट, कुल मिलाकर 42% छूट। फिर नाराज होकर मेरी ओर देखकर बोली-
“तुम भी ना बेकार में इमोशनल हो जाते हो। अगर वो फ्री में दे रहा था तो ले लेते। बाद की बात किसने देखी है? कौन वो तुम्हारे ऊपर मुकदमा करता?
और फिर मान लो, तुम्हारी वो ममेरी बहन दे ही देती तो कौन सा घिस जायेगा उसका? फिर इसी बहाने जान पहचान बढ़ती है। अब आगे किसी और दुकान पे टेसुये बहाये ना तो समझ लेना। तड़पा दूंगी। बस अपने से 61-62 करते रहना। बल्की वो भी नहीं कर सकते हो। मैंने तुमसे कसम ले ली है की अपना हाथ इश्तेमाल मत करना…”
और उसके बाद जिस अदा से उसने मुश्कुराकर तिरछी नजर से मुझे देखा, मैं बस बेहोश नहीं हुआ।
उसके बाद एक बाद दूसरी दुकान। अल्लम गल्लम।
हाँ दो बातें थी। एक तो ये की पहली गलती मेरी थी।
मैंने ही तो कल शाम उसे बोला था कि उसको यहां से निकलकर शापिंग पे जाना है।
और दूसरी।
वो अपने लिये कुछ भी नहीं खरीद रही थी। मेरे बहुत जोर करने पर ही कभी कभी। एक जगह कहीं डेकोरेटिव कैन्डल्स मिल रही थी। सबसे बड़ी एक फुट की रही होगी। बस उसने वो तो खरीद ली आधी दर्जन,
9…” इन्च वाली भी,… जो ज्यादा ही मोटी थी।
साडियां,
अपनी भाभी के लिये तो मैं पहले से ही ले आया था। लेकिन मैंने उसे बता दिया कि मेरे यहां एक पहले काम करता था, उसकी बीबी आज कल रहती थी और उमर में मुझसे एक-दो साल ही बड़ी होगी। इसलिये रिश्ता वो भौजाई वाला ही जोड़ती थी, दीर्घ नितंबा, उन्नत उरोज, उम्र में भाभी से दो चार साल बड़ी होंगी और मजाक में सिर्फ खुलकर बोलना, कोई लिमिट नहीं, पति बाहर था और घर का सब काम काज उन्ही के जिम्मे, रिश्ता एकदम देवर भाभी वाला ही, जो मजाक करने में भाभी झिझकती थीं, उन्हें आगे कर देती थीं तो उनके लिए
साड़ी उसके साथ ब्लाउज़।
मस्ती गुड्डी की -मजे शॉपिंग के
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फिर वो पैन्टी ले आया। गुड्डी जब तक चुन रही थी। वो धीरे से आकर बोला- “साहब। वो जो आखिरी एम॰एम॰एस॰ मिला होगा ना, वो मैंने ही भेजा है…”
मेरा माथा ठनका। तो इसका मतलब- “पान्च के बदले पचास लग जाय, बिन चोदे ना छोड़ब। चाहे जेहल होइ जाय…” वाला मेसेज इन्हीं जनाब का था।
तब तक गुड्डी ने दो थान्गनुमा पैन्टी पसन्द कर ली थी।
मैंने फिर उसे दो सेट का इशारा किया।
पैक करते हुये वो बोला- “सही चुना आपने इम्पोर्टेड है…”
“तब तो दाम बहुत होगा?” गुड्डी ने चौंक के पूछा।
“अरे रहने दीजिये आपसे पैसे कौन मांगता है? वो मेरा मतलब है आप लोग तो आयेंगी ना बस ऐड्जस्ट हो जायेगा…”
“मतलब। ऐसा कुछ नहीं है…” मैं उसे रोकते हुये बोला।
लेकिन बीच में गुड्डी बोली-
“अरे भैया आप इनसे पैसा ले लिजिये। होली के बाद जब वो आयेगी ना,.... तो आपके पास लेकर आयेंगे और फिर हम दोनों मिलकर आपकी दुकान लूट लेंगें…”
गुड्डी की कातिल अदा और मुश्कान कत्ल करने के लिये काफी थी।
जब हम बाहर निकले तो हमारे दोनों हाथ में शापिन्ग बैग और गुड्डी पर्स निकालकर पैसे गिन-गिन के रख रही थी।
गुड्डी ने जोड़कर बताया। 40% ड्रेसेज पे और 48% बिकनी टाप पे छूट, कुल मिलाकर 42% छूट। फिर नाराज होकर मेरी ओर देखकर बोली-
“तुम भी ना बेकार में इमोशनल हो जाते हो। अगर वो फ्री में दे रहा था तो ले लेते। बाद की बात किसने देखी है? कौन वो तुम्हारे ऊपर मुकदमा करता?
और फिर मान लो, तुम्हारी वो ममेरी बहन दे ही देती तो कौन सा घिस जायेगा उसका? फिर इसी बहाने जान पहचान बढ़ती है। अब आगे किसी और दुकान पे टेसुये बहाये ना तो समझ लेना। तड़पा दूंगी। बस अपने से 61-62 करते रहना। बल्की वो भी नहीं कर सकते हो। मैंने तुमसे कसम ले ली है की अपना हाथ इश्तेमाल मत करना…”
और उसके बाद जिस अदा से उसने मुश्कुराकर तिरछी नजर से मुझे देखा, मैं बस बेहोश नहीं हुआ।
उसके बाद एक बाद दूसरी दुकान। अल्लम गल्लम।
हाँ दो बातें थी। एक तो ये की पहली गलती मेरी थी।
मैंने ही तो कल शाम उसे बोला था कि उसको यहां से निकलकर शापिंग पे जाना है।
और दूसरी।
वो अपने लिये कुछ भी नहीं खरीद रही थी। मेरे बहुत जोर करने पर ही कभी कभी। एक जगह कहीं डेकोरेटिव कैन्डल्स मिल रही थी। सबसे बड़ी एक फुट की रही होगी। बस उसने वो तो खरीद ली आधी दर्जन,
9…” इन्च वाली भी,… जो ज्यादा ही मोटी थी।
साडियां,
अपनी भाभी के लिये तो मैं पहले से ही ले आया था। लेकिन मैंने उसे बता दिया कि मेरे यहां एक पहले काम करता था, उसकी बीबी आज कल रहती थी और उमर में मुझसे एक-दो साल ही बड़ी होगी। इसलिये रिश्ता वो भौजाई वाला ही जोड़ती थी, दीर्घ नितंबा, उन्नत उरोज, उम्र में भाभी से दो चार साल बड़ी होंगी और मजाक में सिर्फ खुलकर बोलना, कोई लिमिट नहीं, पति बाहर था और घर का सब काम काज उन्ही के जिम्मे, रिश्ता एकदम देवर भाभी वाला ही, जो मजाक करने में भाभी झिझकती थीं, उन्हें आगे कर देती थीं तो उनके लिए
साड़ी उसके साथ ब्लाउज़।
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