Bhai next story BAAP or shadishuda beti ke relation per likhoGood Bye to all Dear
Love you all
Holi ki masti ka mazaaa hi alag hai. Ladkiyan jaan bush kar ladko ke beech jati hain masti karne ke liye.#UPDATE 4
मुहबोला बेटा से प्यार S1
#update4
आज होली है और सुबह से ही काफी चहल पहल थी चारो ओर।
मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों मिलकर सुबह खाने की तैयारी करने लगे पूआ पकवान बनाने लगे और मेरे दोनों बेटे उठे, मुझे और सौम्या को गले लगाए और Happy holi, बोल कर गाल चूम लिया, फिर होली खेलने के लिए बाहर जाने लगे।
बाहर काफी शोर सराभा हो रहा था कोई किसी को रंग लगा देता तो कोई बुजुर्ग आदमी उसे गाली देने लगता।
एक बुजुर्ग की आवाज आई। अरे तुम्हारी माइ के बूर चोदो तुम सभी को इधर ही रंग लगाना है।
तभी कुछ लड़के उन्हें बोलते हैं- अरे बाबा बुरा ना मानो होली है।
तभी बुजुर्ग की आवाज आती है- अरे सब रंगवा तोहरी माई के बुरिया में डाल देंगे भागता है कि नहीं साला हमारे संग होली खेलना है तुम सभी को?
मै और सौम्या ये आवाज़ सुनकर हसने लगे।
हमारे मोहल्ले के लड़के काफी बदमाश थे वह लोग किसी को छोड़ते नहीं थे नई नवेली भाभी हो या आंटी हो हर किसी को रंग लगा देते थे यहां तक की कोई आंटी अगर थोड़ी भी शरारत की तो उसकी दोनों चूची और बूर में रंग लगा दिया जाता था।
मैं तो इन शरारती लौंडो से बचकर ही रहती थी। मुझे आज भी पिछले साल की होली याद है। जब मैं इन लड़कों की बीच में फंस चुकी थी।
मुझे याद है कि मैं पूरी रंग से गीली हो चुकी थी और जब अपने घर वापस लौट रही थी तब इन लड़कों की टोली ने मुझे पकड़ लिया और मुझे रंग लगाने लगे मैं उन्हें बोल रही थी कि छोड़ दो मुझे घर जाना है पर
वह लोग बोले कि- कहां आंटी थोड़ा सा तो रंग लगाने दो? वही उसी लड़के में से कोई बोल रहा था यार आंटी तो काफी चिकनी और गोरी है इनके गाल के साथ-साथ पेट और जांघों पर भी लगा दो रंग यार।
मैं भी कहां कम थी मैं पकड़ कर उनके गालों पर रंग लगाने लगी? अभी वो लोग मेरे गालों पर रंग लगा रहे थे साथ ही साथ वह लोग मेरे पेट और गर्दन पर भी रंग लगा रहे थे उनमें से कई लोग तो मेरी चूची को भी दबा चुके थे।
एक लड़के ने शरारत की और उसने मेरी बूर को कपड़े के ऊपर से ही दबा दिया मैं काफी चटपटा गई और तुरंत उन लोगों को एक तरफ कर दी और वहां से भाग निकली।
तभी एक बुजुग बोले अरे बेटा ये तुम लोग से बच गयी।
पिछले साल में किसी तरह मैं लड़कों से अपनी जान बचाकर भाग निकली लेकिन उन लोगों ने जाते-जाते मुझे बोला ओ हमारी चिकनी आंटी अगर आप अगली होली मिलेगी तो हम पक्का आपका उद्घाटन कर ही देंगे।
बुजुर्ग फिर बोले-तुम्लोग् से तो इस मोहल्ले की कोई औरत ना बची पर ये बच गयी।
तभी एक ने बोला-ओ दादा इतनी मस्त माल हमारे मोहल्ले में हो और बच जाए यह तो हो ही नहीं सकता।
मैं तो पिछले साल की सोच सोच कर ही डर रही थी कि इस साल क्या होगा वह चार बंदे बहुत ही खतरनाक थे?
इस मोहल्ले की कई औरतों को वह लोगों ने चोद चुके थे।
तभी हम दोनों मां बेटे का खाना बनाना हो गया और सौम्या मुझे प्यार से बोली कहां खो गई थी मां सपनों में किसके साथ होली खेल रही थी?
मैं बोली कहीं नहीं चल तू अपना काम कर।
तभी बाहर से मेरे दोनों बेटे राज और आकाश होली खेल कर आए।
मै देखी कि यह दोनों पूरे लिटाये हुए थे तब मैंने इन्हें कहा अरे बेटा जाओ पहले दोनों अपने आप को साफ करो और खाना खा लो उसके बाद होली खेलना।
सौम्या उन्हे देख कर खूब हस रही थी।
मैं देखी की आकाश से ज्यादा राज लिटाया हुआ था राज को कोई बुरी तरह से पूरा अंदर तक रंग लगाया हुआ था।
तब मैंने कहा आकाश जाओ तुम रंग को साफ करो और राज बेटा तुम मेरी बाथरूम में जा और साफ कर ले।
और सौम्या से कहा- बेटा तुम खाना लगाओ मैं थोड़ा राज को देखकर आती हूं वह ज्यादा लेटाया हुआ है।
सौम्या मुझे देखने लगी तब मैं सौम्या से कहा अरे बेटा क्या हुआ तू खाना लगाना?
और मैं राज के पास चली गई। मैंने देखा राज अपने आप को पूरा साफ करने की कोशिश कर रहा था उसके पूरे अंदर तक कीचड़ भरा हुआ था।
मैं राज को पूरी तरह से नंगा किया और उसे पूरी तरह से साफ करने लगी।
राज ने कहा- मां मैं कर लूंगा।
मैंने कहा चुप कर और मुझे साफ करने दे फिर मैंने उसे पूरी तरह से साफ किया और मैं बाहर आ गई।
बाहर आई तो देखी सौम्या आकाश को खाना परोस रही थी तब मैं सौम्या से कहा कि दूसरा प्लेट भी लगा दे राज आ रहा है वह भी तैयार हो गया।
फिर हम सभी एक साथ खाना खाए और और मैं काम करने लगी
तभी मेरे पास सौम्या और आकाश आए और बोली चलना मां बाहर होली खेलने चलते हैं।
मैं बोली तुम लोग जाओ मुझे बाहर होली खेलने नहीं जाना है मैं यही ठीक हूं।
आकाश राज के पास गया और
बोला- राज चल बाहर चलते हैं होली खेलने
तब राज ने कहा- नहीं भैया मुझे होली नहीं खेलना वह लोग पूरा कीचड़ में मुझे लेटा देते हैं।
तब आकाश और सौम्या दोनों बाहर चले गए होली खेलने के लिए अब घर में सिर्फ मैं और मेरे बेटे राज ही रह गए थे।
फिर मैं बाहर की दरवाजा को बंद की और और अपने बेटे राज से कहा कि बेटा तुम्हें होली नहीं खेलना है क्या?
तब राज ने कहा नहीं मां मुझे होली नहीं खेलना वह लोग मुझे पूरा कीचड़ में लेटा देते हैं मैं यही ठीक हूं। उसकी मासूमियत को देखकर मैं बोली अच्छा मेरे राजा बेटा को होली नहीं खेलना, चल कोई बात नहीं मैं तुम्हें केवल गाल पर गुलाल लगाकर होली खेलती हूं।
मैं गुलाल को अपने हाथ में लगाइ और उसके गालो पर लगाने लगी।
राज ने भी अपने हाथ को मेरे हाथ से मिलाया और मेरे हाथ का लगा हुआ कुछ गुलाल मेरे गाल पर रगड़ने लगा।
फिर मैंने शरारत की और उसके कपड़े को उठाकर उसके पेट में रंग लगा दी।
तभी राज ने मुझे कस के पकड़ा और दीवाल से चिपकाते हुए अपने गाल को मेरे चूचियों पर रगड़ने लगा।
मैं हंसने लगी वह भी खील खिला रहा था।
हम दोनों मां बेटे एक दूसरे को देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे
तभी राज ने धीरे से अपना होंठ को मेरे होठो पर लाकर रख दिया। मैंने प्यार से उसके होंठ को अपने होंठ में दबाकर चूसने लगी।
मैं दीवार से सटी हुई थी और वह मेरे से सटा हुआ मेरे होंठ को चूस रहा था।
मैं उसके पीठ को तो कभी उसके बाल को सहला रही थी तो वही मेरे बेटे का हाथ कभी मेरे नाभि में तो कभी मेरे चूची को दबा रहा था।
मैं अब अपने बेटे के आगोश में बिल्कुल गर्म हो चुकी थी।
बाहर होली का शोर सराभा और गाली सुनाई दे रहा था तो इधर हम दोनों की केवल चुम्मा चाती की आवाज आ रही थी।
तभी राज ने मेरे साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया और धीरे से मेरी ब्लाउज का बटन खोल दिया और मैं सिर्फ ब्रा में हो गई।
उसने ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को काटना शुरु कर दिया। मेरे पूरे शरीर में बिजलीया दौड़ गई मेरे बेटे के इस तरह काटने से मैं तो पूरी तरह से सिहर उठी थी।
थोड़ी ही देर में मैंने अपने बेटे का पेंट खोल दिया जिससे उसका लोअर पूरा नीचे गिर गया और वह अब केवल चड्डी में था।
मैं उसके मोटे से लन्ड को चढी के ऊपर से ही सहला रही थी और वह मेरी होठों को चूस रहा था और मेरे स्तन को दबा रहा था।
तभी उसने मेरे ब्रा का हूक् खोल दिया और मेरे दोनों चुचिया आजाद हो गई और दोनों चुचिया को उसने अपने हाथों से पकड़ कर दबाने लगा।
मैं पूरी तरह से सीहर उठी अपने बेटे के बाल को सहला रही थी और उसे अपने चूचियों को चूसने को बोल रही थी चूस बेटा अपनी मां की चूचियों को चूस।
मैं वही दीवार से सटे खड़े हुए अपने बेटे के बाल को सहला रही थी और बेटा मेरी चूचियों को कभी चूस रहा था तो कभी काट रहा था।
थोड़ी देर में मेरे बेटा थोड़ा और नीचे गया और अपना जीभ को मेरी नाभि में डालने लगा मैं एकदम से सीहर उठी।
ऊओ बेटा आआह्ह।
फिर मेरे बेटे ने मेरे साड़ी को खोल दिया और धीरे से मेरी साया का डोरी को खींचकर खोल दिया और साया एकदम से नीचे गिर गई मैं अब केवल पैन्टी में थी कि तभी उसने पैंटी को जबान से काटा और दांत से खींच कर नीचे उतार दिया थोड़ी ही देर में मैं उसके सामने पूरी तरह से नंगी खड़ी थी।
फिर उसने अपने चड्डी को भी नीचे सरका दिया और उसका लंड एकदम से हवा में लहराने लगा मैं उसके लंड को हाथ में लेकर खड़ी थी कि वह मेरे मुंह के सामने आया और मेरे मुंह में अपना जबान डालकर चूसने लगा।
मैं उसको लन्ड को हिला रही थी और वह मेरी बूर को सहला रहा था और हम दोनों मिलकर एक दूसरे के मुंह मे जीभ डाले हुए थे। कभी वह मेरे मुंह में अपना जीभ् डालकर पेलता तो कभी मेरी जीभ को अपने मुंह में लेकर चुसता हम दोनों की यह होली काफी मजेदार हो रही थी।
फिर राज ने-अपने लंड को मेरे बूर पर सेट करने लगा मैं अपने टांग को थोड़ी सी फैला दी और दीवाल से सटे खड़े हुए उसने अपने लंड को मेरे बूर में डालने लगा,
मैं उसके बाहों में पड़ी हुई थी।
वह मुझे दीवार से सटाये खड़ा किया था और अपना लंड को एक तेज झटका के साथ मेरे बुरे में घुसा दिया आआहहह की आवाज हुई
तभी उसने मुझे अपने बाहों में पकड़े हुए अपने होंठ से मेरे होंठ को दबा दिया और फिर धीरे-धीरे वह धक्के लगाने शुरू किया ऐसे ही करते हैं वह मुझे खड़े-खड़े ही पेलने लगा और
बोलने लगा -ओह्ह्ह मां तुम्हारी कितनी मस्त बूर है मेरा तो लंड जैसे स्वर्ग में जा रहा है आआह्ह्ह मां और कभी मेरी गाल को काटता तो कभी होंठ को काटता तो कभी गार्डन को चूमता था आआह्ह मां और पेलते रहता
उसकी हर एक धक्को से मेरी चूचियां ऊपर नीचे होती।
हम दोनों मां बेटे इस चुदाई का आनंद होली में खड़े-खड़े ही ले रहे थे कि तभी
राज ने बोला- मां मैं सोफे पर बैठता हूं तुम मेरी ऊपर आ जाओ
फिर राज सोफे पर बैठ गया और मैं उसके ऊपर आ गई और लंड को अपने बुरे में ले ली। फिर मैं ऊपर से उछालना शुरू की और मेरी चूचियों को उसके मुंह में दे दी वह बड़े प्यार से मेरी चूचियों को चूस रहा था और मैं बड़े प्यार से उसके लंड को अपने भीतर ले रही थी कभी उसके माथे को चूमती तो कभी उसके बाल को सहलाती वह तो बस मेरी चूचियों को चूसते जा रहा था। मेरी बूर में उसके लंड के धक्को से काफी हलचल मच रही थी एकदम से मेरी चुत पानी पानी हो रही थी फिर उसने मेरी चूचियों को छोड़ा और मेरे मुंह को चूमते हुए बोला मां तुम सोफे पर झुक जाओ मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूं।
फिर मैं उसके ऊपर से उठी जैसे ही उठी उसके लंड गप्प् से मेरे बुर से बाहर निकली और मैं सोफे पर झुक गई वह मेरे पीछे आया और लंड को बूर में घुसा दिया मैं एकदम से सीहर उठी वह मेरे ऊपर झुक गया और मेरे गालों को काटते हुए कभी मेरे पीठ को चुमते हुए पीछे से धक्के लगना शुरू किया एकदम से धक्के लगा रहा था मैं आआआह्ह ओह्ह्ह की आवाज कर रही थी कि
तभी डोर बेल बजी पर हम दोनों मां बेटे को कोई शुद्ध नहीं रही और राज धक्के लगाता रहा और मैं उसे चुदवाती रही उसके लंड की हर एक धक्का के साथ मेरे मुंह से एक जोर की आआह्ह निकलती और वह लगातार धक्के लगाते जा रहा था।
हम दोनों चरम सीमा पर थे वह मुझे पकड़ कर मेरे गालों को चुमते हुए। चोदते जा रहा था। फिर एक आखिरी धक्का लगाया और बोला आआअह्ह्ह मां।
राज मेरे ऊपर निदाल हो गया। फिर से डोर बेल बजी।
हम दोनों मां बेटा उठै और अपने-अपने कपड़े पहनने लगे। मैं अपने कपड़े लेकर रूम में चली गई और राज यहीं पर कपड़े पहन कर डोर खोलने लगा। डोर खोलते ही सौम्या आई और बोली क्या कर रहे थे तुम दोनों इतनी देर से की डोर खोल नहीं पाए?
तभी मैं भी कपड़े पहन कर बाहर आई और बोली अरे बेटी तू तो पूरी तरह से लेटा गई है कहां इतनी होली खेली?
तभी राज यहां से निकल गया। और बाहर होली खेलने चला गया।
तभी सौम्या मेरे पास आई और बोली अरे मां तुम अभी तक क्या कर रही थी?
तब मैं बोली की क्या करूं बस सो रही थी? शायद हम दोनों में जो कुछ भी हुआ था सौम्या थोड़ा बहुत समझ रही थी।
तब सौम्या बोली अरे माँ चिंता मत कर मेरा बॉयफ्रेंड आने ही वाला है वह तो बहुत उतावला है बोल रहा था सबसे पहले तुझे ही रंग लगाएगा उसके बाद ही मुझे लगाएगा।
मैं बोली -मैं क्यों तेरे बॉयफ्रेंड से रंग लगाऊं तू लगवाओ?
तब सौम्या बोली अरे मां वह तो तेरे मालपुआ खाने के लिए बेचैन है।
आज होली है आज तो किसी को मना नहीं करते जो मालपुआ मांगते हैं उसे चखा ही दिया जाता है।
मैं बोली चल चुप कर बहुत बदमाश हो गई है।
फिर सौम्या बोली- अरे मां तुझे तो शीला चाची बुला रही थी होली खेलने के लिए चलो ना उनके घर में।
तब मैं बोली अच्छा ठीक है चलती हूं पहले तैयार तो हो जाऊं।
तब सौम्या बोली -अरे माँ यार क्यों तैयार होना है वहां तो आपकी साड़ी खोल ही दिया जाएगा?
मैं बोली क्या बकवास कर रही है मैं नहीं जाती फिर?
अरे मां मैं तो मजाक कर रही थी चलो ना ऐसे ही।
वैसे भी तो वहां लेटा ही जाओगी।
और यह राज का बच्चा कहां चला गया आज तो उसे छोडूंगी नहीं पूरा रंग लगाऊंगी मेरा लाडला भाई जो है और मेरे माँ का लाडला बेटा उसे तो रंग लगाए बिना मैं कैसे छोड़ सकती हूं?
तब मैंने कहा- अच्छा ठीक है जिसे रंग लगाना हो लगा लेना पहले चल उसके यहां चलते हैं।
मैं सब तैयारी करके अब शीला के घर जाने लगी।
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
होली की आश्लि खेल अभी बाकी है।
तो मिलते है अगले भाग मे।
Holi ki masti me sab kuchh allow hota hai.UPDATE 05मुहबोला बेटा से प्यार S1 #UPDATE 5
(होली स्पेशल)
मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों शीला के घर आ गए।
शीला का घर बहुत बड़ा था वह पुराने जमाने का था उसमें गलियारा, ओसारे भी थे और बहुत बड़ा आंगन था जिसमें पूरा कीचड़ माटी करके एकदम होली खेलने के लिए तैयार किया गया था।
यहां तो पहले से ही होली चल रही थी शीला पूरा लेटी हुई थी और उसके पति समर भी पूरे लेटाए हुए थे मेरा बेटा आकाश भी यही था और राज भी यही था।
जैसे ही मैं यहां आई वैसे ही शीला के पति समर मेरे पास आ गए और
बोले- सुनीता जी आज तो मैं आपको पूरी तरह से लगाऊंगा ऊपर भी नीचे भी और भीतर भी।
यह सुनकर वहां जो भी खड़े थे सब हंसने लगे।
मैं भी कहां चुप रहने वाली थी मैं भी उनसे कह दी हां तो आप भी तैयार रहना मैं भी आपको पूरी तरह से लगा दूंगी आज और,
देखती हूं आपका कितना भीतर तक आप लगा पाते हैं मुझे?
फिर सभी लोग हंसने लगे।
सौम्या उठी और राज के पास गई और बोली
सौम्या- राज आज तो मैं तुझे छोड़ने वाली नहीं हूं कहां बच रहा है बच्चु मुझसे?
फिर वह उसके साथ होली खेलने लगी और उसके कपड़े के भीतर ऊपर हर जगह रंग लगाने लगी।
आकाश ने मुझे चुटकी भर रंग निकाला और गाल पर लगाकर हैप्पी होली काहा। मैं भी आकाश को रंग लगाकर बोला कि हैप्पी होली बेटा और तभी शीला आई और
बोली ऐसे होली नहीं खेलते उसने पूरा रंग लिया और उसके कमर में लगाने लगी आकाश वहां छटपटाने लगा छटपटाने के साथ ही उसका लंड शीला से टच हो गया।
शीला ने शरारत की और मेरे सामने ही उसके लंड को पकड़ कर मसल दिया और हंसने लगी।
फिर थोड़ी देर में- शीला के पति मुझे मेरे गालों पर रंग लगाए। और मैं वहां से चटपटाती हुई भाग गई।
वह मेरे पीछे दौड़े और मुझे पकरने के लिए आंगन की तरफ आए मैं आंगन में भागी पर मेरा पैर फिसल गया और मैं वहीं गिर गई। फिर शीला के पति मुझे सहारा देकर उठाएं और बोले कहीं चोट तो नहीं लगी ना और मेरे कमर को दबाने लगे।
मुझे कुछ खास चोट तो नहीं लगी थी पर जहां पर गिरी थी वहां से थोड़ी सी कमर में चोट लगी थी वह दबा रहे थे तो थोड़ा आराम मिल रहा था मैं बोली कि हां थोड़ा बहुत लगा है।
वे बोले कोई बात नहीं मैं आपको दबाकर ठीक कर देता हूं।
फिर उन्होंने मेरे कमर को दबाने लगे और दबाते दबाते हुए कभी मेरे कमर को दबाते तो कभी वह मेरे नाभि के पास चले जाते हैं मैं उन्हें यह सब करते देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।
कभी कमर को दबाते तो कभी मेरे दोनों कूल्हों को दबा देते हैं फिर कभी वह मेरे नाभि में उंगली कर देते मैं उनकी यह शरारत से काफी खुश थी मजा आ रहा था।
मैंने भी कभी-कभी उनके बालों का सहला देती तो कभी उनके बालों को कस कर खींच देती जिससे उनकी आह निकल जाती। उनकी आह्ह् सुनकर मुझे हंसी आ जाती थी।
फिर वह मुझे कसकर कमर में कभी चिकोटी काट लेते तो कभी नाभि में कस कर उंगली कर देते जिससे कि मेरी आह निकल जाती।
हम दोनों को काफी मजा आ रहा था। तभी उनकी शरारत और बड़ी और वह मेरे साड़ी के अंदर हाथ डालने लगे।
मैं उन्हें कसकर धक्का दे दी और वह नीचे गिर गये मैं वहां से दौड़कर भाग गई।
जब मैं भाग कर हॉल वाले रूम के पास आई तो देखी कि मेरी बेटी सौम्या और मेरा बेटा राज दोनों मिलकर होली खेल रहे थे सौम्या राज के ऊपर चढ़ी हुई थी जिससे कि राज का लंड सौम्या के योनि से दबी हुई थी और सौम्या उसे जबरदस्ती रंग लगाने की कोशिश कर रही थी राज भी उसे हटाने का नाकामयाब कोशिश कर रहा था जिससे कि कई बार सौम्या की चूचियों को वह हाथ से लगा देता था।
इन दोनों के जुगलबंदी चलती रही कभी सौम्या उसके लंड पर बैठी रहती तो कभी राज उसके ऊपर चढ़कर उसे रंग लगाने लगता और इन दोनों मिलकर भाई-बहन खूब होली खेल रहे थे फिर मैं वहां से भागी क्योंकि यहां भी शीला के पति मेरे पीछे आ रहे थे।
मैं यहां से भाग कर ओसारे के तरफ गई तब दिखै की शीला और मेरा बेटा आकाश दोनों एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं।
आकाश ने शीला को पीछे से जबरदस्ती पकड़ा हुआ था और शीला झुकी हुई थी जिससे की शिला की गांड का भार आकाश के लंड पर था।
तभी मैं उनके सामने गई तब शीला मुझे देखकर बोली है रे सुनीता बचा अपने इस नौजवान बेटे से यह तो मेरी फाड़ ही डालेगा कितनी जबरदस्ती रंग लगा रहा है।
तब मैं बोली नहीं बेटा आकाश इसे छोड़ना मत यह बहुत उछल कूद कर रही थी कब से, अब तो पूरा रंग लगा।
तभी मैं भी उन दोनों का साथ देने के लिए गई तब शीला ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझे भी झुका दिया जिससे कि मैं
अपने बेटे आकाश के गले के पास मेरा मुंह चला गया और हम दोनों का मुंह एक दूसरे के पास आ गया ऐसा लग रहा था कि और थोड़ी हलचल होती तो हम दोनों के होंठ एक दूसरे से सट्ट जाते। तभी शीला ने एक हरकत की और मुझे खींच लिया और आकाश भी थोड़ा आगे की ओर हो गया जिससे कि हम दोनों मां बेटे का होंठ एक दूसरे से मिल गए शीला तो नीचे की ओर झुकी हुई थी और उसकी गांड मेरे बेटे के लंड से दबा हुआ था और मैं और मेरे बेटे का मुंह एक दूसरे से सटा हुआ था ।
मैं झट से अलग हुई और शीला के दोनों चूचियों को अपने बेटे के सामने ही मसल दी।
मेरा बेटा भी शीला को कसकर पकड़ लिया और अपने से सटा लिया जिससे कि अब उसका लंड शीला के गांड में जबरदस्त घुस रहा था मेरा तो मन हुआ कि अभी इसकी सलवार को फाड़ दू जिससे कि मेरा बेटे का लैंड पूरी तरह से घुस जाए।
मुझे जाने क्या हुआ और मैं शीला के सलवार पर हाथ लगा दी? मेरा जैसे ही शीला की सलवार पर हाथ लगा मैंने महसूस किया कि उसकी बूर तो खुली हुई है उसने कोई पैंटी पहनी ही नहीं थी वह सिर्फ सलवार में थी अगर सलवार गलती से भी खुल जाती तो मेरे बेटे का लंड उसकी बूर में समा जाता है।
तभी शीला मेरी चूची को दबाने लगी और मुझे गुस्सा आया और मैं उसकी सलवार को खींच दी जिससे कि उसकी बूर की जगह पर थोड़ी सी सलवार फट गई और उसकी बूर एकदम साफ नजर आने लगी।
मैं अपने बेटे के सामने यह सब देखकर काफी शर्मिंदा महसूस की और तुरंत वहां से भागने लगी।
जैसे ही मैं वहां से भागी
मैं देखी की शीला के पति मुझे ही ढूंढ रहे हैं तो मैं एक खिड़की के पास छुप गई।
वहां से मुझे शीला और आकाश साफ नजर आ रहे थे। आकाश ने शीला को छोड़ दिया था तभी शीला ने आकाश पर हमला किया और उसके लोअर को खींचकर उतार दिया जिससे कि आकाश का फनफानाता हुआ लंड एकदम से टनटना कर बाहर निकाला और शीला के मुंह के पास आ गया।
अब आकाश को गुस्सा आया और उसने शीला के गाल को धर के पूरा मिस दिया।
वह इस हमले में दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर गए और शीला के चूचियां आकाश के सीने से दब गई और उसका लंड शीला के बूर पर लगने लगी।
फिर शीला ने जोर लगाया और उसके ऊपर आ गई आकाश को नीचे कर दी और पास में पड़े कीचड़ मिट्टी को उसके छाती पर रगड़ने लगी इसी हमले में आकाश ने नीचे से ही उसकी चूची को पकड़ लिया।
तभी शीला ने कसकर उसके बालों को खींचा और उसके गाल पर एक दांत गड़ा दी।
फिर आकाश ने उसके चूचियों को कस कर खींचा और उसके होंठ को अपने होंठ में मिलाकर चूसने लगा।
अब दोनों गर्म हो चुके थे दोनों एक दूसरे के ऊपर पड़े एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और आकाश उसके दोनों चूचियों को दबा रहा था।
तभी शीला ने थोड़ी सी अपनी गांड को उठाई और हाथ को उसके लंड पर ले गई जो की पूरी तरह से टाइट थी।
शीला अपनी बूर को चौड़ा करके थोड़ी सी जगह बनाई और लंड को अपनी बूर पर सेट करके धीरे से अंदर की ओर ले ली।
आकाश उसकी चूचियों को चूस रहा था और शीला उसके लंड पर उठक बैठक कर रही थी।
फिर आकाश शीला को नीचे किया और उसके बूर में फटी सलवार की जगह से ही लंड को पेल दिया और उसे चुदाई करने लगा और धीरे-धीरे उसकी दोनों चूचियों को मसल मसल कर चूस रहा था और कभी काट रहा था तो कभी उसके होंठ पर चुमा ले रहा था।
मैं यह सदृश्य देखकर एकदम से गर्म हो रही थी कि तभी मेरे पीछे से कुछ हमला हुआ।
यह हमला था शीला के पति का जो आते ही मेरे दोनों चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबा दिए थे मैं एकदम से सीहर उठी।
शीला के पति की हमला से मै एकदम से अछामहित् थी।
उन्होंने आकर मुझसे कहा -क्या बात है सुनीता जी आप केवल देखकर मजा लोगी चलो आज सब करके मजा लेते हैं?
इधर शीला को मेरे बेटे आकाश ने पूरे जोर से चोदना शुरू किया था।
और इधर शीला के पति मुझे अपने गोद में उठकर फिर से मुझे आंगन में ले जा रहे थे जहां कोई नहीं था।
जैसे ही उन्होंने मुझे आंगन में उतारा मैं तुरंत भगाने की कोशिश की पर उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया फिर से पकड़ लिया।
आंगन में रंगों से भरा हुआ एक टब था वह पास में ही था मैंने उन्हें टब के पास ले गई और प्यार से उनके गाल को सहलाते हुए एक किस की और टब में धकेल दिया। वह बेचारे उस गिर कर रंग से नहा लिए। और मैं वहां से हंसते हुए भाग गई?
जैसे ही मैं हाल में आई मैं देखी कि वहां राज और सौम्या नहीं थे तो मुझे लगा कि यह दोनों आखिर कहां चले गए होली खेलते खेलते, तो मैं थोड़ा सा आगे बड़ी तब
मुझे ऊपर जाती सीढ़ियों के पास से कुछ आवाज आई?
मैं देखी कि सीढ़ियों के पास मेरे बेटे राज लेटा हुआ है और मेरी बेटी सौम्या उसके ऊपर चढ़ी हुई है और वह दोनों बिल्कुल नंगे हैं।
मेरा मुंहबोला बेटा मेरी सगी बेटी को चोद रहा था यह देखकर मेरी तो फिर से बूर गीली होने लगी थी एकदम से उसकी चूचियां हिल रही थी वह अभी छोटी-छोटी चूचियां थी मेरी बेटी पटना में रहकर काफी चुदक्कड़ हो गई थी जिसकी वजह से वह अपने भाई के ऊपर चढ़कर खूब मजे लेकर चुदाई कर रही थी।
राज उसके छोटे-छोटे चूचियों को अपने हाथ से धर कर दबा रहा था और सौम्या उसके ऊपर चढ़कर धीरे-धीरे हिल रही थी और आंखें बंद कर आआआह्ह कर रही थी। आज अपनी सगी बेटी की चुदाई अपने मुंहबोले बेटे से होते देखी तो फिर से मेरी बूर एकदम से पानी पानी होने लगी मैं वहां से जल्दी ही भाग गई।
मैं भाग कर जैसे ही हाल के तरफ आई की फिर से मुझे शीला के पति ने पकड़ लिया और इस बार वह मुझे गोद में उठाकर मेरी गालों को दांत से काटते हुए बोले क्यों सुनीता जी पक्की खिलाड़ी हो एकदम से मुझे चक्मा देकर भाग रही हो?
वह मुझे उठा कर ले गए और टब में खुद भी घुसे और मुझे भी
टब का पानी अधिक नहीं था हम दोनों उसमें बैठ गए वह मुझे कसकर पकड़ के अपने लंड पर बैठाये हुए थे मेरी साड़ी कमर तक उन्होंने उठा दी और पानी में बैठने की वजह से छाती तक डूब गए थे जिसकी वजह से बाहर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह मेरी साड़ी को ऊपर उठाकर अपने लंड को मेरे पैंटी के ऊपर से ही बुर को रगड़ रहे थे और बैठे हुए थे।
फिर उनकी हरकत शुरु हुई और वह मेरी चूचियों को दबाने लगे और मेरे गाल को काटने लगे।
कभी वह मेरे गाल को चूमते तो कभी गर्दन को चूमते तो कभी पीठ को चुमते तो कभी बालों को सहलाते और नीचे से लंड को मेरी बूर पर रगड़ रहे थे और एक हाथ से मेरी बूर को सहला रहे थे तो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को दबा रहे थे।
यही सब कर रहे थे कि अचानक मेरा बेटा आकाश आंगन में आ गया। हम दोनों हड़बड़ा गए और उन्होंने मुझे छोड़ दिया मैं डरकर तुरंत से वहां से उठी और निकाल कर भाग गई।
मैं बेटे के पास से जब निकल रही थी तब मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैं किसी गैर के बाहों में पड़ी हुई थी और मेरा बेटा मुझे देख लिया हालांकि वह अभी-अभी शीला की चुदाई करके आ रहा था।
शीला के पति काफी गुस्सा हुए वह एकदम गर्म जोशी में थे और ऐसा लगा कि उनके गर्म तवे पर किसी ने पानी फेंक दिया उन्होंने तुरंत मेरे बेटे को अपने पास बुलाया और आकाश के दोनों गाल पकड़ कर गुस्से से बोले अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गए वहीं क्यों नहीं रहे?
तब आकाश बोला अरे मैं तो आपको बुलाने के लिए आया था वह शीला आंटी आपको खाने के लिए बुला रही थी।
मैं वहीं खड़ी, खिड़की के पास सब देख रही थी कि तभी उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ी मैं तुरंत वहां से भाग कर अपने घर की ओर निकलने लगी कि तभी जैसे ही शीला के घर से मैं निकली और दरवाजे से बाहर जा ही रही थी कि एक सफेद बांग्ला कुर्ता पहने हुए आदमी से मैं टकरा गई वह देखने में काफी हैंडसम था काला चश्मा लगाए हुए बड़ी-बड़ी दाढ़ी रखे हुए एकदम से गोर फुले हुए गाल और मजबूत बाहो वाला मैं जैसे ही उसे टकराई उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
वह मुझे देख रहा था पर मैं उसे देख रही थी वह मुझे शायद पहचान लिया था इसलिए उसने बोला अरे आप अभी गिर जाती?
मेरा बदन गीला था सब अंग झलक रहे थे और मेरे शरीर पर कीचड़ भी लगे हुए थे जो उसके सफेद कपड़े को गंदा कर दिया था मैं उसे देखते ही काफी शर्मा गई और
मै बोली-- मैंने तो आपका कपड़ा गंदा कर दिया सॉरी तब
उसने बोला- अरे कोई बात नहीं मैं तो आपसे ही मिलने आ रहा था।
मैं एकदम से सकपका गई कि यह हैंडसम आदमी मुझसे क्यों मिलने आ रहा था यह कौन था मैं तो पहचान ही नहीं पाई?
धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए। अब मैं आपसे अगले भाग में मिलेगी अभी होली जारी है।
Shi kha next update yhi hona chahiyeBhai next story BAAP or shadishuda beti ke relation per likho
Holi ki masti me sab kuchh allow hota hai.UPDATE 05मुहबोला बेटा से प्यार S1 #UPDATE 5
(होली स्पेशल)
मैं और मेरी बेटी सौम्या दोनों शीला के घर आ गए।
शीला का घर बहुत बड़ा था वह पुराने जमाने का था उसमें गलियारा, ओसारे भी थे और बहुत बड़ा आंगन था जिसमें पूरा कीचड़ माटी करके एकदम होली खेलने के लिए तैयार किया गया था।
यहां तो पहले से ही होली चल रही थी शीला पूरा लेटी हुई थी और उसके पति समर भी पूरे लेटाए हुए थे मेरा बेटा आकाश भी यही था और राज भी यही था।
जैसे ही मैं यहां आई वैसे ही शीला के पति समर मेरे पास आ गए और
बोले- सुनीता जी आज तो मैं आपको पूरी तरह से लगाऊंगा ऊपर भी नीचे भी और भीतर भी।
यह सुनकर वहां जो भी खड़े थे सब हंसने लगे।
मैं भी कहां चुप रहने वाली थी मैं भी उनसे कह दी हां तो आप भी तैयार रहना मैं भी आपको पूरी तरह से लगा दूंगी आज और,
देखती हूं आपका कितना भीतर तक आप लगा पाते हैं मुझे?
फिर सभी लोग हंसने लगे।
सौम्या उठी और राज के पास गई और बोली
सौम्या- राज आज तो मैं तुझे छोड़ने वाली नहीं हूं कहां बच रहा है बच्चु मुझसे?
फिर वह उसके साथ होली खेलने लगी और उसके कपड़े के भीतर ऊपर हर जगह रंग लगाने लगी।
आकाश ने मुझे चुटकी भर रंग निकाला और गाल पर लगाकर हैप्पी होली काहा। मैं भी आकाश को रंग लगाकर बोला कि हैप्पी होली बेटा और तभी शीला आई और
बोली ऐसे होली नहीं खेलते उसने पूरा रंग लिया और उसके कमर में लगाने लगी आकाश वहां छटपटाने लगा छटपटाने के साथ ही उसका लंड शीला से टच हो गया।
शीला ने शरारत की और मेरे सामने ही उसके लंड को पकड़ कर मसल दिया और हंसने लगी।
फिर थोड़ी देर में- शीला के पति मुझे मेरे गालों पर रंग लगाए। और मैं वहां से चटपटाती हुई भाग गई।
वह मेरे पीछे दौड़े और मुझे पकरने के लिए आंगन की तरफ आए मैं आंगन में भागी पर मेरा पैर फिसल गया और मैं वहीं गिर गई। फिर शीला के पति मुझे सहारा देकर उठाएं और बोले कहीं चोट तो नहीं लगी ना और मेरे कमर को दबाने लगे।
मुझे कुछ खास चोट तो नहीं लगी थी पर जहां पर गिरी थी वहां से थोड़ी सी कमर में चोट लगी थी वह दबा रहे थे तो थोड़ा आराम मिल रहा था मैं बोली कि हां थोड़ा बहुत लगा है।
वे बोले कोई बात नहीं मैं आपको दबाकर ठीक कर देता हूं।
फिर उन्होंने मेरे कमर को दबाने लगे और दबाते दबाते हुए कभी मेरे कमर को दबाते तो कभी वह मेरे नाभि के पास चले जाते हैं मैं उन्हें यह सब करते देख रही थी और मुस्कुरा रही थी।
कभी कमर को दबाते तो कभी मेरे दोनों कूल्हों को दबा देते हैं फिर कभी वह मेरे नाभि में उंगली कर देते मैं उनकी यह शरारत से काफी खुश थी मजा आ रहा था।
मैंने भी कभी-कभी उनके बालों का सहला देती तो कभी उनके बालों को कस कर खींच देती जिससे उनकी आह निकल जाती। उनकी आह्ह् सुनकर मुझे हंसी आ जाती थी।
फिर वह मुझे कसकर कमर में कभी चिकोटी काट लेते तो कभी नाभि में कस कर उंगली कर देते जिससे कि मेरी आह निकल जाती।
हम दोनों को काफी मजा आ रहा था। तभी उनकी शरारत और बड़ी और वह मेरे साड़ी के अंदर हाथ डालने लगे।
मैं उन्हें कसकर धक्का दे दी और वह नीचे गिर गये मैं वहां से दौड़कर भाग गई।
जब मैं भाग कर हॉल वाले रूम के पास आई तो देखी कि मेरी बेटी सौम्या और मेरा बेटा राज दोनों मिलकर होली खेल रहे थे सौम्या राज के ऊपर चढ़ी हुई थी जिससे कि राज का लंड सौम्या के योनि से दबी हुई थी और सौम्या उसे जबरदस्ती रंग लगाने की कोशिश कर रही थी राज भी उसे हटाने का नाकामयाब कोशिश कर रहा था जिससे कि कई बार सौम्या की चूचियों को वह हाथ से लगा देता था।
इन दोनों के जुगलबंदी चलती रही कभी सौम्या उसके लंड पर बैठी रहती तो कभी राज उसके ऊपर चढ़कर उसे रंग लगाने लगता और इन दोनों मिलकर भाई-बहन खूब होली खेल रहे थे फिर मैं वहां से भागी क्योंकि यहां भी शीला के पति मेरे पीछे आ रहे थे।
मैं यहां से भाग कर ओसारे के तरफ गई तब दिखै की शीला और मेरा बेटा आकाश दोनों एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं।
आकाश ने शीला को पीछे से जबरदस्ती पकड़ा हुआ था और शीला झुकी हुई थी जिससे की शिला की गांड का भार आकाश के लंड पर था।
तभी मैं उनके सामने गई तब शीला मुझे देखकर बोली है रे सुनीता बचा अपने इस नौजवान बेटे से यह तो मेरी फाड़ ही डालेगा कितनी जबरदस्ती रंग लगा रहा है।
तब मैं बोली नहीं बेटा आकाश इसे छोड़ना मत यह बहुत उछल कूद कर रही थी कब से, अब तो पूरा रंग लगा।
तभी मैं भी उन दोनों का साथ देने के लिए गई तब शीला ने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मुझे भी झुका दिया जिससे कि मैं
अपने बेटे आकाश के गले के पास मेरा मुंह चला गया और हम दोनों का मुंह एक दूसरे के पास आ गया ऐसा लग रहा था कि और थोड़ी हलचल होती तो हम दोनों के होंठ एक दूसरे से सट्ट जाते। तभी शीला ने एक हरकत की और मुझे खींच लिया और आकाश भी थोड़ा आगे की ओर हो गया जिससे कि हम दोनों मां बेटे का होंठ एक दूसरे से मिल गए शीला तो नीचे की ओर झुकी हुई थी और उसकी गांड मेरे बेटे के लंड से दबा हुआ था और मैं और मेरे बेटे का मुंह एक दूसरे से सटा हुआ था ।
मैं झट से अलग हुई और शीला के दोनों चूचियों को अपने बेटे के सामने ही मसल दी।
मेरा बेटा भी शीला को कसकर पकड़ लिया और अपने से सटा लिया जिससे कि अब उसका लंड शीला के गांड में जबरदस्त घुस रहा था मेरा तो मन हुआ कि अभी इसकी सलवार को फाड़ दू जिससे कि मेरा बेटे का लैंड पूरी तरह से घुस जाए।
मुझे जाने क्या हुआ और मैं शीला के सलवार पर हाथ लगा दी? मेरा जैसे ही शीला की सलवार पर हाथ लगा मैंने महसूस किया कि उसकी बूर तो खुली हुई है उसने कोई पैंटी पहनी ही नहीं थी वह सिर्फ सलवार में थी अगर सलवार गलती से भी खुल जाती तो मेरे बेटे का लंड उसकी बूर में समा जाता है।
तभी शीला मेरी चूची को दबाने लगी और मुझे गुस्सा आया और मैं उसकी सलवार को खींच दी जिससे कि उसकी बूर की जगह पर थोड़ी सी सलवार फट गई और उसकी बूर एकदम साफ नजर आने लगी।
मैं अपने बेटे के सामने यह सब देखकर काफी शर्मिंदा महसूस की और तुरंत वहां से भागने लगी।
जैसे ही मैं वहां से भागी
मैं देखी की शीला के पति मुझे ही ढूंढ रहे हैं तो मैं एक खिड़की के पास छुप गई।
वहां से मुझे शीला और आकाश साफ नजर आ रहे थे। आकाश ने शीला को छोड़ दिया था तभी शीला ने आकाश पर हमला किया और उसके लोअर को खींचकर उतार दिया जिससे कि आकाश का फनफानाता हुआ लंड एकदम से टनटना कर बाहर निकाला और शीला के मुंह के पास आ गया।
अब आकाश को गुस्सा आया और उसने शीला के गाल को धर के पूरा मिस दिया।
वह इस हमले में दोनों एक दूसरे के ऊपर गिर गए और शीला के चूचियां आकाश के सीने से दब गई और उसका लंड शीला के बूर पर लगने लगी।
फिर शीला ने जोर लगाया और उसके ऊपर आ गई आकाश को नीचे कर दी और पास में पड़े कीचड़ मिट्टी को उसके छाती पर रगड़ने लगी इसी हमले में आकाश ने नीचे से ही उसकी चूची को पकड़ लिया।
तभी शीला ने कसकर उसके बालों को खींचा और उसके गाल पर एक दांत गड़ा दी।
फिर आकाश ने उसके चूचियों को कस कर खींचा और उसके होंठ को अपने होंठ में मिलाकर चूसने लगा।
अब दोनों गर्म हो चुके थे दोनों एक दूसरे के ऊपर पड़े एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और आकाश उसके दोनों चूचियों को दबा रहा था।
तभी शीला ने थोड़ी सी अपनी गांड को उठाई और हाथ को उसके लंड पर ले गई जो की पूरी तरह से टाइट थी।
शीला अपनी बूर को चौड़ा करके थोड़ी सी जगह बनाई और लंड को अपनी बूर पर सेट करके धीरे से अंदर की ओर ले ली।
आकाश उसकी चूचियों को चूस रहा था और शीला उसके लंड पर उठक बैठक कर रही थी।
फिर आकाश शीला को नीचे किया और उसके बूर में फटी सलवार की जगह से ही लंड को पेल दिया और उसे चुदाई करने लगा और धीरे-धीरे उसकी दोनों चूचियों को मसल मसल कर चूस रहा था और कभी काट रहा था तो कभी उसके होंठ पर चुमा ले रहा था।
मैं यह सदृश्य देखकर एकदम से गर्म हो रही थी कि तभी मेरे पीछे से कुछ हमला हुआ।
यह हमला था शीला के पति का जो आते ही मेरे दोनों चूचियों को अपने हाथों में लेकर दबा दिए थे मैं एकदम से सीहर उठी।
शीला के पति की हमला से मै एकदम से अछामहित् थी।
उन्होंने आकर मुझसे कहा -क्या बात है सुनीता जी आप केवल देखकर मजा लोगी चलो आज सब करके मजा लेते हैं?
इधर शीला को मेरे बेटे आकाश ने पूरे जोर से चोदना शुरू किया था।
और इधर शीला के पति मुझे अपने गोद में उठकर फिर से मुझे आंगन में ले जा रहे थे जहां कोई नहीं था।
जैसे ही उन्होंने मुझे आंगन में उतारा मैं तुरंत भगाने की कोशिश की पर उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया फिर से पकड़ लिया।
आंगन में रंगों से भरा हुआ एक टब था वह पास में ही था मैंने उन्हें टब के पास ले गई और प्यार से उनके गाल को सहलाते हुए एक किस की और टब में धकेल दिया। वह बेचारे उस गिर कर रंग से नहा लिए। और मैं वहां से हंसते हुए भाग गई?
जैसे ही मैं हाल में आई मैं देखी कि वहां राज और सौम्या नहीं थे तो मुझे लगा कि यह दोनों आखिर कहां चले गए होली खेलते खेलते, तो मैं थोड़ा सा आगे बड़ी तब
मुझे ऊपर जाती सीढ़ियों के पास से कुछ आवाज आई?
मैं देखी कि सीढ़ियों के पास मेरे बेटे राज लेटा हुआ है और मेरी बेटी सौम्या उसके ऊपर चढ़ी हुई है और वह दोनों बिल्कुल नंगे हैं।
मेरा मुंहबोला बेटा मेरी सगी बेटी को चोद रहा था यह देखकर मेरी तो फिर से बूर गीली होने लगी थी एकदम से उसकी चूचियां हिल रही थी वह अभी छोटी-छोटी चूचियां थी मेरी बेटी पटना में रहकर काफी चुदक्कड़ हो गई थी जिसकी वजह से वह अपने भाई के ऊपर चढ़कर खूब मजे लेकर चुदाई कर रही थी।
राज उसके छोटे-छोटे चूचियों को अपने हाथ से धर कर दबा रहा था और सौम्या उसके ऊपर चढ़कर धीरे-धीरे हिल रही थी और आंखें बंद कर आआआह्ह कर रही थी। आज अपनी सगी बेटी की चुदाई अपने मुंहबोले बेटे से होते देखी तो फिर से मेरी बूर एकदम से पानी पानी होने लगी मैं वहां से जल्दी ही भाग गई।
मैं भाग कर जैसे ही हाल के तरफ आई की फिर से मुझे शीला के पति ने पकड़ लिया और इस बार वह मुझे गोद में उठाकर मेरी गालों को दांत से काटते हुए बोले क्यों सुनीता जी पक्की खिलाड़ी हो एकदम से मुझे चक्मा देकर भाग रही हो?
वह मुझे उठा कर ले गए और टब में खुद भी घुसे और मुझे भी
टब का पानी अधिक नहीं था हम दोनों उसमें बैठ गए वह मुझे कसकर पकड़ के अपने लंड पर बैठाये हुए थे मेरी साड़ी कमर तक उन्होंने उठा दी और पानी में बैठने की वजह से छाती तक डूब गए थे जिसकी वजह से बाहर कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह मेरी साड़ी को ऊपर उठाकर अपने लंड को मेरे पैंटी के ऊपर से ही बुर को रगड़ रहे थे और बैठे हुए थे।
फिर उनकी हरकत शुरु हुई और वह मेरी चूचियों को दबाने लगे और मेरे गाल को काटने लगे।
कभी वह मेरे गाल को चूमते तो कभी गर्दन को चूमते तो कभी पीठ को चुमते तो कभी बालों को सहलाते और नीचे से लंड को मेरी बूर पर रगड़ रहे थे और एक हाथ से मेरी बूर को सहला रहे थे तो दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को दबा रहे थे।
यही सब कर रहे थे कि अचानक मेरा बेटा आकाश आंगन में आ गया। हम दोनों हड़बड़ा गए और उन्होंने मुझे छोड़ दिया मैं डरकर तुरंत से वहां से उठी और निकाल कर भाग गई।
मैं बेटे के पास से जब निकल रही थी तब मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हुई कि मैं किसी गैर के बाहों में पड़ी हुई थी और मेरा बेटा मुझे देख लिया हालांकि वह अभी-अभी शीला की चुदाई करके आ रहा था।
शीला के पति काफी गुस्सा हुए वह एकदम गर्म जोशी में थे और ऐसा लगा कि उनके गर्म तवे पर किसी ने पानी फेंक दिया उन्होंने तुरंत मेरे बेटे को अपने पास बुलाया और आकाश के दोनों गाल पकड़ कर गुस्से से बोले अरे बेटा तुम यहां क्यों आ गए वहीं क्यों नहीं रहे?
तब आकाश बोला अरे मैं तो आपको बुलाने के लिए आया था वह शीला आंटी आपको खाने के लिए बुला रही थी।
मैं वहीं खड़ी, खिड़की के पास सब देख रही थी कि तभी उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ी मैं तुरंत वहां से भाग कर अपने घर की ओर निकलने लगी कि तभी जैसे ही शीला के घर से मैं निकली और दरवाजे से बाहर जा ही रही थी कि एक सफेद बांग्ला कुर्ता पहने हुए आदमी से मैं टकरा गई वह देखने में काफी हैंडसम था काला चश्मा लगाए हुए बड़ी-बड़ी दाढ़ी रखे हुए एकदम से गोर फुले हुए गाल और मजबूत बाहो वाला मैं जैसे ही उसे टकराई उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
वह मुझे देख रहा था पर मैं उसे देख रही थी वह मुझे शायद पहचान लिया था इसलिए उसने बोला अरे आप अभी गिर जाती?
मेरा बदन गीला था सब अंग झलक रहे थे और मेरे शरीर पर कीचड़ भी लगे हुए थे जो उसके सफेद कपड़े को गंदा कर दिया था मैं उसे देखते ही काफी शर्मा गई और
मै बोली-- मैंने तो आपका कपड़ा गंदा कर दिया सॉरी तब
उसने बोला- अरे कोई बात नहीं मैं तो आपसे ही मिलने आ रहा था।
मैं एकदम से सकपका गई कि यह हैंडसम आदमी मुझसे क्यों मिलने आ रहा था यह कौन था मैं तो पहचान ही नहीं पाई?
धन्यवाद दोस्तों अंत तक बने रहने के लिए। अब मैं आपसे अगले भाग में मिलेगी अभी होली जारी है।
WONDERFUL STORY.UPDATE 15
मुंह बोला बेटा से प्यार। पार्ट्स 15
(सीरीज की अंतिम पार्ट:दिल्ली स्पेशल)
अब तक आपने पढ़ा की हेलो मुझे दिल्ली ले जाना चाहते थे और मैं भी जाने के लिए तैयार हो गई थी अब आगे।
आलम से मेरे रिलेशन को 3 साल से अधिक होने को हो गए थे। इन तीन साल में मैं आलम से कई बार चुद चुकी हूं।
उनकी सबसे मुझे खास बात यह लगती है कि यह मुझे बहुत ही एडवेंचरस तरीके से चोदते हैं।
जब हम लोग पटना से दिल्ली के लिए फ्लाइट में बैठे थे आलम मेरे पास ही बैठे हुए थे और कोई भी हरकत करने से चुक् नहीं रहे थे मैं उन्हें बार-बार मना कर रही थी फिर भी वह मेरे कभी स्तन को दबाते तो कभी मेरी योनि को ऊपर से ही सहला देते तो कभी मेरी नाभि में उंगली कर देते थे।
उनके साथ रहती थी तो कितना भी उनसे चुद जाऊं वह मुझे गम ही करके रखते थे।
जैसे ही हम लोग दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे वहां से तुरंत हम लोग रूम के लिए निकल गए।
आलम मुझे अपने होटल पर ले गए जहां बहुत ही आलीशान रूम मिला था हमें और बहुत ही मस्त लग रहा था वह जगह।
हम लोग जैसे ही होटल में पहुंचे आलम ने मुझे तुरंत डोर लॉक करते हैं अपनी बाहों में पकड़ लिया और पढ़ते हैं बिस्तर पर पटक दिया।
वह मेरे होठो को चूमना चालू कर दिए थे।
आलम बोले कम ऑन डार्लिंग तुम तो 3 साल के बाद भी एकदम वैसी की वैसी जवान हो और तो और खूबसूरत भी होती जा रही हो तुम्हें तो मन करता है कि बस चोदता ही रहूं।
मैं उनको रोकते हुए बोली पहले ड्रेस तो चेंज कर लो।
वह बोले कि एक ही शर्त पर चेंज करेंगे।
मैं बोली - क्या?
तब वह बोले कि पहले हम दोनों नहाएंगे उसके बाद ड्रेस चेंज करेंगे।
मैं उनकी इरादा को बाप गई थी तो फिर वह मुझे उठा लिया गोद में और सीधे बाथरूम में लेकर चले आए।
बाथरूम में आते ही झरना को चालू किया और झरना के नीचे मुझे खड़ा करके चूमना चालू कर दिए।
खड़े-खड़े ही मेरे होठों पर रस को पूरा मजा ले रहे थे वह।
कभी मेरे होठों को चूमते तो कभी मेरे गालों को तो कभी मेरे गर्दन पर चुम्मा लेकर मुझे एकदम से मदहोश कर रहे थे।
मैं खड़े-खड़े ही उनके साथ दे रही थी कभी उनके बाल को सहलाती तो कभी उनके पीठ को कुरेदति। ऐसे ही करते मैंने उनके कपड़े को उतार दिया लोअर भी नीचे से खोल दी।
बेबी मेरे साड़ी को उतार कर फिर मेरे ब्लाउज को भी उतार दिया और मेरे स्तन को काटते हुए मेरे ब्रा को ही उतार दिया और फिर मेरे स्तन को चाटने और चूमने लगे।
थोड़ी ही देर में हम दोनों के बदन से सारे कपड़े गायब हो चुके थे हम झरने के नीचे हम दोनों पूरी तरह से गीले थे और ऊपर से होंठ के रस का रसपान हो रहा था हम दोनों का।
फिर हम दोनों ने वहीं पर एक दूसरे को चूमने चाटने के बाद।
आलम खड़े-खड़े ही मेरे दोनों पैरों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसके बाद अपने लिंग को मेरे योनि में सबसे अंदर डाल दिए।
मैंने अपने पूरे बदन का भार आलम पर दे दिया उनके गले में मैं अपने हाथ डालकर उनके गले पर पड़ी हुई थी और वह मेरे नीचे से सट्टासत धक्के लगाए जा रहे थे।
फिर वह मुझे उठाए और बाथ् टब में लेकर चले गए वह खुद नीचे लेट गए और मैं उनके ऊपर बैठकर उनके लिंग पर उछल कूद करना शुरू कर दी।
थोड़ी ही देर में हम दोनों का रस निकल गया और मैं आलम के होंठ को चूसते हुए उनके शरीर पर अपना सारा भार देकर उनके गले लग गई।
हम दोनों में है और नहा कर फ्रेश हो लिए और घूमने के लिए निकल गए।
पहले दिन हम घूमने के लिए जमा मस्जिद गये।
वहां जाने के बाद मुझे काफी शांति महसूस हुई।
आलम जमा मस्जिद में भी स्थिर नहीं रहते थे वह वहां भी कभी मेरे गाल को सहलाते तो कभी मेरी नाभि को और कई बार तो मुझे किस करने की भी कोशिश किया पर मैंने मना कर दिया कि कम से कम यहां तो छोड़ दो।
फिर हम लोटस टेंपल।
उसके बाद हम वापस होटल लौट आये।
दिल्ली में आलम कुछ काम से आए हुए थे तो वह सुबह-सुबह अपने काम के लिए निकल जाते और दोपहर को वापस आते दोपहर को वापस आते ही सबसे पहले मेरी चुदाई करते फिर हम दोनों नहाते और घूमने के लिए निकल जाते थे।
घूमने जाते थे तो वहां भी छेड़खानी होती ही थी और कई कई जगह तो वह मुझे चोद भी देते थे।
एक दिन हम लोग घूमने के लिए पार्क में गए पार्क में काफी गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड एक दूसरे को किसिंग कर रहे थे तो वही यह मुझे एक कोने मे बैठाए और मेरा किस करना शुरू कर दिए।
वहां पर बैठे लोग हम दोनों को देख रहे थे।
पर वह बोले कि देखने दो ना जिनके पास नहीं है वह तो देख कर ही आनंद लेंगे ना आज उनको पूरा पोर्न ही हम लोग यहां दिखा देते हैं।
और फिर वह मुझे नीचे बैठा है और अपना लिंग को निकाल कर मेरे सर को झुका कर अपने लिंग पर दे दिया मैंने भी झट से उनके लिंग के मोटा टोपी को मुंह में ले लिया।
मैं मस्त उनके लिंग को चूस रही थी और वहां पर बाकी लोग सब देखकर मुस्कुरा रहे थे।
थोड़ी ही देर में मुझे बोले कि आओ इस पर बैठ जा मैं शर्म आ रही थी कि वह तभी मेरी साड़ी को उठा और मुझे खींचकर अपने लिंग पर बैठा लिया और मैं भी धीरे-धीरे ढके लगने लगी।
लगभग 10 15 मिनट तक वह मुझे इसी में तरफ चोदते हुए झड़ गए और फिर हम दोनों वहां से हंसते हुए निकल गए।
इसी तरह एक दिन और हम लोग लाल किला घूमने चले गए।
लाल किला में घूमते घूमते हम काफी थक चुके थे कि वह मुझे अंदर घूम रहे थे। जानते हुए अंदर में एक जगह में अंधेरा जगह दिखा।
वह मेरे हाथ को खींचते हुए वहां अंधेरे जगह के पास ले गए और मुझे स्मूच करना शुरू कर दिए।
वह मेरे होठो चूस रहे थे और मैं उनके बाहों में अपने हाथ डाले चुपचाप अपनी समूचिंग का आनंद ले रही थी उस अंधेरे वाली जगह के पास।
मुझे चुमते हुए थोड़े ही देर में वह मुझे झुका दिए और मेरी साड़ी को कमर तक उठाकर अपने लिंग को निकाला और मेरे योनि में सताक से एक बार में पेल दिया मेरे मुंह से एक जोर की आह निकल गई।
तभी बाहर से दौड़कर गार्ड अंदर आया और बोलने लगा कौन है अंदर?
हम दोनों एकदम से स्थिर खड़े हुए थे। आलम अपने लिंग को एकदम से बराबर मेरी योनि में डालें चुपचाप खड़े थे मुझे बाहों में पकड़े हुए।
मुझे अपनी योनि में लिंग डलवा कर उनके साथ चुपचाप मूर्ति बनकर खड़े होने में बड़ा आनंद आ रहा था और गार्ड हमें गौर से घूर रहा था पर हम इतने अंधेरे में थे कि दिखाई ही नहीं दे रहे थे वह चुपचाप इधर-उधर देखा और फिर से चला गया?
जैसे ही गार्ड बाहर निकाला था कि आलम ने अपने लिंग को थोड़ा सा बाहर की ओर खींचा और सत्ताक से मेरी योनि में फिर से पेल दिया।
यह प्रहार इतना तेज था कि मैं सहन नहीं कर पाई और मेरे मुंह से एक और जोरदार आह निकल गई।
गार्ड फिर भाग कर इधर आया और फिर से बोला कौन है अंदर?
हम दोनों फिर से मूर्ति बन खड़े हुए थे अबकी बार मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपनी योनि को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी आलम को भी नहीं रहा गया और वह भी मेरी गांड को पकड़े और अपने लिंग को आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
अब तक आवाज तो नहीं हो रही थी पर वह धीरे-धीरे लिंग को आगे पीछे कर रहे थे और इसमें मुझे आनंद आ रही थी और मैं चुपचाप बिना आवाज की वहां खड़ी थी कि तभी धीरे से वो अपने लिंग को पीछे खींचे और एक और जोरदार धक्का मारा अंदर और मैं फिर से एक जोर की आह निकाल दी।
इस पर गार्ड फिर से चिल्लाया और चिल्लाने के साथ ही वह हम दोनों पर टॉर्च बार दिया हम दोनों रोशनी में आते ही उनका लिंग और मेरी योनि चमक उठी वह मेरे पीछे से योनि में लिंग को प्रवेश किए हुए थे और हम दोनों खड़े थे उसका चित्र उसकी आंखों के सामने एकदम घूमने लगा उन्होंने जल्दी से अपना लिंग को खींचा और पेंट में डाली ।
मैं भी अपनी साड़ी को नीचे की और उनका हाथ पकड़ी और हम दोनों दूसरे रास्ते की और तुरंत भगाने लोग।
गार्डन में गालियां दे रहा था और हम दोनों हंसते हुए भाग रहे थे।
तो यह थे हमारे लाल किले के करमाने उसके बाद हमने कुतुब मीनार में भी ऐसा कुछ किया था और उसके बाद कई जगह पर हमने समूचिंग किया।
फिर हम अपने होटल पर आ गए और होटल में रात में तो दिल्ली का रूटीन था कि खाने के बाद एक बार चुदाई जरूर होगी।
हम दोनों ने अपने होटल के रूम में पर कोने में सेक्स कर लिए थे बाथरुम से लेकर बालकनी तक।
बालकनी में तो यह मुझे सुबह-सुबह जाने से पहले भी चोद देते थे।
मैं बालकनी में खड़े होकर सुबह-सुबह बाहर गाड़ी हो या फिर लोगों को देखती रहती थी कि तभी वह मेरे पीछे से आते और प्यार करने लगते हैं।
प्यार उनका मेरे स्तन दबाने से शुरू होता है और फिर पूरे बदन को टटोलने से फिर किस करते उसके बाद गाल को चुमते उसके बाद में मेरी होंठ पर आ जाते मैं तब तक गर्म हो जाती थी और उनके होंठ को मैं भी चूसने लगती थी और ऐसे ही करते-करते मुझे बालकनी पर ही झूका देते और मेरे साड़ी को पीछे से उठाकर पैंटी को थोड़ा सा नीचे सरका देते और अपना लिंग निकालकर मेरे योनि में पीछे से ही प्रवेश कर देते मैं चुपचाप बालकनी में अपनी मदहोश से चेहरे लेकर चुदाई का फुल आनंद लेने लगती थी कुछ लोग हमें देखते थे तो समझ जाते थे कि हम सेक्स कर रहे थे कुछ लोग बस देखकर निकल जा रहे थे।
और ऐसे ही कुछ दूर चोदते हुए झड़ जाते थे।
फिर मैं उनके लिए खाना तैयार करती और वह नहा कर आते फिर हम दोनों खाते और वह निकल जाते थे अपने काम पर और मैं दिन भर यहीं पर बैठी रह जाती है।
फिर दोपहर को आते ही मुझे जबरदस्ती खींच कर बाथरूम में नहाने के लिए ले जाते और वहीं पर मेरे साथ जम के सेक्स करते फिर हम दोनों नहा कर बाहर आते तब खाना खाते थे और फिर कहीं घूमने जाते थे अगर घूमने की जगह हमें कोई सेक्स करने लायक लगा तो वहां भी हम जमकर सेक्स करते थे और खूब इंजॉय करते थे और तब जाकर शाम को हम लोग लगभग रात के 8:00 तक घर आते थे।
आलम आज मुझसे बोले कि हमें कल वापस अब जाना है लगभग पूरा दिल्ली हम घूम चुके थे तब वह बोले कि चलो आज हम लोग छत के ऊपर सेक्स करते हैं।
और वह मुझे होटल के सबसे ऊपर छत पर ले गए जहां से नीचे देखने पर आदमी मच्छर के जैसा दिखाई दे रहा था। वहां पर भी किसी के आने का खतरा था तो वह मुझे टंकी के पीछे ले गए और वहां मुझे लेटा कर किस करना शुरू कर दिया।
फिर मेरी साड़ी को कमर तक उठा दिए और मेरी पैंटी को निकाल कर अपने हाथ में ले लिए।
फिर मेरी मालपुआ जैसी योनि को उन्होंने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया।
और चूसते हुए फिर वह ऊपर आए और अपना जीभ को मेरे मुंह में डाल दिए मैं उनके जीभ को चूसने लगी और फिर उनके होठो को चूसी और इसी तरह हम दोनों का चुदाई चला रहा कि तभी उन्होंने अपने लिंग को मेरे योनि में डालकर तुरंत चोदना शुरू कर दिए खचाखच योनि में अपने लिंग को प्रवेश करा रहे थे।
मैं पूरे जोश में सीस्कार मार रही थी और वह मेरे योनि को एकदम धज्जिया उड़ा दिए थे।
फिर मेरे योनि में ही झाड़कर मेरे ऊपर लेट गए।
हम दोनों खुले आसमान में सबसे ऊपरी मंजिला पर एक दूसरे के बाहों में लेते हुए थे।
तभी ऊपर कोई आया हम दोनों ने जल्दी से कपड़े ठीक किया और दूसरे साइड से निकले और तुरंत भाग्य नीचे।
हम दोनों रूम में जाकर खूब हंसे।
उसके बाद कल जब सुबह हुई तो हम दोनों उठे और पटना के लिए फ्लाइट लेने के लिए एयरपोर्ट पहुंच चुके थे। जब मैं एयरपोर्ट पहुंची तो वहां काफी भीड़ थी।
आलम बोले कि तुम थोड़ा यहां वेट करो मैं थोड़ी देर में आ रहा हूं।
मैं आलम का वेट करने लगी कि तभी भीड़ कुछ ज्यादा ही लगने लगी वह मेरे सामने से निकल गए मैं भीड़ को थोड़ा देखने लगी कि आखिर किसके लिए इतनी भीड़ थी।
मैं देखी कि वहां एक कोई बहुत ही हॉट बंदा कुछ भाषण की तरह दे रहा था और लोग बड़े ध्यान से उसे सुन रहे थे इंग्लिश में बड़बड़ा रहा था कुछ मीडिया वाले अपने माइक को उसके मुंह के पास एकदम तुमसे जा रहे थे।
और वह बंदा बाद कॉल था तुम शांति से उनकी हर सवालों को जवाब देता जा रहा था।
थोड़ी ही देर में वह वहां से निकाला और जैसे भीड़ को वह सब अपनी और आकर्षित कर रहा था वहां से निकाला और बड़ी से उसके लिए गाड़ी लगी थी काले शीशे वाली उसमे बैठा और निकल गया मैं तो उसके चेहरा देख ही नहीं पाई।
फिर आलम मेरे पास आए और मुझे बाहों में भरते हुए बोले क्या हुआ जान कहां खो गई हो?
मुस्कुराते हुए बोली अरे कहीं नहीं।
फिर मैं एयरपोर्ट के लिए अंदर जाने लगी तभी वहां पर एक बड़ी सी होर्डिंग दिखाई दी मुझे।
उसे पर एक फोटो लगा था जो बिल्कुल मेरे राज की तरह लग रहा था। मैंने ध्यान से देखा तो उसे पर लिखा हुआ था अंश मान सिंह।
और मेरे बेटे राज का नाम भी अंश था।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह मेरा बेटा राज ही है और आज मैं अपने बेटे राज से ही मिली थी लेकिन मेरी बुरी किस्मत की मैं उसका चेहरा भी ना देख पाई कितना हॉट हो चुका था 3 साल में वह तो काफी बदल चुका था और शायद अब तो वह बहुत बड़ा आदमी बन गया है मुझे पहचानेगा की नहीं पहचानेगा इस बात को लेकर मैं बहुत ज्यादा ही फिक्र करने लगी।
मेरे दिमाग में फिर से 3 साल पहले की उसकी मासूम चेहरा उसका मासूम दिल सब मेरे सामने आने लगा उसके साथ बिताए वह पूरे 1 साल मुझे खूब याद आने लगे।
मुझे लगा था कि राज मेरी जिंदगी से 3 साल पहले चला गया लेकिन वह तो एक बार फिर से मेरे सामने आ गया था। राज भले ही मेरा मुंहबोला बेटा था पर मैं उससे प्यार एकदम सच्चा प्रेमिका वाली करती थी।
मैं दिल्ली से पटना आते-आते पूरे सिर्फ और सिर्फ उसे आसमान से वाले कोडिंग के ही बारे में सोचती रही कि मैं राज को आज देखी पर पूरी तरह देख भी ना पाए कैसी थी मेरी किस्मत।
मैं रास्ते में आलम से एक बार भी ना बोली वह कितनी बार मुझसे बोलने की कोशिश किया और मैं तो अपने बेटे राज के बारे में ही सोचती रही।
राज अब मेरा सिर्फ मुंह बोला बेटा नहीं बल्कि इस देश का सबसे बड़ा बिजनेसमैन अंश मानसिंह बन चुका था मेरी किस्मत को मैं कोष रही थी कि क्या मेरी किस्मत है दोबारा मैं अंशुमन से मिल भी पाऊंगी या नहीं मैं अपने बेटे राज से मिल पाऊंगी या नहीं यही सोचते सोचते मैं अपने घर आ गई?
धन्यवाद अंत तक बने रहने के लिए।
नोट: (मुंहबोला बेटे से प्यार) की सीरीज को मैं 15 पाठ तक ही सीमित कर रही हूं इसके आगे अगर आप लोगों को यह सीरीज पसंद आ रही हो तो आप मुझे फिर से मेल करें मैं इसके आगे की सीरीज को किसी और नाम से फिर से लाने की पूरी कोशिश करूंगा।