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Erotica मोहे रंग दे

chodumahan

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आज ही अनुज बनारस में , कुछ अंश यहाँ

और जैसा रिस्पॉन्स होगा सुझाव होगा , उस तरह से अलग से थ्रेड में

हो सकता है इन्सेस्ट के भी एकाध प्रसंग आ जाएँ , जो मैंने पहले कभी ट्राई नहीं किये
मेरा मानना है कि इंसेस्ट सिर्फ खून के संबंधों के बीच में होता है....
जैसे चाचा भतीजी में इंसेस्ट है लेकिन चाची भतीजे में नहीं (क्योंकि इनके बीच खून का संबंध नहीं है - ये एडल्ट्री में आएगा)
मामा-भांजी में इंसेस्ट है लेकिन मामी- भांजे में नहीं..
इसी तरह मौसी-भतीजे में है लेकिन मौसा -भतीजी में नहीं...

और कई समाजों में इन लोगों के बीच शादी की मान्यता भी है..
मेरे पड़ोस में एक मामा-भांजी आपस में शादीशुदा है. और परिवार के लोगों को भी इसमें कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि उनके समाज में ये सब चलता है और सामाजिक मान्यता है...
इसी तरह कई अलग समाज में इन संबंधों को इंसेस्ट नहीं मानते और इन्हें स्वीकार करते हैं ...

बेसब्री से अनुज गुड्डो और उसकी माँ एवं अन्य के साथ के प्रसंग की प्रतीक्षा में....
वैसे तो गुड्डी की इतने प्लानिंग की एक्जीक्यूशन भी बाकी है...
 

komaalrani

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मज़ा बनारस का



यह कहानी, मेरी लम्बी कहानी या उपन्यासिका, मोहे रंग दे का एक अंग भी है, क्षेपक भी है और एकदम अलग भी है,... एक तो यह कहानी पूरी तरह से अनुज, गुड्डो और गुड्डो की मम्मी की कहानी है , अनुज के बनारस के प्रवास की कहानी है, दूसरे यह कहानी अनुज की जुबानी है, तीसरे इस कहानी में वह मुश्के नहीं बंधी है जो मैंने मोहे रंग दे पर बाँध रखी थीं, क्योंकि हर कहानी का एक मिज़ाज, एक मूड ,एक टेम्पलेट होता है तो पात्रों का विकास, भाषा, शैली भी उसी तरह की होती है,... तो इस कहानी को मैं एक अलग सूत्र के तौर पर पेश कर रही हूँ , पर पुरानी कहानी से जुड़े रहने के लिए, पूर्वाभास के तौर पर,... मोहे रंग दे में , अनुज, गुड्डो और गुड्डो की मम्मी से जुड़े हुए कुछ , मात्र कुछ , प्रसंग सभी नहीं, पेश करुँगी और उसके बाद पूरी कहानी अनुज की जुबान में , एक अलग थ्रेड में हाँ अगर किसी को पूर्वाभास में दुहराव लगे तो वो उसे स्किप भी कर सकता है,...

और क्या आने वाले है उस नए सूत्र में, गुड्डो और उस की मम्मी और अनुज के बीच,... इतना तो आप को याद होगा ही, अनुज जे इ इ के प्रीलम्स या एंट्रेंस एग्जाम के लिए बनारस गया है और गुड्डो के घर टिका है जहाँ बस गुड्डो और गुड्डो की मम्मी है,


शादी के बाद के सीन्स में वो प्रसंग भी याद होगा की कैसे अनुज की भाभी यानी मैंने अनुज का टांका गुड्डो से भिड़वाया था और उसके बाद अनुज और गुड्डो में , कुछ मस्ती , कुछ सीरियस सा भी,...

तो बस कुछ छोटे छोटे अंश नए सूत्र के , आप सब की राय की प्रतीक्षा रहेगी
 
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komaalrani

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मेरा मानना है कि इंसेस्ट सिर्फ खून के संबंधों के बीच में होता है....
जैसे चाचा भतीजी में इंसेस्ट है लेकिन चाची भतीजे में नहीं (क्योंकि इनके बीच खून का संबंध नहीं है - ये एडल्ट्री में आएगा)
मामा-भांजी में इंसेस्ट है लेकिन मामी- भांजे में नहीं..
इसी तरह मौसी-भतीजे में है लेकिन मौसा -भतीजी में नहीं...

और कई समाजों में इन लोगों के बीच शादी की मान्यता भी है..
मेरे पड़ोस में एक मामा-भांजी आपस में शादीशुदा है. और परिवार के लोगों को भी इसमें कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि उनके समाज में ये सब चलता है और सामाजिक मान्यता है...
इसी तरह कई अलग समाज में इन संबंधों को इंसेस्ट नहीं मानते और इन्हें स्वीकार करते हैं ...

बेसब्री से अनुज गुड्डो और उसकी माँ एवं अन्य के साथ के प्रसंग की प्रतीक्षा में....
वैसे तो गुड्डी की इतने प्लानिंग की एक्जीक्यूशन भी बाकी है...
आप ने एकदम सही बात की, हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा ५ में भी इस का प्राविधान है की कस्टम्स और यूसेज यानी परम्पराये और रिवाज इनकी मान्यता विधि के ऊपर होगी और वह स्थान और समाज पर निर्भर करेगा, हमारे देश के अधिंकाश भागो में मैट्रिलिनियर कजिन्स से शादी की वर्जना नहीं है बल्कि उसे कई स्थानों पर श्लाघ्य मानते हैं, पूर्वी और पश्चिमी भारत, दक्षिण में मामा या मौसी की लड़की से शादी मान्य है और इस लिए उसे इन्सेस्ट नहीं मानते, एक प्रमुख निर्देशक जिन्हे किसी परिचय का आवश्यकता नहीं, सत्यजीत राय का विवाह उनकी ममेरी बहन से ही हुआ था, प्राचीन काल में जाएँ तो अर्जुन और सुभद्रा के बीच भी ऐसा ही,...

इसका एक कारण यह है की , मातृवंश से संबंध होने के कारण गोत्र का संकट नहीं होता क्योंकि गोत्र पिता के अनुसार चलता है, ... इसलिए जहाँ मामा या मौसी की लड़की से शादी पर रुकावट नहीं है चचेरी बहन से सबंध वर्जित है.

इसका एक असर मेरी कहानियों में भी आप देख सकते है , इस कहानी में भी , गुड्डी नायक की ममेरी बहन है, न सिर्फ यहाँ बल्कि , जोरू का गुलाम, ननद की ट्रेनिंग और फागुन के दिन चार में भी,... और मेरे लेखे संबंधो की वर्जना समाप्त तो नहीं होती पर कुछ कम जरूर हो जाती है.

लेकिन ये सब मुद्दे कल्चरल और सोशल एंथ्रोपोलॉजी से जुड़े हैं,... थोड़ा बहुत विधि से और कहानी की दुनिया में तो,...

टैबू स्टोरीज का भी एक जॉनर है,... और उनमें वर्ज्य संबंध भी है, ... मेरी एक दो कहानियों में मैंने कोशिश की सभी वर्जनाओं को पार करने की सिर्फ फंतासी और कल्पना, लेकिन उसका भी एक परिवेश और माहौल होना चाहिए,... मजा लूटा ससुराल में होली का ऐसी ही कहानी थी, जिसमें सास -दामाद का भी संबंध है और भी बहुत कुछ है , इसलिए इस कहानी को मैं मूल कहानी से अलग कर एक सूत्र के रूप में पेश करुँगी, एक क्षेपक की तरह,...


दूसरी बात गुड्डी की जो सब प्लानिंग थी कम्मो के साथ, वो इसी थ्रेड में , ... लेकिन उसमें भी मैं कोशिश करुँगी किसी नए जॉनर को एक्सप्लोर करने की जसी मैंने अब तक न ट्राई किया हो
,...
 

komaalrani

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किस्सा बनारस का, ( अनुज की जुबानी )

गुड्डो की मम्मी


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" तेरे मम्मी की फुद्दी मारुं"


मैंने हाथ पीछे कर गुड्डो को कस कस के चिकोटी काट के बोला।


बहुत भीड़ थी, एकदम कसमकस, कंधे से कन्धा छिला जा रहा था, गुड्डो मेरे पीछे एकदम सटी चिपकी और भीड़ का फायदा उठा के मुझे खूब छेड़ रही थी, कभी अपने छोटे छोटे बूब्स मेरी पीठ में रगड़ देती तो कभी कस के मेरे पिछवाड़े कस के चिकोटी काट लेती। कान में जीभ डाल के अभी बोल रही थी, मम्मी पास में दूकान में गयी हैं,"

" तो मार लेना न, मैं क्यों मना करुँगी, और उन्होंने ही कौन सा ताला डाल रखा है, बल्कि मेरे सामने ही मारना, अगर हिम्मत है तो. " खिलखिलाती हुयी वो बोली और अबकी कस के कमर में गुदगुदी लगा दी.



अभी अभी एक्जाम खतम हुआ था, जे इ इ का स्क्रीनिंग टेस्ट था , और मैं हॉल से निकला थी. ओएमआर शीट की कॉपी हाथ में लिए, और गेट पर ही कोचिंग वाले मिल गए, कोचिंग के लड़के लड़कियों की शीट चेक कर के बता रहे थे कितना % मार्क्स आने के चांस हैं,... मेरी कोचिंग की ही दो लड़कियां थी मेरे आगे, और उन की शीट वो चेक कर रहे थे, मुझे इशारे से वेट करने के लिए बोल दिया, एक के उन्होंने बताया ६८ % वो तो मारे ख़ुशी से निहाल, अपनी साथ वाली लड़की को उसने कस के गले लगा लिया पर मीठी मीठी निगाह से मुझे देख रही थी, दूसरी वाली का भी ६४. ५ % था। पिछले साल में क्वालिफाइंग ५८ % आया था तो कोचिंग वालों का मानना की ६२ % के बाद इस बार भी क्वालिफाइंग मार्क्स हो जाएंगे और वैसे भी पेपर इस साल बहुत टफ़ थे.



धक्कामुक्की करके मैंने अपनी ओएमआर शीट उनके हवाले की, और मेरी धड़कन रुकी हुयी थी, उसने एक बार चेक किया, फिर मेरी ओर देखा और फिर दुबारा मेरी शीट पर, अबकी एक एक क्वेशन को रुक रुक कर के, और बीच बीच में मुझे देखते,... मेरी हामेरी लत खराब, वो दोनों लड़कियां मुझे देख रही थीं, और जब उन्होंने चेकिंग खतम की, तबतक बाकी लड़के अपनी अपनी शीट लेकर, चेक करने के बाद उन्होंने शीट स्कैन करके व्हाटसएप किया और मुझे परेशान देख के मुस्कराते बोले, अरे तेरा ७७. ५ है, लास्ट इयर का ऑल इण्डिया हाईएस्ट ७९ था, घंटे भर बाद कोचिंग में जे ई ई के ही मॉडल रिजल्ट आ जाएंगे, थोड़ी देर बाद आके एक बार वहां भी चेक करा लेना, ७५ के ऊपर वालों के लिए हम लोगो ने एक सरप्राइज अवार्ड रखा है, आ जाना।"


वो लड़की जिस की ६८ थी, मेरी ओर जबरदस्त मुस्कान के साथ देख के बोली, अनुज यार,... और भी दोस्त वही दोस्तों वाले अंदाज में , तब तक पीठ पर जोर से मेरे एक दोस्त का मुक्का पड़ा,

" स्साले, बहनचोद, भोंसड़ी के तुमने तो पूरा पेल दिया,... "


" अबे , आधा तीहा पेलने में क्या मज़ा, मैं तो पूरा ही पेलता हूँ, ... " उसकी ओर मुड़ते हुए मैं बोला तो नजर मेरी पड़ी, भाभी, गुड्डो की मम्मी पर,

और एक मिनट के लिए, घर में उनके सामने तो अबे तबे , साले भी नहीं,...

लेकिन भाभी जबरदस्त मुस्करा रही थीं, मेरी बात उन्होंने अच्छी तरह सुन ली थी खूब और आज एकदम हॉट हॉट लग रही थी, हॉट तो वैसे ही थीं लेकिन इस समय तो एकदम ही, लाल लाल साडी खूब कसी कसी , नाभि दर्शना आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट, नितम्बों पर बस टिकी हुयी, चोली भी खूब डीप लो कट, गोरे गोरे बड़े बड़े कड़े कड़े तने उभार चोली फाड़ के बाहर आ रहे थे,

मुझसे पूछा उन्होंने पेपर कैसा हुआ,

लेकिन जवाब में मेरे एक कोचिंग के दोस्त ने दिया,

" अरे अच्छा , ... स्साले ने पूरा फाड़ दिया, फाड़ के चौड़ा कर दिया है, ... "
 
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komaalrani

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एक्जाम का टेंशन और गुड्डो की मम्मी

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" भाभी, कुछ समझ में नहीं आ रहा है. सर भन्ना रहा है, लग रहा है सब भूल गया हूँ, इत्ते दिनों की मेहनत,... बहुत परेशानी लग रही है "

" लाला, सो जाओ थोड़ी देर, इत्ते दिन से तो रात रात भर जग के, ... ठीक हो जाएगा " मेरे गाल सहलाते हुए दुलार से वो बोलीं।

" नहीं, भाभी, दो घंटों से कोशिश कर रहा था, नींद भी नहीं आ रही है, बस सर भन्ना रहा है, कुछ समझ में नहीं आ रहा है " मैंने उनके सीने पर अपने सर को रखे रखे अपनी परेशानी बतायी। मैं बस मुंह उठा के उनकी ओर देख रहा था.

वो भी थोड़ी देर मेरी ओर देखती रहीं, फिर मेरे पास से उठीं, और वहीँ पास में एक चटाई बिछाई फिर गुड्डो को आवाज लायी।

मेरी परेशान चेहरे को देख वो भी समझ गयी कुछ सीरियस है,...

भाभी ने गुड्डो को कुछ समझाया, और थोड़ी देर में गुड्डो तेल की एक बोतल, और एक छोटी सी कटोरी में कोई तेल हल्का गर्म कर के, ...

भाभी ने गुड्डो के जाते ही दरवाजा बंद किया, मेरी बनयाईन खींच कर उतारी, अपनी साड़ी भी उतारी, वो सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट , ... लेकिन मेरे ऊपर कुछ असर नहीं हो रहा था, उनको ब्लाउज पेटीकोट में देख कर. तबतक मेरी नेकर उन्होंने खींच कर उतार दिया और अपनी साड़ी लुंगी की तरह मेरे चारों ओर लपेट दिया, और मुझे पेट के बल चटाई पर लेटा दिया, और वो कटोरी वाला तेल मेरे पैर के तलुवें में,….



…......and ...after some more ,.....and....



भाभी ने अब ; उसको,.. मुझको लग रहा था शायद वो सुपाड़ा खोलेंगी, लेकिन उन्होंने चमड़े को पकड़ के उसका मुंह एकदम बंद कर दिया और कटोरी का बचा खुचा तेल,जैसे उसे नहला रही हों, तेल से एकदम चपाचप, बहुत अच्छा लग रहा जब तेल धीरे धीरे सरकता, सोखता, बूँद बूँद उस खड़े तने,... पर से एकदम नीचे तक, बस भाभी ने एक हाथ की मुट्ठी में, मुश्किल से उनकी भी मुट्ठी आ पा रहा था, लेकिन उन्होंने मुठीयाना नहीं शुरू किया, बस थोड़ी देर तक मुट्ठी हलके हलके खोलती बंद करती रहीं, फिर दो उँगलियों की टिप से मेरे उसके बेस पर हलके हलके, फिर कस के दबाना शुरू किया,... बहुत अच्छा लग रहा था, पूरी देह ढीली हो रही थी, तेल से इतना चिकना हो गया था की, बस हलके हलके सरकाते हुए अपनी मुट्ठी से उन्होंने मुठियाना शुरू किया, पहले हलके हलके , फिर जोर जोर से , उनके हाथ का टच बहुत अच्छा लग रहा था,



पूरा टेंशन एकदम जैसे घुल के उनके हाथों में जा रहा था , लेकिन वो वैसे का वैसे ही कड़ा, अब भाभी ने स्टाइल बदली,

जैसे कोई जवान ग्वालन दोनों हाथों से मथनी चलाये, दही बिलोडे, बस उसी तरह, दोनों हाथों के बीच उस मोटे मोटे चर्मदण्ड को, चार पांच मिनट तक बिना रुके,...

फिर वो रुक गयीं, उस मथानी को उन्होंने छोड़ दिया , एक हाथ मेरी बॉल्स को हलके हलके टच कर रहा था , कभी मुट्ठी में लेकर उसे वो हलके से दबा देतीं, तो कभी बस सहलाती रहतीं, और उनका दूसरी हथेली, अब मुट्ठी से तो उन्होंने ' उसे' छोड़ दिया था लेकिन उनकी चार उँगलियाँ बस हलके हलके कभी मेरे शिश्न को छू के रगड़ देतीं , कभी बस टैप कर देतीं, जैसे कोई कुशल सितार वादिका सितार के तारों को छेड़ रही हो,


अचानक उन्होंने डबल अटैक शुरू कर दिया, जो हाथ मेरे बॉल्स पकडे था वो अब उसे कस कस के सहला रहा था और उनकी तर्जनी मेरे पिछवाड़े की दरार भी सहला रही थी,... और दूसरे हाथ से वो जोर जोर से मुठियाने लगीं, बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन अभी भी नहीं लग रहा था की मैं किनारे पर पहुंचूंगा।



अब उन्होंने अपने दोनों हाथों से कटोरी में बचे खुचे तेल को निकाल के अपने उभारों पर लगा के, दोनों खूब कड़े कड़े बड़े बड़े उभारों के बीच मेरे चर्म दंड को लेकर , जोर जोर से, और पहले झटके में ही मेरा मोटा सुपाड़ा खुल गया. लेकिन वो अपने दोनों जोबन के बीच मेरे लंड को लेकर मसलती रगड़ती रहीं, फिर साथ साथ अपनी जीभ की टिप से कभी मेरे पी होल, वाले पेशाब के छेद को छू कर हटा लेतीं, तो कभी बार बार उस पेशाब के छेद में अपनी जीभ की टिप को ठेलने की कोशिश करतीं,



मेरी हालत ख़राब हो रही थी, उनकी जीभ, मेरे मोटे सुपाड़े पर बार बार अब सपड़ सपड़ , और गप्प से उन्होंने पूरा सुपाड़ा मुंह में भर लिया और लगी पूरी ताकत से चूसने,
 

komaalrani

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एक्जाम के बाद


आलमोस्ट खुला मैदान, कुछ पुराने पेड़ , और दो मकानों के बीच एक संकरी सी जगह थी , गली भी नहीं, बस हम दोनों का हाथ पकड़ के भाभी करीब करीब खींचते हुए उस दरार सी जगह से ले गयीं, करीब दो तीन सौ मीटर हम लोग ऐसे ही चले, फिर एक एकदम खुले मैदान में हम तीनों, कुछ भी नहीं था, बस कुछ टूटी दीवालें , ढेर सारे पेड़ थोड़े दूर दूर, और एक दो पेड़ों के नीचे कुछ साधू गांजे का दम लगाते, लेकिन एकदम अलग ढंग के, बहुत पुराने बाल जटा जूट से , भभूत लपेटे,... और जब वो चिलम खींचते तो आग की लपट ऊपर तक उठती,


भाभी ने हम दोनों को इशारे से बताया की हम उधर न देखें, और हम दोनों का हाथ पकडे पकडे, एक टूटी बहुत पुरानी दीवाल के सहारे, दीवाल में जगह जगह पेड़ उगे हुए थे, ईंटे गिर रहे थे,



भाभी ने एक बार पीछे मुड़ कर देखा, तो सूरज बस अस्तांचल की ओर , एक पीले आग के गोले की तरह, आसमान एकदम साफ़,



हम दोनों भाभी का हाथ पकडे पकडे,... और जहाँ वो दीवाल ख़तम हो रही थी, कुछ बहुत पुराने खडंहर, बरगद के पाकुड़ के पेड़ , पेड़ों के खोटर , और जैसे ही हम खंडहर में घुसे,... ढेर सारे चमगादड़, ... उड़ गए, गुड्डो डर के मुझसे चिपक गयी.



लेकिन भाभी मेरा हाथ पकड़ के करीब खींचते हुए, गुड्डो मुझसे चिपकी दुबकी, आलमोस्ट अँधेरा और चमगादड़ों के फड़फाड़ने की जोर जोर आवाज, और उसी खंडहर की एक टूटी दीवार, और वो भी एक पेड़ की ओट में, दीवार में जैसे कोई ईंटों के ढहने से दो ढाई फीट का एक छेद सा बन गया था, नीचे दो ढाई फीट ईंटे थे उसके बाद वो टूटा हिस्सा, और उसके पीछे भी कोई बड़ा पेड़,



भाभी ने मुझे इशारा किया और गुड्डो को हाथ में उठा के आलमोस्ट कूद के उस टूटी जगह से मैं और पीछे पीछे भाभी,... गुड्डो मेरी गोद में चढ़ी दुबकी, कस के चिपकी,...



एक बार फिर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और उस पेड़ के पीछे,.... अब जैसे हम किसी पुराने खंडहर के आंगन में पहुँच गए थे, एकदम सन्नाटा, शाम अब गहरा रही थी , और भाभी ने चारो ओर देखा, एक ओर उन्हे पीली सी रौशनी आती दिखी,... रौशनी कहीं दूर से आ रही थी झिलमिल झिलमिल,..



और एक सरसराती हुयी ठंडी हवा पता नहीं किधर से आ रही थी, चारो ओर एक चुप्पी सी छायी थी, बस वही हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी,



गुड्डो का डर अब ख़तम हो चुका था, वो मेरे सामने खड़ी मुझे देख रही थी, मुस्कराते और अचानक उसने मुझे अपनी बांहों में दुबका लिया और उसके होंठ मेरे होंठों पर चिपक गए, मुझे भी एक अलग ढंग का अहसास हो रहा था अच्छा अच्छा , कोमल सा मीठा।



तभी मैंने देखा, भाभी आंगन के दूसरे किनारे से जहाँ से वो झिलमिल झिलमिल रोशनी आ रही थी, वहीं खड़ी इशारे से हम दोनों को बुला रही थीं,...



वह पीली रोशनी एक ताखे में रखे बड़े से कडुवे तेल के दीये से आ रही थी और लग रहा था जैसे जमाने से इसी ताखे में वो दीया जल रहा हो. उसकी कालिख से पूरा ताखा काला हो गया था। और उस ताखे के बगल में एक खूब बड़ा सा पुराना दरवाजा बंद था, उसमें लेकिन कोई सांकल नहीं थी, एक चौड़ी सी चौखट और खूब ऊँची, फीट . डेढ़ फीट ऊँची, दरवाजे के चारो ओर लगता है लकड़ी के चौखटों पर किसी जमाने में चांदी का काम रहा होगा लेकिन अब सब धुंधला गया था। दरवाजे के ऊपर कुछ मिथुन आकृतियां बनी थीं, और दरवाजे के दोनों ओर लगता है चांदी के रहे होंगे या चांदी मढ़े नाग नागिन का जोड़ा, ...
 

chodumahan

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किस्सा बनारस का, ( अनुज की जुबानी )

गुड्डो की मम्मी


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" तेरे मम्मी की फुद्दी मारुं"


मैंने हाथ पीछे कर गुड्डो को कस कस के चिकोटी काट के बोला।


बहुत भीड़ थी, एकदम कसमकस, कंधे से कन्धा छिला जा रहा था, गुड्डो मेरे पीछे एकदम सटी चिपकी और भीड़ का फायदा उठा के मुझे खूब छेड़ रही थी, कभी अपने छोटे छोटे बूब्स मेरी पीठ में रगड़ देती तो कभी कस के मेरे पिछवाड़े कस के चिकोटी काट लेती। कान में जीभ डाल के अभी बोल रही थी, मम्मी पास में दूकान में गयी हैं,"

" तो मार लेना न, मैं क्यों मना करुँगी, और उन्होंने ही कौन सा ताला डाल रखा है, बल्कि मेरे सामने ही मारना, अगर हिम्मत है तो. " खिलखिलाती हुयी वो बोली और अबकी कस के कमर में गुदगुदी लगा दी.



अभी अभी एक्जाम खतम हुआ था, जे इ इ का स्क्रीनिंग टेस्ट था , और मैं हॉल से निकला थी. ओएमआर शीट की कॉपी हाथ में लिए, और गेट पर ही कोचिंग वाले मिल गए, कोचिंग के लड़के लड़कियों की शीट चेक कर के बता रहे थे कितना % मार्क्स आने के चांस हैं,... मेरी कोचिंग की ही दो लड़कियां थी मेरे आगे, और उन की शीट वो चेक कर रहे थे, मुझे इशारे से वेट करने के लिए बोल दिया, एक के उन्होंने बताया ६८ % वो तो मारे ख़ुशी से निहाल, अपनी साथ वाली लड़की को उसने कस के गले लगा लिया पर मीठी मीठी निगाह से मुझे देख रही थी, दूसरी वाली का भी ६४. ५ % था। पिछले साल में क्वालिफाइंग ५८ % आया था तो कोचिंग वालों का मानना की ६२ % के बाद इस बार भी क्वालिफाइंग मार्क्स हो जाएंगे और वैसे भी पेपर इस साल बहुत टफ़ थे.



धक्कामुक्की करके मैंने अपनी ओएमआर शीट उनके हवाले की, और मेरी धड़कन रुकी हुयी थी, उसने एक बार चेक किया, फिर मेरी ओर देखा और फिर दुबारा मेरी शीट पर, अबकी एक एक क्वेशन को रुक रुक कर के, और बीच बीच में मुझे देखते,... मेरी हामेरी लत खराब, वो दोनों लड़कियां मुझे देख रही थीं, और जब उन्होंने चेकिंग खतम की, तबतक बाकी लड़के अपनी अपनी शीट लेकर, चेक करने के बाद उन्होंने शीट स्कैन करके व्हाटसएप किया और मुझे परेशान देख के मुस्कराते बोले, अरे तेरा ७७. ५ है, लास्ट इयर का ऑल इण्डिया हाईएस्ट ७९ था, घंटे भर बाद कोचिंग में जे ई ई के ही मॉडल रिजल्ट आ जाएंगे, थोड़ी देर बाद आके एक बार वहां भी चेक करा लेना, ७५ के ऊपर वालों के लिए हम लोगो ने एक सरप्राइज अवार्ड रखा है, आ जाना।"


वो लड़की जिस की ६८ थी, मेरी ओर जबरदस्त मुस्कान के साथ देख के बोली, अनुज यार,... और भी दोस्त वही दोस्तों वाले अंदाज में , तब तक पीठ पर जोर से मेरे एक दोस्त का मुक्का पड़ा,

" स्साले, बहनचोद, भोंसड़ी के तुमने तो पूरा पेल दिया,... "


" अबे , आधा तीहा पेलने में क्या मज़ा, मैं तो पूरा ही पेलता हूँ, ... " उसकी ओर मुड़ते हुए मैं बोला तो नजर मेरी पड़ी, भाभी, गुड्डो की मम्मी पर,

और एक मिनट के लिए, घर में उनके सामने तो अबे तबे , साले भी नहीं,...

लेकिन भाभी जबरदस्त मुस्करा रही थीं, मेरी बात उन्होंने अच्छी तरह सुन ली थी खूब और आज एकदम हॉट हॉट लग रही थी, हॉट तो वैसे ही थीं लेकिन इस समय तो एकदम ही, लाल लाल साडी खूब कसी कसी , नाभि दर्शना आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट, नितम्बों पर बस टिकी हुयी, चोली भी खूब डीप लो कट, गोरे गोरे बड़े बड़े कड़े कड़े तने उभार चोली फाड़ के बाहर आ रहे थे,

मुझसे पूछा उन्होंने पेपर कैसा हुआ,

लेकिन जवाब में मेरे एक कोचिंग के दोस्त ने दिया,

" अरे अच्छा , ... स्साले ने पूरा फाड़ दिया, फाड़ के चौड़ा कर दिया है, ... "
ट्रेलर या अंश हीं इतना शानदार है कि पूरी सीरिज तो कमाल की होगी...

और सचमुच आपने तो इतने में भी पूरा फाड़ कर रख दिया है...
 

jhonmilton

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ट्रेलर से ही पिक्चर के शानदार होने की खबर आ गयी है... अब बस पिक्चर का इंतजार है ।
 

komaalrani

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bahut khub kitne dino baad aapki lekhan ko pada maja aa gya
Thanks so much
 
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