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Fantasy रहस्यमयी टापू MAZIC Adventure (Completed)

Hero tera

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भाग (१२)

सभी लोग बकबक बौने को ढ़ूढ़ते हुए बहुत बुरी तरह थक चुके थे, तभी राजकुमार सुवर्ण ने कहा___
चलिए, पहले अच्छी सी जगह ढ़ूढ़ कर थोड़ी देर विश्राम करते हैं, इसके बाद बकबक बौने को ढूंढते हैं, सबने राजकुमार सुवर्ण की बात पर सहमति जताई और एक अच्छी सी झरने वाली जगह खोजकर कुछ खाने पीने का इंतजाम कर खा-पीकर विश्राम करने लगे, थोड़ी देर विश्राम करने के बाद सुवर्ण को महसूस हुआ कि उसके कंधे पर आकर कुछ चुभा हैं,जब तक वो कुछ समझता इसके बाद शरीर के और भी अंगों पर कुछ सुई के सामान आकार वाली चीजें आकर चुभने लगी।।
जैसे ही वो चीजें सुवर्ण को आकर चुभती ,सुवर्ण दर्द से कराह उठता, उसने सबको आवाज देकर जगाया पर ये क्या? वो तो सभी को आकर चुभने लगीं, कोई कुछ समझ ही नहीं पा रहा था।।
तभी अघोरनाथ जी उस दिशा में गए,जिस दिशा से वो सुई के आकार वाली चीजें आ रहीं थीं, उन्होंने देखा कि एक बौना अपने धनुष से एक साथ पांच पांच तीर अधाधुंध छोड़े जा रहा है, अघोरनाथ जी चुपके-चुपके से उस बौने के पीछे गए और अपनी बांहों में उसे दबोच लिया।।
अब वो बौना छूटने के लिए कसमसाने लगा, चीखने लगा कि मुझे छोड़ दो.... मुझे छोड़ दो।।
तभी अघोरनाथ जी बोले__
पहले ये बताओ कि तुम कौन हो और हम सब पर तीर क्यो छोड़ रहे थे?
क्यो बताऊं कि मैं कौन हूं,जाओ नहीं बताता कि मैं कौन हूं,जो करना है कर लो,उस बौने ने कहा।।
तब तक सब उस बौने के पास पहुंच गए, अघोरनाथ जी ने पुनः पूछा कि बताओ तुम कौन हो? लेकिन उस बौने ने मुंह नहीं खोला।।
तब सुवर्ण उस बौने को पेड़ की लताओं के सहारे बांधकर बोला जब तक तुम नहीं बताते कि तुम कौन हो,हम तुम्हें कहीं नहीं जाने देंगे।।
तभी नीलकमल बोली तो अब क्या करें? किस दिशा में जाए? विश्राम भी नहीं हुआ,वन की देवी शाकंभरी ने तो यहीं जगह बताई थी कि बकबक बौना यहीं मिलेगा,हमलोगों ने तो इस जगह के हर कोने में खोज लिया लेकिन बकबक बौना कहीं नहीं मिला।।
उस बौने ने ये सब सुना और बोला तुम लोग शाकंभरी को कैसे जानते हो?
सुवर्ण बोला, तुमसे मतलब!!
हां.. हां.. वो तो मेरी मित्र हैं, बौना बोला।।
मतलब क्या है? तुम्हारा, सुवर्ण ने पूछा।।
मतलब वो मेरी मित्र हैं, मैं उसे जानता हूं, बौने ने कहा।।
कहीं तुम ही तो बकबक बौने नहीं हो, सुवर्ण ने फिर पूछा।।
हां.. मैं ही बकबक बौना हूं,तुमलोग मुझे कैसे जानते हो? उस बौने ने पूछा।।
अरे, तुम ही बकबक हो, तुम्हारे बारे में हमें वनदेवी शाकंभरी ने बताया, अत्यंत दयनीय अवस्था से गुजर रहीं हैं वो, सुवर्ण बोला।।
ऐसा क्या हुआ? कृपया मुझे भी विस्तार से बताएं, उसने मुझसे सहायता क्यो नही मांगी,बकबक बौने ने कहा।।
बहुत ही दुखभरी कथा है बेचारी की, जिससे प्रेम करती थीं, उसने उसके साथ विश्वासघात किया, अपने पिता के भी विरूद्ध हो बैठी,उसके प्रेमी ने उसके पिता की हत्या कर उसके पंख धोखे से चुरा लिए,अब वो बहुत ही असहाय अवस्था में हैं,उसका सारा जादू उसके पंखों में तो था।।उसी ने तो हमें तुम्हारे विषय में बताया कि तुम्हारे पास उड़ने वाला घोड़ा है,जिसकी सहायता से अपने प्रेमी को ढूंढकर अपने पंख वापस लेना चाहती है क्योंकि वो बहुत ही बड़ा जादूगर है और खुद की भलाई के लिए किसी की भी हत्या कर सकता है, उसके साथ अघोरनाथ जी की बेटी चित्रलेखा भी है जो उसकी सहायता करती है, सुवर्ण बोला।।
इतना सबकुछ हो गया और मुझे इस विषय में कुछ पता ही नहीं,बकबक बौने ने कहा।।
हां...वो ये मानिक चंद आए, इन्हें अघोरनाथ जी मिले,तब इन्होंने नीलकमल और मुझे हमारे असली रूप में परिवर्तित किया, सुवर्ण बोला।।
परंतु अब वो उड़ने वाला घोड़ा मेरे पास नहीं है,वो तो मुझसे कहीं खो चुका है,वो किसके पास है और कहां खोया है वो तो सांख्यिकी मां ही बता सकतीं हैं,बकबक बौने ने कहा।।
ये सांख्यिकी मां कौन है? अघोरनाथ जी ने पूछा।।
वो बहुत ही बूढ़ी आदिवासी मां है,जो दूर ऊंचे पहाड़ों पर रहतीं हैं, उन्हें तीनों कालों के विषय में ज्ञान है वो भविष्यवाणी बताती है और खोई चींजों के बारे में भी पता लगा सकती है,मेरे पिता जी अक्सर उनके पास ही सलाह मशविरे के जाते थे, बहुत दिनों से सोच रहा था लेकिन उनके पास जा नहीं पा रहा हूं,सर्पीली रानी के सांप हर जगह मेरी ताक लगाए बैठे रहते हैं,बकबक बौना बोला।।
अगर ऐसी बात है तो हम सब मिलकर उन सांपों से मुकाबला करेंगे और सांख्यिकी मां तक पहुंच जाएंगे, मानिक चंद बोला।।
अगर आप लोग मेरी सहायता कर सकते तो बहुत ही अच्छा होगा, मुझे उस घोड़े का पता चल जाएगा और शाकंभरी भी उस घोड़े की सहायता से अपने पंख वापस ले सकती है,बकबक बौना बोला।।
तो फिर यही सही रहेगा,हम सब मिलकर ही उन सांपों से बकबक को बचाएंगे फिर सांख्यिकी मां के पास जाकर घोड़े के विषय में पूछकर शाकंभरी के पास चलते हैं, अघोरनाथ जी बोले।।
और फिर हम सबने ऊंचे पहाड़ों का रूख किया, सांख्यिकी मां के पास जाने के लिए,वो रास्ते कहीं कहीं थोड़ा विश्राम करते और फिर गंतव्य की ओर चल देते,इस तरह से करते उनो कई दिन बीत गए।।
बीच बीच में कभी कभी सर्पीली रानी के सांपों ने भी हमला किया लेकिन सुवर्ण ने उन्हें ठिकाने लगा दिया।।
और बहुत दिनों की मेहनत के बाद उन्हें अपना फल आखिर मिल ही गया, पहाड़ों पर ठंड बहुत ज्यादा थीं,शाम होने को थी दूर एक पहाड़ी पर छोटी सी झोपड़ी दिखाई दी,जिस के बाहर एक लाल झंडा लहरा रहा था,बकबक बौना उस झंडे को देखकर बोला देखो वो है सांख्यिकी मां की झोपड़ी।।
थोड़ी देर में सब सांख्यिकी मां की झोपड़ी के बाहर थे,बकबक बौने ने मां को आवाज लगाई__
मां... सांख्यिकी मां.. कहां हो? देखो तुम्हारा बकबक आया है।।
और सब झोपड़ी के भीतर पहुंचे।।
बकबक!! बेटा तू! बहुत दिनों बाद मां को याद किया, सांख्यिकी मां बोली।।
हां! मां, पिता जी अब नहीं रहें, मैं बड़ी मुश्किल से छुपकर रह रहा हूं, सोचा थोड़ी सेना तैयार कर लूं, बौने बड़ी मुश्किल में है,सर्पीली रानी ने सब तहस नहस कर दिया , पिता जी की हत्या भी उसी ने की है,आपके पास सहायता के लिए आया हूं,बकबक बौना ने सांख्यिकी मां से कहा।।हां.. हां बोल बेटा,अपनी समस्या बता, मैं क्या कर सकती हूं तेरे लिए, सांख्यिकी मां बोली।।
मां, मेरी एक मित्र हैं,उसके पिताजी मेरे पिताजी आपस में बहुत अच्छे मित्र थे, लेकिन उसके पिताजी की किसी जादूगर ने हत्या कर उसके शक्तियों वाले पंखों को चुरा लिया है,अब उसकी बहुत ही दयनीय अवस्था है,बकबक बौना बोला।।
हां.. बेटा! बोल आगे बोल, सांख्यिकी मां बोली।।
आपको पता है ना कि मेरे पास एक उड़ने वाला घोड़ा था,जो खुद से छोटा भी हो जाता है,उसे मैं हमेशा गले में पहनता था,वो पता नहीं मुझसे कहां गुम हो गया,अगर वो मिल जाए तो मेरी मित्र शाकंभरी की सहायता हो सकती है वो उस की सहायता से उस जादूगर को ढूंढ़ सकती है,उसके पंख मिलने पर वो हमारी सहायता भी कर सकती है,बकबक बौना बोला।।
अच्छा!तो ये बात है, सांख्यिकी मां बोली।।
 

Hero tera

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भाग (१३)

सांख्यिकी मां,आप उस घोड़े का पता लगाएं ताकि मैं शाकंभरी की सहायता कर सकूं,बकबक बौने ने सांख्यिकी मां से कहा।।
चिंता मत करो बकबक अभी तो शाम होने को आई है, थोड़ी देर में अंधेरा भी गहराने लगेगा ,आज रात तुम लोग मेरी झोपड़ी में आराम करो,कल सुबह-सुबह मैं ध्यान लगाऊंगी,तब पता करती हूं कि तुम्हारा उड़ने वाला घोड़ा कहां है, सांख्यिकी मां बोली।।
सब बोले, हां तो ठीक है,सुबह तक हम सब यही विश्राम करते हैं फिर देखेंगे कि क्या करना है।।
सांख्यिकी मां के यहां जो भी रूखा सूखा था,सभी ने खाया और विश्राम करने लगे।।
तभी एकाएक आधी रात को बहुत जोर की आवाज हुई और सभी जाग उठे, राजकुमार सुवर्ण ने झोपड़ी के बाहर आकर देखा___
वहां का नजारा देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई,उसने फौरन बकबक बौने को आवाज लगाई,बकबक बौना भी जल्दी से बाहर आया।।
और सब भी जल्दी से भागकर बाहर आए,एकदम घुप्प अंधेरा, पहाड़ी पर ठंडी हवाएं चल रही थीं, चारों ओर पहाड़ियों पर सिर्फ सांप ही सांप दिखाई दे रहे थे और उन सब के पीछे अपने रथ पर सवार सर्पिली रानी थी जो कि बकबक बौने का पीछा करते हुए वहां तक आ पहुंची थीं,उन लोगों के पास मशालें थी,सर्पीली रानी को देखकर सब सन्न रह गए,ये सोचकर कि बिना किसी तैयारी के इन सबका मुकाबला कैसे करेंगे।।
सब कुछ भी सलाह मशविरा कर पाते इससे पहले ही सर्पीली रानी ने हमला कर दिया,इतने शक्तिशाली सांपों के सेना से सबने कभी भी मुकाबला नहीं किया था,सारे सांप उड़ उड़ कर सब पर हमला कर रहे थे,सब अपना बचाव कर रहे थे,सांपों कोई भी मार नहीं पा रहा था।
सब परेशान और लहुलुहान हो चुके थे, तभी सर्पीली रानी ने एलान किया कि तुम सब बकबक बौने को मेरे हवाले कर दो, मैं तुम सब को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाऊंगी,मेरी दुश्मनी तो सिर्फ़ बकबक बौने से हैं।।
तभी बकबक बौना बोला___
सर्पीली रानी तुम्हारी दुश्मनी सिर्फ मुझसे है,तुम इन सब को छोड़ दो,लो मैं तुम्हारे पास आ रहा हूं।।
और बकबक बौना सर्पीली रानी की ओर बढ़ने लगा, सबने बहुत मना कि बकबक सर्पीली रानी के पास मत जाओ,हम कुछ ना कुछ करते हैं लेकिन बकबक नहीं माना और धीरे-धीरे सर्पीली रानी की ओर बढ़ने लगा।।
फिर से सुवर्ण ने आवाज दी कि___
बकबक मत जाओ, मैं हूं ना!! मैं तुम्हारी मदद करूंगा लेकिन तभी सांख्यिकी मां ने बाहर आकर कहा,उसे जाने दो।‌।
लेकिन क्यो, नीलकमल ने पूछा।।
देखो, पहले तुम सर्पीली रानी के गले की ओर ध्यान दो उसके गले में उड़ने वाले घोड़े का ताबीज हैं,इसका मतलब वो उड़ने वाला घोड़ा सर्पीली रानी को मिल गया था,बकबक ने उसे शायद देख लिया है इसलिए वो उसकी ओर बढ़ रहा है।।सबने ध्यान से देखा,सच में उड़ने वाले घोड़े का ताबीज सर्पीली रानी के गले में था।।
अब सब भी बकबक बौने की मदद करने के लिए उसके पीछे-पीछे चलने लगे, सुवर्ण अपनी तलवार से सांपों के टुकड़े करते हुए आगे आगे बढ़ने लगा,सब बकबक बौने को सर्पीली रानी तक पहुंचने में सहायता करने लगे,और बकबक बौना अपने मकसद में कामयाब हो गया लेकिन सर्पीली रानी बकबक बौने को अपने फांस में ले लिया,बकबक बौना बहुत छुड़ाने की कोशिश की लेकिन छूट नहीं पाया।।
तभी सुवर्ण अपनी तलवार के वार से सर्पीली रानी के गले ताबीज का धांगा तोड़ दिया जिससे ताबीज नीचे गिर गया और सांख्यिकी मां जोर से चिल्लाते हुए कहती हैं कि सुवर्ण ताबीज को उठाओ लेकिन सर्पीली रानी ने अपने मुंह से आग की लपटें निकालना शुरू कर दिया और सुवर्ण पर उन लपटों से वार करने लगी,सुवर्ण झुलस कर जमीन पर गिर पड़ा।।
तभी सांख्यिकी मां अपने बाल खोल कर पहाड़ी पर ध्यान लगाकर बैठ गई और कुछ मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे सारे सांप पत्थरों में परिवर्तित होने लगे,कुछ देर के बाद सर्पीली रानी के आलावा सभी सांप पत्थरों में बदल गए तब सांख्यिकी मां अपने ध्यान से उठी और कहा कि इन सांपों को उठाकर पटकना शुरू कर दो और इतनी जोर से पटको ताकि ये टूट जाए, तभी इन सब की मृत्यु होगी।
और ये सब सुनकर सर्पीली रानी गुस्से से बौखला गई लेकिन अब अघोरनाथ जी आगे आ गए, उन्होंने अपनी कमर में बंधी पोटली में से कुछ विभूति निकाली और सर्पीली रानी पर झिड़क दी जिससे सर्पीली रानी को दिखना बंद हो गया।
और सुवर्ण ने फुर्ती के साथ उस ताबीज को उठा लिया और अपनी धारदार तलवार से सर्पीली रानी पर बिना रूके वार पर वार किए,सर्पीली रानी अपनी आंखें ही नहीं खोल पा रही थी जिससे उसके मुंह से निकलती आग का लपटों के वार निशाने पर नहीं पड़ रहा था,अब तो वो बुरी तरह बौखला गई।।
तभी सांख्यिकी मां बोली __
सुवर्ण घोड़े से कहो कि बड़े हो जाओ,वो जिसके हाथ में होता है,उसका ही आदेश मानता है और सुवर्ण ने सांख्यिकी मां की बात सुनकर घोड़े से कहा कि बड़े हो जाओ और घोड़ा अपने बड़े रूप में आ गया, सुवर्ण उस पर सवार होकर उड़ने लगा और अपनी धारदार तलवार से उसने सर्पीली रानी की गर्दन पर वार किया जिससे सर्पीली रानी की गर्दन कटकर एक ओर लुढ़क गई।।
और बकबक बौना, सर्पीली रानी के फांस से छूट गया,सर्पीली रानी का धड़ और गर्दन बहुत देर तक तड़पते रहे,उसके बाद शांत हो गए।।
तब सांख्यिकी मां बोली,बकबक लो तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हो गया अब सर्पीली रानी का अंतिम संस्कार करके जल्द ही शाकंभरी की सहायता के लिए निकलो, लेकिन अंतिम संस्कार तो प्रात: ही होगा,आज रात भर और प्रतिक्षा करनी होगी।।
और दूसरे दिन सुबह सर्पीली रानी का अंतिम संस्कार करके सब ने सांख्यिकी मां से जाने के लिए इजाजत मांगी, सांख्यिकी मां ने कहा,जाओ बच्चों अच्छे कार्य करने के लिए सदैव तुम लोगों की जीत हो।।
सब बहुत खुश थे क्योंकि अब उनको उड़ने वाला घोड़ा मिल चुका था,अब वो शाकंभरी की सहायता करके अपना वचन पूरा कर सकते थे।।ऐसे ही चलते चलते उन्होंने पहाड़ों वाला रास्ता पार कर लिया,अब मैदान वाले रास्ते से गुजर रहे थे, तभी उन्हें किसी के कराहने की आवाज़ आई।।
अघोरनाथ जी बोले लगता है कोई कराह रहा है!!
मानिक चंद बोला!! हां, मुझे भी कराहने की आवाज़ आई और एक एक करके सबने कहा कि हमें भी किसी के कराहने की आवाज़ आ रही है।।
और सब उस दिशा में चल पड़े, थोड़ी दूर जाकर देखा कि एक आदमी ज़मीन पर पड़ा दर्द से कराह रहा है।।
मानिक चंद ने कहा कि ऐसा तो नहीं कि ये कोई छलावा हो।।
सुवर्ण बोला, मैं पास जाकर देखता हूं।।
कौन हो भाई तुम, सुवर्ण ने उस व्यक्ति से पूछा।।
मैं बांधवगढ़ का राजा विक्रम सिंह हूं, मेरी बहन को एक राक्षस चुराकर ले गया है उसकी सहायता के लिए मैं यहां तक आया लेकिन उस राक्षस ने मुझे घायल कर दिया,उस व्यक्ति ने कहा।।
लेकिन वो राक्षस कहां रहता है, सुवर्ण ने पूछा।।
वो राक्षस इसी मैदान के अंत में एक तहखाने में रहता है,क्या तुम मेरी सहायता करोगे मेरी बहन को बचाने के लिए,राजा विक्रम ने सुवर्ण से कहा।।
ठीक है, पहले मैं अपने और साथियों से इस विषय में वार्तालाप कर लूं, सुवर्ण ने कहा।।
 

aamirhydkhan

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उत्तम कहानी और शानदार लेखन
 
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romanchak update ..sarp rani ka khatma ho gaya aur bakbak ka badla bhi pura ho gaya .
udnewala ghoda bhi mil gaya .
ab raja ki madad karni hogi sabko uski behan ko bachane ke liye .
 

ashish_1982_in

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भाग (१२)

सभी लोग बकबक बौने को ढ़ूढ़ते हुए बहुत बुरी तरह थक चुके थे, तभी राजकुमार सुवर्ण ने कहा___
चलिए, पहले अच्छी सी जगह ढ़ूढ़ कर थोड़ी देर विश्राम करते हैं, इसके बाद बकबक बौने को ढूंढते हैं, सबने राजकुमार सुवर्ण की बात पर सहमति जताई और एक अच्छी सी झरने वाली जगह खोजकर कुछ खाने पीने का इंतजाम कर खा-पीकर विश्राम करने लगे, थोड़ी देर विश्राम करने के बाद सुवर्ण को महसूस हुआ कि उसके कंधे पर आकर कुछ चुभा हैं,जब तक वो कुछ समझता इसके बाद शरीर के और भी अंगों पर कुछ सुई के सामान आकार वाली चीजें आकर चुभने लगी।।
जैसे ही वो चीजें सुवर्ण को आकर चुभती ,सुवर्ण दर्द से कराह उठता, उसने सबको आवाज देकर जगाया पर ये क्या? वो तो सभी को आकर चुभने लगीं, कोई कुछ समझ ही नहीं पा रहा था।।
तभी अघोरनाथ जी उस दिशा में गए,जिस दिशा से वो सुई के आकार वाली चीजें आ रहीं थीं, उन्होंने देखा कि एक बौना अपने धनुष से एक साथ पांच पांच तीर अधाधुंध छोड़े जा रहा है, अघोरनाथ जी चुपके-चुपके से उस बौने के पीछे गए और अपनी बांहों में उसे दबोच लिया।।
अब वो बौना छूटने के लिए कसमसाने लगा, चीखने लगा कि मुझे छोड़ दो.... मुझे छोड़ दो।।
तभी अघोरनाथ जी बोले__
पहले ये बताओ कि तुम कौन हो और हम सब पर तीर क्यो छोड़ रहे थे?
क्यो बताऊं कि मैं कौन हूं,जाओ नहीं बताता कि मैं कौन हूं,जो करना है कर लो,उस बौने ने कहा।।
तब तक सब उस बौने के पास पहुंच गए, अघोरनाथ जी ने पुनः पूछा कि बताओ तुम कौन हो? लेकिन उस बौने ने मुंह नहीं खोला।।
तब सुवर्ण उस बौने को पेड़ की लताओं के सहारे बांधकर बोला जब तक तुम नहीं बताते कि तुम कौन हो,हम तुम्हें कहीं नहीं जाने देंगे।।
तभी नीलकमल बोली तो अब क्या करें? किस दिशा में जाए? विश्राम भी नहीं हुआ,वन की देवी शाकंभरी ने तो यहीं जगह बताई थी कि बकबक बौना यहीं मिलेगा,हमलोगों ने तो इस जगह के हर कोने में खोज लिया लेकिन बकबक बौना कहीं नहीं मिला।।
उस बौने ने ये सब सुना और बोला तुम लोग शाकंभरी को कैसे जानते हो?
सुवर्ण बोला, तुमसे मतलब!!
हां.. हां.. वो तो मेरी मित्र हैं, बौना बोला।।
मतलब क्या है? तुम्हारा, सुवर्ण ने पूछा।।
मतलब वो मेरी मित्र हैं, मैं उसे जानता हूं, बौने ने कहा।।
कहीं तुम ही तो बकबक बौने नहीं हो, सुवर्ण ने फिर पूछा।।
हां.. मैं ही बकबक बौना हूं,तुमलोग मुझे कैसे जानते हो? उस बौने ने पूछा।।
अरे, तुम ही बकबक हो, तुम्हारे बारे में हमें वनदेवी शाकंभरी ने बताया, अत्यंत दयनीय अवस्था से गुजर रहीं हैं वो, सुवर्ण बोला।।
ऐसा क्या हुआ? कृपया मुझे भी विस्तार से बताएं, उसने मुझसे सहायता क्यो नही मांगी,बकबक बौने ने कहा।।
बहुत ही दुखभरी कथा है बेचारी की, जिससे प्रेम करती थीं, उसने उसके साथ विश्वासघात किया, अपने पिता के भी विरूद्ध हो बैठी,उसके प्रेमी ने उसके पिता की हत्या कर उसके पंख धोखे से चुरा लिए,अब वो बहुत ही असहाय अवस्था में हैं,उसका सारा जादू उसके पंखों में तो था।।उसी ने तो हमें तुम्हारे विषय में बताया कि तुम्हारे पास उड़ने वाला घोड़ा है,जिसकी सहायता से अपने प्रेमी को ढूंढकर अपने पंख वापस लेना चाहती है क्योंकि वो बहुत ही बड़ा जादूगर है और खुद की भलाई के लिए किसी की भी हत्या कर सकता है, उसके साथ अघोरनाथ जी की बेटी चित्रलेखा भी है जो उसकी सहायता करती है, सुवर्ण बोला।।
इतना सबकुछ हो गया और मुझे इस विषय में कुछ पता ही नहीं,बकबक बौने ने कहा।।
हां...वो ये मानिक चंद आए, इन्हें अघोरनाथ जी मिले,तब इन्होंने नीलकमल और मुझे हमारे असली रूप में परिवर्तित किया, सुवर्ण बोला।।
परंतु अब वो उड़ने वाला घोड़ा मेरे पास नहीं है,वो तो मुझसे कहीं खो चुका है,वो किसके पास है और कहां खोया है वो तो सांख्यिकी मां ही बता सकतीं हैं,बकबक बौने ने कहा।।
ये सांख्यिकी मां कौन है? अघोरनाथ जी ने पूछा।।
वो बहुत ही बूढ़ी आदिवासी मां है,जो दूर ऊंचे पहाड़ों पर रहतीं हैं, उन्हें तीनों कालों के विषय में ज्ञान है वो भविष्यवाणी बताती है और खोई चींजों के बारे में भी पता लगा सकती है,मेरे पिता जी अक्सर उनके पास ही सलाह मशविरे के जाते थे, बहुत दिनों से सोच रहा था लेकिन उनके पास जा नहीं पा रहा हूं,सर्पीली रानी के सांप हर जगह मेरी ताक लगाए बैठे रहते हैं,बकबक बौना बोला।।
अगर ऐसी बात है तो हम सब मिलकर उन सांपों से मुकाबला करेंगे और सांख्यिकी मां तक पहुंच जाएंगे, मानिक चंद बोला।।
अगर आप लोग मेरी सहायता कर सकते तो बहुत ही अच्छा होगा, मुझे उस घोड़े का पता चल जाएगा और शाकंभरी भी उस घोड़े की सहायता से अपने पंख वापस ले सकती है,बकबक बौना बोला।।
तो फिर यही सही रहेगा,हम सब मिलकर ही उन सांपों से बकबक को बचाएंगे फिर सांख्यिकी मां के पास जाकर घोड़े के विषय में पूछकर शाकंभरी के पास चलते हैं, अघोरनाथ जी बोले।।
और फिर हम सबने ऊंचे पहाड़ों का रूख किया, सांख्यिकी मां के पास जाने के लिए,वो रास्ते कहीं कहीं थोड़ा विश्राम करते और फिर गंतव्य की ओर चल देते,इस तरह से करते उनो कई दिन बीत गए।।
बीच बीच में कभी कभी सर्पीली रानी के सांपों ने भी हमला किया लेकिन सुवर्ण ने उन्हें ठिकाने लगा दिया।।
और बहुत दिनों की मेहनत के बाद उन्हें अपना फल आखिर मिल ही गया, पहाड़ों पर ठंड बहुत ज्यादा थीं,शाम होने को थी दूर एक पहाड़ी पर छोटी सी झोपड़ी दिखाई दी,जिस के बाहर एक लाल झंडा लहरा रहा था,बकबक बौना उस झंडे को देखकर बोला देखो वो है सांख्यिकी मां की झोपड़ी।।
थोड़ी देर में सब सांख्यिकी मां की झोपड़ी के बाहर थे,बकबक बौने ने मां को आवाज लगाई__
मां... सांख्यिकी मां.. कहां हो? देखो तुम्हारा बकबक आया है।।
और सब झोपड़ी के भीतर पहुंचे।।
बकबक!! बेटा तू! बहुत दिनों बाद मां को याद किया, सांख्यिकी मां बोली।।
हां! मां, पिता जी अब नहीं रहें, मैं बड़ी मुश्किल से छुपकर रह रहा हूं, सोचा थोड़ी सेना तैयार कर लूं, बौने बड़ी मुश्किल में है,सर्पीली रानी ने सब तहस नहस कर दिया , पिता जी की हत्या भी उसी ने की है,आपके पास सहायता के लिए आया हूं,बकबक बौना ने सांख्यिकी मां से कहा।।हां.. हां बोल बेटा,अपनी समस्या बता, मैं क्या कर सकती हूं तेरे लिए, सांख्यिकी मां बोली।।
मां, मेरी एक मित्र हैं,उसके पिताजी मेरे पिताजी आपस में बहुत अच्छे मित्र थे, लेकिन उसके पिताजी की किसी जादूगर ने हत्या कर उसके शक्तियों वाले पंखों को चुरा लिया है,अब उसकी बहुत ही दयनीय अवस्था है,बकबक बौना बोला।।
हां.. बेटा! बोल आगे बोल, सांख्यिकी मां बोली।।
आपको पता है ना कि मेरे पास एक उड़ने वाला घोड़ा था,जो खुद से छोटा भी हो जाता है,उसे मैं हमेशा गले में पहनता था,वो पता नहीं मुझसे कहां गुम हो गया,अगर वो मिल जाए तो मेरी मित्र शाकंभरी की सहायता हो सकती है वो उस की सहायता से उस जादूगर को ढूंढ़ सकती है,उसके पंख मिलने पर वो हमारी सहायता भी कर सकती है,बकबक बौना बोला।।
अच्छा!तो ये बात है, सांख्यिकी मां बोली।।
Very nice update bhai
 

ashish_1982_in

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भाग (१३)

सांख्यिकी मां,आप उस घोड़े का पता लगाएं ताकि मैं शाकंभरी की सहायता कर सकूं,बकबक बौने ने सांख्यिकी मां से कहा।।
चिंता मत करो बकबक अभी तो शाम होने को आई है, थोड़ी देर में अंधेरा भी गहराने लगेगा ,आज रात तुम लोग मेरी झोपड़ी में आराम करो,कल सुबह-सुबह मैं ध्यान लगाऊंगी,तब पता करती हूं कि तुम्हारा उड़ने वाला घोड़ा कहां है, सांख्यिकी मां बोली।।
सब बोले, हां तो ठीक है,सुबह तक हम सब यही विश्राम करते हैं फिर देखेंगे कि क्या करना है।।
सांख्यिकी मां के यहां जो भी रूखा सूखा था,सभी ने खाया और विश्राम करने लगे।।
तभी एकाएक आधी रात को बहुत जोर की आवाज हुई और सभी जाग उठे, राजकुमार सुवर्ण ने झोपड़ी के बाहर आकर देखा___
वहां का नजारा देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई,उसने फौरन बकबक बौने को आवाज लगाई,बकबक बौना भी जल्दी से बाहर आया।।
और सब भी जल्दी से भागकर बाहर आए,एकदम घुप्प अंधेरा, पहाड़ी पर ठंडी हवाएं चल रही थीं, चारों ओर पहाड़ियों पर सिर्फ सांप ही सांप दिखाई दे रहे थे और उन सब के पीछे अपने रथ पर सवार सर्पिली रानी थी जो कि बकबक बौने का पीछा करते हुए वहां तक आ पहुंची थीं,उन लोगों के पास मशालें थी,सर्पीली रानी को देखकर सब सन्न रह गए,ये सोचकर कि बिना किसी तैयारी के इन सबका मुकाबला कैसे करेंगे।।
सब कुछ भी सलाह मशविरा कर पाते इससे पहले ही सर्पीली रानी ने हमला कर दिया,इतने शक्तिशाली सांपों के सेना से सबने कभी भी मुकाबला नहीं किया था,सारे सांप उड़ उड़ कर सब पर हमला कर रहे थे,सब अपना बचाव कर रहे थे,सांपों कोई भी मार नहीं पा रहा था।
सब परेशान और लहुलुहान हो चुके थे, तभी सर्पीली रानी ने एलान किया कि तुम सब बकबक बौने को मेरे हवाले कर दो, मैं तुम सब को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाऊंगी,मेरी दुश्मनी तो सिर्फ़ बकबक बौने से हैं।।
तभी बकबक बौना बोला___
सर्पीली रानी तुम्हारी दुश्मनी सिर्फ मुझसे है,तुम इन सब को छोड़ दो,लो मैं तुम्हारे पास आ रहा हूं।।
और बकबक बौना सर्पीली रानी की ओर बढ़ने लगा, सबने बहुत मना कि बकबक सर्पीली रानी के पास मत जाओ,हम कुछ ना कुछ करते हैं लेकिन बकबक नहीं माना और धीरे-धीरे सर्पीली रानी की ओर बढ़ने लगा।।
फिर से सुवर्ण ने आवाज दी कि___
बकबक मत जाओ, मैं हूं ना!! मैं तुम्हारी मदद करूंगा लेकिन तभी सांख्यिकी मां ने बाहर आकर कहा,उसे जाने दो।‌।
लेकिन क्यो, नीलकमल ने पूछा।।
देखो, पहले तुम सर्पीली रानी के गले की ओर ध्यान दो उसके गले में उड़ने वाले घोड़े का ताबीज हैं,इसका मतलब वो उड़ने वाला घोड़ा सर्पीली रानी को मिल गया था,बकबक ने उसे शायद देख लिया है इसलिए वो उसकी ओर बढ़ रहा है।।सबने ध्यान से देखा,सच में उड़ने वाले घोड़े का ताबीज सर्पीली रानी के गले में था।।
अब सब भी बकबक बौने की मदद करने के लिए उसके पीछे-पीछे चलने लगे, सुवर्ण अपनी तलवार से सांपों के टुकड़े करते हुए आगे आगे बढ़ने लगा,सब बकबक बौने को सर्पीली रानी तक पहुंचने में सहायता करने लगे,और बकबक बौना अपने मकसद में कामयाब हो गया लेकिन सर्पीली रानी बकबक बौने को अपने फांस में ले लिया,बकबक बौना बहुत छुड़ाने की कोशिश की लेकिन छूट नहीं पाया।।
तभी सुवर्ण अपनी तलवार के वार से सर्पीली रानी के गले ताबीज का धांगा तोड़ दिया जिससे ताबीज नीचे गिर गया और सांख्यिकी मां जोर से चिल्लाते हुए कहती हैं कि सुवर्ण ताबीज को उठाओ लेकिन सर्पीली रानी ने अपने मुंह से आग की लपटें निकालना शुरू कर दिया और सुवर्ण पर उन लपटों से वार करने लगी,सुवर्ण झुलस कर जमीन पर गिर पड़ा।।
तभी सांख्यिकी मां अपने बाल खोल कर पहाड़ी पर ध्यान लगाकर बैठ गई और कुछ मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे सारे सांप पत्थरों में परिवर्तित होने लगे,कुछ देर के बाद सर्पीली रानी के आलावा सभी सांप पत्थरों में बदल गए तब सांख्यिकी मां अपने ध्यान से उठी और कहा कि इन सांपों को उठाकर पटकना शुरू कर दो और इतनी जोर से पटको ताकि ये टूट जाए, तभी इन सब की मृत्यु होगी।
और ये सब सुनकर सर्पीली रानी गुस्से से बौखला गई लेकिन अब अघोरनाथ जी आगे आ गए, उन्होंने अपनी कमर में बंधी पोटली में से कुछ विभूति निकाली और सर्पीली रानी पर झिड़क दी जिससे सर्पीली रानी को दिखना बंद हो गया।
और सुवर्ण ने फुर्ती के साथ उस ताबीज को उठा लिया और अपनी धारदार तलवार से सर्पीली रानी पर बिना रूके वार पर वार किए,सर्पीली रानी अपनी आंखें ही नहीं खोल पा रही थी जिससे उसके मुंह से निकलती आग का लपटों के वार निशाने पर नहीं पड़ रहा था,अब तो वो बुरी तरह बौखला गई।।
तभी सांख्यिकी मां बोली __
सुवर्ण घोड़े से कहो कि बड़े हो जाओ,वो जिसके हाथ में होता है,उसका ही आदेश मानता है और सुवर्ण ने सांख्यिकी मां की बात सुनकर घोड़े से कहा कि बड़े हो जाओ और घोड़ा अपने बड़े रूप में आ गया, सुवर्ण उस पर सवार होकर उड़ने लगा और अपनी धारदार तलवार से उसने सर्पीली रानी की गर्दन पर वार किया जिससे सर्पीली रानी की गर्दन कटकर एक ओर लुढ़क गई।।
और बकबक बौना, सर्पीली रानी के फांस से छूट गया,सर्पीली रानी का धड़ और गर्दन बहुत देर तक तड़पते रहे,उसके बाद शांत हो गए।।
तब सांख्यिकी मां बोली,बकबक लो तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हो गया अब सर्पीली रानी का अंतिम संस्कार करके जल्द ही शाकंभरी की सहायता के लिए निकलो, लेकिन अंतिम संस्कार तो प्रात: ही होगा,आज रात भर और प्रतिक्षा करनी होगी।।
और दूसरे दिन सुबह सर्पीली रानी का अंतिम संस्कार करके सब ने सांख्यिकी मां से जाने के लिए इजाजत मांगी, सांख्यिकी मां ने कहा,जाओ बच्चों अच्छे कार्य करने के लिए सदैव तुम लोगों की जीत हो।।
सब बहुत खुश थे क्योंकि अब उनको उड़ने वाला घोड़ा मिल चुका था,अब वो शाकंभरी की सहायता करके अपना वचन पूरा कर सकते थे।।ऐसे ही चलते चलते उन्होंने पहाड़ों वाला रास्ता पार कर लिया,अब मैदान वाले रास्ते से गुजर रहे थे, तभी उन्हें किसी के कराहने की आवाज़ आई।।
अघोरनाथ जी बोले लगता है कोई कराह रहा है!!
मानिक चंद बोला!! हां, मुझे भी कराहने की आवाज़ आई और एक एक करके सबने कहा कि हमें भी किसी के कराहने की आवाज़ आ रही है।।
और सब उस दिशा में चल पड़े, थोड़ी दूर जाकर देखा कि एक आदमी ज़मीन पर पड़ा दर्द से कराह रहा है।।
मानिक चंद ने कहा कि ऐसा तो नहीं कि ये कोई छलावा हो।।
सुवर्ण बोला, मैं पास जाकर देखता हूं।।
कौन हो भाई तुम, सुवर्ण ने उस व्यक्ति से पूछा।।
मैं बांधवगढ़ का राजा विक्रम सिंह हूं, मेरी बहन को एक राक्षस चुराकर ले गया है उसकी सहायता के लिए मैं यहां तक आया लेकिन उस राक्षस ने मुझे घायल कर दिया,उस व्यक्ति ने कहा।।
लेकिन वो राक्षस कहां रहता है, सुवर्ण ने पूछा।।
वो राक्षस इसी मैदान के अंत में एक तहखाने में रहता है,क्या तुम मेरी सहायता करोगे मेरी बहन को बचाने के लिए,राजा विक्रम ने सुवर्ण से कहा।।
ठीक है, पहले मैं अपने और साथियों से इस विषय में वार्तालाप कर लूं, सुवर्ण ने कहा।।
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रहस्यमयी टापू--भाग (१४)..!!

सुवर्ण ने सभी लोगों से सलाह ली और सभी लोंग राजा विक्रम की सहायता करने के लिए तैयार हो गए, सुवर्ण ने विक्रम को उठाकर उसे पानी पिलाया और अघोरनाथ जी ने कुछ जंगली जड़ी बूटियां खोजकर विक्रम के घावों पर लगा दीं, जिससे विक्रम अब पहले से खुद को बेहतर महसूस कर रहा था।।
अब सब निकल पड़े उस मैदान की ओर जहां वो राक्षस तहखाने में रहता था, सभी उस मैदान को पार करते जा रहे थे, चलते चलते रात हो गई ,रास्तें मे एक बहुत बड़ा तालाब मिला,उस तालाब के किनारे एक पीपल का बहुत बड़ा पेड़ था,सबने उसी जगह पर विश्राम करने का इरादा किया और सब पेड़ के नीचे सो गए, तभी अचानक रात को बकबक के ऊपर कुछ लिसलिसा सा गरम गरम सा पदार्थ गिरा,वो चटपटा कर उठ बैठा और उसने ऊपर की ओर देखा तो दो चुड़ैलें, पेड़ से उलटी लटकी हुई थीं और उनके मुंह से लार टपक रही थी, उनके सिर के बाल इतने बड़े थे कि उनका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था,उन भयानक चुड़ैलों को देखकर बकबक की चीख निकल गई,बकबक की चींख सुनकर सब जाग गए, तभी वो चुड़ैलें हवा में गोल गोल घूमती हुई,धम्म की आवाज के साथ नीचे आकर उन सब के सामने खड़ीं हो गई,सब बुरी तरह डर गए।।
लेकिन तभी उस समय सुवर्ण ने अपना दिमाग चलाया,जो जादू उसे आता था उसका इस्तेमाल किया
उसने दोनों चुड़ैलों को जादुई शक्ति से जमीन पर गिरा दिया और फुर्ती के साथ बारी बारी से मुट्ठी में बालों को भरा और काट दिया, दोनों के बाल कट जाने पर वो खूबसूरत पंखों वाली परियों में परिवर्तित हो गई, दोनों से एक सफेंद रोशनी आ रही थीं जिससे आसपास का वातावरण जगमग हो रहा था।।
सुवर्ण ने उन दोनों से पूछा__
कौन हो तुम दोनों?
उनमें से एक ने जवाब दिया__
हम दोनों बहनें हैं,इसका नाम स्वरांजलि और मेरा नाम गीतांजली हैं,हमारा भी एक खुशहाल परिवार था,हमारे परिवार मे हम दोनों जुड़वां बहने ,एक भाई भी हैं, मां पिताजी नहीं रहें, हमें जादूगर शंखनाद ने अपने जादू से चुड़ैल बना दिया था,उसनें कहा था कि अगर कोई तुम्हारे बाल काट देगा तो तुम दोनों अपने असली रूप में आ जाओगी लेकिन मेरी वजह से इधर कोई भी नहीं आ सकता इसलिए तुम लोग सदा के लिए ही चुड़ैले बनी रहोगी और इतना कहकर वो चला गया।।
और तुम्हारा भाई कहां हैं? अघोरनाथ जी ने पूछा।।
उसे शंखनाद ने एक राक्षस बना दिया हैं, उससे जो वो भी कहता है हमारा भाई वही करता है,उसनें उसे गुलाम बनाकर तहखाने मे रखा है, जब भी वो उसे आदेश देता है तो हमारा भाई सुंदर लडकियों को अगवा कर लेता हैं,उनमें से एक ने उत्तर दिया।।
और उन लडकियों को क्यों अगवा किया जाता हैं, कुछ बता सकती हो,क्योंकि मेरी बहन को उसने अगवा किया हैं,राजा विक्रम बोले।।
हां,यकीन के साथ तो नहीं कह सकती लेकिन वो उन लडकियों को मारकर उनकी त्वचा से एक तरह का पदार्थ बनाता हैं जिसे वो अपनी त्वचा पर लगाता हैं तभी इतनी उम्र हो जाने के बाद भी वो बूढ़ा दिखाई नहीं देता,गीतांजलि बोली।।
लेकिन हम उस राक्षस का सामना कैसे करेगें, कुछ ना कुछ उपाय तो होगा आपलोगों के पास,सुवर्ण ने पूछा।।
अभी तो रात हैं,सुबह इस समस्या का समाधान करते हैं, सुबह मैं आप लोगों को कुछ चीज दूंगी जिससे हमारा भाई अपने पहले वाले रूप मे वापस आ जाएगा, स्वरांजलि बोली।।
और फिर सब विश्राम करने लगे लेकिन फिर सारी रात अघोरनाथ जी सो नहीं पाए,उन्हें स्वरांजली और गीतांजली पर भरोसा नहीं था,उन्हेँ ये डर था कि ऐसा ना हो रात को फिर दोनों चुड़ैले बनकर सबको हानि पहुचाएं।
और उनकी इस शंका को बकबक भलीभांति समझ गया था,तीसरा पहर लगने को था तभी बकबक अघोरनाथ जी से बोला___
बाबा! अब आप थोड़ी देर के लिए विश्राम कर लीजिए,मुझे पता है आप रात भर सोए नही है।।
कैसे सो जाऊ?बकबक बेटा!! जब अपनी ही बेटी गलत राह पर चलकर,दूसरों के खून की प्यासी हो जाए तो इस अभागे बाप को नींद कैसे आ सकती हैं, अघोरनाथ जी बकबक से बोले।।
कोई बात नहीं बाबा!!अब शायद यही नियति थी,पहले आप सारी चिंताएं छोड़कर आराम करने की कोशिश कीजिए, फिर सोचते हैं कि क्या करना है, बकबक ने अघोरनाथ जी से कहा।।
और अघोरनाथ जी ने अपनी बांह की तकिया बनाई और सो गए।।
सुबह हो चुकी थी,सूरज की लाली ने आसमान को घेर लिया था,पीपल के पेड़ पर चिड़ियाँ चहचहा रहीं थीं,सबने देखा की तालाब मे बहुत से कमल के फूल खिले हुए हैं, बकबक और नीलकमल छोटे बच्चों की तरह कमल तोड़ने चल पडे़ लेकिन स्वरांजलि मना करते हुए बोली___
ये एक जादुई तालाब हैं और ये सारें कमल भी जादुई हैं, जो भी इन कमल को हाथ लगाता हैं पत्थर का बन जाता हैं,तभी स्वरांजलि ने ताली बजाई और एक हंस वहां प्रकट हुआ___
स्वरांजलि बोली, मुझे एक कमल चाहिए, एक कमल तोड़कर दो ताकि उसे स्पर्श करके हमारा भाई पुन: अपने रूप मे वापस आ सकें।।
और हंस ने अपनी चोंच के द्वारा एक कमल तोड़कर स्वरांजली को दिया और गायब हो गया, स्वरांजलि वो फूल अघोरनाथ जी को देते हुए बोली, आप इन सबमें सबसे बुजुर्ग हैं और मुझे आशा हैं कि आप अपने कर्तव्य का निर्वहन भलीभाँति करेगें,आप हमारे पिता के समान हैं।।
अघोरनाथ जी ने प्यार से स्वरांजलि के सिर पर हाथ रखते हुए कहा जीती रहो बेटी, काश मेरी बेटी भी तुम दोनों की तरह अच्छी होतीं।।
तब गीतांजलि ने पूछा, ऐसा क्यों कह रहें हैं आप?
तब नीलकमल ने स्वरांजलि और गीतांजलि को सारी कहानी कह सुनाई।।
स्वरांजलि और गीतांजलि अपने परीलोक वापस चली गई और अब सब अपने गंतव्य की ओर निकल पडे़, शाम होते होते सब उस तहखाने तक पहुंच गए जहाँ वो राक्षस रहता था।।
तब बकबक बोला,पहले मैं जाता हूं और अगर सब ठीक रहा तो मैं चिड़िया की आवाज निकालूँगा तब आप सब अंदर आ जाना।।
सब बकबक की बात पर रजामंद हो गए, बकबक तहखाने के अंदर पहुंचकर दो चार कदम चला,फिर उसनें सोचा अब साथियों को बुला लेना चाहिए और उसनें चिड़िया की आवाज़ निकालनी शुरु कर दी।।
चिड़िया की आवाज़ सुनकर, सबने अंदर जाने का सोचा और सब तहखाने के भीतर घुस पडे़, अंदर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा था।।
सब अंदर की ओर धीरे धीरे बढ़ रहे थे, आगे बकबक भी उन्हें मिल गया और सब साथ मे चल पडे़,जैसे जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे, वैसे वैसे अंधेरा और भी बढ़ता जा रहा था,तभी उन सब को किसी के लड़की के कराहने की आवाज़ आई,सब उस ओर गए तब बकबक बौने ने सबसे कहा___
ठहरों,मेरे पास एक नागमणी हैं, जो कभी मेरे पिताजी ने मुझे दी थी,उन्होंने कहा था कि जब तुम किसी की सहायता करना चाहोगे तब इसका इस्तेमाल करना और बकबक ने एक छोटी सी पोटली निकाली,उसके धांगों को जैसे ही सरकाया,पोटली खुली उसमें से एक सफेद रोशनी निकलती हुई दिखी,बकबक ने उसे अपनी हथेली पर रखा तो चारों ओर रोशनी ही रोशनी फैल गई, अब अंधेरा नहीं था और सबको साफ साफ दिखाई दे रहा था,वो सब उस कराहने वाली लड़की के पास पहुंचे, देखा तो वो एक सलाखों वाले कमरें मे बंद थीं__
बकबक ने उससे पूछा___
कौन हो तुम?
मैं पुलस्थ राज की रानी सांरन्धा हूं, इस राक्षस ने मुझे कै़द करके रखा हैं और भी लडकियों को कैद़ किया हैं,अभी शायद किसी राजकुमारी को अगवा किया हैं, उसके चीखने की आवाज़ आ रही थी।।
हां...हांं शायद वो मेरी बहन संयोगिता हैं, राजा विक्रम बोले।।
तभी,राजकुमार सुवर्ण ने पूछा, वो राक्षस कहाँ हैं?
वो अभी तहखाने से बाहर गया हैं,रानी सारन्धा बोली।।
तब तो ये बहुत अच्छा मौका है, सारी लड़कियों को छुडा़ने का,मानिक चंद बोला।।
हां,एकदम सही कहा, बकबक भी बोला।।
और सब एक एक करके सारी लड़कियों की सलाखें और बेड़ियां तोड़कर उन्हें बाहर निकालने लगे,तभी विक्रम को अपनी बहन संयोगिता भी मिल गई___
भइया!!आप आ गए, मुझे पता था कि आप जरूर आएंगे, संयोगिता अपने भाई विक्रम के गले लगते हुए बोली।।
सारी लड़कियों को निकालने के बाद सब तहखाने से बाहर आने लगे,सबसे आगे राजा विक्रम और बकबक थे ,बीच मे सारी लडकियाँ और सबसे पीछे राजकुमार सुवर्ण और मानिक थे,जैसे ही सब तहखाने से बाहर निकले,बकबक ने नागमणी पोटली मे रखी और अपनी कमर मे खोंस ली।।
सब थोड़ी दूर चले ही थे कि वहां राक्षस आ पहुंचा, उसने सब पर हमला करना शुरु कर दिया, तभी राजा विक्रम अपनी तलवार लेकर आगे बढ़े लेकिन राक्षस ने उन्हें भी हवा मे उछाल दिया,अब सुवर्ण भी अपनी तलवार लेकर आगे आया लेकिन राक्षस का वार वो भी नहीं सह पाया, तभी बकबक बोला,सुवर्ण उड़ने वाले घोड़े का इस्तेमाल करो,लेकिन जैसे ही सुवर्ण ने वो घोड़े वाला ताबीज हाथों मे लिया,राक्षस ने सुवर्ण पर जोर का वार किया और वो ताबीज सुवर्ण के हाथों से दूर जा गिरा।।
अब बात बेकाबू देखकर अघोरनाथ जी आगे आए,उन्होंने अपनी पोटली मे से जादुई कमल निकाला और कुछ मंत्र पढ़े और हवा में उड़ते हुए, राक्षस के सिर पर वो जादुई कमल गिरा दिया,जिससे वो राक्षस एक मानव में परिवर्तित हो गया।।
सभी को ये देखकर बहुत आश्चर्य हुआ और उस राक्षस से परिवर्तित मानव ने सबसे क्षमा मांगी और बोला__
मै परी देश का राजकुमार सुदर्शनशील हूं,माफ करना, मेरी वजह से आपलोगों को बहुत परेशानी हुई, मैं परीलोक वापस जाना चाहता हूँ,अब लोग मेरी थोड़ी सहायता करें तो आपलोगों की बहुत कृपा होगी।।
बकबक ने कहा, मैं तुम्हें अपने घोड़े पर तुमको छोड़कर आता हूं।।
और बारी बारी से बकबक ने सभी लड़कियों और सुदर्शनशील को उनके निवास स्थान पर पहुंचा दिया,रानी सारन्धा बोली लेकिन मैं तो आप लोगों की सहायता के लिए आप लोगों के साथ चलूँगी,आप लोगों ने भी तो मेरी सहायता की हैं,रानी सारन्धा की बात सुनकर राजा विक्रम भी बोले, कृपया आपलोग मेरी बहन संयोगिता को मेरे राज्य छोड़ आए और बकबक ने विक्रम की बात मानकर संयोगिता को उसके राज्य छोड़ दिया और संयोगिता को बकबक छोड़कर वापस आ गया फिर सभी शाकंभरी की सहायता करने निकल पडे़।।
 

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सुवर्ण ने सभी लोगों से सलाह ली और सभी लोंग राजा विक्रम की सहायता करने के लिए तैयार हो गए, सुवर्ण ने विक्रम को उठाकर उसे पानी पिलाया और अघोरनाथ जी ने कुछ जंगली जड़ी बूटियां खोजकर विक्रम के घावों पर लगा दीं, जिससे विक्रम अब पहले से खुद को बेहतर महसूस कर रहा था।।
अब सब निकल पड़े उस मैदान की ओर जहां वो राक्षस तहखाने में रहता था, सभी उस मैदान को पार करते जा रहे थे, चलते चलते रात हो गई ,रास्तें मे एक बहुत बड़ा तालाब मिला,उस तालाब के किनारे एक पीपल का बहुत बड़ा पेड़ था,सबने उसी जगह पर विश्राम करने का इरादा किया और सब पेड़ के नीचे सो गए, तभी अचानक रात को बकबक के ऊपर कुछ लिसलिसा सा गरम गरम सा पदार्थ गिरा,वो चटपटा कर उठ बैठा और उसने ऊपर की ओर देखा तो दो चुड़ैलें, पेड़ से उलटी लटकी हुई थीं और उनके मुंह से लार टपक रही थी, उनके सिर के बाल इतने बड़े थे कि उनका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था,उन भयानक चुड़ैलों को देखकर बकबक की चीख निकल गई,बकबक की चींख सुनकर सब जाग गए, तभी वो चुड़ैलें हवा में गोल गोल घूमती हुई,धम्म की आवाज के साथ नीचे आकर उन सब के सामने खड़ीं हो गई,सब बुरी तरह डर गए।।
लेकिन तभी उस समय सुवर्ण ने अपना दिमाग चलाया,जो जादू उसे आता था उसका इस्तेमाल किया
उसने दोनों चुड़ैलों को जादुई शक्ति से जमीन पर गिरा दिया और फुर्ती के साथ बारी बारी से मुट्ठी में बालों को भरा और काट दिया, दोनों के बाल कट जाने पर वो खूबसूरत पंखों वाली परियों में परिवर्तित हो गई, दोनों से एक सफेंद रोशनी आ रही थीं जिससे आसपास का वातावरण जगमग हो रहा था।।
सुवर्ण ने उन दोनों से पूछा__
कौन हो तुम दोनों?
उनमें से एक ने जवाब दिया__
हम दोनों बहनें हैं,इसका नाम स्वरांजलि और मेरा नाम गीतांजली हैं,हमारा भी एक खुशहाल परिवार था,हमारे परिवार मे हम दोनों जुड़वां बहने ,एक भाई भी हैं, मां पिताजी नहीं रहें, हमें जादूगर शंखनाद ने अपने जादू से चुड़ैल बना दिया था,उसनें कहा था कि अगर कोई तुम्हारे बाल काट देगा तो तुम दोनों अपने असली रूप में आ जाओगी लेकिन मेरी वजह से इधर कोई भी नहीं आ सकता इसलिए तुम लोग सदा के लिए ही चुड़ैले बनी रहोगी और इतना कहकर वो चला गया।।
और तुम्हारा भाई कहां हैं? अघोरनाथ जी ने पूछा।।
उसे शंखनाद ने एक राक्षस बना दिया हैं, उससे जो वो भी कहता है हमारा भाई वही करता है,उसनें उसे गुलाम बनाकर तहखाने मे रखा है, जब भी वो उसे आदेश देता है तो हमारा भाई सुंदर लडकियों को अगवा कर लेता हैं,उनमें से एक ने उत्तर दिया।।
और उन लडकियों को क्यों अगवा किया जाता हैं, कुछ बता सकती हो,क्योंकि मेरी बहन को उसने अगवा किया हैं,राजा विक्रम बोले।।
हां,यकीन के साथ तो नहीं कह सकती लेकिन वो उन लडकियों को मारकर उनकी त्वचा से एक तरह का पदार्थ बनाता हैं जिसे वो अपनी त्वचा पर लगाता हैं तभी इतनी उम्र हो जाने के बाद भी वो बूढ़ा दिखाई नहीं देता,गीतांजलि बोली।।
लेकिन हम उस राक्षस का सामना कैसे करेगें, कुछ ना कुछ उपाय तो होगा आपलोगों के पास,सुवर्ण ने पूछा।।
अभी तो रात हैं,सुबह इस समस्या का समाधान करते हैं, सुबह मैं आप लोगों को कुछ चीज दूंगी जिससे हमारा भाई अपने पहले वाले रूप मे वापस आ जाएगा, स्वरांजलि बोली।।
और फिर सब विश्राम करने लगे लेकिन फिर सारी रात अघोरनाथ जी सो नहीं पाए,उन्हें स्वरांजली और गीतांजली पर भरोसा नहीं था,उन्हेँ ये डर था कि ऐसा ना हो रात को फिर दोनों चुड़ैले बनकर सबको हानि पहुचाएं।
और उनकी इस शंका को बकबक भलीभांति समझ गया था,तीसरा पहर लगने को था तभी बकबक अघोरनाथ जी से बोला___
बाबा! अब आप थोड़ी देर के लिए विश्राम कर लीजिए,मुझे पता है आप रात भर सोए नही है।।
कैसे सो जाऊ?बकबक बेटा!! जब अपनी ही बेटी गलत राह पर चलकर,दूसरों के खून की प्यासी हो जाए तो इस अभागे बाप को नींद कैसे आ सकती हैं, अघोरनाथ जी बकबक से बोले।।
कोई बात नहीं बाबा!!अब शायद यही नियति थी,पहले आप सारी चिंताएं छोड़कर आराम करने की कोशिश कीजिए, फिर सोचते हैं कि क्या करना है, बकबक ने अघोरनाथ जी से कहा।।
और अघोरनाथ जी ने अपनी बांह की तकिया बनाई और सो गए।।
सुबह हो चुकी थी,सूरज की लाली ने आसमान को घेर लिया था,पीपल के पेड़ पर चिड़ियाँ चहचहा रहीं थीं,सबने देखा की तालाब मे बहुत से कमल के फूल खिले हुए हैं, बकबक और नीलकमल छोटे बच्चों की तरह कमल तोड़ने चल पडे़ लेकिन स्वरांजलि मना करते हुए बोली___
ये एक जादुई तालाब हैं और ये सारें कमल भी जादुई हैं, जो भी इन कमल को हाथ लगाता हैं पत्थर का बन जाता हैं,तभी स्वरांजलि ने ताली बजाई और एक हंस वहां प्रकट हुआ___
स्वरांजलि बोली, मुझे एक कमल चाहिए, एक कमल तोड़कर दो ताकि उसे स्पर्श करके हमारा भाई पुन: अपने रूप मे वापस आ सकें।।
और हंस ने अपनी चोंच के द्वारा एक कमल तोड़कर स्वरांजली को दिया और गायब हो गया, स्वरांजलि वो फूल अघोरनाथ जी को देते हुए बोली, आप इन सबमें सबसे बुजुर्ग हैं और मुझे आशा हैं कि आप अपने कर्तव्य का निर्वहन भलीभाँति करेगें,आप हमारे पिता के समान हैं।।
अघोरनाथ जी ने प्यार से स्वरांजलि के सिर पर हाथ रखते हुए कहा जीती रहो बेटी, काश मेरी बेटी भी तुम दोनों की तरह अच्छी होतीं।।
तब गीतांजलि ने पूछा, ऐसा क्यों कह रहें हैं आप?
तब नीलकमल ने स्वरांजलि और गीतांजलि को सारी कहानी कह सुनाई।।
स्वरांजलि और गीतांजलि अपने परीलोक वापस चली गई और अब सब अपने गंतव्य की ओर निकल पडे़, शाम होते होते सब उस तहखाने तक पहुंच गए जहाँ वो राक्षस रहता था।।
तब बकबक बोला,पहले मैं जाता हूं और अगर सब ठीक रहा तो मैं चिड़िया की आवाज निकालूँगा तब आप सब अंदर आ जाना।।
सब बकबक की बात पर रजामंद हो गए, बकबक तहखाने के अंदर पहुंचकर दो चार कदम चला,फिर उसनें सोचा अब साथियों को बुला लेना चाहिए और उसनें चिड़िया की आवाज़ निकालनी शुरु कर दी।।
चिड़िया की आवाज़ सुनकर, सबने अंदर जाने का सोचा और सब तहखाने के भीतर घुस पडे़, अंदर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा था।।
सब अंदर की ओर धीरे धीरे बढ़ रहे थे, आगे बकबक भी उन्हें मिल गया और सब साथ मे चल पडे़,जैसे जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे, वैसे वैसे अंधेरा और भी बढ़ता जा रहा था,तभी उन सब को किसी के लड़की के कराहने की आवाज़ आई,सब उस ओर गए तब बकबक बौने ने सबसे कहा___
ठहरों,मेरे पास एक नागमणी हैं, जो कभी मेरे पिताजी ने मुझे दी थी,उन्होंने कहा था कि जब तुम किसी की सहायता करना चाहोगे तब इसका इस्तेमाल करना और बकबक ने एक छोटी सी पोटली निकाली,उसके धांगों को जैसे ही सरकाया,पोटली खुली उसमें से एक सफेद रोशनी निकलती हुई दिखी,बकबक ने उसे अपनी हथेली पर रखा तो चारों ओर रोशनी ही रोशनी फैल गई, अब अंधेरा नहीं था और सबको साफ साफ दिखाई दे रहा था,वो सब उस कराहने वाली लड़की के पास पहुंचे, देखा तो वो एक सलाखों वाले कमरें मे बंद थीं__
बकबक ने उससे पूछा___
कौन हो तुम?
मैं पुलस्थ राज की रानी सांरन्धा हूं, इस राक्षस ने मुझे कै़द करके रखा हैं और भी लडकियों को कैद़ किया हैं,अभी शायद किसी राजकुमारी को अगवा किया हैं, उसके चीखने की आवाज़ आ रही थी।।
हां...हांं शायद वो मेरी बहन संयोगिता हैं, राजा विक्रम बोले।।
तभी,राजकुमार सुवर्ण ने पूछा, वो राक्षस कहाँ हैं?
वो अभी तहखाने से बाहर गया हैं,रानी सारन्धा बोली।।
तब तो ये बहुत अच्छा मौका है, सारी लड़कियों को छुडा़ने का,मानिक चंद बोला।।
हां,एकदम सही कहा, बकबक भी बोला।।
और सब एक एक करके सारी लड़कियों की सलाखें और बेड़ियां तोड़कर उन्हें बाहर निकालने लगे,तभी विक्रम को अपनी बहन संयोगिता भी मिल गई___
भइया!!आप आ गए, मुझे पता था कि आप जरूर आएंगे, संयोगिता अपने भाई विक्रम के गले लगते हुए बोली।।
सारी लड़कियों को निकालने के बाद सब तहखाने से बाहर आने लगे,सबसे आगे राजा विक्रम और बकबक थे ,बीच मे सारी लडकियाँ और सबसे पीछे राजकुमार सुवर्ण और मानिक थे,जैसे ही सब तहखाने से बाहर निकले,बकबक ने नागमणी पोटली मे रखी और अपनी कमर मे खोंस ली।।
सब थोड़ी दूर चले ही थे कि वहां राक्षस आ पहुंचा, उसने सब पर हमला करना शुरु कर दिया, तभी राजा विक्रम अपनी तलवार लेकर आगे बढ़े लेकिन राक्षस ने उन्हें भी हवा मे उछाल दिया,अब सुवर्ण भी अपनी तलवार लेकर आगे आया लेकिन राक्षस का वार वो भी नहीं सह पाया, तभी बकबक बोला,सुवर्ण उड़ने वाले घोड़े का इस्तेमाल करो,लेकिन जैसे ही सुवर्ण ने वो घोड़े वाला ताबीज हाथों मे लिया,राक्षस ने सुवर्ण पर जोर का वार किया और वो ताबीज सुवर्ण के हाथों से दूर जा गिरा।।
अब बात बेकाबू देखकर अघोरनाथ जी आगे आए,उन्होंने अपनी पोटली मे से जादुई कमल निकाला और कुछ मंत्र पढ़े और हवा में उड़ते हुए, राक्षस के सिर पर वो जादुई कमल गिरा दिया,जिससे वो राक्षस एक मानव में परिवर्तित हो गया।।
सभी को ये देखकर बहुत आश्चर्य हुआ और उस राक्षस से परिवर्तित मानव ने सबसे क्षमा मांगी और बोला__
मै परी देश का राजकुमार सुदर्शनशील हूं,माफ करना, मेरी वजह से आपलोगों को बहुत परेशानी हुई, मैं परीलोक वापस जाना चाहता हूँ,अब लोग मेरी थोड़ी सहायता करें तो आपलोगों की बहुत कृपा होगी।।
बकबक ने कहा, मैं तुम्हें अपने घोड़े पर तुमको छोड़कर आता हूं।।
और बारी बारी से बकबक ने सभी लड़कियों और सुदर्शनशील को उनके निवास स्थान पर पहुंचा दिया,रानी सारन्धा बोली लेकिन मैं तो आप लोगों की सहायता के लिए आप लोगों के साथ चलूँगी,आप लोगों ने भी तो मेरी सहायता की हैं,रानी सारन्धा की बात सुनकर राजा विक्रम भी बोले, कृपया आपलोग मेरी बहन संयोगिता को मेरे राज्य छोड़ आए और बकबक ने विक्रम की बात मानकर संयोगिता को उसके राज्य छोड़ दिया और संयोगिता को बकबक छोड़कर वापस आ गया फिर सभी शाकंभरी की सहायता करने निकल पडे़।।
fantastic update bhai
 

Mr. X.

Loan Wolf
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