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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८६

जब लखनने चाइ नास्ता करते गांवमे रीस्तोमे बदलावकी बातेकी.. तब सबानाको लखनकी बातोपे दिलचस्पी होने लगी.. ओर वो लखन ओर साहीलको बार बार चोर नजरसे देखने लगी.. तभी अचानक सबानाका ध्यान लखनके पेन्टकी ओर गया.. तब वो आस्चर्यसे लखनकी ओर देखने लगी.. क्युकी पेन्टके अंदर ही लखनका लंड बहुत बडा दीख रहा था.. सबाना बार बार कभी लखनके पेन्टकी ओर तो कभी उनके सामने देखती रही.. तभी....अब आगे

लखन : (मुस्कुराते) फीरोजभाइ.. अगर बुरा मत मानोतो आपसे अ‍ेक बात कहु..?

फीरोज : (हाथ जोडकर मुस्कुराते) अरे.. क्यु मुजे सर्मीन्दा कर रहे हे..? मे क्यु बुरा मानुगा..? जो भी कहेना हो बीन्दास्त कहो.. हें..हें..हें..

लखन : भाइ.. आप कादीरभाइ ओर सायरा दीदीको माफ कर दीजीये.. क्युकी अब हमारे गांवमे अ‍ैसे बहुत रीस्ते देखनेको मीलेगे आपको.. ओर उनकी वजह हे.. हमारे खानदानमे वो राजाके जन्म लेना.. ओर आने वाले वक्तमे तो कोइ रीस्तो के मायने ही नही रहेगे.. ओर ये सब कंट्रोल करना हमारे कीसीके बसकी बात नही हे.. जो भी हो रहा हे वो उपर वालेकी मरजीसे हो रहा हे.. वरना सोचो हमारे ही खानदानमे कोइ अपनी बहेसे सादी कर सकता हे..?

साहील : (मुस्कुराते) हां चाचा.. आपतो सब जानते हे.. पीछली तीन पीढीसे हम सब देखते आये हे.. की ठाकुर खानदानमे सब उनकी बहेनसे ही सादी करते आये हे.. ओर ये सब बरसोसे यही सुनते आये हे.. की अ‍ेक दिन गांवमे अ‍ैसा सब होगा.. तो अब वो वक्त आगया हे.. हमारे गांवमे अब सचमे रीस्तोमे बदलाव होने लगा हे.. हमारे दो तीन दोस्त हे.. वो सब उनकी बहेनसे सादी कर रहे हे.. ओर वोभी अपने घरवालोकी मरजीसे..

फीरोज : (आस्चर्यसे) क्या..? अपने घरवालोकी मरजीसे..? वो लोग मान कैसे गये..? क्या कभी भाइ बहेनके बीच सादीया होती हे..?

सलमा : (सरमाते धीरेसे) हां देवरजी.. होती हे.. इसमे बुराइ भी क्या हे..? वैसे देखा जाये तो मे ओर जरीना भी आपकी बहेन ही हे.. फीर रीस्तेमे कीतनी भी दुर क्यु नाहो.. बहेन आखीर बहेन ही कहेलाती हे.. क्या आपको पता नही हमारे इस देवरजीके खानदानमे तो तीन तीन पीढीयोसे सब उनकी बहेनके साथ ही सादी करते आये हे.. ओर हमारे गांव वाले सीर्फ मान ही नही गये.. बल्की दोनो भाइ बहेनकी सादी धुमधामसे करवा रहे हे.. क्युकी हमारे ज्यादातर गांव वालोने इस बदलावको स्वीकार करलीया हे..

लखन : (मुस्कुराते) फीरोजभाइ.. सीर्फ भाइ बहेनही नही.. ओर भी रीस्तोमे सादीया हो रही हे.. जो विधवा ओर त्यक्ता हे.. सीर्फ हमारे गांवमे नही.. आजु बाजु बहुत गांवमे अ‍ैसे रीस्ते सामने आ रहे हे.. ओर अब आपको यहा सहेरमे भी अ‍ैसा बहुत कुछ दिखनेको मीलेगा.. तो इसमे कादीरभाइ ओर सायरादीदी की क्या गलती हे..? जोभी कुछ हो रहा हे वो उनकी वजहसे नही सब प्रकृतीके बदलावकी वजहसे हो रहा हे..

सलमा : (सरमाते धीरेसे) हां देवरजी.. सीर्फ बहेन भाइ ही नही.. कोइ अपनी विधवा बुआसे तो कोइ अपनी विधवा भाभीसे यहा तक की अ‍ेक दो तो अपनी विधवा ताइ या चाचीसे भी सादी कर रहे हे.. बस.. अब आप भी अ‍ेक बार उन दोनोको माफ कर दीजीये..

फीरोज : (आस्चर्यसे) भाभी..? ये आप केह रही हे..? चलो सादीका तो मे मान भी लु.. लेकीन आपको पता हे वो मेरी सबानाका सभी सपना अपने पैरो तले रोंदते चला गया.. हमे उनसे कीतनी उमीद थी.. सोचाथा अब वो इन्जीनीयर बनके अच्छी जोबपे लग गया हे.. तो मेरी सबाना अब डोक्टर बन जायेगी.. लेकीन उसने हम सबका सपना तोडके चकना चुर कर दीया.. अब मे मेरी बेटीको कैसे पढाउगा..?

साहील : (मुस्कुराते धीरेसे) चाचा.. माफ कीजीये.. छोटा मुह बडी बात केह रहा हु.. अभी आपका छोटा बेटा जीन्दा हे..? सबाना दीदीका डोक्टर बननेका सपना सीर्फ आपका नही मेरा भी हे.. उनके सभी सपने मे पुरा करुगा.. आजसे उनकी सारी पढाइकी जीम्वेवारी मेरी..

इतना सुनतेही फीरोजके घरके सभी सदस्य साहीलके सामने मुह फाडकर आस्चर्यसे देखने लगे.. क्युकी साहीलने वाकइ फीरोजके लीये बहुत बडी बाते कहेदी थी.. उनको उमीद नही थी.. की साहील उनकी इतनी बडी हिंमत करते मदद की पहेरवी करेगा.. क्युकी उनको पताथा की साहील अकेला खेती बाडी देखता हे.. जो उनकी खेती बहुत ही छोटी थी.. ओर साहीलकी बात सुनकर सबाना भी सोक्ट होते साहीलकी ओर मुह फाडकर आस्चर्यसे देखती रही..
 
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फीरोज : (आस्चर्यसे देखते) साहील बेटा.. मे तेरे जजबातोको समजता हु.. तुमने जोसमे आकर बहुत बडी बात कहेदी.. लेकीन तुजे पता हे सबानाकी पढाइमे कीतना खर्चा हे..? ये अ‍ेकही सालमे बाराह से तेरा लाख रुपयेका खर्चा हे.. जो अगले महिने ही देने हे.. इतनी बडी रकम तुम हमारी थोडी सी खेतीसे कहासे नीकालोगे..? मुजे भी पता हे इतनीसी खेतीमे तुम अपना खर्चा भी मुस्कीलसे नीकालते होगे..

साहील : (मुस्कुराते) चाचा.. मे जोसमे आकर नही.. ये बात मे होंसमे रहेकर बोल रहा हु.. जब अब्बा गुजर गयेनां.. तब मे खेतीके बारेमे इतना नही जानता था.. हमारे पास जोभी जमीन थी.. उसीमे महेनत करने लगा.. इसके लीये लखन भैयाके बडे भाइ यानीकी हमारे बडे ठाकुर साहबने मेरी बहुत मददकी..

सब उन्हीकी सलाहके अनुसार मे काम करता गया.. की कब कोनसी फसल उगानी हे.. ओर कब बेचनी हे.. मे हमारी सारी फसल उनकोही बेचता हु.. ओर जोभी पैसा आता था.. उनमेसे खर्चा नीकालकर आधा आधा अलग रख देता था..

सलमा : (मुस्कुराते) हां देवरजी.. मेरा साहील कहेताथा.. की इन जमीनमे चाचुकाभी बरोबरका हीस्सा हे.. तो आधा पैसा चाचाका हे.. वो आधा पैसा नीकालकर अलगसे जमा करता था.. कहेताथा चाचाका पैसा हमारे पास अ‍ेकठा करेगे.. जब कादीरभाइ या सायरा दीदीकी सादी होगी तब हम इन पैसोको चाचाको दे देगे.. ताकी उनको बहारसे कभी कर्जा ना लेना पडे.. इसीलीये आपका हीस्सा अलग रखता हे..

साहील : (मुस्कुराते) हां चाचु.. लेकीन देखो.. उपरवालेको कुछ ओर ही मंजुर था.. अब इन पैसोसे आप सबाना दीदीको पढा सकते हो.. मे यहा पैसा लेकर ही आया हु..

फीरोज : (इमोस्नल होते आंसु बहाते) मेरा साहील बेटा कीतना समजदार हे.. बेटा.. तुमने मेरे बारेमे इतना सोचा वोही मेरे लीये काफी हे.. मेतो वो जमीन भुल ही चुका हु.. फीर भी इतनीसी जमीनमे तुमने कीतना पैसा जमा कीया होगा..? मुस्कीलसे तेरे घरका खर्चा भी सायद नीकलता होगा.. बेटा.. बाराह लाख रुपीये कोइ छोटी मोटी रकम नही हे..

साहील : (मुस्कुराते) चाचु.. मे सब हीसाब करके लाया हु.. अभी तक ये चार सालके आपके हीस्सेका मेरे पास तकरीबन साडे आठ लाख रुपीये पडे हे.. ओर मेरे हीस्सेमे घरका खर्चा नीकालते भी साडे चार लाख रुपीये जमा कीये हे.. अभी मेने मेरे लीये धानका बीज ओर दुसरे खर्चेके लीये अ‍ेक लाख रुपीये रखे हे.. तो ये लीजीये अभी बाराह लाख रुपये लेकर ही आया हु.. आप भरदीजीये सबाना दीदीकी फीस..

कहेते साहीलने सलमाके पास रखे बाराह लाख रुपीये लेकर फीरोजके हाथोमे थमा दीया.. तब फीरोज अपना चहेरा होथोमे छुपाते फुटफुटके रोने लगा.. तो जरीना ओर सबाना मुह फाडते आस्चर्यसे साहीलकी ओर देखते रहे.. तीनोकी खुसीका कोइ ठीकाना नही रहा.. फीरोज खडा होकर साहीलको जोरोसे अपने गले लगा लेता हे.. ओर रोने लगता हे.. तब जरीना भी खुसीके मारे रोने लगी.. तो सबाना भी खुसीके मारे सलमाको लीपटकर रोये ही जा रही थी..

तब सलमा साहील ओर लखन तीनोको खुस देखकर हसते रहे.. तभी लखन खडा होकर फीरोजको सम्हालता हे.. ओर उसे सोफेपे बीठाकर कीचनमे चला गया.. ओर तीनोके लीये पानी लेकर आया.. ओर सबको पानी पीलाया.. तब जरीना ओर सबाना बहुत ही सर्मन्दा हो गइ.. ओर सबाना फटाफट अपने आंसु पोछते मुस्कुराने लगी.. ओर खाली ग्लास लेकर कीचनमे चली गइ.. ओर रखकर वापस आकर सलमाके पास बैठ गइ.. तब फीरोज ओर जरीना भी अपने आंसु पोछते मुस्कुराने लगे.. ओर सब लोग वापस सोफेपे बैठ गये.. तभी..
 
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जरीना : (सरमाते हसते) देवरजी.. आपने पानी लानेकी क्यु तकलीफ की..? सबाना लेआती..

लखन : (हसते) भाभी.. इसमे तकलीफ काहेकी.. मे थोडीना यहा महेमान हु.. ये मेरा ही घर हे..(फीरोजकी ओर देखते) क्यु फीरोजभाइ.. कैसी रही हमारे साहीलकी सरप्राइज.. हें..हें..हें..

फीरोज : (हाथ जोडते हसते) छोटे ठाकुर.. हमारी खुसीको मे बया नही कर सकता.. आज मुजे मेरे साहीलपे बडा फर्क हो रहा हे.. जो सही मायनोमे मेरा बेटा होकर अपना फर्ज नीभाते मेरे साथ कंधेसे कंधा मीलाकर खडा हे..

लखन : (हसते) फीरोजभाइ.. प्लीज.. आप मुजे ठाकुर मत कहीये.. मेभी आपके छोटेभाइके समान हु.. मुजे नाम लेकर बुलाइअ‍े अच्छा लगेगा.. हें..हें..हें..

फीरोज : (जटसे हसते) ठीक हे गलती होगइ.. आप हमारे राजा हे.. हम आज भी आपको हमारे राजा मानते हे.. ओर आपने अ‍ेक राजा होनेका फर्ज भी हमारी जमीन वापस देकर नीभाया हे.. हम सब आपको नत मस्तक हे..

लखन : (हसते) अच्छा..? अगर आप हमे राजा मानते हे.. तो फीर हमारी बात तो मानते नही.. हें..हें..हें..

फीरोन : (हसते) अरे.. हमने आपकी कौनसी बात नही मानी..? हें..हें..हें.. आपकी सब बाते हमारे सर आंखोपे.. हम आज भी आपको मानते हे.. अभी आपने हमारे गांवमे जोभी बदलावकी बाते की.. वोभी हमने मानलीया हे.. तो फीर दुसरी बात क्यु नही मानेगे..?

लखन : (मुस्कुराते) अच्छा..? तो फीर आप मेरी दो बाते मानेगे..? मुजे आपसे कुछ पुछना हे..

फीरोज : (हसते) अरे.. जरुर मानेगे.. आप जोभी पुछना चाहो पुछ सकते हे.. कहीये.. क्या पुछना हे..?

लखन : (मुस्कुराते) पहेले तो आप कादीरभाइ ओर सायरा दीदीको माफ कर दीजीये.. ओर उनको वापस बुला लीजीये.. ओर दुसरा.. आपने हमारे गांवको क्यु छोड दीया था..?

फीरोज : (मुस्कुराते) अब क्या करे..? आप तो सब जानते थे.. तब हम लोग कर्जमे पुरी तराह डुबे हुअ‍े थे.. ओर हमारे पास हमारी जमीन भी नही रही थी.. ओर मेरा परीवार भी बडा था.. मेरे चार चार बच्चे थे.. तो मे सबको कहासे खाना खीलाउ..? ओर सब बच्चोकी पढाइकी जीम्वेवारी भी थी..

तो बडे भैयाका ओर भाभीका भी संतानका इस्यु था.. तो उसने मेरे साहीलको गोद लेलीया.. ओर मे इधर सहेरमे परीवारको लेकर कमाने आगया.. ओर वैसे भी वहा थोडीसी जमीन बची थी.. तो भाइ ओर भाभीका भी उनमे मुस्कीलसे गुजारा होता था.. तो इतनी सी जमीनमे हम दोनो भाइ सबका पेट कहासे भरपाते..

लखन : (मुस्कुराते) फीरोजभाइ.. क्या आपको पता हे.. आप जीसे जरासी जमीन केह रहे हे.. उस जमीनपे आपका भी हीस्सा हेनां..?

फीरोज : (आंख गीली करते) नही भाइ.. मे इस जमीनको भुल चुका हु.. वो तो अब मेरे साहीलकी जमीन हे.. इस बेचारेको तो मे पढा भी नही सका.. भले ही बडे भाइने इस गोद लीया.. लेकीन हेतो मेरा ही खुन.. इतनीसी जमीनमे इनका भी मुस्कीलसे गुजारा होता होगा.. तो मे मेरा हीस्सा लेकर क्या करुगा..?

लखन : (हसते) फीरोजभाइ.. भले ही साहील आपका खुन हो.. लेकीन करीमभाइने उसे बाकायदा गोद लीया हे.. अब साहील कायदेसे करीमभाइका लडका हे.. तो साहीलपे आपका अब कोइ हक नही हे.. ओर ये मत भुलना साहील आप मीया बीवीको चाचा चाची कहेकर बुलाता हे.. हें..हें..हें.. ओर सबाना उनकी सगी बहेन नही.. उनके चाचाकी लडकी हे.. हें..हें..हें..

फीरोज : (सरमाते हसते) अरे हां बाबा हां.. मुजे कायदाका सब पता हे.. मे साहीलको मेरे बडे भाइका लडका ही मानता हु.. लेकीन साहील मेरे बेटेसे भी बढकर हे.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) फीरोजभाइ.. आपने अभी अभी देखानां..? आप जीसे इतनीसी जमीन केह रहे हेनां..? वो इतनी सी जमीनमे ये चार सालोमे साहीलने तकरीबन बीस लाख रुपीये कमालीये हे.. जीसका खर्च नीकालते आधा हीस्सा अभी साहीलने आपको दीया.. मत भुलो.. वो भी अ‍ेक चोथाइ जमीनके हीस्सेसे..

अभी आपको जो जमीन वापस मीली हे वो इनसे तीन गुना बडी हे.. जो अभी बंजर पडी हे.. तो सोचो.. अगर सभी जमीनपे आप फसल उगाओगे.. तो कीतना पैसा आ सकता हे..? क्या आप इतना पैसा अपनी फेक्टरीमे काम करके कमा सकते हो..?

फीरोज : (मुस्कुराते) नही.. कभी नही कमा सकता.. लेकीन आप कहेना क्या चाहते हो..? हें..हें..हें.. मुजे लगता हे आप कुछ ओर बात ही कहेने आये हे.. हें..हें..हें..

जब लखन ओर फीरोज बाते कर रहेथे तब बाकीके सभी लोग दोनोकी बाते बडेही गौरसे सुन रहे थे.. तब साहील ओर सलमा मुस्कुराते लखनकी ओर देख रहेथे.. क्युकी लखन बाते करते करते बडी ही सीफततासे फीरोजको अपने गांव वापीस आनेके लीये मना रहा था.. तो आज सबानाके दिलमे भी साहीलके लीये इजत ओर बढ गइ थी.. भले ही साहील उनसे छोटा था.. लेकीन सबाना साहीलको बहुतही मेच्योर ओर समजदार मानने लगी थी.. तभी..
 
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लखन : (मुस्कुराते) फीरोजभाइ.. कहेना कुछ नही.. बस इतना कहेना हे आप फेक्टरीकी नोकरी छोड दीजीये.. ओर आप सबलोग गांव वापस आजाइअ‍े.. आकर अपनी बाकी जमीनको सही करके आप ओर साहील उनमे महेनत कीजीये.. फीर देखीये.. जीतना पैसा साहीलने इन चार सालोमे कमाया हे इतना ही पैसा आप अ‍ेक सालमे कमा लेगे.. ये मेरी गेरेन्टी हे.. कहोतो मे आपको लीखकर दे सकता हु.. हें..हें..हें..

फीरोज : (कुछ सोचते) लखनभैया.. बात.. तो.. आपकी सोला आनी सही हे.. ये हो सकता हे.. ओर वैसे भी अब कादीर ओर सायराकी वजहसे वहा रहेनेका मन भी नही करता.. बस.. अभी सीर्फ सबानाकी पढाइकी चीन्ता हे.. जबतक वो पढनेके लीये बेंगलोर नही चली जाती तबतक तो हमे यही रहेना पडेगा..

सलमा : (सरमाते हसते) देवरजी.. छोडीये सबानाकी चीन्ता.. अब तो वो दो साल बेंगलोर पढने जा रही हे.. तो यहा अब हे भी कौन.. सीर्फ आप ओर जरीना तो हे.. ओर वहा गांवमे भी जबसे आप लोग चले गये हो.. तबसे हमारा पुरा घर खाली पडा हे.. हमने सभी कमरोमे ताला लगाकर रखा हे.. बस.. सीर्फ सफाइ करने ही खोलते हे.. आप सब आजाइअ‍े..

जरीना : (सरमाते धीरेसे) सुनीयेजी.. दीदी ठीक केह रही हे.. अब हम इस घरको बेच देगे.. हम गांव चले जायेगे.. ओर इस घरका पैसा आये.. तो आप मेरे साहीलको इनके पैसे लौटा दीजीयेगा.. हें..हें..हें..

साहील : (मुस्कुराते) नही चाची.. मेने ये पैसे कोइ कर्जेमे नही दीया.. आपका था.. जो आपको लौटा दीया हे.. ओर वैसे भी आप सब लोग मेरेही तो हो.. तो क्या तेरा..? ओर क्या मेरा..? सब हमाराही तो हे..

जरीना : (मुस्कुराते) मेरे बेटेने कीतनी बडी बात कहेदी.. साहील बेटा.. फीर भी हमारा तो सीर्फ साडे आठ लाख रुपीया था तो फीर बाकीका..? हें..हें..हें..

साहील : (थोडी उची आवाजेमे) अरे बाबा नही चाहीये मुजे पैसे.. अ‍ेक बार बोल तो दीया.. क्या अगले साल सबाना दीदीकी फीस नही भरनी..? ये मत भुलो ये सीर्फ अ‍ेक सालकी फीस हे.. (फीरोजको) चाचु.. मेरी आपसे अ‍ेक गुजारीस हे.. क्या आप मेरी बात मानोगे..?

फीरोज : (मुस्कुराते) हां साहील बेटा.. बोलो.. तुम क्या कहेना चाहते हो..?

साहील : चाचा.. आप ये मकान मत बेचीये.. आप इस मकानको कादीरभाइ ओर सायरा दीदीको दे दीजीये.. ओर उनको माफ कर दीजीये.. अब जोभी होना था होगया.. भुल जाइअ‍े सब.. उनको ढुढकर कहीये यहा रहेने आजाये.. आखीर वो दोनो भी तो हमारे ही हे..

सलमा : हां देरवजी.. मेरा साहील ठीक केह रहा हे..

फीरोज : (मुस्कुराते) ठीक हे भाभी.. जैसा आपको ठीक लगे.. हम भी कब तक उनसे नाराज रहेगे..? आखीर वोभी तो हमारा ही खुन हे.. वैसे भी आपलोग इतने सारे बदलावकी बात कर रहे हो.. तो अब हमे उन दोनोकी सादीसे कोइ अ‍ेतराज नही.. लेकीन याद रखना.. अब मे इनको मेरे साथ कभी नही रहेने दुगा..

लखन : (मु्सकुराते) ओर हां फीरोजभाइ.. आप सबानाकी अगले सालकी फीसकी भी चीन्ता मत करना.. वो मेने ओर साहीलने सब तैय करलीया हे.. बस.. आप हमारे हीसाबसे चलीये.. ओर अपना बोरीया बीस्तर बांधीये.. हें..हें..हें..

साहील : (जोरोसे हसते सबानाको) दीदी.. देखना.. वहासे डोक्टर बनके ही आना.. कही गांवमे मेरी इजतका फालुदा मत करना.. हें..हें..हें..

सबाना : (सब लोग जोरोसे हसने लगे.. तब सबाना सर्मसार होते हसते) जी भाइजान.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) अरे हां सबाना.. तुम्हारे लीये अ‍ेक ओर सरप्राइज हे.. तुम अ‍ेक बार मेरी भाभीको मील लेना.. उनसे बात होगइ हे.. वो तुमको मीलना चाहती हे.. वोभी यहा गायनेक डोक्टर हे.. ओर उन्होने भी बेंगलोरसे गायनेक फाइनल कीया हे.. तो वो तुमको कुछ सजेस करना चाहती हे..

सबाना : (खुस होते हसते) जी लखनभैया.. मे पहेचाहनती हु उसे.. वोहीना.. जीन्होने हमारी जमीनके कागजात पापाको अपने हाथोसे दीये थे..? क्या उनकी सादी बडे ठाकुर साहब से होगइ..?

साहील : (मुस्कुराते) हां दीदी.. हम अभी अभी इनको क्लीनीकपे छोडके आये हे.. ओर बडेभैया अब गांवमे अ‍ेक स्कुल ओर बडी होस्पीटल बनवा रहे हे.. जहा सब बीमारीका इलाज होगा..

लखन : (मु्कुराते) सबाना.. अब तो तुम मीठाइ मंगवा ही लो.. क्युकी तुम्हारी नोकरी भी पकी हो गइ हे.. हें..हें..हें..

फीरोज : (आस्चर्यसे हसते) नोकरी..? लेकीन ये तो अभी डोक्टर भी नही हुइ.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) फीरोजभाइ.. जब सबाना डोक्टर बनकर आयेगी.. तब हमारी ही होस्पीटलमे इनको गायनेक डोक्टरकी नोकरी मील जायेगी.. ओर गायनेक का पुरा डीपार्टमेन्ट सबाना चलायेगी.. ताकी आपको खुदकी होस्पीटलके लीये खर्चा करनेकी जरुरत ही नही.. हें..हें..हें..

सबाना : (खुस होकर हसते) पापा.. तब तो मे हमारे ही गांवमे रहेकर डोक्टरी करुगी.. बहुत मजा आयेगा.. हें..हें..हें..

सबलोग सबानाकी बात सुनकर जोरोसे हसने लगे.. तो सबाना बहुत सरमा गइ.. फीर सब आपसमे खुलकर बाते करने लगे.. तब सबाना सबकी नजर बचाते अपने होठ हीलाकर बार बार साहीलको थेन्क्यु केह रही थी.. तो साहील भी सबानाको आंखोके इसारोसे सबके होनेका अहेसास दीला रहा था ओर इस बारेमे बादमे बात करनेको इसारा कर रहा था.. तभी लखनके फोनपे बंसीका फोन आगया..

जो सब लोग सादीकी खरीदी कर रहेथे.. तब साहीलने लखनसे फोन लेकर बंसीसे बात करली.. ओर सबको खानेके लीये इधर ही बुलालीया.. तब बातो ही बातोमे साहीलने सबको गांवके बारेमे बता दीया.. की कीस कीस की सादी होगइ.. ओर कीसीकी सादी होने वाली हे.. तब सबाना साहीलकी सभी बाते गोरसे सुन रही थी.. उनको आज साहीलपे बहुत प्यार आ रहा था.. तभी..
 
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जरीना : (सरमाते धीरेसे) सुनीयेजी.. हमारे गांवसे ओर लोग भी इधर आ रहे हे.. तो आप कुछ मीठाइया लेआइअ‍ेनां.. तब तक मे ओर दीदी खाना बना लेते हे.. सबाना.. अगर तुमको पढने बैठना हे तो अंदर जाकर पढलो..

फीरोज : (खडा होकर चलते) जी.. अभी लेकर आता हु.. कुछ ओर लेना हे..?

जरीना : नही.. सब्जीया पडी हे.. अभी बन जायेगी.. आप सीर्फ मीडाइआ लेकर आइये..

साहील : (जब फीरोज चला गया तब मुस्कुराते) चाची.. अभी खाना खाकर ये लोग सोपींगके लीये जा रहे हे.. तो सोचा मे भी सबाना दीदीको लेकर लखन भैयाके साथ चला जाता हु.. अब दीदी बेंगलोर जा रही हे.. तो इनके लीये भी कुछ कपडे बपडे लेना हे.. तो इनकी भी सोपींग होजायेगी..

जरीना : (मुस्कुराते) अरे नही नही.. साहीलबेटा.. इनके पास कपडेतो हे.. तो फीर क्यु खामखा खर्चा करना..

सलमा : (सबानाकी ओर मुस्कुराते) अरी जानेदे.. क्यु मना कर रही हे..? अगर मेरा साहील इनको कपडे दीलवा रहा हेतो क्या दीकत हे..? हें..हें..हें.. वैसे भी सबाना इनकी चहीती दीदी हे.. दोनोमे खुब पटती हे.. हें..हें..हें.. चल तु रसोइमे.. मेभी आ रही हु.. मुजे तुमसे कुछ जरुरी बाते भी करनी हे..

साहील : (मुस्कुराते सामने देखकर) दीदी.. थोडी देर पढलो.. फीर खाना खाकर तैयार होजाना.. आपको मेरे साथ चलना हे..

कहेते सबाना सरमाते हुअ‍े लखन ओर साहीलकी ओर मुस्कुराते अपने रुममे चली गइ.. तो जरीना ओर सलमा भी कीचनमे जाकर खानेकी तैयारीया करने लगी.. तब साहील ओर लखन भी धीरे धीरे आपसमे बाते करने लगे.. तब सबाना अपनी कीताब लेकर पढनेके लीये बैठ गइ.. लेकीन पता नही आज उनका पढाइमे मन नही लग रहा था.. उनको बार बार लखन ओर साहीलके पेन्टके तंबु दीख रहे थे.. तब मनमे..


सबाना : (सरमाते मनमे) बापरे.. लखनभैयाका कीतना बडा दीख रहा था.. ओर आज साहील भाइने भी हद करदी.. मुजे गले मीले तब उनका कैसे मेरी मुनीयापे चुभ रहा था.. उनका भी पेन्टमे कीतना बडा उभार था.. क्या मुजे गले मीलकर अ‍ैसा हो गया था..? आज मुजे सोपींगपे भी लेजायेगे.. मेरे लीये कीतना खर्चा कर रहे हे.. पुरेके पुरे बाराह लाख अ‍ेक ही जटकेमे देदीये.. उनके भी पैसे मेरी पढाइमे दे रहे हे.. कास अ‍ैसा ही समजदार पती मुजे मील जाये.. कादीरभाइ ओर सायरा दीदीने भाइ बहेन होकर भी सादी करली..


ओर अभी सबलोगने उनकी सादीको मान भी लीया.. तो फीर.. क्या मेभी साहीलभाइसे सादी नही कर सकती..? वो कीतना मेच्योर हो गये हे.. सबकी जीम्वेवारी नीभाते हे.. कास.. मे साहील भाइसे सादी कर सकती.. नही नही.. मे येसब नही कर सकती.. वो भाइ हे मेरे.. लेकीन अभी तो बहार सब केह रहेथे.. की गांवमे अब रीस्तोमे बदलाव होने लगे हे.. तभी तो पापाने बडे भैया ओर बडी दीदीकी सादीको अ‍ेक्सेप्ट करलीया हे..

तो फीर मे साहील भाइसे क्यु सादी नही कर सकती..? जो भी हो.. मे इस बारेमे मेरी पढाइके बाद सोचुगी.. अगर अ‍ैसा होता हे तो मे साहील भाइसे ही सादी करलुगी.. बापरे.. साहील भाइका ओर लखन भैयाका पेन्टके अंदर ही कीतना बडा दीख रहा हे..? अगर रीयल देखनेको मीला तो कीतना बडा होगा..? ये तो सादी सुधा ओरतकी भी चीखे नीकलवा देगे.. तो हम जैसी लडकीयोकी क्या हालत करेगे..?

सबाना यही सब सोचते अपनी कीताब देख रही थी.. आज वो पहेली बार साहीलके बारेमे इतना सोच रही थी.. तो दुसरी ओर आज साहीलके दिलमे भी पहेली बार सबानाको लेकर कुछ अलग ही फीलींग्स आ रही थी.. जबसे साहीलने सबानाके दोनो उरोजोको अपने सीनेपे फील कीया.. तबसे उनका भी दिल मचल रहा था.. लेकीन अभी अपने दिलकी फीलींग्सके बारेमे वो कीसीको भी बताना नही चाहता था.. क्युकी सबाना बहुत ही पढी लीखी लडकी थी.. ओर अबतो डोक्टर बनने वाली थी..
 
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dilavar

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तो दुसरी ओर साहील ओर सबानाकी बात आज सुबह सलमा जब साहीलको लेकर लखनके साथ गांवसे नीकली.. तब उनके दिमागमे चल रही थी.. ओर उसने आज जरीनाको इस बारेमे बात करनेका फैसला भी करलीया था.. अ‍ेक तो सुरुसेही सबानाकी सलमाके ओर साहीलके साथ अच्छी पटती थी.. सबाना भी जब भी वेकेसन होता या अ‍ेक्जामकी वजहसे पढनेकी छुटी होती तब गांवमे सलमाके पास ही चली जाती थी..

जब कादीर अपनी बडी बहेन सायराको लेकर भाग गया.. तब सबानाके जहेनमे भी साहीलको लेकर बहुत गलत खयाल आने लगे थे.. वो भी मनसे चाहने लगी थी की वो भी साहीलसे सादी करले.. लेकीन अपनी पढाइकी वजहसे सारे गलत खयाल अपने दिमागसे नीकाल दीये.. उनका सीर्फ अ‍ेकही सपना था.. गायनेक डोक्टर बननेका.. तब इस वक्त सलमा ओर जरीना खाना बनाते धीरेसे आपसमे बाते कर रही थी..

सलमा : (सब्जीया काटते धीरेसे) जरीना.. क्या कादीरकी या सायराकी कोइ खबर..? उनको कही ढुंढा नही क्या..? कादीरकी ओफीसमे अ‍ेक बार जाकर देख लेते..

जरीना : (सरमाते धीरेसे) नही दीदी.. हमने उन लोगोको ढुंढनेकी कोसीस ही नही की.. आपके देवरने उनको ढुंढनेके लीये मना कर दीया.. कहेते थे वो अब हमारे लीये मर गये हे.. उन दोनोसे कोइ रीस्ता नही रखना.. वो दोनोसे बहुत नाराज हे..

सलमा : (मुस्कुराते) जरीना छोडनां.. बच्चे हे अ‍ेक बार गलती हो गइ.. अब तो दोनोने नीकाह भी करलीया हे.. तो दोनोको ढुंढकर घरपे बुलालो.. तुजे पता हे..? अभी जो हमारे घरपे साहीलका दोस्त बंसीभाइ आयेगेनां.. वो अपनी विधवा बुआसे सादी कर रहे हे.. उसी सादीकी खरीदी करने यहा आये हे.. ओर ये सादी खुद बंसी भैयाके पीता उनकी बहेनसे कर वा रहे हे..

जरीना : (सामने देखते) दीदी.. ये तो अच्छा हे सब खुलकर अ‍ेक दुसरेकी सहमतीसे कर रहे हे..

सलमा : (मुस्कुराते) हां.. अरी सुननां.. अ‍ेक लडकी ओर उनके साथ हे.. जयश्री नाम हे उनका.. जो साहीलके दुसरे दोस्तकी बहेन हे.. वो भी हमारी सायराकी तराह अपने भाइसे प्यार करती थी.. जो कुछ दिन पहेले ही दोनोने घरसे भागकर कोर्टमे सादी करली.. तो उनके मा बापभी उन दोनोकी सादी अब ताम जामसे कर देना चाहते हे.. वो भी खरीदी करने साथ आइ हे.. जरीना.. अबतो हमे अ‍ैसे रीस्तोसे कोइ आस्चर्य नही होता.. गांवमे सबने अ‍ैसे रीस्तोको स्वीकार करलीया हे..

जरीना : (सामने देखते) दीदी.. मुजेतो कोइ अ‍ेतराज नही.. लेकीन आपके देवर माननेके लीये तैयार नही थे.. येतो आप लोगोने उनसे गांवकी सभी बाते की.. तो मान गये.. उनको मनाना बहुतही मुस्कील था.. पता नही दोनो इस वक्त कहा होगे.. कही सायरा पेटसे हो गइ.. तो उनका सब करेगा कौन..? बस.. मुजे तो सीर्फ यही चीन्ता हे.. कैसे अ‍ेक सादी सुधा ओरतकी तराह होगइ थी..

सलमा : (मुस्कुराते) तब तो दोनोके बीच काफी लंबे अरसेसे (समय) रीलेशन होगे.. जब आपने उन दोनोको पकडा तब आपने उसे पुछा नही की दोनो कीतने समयसे साथ सोते मील रहे थे..

जरीना : (सरमाकर मुस्कुराते) दीदी.. मेने सायराको मेरे रुममे बुलाकर सब कुछ पुछा.. तो कमीनी मुजे बीना डर बेबाकर जवाब देती रही.. कहेती थी मे हाइस्कुलमे पढती थी ओर भाइ कोलेजमे थे तबसे हम दोनो प्यार करते हे.. ओर जब बडे भाइको लिका दौरा पडा.. तब सबाना तो उधर ही आपके पास थी.. मे ओर आपके देवर उघर दो तीन दिनके लीये आये थे.. तब ही उन दोनोने कही जाकर नीकाह करलीया था.. ओर उसी दिन दोनो पहेली बार मीले थे.. बस.. तबसे दोनो हर रात अ‍ेक मीया बीवीकी तराह मीलने लगे..

सलमा : (मुस्कुराते) सायरा तो बडी हिंमत वाली नीकली.. हें..हें..हें.. दोनो पढते थे तबसे ही रीलेशनमे थे तो काफी वक्त दोनो मीलते होगे..


जरीना : (मनमे) दीदी.. अब आपसे क्या बताउ.. हींमत वाली सायरा नही कादीर था.. जो सायरा के साथ साथ उनसे छुपकर उनकी मांको यानी की मुजे भी काफी समयसे ठोकता था.. ये तो अच्छा हुआ मे हर बार आइपील खा लेती थी.. वरना कमीना मुजे भी प्रेगनेन्ट करके चला गया होता.. तो मे सबको क्या मुह दीखाती..?

सलमा : (सरमाते हसते) जरीना.. कहा खो गइ..? मे तुमसे कुछ पुछ रही हु.. दोनो कीतने समयसे मीलते थे..? बताना..

जरीना : (सरमाते हसते) दीदी.. दोनो तबकरीबन चार सालसे मील रहे थे.. ओर कमीनोने हमे उनकी भनक भी नही लगने दी.. जब दोनोको मेने रंगे हाथो पकडा उसी रात दोनो भाग गये.. अच्छा हे मेरी सबाना अ‍ैसी नही हे.. उनको तो बस अपनी पढाइसे ही मतलब हे..

सलमा : (मौका मीलतेही धीरेसे सरमाते) जरीना.. अगर तुम बुरा ना मानोतो तुमसे अ‍ेक बात कहु..?

जरीना : (मुस्कुराते) दीदी.. अब आपकी बातसे क्या बुरा मानना.. आप थोडी पराइ हे.. आप जोभी कहोगी हमारी भलाइ के लीयेही कहोगी.. कहीये.. क्या कहेना चाहती हे..
 
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dilavar

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सलमा : (सरमाते धीरेसे) जरीना.. अब तुजे सब कैसे कहु..? तुम बुरा मत मानना.. क्युकी बात अभीकी नही हे.. जब हमारी सबाना पढ लीखकर वापस आजाये तबकी हे.. मेने हमारी सबानाके लीये अ‍ेक रीस्ता ढुंढ लीया हे.. ओर अभी इस बातको सीर्फ हम दोनोके बीच ही रखना हे.. क्युकी तब पता नही सबाना डोक्टर बन जायेगी.. तब वो क्या सोचती हे.. हो सकता हे वो कीसी डोक्टरसे भी सादी करले..

जरीना : (धीरेसे सामने देखकर) नही दीदी.. मेरी सबाना अ‍ैसी नही हे.. उनको अपनी पढाइका कोइ धमंड नही हे.. मुजे भी कहेती थी मे सादी हमारी बीरादरीमे ही करुगी.. ओर वोभी वहा.. जहा आप ओर पापा तैय करोगे.. तो दीदी अगर लडका आपने ढुंढा हेतो अच्छा ही होगा.. बताइअ‍ेना कौन हे वो लडका..?

सलमा : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) जरीना.. लेकीन अ‍ेक प्रोबलेम हे.. वो लडका इतना पढा लीखा नही हे..

जरीना : (फीकी मुस्कानसे) दीदी.. पढाइ लीखाइसे क्या होता हे..? संस्कार भी तो होना चाहीये.. हमने कादीर ओर सायराको भी पढाया था.. क्या नतीजा नीकला..? कमीने दोनोही हमारी इजत मीटीमे मीलाकर हमे छोडकर भाग गये.. हमारी तो छोडो मेरी बेचारी सबानाका भी सभी सपना तोडके गये.. ओर अ‍ेक ये हमारा साहील..

भले ही थोडा कम पढा लीखा हे.. लेकीन सबानाकी पढाइके लीये इसने अपनी सारी जमा पुंजी हमे देदी.. तो कौन अच्छा हुआ..? दीदी.. भले ही वो कम पढा लीखा हो.. बस.. हमारे साहीलकी तराह संस्कारी होना चाहीये.. बाकी हम जहा कहेगे हमारी सबाना वही सादी कर लेगी.. कहीये.. वो लडका कौन हे..?

सलमा : (सरमाते धीरेसे) जरीना.. बुरा मत मानना.. वो लडका खुद हमारा साहील हे.. क्या मेरे साहीलके लीये तुम मुजे सबानाका हाथ दे सकती हो..? वोभी उनकी पढाइके बाद.. ओर ये बात अभी सीर्फ हम दोनोके बीच ही रहेगी..

जरीना : (सोक्ट होते सामने देखते) दीदी.. क्या केह रही हो आप..? हमारा सा..ही..ल.. आपको भी पता हे वो ओर सबाना दोनो सगे भाइ बहेन हे.. अ‍ेक भाइ बहेन तो हमारी नाक काटकर चले गये.. इसके लीये आपके देवर कभी नही मानेगे..

सलमा : (मुस्कुराते धीरेसे) जरीना.. मेरे देवरको अभी कुछ मत कहेना.. उनको हम सबाना पढकर वापस आयेगी तब बात करेगे.. मुजे सीर्फ तेरी राय जाननी हे.. ओर साहील अब मेरा बेटा हे.. तेरा नही.. देवरजी उनके चाचा हे.. तो चाचाकी लडकीसे सादी करनेमे कोइ बुराइ नही.. अ‍ेक बार सोचले.. अगर तुम मुजे मना करोगी तो भी मुजे बुरा नही लगेगा.. बस.. मेने तो अभी मेरे मनकी बात तुजे कहेदी..

जरीना : (आंख गीली करते) दीदी.. आप भी तो इनके चाचाकी लडकी थी.. आपकी बात सही हे.. साहीलकी सादी सबानाके साथ हो सकती हे.. अगर अ‍ैसा हुआ.. तो मे ओर सबाना इस दुनीयाकी सबसे खुस नसीब ओरत होगी.. मेरे साहील जैसा लडका उनको कहा मीलेगा..? दीदी.. मुजे इस रीस्तेसे कोइ अ‍ेतराज नही.. बस.. अब आपको देवरको देखना हे.. की वो क्या कहेते हे..

सलमा : (खुसीके मारे जरीनाको गले लगाते) जरीना.. थेन्क्यु.. मुजे तुमसे यही उमीद थी.. लेकीन इस बातको हमे सबसे छुपानी हे.. खास करके साहील ओर सबानासे वरना सबानाका ध्यान पढाइके अलावा कही ओर भटक जायेगा.. ओर ये मे कतइ नही चाहती.. ओर रही बात देवरसे बात करनेकी.. तो वो हमारे बडे ठाकुरजी इनसे बात करलेगे.. वो उनकी बात कभी नही टालेगे..

जरीना : (अलग होते अपने आंसु पोछकर मुस्कुराते) दीदी.. अगर अ‍ैसा होता हे तो बहुत ही अच्छा हे.. लगता हे आज पुरा दिन खुसीयोका हे.. अ‍ेक के बाद अ‍ेक खुसीया मील रही हे.. मुजे ये रीस्ता मंजुर हे.. बस.. मेरी सबानाकी पढाइ तक रुक जाइअ‍े..

दोनोही खाना बनाते बाते करती रही.. तब फीरोज भी मीठाइ लेकर आगया.. तो कुछ ही देरके बाद बंसीका फोन साहीलके फोनपे आगया ओर वो घरका अ‍ेड्रेस पुंछने लगा.. तब साहील फीरोजकी बाइक लेकर उनको रोडपे लेने चला गया.. ओर लखन ओर फीरोज बाते करने लगे.. तब कुछ ही देरमे साहील सबको लेकर घरपे आगया.. तो बंसी आते ही फीरोजके पांव छुकर लखन ओर साहीलको गले लग गया..

तो आज सांतीने सारी पहेनी थी.. जागृती ओर जयश्री सरमाते फीरोजको हाथ जोडकर नमस्ते करने लगी.. तो आवाज सुनकर जरीना सलमा ओर सबाना भी बहार नीकल गइ.. ओर सबको गले मीलने लगी.. तब सबाना सांती जयश्री ओर जागृतीको देखते ही उनके गले लग गइ.. फीर तीनोको लेकर अपने रुममे चली गइ.. ओर उनके साथ हस हसके बाते करने लगी.. तब सलमाने बहारसे ही जरीनाको सांती जागृती ओर जयश्रीका परीचय करवाया..

तब जरीना सांती ओर जयश्री जागृतीको मीली.. ओर उनसे हस हसके बाते करने लगी.. जयश्रीने अपनी मांगमे सींदुर लगाया था.. तब बहार बंसी भी फीरोजको पहेचानता था.. तो वोभी फीरोजके साथ गांवकी बाते करने लगा.. ओर फीरोजको वापस गांवमे आनेके लीये कहेने लगा.. जब खाना बन गया तब सबलोग अ‍ेक साथ खाना खाने बैठ गये.. तब सलमा ओर जरीना सबको खाना परोसने लगी.. ओर सबने बाते करते खाना खालीया....

कन्टीन्यु
 
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Kumarshiva

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Fantastic update brother
Aapse pahle bhi ek request ki thi ab bhi kar karke raha hu,kisi ghar ki aurato ko us ghar ka mard hi unko bhoge koi bahari nhi jaise firoj aur karim ke pariwar me kadir sayra aur jarina bhogata hai salim salma ko pregnant kar diya, ab sabana bhi interest dikha rhi hai Sahil me to Sahil hi usse shadi kare
Lakhan aur devayat ke already bahut sari aurate hai.
Wo kya hai ki ghar ki aurato ko ghar ka beta hi bhoge to ekdam pure incest feeling aati hai and this feeling is the best feeling for incest story readers
 
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