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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८८

तो कुछही देरके बाद सबानाने चेइनको सीलेक्ट करलीया.. तबतक पेन्डलभी तैयार होकर आगया.. जो उसमे साहील ओर सबानाकी तस्वीर लगी थी.. लेकीन सबाना इस बातपे अन्जान थी.. उसे पता ही नही चला की साहीलने ये सोनेका चेइनवाला पेन्डल उनके लीये लीया हे.. दुकारनदारने उसे अ‍ेक छोटेसे बोक्षमे डालकर गीफ्टकी तराह पेक करदीया.. ओर साहीलने उसे पेमेन्ट करदीया.. ओर दोनो बहार आगये.. तभी....अब आगे

सबाना : (मुस्कुराते) भाइजान.. पेन्डलतो मस्त लीया आपने.. बहुत मंहेगा हे.. क्या आपने अपनी गर्लफ्रेन्डके लीये लीया हे..? हें..हें..हें..

साहील : (हसते) हां.. यही समजलो.. हें..हें..हें.. लेकीन अभी तो मेरी कोइ गर्लफ्रेन्ट नही हे.. तो मेने मेरी प्यारीसी स्वीट सबाना दीदीके लीये लीया हे.. उनका बर्थडे जो हे.. हेपी बर्थडे डीयर दीदी.. लीजीये मेरी तरफसे आपको गीफ्ट..

सबाना : (चोंकते थोडी गभराते) अरे नही नही.. मे ये नही ले सकती.. इतनी महेगी गीफ्ट मुजे नही चाहीये..

साहील : (मुस्कुराते) दीदी.. अ‍ैसे गभरा क्यु रही हो..? मेने ये स्पेसीयल आपके लीयेही तो बनवाया हे.. क्या अपने भाइका दिल तोडोगी..? आपको लेना ही पडेगगा.. आपको मेरी कसम..

सबाना : (आंख गीली करते) भाइ.. प्लीज.. कसम मत दो.. अब सीर्फ अ‍ेक ही तो भाइ हो आप.. ओर मे ये महेंगी गीफ्ट लुगी तो मम्मी पापा मुजे डाटेगे.. मे ये नही ले सकती.. प्लीज..

साहील : दीदी.. लेकीन आपको कहा उनसे छुपकर गीफ्ट रखना हे.. मे उनसे बात करदुगा.. वो आपको कुछ नही कहेगे.. फीर भी उनके डरसे मना कर रही हो.. तो फीर इनके बारेमे चाचा चाचीको अभी बतानेकी क्या जरुरत हे..? आप इसे छुपाकर रखना.. जब बेंगलोर चली जाओ तो साथ ले जाकर वहा पहेनना.. तो कीसीको पता नही चलेगा..

सबाना : (अ‍ेक नजरसे देखते) भाइ.. बुरा मत मानना.. अ‍ेक भाइ बहेनने तो मम्मी पापाको धोखा दीया हे.. तो अब मे उनसे जुठ छुपाकर ओर धोखा देना नही चाहती.. कभी तो उसे पता चल ही जायेगा.. सोरी.. मे ये गीफ्ट नही लुगी.. आपने इतने सारे कपडे दीलवाये यही मेरे लीये बडी गीफ्ट हे.. सोरी भाइ.. मुजे गलत मत समजना..

साहील : (मुस्कुराते) दीदी.. आज खुसी हुइ आप चाचा ओर चाचीकी इजतके बारेमे इतना कुछ सोचती हे.. लेकीन अबतो मेने आपके लीये लेलीया हे.. आप कहो तो इस बारेमे मे उनसे बात करलुगा.. फीर भी अगर आप इसे लेना नही चाहती तो फीर आपकी मरजी.. अब ये अमानत अ‍ैसे ही आजसे मेरे पास रहेगी.. जब तक आप डोक्टर बनकर वापस नही आती.. ओर तुम इसे सामनेसे नही मागोगी तबतक मेरे पास रहेगी.. जब सामनेसे मांग लोगी तब मे समजुगा मेरी दीदी मुजसे प्यार करती हे..

सबाना : (आंसु बहाते हग करते) भाइ अ‍ैसा मत बोलोे.. मे आपको बहुत प्यार करती हु.. लेकीन मे ये गीफ्ट नही ले सकती.. समजोनां मेरी भी कुछ मजबुरी हे.. अब आपको कैसे समजाउ..?

साहील : (मुस्कुराते आंसु पोछते) चल ठीक हे.. रो मत.. मेतो मजाक मे केह रहा था.. दीदी.. बस.. आप ध्यान लगाके पढना.. डोक्टर बनना सीर्फ आपका ही नही मेरा भी सपना हे.. की मेरी दीदी बहुत बडी डोक्टर बने.. देखना फीर तो तुम हमे पहेचानोगी भी नही.. हें..हें..हें.. चलो..

सबाना : (अपनी आंख साफ करते मुस्कुराते) भाइ.. आप बहुत बदमास हो.. कीसने कहा मे आपको नही पहेचानुगी..? अब तो मे सबको कहुगी.. की देखो.. दुनीयामे सबसे बेस्ट मेरा साहील भाइ हे.. भाइ.. जब मे बेंगलोर जाउगी तब आप मुजे स्टेशन छोडने तो आओगेनां..? वरना मे नही जाउगी.. आपको अभीसे केह देती हु..

साहील : (मुस्कुराते साथ चलते) हंम.. देखता हु.. अगर सहेरमे होउगा तो जरुर आउगा..

सबाना : (साथ चलते) भाइ.. मुजे पता हे आप मुजसे नाराज हो.. लेकीन मे आपको चस बताउ..? जब कादीरभाइ ओर सायरा दीदी चले गयेनां.. तो हम घरवाले लग भग टुट ही चुके थे.. अ‍ेक बारतो मेरे दिमागमे बुरे खयाल आने लगे थे.. की मे भस इस फानी दुनीयाको छोडकर चली जाउ.. भाइ.. अ‍ेक बारतो मैने डोक्टर बननेकी उमीद ही छोडदी थी.. लेकीन भाइ कसमसे.. उस वक्त मुजे आपकी खयाल आया.. क्युकी मे आपको बहुत प्यार करती थी..

साहील : (सोक्ट होते सुनते) तो फीर तुमने मुजे पहेले फोन क्यु नही कीया..? क्या इस भाइपे इतना भरोसा नही था..?

सबाना : (आंख गीली करते) भाइ.. भरोसा तो खुदसे भी ज्यादा आपपे हे.. लेकीन में कैसे आपको फोन करती..? अगर मेने आपको फोन करके बता दीया होता तो आप लोग फौरन यहा चले आते.. तो मेरे मम्मी पापाको पता चल जाता की मैने आपको फोन कीया हे.. भाइ.. तब सीचुअ‍ेशन ही अ‍ैसी थी..

तो मेरे फोन करनेसे पापा मुजपे ओर आप भी सक करते.. ये तो अच्छा हुआ अम्माने बडी अम्माको सब बता दीया.. ओर आज मेरे इस भाइने सबको सम्हाल लीया.. भाइ.. मुजे आप पे बहुत गर्व हे.. अगर आप नही आये तो मे भी नही जाउगी.. आपकी कसम.. नही बनना मुजे डोक्टर.. फीर आपसे कभी बात भी नही करुगी..

साहील : (आंख गीली करते) रुलायेगी मुजे..? अब तो सब सही होगया हेनां..? चल अपना आंसु पोछले.. मे आजाउगा.. बस..? अब तो खुस..?

सबाना : (सामने देखते) नही.. जबतक मेरे भाइकी आंखोमे आंसु हे तबतक मे खुस नही रहुगी.. हें..हें..हें..

साहील : (आंख साफ करते मुस्कुराते) अबतो खुस..? हें..हें..हें..
 
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सबाना : (मुस्कुराते साथ चलते) हंम.. भाइ.. आपको तो जुठ मुठ हसना भी नही आता.. सीर्फ मेरा दिल रखनेके लीये हस रहे हेनां..? दीजीये मेरा गीफ्ट.. मे इसे सम्हालके रखुगी.. ओर बेंगलोर जाकर पहेनुगी.. अबतो खुस होजाइअ‍े.. हें..हें..हें..

साहील : (जेबसे बोक्ष नीकालकर देते) तो फीर इतनी देरसे नखरे क्यु कर रही थी..? हें..हें..हें..

सबना : (बोक्षको सीनेपे लगाते हसते) क्युकी मे मेरे भाइके दिलको नही तोड सकती.. आज पता चला मेरा भाइ मुजे कीतना चाहता हे.. भाइ.. लव यु..

साहील : (मुस्कुराते) हंम.. दीदी.. अभी आपने अपने भाइकी चाहतको देखा ही कहा हे..? कभी अजमाना चाहो तो देखलेना.. मे जान भी दे दुगा..

सबाना : (फौरन साहीलके मुहपे हाथ रखते आंख गीली करते) भाइ.. मत बोलो अ‍ैसा.. मेने आपकी चाहतको देख भी लीया.. ओर महेसुस भी करती हु.. नही अजमाना मुजे कुछ.. अगर आप जान दे दोगे.. तो फीर क्या मे जीन्दा रेह सकती हु..? भाइ.. आइ लव यु.. मे मेरे साहील भाइको बहुत चाहती हु.. भाइ.. जब मे वहा चली जाउ तब आप कमसे कम हप्तेमे अ‍ेक बार फोन जरुर करना..

साहील : (साथ चलते) हां जरुर करुगा.. मे तेरे जानेके बाद चाचा ओर चाचीको हमेसाके लीये गांव लेजा रहा हु.. ओर कादीर भाइ ओर सायरा दीदीको ढुंढकर भी वापस लाउगा.. ओर यही मकान उनको दिलवाउगा.. जहा अभी आप लोग रहेते हो.. आइ प्रोमीस..

सबाना : (सरमाते भीरेसे) भाइ.. आपसे अ‍ेक बात पुछु..? क्या कादीरभैयाने ओर सायरा दीदीने आपसमे सादी करके सही कीया..? क्या ये रीस्ता नाजायज नही हे..? आप लोग हमारे गांवके बारमे भी बहुत कुछ बता रहे थे.. तभी तो पापा मान गये..

साहील : (मुस्कुराते) हां सबुदीदी.. वैसे हमारे सभ्य समाजकी द्रष्टीकोणसे देखा जाये तो नाजायज हे.. ओर मेरी द्रष्टीसे देखा जायेतो मुजे सभी रीस्ते जायज लगते हे.. ये सब अपनी अपनी सोचपे नीर्भर करता हे.. हमारे यहा अ‍ैसे रीस्तेको स्वीकार नही करते.. लेकीन आप हीमाचल चली जाओ.. तो वहा आजभी उस राजाकी सुरु की हुइ परंपराको लोग नीभाते हे.. तभी तो वहा आज अ‍ेक भी विधवा या त्यक्ता नही मीलती.. सब लोग अपनी जींदगी हसी खुसीसे गुजारते हे.. ओर अब तो ये सब हमारे गांवमे भी होने लगा हे..

सबाना : (सरमाकर हसते) हंम.. मे जानती हु.. क्या मुना भैया ओर श्रीधर भैयाने भी अपनी बहेनसे सादी करली हेनां..? मेरी इस बारेमे जयश्री दीदीसे बात हुइ.. वो अपने भाइसे सादी करके बहुत खुस हे..

साहील : (मुस्कुराते साथ चलते) हां दीदी.. सीर्फ ये दोनोने ही नही.. बहुत सारे लोग अपनी बहेनसे तो कोइ अपनी विधवा भाभीके साथ.. हमारा बंसी खुद उनकी विधवा बुआके साथ सादी कर रहा हे.. उसी सादीकी खरीदी करने तो इधर आया हे.. ओर वैसे देखा जायेतो हमारे अबु अम्मीके खुदके रीस्ते नाजायज हे.. चाची चाचाकी बुआकी लडकी हे.. तो खुद मेरी अम्मी अबुके सगे चाचाकी लडकी हे.. तो क्या वो दोनो उनकी बहेने नही हुइ..?

सबाना : (हसते) भैया.. लेकीन वो तो उनकी सगी बहेने थोडीनां हे..? हें..हें..हें..

साहील : (मुस्कुराते) बहेन बहेन ही बहोती हे.. फीर चाहे सगी हो या दुरकी.. ये सगी बहेन क्या होता हे..? क्या तुम मुजे बता सकती हो..?

सबाना : (सर्मसार होते मुस्कुराते) भाइ.. मीन्स.. मानलोना दोनो भाइ बहेन अ‍ेक ही मांकी कोखसे जन्मे हो.. उसीको तो सगे भाइ बहेन कहेते हे..

साहील : (हसते) हंम.. दीदी.. आपको तो पता हे.. पहेलेक जमानेमे राजा ओर साहुकार कीतनी सादीया करते थे.. हमारे समाजमे भी चार चार सादीया करते हे.. तो मानलो.. कीसी मर्दकी दो बीवीया हे.. अ‍ेक बीवीसे लडका हुआ.. ओर दुसरी बीवीसे लडकी.. तो फीर आप उसे सगे भाइ बहेन मानती हो.. की नही..? बस.. सीर्फ इतना बतादो..

सबाना : (हसते) ओह.. हें..हें..हें.. भाइ.. आपने तो मुजे उलजनमे डाल दीया.. सायद.. उसे सगे नही.. सौतेले भाइ बहेन कहेते हे.. हें..हें..हें.. क्युकी दोनोकी मां अलग अलग हे.. ओर बाप अ‍ेक हे..

साहील : (हसते) हंम.. तो फीर इसका मतलब ये हुआ की इस मामलेमे ओरतको तवज्जो देते हे.. मर्द को नही.. तो फीर हम ओरतोकी भावनाओका खयाल क्यु नही रखते..? हम क्यु इनकी बेइजती करते हे..? क्या उनको अपने तरीकेसे जींदगी जीनेका अधीकार नही..? क्या वो सीर्फ बच्चे पैदा करनेके लीये हे..? मनलोना.. दोनोकी मां अलग अलग हे.. तो फीर उन भाइ बहेनके बीचकी सादीको तुम क्या मानती हो..? जायज की नाजायज..? क्या उन दोनोके बीच सादी हो सकती हे..? हें..हें..हें..

सबाना : (सरमाते हसते) भाइ.. मुजे नही पता.. हें..हें..हें.. आप तो हम ओरतोके बारेमे काफी कुछ जानते हे.. भाइ.. मुजे आज खुसी हुइ.. की मेरा भाइ ओरतोकी इजत भी करना जानता हे..

साहील : दीदी.. हमारे अबु ओर हमारी अम्मा.. दोनो सीर्फ अ‍ेक ही रीस्ता तो दुर हे.. तो फीर सायरा दीदीकी क्या गलती..? इसीलीये मेतो कादीर भैया ओर सायरा दीदीके रीस्तोको भी गलत नही मानता.. सोचो जब इस पृथ्वीपे पहेला आदमी ओर ओरत आये होगे.. तब उनके बच्चोने भी तो यही सब कीया होगा..

तभी तो हम सब इतने सारे लोग होगये.. तब कहा कोइ रस्ते नाते थे.. जीस पृथ्वीपे हम रेहते हे ओर उनका नाम जीसके उपरसे पडा हे.. वो प्रुथुराजाने खुद उनकी बहेनसे सादी करली थी.. तब कहा कोइ रीस्ते नाते थे..? दीदी.. दुनीया प्रकृतीसे चलती हे.. नाही की समाजके नीयमोसे लोग प्रकृतीकी पुजा करते हे.. समाजकी नही..

सबाना : (मुस्कुराते) अरे वाह.. भाइ.. आइ अ‍ेम इम्प्रेस.. आप बाते बडी दिलचस्प कर रहे हे.. आपको बातोमे कोइ नही हरा सकता.. हें..हें..हें.. कीसने कहा आप कम पढे लीखे हे.. हें..हें..हें..

साहील : (सरमाके हसते) हंम.. भाइको मस्का लगा रही हे..? चल कोइ बात नही.. अब कुछ ठंडा बंडा पीते हे.. अभी सबलोग आजायेगे..

ओर सबाना हसते अ‍ेक नजरसे साहीलको देखती रही.. आज उसे साहील बहुत ही मेच्योर लग रहा था.. वो साहीलकी बातोसे साहीलसे काफी इम्प्रेस होगइ थी.. उसे मन ही मन अपने बडे भाइ कादीर ओर बडी बहेन सायराके बीच सादीका रीलेशन सही लगने लगा.. ओर अ‍ेक पल तो वो खुद अपने भाइ सहीलके साथ सादीकी कल्पना करने लगी.. तब वो बहुत ही सरमाइ.. ओर उसने हिंमत करके साहीलका हाथ पकडलीया..
 
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फीर साहील ओर सबाना दोनोही प्यार भरी बाते करते चल रहेथे तब उनको लखन ओर सृती मील गये.. तब चारो अ‍ेक कोफी शोपमे चले गये.. तो सृती ओर सबाना बेंगलोरके बारेमे बाते करने लगी.. तब बातो ही बातोमे सृतीने सबानाको बहुत सारी जानकारीया देदी.. ओर वहा उनके पहेचान वालेका नंबर भी दे दीया.. ओर सबानाको स्कोलशीपके बारेमे भी जानकारी देदी.. तब सबाना सभी जानकारी लेकर बहुत ही खुस होगइ..

तो कुछ ही देरके बाद वहा बंसी सांती जयश्री ओर जागृती भी फोन करके आगये.. पांचो लेडीस अ‍ेक दुसरेकी खरीदारीकी जानकारीया देने लगी.. तब सबानाने साहीलकी गीफ्टके बारेमे बात छुपाली.. तबतक बंसीने सबके लीये ठंडा ओर नास्तेका ओर्डर करदीया.. तब सब लेडीससे बाते करते हुअ‍े भी जागृती ओर जयश्री आपसमे अ‍ेक दुसरेके कानमे घुसपुस करते बार बार लखनकी ओर देखते हस रही थी.. तो सांती सृती ओर सबाना तीनो ही अपनी बातोमे मसगुल थी..

सृती अब भी सबानाको सब बाते बता रही थी.. ओर बातो ही बातोमे सृतीने गांवमे ही अ‍ेक गायनेक डोक्टरकी नोकरीकी बाते भी करली.. जीसे सुनकर सबाना बहुत खुस होने लगी.. तब सांती दोनोकी बाते बडे ही गौरसे सुन रही थी.. तबतक सृती ने सांतीको भी बहुत कुछ पुछ लीया.. तो सांतीने सरमाते अपनी पुरी लव स्टोरी सुनादी.. ओर साथमे श्रीधर जयश्री ओर मुना बरखाकी भी बाते भी हुइ.. जीसे सुनकर सबानाके दिलमे भी हलचल बढ गइ.. ओर वो साहीलकी ओर प्यार भरी नजरोसे देखने लगी..

जब सब लोगोकी खरीदी होगइ.. ओर चाइ नास्ता करलीया.. तो सबलोग बाते करते बहार नीकल गये.. ओर अपनी अपनी कारमे सब सामान रखकर वापस फीरोजके घरकी ओर जाने लगे.. वहा सबलोग घरमे चले गये तब फीरोज अपनी नोकरीपे जा चुकाथा.. तो सबानाने अपना सब खरीदीका सामान ले लीया.. लेकीन उसने ज्वेलरी बोक्षको अपनी सलवारकी जेबमे छुपाकर रखा था..

सबाना अपने कपडे अपनी मम्मीके पास रखकर जटसे अपने रुममे चली गइ.. ओर साहीलने दिया पेन्डल चेइनका बोक्ष ओर ब्रा पेन्टीके सेटको अपनी अलमारीमे छुपाकर रख देती हे.. ओर जटसे वापस बहार आजाती हे.. तब जरीना ओर सलमा उनके सब कपडे देख रही थी.. तब सबाना सबको पानी पीलाती हे.. तो लखन बंसी ओर साहील बहार आइसक्रिम लेने चले जाते हे.. तब जरीना..

जरीना : (सबानाकी ओर देखते) सबु.. इतने सारे कपडे लेनेकी क्या जरुरत थी..? भाइको मना कर देती.. कीतना खर्चा करवाया हे तुमने..

सबाना : (सरमाते हसते) मम्मी.. मे मना कर रही थी.. लेकीन भाइजानने सब जबरदस्तीसे दीलवाया..

सलमा : (मुस्कुराते) हां तो सही तो हे.. अब हमारी सबाना वहा बडे सहेरमे पढने जा रही हे.. तो इतने कपडे तो चाहीयेनां.. साहीलने सही कीया हे..

सृती : (मुस्कुराते) हां भाभी.. साहीलभाइने सही कीया हे.. ओर अब आप सबानाकी कोइ चीन्ता मत करना मेने उसे सब समजा दीया हे.. अगर अभी जो अ‍ेक्जाम हे.. उनमे मेने कहा इतना परसंन्ट आगया तो उनको वहा स्कोलरशीप भी मीलेगी.. तो अभी साहीलभाइने जो पैसे दिये हे उन्हीमे उनकी सब पढाइ होजायेगी..

जरीना : (खुस होते) देवरानीजी.. तबतो आपके मुहमे घी सकर.. मेरी सबुका सभी सपना पुरा होजायेगा..

सृती : (मुस्कुराते) भाभी.. सीर्फ इतना ही नही.. जब सबाना पढकर वापस आयेगी तब हमारे गांवमे ही उसे होस्पीटल सम्हालनी हे.. वहा उनको सरकारी नोकरी मील जायेगी.. तब तो आप लोग भी उधर ही होगे.. हें..हें..हें..

जरीना : (मुस्कुराते) देवरानी.. आपकी सभी बाते सच हो.. आज आप सबलोग हमारे फरीस्ता बनकर आये हे.. अ‍ेक के बाद अ‍ेक खुसी देते ही जा रहे हे.. आज हम सब चेइनकी नींद सोयेगे..

सलमा : (हसते) अरी.. तु चीन्ता मत कर.. हमारा साहील हेनां.. हें..हें..हें..

सब लेडीस बाते कर रहीथी तब साहील लखन ओर बंसी सभीके लीये आइसक्रिम लाते हे.. ओर सब लोग आइसक्रिम खाते बाते करते हे.. तब आज पहेली बार जरीना साहीलकी ओर प्यार भरी नजरोसे देखती रही.. आज उसे साहील मे अपना बेटा नही.. उपना दामाद नजर आ रहा था.. जो इस बातके लीये गांवमे जाकर कभी फुरसतमे फीरोजसे बात करके उसे मनाना था.. तो लखनके पेन्टमे अब भी तंबु बना हुआ था..

तो जरीना.. सलमा.. जागृती जयश्री सांती ओर सृती सबाना.. सबकी नजर बार बार लखनकी पेन्टकी ओर चली जाती थी.. फीर सबलोग नीकलने लगते हे.. तब जरीना सबको गले मीलने लगी.. तो सबाना भी हस हसके सबको गले मीलने लगी.. जब साहीलको गले मीली तब सबाना उनकी आंखोमे प्यार भरी नजरोसे देखते मुस्कुराने लगी.. तब मुस्कुराते उनकी आंख गीली होगइ.. ओर साहीलको सीर्फ इतनाही केह पाइ.. थेन्क्स..

तो साहीलकी आंख भी गली होगइ.. ओर वो जटसे बहार नीकल गया.. तब सबाना उनको देखती ही रही.. साहील बहार नीकलकर अपनी आंखोको पोछने लगता हे.. तब भी सबाना उनकी ओर देख रही थी.. जैसे दो प्रेमी अ‍ेक दुसरेसे बीछड रहे हो.. आज पहेली बार सबानाके दिलमे साहीलके लीये बेसुमार प्यार बरस रहा था.. उनको साहीलसे बीछडनेका दुख हो रहा था.. तब चार आंखे उनकी ओर देख रही थी.. अ‍ेक थी सलमा ओर दुसरी थी जरीना.. दोनो ही अ‍ेक दुसरेके आंसु देखकर सब कुछ समज गइ..
 
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सबलोग इजाजत लेकर वहासे नीकल गये.. तब पुरे रास्ते साहील खामोस बैठा रहा.. जैसे अपनी मासुकासे बीछडनेका गम हो.. तो लखनने सृतीको साहील ओर सलमाके बारेमे सब कुछ बता दीया.. तो साहील ओर सलमा दोनोही सरमाने लगे.. फीर सलमा ओर सृती आपसमे बाते करने लगी.. तब सलमाने भी कीसीको ना कहेनेकी हीदायत देते अपनी ओर साहीलके बीच रीलेशनकी सब बाते खुलकर सृतीको बता दी.. की वो अभी साहीलसे प्रेगनेन्ट हे..

तब सृती सुनकर बहुत ही खुस होगइ.. ओर हसने लगी.. फीर सृतीने वही उनको कुछ गोलीया देदी ओर कुछ लीखकर देदी.. तो साहीलभी खुस होगया.. तब बंसीकी जीपमेभी जयश्री ओर जागृती सांतीको छेड रही थी.. तब सांती भी जुठा गुस्सा करते जागृती ओर जयश्रीको मारने लगती.. ओर सबलोग हसी मजाक ओर बाते करते अपने गांव पहोंय गये.. तो बंसी जयश्रीको उनके घरपे छोडकर सांती जागृतीको लेकर अपने घरपे चला गया..

लखनने साहील ओर सलमाको भी उनके घर छोड दीया.. ओर सृतीको लेकर हवेलीपे आगया.. तब सृती ओर लखनके पास बहुत सारे सारीके बोक्ष थे.. तो दया भी उनकी मददके लीये चली गइ.. तो मंजु भावना ओर पुनम आस्चर्यसे सृती ओर लखनकी ओर देखती रही.. तभी लखन सृती ओर पुनमकी ओर मुह बीगाडते नीर्मला भुमीकाके पास जाकर बैठ गया.. तो मंजु भावना ओर पुनम तीनो ही जोरोसे हसने लगी..

तभी सृतीने सभी बोक्ष मंजु भावनाको थमा दीये.. ओर कुछ बोक्ष सृती अपने साथ लेकर पुनमके रुममे चली गइ.. तो पुनम भी हसती हुइ सृतीके पीछे चली गइ.. तब मंजु ओर भावना दोनो ही सभी बोक्ष लेकर भुमीकाके पास जाकर बैठ गइ.. सभीकी आवाज सुनकर चंदा भी विजको गोदमे लेकर हसती हुइ बहार नीकल गइ.. आकर मंजुके पास आकर बैठ गइ.. ओर लखनकी ओर देखते मुस्कुराती रही..

चंदा : (सरमाते हसते) देवरजी.. लगता हे आजतो आपने बहुत सारी खरीदी करली..? पुरी दुकान खरीदकर लाये हे क्या..? हें..हें..हें..

लखन : (जोरोसे बोलते) हां.. आपकी छोटी सौतनको पुछलो.. उन्होने ही मुजसे सब खरीदी करवाइ हे..

सृती : (लखनकी आवाज सुनतेही दोडकर बहार आते) कीतने कमीने हो आप.. मम्मी.. ये सब जुठ बोल रहे हे.. मेने उनसे कोइ खरीदी नही करवाइ.. मेने इनको कुछ भी लेनेको नही कहा था.. इन्होने खुद लीया हे..

भुमीका : (जोरोसे हसते) अरे हमे थोडीना पता हे..? की तुमने क्या कहा होगा.. लखन बेटा जुठ थोडीनां बोलेगा.. हें..हें..हें..

सृती : (गुस्सा करते जोरोसे) अरे.. तो क्या मे जुठ बोल रही हु..? हां जाओ.. अब तुम भी इनकी तरफदारी करो.. ओर बैठ जाओ इनकी गोदमे.. कीतने कमीने हे.. अभी ठहेरो खबर लेती हु इनकी..

कहेते सृती लखनको मारनेके लीये कुछ ढुंढने लगी.. जब कुछ नही मीला तो लखनको मारनेके लीये उनकी ओर दोडकर आगइ.. ओर जैसे ही लखनको मारेने केलीये हाथ उठाया.. तब लखन सृतीसे बचते जोरोसे हसते सोफेके पीछे छलांग लगाकर चला गया.. तो सृती सीधे ही सोफेपे टकराकर उनपे गीर गइ.. तो सब लोग जोरोसे हसते दोनोका तमासा देखने लगे.. तभी सृती वापस लखनको गालीया देते खडी होगइ..

ओर लखनके पीछे जाने लगी.. तब लखन सृतीको सोफेसे दो तीन चकर लगवाकर उपर अपने रुममे दोडकर चला गया.. तब सृती सीडीयोके पास खडी होकर उपरकी ओर देखते गालीया देने लगी.. फीर सबकी ओर देखकर मुस्कुराइ ओर वापस पुनमको लेकर रुममे चली गइ.. तब बहारकी ओर मंजु चंदा ओर भावना सब बोक्ष खोलकर सारीया देखने लगी.. तो नीर्मला ओर भुमीकाभी देखके खुस हो रही थी.. तो रुममे..

सृती : (हसते) पुनोदी.. अभी ये सब बोक्ष आप अपने रुममे रखदो.. मेरे अंडर गार्मेन्टस हे.. हम बादमे देख लेगे.. मुजे आज आपसे बहुत सारी बाते करनी हे.. हमारे देवरके बारेमे.. हें..हें..हें.. चलीये बहार..

पुनम : (हसते धीरेसे) भाभी.. बताइअ‍ेना..? क्या उसने आपके साथ कोइ सरारतकी..? हंम..? हें..हें..हें..

सृती : (हसते सर्मसार होगइ) सरारत..? अरे पुछो ही मत.. वो तो बहुत ही कमीने हे.. मुजेतो बहुत सरम आइ.. अरे बहार तो चलीये अभी हम सारीया देखते हे.. सबके लीये लेली हे.. फीर हम आरामसे बेठकर बात करते हे.. आप सुबह केह रहीथीना हम सामको बात करेगे.. तो मुजे भी हमारे देवरके बारेमे आपको बहुत कुछ बताना हे.. ओर आपसे बहुत कुछ जानना हे..

पुनम : (हसते बहाकी ओर चलते धीरेसे) भाभी.. मुजे भी कुछ बाते कहेनी हे.. पहेले सारीया देखकर फ्रेस होजाइअ‍े फीर हम आरामसे बैठकर बात करेगे.. चलो..

सृती ओर पुनम सबके पास आकर बैठ गइ.. तो जैसेही लखनने लताको सारीके बारेमे कहा.. तो लताभी दोडकर नीचे आगइ.. ओर सबके साथ बैठकर सारीया देखने लगी.. तबतक लखन रुममे जाकर फ्रेस हो गया.. तब नीचेकी ओर सृती सबको अपनी अपनी सारीया देने लगी.. तो दया रजीया ओर चंपाभाभीके साथ नीर्मला भुमीकाको भी सारी मील गइ.. तो सबलोग लखनकी चोइस देखकर खुस होने लगी..

नीर्मला : (हसते) अरे हमारा लखनतो सारी बहुत ही अच्छी लाया हे.. क्या सब उनकी चोइस थी..?

सृती : (हसते) हां.. कहेते थे मेरी चोइस सबको पसंद आयेगी.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते धीरेसे हसते) हां भाभी.. मेरे कपडे लेने जाती तब लखनभैयाको साथमे लेजाती.. मेरे सब कपडे वोही सीलेक्ट करते थे.. उनको कपडेके बारेमे बहुत कुछ ज्ञान हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) हां.. जब मे सादी करके इधर आइ तब मेरे लीये भी दो तीन बार ड्रेस ओर सारीया लेकर आये हे.. हें..हें..हें..

सबलोग अपनी अपनी सारी देखकर बहुत खुस हो रहेथे.. तब लखन कंपलीट होकर नीचे आगया.. तो नीर्मला भुमीका चंदा सबलोग लखनकी चोइसकी तारीफ करने लगी.. तब लखन बहुत ही खुस होते सबके पास बैठनेके लीये आने लगा.. तभी सृतीने आंखोके इसारोसे मंजु ओर पुनको लखनकी ओर इसारा कर दीया.. जैसेही लखन सबके पास आकर बैठ गया.. तब सृती पुनम मंजु चंदा चारो लखनके उपर घुसे लाते मारते टुट पडी..

तो लखन जोरोसे हसते सबसे बचनेकी कोसीस करता रहा.. तब नीर्मला ओर भुमीकाने हसते हुअ‍े लखनको बचालीया.. तो लखन सबको देख लुगा.. कहेते धमकी देने लगा.. तो सृती वापस उनको मारनेके लीये दोडी.. तब लखन छलांग लगाते बहारकी ओर भाग गया.. तो सभी ओरते जोरोसे हसने लगी.. अब सबको लखनके साथ मस्तीया करनेके बहुत मजा आ रहाथा..

तभी पुनम ओर मंजु.. दोनो ही अ‍ेक दुसरेकी ओर देखते रहस्यमइ मुस्कान कर रही थी.. क्युकी वक्त बहुत तेजीसे बदल रहा था.. ओर अभी लखनके बारेमे सीर्फ मंजु ओर पुनम ही जानती थी.. की इस खानदानके सभी मर्दको अपनी जीम्वेवारी नीभानेका मौका मीलेगा.. ओर कुछ जीम्वेवारी मंजुने पुनमको अभीसे अपने बेटे वीजयके लीये भी सौंपदी थी.. जीसे सुनकर अ‍ेक बार तो पुनम जैसी लडकी भी सर्मसार हो गइ थी..
 
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dilavar

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तो दुसरी ओर आज जयश्रीने भी बहुत सारे कपडे अपने लीये ओर ब्रीन्दाके लीये ले लीयेथे.. उसने श्रीधरके लीये भी दो टीसर्ट खरीद लीयेथे.. तब ब्रीन्दा बहुतही खुस होगइ.. तो सामतके घरपे भी सबलोग बैठकर सादीके कपडे देख रहेथे.. तब सांती जयाको सब कपडे दीखा रहीथी.. तो जागृती अ‍ैसेही मुह फुलाती जयाकी ओर गुस्सेसे देख रहीथी.. तब सांतीने इसारोसे जागृतीको अ‍ैसा ना करनेको मना कीया..

तो जागृती खडी होकर अपने रुममे चली गइ.. बंसी अपने रुममे फ्रेस हो रहाथा.. फीर वोभी बहार आकर सांती जयाके पास बैठ गया.. तभी वहा लखन आगया.. तो जयाने उनको हसकर आवकार दीया.. तो सांती लखनको देखकर सरमा गइ.. ओर लखन बंसीके पास आकर बैठ गया.. दोनो सादीकी तैयारीयाके बारेमे बाते करने लगे.. तब जागृती लखनकी आवाज सुनकर जटसे बहार आगइ..

ओर लखनको देखते ही सरमाके मुस्कुराने लगी.. तब जयाने जागृतीको लखनके लीये चाइ नास्तेके लीये कहा.. तो जागृती उनकी ओर देखते मुस्कुराते चाइ बनाने चली गइ.. तभी सामतभाइ भी आगये.. ओर तीनो सादीकी तैयारीयोकी चर्चा करने लगे.. तब कल सुबह बंसी ओर सांतीका मंडप मुहुर्त था.. तो लखनने हलवाइसे लेकर मंडप पंडालकी सब जीम्वेवारी लेली.. ओर तभी अपने सब दोस्तोको फोन करने लगा..

साहील श्रीधर मुनासे फोनपे बाते करके सबको सादीके कामपे लगा दीया.. तब कुछही देरके बाद श्रीधर ओर जयश्री भी आगये.. तो मुना भी बरखाको लेकर बंसीके घर आगया.. तो साहीलभी अपनी अम्माको कहेकर बंसीके घर आगया.. ओर कुछ ही देरमे घरपे सबलोग सामत भाइके घरपे इकठे हो गये.. तो घरपे सादीका माहोल बन गया.. तो सामतभाइ बहुत खुस होने लगे..

तभी जागृती सबके लीये चाइ लेकर आइ.. ओर सबको चाइ देने लगी.. तब चाइ लेते बंसीने जागृतीका हाथ छु लीया तब जागृती बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर बंसीकी ओर कातील नजरोसे मुस्कुराते आगे बढ गइ.. फीर साहिल श्रीधरको देकर लखनके पास चली गइ.. तो लखनने भी जागृतीके साथ वोही हरकत की.. तब जागृती अ‍ेक बार फीर सरमा गइ.. ओर लखनके हाथपे चीमटी काटते हसती हुइ आगे बढ गइ.. फीर सबलोग अपने अपने कामपे लग गये.. तब अ‍ेक घंटेके बाद सामतभाइके घरपे मंडप लग चुके थे..

तो बरखा सांतीको उनके रुममे बैठकर हाथमे मंहेदी लगाने बैठ गइ.. तो जागृती सबको चाइ पीलाकर जयश्रीको लेकर सांतीके रुममे चली गइ.. फीर मंहेदीके लीये अपनी बारीका इन्तजार करते दोनो थोडी दुर बेडपे बैठकर आपसमे धीरे धीरे हस हसके लखन ओर बंसीके बारेमे बाते करने लगी.. जागृती ओर जयश्र िदोनो अपनी सभी बाते अ‍ेक दुसरेके साथ सेर करती थी.. तो आज अभी उनके साथ हुइ सरारतके बारेमे बता रही थी.. तो जयश्री भी सुनकर हसने लगी..

जागृती : (धीरेसे कानमे) जयश्री.. कमीने दोनो ही मेरे पीछे पडे हे.. मुजे तो दोनोको सम्हालनेमे बहुत तकलीफ होती हे.. अगर बंसी भैयाको लखनके बारेमे पता चल गया तो..?

जयश्री : (मुस्कुराते कानमे) कमीनी.. इसीलीये तो तुजे कइ दिनोसे केह रही हु.. की अ‍ेक बार तेरे भाइ बंसीको अच्छी तराह मीलले.. ओर तु हेकी मानती ही नही.. अ‍ेक बार उनसे चुदवाकर देखतो ले.. हो सकता हे इसके बाद सायद तु लखन भैयाको भुलजाये..

जागृती : (सरमाकर हसते धीरेसे कानमे) नही जयश्री.. लखन मेरा पहेला प्यार हे.. मेरा सपनोका राजकुमार.. उसने मुजे वो सुख दिया हे जो कोइ ओर नही दे सकता.. हम दोनोने अ‍ेक दुसरेसे साथ जीने मरनेके कीतने वादे कीये थे.. तुम भी तो हमारी साक्षी थी.. तो मे उसे इतनी आसानीसे कैसे भुल सकती हु..?

जयश्री : (धीरेसे मुस्कुराते) जागु.. पहेले तुम ये बात क्लीलीयर कर.. की तुजे सारी जींदगी लखन भैयाके साथ बीतानी हे या फीर बंसी भैयाके साथ..? मत भुल बंसी भैया तेरे प्यारमे पागल हे..

जागृती : (सरमाकर हसते) जयश्री.. बाततो तेरी सही हे.. अब मैनेभी फैसला करलीया हे.. की अब भाइके साथ सादी करके उनके साथ ही जींदगी बीतानी हे.. लेकीन फीर भी मे लखनको नही भुल सकती.. वो मेरा आज भी ड्रिमबोय हे..

जयश्र : (थोडा हसते कानमे) कमीनी.. तो फीर चुदा दोनोसे मेरे बापका क्या जाता हे.. पता नही तु लखन भैयाका गध्धे जैसा लंड कैसे जेल पाती हे.. तेरी जगह मे होती तो मेरी चुत तो अभी फट गइ होती.. हें..हें..हें..

जागृती : (सरमाकर हसते) कमीनी.. इसीलीये तो केह रही थी.. की अ‍ेक बार तुम भी उनसे चुदवाले.. बहुत मजा देता हे.. तु इस बातको नही समजेगी..

जयश्री : (सरमाते अ‍ेक मुका मारते धीरेसे) ना बाबा ना.. मुजे समजना भी नही हे.. तु ही चुदवा उनसे.. नही चुदवाना मुजे.. मेरे लीये तो मेरा भाइ ही ठीक हे.. वो भी मेरी मस्त चुदाइ करते हे.. जागु.. तुजे पता हे.. जब तक वो मुजे दो बार नही चोद लेते तबतक मेरे उपरसे उतरनेका नाम ही नही लेते.. अच्छा हुआ मौसीने खुद हम दोनोकी सेटींग करवादी.. वरना पता नही मेरे नसीबमे कौनसा लडका होता..

जागृती : (मुस्कुराते कानमे) जयश्री.. तु फीकर मत कर.. पीछली बार लास्ट टाइम मीले.. तब ही मेने उनको केह दीया था.. की अब हम दुबारा नही मीलेगे.. ओर कभी मेरा मीलनेका मन हुआ.. तो मे खुद फोन करके तुजे बुला लुगी.. तब तुजे आना पडेगा.. तो वो बंसीको धोखा नही देगे.. कहेते दुबारा मीलनेके लीये मना करने लगे.. तब मेने उनको हमारे प्याका हवाला ओर कसम देते बडी मुस्कीलसे मनाया.. तब जाके माने..

जयश्री : (मुस्कुराते कानमे) कमीनी.. इसका मतलब वो तो बहुत ही सरीफ हे.. बस.. तु ही चुदकड हे.. जो अभी भी दो दो लंडसे चुदवाना चाहती हे.. तेरे अंदर ही आग लगी हुइ हे.. कमीनी इसीलीये केह रही हु.. अ‍ेक बार बंसी भैयासे अच्छेसे चुदवाले.. वो तेरी सभी आग सांत करदेगे..

जागृती : (सरमाते कानमे) ठीक हे.. हमे अकेलेमे मीलनेका मौकातो मीलने दे.. अभी तो उनकी सांती भाभीके साथ सादी हे.. तो ये दो तीन दिन कुछ नही हो सकता.. फीर भी मौका मीला तो हम दोनो देख लेगे.. बस..?

जयश्री : (मुस्कुराते धीरेसे कानमे) हंम.. कमीनी.. मौका मीलता नही मौका बनाना पडता हे.. देखले.. अगर मौका मीलेतो छोडना नही.. बस.. अ‍ेक बार अपने भाइसे चुदवा लेना.. जागु.. भाइसे चुदवानेका अ‍ेक अलग ही मजा हे.. अ‍ेक बार ट्राइ करके देखले.. हें..हें..हें..

दोनो ही सहेलीया अ‍ेक दुसरेके साथ हस हसके धीरे धीरे अ‍ेक दुसरेके कानमे बाते कर रही थी.. लेकीन ये दोनोको नही पता था की दोनोके उपर सांती नजर जमाये अपने हाथोमे महेंदी लगवा रही हे.. तो बहारकी ओर सामतने सुबह ही सबको फोन करके सादीका न्योता देदीया था.. तो आजु बाजुके सभी पडोसकी लेडीस बंसी ओर सांतीकी सादीके गाना गानेके लीये आगइ.. तब सांती रुममे गाना सुनकर बहुतही सर्मसार हो रही थी..

तो हलवाइ भी अपनी टीमको लेकर आचुका था.. ओर मीठाइआ बनानेकी तैयारीया कर रहा था.. तभी देवायत ओर भानुभी अपने खेतोसे सामत भाइके पास आकर बैठ गये.. तो कुछ देखके बाद पंचायतके दुसरे सदस्योके साथ रमेश भी आगया.. तो जया रमेशको देखते ही खुस हो गइ.. ओर सब लोग सादीकी तैयारीयोका जायजा लेने लगे.. ओर लखनकी टीमको सुचनाये देते रहे.. कुल मीलाके सामत भाइका घर सादीका घर हो गया.. तब सामत भाइ बहुत खुस होने लगे...

कन्टीन्यु
 
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