हवेलीपे सुबह सुरज उगनेसे पहेले ही दया रजीया ओर चंपा भाभी जल्दी जाग गइ.. तब चंपा भाभी थोडा लंगडाते चल रही थी.. जीसे देखकर रजीया ओर दया दोनो हसने लगी.. तब चंपा भाभी बहुत ही सर्मसार होगइ.. फीर तीनो कंपलीट होकर कीचनमे आगइ.. ओर घरका सब काम फटाफट नीपटाने लगी.. तबतक नीर्मला भुमीका ओर सरला काकी भी जल्दी जाग गये थे.. ओर कंपलीट होकर बहार होलमे आकर बैठ गइ..
तब अेक अेक करके सबलोग तैयार होकर नीचे आगये.. आज सबको क्रिया कर्म खतम होने तक उपवास रखना था.. तभी पंडीतजी भी चार ओर पंडीतको लेकर आगये.. ओर क्रीया कम्रकी सब तैयारीया करने लगे.. तब कुछ ही देरमे भानु भी आगया.. तो रमा ओर नीलम दोनो अेक दुसरेके सामने देखकर मुस्कुराने लगी.. तब नीर्मलाने भावनाको भी भानुके साथ बैठनेको कहा.. तो रमा थोडी नीरास होकर भावना भानुको देखने लगी..
तभी धिरेन भी अपनी बाइक लेकर आगया.. ओर जैसे ही नीलमको देखा चहेरेपे खुसी छागइ.. ओर नीलमको देखकर मुस्कुराने लगा.. तब नीलम भी खुस होते सरमा गइ ओर मुस्कुराते धिरेनको मीलनेका आंखोसे इसारा करने लगी.. तभी धिरेनने सबकी नजर बचाते नीलमको आंख मारदी.. ओर इसारोसे हां कहेते होलमे आगया.. तब उनको नही पता था की इन दोनोके उपर तीन लोग नजर रख रहे हे..
पुनम भावना ओर लता तीनो जैसे ही धिरेन आया तबसे नजर जमाये हुअे खडी थी.. धिरेनकी हरकत देखकर लता ओर भावनाको गुस्सा आने लगा.. लेकीन पुनमने मुस्कुराते भावनाका हाथ थाम लीया.. जैसे उनको कोइ फर्क ही नही पडा.. ओर वो भावनाका हाथ पकडकर उसे अपने रुममे ले गइ.. ओर लता मन ही मन धिरेनको गालीया देती रही.. तब रुममे जाते ही..
भावना : (धीरेसे) दीदी.. देखा आपने..? कमीना आते ही सुरु होगया.. कैसे खुले आम नीलुको आंख मार रहा था.. जैसे हमारी हाजरीसे उनको कोइ फर्क ही नही पडा..
पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. छोडीयेनां गुस्सा.. अब उन दोनोको जो भी करना हे करने दीजीये.. ये सब मेरे यहा वापस आनेका रास्ता आसान कर रहे हे.. तो हम क्यु अपना दिमाग खराब करे..
भावना : (पुनमके सामने देखते धीरेसे) पुनोदी.. क्या आपको इनपे गुस्सा नही आता..? आपके पती हे वो.. कमीना कैसे खुले आम नीलुको आंख मार रहा था..
पुनम : (मुस्कुराते धिरेसे) भाभी.. मे सब जानती हु.. पता हे मुजे की वो मेरे पती हे.. लेकीन जो भी होना हे उसे ना आप रोक सकती हे ओर नाही मे.. तो फीर हम क्यु अपना दिमाग खराब करे..? हमे तो सीर्फ प्यार चाहीयेनां..? वो ही प्यार तो मेरे पहेले पतीसे मुजे खुब मील रहा हे.. जीसे मे भी बेहद प्यार करती हु.. तो फीर ये पती तो टेम्पररी हे.. इनका क्या दुख लगाना.. हें..हें..हें..
भावना : (मुस्कुराते) दीदी.. कमाल हो आप भी.. कास इतनी समज मुजमे भी होती.. तो आज मुजे भानुसे इतना दुख नही होता.. मे भी अपने पुराने प्यारको मील लेती.. ओर उनसे सारा प्यार पा लेती.. क्या फर्क पडता.. की भानु रमासे मीले या कीसी ओरसे..
पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. फीकर मत करो.. आपको भी अपना प्यार बहुत ही जल्द मील जायेगा.. इसी घरमे.. मंजु भाभीने सब इन्तजाम करलीया हे.. अब चलीये बहार मुजे भी धिरेनके साथ बैठना पडेगा.. जब तक ये मेरे पती हे.. मुजे उनकी पत्नी होनेका मेरा नाटकर जारी रखना पडेगा.. हें..हें..हें..
भावना : (खुस होते मुस्कुराते) हां चलीये.. आपको ओर दीदीको तो सब पता चल जाता हे.. हें..हें..हें..
तब कुछ ही देरमे देवायतके साथ मंजु चंदा ओर सृती तीनो हस हसके अेक दुसरेसे बाते करते बहार आगइ.. तबतक पंडीतजीने भी सभी तैयारीया करली.. तो भानु ओर धिरेन भी धीती पहेनकर तैयार हो गये.. फीर पंडीतजीने सबको बुला लीया.. तब देवायतके साथ मंजु बैठ गइ.. इनके साथ भानु ओर भावना भी बैठ गये.. तो देवायतने मुख्य पुजाके लीये धिरेन ओर पुनमको बीठा दीया..
फीर पंडीतजी सबको क्रिया कर्मकी वीधीया कराने लगे.. तीन घंटे तक पुजा चली.. जीसमे राजीवके पीडदानको लेकर सबकुछ वीधीया हुइ.. तबतक नीर्मला अपने आंसु बहाती रही.. ओर अंतमे पुजा खतम हुइ तब तीनो कपलको नदी कीनारे पैडल चलकर जाना था.. ओर पुजाकी सभी चीजे उसमे प्रवाहीत करनी थी.. तो तीनो कपल चले गये.. जीनके साथ पंडीतजी भी गये थे.. इस पुजामे सीर्फ घरके लोग ही सामील थे.. बहारके कीसीभी लोगको नही बुलाया था..
जब सबलोग वापस आगये तब पंडीतजी अपना सब सामान समेटने लगे.. तबतक दया रजीया ओर चंपा भाभीने सबके लीये बडीया भोजन भी बना लीया था.. तो देवायतने सबसे पहेले सभी पंडीतोको भोजनके लीये बीठा दीया.. जब भोजन करलीया तब देवायतने सभी पंडीतोको तगडी दक्षीणा देदी.. तो सभी पंडीत बहुत खुस हो गये.. ओर सबको आशीर्वाद देकर चले गये.. तब घरके सभी लोग भी भोजन करने बैठ गये..
आज नीलम बडी ही अंसमजमे फसी हुइ थी.. क्युकी जबसे उसने धिरेनके लंडको अपनी चुतमे लीया था तबसे उसे कही चैइन ही नही मीलता था.. ओर वो उसे अेक बार फीर अकेलेमे मीलना चाहती थी.. तो दुसरी ओर उनको लखनको भी पटाना था.. ओर उपरसे वो अपना धिरेनके साथका रीलेशन भी रमासे छुपाना चाहती थी.. ओर इस वक्त रमा उनके साथ ही बैठी थी.. तो नीलम धिरेनकी ओर कुछ खास ध्यान नही देपाइ.. ओर उसे मजबुरन लखनकी ओर ध्यान देना पड रहा था..
तब रमा भी बार बार लखनकी ओर देखते सरमाकर मुस्कुरा रही थी.. ओर उनसे आंख मीचोलीका खेल रही थी.. तब मंजु ये सब देखकर पुनमकी ओर देखते हस रही थी.. जीसे देखकर सृती पुनमसे धीमी आवाजमे कुछ कहेने लगी.. तो भावना भी पुनमकी ओर जुकते सृतीकी बाते गौरसे सुनने लगी.. जब बात खतम होगइ तब तीनो जोरोसे हसने लगी.. ओर इसी तराह सबने भोजन करलीया....
कन्टीन्यु