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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १९७

कहातो बंसीने जागृतीके बुब्सको मसलते होठोको चुमकर छोड दीया.. तो जागृती बंसीकी ओर कामुक नजरोसे देखते हसते हुअ‍े जटसे अपने बालो ओर कपडेको सही करने लगी.. फीर अचानक बंसीकी बाहोमे समा गइ.. ओर बंसीके होठोपे कीस करके हसते हुअ‍े बहारकी ओर भाग गइ.. तब बंसी भी खुसीके मारे हसने लगा.. ओर जागृतीको जाते हुअ‍े देखता रहा.. फीर कुछ देरके बाद वो भी कंपलीट होकर बहार आगया ओर भोजनके पंडालमे चला गया....अब आगे

कल राजीवका क्रिया कर्म था.. तो पंडीत सादीसे फ्रि होगये तब देवायत ओर मंजुने उनसे सब बाते करली.. तो पंडीतने भी देवायतको सुबह जल्दी आजानेकी बातकी.. तब जवेरीलालने जीतुलाल ओर अपनी बीवी वृन्दासे श्रीधर जयश्रीकी सादीकी बात करली.. तो दोनो खुस होगये.. फीर जवेरीलाल ओर जीतुलाल देवायतको आकर मीले.. ओर उनको सादीका न्योता दीया..

फीर सभी जेन्ट्स भोजन कर रहे थे तब ज्यादातर देवायतको इस बदलावके बारेमे बाते करते रहे.. जब सभी जेन्ट्सने भोजन करलीया तो सभी लेडीस भी भोजनके लीये आगइ थी.. तब गांवकी सभी लेडीस मंजु ओर पुनमको धेरकर बाते करने लगी.. तब दोनोने हस हसके सबको गांवमे कीस तराहका बदलाव होगा सब जानकीया देती रही.. तो उनमेसे ज्यादातर लेडीस सुनकर बहुत ही खुस होने लगी..

क्युकी कीसीना कीसी ओरते वो खुद अ‍ैसे आपसी रीस्तोमे बंधी हुइ थी.. ओर सब लेडीस मंजु ओर पुनमका समर्थन करने लगी.. तब मंजु ओर पुनम दोनो खुस होगइ.. इसी दौरान लता ओर भावना पुनमके साथ ही रही.. इसी तराह बंसी सांतीकी सादीके साथ साथ मंजु देवायतका मक्सद भी पुरा होगया.. कुछ लोगोको छोडकर गांवके ज्यादातर लोगोने इस बदलावको स्वीकार करलीया था..

ओर अपने अपने घरपे पनप रहे अ‍ैसे आपसी रीस्तोको स्वीकार करने लगे.. तो कुछ दुसरे गांवके लोगोको ओर कुछ सरपंचको अ‍ैसे रीस्तोमे बदलाव पसंद नही आये.. ओर वो भोजन करके सीधे अपने गांवकी ओर नीकल गये.. तो कुल मीलाकर आज गांवमे उत्सव जैसा माहोल होगया था.. जब सादी ओर भोजन संम्पन हुआ तो सब लोग सामतभाइकी इजाजत लेकर नीकलने लगे..

तब सामतभाइकी खुसीका भी ठीकाना नही था.. ओर लास्टमे लखन ओर बंसीके सभी दोस्त आपसमे मस्तीया करते भोजन पंडालका काम नीपटाने लगे.. तब मुना ओर श्रीधर सभी दोस्तो ओर हलवाइके लीये कुछ ठंडा लेने चले गये.. ओर कुछ ही देरमे सबके लीये कोल्ड्रींक्स लेकर वापस आगये.. फीर मुना ओर श्रीधर सबको ठंडा पीलाने लगे.. तब श्रीधरने भानु ओर रमेशको भी कोल्ड्रींक्स दीया..

तो दोनो पीने लगे.. तब मुना भानुकी ओर देखकर कातील मुस्कान करने लगा.. क्युकी उनका काम श्रीधरने करदीया था.. दरसल जब भानु बसंतीको इसारा करते उनसे बात करनेकी कोसीस कर रहा था तब ही मुनाको गुस्सा आगया था.. क्युकी भानुने बसंतीके सामने कभी नही देखनेका देवायतसे कीया वादा तोड दीया था.. तो मुनाने घर जाकर तीन जडीबुटीके पावडरको मीलकार अ‍ेक नपुसक होनेकी दवाइ बनाली..

ओर श्रीधरसे बात करके भानुको कीसी भी बहानसे पीलानेको कहा.. तो श्रीधरने सबकी नजर बचाते छुपकेसे भानुके कोल्ड्रींक्समे वो पावडर मीलाकर भानुको पीला दीया.. अब कुछ ही दिनके बाद धीरे धीरे करते भानुका हथीयार बेकार होने वाला था.. ओर आने वाले वक्तमे इन्हीका फायदा हमारे लखन भैयाको मीलने वाला था.. जब सादीका काम नीपट गया तब देवायत भी अपना परीवार लेकर घरपे चला गया..

तब रमेश अब भी सामतभाइके घरपे जयासे आंख मीचोली खेलते बैठा रहा.. तो लखन ओर उनके सभी दोस्तो पंडालका काम समेटकर बंसी ओर सांतीकी सुहागरातकी तैयारीया करने लगे.. बंसी सांतीके रुम ओर बेडको सजाते आपसमे अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करते रहे.. लेकीन मुना ओर श्रीधरके अलावा भानु वाली बात कोइ नही जानता था.. तो दुसरी ओर ब्रीन्दाके साथ बसंती भी अपने अपने घर जा चुकी थी..

जयश्री ओर बरखाको जागृती ओर सांतीने रोक लीया था.. ताकी वो सामका भोजन उनके साथ करके सांतीको अपनी सुहागरातके लीये सजाकर जाये.. अब रमेश अकेला होगया था.. तो सामत भाइने उसे भी रातके खानेके लीये अपने घरपे रोक लीया था.. जब साम ढल चुकी तबतक लखनके सभी दोस्तोने बंसीके रुमको सजा दीया.. फीर सब लोगोने भोजन कर लीया..

तो जयश्री बरखाने सांतीको अपनी सुहागरातके लीये तैयार कर दीया.. ओर उसे बंसीके रुममे बीठा दीया.. तो जयश्री बरखा ओर सांती जागृतीकी टांग खीचाइ करती रही.. फीर वो भी अपने अपने पतीको लेकर अपने घर चली गइ.. ओर आखीर बंसीके सभी दोस्तो भी अपने अपने घरपे चले गये.. तो रमेश भी सबसे छुपकर जयाको इसारा करते अपने घरपे चला गया.. सामतभाइका पुरा घर खाली हो चुका था..

इधर घर जाते वक्त लता पुनम ओर भावना साथ चल रहीथी.. तो मंजु चंदा सृती रमा सभी बाते करते धीरे धीरे घरकी ओर जा रही थी.. तब लता पुनमसे कुछ बाते करना चाहती थी.. जो उसे पुनमने कहा था.. लेकीन तभी नीलम भी मुस्कुराते तीनोके साथ चलने लगी.. तब पुनमने नीलमकी ओर इसारा करते बादमे अपने रुममे अकेली आनेको कहा.. ओर वही बैठकर आरामसे बात करनेको कहा.. तो लता समज गइ..

सामतभाइके घरपे सीर्फ घरके लोग ही रेह गये.. तो आज सामतभाइ ओर जया भी बहुत थके हुअ‍े थे.. तो बीस्तरमे गीरते ही दोनो गहेरी नींद सो गये.. आज जागृती भी बहुत थकी हुइ थी.. इनके बावजुद उनको आज अपने भाइ भाभीकी सुहागरात देखनेकी बहुत ही इच्छा हो रही थी.. तो वो भी थकी होनेके बावजुद बीस्तरपे करवटे बदलती रही.. फीर देर रात धीरेसे उठकर बहार आंगनमे बंसीके रुमकी ओर चली गइ..
 

dilavar

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जैसे ही बंसीके रुमके पास आइ.. ओर खीडकीसे जांकते देखा तो आज बंसी पुरा नंगा होकर पीठके बल लेटा हुआ था.. ओर उनकी कमरपे सांती पुरी तराह नंगी होकर बैठी हुइ थी.. ओर बंसीके लंडको अपनी चुतपे फसाकर अपनी कमर हीलाते बंसीको बहुत ही कामुक तरीकेसे नसीली आंखोसे देखते धीरे धीरे बंसीको चोद रही थी.. आज सांतीने अपने सभी बाल खुले छोड रखे थे.. ओर बंसीके उपर जुकते बालोसे बंसीके चहेरेके ढकते उनके होंठ चुम रही थी..
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जागृती आज पहेली बार सांतीका अ‍ैसा कामुक रुप देख रही थी.. तभी सांतीने अपने बाल जटकते पीछे करलीया.. ओर बंसीके दोनो पंजोको पकडकर अपनी कमरको आडी टेडी हीलाते बंसीको चोदने लगी.. आज सांती बंसीकी कमरपे बैठी थी तब खीडकी बीलकुल उनके चहेरेके सामने थी.. जहा इस वक्त जागृती दोनोकी चुदाइ देखते अपनी चुतको सहेलाते अ‍ेक हाथसे अपने बुब्सको मसल रही थी..

तभी अचानक सांतीकी नजर खीडकी की ओर चली गइ.. तो जागृती आंख बंध करते पुरी मदहोस होते अपनी चुतमे उंगली कर रही थी.. तो सांतीके चहेरेपे जागृतीको देखते ही कामुक स्माइल आगइ.. ओर वो बंसीको चोदते हुअ‍े जागृतीकी ओर देखती रही.. तभी जागृती आंख खोलकर अंदरका नजारा देखने लगी.. तो सांती उनको ही देखते कामुक स्माइल कर रही थी..

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तब जागृती बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर सांतीकी ओर देखते सरमाते मुस्कुराने लगी.. तभी अचानक सांतीने आंखोके इसारोसे जागृतीको अपने रुममे आनेका इसारा कीया.. तो जागृती वापस सर्मसार होने लगी.. ओर सरमाकर गरदनको नां मे हीलाते जागृती मना करने लगी.. तो सांती थोडी जोरोसे कामुक सीसकारीया करते बंसीकी कमरपे उछलने लगी.. ओर दर्दके मारे अपना मुह बिगाडने लगी..
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जैसे जागृतीको दीखाना चाहती हो.. की देखो बंसीको वो अकेली नही जेल पा रही हे.. तभी वो ज्यादा उछलने लगी तब उनकी चुतने भी जवाब दे दीया.. ओर वो बंसीके उपर जुकते उनके होठोको लीप लोक कर लेती हे.. ओर अपनी कमरको जटके देते जडने लगती हे.. तभी बहारकी ओर जागृतीकी चुतसे भी फवारा नीकल गया.. तो अंदरकी ओर बंसी सांतीको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लेता हे..

ओर सांतीको बाहोमे भीचते पलट जाता हे.. अब सांती बंसीके नीचे लेटी हुइ थी.. जैसेही बंसी सांतीके उपर आगया.. तब उनका ध्यान भी खीडकीपे चला गया.. जहा जागृती उनकी ओर देखते मुस्कुरा रही थी.. तो बंसीने भी सांतीकी नजर बचाते जागृतीको आंख मारके अंदर आनेका इसारा कीया.. तब जागृती वापस बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर बंसीको हसते हुअ‍े हाथ हीलाकर बाय कहेते चली गइ..

तो बंसी भी हसने लगा.. तब उनको नही पता था की सांतीने उनकी इस हरकतको देख लीया हे.. ओर वो जागृतीको देखकर ओर जोसमे आगया.. ओर उनका लंड स्टीलके रोडके माफीक होगया.. वो सांतीको जागृती मानकर हाथके बल उचा होकर सांतीको जोरोसे चोदने लगा.. तो सांती हल्कासा मुह बीगाडते चीखने लगी.. आज उनको वाकइ बंसीको जेलना मुस्कील होने लगा.. क्युकी वो अभी अभी जडी हुइ थी..

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सांतीके लीये आजकी रात कयामतकी रात थी.. उनको पता था आज पुरी रात बंसी उनको चोद चोदके थका देगा.. ओर उनका अ‍ेक अ‍ेक अंग तोडके रख देगा.. क्युकी बंसी उसे इस वक्त अपनी बीवीको नही.. अपनी बहेनको इमेजींग करते उनको चोद रहा हे.. दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगी.. तब कुछ ही देरके बाद सांती भी अपनी मनमे खुस होते कमर उछाल उछालके बंसीको चुदवानेमे साथ देने लगी..
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ओर आखीर दोनो अकडने लगे.. तो अ‍ेक दुसरेको जोरोसे बाहोमे भीच लेते हे.. ओर बंसी कमरको जटके देते पुरा लंड सांतीकी चुतमे घुसा देता हे.. ओर पीचकारीया मारते सांतीकी चुतको भरके हरी भरी करने लगता हे.. तब सांती भी बंसीके साथ जडने लगी.. ओर दोनो अ‍ेक साथ जड गये.. तब बंसी सांतीके सीनेके उपर सर रखते ढेर होगया.. तो सांती उनकी पीठ ओर बालको सहेलाती रही.. तभी..

सांती : (सांसको कंट्रोल करते सरमाते मुस्कुराते) बंसी.. आज आप कीतने जोसमे चोद रहे थे.. आजतो मजा ही आगया.. कीतने दिनोके बाद मेरी अ‍ैसी चुदाइ हुइ हे..

बंसी : (बुब्सकी नीपलको चुमते) सांती.. आज तो हमारी सुहागरात हे.. आज मे तुजे छोडने वाला नही हु.. आज मे तुजे पुरी रात अ‍ैसे ही चोदुगा.. सुबह चलने लायक भी नही रहेगी.. मे तुमसे बहुत प्यार करता हु..

सांती : (सरमाते होंठ चुमते) हां बंसी.. आज मेरी सारी तम्मना पुरी होगइ.. हमारी सादी भी होगइ.. अब मे जींदगी भर आपको अ‍ैसेही प्यार देती रहुगी.. बंसी.. अब मुजे आइपील लेनेकी जरुरत नही हे.. अब मे प्रेगनेन्ट हो जाउ तो भी कोइ दिकत नही हे.. हम हमारे बच्चेको इस दुनीयामे लायेगे.. लेकीन बंसी.. मुजे आपसे आज अ‍ेक बात भी कहेनी हे..

बंसी : (मुस्कुराते होंठ चंमते) हंम.. कहो.. क्या बात कहेनी हे..

सांती : (सरमाते धीरेसे गाल चुमते) जानु.. बुरा मत मानना.. क्या आज आप अपनी बीवीको ही चोद रहेथेनां..?

बंसी : (थोडा जेंपते) सांती.. अ‍ैसा क्यु पुछ रही हो..? अफकोर्स मे तुजे ही चोद रहा था.. क्या यहा कोइ ओर हे..?

सांती : (मुस्कुराते) क्या हेना.. आज आप मुजे बहुत जोसमे चोद रहे थे.. इसीलीये पुछ रही थी.. मेरे खयालसे आपको जेलना मुज अकेलीका काम नही हे.. मतलब.. अब मे आपको अकेली नही जेल पाती.. अगर आप दुसरी सादी करना चाहा तो..

बंसी : (थोडा गुस्सा होते) सांती.. तेरा दिमाग तो ठीक हेनां..? अभी हम दोनोने अपनी सुहागरात भी ठीकसे नही मनाइ.. ओर तुम होकी.. (थोडा जुठ बोलते) सांती मे तुजे बहुत प्यार करता हु.. अ‍ैसा सोच भी नही सकता.. ओर तुम.. तेरे दिमागमे ये बात आइ कैसे..?

सांती : (मुस्कुराते) बंसी अगर आपको बुरा लगा तो आइ अ‍ेम सोरी.. मे तो बस आपको अ‍ैसे ही केह रही थी.. क्या हेनां आप जब भी मुजे पुरी रात चोदते होनां तो सुबह मे बहुत थक जाती हु.. ओर पुरा दिन सरीस दर्द करता हे.. इसीलीये आपको केह रही थी.. अगर आप चाहो तो मे आपके लीये दुसरी लडकीका इन्तजाम कर सकती हु.. मीन्स.. मैने करलीया हे.. आप चाहो तो उनसे भी सादी कर सकते हो..

बंसी : (थोडा चोंकते) सांती.. क्या केह रही हो तुम..? कौन हे वो..? सांती.. मे तुमसे वाकइ सचा प्यार करता हु.. मुजे नही करनी दुसरी सादी.. अगर तुम नही चाहती तो हम पुरी रात चुदाइ नही करेगे.. जब तुम कहोगी तब ही करेगे..

सांती : (सरमाते मुस्कुराते) जानु.. लेकीन अब तो मुजे आपसे पुरी रात चुदवानेकी आदत हो गइ हे.. तो मे बीना चुदाइ रेह भी तो नही सकती.. क्या हेना अगर दो होगी तो मुजे बीच बीचमे आराम भी मीलेगा.. इसीलीये केह रही हु.. की आप दुसरी सादी करलो.. ओर वो भी तो आपको पसंद करती हे..
 

dilavar

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बंसी : (आस्चर्यसे देखते) वो मुजे पसंद भी करती हे..? सांती.. कौन हे वो..? बता मुजे..

सांती : (सरमाते धीरेसे) जानु.. प्रोमीस करो.. इनका नम सुनकर आप गुस्सा मत होना.. तो ही मे उनका नाम बताउगी..

बंसी : (हसते कीस करते) अरे डार्लींग इसमे गुस्सा करनेकी क्या बात हे.. ठीक हे.. प्रोकीस.. मे गुस्सा नही करुगा.. बता मुजे..

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सांती : (मुस्कुराते धीरेसे) जानु.. वो.. वो.. हमारी.. जा..गु..

बंसी : (चोकते धीरेसे) सांती.. क्या केह रही हो तुम.. वो मेरी बहेन हे.. क्या वो मुजे पसंद करती हे..?

सांती : (सीना सहेलाते मुस्कुराते) हां जानु.. बहेन हेतो क्या हुआ.. अब तो हमारे गांवमे भी अ‍ैसे रीस्तोको सभीने स्वीकार करलीया हे.. ओर आपके सभी दोस्तोने भी उनकी बहेनसे ही सादी करली हे.. तो फीर आपको क्या प्रोबलेम..? उनकी भी तम्मना हे.. की वो भी अपने भाइसे प्यार करेगी.. इसीलीये तो खीडकीसे हम दोनोकी सुहागरात देख रही थी..

बंसी : (चोंकनेका नाटक करते) क्या..? जागु हमको खीडकीसे देख रही थी..?

सांती : (जुठे गु्स्सेसे दांत पीसते सीनेमे मुका मारते) जानु.. आप कीतने कमीने हो.. कीतना अनजान बननेका नाटक कर रहे हो.. मे तो देख रही थी.. की आप क्या कहेते हो..? मुजे सब पता हे आपने भी उनको देखलीया हे.. ओर उनको क्या इसारा कर रहे थे..? अगर वो खुद आपसे चुदवाना चाहती हे.. तो फीर आपको क्या प्रोबलेम हे..? जानु.. अ‍ेक बार उस कमीनीको मेरे सामने पटक पटकके चोदलो.. फीर करलो उनसे भी सादी.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. हें..हें..हें..

बंसी : (मनमे खुस होते धीरेसे होंठ चुमते) हें..हें..हें.. सांती.. क्या तुने सब देखलीया..? लेकीन क्या ये सही होगा..? अगर मेने उनसे भी सादी करली तो तुजे बुरा नही लगेगा क्या..? ओर हम मम्मी पापाको क्या जवाब देगे..

सांती : (होंठ चुमते) जानु.. वो सब मे सम्हाल लुगी.. बस.. आप अ‍ेक बार हां केह दिजीये.. क्युकी मे खुद चाहती हु.. की जागु मेरी ननंद नही.. मेरी छोटी बहेन बनकर मेरे साथ रहे.. बस.. आप कुछ दिन इन्तजार कीजीये.. फीर सब सही होजायेगा..

बंसी : (सामने देखते) कुछ दिन मतलब..? क्या कुछ होने वाला हे क्या..?

सांती : (बातको सम्हालते) अरे नही नही.. मेरे कहेनेका मतलब.. कुछ दिनोके बाद मे खुद इस बारेमे जागुसे बात करलुगी.. कमीनी वो भी तो यही चाहती हे.. ओर इस बारेमे आपको कोइ टेन्सन लेनेकी जरुरत नही.. अगर आप आगे बढना चाहो तो बढ सकते हो.. मुजे पता हे आप भी उनको पसंद करते हो..

बंसी : (मनमे खुस होते) ठीक हे सांती.. जैसे तुम्हारी मरजी.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे..

सांती : (मनमे खुस होते) हंम.. देखा.. बहेनका सुनकर कैसे मनमे लडु फुटने लगे.. कमीने कहीके.. सबको अपनी बहेनको ठोकनेमे ही मजा आता हे.. चलो कोइ बात नही.. इसी खुसीपे मुजे दोबारा चोदीये.. ओर इस बार मुजे अपनी बहेन मानकर नही.. अपनी बीवी मानकर चोदना.. आप क्या मस्त चुदाइ करते हे.. देखना जागु भी खुस होजायेगी.. हें..हें..हें..

कहा तो बंसी मुस्कुराने लगा.. तब सांतीको नही पता था.. की आज ही बंसी ओर जागृतीने दो बार मील लीया था.. ओर दोनो बार जागृती चुदाइसे बच गइ थी.. ओर धीरे धीरे कमर हीलाते बंसी वापस सांतीको चोदने लगा.. इस बार सांती भी अपनी कमर उछाल उछालके बंसीको चुदाइमे साथ देने लगी.. सांती जागृतीका नाम लेते बंसीको ओर जोरोसे चोदनेके लीये उक्साती रही..

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तो बंसी भी पुरे जोसमे सांतीकी चुदाइ करता रहा.. ये दोनोके लीये आजकी वो रात थी जो कभी थमने वाली नही थी.. दोनो पुरी रात चुदाइ करते रहे.. पुरी रात मे बंसीने सांतीको चार बार चोद लीया.. ओर चोद चोदके सांतीका पुरा सरीर तोडके रख दीया था.. सांती चाहती थी की बंसी उसे आज ही प्रेगनेन्ट करदे.. लेकीन उनको नही पता था की बंसी उनको ओल रेडी पहेले प्रेगनेन्ट कर चुका हे..
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तो दुसरी ओर दो दिनमे ब्रीन्दा ओर बसंतीने भी अपने अपने बेटोके साथ जमकर चुदाइ करवाली थी.. तो वो भी संतुस्ट होकर सो रही थी.. तब मुना ओर श्रीधर अपनी अपनी बहेन जो अब उनकी बीवीया थी.. उनकी जमकर चुदाइ कर रहे थे.. पुरे गांवमे आज बदलावके बारेमे सुनकर वासनाका तांडव मचा हुआ था.. आज सब लोग खुलकर अपनी अपनी मासुकाओके साथ चुदाइमे मसगुल थे..

तब अ‍ेक सख्स अब भी अपना लंड हाथमे थामकर चुतका इन्तजाम करनेमे लगा हुआ था.. जीहा.. वो सख्स थे हमारे लखन भैया.. क्युकी वो अब खुद लताको चोदना नही चाहते थे.. क्युकी अ‍ेक तो लताका पीरीयड चल रहा था.. तो दुसरी ओर लता उनके लंडसे बहुत डरी हुइ थी.. तो वो खुद अब लतासे दुर रहेना चाहता था.. बस.. यही लता ओर लखनके बीच दुरीया बढनेकी सुरुआत थी..

लखनको आज रजीया ओर राधीकाकी बहुत याद आ रही थी.. राधीका तो उनसे दुर सहेरमे थी.. तब उसने रजीयाको फोन लगाके कोल कीया.. तो रजीया भी गहेरी नींद सो चुकी थी.. ओर उसने फोन नही उठाया.. तब लखन पागल जैसा होने लगा.. अ‍ेक पल तो उसने सोचा आज वो रमाको बुलाकर उनकी चुदाइ करले.. लेकीन उसने रमाकी चुदाइ कभी नही कीथी..

तो रमाके साथ चुदाइ करनेमे हंगामा होनेका बहुत खतरा था.. तो उसने रमासे मीलनेका विचार भी त्याग दिया.. वो अपने खेतो पे जाकर भी कीसी लडकी या फीर रीटाको चोद सकता था.. लेकीन इस वक्त रात भी बहुत हो चुकी थी.. तो वो वहा भी जाना नही चाहता था.. अब उनके पास रजीयाके पास जानेके अलावा ओर कोइ रास्ता नही था.. अ‍ेक रजीया ही थी जो उनसे हर वक्त चुदाइके लीये तैयार रहेती थी..

इस वक्त दया ओर चंपाभाभी भी गहेरी नींदमे होगी.. ओर वो रजीयाको वही चोदकर अपने रुममे चला जायेगा.. यही सब सोचते उसने रजीयाके रुममे जाकर उनकी चुदाइ कर लेनेका फैसला करलीया.. देर रात यही सब सोचते लखन हवेलीपे आगया.. पुरी हवेलीमे सनाटा छाया हुआ था.. इस वक्त हवेलीपे सभी लाइटे बंध थी.. ओर सब लोग अपने अपने कमरेमे जाकर सो चुके थे..

क्युकी कल सुबह राजीवका क्रिया कर्म था.. तो सबको जल्दी उठना था.. सीर्फ देवायत ही अपने रुममे अपनी तीनो बीवीओको चोद रहा था.. तो लखन चारो ओर देखने लगा.. ओर कुछ सोचते वो रजीया दयाके रुमकी ओर दबे पांव चला गया.. ओर दरवाजेको हल्कासा धका मारा.. तो लखनके अच्छे नसीबसे दरवाजा खुल गया.. ओर लखन दबे पांव अंदर चला गया..
 

dilavar

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तो वहा आस पास तीन बीस्तर लगे हुअ‍े थे.. ओर तीनो अपने उपर कंबल डालकर सोइ हुइ थी.. तब लखन समज गया की रजीया दया के अलावा यहा चंपा भाभी भी सोइ हुइ हे.. पुरे रुममे अंधेरा छाया हुआ था.. तो कीसीकी सकल भी नजर नही आ रही थी.. तब लखन हिंमत करते अ‍ेक बीस्तरके पास चला गया.. ओर चहेरेके नजदीक चहेरा लेजाते गौरसे देखने लगा.. तो उनको ये चहेरा दयाका लगा..

ओर लखन वहासे धीरेसे दुर हट गया.. ओर दुसरे बीस्तके पास चला गया.. तब उनको नही पता था.. की जब वो अंदर आया तब ही दो आखोने उनको पहेचान लीया था.. जो बीना चुदाइके कही दिनोसे प्यासी थी.. जब लखन उनके पास आया ओर उनपे जुकते उनके चहेरेको देखनेकी कोसीस करने लगा. तभी अचानक कंबलसे अ‍ेक हाथ नीकला.. ओर लखनका हाथ थामते पकडलीया..

फीर अपने बीस्तरपे खीचते लखनको भी अपने साथ सुला दीया.. तो लखन भी रजीया समजकर मुस्कुराते उनके कंबलमे घुस गया.. ओर समजने लगाकी रजीयाने उनको देख लीया होगा.. ओर ये रजीया ही होगी.. जो उनको इस तराह खीचकर अपने साथ सुलाती हे.. तब लखन बीना देरी कीये उनको अपनी बाहोमे भरते उनपे चड गया.. ओर चहेरेको अपने हाथोमे थामते चुमने लगा..

लखन : (धीरेसे कानमे) रजु.. मुजे पता हे तुमने मुजे पहेचान लीया था..

कहा तो उनके होठोपे फौरन अ‍ेक उंगली आगइ.. ओर लखनको इसारोमे चुप रहेनेको कहा.. ताकी कोइ.. इनकी हल्कीसी आवाज से भी जाग ना जाये.. उसने लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया ओर हाथ नीचेकी ओर लेजाते लखनके लंडको अपनी मुठीमे पकडनेकी कोसीस करने लगी.. तभी लखन उनके उपरसे हट गया ओर बैठकर अपनी सर्ट पेन्टको नीकाल देता हे.. ओर पुरा नंगा होकर वापस कंबलमे घुसकर उनके उपर लेट गया..

तब उसने वापस लखनको अपनी बाहोमे कस लीया ओर उनके लंडको अपनी मुठीमे थाम लीया.. तो अ‍ेक बार तो वो भी चोंक गइ.. लेकीन इतने दिनोसे चुदाइसे वंचीत थी.. तो वो कीसी भी हालमे कीसीसे भी चुदवाना चाहती थी.. जी..हां.. दोस्तो ये रजीया नही थी.. ये चंपा भाभी थी.. जो रजीयाकी बाते सुन सुनकर कही दिनोसे लखनके लंडको नोटीस कर रही थी.. ओर आज उसे लखनसे चुदवानेका मौका मील गया था..

वो लखनके लंडको पकडकर अपनी चुतपे घीसने लगी.. तब लखनको अपने लंडपे चुतकी गरमी महेसुस हुइ जो भठीकी माफीक गरम थी.. तब लखन भी तावमे आ गया.. ओर चंपा भाभीको रजीया समजकर उनके होठोको चुमते बुब्सको थाम लेता हे.. तो आज लखनको कुछ अजीब ही फील हुआ.. उनको बुब्स बहुत बडे लगे.. लेकीन इतने दिनोसे चुदाइसे वंचीत रहेते इनपे कुछ खास ध्यान नही दिया..

जब चंपाभाभीकी चुत गीली होगइ तब उसने लंडको अपनी चुतमे थोडासा पुस करते फसालीया ओर लखनको जोरोसे बाहोमे भीच लीया.. तब लखनको भी पता था की आज रजीया भी इनके लंडको नही जेल पायेगी.. तब उसने लीपलोक करते अपनी कमरको जटकते अ‍ेक जटका मारा.. तो चंपा भाभीकी हल्कीसी चीख नीकल गइ.. ओर उनकी आंखसे आंसु बहेने लगे.. वो लखनके मुहमे ही गुं..गुं..गुं.. करने लगी..

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लेकीन येतो लखन था.. अ‍ैसा मौका हाथसे क्यु जाने देता..? ओर उसने देर ना करते अ‍ेक जटका ओर मारा.. तो लखनका पुरा लंड चंपा भाभीकी चुतमे उतर गया ओर वो छटपटाते लखनसे होठ छुडवानेकी कोसीस करने लगी.. तब भी लखन उनके होठोको ना छोडते चुमने लगा.. ओर उनका सर सहेलाते सांत रहेनेका इसारा करने लगा.. तब कुछ देरमे चंपा भाभी सांत होने लगी.. तभी..

लखन : (कानमे धीरेसे) बस.. बस रजु.. हो गया.. अब तुजे ओर दर्द नही होगा.. मेरा लंड थोडा बडा हो गया हे.. ओर ये सब जडी बुटीकी वजहसे हुआ हे.. ओर हम कइ दिनोसे मीले भी तो नही..

तब चंपा भाभी समज गइ.. की लखनने उनको अभी भी नही पहेचाना.. ओर वो उनकी रजीया समजकर चुदाइ कर रहे हे.. तब चंपा भाभीने भी कुछ बोलना मुनासीब नही समजा.. ओर वो अपने दोनो पैरकी आंटी लखनकी कमरपे लगा देती हे.. ताकी कुछ देर तक लखन उनकी चुदाइ ना कर सके.. ओर वो लखनकी पीठको सहेलाते उनके होठोको चुमती रही.. तो लखन भी उनका साथ देता रहा..

जब उनका दर्द कम हो गया तब उसने आंटी हटाली.. ओर लखनके नींतंबको पीछेसे पकडलीया.. ओर अपनी चुतपे दबाव बनाने लगी.. तब लखन समज गयाकी रजीयाका दर्द खतम हो गया हे.. ओर वो उसे चोदनेके लीये केह रही हे.. तब लखन धीरे धीरे कमर हीलाते चोदने लगा.. तब उनको हल्कीसी सीसकारीयोकी आवाज सुनाइ देने लगी.. ओर दोनोके बीच धीरे धीरे करते घमासान चुदाइ होने लगी..

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तो कुछ ही देरमे चंपा भाभीका तन अकडने लगा.. ओर उसने लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया ओर लीपलोक करलीया फीर अपनी कमरको जटके मारते जडने लगी.. लेकीन आज लखन हे की जडनेका नाम ही नही ले रहा था.. तभी अचानक लखन हाथके बल उचा होगया.. ओर चंपा भाभीके गलेमे मुह घुसाते उनको जोरोसे कमर हीलाते चोदने लगा..

तब पुरे कमरेमे सनाटा छाया हुआ था ओर सीर्फ थप.. थप.. ओर फच.. फच..की आवाजे सुनाइ दे रही थी.. रजीया तो गहेरी नींद सो रही थी.. लेकीन थप थपकी आवाजसे दयाकी आंख खुल गइ.. ओर वो धीरेसे अपने सरसे कंबल हटाते लेटे लेटे ही सर उचा करके देखने लगी.. तब उसे चंपा भाभीका कंबल हीलता हुआ महेसुस हुआ.. तो दया कुछ देर अ‍ैसे ही देखती रही.. तब उसे लगाकी कोइ चंपा भाभीकी चुदाइ कर रहा हे..

तो वो धीरेसे खडी होकर लाइट बोर्डकी ओर जाने लगी.. तभी अचानक लखन चंपा भाभीपे जुक गया.. ओर अपनी कमरको जटके देने लगा.. तब चंपा भाभीने लखनको अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर लखन आज ढेर सारी पीचकारीया छोडते चंपा भाभीकी चुतको लबा लब भरने लगा.. ओर वो उनके सीनेपे ढेर होगया.. तो चंपा भाभी लखनकी पीठको सहेलाती रही.. तब लखन ओर चंपा भाभी.. दोनो संतुस्ट हो गये थे..

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अ‍ैसा पहेली बार हुआ लखनने जडीबुटी खाकर पहेली बार चुदाइ करली.. फीर भी उनको थकान महेसुस नही हुइ.. तभी उसे खयाल आया की वो रजीयाके रुममे हे.. तो वो फटाफट नीचे उतर गया ओर अपने कपडे पहेनने लगा.. तभी अचानक रुमकी लाइट जल गइ.. तो चंपा भाभी ओर लखन रोसनीकी वजहसे थोडा डर गये.. चंपाभाभी अपने नीकरसे अपनी चुतको साफ कर रही थी.. ओर लखन अपने कपडे पहेन रहा था.. दोनोही डरते स्वीच बोर्डकी ओर देखने लगे..

की कीसने लाइट जलाइ.. तब वहा दया दोनोकी ओर देखते मुस्कुरा रही थी.. तभी लखनका ध्यान भी चंपा भाभीकी ओर गया.. जो अभी भी सरमाते हुअ‍े अपनी चुतको मुस्कुराते साफ कर रही थी.. तो लखन उनको देखते ही चोंक गया.. ओर वो फटाफट कपडे पहेनने लगा.. तभी रजीयाकी आंख भी खुल गइ.. ओर ये सब देखकर सारा माजरा समज गइ.. ओर वो भी दया ओर चंपा भाभीके साथ जोरोसे हसने लगी.. तभी..

लखन : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. आप..? क्या हेना.. वो.. वो.. मे समजा.. रजीया होगी.. सोरी भाभी..

दया : (जोरोसे हसते) लखन भैया.. गभराइअ‍े नही हम कीसीको कुछ नही कहेगे.. आपकी बीवी इधर थी.. उधर नही समजे..? हें..हें..हें.. खामखा भाभीकी कुटाइ हो गइ.. हें..हें..हें..

रजीया : (सरमाकर हसते) लेकीन भाभी.. आपको तो बता देना चाहीयेना.. की आपकी बीवी इधर हे..

चंपा : (सरमाकर हसते) अरे.. मे क्यु बोलु..? तेरा पती मुजे बोलनेका मौका दे तब बोलुगीनां.. वो तो आतेही सुरु हो गये.. लेकीन रजु.. तु हे बहुत नसीब वाली.. अ‍ैसा दमदार पती तुजे कहा मीलेगा..? हें..हें..हें.. आज तो मजा आगया.. हें..हें..हें.. लखन भैया अ‍ैसे ही आते रहीयेगा.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते बहारकी ओर जाते) तुम तीनो की तीनो कमीनी हो.. मे तीनोको देख लुगा..

कहेते लखन जटसे बहार नीकल गया.. तो तीनो जोरोसे हसने लगी.. फीर लाइट बंध करके वापस सो गइ.. तो इधर लखन भी खुस होते अपने रुममे आगया.. तब लता गहेरी नींद सो रही थी.. तो लखनको उसे जगाना उचीत नही लगा ओर वो भी फ्रेस होकर नाइट ड्रेस पहेन लेता हे.. ओर लतासे चीपकर सो जाता हे.. तब लता भी नींदमे मुस्कुराते लखनसे चीपक गइ.. ओर दोनो सो गये..
 

dilavar

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हवेलीपे सुबह सुरज उगनेसे पहेले ही दया रजीया ओर चंपा भाभी जल्दी जाग गइ.. तब चंपा भाभी थोडा लंगडाते चल रही थी.. जीसे देखकर रजीया ओर दया दोनो हसने लगी.. तब चंपा भाभी बहुत ही सर्मसार होगइ.. फीर तीनो कंपलीट होकर कीचनमे आगइ.. ओर घरका सब काम फटाफट नीपटाने लगी.. तबतक नीर्मला भुमीका ओर सरला काकी भी जल्दी जाग गये थे.. ओर कंपलीट होकर बहार होलमे आकर बैठ गइ..

तब अ‍ेक अ‍ेक करके सबलोग तैयार होकर नीचे आगये.. आज सबको क्रिया कर्म खतम होने तक उपवास रखना था.. तभी पंडीतजी भी चार ओर पंडीतको लेकर आगये.. ओर क्रीया कम्रकी सब तैयारीया करने लगे.. तब कुछ ही देरमे भानु भी आगया.. तो रमा ओर नीलम दोनो अ‍ेक दुसरेके सामने देखकर मुस्कुराने लगी.. तब नीर्मलाने भावनाको भी भानुके साथ बैठनेको कहा.. तो रमा थोडी नीरास होकर भावना भानुको देखने लगी..

तभी धिरेन भी अपनी बाइक लेकर आगया.. ओर जैसे ही नीलमको देखा चहेरेपे खुसी छागइ.. ओर नीलमको देखकर मुस्कुराने लगा.. तब नीलम भी खुस होते सरमा गइ ओर मुस्कुराते धिरेनको मीलनेका आंखोसे इसारा करने लगी.. तभी धिरेनने सबकी नजर बचाते नीलमको आंख मारदी.. ओर इसारोसे हां कहेते होलमे आगया.. तब उनको नही पता था की इन दोनोके उपर तीन लोग नजर रख रहे हे..

पुनम भावना ओर लता तीनो जैसे ही धिरेन आया तबसे नजर जमाये हुअ‍े खडी थी.. धिरेनकी हरकत देखकर लता ओर भावनाको गुस्सा आने लगा.. लेकीन पुनमने मुस्कुराते भावनाका हाथ थाम लीया.. जैसे उनको कोइ फर्क ही नही पडा.. ओर वो भावनाका हाथ पकडकर उसे अपने रुममे ले गइ.. ओर लता मन ही मन धिरेनको गालीया देती रही.. तब रुममे जाते ही..

भावना : (धीरेसे) दीदी.. देखा आपने..? कमीना आते ही सुरु होगया.. कैसे खुले आम नीलुको आंख मार रहा था.. जैसे हमारी हाजरीसे उनको कोइ फर्क ही नही पडा..

पुनम : (मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. छोडीयेनां गुस्सा.. अब उन दोनोको जो भी करना हे करने दीजीये.. ये सब मेरे यहा वापस आनेका रास्ता आसान कर रहे हे.. तो हम क्यु अपना दिमाग खराब करे..

भावना : (पुनमके सामने देखते धीरेसे) पुनोदी.. क्या आपको इनपे गुस्सा नही आता..? आपके पती हे वो.. कमीना कैसे खुले आम नीलुको आंख मार रहा था..

पुनम : (मुस्कुराते धिरेसे) भाभी.. मे सब जानती हु.. पता हे मुजे की वो मेरे पती हे.. लेकीन जो भी होना हे उसे ना आप रोक सकती हे ओर नाही मे.. तो फीर हम क्यु अपना दिमाग खराब करे..? हमे तो सीर्फ प्यार चाहीयेनां..? वो ही प्यार तो मेरे पहेले पतीसे मुजे खुब मील रहा हे.. जीसे मे भी बेहद प्यार करती हु.. तो फीर ये पती तो टेम्पररी हे.. इनका क्या दुख लगाना.. हें..हें..हें..

भावना : (मुस्कुराते) दीदी.. कमाल हो आप भी.. कास इतनी समज मुजमे भी होती.. तो आज मुजे भानुसे इतना दुख नही होता.. मे भी अपने पुराने प्यारको मील लेती.. ओर उनसे सारा प्यार पा लेती.. क्या फर्क पडता.. की भानु रमासे मीले या कीसी ओरसे..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. फीकर मत करो.. आपको भी अपना प्यार बहुत ही जल्द मील जायेगा.. इसी घरमे.. मंजु भाभीने सब इन्तजाम करलीया हे.. अब चलीये बहार मुजे भी धिरेनके साथ बैठना पडेगा.. जब तक ये मेरे पती हे.. मुजे उनकी पत्नी होनेका मेरा नाटकर जारी रखना पडेगा.. हें..हें..हें..

भावना : (खुस होते मुस्कुराते) हां चलीये.. आपको ओर दीदीको तो सब पता चल जाता हे.. हें..हें..हें..

तब कुछ ही देरमे देवायतके साथ मंजु चंदा ओर सृती तीनो हस हसके अ‍ेक दुसरेसे बाते करते बहार आगइ.. तबतक पंडीतजीने भी सभी तैयारीया करली.. तो भानु ओर धिरेन भी धीती पहेनकर तैयार हो गये.. फीर पंडीतजीने सबको बुला लीया.. तब देवायतके साथ मंजु बैठ गइ.. इनके साथ भानु ओर भावना भी बैठ गये.. तो देवायतने मुख्य पुजाके लीये धिरेन ओर पुनमको बीठा दीया..

फीर पंडीतजी सबको क्रिया कर्मकी वीधीया कराने लगे.. तीन घंटे तक पुजा चली.. जीसमे राजीवके पीडदानको लेकर सबकुछ वीधीया हुइ.. तबतक नीर्मला अपने आंसु बहाती रही.. ओर अंतमे पुजा खतम हुइ तब तीनो कपलको नदी कीनारे पैडल चलकर जाना था.. ओर पुजाकी सभी चीजे उसमे प्रवाहीत करनी थी.. तो तीनो कपल चले गये.. जीनके साथ पंडीतजी भी गये थे.. इस पुजामे सीर्फ घरके लोग ही सामील थे.. बहारके कीसीभी लोगको नही बुलाया था..

जब सबलोग वापस आगये तब पंडीतजी अपना सब सामान समेटने लगे.. तबतक दया रजीया ओर चंपा भाभीने सबके लीये बडीया भोजन भी बना लीया था.. तो देवायतने सबसे पहेले सभी पंडीतोको भोजनके लीये बीठा दीया.. जब भोजन करलीया तब देवायतने सभी पंडीतोको तगडी दक्षीणा देदी.. तो सभी पंडीत बहुत खुस हो गये.. ओर सबको आशीर्वाद देकर चले गये.. तब घरके सभी लोग भी भोजन करने बैठ गये..

आज नीलम बडी ही अंसमजमे फसी हुइ थी.. क्युकी जबसे उसने धिरेनके लंडको अपनी चुतमे लीया था तबसे उसे कही चैइन ही नही मीलता था.. ओर वो उसे अ‍ेक बार फीर अकेलेमे मीलना चाहती थी.. तो दुसरी ओर उनको लखनको भी पटाना था.. ओर उपरसे वो अपना धिरेनके साथका रीलेशन भी रमासे छुपाना चाहती थी.. ओर इस वक्त रमा उनके साथ ही बैठी थी.. तो नीलम धिरेनकी ओर कुछ खास ध्यान नही देपाइ.. ओर उसे मजबुरन लखनकी ओर ध्यान देना पड रहा था..

तब रमा भी बार बार लखनकी ओर देखते सरमाकर मुस्कुरा रही थी.. ओर उनसे आंख मीचोलीका खेल रही थी.. तब मंजु ये सब देखकर पुनमकी ओर देखते हस रही थी.. जीसे देखकर सृती पुनमसे धीमी आवाजमे कुछ कहेने लगी.. तो भावना भी पुनमकी ओर जुकते सृतीकी बाते गौरसे सुनने लगी.. जब बात खतम होगइ तब तीनो जोरोसे हसने लगी.. ओर इसी तराह सबने भोजन करलीया....

कन्टीन्यु
 
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king1969

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Bahut hi mazedar update
 
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Mahesh007

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Nice
 
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