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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १९५

उसने देवायतके साथ मीलकर लीये फैसलेके बारेमे ओर इसके अलावा भी लखनको सबकुछ बतानेका फैसला करलीया.. तब देवायत भी अपना तगडा लंड मंजुकी चुतकी गहेराइओ मे उतारके उनके सीनेपे ढेर होकर पडा था.. आज मंजुने देवायतको तीन तीन बार नीचोड लीया था.. लेकीन उनकी चुत अब भी प्यासी थी.. तभी तो उसने अपनी चुतसे देवायतके लंडको नही नीकालने दिया.. ओर अ‍ैसे ही पुरी रात बीत गइ....अब आगे

सब लोग सादीकी थकानकी वजहसे नींदकी गहेराइओमे चले गये थे.. ओर सबको लगा.. की आज सुबहका सुरज बहुत ही जल्दीसे ना नीकले.. सुबह साडे तीन बजे घरके सधी लोग ओर महेमान सो रहे थे.. तब सांतीकी आंख खुल गइ.. क्युकी आज खुदकी सादी थी.. तो आज रात उनको नींद ही नही आइ.. ओर उसने जागृतीको भी जगा दीया.. तो जागृती भी जागकर अपने बीस्तरपे ही बैठ गइ.. तब..

सांती : (सरमाते धीरेसे) जागु.. मे नहाने जा रही हु.. तो तुम तेरे भाइको भी जगादे.. आज उनको भी तैयार होनेमे टाइम लगेगा.. जा जगादे उसे..

जागृती : (सरमाते मुस्कुराते) भाभी.. मे..? नही आज आप ही जगादोनां.. मे जयश्री ओर बरखाको फोन करती हु.. वो दोनो अभी आपको तैयार करनेके लीये आजायेगी..

सांती : (पास आकर बैठते मुस्कुराते) अरी जाना.. मे नहाने जा रही हु.. वो दोनो चार बजे आजायेगी.. आज सीर्फ मुजे ही थोडीना तैयार होना हे..? आज तो तुजे भी मस्त दुल्हनकी तराह तैयार होना हे.. आज अच्छा मौका हे.. देखले.. मेरा बंसी तुजे देखकर पागल हो जायेगा.. हें..हें..हें..

जागृती : (सर्मसार होते अ‍ेक मुका मारते) भाभी.. आपभीनां.. आप बहुत सरारती हो.. पहेले आप दोनोकी सादी तो होजाने दो.. बाद मे मेरे बारेमे सोचुगी.. फीर देखना जींदगी भर आपका पीछा नही छोडुगी.. अ‍ेक बार फीर अच्छेसे सोचलो.. हें..हें..हें..

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सांती : (मनमे खुस होते) अरे हां हां बाबा.. मत छोडना.. तु जातो सही.. मेने सब सोचलीया हे.. तबतक मे फटाफट नहा लेती हु.. फीर तुम भी नहालेना.. वो दोनो पहेले हम दोनोको तैयार करदेगी.. फीर मम्मीजी को..

जागृती : (सामने देखते) भाभी.. क्या उनका अ‍ैसे तैयार होना जरुरी हे..? आपही उनको सरपे चडा रही हे.. फीर देखना वो कमीना रमेश अंकल उनके आस पास ही घुमता रहेगा.. कुछ काम धंधातो करेगा नही..

सांती : (खडी होते गालको चुमते) अरे जाना.. मे जैसा कहु करती जा.. वो भले घुमते रहे.. फीर कल मे तुमसे उनके बारेमे आरामसे बात करुगी.. अभी जीतना बोला हे उतना कर.. मे जा रही हु नहाने..

कहेते सांती जटसे बाथरुममे घुस गइ.. तबतक जागृती अ‍ेक नजरसे उनको देखती ही रही.. तभी उसे बंसीको जगानेका खयाल आया तो जागृती बहुत ही सरमाने लगी.. ओर उनके दिलकी घडकन तेज होगइ.. बंसीको जगाना मतलब.. वो अच्छी तराह जानती थी.. की बंसीको जगाने जायेगी.. तब वो जरुर कुछना कुछ सरारत करेगा.. ओर सांती भी तो वही चाहती थी.. की जागृती ओर बंसीके बीच नजदीकीया बढे..

इसीलीये तो उसने आज मौका देखकर जागृतीको बंसीके पास भेज दीया.. तब जागृती सरमाते धडकते दिलके साथ आयनेके सामने चली गइ.. ओर अपने बालोको हाथसे सही करने लगी.. फीर सरमाते धीरेसे दबे पांव बंसीके रुमकी ओर जाने लगी.. जैसे सबसे छुपकर अपने प्रेमीको मीलने जा रही हो.. तब सभी लोग अब भी सो रहे थे.. ओर जागृती धीरेसे दरवाजा खोलकर बंसीके रुममे चली गइ..

ओर अंदर जाते ही उसने दरवाजेको वापस धीरेसे बंध करके लोक करदीया.. ताकी बंसी उनके साथ कोइ सरारत करे तो भी कीसीको कुछ पता ना चले.. वो खुद भी तो वही चाहती थी.. की बंसी उनके साथ सबकुछ करे.. ओर वो भारी धडकनके साथ बंसीके पास चली गइ.. ओर बंसीके उपर जुकते उनको धीरेसे हीलाकर जगाने लगी.. तब दो तीन बार धीरेसे आवाज लगाकर बंसीको जगाया तब बंसी जाग गया..

ओर आंख खोलकर देखा तो जागृती उनपे जुककर उसे जगा रही थी.. तो बंसीने जागृतीको देखते ही पुरे रुममे नजर डालकर दरवाजेकी ओर देखलीया.. तो दरवाजा बंध था ओर इस वक्त जागृती उनके रुममे अकेली थी.. तो बंसी जागृतीकी ओर देखने लगा तो जागृती सरमाते हुअ‍े उनपे जुकते मुस्कुरा रही थी.. तब बंसी सबकुछ समज गया.. की अभी रुममे सीर्फ वो ओर जागृती ही हे..

ओर उसने जागृतीका हाथ पकडकर खीचते अपने उपर गीरा दीया.. तब जागृती बहुत ही सर्मसार होते बंसीके सीनेपे सर रखते गीर गइ.. ओर बंसीने जागृतीको जोरोसे अपनी बाहोमे भीचलीया.. तो जागृतीकी मुहसे आउच.. की आवाज नीकल गइ.. ओर वो सर्मसार होते मुस्कुराने लगी.. तो बंसी भी मुस्कुराते जागृतीकी पीठको सहेलाते उनके सामने देखकर हसने लगा.. तो जागृतीने सरमाते नजरे जुकाली..

तभी बंसीने दोनो हथेलीमे जागृतीके चहेरेको थाम लीया.. ओर जागृतीकी आंखोमे देखने लगा.. तो जागृतीने अ‍ेक नजर बंसीकी ओर देखते मुस्कुराते अ‍ेक बार फीर अपनी नजरे जुकाली.. तभी उसे अपने होठोपे बंसीके होठ महेसुस हुअ‍े.. तो जागृती सीरसे लेकर पांव तक कांपने लगी.. उनकी चुत गीली होने लगी.. फीर अचानक उसने बंसीको जोरोसे अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर अपने तनको बंसीके तनसे रगडने लगी..

तो जागृतीने उनको बाहोमे भीचतेही बंसीने भी जागृतीको कसके बाहोमे भीच लीया.. फीर पलटकर जागृतीको अपने नीचे करते खुद उनके उपर लेट गया.. तब जागृती सरमके मारे पानी पानी होते मुस्मुराते बंसीसे नजरे चुराने लगी.. ओर तभी बंसीने जागृतीके होठोपे अपने होंठ रख दीये.. तो जागृती सर्मसार होते अपना मुह इधर उधर करने लगी.. तभी अचानक बंसीने अ‍ेक हाथ उनके दुधुपे रख दीया ओर हल्कासा मसलते जागृतीके होठोका रसपान करने लगा..

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तब जागृती भी आंख बंध करते मदहोस होने लगी.. ओर उनका हल्कासा विरोध भी थम गया.. फीर वो भी बंसीकी पीठमे दोनो हाथ रखकर बंसीको बाहोमे भरते उनका होठ चुमते साथ देने लगी.. आखीर आज उसे बंसीको अकेलेमे प्यार करनेका मौका मील ही गया.. तो कुछ ही देरमे दोनोकी जीभ आपसमे पेच लडा रही थी.. दोनो ही अ‍ेक दुसरेके मुहको रसको पी रहे थे.. तब बंसी ओर जागृती दोनो ही उतेजीत हो गये थे..

दोनोकी आंखोमे वासनाके डोरे मंडराने लगे.. तभी बंसीने उनके टोपमे अपना हाथ घुसादीया.. ओर टोपको थोडा उचा करते जागृतीके संतरे जैसे बुब्सको थाम लीया.. ओर हल्केसे अपनी मुठीमे दबोचके मसलने लगा.. जीससे जागृती सीसकारीया करते सीहर उठी.. ओर बंसीकी ओखोमे देखने लगी.. जागृतीकी चुतसे पानीका रीसाव होने लगा.. मनसे तो चाहती थी की बंसी अभी उसे चोदले.. तब..
 

dilavar

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जागृती : (सर्मसार होते नसीली आंखोसे धीरेसे प्यारसे गाल सहेलाते) बस.. बस भाइ.. अभी ओर कोइ सरारत नही.. हम दोनो सादीके बाद फुरसतमे मीलेगे.. अभी मुजे जाने दो सबलोग जाग जायेगे..

बंसी : (भारी सांसोसे बुब्स सहेलाते) जागु.. आइ लव यु.. मे तुमसे भी बहुत प्यार करता हु.. तुम भी करले मुजसे सादी.. मे तुम दोनोको खुस रखुगा..

जागृती : (सरर्मसार होते मुस्कुराते) भाइ.. जानती हु में.. बस.. थोडासा इन्तजार कीजीये.. भाभी भी यही चाहती हे.. की हम दोनो मील जाये.. पहेले आप दोनोकी सादी तो होजाने दीजीये.. अब तो मे आपकी ही अमानत हु.. फीर हम भी सादी कर लेगे..

बंसी : (सरमाते धीरेसे) जागु.. अ‍ेक बात कहु..? मे हमारी सादीसे पहेले अ‍ेक बार तुमको मीलना चाहता हु.. तु.. तु समज गइना..? बस.. अ‍ेक बार तुमसे मीलन करना चाहता हु.. फीर हम दोनो सादी करलेगे..

जागृती : (सरमाते अ‍ेक नजरसे देखते धीरेसे) भाइ.. मे भी यही चाहती हु.. लेकीन अभी नही.. आपकी सभी तम्मना मे पुरी कर दुगी.. बस.. अ‍ेक बार आप दोनोकी सादी होजाने दीजीये.. फीर हमे इस घरमे अ‍ेकेले मीलनेका बहुत मौका मीलेगा.. तब आप अपनी सारी कसर पुरी कर लेना..

बंसी : (सरमाते हसते) जागु.. चलना अ‍ेक बार अभी करते हे.. अभी फटाफट सब होजायेगा.. कीसीको पता नही चलेगा.. क्युकी तुजे देखकर बहुत मन करता हे..

जागृती : (सरमाते उठनेकी कोसीस करते) भाइ पागल मत बनो.. आज आपकी सादी हे.. भाभी अभी नहाने गइ हे.. बहार नीकलती हो होगी.. हम बादमे मीलते हेना.. मे कहा आपको मना कर रही हु.. बस.. थोडा इन्तजार करनेको केह रही हु.. आज आप भाभीके साथ अच्छेसे सुहागरात मनालो.. आइ प्रोमीस.. फीर हम भी मीलेगे..

बंसी : (पागलोकी तराह चुमते) जागु.. मान भी जाओनां.. अभी फटाफट होजायेगा.. कीसीको कुछ पता नही चलेगा.. मुजे तुमसे मीलनेका बहुत मन कर रहा हे..

जागृती : (सर्मसार होते) भाइ समजते क्यु नही..? मुजे भी आपको मीलना हे.. लेकीन आज नही.. वरना मेरी हालत खराब होजायेगी.. मे सबको क्या कहेती फीरुगी.. बस.. थोडासा सब्र करलो.. प्लीज..

लेकीन बंसीने जागृतीकी अ‍ेक नही सुनी.. ओर वो जागृतीके टोपको उचा कर देता हे.. तब जागृतीके दोनो बुब्स उछलकर बहार आगये.. तो जागृती बहुत ही सर्मसार होते उसे ढकनेकी नाकाम कोसीस करने लगी.. लेकीन उनसे पहेले ही बंसीने अ‍ेक बुब्सको अपने मुहमे लेलीया था.. ओर जागृतीके गोरे गोरे बुब्सको चुसते अ‍ेक हाथ नीचे लेजाकर उनकी चुतको सहेलाने लगा..

तब जागृती बहुत ही सर्मसार होते मदहोस होने लगी.. अपनी कमरको उछलने लगी.. वो बंसीके हाथको पकडकर अपनी चुतसे हटानेकी कोसीस करती रही.. तभी बंसीने अपनी मीडल उंगली जागृतीकी चुतमे घुसादी.. ओर उनकी क्लोरीटीसको छेडने लगा.. तो जागृती सातवे आसमानपे चली गइ.. वो पुरी तराह मदहोस हो चुकी थी.. ओर उसने बंसीका हाथ छोडदीया.. ओर अपनी कमर हीलाने लगी..

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जागृती : (मदोहसीमे धीरेसे) भा..इ.. बस.. बस.. ओर नही.. मे बहेक जाउगी.. छोडीयेनां.. अभी घरपे महेमान हे.. अंह.. अंह.. सीसससइइइइ.. भाइ..इइइ छोडोनां.. नीचे कुछ हो रहा हे..

उनकी चुतसे पानीका रीसाव होने लगा.. ओर मदहोस होते हुअ‍े नसीली आंखसे बंसीकी ओर देखते उनको फीरसे रोकनेकी कोसीस करने लगी.. तभी बंसीने जागृतीकी चुतमे उगली घुसादी ओर उसे अंदर बहार करते हीलाने लगा.. तो जागृतीने आंख बंध करली.. ओर बंसीके चहेरेपे हाथ घुमाते धीरेसे मदहोसीमे बडबडाने लगी.. तब बंसी चुतमे उगली करते जागृतीके दोनो बुब्सको बारी बारी मुहमे लेकर चुसने लगा..

जागृती भी अपना सभी होस गवा चुकी थी.. ओर मदहोस होकर आधी आंख चडाते अ‍ेक हाथसे बंसीके बालोको सहेलाने लगी.. आज बंसीने उनकी चुतको छेड दीया था.. तब जागृती बहुत ही उतेजीत होते अपनी चुतमे अपने भाइसे ही उगली करवा रही थी.. वो बार बार बंसीके गलेमे हाथ डालकर अपने उपर जुकाते उनके होठोको चुमने लगी.. तभी अचानक वो अकडने लगी.. तो..

जागृती : (मदहोसीमे) अंह..अंह.. आइइइ.. भा..इ.. मुजे कुछ हो रहा हे.. कुछ कीजीयेनां..

कहेते दुसरा हाथ नीचेकी ओर लेजाते हिंमत करते बंसीके लंडको पकडलीया.. ओर हल्कासा कडकर सहेलाने लगी.. तब उसे बंसीका लंड भी लखनके लंडकी माफीक मोटा ओर बडा लगा.. तब जागृती मनमे बहुत खुस होते सरर्मसार होने लगी.. दोनो ही काम वासनामे जलने लगे.. जागृती अब बंसीसे चुदवानेके लीये पुरी तराह तैयार थी.. तभी उनकी चुतने जवाब देदीया.. ओर वो जड गइ.. ओर ठंडी होगइ..

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तो वो बंसीको धका मारते अपने उपरसे हठा देती हे.. ओर जटसे खडी होते बेडसे उतर गइ.. फीर सरमाकर अपने सब कपडे ओर बालोको सही करते बंसीको ओर नसीली आंखोसे देखते मुस्कुराने लगी.. बंसी भी हसते हुअ‍े खडा होगया.. तभी जागृती अपने आपको सही करके बंसीकी बाहोमे समा गइ.. ओर बंसीके होठोपे होठ रखते कीस करदी.. फीर उनकी बाहोमे रहेकर सीनेपे सर रखते धीरेसे कहा..

जागृती : (धीरेसे) भाइ.. थेन्कस.. कीतना हसीन अहेसास था.. मे आपकी सभी इच्छा पुरी कर दुगी.. लेकीन अभी पुरी नही कर सकती.. आप बादमे करलेना.. भाइ.. आइ लव यु.. आप फीकर मत करो.. हम बहुत ही जल्द मीलेगे.. अब आप ही मेरे पती हो.. आज मेने फैसला करलीया हे.. अब मे हमेसा हमेसाके लीये आपकी होना चाहती हु.. भाइ.. मुजे जाना होगा.. भाभीने नहालीया होगा.. फीर हम आरामसे मीलकर बात करेगे..

कहेते जागृने अ‍ेक बार फीर बंसीके होठोको चुमलीया.. फीर वो जटसे बंसीसे अलग होगइ.. ओर जटसे दरवाजा खोलकर बहार नीकल गइ.. तो बंसी भी खुस होते बाथरुममे धुस गया.. जागृती जटसे वापस सांतीके पास चली गइ.. तब सांती नहाकर नीकली ही थी.. तो जागृतीकी हालत देखते ही समज गइ.. ओर जोरोसे हसने लगी.. तो जागृती बहुत ही सर्मसार होते हसने लगी.. तभी..
 

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सांती : (हसते धीरेसे) कमीनी उसे जगाने भेजाथा.. सुहागरात मनाने नही.. समजी..? देख तेरी पुरी सलवार गीली होगइ हे.. जा फटाफट नहाले.. अभी वो दोनो कमीनीओ आती ही होगी.. हें..हें..हें..

जागृती : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. अ‍ैसा कुछ भी नही हुआ जो आप सोच रही हो.. आज तो बाल बाल बच गइ.. वरना आज तो गइ थी कामसे..

सांती : (खुस होते धीरेसे) चल अच्छा हुआ तुम दोनोकी सेटींग होगइ.. अब जा फटाफट नहाले.. अभी सबलोग जाने लगेगे..

कहा तो जागृती सरमाकर मुस्कुराते बाथरुममे घुस गइ.. आज वो वाकइ बंसीसे बच गइ थी.. तो दुसरी ओर सामत भाइके घरपे सब लोग उठकर तैयार होने लगे.. आज बंसी ओर सांतीकी सादी थी.. तो आज भी जयश्री ओर बरखा सांतीको दुल्हनके रुपमे सजाने सुबह जल्दी आ गइ.. तब जागृती नहाकर बहार नीकल गइ.. ओर सांतीेका शींगार करनेमे मदद करते अपनी बारीका इन्तजार करने लगी..

तो दुसरी ओर आज भी ब्रिन्दा ओर बसंतीको अपने बेटेको मीलनेका फीरसे मौका मील गया था.. तो दोनो कैसे हाथसे जाने देती.. तो ब्रिन्दा जयश्रीके जातेही श्रीधरके रुममे घुस गइ थी.. ओर अभी उनके नीचे लैटते उछल उछलके चुदवा रही थी.. तो दुसरी ओर आज बसंती भी बरखाके जाते ही सामनेसे मुनाके रुममे चली गइ.. तो वो भी इस वक्त मुनाके नीचे नंगी होकर लेटी हुइ थी.. ओर मुना बसंतीकी हाथके बल उचा होकर जबर दस्त चुदाइ कर रहा था..

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इधर हवेलीमे भी अ‍ेक अ‍ेक करके सब लोग जागने लगे ओर तैयार होने लगे.. लखन भी जागकर बाथरुम मे घुसा हुआ था.. ओर बाकीकी सभी लेडीस तैयार हो रही थी.. तो गांवमे भी सब तैयार होकर सामत भाइके घरकी ओर जा रहे थे.. तब सामत भाइने आज रमेशको जल्दी बुला लीया ओर सादीकी सारी कमान उनको सौंपदी थी.. ओर खुद जया भाभीके साथ नये कपडे पहेनकर इधर उधर घुम रहे थे..

अ‍ेक घंटेके बाद नीर्मला, भुमीका ओर सरला चाचीके अलावा देवायतकी पुरी फेमीली सामत भाइके घरपे आ चुकी थी.. आज पुरा गांव सामतभाइके घरपे सादीमे अ‍ेकठा हो रहा था.. ओर सामतभाइ अपनी ही विधवा बहेनकी सादी अपने बेटेके साथ करवाके गांवमे अ‍ेक नइ मीसाल कायम कर रहे थे.. तो इस मौके को देवायत ओर मंजु कैसे हाथसे जाने देते.. तो यहा आनेसे पहेले देवायतने आश्रमपे फोन करके बाबासे सभी बाते करली थी..

तो आज बाबा भी सबको समजानेके लीये आने वाले थे.. तो दुसरी ओर ब्रिन्दा ओर बसंती अपने अपने बेटेसे चुदवाकर बहुत ही खुस होगइ थी.. तो दोनो ही आज शींगार करके पटाका लग रही थी.. ओर अपने अपने नये पती.. यानीकी अपने बेटेके साथ आगइ थी.. अ‍ैसा लगता था दोनोकी नइ नइ सादीया हुइ हो.. ये दो दिनमे दोनो सहेलीया होकर अ‍ेक दुसरेसे काफी खुल चुकी थी.. हस हसके दबी आवाजमे अ‍ेक दुसरेके साथ अपने बेटेके साथ कीया हुआ प्यारका अनुभव सेर कर रही थी..

आजकी सादी गांवके लीये बहुत ही खास थी.. क्युकी आज पहेली बार अ‍ैसे आपसी रीस्तोमे सादी हो रही थी ओर वो भी सामत भाइ जैसे प्रतीसीष्ठ व्यक्तीके घरपे.. तो सब लोग गांवमे होने वाले बदलावको देखनेके लीये आरहे थे.. ओर ना सीर्फ इस गांवके बल्की आजु बाजुके गांवमे जीतने भी बडे बुजुर्ग थे.. वो मन ही मन गांवमे ओर अपने घरमे अ‍ैसे जीतने भी रीस्ते पनप रहे थे उनको स्वीकार करने लगे..

आज सामत भाइ बहुत खुस नजर आरहे थे.. जैसेही सादीका मुहुर्त हुआ तब बंसी दुल्हा बनकर मंडपपे आ गया.. तो जयाने उनका स्वागत कीया.. फीर जागृती जयश्री ओर बरखा सांतीको दुल्हनके लीबासमे पंडपके नीचे लेकर आगइ ओर उसे बंसीके सामने बीठा दिया.. तो आज सांतीके कहेनेपे बरखा ओर जयश्रीने जागृतीको भी दुल्हनकी तराह सजा दीया था.. जैसे उनकी भी सादी हो.. वो भी सजधजके दुल्हनकी तराह पटाका लग रही थी.. तो वो भी बार बार बंसीकी ओर देखकर सरमा रही थी..

फीर सामतभाइ ओर जयाभाभी तैयार होकर कन्यादान करने बैठ गये.. तब मंत्रोचारके साथ पंडीत बंसी ओर सांतीके विवाहकी वीधीया करने लगे.. तो सांतीकी आंखसे खुसीके मारे आंसु छलक रहे थे.. तब उनके पास बैठी जागृती ओर जयश्री उनके आंसु पोछती रही.. तो बंसीने भी अपने खास दोस्त लखनको अणवरके तौरपे अपने पास बीठा दीया था.. तो जागृती उनको देखकर भी बहुत सरमा रही थी..

तो आज दुसरे गांवसे भी बहुत महेमान आये हुअ‍े थे.. तो सभी महेमानोको देवायत जवेरीलाल बनजारीलाल ओर रमेश सम्हालके बैठे थे.. तो लखनके सभी दोस्तो भोजनकी व्यवस्थामे लगे हुअ‍े थे.. ओर खुद लखन बंसीके साथ उनका अणवर बनके बैठा हुआ था.. तब बंसीके साथ साथ लखन ओर जागृतीका भी आंख मीचोलीका खेल चल रहा था.. तो इस खेलमे आज जयश्री ओर बरखा भी सामील हो चुकी थी..

तो दुसरी ओर बंसीने भी आज सुबह अपनी बहेन जागृतीके साथ खुलकर प्यार कीया था.. तबसे उनका दिल भी जागृतीको मीलनेके लीये मचल रहा था.. जीनकी वजहसे अभी आंखोसे इसारा करते जागृतीको मीलनेके लीये केह रहा था.. तब जागृती भी आंखोके इसारोसे हां कहेते बहुत ही सर्मसार होने लगती.. आज बंसी ओर लखन दोनो ही उनकी ओर इसारा कर रहेथे.. तब जागृतीको दोनोको सम्हालना मुस्कील होने लगा..

तब उसने सोचलीया की सारी जींदगी अपने भाइ बंसीके साथ गुजारनी हे.. ओर लखनके साथ भी रीलेशन रखना हे.. तब वो बारी बारी दोनोको अ‍ेक दुसरेसे छुपकर इसारोसे जवाब देती रही.. तो दुसरी ओर जागुती ओर लखनके बीच चल रहे आंखोके इसारोका मजा लेते बरखा ओर जयश्री भी बार बार लखनके पेन्टकी ओर देख लेती थी.. ओर सरमाकर हस हसके दबी आवाजमे अ‍ेक दुसरेके कानमे बाते करते हस रही थी..

तब पुनम सृती ओर मंजु भी लखन ओर ये सबकी हरकत देखकर हस रही थी.. तो सृती भी कभी कभी लखनको लेकर पुनमके कानमे कुछ कहेते हसने लगती थी.. तब पुनम बहुत ही सर्मसार हो जाती थी.. जाहीरसी बात हे कल रातसे ही दोनोके मनमे लखनके लंडको लेकर उनको देखनेकी उत्सुक्ता बढ गइ थी.. ओर इस बारेमे अब दोनो खुलकर बीन्दास्त बाते करने लगी थी..

आज रमा ओर नीलम भी साथ साथ बैठी थी.. ओर उनकी बगलमे भावना ओर लता बैठकर आपसमे बाते कर रही थी.. तब रमा ओर नीलम लखनको रीजानेके लीये पुरी कोसीसमे लगी हुइ थी.. तो आज लखन नीलमके बजाये रमापे कुछ ज्यादा ही ध्यान देने लगा था.. आज भानु भी अपना पुराना प्यार बसंतीको देखकर मन ही मन खुस हो रहा था.. ओर बसंतीकी ओर देखकर हसनेकी कोसीस करते आंखोसे इसारा कर रहा था..

तब इन दोनोको नही पता था.. की बसंतीका लडका मुना बसंती ओर भानुपे नजर गडाये दुरसे खडा होकर देख रहा हे.. तभी बसंती ओर भानुकी नजर मीली.. तो बसंतीने भानुकी ओर अपना मुह बीगाडते दुसरी ओर मुह घुमा लीया.. तो भानु नीरास होगया.. ओर वो खडा होकर भोजन वाले पंडालमे चला गया.. अब वो पुरी तराह समज गया की अब बसंतीने उनको छोड दिया हे..

तो ये देखकर मुना मन ही मन खुस होने लगा.. की चलो अब उनकी मांको भानुमे अब कोइ इन्ट्रेस नही रहा.. लेकीन भानुने देवायतको बसंतीको ना मीलनेका प्रोमीस देकर भी आज बंसतीको पानेकी कोसीस की.. जीनकी वजहसे मुना नाराज होगया.. तब उसने भी मनमे कुछ सोच लीया.. जो भानुके लीये बहुत ही खतरनाक था.. तो दुसरी ओर सादीका माहोल देखकर दो लोग अ‍ेक अ‍ेक करके चुपकेसे अपने घर चले गये..

ओर घर जातेही अ‍ेक रुममे घुस गये.. ओर अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा गये.. फीर कुछ ही देरके बाद वासनामे अंधे होकर अ‍ेक होगये.. दोनो अ‍ेक दुसरेके साथ घमासान चुदाइ करनेमे मसगुल हो गये.. ओर वो थे जीतुलाल.. ओर उनकी भाभी वृन्दा.. जो दोनो सभी घरवालेको सादीमे होनेका फायदा उठा रहे थे.. ओर चुदाइ करते करते अपने बच्चेको लेकर फ्युचरकी प्लानींग कर रहे थे.. वृन्दा अब पुरी तराह जीतुलालसे सादी करके उनकी हो जाना चाहती थी..

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वृन्दा चुदवाते हुअ‍े बार बार जीतुलालको उनको प्रेगनेन्ट करनेका दबाव डाल रही थी.. ताकी उनका अपने पती जवेरीलालसे भी छुटकारा हो जाये.. ओर वो जीतुलालकी बीवी बनकर सारी जींदगी जीतुलालके साथ रेह सके.. अब ना वृन्दा जीतुलालके बगैर रेह सकती थी.. ओर ना ही जीतुलाल वृन्दाके बगैर.. दोनोने अ‍ेक दुसरेको अपना पती पत्नी मानलीया था.. जो इस वक्त चुदाइमे मसगुल होकर अपनी वासना सांत कर रहे थे..
 

dilavar

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दुसरे गांवके बहोत सारे सरपंच पंचायतके सदस्तो के साथ गांवके प्रतीसीष्ठ व्यक्ती आये हुअ‍े थे.. तभी अ‍ेक कार आकर रुक गइ.. तो सब लोग उधर देखने लगे.. तो देवायत मुस्कुराते जटसे कारकी ओर चला गया.. तो साथमे मंजु भी हसते हुअ‍े खडी होगइ.. तो सब लेडीस मंजुकी ओर देखने लगी.. तो वो भी जटसे देवायतके पास कारकी ओर चली गइ..तो कुछ ही देरके बाद अंदरसे बाबा मुस्कुराते हुअ‍े बहार नीकले..

तो देवायत ओर मंजुने हसते हुअ‍े उनके पैर छु लीये.. तो सादीमे आये सभी लोग बाबाको देखकर खुस होते खडे होगये.. ओर उनके पैर छुने लगे.. तो बाबा सबको हस हसके आशीर्वाद देते रहे.. तब देवायत ओर मंजुसे बात करके बाबा मुस्कुराते मंडपकी ओर आने लगे.. तो सामत भाइकी खुसीका कोइ ठीकाना नही था.. वो जटसे खडे होगये ओर हाथ जोडकर बाबाके पांव छुने लगे.. तो बाबाने उनको आशीर्वाद दीया..

फीर बंसी ओर सांतीकी ओर चले गये.. ओर उनको भी सादीका आशीर्वाद दीया.. तब गांवके सभी लोग हाथ जोडकर सांत होगये.. फीर बाबाने सबको प्रकृतीके ज्ञानके साथ हिमाचलके राजाकी कहानी सुनाइ.. ओर उसी राजाके देवायतके घर अ‍ेक खास मक्सद से दुबारा जन्म लेनेकी बात कही.. ओर उसी कारण देवायतके घर पीछली तीन पीढीसे अपनी बहेनसे सादीको लेकर गांवमे रीस्तोमे बदलाव होने बात कही..

तो सुनकर गांवके सभी लोग दंग रेह गये.. तब सबको पता चला की हवेलीमे पीछली तीन पीढीसे सभी मर्द अपनी बहेनसे क्यु सादी कर रहे हे.. तब ज्यादातर नां सीर्फ इस गांव बल्की दुसरे गांवके लोगोने भी बाबाकी बातको मान लीया.. ओर आने वाले बदलवावको स्वीकार करलीया.. तभी जोसमे आकर जवेरीलालने खडे होकर अ‍ेक हप्तेके बाद अपनी बेटी जयश्री ओर अपने भाइके लडके श्रीधरकी सादीकी बात सबके सामने कहेते सबको सादीका न्योता दिया..

तो सुनकर जयश्री बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर अपना मुह जागृतीके पीठमे छुपाते मुस्कुराने लगी.. तो गांव वाले जयश्रीकी ओर देखते तालीया बजाने लगे.. तो सब लोग श्रीधरको भी बधाइआ देने लगे.. तब जवेरीलाल भी खुस होगये.. फीर बाबा सबको आशीर्वाद देकर जाने लगे.. तब देवायत मंजुके साथ पुनम सृती भी सामील होगइ.. ओर देवायतने बाबाको अपने घरपे चलनेकी बात कही..

तो बाबाने मुस्कुराकर फीर कभी आनेको कहेते पुनम सृतीसे भी कुछ बाते करली.. ओर आशीर्वाद दीया तो पुनम ओर सृती भी बहुत ही खुस होगइ.. गांवमे कीसीको उमीद नही थी.. की बाबा अ‍ैसे अचानक आयेगे.. जब बाबा चले गये.. तब पुनम मंजुको अ‍ेक तरफ हाथ पकडकर लेगइ.. ओर उसने कल रात लताके साथ जो भी कुछ हुआ वो सब बता दीया.. फीर उसने लताको सबकुछ कहेनेकी बातकी तब..

पुनम : (धीरेसे) दीदी.. लगता हे अब हमे लताभाभीको सबकुछ बता देना चाहीये.. क्युकी परसोतो वो भी सहेर चली जायेगी ओर मे भी चली जाउगी.. ओर अभी वो दोनो उनसे चीपकी ही रहेती हे.. तो उनको बुलाकर बात करलु..?

मंजुला : (मुस्कुराते) क्या..? अभी तक तुमने कीसीको बताया नही..? पुनो.. जा आज ही करले बात.. लेकीन ध्यान रखना.. उन दोनोको इस बारेमे पता ना चलजाये.. वरना तुम दोनो भाइ बहेनका सारा प्लान चोपट होजायेगा.. ओर लताको भी कहेना उनके साथ अपने व्यवहारमे कोइ बदलाव ना लाये.. पहेले उनके साथ रहेती थी अ‍ैसे ही रहे..

पुनम : (मुस्कुराते) जी दीदी.. मे सब देख लुगी.. आप उनकी टेन्शन मतलो..

मंजुला : (हसते धीरेसे) मुजे टेन्शन उनकी नही हे.. वो तो तुम भाइ बहेन सम्हाल ही लोगे.. टेन्शन मुजे तेरी ओर सृतीकी हे.. हें..हें..हें.. कमीनीओ.. जीस तरह तुम दोनो आगे बढ रही हो.. तो मुजे पका यकीन हे.. वो कमीना भी तुम दोनोको छोडने वाला नही हे.. हें..हें..हें.. कल रात तुम दोनो क्या आंख मीचोली खेल रहे थे..?

पुनम : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. वो.. वो.. भाइ मुजसे इसारा कर रहेथे.. आइ अ‍ेम सोरी..

मंजुला : (प्यारसे गाल सहेलाते) अरे मेरी बच्ची सोरी क्यु बोल रही हे..? मेतो सीर्फ मजाक कर रही थी.. बाकीतो तुजे भी सब पता हे सबके साथ क्या होने वाला हे.. तु अ‍ैसे गभरा मत.. अब तुजेही तो सबको सम्हालना हे.. लेकीन पुनो.. तुजे अ‍ेक बात कहु..? जीस तराह तु अपने बडे भाइको प्यार कती हे.. उसी तराह हमारा लखनभी तुजे आज भी इतना प्यार कता हे.. वो अपने पहेले प्यारको कभी नही भुल पाया.. हो सके तो उनका प्यार कबुल करले..

पुनम : (आंख गीली करते) दीदी.. मे भी उसी उलजनमे हु.. मे उनका प्यार कैसे कबुल करलु..? क्युकी मेरी चाहत बडे भाइ हे.. मुजे भी पता हे वो मुजसे आजभी उतना प्यार करते हे जीतना पहेले करते थे.. कल भी वो अपना प्यार जता रहे थे.. तो मेने मना करदीया..

मंजुला : (आंख पोछते) पुनो दुखी मत हो.. हमे सीर्फ अपनी भावनाओको नही देखना चाहीये.. कभी कभी हमे ना चाहते हुअ‍े भी दुसरेकी भावनाओका खयाल रखना पडता हे.. वो भी तो हमारा भाइ ही हे.. वैसे भी हमे कीसीकी थोडीसी जींदगानीमे उनको कुछ सुख देना पडे.. तो इसमे बुराइ भी क्या हे.. बाकी तुम समजदार हो.. अबतो हमारे बडे भाइको भी इस रीस्तोसे कोइ प्रोबलेम नही हे.. तो फीर तु क्यु डर रही हे..? आखीर तुम सबको दोनो भाइको ही तो सम्हालना हे..

पुनम : (सरमाके मुस्कुराते) जी दीदी.. मे सबकुछ समज गइ.. बस.. थोडासा संकोच हो रहा था.. जो आज आपने दुर करदीया.. दीदी.. फीर भी दिलके अ‍ेक कोनेमे डर लग रहा हे.. कही मे बडे भैयाको धोखा तो नही दे रही..

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) पुनो.. धोखा तो तुम अब भी दे रही हो.. लेकीन देवुको नही धिरेनको.. तो क्या तुजे दुख होता हे..? नहीनां.. तो फीर ये तो हमारा छोटा भाइ हे.. तो फीर तुजे क्या प्रोबलेम हे.. मत भुलो हम सब कौन हे.. ओर हम सभी यहा कीस मक्सदसे आइ हे.. ये बात तुजे हमारी सभी सौतनोको बताना होगा..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) जी दीदी.. तो क्या इस बारेमे मे हमारी सभी सौतनोसे बात करलु..?

मंजुला : (मुस्कुराते) हां मेरी बच्ची.. अभी मे वो ही तो केह रही थी.. अब इस जीम्वेवारी तो तुजे ही उठानी हे.. बस ध्यान रखते सबको विस्वासमे लेले.. मुजे पुरा यकीन हे.. तेरी बात कोइ नही टालेगा.. ओर वैसे भी कहा कीसीके साथ जबरदस्ती करनी हे.. सब अपनी मरजीकी मालीक हे.. बाकीका काम तो हमारा लखनही सम्हाल लेगा.. फीर विजयका भी तो देखना हे.. बस.. जबतक वो इधर हे तुम उनका अच्छेसे खयाल रखना.. जैसा मेने कहा हे करते जा.. ओर हो सके तो इस बारेमे लखनसे भी बात कर लेना..

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पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) जी दीदी.. हम तीन तो रेडी हे.. अब लताभाभीको भी सबकुछ बताकर विस्वासमे लेना हे.. वो भी मान जायेगी.. बस.. इसीलीये आपको पुछने आइ थी.. लेकीन लखन भैयाको..? दीदी.. उनको बतानेकी मेरी हींमत नही होगी.. आप ही बतादोनां..

मंजुला : (मुस्कुराते) चल ठीक हे.. मे ही उनसे बात करलुगी.. वैसे भी बाबाका तेरे उपर पुरा आशीर्वाद हे.. तुम जरुर कामयाब होगी.. ओर सुन.. लखन अब बेकाबु होने लगा हे.. मे उनको भी सब बाते बता दुगी.. ताकी तुम सबका संसार अच्छेसे चले.. चल अब हम सबके साथ बैठते हे.. तुम लतासे बात करले..

फीर मंजुला सृती पुनम सबलोग वापस आकर सबके साथ बैठ गये.. आज पुनमने मंजुसे लताके बारेमे सब कुछ पुछ लीया.. तो आज मंजुने भी इन्डारेक्ट पुनमको लखनके साथ आगे बढनेकी बात करली.. सब लोग वापस सादीके माहोलमे खुस होकर अ‍ेक दुसरेके साथ गांवमे होने वाले बदलावकी बाते करने लगे.. तभी जीतुलाल ओर वृन्दा भी घरपे दो दो बार घमासान चुदाइ करके सही होकर वापस आगये..

तब जीतुलाल वृन्दाको पता ही नही थाकी जवेरीलालने सबके सामने श्रीधर जयश्रीकी सादी अ‍ेक हप्तेके बाद फीक्स करदी हे.. तभी पांसके गांवका अ‍ेक सरपंच भी अपनी बीवीके साथ आगया.. उनकी बीवी बहुत ही खुबसुरत ओर पुरी हाइट वाली थी.. जो बहुत ही कामुक पटाखा लग रही थी.. जो सब लेडीसके पास जाकर बैठ गइ.. वो दोनो थे बसंतीका भाइ
विनोद ओर उनकी नइ भाभी गीता थी.. जो पहेले बसंतीकी मौसी ओर बादमे उनकी नइ मां फीर उनकी भाभी होगइ थी..

तब बसंती उनको देखकर चौंकनी होगइ.. क्युकी वो आकर बरोबर बसंतीके पीछे ही बैठी हुंइ थी.. बसंती इसी गांवमे रहेती हे वो नातो विनोदको पता था ओर नाही गीताको.. तभी बसंती ब्रिन्दाके कानमे कुछ कहेने लगी.. तो ब्रिन्दा भी पीछे मुह करते गीताकी ओर देखने लगी.. फीर वो भी बसंतीके कानमे कुछ कहेने लगी.. तब बसंती सर्मसार होते पीछे मुडकर देखते हसने लगी.. तभी गीताका ध्यान बसंतीकी ओर गया..

जो दोनो उनकी ओर देखकर हसते बाते कर रही थी.. तब गीता बसंतीको देखते ही चोंक गइ.. ओर कुछ परेसान होने लगी.. क्युकी गीता बसंतीको अच्छी तराह पहेचान चुकी थी.. तभी बंसी ओर सांती फेरेके लीये खडे हो गये.. तो सबलोग वापस सादी देखनेमे बीजी होगये.. तभी पुनम सृती भावना ओर लता साथ ही बैठे थे.. तब पुनमने लताके कानमे कुछ कहा..

ओर सृती भावनाको कानमे कुछ कहेकर खडी होकर पीछे चली गइ.. तो लताभी सबकी ओर नजर डालते धीरेसे सबकी नजर बचाते वहासे सरक गइ.. ओर पुनमके पास पीछे चली गइ.. तब पुनम धीरेसे सरकते हवेलीकी ओर चलने लगी.. तो लताभी जटसे आकर पुनमके साथ होगइ.. ओर दोनो साथ चलते हवेलीकी ओर बाते करते जाने लगी.. आज पुनमने लताको सबकुछ बतानेका फैसला करलीया था....

कन्टीन्यु
 
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