सबाना : (मुस्कुराते साथ चलते) हंम.. भाइ.. आपको तो जुठ मुठ हसना भी नही आता.. सीर्फ मेरा दिल रखनेके लीये हस रहे हेनां..? दीजीये मेरा गीफ्ट.. मे इसे सम्हालके रखुगी.. ओर बेंगलोर जाकर पहेनुगी.. अबतो खुस होजाइअे.. हें..हें..हें..
साहील : (जेबसे बोक्ष नीकालकर देते) तो फीर इतनी देरसे नखरे क्यु कर रही थी..? हें..हें..हें..
सबना : (बोक्षको सीनेपे लगाते हसते) क्युकी मे मेरे भाइके दिलको नही तोड सकती.. आज पता चला मेरा भाइ मुजे कीतना चाहता हे.. भाइ.. लव यु..
साहील : (मुस्कुराते) हंम.. दीदी.. अभी आपने अपने भाइकी चाहतको देखा ही कहा हे..? कभी अजमाना चाहो तो देखलेना.. मे जान भी दे दुगा..
सबाना : (फौरन साहीलके मुहपे हाथ रखते आंख गीली करते) भाइ.. मत बोलो अैसा.. मेने आपकी चाहतको देख भी लीया.. ओर महेसुस भी करती हु.. नही अजमाना मुजे कुछ.. अगर आप जान दे दोगे.. तो फीर क्या मे जीन्दा रेह सकती हु..? भाइ.. आइ लव यु.. मे मेरे साहील भाइको बहुत चाहती हु.. भाइ.. जब मे वहा चली जाउ तब आप कमसे कम हप्तेमे अेक बार फोन जरुर करना..
साहील : (साथ चलते) हां जरुर करुगा.. मे तेरे जानेके बाद चाचा ओर चाचीको हमेसाके लीये गांव लेजा रहा हु.. ओर कादीर भाइ ओर सायरा दीदीको ढुंढकर भी वापस लाउगा.. ओर यही मकान उनको दिलवाउगा.. जहा अभी आप लोग रहेते हो.. आइ प्रोमीस..
सबाना : (सरमाते भीरेसे) भाइ.. आपसे अेक बात पुछु..? क्या कादीरभैयाने ओर सायरा दीदीने आपसमे सादी करके सही कीया..? क्या ये रीस्ता नाजायज नही हे..? आप लोग हमारे गांवके बारमे भी बहुत कुछ बता रहे थे.. तभी तो पापा मान गये..
साहील : (मुस्कुराते) हां सबुदीदी.. वैसे हमारे सभ्य समाजकी द्रष्टीकोणसे देखा जाये तो नाजायज हे.. ओर मेरी द्रष्टीसे देखा जायेतो मुजे सभी रीस्ते जायज लगते हे.. ये सब अपनी अपनी सोचपे नीर्भर करता हे.. हमारे यहा अैसे रीस्तेको स्वीकार नही करते.. लेकीन आप हीमाचल चली जाओ.. तो वहा आजभी उस राजाकी सुरु की हुइ परंपराको लोग नीभाते हे.. तभी तो वहा आज अेक भी विधवा या त्यक्ता नही मीलती.. सब लोग अपनी जींदगी हसी खुसीसे गुजारते हे.. ओर अब तो ये सब हमारे गांवमे भी होने लगा हे..
सबाना : (सरमाकर हसते) हंम.. मे जानती हु.. क्या मुना भैया ओर श्रीधर भैयाने भी अपनी बहेनसे सादी करली हेनां..? मेरी इस बारेमे जयश्री दीदीसे बात हुइ.. वो अपने भाइसे सादी करके बहुत खुस हे..
साहील : (मुस्कुराते साथ चलते) हां दीदी.. सीर्फ ये दोनोने ही नही.. बहुत सारे लोग अपनी बहेनसे तो कोइ अपनी विधवा भाभीके साथ.. हमारा बंसी खुद उनकी विधवा बुआके साथ सादी कर रहा हे.. उसी सादीकी खरीदी करने तो इधर आया हे.. ओर वैसे देखा जायेतो हमारे अबु अम्मीके खुदके रीस्ते नाजायज हे.. चाची चाचाकी बुआकी लडकी हे.. तो खुद मेरी अम्मी अबुके सगे चाचाकी लडकी हे.. तो क्या वो दोनो उनकी बहेने नही हुइ..?
सबाना : (हसते) भैया.. लेकीन वो तो उनकी सगी बहेने थोडीनां हे..? हें..हें..हें..
साहील : (मुस्कुराते) बहेन बहेन ही बहोती हे.. फीर चाहे सगी हो या दुरकी.. ये सगी बहेन क्या होता हे..? क्या तुम मुजे बता सकती हो..?
सबाना : (सर्मसार होते मुस्कुराते) भाइ.. मीन्स.. मानलोना दोनो भाइ बहेन अेक ही मांकी कोखसे जन्मे हो.. उसीको तो सगे भाइ बहेन कहेते हे..
साहील : (हसते) हंम.. दीदी.. आपको तो पता हे.. पहेलेक जमानेमे राजा ओर साहुकार कीतनी सादीया करते थे.. हमारे समाजमे भी चार चार सादीया करते हे.. तो मानलो.. कीसी मर्दकी दो बीवीया हे.. अेक बीवीसे लडका हुआ.. ओर दुसरी बीवीसे लडकी.. तो फीर आप उसे सगे भाइ बहेन मानती हो.. की नही..? बस.. सीर्फ इतना बतादो..
सबाना : (हसते) ओह.. हें..हें..हें.. भाइ.. आपने तो मुजे उलजनमे डाल दीया.. सायद.. उसे सगे नही.. सौतेले भाइ बहेन कहेते हे.. हें..हें..हें.. क्युकी दोनोकी मां अलग अलग हे.. ओर बाप अेक हे..
साहील : (हसते) हंम.. तो फीर इसका मतलब ये हुआ की इस मामलेमे ओरतको तवज्जो देते हे.. मर्द को नही.. तो फीर हम ओरतोकी भावनाओका खयाल क्यु नही रखते..? हम क्यु इनकी बेइजती करते हे..? क्या उनको अपने तरीकेसे जींदगी जीनेका अधीकार नही..? क्या वो सीर्फ बच्चे पैदा करनेके लीये हे..? मनलोना.. दोनोकी मां अलग अलग हे.. तो फीर उन भाइ बहेनके बीचकी सादीको तुम क्या मानती हो..? जायज की नाजायज..? क्या उन दोनोके बीच सादी हो सकती हे..? हें..हें..हें..
सबाना : (सरमाते हसते) भाइ.. मुजे नही पता.. हें..हें..हें.. आप तो हम ओरतोके बारेमे काफी कुछ जानते हे.. भाइ.. मुजे आज खुसी हुइ.. की मेरा भाइ ओरतोकी इजत भी करना जानता हे..
साहील : दीदी.. हमारे अबु ओर हमारी अम्मा.. दोनो सीर्फ अेक ही रीस्ता तो दुर हे.. तो फीर सायरा दीदीकी क्या गलती..? इसीलीये मेतो कादीर भैया ओर सायरा दीदीके रीस्तोको भी गलत नही मानता.. सोचो जब इस पृथ्वीपे पहेला आदमी ओर ओरत आये होगे.. तब उनके बच्चोने भी तो यही सब कीया होगा..
तभी तो हम सब इतने सारे लोग होगये.. तब कहा कोइ रस्ते नाते थे.. जीस पृथ्वीपे हम रेहते हे ओर उनका नाम जीसके उपरसे पडा हे.. वो प्रुथुराजाने खुद उनकी बहेनसे सादी करली थी.. तब कहा कोइ रीस्ते नाते थे..? दीदी.. दुनीया प्रकृतीसे चलती हे.. नाही की समाजके नीयमोसे लोग प्रकृतीकी पुजा करते हे.. समाजकी नही..
सबाना : (मुस्कुराते) अरे वाह.. भाइ.. आइ अेम इम्प्रेस.. आप बाते बडी दिलचस्प कर रहे हे.. आपको बातोमे कोइ नही हरा सकता.. हें..हें..हें.. कीसने कहा आप कम पढे लीखे हे.. हें..हें..हें..
साहील : (सरमाके हसते) हंम.. भाइको मस्का लगा रही हे..? चल कोइ बात नही.. अब कुछ ठंडा बंडा पीते हे.. अभी सबलोग आजायेगे..
ओर सबाना हसते अेक नजरसे साहीलको देखती रही.. आज उसे साहील बहुत ही मेच्योर लग रहा था.. वो साहीलकी बातोसे साहीलसे काफी इम्प्रेस होगइ थी.. उसे मन ही मन अपने बडे भाइ कादीर ओर बडी बहेन सायराके बीच सादीका रीलेशन सही लगने लगा.. ओर अेक पल तो वो खुद अपने भाइ सहीलके साथ सादीकी कल्पना करने लगी.. तब वो बहुत ही सरमाइ.. ओर उसने हिंमत करके साहीलका हाथ पकडलीया..