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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

Sanju@

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शीला तैयार होकर, अपना पर्स लेकर निकाल पड़ी, रेणुका के घर जाने के लिए..

रेणुका के घर दोनों ने काफी बातें की.. राजेश के दूसरे फोन पर रेणुका ने जो बात की.. जिसके बारे में बताने के लिए ही उसने शीला को खास यहाँ बुलाया था

रेणुका: "याद है उस दिन हमारी बात हुई थी.. वो पार्टनर एक्सचेंज क्लब वाली?? क्लब वालों का फोन आया था.. राजेश ने एक अलग से नंबर ले रखा है उनके लिए.. आज राजेश वो फोन घर पर ही भूल गया था.. और आज ही रिंग बजी.. क्या किस्मत है यार.. !!"

शीला: "अच्छा ये बात है.. !! वो नंबर दे तो मुझे जरा"

रेणुका ने शीला को नंबर दिया.. जो शीला ने अपने फोन में सेव कर लिया.. और रेणुका से कहा "कभी जब हम दोनों के पति शहर से बाहर हो तब हम भी मजे करेंगे"

रेणुका: "नही यार.. ऐसा पोसीबल नहीं है.. ये लोग सिर्फ कपल को ही एंट्री देते है.. और कहीं हमारे पतिओं को पता चल गया तो.. !!"

शीला: "अरे डर मत यार.. कुछ नहीं होगा.. देख अभी मैं क्या करती हूँ"

शीला ने अपने फोन से उस नंबर पर फोन लगाया.. काफी रिंग बजने पर भी किसी ने फोन रिसीव नहीं किया.. उसने फिर से कॉल लगाया.. अब भी नो-रिप्लाय गया.. आखिर त्रस्त होकर उसने कहा "फोन ही नहीं उठा रहा.. अब कहीं ऐसा न हो की तब फोन आए जब मदन मेरे साथ हो"

रेणुका: "देखा.. !!! एक फोन करने में ही मुसीबत हो गई.. अब सामने से कभी भी कॉल आ सकता है.. तेरा नंबर जो चला गया उनके पास.. ध्यान रखना यार.. !!"

शीला: "एक काम करते है.. राजेश के ये दूसरे नंबर से फोन करते है.. शायद फोन उठा ले वो लोग"

रेणुका: "लेकिन राजेश पूछेगा तो क्या जवाब दूँगी की क्यों फोन किया.. !!"

शीला: "अरे पागल.. राजेश को बताने की जरूरत ही क्या है.. !! और वो तो आराम से मदन के साथ घूम रहा होगा.. हम लोग कॉल करने के बाद.. कॉल लॉग को डिलीट कर देंगे.. फिर क्या घंटा पता चलेगा उसे.. !!"

रेणुका: "यार शीला.. बहोत डेरिंग है तुझ में तो.. !!"

शीला: "रेणुका.. मदन जब विदेश था तब दो साल, जो मैं तड़पी हूँ.. तब मुझे ये ज्ञान हुआ.. की अगर चूत की खुजली मिटानी हो तो डेरिंग करनी ही पड़ती है.. जब से मैंने हिम्मत करना शुरू किया तब से मेरे जिस्म और जीवन में नई बहार सी आ गई.. !!"

रेणुका: "वो सब तो ठीक है यार.. पर फिर भी.. मुझे डर लग रहा है"

शीला: "तू मुझे फोन दे.. मैं बात करती हूँ.. लगा फोन और दे मुझे"

रेणुका ने झिझकते हुए फोन लगाया.. सामने से किसी महिला ने फोन उठाया

शीला ने फोन लेकर बात शुरू की "हैलो.. आप कौन बोल रहे है जान सकती हूँ?"

"मेरा नाम रोमा है.. !!"

"नाइस नेम.. मेरा नाम शीला है"

"आप ने फोन क्यों किया ये बताइए.. !!" सामने से जवाब आया.. उसकी आवाज में बेफिक्री थी.. जैसे कुछ पड़ी न हो

शीला: "आप से क्लब के बारे में बात करनी थी"

रोमा: "ओके.. कहिए, क्या सेवा कर सकती हूँ.. वैसे आज आखिरी दिन है.. लास्ट मोमेंट पर आप ग्रुप जॉइन नहीं कर सकतें.. सॉरी.. हाँ आप अगर चाहें तो हमारे अगले सेमीनार के बारे में बात कर सकते है.. जो एक महीने बाद होगा"

शीला: "लास्ट मोमेंट?? आखिरी दिन?? मतलब?? रोमा जी, हमने तो आप की क्लब में एक साल पहले बुकिंग करवाया था.. और आपने हमें इन्फॉर्म भी नहीं किया?? ऐसी कैसी सर्विस है आपकी?" शीला ने अंधेरे में तीर मार दिया

रोमा: "ऐसा नहीं हो सकता.. आप होल्ड कीजिए.. मैं चेक करके बताती हूँ"

थोड़ी देर अपने लैपटॉप पर चेक करके रोमा ने बताया

रोमा: "मैडम, आप को इस नंबर पर एक हफ्ते पहले ही इन्फॉर्म कर दिया गया है.. और कल रात आप के पार्टनर ने कनफर्म भी कर दिया है की वो जॉइन हो रहे है.. शायद आपको सप्राइज़ देना चाहते होंगे.. आप थोड़ा वैट कीजिए.. पार्टी आज रात को दस बजे शुरू होगी.. अभी काफी वक्त है.. और कुछ सेवा कर सकती हूँ मैं आपकी??"

शीला: "नहीं नहीं.. ठीक है.. थेंक यू.. !! और हाँ.. अभी इससे पहले मैंने आपको दूसरे नंबर से फोन किया था.. वो नंबर हमारा ही है.. सेव कर लीजिएगा और आगे से मैं फोन करूँ तो उठाइएगा.. !!"

रोमा: "ठीक है मैडम.. मैं सेव कर लेती हूँ आपका वो नंबर.. बाय मैडम.. हेव फन विथ डिफ्रन्ट टाइप्स ऑफ कॉक्स एंड टिटस"

शीला हंस पड़ी और उसने फोन रख दिया.. रेणुका सोच में डूब गई..

शीला: "तुझे कुछ समझ आया, रेणुका??"

रेणुका: "मुझे तो लगता है की राजेश और मदन हमें छोड़कर उस प्रोग्राम में जाने वाले है"

शीला: "जाने वाले है नहीं.. जा चुके है.. "

रेणुका: "लेकिन राजेश तो बता रहा था की वहाँ सिर्फ कपल को ही एंट्री मिलती है.. तो वो दोनों अकेले कैसे जाएंगे?"

शीला: "अरे मेरी जान.. बाजार में पैसे देने से एक नहीं, हजार रंडियाँ मिल जाती है.. दो रांड ले गए होंगे अपनी पत्नियाँ बनाकर.. !!"

रेणुका: "साले, कमीने कहीं के.. !!"

शीला के दिमाग का प्रोसेसर डबल स्पीड से काम करने लगा.. वो गहरी सोच में डूबी हुई थी..

शीला: "कोई बात नहीं... हमें एक चाल और चलनी होगी.. पर थोड़ी देर के बाद.. "

रेणुका को पता नहीं चला और वो चुप ही रही.. सोचने का काम उसने शीला को सौंप दिया था क्योंकि उसका दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा था

कुछ देर की खामोशी के बाद शीला ने उस नंबर पर वापिस कॉल किया.. पर इस बार अपने फोन से

रोमा: "जी बताइए शीला जी, बताइए.. आप की आवाज बहोत स्वीट है.. हमारे यहाँ रीसेप्शनिस्ट बन जाइए.. सारे कस्टमर्स आप की ही डिमांड करेंगे"

शीला: "थैंक्स डीयर.. मेरा तो सबकुछ स्वीट है.. बस एक बार मैं आप को चख लूँ उसके बाद मैं भी बता पाऊँगी की आप कितनी स्वीट हो"

रोमा: "ओह्ह माय गॉड.. आप तो बड़ी फास्ट निकली.. वैसे तो मैंने भी आप को कहाँ टेस्ट किया है?"

शीला: "वही तो.. बिना टेस्ट कीये आपने कैसे सोच लिया की मैं स्वीट हूँ?"

रोमा: "आप की आवाज से अंदाज लगाया.. कहिए, क्या सेवा कर सकती हूँ मैं?"

शीला: "आप की बात सच निकली.. मेरे पति का अभी अभी फोन आया.. उन्हों ने मुझे सीधे वहाँ पहुँचने के लिए कहा है.. वो मुझे एड्रेस बता ही रहे थे की फोन कट हो गया.. अब उनका फोन नहीं लग रहा.. तो मैंने सोचा आप से ही एड्रेस ले लूँ"

रोमा: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. आप एड्रेस लिख लीजिए.. और हाँ.. अब ये नंबर स्विच ऑफ हो जाएगा.. आप को अगर कुछ इमरजेंसी हो तो हमारे दूसरे नंबर पर कॉल कर सकते है.. यह कॉल कट होते ही आप को वो दूसरा नंबर मेसेज पर मिल जाएगा"

शीला: "ओके रोमा जी.. थेंक यू.. !!"

रेणुका स्तब्ध होकर शीला को आत्मविश्वास से बात करते हुए देखती रही

रेणुका: "शीला, ये जो एड्रेस है.. ये जगह तो यहाँ से सौ किलोमीटर दूर है.. हमें वहाँ पहुंचना हो तो अभी निकलना पड़ेगा..!!"

शीला: "मुझे वो चिंता नहीं है.. मैं यह सोच रही थी की हमारे पास रेजिस्ट्रैशन की कोई डिटेल्स तो हैं नहीं.. फिर वहाँ एंट्री कैसे करेंगे?" गहन सोच में डूबी थी शीला..

रेणुका शीला के दमदार स्तनों को एकटक देख रही थी.. वैशाली भी बिल्कुल शीला पर गई थी.. उसके स्तन भी शीला जैसे ही थे.. और वो भी शीला जैसी ही गोरी-चीट्टी थी.. साड़ी के नीचे दोनों स्तन जहां एक होते थे.. वहाँ दो इंच की लकीर इतनी उत्तेजक लग रही थी.. !!

रेणुका: "हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा ही नहीं.. दूसरी बात यह भी है की राजेश तो उसके रेजिस्ट्रैशन पर घुस जाएगा.. लेकिन मदन को वो कैसे ले जाएगा?? उस रोमा ने तो कहा था की लास्ट मोमेंट पर किसी नए मेम्बर को एंट्री नहीं दी जाएगी"

शीला: "ऐसा सब बोलते है... पैसे दो तो वो लोग एंट्री भी देंगे.. और पार्टनर भी.. !!!"

रेणुका: "हाँ वो बात तो तेरी सच है.. आखिर ये सब पैसों का ही तो खेल है.. !!"

शीला: "रेणुका, तुझे कुछ याद है की रेजिस्ट्रैशन करवाते वक्त राजेश ने कितने पैसे जमा कीये थे?"

रेणुका: "हाँ मुझे पता है.. एक कपल के दस हजार.. और दो हजार एक्स्ट्रा भी लेते थे.. नेक्स्ट प्रोग्राम मे अगर शामिल न होना हो तो वो दो हजार रिफन्ड मिलेगा.. प्रोग्राम के दौरान अगर पुलिस का कोई चक्कर हुआ तो वो लोग उसी दो हजार का इस्तेमाल कर सब रफा-दफा करने में सहायता करेंगे.. उनका सारा प्लानिंग बड़ा सटीक होता है.. इसी कारण मुझे और राजेश को विश्वास हुआ"

शीला: "ऐसे कामों के लिए प्लानिंग तो ठीक होना ही चाहिए.. अब बस यही सोचना है की हम अंदर घुसेंगे कैसे.. !!"

रेणुका: "शीला, कुछ भी कर यार.. एक बार तो अंदर जाना ही है.. राजेश और मदन को भी तो पता चलें की हम भी कुछ कम नहीं है"

शीला: "कुछ न कुछ रास्ता निकल आएगा.. तू चिंता मत कर.. और गाड़ी निकाल.. !!"

रेणुका: "अरे पर वहाँ जाकर करेंगे क्या?"

शीला: "तू टेंशन मत ले.. ऐसा जबरदस्त मौका हाथ से जाने दूँ उतनी मूर्ख नहीं हूँ मैं.. तू गाड़ी निकाल.. और सोचने का सारा काम मुझ पर छोड़ दे"

रेणुका: "अरे पर.. वैशाली को क्या बताएंगे?? वो आती ही होगी"

शीला: "इसीलिए तो कह रही हूँ.. वैशाली के आने से पहले निकल जाते है.. तू जल्दी कर.. मैं रास्ते में उसे फोन करके कुछ बहाना बना दूँगी"

रेणुका: "पर कपड़े तो बदलने दे यार!!"

शीला: "मेरी प्यारी रांड... कपड़े तो वहाँ जाकर उतर ही जाने वाले है.. और हम हमारे रेग्युलर कपड़े नहीं पहनेंगे.. रास्ते से कुछ खरीद लेते है.. अब तू बोलना बंद कर और निकलने की तैयारी कर.. !!"

रेणुका ने तुरंत गाड़ी निकाली और दोनों निकल गए..

शीला ने रास्ते में वैशाली को फोन कर कह दिया की रेणुका की एक सहेली अमरीका से आ रही थी और वो दोनों उसे रिसीव करने एयरपोर्ट जा रहे है.. रात की तीन बजे की फ्लाइट है और आते आते काफी देर हो जाएगी.. इसलिए वो रेणुका के घर ही सो जाए

वैशाली यह सुनकर ही खुश हो गई.. वो इसलिए खुश थी की पिंटू को मिलने बुलाने की उत्तम जगह मिल गई थी.. रेणुका के घर पर.. काफी दिनों से वो पिंटू के साथ अकेले वक्त गुजारना चाहती थी.. पर जगह और मौका मिल नहीं रहे थे.. आज बढ़िया चांस मिल गया था

शीला के कहने पर रेणुका ने गाड़ी एक बड़ी दुकान पर रोक दी.. दोनों ने एक एक मॉडर्न ड्रेस खरीद लिया.. एक एक काले गॉगल्स भी ले लिए.. पेट्रोल पंप पर जाकर टंकी फूल करवा दी.. पंप पर ही पास खड़े भिखारी को शीला ने पाँच सौ का नोट दिया.. और सामने की दुकान से सिगरेट का एक पैकेट लाने भेजा.. वो तुरंत भागकर ले आया.. बाकी बचे पैसे उसने उस भिखारी को देकर खुश कर दिया..

ड्राइव करते हुए दोनों शहर से बाहर हाइवे पर पहुँच गए.. शीला ने एक सिगरेट सुलगाई और एक गहरा कश खींचा.. रेणुका भी अपने लिए एक सिगरेट निकालने गई पर शीला ने उसे रोक दिया

शीला: "आज हम दोनों एक ही सिगरेट मिलकर पियेंगे.. सब कुछ मिल बांटकर करेंगे.. फिर वो सिगरेट हो या...... !!" कहते हुए हंसकर शीला ने सिगरेट रेणुका को थमा दी

एक दम लगाकर रेणुका ने कहा "पार्टी का माहोल तो यहीं पर बन गया है.. ऊपर के होंठों को सिगरेट मिल गई.. अब नीचे के छेद को भी एक चमड़े से बनी मस्त सिगार मिल जाएँ तो मज़ा आ जाए यार.. !!"

शीला: "उसका भी बंदोबस्त करती हूँ.. एक मिनट गाड़ी रोक.. और रिवर्स ले"

रेणुका: "पर क्यों?"

शीला: "अरे मैंने जितना कहा उतना कर.. गाड़ी रिवर्स ले.. !!"

रेणुका ने गाड़ी थोड़ी सी रिवर्स ली.. रोड के किनारे एक बांका नौजवान लिफ्ट मांग रहा था.. शीला ने खिड़की का कांच उतारा और अपना पल्लू सरकाकर.. बड़े बड़े स्तनों की खाई दिखाते हुए उस नौजवान को पता पूछने लगी.. उस बेचारे की हालत तो ऐसी हो गई की वो खुद अपना पता भूल गया.. शीला के हावभाव और अदाओं से घायल हो गया बेचारा..

उस नौजवान ने शीला से कहा "आपको अगर दिक्कत न हो तो मुझे लिफ्ट देंगे? मैं उसी तरफ जा रहा था और आखिरी बस छूट गई मेरी..!!"

शीला को भी वही तो चाहिए था "हाँ बैठ जाइए पीछे.. !!"

रेणुका ने धीरे से शीला को कहा "अरे यार.. ऐसे किसी अनजान मर्द को लिफ्ट नहीं देनी चाहिए.. क्या पता कौन हो??"

शीला: "डरना हमें नहीं.. उसे चाहिए.. हम दों है और वो अकेला.. गाड़ी भी हमारी है और स्टियरिंग भी हमारे हाथ में है.. फिर डरने की क्या जरूरत!!"

शीला के इस जबरदस्त आत्मविश्वास को देखकर रेणुका खामोश हो गई.. उसके आश्चर्य के बीच.. शीला बाहर उतरी और उस अनजान शख्स के साथ पीछे बैठ गई.. बैठकर उसने सिगरेट सुलगाई.. और रेणुका ने गाड़ी फूल स्पीड पर दौड़ा दी

वह आदमी अचंभित होकर शीला को सिगरेट फूंकते हुए देखता ही रहा.. पूरी गाड़ी सिगरेट की धुएं से भर गई क्योंकि एसी की वजह से खिड़कियों के कांच बंद थे..

"कहाँ जाओगे आप?" बड़ी ही बेफिक्री से धुआँ उड़ाते हुए शीला ने उस शख्स से पूछा

"जी, मुझे खेरदा तक जाना है" सहमते हुए उस शख्स ने कहा..

"हमें जहां जाना है उससे पहले आएगा या बाद में?" शीला ने पूछा

"जी, पहले आएगा.. उसके करीब 20 किलोमीटर बाद आपको जहां जाना है वो जगह आएगी"

शीला समय बिगाड़ना नहीं चाहती थी.. पर ये आदमी कौन था.. उसकी पसंद-नापसंद जाने बगैर शुरुआत कैसे करती.. !! वो आदमी भी जरूरत से ज्यादा कुछ बोल नहीं रहा था इसलिए कुछ पता भी नहीं चल पा रहा था

शीला: "नाम क्या है आपका? मेरा नाम मालती है.. और ये है मेरी सहेली शीतल.."

उस आदमी ने कहा "मेरा नाम रोहित है.. मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ.. दो महीनों से मेरी पत्नी मायके गई है.. उसे लेने जा रहा हूँ"

शीला ने नशीले अंदाज में कहा "हम्म.. मतलब आज बीवी के साथ मजे करोगे.. अच्छा है.. वो भी बेचारी दो महीनों से तड़प रही होगी" हँसते हुए शीला ने कहा

शीला की शरारती हंसी इतनी कातिल थी की अगर सामने वाला आदमी रसिक हो तो उसका हास्य सुनकर ही उत्तेजित हो जाता.. हँसते वक्त आगे की तरफ दिखती उसकी दंत-पंक्तियाँ.. पुराने जमाने की मशहूर अभिनेत्री मौसमी चटर्जी और नीतूसिंह की याद दिलाती थी..

रोहित: "जी सच कहा आपने.. मेरी पत्नी मुझे बहोत चाहती है.. मैं भी उसके बगैर रह नहीं पाता.. !!"

फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद उसने कहा "माफ करना.. मैं आपको एक पर्सनल सवाल पूछ रहा हूँ.. आप दोनों अकेली ही है? आपके पति नहीं है साथ में?"

शीला: "देखिए मिस्टर रोहित.. आप हमारे लिए बिल्कुल अनजान है.. इसलिए मैं बिना छुपाये आपको सब बताती हूँ.. हम दोनों एकदम खास सहेलियाँ है.. हमारे दोनों के पति फ़ॉरेन ट्रिप पर बिजनेस के काम से गए हुए है.. इसलिए हम दोनों थोड़ी मौज-मस्ती करने बाहर निकली है.. अगर आपको एतराज न हो तो आपका स्टेशन आने तक.. हम थोड़ी मस्ती कर सकते है" इतना कहते ही शीला ने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया.. और हाथ आगे सरकाते हुए उसके लंड तक ले गई.. रोहित सीट से सटकर बैठ गया और उसने अपनी आँखें बंद कर दी.. साफ था की दो महीनों से पत्नी की जुदाई के कारण उसका शरीर भी किसी स्त्री के स्पर्श को तरस रहा था..

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कब से दोनों की बातें सुन रही रेणुका ने अपना हाथ पीछे ले जाकर रोहित के चेहरे को सहला दिया.. उसके साथ ही रोहित की बची-कूची शर्म भी नीलाम हो गई.. शीला के स्तनों पर हाथ रखते हुए दबाकर उसने कहा

रोहित: "बहन जी, आपका फिगर गजब का हॉट है.. एकदम जबरदस्त"

शीला हंसकर बोली "बूब्स दबाते हुए मुझे बहन कह रहे हो.. !! मैं तुम्हारा लंड चूसते चूसते, तुम्हें भैया कहकर पुकारूँगी तो तुम्हें कैसा लगेगा??"

एक स्त्री के मुंह से लंड और चुसाई जैसे शब्द सुनकर बेचारे रोहित की तो सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई.. और बिना कुछ कहें.. शीला के चेहरे के करीब जाकर.. उसके मदमस्त होंठों को चूमने लगा.. कुछ ही पलों में शीला ने उसका लंड पेंट से बाहर निकाल दिया.. और उसकी गोद में झुककर चूस भी लिया..


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बिल्कुल अनजान आदमी को सिर्फ पंद्रह-बीस मिनटों में सेक्स के लिए तैयार करना असंभव सा है.. और आजकल तो वाकिए भी ऐसे होते है.. जिन्हें सोचकर रोहित बेचारा मन ही मन घबरा रहा था.. पर अब वो कुछ नहीं कर सकता था.. शीला ने उसके मन और तन पर कब्जा जमा लिया था.. ये ट्रिप उसके जीवन की सब से यादगार ट्रिप साबित होने वाली थी या फिर सब से दुर्भाग्यपूर्ण.. वैसे, लंड और किस्मत, कब जाग जाएँ.. और कब मुरझा जाएँ.. ये कोई कह नहीं सकता.. ये दोनों अकेली औरतें उसके साथ क्या करेगी.. ये चाहकर भी वो सोच नहीं पा रहा था..

अपनी किस्मत को ऊपरवाले के भरोसे छोड़कर.. रोहित ने अपना जिस्म, शीला के हवाले कर दिया.. जो फिलहाल उसका लँड, बड़े ही चाव से चूस रही थी.. कार में ये सब करना मतलब.. सोते सोते हारमोनियम बजाने जितना कठिन काम था.. पर जो मिला वो नसीब.. ये सोचकर शीला बड़ी ही मस्ती से रोहित का लंड चूस रही थी..

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रेणुका: "अरे मालती.. मुझे भी तो जरा मौका दे.. सब कुछ तू ही हड़प लेगी क्या.. !!"

शीला: "अरे, पहले मुझे तो चूसने दे.. !!"

रोहित के लिए यह शब्द.. स्वर्ग की अनुभूति के बराबर थे.. कोई स्त्री उसका लंड चूस रही हो.. और दूसरी औरत वेटिंग में चूसने के लिए बेकरार हो.. ऐसा तो सिर्फ सपने में ही हो सकता था..!!

रेणुका: "कैसा है रोहित का लंड, मालती?" गाड़ी ड्राइव कर रही रेणुका को ठीक से दिख नहीं रहा था पीछे

शीला: "मस्त है.. थोड़ा पतला है.. पर अच्छा है.. तुझे भी चूसना है? पर कैसे होगा? मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती.. क्या करेंगे"

रेणुका: "ऐसा करती हूँ.. कोई अच्छी जगह देखकर गाड़ी रोक देती हूँ.. और फिर पीछे आ जाती हूँ"

सुनकर ही रोहित की गांड फट गई, उसने कहा "नहीं नहीं.. इस सड़क पर ट्राफिक पुलिस घूमती रहती है.. उन्हों ने पकड़ लिया तो आफत आ जाएगी"

रेणुका: "पर मुझे तो चूसना ही है.. मुंह तक आया निवाला, मैं ऐसे ही नहीं जाने दूँगी"

आसपास नजर डालते हुए, रेणुका किसी अच्छा जगह को ढूंढ रही थी.. गाड़ी रोकने के लिए.. एक सुमसान जगह देखकर उसने गाड़ी सड़क के किनारे पार्क कर दी.. पास ही घनी झाड़ियाँ थी.. रेणुका उतरकर वहाँ खड़ी हो गई और बोली "यहाँ आ जा रोहित"

शीला के मुंह से अपना लंड छुड़ाकर रोहित ने पेंट की चैन बंद कर दी.. गाड़ी से उतरकर उसने देखा की रेणुका झाड़ियों के पीछे चली गई थी.. सड़क से झाड़ियों के पीछे का द्रश्य दिखाई नहीं दे रहा था.. वो चुपके से झाड़ियों को पार करते हुए आगे गया तो उसने देखा की एक बबुल के तने को पकड़े हुए.. रेणुका खड़ी थी.. उसने अपनी पेन्टी उतार दी थी.. और पैर फैलाकर अपनी चूत सहला रही थी.. यह द्रश्य देखकर ही रोहित के पसीने छूट गए..

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रेणुका: "रोहित, मुझे चूसना नहीं है.. तू नीचे बैठ जा.. और मेरी चाट दे.. जल्दी आ.. " सुलग रही चूत को ठंडा करना चाहती थी रेणुका.. हवस उसकी बर्दाश्त से बाहर हो चुकी थी

रोहित रेणुका के दोनों पैरों के बीच, जमीन पर बैठ गया.. और रेणुका की चूत चाटने लगा.. अत्यंत उत्तेजित होकर रेणुका ने अपनी दोनों हथेलियों से रोहित के सर के बालों को सहलाना शुरू किया.. और जोर जोर से सिसकने लगी.. वो बार बार अपने चूत के होंठों को चौड़ा कर ऐसे दबाती थी की रोहित की जीभ अंदर तक उसके अंदरूनी हिस्सों पर रगड़ने लगी.. रोहित की चटाई ने रेणुका की चूत की भूख को शांत करना शुरू कर दिया था.. जीभ के साथ साथ रोहित ने रेणुका की क्लिटोरिस को भी छेड़ना शुरू कर दिया था.. थोड़ी मिनटों में रेणुका की चूत ने ऑर्गजम की डकार मार दी..

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रेणुका: "बस अब चाटना बहोत हुआ.. रोहित, अब झटपट अंदर डाल दे" कहते हुए रेणुका घूम गई... और चूतड़ उठाकर.. पैरों को उस तरह चौड़ा किया की उसकी रस झरती बुर की फांक पीछे से नजर आने लगी..

उसके गोरे नितंबों को दोनों हाथों से चौड़ा कर.. रोहित ने पक्ककक से उसका लोडा रेणुका की चूत में उतार दिया... जंगल में मंगल शुरू हो गया..

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शीला गाड़ी के पास चौकीदारी कर रही थी.. फिर थककर वो गाड़ी में बैठ गई.. और घाघरे के नीचे हाथ डालकर अपने भोसड़े को उंगलियों से कुरेदते हुए, रेणुका और रोहित का इंतज़ार करने लगी..

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रोहित हुमच हुमचकर रेणुका की बुर में अपना लंड पेल रहा था.. करीब दो मिनटों तक धक्कों का दौर चला होगा..

रोहित: "आह्ह.. शीतल जी, मेरा अब निकलने वाला है... ओह्ह.. !!"

रेणुका: "मत निकालना अभी.. रुक, मैं मालती को भेजती हूँ.. उसका अभी बाकी है.. तो उसकी चूत में ही झड़ना.. !!"

रेणुका ने पेन्टी पहनकर.. अपना पेटीकोट ठीक किया.. और अस्तव्यस्त साड़ी को नीचे करके गाड़ी की तरफ आई.. पीछे की सीट पर टांगें फैलाकर अपने भोसड़े में अंधाधुन उँगलियाँ पेलकर ठंडा होने की कोशिश कर रही शीला को उसने उंगलियों से इशारा किया.. शीला गाड़ी से उतरकर झाड़ियों के पीछे गई.. और वहाँ, पेंट घुटनों तक उतारकर खड़े रोहित का चमकता हुआ लंड देखा.. !! रोहित के लंड, रेणुका की चूत के रस से सराबोर था..

देखते ही शीला घुटनों के बल बैठ गई.. और लंड पकड़कर.. उस पर लगा रेणुका के चूत का सारा अमृत चाट लिया..


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और फिर वो खड़ी हो गई.. दोनों हाथों से साड़ी और पेटीकोट को एक साथ उठाते हुए.. अपनी पेन्टी को घुटनों तक सरकाकर.. उसने अपने नितंब के बीच की भोसड़े की लकीर.. रोहित के सामने पेश कर दी.. रोहित तैयार ही था.. एक धक्के में उसने शीला के चिपचिपे भोसड़े में अपना लंड ठूंस दिया.. जबरदस्त स्पीड से धक्के मारते हुए उसने शीला की चूत को शांत करने की भरसक कोशिशें शुरू कर दी..

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दो दो चूतों को ठोककर.. रोहित के लंड ने शीला की चूत में आखिरी सांस ली.. दो-तीन तेज पिचकारियों से उसने शीला की चूत में अपने वीर्य का अभिषेक किया.. शीला ने अपनी चूत की मांसपेशियों से रोहित के लंड को दबोचकर, वीर्य आखिरी बूंद तक निचोड़ लिया..रोहित ने हांफते हुए लंड बाहर निकाला.. उसके लंड की दशा ऐसी थी.. जैसे रस निकला हुआ गन्ना, कोल्हू से निकला हो..


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अपने भोसड़े पर हाथ फेरकर.. अंदर से टपक रहे वीर्य को हथेली से पूरी चूत पर मलकर.. शीला ने पेन्टी पहन ली और साड़ी-पेटीकोट नीचे गिरा दिया.. घूमकर उसने रोहित को एक जानदार किस कर दी.. और धीरे से उसके कानों में फुसफुसाई "अगर मुझे तसल्ली से चोदना चाहते हो.. तो जगह का बंदोबस्त करके मुझे बुला लेना.. मैं आ जाऊँगी.. तेरा नंबर मुझे दे दे.. " रोहित के दोनों हाथों को अपने विशाल स्तनों पर रखते हुए शीला ने बड़े कामुक अंदाज में रोहित का नंबर लिया.. और उसे अपना नंबर भी दिया

दोनों चलकर गाड़ी की तरफ आए.. रोहित अब रेणुका के साथ आगे की सीट पर बैठ गया.. रेणुका ने उसका एक हाथ, अपने ब्लाउस में आवृत्त स्तन पर रख दिया..

सर्दी का समय था.. शाम होते ही अंधेरा जल्दी हो जाता था.. लगभग रात वाला माहोल बन चुका था.. गाड़ी अपनी गति पर दौड़ रही थी.. और रोहित रेणुका के स्तनों को दबाता जा रहा था.. उत्तेजित रेणुका ने अपने ब्लाउस के तीन हुक खोलकर.. दोनों स्तनों को खोल रखा था.. सामने से आती ट्रकों की हेडलाइट के फोकस में.. रेणुका के स्तन चमक रहे थे.. रोहित बड़ी ही मस्तीपूर्वक दोनों स्तनों को बराबर दबा रहा था.. और रेणुका उसके लंड को नापते हुए मध्यम गति से गाड़ी ड्राइव कर रही थी..

पीछे बैठी शीला को इस बात की खुशी थी की रेणुका ने झाड़ियों के पीछे रोहित को झड़ने नहीं दिया और उसके बारे में सोचा.. रेणुका के लिए उसके दिल में इज्जत और बढ़ गई थी.. पर रेणुका ने जल्दी जल्दी चूदवाकर शीला को बुला लिया था.. और खुले खेत में खतरे के बीच चुदवाने में शीला भी तसल्ली से झड़ी नहीं थी.. यह बात तो रेणुका को भी पता थी की शीला ऐसे जल्दबाजी में चुदकर संतुष्ट नहीं होती.. पर जो भी मिला उसे मिल-बांटकर खाया था दोनों ने.. थोड़ा तो थोड़ा.. चूत को लंड के घर्षण का आनंद तो मिला.. !! पेट भर खाना भले ही नसीब नहीं हुआ था.. पर नाश्ते करने में भी काफी मज़ा आया था दोनों को..

झड़कर सुस्त हो चुके रोहित के लंड को हिलाकर, रेणुका उसे होश में लाने की बार बार कोशिश कर रही थी.. और लंड भी अर्ध जागृत अवस्था में.. दो चूतों की यात्रा की थकान उतारकर जागे रहने की कोशिश कर रहा था..

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करीब बीस मिनट तक इन छेड़खानियों को बाद रोहित ने कहा "मेरा स्टैन्ड अब आने को है.. मेरा साला मुझे लेने आने वाला है.. आप दोनों के साथ वो मुझे देख लेगा तो आफत आ जाएगी.. आप मुझे यहीं उतार दीजिए.. "

रेणुका ने कार रोक दी और इशारे से रोहित को उतरने के लिए कहा.. जाते जाते रोहित ने रेणुका के गाल पर.. और पीछे बैठी शीला के होंठों पर एक किस दी.. फिर शीला के स्तनों को एक आखिरी बार दबाकर वो चला गया.. शीला आगे आकर बैठ गई.. और रेणुका ने गाड़ी दौड़ा दी..

शीला: "तेरा पानी झड़ गया था क्या वहाँ खेत में??"

रेणुका: "चाहती तो आराम से झड़ सकती थी.. पर वो पिचकारी मारने की कगार पर था.. मैं अगर मेरा काम करने रहती तो तू भूखी मर जाती.. वैसे तुझे तो मज़ा आया होगा.. !!! आखरी पिचकारी तो उसने तेरे अंदर ही मारी थी.. इसलिए तेरा तंदूर तो जरूर ठंडा हो गया होगा.. !!"

शीला: "यार, केवल पिचकारी से काम नहीं बनता ना.. उससे पहले दमदार धक्के भी लगने चाहिए.. वो भी थोड़े बहोत नहीं.. चूत की खाज मिटा दे ऐसे जबरदस्त धक्के लगने चाहिए.. और फिर जब आखिर में पिचकारी छूटें तब कही जाकर मेरी फुलझड़ी शांत होती है.. पर उस बेचारे की उतनी औकात नहीं थी.. हम दोनों को देखकर ही वो आधा झड़ चुका था.."

रेणुका: "हम्म.. मतलब तेरा भी ठीक से नहीं हुआ"

शीला: "यार, तुझे तो पता है.. जल्दबाजी में चुदवाने में मुझे मज़ा नहीं आता.. वो भी उस पेड़ की टहनी पकड़कर.. खुले खेत में.. खतरे के बीच.. मुझे तो आराम से बिस्तर पर मस्त जांघें फैलाकर चूदवाने में ही मज़ा आता है.. पर जो भी था.. कुछ नहीं से थोड़ा बहोत.. हमेशा बेहतर होता है"

रेणुका: "हम थोड़ी देर में पहुँच जाएंगे शीला... अब ये सोच के अंदर एंट्री कैसे लेंगे? होटल में तो शायद रूम मिल जाएगा.. पर उनके प्रोग्राम में शामिल कैसे होंगे?"

शीला: "वो तो मैं भी अभी सोच रही हूँ.. एक बार होटल पहुँच जाते है.. रूम बुक कर लेते है.. फिर आगे की देखी जाएगी.. मान ले अगर उनके प्रोग्राम में एंट्री नहीं मिली.. तो हमारे कमरे में किसी को बुलाकर.. पूरी रात चुदवाएंगे.."

रेणुका: "क्या पागलों जैसी बात कर रही है.. !! ऐसे कैसे किसी को भी बुला लेंगे??"

शीला: "अरे मेरी जान.. यहाँ बीच सड़क पर जुगाड़ कर लिया.. तो होटल में कुछ न कुछ हो ही जाएगा.. कितने सारे वेटर होते है वहाँ.. किसी हट्टे कट्टे जवान को पटाने में देर नहीं लगेगी मुझे.. !!"

रेणुका: "छी.. वेटर से चुदवाएगी तू?? साली रंडी.. !!"

शीला: "जब चूत में खाज उठती है ना.. तब वो मर्द का लेवल नहीं देखती.. अभी भले ही तू मना कर रही है.. रात को जब कुछ नहीं मिलेगा तब तू ही चूतड़ उठा उठाकर वेटर से चुदवाएगी.. देख ना.. !!"

रेणुका: "मुझे इन सब बातों में कुछ समझ में नहीं आता.. तू जो भी करेगी, मैं तेरे साथ हूँ.. ठीक है.. !!"

शीला: "ओके.. " आखिरी कश खींचकर शीला ने सिगरेट खिड़की से बाहर फेंक दी..


गाड़ी ने शहर में प्रवेश कर लिया था.. अपने कपड़े ठीक-ठाक कर लिए शीला ने.. और पता पूछते पूछते दोनों होटल के एंट्री गेट पर पहुँच गए.. साढ़े सात बज रहे थे..
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है
 

Sanju@

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गाड़ी ने शहर में प्रवेश कर लिया था.. अपने कपड़े ठीक-ठाक कर लिए शीला ने.. और पता पूछते पूछते दोनों होटल के एंट्री गेट पर पहुँच गए.. साढ़े सात बज रहे थे..

रेणुका गाड़ी होटल के अंदर ले ही रही थी तब शीला ने उसे रोक लिया

शीला: "यहाँ नहीं.. यहाँ पार्क करेंगे तो राजेश इस गाड़ी को पहचान लेगा.. "

रेणुका: "अरे हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा सोचा ही नहीं था"

शीला: "हम यहाँ से थोड़े दूर.. सड़क के किनारे गाड़ी पार्क कर देंगे.. पर उससे पहले मुझे एक बार होटल के अंदर जाकर देख लेने दे.. तू तब तक यहीं बैठ गाड़ी में "

रेणुका के उत्तर की प्रतीक्षा कीये बगैर ही शीला गाड़ी से उतर गई.. और चलते चलते रीसेप्शन पर गई.. काफी देर तक पूछताछ करते हुए रेणुका उसे देखती रही.. वो सोच रही थी की.. गजब की हिम्मत थी शीला मे..!! बिना किसी डर के बड़े ही स्वाभाविक अंदाज मे वो बातें कर रही थी.. पर इतनी देर तक क्या पूछ रही है वो.. !! रेणुका ने देखा की शीला सीढ़ी चढ़कर ऊपर गई.. बड़ी ही महंगी और वैभवशाली होटल थी..

थोड़ी देर बाद, शीला को अपनी ओर आता देख, रेणुका को चैन मिला..

कार में बैठते ही शीला ने रेणुका से कहा.. "गाड़ी को दायीं ओर उस सड़क पर ले जा.. एक किलोमीटर बाद, पे-एंड-पार्क की सुविधा है.. वहाँ गाड़ी पार्क कर देंगे.. फिर टेक्सी में वापीस आ जाएंगे.. मैंने हमारा कमरा भी बुक करवा दिया है.. ऐसा कमरा पसंद किया है की जिसकी खिड़की से.. आने जाने वाले सब लोगों पर हम नजर रख सकेंगे.. !!"

रेणुका: "तूने कमरा भी बुक करवा दिया?? बड़ी तेज है तू.. !!"

शीला: "अरे वो रीसेप्शन पर बैठा जवान.. मेरे जाते ही.. बूब्स को तांकने लगा.. बस उसी का फायदा उठाकर.. मैंने उससे सब से बेस्ट कमरा मांग लिया.. और भी बहोत सारी जानकारियाँ उगलवानी थी.. पर तू यहाँ बैठे बैठे बोर हो जाएगी, ये सोचकर वापिस आ गई.. चल, पहले गाड़ी पार्क कर देते है.. !!"

दोनों थोड़ी ही देर में पार्किंग एरिया में पहुँच गए.. कार पार कर चलते चलते सड़क की तरफ आ रहे थे तभी..!!!!

रेणुका ने चोंक कर कहा "ओह माय गॉड.. अभी सामने से राजेश की गाड़ी गई.. !!"

शीला: "मतलब, वो लोग यहाँ आ चुके है.. !!"

रेणुका: "हम्म.. तो यहाँ होने वाली है उनकी बेंगलोर की बिजनेस ट्रिप.. एक नंबर के चुदक्कड़ है हम दोनों के पति"

शीला ने आँख मारते हुए कहा "तो हम भी कहाँ कम है.. !! वो तो रात को मजे करेंगे.. हमने तो गाड़ी में ही पार्टी की शुरुआत कर दी थी"

रेणुका ने थोड़े डर के साथ कहा "यार, वो दोनों भी अभी कहीं बाहर निकले होंगे, और हमें देख लेंगे तो?? मुझे तो बड़ा डर लग रहा है"

शीला: "एक बात समझ ले रेणुका.. चोरी छिपे वो दोनों आए है यहाँ.. फिर हम क्यों डरे भला?? डरना उनको चाहिए.. बेंगलोर का झूठा बहाना उन दोनों ने बनाया था.. तू इत्मीनान रख.. वो दोनों हमें मिल गयें तो वो लोग कुछ कहें उससे पहले ही, मैं उन दोनों की गांड फाड़ दूँगी.. तू बिंदास चल मेरे साथ.. डरने की जरूरत नहीं है.. आज तो कुछ ऐसा खेल करेंगे की पार्टी में उनकी नज़रों को सामने ही पराए लंड से चुदवाएंगे फिर भी उन्हें पता नहीं चलेगा"

दोनों ने बाहर सड़क पर आकर देखा.. गाड़ी होटल की तरफ जाने की बजाए दूसरी सड़क पर मुड़ गई..

शीला: "लगता है की वो किसी दूसरी होटल में रुके होंगे"

रेणुका: "हाँ, मुझे भी यही लगता है.. !!"

टेक्सी तो नहीं मिली.. ऑटो पकड़कर दोनों होटल पर पहुँच गई.. रीसेप्शन काउंटर पर एक जवान लड़का और लड़की बैठे थे.. लड़की ने चमकीला पतला टॉप पहना था जिसमें से उसके उरोज बाहर झलक रहे थे.. जान बूझकर कर टेबल पर झुककर वो अपने स्तन दिखा रही थी.. शीला ने अपना पल्लू हल्का सा सरकाया.. और टेबल की उस तरफ झुककर जैसे ही अपने विराट स्तनों को प्रदर्शन किया.. देखकर उस लड़की की आँखें फट गई.. और उसके साथ वाला लड़का अपना लंड एडजस्ट करने लगा..

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आँखें मटकाते हुए शीला ने अपने कमरे की चाबी मांगी.. पालतू कुत्ते की तरह उस लड़के ने लार टपकाते हुए चाबी निकाली.. और शीला तथा रेणुका को अपने साथ आने को कहा.. वैसे तो चाबी लेकर रूम तक ले जाना, वेटर का काम होता है..

सीढ़ियाँ चढ़कर तीनों पेसेज के अंत में बनी रूम के अंदर गए.. रूम का लोकेशन देखकर रेणुका खुश हो गई.. खिड़की से होटल का एंट्री गेट और रीसेप्शन नजर आ रहे थे.. दूसरी खिड़की से ऊपर के माले का पूरा पेसेज दिख रहा था.. शीला ने बड़ी ही चालाकी से यह रूम पसंद किया था ताकि वो दोनों बंद कमरे से राजेश और मदन पर नजर रख सकें..

शीला: "तुम्हारा नाम क्या है?'

लड़का: "मेरा नाम हेमंत है.. आप मुझे हेमू कह सकती है"

शीला : "ओके माय डीयर हेमू.. हम यहाँ इन्जॉय करने के लिए आए है.. क्या आप के पास कोई ऐसा एजेंट है जो चार्ज लेकर हमें दो मर्द साथी प्रोवाइड कर सकें?"

हेमंत: "मतलब???"

शीला: "नया है क्या?? समझता नहीं है.. सब कुछ साफ साफ बुलवाएगा..!! हम यहाँ मजे मारने आए है.. इसलिए कोई मर्द चाहिए जो पैसे लेकर हमें रात को खुश कर सकें.. कैसे कैसे अनाड़ी लोग रखे है इन होटल वालों ने.. !!"

सुनकर हेमंत का जबड़ा लटक गया..

हेमंत: "नहीं मैडम.. ऐसा तो कोई नहीं है.. अक्सर लोग यहाँ आकर लड़कियों की डिमांड करते है.. मर्द के लिए आज से पहले किसी ने नहीं पूछा... मगर आप जैसी खूबसूरत महिलाओं के लिए यह काम करने कोई भी खुशी खुशी तैयार हो जाएगा.. और पैसे भी नहीं लेगा..!!"

रेणुका: "तो क्या तू तैयार है इसके लिए?"

हेमंत: "जी.. मैं.. वो.. मैडम, क्यों मज़ाक कर रही हो?? कहाँ आप और कहाँ मैं.. !! और वैसे भी मैं ड्यूटी पर हूँ.. तो ऐसा कैसे कर सकता हूँ??"

तब तक तो शीला ने अपना पल्लू हटाकर.. उस लड़के का दिमाग भ्रष्ट कर दिया.. लड़का ज्यादा आनाकानी करता उससे पहले ही रेणुका ने उसे हाथ से पकड़ कर अपनी ओर खींचा.. "ओह्ह जानेमन.. ड्यूटी पर तो डिलीवरी तक हो जाती है.. तुम चुदाई भी नहीं कर सकते?"

"ओह मैडम.. प्लीज छोड़ दीजिए.. मेरी नौकरी का सवाल है" लड़की की गांड फट गई..

शीला उसके करीब आ गई.. लड़के के दोनों हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रखते हुए बोली "पसंद नहीं आए?? फिर दबा ना.. साले तेरी माँ से भी बड़े है ये.. " कहते हुए उसका लंड दबा दिया शीला ने

रेणुका: "देख हेमू.. हम यहाँ चुदवाने आए है.. और तुझे हमें चोदना होगा" जिस तरह बिन बजाकर मदारी सांप को खेल के लिए तैयार करता है उसी तरह रेणुका ने नंगा आमंत्रण देकर हेमंत की मर्दानगी को जगा दिया था

शीला ने हेमंत के लंड को पेंट की ऊपर से ही अपनी मुठ्ठी मे दबा दिया और बोली "ये बता.. यहाँ कौन सा स्पेशल प्रोग्राम होने वाला है आज रात को?"

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सुनते ही हेमंत के पसीने छूट गए "प्लीज.. मैं उसके बारे में आपको कुछ नहीं बता सकता" शीला समझ गई की तीर निशाने पर लग चुका था.. अब बस, उस लड़के के ईमान को पिघलाने के लिए थोड़ी और आग लगाने की जरूरत थी

हेमंत को बाहों में जकड़कर उसके होंठों पर बड़ा ही रसीला चुंबन कर दिया शीला ने.. काफी देर तक उसके होंठों को चूसते रहने के बाद.. उसे महसूस हुआ की उस लड़के की झिझक कम हो रही थी और वो अपने आप को शीला के हवाले करता जा रहा था.. काफी देर तक चूमने चाटने के बाद शीला ने उसे अपने मोह-पाश से मुक्त किया..

शीला: "कितना हेंडसम है रे तू.. !! तुझे देखकर ही मेरी चूत पनियाने लगी है.. मैं तो तुझ से ही चुदवाऊँगी आज रात.. दिल आ गया है तुझ पर.. "

रेणुका: "तो फिर मैं क्या करूंगी? बैठे बैठे झुनझुना हिलाऊँ?"

शीला: "तू हम दोनों की चुदाई देखते हुए उंगली कर लेना.. मैं तो अपने इस बेटे को चुदाई के नए नए पाठ सिखाऊँगी आज"

हेमंत का लंड पेंट से बाहर निकाल चुकी थी शीला.. २३ साल के लड़के के जवान फुदकते लंड को देखकर शीला और रेणुका दोनों खुश हो गई.. कच्ची ककड़ी जैसा सख्त लंड देखकर.. दोनों चुदक्कड़ महिलाओं को मन में सांप लोटने लगे..

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शीला की कोमल अनुभवी हथेली ने एक ही बार में उस लंड का सारा ब्योरा ले लिया.. और धीमे से फुसफुसाई "मज़ा आएगा इसके साथ"

हेमंत: "मैडम, इफ यु डॉन्ट माइंड.. एक साथ दो दो औरतों के साथ सेक्स करने का मेरा भी बहोत मन है.. हम तीनों आज रात मेरे कमरे में एक ही बेड पर इन्जॉय करेंगे.. मैं आप दोनों को संतुष्ट करने का वादा करता हूँ.. मैं आपको सब को-ऑपरेशन दूंगा.. मेरा लंड एक रात में चार-पाँच बार खड़ा हो सकता है"

शीला अब भी तसल्ली करना चाहती थी की हेमंत पूरी तरह से उनके कंट्रोल में आ जाएँ.. अपने ब्लाउस के हुक खोलकर.. खरबूजों जैसे स्तनों को बाहर निकालकर.. हेमंत के चेहरे को उनके बीच दबाते हुए शीला ने कहा " ले, पहले अपनी माँ का दूध पी ले मेरे बेटे.. माँ को चोदने की ताकत आ जाएगी..!!" कहते हुए शीला ने रेणुका को इशारा किया..


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इशारा समझते ही रेणुका घुटनों के बल बैठ गई.. और हेमंत का लंड मुठ्ठी से पकड़कर चूसना शुरू कर दिया.. २३ साल का लड़का.. अपने से दोगुनी उम्र की औरतों के बीच सेंडविच बन चुका था..

रेणुका का गरम मुंह.. हेमंत के लंड को जैसे झुलसा रहा था.. और शीला के स्तनों की गर्माहट.. उसे अजीब सा सुकून दे रही थी.. किसी अलौकिक दुनिया की सफर पर निकल पड़ा वो.. शीला के मदमस्त उरोजों को बारी बारी पकड़कर दबाते हुए.. उसकी एक एक इंच लंबी निप्पल को बड़े ही चाव से चूस रहा था हेमंत..


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तीन-चार मिनट तक ये दौर चला.. और हेमंत के लंड ने रेणुका के मुंह में गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया.. अब वो रेणुका की चुसाई का कमाल हो.. या शीला के बबलों का.. सिर्फ चार मिनट के अंदर.. हेमंत का हाल.. नर्वस नाइन्टी की बलि चढ़े हुए बेटसमेन जैसा हो गया..

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वो समझ गया की जोश में आकर.. उसने इन दोनों चुदासी राँडों को तृप्त करने का वादा तो कर दिया.. पर उसकी तो पाँच मिनट के अंदर ही हवा निकाल दी इन दोनो ने.. !! पता नहीं.. इनके साथ एक रात बिताने के बाद.. कहीं सुबह तक उसके प्राण ही न निकल जाए.. !!

शीला ने जैसे उसके मन के विचारों को पढ़ लिया था.. वो बोली "रेणुका.. यार पागलों की तरह चूसने लगी तू तो.. एकदम से टूट पड़ी.. झड़ गया बेचारा.. डॉन्ट वरी हेमंत.. चल बिस्तर पर चल.. तुझे फिर से तैयार करती हूँ"

हेमंत की फट के फ्लावर हो गई "नहीं नहीं मैडम.. मैं इस कमरे में बेड पर नहीं आऊँगा"

शीला और रेणुका ने चोंककर कहा "क्यों?"

हेमंत खामोश ही रहा.. और आँखें झुकाए खड़ा रहा

शीला की धीरज जवाब दे गई.. "अब बोलेगा भी या तेरी गांड में डंडा डालकर बुलवाऊँ..भेनचोद..!!"

हेमंत: "क्या बताऊँ मैडम.. ये हमारी होटल का टॉप सीक्रेट है.. प्लीज किसी को मत बताइएगा.. वहाँ जो टीवी के बगल में फूलदान है ना.. उसके अंदर एक केमेरा फिट किया हुआ है.. जिससे पूरे बेड का विडिओ सीसीटीवी केमेरा पर नजर आता है.. मालिक हमारे शौकीन है.. सुना ही की वो उन वीडियोज़ को बेचते भी है.. जो भी हो.. मैं तो रात को ये सब देखकर अपनी आँखें सेंक लेता हूँ.. "

रेणुका: "बाप रे.. !! पर ऐसे किसी की प्राइवेट मोमेंट्स का विडिओ बनाना तो गैर-कानूनी है.. !!"

शीला: "रेणुका यहाँ आने वाले लोग भी कौन से शरीफ होते है?? सब यहाँ ऐयाशी करने ही आते होंगे.. फिर ये लोग भी थोड़ा बहोत इन्जॉय कर लेते है.. मेरे हिसाब से तो इसमे कोई बुराई नहीं है" जानते हुए की ये गलत था.. शीला ने हेमंत की तरफदारी की.. क्योंकि उससे अभी और राज भी तो उगलवाने थे..

शीला: "अच्छा हेमू.. सब के वीडियोज़ देखकर, तुझे तो बड़ा मज़ा आता होगा.. हैं ना.. !! हर रोज नए नए माल देखने को मिलते होंगे.. नई नई लड़कियां.. नए नए बबले.. नई नई चूतें.. !!"

रेणुका के मुंह में वीर्यधार करके हेमंत काफी हल्का महसूस कर रहा था.. शीला की बेवाक बातों से वो खुल भी गया था

हेमंत: "अरे आप मानोगे नहीं.. लोग अपनी बेटी से भी कम उम्र की लड़कियों को लेकर यहाँ आते है.. कुछ तो ऐसे बूढ़े होते है.. जो लड़की ले आते है पर फिर कुछ कर ही नहीं पाते.. और फोकट में पैसे बर्बाद करते है.. लड़कियां बेचारी.. उनकी नज़रों के सामने मूठ मारकर अपने आप को ठंडा कर सो जाती है.. मुझे तो देखकर ही गुस्सा आता है.. जब लोड़े में ताकत न हो तो बेकार में क्यों जवान लड़कियों को लेकर आते होंगे?? हम यहाँ चूत की एक झलक को भी तरस जाते है.. !!"

रेणुका: "क्यों?? तुम्हें तो कोई न कोई मिल ही जाती होगी.. तुम्हारे पास तो पूरा कॉन्टेक्ट लिस्ट ही होगा ना इन बाजारू लड़कियों का.. !!"

हेमंत : "होता तो है.. पर मैं उन लड़कियों को मुंह नहीं लगाता.. फिर वो सब गले पड़ जाती है और ब्लैकमेल करती है.. कोई लड़की पट जाएँ और प्यार से दे दें.. तो बात अलग है.. मगर ऐसी रोमियोगिरी करने का टाइम ही नहीं मिलता इस नौकरी के चक्कर मे.. अब देखते है.. एक बूढ़ा है जो हरबार एक जवान लड़की को लेकर आता है.. वो लड़की मुझे लाइक करती है.. पर वो बूढ़ा उसे छोड़ ही नहीं रहा.. देखते है आगे क्या होता है"

शीला: "तुम्हें चुपके से अपना नंबर दे देना चाहिए उसे.. है कौन वो लड़की? वो बूढ़ा उसे लेकर आता है तो चोदता भी होगा.. और उसकी चुदाई तुमने देखी भी होगी"

हेमंत: "स्क्रीन पर चुदाई देख देखकर थक गया हूँ मैडम.. कई बार तो चुदाई चल रही होती है पर देखने का मन नहीं करता.. पर हाँ.. उस लड़की को मैं अक्सर देखता हूँ.. वो मुझे अच्छी लगती है इसलिए.. बाकी तो कुछ खास या अलग होता है तभी मैं देखता हूँ.. कई बार तो जब एक से ज्यादा जोड़ें यहाँ आते है तो उनकी बातों से पता चल जाता है की वो लोग पार्टनर चेंज करेंगे.. वो सब देखने मे मज़ा आता है.. कुछ लड़कियां तो अपने पति से एक साथ दो दो लंड से करवाने की डिमांड करती है"

शीला: "क्या सच मे??

हेमंत: "जी हाँ मैडम.. कोई बड़ा ग्रुप आया तो समझ लो की मजे ही मजे.. क्या क्या नहीं करते वो लोग.. !! आप सोच भी नहीं सकती"

शीला: "हेमू डार्लिंग.. मुझे तुम्हारी एक हेल्प चाहिए.. बदले मे.. मैं तुम्हारी लाइफ बना दूँगी.. तुमने सोचा भी नहीं होगा इतना मज़ा दूँगी तुझे.. बस तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा" शीला ने शतरंज पर चाल चलनी शुरू कर दी

रेणुका भी हेमंत के मुरझाए लंड को सहलाते हुए शीला की बात को बड़े गौर से सुन रही थी... वो सोच रही थी की शीला इस लड़के का उपयोग कर पार्टी में घुसेगी कैसे? उस रोमा ने तो कहा था की लास्ट मोमेंट पर किसी को एंट्री नहीं दी जाती.. पर उसे यकीन था शीला की काबिलियत पर.. वो कोई न कोई तरीका ढूंढ ही निकालेगी.. अब वो देखना चाहती थी की शीला कौन सी तरकीब लगाती है.. !!

शीला: "हम आज रात की स्पेशल पार्टी का लाइव विडिओ देखना चाहते है.. क्या तुम हमें दिखा सकते हो??"

हेमू घबरा गया "क.. क.. कौन सी पार्टी? मुझे किसी स्पेशल पार्टी के बारे में नहीं पता.. " वो थरथर कांपने लगा.. वो वहाँ से भाग जाना चाहता था.. पर रेणुका ने उसका लंड कसकर पकड़ रखा था..

लंड को खींचकर अपनी बाहों मे जकड़ते हुए रेणुका ने हँसते हुए कहा "कहाँ भाग रहे हो बेटा.. अभी तो तुम्हारे इस लोडे के साथ पूरी रात पार्टी करने है हमें..!!" लंड पकड़कर रेणुका ने ऐसे खींचा की हेमंत की चीख निकल गई..

शीला: "देखो हेमू.. हम पहले भी यहाँ आ चुके है.. और ऐसी पार्टी मे शामिल हो चुके है.. इस बार हमें कोई मर्द पार्टनर नहीं मिला और रेजिस्ट्रैशन मे देरी हो गई इसलिए अलग से आना पड़ा.. तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है.. हम तो सिर्फ पार्टी मे शामिल होने के लिए तुम्हारी हेल्प मांग रहें है.. अगर तुम हमारी हेल्प करोगे तो हम तुम्हें पैसे भी देंगे"

हेमू की जान मे जान आई.. अभी भी वो ठीक से बोल नहीं पा रहा था.. शीला ने उसके लंड पर किस करके उसके बचे-कूचे डर को भगा दिया.. अब हेमंत थोड़ा सा शांत हुआ.. बल्कि उसकी आँखों में एक विचित्र सी चमक भी आ गई.. शीला की निप्पल को प्यार से खींचते हुए वो बोला

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हेमंत: "मैडम, आपके बॉल बड़े ही जबरदस्त है.. इतने बड़े तो मैंने आज तक नहीं देखे.. बार बार दबाने का जी चाहता है.. आप को पार्टी जॉइन करनी हो तो मैं करवा सकता हूँ.. मैं आपका पार्टनर बनकर साथ घुस जाऊंगा.. पर यह मैडम का क्या करें?? एक पार्टनर आप को मेनेज करना पड़ेगा.. नहीं तो फिर इस मैडम को यहाँ कमरे मे ही बैठना पड़ेगा.. दूसरी बात यह की.. उस पार्टी मे कोई किसी को भी चोदने के लिए पसंद कर सकता है.. अब मैं तो आपको ही चोदना चाहता हूँ.. अगर किसी और ने पसंद कर लिया तो.. ?? हर कोई आपके पीछे पड़ जाएगा.. आप हो ही ऐसी.. रात भर लोग आपके पीछे पड़ जाएंगे.."

शीला: "ऐसा नहीं होगा.. उससे पहले हम ही एक दूसरे को सिलेक्ट कर लेंगे.. फिर क्या दिक्कत?"

हेमंत: "नहीं.. ऐसा नहीं होता.. रूल्स तो आपको पता ही होंगे ना.. !! की एक बार पार्टी शुरू होते ही सब लोग चेहरे पर मास्क लगा लेते है.. फिर टेबल पर चाबी रख दी जाती है.. फिर हर लड़की/महिला को चाबी उठाने को कहा जाता है.. जिस चाबी को आप उठायेंगे.. उस चाबी की गाड़ी का मालिक आप को ले जाएगा.. और पूरी रात बिताएगा.. !!"

रेणुका हेमंत की बात सुनकर रोमांचित हो गई.. शीला का पूरा बदन सिहरने लगा.. आत्मविश्वास से झूठ बोलते हुए शीला ने इतनी बात तो उगलवा ली.. और बात निकालने के लिए उसने एक और झूठ बोल दिया

"वो तो हम जानते है हेमू.. मगर लास्ट टाइम की पार्टी में नियम अलग थे.. उस वक्त हम जिस मर्द को पसंद करें उसके बगल मे जाकर खड़े हो जाते थे.. और अगर किसी एक मर्द के पास एक से ज्यादा लड़की खड़ी हो जाएँ तो फिर चाबी वाला सिस्टम होता था.. !!"

हेमंत: "अच्छा.. हम तो सीसीटीवी पर देखते है इसलिए शायद पता नहीं चला.. !!"

शीला: "कुछ भी कर हेमू.. एक और पार्टनर का बंदोबस्त कर दे.. कैसे भी"

हेमंत को एक और फायदा था.. रजिस्ट्रेशन के लिए अगर वो एक कपल लाता तो उसे कमीशन के तौर पर ४ हजार मिलते थे.. पर ऐसे मामलों मे खतरा ज्यादा रहता है इसलिए वो अधिक दिलचस्पी नहीं लेता था.. पर शीला के कातिल बदन ने हेमंत को मजबूर कर दिया था.. एक और पार्टनर मिल जाता तो शीला के संग मजे करने मिलता और साथ में तगड़ा कमीशन भी मिलता..

हेमंत: "मैडम, अगर आप आज रात को मुझे नहीं मिल पाई तो प्रोमिस कीजिए की एक बार मेरे साथ सेक्स जरूर करेगी.. तभी मैं आप के लिए पार्टनर का बंदोबस्त करने की कोशिश करूंगा"

शीला: "अरे मेरी जान.. अभी कर लेते है.. बाद में न जाने मौका मिले ना मिले.. !! आजा चल.. हमारी पार्टी अभी से शुरू.. !! तू हमारे लिए बस एक पार्टनर मेनेज कर, मैं अभी तुझे अपने हुस्न के जलवे दिखाती हूँ.. तू भी क्या याद करेगा.. !! कभी देखा न होगा ऐसा हुस्न.. !! ले देख.. हेमू बेटा.. " कहते हुए शीला ने बड़ी ही स्टाइल से अपनी साड़ी उतारी और उछालकर केमेरा लगे फूलदान पर डाल दी.. अब केमेरे से कुछ दिखने वाला नहीं था.. निश्चिंत होकर शीला हेमंत को बेड पर खींचकर ले गई.. और उसके सारे कपड़े उतार दीये.. हेमंत शीला के मस्त बदन से खेल रहा था तब शीला ने अपनी ब्रा और पेन्टी भी उतार दी.. हेमंत का लंड शीला को सलामी दे रहा था..

उस दौरान हेमंत ने अपने फोन से किसी को मिसकॉल किया.. सामने से तुरंत कॉल आया.. हेमंत ने एकदम संक्षिप्त में बात की "आप आ जाइए.. मेनेज हो जाएगा.. जोरदार है सर.. !!" बस इतना कहकर उसने फोन काट दिया..

शीला ने हेमंत को धक्का देकर बेड पर लेटा दिया.. और उसके ऊपर चढ़ बैठी.. उसके लंड पर अपनी गांड रगड़ते हुए शीला ने अपने दोनों भव्य स्तनों के तले उसे दबा दिया.. शीला के भारी भरकम बबलों के नीचे दबकर हेमंत का दम घुटने लगा.. वो तड़पते हुए शीला की नंगी मांसल पीठ पर हाथ फेर रहा था.. शीला अपनी चूचियाँ उसके चेहरे पर रगड़ते हुए.. अपनी चूत से उसके लंड पर हौले हौले मसाज कर रही थी..


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"हेमू बेटा... क्या हुआ फिर.. !! मेनेज हो जाएगा ना.. !!" चुदाई के बीच ही शीला ने वसूली चालू कर दी

"चिंता मत कीजिए मैडम.. मैंने एक बार बोल दिया की हो जाएगा.. मतलब हो जाएगा.. आज रात आप मेरे साथ पार्टी जॉइन करोगी.. ये मेरा वादा है.. फोन तो किया है मैडम.. उसने हाँ भी बोला है.. बहुत शौकीन है.. आप को उछाल उछालकर चोदेगा"

रेणुका: "फिर तो उसे मैं ही अपना पार्टनर बनाऊँगी"

हेमंत: "कोई बात नहीं मैडम.. आप उन साहब की बाहों में मजे लूटना.. मैं इस मैडम के साथ इन्जॉय करूंगा.. और आप मेरी कार की चाबी का कीचैन देखकर याद कर लीजिए.. आप इसे ही पसंद करना.. मैं आज रात, आप को मेरी ताकत दिखाना चाहता हूँ"

शीला के चरबीदार जिस्म तले दबे हुए हेमंत ने.. बिस्तर पर पड़ी अपनी पतलून के जेब से गाड़ी की चाबी निकालकर शीला को दिखाई.. चांदी के घोड़े वाला सुंदर कीचैन था.. अब शीला को उसे ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी.. सिर्फ घोड़े को याद रखना था.. फिर वो आसानी से लोड़े तक पहुँच जाएगी.. !!

शीला ने अपने चूतड़ उठायें.. और उल्टा घूम गई.. हेमंत के होंठों पर अपना भोसड़ा रखकर झुकते हुए उसका लंड मुंह में ले लिया.. साथ ही दोनों अंडकोशों को अपनी हथेली से सहलाते हुए दबाने लगी.. शीला की जीभ हेमंत के आँड़ों पर ऐसे घूमने लगी.. हेमंत को लगा की उसके प्राण ही निकल जाएंगे.. शीला का ये पसंदीदा काम-आसन था.. शीला का बिना बालों वाला सफाचट भोसड़ा देखकर हेमंत का मुंह खुला का खुला रह गया..

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"चौड़ी करके अंदर जीभ डाल हेमू.. ये सिर्फ देखते रहने से ठंडी नहीं होगी.. " शीला अब अपने असली रंग में आने लगी थी.. उसके मदमस्त स्तन कठोर हो गए थे और वह आक्रामक होकर हेमंत के लंड पर प्रहार कर रही थी

हेमंत ने शीला के आदेश का पालन किया और उसके मस्त रसदार भोसड़े को उंगलियों से चौड़ा कर.. गहराई तक अपनी जीभ घुसेड़ दी..

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"आह्ह हेमू.. यार.. बिल्कुल सटीक निशाने पर जाकर लगी है तेरी जीभ.. ओह यस.. अब चाटना शुरू कर दे.. ऊपर से लेकर नीचे तक.. पूरी दरार को चाट.. !!" शीला के मुख से आनंद की किलकारीयां निकलने लगी.. हेमंत का आखिर जवान खून था.. भर भरकर ऊर्जा थी.. उत्तेजना उछल रही थी.. शीला के मुंह में उसका लंड इतना कठोर हो गया की शीला को भी ताज्जुब होने लगा.. कोई लंड इतना सख्त कैसे हो सकता है?? कहीं इसके लंड की नसें फट न जाएँ.. !!

हेमंत शीला की चूत को रिझाने के यथाशक्ति प्रयत्न कर रहा था.. पर शीला की चुसाई इतनी खतरनाक थी की वो बेचारा बार बार झड़ने की कगार पर आ जाता.. रेणुका बगल में खड़े खड़े शीला और हेमंत के जिस्मों का घमासान देखते हुए एक हाथ से अपना स्तन मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपना दाना रगड़ रही थी..

२३ साल के हेमंत के ऊपर.. ५५ साल की शीला की विराट काया तांडव कर रही थी.. !! और उस महाकाय जिस्म की छत्रछाया तले हेमंत अभिभूत होकर अपनी हवस शांत कर रहा था.. इतना वज़न अपने ऊपर होने के बावजूद वो उत्तेजित होकर नीचे से अपने शरीर को ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था.. और शीला भी ऐसे ऊपर नीचे हो रही थी जैसे ऊंट-सवारी कर रही हो.. !!

बिना थके हेमंत शीला की भोस को बड़ी ही उत्तेजना पूर्वक चाट रहा था.. खेत में रोहित के लंड से संतोष पूर्वक झड़ नहीं पाई थी शीला, हेमंत के लंड से अपनी मंजिल को हासिल करने का भरसक प्रयत्न कर रही थी..

शीला अब हेमंत के ऊपर से उतर गई.. और अपनी मांसल जांघों को फैलाते हुए बिस्तर पर लेट गई.. फिर हेमंत को अपने ऊपर खींच लिया.. शीला के स्तनों को दोनों हाथों से दबाने के बाद, हेमंत ने अपने सुपाड़े को शीला के लसलसित भोसड़े के मुख पर रखकर एक जानदार धक्का लगाया.. शीला ने सिसककर उसका स्वीकार किया.. अद्भुत सख्ती थी उस जवान लंड की.. !! एक अरसा हो गया था जवान लंड को अंदर लिए हुए.. शीला को ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे लोहे का गरम सरिया अंदर घुस गया हो.. !! अपने भूखे भोसड़े को संतुष्ट करने के लिए शीला को ऐसे ही लंड की जरूरत थी..

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हेमंत का लंड.. इंजन के पिस्टन की तरह.. शीला के छेद के अंदर बाहर होने लगा.. हर धक्के के साथ शीला के स्तन आगे पीछे हो रहे थे.. हेमंत अपने जीवन के सब से यादगार अनुभव से गुजर रहा था.. फुल स्पीड में धक्के लगा रहे हेमंत के बगल में खड़ी रेणुका अपनी निप्पलों को खींचते हुए करीब आई.. और हेमंत के होंठों पर अपने होंठ रख दीये.. शीला की जवानी के साथ रेणुका के जोबन का मिश्रण होते ही हेमंत को धरती पर ही स्वर्ग नजर आने लगा.. अपनी सारी ताकत लगाकर हेमंत शीला को धनाधन चोद रहा था..

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देखते ही देखते शीला का पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया.. "आह्ह हेमू.. मज़ा आ रहा है यार.. और जोर से चोद.. चीर दे मेरी चूत.. कितना दम है रे.. !! जड़ तक हिला कर रख दिया.. मार जोर से.. रुकना मत, मेरे राजा.. !!"

शीला की बातें सुनकर रेणुका अपने आप पर काबू न रख पाई.. और आँखें बंद कर अपनी तीन उँगलियाँ चूत के अंदर बाहर करने लगी..

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शीला की परीक्षा में हेमंत फैल होना नहीं चाहता था.. अपना सारा जोश लगाकर वो शीला को इतना खुश करना चाहता था की वो उसकी गुलाम बन जाएँ.. शीला उसे इतनी पसंद आ गई थी.. !!

आधे घंटे की भीषण चुदाई के बाद शीला की चूत का फव्वारा छूट गया.. और उसी के साथ.. हेमंत के लंड ने भी वीर्य की जोरदार पिचकारी से शीला का गर्भाशय भर दिया.. रेणुका भी उँगलियाँ डालकर झड़ गई.. कामुक कराहों से जो पूरा कमरा गूंज रहा था.. वो अब शांत हो गया था.. !! तीनों अब आराम से बिस्तर पर लेटकर अपनी थकान उतारने लगे.. लेटे लेटे हेमंत, शीला की लंबी निप्पलों से खेल रहा था..

थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है शीला ने अपनी जवानी का रस हेमंत को चखा कर होटल के पूरे राज उगलवा लिए
 

vakharia

Supreme
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अचानक शीला की नजर सुबोधकांत की गोल्डन केस वाली राडो घड़ी पर गई.. और ध्यान से देखते ही उसकी सांसें थम गई.. !!!

याद आते ही बेहद चोंक गई शीला.. अरे बाप रे... ये तो कॉकटेल है.. !! बिल्कुल यही घड़ी कॉकटेल ने भी पहन रखी थी.. ध्यान से देखने पर सुबोधकांत का शरीर, बोल-चाल सब कुछ कॉकटेल से मेल खा रहा था.. उसका लंड भी जाना-पहचाना सा क्यों लग रहा था वो अब पता चला शीला को.. सुबोधकांत के घर के गराज में एक बार चूस चुकी थी उनका लंड.. इसीलिए जब होटल में वह लंड दोबारा देखा तब हल्की सी भनक तो लगी थी पर याद नहीं आ रहा था.. !! शीला के पूरे बदन में झनझनाहट से छा गई.. हाँ, वो कॉकटेल ही था.. जिसका लंड मैंने और रेणुका दोनों ने दिल खोल कर चूसा था.. हे भगवान.. कहीं सुबोधकांत ने हमें पहचान तो नहीं लिया होगा.. !!!

मदन को वहीं बैठा छोड़कर शीला घबराकर घर वापिस आ गई..

घर पहुंचकर सब से पहला काम उसने रेणुका को फोन करने का किया

रेणुका: "हाँ बोल शीला.. !!"

शीला: "यार एक जबरदस्त भांडा फूटा है आज तो.. !!"

रेणुका: "यार शीला.. जब से तू मेरी ज़िंदगी में आई है तब से रोज कुछ न कुछ धमाकेदार हो रहा है मेरे साथ.. अब क्या हुआ, ये भी बता दे"

शीला: "यार वो कॉकटेल था ना.. होटल में तेरा पार्टनर.. !!"

रेणुका: "हाँ, वो मस्त मोटे लंड वाला.. पार्टनर मेरा था और सब से ज्यादा तूने ही उसका लंड चूसा था.. !!"

शीला: "पता है वो कौन था??? मौसम का बाप, सुबोधकांत.. !!!!"

रेणुका: "क्या............!!!!!! क्या बक रही है तू??? जानती हूँ की तुझे उनसे चुदवाने की बड़ी ही चूल थी.. सगाई वाले दिन भी तू फ्लर्ट कर रही थी उनसे.. पर उसका मतलब ये नहीं की तू उनका नाम ऐसे जोड़ दे.. !! कुछ भी मत बोल"

शीला: "देख रेणुका.. अभी मदन आता ही होगा.. इसलिए लंबी बात नहीं हो सकती.. ये तो चांस मिला इसलिए मैंने तुझे बता दिया.. !!"

रेणुका: "पर तुझे ये पता कैसे चला.. ये तो बता.. !!!!"

शीला: "यार, एक बेड न्यूज़ है.. तुझे बताना ही भूल गई.. मौसम के साथ तरुण ने सगाई तोड़ दी है.. मौसम बहोत डिस्टर्ब थी तो कुछ दिनों के लिए यहाँ कविता के घर रहने चली आई है"

रेणुका: "हाँ, मुझे राजेश ने कुछ देर पहले बताया... बहुत बुरा हुआ उस बेचारी के साथ"

शीला: "मौसम को छोड़ने उसके पापा सुबोधकांत आए थे.. और तभी मेरा ध्यान उनकी घड़ी पर गया.. याद है.. !! कॉकटेल ने वो महंगी वाली घड़ी पहन रखी थी.. !! गोल्डन चैन वाली.. !!"

रेणुका: "हाँ बड़े अच्छे से याद है.. !!"

शीला: "बस, वही घड़ी मैंने सुबोधकांत की कलाई पर देखी"

रेणुका: "पागलों जैसी बात मत कर.. ऐसी एक ही घड़ी थोड़ी नआ होगी पूरी दुनिया मैं.. !!"

शीला: "अरे पगली.. घड़ी तो सिर्फ कड़ी थी.. फिर मैंने उनके शरीर के दिलडॉल, त्वचा का रंग.. आवाज.. सब मिलाकर देखा.. सुबोधकांत ही कॉकटेल है.. मुझे तो पक्का यकीन है"

रेणुका: "ओके बाबा.. चल रखती हूँ फोन"

शीला: "ओके बाय.. !!"

फोन काटकर शीला किचन में प्लेटफ़ॉर्म के आगे अपनी चूत खुजाते हुए सुबोधकांत के लंड को याद करने लगी.. जैसे शरीर के अंगों से उन्हें पहचान लिया.. वैसे हो सकता है की सुबोधकांत ने भी उसे पहचान लिया हो.. !! और कुछ याद रहे न रहे.. पर एक बार जिसने शीला के खुले हुए बबले देखें हो.. मरते दम तक नहीं भूल सकता..!!

इस तरफ रेणुका, शीला का फोन काटते ही, गहरी सोच मे पड़ गई.. थोड़ा सा विचार करने के बाद उसने सीधा सुबोधकांत को फोन लगाया.. सगाई के दौरान उसने घर के बाहर गार्डन में बातें करते हुए उनका नंबर लिया था

रेणुका: "हैलो... पहचाना.. ??"

सुबोधकांत: "हम्म..म..म..म..म..म.. सॉरी.. आवाज सुनी सुनी सी लगती है.. पर याद नहीं आ रहा.. वैसे इतना कह सकता हूँ की बड़ी सुरीली आवाज है आपकी.. "

रेणुका शरमाकर बोली "ओह थेंकस.. रेणुका बोल रही हूँ.. मुझे पता चला की आप शहर में आए हुए हो.. मुझे आपसे अर्जेंट मिलना था.. सिर्फ दस मिनट के लिए"

सुबोधकांत: "दस मिनट क्यों.. !! पूरा दिन आपके साथ गुजारने के लिए तैयार हूँ.. बस आपको राजेश को संभालना होगा.. आप के साथ सिर्फ दस मिनट गुजारने पर थोड़े ही मेरा मन भरेगा.. !!"

रेणुका ने हंसकर कहा "क्या आप भी.. पहले दस मिनट के लिए तो मिलिये.. फिर पूरा दिन साथ बिताने की प्लानिंग करेंगे.. !!"

सुबोधकांत: "सिर्फ दस मिनट में कुछ मज़ा आएगा नहीं.. वैसे मैं आपकी ऑफिस वाली सड़क से ही गुजर रहा हूँ.. अगर मिलना हो तो अभी मिल सकते है"

रेणुका: "क्या सच में.. !! ओके.. एक काम कीजिए.. उसी सड़क पर आगे एक पेट्रोल-पंप है.. वहाँ से टर्न लेकर बगल वाली सड़क पर आप मेरा इंतज़ार कीजिए.. मैं वहाँ पहुँच रही हूँ.. वैसे मैं आप से पहले पहुँच जाऊँगी"

रेणुका ने फटाफट कपड़े बदले.. और कार की चाबी लेकर बाहर निकली.. तभी उसे अंदाजा हुआ की इस वक्त बहोत ट्राफिक होगा और उतना समय था नहीं.. इसलिए फिर वह अपना एक्टिवा लेकर निकल गई

पंप पर पहुंचकर वो एक्टिवा में पेट्रोल भरवा रही थी.. तभी सुबोधकांत अपनी लंबी गाड़ी लेकर वहाँ पहुंचे.. रेणुका ने एक्टिवा बगल वाले कॉम्प्लेक्स के बाहर पार्क कर दिया.. और चुपचाप गाड़ी में आकर बैठ गई..

सुबोधकांत ने गाड़ी भगा दी.. काले कांच वाली खिड़कियों से बाहर से कोई उन्हें देख नहीं सकता था.. रेणुका की नजर सब से पहले सुबोधकांत की कलाई पर बंधी गोल्डन राडो घड़ी पर गई.. अब उसे शीला की बात पर यकीन हो गया.. सुबोधकांत ही कॉकटेल था.. !!! उसे याद आ गया की किस तरह उसने और शीला ने मिलकर उसका लंड चूसा था.. और कॉकटेल ने उसके बबलों का दबा दबाकर कचूमर निकाल दिया था..

सुबोधकांत का ध्यान आगे सड़क पर था तब रेणुका ने अपने टॉप में हाथ डालकर.. स्तन बाहर निकाले और सुबोधकांत की और देखकर कहा "हैलो, मिस्टर कॉकटेल.. !!"

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सुबोधकांत ने चकराकर रेणुका की और देखा और एकदम से ब्रेक मार दी.. पीछे आ रही गाड़ी वाले ने सुबोधकांत की माँ को संबोधित करते हुए एक गाली दी और फिर ओवरटेक करते हुए आगे चला गया..

सुबोधकांत को दिन में तारे नजर आने लगे.. बेचारे पहली गेंद पर ही क्लीन बोल्ड हो गए.. !! वो सोचने लगे.. उस होटल से पकड़े जाने पर.. अखबार में मेरा नाम क्या आ गया.. रेणुका को पता भी चल गया.. !! वो तो ठीक है पर उसे मेरा नकली नाम कैसे पता चला?? अखबार वालों ने वो तो नहीं छापा था..!!

असमंजस में डूबे हुए सुबोधकांत की सारी शंकाओं का समाधान कर दिया रेणुका ने..

"मुझे राजेश ने बताया.. की आप भी थे उस दिन पार्टी में.. मुझे और शीला को ऐसा सब पसंद नहीं है इसलिए मदन और राजेश किसी और को लेकर वहाँ आए थे.. और आप भी वहाँ थे.. दूसरे दिन राजेश ने मुझे बताया की उन्होंने वहाँ खूब मजे किए और आपने भी बहोत इन्जॉय किया था" अपनी हकीकत छुपाते हुए आधा सच बताया रेणुका ने

सुबोधकांत सोच रहे थे.. लगता है रेणुका को पुलिस की रैड के बारे में पता नहीं है शायद...!!

सुबोधकांत ने रेणुका की जांघ पर हाथ फेरते हुए कहा "रेणुका जी.. राजेश एक नंबर का बेवकूफ है.. घर पर ही इतनी नशीली आइटम हो तो फिर बाहर मुंह मारने की क्या जरूरत.. !! वैसे अगर आपको एतराज न हो तो क्या मैं आपको एक किस कर सकता हूँ??" रेणुका के मस्त स्तन की गुलाबी निप्पल को देखकर लार टपकाते हुए उसने कहा

रेणुका: "मुझे एतराज है.. मैं क्यों करने दु आपको किस??"

सुबोधकांत: "तो फिर मुझे मिलने क्यों बुलाया?? और यहाँ गाड़ी में इस तरह आपके बूब्स खोलकर बैठने का मैं क्या मतलब समझूँ???"

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रेणुका: "मतलब?? जो भी आँखों के सामने नजर आए उन सारी चीजों पर आपका हक हो गया??" रेणुका भी सुबोधकांत के मजे ले रही थी

सुबोधकांत: "वो आप जो भी समझें.. आप कार में मेरे साथ इतनी नजदीक बैठी हो.. और आपका थोड़ा सा प्रसाद भी मुझे नसीब न हो तो कैसे चलेगा.. !! वैसे आपको बता दूँ.. मैंने मेरी लाइफ में किसी के साथ भी जबरदस्ती नहीं की है.. जरूरत ही नहीं पड़ी.. जो प्यार से नहीं मिला वो मैंने खरीद कर हासिल कर लिया है.. और पैसे देकर न मिले उसे मैंने गिफ्ट्स देकर मना लिया.. अब आप बताइए.. आपको कौन सा ट्रांजेक्शन ज्यादा पसंद है??"

सुबोधकांत की सीधी बात से रेणुका इंप्रेस हो गई.. वैसे औरत को हासिल करने के कितने सारे तरीके होते है.. !! प्यार से.. कीमत चुकाकर.. धोखा देकर.. तारिफ करके.. झूठी कसमें खाकर.. विश्वास जीतकर.. महंगी गिफ्ट देकर.. वगैरह वगैरह..

रेणुका की नजर अपनी गोल्डन घड़ी पर बार बार जाते हुए देख.. सुबोधकांत को गलतफहमी हुई.. उसने अपनी घड़ी उतारकर रेणुका को देते हुए कहा "लीजिए रेणुकाजी, मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट.. !!"

रेणुका की जांघ पर घड़ी रखते हुए सुबोधकांत ने जांघों को दबा दिया.. और फिर उनका हाथ दोनों जांघों के बीच घुसने लगा..

एक बार के लिए रेणुका सकते में पड़ गई.. बार बार घड़ी की तरफ तांकने का गलत मतलब समझे थे सुबोधकांत.. पर अभी वो किसी भी तरह की सफाई देने के मूड में नहीं थी

रेणुका: "मैं आपकी जेन्ट्स घड़ी क्यों पहनु? दे देकर आपने कैसी गिफ्ट दी एक महिला को?"

सुबोधकांत: "अगर मुझे पहले से पता होता तो बढ़िया सी गिफ्ट लेकर आता आपके लिए.. आपके जैसी सुंदर महिलाओ को गिफ्ट देना का मुझे बड़ा शौक है.. वैसे आप कब से मेरी घड़ी की तरफ देख रही थी तो मुझे लगा आपको पसंद आ गई होगी.. इसलिए.. अगर पसंद न हो तो आप रिजेक्ट कर सकती हो.. !!"

रेणुका: "नहीं नहीं.. गिफ्ट का अस्वीकार करके मैं आपका अपमान नहीं करूंगी.. मुझे आपकी भेंट कुबूल है.. " कहते हुए रेणुका ने शरारती अंदाज में उस घड़ी को अपने दोनों स्तनों के बीच की खाई में डाल दिया..

सुबोधकांत: "अगली बार जब मैं आपके लिए गिफ्ट ले कर आऊँगा.. तब आपकी इस खास जेब में अपने हाथों से गिफ्ट रखूँगा"

सुनकर रेणुका शरमा गई..

रेणुका: "जरूर.. मैं मना नहीं करूंगी"

सुबोधकांत: "कब से आप सिर्फ बूब्स के ही दर्शन करवा रही हो.. नीचे वाले खजाने को क्यों छुपा रखा है??"

रेणुका: "यहाँ खुली सड़क पर कपड़े उतारने में डर लग रहा है.. "

सुबोधकांत ने रेणुका की सीट के नीचे के लिवर को खींचा.. और पूरी सीट फ्लेट हो गई.. एकदम सीधी.. बिस्तर की तरह.. और सीट के साथ रेणुका भी अचानक से लेट गई..

सुबोधकांत: "अब कोई नहीं देखेगा.. "

रेणुका ने अपनी साड़ी और पेटीकोट जांघों तक उठा लिया.. और जानबूझकर भारी सांसें लेने लगी..

सुबोधकांत: "आह्ह.. जबरदस्त है आपके बूब्स.. और ये गोरी जांघें.. देखकर मज़ा आ गया.. जरा पेन्टी भी नीचे सरका दीजिए तो और मज़ा आएगा"

रेणुका: "अभी नहीं.. नेक्स्ट टाइम.. अभी तो किसिंग-प्रेसींग के अलावा और कुछ नहीं" कहते हुए रेणुका ने सीट का लीवर खींचकर सीट को पूर्ववत कर दिया.. और दोनों स्तनों को वापिस टॉप के अंदर डाल डीईए

सुबोधकांत: "यार, तड़पा क्यों रही है.. थोड़ी देर और देख लेने देती.. मैं हाथ भी नहीं लगाऊँगा"

रेणुका: "प्लीज सुबोधकांत जी.. फिर मैं अपना कंट्रोल खो बैठूँगी तो यहीं पर सबकुछ करना पड़ेगा.. और अभी ये पोसीबल नहीं है.. इसलिए मना कर रही हूँ.. वरना मेरी खुद भी बहोत इच्छा है"

सुबोधकांत ने रेणुका को कंधे से पकड़कर खींचा और उसके होंठों पर जोरदार किस कर दिया.. रेणुका का पूरा शरीर गरम हो गया


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अचानक रेणुका का हाथ सुबोधकांत के लंड पर चला गया और वह अपनी हथेली से उसे दबाने लगी.. देखते ही देखते पेंट के अंदर लंड एकदम सख्त हो गया.. इतना सख्त की उसे पेंट के अंदर बंद रखना मुश्किल हो रहा था..

रेणुका: "ओह्ह.. कितना हार्ड हो गया ये तो.. एक बार बाहर तो निकालो इसे.. बेचारे का दम घूंट जाएगा अंदर!!"

बिना एक सेकंड गँवाए सुबोधकांत ने अपनी चैन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया..

सुबोधकांत: "तसल्ली से देख लीजिए.. और बताइए.. कैसा लगा?? राजेश के लंड से तो मोटा ही है !!" रेणुका के कंधे से होते हुए उन्हों ने उसके स्तन को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया.. स्तन को दबाते हुए उनका लंड झटके खाने लगा

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रेणुका ने स्माइल देते हुए कहा "आप दबा यहाँ रहे हो और असर यहाँ हो रहा है"

सुबोधकांत: "यही तो है इसके सख्त होने का कारण.. !!"

रेणुका अब उत्तेजित हो गई थी.. उसने सामने से सुबोधकांत को चूमते हुए कहा "सुबोधकांत जी, अभी तो हम कार में है.. इसलिए ज्यादा कुछ करना मुमकिन नहीं होगा.. देर भी हो रही है.. आप मुझे वापिस पेट्रोल-पंप पर छोड़ दीजिए.. आपको मैं घर पर बुलाऊँगी जब राजेश टूर पर हो तब.. फिर तसल्ली से करेंगे दोनों.. !!"

सुबोधकांत: "वो तो ठीक है रेणु.. पर क्या तुम अभी मेरे लंड को एक किस भी नहीं दोगी?? जिस तरह मुझे समझा रही हो.. वैसे ही इसे भी समझा दो ताकि यह शांत होकर बैठ जाए.. और कब तक ये "आप-आप" कहती रहोगी??"

रेणुका ने झुककर सुबोधकांत के लंड के टोपे को चूम लिया.. सिर्फ चूमने से उसका दिल नहीं भरा.. सुने लंड को जड़ से पकड़कर एक झटके में.. मुंह के अंदर ले लिए.. उसका पूरा मुंह सुबोधकांत के तगड़े लंड से भर गया.. उस गरम लोडे को रेणुका ने तेजी से चूसना शुरू कर दिया..



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सुबोधकांत सिसकने लगे "यार, तुम बिल्कुल उसी तरह चूसती हो जिस तरह उस पार्टी में मेरी पार्टनर चूस रही थी.. आह्ह... ओह्ह.. रेणु मेरी जान.. मस्त चूसती है यार तू" कहते हुए सुबोधकांत के लंड ने लस्सेदार वीर्य रेणुका के मुंह में छोड़ दिया.. उसका पूरा मुंह वीर्य से भर गया.. वीर्य का विचित्र स्वाद रेणुका को पसंद तो नहीं था.. पर नया लंड चूत के अंदर लेने का मौका मिलेगा इसी आशा में वह सारा वीर्य निगल गई.. और लंड को ऐसे चूसा की जब मुंह से बाहर निकाला तब उसे साफ करने की जरूरत ही न रही.. ऐसे साफ कर दिया चूस कर..


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सुबोधकांत ने यू-टर्न लिया और वापिस पेट्रोल पंप के पास आकर गाड़ी रोक दी.. गाड़ी से उतरकर.. बगैर पीछे देखे.. रेणुका अपना एक्टिवा लेकर घर भागी.. घर पहुंचकर उसने सब से पहला काम.. सुबोधकांत की दी हुई घड़ी को छुपाने का किया.. और फिर बेडरूम मे जाकर लेट गई.. और बड़े ही आराम से, सुबोधकांत के तगड़े लंड को याद करते हुए.. उंगली करते करते झड़ गई.. !!

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झड़ने के बाद रेणुका की धड़कनें कुछ शांत हुई.. उसने शीला को फोन लगाया और सारी बात बताई.. सिवाय उस घड़ी वाली गिफ्ट के.. शीला और रेणुका के बीच काफी घनिष्ठ मित्रता हो गई थी.. राजेश और मदन की तरह..

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अचानक शीला की नजर सुबोधकांत की गोल्डन केस वाली राडो घड़ी पर गई.. और ध्यान से देखते ही उसकी सांसें थम गई.. !!!

याद आते ही बेहद चोंक गई शीला.. अरे बाप रे... ये तो कॉकटेल है.. !! बिल्कुल यही घड़ी कॉकटेल ने भी पहन रखी थी.. ध्यान से देखने पर सुबोधकांत का शरीर, बोल-चाल सब कुछ कॉकटेल से मेल खा रहा था.. उसका लंड भी जाना-पहचाना सा क्यों लग रहा था वो अब पता चला शीला को.. सुबोधकांत के घर के गराज में एक बार चूस चुकी थी उनका लंड.. इसीलिए जब होटल में वह लंड दोबारा देखा तब हल्की सी भनक तो लगी थी पर याद नहीं आ रहा था.. !! शीला के पूरे बदन में झनझनाहट से छा गई.. हाँ, वो कॉकटेल ही था.. जिसका लंड मैंने और रेणुका दोनों ने दिल खोल कर चूसा था.. हे भगवान.. कहीं सुबोधकांत ने हमें पहचान तो नहीं लिया होगा.. !!!

मदन को वहीं बैठा छोड़कर शीला घबराकर घर वापिस आ गई..

घर पहुंचकर सब से पहला काम उसने रेणुका को फोन करने का किया

रेणुका: "हाँ बोल शीला.. !!"

शीला: "यार एक जबरदस्त भांडा फूटा है आज तो.. !!"

रेणुका: "यार शीला.. जब से तू मेरी ज़िंदगी में आई है तब से रोज कुछ न कुछ धमाकेदार हो रहा है मेरे साथ.. अब क्या हुआ, ये भी बता दे"

शीला: "यार वो कॉकटेल था ना.. होटल में तेरा पार्टनर.. !!"

रेणुका: "हाँ, वो मस्त मोटे लंड वाला.. पार्टनर मेरा था और सब से ज्यादा तूने ही उसका लंड चूसा था.. !!"

शीला: "पता है वो कौन था??? मौसम का बाप, सुबोधकांत.. !!!!"

रेणुका: "क्या............!!!!!! क्या बक रही है तू??? जानती हूँ की तुझे उनसे चुदवाने की बड़ी ही चूल थी.. सगाई वाले दिन भी तू फ्लर्ट कर रही थी उनसे.. पर उसका मतलब ये नहीं की तू उनका नाम ऐसे जोड़ दे.. !! कुछ भी मत बोल"

शीला: "देख रेणुका.. अभी मदन आता ही होगा.. इसलिए लंबी बात नहीं हो सकती.. ये तो चांस मिला इसलिए मैंने तुझे बता दिया.. !!"

रेणुका: "पर तुझे ये पता कैसे चला.. ये तो बता.. !!!!"

शीला: "यार, एक बेड न्यूज़ है.. तुझे बताना ही भूल गई.. मौसम के साथ तरुण ने सगाई तोड़ दी है.. मौसम बहोत डिस्टर्ब थी तो कुछ दिनों के लिए यहाँ कविता के घर रहने चली आई है"

रेणुका: "हाँ, मुझे राजेश ने कुछ देर पहले बताया... बहुत बुरा हुआ उस बेचारी के साथ"

शीला: "मौसम को छोड़ने उसके पापा सुबोधकांत आए थे.. और तभी मेरा ध्यान उनकी घड़ी पर गया.. याद है.. !! कॉकटेल ने वो महंगी वाली घड़ी पहन रखी थी.. !! गोल्डन चैन वाली.. !!"

रेणुका: "हाँ बड़े अच्छे से याद है.. !!"

शीला: "बस, वही घड़ी मैंने सुबोधकांत की कलाई पर देखी"

रेणुका: "पागलों जैसी बात मत कर.. ऐसी एक ही घड़ी थोड़ी नआ होगी पूरी दुनिया मैं.. !!"

शीला: "अरे पगली.. घड़ी तो सिर्फ कड़ी थी.. फिर मैंने उनके शरीर के दिलडॉल, त्वचा का रंग.. आवाज.. सब मिलाकर देखा.. सुबोधकांत ही कॉकटेल है.. मुझे तो पक्का यकीन है"

रेणुका: "ओके बाबा.. चल रखती हूँ फोन"

शीला: "ओके बाय.. !!"

फोन काटकर शीला किचन में प्लेटफ़ॉर्म के आगे अपनी चूत खुजाते हुए सुबोधकांत के लंड को याद करने लगी.. जैसे शरीर के अंगों से उन्हें पहचान लिया.. वैसे हो सकता है की सुबोधकांत ने भी उसे पहचान लिया हो.. !! और कुछ याद रहे न रहे.. पर एक बार जिसने शीला के खुले हुए बबले देखें हो.. मरते दम तक नहीं भूल सकता..!!

इस तरफ रेणुका, शीला का फोन काटते ही, गहरी सोच मे पड़ गई.. थोड़ा सा विचार करने के बाद उसने सीधा सुबोधकांत को फोन लगाया.. सगाई के दौरान उसने घर के बाहर गार्डन में बातें करते हुए उनका नंबर लिया था

रेणुका: "हैलो... पहचाना.. ??"

सुबोधकांत: "हम्म..म..म..म..म..म.. सॉरी.. आवाज सुनी सुनी सी लगती है.. पर याद नहीं आ रहा.. वैसे इतना कह सकता हूँ की बड़ी सुरीली आवाज है आपकी.. "

रेणुका शरमाकर बोली "ओह थेंकस.. रेणुका बोल रही हूँ.. मुझे पता चला की आप शहर में आए हुए हो.. मुझे आपसे अर्जेंट मिलना था.. सिर्फ दस मिनट के लिए"

सुबोधकांत: "दस मिनट क्यों.. !! पूरा दिन आपके साथ गुजारने के लिए तैयार हूँ.. बस आपको राजेश को संभालना होगा.. आप के साथ सिर्फ दस मिनट गुजारने पर थोड़े ही मेरा मन भरेगा.. !!"

रेणुका ने हंसकर कहा "क्या आप भी.. पहले दस मिनट के लिए तो मिलिये.. फिर पूरा दिन साथ बिताने की प्लानिंग करेंगे.. !!"

सुबोधकांत: "सिर्फ दस मिनट में कुछ मज़ा आएगा नहीं.. वैसे मैं आपकी ऑफिस वाली सड़क से ही गुजर रहा हूँ.. अगर मिलना हो तो अभी मिल सकते है"

रेणुका: "क्या सच में.. !! ओके.. एक काम कीजिए.. उसी सड़क पर आगे एक पेट्रोल-पंप है.. वहाँ से टर्न लेकर बगल वाली सड़क पर आप मेरा इंतज़ार कीजिए.. मैं वहाँ पहुँच रही हूँ.. वैसे मैं आप से पहले पहुँच जाऊँगी"

रेणुका ने फटाफट कपड़े बदले.. और कार की चाबी लेकर बाहर निकली.. तभी उसे अंदाजा हुआ की इस वक्त बहोत ट्राफिक होगा और उतना समय था नहीं.. इसलिए फिर वह अपना एक्टिवा लेकर निकल गई

पंप पर पहुंचकर वो एक्टिवा में पेट्रोल भरवा रही थी.. तभी सुबोधकांत अपनी लंबी गाड़ी लेकर वहाँ पहुंचे.. रेणुका ने एक्टिवा बगल वाले कॉम्प्लेक्स के बाहर पार्क कर दिया.. और चुपचाप गाड़ी में आकर बैठ गई..

सुबोधकांत ने गाड़ी भगा दी.. काले कांच वाली खिड़कियों से बाहर से कोई उन्हें देख नहीं सकता था.. रेणुका की नजर सब से पहले सुबोधकांत की कलाई पर बंधी गोल्डन राडो घड़ी पर गई.. अब उसे शीला की बात पर यकीन हो गया.. सुबोधकांत ही कॉकटेल था.. !!! उसे याद आ गया की किस तरह उसने और शीला ने मिलकर उसका लंड चूसा था.. और कॉकटेल ने उसके बबलों का दबा दबाकर कचूमर निकाल दिया था..

सुबोधकांत का ध्यान आगे सड़क पर था तब रेणुका ने अपने टॉप में हाथ डालकर.. स्तन बाहर निकाले और सुबोधकांत की और देखकर कहा "हैलो, मिस्टर कॉकटेल.. !!"

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सुबोधकांत ने चकराकर रेणुका की और देखा और एकदम से ब्रेक मार दी.. पीछे आ रही गाड़ी वाले ने सुबोधकांत की माँ को संबोधित करते हुए एक गाली दी और फिर ओवरटेक करते हुए आगे चला गया..

सुबोधकांत को दिन में तारे नजर आने लगे.. बेचारे पहली गेंद पर ही क्लीन बोल्ड हो गए.. !! वो सोचने लगे.. उस होटल से पकड़े जाने पर.. अखबार में मेरा नाम क्या आ गया.. रेणुका को पता भी चल गया.. !! वो तो ठीक है पर उसे मेरा नकली नाम कैसे पता चला?? अखबार वालों ने वो तो नहीं छापा था..!!

असमंजस में डूबे हुए सुबोधकांत की सारी शंकाओं का समाधान कर दिया रेणुका ने..

"मुझे राजेश ने बताया.. की आप भी थे उस दिन पार्टी में.. मुझे और शीला को ऐसा सब पसंद नहीं है इसलिए मदन और राजेश किसी और को लेकर वहाँ आए थे.. और आप भी वहाँ थे.. दूसरे दिन राजेश ने मुझे बताया की उन्होंने वहाँ खूब मजे किए और आपने भी बहोत इन्जॉय किया था" अपनी हकीकत छुपाते हुए आधा सच बताया रेणुका ने

सुबोधकांत सोच रहे थे.. लगता है रेणुका को पुलिस की रैड के बारे में पता नहीं है शायद...!!

सुबोधकांत ने रेणुका की जांघ पर हाथ फेरते हुए कहा "रेणुका जी.. राजेश एक नंबर का बेवकूफ है.. घर पर ही इतनी नशीली आइटम हो तो फिर बाहर मुंह मारने की क्या जरूरत.. !! वैसे अगर आपको एतराज न हो तो क्या मैं आपको एक किस कर सकता हूँ??" रेणुका के मस्त स्तन की गुलाबी निप्पल को देखकर लार टपकाते हुए उसने कहा

रेणुका: "मुझे एतराज है.. मैं क्यों करने दु आपको किस??"

सुबोधकांत: "तो फिर मुझे मिलने क्यों बुलाया?? और यहाँ गाड़ी में इस तरह आपके बूब्स खोलकर बैठने का मैं क्या मतलब समझूँ???"

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रेणुका: "मतलब?? जो भी आँखों के सामने नजर आए उन सारी चीजों पर आपका हक हो गया??" रेणुका भी सुबोधकांत के मजे ले रही थी

सुबोधकांत: "वो आप जो भी समझें.. आप कार में मेरे साथ इतनी नजदीक बैठी हो.. और आपका थोड़ा सा प्रसाद भी मुझे नसीब न हो तो कैसे चलेगा.. !! वैसे आपको बता दूँ.. मैंने मेरी लाइफ में किसी के साथ भी जबरदस्ती नहीं की है.. जरूरत ही नहीं पड़ी.. जो प्यार से नहीं मिला वो मैंने खरीद कर हासिल कर लिया है.. और पैसे देकर न मिले उसे मैंने गिफ्ट्स देकर मना लिया.. अब आप बताइए.. आपको कौन सा ट्रांजेक्शन ज्यादा पसंद है??"

सुबोधकांत की सीधी बात से रेणुका इंप्रेस हो गई.. वैसे औरत को हासिल करने के कितने सारे तरीके होते है.. !! प्यार से.. कीमत चुकाकर.. धोखा देकर.. तारिफ करके.. झूठी कसमें खाकर.. विश्वास जीतकर.. महंगी गिफ्ट देकर.. वगैरह वगैरह..

रेणुका की नजर अपनी गोल्डन घड़ी पर बार बार जाते हुए देख.. सुबोधकांत को गलतफहमी हुई.. उसने अपनी घड़ी उतारकर रेणुका को देते हुए कहा "लीजिए रेणुकाजी, मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट.. !!"

रेणुका की जांघ पर घड़ी रखते हुए सुबोधकांत ने जांघों को दबा दिया.. और फिर उनका हाथ दोनों जांघों के बीच घुसने लगा..

एक बार के लिए रेणुका सकते में पड़ गई.. बार बार घड़ी की तरफ तांकने का गलत मतलब समझे थे सुबोधकांत.. पर अभी वो किसी भी तरह की सफाई देने के मूड में नहीं थी

रेणुका: "मैं आपकी जेन्ट्स घड़ी क्यों पहनु? दे देकर आपने कैसी गिफ्ट दी एक महिला को?"

सुबोधकांत: "अगर मुझे पहले से पता होता तो बढ़िया सी गिफ्ट लेकर आता आपके लिए.. आपके जैसी सुंदर महिलाओ को गिफ्ट देना का मुझे बड़ा शौक है.. वैसे आप कब से मेरी घड़ी की तरफ देख रही थी तो मुझे लगा आपको पसंद आ गई होगी.. इसलिए.. अगर पसंद न हो तो आप रिजेक्ट कर सकती हो.. !!"

रेणुका: "नहीं नहीं.. गिफ्ट का अस्वीकार करके मैं आपका अपमान नहीं करूंगी.. मुझे आपकी भेंट कुबूल है.. " कहते हुए रेणुका ने शरारती अंदाज में उस घड़ी को अपने दोनों स्तनों के बीच की खाई में डाल दिया..

सुबोधकांत: "अगली बार जब मैं आपके लिए गिफ्ट ले कर आऊँगा.. तब आपकी इस खास जेब में अपने हाथों से गिफ्ट रखूँगा"

सुनकर रेणुका शरमा गई..

रेणुका: "जरूर.. मैं मना नहीं करूंगी"

सुबोधकांत: "कब से आप सिर्फ बूब्स के ही दर्शन करवा रही हो.. नीचे वाले खजाने को क्यों छुपा रखा है??"

रेणुका: "यहाँ खुली सड़क पर कपड़े उतारने में डर लग रहा है.. "

सुबोधकांत ने रेणुका की सीट के नीचे के लिवर को खींचा.. और पूरी सीट फ्लेट हो गई.. एकदम सीधी.. बिस्तर की तरह.. और सीट के साथ रेणुका भी अचानक से लेट गई..

सुबोधकांत: "अब कोई नहीं देखेगा.. "

रेणुका ने अपनी साड़ी और पेटीकोट जांघों तक उठा लिया.. और जानबूझकर भारी सांसें लेने लगी..

सुबोधकांत: "आह्ह.. जबरदस्त है आपके बूब्स.. और ये गोरी जांघें.. देखकर मज़ा आ गया.. जरा पेन्टी भी नीचे सरका दीजिए तो और मज़ा आएगा"

रेणुका: "अभी नहीं.. नेक्स्ट टाइम.. अभी तो किसिंग-प्रेसींग के अलावा और कुछ नहीं" कहते हुए रेणुका ने सीट का लीवर खींचकर सीट को पूर्ववत कर दिया.. और दोनों स्तनों को वापिस टॉप के अंदर डाल डीईए

सुबोधकांत: "यार, तड़पा क्यों रही है.. थोड़ी देर और देख लेने देती.. मैं हाथ भी नहीं लगाऊँगा"

रेणुका: "प्लीज सुबोधकांत जी.. फिर मैं अपना कंट्रोल खो बैठूँगी तो यहीं पर सबकुछ करना पड़ेगा.. और अभी ये पोसीबल नहीं है.. इसलिए मना कर रही हूँ.. वरना मेरी खुद भी बहोत इच्छा है"

सुबोधकांत ने रेणुका को कंधे से पकड़कर खींचा और उसके होंठों पर जोरदार किस कर दिया.. रेणुका का पूरा शरीर गरम हो गया


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अचानक रेणुका का हाथ सुबोधकांत के लंड पर चला गया और वह अपनी हथेली से उसे दबाने लगी.. देखते ही देखते पेंट के अंदर लंड एकदम सख्त हो गया.. इतना सख्त की उसे पेंट के अंदर बंद रखना मुश्किल हो रहा था..

रेणुका: "ओह्ह.. कितना हार्ड हो गया ये तो.. एक बार बाहर तो निकालो इसे.. बेचारे का दम घूंट जाएगा अंदर!!"

बिना एक सेकंड गँवाए सुबोधकांत ने अपनी चैन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया..

सुबोधकांत: "तसल्ली से देख लीजिए.. और बताइए.. कैसा लगा?? राजेश के लंड से तो मोटा ही है !!" रेणुका के कंधे से होते हुए उन्हों ने उसके स्तन को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया.. स्तन को दबाते हुए उनका लंड झटके खाने लगा

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रेणुका ने स्माइल देते हुए कहा "आप दबा यहाँ रहे हो और असर यहाँ हो रहा है"

सुबोधकांत: "यही तो है इसके सख्त होने का कारण.. !!"

रेणुका अब उत्तेजित हो गई थी.. उसने सामने से सुबोधकांत को चूमते हुए कहा "सुबोधकांत जी, अभी तो हम कार में है.. इसलिए ज्यादा कुछ करना मुमकिन नहीं होगा.. देर भी हो रही है.. आप मुझे वापिस पेट्रोल-पंप पर छोड़ दीजिए.. आपको मैं घर पर बुलाऊँगी जब राजेश टूर पर हो तब.. फिर तसल्ली से करेंगे दोनों.. !!"

सुबोधकांत: "वो तो ठीक है रेणु.. पर क्या तुम अभी मेरे लंड को एक किस भी नहीं दोगी?? जिस तरह मुझे समझा रही हो.. वैसे ही इसे भी समझा दो ताकि यह शांत होकर बैठ जाए.. और कब तक ये "आप-आप" कहती रहोगी??"

रेणुका ने झुककर सुबोधकांत के लंड के टोपे को चूम लिया.. सिर्फ चूमने से उसका दिल नहीं भरा.. सुने लंड को जड़ से पकड़कर एक झटके में.. मुंह के अंदर ले लिए.. उसका पूरा मुंह सुबोधकांत के तगड़े लंड से भर गया.. उस गरम लोडे को रेणुका ने तेजी से चूसना शुरू कर दिया..



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सुबोधकांत सिसकने लगे "यार, तुम बिल्कुल उसी तरह चूसती हो जिस तरह उस पार्टी में मेरी पार्टनर चूस रही थी.. आह्ह... ओह्ह.. रेणु मेरी जान.. मस्त चूसती है यार तू" कहते हुए सुबोधकांत के लंड ने लस्सेदार वीर्य रेणुका के मुंह में छोड़ दिया.. उसका पूरा मुंह वीर्य से भर गया.. वीर्य का विचित्र स्वाद रेणुका को पसंद तो नहीं था.. पर नया लंड चूत के अंदर लेने का मौका मिलेगा इसी आशा में वह सारा वीर्य निगल गई.. और लंड को ऐसे चूसा की जब मुंह से बाहर निकाला तब उसे साफ करने की जरूरत ही न रही.. ऐसे साफ कर दिया चूस कर..


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सुबोधकांत ने यू-टर्न लिया और वापिस पेट्रोल पंप के पास आकर गाड़ी रोक दी.. गाड़ी से उतरकर.. बगैर पीछे देखे.. रेणुका अपना एक्टिवा लेकर घर भागी.. घर पहुंचकर उसने सब से पहला काम.. सुबोधकांत की दी हुई घड़ी को छुपाने का किया.. और फिर बेडरूम मे जाकर लेट गई.. और बड़े ही आराम से, सुबोधकांत के तगड़े लंड को याद करते हुए.. उंगली करते करते झड़ गई.. !!

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झड़ने के बाद रेणुका की धड़कनें कुछ शांत हुई.. उसने शीला को फोन लगाया और सारी बात बताई.. सिवाय उस घड़ी वाली गिफ्ट के.. शीला और रेणुका के बीच काफी घनिष्ठ मित्रता हो गई थी.. राजेश और मदन की तरह..
Garam update
Magar vo dildo wali kon thi
 

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अचानक शीला की नजर सुबोधकांत की गोल्डन केस वाली राडो घड़ी पर गई.. और ध्यान से देखते ही उसकी सांसें थम गई.. !!!

याद आते ही बेहद चोंक गई शीला.. अरे बाप रे... ये तो कॉकटेल है.. !! बिल्कुल यही घड़ी कॉकटेल ने भी पहन रखी थी.. ध्यान से देखने पर सुबोधकांत का शरीर, बोल-चाल सब कुछ कॉकटेल से मेल खा रहा था.. उसका लंड भी जाना-पहचाना सा क्यों लग रहा था वो अब पता चला शीला को.. सुबोधकांत के घर के गराज में एक बार चूस चुकी थी उनका लंड.. इसीलिए जब होटल में वह लंड दोबारा देखा तब हल्की सी भनक तो लगी थी पर याद नहीं आ रहा था.. !! शीला के पूरे बदन में झनझनाहट से छा गई.. हाँ, वो कॉकटेल ही था.. जिसका लंड मैंने और रेणुका दोनों ने दिल खोल कर चूसा था.. हे भगवान.. कहीं सुबोधकांत ने हमें पहचान तो नहीं लिया होगा.. !!!

मदन को वहीं बैठा छोड़कर शीला घबराकर घर वापिस आ गई..

घर पहुंचकर सब से पहला काम उसने रेणुका को फोन करने का किया

रेणुका: "हाँ बोल शीला.. !!"

शीला: "यार एक जबरदस्त भांडा फूटा है आज तो.. !!"

रेणुका: "यार शीला.. जब से तू मेरी ज़िंदगी में आई है तब से रोज कुछ न कुछ धमाकेदार हो रहा है मेरे साथ.. अब क्या हुआ, ये भी बता दे"

शीला: "यार वो कॉकटेल था ना.. होटल में तेरा पार्टनर.. !!"

रेणुका: "हाँ, वो मस्त मोटे लंड वाला.. पार्टनर मेरा था और सब से ज्यादा तूने ही उसका लंड चूसा था.. !!"

शीला: "पता है वो कौन था??? मौसम का बाप, सुबोधकांत.. !!!!"

रेणुका: "क्या............!!!!!! क्या बक रही है तू??? जानती हूँ की तुझे उनसे चुदवाने की बड़ी ही चूल थी.. सगाई वाले दिन भी तू फ्लर्ट कर रही थी उनसे.. पर उसका मतलब ये नहीं की तू उनका नाम ऐसे जोड़ दे.. !! कुछ भी मत बोल"

शीला: "देख रेणुका.. अभी मदन आता ही होगा.. इसलिए लंबी बात नहीं हो सकती.. ये तो चांस मिला इसलिए मैंने तुझे बता दिया.. !!"

रेणुका: "पर तुझे ये पता कैसे चला.. ये तो बता.. !!!!"

शीला: "यार, एक बेड न्यूज़ है.. तुझे बताना ही भूल गई.. मौसम के साथ तरुण ने सगाई तोड़ दी है.. मौसम बहोत डिस्टर्ब थी तो कुछ दिनों के लिए यहाँ कविता के घर रहने चली आई है"

रेणुका: "हाँ, मुझे राजेश ने कुछ देर पहले बताया... बहुत बुरा हुआ उस बेचारी के साथ"

शीला: "मौसम को छोड़ने उसके पापा सुबोधकांत आए थे.. और तभी मेरा ध्यान उनकी घड़ी पर गया.. याद है.. !! कॉकटेल ने वो महंगी वाली घड़ी पहन रखी थी.. !! गोल्डन चैन वाली.. !!"

रेणुका: "हाँ बड़े अच्छे से याद है.. !!"

शीला: "बस, वही घड़ी मैंने सुबोधकांत की कलाई पर देखी"

रेणुका: "पागलों जैसी बात मत कर.. ऐसी एक ही घड़ी थोड़ी नआ होगी पूरी दुनिया मैं.. !!"

शीला: "अरे पगली.. घड़ी तो सिर्फ कड़ी थी.. फिर मैंने उनके शरीर के दिलडॉल, त्वचा का रंग.. आवाज.. सब मिलाकर देखा.. सुबोधकांत ही कॉकटेल है.. मुझे तो पक्का यकीन है"

रेणुका: "ओके बाबा.. चल रखती हूँ फोन"

शीला: "ओके बाय.. !!"

फोन काटकर शीला किचन में प्लेटफ़ॉर्म के आगे अपनी चूत खुजाते हुए सुबोधकांत के लंड को याद करने लगी.. जैसे शरीर के अंगों से उन्हें पहचान लिया.. वैसे हो सकता है की सुबोधकांत ने भी उसे पहचान लिया हो.. !! और कुछ याद रहे न रहे.. पर एक बार जिसने शीला के खुले हुए बबले देखें हो.. मरते दम तक नहीं भूल सकता..!!

इस तरफ रेणुका, शीला का फोन काटते ही, गहरी सोच मे पड़ गई.. थोड़ा सा विचार करने के बाद उसने सीधा सुबोधकांत को फोन लगाया.. सगाई के दौरान उसने घर के बाहर गार्डन में बातें करते हुए उनका नंबर लिया था

रेणुका: "हैलो... पहचाना.. ??"

सुबोधकांत: "हम्म..म..म..म..म..म.. सॉरी.. आवाज सुनी सुनी सी लगती है.. पर याद नहीं आ रहा.. वैसे इतना कह सकता हूँ की बड़ी सुरीली आवाज है आपकी.. "

रेणुका शरमाकर बोली "ओह थेंकस.. रेणुका बोल रही हूँ.. मुझे पता चला की आप शहर में आए हुए हो.. मुझे आपसे अर्जेंट मिलना था.. सिर्फ दस मिनट के लिए"

सुबोधकांत: "दस मिनट क्यों.. !! पूरा दिन आपके साथ गुजारने के लिए तैयार हूँ.. बस आपको राजेश को संभालना होगा.. आप के साथ सिर्फ दस मिनट गुजारने पर थोड़े ही मेरा मन भरेगा.. !!"

रेणुका ने हंसकर कहा "क्या आप भी.. पहले दस मिनट के लिए तो मिलिये.. फिर पूरा दिन साथ बिताने की प्लानिंग करेंगे.. !!"

सुबोधकांत: "सिर्फ दस मिनट में कुछ मज़ा आएगा नहीं.. वैसे मैं आपकी ऑफिस वाली सड़क से ही गुजर रहा हूँ.. अगर मिलना हो तो अभी मिल सकते है"

रेणुका: "क्या सच में.. !! ओके.. एक काम कीजिए.. उसी सड़क पर आगे एक पेट्रोल-पंप है.. वहाँ से टर्न लेकर बगल वाली सड़क पर आप मेरा इंतज़ार कीजिए.. मैं वहाँ पहुँच रही हूँ.. वैसे मैं आप से पहले पहुँच जाऊँगी"

रेणुका ने फटाफट कपड़े बदले.. और कार की चाबी लेकर बाहर निकली.. तभी उसे अंदाजा हुआ की इस वक्त बहोत ट्राफिक होगा और उतना समय था नहीं.. इसलिए फिर वह अपना एक्टिवा लेकर निकल गई

पंप पर पहुंचकर वो एक्टिवा में पेट्रोल भरवा रही थी.. तभी सुबोधकांत अपनी लंबी गाड़ी लेकर वहाँ पहुंचे.. रेणुका ने एक्टिवा बगल वाले कॉम्प्लेक्स के बाहर पार्क कर दिया.. और चुपचाप गाड़ी में आकर बैठ गई..

सुबोधकांत ने गाड़ी भगा दी.. काले कांच वाली खिड़कियों से बाहर से कोई उन्हें देख नहीं सकता था.. रेणुका की नजर सब से पहले सुबोधकांत की कलाई पर बंधी गोल्डन राडो घड़ी पर गई.. अब उसे शीला की बात पर यकीन हो गया.. सुबोधकांत ही कॉकटेल था.. !!! उसे याद आ गया की किस तरह उसने और शीला ने मिलकर उसका लंड चूसा था.. और कॉकटेल ने उसके बबलों का दबा दबाकर कचूमर निकाल दिया था..

सुबोधकांत का ध्यान आगे सड़क पर था तब रेणुका ने अपने टॉप में हाथ डालकर.. स्तन बाहर निकाले और सुबोधकांत की और देखकर कहा "हैलो, मिस्टर कॉकटेल.. !!"

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सुबोधकांत को दिन में तारे नजर आने लगे.. बेचारे पहली गेंद पर ही क्लीन बोल्ड हो गए.. !! वो सोचने लगे.. उस होटल से पकड़े जाने पर.. अखबार में मेरा नाम क्या आ गया.. रेणुका को पता भी चल गया.. !! वो तो ठीक है पर उसे मेरा नकली नाम कैसे पता चला?? अखबार वालों ने वो तो नहीं छापा था..!!

असमंजस में डूबे हुए सुबोधकांत की सारी शंकाओं का समाधान कर दिया रेणुका ने..

"मुझे राजेश ने बताया.. की आप भी थे उस दिन पार्टी में.. मुझे और शीला को ऐसा सब पसंद नहीं है इसलिए मदन और राजेश किसी और को लेकर वहाँ आए थे.. और आप भी वहाँ थे.. दूसरे दिन राजेश ने मुझे बताया की उन्होंने वहाँ खूब मजे किए और आपने भी बहोत इन्जॉय किया था" अपनी हकीकत छुपाते हुए आधा सच बताया रेणुका ने

सुबोधकांत सोच रहे थे.. लगता है रेणुका को पुलिस की रैड के बारे में पता नहीं है शायद...!!

सुबोधकांत ने रेणुका की जांघ पर हाथ फेरते हुए कहा "रेणुका जी.. राजेश एक नंबर का बेवकूफ है.. घर पर ही इतनी नशीली आइटम हो तो फिर बाहर मुंह मारने की क्या जरूरत.. !! वैसे अगर आपको एतराज न हो तो क्या मैं आपको एक किस कर सकता हूँ??" रेणुका के मस्त स्तन की गुलाबी निप्पल को देखकर लार टपकाते हुए उसने कहा

रेणुका: "मुझे एतराज है.. मैं क्यों करने दु आपको किस??"

सुबोधकांत: "तो फिर मुझे मिलने क्यों बुलाया?? और यहाँ गाड़ी में इस तरह आपके बूब्स खोलकर बैठने का मैं क्या मतलब समझूँ???"

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रेणुका: "मतलब?? जो भी आँखों के सामने नजर आए उन सारी चीजों पर आपका हक हो गया??" रेणुका भी सुबोधकांत के मजे ले रही थी

सुबोधकांत: "वो आप जो भी समझें.. आप कार में मेरे साथ इतनी नजदीक बैठी हो.. और आपका थोड़ा सा प्रसाद भी मुझे नसीब न हो तो कैसे चलेगा.. !! वैसे आपको बता दूँ.. मैंने मेरी लाइफ में किसी के साथ भी जबरदस्ती नहीं की है.. जरूरत ही नहीं पड़ी.. जो प्यार से नहीं मिला वो मैंने खरीद कर हासिल कर लिया है.. और पैसे देकर न मिले उसे मैंने गिफ्ट्स देकर मना लिया.. अब आप बताइए.. आपको कौन सा ट्रांजेक्शन ज्यादा पसंद है??"

सुबोधकांत की सीधी बात से रेणुका इंप्रेस हो गई.. वैसे औरत को हासिल करने के कितने सारे तरीके होते है.. !! प्यार से.. कीमत चुकाकर.. धोखा देकर.. तारिफ करके.. झूठी कसमें खाकर.. विश्वास जीतकर.. महंगी गिफ्ट देकर.. वगैरह वगैरह..

रेणुका की नजर अपनी गोल्डन घड़ी पर बार बार जाते हुए देख.. सुबोधकांत को गलतफहमी हुई.. उसने अपनी घड़ी उतारकर रेणुका को देते हुए कहा "लीजिए रेणुकाजी, मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट.. !!"

रेणुका की जांघ पर घड़ी रखते हुए सुबोधकांत ने जांघों को दबा दिया.. और फिर उनका हाथ दोनों जांघों के बीच घुसने लगा..

एक बार के लिए रेणुका सकते में पड़ गई.. बार बार घड़ी की तरफ तांकने का गलत मतलब समझे थे सुबोधकांत.. पर अभी वो किसी भी तरह की सफाई देने के मूड में नहीं थी

रेणुका: "मैं आपकी जेन्ट्स घड़ी क्यों पहनु? दे देकर आपने कैसी गिफ्ट दी एक महिला को?"

सुबोधकांत: "अगर मुझे पहले से पता होता तो बढ़िया सी गिफ्ट लेकर आता आपके लिए.. आपके जैसी सुंदर महिलाओ को गिफ्ट देना का मुझे बड़ा शौक है.. वैसे आप कब से मेरी घड़ी की तरफ देख रही थी तो मुझे लगा आपको पसंद आ गई होगी.. इसलिए.. अगर पसंद न हो तो आप रिजेक्ट कर सकती हो.. !!"

रेणुका: "नहीं नहीं.. गिफ्ट का अस्वीकार करके मैं आपका अपमान नहीं करूंगी.. मुझे आपकी भेंट कुबूल है.. " कहते हुए रेणुका ने शरारती अंदाज में उस घड़ी को अपने दोनों स्तनों के बीच की खाई में डाल दिया..

सुबोधकांत: "अगली बार जब मैं आपके लिए गिफ्ट ले कर आऊँगा.. तब आपकी इस खास जेब में अपने हाथों से गिफ्ट रखूँगा"

सुनकर रेणुका शरमा गई..

रेणुका: "जरूर.. मैं मना नहीं करूंगी"

सुबोधकांत: "कब से आप सिर्फ बूब्स के ही दर्शन करवा रही हो.. नीचे वाले खजाने को क्यों छुपा रखा है??"

रेणुका: "यहाँ खुली सड़क पर कपड़े उतारने में डर लग रहा है.. "

सुबोधकांत ने रेणुका की सीट के नीचे के लिवर को खींचा.. और पूरी सीट फ्लेट हो गई.. एकदम सीधी.. बिस्तर की तरह.. और सीट के साथ रेणुका भी अचानक से लेट गई..

सुबोधकांत: "अब कोई नहीं देखेगा.. "

रेणुका ने अपनी साड़ी और पेटीकोट जांघों तक उठा लिया.. और जानबूझकर भारी सांसें लेने लगी..

सुबोधकांत: "आह्ह.. जबरदस्त है आपके बूब्स.. और ये गोरी जांघें.. देखकर मज़ा आ गया.. जरा पेन्टी भी नीचे सरका दीजिए तो और मज़ा आएगा"

रेणुका: "अभी नहीं.. नेक्स्ट टाइम.. अभी तो किसिंग-प्रेसींग के अलावा और कुछ नहीं" कहते हुए रेणुका ने सीट का लीवर खींचकर सीट को पूर्ववत कर दिया.. और दोनों स्तनों को वापिस टॉप के अंदर डाल डीईए

सुबोधकांत: "यार, तड़पा क्यों रही है.. थोड़ी देर और देख लेने देती.. मैं हाथ भी नहीं लगाऊँगा"

रेणुका: "प्लीज सुबोधकांत जी.. फिर मैं अपना कंट्रोल खो बैठूँगी तो यहीं पर सबकुछ करना पड़ेगा.. और अभी ये पोसीबल नहीं है.. इसलिए मना कर रही हूँ.. वरना मेरी खुद भी बहोत इच्छा है"

सुबोधकांत ने रेणुका को कंधे से पकड़कर खींचा और उसके होंठों पर जोरदार किस कर दिया.. रेणुका का पूरा शरीर गरम हो गया


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अचानक रेणुका का हाथ सुबोधकांत के लंड पर चला गया और वह अपनी हथेली से उसे दबाने लगी.. देखते ही देखते पेंट के अंदर लंड एकदम सख्त हो गया.. इतना सख्त की उसे पेंट के अंदर बंद रखना मुश्किल हो रहा था..

रेणुका: "ओह्ह.. कितना हार्ड हो गया ये तो.. एक बार बाहर तो निकालो इसे.. बेचारे का दम घूंट जाएगा अंदर!!"

बिना एक सेकंड गँवाए सुबोधकांत ने अपनी चैन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया..

सुबोधकांत: "तसल्ली से देख लीजिए.. और बताइए.. कैसा लगा?? राजेश के लंड से तो मोटा ही है !!" रेणुका के कंधे से होते हुए उन्हों ने उसके स्तन को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया.. स्तन को दबाते हुए उनका लंड झटके खाने लगा

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रेणुका ने स्माइल देते हुए कहा "आप दबा यहाँ रहे हो और असर यहाँ हो रहा है"

सुबोधकांत: "यही तो है इसके सख्त होने का कारण.. !!"

रेणुका अब उत्तेजित हो गई थी.. उसने सामने से सुबोधकांत को चूमते हुए कहा "सुबोधकांत जी, अभी तो हम कार में है.. इसलिए ज्यादा कुछ करना मुमकिन नहीं होगा.. देर भी हो रही है.. आप मुझे वापिस पेट्रोल-पंप पर छोड़ दीजिए.. आपको मैं घर पर बुलाऊँगी जब राजेश टूर पर हो तब.. फिर तसल्ली से करेंगे दोनों.. !!"

सुबोधकांत: "वो तो ठीक है रेणु.. पर क्या तुम अभी मेरे लंड को एक किस भी नहीं दोगी?? जिस तरह मुझे समझा रही हो.. वैसे ही इसे भी समझा दो ताकि यह शांत होकर बैठ जाए.. और कब तक ये "आप-आप" कहती रहोगी??"

रेणुका ने झुककर सुबोधकांत के लंड के टोपे को चूम लिया.. सिर्फ चूमने से उसका दिल नहीं भरा.. सुने लंड को जड़ से पकड़कर एक झटके में.. मुंह के अंदर ले लिए.. उसका पूरा मुंह सुबोधकांत के तगड़े लंड से भर गया.. उस गरम लोडे को रेणुका ने तेजी से चूसना शुरू कर दिया..



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सुबोधकांत सिसकने लगे "यार, तुम बिल्कुल उसी तरह चूसती हो जिस तरह उस पार्टी में मेरी पार्टनर चूस रही थी.. आह्ह... ओह्ह.. रेणु मेरी जान.. मस्त चूसती है यार तू" कहते हुए सुबोधकांत के लंड ने लस्सेदार वीर्य रेणुका के मुंह में छोड़ दिया.. उसका पूरा मुंह वीर्य से भर गया.. वीर्य का विचित्र स्वाद रेणुका को पसंद तो नहीं था.. पर नया लंड चूत के अंदर लेने का मौका मिलेगा इसी आशा में वह सारा वीर्य निगल गई.. और लंड को ऐसे चूसा की जब मुंह से बाहर निकाला तब उसे साफ करने की जरूरत ही न रही.. ऐसे साफ कर दिया चूस कर..


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सुबोधकांत ने यू-टर्न लिया और वापिस पेट्रोल पंप के पास आकर गाड़ी रोक दी.. गाड़ी से उतरकर.. बगैर पीछे देखे.. रेणुका अपना एक्टिवा लेकर घर भागी.. घर पहुंचकर उसने सब से पहला काम.. सुबोधकांत की दी हुई घड़ी को छुपाने का किया.. और फिर बेडरूम मे जाकर लेट गई.. और बड़े ही आराम से, सुबोधकांत के तगड़े लंड को याद करते हुए.. उंगली करते करते झड़ गई.. !!

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झड़ने के बाद रेणुका की धड़कनें कुछ शांत हुई.. उसने शीला को फोन लगाया और सारी बात बताई.. सिवाय उस घड़ी वाली गिफ्ट के.. शीला और रेणुका के बीच काफी घनिष्ठ मित्रता हो गई थी.. राजेश और मदन की तरह..
शानदार अपडेट
 

Bittoo

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अचानक शीला की नजर सुबोधकांत की गोल्डन केस वाली राडो घड़ी पर गई.. और ध्यान से देखते ही उसकी सांसें थम गई.. !!!

याद आते ही बेहद चोंक गई शीला.. अरे बाप रे... ये तो कॉकटेल है.. !! बिल्कुल यही घड़ी कॉकटेल ने भी पहन रखी थी.. ध्यान से देखने पर सुबोधकांत का शरीर, बोल-चाल सब कुछ कॉकटेल से मेल खा रहा था.. उसका लंड भी जाना-पहचाना सा क्यों लग रहा था वो अब पता चला शीला को.. सुबोधकांत के घर के गराज में एक बार चूस चुकी थी उनका लंड.. इसीलिए जब होटल में वह लंड दोबारा देखा तब हल्की सी भनक तो लगी थी पर याद नहीं आ रहा था.. !! शीला के पूरे बदन में झनझनाहट से छा गई.. हाँ, वो कॉकटेल ही था.. जिसका लंड मैंने और रेणुका दोनों ने दिल खोल कर चूसा था.. हे भगवान.. कहीं सुबोधकांत ने हमें पहचान तो नहीं लिया होगा.. !!!

मदन को वहीं बैठा छोड़कर शीला घबराकर घर वापिस आ गई..

घर पहुंचकर सब से पहला काम उसने रेणुका को फोन करने का किया

रेणुका: "हाँ बोल शीला.. !!"

शीला: "यार एक जबरदस्त भांडा फूटा है आज तो.. !!"

रेणुका: "यार शीला.. जब से तू मेरी ज़िंदगी में आई है तब से रोज कुछ न कुछ धमाकेदार हो रहा है मेरे साथ.. अब क्या हुआ, ये भी बता दे"

शीला: "यार वो कॉकटेल था ना.. होटल में तेरा पार्टनर.. !!"

रेणुका: "हाँ, वो मस्त मोटे लंड वाला.. पार्टनर मेरा था और सब से ज्यादा तूने ही उसका लंड चूसा था.. !!"

शीला: "पता है वो कौन था??? मौसम का बाप, सुबोधकांत.. !!!!"

रेणुका: "क्या............!!!!!! क्या बक रही है तू??? जानती हूँ की तुझे उनसे चुदवाने की बड़ी ही चूल थी.. सगाई वाले दिन भी तू फ्लर्ट कर रही थी उनसे.. पर उसका मतलब ये नहीं की तू उनका नाम ऐसे जोड़ दे.. !! कुछ भी मत बोल"

शीला: "देख रेणुका.. अभी मदन आता ही होगा.. इसलिए लंबी बात नहीं हो सकती.. ये तो चांस मिला इसलिए मैंने तुझे बता दिया.. !!"

रेणुका: "पर तुझे ये पता कैसे चला.. ये तो बता.. !!!!"

शीला: "यार, एक बेड न्यूज़ है.. तुझे बताना ही भूल गई.. मौसम के साथ तरुण ने सगाई तोड़ दी है.. मौसम बहोत डिस्टर्ब थी तो कुछ दिनों के लिए यहाँ कविता के घर रहने चली आई है"

रेणुका: "हाँ, मुझे राजेश ने कुछ देर पहले बताया... बहुत बुरा हुआ उस बेचारी के साथ"

शीला: "मौसम को छोड़ने उसके पापा सुबोधकांत आए थे.. और तभी मेरा ध्यान उनकी घड़ी पर गया.. याद है.. !! कॉकटेल ने वो महंगी वाली घड़ी पहन रखी थी.. !! गोल्डन चैन वाली.. !!"

रेणुका: "हाँ बड़े अच्छे से याद है.. !!"

शीला: "बस, वही घड़ी मैंने सुबोधकांत की कलाई पर देखी"

रेणुका: "पागलों जैसी बात मत कर.. ऐसी एक ही घड़ी थोड़ी नआ होगी पूरी दुनिया मैं.. !!"

शीला: "अरे पगली.. घड़ी तो सिर्फ कड़ी थी.. फिर मैंने उनके शरीर के दिलडॉल, त्वचा का रंग.. आवाज.. सब मिलाकर देखा.. सुबोधकांत ही कॉकटेल है.. मुझे तो पक्का यकीन है"

रेणुका: "ओके बाबा.. चल रखती हूँ फोन"

शीला: "ओके बाय.. !!"

फोन काटकर शीला किचन में प्लेटफ़ॉर्म के आगे अपनी चूत खुजाते हुए सुबोधकांत के लंड को याद करने लगी.. जैसे शरीर के अंगों से उन्हें पहचान लिया.. वैसे हो सकता है की सुबोधकांत ने भी उसे पहचान लिया हो.. !! और कुछ याद रहे न रहे.. पर एक बार जिसने शीला के खुले हुए बबले देखें हो.. मरते दम तक नहीं भूल सकता..!!

इस तरफ रेणुका, शीला का फोन काटते ही, गहरी सोच मे पड़ गई.. थोड़ा सा विचार करने के बाद उसने सीधा सुबोधकांत को फोन लगाया.. सगाई के दौरान उसने घर के बाहर गार्डन में बातें करते हुए उनका नंबर लिया था

रेणुका: "हैलो... पहचाना.. ??"

सुबोधकांत: "हम्म..म..म..म..म..म.. सॉरी.. आवाज सुनी सुनी सी लगती है.. पर याद नहीं आ रहा.. वैसे इतना कह सकता हूँ की बड़ी सुरीली आवाज है आपकी.. "

रेणुका शरमाकर बोली "ओह थेंकस.. रेणुका बोल रही हूँ.. मुझे पता चला की आप शहर में आए हुए हो.. मुझे आपसे अर्जेंट मिलना था.. सिर्फ दस मिनट के लिए"

सुबोधकांत: "दस मिनट क्यों.. !! पूरा दिन आपके साथ गुजारने के लिए तैयार हूँ.. बस आपको राजेश को संभालना होगा.. आप के साथ सिर्फ दस मिनट गुजारने पर थोड़े ही मेरा मन भरेगा.. !!"

रेणुका ने हंसकर कहा "क्या आप भी.. पहले दस मिनट के लिए तो मिलिये.. फिर पूरा दिन साथ बिताने की प्लानिंग करेंगे.. !!"

सुबोधकांत: "सिर्फ दस मिनट में कुछ मज़ा आएगा नहीं.. वैसे मैं आपकी ऑफिस वाली सड़क से ही गुजर रहा हूँ.. अगर मिलना हो तो अभी मिल सकते है"

रेणुका: "क्या सच में.. !! ओके.. एक काम कीजिए.. उसी सड़क पर आगे एक पेट्रोल-पंप है.. वहाँ से टर्न लेकर बगल वाली सड़क पर आप मेरा इंतज़ार कीजिए.. मैं वहाँ पहुँच रही हूँ.. वैसे मैं आप से पहले पहुँच जाऊँगी"

रेणुका ने फटाफट कपड़े बदले.. और कार की चाबी लेकर बाहर निकली.. तभी उसे अंदाजा हुआ की इस वक्त बहोत ट्राफिक होगा और उतना समय था नहीं.. इसलिए फिर वह अपना एक्टिवा लेकर निकल गई

पंप पर पहुंचकर वो एक्टिवा में पेट्रोल भरवा रही थी.. तभी सुबोधकांत अपनी लंबी गाड़ी लेकर वहाँ पहुंचे.. रेणुका ने एक्टिवा बगल वाले कॉम्प्लेक्स के बाहर पार्क कर दिया.. और चुपचाप गाड़ी में आकर बैठ गई..

सुबोधकांत ने गाड़ी भगा दी.. काले कांच वाली खिड़कियों से बाहर से कोई उन्हें देख नहीं सकता था.. रेणुका की नजर सब से पहले सुबोधकांत की कलाई पर बंधी गोल्डन राडो घड़ी पर गई.. अब उसे शीला की बात पर यकीन हो गया.. सुबोधकांत ही कॉकटेल था.. !!! उसे याद आ गया की किस तरह उसने और शीला ने मिलकर उसका लंड चूसा था.. और कॉकटेल ने उसके बबलों का दबा दबाकर कचूमर निकाल दिया था..

सुबोधकांत का ध्यान आगे सड़क पर था तब रेणुका ने अपने टॉप में हाथ डालकर.. स्तन बाहर निकाले और सुबोधकांत की और देखकर कहा "हैलो, मिस्टर कॉकटेल.. !!"

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सुबोधकांत ने चकराकर रेणुका की और देखा और एकदम से ब्रेक मार दी.. पीछे आ रही गाड़ी वाले ने सुबोधकांत की माँ को संबोधित करते हुए एक गाली दी और फिर ओवरटेक करते हुए आगे चला गया..

सुबोधकांत को दिन में तारे नजर आने लगे.. बेचारे पहली गेंद पर ही क्लीन बोल्ड हो गए.. !! वो सोचने लगे.. उस होटल से पकड़े जाने पर.. अखबार में मेरा नाम क्या आ गया.. रेणुका को पता भी चल गया.. !! वो तो ठीक है पर उसे मेरा नकली नाम कैसे पता चला?? अखबार वालों ने वो तो नहीं छापा था..!!

असमंजस में डूबे हुए सुबोधकांत की सारी शंकाओं का समाधान कर दिया रेणुका ने..

"मुझे राजेश ने बताया.. की आप भी थे उस दिन पार्टी में.. मुझे और शीला को ऐसा सब पसंद नहीं है इसलिए मदन और राजेश किसी और को लेकर वहाँ आए थे.. और आप भी वहाँ थे.. दूसरे दिन राजेश ने मुझे बताया की उन्होंने वहाँ खूब मजे किए और आपने भी बहोत इन्जॉय किया था" अपनी हकीकत छुपाते हुए आधा सच बताया रेणुका ने

सुबोधकांत सोच रहे थे.. लगता है रेणुका को पुलिस की रैड के बारे में पता नहीं है शायद...!!

सुबोधकांत ने रेणुका की जांघ पर हाथ फेरते हुए कहा "रेणुका जी.. राजेश एक नंबर का बेवकूफ है.. घर पर ही इतनी नशीली आइटम हो तो फिर बाहर मुंह मारने की क्या जरूरत.. !! वैसे अगर आपको एतराज न हो तो क्या मैं आपको एक किस कर सकता हूँ??" रेणुका के मस्त स्तन की गुलाबी निप्पल को देखकर लार टपकाते हुए उसने कहा

रेणुका: "मुझे एतराज है.. मैं क्यों करने दु आपको किस??"

सुबोधकांत: "तो फिर मुझे मिलने क्यों बुलाया?? और यहाँ गाड़ी में इस तरह आपके बूब्स खोलकर बैठने का मैं क्या मतलब समझूँ???"

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रेणुका: "मतलब?? जो भी आँखों के सामने नजर आए उन सारी चीजों पर आपका हक हो गया??" रेणुका भी सुबोधकांत के मजे ले रही थी

सुबोधकांत: "वो आप जो भी समझें.. आप कार में मेरे साथ इतनी नजदीक बैठी हो.. और आपका थोड़ा सा प्रसाद भी मुझे नसीब न हो तो कैसे चलेगा.. !! वैसे आपको बता दूँ.. मैंने मेरी लाइफ में किसी के साथ भी जबरदस्ती नहीं की है.. जरूरत ही नहीं पड़ी.. जो प्यार से नहीं मिला वो मैंने खरीद कर हासिल कर लिया है.. और पैसे देकर न मिले उसे मैंने गिफ्ट्स देकर मना लिया.. अब आप बताइए.. आपको कौन सा ट्रांजेक्शन ज्यादा पसंद है??"

सुबोधकांत की सीधी बात से रेणुका इंप्रेस हो गई.. वैसे औरत को हासिल करने के कितने सारे तरीके होते है.. !! प्यार से.. कीमत चुकाकर.. धोखा देकर.. तारिफ करके.. झूठी कसमें खाकर.. विश्वास जीतकर.. महंगी गिफ्ट देकर.. वगैरह वगैरह..

रेणुका की नजर अपनी गोल्डन घड़ी पर बार बार जाते हुए देख.. सुबोधकांत को गलतफहमी हुई.. उसने अपनी घड़ी उतारकर रेणुका को देते हुए कहा "लीजिए रेणुकाजी, मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट.. !!"

रेणुका की जांघ पर घड़ी रखते हुए सुबोधकांत ने जांघों को दबा दिया.. और फिर उनका हाथ दोनों जांघों के बीच घुसने लगा..

एक बार के लिए रेणुका सकते में पड़ गई.. बार बार घड़ी की तरफ तांकने का गलत मतलब समझे थे सुबोधकांत.. पर अभी वो किसी भी तरह की सफाई देने के मूड में नहीं थी

रेणुका: "मैं आपकी जेन्ट्स घड़ी क्यों पहनु? दे देकर आपने कैसी गिफ्ट दी एक महिला को?"

सुबोधकांत: "अगर मुझे पहले से पता होता तो बढ़िया सी गिफ्ट लेकर आता आपके लिए.. आपके जैसी सुंदर महिलाओ को गिफ्ट देना का मुझे बड़ा शौक है.. वैसे आप कब से मेरी घड़ी की तरफ देख रही थी तो मुझे लगा आपको पसंद आ गई होगी.. इसलिए.. अगर पसंद न हो तो आप रिजेक्ट कर सकती हो.. !!"

रेणुका: "नहीं नहीं.. गिफ्ट का अस्वीकार करके मैं आपका अपमान नहीं करूंगी.. मुझे आपकी भेंट कुबूल है.. " कहते हुए रेणुका ने शरारती अंदाज में उस घड़ी को अपने दोनों स्तनों के बीच की खाई में डाल दिया..

सुबोधकांत: "अगली बार जब मैं आपके लिए गिफ्ट ले कर आऊँगा.. तब आपकी इस खास जेब में अपने हाथों से गिफ्ट रखूँगा"

सुनकर रेणुका शरमा गई..

रेणुका: "जरूर.. मैं मना नहीं करूंगी"

सुबोधकांत: "कब से आप सिर्फ बूब्स के ही दर्शन करवा रही हो.. नीचे वाले खजाने को क्यों छुपा रखा है??"

रेणुका: "यहाँ खुली सड़क पर कपड़े उतारने में डर लग रहा है.. "

सुबोधकांत ने रेणुका की सीट के नीचे के लिवर को खींचा.. और पूरी सीट फ्लेट हो गई.. एकदम सीधी.. बिस्तर की तरह.. और सीट के साथ रेणुका भी अचानक से लेट गई..

सुबोधकांत: "अब कोई नहीं देखेगा.. "

रेणुका ने अपनी साड़ी और पेटीकोट जांघों तक उठा लिया.. और जानबूझकर भारी सांसें लेने लगी..

सुबोधकांत: "आह्ह.. जबरदस्त है आपके बूब्स.. और ये गोरी जांघें.. देखकर मज़ा आ गया.. जरा पेन्टी भी नीचे सरका दीजिए तो और मज़ा आएगा"

रेणुका: "अभी नहीं.. नेक्स्ट टाइम.. अभी तो किसिंग-प्रेसींग के अलावा और कुछ नहीं" कहते हुए रेणुका ने सीट का लीवर खींचकर सीट को पूर्ववत कर दिया.. और दोनों स्तनों को वापिस टॉप के अंदर डाल डीईए

सुबोधकांत: "यार, तड़पा क्यों रही है.. थोड़ी देर और देख लेने देती.. मैं हाथ भी नहीं लगाऊँगा"

रेणुका: "प्लीज सुबोधकांत जी.. फिर मैं अपना कंट्रोल खो बैठूँगी तो यहीं पर सबकुछ करना पड़ेगा.. और अभी ये पोसीबल नहीं है.. इसलिए मना कर रही हूँ.. वरना मेरी खुद भी बहोत इच्छा है"

सुबोधकांत ने रेणुका को कंधे से पकड़कर खींचा और उसके होंठों पर जोरदार किस कर दिया.. रेणुका का पूरा शरीर गरम हो गया


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अचानक रेणुका का हाथ सुबोधकांत के लंड पर चला गया और वह अपनी हथेली से उसे दबाने लगी.. देखते ही देखते पेंट के अंदर लंड एकदम सख्त हो गया.. इतना सख्त की उसे पेंट के अंदर बंद रखना मुश्किल हो रहा था..

रेणुका: "ओह्ह.. कितना हार्ड हो गया ये तो.. एक बार बाहर तो निकालो इसे.. बेचारे का दम घूंट जाएगा अंदर!!"

बिना एक सेकंड गँवाए सुबोधकांत ने अपनी चैन खोलकर लंड बाहर निकाल दिया..

सुबोधकांत: "तसल्ली से देख लीजिए.. और बताइए.. कैसा लगा?? राजेश के लंड से तो मोटा ही है !!" रेणुका के कंधे से होते हुए उन्हों ने उसके स्तन को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया.. स्तन को दबाते हुए उनका लंड झटके खाने लगा

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रेणुका ने स्माइल देते हुए कहा "आप दबा यहाँ रहे हो और असर यहाँ हो रहा है"

सुबोधकांत: "यही तो है इसके सख्त होने का कारण.. !!"

रेणुका अब उत्तेजित हो गई थी.. उसने सामने से सुबोधकांत को चूमते हुए कहा "सुबोधकांत जी, अभी तो हम कार में है.. इसलिए ज्यादा कुछ करना मुमकिन नहीं होगा.. देर भी हो रही है.. आप मुझे वापिस पेट्रोल-पंप पर छोड़ दीजिए.. आपको मैं घर पर बुलाऊँगी जब राजेश टूर पर हो तब.. फिर तसल्ली से करेंगे दोनों.. !!"

सुबोधकांत: "वो तो ठीक है रेणु.. पर क्या तुम अभी मेरे लंड को एक किस भी नहीं दोगी?? जिस तरह मुझे समझा रही हो.. वैसे ही इसे भी समझा दो ताकि यह शांत होकर बैठ जाए.. और कब तक ये "आप-आप" कहती रहोगी??"

रेणुका ने झुककर सुबोधकांत के लंड के टोपे को चूम लिया.. सिर्फ चूमने से उसका दिल नहीं भरा.. सुने लंड को जड़ से पकड़कर एक झटके में.. मुंह के अंदर ले लिए.. उसका पूरा मुंह सुबोधकांत के तगड़े लंड से भर गया.. उस गरम लोडे को रेणुका ने तेजी से चूसना शुरू कर दिया..



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सुबोधकांत सिसकने लगे "यार, तुम बिल्कुल उसी तरह चूसती हो जिस तरह उस पार्टी में मेरी पार्टनर चूस रही थी.. आह्ह... ओह्ह.. रेणु मेरी जान.. मस्त चूसती है यार तू" कहते हुए सुबोधकांत के लंड ने लस्सेदार वीर्य रेणुका के मुंह में छोड़ दिया.. उसका पूरा मुंह वीर्य से भर गया.. वीर्य का विचित्र स्वाद रेणुका को पसंद तो नहीं था.. पर नया लंड चूत के अंदर लेने का मौका मिलेगा इसी आशा में वह सारा वीर्य निगल गई.. और लंड को ऐसे चूसा की जब मुंह से बाहर निकाला तब उसे साफ करने की जरूरत ही न रही.. ऐसे साफ कर दिया चूस कर..


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सुबोधकांत ने यू-टर्न लिया और वापिस पेट्रोल पंप के पास आकर गाड़ी रोक दी.. गाड़ी से उतरकर.. बगैर पीछे देखे.. रेणुका अपना एक्टिवा लेकर घर भागी.. घर पहुंचकर उसने सब से पहला काम.. सुबोधकांत की दी हुई घड़ी को छुपाने का किया.. और फिर बेडरूम मे जाकर लेट गई.. और बड़े ही आराम से, सुबोधकांत के तगड़े लंड को याद करते हुए.. उंगली करते करते झड़ गई.. !!

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झड़ने के बाद रेणुका की धड़कनें कुछ शांत हुई.. उसने शीला को फोन लगाया और सारी बात बताई.. सिवाय उस घड़ी वाली गिफ्ट के.. शीला और रेणुका के बीच काफी घनिष्ठ मित्रता हो गई थी.. राजेश और मदन की तरह..
क्या बात है। नये खुलासे। अब और खुल कर सब खेलेंगे 👌👌
 

Premkumar65

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कमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!

अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागो... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"

पुलिस...!!!! तीन अक्षर का यह शब्द.. इंसान को हमेशा से डराता आया है.. !!

बाप रे... !!! पुलिस... !!!! मर गए... !!! अब कल के अखबार में.. फ़ोटो के साथ नाम आना तय हो चुका था.. !! सब की गांड फटकर फ्लावर हो रही थी..

हाथ से अपना सर पटकते हुए मदन ने कहा "माँ चुद गई यार.. हम तो घर पर झूठ बोलकर निकले थे.. अब क्या होगा..??? !!"

घबरा रहें कॉकटेल ने कहा "मैंने भी घर पर झूठ बोला है की एक पुराने दोस्त की मृत्यु हो गई है और उसकी अंतिम क्रिया में शामिल होने जा रहा हूँ " पहली बार सब ने कॉकटेल को बोलते हुए सुना.. आवाज जानी पहचानी जरूर लग रही थी.. पर अभी किसी का ध्यान उस ओर गया ही नहीं.. !!

"पुलिस की रैड है.. आप सब लोग अपने अपने कमरे में चले जाइए.. " काफी डरे हुए हेमंत ने कहा.. सब अपने कपड़े ढूँढने लगे.. जिसके हाथ में जो आया वो लेकर अपना शरीर छुपाते हुए.. सब अपने अपने कमरे की ओर भागे.. !!

जल्दबाजी में.. राजेश के कमरे में स्टेफी के बदले रेणुका चली गई.. और स्टेफी कॉकटेल के सामने वाले कमरे में.. उसके साथ घुस गई.. हेमंत और बार्बी अपने कमरे में दुबक कर बैठ गए.. !!

यह कोई अफवाह नहीं थी.. सचमुच पुलिस की रैड पड़ी थी.. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था.. रात के एक बजे पुलिस ने किसी अनजान खबर पर एक्शन लिया और इस बहोत बड़े सेक्स रैकिट का पर्दाफाश कर दिया था.. ज्यादातर सदस्य काफी अमीर और बड़ी बड़ी पहचान वाले थे.. उन सब को यकीन था की वह अपने पैसे के दम पर.. या किसी न किसी की सिफारिश के जोर पर बच जाएंगे.. पर दो ही दिन पहले प्रमोट हुए इंस्पेक्टर खान ने किसी की एक न सुनी.. वो हर कमरे में खुद जाकर तलाशी ले रहे थे.. जिन लोगों ने अपने फर्जी नाम बताकर रूम बुक किए थे.. उन सब को थाने ले जाने का आदेश दिया था इंस्पेकटर ने.. एक के बाद एक कपल.. चुपचाप पुलिस की वैन में बैठने लगे.. ईमानदार इन्स्पेक्टर के आगे.. ना पैसों की गर्मी चली और ना ही किसी की सिफारिश.. !!

होटल के प्रत्येक कमरे में जाकर इन्स्पेक्टर सब की पूछताछ कर रहे थे.. उसके साथ चार कॉन्स्टेबल भी थे.. शीला और मदन के कमरे के दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. शीला ने इशारे से मदन को बाथरूम में छुप जाने को कहा.. और अपने उत्तेजक शर्ट और मेक्सी की बिना परवाह किए.. मास्क उतारकर.. बड़ी ही बेफिक्री से दरवाजा खोला

"हैलो मैडम.. मेरा नाम इन्स्पेक्टर खान है.. यह एक तहकीकात है.. और आपको हमें सहकार देना होगा"

"आइए सर.. !!" शीला ने जग से पानी भरकर ग्लास इन्स्पेक्टर को देते हुए कहा "बैठिए ना.. !! वैसे बात क्या है?? और इतनी रात गए आप लोग क्यों आए है?? और आप किस प्रकार के सहकार की बात कर रहे है?"

इन्स्पेक्टर: "देखिए मैडम.. बात दरअसल यह है की... !!"

शीला: "जी, मेरा नाम शीला है.. !!"

इन्स्पेक्टर: "थेंकस मिसिस शीला.. आप ये बताइए.. की आप किसके साथ यहाँ रूम में ठहरी हुई है?"

शीला: "जी, मेरे पति के साथ.. हम और हमारे दोस्त.. मिसिस रेणुका और राजेश.. जो बगल के कमरे में ठहरे हुए है.. हम लोग घूमने निकले थे.. पर वापिस आते वक्त हमें मजबूरन यहाँ रुकना पड़ा.. !!"

इन्स्पेक्टर: "ओह अच्छा.. तो कहाँ है आप के पति?"

शीला: "जी, वो टॉइलेट में है... अभी आ जाएंगे.. दरअसल उन्हें होटल का खाना राज नहीं आता.. इसलिए उन्हें लूज मोशन हो गए है"

उस दौरान शीला ने बड़ी ही चतुराई से रेणुका को कॉल कर.. फोन टेबल पर ही छोड़ दिया.. ताकि रेणुका, उसकी और इन्स्पेक्टर की बातें सुन ले.. और फिर बात करने में कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए

शीला: "सर आपको एतराज न हो तो मैं हमारे दोस्त रेणुका और राजेश को भी यही बुला लूँ?? ताकि आप पूछताछ कर सकें और तसल्ली हो जाए.. आप का समय भी बच जाएगा"

इन्स्पेक्टर: "सॉरी मैडम.. पर ये देखिए.. होटल के रजिस्टर में यह कमरा किसी मिस्टर मेक के नाम से बुक किया गया है"

शीला: "सर, इस बारे में तो मुझे कुछ नहीं पता.. हम तो एक घंटे पहले ही यहाँ पहुंचे है.. और अभी तक हमने चेक-इन की विधि भी नहीं की है.. क्यों की मेरे पति को इतने लूज मोशन हो रहे थे.. की यह सब कार्यवाही का समय ही नहीं था.. वैसे भी रात के बारह बजे थे.. इसलिए हमने सोचा की रजिस्ट्रेशन हम सुबह कर लेंगे.. !!!"

बाहर हो रही बातचीत सुनकर.. मदन को वाकई में पतले दस्त हो गए.. अंदर से आ रही पैखाने की गरजदार आवाज़ें सुनकर.. इन्स्पेक्टर को भी विश्वास हो गया शीला की बातों पर.. कोई इंसान झूठ बोल सकता है.. पर लूज मोशन्स की आवाज़े निकालना मुमकिन नहीं है.. इन्स्पेक्टर की नजरें कब से शीला की मादक क्लीवेज पर चिपक गई थी..

इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. आपके पति ठीक से रिलेक्स हो जाए तब तक हम आपके दोस्तों की पूछताछ कर लेते है.. "

शीला: "जी जरूर सर.. वो मेरी सहेली रेणुका.. पुलिस को देखकर बहोत डर जाती है.. आप समझ सकते हो सर.. !!"

इन्स्पेक्टर: "कोई बात नहीं.. चलिए.. हम उनके रूम में चलते है"

शीला: "सर, अगर उन दोनों को यहीं बुला ले तो?? क्या है की मेरे पति की तबीयत के चलते.. मेरा यहाँ रहना जरूरी है..!! इस तरह.. आपकी पूछताछ भी हो जाएगी.. और मेरे पति को किसी चीज की जरूरत पड़ी तो मैं संभाल भी सकूँगी.. !!"

इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. बुलाइए उन दोनों को इधर.. !!"

पुलिस का नाम सुनते ही.. मदन को सच में लूज मोशन हो गए.. उसका दिमाग सुन्न हो गया था.. कुछ सूझ नहीं रहा था.. एक साथ सेंकड़ों सवाल दिमाग में घूमने लगे थे.. उन सब सवालों में.. सब से बड़ा सवाल था.. शीला यहाँ पहुंची कैसे????

इंस्पेक्टर खान ने हवालदार को इशारा करते ही वो दूसरे कमरे से रेणुका और राजेश को बुला लाया.. दोनों बेहद घबराए हुए थे.. इंस्पेक्टर ने एक दो मामूली से सवाल किए जिसके जवाब देने में ही दोनों की फट गई.. तुरंत शीला ने बाजी अपने हाथ में ले ली और मामले को संभाल लिया.. उस दौरान मदन भी टॉइलेट से बाहर निकल आया.. उसके चेहरे का नूर गायब हो चुका था..

एक रात मजे करने की कितनी बड़ी किंमत चुकानी पड़ रही थी.. !!

थोड़े और सवाल करने के बाद.. इन्स्पेक्टर ने चारों के आइडेंटिटी प्रूफ मांगें.. चेक करने पर उन्हें तसल्ली हो गई की वह वाकई पति पत्नी ही थे..

इन्स्पेक्टर: "आप सब को डिस्टर्ब करने के लिए माफी चाहता हूँ.. पर आप समझ सकते है की यह हमारी जिम्मेदारी का हिस्सा है.. " फिर मदन की ओर मुड़कर उन्हों ने कहा "मिस्टर, आप तुरंत किसी डॉक्टर को ढूंढकर दवाई ले लीजिए.. फूड-पॉइजन का मामला हो सकता है..!!"

इन्स्पेक्टर के जाते ही सब को ऐसा महसूस हुआ जैसे छाती पर से एक टन का वज़न कम हो गया हो..!! राजेश और मदन तो रेणुका-शीला से नजरें तक नहीं मिला पा रहे थे.. चारों गुमसुम थे..

आखिर माहोल को स्वाभाविक बनाने के लिए.. शीला ने टेबल से पैकेट उठाकर सिगरेट जलाई.. और एक कश खींचकर सिगरेट रेणुका के हाथों में थमा दी.. मदन और राजेश की सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई थी.. जैसे पुलिस थाने में उन्हें रिमांड पर लिया गया हो और इंस्पेक्टर थर्ड डिग्री आजमाने की तैयारी में हो.. कुछ ऐसा ही माहोल था..

मदन और राजेश, अपनी बीवियों को पराये मर्दों से चुदते हुए देखने के बावजूद कुछ बोल पाने की स्थिति में न थे.. क्यों की आज अगर शीला और रेणुका यहाँ नहीं होती तो क्या होता.. यह सोचकर ही दोनों कांप उठते थे..!!

अब सारा टेंशन दूर हो चुका था.. पर फिर भी मदन और राजेश बहोत घबराए हुए थे.. पुलिस का टेंशन खत्म हो चुका था.. पर अब बीवियों की अदालत में दोनों की पेशी होने वाली थी..

शीला चलते चलते मदन के सामने खड़ी होकर उसे देखती रही.. बेहद प्रभावशाली लग रही थी शीला.. अभी भी उसने वो गोल्डन शर्ट, बिना ब्रा के पहन रखा था.. जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे.. जिसमें से उसकी नशीली क्लीवेज की झलक नजर आ रहा थी..

शीला: "क्यों राजेश?? तुझे अपने दोस्त की बीवी को नंगा देखने का बड़ा मन था ना.. !!!"

राजेश ने नजरें झुका दी.. वो किसी भी तरह की सफाई देने की स्थिति में न था.. उसने शीला के बारे में जो भी इच्छाएं मदन के सामने जताई थी.. वो सब शीला और रेणुका सुन चुके थे..!! शीला के चमकीले सुनहरे शर्ट के दो खुले बटन से झलक रहे स्तनों के उभार.. और तेज ए.सी. की ठंडी हवा के कारण शर्ट के महीन कपड़े से उभरी हुई निप्पल का नजारा देखते हुए राजेश का गला सूख रहा था.. वो उभार.. वो जोबन.. वो कातिल हुस्न.. नज़ारे को और मादक बनाते हुए शीला ने अपना एक पैर बेड के ऊपर रखकर.. अपनी मेक्सी को जांघों तक उठाए रखा था.. उसका गोरा चमकता हुए घुटना भी बड़ा ही आकर्षक लग रहा था.. सफेद संगेमर्मरी जांघें.. ऐसा नजारा था की देखने वाला सिर्फ उसकी जांघों की सिलवटों पर अपना सुपाड़ा रगड़कर ही अपना पानी गिरा सकता था


SHILA

शीला का अर्ध-नग्न बदन अच्छे-अच्छों का खून गरम करने के लिए काफी था.. दो बड़े बड़े वक्षों वाली.. कामुक मादक गदराई औरत... बेफिक्री से सिगरेट फूंकते हुए धुएं के छल्ले बना रही थी.. अद्भुत द्रश्य था.. !! शीला के शर्ट को ध्यान से देखने पर.. वो शर्ट कई जगह से फटा नजर आ रहा था.. सूखे हुए वीर्य के कई धब्बे भी उसपर मौजूद थे.. पार्टी में एक साथ २०-२५ लोगों ने मिलकर उसे रौंदा था.. यह पूरा नजारा देखकर.. राजेश का लंड उसके बरमूडा में हरकत करने लगा.. और उसकी चड्डी में.. सब की नज़रों के सामने ही उभार बनाने लगा.. ऐसी गंभीर स्थिति में भी अपने लंड को नाचते देखकर राजेश को गुस्सा आ रहा था.. वो मन ही मन अपने लंड को कोस रहा था.. साले, तेरे चक्कर में आज इज्जत की मैया चुद जाती.. बाल बाल बचे है.. अब तो शांति से बैठ, मेरे भाई.. !!!

शीला ने रेणुका की ओर देखकर इशारा किया.. दोनों बिना कुछ कहें, उठ खड़े हुए.. और बगल के कमरे में जाकर सो गए.. राजेश और मदन एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे.. दोनों में से किसी को पता नहीं था की उन दोनों ने ऐसा क्यों किया... !!

सर पर हाथ रखकर मदन ने कहा "यार राजेश, मुसीबत खतम होने का नाम ही नहीं ले रही है.. !!"

राजेश का चेहरा भी बासी बासुंदी जैसा हो गया था.. दोनों बैठे बैठे अपनी किस्मत और अपने लंड को गालियां दे रहे थे..

दूसरे कमरे में...

रेणुका: "मुझे समझ नहीं आया शीला, आखिर तुमने वहाँ से निकल जाने के लिए क्यों कहा?? पतियों की अदला-बदली कर चुदवाने का मस्त मौका था यार.. !!

शीला; "नहीं... आज नहीं.. आज तो उन दोनों घोंचूओ को उदास ही पड़े रहने दे.. हम दोनों है ना.. !! एक दूसरे से खेलकर अपनी प्यास बुझा लेंगे आज की रात.. पर वो दोनों क्या करेंगे?? तड़पने दे सालों को.. !!!"

रेणुका: "बाप रे शीला.. बड़ी जालिम है रे तू.. पता है..!! ये तेरे बबले देखकर, राजेश का लंड खड़ा हो गया था.. !!"

शीला: "हाँ, देखा था मैंने.. पर तब अगर मैं उस लंड के मजे लेने जाती.. तो वो दोनों भी मूड में आ जाते.. मैं चाहती हूँ की सिर्फ एक रात के लिए उन दोनों को अपराधभाव से पीड़ित होने दु.. घर जाकर भी आसानी से नहीं मानना है.. एक एक पल तड़पाना है.. ऐसा करना है की वो दोनों हमारे पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाएं.. भीख मांगें.. ऐसा करने से हमारा पक्ष मजबूत होगा.. और फिर हम अपनी मनमानी कर सकेंगे"

शीला और रेणुका बेड पर लेटे लेटे सिगरेट फूँक रही थी.. और साथ ही साथ, एक दूसरे के स्तनों से खेलते हुए बातें कर रही थी.. शीला का शर्ट नीचे कर उसका स्तन बाहर निकालकर.. उसकी निप्पल चूसते हुए रेणुका ने पूछा

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रेणुका: "अरे शीला.. उस रबर के लंड वाली औरत का क्या हुआ होगा फिर??"

शीला: "अरे हाँ यार.. वो तो अपनी कोई लेस्बियन साथी को लेकर आई थी ना.. चल उसे ढूंढते है.. !!"

रेणुका: "अरे यार.. इतनी रात को कहाँ ढूँढेंगे?? एक एक कमरे पर जाकर दस्तक तो नहीं दे सकते है ना..!! और हमारे हक के दो दो लंड बगल के कमरे में पड़े है.. तब उस रबर के लंड से चुदवाने में क्या फायदा??

शीला: "तू चिंता मत कर.. हम दोनों बिना लंड के भी मजे करेंगे.. वैसे भी आज रात हमने कितने लंड देख लिए.. चूस लिए.. और खेल भी लिए.. मुझे थोड़ी जिज्ञासा इस लिए हो रही है क्यों की वो हेमंत कह रहा था की वो रबर के लंड वाली विकृत और काफी आक्रामक है.. देखें तो सही.. वो क्या चीज है.. कुछ नया देखने और जानने को मिलेगा.. चल.. चलते है"

रेणुका: "शीला, मुझे चलने में कोई दिक्कत नहीं है.. मैं बस यही कह रही हूँ की रात के तीन बजे किसी का दरवाजा खटखटाना मुनासिब होगा?"

शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.. चल कपड़े पहन ले.. "

अब रेणुका के पास, शीला के साथ जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था.. उसने तुरंत कपड़े पहन लीये.. और तैयार हो गई..

दोनों कमरे से बाहर निकलें.. रात के तीन बज रहे थे और पूरी लॉबी में नीरव शांति थी.. चार पाँच कमरों के दरवाजे खटखटाते हुए आखिर वह दोनों अपनी मंजिल पर पहुँच ही गई..

दरवाजा खोलने वाली उस औरत ने जल्दबाजी में गाउन पहन लिया था.. और उस पारदर्शी गाउन से रबर का लंड साफ नजर आ रहा था..

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शीला को तो वो देखते ही पहचान गई.. बिना किसी संकोच या औपचारिकता के शीला कमरे के अंदर घुस गई.. रेणुका को अपने पीछे खींचते हुए..!!

फिर तीन बजे से पाँच बजे तक.. चारों औरतों ने मिलकर.. उस रबर के लंड से भरपूर चुदाई कर उसकी धज्जियां उड़ा दी.. अपने भोसड़ों की आग बुझाकर.. रेणुका और शीला चुपचाप कमरे में वापिस लौट आई.. शीला के साहस के कारण रेणुका को इस अनूठे अनुभव का आनंद मिला था और इसलिए अब वह शीला के गहरे प्रभाव के तले दब चुकी थी..

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पूरी रात की इन गतिविधियों के बाद रेणुका बेड पर लेटकर आराम करने जा ही रही थी की तब शीला ने उसका हाथ पकड़कर कहा

शीला: "चल रेणु.. मदन और राजेश के जागने से पहले हमें होटल छोड़ देनी है.. हम उनके साथ बात भी नहीं करेंगे और उन्हें बताएंगे भी नहीं"

आज की रात के अनुभव के बाद, रेणुका इतना तो जान ही गई थी की शीला की बुद्धि उससे सौ गुना ज्यादा तेज थी.. शीला के साथ निरर्थक बहस करने का कोई मतल नहीं था..

दोनों फटाफट बाथरूम में घुसी.. और एक साथ नहाने लगी.. बाहर निकलकर कपड़े पहने.. और चेक-आउट कर दोनों निकल गई.. मदन और राजेश तब अपने कमरे में खर्राटे लेकर सो रहे थे..

सुबह सात बजे राजेश की आँख खुली.. आँखें मलते हुए जब उसका दिमाग थोड़ा जागृत हुआ.. तब कल की डरावनी यादें ताज़ा हो गई.. !! और वो बेड पर स्प्रिंग की तरह उछल गया.. उसने झकझोर कर मदन को जगाया..

राजेश: "अरे यार मदन.. उठ जा यार.. चल यहाँ से जल्दी निकल जाते है.. मुझे तो यहाँ अब एक पल और रहने में भी डर लग रहा है!!"


मदन तुरंत जाग गया.. दोनों ने कपड़े पहने और बगल वाले कमरे में देखने गए.. वो कमरा खुला था और अंदर कोई नहीं था.. मतलब साफ था.. दोनों निकल चुकी थी.. उदास होकर सामान लेकर दोनों रीसेप्शन पर पहुंचे.. चेक-आउट कर दोनों बाहर निकलें.. गाड़ी में बैठकर दोनों की सांसें तब तक पूर्ववत नहीं हुई जब तक की वो शहर से बाहर नहीं निकल गए..
Sexy update.
 
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