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लिख ही रही हु यहाँWaiting for next update please….
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अब आगे......
अगले दिन से श्रृष्टि की कर्म यात्रा एक बार फिर सुचारू हो गई। श्रृष्टि का एक मात्र लक्ष्य था कैसे भी करके अपूर्ण रह गए काम को चार दिन से पहले खत्म कर लिया जाएं। जिसमें उसके सहयोगी भरपूर साथ दे रहें थे मगर साक्षी के मन में द्वेष का पर्दा पड़ चुका था।
साक्षी किसी भी कीमत पर अपूर्ण रह गए काम को पूर्ण होने से रोकना चाहती थीं। और वो भी कम से कम 5 दिन जो श्रुष्टि ने राघव सर को कामिट किया था! इसलिए कभी वो कमरे की लाइट बंद कर देती थी जो की एक बचकाना हरकत थी फ़िर भी कुछ वक्त का नुकसान हों ही जाता था।
कभी वो चाय नाश्ते के बहाने सहयोगियों को बातो में माजा लेती तो कभी जरुरी फाइल कही छुपा देती। जिस वजह से सिर्फ समय की बर्बादी हों रहा था।
जीतना समय श्रृष्टि के हाथ में बच रहा था उतने समय का सदुपयोग करते हुए ओर ज्यादा लगन और रफ़्तार से ख़ुद भी काम कर रहीं थी और सहयोगियों से काम करवा रहीं थीं।
इतनी लगन और रफ़्तार से काम करने का कोई फायदा नहीं हुआ। अंतः साक्षी अपने मकसद में कामियाब हों ही गई। श्रृष्टि को दिए समय से तीन दिन ऊपर हों चुका था। देर होने का जीतना पछतावा श्रृष्टि को हों रहा था उतना ही साक्षी मन ही मन खुश हों रहीं थीं।
बीते एक हफ्ते से राघव रोजाना शाम के चाय के वक्त वहा आता रहा मगर भीतर न जाकर बहार से ही छुप छुप कर श्रृष्टि को देखकर चला जाया करता था। आज फिर शाम के वक्त आया और श्रृष्टि को छुप कर देख रहा था कि सहसा श्रृष्टि को आभास हुआ। द्वार पर कोई हैं।
"द्वार पर कौन हैं।" बोलकर चाय का कप रखा और द्वार की और चल दिया।
अब यहाँ तो सवाल यही उठता है की क्या श्रुष्टि अपने कमिटमेंट को पूरा कर पाएगी ???
अगर हां तो अच्छी बात है श्रुष्टि के लिए
पर अगर ना तो साक्षी पूरी शक्ति से अपने हाथ खोल सकेगी ????????
ऑफिस में सभी काम करते है पर गेम हर कोई खेलता है, सब को अपने अपने तरीके से आगे की ओर बढ़ना है और सभी यही कोशिश करते है श्रुष्टि भी वही करने की कोशिश में है देखते है आगे श्रुष्टि के नसीब में आगे क्या है ????????
जानिये मेरे साथ अगले भाग में
जारी रहेगा…..
जी अज्जू जी आप के विचारो से बिलकुल सहमत हु उस पर और कोई ज्यादा टिपण्णी कर ही नहीं सकताDono hi updates ek se badhkar ke he Funlover Ji,
Maa beti ka rishta dheere dheere do pakki saheliyo ka ban jata he.............jo ek dusre ke sare sukh dukh bina kahe jaan leti he.................
Sakshi jaise logo ke baare me kya hi kahun...............bina mehnat ke galat raste apnakar bahut hi jaldi saflata pane ki chaah hoti he in logo ki.......
Agar safalta mil bhi jaye to apne aap se bada kisi ko nahi samjhte.............par aage chalkar yahi log arsh se farsh ka safar sabse pehle tay karte he.........
Keep rocking Dear
हम तो ऐसी कहानियों के मुरीद हैजी Bittoo जी आपने बिलकुल सही कहा, और शायद इसीलिए मेरे पास पाठक की संख्या बहोत ही कम है और मै ये जानती भी थी जब कहानी शुरू की थी.... या ये कहानी का प्लोट बन रहा था
बस लिखना चाहती थी तो लिख रही हु ............
अब सेक्स कहानी की बात करे तो मै आगे सेक्स कहानी भी लिखूंगी पर शायद मै उसमे उतनी बीभत्सता को उतना उपयोग नहीं करुँगी (या नहीं कर पाउंगी) जैसा आप तौर पे होता है मै एक नारी हु तो जाहिर है की नारी सन्मान के साथ लिखूंगी, और शायद मै ये ग़लतफहमी में भी हु की सेक्स (चुदाई) एक कुदरती प्रक्रिया है और जरुरी भी है लेकिन उस प्रक्रिया में दोनों को आनंद मिलना चाहिए (खास कर नारी को)
और मै ये भी ग़लतफ़हमी में हु की यहाँ मेल डोमिनेशन नहीं पर दोनों बराबर के हक़दार है......... मेरी कहानीमे नारी को अपमानित होते शब्द (या शब्दों) का प्रयोग नहीं होगा (जहा तक हो सके)
तो मुझे लगता है की ऐसी मेरी कहानी में भी मुझे उतने पाठक नहीं मिलेंगे (शायद नारी होना गुनाह है)....... वैसे मै इस कहानीको भी सेक्स का स्वरुप दे सकती थी (जैसे दो सहेली की ओपन बातचीत या कलिग से सम्बन्ध या फिर साक्षी और राघव का सेक्स . पर पता नहीं मेरा मन नहीं मान रहा ( हां शायद कुछ शब्द आपको मिल सकते है जो आम तौर पर बोले जाते है)
लेकिन आपका बहोत बहोत धन्यवाद के आप ये कहानी पढ़ रहे है जहा लोगो की उम्मीदों से विपरीत है
उम्मीद रखती हु की अंत तक बने रहेंगे ................
शुक्रिया बने रहने के लिए ............