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Erotica सोलवां सावन

Shetan

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बारहवीं फुहार

मजा रतजगे का

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मामला एकदम गरम हो गया था। मैंने चंदा का हाथ दबा के कहा, अब खत्म होने वाला है क्या।



मुस्कराकर , उसने मेरे गाल के डिम्पल पे जोर से चिकोटी काट ली और बोला , " जानू अभी तो शुरू हुआ है , जब तक तुझे नंगा न नचाया तब तक , .... "



लेकिन उसकी बात बीच में रह गयी। कुछ हंगामा शुरू हो गया था। पीछे वाले कमरे से कोई पंडित जी से आये थे और बसंती उनके पीछे पड़ी थी।



धोती , लंबा ढीला कुर्ता , माथे पे चन्दन का टीका , गले में माला और एक झोला।



बसंती पीछे पड़ी थी पंडित जी के , " अरे तनी एनकर धोतियाँ उठाय के देखा। "



मैंने चंदा से हलके से पूछा,इ कौन है , और जवाब पूरबी ने दिया ,



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" जरा ध्यान से देखो पता चल जाएगा। "



और सच में उनकी आवाज और हंसी ने सारा राज खोल दिया , कामिनी भाभी थीं , पंडित ,ज्योतिषी बन के आई थीं।



और अपनी किसी ननद का हाथ देख रही थीं , किसी की कुंडली बिचार रही थीं और उसकी सब पोल पट्टी खोल रही थीं।



तब तक उनकी निगाह मेरी ओर पड़ी , और मेरी भाभी ने मुस्कराकर उन्हें बुलाया और बोला ,



" ये मेरी ननद है ,सावन में आई है अपनी ताल पोखरी भरवाने , मेरे साथ। "



कामिनी भाभी को तो बस यही मौक़ा चाहिए था। जैसे ही वो मेरे पास बैठीं , भाभी ने फिर पुछा ,


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" पंडित जी ज़रा ठीक से देखियेगा , इसकी अभी फटी की नहीं और कौन कौन चढ़ेगा इस के ऊपर। "



कामिनी भाभी ने मेरी कलाई कस के पकड़ी और हाथ को खूब ध्यान से देखा , और उनकी आँखों ने जब झाँक के मेरी आँखों में देखा तो मैं समझ गयी आज मेरी पोल पट्टी खुलने वाली है।

कल रात अजय के साथ , आज पहले सुबह गन्ने के खेत में सुनील के साथ , फिर शाम को अमराई में चंदा के साथ , सुनील और रवि दोनों ने मिल कर , हचक हचक कर मेरी ली थी , अभी तक मेरी बुलबुल परपरा रही थी।



मेरी आँखों ने कुछ गुजारिश की और उनकी चुलबुली आँखों ने मांग लिया लेकिन इस बात के साथ की , बच्ची इसकी कीमत वसूलूंगी ,वो भी सूद ब्याज के साथ।



और फिर अपनी तोप उन्होंने मेरी भाभी की ओर मोड़ दी,



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" ये मस्त माल , चिकने गाल तुम्हारी ननद है की भौजाई? ऐसा मस्त जोबन , तुम्हारे तो सारे भैया इसके ऊपर चढ़ाई करेंगे। ये सिर्फ तुम्हारी नहीं सारे गाँव की भौजाई बनेगी। किसी को मना नहीं करेगी , लेकिन और ज्यादा साफ़ पता करने के लिए , मुझे इसका हाथ नहीं पैर देखना होगा तब असली हाल पता चलेगा इसकी ताल तलैया का। "



और जब तक मैं सम्ह्लू सम्ह्लू , ना ना करूँ , बसंती और पूरबी दोनों मेरे ठीक पीछे , घात लगाये , दोनों ने कसके मेरे हाथ जकड के पीछे खींच लिए और अब मैं गिर गयी थी ,हिल भी नहीं सकती थी।



और पंडित बनी कामिनी भाभी लहीम शहीम , उनकी खेली खायी ननदे उनसे पार नहीं पा सकती थीं ,मैं तो नयी बछेड़ी थी ,



जैसे कोई चोदने के लिए टाँगे उठाये , एकदम उसी तरह से , …



मैं छटपटा रही थी ,मचल रही थी ,लेकिन , और सारी भाभियों , ननदों का शोर गूँज रहा था था , पूरा पूरा खोलो।



अपने आप लहंगा सरक के मेरी गोरी गोरी केले के तने ऐसी चिकनी जाँघों तक आ गया था , और गाँव में चड्ढी बनयायिन पहनने का रिवाज तो था नहीं , तो मैंने भी ब्रा पैंटी पहनना छोड़ दिया था।

कामिनी भाभी की उंगलिया ,जिस तरह मेरी खुली,उठी मखमली जाँघों पे रेंग रही थी ,चुभ रही थीं जैसे लग रहा था बिच्छू ने डंक मार दिया। जहरीली मस्ती से मेरी आँखे मुंद रही थीं बिना खोले , जांघे अपने आप फैल रही थीं।



और और , सब भाभियाँ लडकियां चिल्ला रही थीं।

पंडित बनी कामिनी भाभी का हाथ घुटनों से थोड़े आगे जाके रुक गया , और फिर एक झटके में लहंगा उठा के , अपना पूरा सर अंदर डाल के वो झांक रही थी , साथ में उनकी शैतान उँगलियाँ , अब आलमोस्ट मेरी बुलबुल के आसपास और एक झटके में उनकी तरजनी जहाँ ,वहां छू गयी , लगा करेंट जोर से।



पंडित जी ने जैसे लहंगा से सर बाहर निकाला , जोर से हल्ला हुआ , क्या देखा , किससे किससे चुदेगी ये बिन्नो।



थोड़ी देर मुस्कराने के बाद भाभी से वो बोलीं ,एक तो तेरा नंदोई है , …


फिर कुछ रुक कर , कब सब लोग जोर से हल्ला करने लगे तो वो बोली , भों भों।



मतलब जान के भी मेरी भाभी ने पूछा और कहा , पंडित जी मेरी एकलौती ननद है , खुल के बतालेकिन पंडित जी ने फिर एक चौपाया बनने का , डॉगी पोज का इशारा किया और भों भों।


जवाब चंपा भाभी , ( मेरी भाभी की भौजाई ) ने दिया ,


" अरे ई रॉकी , ( भाभी के यहाँ का कुत्ता ) से चुदवाई का "




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मतलब जान के भी मेरी भाभी ने पूछा और कहा , पंडित जी मेरी एकलौती ननद है , खुल के बतालेकिन पंडित जी ने फिर एक चौपाया बनने का , डॉगी पोज का इशारा किया और भों भों।

जवाब चंपा भाभी , ( मेरी भाभी की भौजाई ) ने दिया , " अरे ई रॉकी , ( भाभी के यहाँ का कुत्ता ) से चुदवाई का ".

पंडित जी बनी कामिनी भाभी ने हामी में सर हिलाया और ये भी बोला " ई बहुत जरूरी है , नहीं तो इसके ऊपर एक ग्रह का दोष है उ तबै शांत होगा जब ई कौन कुत्ता से चुदवायेगी। हाँ लेकिन ये सीधे से नहीं मानेगी , जोर जबरदस्ती करनी पड़ेगी। दूसरे , अबकी कातिक में ही जोग है। बस एक बार चुदवा लेगी फिर तो ,"

एक बार फिर चंपा भाभी मैदान में आ गयीं और हाल खुलासा बयान करने लगी ,

" अरे कोई बात नहीं ,दो तीन महीने की बात है। और बस , आँगन में जो चुल्ला लगा है न बस उसी में बाँध देंगे , जैसे बाकी कुतिया बांधते है , सांकल से , फिर तो रॉकी खुदै चाट चुट के इसकी चूत गरम कर देगा ,और एक बार जब उसका लंड घुस के , गाँठ लग गयी बस , फिर छोड़ देंगे उसको , … "

" अरे भाभी तब तो उसको घेररा घेररा के , पूरे घर में , " कजरी बोली।

" अरे घर में काहें पूरे गाँव में , रॉकी की गाँठ एक बार लग जाती है तो घंटे भर से पहले नहीं छूटती। " बसंती , जो भाभी के घर पे नाउन थी उसने जोड़ा।


" अरे एक दो बार ज्यादा दर्द होगा , फिर जहाँ मजा लग गया , फिर तो खुदे निहुर के रॉकी के आगे , " चम्पा भाभी ने मेरा गाल सहलाते बोला और जोड़ा मानलो चुदवाएगी ये कातिक में लकीन चूत तो अभी चटवा लो , उसकी खुरदुरी जीभ से बहुत मजा आएगा। "

और मेरी भाभी भी वो क्यों छोड़ती मौका , चंपा भाभी से बोलीं।

" अरे भाभी , इस बिचारी ने मना किया है , वो तो आई ही है चुदवाने चटवाने , और कातिक में दुबारा आ जाएगी। "

लेकिन तबतक पंडित बनी कामिनी भाभी ने , दुबारा लहंगे में हाथ घुसा दिया था और इस बार उनकी उँगलियों ने मेरी चुनमिया को खुल के सहला दिया।

किसी ने उनसे पूछ लिया , " क्यों पंडित जी , घास फूस है या चिक्कन मैदान। "

" एकदम मक्खन मलाई " और उन्होंने अपनी गदोरी से हलके से मेरी सहेली को दबा दिया।

मैं एकदम पानी पानी हो गयी , गनीमत था उन्होंने हाथ निकाल लिया और बोली ,

" सिंपो सिंपो "

" गदहा , अरे पंडित जी , इसकी गली के बाहर ही तो ८ -१० बंधे रहते हैं , मैंने तो देखा भी है इसको ,उनसे नैन मटक्का करते। "

दो चार भाभियों ने एक साथ मेरी भाभी को सराहा , ' बिन्नो बड़ी ताकत है तेरी ननद में , कुत्ता गदहा सब का ,… "

तब तक पंडित जी ने लहंगा थोड़ा और ऊपर सरका दिया , बस बित्ते भर मुश्किल से ऊपर सरकता तो खजाना दिख जाता , और अबकी न सिर्फ उनकी गदोरी जोर जोर से मेरी बुलबुल को सहला रही थी साथ में उनके अंगूठे ने क्लिट को जोर से दबा दिया।

बड़ी मुश्किल से मैं सिसकी रोकी।

और पंडित बनी कामिनी भाभी ने हाथ हटा दिया। उधर पीछे से बसंती और पूरबी ने भी मेरा हाथ छोड़ दिया। किसी तरह लहंगे को ठीक करती मैं बैठी।

और अब पंडित जी मेरी पूरी भविष्यवाणी बिचार रहे थे।

चम्पा भाभी से वो 'बोल रहे ' थे --

" अरे यहाँ तो ई तुम्हारे देवरों का मन रखेगी , लेकिन अपने मायके पहुँच के ( मेरी भाभी की ओर इशारा करके ) सबसे ज्यादा तो इनके देवर का भी मन रखेगी ,बिना नागा।"

" मतलब यहां इनकी भौजाई , और वहां देवरानी बनेगी " चम्पा भाभी और बाकी भाभियाँ हँसते खिलखिलाते बोलीं।

मेरी पता नहीं कब तक कामिनी भाभी रगड़ाई करती लेकिन एक भाभी ने , उन्हें पूरबी की ओर उकसा दिया।

" अरे पंडित जी तानी एकर पत्रा बिचारा , फागुन में ई ससुरे गयी गौने के बाद , और सावन लग गया अबहीं तक गाभिन नहीं हुयी। "

पंडित बनी कामिनी भाभी ने उसका आँचर एक झटके में हटा दिया , ( और अबकी पूरबी की दोनों कलाइयां मेंरे हाथ में थीं ) , थोड़ी देर पेट सहलाया और फिर एक झटके में हाथ पेटीकोट के अंदर।

हम सब समझ रहे थे की कामिनी भाभी का हाथ अंदर क्या कर रहा है , खूब शोर हो रहा था , पूरबी मजे ले रही थी लेकिन पैर पटक रही थी।

चार पांच मिनट खूब मजे लेने के बाद ' पंडित जी ' ने हाथ बाहर निकाला , और बड़ा सीरियस चेहरा बना के बोलीं ,

" बहुत मुश्किल है , कौनो योग नहीं लग रहा है। "

अब चम्पा भाभी भी सीरियस हो गयीं और पूछा , अरे पंडित जी का बात है , कतौ पाहुन में कुछ , एकरे मरद में कुछ कमी तो "

" अरे नहीं , उ तो बिना नागा , लेकिन गडबड दो है , एक तो इसके मर्द को गांड मारने का शौक बहुत है , चूत से ज्यादा ई गांड में लेती ही , दूसरे जब ई चुदवाती भी तो है खुदे ऊपर रहती है , खुद चढ़ के चोदती है , तो हमें तो डर है की कही इसका मरद ही न गाभिन हो जाय। "

जोर का ठहाका लगा और इसमें सिर्फ भाभियाँ ही नहीं बल्कि लड़कियां भी शामिल थीं।

और इसी ठहाके के बीच एक दरोगा जी , आ गए।



और मैंने भी उन्हें पहचान लिया , जिस दिन हम लोग आये उसी दिन जब सोहर हो रहा था , तो वो आई थीं , मुन्ने को देखने और भाभी की माँ को खूब खुल के छेड़ रही थीं। रिश्ते में भाभी की बुआ लगती थीं , इसलिए भाभी की माँ उनकी भाभी हुईं तो फिर तो मजाक का ,

और अबकी उन्होंने फिर भाभी की माँ और चाची को ही टारगेट किया।

रतजगा में वैसे भी कोई शरम लिहाज , उमर का कोई बंधन नहीं था।

बल्कि बल्कि जो ज़रा बड़ी उमर की औरतें होती थीं , वो और खुल के मजाक , और बात चीत से ज्यादा हाथ पैर से , कपडे खोलने ,… और दरोगा जी ने यही किया ,

भाभी की माँ के ब्लाउज में सीधे हाथ डाल दिया , और उनका साथ भाभी की रिश्ते में लगने वाली दो भाभियाँ दे रही थीं , दोनों हाथ पकड़ के। ( बहुओं को भी मौक़ा मिलता था सास से मजा लेने का )
" साल्ली ,बेटीचोद , अभी तक तो अपनी बेटियों से धंधा कराती थी , चकला चलाती थी अब चोरी चकारी पे उत्तर आई , भोसड़ी वाली। तेरे गांड में डंडा डाल के मुंह से निकालूंगी , बोल कहाँ कहाँ से चोरी की , क्या चोरी की , "

भाभी की माँ भी अब रोल में आ गयी थीं , बोलने लगी , " नहीं दरोगा जी , कुछ नहीं चुराया। "

लेकिन उनकी रिश्ते की बहुएं ,नयी नवेली एकदम जोश में थी ,

" दरोगा जी ,ये ऐसे नहीं मानेगी , पुरानी खानदानी चोर है , नंगा झोरी लेनी पड़ेगी साली की। "

वो दोनों एक साथ बोलीं।

बुआ जी जो दरोगा की ड्रेस में थी , अपनी भौजाई के बलाउज में हाथ डाल के सबको दिखा के खूब कस कस के चूंची रगड़ मसल रही थी और फिर एक झटका मारा उन्होंने तो आधे से ज्यादा बटन ब्लाउज के टूट गए और गदराये गोरे बड़े बड़े जोबन दिखने लगे।

उन्होंने अपनी मुट्ठी खोली ( चंदा ने मेरे कान में बोला , देख इसमे से क्या क्या निकलेगा ) और सच में कुछ अंगूठियां , कान की बाली निकली।


उन्होंने सब को दिखाया और नए जवान 'सिपाहियों ' ( भाभी की माँ की बहुओं ) को ललकारा

" अरे ये तो नमूना है , साल्ल्ली ने अपनी गांड और भोंसड़े में बहुत छिपा रखा है , खोल साडी। "

जब तक वो सम्हलातीं , दोनों , सिपाहियों ने पीछे से उन्हें खींच के गिरा दिया और बुआ जी उर्फ़ दरोगा ने , साडी पूरी कमर तक।





भाभी की मातृभूमि के दर्शन सबको होगये ,खुलम खुल्ला और यही नहीं बुआ जी ने एक ऊँगली अंदर भी घुसेड़ दी , और उनकी दोनों बहुओं ने ब्लाउज की बाकी बटने भी खोलकर दोनों कबूतर बाहर।


फिर तो आधे घंटे में एकदम फ्री फॉर आल हो गया


बाहर बारिश बहुत तेज हो गयी थी।

रात खत्म होने के कगार पे साढ़े तीन चार होने वाला था।


और तबतक एक 'लड़का ' आया , दुल्हन की तलाश में , और सब लोग अपनी अपनी हरकतें छोड़ के चुप चाप बैठ गए।


हाइट करीब मेरी ही रही होगी , गोरा रंग , तीखे नाक नक्श ,बड़ी बड़ी आँखे , भरे भरे गाल और पेंट शर्ट ,कोट पहने एक टोपी लगाए।

मैंने पहचाना नहीं , लेकिन टोपी भी उसकी लम्बे बाल जो मोड़ के खोंसे थे , मुश्किल से छुपा पा रही थी।
Ye hota he asli majak nanand bhabhi ka. Hasi mazak masti, comedi. Or dher sari kamukh leela. Aurato ki bate aurat hi samze. Bhabhi bhi jane ki uski bhabhi ne use nahi chhoda to tu kese bachegi. Nakli pandit nakli daroga full maza jabardast seen..

Or ye vala to maza aa gaya.

मैं छटपटा रही थी ,मचल रही थी ,लेकिन , और सारी भाभियों , ननदों का शोर गूँज रहा था था , पूरा पूरा खोलो।



अपने आप लहंगा सरक के मेरी गोरी गोरी केले के तने ऐसी चिकनी जाँघों तक आ गया था , और गाँव में चड्ढी बनयायिन पहनने का रिवाज तो था नहीं , तो मैंने भी ब्रा पैंटी पहनना छोड़ दिया था।
 

Shetan

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मजा पिछवाड़े का



मैं अपनी एक छोटी सी स्कर्ट और स्कूल की टॉप पहने थी।





ब्रा और पैंटी तो वैसे भी गांव में पहनने का रिवाज नहीं था तो मैं भी बिना ब्रा पैंटी के ,… बस बसंती को मौका मिल गया ,



सीधे उसने मेरे स्कर्ट के पिछवाड़े हाथ डाल दिया और मेरा भरा भरा नितम्ब उसकी मुट्ठी में।



जोर जोर से रगड़ते मसलते बसंती ने चिढ़ाया ,





"सारे गाँव के लौंडे झूठे थोड़े एहके पीछे पड़े हैं, अइसन चूतड़ मटकाय मटकाय के चलती हो , बिना तोहार गांड मारे थोड़े छोड़ीहैं , इतनी नरम मुलायम गांड हौ ,बहुत मजा आएगा लौंडों को तेरी गांड मारने में। "



और ये कहते कहते उनकी तरजनी सीधे पिछवाड़े के छेद पे पहुँच गयी। और गचगचा के उन्होंने एक ऊँगली घुसाने की कोशिश की लेकिन रास्ता एकदम बंद था।






"अरे ई तो ऐकदमे सील पैक है , बहुत मजा आएगा , जो खोलेगा इसको। डरना मत अरे दर्द होगा , चीखो चिल्लाओगी बहुत गांड पटकोगी , लेकिन गांड मारने वाला जानता है , बिना बेरहमी के गांड नहीं मारी जा सकती। "

मेरे सामने अजय की तस्वीर घूम गयी , नहीं उसके बस का नहीं है , वो मेरा दर्द ज़रा भी नहीं बर्दाश्त कर पाता है , एक बार चिल्लाऊंगी तो वो निकाल लेगा।



हाँ सुनील की बात और है ,वो नहीं छोड़ने वाला।





कल की ही तो बात है , गन्ने के खेत में हचक हचक के चोदने के बाद जब मैं चलने लगी तो कैसे मेरे चूतड़ दबोच रहा था।

और जब मैंने बोला की आगे से मन नहीं भरा क्या की पिछवाड़े भी ,तो कचाक से गाल काटने के बाद सीधे गांड पे उंगली रगड़ता बोला ,



"इतनी मस्त गांड हो और न मारी जाय ,सख्त बेइंसाफी है। "


उससे बचा पाना मुश्किल है।





बंसती की ऊँगली की टिप अभी भी गांड के छेद पे रगड़ रही थी, वो बोली ,



"जब बिन्नो तेरे गांड के छल्ले को रगड़ता,दरेरता ,फाड़ता घुसेगा न , एकदम आग लग जायेगी गांड में। लेकिन मर्द दबोच के रखता है उस समय , वो पूरा ठेल के ही दम लेगा। जब एक बार सुपाड़ा गांड का छल्ला पार कर गया तो तुम लाख गांड पटको , .... बस दो चार दिन में देखों कोई न कोई ये कसी सील खोल देगा।






गांड मरवाने का असली मजा तो उसी दर्द में है. मारने वाले को भी तभी मजा आता है जब वो पूरी ताकत से छल्ले के पार ठेलता है , और मरवाने वाली को भी , और जो लड़की गांड मराने में जरा भी नखड़ा करे न तो समझो छिनारपना कर रही है , तुझसे छोटी उम्र के लौंडे गांड मरौव्वल करते हैं। "



बात बसंती की एकदम सही थी।








उसकी पढ़ाई थोड़ा और आगे चलती की पूरबी आ गयी।



Yahi to asli maza he. Bhabhi ki pyari nanand ka bharatpur unke gav me na lute to kaha lutega. Pichhvada fatega. Or sab me batega. Superb adultery feeling.
 
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Shetan

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...तेरा गाँव बड़ा प्यारा



भाभी का घर



तो इस के बात चलिए वापस चलते हैं किचेन में जहाँ चंपा भाभी गरम गरम चाय के साथ गरम गरम बातें परोस रही थीं।





आज चंपा भाभी और मेरी भाभी में खुल के छेड़छाड़ चल रही थी,और इस बात का कोई फरक नहीं पड़ रहा था की भाभी की माँ भी वहीँ बैठी थीं।



बल्कि वो खुद भी इस मजाक में खुल के रस ले रही थीं और बजाय अपनी बेटी का साथ देने के चम्पा भाभी को और उकसा, चढ़ा रही थीं।


चंपा भाभी ,मेरी भाभी के ग्लास मेंचाय ढाल रही थीं , भाभी ने कुछ ना नुकुर किया तो चंपा भाभी ने ग्लास पूरी भरते हुए बोला ,
" अरी बिन्नो , अब तक तो तुझे ये अंदाज लग जाना चाहिए था की ये डालने वाला तय करता है की आधा डाले की पूरा , और ससुराल से सैयां के साथ देवर ननदोई संग इतनी कब्बडी खेल के आई होगी , तो फिर आधे में क्या मजा आएगा। "



और उसमें टुकड़ा लगाया , भाभी की माँ ने , बोलीं , " अरे आधे में तो न डालने वाले को मजा न डलवाने वाले को ,सही तो कह रही है चंपा। "

भाभी कुछ झिझकी , मेरी ओर देखा फिर चंपा भाभी से बोलीं , " अरे चलिए भाभी थोड़ी देर की बात है , रात में देखती हूँ आप की पहलवानी , कौन आधा डालता है कौन पूरा ,पता चल जायेगा। "

मैं मुस्कराहट रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी मेरा नाम आ गया और मेरा कान खड़ा होगया।

"माँ , आज भैया नहीं है , भाभी को डर लगेगा , तो मैं आज उनके साथ सोऊंगीं , और मुन्ना को आप सम्हाल लीजियेगा रात में , वैसे भी अब वो आपसे इतना हिलगया है। "

लेकिन फिर उन्होंने मेरी ओर देखा और कुछ सोच के मुझसे बोलीं ,

" लेकिन , फिर तुझे उस कच्ची खंद में अकेले सोना पडेगा , कही डर तो नहीं लगेगा मेरी ननद रानी को "

और मैं सचमुच डर गयी , वो भी बहुत जोर से।

कहीं अगर मेरे सोने की जगह बदली तो बिचारे अजय का क्या होगा ? कल वैसे ही रतजगे के चक्कर में उसका उपवास हो गया था। और अब मेरी बुलबुल को भी चारा घोंटे २४ घंटे से ऊपर होगया था , उस को भी जोर जोर से चींटे काट रहे थे।

ऊपर से मैंने उसे बोल भी दिया था ,कुण्डी मत खड़काना राजा ,सीधे अंदर आना राजा।

लेकिन मुझे भाभी की माँ ने बचाया , मेरी पीठ सहलाते वो मेरी आँख में आँख डाल के खूब रस ले ले के बोल रही थी, भाभी से बोलीं

" अरे ये मेरी बेटी है ,किससे डरेगी। तुम क्या सोचती हो तेरे भाइयों से डरेगी , अरे उन्हें तो एक बार में गप्प कर जाएगी ये। गपागप गपागप घोंट लेगी। नहीं डरेगी न। "

मैंने तुरंत जोर से हामी में सर हिलाया, मैं किसी भी हालत में अपनी कुठरिया में ही सोना चाहती थी , वरना मेरा जबरदस्त घाटा हो जाता।



लेकिन चम्पा भाभी कहाँ छोड़ने वाली थीं , उन्होंने खोल के पूछा,

" तो बोल न साफ़ साफ़ नहीं डरेगी। "

"नहीं एकदम नहीं।"

मैंने पूरे कांफिडेंस में बोला और एक्स्ट्रा कन्फर्मेशन के लिए सर भी हिलाया खूब जोर जोर से।

और मेरी भाभी , चम्पा भाभी दोनों खूब जोर से हंसी। उनकी माँ भी मीठा मीठा मुस्करा रही थीं।

मेरी भाभी ने जोर से सबके सामने मेरी टॉप फाड़ती चूंचियों को जोर जोर से टीपते बोला , "

मेरी बिन्नो , किस चीज ने नहीं डरेगी , मेरे भाइयों का गपागप , सटासट घोंटने से , अरे अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों फाड़ के रख देंगे , मेरे भाई। "

फिर भाभी की माँ मेरे बचाव में आयीं ,

" अरे सबका फटता है ,तो ये भी फटवा लेगी। कौन सी नयी बात है, फिर कल तो इसने सबको अपनी चुनमुनिया खोल के दिखाई न ,कितनी प्यारी एकदम गुलाबी ,कसी, मक्खन जैसी , फटने को तैयार। और अगर सावन में , अपने भैया के ससुराल में नहीं फटा तो फिर… , ठीक है ये वहीँ सोयेगी जहाँ रोज सोती है।"

मैंने तो चैन की सांस ली ही , भाभी और चंपा भाभी ने भी चैन की सांस ली।

अरेंजमेंट तय हो गया था , भाभी, चंपा भाभी के कमरे में। मुन्ना , भाभी की माँ के साथ और मैं वहीँ जहाँ रोज सोती थी।

तब तक भाभी की माँ ने बाहर देखा तो जैसे घबड़ा गयीं , रात हो गयी थी लेकिन आकाश में न चंदा न तारे , खूब घने बादल।
Bhabhi to baho jo nanand ko puri tarike se chhinar bana de. Har chhede har ashan ka gyan practical hi sikhva de.
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Shetan

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मैं साजन तू सजनी ,

मैं ऊपर तू नीचे














अजय की हालत खराब थी लेकिन उससे ज्यादा हालत मेरी खराब थी ,


मन तो कर रहा था की झट से घोंट लूँ , लेकिन , …



सुन तो बहुत चुकी थी , पूरबी ने पूरा हाल खुलासा बताया था , की रोज ,दूसरा राउंड तो वही उपर चढ़ती है ,पहले राउंड की हचक के चुदाई के बाद जब मर्द थोड़ा थका अलसाया हो , तो , … और फिर उसके मर्द को मजा भी आता है.



बसंती ने भी बोला था , असली चुदक्कड़ वही लौंडिया है जो खुद ऊपर चढ़ के मर्द को चोद दे , कोई जरुरी है हर बार मरद ही चोदे , … आखिर चुदवाने का मजा दोनों को बराबर आता है।



और देखा भी था , चंदा को सुनील के ऊपर चढ़े हुए , जैसे कोई नटिनी की बेटी बांस पे चढ जाए बस उसी तरह, सुनील का कौन सा कम है लेकिन ४-५ मिनट के अंदर मेरी सहेली पूरा घोंट गयी.



दोनों पैर मैंने अजय के दोनों ओर रखे थे,घुटने मुड़े , लेकिन अजय का सुपाड़ा इतना मोटा था और मेरी सहेली का मुंह इतना छोटा ,


झुक के दोनों हाथों से मैंने अपनी गुलाबी मखमली पुत्तियों को फैलाया , और अब जो थोड़ा सा छेद खुला उस पे सटा के , दोनों हाथ से अजय की कमर पकड़ के ,…









पूरी ताकत से मैंने अपने की नीचे की ओर दबाया।










जब रगड़ते हुए अंदर घुसा तो दर्द के मारे जान निकल गयी लेकिन सब कुछ भूल के पूरी ताकत से मैं अपने को नीचे की ओर प्रेस किया , आँखे मैंने मूँद रखी थी.


सिर्फ अंदर घुसते , फैलाते फाड़ते ,उस मोटे सुपाड़े का अहसास था।





आधा सुपाड़ा अंदर जाके अटक गया और मैं अब लाख कोशिश करूँ कितना भी जोर लगाउ वो एक सूत सरक नहीं रहा था।




मेरी मुसीबत में और कौन मेरा साथ देता।







मैं पसीने पसीने हो रही थी , अजय ने अपने दोनों ताकतवर हाथों से मेरी पतली कमर कस के पकड़ ली और पूरी ताकत से अपनी ओर खींचा ,साथ में अपने नितम्बो को उचका के पूरे जोर से अपना , मेरे अंदर ठेला।


मैंने भी सांस रोक के ,अपनी पूरी ताकत लगा के , एक हाथ से अजय के कंधे को दूसरे से उसकी कमर को पकड़ के , अपने को खूब जोर से पुश किया।


मिनट दो मिनट के लिए मेरी जान निकल गयी , लेकिन जब सटाक से सुपाड़ा अंदर घुस गया तो जो मजा आया मैं बता नहीं सकती।

फिर मैंने वो किया जो न मैंने पूरबी से सुना था न चंदा को करते देखा था , ओरिजिनल , गुड्डी स्पेशल।













अपनी कसी चूत में मैंने धंसे ,घुसे ,फंसे अजय के मोटे सुपाड़े हलके से भींच दिया।



और जैसे ही मेरी चूत सिकुड़ कर उसे दबाया , मेरी निगाहें अजय के चेहरे चिपकी थीं , जिस तरह से उसने सिसकी भरी ,उसके चेहरे पे ख़ुशी छायी,बस फिर क्या था , मेरी चूत बार बार सिकुड़ रही थी , उसे भींच रही थी ,


और जैसे ही मेरे बालम ने थोड़ी देर पहलेतिहरा हमला किया था वही मैंने भी किया , मेरे हाथ और होंठ एक साथ ,



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एक हाथ से मैं कभी उसके निप्स फ्लिक करती तो कभी गाढ़े लाल रंग के नेलपालिश लगे नाखूनों से अजय के निप्स स्क्रैच करती।


और मेरी जीभ भी कभी हलके से लिक कर लेती तो कभी दांत से हलके से बाइट ,


ये गुर मुझे बसंती ने सिखाया था की लड़कों के निपल भी उतने ही सेंसिटिव होते हैं जितने लड़कियों के।







और साथ में अपनी नयी आई चूंचियां मैं कभी हलके से तो कभी जोर से अजय के सीने पे रगड़ देती।



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नतीजा वही हुआ जो , होना था।


मेरी पतली कमर अभी भी अजय के हाथों में थी ,उसने पूरी ताकत से उसने मुझे अपने लंड पर खींचा और नीचे से साथ साथ पूरी ताकत से उचका के धक्का मारा।


और अब मैंने भी साथ साथ नीचे की ओर पुश करना जारी करना रखा ,बस थोड़े ही देर में करीब करीब तीन चौथाई, छ इंच खूंटा अंदर था।













और अब अजय ने मेरी कमर को पकड़ के ऊपर की ओर ,





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बस थोड़ी ही देर में हम दोनों ,

मैं कभी ऊपर की ओर खींच लेती तो कभी धक्का देके अंदर तक , मुझसे ज्यादा मेरी ही धुन ताल पे अजय भी कभी मुझे ऊपर की ओर ठेलता तो कभी नीचे की ओर ,







सटासट गपागप , सटासट गपागप ,







अजय को मोटा सख्त लंड मेरी कच्ची चूत को फाड़ता दरेरता ,







लेकिन असली करामात थी , कडुवा तेल की जो कम से कम दो अंजुरी मैंने लंड पे चुपड़ा लगाया था , और इसी लिए सटाक सटाक अंदर बाहर हो रहा था,







दस बारह मिनट तक इसी तरह







मैं आज चोद रही थी मेरा साजन चुद रहा था



मैंने अपनी लम्बी लम्बी टाँगे फैला के कस कस के अजय की कमर के दोनों ओर बाँध ली और मेरे हाथ भी जोर से उसके पीठ को दबोचे हुए थे।


मेरे कड़े कड़े उभार जिसके पीछे सारे गाँव के लोग लट्टू थे , अजय के चौड़े सीने में दबे हुए थे।















ये कहने की बात नहीं की मेरे साजन का ८ इंच का मोटा खूंटा जड़ तक मेरी सहेली में धंसा था ,


अब न मुझमे शरम बची थी और न अजय में कोई झिझक और हिचक।




मुझे मालूम था की मेरे साजन को क्या अच्छा लगता है और उसे भी मेरी देह के एक एक अंग का रहस्य , पता चल गया था।




जैसे बाहर बारिश की रफ्तार हलकी पड़ गयी थी , उसी तरह उस के धक्के की रफ्तार और तेजी भी , द्रुत से वह विलम्बित में आ गया था।







हम दोनों अब एक दूसरे की गति ,ताल, लय से परिचित हो गए थे ,और उसके धक्के की गति से मेरी कमर भी बराबर का जवाब दे रही थी।







पायल की रुनझुन ,चूड़ी की चुरमुर की ताल पर जिस तरह से वो हचक हचक कर ,





और साथ में अजय की बदमाशियां , कभी मेरे निपल को कचाक से काट लेता तो कभी अपने अंगूठे से मेरा क्लिट रगड़ देता ,













एकबार मैं फिर झड़ने के कगार पे आ गयी और मुझसे पहले मेरे उसे ये मालूम हो गया ,






अगले ही पल उसने मुझे फिर दुहरा कर दिया था ,







उसके हर धक्के की थाप , सीधे मेरी बच्चेदानी पे पड़ती थी और लंड का बेस मेरे क्लिट को जोर से रगड़ देता।







मैंने लाख कोशिश की लेकिन , मैं थोड़ी देर में ,







उसने अपनी स्पीड वही रखी ,











दो बार , दूसरी बार वो मेरे साथ ,







लग रहा था था कोई बाँध टूट गया ,







कोई ज्वाला मुखी फूट गया ,







न जाने कितने दोनों का संचित पानी , लावा







और जब हम दोनों की देह थिर हुयी , एक साथ सम पर पहुंची ,हम दोनों थक कर चूर हो गए थे।







बहुत देर तक जैसे बारिश के बाद , ओरी से ,पेड़ों की पत्तियों से बारिश की बूँद टप टप गिरती रहती है ,वो मेरे अंदर रिसता रहा , चूता रहा।







और मैं रोपती रही ,भीगती रही ,सोखती रही उसकी बूँद बूँद।





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पता नहीं हम कितनी देर



लेकिन अजय ने नीचे से मुझे उठा लिया और थोड़ी देर में मैं उसके गोद में मैंने अपनी लम्बी लम्बी टाँगे फैला के कस कस के अजय की कमर के दोनों ओर बाँध ली और मेरे हाथ भी जोर से उसके पीठ को दबोचे हुए थे।























बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे लिपटे रहे।







न उसका हटने का मन कर रहा था न मेरा।




बाहर तूफान कब का बंद हो चुका था ,लेकिन सावन की धीमी धीमी रस बुंदियाँ टिप टिप अभी भी पड़ रही थीं , हवा की भी हलकी हलकी आवाज आ रही थी।
Sexual dekha jae to ye upda sab se damdar tha. Kuchh wards to ese he ki dill chura liya. jo pink me he.

1)
मैं साजन तू सजनी ,

मैं ऊपर तू नीचे



2)

झुक के दोनों हाथों से मैंने अपनी गुलाबी मखमली पुत्तियों को फैलाया , और अब जो थोड़ा सा छेद खुला उस पे सटा के , दोनों हाथ से अजय की कमर पकड़ के ,…


3) बस थोड़ी ही देर में हम दोनों ,

मैं कभी ऊपर की ओर खींच लेती तो कभी धक्का देके अंदर तक , मुझसे ज्यादा मेरी ही धुन ताल पे अजय भी कभी मुझे ऊपर की ओर ठेलता तो कभी नीचे की ओर ,







सटासट गपागप , सटासट गपागप ,



4)

मैं आज चोद रही थी मेरा साजन चुद रहा था



5) बसंती ने भी बोला था , असली चुदक्कड़ वही लौंडिया है जो खुद ऊपर चढ़ के मर्द को चोद दे , कोई जरुरी है हर बार मरद ही चोदे , … आखिर चुदवाने का मजा दोनों को बराबर आता है।



Jo maza in ward ko padh ke aaya vo ab tak kisi me nahi. Rimance vashna or asli pahel ka anokha misran. Sex ke wakt sajan ko harane ka maza kuchh or hi he.
 
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Ye hota he asli majak nanand bhabhi ka. Hasi mazak masti, comedi. Or dher sari kamukh leela. Aurato ki bate aurat hi samze. Bhabhi bhi jane ki uski bhabhi ne use nahi chhoda to tu kese bachegi. Nakli pandit nakli daroga full maza jabardast seen..

Or ye vala to maza aa gaya.


मैं छटपटा रही थी ,मचल रही थी ,लेकिन , और सारी भाभियों , ननदों का शोर गूँज रहा था था , पूरा पूरा खोलो।



अपने आप लहंगा सरक के मेरी गोरी गोरी केले के तने ऐसी चिकनी जाँघों तक आ गया था , और गाँव में चड्ढी बनयायिन पहनने का रिवाज तो था नहीं , तो मैंने भी ब्रा पैंटी पहनना छोड़ दिया था।
Thanks so much itte satik comments ke liye
 
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सत्रहवीं फुहार





मेरे सिवाय तेरे और कितने दीवाने हैं


और मैं रोपती रही ,भीगती रही ,सोखती रही उसकी बूँद बूँद।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में बंधे लिपटे रहे।

न उसका हटने का मन कर रहा था न मेरा।

बाहर तूफान कब का बंद हो चुका था ,लेकिन सावन की धीमी धीमी रस बुंदियाँ टिप टिप अभी भी पड़ रही थीं , हवा की भी हलकी हलकी आवाज आ रही थी।
…………











एक सवाल मेरे मन को बहुत देर से साल रहा था , मैंने पूछ ही लिया ,

" सुन यार, एक बात पूछूं बुरा मत मानना , वो,.... उस दिन , … वो उस दिन ,… मैं सुनील के साथ , वहां गन्ने के खेत में ,… "


जवाब उस दुष्ट ने तुरंत दिया , अपने तरीके से , कचकचा के मेरी गोरी गोरी चूंची को काट के ,

" तू न हरामी ,सुधरेगी नही , अरे सुनील के साथ क्या , बोल न साफ साफ़ , अब भी तू , … "


मैं समझ गयी वो क्या सुनना चाहता है।

और मैं उसी तरह से बोलने लगी , ( जैसे चंपा भाभी और मेरी भाभी बोलती हैं )

" वो वो , उस दिन मैं सुनील के साथ , वहीँ ,.... गन्ने के खेत में चुदवा रही थी तो तूने बुरा तो नहीं माना। "


धीमे धीमे घबड़ाते मैं बोली।




"पगली ,बुर वाली की बात का क्या बुरा मानना। अरे सुनील ने तुझे चोदा तो क्या हुआ मैंने भी तो उसके माल को, चंदा को चोदा। तू न एकदम बुद्धू है , अरे १०-१२ दिन के लिए गाँव आई है तो खुल के गाँव का मजा ले न , फिर ये तो पूरे गाँव को मालूम है न की तू माल किसकी है ?"



" एकदम ",

ख़ुशी से उसके सीने पे अपनी कड़ी कड़ी चूंचियां रगड़ती मैं बोलीं।

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" इसमें किसी को कोई शक हो सकता है क्या , सबके सामने मेले में मैंने खुद ही बोला था ,मैं तेरा माल हूँ , थी और रहूंगी। आखिर मेरी कोरी जवानी को , मेरी कच्ची कली को , .... "



उसने चूम के मेरा मुंह बंद करा दिया , और बोला ,

" बस तो तुझे जवाब मिल गया न। सारे गाँव के लड़के मुझसे जलते हैं की एक तो पहली बार मैंने तेरी ली, दूसरे एक दो बार भले कोई ले ले माल तो तू मेरी ही है। बस ये याद रखना ,तू मेरी माल है और रहेगी। "

" एकदम , "

खुश हो के मैं बोली और अबकी मैंने अपने तरीके से ख़ुशी जाहिर की , उसके सोते जागते शेर को पुचकार के। लेकिन जरा सा मेरे मुठियाते ही वो फिर अंगड़ाई लेने लगा।





तो एक ख़ुशी में हो जाय एक राउंड और मेरे माल की चुदाई "

वो बोला और उसकी ऊँगली मेरी मलाई भरी बुर में।





" तुझे न बस एक चीज सूझती है "
गुस्से से बुरा सा मुंह बना के मैं बोली लेकिन मेरे हाथ उसे मुठियाते ही रहे।


कुछ रुक के मैंने फिर कहा , मैं गुस्सा हूँ तेरे से।




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" क्यों मेरी सोन चिरैया क्या हुआ , "गाल चूमते वो बोला।



" मैं तेरा माल हूँ , मैं मानती हूँ , पूरा गाँव मानता है , तो फिर तुम पूछते क्यों हो तेरा माल है जब चाहे तब चढ़ जाओ। "


खिलखिलाते मैं बोली लेकिन मैंने जोड़ा













“खिड़की खोल दो न उमस हो रही है तूफान तो बंद हो गया है।“

वो खिड़की खोलने गया और पीछे पीछे मैं,

उसे पीछे से पकड़ कर , उसके पीठ में अपने जुबना की बरछी धँसाते,

जीभ से उसके कान में सुरसुरी करते उसके इयर लोब को हलके से काट के मैंने उसके खूंटे को दायें हाथ में पकड़ ,हलके से मुठियाते पूछा ,








" राज्जा , ये कितनी की सुरंग में घुस चूका है "


और बिना पीछे मुड़े उसने नाम गिनाने शुरू कर दिए ,



" कजरी ,पूरबी ,चंदा , उर्मि , … , … "

कुल १८ नाम थे , आधे दर्जन से ज्यादा तो मैं जानती थी , वो सब अब मेरी पक्की सहेलियां थी , तीन चार उसकी भाभियाँ और बाकी सब खेत और घर में काम करनेवालियाँ, मिल मैं उन सब से भी चुकी थी।



" तेरे गाँव से वापस लौटने से पहले तेरा रिकार्ड तोड़ दूंगी ,कम से कम बीस "




जोर जोर से उसकी पीठ पर अपनी छोटी छोटी नयी आई चूंची रगड़ती मैंने अपना इरादा जाहिर किया।

और मेरे इरादे पे उसने सील लगा दी अपने होंठों से , खिड़की खोल के मुड़ के उसने मेरे होंठों को जोर से चूमा और बोला ,



" पक्का , तब मैं मानूंगा की तू मेरी सच में माल है। "





हम दोनों खिड़की से बाहर झाँक रहे थे , यह रात का वह पल था जिसमें रात सबसे गहरी होती है। ढाई तीन बज रहा होगा।



बाहर घना अँधेरा था , तूफान तो रुक चुका था लेकिन उसके निशान चारो और दिख रहे थे।



अंदर से कुछ कमरे की रौशनी छन छन कर आ रही थी और उससे ज्यादा मुझे भी गाँव में रहते पारभासी अँधेरे में कुछ कुछ दिखने लगा था।



अजय के घर के रास्ते वाली पगडण्डी के थोड़ा बगल में वो पुराना पाकुड का पेड़ अररा कर गिरा था , बस बँसवाड़ी के बगल में.



गझिन अमराई की भी एक दो पेड़ों की मोटी मोटी टहनियां गिरी थीं।



हलकी हलकी बूंदे अभी भी आसमान से झर रहीं थीं , लेकिन उनसे ज्यादा मोटी मोटी बूंदे पेड़ों की पत्तियों से टपक रही थीं , और हम लोगों के घर के छत से तो मोटे परनाले सा पानी बह रहा था।





हवा अभी भी तेज थी और उसके झोंके से पानी की फुहार हम दोनों के चेहरे को अच्छी तरह भिगो रही थी।


मैं खिड़की में लगी सलाखें एक हाथ से पकडे थी , अपना चेहरा खिड़की सटाये बौछार का मजा लेती। और वो मेरे ठीक पीछे , एक हाथ मेरे उभार को दबोचे , और मेरे मस्त नितम्बों के बीच उसका खूंटा अब एकबार फिर ९० डिग्री हो गया था।



' बौछार कितनी अच्छी लग रही हैं ,न। " मैंने बिना मुंह उसकी ओर घुमाए कहा।


दोनों हाथों से मेरे निपल्स को पकड़ के गोल गोल घुमाते अपना औजार मेरे पिछवाड़े रगड़ते वो बोला ,





" जानती हो मेरा क्या मन कर रहा है, "…


मैं चुप रही।

वो खुद बोला ,

" तुझे बाहर , भीगते पानी में ले जा के हचक हचक के चोदूँ ".




Wow komalji. Ek hi update me jabardast erotic ness, romance jalan sab kuchh mazedar update.

Is sabdo ne to dill chura liya.


" मैं तेरा माल हूँ , मैं मानती हूँ , पूरा गाँव मानता है , तो फिर तुम पूछते क्यों हो तेरा माल है जब चाहे तब चढ़ जाओ। "
 
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Wow komalji. Ek hi update me jabardast erotic ness, romance jalan sab kuchh mazedar update.

Is sabdo ne to dill chura liya.


" मैं तेरा माल हूँ , मैं मानती हूँ , पूरा गाँव मानता है , तो फिर तुम पूछते क्यों हो तेरा माल है जब चाहे तब चढ़ जाओ। "
Thanks so much, Erotica ka matalb hi yahi sex ho lekin saath men man mutaabik ho,... sirf tan ka nahi man ka bhi chaar aankho ka bhi khel ho

lekin asali credit aap ko jaati hai jo aap itani paarakhi hain
 
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राजीव


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“हां राजीव रुकना नहीं पूरी ताकत से चोदो, फाड़ दो इसकी…”

और राजीव का हाथ जैसे ही मेरी क्लिट पर पहुँचा मैं झड़ने लगी।








पर राजीव रुका नहीं वह कभी मेरे चूतड़ पकड़कर,


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कभी कमर पकड़कर, कभी चूचियां दबाते, नदी के अंदर चोदता रहा, चोदता रहा और बहुत देर चोदने के बाद ही झड़ा।







हम दोनों किनारे पे आकर बड़ी देर लेटे रहे।

फिर अचानक मुझे याद आया कि अपनी साड़ी और चोली तो हम घाट पे ही छोड़ आये हैं।





मैंने जब पूरबी से कहा तो वो हँसके बोली-


ये तेरा आशिक किस दिन काम आयेगा। जैसे ही राजीव कपड़े लेने गया, पूरबी मुझे पटक के मेरे ऊपर चढ़ गयी और बोली-

तूने तो मजा ले लिया पर मेरा क्या होगा… जो काम हम कर रहे थे, चलो उसे पूरा करते हैं…”

उसके होंठों ने मेरी चूत को कस के भींच लिया था और वह उसे कस-कस के चूस रही थी।

अपनी चूत भी वह मेरे मुँह पर रगड़ रगी थी।


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थोड़ी देर में उसकी तरह मैं भी चूत चूसने लगी।

यह मेरी
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सिक्स्टी नाईन की पहली ट्रेनिंग थी।




जब हम लोग झड़कर अलग हुए तो देखा कि राजीव हम दोनों के कपड़े लिये मुश्कुरा रहा है।





पूरबी के कपड़े तो उसने दे दिये पर मेरे कपड़ों के लिये उसने मना कर दिया।





जब मैंने पूरबी से बिनती की तो वो बोली-

तेरे कपड़े हैं तू मना इसको या फिर वैसे ही घर चल।




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मैंने राजीव से कहा की-


“मैं सिर्फ उससे ही नहीं बल्की आज के बाद अगर गांव में जो भी मुझसे मांगेगा, मैं मना नहीं करूंगी…”



मेरे पास चारा क्या था।





बड़ी मुश्किल से कपड़े मिले और उसपर से भी दुष्ट पूरबी ने जानबूझ कर मेरी चोली देते हुये नदी में गिरा दी। वह अच्छी तरह गीली हो गयी, और मुझे भीगा ब्लाउज पहनकर ही घर आना पड़ा।


मेरी चूचियों से वह अच्छी तरह चिपका था और रास्ते में दो-चार लड़के गांव के मिल भी गये जो मेरी चूचियों को घूर रहे थे।


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पूरबी ने मुझे चिढ़ाया- “अरे दे दो ना जोबन का दान, सबसे बड़ा दान होता है ये…”









ये तो धूप अच्छी थी, रास्ते में वह कुछ सूख गया।

गनीमत था कि जब मैं घर पहुँची तो भाभी और चम्पा भाभी नहीं थी, सिर्फ बसंती थी।

उसने बताया कि सब लोग पड़ोस के गांव में गये हैं और शाम के आस-पास ही 3-4 घंटे बाद लौटेंगे, मेरा खाना रखा है और उसे भी कुछ काम से जाना है।







मैं अपने कमरे में चली गई और जल्दी से कपड़े बदले।






कहीं जाना तो था नहीं इसलिये मैंने, एक टाप और स्कर्ट पहना और खाना खाने आ गयी।


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खाने के बाद मैं अपने कमरें में थोड़ी देर लेटी थी और बसंती सब काम समेट रही थी।



तभी बसंती ने दरवाजे के पास आकर बताया कि दिनेश आया है।
Sakhiyo ke khil nirale. Mil bat kar swad badal badal kar jindgi ka taro taza ehsas. Lekin lesbo or jyada erotic tha. Maza aa gaya.
 

Shetan

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सावन की झड़ी कुछ दिनों के लिए रुक गयी थी ,

कुछ पिक्चर शेयर की समस्या ,

कुछ लगा शायद ,...

और उसके बाद कुछ कोरोना का कहर , एकदम अवसाद का माहौल

लेकिन अभी एक मित्र ने लिंक पूछा इस कहानी का तो मुझे लगा अभी भी सावन में भीगने , भिगाने की चाह वाले कम नहीं है , इसलिए फिर से शुरू कर रही हूँ , ये कहानी ,जहाँ से छोड़ी थी ,

थोड़ा बहुत बदलाव भी होगा , कुछ नए प्रसंग भी जुड़ेंगे, पर एक बार बादल उमड़ें घुमड़ें



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Sawan ki bat alag hi nirali. Khas kar kumariyo ke lie. Khule bhige bal. Tarah tarah ke brat (upvas) vo savan ke khel jo saheliyo ke sath khelne ka alag hi maza he. Anokha jese mahina nahi tyohar ho. Mosham ki masti. Kyo ki sawan hamesha aae zum ke.
 

Shetan

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Thanks so much, Erotica ka matalb hi yahi sex ho lekin saath men man mutaabik ho,... sirf tan ka nahi man ka bhi chaar aankho ka bhi khel ho

lekin asali credit aap ko jaati hai jo aap itani paarakhi hain
Meri najar me to erotica ka ka matlab sex se pahele hone vali bud gudi or rangin mahol he. Jo shanso ko bhari kar deta he. Baki English muje nahi aati.
 
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