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Erotica सोलवां सावन

komaalrani

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Amezing Nina sex ke erotic mahol dill khush kar diya. Love it
Bahoot bahoot thanks
Take A Bow Thank You GIF by Iliza
 
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वापसी


रास्ते में मैंने देखा कि पूरबी उन दोनों लड़कों से, जो मेरी “रसीली तारीफ” कर रहे थे, घुल मिलकर बात कर रही थी।


गीता ने बताया कि वे पूरबी के ससुराल के हैं और बल्की उसके ससुराल के यार हैं।


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रात शुरू हो चुकी थी , और साथ कजरारे मतवारे बादल के छैले ,बार बार चांदनी का रास्ता रोक लेते , बस झुटपुट रोशनी थी ,

और कभी वो भी नहीं /

दूर होते जा रहे मेले में गैस लाइट ,जेनरेटर सब की रौशनी थी , और वहां बज रहे गानों की आवाजें दूर तक साथ आ रही थीं।

सुबह मेरी सहेलियां सब एक साथ थीं और गाँव के लडके पीछे ,

लेकिन अभी ,...कभी लडकियां एक साथ तो... कभी कुछ अपने यार के साथ भी ,

ख़ास तौर से पगडंडी जहाँ संकरी हो जाती थी ,या दोनों ओर आम के बाग़ या गन्ने के खेत होते ,

बस गुट बनते बिगड़ते रह रहे थे।

चंदा मेंरा हाथ पकड़ कर चल रही थी , क्योंकि बाकी के लिए तो ये जानी पहचानी डगर थी लेकिन मैं तो पहली बार ,


कुछ ही दूर पे पीछे पीछे अजय और सुनील ,कुछ बतियाते चल रहे थे।

पूरबी , कजरी ,गीता सब आगे आगे।


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" धंस गयल, अटक गयल ,सटक गयल हो ,

रजउ , धंस गयल, अटक गयल ,सटक गयल हो ,"



मेले में से नौटंकी के गाने की आवाज आई , और चंदा ने मुझे चिढ़ाते ,मेरे कान में फुसफुसा के बोला ,

" कहो , धँसल की ना ?"

" जाके धँसाने वाले से पूछो न। "



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उसी टोन में मैंने आँखे नचा के पीछे आ रहे , अजय की ओर इशारा कर के बोला।

" सच में जाके पूछूं उससे ,मेरी सहेली शिकायत कर रही है ,क्यों नहीं धँसाया। "


चंदा बड़ी शोख अदा से सच में , पीछे मुड़ के वो अजय की ओर बढ़ी।




" तेरी तो मैं , … "


कह के मैंने उसकी लम्बी चोटी का परांदा पकड़ के खींच लिया और मेरा एक मुक्का उसकी गोरी खुली पीठ पे।

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चंदा भी , मुड़के मेरे कान में हंस के हलके से बोली ,

" जब धँसायेगा न तो जान निकल जायेगी ,बहुत दर्द होता है जानू,… "

" होने दे यार ,कभी न कभी तो दर्द होना ही है।"


एक बेपरवाह अदा से गाल पे आई एक लट को झटक के मैं बोली।

चांदनी भी उस समय बादलों के कैद से आजाद हो गयीं थी।



अमराई से हलकी हलकी बयार चल रही थी।

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और पूरबी ने जैसे मेरी चंदा की बात चीत सुन ली और एक गाना छेड़ दिया , साथ में गीता और कजरी भी।


तानी धीरे धीरे डाला ,बड़ा दुखाला रजऊ ,

तानी धीरे धीरे डाला ,बड़ा दुखाला रजऊ ,


सुबह से ये गाना मैंने मेले में कितनी बार सूना था , तो अगली लाइन मैंने भी मस्ती में जोड़ दी।


बचपन में कान छिदायल ,तनिक भरे का छेद

मत पहिरावा हमका बाला , बड़ा दुखाला रजउ।
,
मस्त जोबनवा चोली धयला ,गाल तो कयला लाल ,

गिरी लवंगिया , बाला टूटल , बहुत कईला बेहाल।



और फिर पूरबी , कजरी ,सब ने आगे की लाइने जोड़ी

अरे अपनी गोंदिया में बैठाला ,बड़ा दुखाला रजऊ।

तानी धीरे धीरे डाला ,बड़ा दुखाला रजऊ ,



लौटते समय लड़कियां ज्यादा जोश में हो गयी थी।

एक तो अँधेरे में कुछ दिख नहीं रहा था साफ साफ ,कौन गा रहा है ,

सिरफ परछाइयाँ दिख रही थीं। हवा तेज चल रही थी।

दूसरे मेले की मस्ती के बाद हम सब भी काफी खुल गए थे


सब कुछ तो ले लेहला गाल जिन काटा ,


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कजरी ने शुरू किया। वो सब काफी आगे निकल गयी थीं।

पीछे से मैंने भी साथ दिया , लेकिन मुझे लगा ,चंदा शायद , और मैंने बाएं और देखा तो , वास्तव में वो नहीं थीं।

तब तक मुझे गाल पे किसी की अँगुलियों का अहसास हुआ और कान में किसी ने बोला ,


" ऐसा मालपूआ गाल होगा तो , न काटना जुल्म है। "



अजय पता नहीं कब से मेरे बगल में चल रहा था लेकिन गाने की मस्ती में ,

मेरे बिना कुछ पूछे उसने पीछे इशारा किया ,

एक घनी अमराई में , दो परछाइयाँ ,लिपटी,

चंदा और सुनील।

सुनील के घर का रास्ता यहाँ से अलग होता था।

बाकी लड़कियों भी एक एक करके ,

कुछ देर में में सिर्फ मैं अजय और चंदा रह गए , मैं बीच में और वो दोनों ओर ,

फिर चंदा की छेड़ती हुई बातें।


चंदा एक पल के लिए रुक गयी , किसी काम से।


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Kaware pan ke pahele prem ki bat hi kuchh or he. Jabardast acting romance
 
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मस्ती की बारिश


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“तो चुदवाओ ना… मेरी जान शर्मा क्यों कर रही थी, लो अभी चोदता हूँ अपनी रानी को…”



और उसने वहीं झूले पे मुझे लिटाके मेरे टीन जोबन को कसके रगड़ने, मसलने, चूमने लगा।


थोड़ी ही देर में मैं मस्ती में सिसकियां ले रही थी।

मेरा एक जोबन उसके हाथों से कसकर रगड़ा जा रहा था और दूसरे को वह पकड़े हुए था

और मेरे उत्तेजित निपल को कस-कस के चूस रहा था।

कुछ ही देर में उसने जांघों पर से मेरे साड़ी सरका दी और उसके हाथ मेरी गोरी-गोरी जांघों को सहलाने लगे।

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मेरी पूरी देह में करेंट दौड़ गया।

देखते-देखते उसने मेरी पूरी साड़ी हटा दी थी और चन्दा की तरह मैं भी टांगें फैलाकर, घुटने से मोड़कर लेट गयी थी।

उसकी उंगलियां, मेरे प्यासे भगोष्ठों को छेड़ रहीं थी, सहला रही थी।

अपने आप मेरी जांघें, और फैल रही थीं।

अचानक उसने अपनी एक उंगली मेरी कुंवारी अनचुदी चूत में डाल दी और मैं मस्ती से पागल हो गयी।

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उसकी उंगली मेरी रसीली चूत से अंदर-बाहर हो रही थी और मेरी चूत रस से गीली हो रही थी।

बारिश तो लगभग बंद हो गई थी पर मैं अब मदन रस में भीग रही थी। उसका अंगूठा अब मेरी क्लिट को रगड़, छेड़ रहा था।


और मैं जवानी के नशे में पागल हो रही थी-



“बस… बस करो ना… अब और कितना… उह्ह्ह… उह्ह्ह… ओह्ह्ह… अजय… बहुत… और मत तड़पाओ… डाल दो ना…”


अजय ने मुझे झूले पे इस तरह लिटा दिया कि मेरे चूतड़ एकदम किनारे पे थे।

बादल छंट गये थे और चांदनी में अजय का… मोटा… गोरा… मस्क्युलर… लण्ड,

उसने उसे मेरी गुलाबी कुंवारी… कोरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया, मेरी दोनों लम्बी गोरी टांगें उसके चौड़े कंधों पर थीं।


जब उसके लण्ड ने मेरी क्लिट को सहलाया तो मस्ती से मेरी आँखें बंद हो गयीं।

उसने अपने एक हाथ से मेरे दोनों भगोष्ठों को फैलाया और अपना सुपाड़ा मेरी चूत के मुहाने पे लगा के रगड़ने लगा।

दोनों चूचीयों को पकड़ के उसने पूरी ताकत से धक्का लगाया तो उसका सुपाड़ा मेरी चूत के अंदर था।



ओह… ओह… मेरी जान निकल रही थी, लगा रहा था मेरी चूत फट गयी है-


“उह… उह… अजय प्लीज… जरा सा रुक जाओ… ओह…”


मेरी बुरी हालत थी।


अजय अब एक बार फिर मेरे होंठों को चूचुक को, कस-कस के चूम चूस रहा था।

थोड़ी देर में दर्द कुछ कम हो गया और अब मैं अपनी चूत की अदंरूनी दीवाल पर सुपाड़े की रगड़न,

उसका स्पर्श महसूस कर रही थी और पहली बार एक नये तरह का मज़ा महसूस कर रही थी।

अजय की एक उंगली अब मेरी क्लिट को रगड़ रही थी और मैं भी दर्द को भूलकर धीरे-धीरे चूतड़ फिर से उचका रही थी।


एक बार फिर से बादल घने हो गये थे और पूरा अंधेरा छा गया था।


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अजय ने अपने दोनों मजबूत हाथों से मेरी पतली कमर को कस के पकड़ा और लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकाला, और पूरी ताकत से अंदर पेल दिया। बहुत जोर से बादल गरजा और बिजली कड़की… और मेरी सील टूट गयी।




मेरी चीख किसी ने नहीं सुनी, अजय ने भी नहीं, वह उसी जोश में धक्के मारता रहा।

मैं अपने चूतड़ कस के पटक रही थी पर अब लण्ड अच्छी तरह से मेरी चूत में घुस चुका था और उसके निकलने का कोई सवाल नहीं था। दस बाहर धक्के पूरी ताकत से मारने के बाद ही वह रुका।


जब उसे मेरे दर्द का एहसास हुआ और उसने धक्के मारने बंद किये।





प्यासी धरती की तरह मैं सोखती रही और जब अजय ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया तो भी मैं वैसे ही पड़ी रही।

अजय ने मुझे उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया। मैंने झुक कर अपनी जांघों के बीच देखा, मेरी चूत अजय के वीर्य से लथपथ थी

और अभी भी मेरी चूत से वीर्य की सफेद धार, मेरी गोरी जांघ पर निकल रही थी। पर तभी मैंने देखा-




ओह… ये खून खून कहां से… मेरा खून…


अजय ने मेरा गाल चूमते हुए, मेरा ब्लाउज उठाया और उसीसे मेरी जांघ के बीच लगा वीर्य और खून पोंछते हुए बोला-



“अरे रानी पहली बार चुदोगी तो बुर तो फटेगी ही… और बुर फटेगी तो दर्द भी होगा और खून भी निकलेगा, लेकिन अब आगे से सिर्फ मजा मिलेगा…”

अजय का लण्ड अभी भी थोड़ा खड़ा था। उसे पकड़कर अपनी मुट्ठी में लेते हुए, मैं बोली-





“सब इसी की करतूत है… मजे के लिये मेरी कुवांरी चूत फाड़ दी… और खून निकाला सो अलग…

और फिर इतना मोटा लंबा पहली बार में ही पूरा अंदर डालना जरूरी था क्या…”






अजय मेरा गाल काटता बोला-

“अरे रानी मजा भी तो इसी ने दिया है… और आगे के लिये मजे का रास्ता भी साफ किया है…
लेकिन आपकी ये बात गलत है की जब तुम्हें दर्द ज्यादा होने लगा तो मैंने सिर्फ आधे लण्ड से चोदा…” ''






बनावटी गुस्से में उसके लण्ड को कस के आगे पीछे करती, मैं बोली-



“आधे से क्यों… अजय ये तुम्हारी बेईमानी है… इसने मुझे इत्ता मजा दिया, जिंदगी में पहली बार और तुमने…

और दर्द… क्या… आगे से मैं चाहे जितना चिल्लाऊँ, चीखूं, चूतड़ पटकूं, चाहे दर्द से बेहोश हो जाऊँ,
पर बिना पूरा डाले तुम मुझे… छोड़ना मत, मुझे ये पूरा चाहिये…”





अजय भी अब मेरी चूत में कस-कस के ऊँगली कर रहा था-

“ठीक है रानी अभी लो मेरी जान अभी तुम्हें पूरे लण्ड का मजा देता हूं, चाहे तुम जित्ता चूतड़ पटको…”





मैंने मुँह बनाया-



“मेरा मतलब यह नहीं था और अभी तो… तुम कर चुके हो… अगली बार… अभी-अभी तो किया है…”





लेकिन अजय ने अबकी मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे झूले पे इस तरह लिटाया की सारे कपड़े मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिये

और अब मेरे चूतड़ अच्छी तरह उठे हुए थे। वह भी अब झूले पर ही मेरी फैली हुई टांगों के बीच आ गया





और अपने मोटे मूसल जैसे लण्ड को दिखाते हुए बोला-





“अभी का क्या मतलब… अरे ये फिर से तैयार है अभी तुम्हारी इस चूत को कैसा मजा देता है, असली मजा तो अबकी ही आयेगा…” वह अपना सुपाड़ा मेरी चूत के मुँह पर रगड़ रहा था और उसके हाथ मेरी चूचियां मसल रहे थे। वह अपना मोटा, पहाड़ी आलू ऐसा मोटा, कड़ा सुपाड़ा मेरी क्लिट पर रगड़ता रहा।




और जब मैं नशे से पागल होकर चिल्लाने लगी-


“अजय प्लीज… डाल दो ना… नहीं रहा जा रहा… ओह… ओह… करो ना… क्यों तड़पाते हो…” तो अजय ने एक ही धक्के में पूरा सुपाड़ा मेरी चूत में पेल दिया।


उह्ह्ह्ह, मेरे पूरे शरीर में दर्द की एक लहर दौड़ गयी, पर अबकी वो रुकने वाला नहीं था। मेरी पतली कमर पकड़ के उसने दूसरा धक्का दिया। मेरी चूत को फाड़ता, उसकी भीतरी दीवाल को रगड़ता, आधा लण्ड मेरी कसी किशोर चूत में घुस गया। दर्द तो बहुत हो रहा था पर मजा भी बहुत आ रहा था।

ह कभी मुझे चूमता, मेरी रसीली चूचियों को चूसता, कभी उन्हें कस के दबा देता, कभी मेरी क्लिट सहला देता, पर उसके धक्के लगातार जारी थे।





मैंने भी भाभी के सिखाने के मुताबिक अपनी टांगों को पूरी तरह फैला रखा था।




उसके धक्कों के साथ मेरी पायल में लगे घुंघरू बज रहे थे और साथ में सुर मिलाती सावन की झरती बूंदे, मेरे और उसके देह पर और इस सबके बीच मेरी सिसकियां, उसके मजबूत धक्कों की आवाज… बस मन कर रहा था कि वह चोदता ही रहे… चोदता ही रहे।

कुछ देर में ही उसका पूरा लण्ड मेरी रसीली चूत में समा गया था और अब उसके लण्ड का बेस मेरी चूत से क्लिट से रगड़ खा रहा था।



नीचे कपड़े रखकर जो उसने मेरे चूतड़ उभार रखे थे। एकदम नया मजा मिल रहा था।



थोड़ी देर में जैसे बरसात में, प्यासी धरती के ऊपर बादल छा जाते हैं वह मेरे ऊपर छा गया। अब उसका पूरा शरीर मेरी देह को दबाये हुए था और मैंने भी अपनी टांगें उसकी पीठ पर कर कस के जकड़ लिया था। कुछ उसके धक्कों का असर, कुछ सावन की धीरे-धीरे बहती मस्त हवा… झूला हल्के-हल्के चल रहा था।









मुझे दबाये हुए ही उसने अब धक्के लगाने शुरू कर दिये और मैं भी नीचे से चूतड़ उठा-उठाकर उसका जवाब दे रही थी। मेरे जोबन उसके चौड़े सीने के नीचे दबे हुए थे। वह पोज बदल-बदल कर, कभी मेरे कंधों को पकड़कर, कभी चूचियों को, तो कभी चूतड़ों को पकड़कर लगातार धक्के लगा रहा था, चोद रहा था, न सावन की झड़ी रुक रही थी, न मेरे साजन की चुदाई… और यह चलता रहा।









मैं एक बार… दो बार… पता नहीं कितनी बार झड़ी… मैं एकदम लथपथ हो गयी थी।


तब बहुत देर बाद अजय झड़ा और बहुत देर तक मैं अपनी चूत की गहराईयों में उसके वीर्य को महसूस कर रही थी।




उसका वीर्य मेरी चूत से निकलकर मेरी जांघों पर भी गिरता रहा। कुछ देर बाद अजय ने मुझे सहारा देकर झूले पर से उठाया। मैंने किसी तरह से साड़ी पहनी, पहनी क्या बस देह पर लपेट ली।
Uff pahele komarya bhang ki kahani duniya ki koi aurat nahi bhulti. Na us purusarth ko na hi vo wakt ko. Or usme agar romance se bhara ho to kahena hi kya
 
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जोरू का गुलाम भाग १६९

गुड्डी की सुहागरात, भैया के साथ,

मज़ा पलंग तोड़ जोड़ा पान का


update posted, please read, enjoy, like and share your comments
 
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Kaware pan ke pahele prem ki bat hi kuchh or he. Jabardast acting romance
Ekdam sahi kaha aapne story ki mool bhavana ko aap ekdam samjh gayi thanks so much
Fun Thank You GIF by Carawrrr
 

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रविन्द्र

और मैं चन्दा के साथ घर के लिये चल दी।

…………………

रास्ते में चन्दा ने बात छेड़ी-



“आज जो तुम्हारी कस के चुदाई हुई, वह तुम्हारे भाई रवीन्द्र के लिये बहुत जरूरी थी…”





मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं बनावटी गुस्से में बोली-



“बेचारे मेरे भाई रवीन्द्र को क्यों घसीटती हो इसमें…”





चन्दा ने मेरे गाल पे चिकोटी काट कर कहा-



“इसलिये मेरी प्यारी बिन्नो कि रवीन्द्र का, सुनील बल्की अब तक मैंने जितने भी देखे हैं सबसे बहुत लंबा और मोटा है, इसलिये अब कम से कम वह अपना सुपाड़ा तो घुसा सकेगा, अपनी प्यारी बहना की चूत में…”





मेरी आँखों के सामने रवीन्द्र की तस्वीर घूम रही थी, पर मैंने चन्दा को छेड़ते हुए कहा-



“अगर ऐसी बात है तो तू ही क्यों नहीं चुदवा लेती रवीन्द्र से…”





“अरे यार, मैं तो अपनी चूत हाथ पे लेके घूम रही हूँ, पर उसको तो अपनी इस प्यारी बहना को ही चोदना है ना, साल्ला… बहनचोद…” चन्दा हँस के बोली।





“हे गाली क्यों देती है, मेरे प्यारे भाई को…” मैं उसे घूर के बोली।

चन्दा ने मुश्कुराकर कहा-



“अपनी इस प्यारी प्यारी बहना को तो वह बिना चोदे मानेगा नहीं और अब इस बहना की चूत में भी इतनी खुजली मच रही होगी की वह भी अपने भैय्या से बिना चुदवाये रहेगी नहीं।



तो बहनचोद वह हुआ की नहीं और उसकी इस बहन को गांव के मेरे सारे भाई बिना चोदे तो जाने नहीं देंगे, और जिसकी बहन यहां चुदेगी वह साला हुआ की नहीं…”





बात तो उसकी सही थी पर मेरे मन में बार-बार रवीन्द्र की शक्ल घूम रही थी। मुझसे नहीं रहा आया और मैंने चन्दा से पूछ ही लिया-



“लेकिन मेरी समझ में ये नहीं आता कि… वह इत्ता शर्मीला है… मैं शुरूआत कैसे करूं…”





थोड़ी देर में खिलखिलाती हुई चन्दा बोली-



“मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है… जब तुम घर लौटोगी तो उसके कुछ दिन बाद ही सावन की पूनो, पड़ेगी, राखी…”



“तो…” उसकी बात बीच में काटकर मैं बोली।





“तो जब तुम उसको राखी बांधना तो वह पूछेगा की क्या चाहिये… तुम उसकी पैंट पर हाथ रखकर मांग लेना, भैय्या, मुझे तुम्हारा लण्ड चाहिये…” चन्दा जोर-जोर से हँस रही थी।



“हां जरुर मांगूंगी पर ये बोलूंगी की… मेरी प्यारी सहेली चन्दा के लिये चाहिये…”





मैंने चन्दा की पीठ पर हाथ मारकर कहा। बार-बार चन्दा की बात और रवीन्द्र मेरे मन में आ रहा था, इसलिये मैंने बात बदली-



“यार रवी… जब चूसता है तो… आग लग जाती है…”





“सही बात है, पक्का चूत चटोरा है, एक बार तो… अच्छा छोड़ो तुम विश्वास नहीं करोगी…”

“नहीं नहीं… बताओ ना…” मैंने जिद की।


“एक बार… हम लोग खेत में थे, मुझे पेशाब लगी थी मैं जैसे ही करके आयी, रवी ने मुझे पकड़ लिया, मैंने बहुत कहा कि मैंने अभी साफ नहीं किया, पर वह नहीं माना, कहने लगा- कोई बात नहीं, स्पेशल टेस्ट मिलेगा और उस दिन रोज से भी ज्यादा कस के चूसा और मुश्कुराके कहने लगा- थोड़ा खारा खारा था…”





“हाय… लगी हुई थी और…”



मैं आश्चर्य से बोली।



घर आ गया था इसलिये हम लोग बाहर खड़े-खड़े हल्की आवाज में बातें कर रहे थे।





“अरे, चौंक क्यों रही है देखना अभी चम्पा भाभी और कामिनी भाभी तुमसे क्या-क्या करवाती हैं…” चन्दा बोली।





मैं- “हां चम्पा भाभी हरदम चिढ़ाती रहती हैं कि कातिक में आओगी तो राकी के साथ…”





मेरी बात काटकर चन्दा ने फुसफुसाते हुए कहा-


“अरे राकी के साथ तो अब तुझे चुदवाना ही होगा उससे तो तू बच ही नहीं सकती। उसके साथ तो वो तेरी सुहागरात मनवाएंगी, पर… उसके बाद देखना, हर चीज तुम्हें पिलायेंगी-खिलायेंगी…”



तब तक घर के अंदर से भाभी की आवाज आयी, अरे तुम लोग बाहर क्या कर हो। जैसे ही हम अंदर गये चम्पा भाभी बोलीं-


“अरे मैं बताना भूल गयी थी, आज कामिनी भाभी के यहां सोहर और कजरी होगी, सबको बुलाया है तैयार हो जाओ, जल्दी चलना है…”


“ठीक है भाभी मैं चलती हूँ कामिनी भाभी के घर पे मिलूंगी…” ये कहकर चन्दा अपने घर को निकल गयी।
Kaware pan ki anokhi ras leela. Full adultry moj masti. Superb...
 
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रतजगा

बाहर बादल उमड़ घुमड़ रहे थे।


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गीता को भी जोश आ गया, वो बोली-




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“भाभी वो बादल वाला सुनाऊँ…”

“हां हां सुनाओ…” चमेली भाभी और मेरी भाभी एक साथ बोलीं। चन्दा भी गीता का साथ दे रही थी।



बिन बदरा के बिजुरिया कैसे चमके, हो रामा कैसे चमके, बिन बदरा के बिजुरिया,
अरे हमरी ननदी छिनार के गाल चमके, अरे गुड्डी रानी के दोनों गाल चमकें,

अरे उनकी चोली के, अरे उनकी चोली के भीतर
अरे गुड्डी रानी के दोनों अनार झलकें

जांघन के बीच में अरे जांघन के बीच में
अरे गुड्डी छिनार के दरार झलके।

बिन बदरा के बिजुरिया कैसे चमके, हो रामा कैसे चमके




चमेली भाभी ने पूछा-
“कैसी लगी…”


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मैंने आँखें नचाकर, मुश्कुराकर कहा-

“भाभी मिरच जरा कम था .…”



कामिनी भाभी ने पूरबी की ओर देखकर कहा-

“ये तो तुम ननद साल्लियों के लिये चैलेंज है…”





पूरबी और उनका साथ देने के लिये मेरी भाभी चालू हो गयीं-







अरे हमरे खेत में सरसों फुलायी, अरे सरसों फुलायी
गुड्डी रानी की अरे गुड्डी साली की हुई चुदाई,

अरे, रवीन्द्र की बहना की, गुड्डी छिनार की हुई चुदाई,






भाभी ने फिर दूसरा गाना शुरू किया और अबकी पूरबी साथ दे रही थी-


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अरे मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके,
हमरी ननदी रानी ने, गुड्डी रानी ने एक किया, दो किया, साढ़े तीन किया,

हिंदू मूसलमान किया, कोरी, चमार किया,
अरे 900 गुंडे बनारस के, अरे 900 छैले पटना के, मोती झलके,

अरे मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके,
हमरी ननदी छिनार ने, गुड्डी छिनार ने एक किया, दो किया, साढ़े तीन किया,
हम रो भतार किया, भतार के सार किया, उनके सब यार किया,

अरे 900 गदहे एलवल के, अरे 900 भंडुए कालीनगंज के, अरे मोती झलके
अरे मोती झलके लाली बेसरिया में, मोती झलके,





( जिस मुहल्ले में मैं रहती थी उसका नाम एलवल था, और मेरी गली के बाहर धोबियों के घर होने से, काफी गधे बंधे रहते थे,
इसलिये मजाक में उसे, गधे वाली गली कहते थे और हमारे शहर में जो रेड लाइट एरिया थी, उसका नाम कालीन गंज था।)




मेरी भाभी ने मुस्कराकर छेड़ा



“क्यों आया मजा, अब तो नाम पता , गली ,मोहल्ला सब साफ साफ है , कोई कन्फूजन नहीं है।, ”



मैं मुश्कुरा कर रह गयी।


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कामिनी भाभी ने कहा-


“मैं असली तेज मिरच वाली सुनाती हूं”
Wow maza aa gaya. Prem geet gariyana apas me anokha pyar badhata he. Shararat or ek alag maza. Sun ne or sunaneka.
 
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Wow maza aa gaya. Prem geet gariyana apas me anokha pyar badhata he. Shararat or ek alag maza. Sun ne or sunaneka.
aapko Lokgeet bahoot acche lgate hain muhe ummed hai ye prsang jismne dher saare gaane hain aapko pasand aayegaa
 
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Kaware pan ki anokhi ras leela. Full adultry moj masti. Superb...
yahi to gaaon ka maja vo hi jab kunvaari ka Solahvan Saavan laga ho, ,,,Gaon ho vo bhi Bhabhi ka jahan koyi Rok Tok naa ho
 
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