• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Erotica सोलवां सावन

287
617
109
अंड़स गया



















अब मुझे मेरी गाण्ड में घुसा हुआ उनका वो मोटा खूंटा साफ-साफ दिख रहा था।





भौजी, मेरी कमर के पास बैठ गईं और एक बार फिर प्यार से मेरी चुन्मुनिया सहलाते आँख मार के मुझसे बोलीं-






मेरी छिनार बिन्नो, असली दर्द तो अब होगा। अभी तक तो कुछ नहीं था। जब ये मोटा खूंटा तेरी गाण्ड के खूब कसे छल्ले को रगड़ते, दरेरते, घिसटते पार करेगा न, बस जान निकल जायेगी तेरी। लेकिन रास्ता ही क्या है, गुड्डी रानी तोहरे पास?

दोनों हाथ तो कस के बंधे हुए हैं, हिला भी नहीं सकती। सुपाड़ा गाण्ड में धंस गया है, लाख चूतड़ पटको सूत भर भी नहीं हिलेगा। हाँ चीखने चिल्लाने पर कोई रोक नहीं है। फिर कुँवारी ननद की उसके भैय्या गाण्ड मारें और चीख चिल्लाहट न हो, ये तो सख्त नाइंसाफी है। जब तक आधे गाँव को तुम्हारी चीख न सुनाई पड़े तो न गाण्ड मारने का मजा न मरवाने का…”




और फिर उन्होंने भैया को भी ललकारा-

“देख क्या रहे हो तेरी ही तो बहन है? तेरी मायके वाली तो सब पैदायशी छिनार होती हैं, तो इहो है। पेलो हचक के। खाली सुपाड़ा घुसाय के काहें छोड़ दिए हो। ठेल दो जड़ तक मूसल। बहुत दर्द होगा बुरचोदी को लेकिन गाण्ड मारने, मराने का यही तो मजा है। जब तक दर्द न हो तब तक न मारने वाले को मजा आता है न मरवाने वाली को…”

और भैया ने, एक बार फिर जोर से मेरी टाँगें कंधे पे सेट की, चूतड़ जोर से पकड़ा सुपाड़ा थोड़ा सा बाहर निकाला, और वो अपनी पूरी ताकत से ठेला की…

मेरी फट गई। बस मैं बेहोश नहीं हुई। मेरी जान नहीं गई।






जैसे किसी ने मुट्ठी भर लाल मिर्च मेरी गाण्ड में ठूंस दी हो और कूट रहा हो-


“उईईई… ओह्ह्ह… नहींईईई…”

चीख रुकती नहीं दुबारा चालू हो जाती।

मैं चूतड़ पटक रही थी, पलंग से रगड़ रही थी, दर्द से बिलबिला रही थी। लेकिन न मेरी चीख रोकने की कोशिश भैया ने की न भाभी ने।

भैया ठेलते रहे, धकेलते रहे।

भला हो बंसती का, जब मैं सुनील से गाण्ड मरवा के लौटी थी, और वो मेरी दुखती गाण्ड में क्रीम लगा रही थी, पूरे अंदर तक। उसने समझाया था की गाण्ड मरवाते समय लड़की के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, गाण्ड को और खास तौर से गाण्ड के छल्ले को ढीला छोड़ना। अपना ध्यान वहां से हटा लेना।

बसंती की बात एकदम सही थी।

लेकिन वो भी, जब एक बार सुपाड़ा गाण्ड के छल्ले को पार कर जाता तो फिर से एक बार वो उसे खींचकर बाहर निकालते, और दरेरते, रगड़ते, घिसटते जब वो बाहर निकलता तो बस मेरी जान नहीं निकलती थी बस बाकी सब कुछ हो जाता।

और बड़ी बेरहमी से दूनी ताकत से वो अपना मोटा सुपाड़ा, गाण्ड के छल्ले के पार ढकेल देते।






बिना बेरहमी के गाण्ड मारी भी नहीं जा सकती, ये बात भी बसंती ने ही मुझे समझायी थी। छ-सात बार इसी तरह उन्होंने गाण्ड के छल्ले के आर पार धकेला, ठेला। और धीरे-धीरे दर्द के साथ एक हल्की सी टीस, मजे की टीस भी शुरू हो गई। और अब जो उन्होंने मेरे चूतड़ों को दबोच के जो करारा धक्का मारा, अबकी आधे से ज्यादा खूंटा अंदर था, फाड़ता चीरता।

दर्द के मारे मेरी जबरदस्त चीख निकल गई, लेकिन साथ में मजे की एक लहर भी, एकदम नए तरह का मजा।

“दो तीन बार जब कामिनी भाभी के मर्द से गाण्ड मरवा लोगी न तब आएगा असली गाण्ड मरवाने का मजा, समझलू…”

बसंती ने छेड़ते हुए कहा था।

जैसे अर्ध विराम हो गया हो। भैय्या ने ठेलना बंद कर दिया था। आधे से थोड़ा ज्यादा लण्ड अंदर घुस गया था। गाण्ड बुरी तरह चरपरा रही थी। चेहरा मेरा दर्द से डूबा हुआ था।





लेकिन भैय्या ने अब अपनी गदोरी से मेरी चुनमुनिया को हल्के-हल्के, बहुत धीरे-धीरे सहलाना मसलना शुरू किया। चूत में अगन जगाने के लिए वो बहुत था, और कुछ देर में उनका अंगूठा भी उसी सुर ताल में, मेरी क्लिट को भी रगड़ने लगा। भैय्या के दूसरे हाथ ने चूची को हल्के से पकड़ के दबाना शुरू किया लेकिन कामिनी भौजी उतनी सीधी नहीं थी।

दूसरा उभार भौजी के हाथ में था, खूब कस-कस के उन्होंने मीजना मसलना शुरू कर दिया।



बस मैं पनियाने लगी, हल्के-हल्के चूतड़ उछालने लगी। पिछवाड़े का दर्द कम नहीं हुआ था, लेकिन इस दुहरे हमले से ऐसी मस्ती देह में छायी की…

“हे हमार ननदो छिनार, बुरियो क मजा लेत हाउ और गंड़ियो क, और भौजी तोहार सूखी-सूखी। चल चाट हमार बुर…”

वैसे भी कामिनी भाभी अगर किसी ननद को बुर चटवाना चाहें तो वो बच नहीं सकती और अभी तो मेरी दोनों कलाइयां कस के बंधी हुई थीं, गाण्ड में मोटा खूंटा धंसा हुआ था, न मैं हिल डुल सकती थी, न कुछ कर सकती थी।







कुछ ही देर में भाभी की दोनों तगड़ी जाँघों के बीच मेरा सर दबा हुआ था और जोर से अपनी बुर वो मेरे होंठों पे मसल रगड़ रही थीं, साथ में गालियां भी

“अरे छिनरो, गदहा चोदी, कुत्ताचोदी, तेरे सारे मायकेवालियों क गाण्ड मारूं, चाट, जोर-जोर से चाट, रंडी क जनी, हरामिन, अबहीं तो गाण्ड मारे क शुरुआत है, अभी देखो कैसे-कैसे, किससे-किससे तोहार गाण्ड कुटवाती हूँ…”

गाली की इस फुहार का मतलब था की भौजी खूब गरमा रही हैं और उन्हें बुर चूसवाने में बहुत मजा आ रहा है। मजा मुझे भी आ रहा था, गाली सुनने में भी और भौजी की रसीली बुरिया चूसने चाटने में भी।

मैंने अपने दोनों होंठों के बीच भौजी की रसभरी दोनों फांकें दबाई और लगी पूरे मजे ले ले के चूसने।






उधर भैया ने भी अपनी दो उंगलियों के बीच मेरी गुलाबी पुत्तियों को दबा के इतने जोर से मसलना शुरू कर दिया की मैं झड़ने के कगार पे आ गई। और मेरे भैय्या कोई कामिनी भाभी की तरह थोड़ी थे की मुझे झड़ने के किनारे पे ले आ के छोड़ देते।

उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और मैं, बस… जोर-जोर से काँप रही थी, चूतड़ पटक रही थी, मचल रही थी, सिसक रही थी।

भैया और भाभी ने बिना इस बात की परवाह किये अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। भैया ने अपना मूसल एक बार फिर मेरी गाण्ड में ठेलना शुरू कर दिया।

भाभी ने अब पूरी ताकत से अपनी बुर मेरी होंठों पे रगड़ना शुरू कर दिया, और मैं झड़ने से उबरी भी नहीं थी की उन्होंने अपना चूतड़ उचकाया, अपने दोनों हाथों से अपनी गाण्ड के छेद खूब जोर से फैलाया और सीधे मेरे मुँह के ऊपर-







“चाट, गाण्डचट्टो, चाट जोर-जोर से। तोहार गाण्ड हमार सैयां क लण्ड का मजा ले रही है त तनी हमरे गाण्ड के चाट चूट के हमहुँ क, हाँ हाँ ऐसे ही चाट, अरे जीभ गाण्ड के अंदर डाल के चाट। मस्त चाट रही हो छिनार और जोर से, हाँ घुसेड़ दो जीभ, अरे तोहें खूब मक्खन खिलाऊँगी, हाँ अरे गाँव क कुल भौजाइयन क मक्खन चटवाऊँगी, हमार ननदो…”

मैं कुछ भी नहीं सुन रही थी बस जोर-जोर से चाट रही थी, गाण्ड वैसे ही चूस रही थी जैसे थोड़ी देर पहले कामिनी भाभी की बुर चूस रही थी।

खुश होके भौजी ने मेरे दोनों हाथ खोल दिए और मेरी मेरे खुले हाथों ने सीधे भौजी की बुर दबोचा, दो उंगली अंदर, अंगूठा क्लिट पे। थोड़ी देर में भौजी भी झड़ने लगीं, जैसे तूफान में बँसवाड़ी के बांस एक दूसरे से रगड़ रहे हों बस उसी तरह, हम दोनों की देह गुत्थमगुत्था, लिपटी। जब भौजी का झड़ना रुका, भैय्या ने लण्ड अंदर पूरी जड़ तक मेरी गाण्ड में ठोंक दिया था। थोड़ी देर तक उन्होंने सांस ली फिर मेरे ऊपर से उतरकर भैया के पास चली गई।

पूरा लण्ड ठेलने के बाद भैय्या भी जैसे सुस्ता रहे थे। मेरी टाँगें जो अब तक उनके कंधे पे जमीं थीं, सीधे बिस्तर पे आ गई थीं। हाँ अभी भी मुड़ीं, दुहरी। हम दोनों की देह एक दूसरे से चिपकी हुई थी। भौजी ऐसे देख रही थीं की जैसे उन्हें बिस्वास नहीं हो रहा की मेरी गाण्ड ने इतना मोटा लंबा मूसल घोंट लिया।






बाहर मौसम भी बदल रहा था। हवा रुकी थी, बादल पूरे आसमान पे छाए थे और हल्की-हल्की एक दो बूंदें फिर शुरू हो गई थीं। लग रहा था की जोर की बारिश बस शुरू होने वाली है।

मेरे हाथ अब खुल गए थे तो मैंने भी भैय्या को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया था।






,🔥🔥🔥
 
  • Like
Reactions: komaalrani

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259


thanks for gracing the thread and nice words
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
कुतिया बना के,....

















मेरे हाथ अब खुल गए थे तो मैंने भी भैय्या को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया था।


“अरे एह छिनार, भैयाचोदी को कुतिया बना के चोदो। बिना कुतिया बनाये न गाण्ड मारने का मजा, न गाण्ड मरवाने का। बनाओ कुतिया…”

भैय्या को मैं मान गई।

बिना एक इंच भी लण्ड बाहर निकाले उन्होंने पोज बदला, हाँ कामिनी भाभी ने मेरे घुटनों और पेट के नीचे वो सारे तकिये और कुशन लगा दिए जो कुछ देर पहले चूतड़ के नीचे थे। इसके बाद तो फिर तूफान आ गया, बाहर भी अंदर भी।

खूब तेज बारिश अचानक फिर शुरू हो गई, आसमान बिजली की चमक, बादलों की गड़गड़गाहट से भर गया।









भैय्या ने अब शुरूआत ही फुल स्पीड से की, हर धक्के में लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकालते और फिर पूरी ताकत से लण्ड जड़ तक, गाण्ड के अंदर।






साथ में मेरी दोनों चूचियां उनके मजबूत हाथों में, बस लग रहा था की निचोड़ के दम लेंगे।

एक बार फिर मेरी चीख पुकार से कमरा गूँज उठा।

बसंती भौजी ने बताया था की मर्द अगर एक बार झड़ने के बाद दुबारा चोदता है तो दोगुना टाइम लेता है और अगर वो कामिनी भाभी के मर्द जैसा है तो फिर तो… चिथड़े चिथड़े करके ही छोड़ेगा।

जैसे कोई धुनिया रुई धुने उस तरह, लेकिन कुछ ही देर में दर्द मजे में बदल गया, बल्की यूँ कहूँ की दर्द मजे में बदल गया। चीखों की जगह सिसिकियां…

लेकिन इसमें भौजी का भी हाथ था। उन्होंने मेरी जाँघों के बीच हाथ डालकर पहले तो मेरी चुनमुनिया को थोड़ा सहलाया मसला, फिर पूरी ताकत से अपनी एक उंगली, ज्यादा नहीं बस दो पोर, लेकिन फिर जिस तरह से भैय्या का लण्ड मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर, अंदर-बाहर होता उसी तरह कामिनी भाभी की उंगली मेरी चूत में, और जब भौजी ने मेरी बुर से उंगली निकाली तो भैय्या ने ठेल दी।

भौजी ने एक बार फिर से मेरा मुँह अपनी बुर में…






वो मेरे सामने बैठी थी अपनी दोनों जांघें खोल के, और मेरा सर पकड़ के सीधे उन्होंने वहीं… बिना कहे मैंने जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया।

भैय्या हचक-हचक के मेरी गाण्ड मार रहे थे, साथ में उनकी एक उंगली मेरी चूत में कभी गोल-गोल तो कभी अंदर-बाहर।






उनके हर धक्के के साथ मेरी भौजी की बुर चूसने की रफ़्तार भी बढ़ जाती। भौजी के मुँह से गालियां बरस रही थीं और उनका एक हाथ मेरी चूची की रगड़ाई मसलाई में जुटा था।

बारिश की तीखी बौछार मेरी पीठ पे पड़ रही थी, लेकिन इससे न भैय्या की गाण्ड मारने की रफ़्तार कम हो रही थी, न मरवाने की मेरी। भैया के हर धक्के का जवाब मैं भी धक्के से अब दे रही थी।

मेरी गाण्ड भी भैया के लण्ड को दबोच रही थी, निचोड़ रही थी जोर-जोर से।

आधे घंटे से ऊपर ही हो गया, धक्के पे धक्का।

भौजी और मैं साथ-साथ झड़े, और फिर मेरी गाण्ड ने इतने जोर से निचोड़ना शुरू किया की… की साथ-साथ भैया भी, उनका लण्ड मेरी गाण्ड में जड़ तक घुसा हुआ था।





और उसके बाद सारा दर्द सारी थकान एक साथ… मैं कब सो गई मुझे पता नहीं चला, बस यही की मैं भौजी और भैय्या के बीच में लेटी थी।

शायद सोते समय भी भैया ने बाहर नहीं निकाला था।





 
Last edited:
287
617
109
मेरे हाथ अब खुल गए थे तो मैंने भी भैय्या को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया था।


“अरे एह छिनार, भैयाचोदी को कुतिया बना के चोदो। बिना कुतिया बनाये न गाण्ड मारने का मजा, न गाण्ड मरवाने का। बनाओ कुतिया…”

भैय्या को मैं मान गई।


🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
 
  • Like
Reactions: komaalrani

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
मेरे हाथ अब खुल गए थे तो मैंने भी भैय्या को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया था।


“अरे एह छिनार, भैयाचोदी को कुतिया बना के चोदो। बिना कुतिया बनाये न गाण्ड मारने का मजा, न गाण्ड मरवाने का। बनाओ कुतिया…”

भैय्या को मैं मान गई।


🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥


बहुत बहुत धन्यवाद अगली फुहार बस थोड़ी देर में,
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259
आगे, सुबह की दास्तान, अगली फुहार में आज ही
 

komaalrani

Well-Known Member
22,259
57,932
259


रात भर बरसा मेंह
 
Top