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Erotica सोलवां सावन

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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304
सजन संग जाना है,



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माँ और चम्पा भाभी की आवाज सुनाई दे रही थी,... फिर भाभी की खिलखिलाती हंसी, और चम्पा भाभी मेरी भाभी को खूब चिढ़ा रही थीं,... बीच बीच में माँ भी तड़का लगा रही थीं, ननद भाभी के खुले मजाक में वो एकदम से भाभी का भी पक्ष लेती थीं आखिर गांव के रिश्ते से गाँव की बहू ही थीं वो,

चम्पा भाभी पूछ रही थीं,...

" अच्छा बताओ कल रात सवारी कहाँ कहाँ गयी, कहाँ तम्बू गड़ा, कहाँ मुज़रा हुआ, कहाँ घुंघरू टूटा ननद रानी,... "

Teej-77e1fabb2ae373e97a35009845837391.jpg


मैं चौंक गयी, बिना आँखे खोले, कान खोल के सुनने लगी, इसका मतलब वो सुहागन वाला रतजगा,

अब तक गाँव में रह के गाँव क खेल तमाशा अच्छी तरह समझ गयी थी, रतजगे से ये बहाना बना के निकल आयी होंगी की गुड्डी घर पे अकेले है, ... और फिर किसी यार के संग,...


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लेकिन आगे की बात मेरी भाभी ने खुद ही उगल दी, वो बोलीं,

" अरे, बड़ा मजा आया, और कौन अरे उहे जवेदवा, पठान टोले वाला, इत्ते दिन से पीछे पड़ा था की अबकी मायके आयी हो तो पहचान ही नहीं रही हो, वो तो आठ बजे से फटफटिया लेके खड़ा था, ... उसको हम बोल दिए थे की रतजगा के लिए आउंगी तो थोड़ी देर मौका निकाल के,.. तो निकलते निकलते,... "

Man-bike-e40b5b415c3de566691bd757d77dfc03-biker-boys-male-photography.jpg


"साढ़े आठ बजे निकल गयी थी , अभी तो गाना ही चल रहा था खेल तमाशा शुरू नहीं हुआ था "

माँ की आवाज सुनाई पड़ी। लेकिन भाभी ने अनसुनी करते हुए बात आगे बढ़ाई

" मैं तो सोच रही थी की पठान टोली के बाहर जउन बाग़ है , आम की जावेद की उसी में,... जावेद के साथ सलीम भी था , अब उसका पक्का यार, तो उस को बेचारा कहाँ छोड़ता ,... लेकिन बाइक पर मैं बीच में , सलीम पीछे,.. पर वो गाँव के बाहर एक ट्यूबेल वाली कोठरिया है , अच्छी खासी बड़ी,... तो वहीँ ,.. तो वो दोनों,... और भाभी आप तो जानती ही हैं वो दोनों पक्के पठान हैं रगड़ के रख देते हैं, अंग अंग तोड़ देते हैं , ... "

Teej-20211219-165318.jpg


" तो वही दोनों थे और या कोई और,... " चम्पा भाभी हाल खुलासा सुनना चाहती थीं , मैं भी अपनी भाभी का रात का किस्सा,...
भाभी थोड़ी देर तक ख़ुशी से खिलखिलाती रहीं फिर बोलीं,

" अरे वही तो असली मजा दो एकदम नए लौंडे, रेख भी नहीं आयी थी ठीक से, दोनों बेचारे कुंवारे, पहली बार,... सलीमवा के कोई रिश्ते में भाई वाई लगते थे ,... एक को तो मुझे पटक के रेप करना पड़ा, वो नीचे पड़ा चिंचिया रहा था और मैं ऊपर चढ़ के स्साले को रगड़ रगड़ के,... जावेदवा और सलीमवा हंस रहे थे,... दूसरके ने थोड़ी हिम्मत कर के, लेकिन दोनों सीखते जल्दी थे , और लम्बी रेस के घोड़े,... फिर तो जब डबलिंग हुयी , एक नया एक पुराना,... "

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भाभी अपने किस्से रात के बता ही रही थीं की मुझे एक बार फिर नींद आयी और अबकी मैं कस के लम्बी नींद सो गयी।


उठी तो लग रहा था की देर शाम हो गई है और मैं एकदम घबड़ा गई। अंधेरा सा लग रहा था, मैं तो भूल ही गई थी, सुनील से किया अपना वायदा, उसने तो तीन तिरबाचा भी धरवाया था, कसम भी खिलवाई थी।

शाम को उसने बुलाया था अमराई में, हमारे घर से मुश्किल से 10-15 मिनट का रास्ता था, मैं दो चार बार जा भी चुकी थी।

वहीं अमराई जहाँ एक बार चन्दा मुझे ले गई थी और पहली बार सुनील और रवि दोनों ने मेरी ली थी और चन्दा की भी। हम दोनों ने पहली बार एक साथ, एक दूसरे के सामने करवाया था और मेरी सारी झिझक उसके बाद निकल गई थी।

mango-grove.jpg


बात सिर्फ सुनील की नहीं थी। परसों सुनील के साथ एक लड़का और भी था जब मैं छत पे गई थी। सुनील उसी के सामने खुल के इशारा कर रहा था, नीचे आने के लिए। एकदम नया माल लग रहा था। कल जब मैं गन्ने के खेत में गई थी तो मुझे लगा की वही होगा सुनील के साथ। लेकिन सुनील ने बोला की वो पास के गाँव में रहता है, उसी गाँव में जहां भाभी गई थीं। और वहीं उसे मेरे बारे में पता चला। असल में वो पढ़ने के लिए हमारे ही शहर में रहता है और मेरे स्कूल के बगल वाले ब्वायज स्कूल में है। उम्र में मेरे बराबर ही होगा या शायद थोड़ा छोटा ही, और अबतक ‘कुंवारा’ है।



वो शाम को ही आ पाता है, बिचारा बहुत बेचैन है मिलने के लिए, और कल मुझे देखने के बाद तो उसकी हालत खराब है। आज शाम होने के पहले ही आ जायेगा। सुनील उसे ले के उसी अमराई में आयेगा जहां मैं कई बार सुनील से चन्दा के साथ मरवा चुकी थी।



सुनील से मैंने बोला था की मैं पक्का आऊँगी, हाँ सुनील ने ये भी बोला था की अँधेरा होने के पहले पहुँच जाऊँ। हालांकी बाद में चन्दा ने मुझे बोल दिया था की शाम को वो नहीं आ पाएगी लेकिन मुझे तो जाना ही था, मैंने सुनील से प्रामिस किया था पर उस कच्चे केले (कच्ची कली का पुरुष संस्करण) से भी मिलने का बड़ा मन था, मैंने अपने से प्रामिस किया था की आज तो उसकी नथ उतार के ही रहूंगी।

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पर इतना अँधेरा, मुझे लगा मैं बहुत देर तक सो गई, लेकिन जब उठकर मैंने टेबल पर रखी घड़ी देखी तो जान में जान आई। अभी तो पांच भी नहीं बजे थे, ये सिर्फ काले बादलों का चक्कर था जो लग रहा था की…

क्या पहनू मैं सोच रही थी की फिर याद आया सुनील ने बोला था कि आज गाँव की गोरी बन के आने का। बस पन्दरह मिनट में मैं तैयार हो गई। कसी खूब लो-कट बैकलेस चोली, साड़ी भी मैंने कूल्हे के नीचे बाँधी थी, और कस के, मेरे उभारों की तरह मेरे चूतड़ भी एकदम खुल के दिख रहे थे, फिर सिंगार। कुहनी तक चूड़ियां हरी हरी, साड़ी से मैचिंग डार्क लिपस्टिक, काजल, झुमके और घुंघुरू वाली चांदी की पायल।

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और तब तक माँ आगयीं खुद बोलीं- “अरे दोपहर से कमरे में पड़ी हो। चन्दा तो आएगी नहीं, अब तो तुम्हारा भी ये गाँव है, जरा जाके घूम टहल आओ, थोड़ा मन बहल जाएगा। मौसम भी बहुत अच्छा हो रहा है…”



लेकिन जिस तरह से वो मेरे गाल छू रही थीं, मैं समझ गयी की ये भी ललचा रही हैं, फिर मेरे सिंगार में कुछ और, सबसे पहले मेरी लिपस्टिक को एक बार और खूब डार्क किया, हलकी सी लिपस्टिक अपनी उँगलियों पे स्मज करके मेरे गालों पर भी, गुलाबी गाल और दहकने लगे, फिर उन्होंने मेरी चोली खोल दी, और मेरे कुछ बोलने के पहले, मेरे उभारों पर भी हल्का सा मेकअप , क्लीवेज पर,... दोनों घुंडियों को कस के मरोड़ दिया , अब तो दोनों एकदम टनटना गयी थीं , पूरी खड़ी, फिर उन्होंने मेरे उन दोनों निप्स पे भी लिपस्टिक का मोटा कोट और उभार थोड़ा और उठा के चोली इस तरह टाइट बंद की, कि क्लीवेज तो एकदम साफ़ दूर से दिख रहा था, मेरे निप्स भी चोली के अंदर से साफ़ साफ़ झलक रहे थे , बरछी की कटार की तरह

“ माँ, जल्द लौट आऊँगी…” मैंने बहाना बनाया

Girl-cute-688ded1a2c3b3cbebabba673844372c3.jpg


तो उलटे वो बोलीं- “अरे आराम से आना अभी तो तुम्हारी भाभी और चम्पा भाभी भी कामिनी भाभी के यहां गई हैं। वो लोग भी थोड़ा लेट ही लौटेंगी…”


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बादल हल्के से छंट गए थे, धूप फिर थोड़ी-थोड़ी खिल गई थी, एक इंद्रधनुष खिल उठा था और मैं घर से बाहर निकल पड़ी।
Super, yaar pata nahi kis kis ke kaha kaha dalvati rehti ho, lekin padh ke maza bahut ata hai.Tumara likhne ka method Unique hai sis,har koi tumhari deep baato ko nahi samjh sakta.Adbhut hai tumara writing style aur knowledge.👌👌👌
:claps:aur tumari festivals ki knowledge to bas extreme hai,sirra
Well Done Bravo GIF by Friends
 

komaalrani

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Super, yaar pata nahi kis kis ke kaha kaha dalvati rehti ho, lekin padh ke maza bahut ata hai.Tumara likhne ka method Unique hai sis,har koi tumhari deep baato ko nahi samjh sakta.Adbhut hai tumara writing style aur knowledge.👌👌👌
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Thanks so much, you make me blush sis
 

malikarman

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सजन संग जाना है,



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माँ और चम्पा भाभी की आवाज सुनाई दे रही थी,... फिर भाभी की खिलखिलाती हंसी, और चम्पा भाभी मेरी भाभी को खूब चिढ़ा रही थीं,... बीच बीच में माँ भी तड़का लगा रही थीं, ननद भाभी के खुले मजाक में वो एकदम से भाभी का भी पक्ष लेती थीं आखिर गांव के रिश्ते से गाँव की बहू ही थीं वो,

चम्पा भाभी पूछ रही थीं,...

" अच्छा बताओ कल रात सवारी कहाँ कहाँ गयी, कहाँ तम्बू गड़ा, कहाँ मुज़रा हुआ, कहाँ घुंघरू टूटा ननद रानी,... "

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मैं चौंक गयी, बिना आँखे खोले, कान खोल के सुनने लगी, इसका मतलब वो सुहागन वाला रतजगा,

अब तक गाँव में रह के गाँव क खेल तमाशा अच्छी तरह समझ गयी थी, रतजगे से ये बहाना बना के निकल आयी होंगी की गुड्डी घर पे अकेले है, ... और फिर किसी यार के संग,...


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लेकिन आगे की बात मेरी भाभी ने खुद ही उगल दी, वो बोलीं,

" अरे, बड़ा मजा आया, और कौन अरे उहे जवेदवा, पठान टोले वाला, इत्ते दिन से पीछे पड़ा था की अबकी मायके आयी हो तो पहचान ही नहीं रही हो, वो तो आठ बजे से फटफटिया लेके खड़ा था, ... उसको हम बोल दिए थे की रतजगा के लिए आउंगी तो थोड़ी देर मौका निकाल के,.. तो निकलते निकलते,... "

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"साढ़े आठ बजे निकल गयी थी , अभी तो गाना ही चल रहा था खेल तमाशा शुरू नहीं हुआ था "

माँ की आवाज सुनाई पड़ी। लेकिन भाभी ने अनसुनी करते हुए बात आगे बढ़ाई

" मैं तो सोच रही थी की पठान टोली के बाहर जउन बाग़ है , आम की जावेद की उसी में,... जावेद के साथ सलीम भी था , अब उसका पक्का यार, तो उस को बेचारा कहाँ छोड़ता ,... लेकिन बाइक पर मैं बीच में , सलीम पीछे,.. पर वो गाँव के बाहर एक ट्यूबेल वाली कोठरिया है , अच्छी खासी बड़ी,... तो वहीँ ,.. तो वो दोनों,... और भाभी आप तो जानती ही हैं वो दोनों पक्के पठान हैं रगड़ के रख देते हैं, अंग अंग तोड़ देते हैं , ... "

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" तो वही दोनों थे और या कोई और,... " चम्पा भाभी हाल खुलासा सुनना चाहती थीं , मैं भी अपनी भाभी का रात का किस्सा,...
भाभी थोड़ी देर तक ख़ुशी से खिलखिलाती रहीं फिर बोलीं,

" अरे वही तो असली मजा दो एकदम नए लौंडे, रेख भी नहीं आयी थी ठीक से, दोनों बेचारे कुंवारे, पहली बार,... सलीमवा के कोई रिश्ते में भाई वाई लगते थे ,... एक को तो मुझे पटक के रेप करना पड़ा, वो नीचे पड़ा चिंचिया रहा था और मैं ऊपर चढ़ के स्साले को रगड़ रगड़ के,... जावेदवा और सलीमवा हंस रहे थे,... दूसरके ने थोड़ी हिम्मत कर के, लेकिन दोनों सीखते जल्दी थे , और लम्बी रेस के घोड़े,... फिर तो जब डबलिंग हुयी , एक नया एक पुराना,... "

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भाभी अपने किस्से रात के बता ही रही थीं की मुझे एक बार फिर नींद आयी और अबकी मैं कस के लम्बी नींद सो गयी।


उठी तो लग रहा था की देर शाम हो गई है और मैं एकदम घबड़ा गई। अंधेरा सा लग रहा था, मैं तो भूल ही गई थी, सुनील से किया अपना वायदा, उसने तो तीन तिरबाचा भी धरवाया था, कसम भी खिलवाई थी।

शाम को उसने बुलाया था अमराई में, हमारे घर से मुश्किल से 10-15 मिनट का रास्ता था, मैं दो चार बार जा भी चुकी थी।

वहीं अमराई जहाँ एक बार चन्दा मुझे ले गई थी और पहली बार सुनील और रवि दोनों ने मेरी ली थी और चन्दा की भी। हम दोनों ने पहली बार एक साथ, एक दूसरे के सामने करवाया था और मेरी सारी झिझक उसके बाद निकल गई थी।

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बात सिर्फ सुनील की नहीं थी। परसों सुनील के साथ एक लड़का और भी था जब मैं छत पे गई थी। सुनील उसी के सामने खुल के इशारा कर रहा था, नीचे आने के लिए। एकदम नया माल लग रहा था। कल जब मैं गन्ने के खेत में गई थी तो मुझे लगा की वही होगा सुनील के साथ। लेकिन सुनील ने बोला की वो पास के गाँव में रहता है, उसी गाँव में जहां भाभी गई थीं। और वहीं उसे मेरे बारे में पता चला। असल में वो पढ़ने के लिए हमारे ही शहर में रहता है और मेरे स्कूल के बगल वाले ब्वायज स्कूल में है। उम्र में मेरे बराबर ही होगा या शायद थोड़ा छोटा ही, और अबतक ‘कुंवारा’ है।



वो शाम को ही आ पाता है, बिचारा बहुत बेचैन है मिलने के लिए, और कल मुझे देखने के बाद तो उसकी हालत खराब है। आज शाम होने के पहले ही आ जायेगा। सुनील उसे ले के उसी अमराई में आयेगा जहां मैं कई बार सुनील से चन्दा के साथ मरवा चुकी थी।



सुनील से मैंने बोला था की मैं पक्का आऊँगी, हाँ सुनील ने ये भी बोला था की अँधेरा होने के पहले पहुँच जाऊँ। हालांकी बाद में चन्दा ने मुझे बोल दिया था की शाम को वो नहीं आ पाएगी लेकिन मुझे तो जाना ही था, मैंने सुनील से प्रामिस किया था पर उस कच्चे केले (कच्ची कली का पुरुष संस्करण) से भी मिलने का बड़ा मन था, मैंने अपने से प्रामिस किया था की आज तो उसकी नथ उतार के ही रहूंगी।

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पर इतना अँधेरा, मुझे लगा मैं बहुत देर तक सो गई, लेकिन जब उठकर मैंने टेबल पर रखी घड़ी देखी तो जान में जान आई। अभी तो पांच भी नहीं बजे थे, ये सिर्फ काले बादलों का चक्कर था जो लग रहा था की…

क्या पहनू मैं सोच रही थी की फिर याद आया सुनील ने बोला था कि आज गाँव की गोरी बन के आने का। बस पन्दरह मिनट में मैं तैयार हो गई। कसी खूब लो-कट बैकलेस चोली, साड़ी भी मैंने कूल्हे के नीचे बाँधी थी, और कस के, मेरे उभारों की तरह मेरे चूतड़ भी एकदम खुल के दिख रहे थे, फिर सिंगार। कुहनी तक चूड़ियां हरी हरी, साड़ी से मैचिंग डार्क लिपस्टिक, काजल, झुमके और घुंघुरू वाली चांदी की पायल।

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और तब तक माँ आगयीं खुद बोलीं- “अरे दोपहर से कमरे में पड़ी हो। चन्दा तो आएगी नहीं, अब तो तुम्हारा भी ये गाँव है, जरा जाके घूम टहल आओ, थोड़ा मन बहल जाएगा। मौसम भी बहुत अच्छा हो रहा है…”



लेकिन जिस तरह से वो मेरे गाल छू रही थीं, मैं समझ गयी की ये भी ललचा रही हैं, फिर मेरे सिंगार में कुछ और, सबसे पहले मेरी लिपस्टिक को एक बार और खूब डार्क किया, हलकी सी लिपस्टिक अपनी उँगलियों पे स्मज करके मेरे गालों पर भी, गुलाबी गाल और दहकने लगे, फिर उन्होंने मेरी चोली खोल दी, और मेरे कुछ बोलने के पहले, मेरे उभारों पर भी हल्का सा मेकअप , क्लीवेज पर,... दोनों घुंडियों को कस के मरोड़ दिया , अब तो दोनों एकदम टनटना गयी थीं , पूरी खड़ी, फिर उन्होंने मेरे उन दोनों निप्स पे भी लिपस्टिक का मोटा कोट और उभार थोड़ा और उठा के चोली इस तरह टाइट बंद की, कि क्लीवेज तो एकदम साफ़ दूर से दिख रहा था, मेरे निप्स भी चोली के अंदर से साफ़ साफ़ झलक रहे थे , बरछी की कटार की तरह

“ माँ, जल्द लौट आऊँगी…” मैंने बहाना बनाया

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तो उलटे वो बोलीं- “अरे आराम से आना अभी तो तुम्हारी भाभी और चम्पा भाभी भी कामिनी भाभी के यहां गई हैं। वो लोग भी थोड़ा लेट ही लौटेंगी…”


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बादल हल्के से छंट गए थे, धूप फिर थोड़ी-थोड़ी खिल गई थी, एक इंद्रधनुष खिल उठा था और मैं घर से बाहर निकल पड़ी।
Waah aag laga di
 
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Waah aag laga di
abhi to aag sulagana shuru huyi hai, phir dahkegi, phir dhu dhu kar ke jalegi
 
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komaalrani

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2 baar pani nikali hui update padte padte aap bahut mast likhti hai

isi liye to aisa likhti hun ki padh ke,...aur aisi taarif par to ek update banata hai na, to agali phuhar aaj hi
 
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***** *****उनचासवीं फुहार -

सुनील और वो

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“ माँ, जल्द लौट आऊँगी…” मैंने बहाना बनाया



तो उलटे वो बोलीं- “अरे आराम से आना अभी तो तुम्हारी भाभी और चम्पा भाभी भी कामिनी भाभी के यहां गई हैं। वो लोग भी थोड़ा लेट ही लौटेंगी…”



बादल हल्के से छंट गए थे, धूप फिर थोड़ी-थोड़ी खिल गई थी, एक इंद्रधनुष खिल उठा था और मैं घर से बाहर निकल पड़ी।



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धूप की किरणें और बादल आंख मिचौली खेल रहे थे, हवा ठंडी-ठंडी चल रही थी, जैसे पास के गाँव में अभी-अभी बारिश हुई हो। सोंधी-सोंधी मिट्टी की महक भी हवाओं में मिली हुई थी। धान के फैले खेत, हरी-हरी अमराई, संकरी गली, पगडंडी अब सब मेरी जानी पहचानी हो गई थीं।



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रास्ते में जो भौजाइयां मिलती थीं, उनके मजाक का उन्हीं की बोलीं में जवाब, जो लौंडे मिलते थे उनको अपने जोबना को उभार के ललचाती लुभाती, उनके कमेंट्स पर कभी मुश्काती तो कभी आंखों के इशारे से लाइन मारती मैं चली जा रही थी।



मुझे मालूम था कहां जाना है? कहां वो मेरा चाहने वाला इंतजार कर रहा होगा? मुझे मालूम था की वो कितना बेताब होगा वो, लेकिन उससे ज्यादा बेताब तो मैं थी।

कल दिन में ही तो
सुनील के मूसल ने जम के आगे-पीछे कूटा था, अभी तक चिलख हो रही थी लेकिन, मन और चूत दोनों की प्यास बुझती कहां है।

चलने के पहले एक बार फिर कामिनी भाभी की दी हुई क्रीम मैंने दो अंगुली में लगाकर आगे-पीछे दोनों ओर पूरे अंदर तक चुपड़ ली थी (उस समय तक मुझे ये नहीं मालूम था की उस क्रीम के बाकी फायदों के साथ ये असर भी होता है की लगाने के पन्दरह बीस मिनट के बाद जमकर खुजली मचती है और फिर मना करने का सवाल ही नहीं उठता)।


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हाँ, एक सावधान इंडिया टाइप सावधानी मैंने जरूर बरत ली थी, चलने से पहले। ताखे पर जो मां ने चम्पा भाभी से कड़ुवे तेल की शीशी रखवाई थी, बस पिछवाड़े निहूर कर, सीधे बोतल से, दो चार ढक्क्न कड़ुवा तेल, क्या पता। और सुनील वो बिना मेरा पीछे का बाजा बजाए छोड़ने वाला नहीं था।


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और बेताब मैं सुनील के साथ-साथ नए माल के लिए भी हो रही थी, वही जिसके साथ सुनील मुझे कल इशारे कर रहा था। सुनील ने बताया था की है तो वो बगल के गाँव का लेकिन पढ़ता मेरे शहर में ही है। मुझसे उमर में थोड़ा छोटा ही होगा।

और दस पन्दरह मिनट में मैं अमराई के अंदर धंस गई थी, जहां सुनील को मिलना था। दो-तीन खूब घने पेड़ों के पीछे, एक छोटा सा कमरा था चौकीदार का, एकदम बाग के अंदर। और जिस दिन सुनील वहां होता था, बस चौकीदार को फुटा देता था। अंदर ढेर सारा पुवाल पड़ा था। दरवाजे पर पहुँचकर मैंने एक दो बार चारों ओर देखा, कोई नहीं था, पूरा सन्नाटा। लग रहा था बादल अब बरसा तब बरसा। अचानक अंधेरा छा गया था।



दरवाजा बस उठंगाया सा था, मैंने हल्के से दरवाजे को धक्का दिया, और चूं-चूं करते हुए वो खुल गया। अंदर अंधेरा और गहरा था बस दूसरी तरफ एक ढिबरी सी ताखे में जल रही थी। मैं उसी ओर बढ़ी, लेकिन जब तक दरवाजे से मैं घुसी थी, वो अचानक बाहर से बंद हो गया और बाहर से किसी ने जैसे ताला लगा दिया हो।



डर के मारे मेरी हालत खराब हो गई।

अब निकल भी नहीं सकती थी। बस एक छोटी सी खिड़की दिख रही थी, एकदम ऊपर जिससे छन-छन के थोड़ी सी रोशनी आ रही थी, तेज हवा से लग रहा था ढिबरी अब बुझी, तब बुझी। मैं पीछे मुड़कर दरवाजे को खोलने की कोशिश करने लगी लेकिन वो जैसे जाम हो गया था, इंच भर भी नहीं हिल रहा था।



तब तक पीछे से किसी ने मुझे दबोच लिया, एक हाथ सीधे चोली फाड़ते उभारों पर और दूसरा मेरे मुँह को जोर से भींच के, मैं चीख भी नहीं सकती थी। मेरा दिल मेरे मुँह में आ गया था, चीख भी नहीं निकल रही थी। तभी जो हाथ मेरे उभारों पे था, उसने अंगूठे और तर्जनी से कस-कस के मेरे गोल-गोल निपल पकड़कर घुमाने शुरू कर दिए।

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“साले, तेरे माँ का भोसड़ा मारूं…” अपने आप मेरे मुँह से निकला।
 

komaalrani

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चुन्नू,



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“साले, तेरे माँ का भोसड़ा मारूं…” अपने आप मेरे मुँह से निकला। मैं पहचान गई, सुनील ही था।


और उसने मुझे अपनी ओर मोड़ लिया, और हम दोनों ने मुश्किल से अपनी खिलखिलाहट रोकी।

फुसफुसाते हुए उसने राज खोला, ऐसे मौसम में कई बार लड़के लड़की पटा के इधर लाते हैं, और अगर दरवाजा अंदर से बंद हो तो वो खुलवाने की कोशिश करते हैं। अगर चौकीदार अंदर हो तो उसे कुछ ले दे के, और कई बार चौकीदार उस लड़की की ही ले के मान जाता है। इसलिए सुनील ने बाहर से ताला लगा दिया था और फिर पीछे से एक छोटी सी खिड़की से अंदर आ गया था।


एक बार फिर से उसने मुंझे बाहों में भर लिया और मैंने उसे। मेरे छलकते उभार उसके सीने में बरछी की तरह छेद कर रहे थे और मैं भी जानबूझ के अपने जोबन उसके चौड़े सीने पे रगड़ रही थी।


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नतीजा तुरंत सामने आया, उसका खूंटा भी खड़कने लगा।

लेकिन किसी तरह अपने को रोकते हुए सुनील ने मुझसे बोला-

“चल तुझे उससे मिलवाता हूँ। आज पहले उसका भोग लगाना, लेकिन मैं भी तुझे छोडूंगा नहीं समझ ले और खास तौर से ये जो चूतड़ मटका के पूरे गाँव में आग लगा रही हो न उसे। वैसे भी बाहर से ताला लगा है।"

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अब मुझे समझ में आया, असली मकसद ताले का।


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लेकिन मुझे ही कौन सी जल्दी थी, आज घर पर न चम्पा भाभी थी न मेरी भाभी। और सिर्फ माँ थी तो उन्हें कोई फरक नहीं पड़ने वाला था, वो तो खुद चाहती थी की मैं, खुल के…

बाहर से वो कुठरिया छोटी लगती थी लेकिन थी नहीं। उसके अंदर एक और छोटा कमरा भी था, और सुनील मेरा हाथ पकड़ के अंदर ले गया, जहां वैसे तो पूरा अँधेरा था पर एक लालटेन जल रही थी। सुनील ने उसकी लौ तेज की तो मैंने देखा, लालटेन की झिलमिलाती रोशनी में बस हल्का आभास हो रहा था।


वो एक हाफ शर्ट और नेकर में था, कमरे के एक कोने में पुआल के ढेर सारे ढेर रखे थे, उसी पर बैठा। खूब गोरा चिकना, कमसिन, हम लड़कियां जैसे चिकने लड़कों को देखकर आपस में ‘कच्चा केला’ कहती थीं, बस एकदम वैसा, लग रहा था अभी-अभी दूध के दांत टूटे हैं।


सोच तो मैं पहले से रही थी, पर उसको देखकर मेरा इरादा पक्का हो गया, भले ही ‘रेप’ करना पड़े, लेकिन इस की नथ आज उतार के रहूंगी। और मैं धप्प से उसके बगल में पुआल पे बैठ गई, एकदम उससे सटकर।


और वो बिचारा सहम कर थोड़ा और सरक गया।

मैं और सरक गई, फिर उसके सरकने की जगह ही नहीं बची। आगे दीवाल थी। हम लोगों की देह अब एकदम चिपकी थी, उसके हिलने की जगह भी नहीं थी। अब मैंने उसे ध्यान से देखा, और मैं चीख उठी।

वो भी चौंक गया।

“चुन्नू, तुम?” मैं चीखी।

“आप, आप, आप दीदी की ननद हैं…” वो हकलाते बोला।


सुनील जो अब मेरे बगल में सट के बैठ चुका था, वो भी चौंक के बोला- तुम दोनों जानते हो एक दूसरे को?

“अच्छी तरह से, लेकिन आज पता चला ये साला, मेरे भइया का साला है, इसलिए अब तो मेरा भी साला हुआ, क्यों साले?” और जोर से मैंने उसके गोरे गुलाबी गालों को पिंच कर दिया।

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किसी लौंडिया की तरह बिचारा गुलाल हो गया। वो मुझसे एक निचली क्लास में पढ़ता था, मेरे स्कूल से सटे हुए ब्वायज स्कूल में। उसकी एक जुड़वां बहन थी, वो भी मुझसे एक निचली क्लास में पढ़ती थी, चुन्नी। इसी की तरह एकदम कोरी, कच्ची भोली।
 

Rajizexy

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चुन्नू,



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“साले, तेरे माँ का भोसड़ा मारूं…” अपने आप मेरे मुँह से निकला। मैं पहचान गई, सुनील ही था।


और उसने मुझे अपनी ओर मोड़ लिया, और हम दोनों ने मुश्किल से अपनी खिलखिलाहट रोकी।

फुसफुसाते हुए उसने राज खोला, ऐसे मौसम में कई बार लड़के लड़की पटा के इधर लाते हैं, और अगर दरवाजा अंदर से बंद हो तो वो खुलवाने की कोशिश करते हैं। अगर चौकीदार अंदर हो तो उसे कुछ ले दे के, और कई बार चौकीदार उस लड़की की ही ले के मान जाता है। इसलिए सुनील ने बाहर से ताला लगा दिया था और फिर पीछे से एक छोटी सी खिड़की से अंदर आ गया था।


एक बार फिर से उसने मुंझे बाहों में भर लिया और मैंने उसे। मेरे छलकते उभार उसके सीने में बरछी की तरह छेद कर रहे थे और मैं भी जानबूझ के अपने जोबन उसके चौड़े सीने पे रगड़ रही थी।


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नतीजा तुरंत सामने आया, उसका खूंटा भी खड़कने लगा।

लेकिन किसी तरह अपने को रोकते हुए सुनील ने मुझसे बोला-

“चल तुझे उससे मिलवाता हूँ। आज पहले उसका भोग लगाना, लेकिन मैं भी तुझे छोडूंगा नहीं समझ ले और खास तौर से ये जो चूतड़ मटका के पूरे गाँव में आग लगा रही हो न उसे। वैसे भी बाहर से ताला लगा है।"

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अब मुझे समझ में आया, असली मकसद ताले का।


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लेकिन मुझे ही कौन सी जल्दी थी, आज घर पर न चम्पा भाभी थी न मेरी भाभी। और सिर्फ माँ थी तो उन्हें कोई फरक नहीं पड़ने वाला था, वो तो खुद चाहती थी की मैं, खुल के…

बाहर से वो कुठरिया छोटी लगती थी लेकिन थी नहीं। उसके अंदर एक और छोटा कमरा भी था, और सुनील मेरा हाथ पकड़ के अंदर ले गया, जहां वैसे तो पूरा अँधेरा था पर एक लालटेन जल रही थी। सुनील ने उसकी लौ तेज की तो मैंने देखा, लालटेन की झिलमिलाती रोशनी में बस हल्का आभास हो रहा था।


वो एक हाफ शर्ट और नेकर में था, कमरे के एक कोने में पुआल के ढेर सारे ढेर रखे थे, उसी पर बैठा। खूब गोरा चिकना, कमसिन, हम लड़कियां जैसे चिकने लड़कों को देखकर आपस में ‘कच्चा केला’ कहती थीं, बस एकदम वैसा, लग रहा था अभी-अभी दूध के दांत टूटे हैं।


सोच तो मैं पहले से रही थी, पर उसको देखकर मेरा इरादा पक्का हो गया, भले ही ‘रेप’ करना पड़े, लेकिन इस की नथ आज उतार के रहूंगी। और मैं धप्प से उसके बगल में पुआल पे बैठ गई, एकदम उससे सटकर।


और वो बिचारा सहम कर थोड़ा और सरक गया।

मैं और सरक गई, फिर उसके सरकने की जगह ही नहीं बची। आगे दीवाल थी। हम लोगों की देह अब एकदम चिपकी थी, उसके हिलने की जगह भी नहीं थी। अब मैंने उसे ध्यान से देखा, और मैं चीख उठी।

वो भी चौंक गया।

“चुन्नू, तुम?” मैं चीखी।

“आप, आप, आप दीदी की ननद हैं…” वो हकलाते बोला।


सुनील जो अब मेरे बगल में सट के बैठ चुका था, वो भी चौंक के बोला- तुम दोनों जानते हो एक दूसरे को?

“अच्छी तरह से, लेकिन आज पता चला ये साला, मेरे भइया का साला है, इसलिए अब तो मेरा भी साला हुआ, क्यों साले?” और जोर से मैंने उसके गोरे गुलाबी गालों को पिंच कर दिया।

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किसी लौंडिया की तरह बिचारा गुलाल हो गया। वो मुझसे एक निचली क्लास में पढ़ता था, मेरे स्कूल से सटे हुए ब्वायज स्कूल में। उसकी एक जुड़वां बहन थी, वो भी मुझसे एक निचली क्लास में पढ़ती थी, चुन्नी। इसी की तरह एकदम कोरी, कच्ची भोली।
Dear Lovely Komal sis, aapki kalm me kamukta bhari rehti hai, lagta hai Kamdev ki Aseem kirpa hai meri sis per.Madak update,nichli class me hai toh kya hua,khunta to upper class ka ho sakta hai Chunnu ka.
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Bahut badhiya....
 
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