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Adultery lusty family

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शानू ने उसकी दोनो चुचियों को अपने एक एक हाथ से पकड़ा और बारी बारी उन पर अपनी जीब फिराने लगा.... फिर नीचे खिसकते हुए उसने उसके नंगे पेट को चूमा और अपनी जीब उसकी नाभि मे घुसा गोल गोल घूमाने लगा.... फिर अपनी उंगलियाँ उसकी शॉर्ट्स मे फँसा उन्हे नीचे खिसकाने लगा...

शॉर्ट्स के नीचे खिसकते ही उसकी गुलाबी रंग की पॅंटी से धकि चूत नज़र आने लगी...उसने देखा कि उसकी पॅंटी का आयेज का हिस्सा चूत से रस से गीला हो चुका था... उसने अपनी जीब पॅंटी के किनारे पर रख चूत के बाहरी हिस्से को चाटने लगा.... फिर उसकी पॅंटी को नीचे खिसका दिया और अपनी जीब उसके तराशे हुए बालों पर चलाने लगा..कि तभी स्वीटी नीचे बैठ कर एक बार फिर उसके लंड को चूसने लगी..

फिर वो उठ कर पलंग पर लेट गयी और अपनी टाँगे फैला उसे अपने उपर खींच लिया... शानू ने अपना हाथ नीचे किया और उसकी चूत को फैलाते हुए अपनी उंगली अंदर घूसा दी..

"हां शानू फैला दो अछी तरह मेरी चूत को ऑश हां और चौड़ा दो इसे अपने लंड के लिए... " शानू ने अपनी दो उंगली स्वीटी की चूत मे घूसा रखी थी.. फिर उसने तीसरी उंगली भी घुसा दी... और उसकी चूत को फैलाते हुए अंदर बाहर करने लगा...

"हां शानू अब चोदो मुझे अपनी इस भारी लंड से... आज फाड़ दो मेरी चूत को और जम को चोदो इसे.. बहुत प्यासी है ये तुम्हारे लंड के लिए..." "हां हां स्वीटी" शानू तो कब से मरा जा रहा था आज के लिए.. वो उसकी टाँगो के बीच अछी तरह आ गया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रख दिया... स्वीटी ने अपनी टाँगों को और अछी तरह फैला दिया..

"शानू ज़रा धीरे धीरे करना वरना बहोत दर्द होगा." शानू धीरे धीरेजोर लगाते हुए अपने लंड को अपनी चचेरी बेहन की चूत मे घुसाने लगा... शानू अपने लंड को थोड़ा बाहर खींचता और पहले से ज़्यादा अंदर कर देता.. ऐसे ही दो चार बार करने के बाद जब उसका लंड तीन चौथाई अंदर घुस गया.. तो स्वीटी ने उसे रुक जाने को कहा, "बस शानू इससे ज़्यादा में अंदर नही ले सकती..."
 

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शानू धीरे धीरे संभाल कर धक्के मारने लगा... ये उसका भी पहला मौका था.. इसलिए वो डर भी रहा था कि कहीं स्वीटी को तकलीफ़ ना हो... उसे विश्वास नही हो रहा था कि लंड जब चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुसता है तो चूत की गर्माहट इतना मज़ा देगी... आज जितना उत्तेजित वो पहले कभी नही हुआ था.. वो अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा... फिर उसकी निपल को मुँह मे ले चूसने लगा और साथ ही अपने लंड को अंदर बाहर करता जा रहा था... और स्वीटी थी कि सिसकते हुए उसे उकसा रही थी..

"ओःः शानू कितना अछा लग रहा है.. हां चोदो मेरी चूत को अपने मोटे और लंबे लंड से... " शानू तेज़ी से धक्के लगाने लगा.. उसका लंड तनने लगा और अब उसे सहन नही हो रहा था.. वो पानी छोड़ना चाहता था.. "स्वीटी मेरा छूटने वाला है."

"हाँ शानू छोड़ दो अपना पानी मेरी चूत मे भर दो इसे अपने रस से.. तुम डरो मत... मेने गोली ले रखी है कुछ नही होगा..." स्वीटी का इतना कहना था कि राज के लंड ने पानी छोड़ दिया और उसकी चूत को अपने रस से भरने लगा... "ओह्ह्ह स्वीटी कैसे तुम्हारा शुक्रिया करूँ तुम बहोत अछी हो." कहकर शानू उसके बदन पर लुढ़क गया.

"तुमने भी मुझे बहोत मज़ा दिया.." कहकर स्वीटी ने उसे चूम लिया और उसे अपने से अलग कर दिया... दोनो कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे फिर स्वीटी ने कहा कि उसे प्रीति से भी मिल लेना चाहिए....

दोनो अपने कपड़े पहन प्रीति से मिलने की तय्यरी करने लगे.. और वही शानू के कमरे के बाहर खड़ी प्रीति अपने कमरे की और भागी.. अंदर का नज़ारा देख वो गरमा चुकी थी.. उसकी चूत से रस बह कर चू रहा था...अपनी गीली उंगलियों को अपनी स्कर्ट से पोछती वो अपने कमरे मे पहुँची.
 

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प्रीति को तो अब भी विश्वास नही होरहा था कि शानू ने स्वीटी को अभी अभी चोदा है.. उसे तो लगा था कि उस दिन पार्टी की तरह दोनो थोड़ा एक दूसरे से खेलेंगे.. चूमा छाती करेंगे और ज़्यादा होगा तो स्वीटी उसका लंड चूस लेगी.... लेकिन जब दरवाज़े के बाहर खड़ी उसने स्वीटी को शानू से कहते सुना कि अब वो अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दे तो वो हैरान रह गयी...

स्वीटी की बात सुन प्रीति को उससे जलन होने लगी.. उसे अफ़सोस हो रहा था कि स्वीटी वो पहली लड़की बनेगी जिसे राज चोदेगा... काश वो उसकी जगह होती..

कमरे मे पहुँच प्रीति ने जल्दी से अपनी पॅंटी उठाई और पहन ली और पलंग पर बैठ स्वीटी का इंतेज़ार करने लगी... "हाई प्रीति कैसी हो?" स्वीटी दरवाज़ा खटखटा अंदर आते हुए बोली.

"में अछी हूँ.. लेकिन तुम्हारा चेहरा तो काफ़ी चमक रहा है..क्या शानू के साथ मस्ती कर रही थी? उसने अपनी चहेरी बेहन को चीढ़ाते हुए पूछा.

"हां प्रीति और सच मे बहोत मज़ा आया." स्वीटी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया... "और मुझे लगता है कि आज का दिन वो अपनी जिंदगी मे कभी नही भूलेगा."

"कौन लड़का अपनी चचेरी बेहन से लंड चूसवाने की बात को भूल पाएगा.." प्रीति ने कहा... वो सोच रही थी कि क्या स्वीटी अपने ही मुँह से ये बात कबूल करेगी कि उसने शानू


"हां सही कह रही हो... लेकिन आज का दिन तुम्हारे साथ बिताए गये दिन से भी ज़्यादा यादगार रहेगा..."

"कहीं तुम ये तो नही कहना चाहती हो कि तुम भाई से चुदवा चुकी हो?" प्रीति ने अंजान बनते हुए पूछा.
 

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"हां तुम ये कह सकती हो." स्वीटी ने हंसते हुए कहा और अपनी शॉर्ट्स के उपर से अपनी गीली चूत को रगड़ने लगी. "मुझे अभी भी विश्वास नही हो रहा कि तुम भाई से चुदवा चुकी हो." "प्रीति इसमे ना विश्वास करने वाली कौन सी बात है.. तुम ही ने तो मुझे बताया था कि उसका लंड कितना बड़ा और मोटा है." "हां मेने कहा था.. और हम दोनो ने साथ साथ उस लंड को चूसा भी था.. लेकिन मुझे यह नही मालूम था कि मेरी पीठ पीछे तुम उस लंड से चुदवा लोगि."

प्रीति की बात सुन स्वीटी सोच मे पड़ गयी.. "हां शायद में कुछ ज़्यादा जल्दबाज़ी कर गयी.. कहीं तुम तो नही सबसे पहले उससे चुदवाना चाहती थी?

"हाँ... भी नही भी... मुझे नही पता... मेरा मतलब है कि में ये भी नही तय कर पाई थी कि मेरी चूत क्या उसके मोटे और लंड को झेल भी पाएगी कि नही... पर अगर हम दोनो साथ साथ उसे चूत का मज़ा देते तो अछा रहता था.. लेकिन कोई बात नही.. जो हो गया सो हो गया." प्रीति ने उससे कहा.

"प्रीति मेरी बेहन प्लीज़ मुझे माफ़ कर देना.. अगर मुझे थोडा सा भी इशारा मिल गया होता तो शायद में इतनी जल्दी नही करती.." स्वीटी ने उसके बगल मे बैठ उसके कंधों पर हाथ रखते हुए कहा.

प्रीति स्वीटी के महीन टॉप से झलकती उसकी चुचियों को देखने लगी.. उस रात की यादें उसके जेहन मे फिर ताज़ा हो गयी... वो उसके पतले और गुलाबी होठों को देखने लगी जिन्हे स्वीटी बार बार अपनी जीब से भीगो रही थी... उसने देखा कि उसके तने हुए निपल की नोक टॉप के उपर से दीख रही है.. उसने अपना हाथ बढ़ा कर अपना हाथ उसकी चुचियों पर रख दिया.
 

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प्रीति अब उसके खुले ब्लाउस से उसकी चुचियों को देखने लगी.. उसकी गर्दन से नीचे घाटी मे उसकी चुचि की दरार दीख रही थी.. वो स्वीटी एक थोडा पास खिसकी और अपनी जीब से उसकी गर्दन एक नीचले हिस्से को चाटने लगी... फिर अपने हाथ से उसके टॉप के बाकी बटन खोलने लगी... फिर उसकी नंगी चुचि को उसने अपने हाथ मे पकड़ लिया और मसल्ने लगी..

स्वीटी के बदन फिर गरमाने लगा.. और वो पीछे को लुढ़क कर प्रीति के बिस्तर पर पीठ के बल लेट गयी... स्वीटी के उपर एक नशा सा छाने लगा.. उसे विश्वास नही हो रहा था कि राज से चुदवाने के बाद अब उसकी बेहन उसे प्यार कर रही है... उसने आज तक कभी सॅमलिंग सेक्स नही किया था लेकिन आज उसे प्रीति का साथ और स्पर्श दोनो मे मज़ा आने लगा...

प्रीति ने उसके टॉप को पकड़ उतार दिया... और फिर अपने मुँह को झुका और खड़े निपल को मुँह मे ले चूसने लगी.. स्वीटी ने उत्तेजना मे अपना हाथ अपनी बेहन के सिर पर रख दिया... और अपने निपल पर दबाने लगी... फिर वो भी प्रीति के टॉप को पकड़ उतारने लगी.. वो भी प्रीति की चुचियों को चूसना चाहती थी.. मसलना चाहती थी... जैसे ही स्वीटी ने उसके टॉप को उतारा.. प्रीति ने अपना मुँह उठाया और सीधी बैठ गयी.. फिर अपने हाथ पीछे लेजाकार उसने अपनी ब्रा के हुक खोल उसे उतार दिया.. स्वीटी ने उसकी दोनो चुचियों को पकड़ लिया और मसल्ने लगी.. प्रीति भी उसकी चुचियों को मसल्ने लगी. फिर अपने आप को उसके उपर लीटा वो अपनी चुचियाँ उसकी चुचियों से रगड़ने लगी...

प्रीति उसके गुलाबी होठों को फिर से देखने लगी.. और वो अपने आपको रोक नही पाई.. उसने अपने होंठ उसके होठों पर रखे और उन्हे चूसने लगी.. फिर धीरे से उसके होठों को खोल उसने अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी..
 

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स्वीटी ने भी अपनी जीब उसकी जीब से मिला दी और उन्हे चूसने लगी.. प्रीति के हाथ स्वीटी के पूरे बदन को सहलाने लगे.. स्वीटी ने भी प्रीति को अपनी बाहों मे भर भींचने लगी.. उसकी पीठ सहलाने लगी. फिर हाथों को नीचे खिसका उसकी नंगी कमर को सहलाने लगी.. फिर उसके हाथ उसकी स्कर्ट के उपर से उसके चूतड़ पर ठहर गये... प्रीति अब नीचे खिसकते हुए उसे चूम रही थी.. मसल रही थी.. पहले उसने उसकी गर्दन को चूमा फिर चुचियों की घाटी मे जीब चलाते हुए नीचे खिसकी.. फिर उसके सपाट पेट को चूमते हुए वो नीचे खिसकी उसके होठ अपनी चहेरी बेहन की शॉर्ट्स के किनारे पर रुक गये..

प्रीति फिर स्वीटी की शॉर्ट्स और उसकी गुलाबी पॅंटी को पकड़ नीचे खिसकाने लगी... अब उसका मुँह स्वीटी की चूत पर था... उसने उसकी शॉर्ट्स और पॅंटी को पैरों से अलग कर उसकी टाँगो को फैला दिया... फिर अपनी उंगलियों को उसकी गीली चूत पर फिराने लगी...

स्वीटी ने अपना पैर अपनी चचेरी बहन की टाँगो के उपर रख दिया...और उन्माद मे अपनी आँखे बंद कर ली... प्रीति अब अपनी जीब उसकी चूत के चारों और फिरा रही थी.. चाट रही थी... वो खुद काफ़ी गरम हो चुकी थी.. उसने एक हाथ नीचे किया और शॉर्ट्स के उपर से अपनी चूत को मसल्ने लगी..

वहीं शानू सोच मे पड़ गया कि स्वीटी को इतना टाइम काहे मे लग गया.. वो अपने आप को कोसने लगा कि उसने स्वीटी को जाने ही क्यों दिया.. उसे पता था कि दोनो बातुनी है और एक बार बात करने बैठ गयी तो फिर उन्हे होश कहाँ.... उसने प्रीति के रूम मे जाकर दोनो से मिलने का फ़ैसला किया.. जैसे ही वो प्रीति के कमरे के बाहर पहुँचा तो कमरे से आती स्वीटी के सिसकने की आवाज़ को वो पहचान गया...
 

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उसकी बेहन के कमरे के दरवाज़ा खुला था.. उसने उत्सुकता मे अंदर झाँक कर देखा... तो उसका अंदाज़ा सही था.. अंदर उसकी चचेरी बेहन जिसे अभी कुछ देर पहले उसने उसे चोदा था.. पलंग पर पीठ के बल लेटी थी. और उसने अपनी उंगलियों से अपनी चूत को फैला रखा था... और उसकी सग़ी बेहन उसकी टाँगों के बीच बैठी.. स्वीटी की चूत को अपनी जीब से चाट रही थी... उसकी गंद दरवाज़े की तरफ उठी हुई थी.. और उसकी कॉटन की पॅंटी से उसकी गीली चूत झलक रही थी...

इस नज़ारे को देख शानू ने कुछ सोचा भी नही और अपने लंड को अपनी शॉर्ट्स के बाहर निकाल लिया और ज़ोर ज़ोर से मुठियाने लगा... वो सोचने लगा कि काश इस वक्त वो अपनी बेहन की सफ़ा चूत को चूस सकता.. जिसके बाल उसने ही सॉफ किए थे.... उसकी ये सफेद पॅंटी जो उसके ही रस भीगी हुई थी उसे मिल जाती तो वो उसे अपने लंड पर लपेट मूठ मारता...

स्वीटी सिसकते हुए झाड़ गयी और उसने अपनी टाँगे प्रीति की टाँगो से आज़ाद कर ली... और जब अपनी आँख खोल वो प्रीति को देखने लगी तो उसे दरवाज़े पर खड़ा शानू दीखाई दिया.. वो अपने हाथों मे अपने मोटे लंबे लंड को पकड़ मसल रहा था... वो उसे देख मुस्कुरा डी... "ऑश प्रीति.... कितना अछा था..पता नही मुझे क्या हो गया था... लेकिन फिर भी शुक्रिया.." स्वीटी ने कहा.. तभी उसने देखा कि शानू वहाँ से चला गया था..
 

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"हां और मुझे भी कुछ हो गया था.. शायद उस पार्टी वाली रात की .कमी आज पूरी हो गयी.. जब मैने तुम्हारी चुचियाँ पकड़ी थी और तुम शानू का लंड चूस रही थी." प्रीति ने कहा. "मुझे तो उस बात कुछ एहसास ही नही है.. में तो शानू

के लंड मे इतना खो गयी थी कि मुझे कुछ भी याद नही..." उसने प्रीति को वापस अपने बगल मे खींच लिया और चूमते हुए कहा... "क्या तुम्हे मेरी चूत चूसने मे मज़ा आया?"

"हाँ बहोत ज़्यादा... मेने आज से पहले कभी किसी की चूत नही चूसी थी.." प्रीति ने जवाब दिया... "अछा... फिर तो लगता है कि मुझे भी इसका स्वाद चख ही लेना चाहिए.." कहकर स्वीटी ने प्रीति को पलंग पर धकेल दिया और खुद उसकी टाँगो के बीच आ गयी... "अपनी आँखे बंद करो अब तुम इसका मज़ा लो." कहकर उसने प्रीति की स्कर्ट और पॅंटी को नीचे खींच उतार दिया.

"ओह्ह्ह प्रीति ये क्या है? " उसकी बिना बालों की चूत को देख स्वीटी चिहुक पड़ी... "ऐसा नही है कि मेने कभी नही की लेकिन तुमने ये कब किया?"


क्रमशः.......
 

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story adultery category mein kaise aaya??
 

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"शानू नेतुम्हे अपना लंड दिखाया इसके लिए मेने उसे वादा किया था कि मैं कुछ भी करूँगी इसलिए शानू ने कुछ दिन पहले ये सब किया है." प्रीति ने जवाब दिया. "प्रीति सही में मुझे नही पता था कि तुम मेरे लिए इतना आगे तक जा सकती थी.. इसके लिए फिर से शुक्रिया.. पर ऐसे नही आज में शुक्रिया एक अलग से ढंग से दूँगी." स्वीटी ने कहा. प्रीति ने अपनी आँखे बंद कर ली... और स्वीटी की उंगलियों के स्पर्श का आनंद अपनी चूत पर लेने लगी..


शानू दरवाज़े के पीछे छुपा अपनी बेहन और स्वीटी की बातों का आनंद ले रहा था.. जब एक बार उसे लगा कि प्रीति उसे नही देख पाएगी तो वो वापस खुले दरवाज़े के बीच आ अपने लंड को मसल्ने लगा... अब उसे स्वीटी की नंगी गंद दीखाई दे रही थी जो उसकी बेहन की चूत पर झुकी उसे चूस रही थी.... ये सब देख अब राज से से अब नही रहा गया उसने अंदर जाकर उन दोनो के साथ इस खेल मे शामिल होने का फ़ैसला कर लिया.. वो दबे पावं अंदर आया और स्वीटी के ठीक पीछे आ अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया...

जब स्वीटी को शानू के लंड का दबाव अपनी चूत पर हुआ तो वो अपनी जीब और तेज़ी से प्रीति की चूत के अंदर बाहर करने लगी.. शानू ने अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक घुसा दिया था. .. वो शानू के लंड को अपनी चूत के अंदर सहन नही कर पा रही थी... अब शानू

के हर धक्के के साथ स्वीटी की जीब प्रीति की चूत के अंदर तक घुस जाती.. दोनो ताल से ताल मिला चुदाई का मज़ा लेने लगे...

प्रीति ने अपनी आँखे खोली और अपने भाई को स्वीटी के पीछे खड़े उसे चोद्ते देखा तो वो और गरमा गयी.. वो अपनी चूत को उठा उठा कर स्वीटी के मुँह मे देने लगी.. जैसे ही प्रीति की नज़रे अपने भाई से मिली तो वो उसकी आँखों मे झलकते प्यार को पहचान गई.. और उसके लिए इतना ही काफ़ी था.. उसने अपनी कमर उठा अपनी चूत को और स्वीटी के मुँह मे घुसा दिया.. "ओह्ह्ह शानू यहाँ मेरे पास आओ और अपने लंड को मेरे मुँह मे दे इसे अपने पानी से भर दो."
 
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