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Adultery Mann bahek gaya

क्या स्टोरी ठीक है

  • हा

    Votes: 9 47.4%
  • अभी और गहराई से लिखने की ज़रुरत है

    Votes: 10 52.6%

  • Total voters
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Rocco 6"

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स्पेलिंग में सुधार की जरूरत है,चूथ को *चूत* और लंद को*लन्ड* गंद को*गांड़*लिखो तो ज्यादा मजा आता है... बाक़ी स्टोरी मस्त चल रही है, अपडेट देते रहें...
ये अपने आप ही हो जाता है कभी सही tarnslate होता है कभी वो translate मिलता ही नहीं है चलो ये सही करूंगा
 

Rocco 6"

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वासना का दौर खत्म हुआ कंचन के लिए और वो बेसुध होके विवान के उपर लेटी हुई थी अपने बड़े स्तन विवान की छाती में दबाए उसके कंधे पे अपना सर रख के आंखे बंद कर के आराम कर रही थी विवान का लन्ड अभी भी खड़ा था और उसकी चूत के अंदर दस्तक दे रहा था पर कंचन इतनी थक चुकी थी की वो विवान के सीने पे सो गई थी

विवान भी छत को देखते हुए सोच रहा था आज उसने एक औरत की वासना देखी थी उसे पता था कि औरत को बलिस्ट बदन और मर्द के गोल बड़े कठोर नितंब आकर्षित करते है आज उसने उसकी जलक भी देख ली

वैसे ये बात उसकी मां कंचन ने ही उसे बताई थी जब उसने पूछा या की औरत मर्द में क्या पसंद करती है तब उसकी मां ने ही उसे बताया था कि औरत मर्द के कसरती शरीर पे आकर्षित होती है फिर भले ही वो बड़ा हो या छोटा हो पर उसका बदन कठोर होना चाहिए उसका सीना चौड़ा और कंधे बड़े दिखने चाहिए साथ ही औरत का आकर्षण उसका पिछवाड़ा भी होता है एक पूर्ण शरीर के मालिक से औरत तुरंत आकर्षित हो जाती है बस वो देखती नहीं है पर चोरी छुपे वो मर्दों में यही सब नोटिस करती है

यही सोचते हुए उसे आज अपनी मां की हरकते गलत नही लग रही थी वो औरत की भावना को समझता था और उसमे उसकी मां का ही हाथ था इसी वजह से वो अपनी मां को भरपूर सुख देता था इसी लिए कंचन को विवान के अलावा कोई और दिखता ही नही था

विवान ने जब अपनी मां की और देखा तो उसका भोला गोल खूबसूरत चेहरे को देखता ही रहा उसे कंचन पे और भी प्यार आ रहा था विवान ने कंचन के गाल को सहलाते हुए उसके माथे को चूम लिया वो कंचन के गाल को सहलाते हुए उसे आराम से सोता हुआ देख रहा था विवान ने कंचन की कमर को थोड़ा उठा के अपने लन्ड को उसकी चूत से निकाल लिया लन्ड अभी खड़ा था उसकी नशे अभी भी चढ़ी हुई थी कंचन ने जिस तरह से उसे रगड़ा था ना ही वो बैठ रहा था ना वो संखलित हो रहा था लन्ड कंचन के रस से अभी भी भीगा हुआ था पर फिर भी उसे अभी भी उसपे जलन हो रही थी

विवान उसी हाथ से कंचन के गाल और होठों को सहलाने लगा उसके हाथ पे अभी ही कंचन का रस लगा हुआ था जो उसके गाल और उसके होठों पे लग गया था और उसकी खुशबू से कंचन के होठ अपने आप ही खुल गए थे और आधी नींद में ही कंचन की गरम सांसे और उसके खुले होठ को देख के विवान अपने आप को रोक नहीं पाया और कंचन के होठो को चूमने लगा और उसके हाथ को अपने लन्ड पे ले जाके नीचे से पकड़ के अपनी मुट्ठी कंचन के हाथ पे बांध के लन्ड को धीरे धीरे सहलाते हुए कंचन के होठो को चूम रहा था उसकी मां के होठो पे लगे उसके रस ने विवान के अंदर एक नशा जगा दिया था और वो उसी नशे जुमते हुए अपनी मां के होठो को चूम रहा था थोड़ी देर ऐसे ही चूमने के बाद उसने अपने होठ को हटाया और उसके चेहरे की और देखा पर कंचन तो वैसे ही पड़ी थी बस थोड़ी हिली थी जैसे उसे नींद में हिलते है वैसे ही
तभी विवान को अपने लन्ड पे और जलन होने लगी उसे जोर से पेशाब लगी थी और उस प्रेशर को वजह से उसे लन्ड पे और जलन हो रही थी उसने फौरन अपनी मां कंचन के हाथ को हटाया और उसे नीचे से निकल के उसे वही पे सोने दिया और वो जल्दी से बाथरूम की और जाने लगा उसका लन्ड प्रेशर से इतना कड़क हो गया था की वो उसके जल्दी से चलने से उपर नीचे हो रहा था जो देखने में भयंकर लग रहा था अगर कंचन होश में होती या कोई और भी होती तो इस नजारे को देख के विवान को पकड़ के पटक देती और अपने अंदर उसके लन्ड को ले लेती और तब तक नही छोड़ती जब तक की उसका पानी ना निकल जाए पर विवान की खुसनशीबी थी के वहा पे कोई था नहीं वरना उसके लन्ड के 12 बजने से कोई रोक नहीं सकता था

खैर वो जल्दी से बाथरूम अंदर घुस गया और नल को खोल के चालू कर दिया नल से ठंडा पानी की धार शुरू हो गई विवान ने अपने लन्ड को पकड़ के नल के नीचे ठंडे पानी की धार के बीच में रख दिया ठंडे पानी ने जलन को मिटाना शुरू कर दिया उसके मुंह से राहत की आह्ह्ह निकली विवान आंखे बंद किए ऐसे ही अपने लन्ड को ठंडा करने लगा उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे गरम लोहे के रोड को पानी की बाल्टी में ठंडा करने को डाला है जब ठंडे पानी ने अपनी ठंडक से लन्ड को ठंडा किया तो उसमे से धीरे धीरे पेशाब की बुंदे निकल ने लगी पेशाब निकलते ही विवान को फिर से जलन होने लगी ऐसा लग रहा थकी पेशाब अटक अटक के अंदर जलन भर के निकल रहा हो जब तक पेशाब निकलता रहा उसे जलन होती रही जब पूरा निकल गया तब उसे राहत हुई उसने ऐसे ही अपने लन्ड को रहने दिया ताकि वो बैठ जाए और वो भी कंचन की बगल में जाके सो जाए जिस तरह से कंचन आराम कर रही थी वो उसे उठाना नही चाहता था लेकिन लन्ड था की बैठने का नाम नहीं ले रहा था उसने इंतजार किया पर कोई फायदा नही हुआ तो विवान ने साबू से अपने लन्ड को अच्छे से साफ कर लिया और सोने के लिए बिस्तर पे जाने लगा उसने सोचा की वो जाके सो जाए लन्ड अपने आप ही बैठ जाएगा पर जब वो बाथरूम से निकल के रूम में आया तो बिस्तर का नजारा देख के उसका लन्ड और कड़क हो गया और उपर नीचे ठुमके लगाने लगा

नजारा कुछ ऐसा था


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विवान जब अपनी मां को इतनी सेक्सी अंदाज में सोते हुए देखा तो वो बस देखता ही रह गया उसका लन्ड फुलके एकदम टाइट हो गया उसकी नशों में गरम खून उबाल मारने लगा और नशों ने फूल के लन्ड को और ऊपर की तरफ उठा लिया

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विवान ने सोचा तो था की वो अपनी मां को परेशान नहीं करेगा उसे आराम करने देगा पर इस नजारे को देख के उससे रहा नही गया और उसका हाथ अपने आप लन्ड पे चला गया और वो अपने लन्ड को सहलाते हुए पलंग के उपर चढ़ गया और अपनी मां की बड़ी गान्ड के पास बैठ के अपने लन्ड की चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगा
जैसे जैसे वो अपने लन्ड को सहला रहा था उसकी सांसे तेज होती जा रही थी नजरे अपनी मां की गान्ड पे ही टिक्की हुई थी विवान का हाथ आगे बढ़ा और अपनी मां की गान्ड को सहलाने लगा उसको मजा आने लगा उसका हाथ बड़ी गान्ड से लेके कमर तक चलाने लगा विवान की वासना अब बढ़ने लगी थी कंचन की गान्ड उसे पागल बना रही थी वो अब सब कुछ भूल गया था उसे अब इस के छेद में अपना हथियार डालना था विवान ने कूल्हों को पकड़ के खींचा जिससे उसकी मां की गान्ड खुल गई और उसका हसीन छेद उसके सामने आ गया

विवान के मुंह से एक वासना की आह्ह्ह्ह निकल गई और जो हाथ लन्ड को सहला रहा था वो अब लन्ड को मुठिया ने लगा विवान बार बार गान्ड को खोल के छेद को देख रहा था उससे अब रहा नही गया और उसने अपनी उंगली को मुंह में डालके गिला कर लिया और उसे गान्ड के छेद में धीरे से अंदर तक डाल दिया जैसे ही उंगली अंदर गई कंचन थोड़ा सा कसमसाई पर उसने आंख नहीं खोली और वो वैसे ही पड़ी रही इस पता लग रहा था की वो बहोत थकी हुई थी

लेकिन विवान अपना काम करने लगा और उंगली को धीरे धीरे अंदर बाहर करते हुए गान्ड को खोलने लगा ताकि वो अपना लन्ड अन्दर डाल सके विवान ने अच्छे से उंगली घुमा घुमा के छेद को थोड़ा सा खोल दिया जब उसे लगा कि अब उसकी उंगली अच्छे से अंदर बाहर हो रही है तो उसने अपनी दूसरी उंगली भी अंदर कर दी और अब वो दो उंगलीओ को अंदर बाहर करने लगा वो अब अपना हाथ जल्दी चलाने लगा उससे अब रहा नही जा रहा था वो अब जल्दी से जल्दी छेद को खोल देना चाहता था उसका लन्ड कड़क होके उपर नीचे होने लगा था विवान ने अच्छे से उंगली चला के गान्ड को ढीला कर दिया था
 
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विवान से अब रहा नही जा रहा था उसने उंगली निकाल ली और गान्ड को खोल के छेद को देखने लगा छेद थोड़ा सा खुल गया था लन्ड अन्दर घुस सकता था विवान ने अपने मुंह में थूक जमा करके छेद पे थूक दिया और उसे अच्छे से उंगलिओ से अंदर तक लगा के गान्ड को चिकना कर दिया फिर अपने लन्ड पे भी ढेर सारा थूक लगा के गान्ड के छेद पे लगा दिया और जोर लगा के अंदर घुसने लगा

जैसे ही लन्ड का टोपा अंदर गया कंचन की आंखे खुल गई और दर्द की वजह से उसके मुंह से जोर से आवाज निकल गई .... आह्ह्ह्ह्ह

लेकिन विवान रुका नही वो अपना लन्ड अन्दर डालने के लिए जोर लगाता रहा इस तरह से लन्ड अन्दर डालने से कंचन को दर्द बहुत हो रहा था वो उसके लिए तैयार नहीं थी जैसे जैसे लन्ड अंदर जा रहा था कंचन का पैर जो मुडा हुआ था वो सीधा हो रहा था कंचन के मुंह से दर्द से आवाजे भी निकल रही थी विवान ये देख के कंचन के उपर पूरा सो गया और कही उसकी मां लन्ड निकाल ना ले उसने उसे जकड़ लिया और एक तेज धक्का मारके लन्ड को अंदर डाल दिया

इस करारे धक्के से कंचन का शरीर अकड़ गया जो पैर मूड़ा हुआ था वो एकदम से सीधा हो गया कूल्हे टाइट हो गए और गान्ड ने लन्ड को जकड़ लिया दर्द से कंचन के मुंह से चीख निकल गई थी और अपनी आवाज को दबाने के लिए उसने तकिए को मुंह में भर लिया और दर्द से .. उम्मम्म उम्म्म्म उम्मम्.. जैसी आवाजे निकाल ने लगी

विवान ने भी अपने लन्ड को नही निकाला और अपने लन्ड को अंदर डालके कंचन के उपर पड़ा रहा
 
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दर्द की वजह से लन्ड को कुछ इस तरह से जकड़ा हुआ था जैसे हाथ की मुट्ठी में दबाया हुआ हो जिस वजह से विवान धक्के भी नही लगा पा रहा था

विवान ऐसे ही पड़ा रहा और कंचन के नॉर्मल होने का इंतजार करने लगा उसने अपनी मां के चोटी में बंधे हुए बाल को हटा दिया और पीठ पे अपने होठ रख के उसे चूमने लगा विवान का लन्ड अंदर ही फूल रहा था जिसे कंचन ने महसूस किया पर अभी भी उसे दर्द हो रहा था अगर ये अचानक हमला नही हुआ होता तो उसे इतना दर्द नहीं होता वो अब भी दर्द में थी

उम्म्म उम्मम उम्मम्मम उह्ह्ह्ह उम्मम्म..

विवान को जलन फिर से अपने लन्ड पे होने लगी जिस तरह से उसका लन्ड चारो तरफ से दब रहा था इस से जलन शुरू हो गई थी और अब वो इस से खाली कर के अपने लन्ड को जलन से मुक्त करना चाहता था उसे लग रहा था की जब तक ये ऐसे ही खड़ा रहेगा जलन होती रहेगी तो अब इसे बैठना ना ही पड़ेगा

उसने अब धक्के लगाने का सोचा और जितना हो सके जोर लगा के लन्ड को बाहर की और खींचा लन्ड दो इंच तक ही बाहर निकला विवान ने फिर से उसे अंदर कर दिया जिस तरह से गान्ड ने लन्ड को जकड़ा हुआ था इस से लन्ड बड़े कस के अंदर जा रहा था विवान को ऐसा लग रहा था जैसे आज वो पहली बार अपनी मां की गान्ड मार रहा है

थोड़ी देर ऐसे करने के बाद उसे अब अच्छे से चोदना था पूरा लन्ड अंदर बाहर करना था विवान अपना चेहरा कंचन के पास ले आया और उसके गाल चूमते हुए बोला

... कंचन थोड़ा सा अपने आपको ढीला छोड़ो ऐसे तो में अच्छे से कर नही पा रहा..

..बेटा तुझे माना थोड़ी ना किया था मुझे उठा देता तूने अचानक से लन्ड डाल दिया है इसी लिए दर्द ज्यादा हो रहा है ...

कंचन के चेहरे पे दर्द साफ दिख रहा था और माथे का पसीना इसकी गवाही दे रहा था

..सॉरी कंचन में तुम्हारी खूबसूरत गान्ड को देख के अपने आप को रोक नहीं पाया वरना मैने तो आज तुम्हे आराम करते हुए देख के में भी सो जाने वाला था..

...में जानती हु बेटा की तुझे पसंद है मेरी गान्ड तेरा आकर्षण यही था जब छोटा था तो तेरी हरकते भी मुझे याद है..

... आह्ह्ह्ह्हह कंचन तो फिर ढीला छोड़ देना मुझे मेरी चीज से अच्छे से खेलने देना...

विवान ये सुनके और उत्तेजित हो गया और अपनी कमर को और आगे कर के लन्ड को अंदर दबा दिया

... ओहह्ह्ह्ह बेटा पहले थोड़ी देर के लिए निकाल ले सुखा होने की वजह से जलन और दर्द दोनो हो रहा है...

आह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईईईईईईईईईई

... आज में पति परमेश्वर बनना चाहता हूं तुम्हारा और इसका मालिक बनके चोदना चाहता हूं ..

विवान कंचन के गालों को चूमते हुए उससे बोला कंचन के भी यही बाते उत्तेजित करती थी कभी बेटा कभी पति बन ना

..ठीक है आप पहले अपने लन्ड को तो निकल लीजिए..

ये सुनके विवान और उत्तेजित हो गया और कंचन के होठों को अपनी और करके चूमने और चूसने लगा कंचन ने भी अपने बेटे के लिए होठों को खोल दिया

जी भरके होठों को चूमने के बाद विवान उठा और अपने घुटनो पे बैठ के लन्ड को धीरे धीरे करके निकल ने लगा जैसे ही लन्ड बाहर निकला वो बुरी तरह से उपर नीचे जटके मारने लगा विवान ने गान्ड को खोल के पकड़ा हुआ था और लन्ड ने गान्ड को अच्छी तरह से खोल दिया था गान्ड का छेद o आकर में खुल गया था जो धीरे धीरे सिकुड़ भी रहा था ये देख के लन्ड और जटके खा ने लगा

कंचन ने भी राहत की सांस ली उसे ऐसा लगा की एक बड़ी सी चीज उसके अंदर से निकल ली हो दर्द उसे अभी भी हो रहा था उसने हाथ पीछे ले जाके अपनी गान्ड के सहलाया उसे भी एहसास हो गया की छेद काफी खुल गया है बस चिकनाहट की जरूरत है ताकि दर्द और जलन कम हो थोड़ी देर के बाद वो उठी और किचन की और जाने लगी विवान उसे पीछे से जाते हुए देख रहा था बालो की चोटी कमर तक आ रही थी और दर्द से थोड़ा चलने में तकलीफ हो रही थी जिससे उसकी गोल गान्ड थिरक रही थी जिसे देख के विवान का हाथ अपने लन्ड पे चला गया और उपर नीचे होने लगा

थोड़ी देर में कंचन किचन से वापस आ गई उसके हाथ में सरसो का तेल था विवान को अपने लन्ड को हिलाते हुए देख के उसके चेहरे पे स्माइल आ गई वो पलंग पे आ गई और अपने हाथ में सरसो का तेल निकालने लगी विवान ने अपने हाथ को हटा लिया कंचन तेल को विवान के लन्ड में अच्छे से लगाने लगी अपने हाथ में लन्ड की कड़कपन को महसूस करके वो समझ गई की विवान कितना उत्तेजित है वो धीरे धीरे अपने हाथ को आगे पीछे करके लन्ड को सहलाते हुए तेल लगाने लगी विवान को बहोत ही मजा आने लगा उसके मुंह से मजे की आहे फूटने लगी कंचन ने अब दूसरे हाथ से विवान के बड़े गोटे पकड़ लिए और वो एक हाथ से लन्ड को हिला रही थी और दूसरे हाथ से गोटे सहलाने लगी विवान का मजा दुगना हो गया उसकी जलन गायब हो गई और इसकी जगह मजे ने लेली

विवान ने जल्दी से अपने होठों को कंचन के होठों से मिला दिया और उसके सर को पकड़ के होठों को चूमने लगा कंचन भी जवाब में विवान के होठों को चूमने लगी वैसे भी वो विवान के लन्ड की दीवानी थी जब वो उसे देखती या छूती तो उसको वासना चढ़ने लगती थी दोनो एक दूसरे को चूम रहे थे
 
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