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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

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komaalrani

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भाग १०१ - मेरा मरद, पृष्ठ १०६७


अपडेट पोस्टेड,

छुटकी, होली दीदी की ससुराल में का अल्पविराम समाप्त और आप सब के अनुरोध पर एक बार फिर से,

कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें।
 
Last edited:

komaalrani

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एक कविता मेरी ओर से भी लीजिये कोमल जी, पिछली होली पर भांग के नशे में धुत होकर कुछ बोल फूट पड़े थे....


खेल रही थी आंगन में सखियों संग जब होली
देखा भैया वापस आये छोड़कर अपनी टोली

विदा किया सखियों को, पहुंची भैया के पास
उनका खूंटा खड़ा देखकर जगी थी मन में आस

रंग लेकर पूछा भैया ने मुझसे कब लगवायेगी
मेरी पिचकारी लेकर बुर में, बहना क्या चुदवायेगी!

इठलाती, शर्माती मैं झूल गई उनकी बाँहों में
चूमकर लबों को फिर देखा उनकी आँखों में

"भैया हूँ पर बनकर सैंया सील मैं तेरी तोड़ूंगा
बहुत तड़पा हूँ बहना मेरी, आज रगड़कर चोदूंगा"

करके नंगी मुझको भैया ने चोदा बनकर साजन
"चोदो भैया, जोर से चोदो" से गूंजा सारा आंगन


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क्या बात है बहुत ही सुन्दर कविता अद्भुत

विदा किया सखियों को, पहुंची भैया के पास
उनका खूंटा खड़ा देखकर जगी थी मन में आस

रंग लेकर पूछा भैया ने मुझसे कब लगवायेगी
मेरी पिचकारी लेकर बुर में, बहना क्या चुदवायेगी!

इठलाती, शर्माती मैं झूल गई उनकी बाँहों में
चूमकर लबों को फिर देखा उनकी आँखों में
 

komaalrani

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ऐसे वर्णन जो न जाने कहाँ-कहाँ से उपजते हैं...
ये भी शिलाजीत या वियाग्रा से कम नहीं..
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
 

komaalrani

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komaalrani

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हर तरह की मानवीय भावनाएं... तर्कसंगत अभिव्यक्ति... हाजिरजवाब संवाद.... ये खूबी है कोमल रानी की...
thanks so much
 

komaalrani

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The story depicts the current context in which India was passing through in detailed and subtle manner.
The treatment is so touchy that at many times you may feel that you are a part of it and feel the feel of protagonist (especially Ritu).
and that was the only story which brought tears to many eyes, including the end
 

komaalrani

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मामा के साथ पापा भी.. आखिर दहेज़ में जो साथ लाई थी...
ekdam sahi baat kahi aapne jabrdast
 

komaalrani

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