- 22,186
- 57,733
- 259
भाग २६
पिलानिंग - कच्ची ननदों की लेने की
" भौजी, फिर कब होगी होली, अगले फागुन में "
कस के उसे बाँहों में बाँध के पहले तो मैंने दस बार चुम्मा लिया कचकचा के गाल काटा , और उसके 'छोटू ' को पकड़ के सहलाते बोली ,
" बुद्धू , देवर भौजाई का फागुन तो साल भर चलता है , कल फिर लूंगी तेरी और अच्छी तरह से , हाँ लेकिन कल अगर दरवाजा बंद मिला या तूने कुछ भी नखड़ा किया न तो तेरी ये चिकनी गाँड़ पहले मारूंगी, चोदुंगी बाद में ,... "
और धड़ धड़ मैं सीढ़ी से नीचे लेकिन उतरते समय भी मैं चुन्नू के बारे में ही सोच रही थी,
कामवालियां ,... रमजनिया जो चंदू के साथ , गाँव की हर औरत लड़की के बारे में उसे रत्ती रत्ती खबर रहती है तो कामवालियों में , खेत में घर में जो थोड़ी बड़ी खूब खेली खायी ,.. ऐसी दो चार को इस देवर के साथ ,
सिखा सिखा के पक्का कर देंगी,...
और नैना ,...उसी ने तो इस कच्चे केले के बारे में बताया था ,.. तो वो मजा ले ले और गाँव की लड़कियों के साथ इसकी सेटिंग कराने में तो उससे अच्छी कोई नहीं, दो चार पे वो चढ़वा देगी उसके बाद तो वो खुद ही शिकार करने लगेगा और उन दोनों के मुंह मारने के पहले हफ्ते दस दिन तो में खुद इस नए माल को भोगूंगी ,...
मेरी हालत देख के ही सब लोग समझ गयीं की ' होली हो गयी ' लेकिन अभी बात सीरियस चल रही थी और मैं भी कान रोप कर सुनने लगी.
एक मेरी बड़ी उम्र की जेठानी कहने लगीं,... ' अरे इसमें क्या इतना सोचना है,... मौज मस्ती ही तो है , क्या जीत हार, अरे पिछले कितने सालों से तो ननदें ही जीतती आयीं है , इस बार फिर वही जीतेंगी। इसमें क्या प्लानिंग, क्या,... "
और उन की बात में बात जोड़ती उन्ही की उमर की एक जेठानी बोलीं, ' सही कह रही हो , हम तो भुलाई गए कब भौजाई लोगन की टीम जीती थी,... अरे ननदों के आगे,... "
मुझे बड़ा बुरा लगा, मैं तो आयी ही थी अपनी ससुराल, ननदों की गाँड़ मारने, अपने भाइयों, देवरों से सब ननदो को चुदवाने, रगड़ रगड़ कर,...
और यहाँ तो मैच शुरू होने के पहले ही कोच कप्तान सब हार मान के बैठे हैं,... और गबर गबर खाली गुझिया खाये जा रहे हैं, और उसी समय मैंने तय कर लिया की आज चाहे जो हो जाय ननदों को तो हरा के ही रहना है, अरे साल भर स्साली छिनारों की नाक रगड़ने का मौक़ा,..
लेकिन अभी सुनने और समझने का था,
तब तक एक जेठानी और , वही हार में ख़ुशी मनाने वाली ,... बोलीं,...
" अरे थोड़ा बहुत कोशिश करते भी लेकिन अबकी तो नैना भी आगयी है जब्बर छिनार , उसको तो सौ गुन आते हैं,... "
ये बात मैं मान गयी की नैना के आने से मुकाबला थोड़ा टाइट होगया लेकिन ननदों की टाइट को ढीला उनकी भाभियाँ नहीं करेंगी तो कौन कराएगा, फिर अभी अभी दो देवरों को चोद के आ रही हूँ , जिसके आगे सब ने हाथ झाड़ लिया था,...
मंजू भाभी, ने मेरी ओर इशारा भी किया,...
"अरे अबकी मेरी नयकी देवरानी आ गयी है , करेगी न नैना क मुकाबला, अरे तीन दिन पहले होली के दिन , मिश्राइन भौजी के यहाँ कैसे कुल ननदों क बुर गाँड़ सब बराबर,... "
अब माहोल थोड़ा बदला ,
लेकिन मैं अभी भी सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी की आखिर क्यों हर बार भौजाइयों की टीम हार जाती है और कोई न कोई तो ननदों में कमजोरी होगी , जिसका हम सब फायदा उठा सकते हैं,... और मुझे कुछ बातें तो समझ में आ गयी,...
पहली बात ये थी की टीम ११ की होती थी,...
और ननदें ज्यादातर टीनेजर, या जो शादी शुदा वो भी २० -२२ वाली,
लेकिन भौजाइयों की औसत उमर तीस से ऊपर और सीनियारिटी के नाम पर जो बड़ी होती थीं वो भी कई टीम में , ४० के पार वाली भी जो चुद चुद के, बच्चे जन जन के घर का काम कर के थकी मांदी ,
तो ताकत और एनर्जी दोनों में ननदों की टीम बीस नहीं पच्चीस पड़ती थी,...
दूसरी बात की मैच का कोई टाइम नहीं होता था तो वो पहले तो मजे ले लेकर , भौजाइयों को दौड़ा के थका देतीं थीं और उसके बाद,...
तीसरी बात जो मैं देख रही थी , भौजाइयों की टीम में बार बार हारने के बाद जीतने की न इच्छा बची थी , न विश्वास
और आखिरी बात, कोई स्ट्रेटजी प्लानिंग भी नहीं होती थी और बेईमानी के कौन जीतता है तो लेकिन बेईमानी के लिए बहुत जुगत लगानी पड़ती है और वो यहाँ दिख नहीं रहा था,... अंत में सब लोगों ने मुझसे पूछा ,
असल में जो सबसे नयी होती थी , जिसकी पहली होली होती थी वो कप्तान तो नहीं, छोटा कप्तान जरूर रहती थी , फिर मिश्राइन भाभी के यहाँ जो मैंने सबकी रगड़ाई की थी तो थोड़ा बहुत मेरे नाम से ननदें,... और यह तय हो गया था की अबकी मंजू भाभी कप्तान रहेंगी तो उनका प्यार दुलार तो रहता था,...
तो मैंने अपनी प्लानिंग,...
पिलानिंग - कच्ची ननदों की लेने की
" भौजी, फिर कब होगी होली, अगले फागुन में "
कस के उसे बाँहों में बाँध के पहले तो मैंने दस बार चुम्मा लिया कचकचा के गाल काटा , और उसके 'छोटू ' को पकड़ के सहलाते बोली ,
" बुद्धू , देवर भौजाई का फागुन तो साल भर चलता है , कल फिर लूंगी तेरी और अच्छी तरह से , हाँ लेकिन कल अगर दरवाजा बंद मिला या तूने कुछ भी नखड़ा किया न तो तेरी ये चिकनी गाँड़ पहले मारूंगी, चोदुंगी बाद में ,... "
और धड़ धड़ मैं सीढ़ी से नीचे लेकिन उतरते समय भी मैं चुन्नू के बारे में ही सोच रही थी,
कामवालियां ,... रमजनिया जो चंदू के साथ , गाँव की हर औरत लड़की के बारे में उसे रत्ती रत्ती खबर रहती है तो कामवालियों में , खेत में घर में जो थोड़ी बड़ी खूब खेली खायी ,.. ऐसी दो चार को इस देवर के साथ ,
सिखा सिखा के पक्का कर देंगी,...
और नैना ,...उसी ने तो इस कच्चे केले के बारे में बताया था ,.. तो वो मजा ले ले और गाँव की लड़कियों के साथ इसकी सेटिंग कराने में तो उससे अच्छी कोई नहीं, दो चार पे वो चढ़वा देगी उसके बाद तो वो खुद ही शिकार करने लगेगा और उन दोनों के मुंह मारने के पहले हफ्ते दस दिन तो में खुद इस नए माल को भोगूंगी ,...
मेरी हालत देख के ही सब लोग समझ गयीं की ' होली हो गयी ' लेकिन अभी बात सीरियस चल रही थी और मैं भी कान रोप कर सुनने लगी.
एक मेरी बड़ी उम्र की जेठानी कहने लगीं,... ' अरे इसमें क्या इतना सोचना है,... मौज मस्ती ही तो है , क्या जीत हार, अरे पिछले कितने सालों से तो ननदें ही जीतती आयीं है , इस बार फिर वही जीतेंगी। इसमें क्या प्लानिंग, क्या,... "
और उन की बात में बात जोड़ती उन्ही की उमर की एक जेठानी बोलीं, ' सही कह रही हो , हम तो भुलाई गए कब भौजाई लोगन की टीम जीती थी,... अरे ननदों के आगे,... "
मुझे बड़ा बुरा लगा, मैं तो आयी ही थी अपनी ससुराल, ननदों की गाँड़ मारने, अपने भाइयों, देवरों से सब ननदो को चुदवाने, रगड़ रगड़ कर,...
और यहाँ तो मैच शुरू होने के पहले ही कोच कप्तान सब हार मान के बैठे हैं,... और गबर गबर खाली गुझिया खाये जा रहे हैं, और उसी समय मैंने तय कर लिया की आज चाहे जो हो जाय ननदों को तो हरा के ही रहना है, अरे साल भर स्साली छिनारों की नाक रगड़ने का मौक़ा,..
लेकिन अभी सुनने और समझने का था,
तब तक एक जेठानी और , वही हार में ख़ुशी मनाने वाली ,... बोलीं,...
" अरे थोड़ा बहुत कोशिश करते भी लेकिन अबकी तो नैना भी आगयी है जब्बर छिनार , उसको तो सौ गुन आते हैं,... "
ये बात मैं मान गयी की नैना के आने से मुकाबला थोड़ा टाइट होगया लेकिन ननदों की टाइट को ढीला उनकी भाभियाँ नहीं करेंगी तो कौन कराएगा, फिर अभी अभी दो देवरों को चोद के आ रही हूँ , जिसके आगे सब ने हाथ झाड़ लिया था,...
मंजू भाभी, ने मेरी ओर इशारा भी किया,...
"अरे अबकी मेरी नयकी देवरानी आ गयी है , करेगी न नैना क मुकाबला, अरे तीन दिन पहले होली के दिन , मिश्राइन भौजी के यहाँ कैसे कुल ननदों क बुर गाँड़ सब बराबर,... "
अब माहोल थोड़ा बदला ,
लेकिन मैं अभी भी सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी की आखिर क्यों हर बार भौजाइयों की टीम हार जाती है और कोई न कोई तो ननदों में कमजोरी होगी , जिसका हम सब फायदा उठा सकते हैं,... और मुझे कुछ बातें तो समझ में आ गयी,...
पहली बात ये थी की टीम ११ की होती थी,...
और ननदें ज्यादातर टीनेजर, या जो शादी शुदा वो भी २० -२२ वाली,
लेकिन भौजाइयों की औसत उमर तीस से ऊपर और सीनियारिटी के नाम पर जो बड़ी होती थीं वो भी कई टीम में , ४० के पार वाली भी जो चुद चुद के, बच्चे जन जन के घर का काम कर के थकी मांदी ,
तो ताकत और एनर्जी दोनों में ननदों की टीम बीस नहीं पच्चीस पड़ती थी,...
दूसरी बात की मैच का कोई टाइम नहीं होता था तो वो पहले तो मजे ले लेकर , भौजाइयों को दौड़ा के थका देतीं थीं और उसके बाद,...
तीसरी बात जो मैं देख रही थी , भौजाइयों की टीम में बार बार हारने के बाद जीतने की न इच्छा बची थी , न विश्वास
और आखिरी बात, कोई स्ट्रेटजी प्लानिंग भी नहीं होती थी और बेईमानी के कौन जीतता है तो लेकिन बेईमानी के लिए बहुत जुगत लगानी पड़ती है और वो यहाँ दिख नहीं रहा था,... अंत में सब लोगों ने मुझसे पूछा ,
असल में जो सबसे नयी होती थी , जिसकी पहली होली होती थी वो कप्तान तो नहीं, छोटा कप्तान जरूर रहती थी , फिर मिश्राइन भाभी के यहाँ जो मैंने सबकी रगड़ाई की थी तो थोड़ा बहुत मेरे नाम से ननदें,... और यह तय हो गया था की अबकी मंजू भाभी कप्तान रहेंगी तो उनका प्यार दुलार तो रहता था,...
तो मैंने अपनी प्लानिंग,...
Last edited: