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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग २६


पिलानिंग - कच्ची ननदों की लेने की




" भौजी, फिर कब होगी होली, अगले फागुन में "

कस के उसे बाँहों में बाँध के पहले तो मैंने दस बार चुम्मा लिया कचकचा के गाल काटा , और उसके 'छोटू ' को पकड़ के सहलाते बोली ,

" बुद्धू , देवर भौजाई का फागुन तो साल भर चलता है , कल फिर लूंगी तेरी और अच्छी तरह से , हाँ लेकिन कल अगर दरवाजा बंद मिला या तूने कुछ भी नखड़ा किया न तो तेरी ये चिकनी गाँड़ पहले मारूंगी, चोदुंगी बाद में ,... "

और धड़ धड़ मैं सीढ़ी से नीचे लेकिन उतरते समय भी मैं चुन्नू के बारे में ही सोच रही थी,



कामवालियां ,... रमजनिया जो चंदू के साथ , गाँव की हर औरत लड़की के बारे में उसे रत्ती रत्ती खबर रहती है तो कामवालियों में , खेत में घर में जो थोड़ी बड़ी खूब खेली खायी ,.. ऐसी दो चार को इस देवर के साथ ,

सिखा सिखा के पक्का कर देंगी,...



और नैना ,...उसी ने तो इस कच्चे केले के बारे में बताया था ,.. तो वो मजा ले ले और गाँव की लड़कियों के साथ इसकी सेटिंग कराने में तो उससे अच्छी कोई नहीं, दो चार पे वो चढ़वा देगी उसके बाद तो वो खुद ही शिकार करने लगेगा और उन दोनों के मुंह मारने के पहले हफ्ते दस दिन तो में खुद इस नए माल को भोगूंगी ,...

मेरी हालत देख के ही सब लोग समझ गयीं की ' होली हो गयी ' लेकिन अभी बात सीरियस चल रही थी और मैं भी कान रोप कर सुनने लगी.



एक मेरी बड़ी उम्र की जेठानी कहने लगीं,... ' अरे इसमें क्या इतना सोचना है,... मौज मस्ती ही तो है , क्या जीत हार, अरे पिछले कितने सालों से तो ननदें ही जीतती आयीं है , इस बार फिर वही जीतेंगी। इसमें क्या प्लानिंग, क्या,... "

और उन की बात में बात जोड़ती उन्ही की उमर की एक जेठानी बोलीं, ' सही कह रही हो , हम तो भुलाई गए कब भौजाई लोगन की टीम जीती थी,... अरे ननदों के आगे,... "


मुझे बड़ा बुरा लगा, मैं तो आयी ही थी अपनी ससुराल, ननदों की गाँड़ मारने, अपने भाइयों, देवरों से सब ननदो को चुदवाने, रगड़ रगड़ कर,...

और यहाँ तो मैच शुरू होने के पहले ही कोच कप्तान सब हार मान के बैठे हैं,... और गबर गबर खाली गुझिया खाये जा रहे हैं, और उसी समय मैंने तय कर लिया की आज चाहे जो हो जाय ननदों को तो हरा के ही रहना है, अरे साल भर स्साली छिनारों की नाक रगड़ने का मौक़ा,..
लेकिन अभी सुनने और समझने का था,



तब तक एक जेठानी और , वही हार में ख़ुशी मनाने वाली ,... बोलीं,...

" अरे थोड़ा बहुत कोशिश करते भी लेकिन अबकी तो नैना भी आगयी है जब्बर छिनार , उसको तो सौ गुन आते हैं,... "



ये बात मैं मान गयी की नैना के आने से मुकाबला थोड़ा टाइट होगया लेकिन ननदों की टाइट को ढीला उनकी भाभियाँ नहीं करेंगी तो कौन कराएगा, फिर अभी अभी दो देवरों को चोद के आ रही हूँ , जिसके आगे सब ने हाथ झाड़ लिया था,...

मंजू भाभी, ने मेरी ओर इशारा भी किया,...

"अरे अबकी मेरी नयकी देवरानी आ गयी है , करेगी न नैना क मुकाबला, अरे तीन दिन पहले होली के दिन , मिश्राइन भौजी के यहाँ कैसे कुल ननदों क बुर गाँड़ सब बराबर,... "




अब माहोल थोड़ा बदला ,

लेकिन मैं अभी भी सुन रही थी और समझने की कोशिश कर रही थी की आखिर क्यों हर बार भौजाइयों की टीम हार जाती है और कोई न कोई तो ननदों में कमजोरी होगी , जिसका हम सब फायदा उठा सकते हैं,... और मुझे कुछ बातें तो समझ में आ गयी,...


पहली बात ये थी की टीम ११ की होती थी,...

और ननदें ज्यादातर टीनेजर, या जो शादी शुदा वो भी २० -२२ वाली,

लेकिन भौजाइयों की औसत उमर तीस से ऊपर और सीनियारिटी के नाम पर जो बड़ी होती थीं वो भी कई टीम में , ४० के पार वाली भी जो चुद चुद के, बच्चे जन जन के घर का काम कर के थकी मांदी ,

तो ताकत और एनर्जी दोनों में ननदों की टीम बीस नहीं पच्चीस पड़ती थी,...

दूसरी बात की मैच का कोई टाइम नहीं होता था तो वो पहले तो मजे ले लेकर , भौजाइयों को दौड़ा के थका देतीं थीं और उसके बाद,...



तीसरी बात जो मैं देख रही थी , भौजाइयों की टीम में बार बार हारने के बाद जीतने की न इच्छा बची थी , न विश्वास


और आखिरी बात, कोई स्ट्रेटजी प्लानिंग भी नहीं होती थी और बेईमानी के कौन जीतता है तो लेकिन बेईमानी के लिए बहुत जुगत लगानी पड़ती है और वो यहाँ दिख नहीं रहा था,... अंत में सब लोगों ने मुझसे पूछा ,



असल में जो सबसे नयी होती थी , जिसकी पहली होली होती थी वो कप्तान तो नहीं, छोटा कप्तान जरूर रहती थी , फिर मिश्राइन भाभी के यहाँ जो मैंने सबकी रगड़ाई की थी तो थोड़ा बहुत मेरे नाम से ननदें,... और यह तय हो गया था की अबकी मंजू भाभी कप्तान रहेंगी तो उनका प्यार दुलार तो रहता था,...




तो मैंने अपनी प्लानिंग,...
 
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मेरी पिलानिंग




और आखिरी बात, कोई स्ट्रेटजी प्लानिंग भी नहीं होती थी और बना बेईमानी के कौन जीतता है तो लेकिन बेईमानी के लिए बहुत जुगत लगानी पड़ती है और वो यहाँ दिख नहीं रहा था,... अंत में सब लोगों ने मुझसे पूछा ,

असल में जो सबसे नयी होती थी , जिसकी पहली होली होती थी वो कप्तान तो नहीं, छोटा कप्तान जरूर रहती थी , फिर मिश्राइन भाभी के यहाँ जो मैंने सबकी रगड़ाई की थी तो थोड़ा बहुत मेरे नाम से ननदें,... और यह तय हो गया था की अबकी मंजू भाभी कप्तान रहेंगी तो उनका प्यार दुलार तो रहता था,...

तो मैंने अपनी प्लानिंग,...



नहीं पूरी नहीं बताउंगी, फिर तो मैच का मजा ही ख़तम हो जाएगा , हाँ बस थोड़ी सी झलक,...

तो बात शुरू की मैंने टीम बदलने से,...



किसी तरह से मुझे ज्यादा जवान , कम उमर वाली खूब तगड़ी औरतें चाहिए थीं और जो एकदम बेसरम हों , ...



और मैंने जुगत लगा ली,... लेकिन मेरी प्लानिंग में दो बड़ी अड़चने थीं एक तो टीम में बदलाव दूसरा थोड़ा बहुत रूल्स , और मैच की अम्पायर को तो मैं सम्हाल लेती , आखिर मेरी सास ही थीं, और उन्हें मैंने छुटकी ऐसी बड़ी सी घूस थमा दी थी, और उनके साथ जो एक दो और होंगी , छुटकी सुबह से ही उनका मन बहला रही थी , लेकिन ज्यादा बड़ी दिक्कत थी मेरी टोली की ही, भौजाइयों की टीम की जो पुरानी खिलाड़ी थी हर बार हारती थीं , उन्हें मनाना,

और इस मामले में मंजू भाभी ने पूरा मेरा साथ दिया,

टीम ११ की ही थी,.... तो कम से ४ -५ तो जवान खूब तगड़ी, और ऐसी भौजाइयां होनी चाहिए जो न गरियाने में पीछे हटें न ननदों के इधर उधर छूने रगड़ने उँगरियाने में,...

और वैसे भी ननद भौजाई की इस होली वाली कबड्डी में कुछ भी फाउल नहीं होता था, ... कपडे तो सबके फटते थे और पूरी तरह, आधे टाइम तो वैसे ही , लेकिन उस समय कोई मरद चिड़िया भी नहीं रहती थी तो औरतों लड़कियों में क्या शर्म, वो भी होली के दिन,...

लेकिन मैं सोच रही थी की कम से कम आधी ऐसी हों जिनके अभी बच्चे न हों, शादी के चार पांच साल से ज्यादा न हुए हों पर गाँव में पिछले दो तीन साल में तो सिर्फ मेरी ही डोली उतरी थी , और चार पांच साल में पांच छह बहुएं आयी तो थी,... लेकिन मेरे अलावा तीन ही थीं जिन्होंने गाँव को अपना अड्डा बनाया था बाकी की सब अपने मर्दों के साथ, काम पर,....


फिर एक बार दिल्ली बंबई पहुँचने के बाद कौन गाँव लौटता है,...



होली के इस खेल में गाँव में हम लोगो की ही, मलतब भरौटी, अहिरौटी और बाकी सब टोले वाली नहीं,... वैसे तो गाँव में औरतों के बीच के बीच पूरा समाजवाद चलता है, जब मैं आयी थी तो उम्र और रिश्ते के हिसाब से जो भी सास और जेठानी लगती थीं, सब का पैर मैंने हाथ में आँचल ले के दोनों हाथ से पूरा झुक के छूआ था, और गाँव में जो मेरी अकेली देवरानी लगती थी, कुसमा, ...



उस का मर्द कुंए पे पानी भरता था और वो पानी अंदर लाती थी, हाथ पैर भी दबाती और अपने मर्द के किस्से सुनाती थी , कैसे रगड़ रगड़ के, उसे बर्थ कंट्रोल पिल्स भी मैंने ही दिया था और होली के दिन उसके टोले में जा कर होली भी अपने देवर, उसके मरद के साथ खेली थी,... तो उसी की तरह की और भी थीं कुछ अगर दो तीन उस तरह की टीम में हमारी आ जाएँ तगड़ी तगड़ी,...

जैसे ही मैंने उसका नाम लिया,

वही मेरी जेठानी जो हारने में कोई बुराई नहीं देखती थी ४० -४५ की रही होंगी देह भी एकदम ढीली ढाली,... उचक के बोलीं


" अरे उ कलुआ क मेहरारू,... "



मैं तो समझ गयी, गयी भैंस पानी में,... मेरी पतंग की डोर उड़ने से पहले ही उन्होंने काट दी,...

लेकिन मेरी जेठानी मंजू भाभी थी न , उन्होंने अपनी सहेली की ओर देखा, और बस मोर्चा उन्होंने सम्हाल लिया,... और मेरी ओर तारीफ़ की निगाह से देखते बोलीं,
"नयको को इतने दिन में ही कुल बात , ... एकदम सही कह रही है,... अरे बहुत जांगर ओहमें हैं देह दबाती है तो देह तोड़ के रख देती है, एकदम बड़ी ताकत है,... सही है। "




ये तो मुझे मालूम था रोज रात भर मेरे ऊपर इनके चढ़ने के बाद जब उठा नहीं जाता तो कटोरी भर तेल ले के मेरी देह मेरी जाँघों में , दोनों पैर या तो रात भर उठे रहते या निहुरी रहती , और इनके धक्के भी हर धक्के में पेंच पेंच ढीली हो जाती,...

और उसकी मालिश के बाद तो मन यही करता की, अब एक दो बार और हो जाए तो कोई बात नहीं,...



असली खेल था जांघ की मालिश की बाद बात बात में वो हथेली से रगड़ रगड़ के सीधे गुलाबो पे , और हर चढ़ाई का किस्सा सुन के ही , फिर उँगलियों से दोनों फांको को रगड़ के, दो ऊँगली एकदम जड़ तक अंदर,... दो चार मिनट में तो कोई भी झड़ने के कगार पर पहुँच जाए , ....



और खाली शादी शुदा ही नहीं कुंवारियां भी , आज स्कूल में मैच है की आज पी टी में कमर पिराने लगी , और पांच मिनट में उस लड़की के पोर पोर का दर्द , मालिश करवाने वाली भी जानती थी और कुसुमा भी की मालिश कहाँ की होनी है,...

असल में नाम तो उसका कुसुमा था लेकिन मेरी एक सास लगती थीं उनका भी मिलता जुलता नाम तो अब सबने नाम उसका बदल के चमेली कर दिया था तो मैं भी उसी नाम से पुकार के,...

" हाँ उहे चमेलिया,... अरे गाँव में हमारी अकेली देवरान , हमरे बाद तो वही आयी बियाह के और ओकरे साथ,... '

मैंने बात आगे बढ़ाने की कोशिश की तो एक बार फिर मेरी बात काट दी गयी वही मंजू भाभी की सहेली , मेरी जेठानी और उन्होंने सही बात काटी,...

" अरे छोडो , समझ गए हम सब चमेलिया और ठीक है तू और मंजू आपस में बात करके तय कर लो ,... सही बात है यह बार कुछ नया होना चाहिए और ननदों को हराना चाहिए "

मैं समझ गयी , अगर मैं बाकी का नाम लेती और वो जेठानी जो कुछ भी नए के खिलाफ थीं वो फिर.... अगर किसी के खिलाफ हो जातीं तो ,...

अब मैंने टीम की बाकी मेंबर्स का नाम एनाउंस किया , मेरे अलावा जो तीन भौजाइयों की टीम में वही जो लड़कोर नहीं थीं,... मंजू भाभी , वो जो हमारा साथ दे रहे थी और एक दो और

फिर मैंने जो बड़ी बुजुर्ग भाभी लोग थीं उनकी ओर मुंह कर के बोला, खूब आदर के साथ ५०० ग्राम मक्खन मार के,



" और आप लोग थोड़ा हम लोगों का का कहते हैं उ, मार्गदर्शक रहिएगा,... आप लोगों का जो इतना एक्सपीरियंस है, एक एक ननद क त कुल हाल चाल आप लोगों को मालूम होगा ही, तो बस आप लोग जैसे कहियेगा,... एकदम वैसे वैसे , और आप लोगन क आसीर्बाद और पिलानिंग से कहीं जीत गए,... तो जितने कच्चे टिकोरे होंगे न सब आप लोगों की झोली में,... "




वो भी मेरी बात से सहमत होती बोलीं , " ठीके कह रही हो , अब सांस फुला जाती है, चूल्हा झोंकते बच्चे पैदा करते,... "


 
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komaalrani

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नयी टीम, नए रूल्स









फिर मैंने जो बड़ी बुजुर्ग भाभी लोग थीं उनकी ओर मुंह कर के बोला, खूब आदर के साथ ५०० ग्राम मक्खन मार के,



" और आप लोग थोड़ा हम लोगों का का कहते हैं उ, मार्गदर्शक रहिएगा,... आप लोगों का जो इतना एक्सपीरियंस है, एक एक ननद क त कुल हाल चाल आप लोगों को मालूम होगा ही, तो बस आप लोग जैसे कहियेगा,... एकदम वैसे वैसे , और आप लोगन क आसीर्बाद और पिलानिंग से कहीं जीत गए,... तो जितने कच्चे टिकोरे होंगे न सब आप लोगों की झोली में,... "



वो भी मेरी बात से सहमत होती बोलीं , " ठीके कह रही हो , अब सांस फुला जाती है, चूल्हा झोंकते बच्चे पैदा करते,... "



और मैंने अगली पिलानिंग सुना दी,... " जो आप लोगन से सुना की कउनो टाइम का वो नहीं , ... तो हम सोच रहे थे की पौन घंटा ,... आखिर ओकरे बाद आधा पौन घंटा ननदों की रंगड़ाई, होली क मज़ा , फिर नहाना धोना, खाना पीना , सांझ के पहले घर लौटना ,... "


लेकिन फिर एक जेठानी जिन्हे मैंने मार्गदर्सक में डाला था खड़ी हो गयीं,... बोलीं अरे उ तोहार ननद कुल मानेंगी नहीं।




" तभी तो,... " मैंने जोड़ा,... " अरे हम लोग पौन घंटा से बात शुरू करेंगे , वो सब दो ढाई घंटा कहेंगी , एक -डेढ़ घंटा पर बात ख़तम हो जायेगी,.. तो भी पहले से तो बहुत ठीक रहेगा , और एक बात और ,... "



कोई और खड़ा होता उसके पहले मैंने अगली बात रख दी ,


" वो सब ससुरी मरती भी हैं फिर कोई न कोई ननद छिनार जिला देती है, तो ऐसे तो ,... तो जो चाहे दोनों टीम में पकड़ी जाने पर अगर वो टीम वाले अगर उसे तीन चार मिनट में झड़ा दें तो वो गेम से बाहर हो जायेगी , दुबारा अपनी टीम में नहीं जा सकती ,... "




अबकी मंजू भाभी ने एक संसोधन जारी किया जिसे मैंने तुरंत मान लिया,...

वो बोलीं,

' या तो झड़ जाए या खुद हाथ उठा के हार मान ले,... वो भी गेम से हरदम के लिए बाहर हो जाएगी "




तो फिर उन पुरानी जेठानियों ने काफी ज्ञान दिया जिसे मैंने एक कान से सुन के दूसरे कान से निकाल दिया , लेकिन तब तक किसी ने छुटकी का नाम ले लिया,...

" अरे उ नैनवा पक्की छिनार, वो तोहरे छुटकी बहिनिया को भी भौजाई की टीम में जुड़वाएगी , मानेगी नहीं। "

" अरे कैसे उसकी कौन शादी हुयी है यह गाँव में , भौजाई कैसे हुयी वो " मैं भी अड़ गयी , फिर मुस्कराते हुए मैंने तुरुप का पत्ता खोला,..." देखिये पहले तो हम लोग मानेगे नहीं , और मानेगे बहुत कहने सुनने पर तो अपनी तीन शर्तों के साथ ,.... "



अब वो जेठानिया भी मान गयी ,

लेकिन असली वाला तुरुप का पत्ता नहीं खोला था छुटकी जब आठ में थी , -- कैटगरी , ४२ किलो वाली फ्री स्टाइल में , जिले में नहीं पूरे रीजन में , रीजनल रैली में सेकेण्ड आयी थी, फ्री स्टाइल में और तीन साल से अपने स्कूल की कबड्डी टीम में थी और उसका स्कूल भी रीजनल रैली में तीसरे नंबर पर था, उसकी पकड़ तो कोई छूट नहीं सकता , फिर साँस भी डेढ़ दो मिनट तो बहुत आसानी से,... स्टेट के लिए कोचिंग भी की थी दो महीना,... स्पोर्ट्स हॉस्टल में,..



तो अब बचीं मैं मंजू भाभी और तीन चार जेठानियाँ जो टीम में थीं और मैंने पूरी बात बताई।

कुसुमा या चमेलिया का नाम तो मैंने पहले ही बता दिया था, और उसके हाथों के जादू के सब कायल थे उसके बाद दूसरा नाम मैंने लिया रमजनिया, अरे वही जो चंदू देवर , जिसकी सहायता से मैं अपने उस ब्रम्हचारी देवर को फिर से चोदू बना पायी, और मेरे उस के कुछ गुन बखारने के पहले मंजू भाभी बोल पड़ीं ,




" सही बोल रही हो, का ननद का भौजाई का गाँव क कउनो लौंडा सब का एक एक बात का हाल उसको मालूम रहता है ,... ननदों के टीम के एक एक का नस वो पकड़ के बता सकती है , फिर तगड़ी भी बहुत है, दो चार लौंडियों को तो झटक के छुड़ा के,... "



तीसरा नाम मैंने जोड़ा नउनिया क छुटकी बहू , गुलबिया का,




हमसे सात आठ महीने पहले गवना करा के आयी थी, खूब गोरी सुंदर , देह कद काठी जबरदस्त,... लेकिन दो चार महीने बाद मरद पंजाब कमाने चला गया तब से मरद बिना छनछनाई रहती है , गरम तावा पे पानी की बूँद डालने पे जो हालत होती है वही, और आपन कुल जोर कुँवार ननदन पे उतारती है , होली में दस बार मरद को फोन किया, वो बोला भी,... फिर वही बहाना , छुट्टी नहीं मिली , रिजर्वेशन नहीं मिला,... गाडी छूट गयी,... गुस्से में बोलती,


हमको मालूम है उंहा किससे गाँड़ मरा रहे हैं , नहीं आओ तोहरी बहिनिया क चोद के,...

और बहिन उसकी कौन , कजरी , नैना की सहायक,...




होली में कजरी के पिछवाड़े मैंने जो जड़ तक ऊँगली पेली थी दस मिनट तक और निकाल के सीधे उसके मुंह में , गुलबिया खूब खुश हुयी ,... तो आज जब सब एक से एक कच्ची उमर वाली ननदें मिलेंगी तो फिर तो,... और जो काम करने वाली होती हैं रोज चक्की चलाती हैं , कुंवे से पानी निकालती हैं सर पे दो दो घड़ा , बगल में एक घड़ा लेकर चलती हैं , पूरी पिंडलियाँ , जांघें हाथ सब एकदम कसे कसे ,...



और चौथा नाम एक जेठानी ने बताया, और नाम बताते ही मैं समझ गयी, उमर में चमेलिया और गुलबिया से थोड़ी बड़ी,.. लेकिन एक बार रतजगे में वो दुल्हिन बनी थी,... और एक जो दूल्हा बनी थी उसके ऊपर चढ़ के उसी को चोद दिया बेचारी की माँ बहन सब एक कर दी,...

जेठानी ने जोड़ा चूत से चूत पे घिस्सा देने में उसका कोई मुकाबला नहीं , बड़ी से बड़ी उम्र में दूनी हो ताकत में ज्यादा हो तो बस एक बार चढ़ गयी किसी लड़की, के ऊपर तो बस उसका पानी निकाल के दम लेती है और एक साथ दो ,दो तीन तीन , एक को चूत से रगडेंगी, बाकी दो को दोनों हाथ से ,.. और उसके पल्ले कोई पड़ गयी न तो एक दो ऊँगली का तो मतलब ही नहीं, कुँवारी हो, झील्ली न फटी हो , तो भी सीधे तीन ऊँगली, और गरियायेगी भी

स्साले इतने तोहार भाई गाँव में है कउनो के ताकत नहीं लंड,... में,... तोहार झिल्ली अब तक बची है,



तो बस चार ये , और मेरी तीन जेठानियाँ जो मुझसे तीन चार साल ही बड़ी थीं, दो तो आयी ही थीं एक को मंजू भाभी ने बुलवा लिया और उन चारो को भी , चमेलिया , गुलबिया रामजानिया,... मंजू भाभी और उनकी उम्र वाली दो जेठानियाँ तो थीं बस पन्दरह बीस मिनट में हम भौजाइयों की ११ की टीम पूरी ,... हाँ हमने क्या प्लानिंग की कैसे तैयारी की ,.. ये सब बता दूंगी तो मैच का मजा ही खतम हो जाएगा,...



इसलिए चलिए कुछ देर तक छुटकी के साथ क्या हो रहा है ये देखते हैं फिर सीधे मैच में
 
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motaalund

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अभी तक बहुत बढ़िया चल रही है । हमारे लंड को आपका ही सहारा है । बाकी आपको वादे के हिसाब से तड़के से आगे जाना होगा । आखिर आपकी सासु मा इतनी मेहनत से तीर्थ यात्रा कर रही है । मनौती तो पूरी ही करनी पड़ेगी । और आपकी बुआ सास का किस्सा तो पिछले कई फ़ोरम्स से उधार चल रहा है , उनकी पेलगाडी आपके सांड से कब और कैसे हुई उसका भी तो बखान होना बनता है । अगले उपकार आई मीन अपडेट की प्रतीक्षा में ...
बिल्कुल सही कहा...
ये भौजी का उपकार हीं है हम देवरों पर.....
 
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motaalund

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Haa bilkul jhalak ko jara pura vistar se 1-2 episode mei plzzz
सब कोमल रानी पर छोड़ दीजिए....

इनके बराबर दूसरा कोई नहीं... और जो कुछ भी करेंगी ... सब के मन मोह लेने वाली होगी....
 

motaalund

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hoga kayi parts men hoga ,... vo meri strenghth nahi hai , first choice bhi nahi lekin vada kiya hai to
इतना हमें विश्वास कि जो कुछ भी लिखेंगी...
वो एकदम अद्भुत और अद्वितीय होगा....
 
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motaalund

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एकदम एवमस्तु टाइप करने की कोशिश करुँगी, लेकिन ये बात आपकी सही है की और सोलह आना सही है की ये फोरम ऐसी कहानियों से भरा पड़ा है और उनके व्यूज भी बाकी तरह की कहानियों से बहुत आगे होते हैं , कस्टमर्स डिलाइट।
और वैसे भी ये कहानी जिस का सीक्वेल है उस के शुरू में ही मैंने घोषणा कर दी थी की इसमें कुछ भी वर्जित गर्हित नहीं रहेगा, बाकी कहानियों में एक तिनके का जो अंतर् रहता है वो भी नहीं

तो फिर,... ये भी सही।
अंतिम इच्छा आपकी रहेगी.....
और हमारा समर्थन आपको रहेगा....
 
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सब कोमल रानी पर छोड़ दीजिए....

इनके बराबर दूसरा कोई नहीं... और जो कुछ भी करेंगी ... सब के मन मोह लेने वाली होगी....
Sahi kaha
 
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