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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

motaalund

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Not

Not fair komal ji, aadhe ghnte ki chudai 2 line me khatam kardi. Esa to hai nhi ki aadhe ghante kamal or komal ne ek dusre se kuchh bola nahi hoga. Yahan apko direct speech ka jyada se jyada use krna chahiye. Khaskar jab kahani ka main character ho to or achhe se thoda extra likh skte hai. Jese real life me bhi koi chup chap nhi krte. Vese hi yahan pr kare
ये डायलोग तो एकदम टनटना देते हैं...
 

motaalund

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धन्य हो आपकी लेखनी, कोमल मैम

ये अपडेट तो गजब का रहा।

वाह वाह शानदार

अब तो अगले अपडेट का इंतजार तो और भी शिद्दत से रहेगा।


सादर
लेखनी तो ऐसी जबर्दस्त है कि ...
एपिसोड खत्म होने पर भी लगता है कि बहुत जल्द खत्म हो गया...
 

motaalund

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Thanks Komal ji

अद्भुत और बहुत बढ़िया अपडेट कोमल जी। अपने सामने चुदती हुई ननदो को देख कर कौन भोजाई अपने अरमानो को काबू में रख सकती है। और फिर कमल जैसा मुस्टंडा और उसके ऊपर से उसका लंबा मोटा हथियार देख कर कोई भी औरत खुद ही पैर खोल में उसके नीचे आ जाए मरवाने को…few line from me as token of appreciation;

बँसवाड़ी के झुरमुट में वहां महुआ के पेड़ के नीचे
कमल दबोच के भाभी को चुची को जोर से मीचे

महुआ की शराब सा नशा भाभी के योवन रस में
दौर रहा है बन के लहू कमल की हर एक नस में

सेज बनी है फूलों की और महक आम के बौर से
महक रही है फिजा सारी मदमस्त हवा के शोर से

मसल रहा है महुआ के फूल थाम के सख्त उभार
नीचे से पनियाई चूत में करता अपने लौड़े से वार

रगड़ रगड़ के चोदे भाभीऔर चख्ता भरपुर जवानी
देख के उसका जोश जवानी भाभी भी हुई दीवानी

चूत झड़ चुकी भाभी की लेकिन सुलग रहे अरमान
भाभी की मोटी गांड में फंसी है अब देवर की जान

लेकर मुँह में चूसे लौड़ा बन के अपने देवर की रांड
निहुर गई देवर के आगे अब खोल के अपनी गांड

मुट्ठी ऐसा मोटा सुपाड़ा जब अंड़स गया पिछवाड़े
हचक हचक के फाड़े गांड और धक्के जोर से मारे

भाभी के दोनों छेदो में देवर ने भर दी आज मलाई
भाभी भी खूब याद करेगी देवर से ऐसी हुई ठुकाई

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कविता पढ़ कर दिल बाग बाग हो उठा...
और मन मयूर महुआ के नशे में झूम उठा...
 

motaalund

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सचमुच
वाह आरुषि मैम


आपके कवित्व का तो जवाब नहीं।


घटना को कविता में जीवंत कर देना, ये सिर्फ आप ही कर सकती हैं।


आपकी कविता "iceing on the cake" से भी आगे निकल जाती हैं।

हार्दिक आभार


सादर
सचमुच... क्या सटीक कविता लिखी है...
 
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