जिसे तैरना आता हो उसे स्विमिंग सिखाने में क्या मजा आएगा। जिसे तैरना न आता हो उसे स्विमिंग सिखाने में मजा भी आता है उद्देश्य भी होता है और लास्ट में गुरु की भी फीलिंग आती है। जो ननद भौजी की ही समौरी होती है साल छ महीने में उसका भी गवना चला जाता है। ऐसी ननद भौजाई में खूब बनती है। और दोनों मिलके बाकी कुंवारी ननदों की लाज शर्म दूर करवाके बुर और लंड का संगम करवाती हैं। जितनी ज्यादा शर्मीली सकुचाने वाली ननद होती है उसे चुदवाने में उतना ही ज्यादा मजा आता है। कई बार इस काम के लिए अरहर के खेत काम आते हैं। जेठ असाढ़ हो तो ढैंचा का खेत, शरद ऋतु में सरसों की फसल काम आ जाती है। भौजाई ननद के लिए किस हद तक जा सकती है अनुमान लगाना कठिन है। कभी ट्रैक्टर के ड्राइवर का कल्याण कर देती हैं। कभी ट्यूशन टीचर को उकसा देती हैं । कभी दर्जी से जोबन की नपाई करवा देती हैं तो कभी ब्यूटी पार्लर में। कोई बहुत लज्जावान डॉक्टर गांव के अस्पताल में आ जाए तो उसे भी गांव के हुस्न का दीदार करवा देती हैं बदले में आशा बहु इनके देवरों के लिए नई नर्सों की गांड़ बुर दिलवा देती है और समय समय पर सुई दवाई भी बताती रहती है। भौजी के मुख्य हथियार देवर तो इनके इशारे पर ही काम करते हैं।