फुल सिडक्टिव डायलोग और छेड़छाड़ के साथ...एकदम नहीं कोई कंजूसी नहीं
मेरी अपनी सगी ननद और उनके सगे भैया,
कम से कम ८ दस हिस्सों में
किस्सा इन्सेस्ट का , मेरी ननदिया, उनके भैया बने सैंया
Next part soon
फुल सिडक्टिव डायलोग और छेड़छाड़ के साथ...एकदम नहीं कोई कंजूसी नहीं
मेरी अपनी सगी ननद और उनके सगे भैया,
कम से कम ८ दस हिस्सों में
किस्सा इन्सेस्ट का , मेरी ननदिया, उनके भैया बने सैंया
Next part soon
Having work load.ML Bhai...bahut dinon baad nazar aa rahe ho...hope sab kushal mangal...is story ke baad hopefully aap mere story par bhi padharoge
Look forward to your comments as well. Thanks.
motaalund
इस पोस्ट के साथ आप ही न्याय कर सकती थीं, इस पोस्ट में मैंने एक अलग वातावरण, बँसवाड़ी, महुआ और आम के पेड़, चूता हुआ महुआ महुआ और आम के बौर की महक, और एक नशीला सा माहौल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन जो बात शायद मेरी पोस्ट नहीं कह पायी, वो आपकी इन पंक्तियों ने कह दियाThanks Komal ji
अद्भुत और बहुत बढ़िया अपडेट कोमल जी। अपने सामने चुदती हुई ननदो को देख कर कौन भोजाई अपने अरमानो को काबू में रख सकती है। और फिर कमल जैसा मुस्टंडा और उसके ऊपर से उसका लंबा मोटा हथियार देख कर कोई भी औरत खुद ही पैर खोल में उसके नीचे आ जाए मरवाने को…few line from me as token of appreciation;
बँसवाड़ी के झुरमुट में वहां महुआ के पेड़ के नीचे
कमल दबोच के भाभी को चुची को जोर से मीचे
महुआ की शराब सा नशा भाभी के योवन रस में
दौर रहा है बन के लहू कमल की हर एक नस में
सेज बनी है फूलों की और महक आम के बौर से
महक रही है फिजा सारी मदमस्त हवा के शोर से
मसल रहा है महुआ के फूल थाम के सख्त उभार
नीचे से पनियाई चूत में करता अपने लौड़े से वार
रगड़ रगड़ के चोदे भाभीऔर चख्ता भरपुर जवानी
देख के उसका जोश जवानी भाभी भी हुई दीवानी
चूत झड़ चुकी भाभी की लेकिन सुलग रहे अरमान
भाभी की मोटी गांड में फंसी है अब देवर की जान
लेकर मुँह में चूसे लौड़ा बन के अपने देवर की रांड
निहुर गई देवर के आगे अब खोल के अपनी गांड
मुट्ठी ऐसा मोटा सुपाड़ा जब अंड़स गया पिछवाड़े
हचक हचक के फाड़े गांड और धक्के जोर से मारे
भाभी के दोनों छेदो में देवर ने भर दी आज मलाई
भाभी भी खूब याद करेगी देवर से ऐसी हुई ठुकाई
आरुषि जी जो अनकहा रह जाता है, जो गूंगे का गुड़ है, जिसके लिए कहा जाता है ' गिरा अनयन, नयन बिनु बानी' उन्हें शब्द देती हैं।वाह आरुषि मैम
आपके कवित्व का तो जवाब नहीं।
घटना को कविता में जीवंत कर देना, ये सिर्फ आप ही कर सकती हैं।
आपकी कविता "iceing on the cake" से भी आगे निकल जाती हैं।
हार्दिक आभार
सादर
आपने इन पांच लाइनों में ननद भाभी के रिश्ते के बारे में वो सब कह दिया जो मैं शायद कई कहानियों में नहीं कह पायी। और गाँव की बात तो एकदम सोलहों आना सच, खेत खलिहान की बात भी और ट्रैक्टर ड्राइवर से लेकर गाँव के डाक्टर तक,जिसे तैरना आता हो उसे स्विमिंग सिखाने में क्या मजा आएगा। जिसे तैरना न आता हो उसे स्विमिंग सिखाने में मजा भी आता है उद्देश्य भी होता है और लास्ट में गुरु की भी फीलिंग आती है। जो ननद भौजी की ही समौरी होती है साल छ महीने में उसका भी गवना चला जाता है। ऐसी ननद भौजाई में खूब बनती है। और दोनों मिलके बाकी कुंवारी ननदों की लाज शर्म दूर करवाके बुर और लंड का संगम करवाती हैं। जितनी ज्यादा शर्मीली सकुचाने वाली ननद होती है उसे चुदवाने में उतना ही ज्यादा मजा आता है। कई बार इस काम के लिए अरहर के खेत काम आते हैं। जेठ असाढ़ हो तो ढैंचा का खेत, शरद ऋतु में सरसों की फसल काम आ जाती है। भौजाई ननद के लिए किस हद तक जा सकती है अनुमान लगाना कठिन है। कभी ट्रैक्टर के ड्राइवर का कल्याण कर देती हैं। कभी ट्यूशन टीचर को उकसा देती हैं । कभी दर्जी से जोबन की नपाई करवा देती हैं तो कभी ब्यूटी पार्लर में। कोई बहुत लज्जावान डॉक्टर गांव के अस्पताल में आ जाए तो उसे भी गांव के हुस्न का दीदार करवा देती हैं बदले में आशा बहु इनके देवरों के लिए नई नर्सों की गांड़ बुर दिलवा देती है और समय समय पर सुई दवाई भी बताती रहती है। भौजी के मुख्य हथियार देवर तो इनके इशारे पर ही काम करते हैं।
Ekdam aur Devar Bhabhi ka Phagun to saal bhar ka hai aur renu bhi dekh dekh ke sikhegi ab uska bhai thode bahtraa hai Kamal
अरे हिना और पठानटोली वालियों का किस्सा अभी विस्तार से आएगा जैसे कबड्डी और उसके बाद वाला था आठ दस पार्ट्स में और एक पार्ट में पांच छ पोस्ट से कम, कुछ पटा के कुछ बहला फुसला के, और कुछ की जबरदस्ती, लेकिन ली सबकी जायेगी और तस्सलीबक्श तरीके से ली जायेगी।