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agar rijsta koyi Jija saali ka bnaayegaa to chhae Nurse ho ya Doctor majak to hoga hi, baat rishte ki haiDidi kahe nurses se mazak karti ho, ye to logon ke jakhm pr marham lagati hain
agar rijsta koyi Jija saali ka bnaayegaa to chhae Nurse ho ya Doctor majak to hoga hi, baat rishte ki haiDidi kahe nurses se mazak karti ho, ye to logon ke jakhm pr marham lagati hain
Zindagi ke yahi unkahe aur unchhuye prasangon ko aap ka chhuna hi aap ko ek mahan matlab the best lekhika bnata hai is forum ki. Isiliye hi mujhe garv hota hai aapki frnd/ sis hone pr.आपने सही कहा इस बार की पोस्ट में सेक्स की जगह इमोशंस की प्रमुखता था, और वो राक्षस, आप भी न समझ कर भी
वह बस पलायन का और अकेलेपन का दर्द दिखाने का प्रतीक था। हर गांव से कमाने के नाम पे मर्द कभी सूरत तो कभी बम्बई और कभी अमरीका और कनाडा, जो बचे रहते हैं उनके अकेलेपन को दिखाने की कोशिश
मैं मानती हूँ की अडल्ट फोरम है तो सेक्स होगा ही, बल्कि सेक्स प्रमुखता से होगा लेकिन मेरी कहानियां कभी कभी जिंदगी के उन अनछुए अनकहे प्रसंगो को भी छू के बस बच के निकल जाती हैं लेकिन एक हलके से दर्द का अहसास हो जाता है।
मेरी तीनो कहानियां के मोड़ पे खड़ी है जहाँ बदलाव आएगा
You have always been a pillar of support and strength, Thanks so much.Sexy super duper update
Zindagi ke yahi unkahe aur unchhuye prasangon ko aap ka chhuna hi aap ko ek mahan matlab the best lekhika bnata hai is forum ki. Isiliye hi mujhe garv hota hai aapki frnd/ sis hone pr.
bahoot thanks comments ka aur saath dene kaYe bahu bedi tej hai sas ki gand mar legi
Bahoot Thanks ab ek baar nanad apne sage Bhaiya se gabhin ho gayi to phir kabhi unhe mana nahi kar paayegi , vaise to saari bahine apne bhaai ke saath, lekin apni bhabhi ke saamane sage Bhaai se n sirf gaabhin ho rahi hai balki hone vaali beti ka bhi nambar lagvaane ki baat abhi se pakkiNanad ko garbwati karwa ke aap ne sabse bada punye ka kam kiya hai
Ummid to yahi hai aage aage dekhiyeAb aapke sab sapne sach ho jayge
aur kya bachapan se apni maa aur maama ka khel dekhegi aur uski maa ne bola bhi hai ki use bhi apne jaisa balki apne se bhi chaar haah aageNanad ki bitiya tu ush se bhi bdi randi bangi
Very nicely brought dilemma of a daughter.भाग ९१
नया दिन नयी सुबह -सास बहू
19,57,274
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सुबह नींद खुली तो अच्छी खासी धूप निकल आयी थी, गाँव में सुबह सुबह बहुत काम होते हैं, लेकिन मेरी सास ने वो सब काम बिना मुझे जगाये खुद अकेले निपटा दिया था, लेकिन मैं तो भोर का सपना देख रही थी की कैसे मेरा मरद मेरी सास को अपनी महतारी को गपागप, गपागप, और वो चूतड़ उचका उचका के और मैं दोनों को लुहा रही थी। सपना एक बार टूटा भी, नींद भी खुली तो मैंने आँखे बंद कर ली और वहीँ से फिर शुरू। और जब उठी तो धूप खिड़की से घुस के मेरे बिस्तर तक पसर आयी थी।
मैं जब रसोई में पहुंचीं तो वो चाय भी बना चुकी थीं और एक ग्लास में लेके सुड़ुक रही थी, मुझे देख के वही ग्लास उन्होंने बढ़ा दिया मेरी ओर, और मैंने भी जिस जगह उन्होंने होंठ लगाए थे उसी जगह होंठ लगा के उन्हें दिखा के मैं भी पीने लगीं।
मेरी सास गाँव में सगुन बिचारने में, सपने का मतलब बताने में और कोई लक्षण हो तो उसका मतलब समझने, समझाने में सबसे आगे थीं, तो मैंने उनसे मुस्कराते हुए बोला,
" आज सबेरे, एकदम भोर एक बड़ा अच्छा सपना देखा, खूब मीठा मीठा,... उसमें "
सास ने महकती आँखों से मुझे देखा और तुरंत बरज दिया,
" चुप, एकदम चुप, ....भोर का सपना एकदम सच होता है, लेकिन अगर बता दिया तो असर गायब, सबेरे की ओस की तरह थोड़ी देर में उड़ जाता है। "
मैंने आधी पी हुयी चाय का ग्लास पी के उन्हें बढ़ा दिया, सुड़कते हुए उन्होंने पूछा,
" लेकिन सपना रुक के, फिर दुबारा आंख लगने पे वहीँ से तो नहीं शुरू हुआ था ? "
" हाँ एकदम, मैंने सकारा तो वो हंस के बोलीं,
' फिर तो एकदम सच्चा, होनी को कोई रोक नहीं सकता है और ज्यादा दिन नहीं बस हफ्ते दस दिन के अंदर ही, एकदम वैसे ही "
वो बड़ी जोर से मुस्करायीं,
फिर अचानक उनका चेहरा उदास हो गया एकदम झाँवा। आँखे डबडबा आयीं।
मैं समझ सकती थी उनका दुःख। दुःख बांटने से ही कम होता है, लेकिन अगर वो खुद कहें तो ज्यादा अच्छा होगा मन का दुःख आँख से बहने की जगह जुबान से निकल आएगा।
मैं उछल के उनके एकदम बगल में बैठ गयी और उनके गले में हाथ डाल के उनकी ग्लास से एक बार चाय सुड़ुक के उन्हें पकड़ा दिया, और बची खुची चाय उन्होंने एक बार में ख़तम कर दी। लेकिन एक बार फिर वो उसी तरह मुझे देख रही थीं, थोड़ा उदास तो थोड़ा दुलार से, फिर मेरी ठुड्डी पकड़ के बोलीं,
" तू न होतू तो, ...न आती तो, ..."
मैं छमक के हट गयी, उनके सामने बैठ गयी और धमक के बोली,
" काहें न आती, ऊपर से लिखवा के आयी थी। ये जो आप समझती हैं की न आप और आप की बिटिया गयी, देखी, आपका बेटवा गया, बियाह के ले आया, ये सब तो ऐसे ही है, असली खेल तो और है। आपको बता देती हूँ सच सच।
मैंने ऊपर से देखा था, आपके बेटवा को नहीं माँगा था, वहीँ से दिखा के बोला था, वो जिसका हाथ भर का खूंटा है, हाँ वो उन्ही की महतारी, ...बस उन्ही की बहू बनना है। और मेरी जिद्द तो आप जानती है कितनी, ...बिधाता भी हार गए, बोले लिख दो और भेज दो इसको,... वरना जबतक यहां रहेगी, यही रार किये रहेगी, तो बस भेज दिया नीचे. मैं तो पैदा ही इसलिए हुयी। समझ लीजिये। "
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सास मेरी सुबह की धूप की तरह मुस्करायी और मेरा दिल खिल गया लेकिन मैं रुकी नहीं, फिर बोलना शुरू कर दिया,
" और अब आ ही गयी हूँ तो खूंटा गाड़ के बैठ जाउंगी, लाख ताकत लगा लीजिये अब मेरा खूंटा उखड़ने वाला नहीं है। बस यही आपके साथ रहूंगी और जिस दरवाजे से सुहागिन आयी थी, उसी दरवाजे से,... जो गाँठ जोड़ कर लाया था, वही कंधे पे, ....सुहागिन आयी थी इस घर में, सुहागिन,... "
मेरी आँखे भर आयी थी और मेरी सास ने मुंह बंद करा दिया,
" चुप, चुप अब एक अक्षर आगे मत बोलना, " अपना हाथ मेरे मुंह पर रख दिया उन्होंने और फिर हड़काया,
" सुबह सुबह अच्छी अच्छी बात बोलो,"
एक बार वो फिर उदास हो गयीं, लेकिन मैं चुप होने वाली नहीं थी, फिर से चालू हो गयी,
" अच्छा बताइये, मैं न आती तो रोज कौन आपके सर में तेल लगाता, गोड़ दबाता, वो तो चलिए कोई नाउन कहाईन कर लेती, ...लेकिन कौन आपके गोद में सर रख के गप्प मारता। मैं बता रही हूँ, अब मैं हिलने वाली नहीं, आप धक्का भी लगा ले, रोज सुबह उठूंगी तो आप का मुंह देख के और सोने जाउंगी तो आप का मुंह देख के और दिन भर तंग करुँगी। "
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" तुम बहू नहीं मेरी बेटी हो " उनकी आँखे डबडबा आयी थीं,
अब उन्हें कौन समझाए, की बेटियां भी, एक बार ससुरार गयीं, तो मायके आती भी हैं तो ढेर सारा ससुरार साथ में ले आती हैं, वही बातें, वही यादें और एक दो बच्चे हो गए, तो फिर, उस का टेस्ट छूट जाएगा, बेटी की म्यूजिक की क्लास है, आने के पहले लौटने का रिजर्वेशन हो जाता है।
Bahut sundar tarike se chuhalbaji ho rahi hai saas bahu me. Beautiful Komal ji.बहू
" तुम बहू नहीं मेरी बेटी हो " उनकी आँखे डबडबा आयी थीं,
अब उन्हें कौन समझाए, की बेटियां भी, एक बार ससुरार गयीं, तो मायके आती भी हैं तो ढेर सारा ससुरार साथ में ले आती हैं,... वही बातें, वही यादें और एक दो बच्चे हो गए, तो फिर,... उस का टेस्ट छूट जाएगा, बेटी की म्यूजिक की क्लास है. आने के पहले लौटने का रिजर्वेशन हो जाता है।
लेकिन मेरे मुंह में जो आया मैंने बोल दिया,
" बना दिया न मेरे मरद को बहनचोद, मुझे बेटी बना के "
" अरे वो इस गाँव के सब मरद हैं " वो मुस्करा के बोलीं
अब उनके चेहरे पर शरारत आयी, जैसे कमरे के किसी अँधेरे कोने में ढूंढती ढाढ़ती धूप पहुँच जाए, आखिर वो भी तो इस गाँव की बहू थीं, मेरी तरह, उनकी भी ससुराल थी तो मेरी तरह वो भी गाँव के सब मरदों और लड़कियों से मजाक करने का हक लिखवा के लायी थीं।
और उनके चेहरे पे खुशी आयी तो मेरा चेहरा और दमक उठा, और मैं चुहुल करते हुए बोली,
" अभी तो मैंने तंग करना शुरू किया है आपको साल भर हुआ, बस दो तीन साल और, फिर देखिये सांस लेना मुश्किल कर दूंगी, इत्ता परेशान करुँगी, आप खुद कहियेगा, ....कहाँ से ले आयी ऐसी बहू, लेकिन आ गयी हूँ तो हिलूंगी नहीं। "
" का करोगी तुम "थोड़ा समझते, थोड़ा बिना समझे उन्होंने पूछ लिया,
और मैंने बिना बोले पहले एक हाथ का पूरा पंजा खोल दिया, पांच ऊँगली दिखाई और बोलना शुरू कर दिया,
" पूरे पांच पोती पोते होंगे, कम से कम, समझ लीजिये, ज्यादा भी हो सकते हैं अगर आप पांच के बाद मना नहीं करियेगा तो, ...बस दो तीन साल आराम कर लीजिये। सब दिन भर दादी दादी कर के, अपने चार बच्चे पाल लिए न मेरे भी पालने का काम आप ही के जिम्मे,
बहू को सास से एक हाथ आगे निकलना चाहिए, इसलिए आप के चार तो मेरे कम से कम पांच, और सोयेंगे सब आप ही के पास, एक खूब चौड़ी सी पलंग बनवा लीजिये, और मै उन को आप के पास लिटा के, आप के बेटे के पास।
मुझे क्या करना है बस टाँगे उठा लूँगी, फैला दूंगी,.... आप के बेटे को जो करना होगा करेगा,... और ठीक नौ महीने बाद निकाल दूंगी बाहर। हाँ एक बात और न अस्पताल न मायका, सब के सब यही होंगे, ....सौरी भी आपको रखाना होगा, पिपरी और सोंठ के लड्डू भी बनाना होगा, और जहाँ बरही हुयी , आप का पोता आप के पास और मैं आप के बेटे के पास.
जबतक आप नहीं कहियेगा, बहू बस,... तब तक न आपरेशन करवाउंगी, न गोली खाउंगी। दो तीन साल थोड़ा आराम कर लीजिये बड़े कठिन दिन आने वाले हैं आपके। और हाँ दो चार साल की मुसीबत नहीं है, वो सब के सब, उन को पहले आप को बड़ा करना फिर, अपने बेटा बेटी क बियाह की तो मेरे वाले क कौन करवाएगा ..., सब आप के जिम्मे, दामाद क परछन , बहू उतारना,...
और कम से कम जब तक आप मुझको दादी नहीं बनवा लेतीं, ... सब जिम्मेदारी आपकी,... और मैं ये चौखट डाँक के कहीं नहीं जानेवाली ।
सास एकदम खुश और जब ज्यादा खुश होती तो बस वो एक काम जानती हैं, उन्होंने मुझे अँकवार में भर लिया और बहुत देर तक बोल नहीं पायीं फिर बोला तो बस यही निकला उनके मुंह से,
" तुम पागल हो, एकदम पागल "
थोड़ी देर तक हम दोनों खूब खुश होके चिपक के बैठे रहे, वो बार बार मुझे देखतीं, लेकिन कुछ था जो मुझे नहीं मालूम था, वो फिर उदास होने लगीं, फिर उन्होंने एक सवाल पूछा बल्कि दो सवाल और दोनों के जवाब मेरे पास नहीं थे।
थोड़ी देर तक वो चुप बैठी रहीं, सूनी आँखों से मुझे देखती रहीं, फिर धीमी आवाज में बोली,