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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Premkumar65

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जेठ जेठानी
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जेठ जी तो बंबई में ही रहते थे थाने के पास कहीं, ....उनका काम बड़ा था, बहुत दिन से,

मेरी शादी और गौने में आये थे, उसके बाद भी एक दो बार और,... हां जेठानी गाँव में रहती थीं, बीच बीच में हफ्ता दस दिन के लिए जाती रहती थीं, जेठ जी के पास,

अब हमको गौना उतरे साल भर हो गया था तो होली के अगले दिन जब मैं मायके गयी थी दो दिन के लिए इनके साथ तो जेठानी जी बंबई गयीं, और साथ में मेरी छोटी ननद को भी ले गयीं।


छुटकी से चार पांच महीने बड़ी , गीता नाम है।


असल में होली के दिन तक तो, कम से कम मुझको अंदाजा नहीं था की जेठानी जी का कुछ प्रोग्राम, लेकिन शायद कुछ जेठ जेठानी में फोन पे गुपचुप, गुपचुप कुछ खिचड़ी पक रही हो, और जो दो दिन के लिए होली में इनके साथ मायके गयी, बस उसी में, जेठानी खुद तो गयीं ही मेरी छोटी ननद को भी लिवा ले गयी। बोलीं, "

वहां अप्रेल में स्कूल में एडमिशन हो जाता है, लेट हुआ तो बंबई में एडमिशन नहीं हो पाएगा। "

सास ने दबी जुबान से बोला भी की अरे यहाँ भी तो स्कूल है ही, लड़कियों का अलग से, गाँव की सब लड़कियां पढ़ती ही हैं, तो जेठानी ने समझा दिया की

"अरे इसका बड़ा भाई बंबई में है, मौका है सबको मौका थोड़े मिलता है। और वहां आगे की पढ़ाई भी, और कौन लम्बा जा रही है, दस पन्दरह दिन पढ़ा के स्कूल बंद हो जाएगा, तो आ जाएंगी दोनों जने।"





पता चला की जेठ जी का फोन आया था, उनकी कुछ तबियत नहीं ठीक थी, उन्होंने जेठानी जी का और ननद का टिकट भी भेज दिया था। पक्का रिजरवेशन था।

सास शायद सोचती थीं की शायद कुछ दिन बाद, कम से कम जेठ में छुट्टी होगी तो,...


लेकिन जेठानी जी ने बोला की गीता का वहां एडमिशन हो गया है, और देहात के स्कूल में थी तो अंग्रेजी जरा कमजोर है, इसलिए स्कूल वालों ने बोला है की छुट्टी में किसी कोचिंग में तो अप्रेल से जून तक उसकी कोचिंग होगी अंग्रेजी की और गणित की, फिर थोड़ा और भी, इसलिए गरमी की छुट्टी में तो आना मुश्किल है, हां दिवाली में अगर गीता क स्कूल क छुट्टी हुयी और जेठ जी को भी छुट्टी मिली तो कोशिश करेंगी।

हाँ और बहुत दिन से जेठानी मायके नहीं गयी हैं तो अबकी सावन में वहीँ बंबई से चार पांच दिन के लिए, और गीता की छुट्टी तो होगी नहीं तो वो रहेगी और अपने भैया का भी खाने पीने का ख्याल रखेगी,

एक बात और उन्होंने बतायी की गीता के भैया की जान पहचान है तो डोम्बिवली ईस्ट में एक कोई का कहते हैं,... टू बी एच के मिल जाएगा, बुकिंग होगयी है,... दिवाली के बाद तो अगर सास जी चाहेंगी तो वो भीदो चार दिन को आ जाएँ,... बम्बई घूम जाएँ ,



सास ने साफ़ मना कर दिया,


मैं उन का दुःख अब समझ सकती थी।


बात इस जेठ की नहीं थी।

अब हरदम के लिए थी, उन्हें लग रहा था इतना बड़ा घर अब सूना लगेगा। और उनसे मैं सोच रही थी, जब साल भर पहले मैं गौने उतरी थी और इस होली में भी,... हफ्ता भर तो न हुआ, ...मेरी बड़ी ननद, छोटी ननद मेरी जेठानी, मैं,.... खूब छेड़खानी एकदम खुले अच्छे वाले मजाक और ननदें भी, यहाँ तक की वो छोटी वाली, गीता,




बात ये अटकी थीं की मेरी बहने चाहतीं थी की उनके जीजू अपनी पहली होली ससुराल में मनाएं, और मन ही मन ये भी चाहते थे, कच्ची उमर की बारी कुँवारी दर्जा दस और नौ वाली दो दो चुलबुली सालियाँ, और आसपास की मोहल्ले की सलहजें, किस का मन नहीं लहकेगा

और मैं चाहती थी की मैं होली अपने ससुराल में मनाऊं, मेरी ननद आयी थी और ननद के साथ ननदोई, मेरे ऊपर लहालोट, और देवरों की फ़ौज सगे नहीं तो रिश्ते के गाँव के, और सब के सब फागुन लगते है बौराये हुए थे, तो कौन बहू ननद नन्दोई देवर को होली में छोड़ के,


होली दो दिन की पड़ गयी, एक दिन इनके मायके में थी और अगले दिन मेरे मायके में और मेरी बहनों के जीजा का भी मन रह गया और मेरा भी

मम्मी ने फिर ये प्लान बनाया कि मेरा ममेरा भाई, चुन्नू, जो 11वीं में पढ़ता था, वही होली के एक दिन पहले आ के ले जायेगा. उस दिन मेरी ससुराल में होली थी , मायके में होली अगले दिन थी।



"चुन्नू कि चुन्नी..." मेरी छोटी ननद, नौवीं में पढ़ने वाली गीता ने छेड़ा.


“अरे आएगा तो खोल के देख लेना क्या है, अंदर हिम्मत हो तो...हाँ, पता चल जायेगा कि... नुन्नी है या लंड” मेरी जेठानी ने मेरा साथ दिया.



होली के पहले वाली शाम को वो (मेरा ममेरा भाई) आया........

पतला, गोरा, छरहरा किशोर, अभी रेख आई नहीं थी. सबसे पहले मेरी छोटी ननद मिली और उसे देखते हीं वो चालू हो गई,

‘चिकना’

वो भी बोला “चिकनी...” और उसके उभरते उभारों को देख के बोला, “बड़ी हो गई है.”


मैंने अपनी ननद से कहा, “अरे कुछ पानी-वानी भी पिलाओगी बेचारे को या छेड़ती हीं रहोगी?”

वो हँस के बोली, “ अब भाभी इसकी चिंता मेरे ऊपर छोड़ दीजिए.” और गिलास दिखाते हुए कहा, “देखिये इस साले के लिये खास पानी है.”

जब मेरे भाई ने हाथ बढ़ाया तो उसने हँस के ग्लास का सारा पानी, जो गाढा लाल रंग था, उसके ऊपर उड़ेल दिया.

बेचारे की सफ़ेद शर्ट...

पर वो भी छोड़ने वाला नहीं था. उसने उसे पकड़ के अपने कपड़े पे लगा रंग उसकी फ्रॉक पे रगड़ने लगा और बोला, “अभी जब मैं डालूँगा ना अपनी पिचकारी से रंग तो चिल्लाओगी” वो छुड़ाते हुए बोली, “

"एकदम नहीं चिल्लाउंगी, लेकिन तुम्हारी पिचकारी में कुछ रंग है भी कि सब अपनी बहनों के साथ खर्च कर के आ गए हो?”"


वो बोला कि सारा रंग तेरे लिये बचा के लाया हूँ, एकदम गाढ़ा सफ़ेद..."
और अगले दिन मैंने खुद देखा मेरी छोटी दर्जा नौ वाली ननद और मेरे ममेरे भाई में जबरदस्त होली हुयी,



उसने अपनी पिचकारी का सारा गाढ़ा सफ़ेद रंग मेरी कुँवारी ननद की बाल्टी में उड़ेल दिया



पूरा घर गुलजार रहता था , लेकिन अब जेठानी तो गयी हूँ , साथ में मेरी छोटी ननद को भी ले गयीं और अब लौटने का कोई सवाल नहीं था, न जेठानी का न ननद का.

ये ननद भी होली के लिए आयी थीं अब दो चार दिन बाद ये भी चली जाएंगी।

जहां कुछ दिन पहले मेरी सास की दो दो बेटियां, दो बहुये, अब सिर्फ वो और मैं, ....इतने बड़े घर में। और मरद का क्या, एक पैर तो बाहर ही रहता है, घर का सिंगार तो बहू बेटियां ही है, तीज त्यौहार, सब और जब कोई बचे ही नहीं घर में,...

मैं धीरे धीरे सास का हाथ दबा रही थी, सहला रही थी और कुछ देर में वो नार्मल हो गयीं फिर कुछ सोच के बोलीं,



" और छुटकी का भी कुछ दिन में जाने का टाइम हो जाएगा " पर मैंने अबकी पलट के जवाब दिया,

" आप भी न पहले मुझे भेजने के चक्कर में थी अब मैं नहीं जा रही हूँ बोल दिया जबतक आप अपने पोते क दुल्हन न उतार लें, तबतक मैं चौखट न डाकुंगी कहीं जाने के लिए, और अब आप मेरी बहन को भेजने के चक्कर में पड़ी हैं, नहीं जाएगी वो भी। हम दोनों बहने मिल के आप को तंग करेंगी। "

अब वो बहुत देर बाद खिलखिलायीं, लगा जैसे पूरा कमरा धूप से नहा गया। फिर मुझे समझाती बोली,

" अरे उस का सालाना इम्तहान होगा अप्रेल मई में तो जाना होगा न "

अब मेरी हंसने की बारी थी, " मेरी बहन बहुत चालाक है, अपनी भौजी को पटा के, उहे स्कूल में वाइस प्रिंसिपल हैं वो बोलीं की छमाही के नंबर पे हो जाएगा, कौन बोर्ड का इम्तहान है, कउनो अर्जी वरजी लगती है वो लगवा देंगीं। गरमी में आम खा के जाएगी। तो तीन महीना तो पक्का, जुलाई में स्कूल खुलते कौन पढ़ाई चालू हो जायेगी। तो ज़रा गाँव में सावन क मजा ले ले , झलुआ झूल ले , रोपनी देख ले फिर। "

सपने वाली बात बतानी तो उन्होंने खुद मना कर दी थी और सास का ये दुःख , ये अकेलापन मुझसे नहीं देखा जा रहा था।



उन्होंने संतोष की साँस ली, चेहरे पे मुस्कान दमकने लगी, फिर बोली,

"जब से छुटकी आयी है तो लगता है आंगन में गौरैया चहकने लगी है,... तो जब सावन वाली तीज में तुम जाओगी तो तुम्हारे साथ, जायेगी वो ".


" आप भी नहीं, वही एक रट , बहू को मायके भेजने के चक्कर में, सावन में क्या दस पांच यार बुलाने हैं आपको, और वो है तो अभी से बता दीजिये, हम दोनों लोगो मिल के मजा ले ले लेंगे, इनको दो तीन दिन के लिए भेज दूंगी। क्यों जाऊं सावन में, यहाँ मेरी ननदें आएँगी, निलुवा और लीलवा गौने के बाद सावन में तो उनकी मोट मोट चूँची दबा के गवने क रात क हाल पूछूँगी। वहां किसके साथ झूला झूलूँगी आपके समधिन के साथ ? और यहाँ रोपनी कौन कराएगा, आपकी समधन। अबकी होलिका माई बोली हैं फसल डबल होगी तो काम भी तो डबल होगा। और अगर जाना ही है तो आप को साथ ले जाउंगी,आपके साथ आउंगी आपके समधियाने से । "


मैंने अपना पक्का फैसला सुना दिया।

हँसते हुए उन्होंने मुझे गले लगा लिया, और मैं कुछ रुक के उन्हें समझाने लगी,


" देखिये जेठानी जी की मज़बूरी, यहाँ देखती थीं रोज देवरानी रात भर गपागप घोंटती है कितनी बार देवर दिन दहाड़े भी नंबर लगा देता है, हमसे दो चार साल ही तो बड़ी है उनकी चुनमुनिया में भी खुजली मचती होगीं। और उधर जेठ जी भी, दिन भर के काम के बाद मरद आता है तो, कोई तो चाहिए रात में।

और जेठानी जी ने ठीक किया छोटी ननद को ले गयीं। आखिर जेठानी जी की भी तो पांच दिन की छुट्टी होगी तो अगर मरद को रोज रोज हलवा पूड़ी खाने की आदत लग जाए तो एक दिन का उपवास नहीं होता, पांच दिन का निर्जला तो भूल जाइये तो हर भौजाई एक ननद इसी लिए चाहती है की गाहे बगाहे तबियत न ठीक हो, मायके से कोई आ जाए तो, उसकी सेवा देखभाल करने के लिए, और आप खुद कहतीं है इस गांव सब मरद बहनचोद हैं, मेरा वाला तो पक्का है , भाई बहिन चोदेगा तो बड़ा भाई भी ओही पेट से निकला है। "



सास खिलखिलाने लगी, सब उनके मन का दुःख उड़ गया था।
Komal ji you are expert on justifying every act of kinky sex.
 

Premkumar65

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ननद भौजाई



" बहुत भौजी " हँसते हुए ननद बोली, लेकिन फिर उनका चेहरा सीरियस हो गया, धीमे से बोलीं बहुत सहम कर

" भौजी, एक बात क बहुत डर लगता है," चेहरा उनका एकदम सहमा हुआ, किसी तरह बोलीं,

" कहीं इनको, आपके नन्दोई को जरा भी शक ,... " और वो चुप हो गयीं।

बिना बोले मैंने उन्हें कस के अँकवार में भर लिया और बड़ी देर तक चिपकाये रही. ननद मजाक के साथ साथ बहिन बिटिया सब होती है। फिर बोली,

" ये भौजाई काहें है ? बैंड बाजा बारात ले के काहें गयीं थी लाने ?


अब ननद के चेहरे पे थोड़ी सी मुस्कान आयी। फिर मैंने कस के उन्हें चूम लिया सीधे लिप्पी। और इत्ते रसीले होंठ मेरे मरद के बचपन के माल के तो इत्ती आसानी से थोड़े छोड़ने वाली थी, कस कस के निचला होंठ ननद का अपने दोनों होंठों के बीच दबा कर चूसती रही, फिर छोड़ने के पहले कस के काट के दांत के निशान बना दिए, और बोली,

" भौजाई की गारंटी, अभी नहीं,... कभी नहीं शक होगा नन्दोई जी को,... बल्कि देखियेगा, चांदी की पायल लाएंगे अपने हाथ से पहनाएंगे आपको। "

ननद मेरी खुश नहीं महा खुश पर बोलीं

" एक बात और भौजी, अगर इसका कुछ,... "

लेकिन मैंने उनका मुंह बंद कर दिया और बोली, " नाहीं ननद रानी पहले हमार बात सुना। "



और वो सुनने के लिए तैयार हो गयीं , और मैंने अपने मन की बात कह दी,

" देखा, सौरी ( जिस कमरे में बच्चा पैदा होता है ) हम रखाईब, और हफता दस दिन पहले से नहीं तीन महीने पहले से, कुल जिम्मेदारी हमार, और इस बात के लिए हम तोहार नहीं नहीं सुनेंगे, बिटिया तीन चार महीना क होई जाई, साइत सुदेबस देख के तब बिदाई करब. नौ महीना जोड़ा तो दिसंबर,... तो तीन महीने पहले पडेगा दसहरा,... बल्कि पितरपख के पहले,... बुलाय लूंगी और अगली होली में बिटीया तीन महीने क होगी तो अगली होली भी तोहार यहीं, ....जितना तोहार देवर ननदोई को होली खेलने का शौक होगा आ जाएंगे यहीं। "
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ननद का चेहरा एकदम हरिया गया, मुझे बाँहों में भर के बोलीं,

" भउजी बस यही, अगर ये हो जाए तो हमार कुल, ... " मारे ख़ुशी के बोल नहीं पा रही थीं , लेकिन फिर सोच के थोड़ी परेशानी आ गयी उनके चेहरे पे

" लेकिन ऊ हमार कुकुरी अस कटखनी ननदिया, कहेगी, भौजी नेग बचावे के लिए मायके भाग गयीं " वो बोलीं।


उनकी ननद के बारे में मुझे मालूम नहीं था का, ...११ में पहुँच गयी थी , अच्छी खासी बड़ी, लेकिन मजाक के नाम पे ऐसा उछलती थी, १०० नागिन के जुबान में जेतना जहर होगा उतना अकेले उसके.
एक बार मेरी ननद ने मजाक में उसके उभारो को कुर्ते के ऊपर से सहला के चिढ़ाया,

" कोई से दबवाना मिसवाना शुरू किया की नहीं, " बस वो उछल के,

" भाभी जरा दूर से ऐसे मजाक आपके मायके में होते हैं होंगे, ये गंवारपन हमको एकदम अच्छा नहीं लगता, " और मेरी ननद की सास भी एकदम अपनी बेटी के साथ,

" अरे नहीं, आपकी ननद को नेग उसकी भौजी नहीं,... उसकी भौजी की भौजी देंगी,... मस्त नेग,... अपने मरद का लौंड़ा। " मैंने ननद को उनकी ननद के नेग के बारे में बता दिया।

ननद की हंसी से घर आंगन भर गया। फिर किसी तरह हंसी रोक के वो बोलीं,

" भौजी, तुहुं न,... "



मैंने मुस्कराहट रोकते हुए ननद के चिकने गोरे गोरे पेट पर ऊँगली रख के साफ़ साफ़ बता दिया,

" ये जो है न अंदर सुन सुन के मजा ले रही है, उस के बेटी चोद बाप से, उसकी भाई चोद महतारी के बहनचोद भाई से इसकी बुआ की ... इसकी महतारी की एकलौती ननद की झिल्ली फड़वाउंगी .... वो भी अपने दोनों लोगो के सामने, फिर जिससे मुकर न सके की भौजी के भाई ने चोद के फाड़ी।

और एक बार तोहरे भैया क लौंड़ा घुस गया तो रोज खुराक मांगेगी बुरिया, ...तो पहले बबुआने के कुल लौंडे, फिर अहिरौटी, भरौटी, चमरौटी, कउनो टोला नहीं बचेगा, आखिर गाँव क बहनोई क बहिनिया है खातिर ठीक से होगी। रोज सांझी क लौटेगी तो दोनों छेद से सड़का टपकता रहेगा, लेकिन असली मज़ा तो बरही के दिन आएगा। "

ननद मुस्करा रही थीं, फिर बोलीं, " का होगा बरही को "




एक बार मैंने उनके पेट को छू के इशारा किया,
" ये बबुनी के, ...हमरी सोनपरी क मौसी, कुल, रेनू, चंदा, कम्मो, कजरी, रूपा, दर्जन भर से ऊपर, छाप लेंगी इसके बुआ को, ...कौन गाना है न 'आंगन में बतासा लुटाय दूंगी, अरे बबुनी क बुआ बोले हम तो आपन जोबना लुटाय दूंगी, बबुनी के के मामा से चुदवाय लूंगी ' ,


तो नंगा कई के,.... और ये नहीं की रस्म के तौर पे बच्ची की बुआ क स्कर्ट उठा के भरतपुर की झलक दिखा दिया, एकदम निसुती, और रात भर, ....यही नहीं कबड्डी के बाद चमेलिया, गुलबिया जो खूंटा लगाय के नंदों के साथ बस वही खूंटा लगाय के, गपागप,

और अगर तोहार सास आएँगी तो साड़ी तो उनकी जरूर खींचूंगी मैं,... पेटीकोट का नाड़ा उनका समधन जी, हमार सास खोलेंगी। "

मैंने बरही के प्रोग्राम की एक छोटी सी झलक पेश कर दी , अभी तो नौ महीने बाकी था।
Superb update komal ji. Barahi ka wait hai.
 

exforum

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komalrani ! आप अपनी कहानियों में अक्सर एक फ्रेज का उपयोग करती हैं 'कातिक कै कुतिया' लेकिन इस समय जो मै देख रहा हूं उससे लग रहा है कातिक की कुतिया में गर्माहट होती है लेकिन भादों की कुतिया में ज्वाला होती है ।
 

Rajat1855

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बहू




" तुम बहू नहीं मेरी बेटी हो " उनकी आँखे डबडबा आयी थीं,

अब उन्हें कौन समझाए, की बेटियां भी, एक बार ससुरार गयीं, तो मायके आती भी हैं तो ढेर सारा ससुरार साथ में ले आती हैं,... वही बातें, वही यादें और एक दो बच्चे हो गए, तो फिर,... उस का टेस्ट छूट जाएगा, बेटी की म्यूजिक की क्लास है. आने के पहले लौटने का रिजर्वेशन हो जाता है।

लेकिन मेरे मुंह में जो आया मैंने बोल दिया,

" बना दिया न मेरे मरद को बहनचोद, मुझे बेटी बना के "

" अरे वो इस गाँव के सब मरद हैं " वो मुस्करा के बोलीं

अब उनके चेहरे पर शरारत आयी, जैसे कमरे के किसी अँधेरे कोने में ढूंढती ढाढ़ती धूप पहुँच जाए, आखिर वो भी तो इस गाँव की बहू थीं, मेरी तरह, उनकी भी ससुराल थी तो मेरी तरह वो भी गाँव के सब मरदों और लड़कियों से मजाक करने का हक लिखवा के लायी थीं।


और उनके चेहरे पे खुशी आयी तो मेरा चेहरा और दमक उठा, और मैं चुहुल करते हुए बोली,

" अभी तो मैंने तंग करना शुरू किया है आपको साल भर हुआ, बस दो तीन साल और, फिर देखिये सांस लेना मुश्किल कर दूंगी, इत्ता परेशान करुँगी, आप खुद कहियेगा, ....कहाँ से ले आयी ऐसी बहू, लेकिन आ गयी हूँ तो हिलूंगी नहीं। "

" का करोगी तुम "थोड़ा समझते, थोड़ा बिना समझे उन्होंने पूछ लिया,

और मैंने बिना बोले पहले एक हाथ का पूरा पंजा खोल दिया, पांच ऊँगली दिखाई और बोलना शुरू कर दिया,

" पूरे पांच पोती पोते होंगे, कम से कम, समझ लीजिये, ज्यादा भी हो सकते हैं अगर आप पांच के बाद मना नहीं करियेगा तो, ...बस दो तीन साल आराम कर लीजिये। सब दिन भर दादी दादी कर के, अपने चार बच्चे पाल लिए न मेरे भी पालने का काम आप ही के जिम्मे,

बहू को सास से एक हाथ आगे निकलना चाहिए, इसलिए आप के चार तो मेरे कम से कम पांच, और सोयेंगे सब आप ही के पास, एक खूब चौड़ी सी पलंग बनवा लीजिये, और मै उन को आप के पास लिटा के, आप के बेटे के पास।


मुझे क्या करना है बस टाँगे उठा लूँगी, फैला दूंगी,.... आप के बेटे को जो करना होगा करेगा,... और ठीक नौ महीने बाद निकाल दूंगी बाहर। हाँ एक बात और न अस्पताल न मायका, सब के सब यही होंगे, ....सौरी भी आपको रखाना होगा, पिपरी और सोंठ के लड्डू भी बनाना होगा, और जहाँ बरही हुयी , आप का पोता आप के पास और मैं आप के बेटे के पास.

जबतक आप नहीं कहियेगा, बहू बस,... तब तक न आपरेशन करवाउंगी, न गोली खाउंगी। दो तीन साल थोड़ा आराम कर लीजिये बड़े कठिन दिन आने वाले हैं आपके। और हाँ दो चार साल की मुसीबत नहीं है, वो सब के सब, उन को पहले आप को बड़ा करना फिर, अपने बेटा बेटी क बियाह की तो मेरे वाले क कौन करवाएगा ..., सब आप के जिम्मे, दामाद क परछन , बहू उतारना,...

और कम से कम जब तक आप मुझको दादी नहीं बनवा लेतीं, ... सब जिम्मेदारी आपकी,... और मैं ये चौखट डाँक के कहीं नहीं जानेवाली ।




सास एकदम खुश और जब ज्यादा खुश होती तो बस वो एक काम जानती हैं, उन्होंने मुझे अँकवार में भर लिया और बहुत देर तक बोल नहीं पायीं फिर बोला तो बस यही निकला उनके मुंह से,

" तुम पागल हो, एकदम पागल "



थोड़ी देर तक हम दोनों खूब खुश होके चिपक के बैठे रहे, वो बार बार मुझे देखतीं, लेकिन कुछ था जो मुझे नहीं मालूम था, वो फिर उदास होने लगीं, फिर उन्होंने एक सवाल पूछा बल्कि दो सवाल और दोनों के जवाब मेरे पास नहीं थे।

थोड़ी देर तक वो चुप बैठी रहीं, सूनी आँखों से मुझे देखती रहीं, फिर धीमी आवाज में बोली,
Saas bahu ke beech aissee mamtamayee mitrta. Yadi yeh vastavik duniya mein sambhav ho sake to kabhi koyee saas vridha aashram na pahunche.
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम ने ३० लाख व्यूज पार कर लिया

आभार, धन्यवाद
 

komaalrani

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कोमल जी

मनोविज्ञान पर आपकी पकड़ असाधारण हैं।

आपकी कहानी में भी ID, EGO और SUPER EGO स्तर निरंतर उपलब्ध रहते हैं।

पाठक अपनी पसंद या मनोस्थिति के अनुसार surfing करता रहता है।

मन का दर्द हो या काया का, दोनों में मानो एक होड़ सी लगी रहती है। कब कौनसा दर्द हावी होगा यह देश, काल, परिस्थिति पर निर्भर करता है।

आपकी सभी कहानियों में सभी के लिए पर्याप्त space होता है।

मुझे तो लगता है कि आपकी कहानियों का erotic पार्ट तो एक कलेवर मात्र है। असली बात तो मन के वे अंधेरे कोने हैं जहां बार - बार आप सहज ही पहुंचा देती हैं।

इतने सारगर्भित रिप्लाई के लिए हार्दिक आभार। आपके रिप्लाई का एक - एक शब्द सत्य है।

आप सचमुच धन्य है और आपके पाठक भी।

सादर
बहुत बहुत आभार, धन्यवाद
 

Delta101

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कच्ची उमर की बारी कुँवारी दर्जा दस और नौ वाली दो दो चुलबुली सालियाँ, और आसपास की मोहल्ले की सलहजें, किस का मन नहीं लहकेगा
मेरा मन तो अभी से लहक गया
 
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Delta101

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" छिनार का नाम लो छिनार हाजिर " मैंने ननद को चिढ़ाते हुए चाय में थोड़ा और पानी बढ़ा दिया।


ननद कौन कम शैतान, पक्की मेरी मरद की बहन तर ऊपर वाली। मुझे गले लगाती हुयी हंस के जवाब दिया,

" अरे छिनार भौजाई क ननद तो छिनार होगी ही "
ननद भी भौजी से एक जौ ऊपर ही है
 
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