Premkumar65
Don't Miss the Opportunity
- 5,180
- 5,315
- 173
Komal ji you are expert on justifying every act of kinky sex.जेठ जेठानी
-----
---
जेठ जी तो बंबई में ही रहते थे थाने के पास कहीं, ....उनका काम बड़ा था, बहुत दिन से,
मेरी शादी और गौने में आये थे, उसके बाद भी एक दो बार और,... हां जेठानी गाँव में रहती थीं, बीच बीच में हफ्ता दस दिन के लिए जाती रहती थीं, जेठ जी के पास,
अब हमको गौना उतरे साल भर हो गया था तो होली के अगले दिन जब मैं मायके गयी थी दो दिन के लिए इनके साथ तो जेठानी जी बंबई गयीं, और साथ में मेरी छोटी ननद को भी ले गयीं।
छुटकी से चार पांच महीने बड़ी , गीता नाम है।
असल में होली के दिन तक तो, कम से कम मुझको अंदाजा नहीं था की जेठानी जी का कुछ प्रोग्राम, लेकिन शायद कुछ जेठ जेठानी में फोन पे गुपचुप, गुपचुप कुछ खिचड़ी पक रही हो, और जो दो दिन के लिए होली में इनके साथ मायके गयी, बस उसी में, जेठानी खुद तो गयीं ही मेरी छोटी ननद को भी लिवा ले गयी। बोलीं, "
वहां अप्रेल में स्कूल में एडमिशन हो जाता है, लेट हुआ तो बंबई में एडमिशन नहीं हो पाएगा। "
सास ने दबी जुबान से बोला भी की अरे यहाँ भी तो स्कूल है ही, लड़कियों का अलग से, गाँव की सब लड़कियां पढ़ती ही हैं, तो जेठानी ने समझा दिया की
"अरे इसका बड़ा भाई बंबई में है, मौका है सबको मौका थोड़े मिलता है। और वहां आगे की पढ़ाई भी, और कौन लम्बा जा रही है, दस पन्दरह दिन पढ़ा के स्कूल बंद हो जाएगा, तो आ जाएंगी दोनों जने।"
पता चला की जेठ जी का फोन आया था, उनकी कुछ तबियत नहीं ठीक थी, उन्होंने जेठानी जी का और ननद का टिकट भी भेज दिया था। पक्का रिजरवेशन था।
सास शायद सोचती थीं की शायद कुछ दिन बाद, कम से कम जेठ में छुट्टी होगी तो,...
लेकिन जेठानी जी ने बोला की गीता का वहां एडमिशन हो गया है, और देहात के स्कूल में थी तो अंग्रेजी जरा कमजोर है, इसलिए स्कूल वालों ने बोला है की छुट्टी में किसी कोचिंग में तो अप्रेल से जून तक उसकी कोचिंग होगी अंग्रेजी की और गणित की, फिर थोड़ा और भी, इसलिए गरमी की छुट्टी में तो आना मुश्किल है, हां दिवाली में अगर गीता क स्कूल क छुट्टी हुयी और जेठ जी को भी छुट्टी मिली तो कोशिश करेंगी।
हाँ और बहुत दिन से जेठानी मायके नहीं गयी हैं तो अबकी सावन में वहीँ बंबई से चार पांच दिन के लिए, और गीता की छुट्टी तो होगी नहीं तो वो रहेगी और अपने भैया का भी खाने पीने का ख्याल रखेगी,
एक बात और उन्होंने बतायी की गीता के भैया की जान पहचान है तो डोम्बिवली ईस्ट में एक कोई का कहते हैं,... टू बी एच के मिल जाएगा, बुकिंग होगयी है,... दिवाली के बाद तो अगर सास जी चाहेंगी तो वो भीदो चार दिन को आ जाएँ,... बम्बई घूम जाएँ ,
सास ने साफ़ मना कर दिया,
मैं उन का दुःख अब समझ सकती थी।
बात इस जेठ की नहीं थी।
अब हरदम के लिए थी, उन्हें लग रहा था इतना बड़ा घर अब सूना लगेगा। और उनसे मैं सोच रही थी, जब साल भर पहले मैं गौने उतरी थी और इस होली में भी,... हफ्ता भर तो न हुआ, ...मेरी बड़ी ननद, छोटी ननद मेरी जेठानी, मैं,.... खूब छेड़खानी एकदम खुले अच्छे वाले मजाक और ननदें भी, यहाँ तक की वो छोटी वाली, गीता,
बात ये अटकी थीं की मेरी बहने चाहतीं थी की उनके जीजू अपनी पहली होली ससुराल में मनाएं, और मन ही मन ये भी चाहते थे, कच्ची उमर की बारी कुँवारी दर्जा दस और नौ वाली दो दो चुलबुली सालियाँ, और आसपास की मोहल्ले की सलहजें, किस का मन नहीं लहकेगा
और मैं चाहती थी की मैं होली अपने ससुराल में मनाऊं, मेरी ननद आयी थी और ननद के साथ ननदोई, मेरे ऊपर लहालोट, और देवरों की फ़ौज सगे नहीं तो रिश्ते के गाँव के, और सब के सब फागुन लगते है बौराये हुए थे, तो कौन बहू ननद नन्दोई देवर को होली में छोड़ के,
होली दो दिन की पड़ गयी, एक दिन इनके मायके में थी और अगले दिन मेरे मायके में और मेरी बहनों के जीजा का भी मन रह गया और मेरा भी
मम्मी ने फिर ये प्लान बनाया कि मेरा ममेरा भाई, चुन्नू, जो 11वीं में पढ़ता था, वही होली के एक दिन पहले आ के ले जायेगा. उस दिन मेरी ससुराल में होली थी , मायके में होली अगले दिन थी।
"चुन्नू कि चुन्नी..." मेरी छोटी ननद, नौवीं में पढ़ने वाली गीता ने छेड़ा.
“अरे आएगा तो खोल के देख लेना क्या है, अंदर हिम्मत हो तो...हाँ, पता चल जायेगा कि... नुन्नी है या लंड” मेरी जेठानी ने मेरा साथ दिया.
होली के पहले वाली शाम को वो (मेरा ममेरा भाई) आया........
पतला, गोरा, छरहरा किशोर, अभी रेख आई नहीं थी. सबसे पहले मेरी छोटी ननद मिली और उसे देखते हीं वो चालू हो गई,
‘चिकना’
वो भी बोला “चिकनी...” और उसके उभरते उभारों को देख के बोला, “बड़ी हो गई है.”
मैंने अपनी ननद से कहा, “अरे कुछ पानी-वानी भी पिलाओगी बेचारे को या छेड़ती हीं रहोगी?”
वो हँस के बोली, “ अब भाभी इसकी चिंता मेरे ऊपर छोड़ दीजिए.” और गिलास दिखाते हुए कहा, “देखिये इस साले के लिये खास पानी है.”
जब मेरे भाई ने हाथ बढ़ाया तो उसने हँस के ग्लास का सारा पानी, जो गाढा लाल रंग था, उसके ऊपर उड़ेल दिया.
बेचारे की सफ़ेद शर्ट...
पर वो भी छोड़ने वाला नहीं था. उसने उसे पकड़ के अपने कपड़े पे लगा रंग उसकी फ्रॉक पे रगड़ने लगा और बोला, “अभी जब मैं डालूँगा ना अपनी पिचकारी से रंग तो चिल्लाओगी” वो छुड़ाते हुए बोली, “
"एकदम नहीं चिल्लाउंगी, लेकिन तुम्हारी पिचकारी में कुछ रंग है भी कि सब अपनी बहनों के साथ खर्च कर के आ गए हो?”"
वो बोला कि सारा रंग तेरे लिये बचा के लाया हूँ, एकदम गाढ़ा सफ़ेद..."
और अगले दिन मैंने खुद देखा मेरी छोटी दर्जा नौ वाली ननद और मेरे ममेरे भाई में जबरदस्त होली हुयी,
उसने अपनी पिचकारी का सारा गाढ़ा सफ़ेद रंग मेरी कुँवारी ननद की बाल्टी में उड़ेल दिया
पूरा घर गुलजार रहता था , लेकिन अब जेठानी तो गयी हूँ , साथ में मेरी छोटी ननद को भी ले गयीं और अब लौटने का कोई सवाल नहीं था, न जेठानी का न ननद का.
ये ननद भी होली के लिए आयी थीं अब दो चार दिन बाद ये भी चली जाएंगी।
जहां कुछ दिन पहले मेरी सास की दो दो बेटियां, दो बहुये, अब सिर्फ वो और मैं, ....इतने बड़े घर में। और मरद का क्या, एक पैर तो बाहर ही रहता है, घर का सिंगार तो बहू बेटियां ही है, तीज त्यौहार, सब और जब कोई बचे ही नहीं घर में,...
मैं धीरे धीरे सास का हाथ दबा रही थी, सहला रही थी और कुछ देर में वो नार्मल हो गयीं फिर कुछ सोच के बोलीं,
" और छुटकी का भी कुछ दिन में जाने का टाइम हो जाएगा " पर मैंने अबकी पलट के जवाब दिया,
" आप भी न पहले मुझे भेजने के चक्कर में थी अब मैं नहीं जा रही हूँ बोल दिया जबतक आप अपने पोते क दुल्हन न उतार लें, तबतक मैं चौखट न डाकुंगी कहीं जाने के लिए, और अब आप मेरी बहन को भेजने के चक्कर में पड़ी हैं, नहीं जाएगी वो भी। हम दोनों बहने मिल के आप को तंग करेंगी। "
अब वो बहुत देर बाद खिलखिलायीं, लगा जैसे पूरा कमरा धूप से नहा गया। फिर मुझे समझाती बोली,
" अरे उस का सालाना इम्तहान होगा अप्रेल मई में तो जाना होगा न "
अब मेरी हंसने की बारी थी, " मेरी बहन बहुत चालाक है, अपनी भौजी को पटा के, उहे स्कूल में वाइस प्रिंसिपल हैं वो बोलीं की छमाही के नंबर पे हो जाएगा, कौन बोर्ड का इम्तहान है, कउनो अर्जी वरजी लगती है वो लगवा देंगीं। गरमी में आम खा के जाएगी। तो तीन महीना तो पक्का, जुलाई में स्कूल खुलते कौन पढ़ाई चालू हो जायेगी। तो ज़रा गाँव में सावन क मजा ले ले , झलुआ झूल ले , रोपनी देख ले फिर। "
सपने वाली बात बतानी तो उन्होंने खुद मना कर दी थी और सास का ये दुःख , ये अकेलापन मुझसे नहीं देखा जा रहा था।
उन्होंने संतोष की साँस ली, चेहरे पे मुस्कान दमकने लगी, फिर बोली,
"जब से छुटकी आयी है तो लगता है आंगन में गौरैया चहकने लगी है,... तो जब सावन वाली तीज में तुम जाओगी तो तुम्हारे साथ, जायेगी वो ".
" आप भी नहीं, वही एक रट , बहू को मायके भेजने के चक्कर में, सावन में क्या दस पांच यार बुलाने हैं आपको, और वो है तो अभी से बता दीजिये, हम दोनों लोगो मिल के मजा ले ले लेंगे, इनको दो तीन दिन के लिए भेज दूंगी। क्यों जाऊं सावन में, यहाँ मेरी ननदें आएँगी, निलुवा और लीलवा गौने के बाद सावन में तो उनकी मोट मोट चूँची दबा के गवने क रात क हाल पूछूँगी। वहां किसके साथ झूला झूलूँगी आपके समधिन के साथ ? और यहाँ रोपनी कौन कराएगा, आपकी समधन। अबकी होलिका माई बोली हैं फसल डबल होगी तो काम भी तो डबल होगा। और अगर जाना ही है तो आप को साथ ले जाउंगी,आपके साथ आउंगी आपके समधियाने से । "
मैंने अपना पक्का फैसला सुना दिया।
हँसते हुए उन्होंने मुझे गले लगा लिया, और मैं कुछ रुक के उन्हें समझाने लगी,
" देखिये जेठानी जी की मज़बूरी, यहाँ देखती थीं रोज देवरानी रात भर गपागप घोंटती है कितनी बार देवर दिन दहाड़े भी नंबर लगा देता है, हमसे दो चार साल ही तो बड़ी है उनकी चुनमुनिया में भी खुजली मचती होगीं। और उधर जेठ जी भी, दिन भर के काम के बाद मरद आता है तो, कोई तो चाहिए रात में।
और जेठानी जी ने ठीक किया छोटी ननद को ले गयीं। आखिर जेठानी जी की भी तो पांच दिन की छुट्टी होगी तो अगर मरद को रोज रोज हलवा पूड़ी खाने की आदत लग जाए तो एक दिन का उपवास नहीं होता, पांच दिन का निर्जला तो भूल जाइये तो हर भौजाई एक ननद इसी लिए चाहती है की गाहे बगाहे तबियत न ठीक हो, मायके से कोई आ जाए तो, उसकी सेवा देखभाल करने के लिए, और आप खुद कहतीं है इस गांव सब मरद बहनचोद हैं, मेरा वाला तो पक्का है , भाई बहिन चोदेगा तो बड़ा भाई भी ओही पेट से निकला है। "
सास खिलखिलाने लगी, सब उनके मन का दुःख उड़ गया था।