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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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पैरों का दीवाना


और मुझे याद आ रहा था ,


एक्जैक्टली यही जगह ,

पक्का यही जगह थी ,मेरी शादी के ४-५ महीने हो चुके थे ,


हम सभी थे , मैं,









ये उनकी वो माल कम ममेरी बहन ,





मेरी सासु ,इनकी बुआ और मोहल्ले की कुछ बड़ी बूढी टाइप सास के रिश्ते वाली औरतें ,

ये उठे और अनजाने में मेरा पैर उनके पैर से छू गया ,

बस कहर बरपा हो गया , पहले तो उनकी बुआ बरसीं ,

" अरी बहू ज़रा देख समझ के , पति को पैर से छूने पे पक्का नरक मिलता है कोई प्रायश्चित नहीं , बिल्ली मारने से भी बढ़कर "






फिर पड़ोस की एक सास टाइप औरत ,


" अरे ई आजकल की मेहरारू ,... "




मैंने बचाव के लिए अपनी जेठानी की ओर देखा और फुसफुसाया ,

" और जो ये रात भर पैर कंधे पर रखे रहते हैं उसका क्या , तब नहीं पैर,... "




मैंने बात तो बहुत धीमे से खाली अपनी जेठानी के लिए ,मजाक में कही थी पर वो एकदम आग बबूला ,

और वो भी बहुत जोर की आवाज में ,

" कैसे बोलती हो सबके सामने , अरे सही तो कह रही हैं बुआ , "

और उनकी बात पीछे से सुपाड़ी काटती किसी औरत ने काटी ,बोली

" ई पढ़ी लिखी औरतें ,पता नहीं महतारी कुछ ससुरे के गुण ढंग सिखाय के भेजले हाउ की की ना "

बहुत मुश्किल से मैंने , ...

और आज उन्ही जेठानी के सामने वो मेरे पैर की उंगलियां ,तलुवा लिक कर रहे थे ,किस कर रहे थे।

उनका मुंह थोड़ा सा खुला और मैंने अपने एक पैर का पूरा पंजा ,पांचो उंगलियां ,...







ये प्रक्टिस मम्मी का नतीजा थीं. पूरा पंजा। .

कहती थी मम्मी उनसे ,

अरे इस प्रक्टिस से मोटा से मोटा लन्ड घोंट लोगे ,मजे से चूसोगे।

और कल रात ही तो यही समय रहा होगा ,अजय और कमल जीजू का ,ख़ास तौर से कमल जीजू का तो कित्ता मोटा , बियर कैन से भी ज्यादा लेकिन घोंट लिया ही उन्होंने ,

मम्मी कभी भी बाहर से आती थीं , जान बूझ कर , भले ही कार से उतरें लेकिन थोड़ी मिट्टी में सैंडल अच्छी तरह लिथड़ के ,


और ये सबसे पहले सैंडल चाटते थे , फिर मम्मी सैंडल का पूरा तलवा उनके मुंह में ठेल देती थीं , और वो चाट चाट कर ,







उसके बाद मम्मी के तलवे ,











और फिर जैसा मैंने कहा पूरा पंजा उनके मुंह में ठेलती थीं , और साथ में दस गारियाँ


" चूस स्साले , भोंसड़ी के , रंडी के जने , अरे अपनी उस छिनार महतारी की बड़ी बड़ी चूँचियाँ भी तो तुझे चूसनी हैं , गांडू , ... "




" अरे आओ न जरा अपनी भौजाई के बगल में तो बैठो , "





मैंने मुस्करा के उनसे कहा लेकिन साथ में जिस पैर में मैंने सैंडल पहन रखी थी उसे जरा सा हिला दिया ,

उस पैर की चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल ,,बिछुए रुनझुन रुनझुन कर उठे ,




और मेरा इशारा समझ के हम लोगों के पास आने के पहले , एक हलका सा ही लेकिन साफ़ साफ़ दिखे ,


ऐसा किस मेरी सैंडल के सोल पे।




कैसे देख पा रही होंगी बिचारी ये सीन

लेकिन एक चीज एकदम साफ़ थी ,शीशे की तरह



मेरा पति मेरा है ,सिर्फ मेरा। चाहे उसका मायका हो या ,... या उसकी मायकेवालियां उसके सामने बैठी हों।

मेरा ३४ सी साइज का सीना ५६ इंच का हो गया।



और वो आके अपनी भौजाई के बगल में बैठ गए , मैंने जेठानी जी को छेड़ा,



" अरे दीदी दबवा लीजिये न , आपके देवर पैर वैर बहुत अच्छा दबाते हैं /"

मैने छेड़ा।






" नहीं तुम्ही दबवाओ, तुम्हे मुबारक। मेरे पैर में कोई दर्द नहीं हो रहा , " झुंझला के वो बोलीं।

" अरे दीदी तो कुछ और दबवा लीजिये ,आज तो जेठ जी भी नहीं है। "



थोड़ा सा मूड ठीक करते वो भी मजाक के मूड में आ गयी ,

दो चीजों पर मैं और मेरी जेठानी दोनों झट से एकमत हो जाते थे , एक तो उनकी ममेरी बहन और हम दोनों की एकलौती ननद और

दूसरी हम दोनों की सास।

जेठानी जी उन्हें छेड़ते बोली ,

" अरे वो आएगी न कल , इनका माल , दबवाने के लिए ,दबाना मन भर के। "

मैंने लेकिन मोर्चा बदल दिया।

" इनकी माँ का कोई फोन वोन आया या फिर वहां पंडो दबवाने मिजवाने में ही ,... "

मेरी बात काट के खिलखिलाती मेरी जेठानी बोली ,

" अरे बिचारे पंडों की क्या गलती , वो खुद ही धक्का मारती रगड़वाती ,.. "

और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी , मैंने उन्ही से पूछा ,

" क्यों तुम्हारी भौजी सही कह रही हैं न , खूब दबवाती मिजवाती हैं न लेकिन अभी है भी उनका कितना कड़क बड़ा बड़ा ,दबाने मीजने के लायक। "

जेठानी जी ने जुम्हाई ली तो हम दोनों ने इशारा समझ लिया और हम दोनों भी ऊपर अपने कमरे की ओर ,

सीढ़ी चढ़ते हुए इनके बॉक्सर शार्ट्स में , इनके पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करते ,रगड़ते हलके से मैं बोली चल मादरचोद ऊपर।

पता नहीं मेरी जेठानी ने सुना तो नहीं,

सुना हो तो सुना हो।



ये इनकी अपने मायके में, पहली रात थी अपने नए रूप में।



और क्या रात थी वो ,सावन अपने पूरे जोबन पे।

काली काली घटाएं घिरी हुयी थीं , हलकी पुरवाई चल रही थी ,भीगी भीगी सी बस लगा रहा था की कि कहीं आसपास पानी बरसा हो ,

मिटटी की सोंधी सोंधी महक हवा में घुली हुयी ,
 
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malikarman

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पैरों का दीवाना


और मुझे याद आ रहा था ,


एक्जैक्टली यही जगह ,

पक्का यही जगह थी ,मेरी शादी के ४-५ महीने हो चुके थे ,


हम सभी थे , मैं,









ये उनकी वो माल कम ममेरी बहन ,





मेरी सासु ,इनकी बुआ और मोहल्ले की कुछ बड़ी बूढी टाइप सास के रिश्ते वाली औरतें ,

ये उठे और अनजाने में मेरा पैर उनके पैर से छू गया ,

बस कहर बरपा हो गया , पहले तो उनकी बुआ बरसीं ,

" अरी बहू ज़रा देख समझ के , पति को पैर से छूने पे पक्का नरक मिलता है कोई प्रायश्चित नहीं , बिल्ली मारने से भी बढ़कर "






फिर पड़ोस की एक सास टाइप औरत ,


" अरे ई आजकल की मेहरारू ,... "




मैंने बचाव के लिए अपनी जेठानी की ओर देखा और फुसफुसाया ,

" और जो ये रात भर पैर कंधे पर रखे रहते हैं उसका क्या , तब नहीं पैर,... "




मैंने बात तो बहुत धीमे से खाली अपनी जेठानी के लिए ,मजाक में कही थी पर वो एकदम आग बबूला ,

और वो भी बहुत जोर की आवाज में ,

" कैसे बोलती हो सबके सामने , अरे सही तो कह रही हैं बुआ , "

और उनकी बात पीछे से सुपाड़ी काटती किसी औरत ने काटी ,बोली

" ई पढ़ी लिखी औरतें ,पता नहीं महतारी कुछ ससुरे के गुण ढंग सिखाय के भेजले हाउ की की ना "

बहुत मुश्किल से मैंने , ...

और आज उन्ही जेठानी के सामने वो मेरे पैर की उंगलियां ,तलुवा लिक कर रहे थे ,किस कर रहे थे।

उनका मुंह थोड़ा सा खुला और मैंने अपने एक पैर का पूरा पंजा ,पांचो उंगलियां ,...







ये प्रक्टिस मम्मी का नतीजा थीं. पूरा पंजा। .

कहती थी मम्मी उनसे ,

अरे इस प्रक्टिस से मोटा से मोटा लन्ड घोंट लोगे ,मजे से चूसोगे।

और कल रात ही तो यही समय रहा होगा ,अजय और कमल जीजू का ,ख़ास तौर से कमल जीजू का तो कित्ता मोटा , बियर कैन से भी ज्यादा लेकिन घोंट लिया ही उन्होंने ,

मम्मी कभी भी बाहर से आती थीं , जान बूझ कर , भले ही कार से उतरें लेकिन थोड़ी मिट्टी में सैंडल अच्छी तरह लिथड़ के ,


और ये सबसे पहले सैंडल चाटते थे , फिर मम्मी सैंडल का पूरा तलवा उनके मुंह में ठेल देती थीं , और वो चाट चाट कर ,







उसके बाद मम्मी के तलवे ,











और फिर जैसा मैंने कहा पूरा पंजा उनके मुंह में ठेलती थीं , और साथ में दस गारियाँ


" चूस स्साले , भोंसड़ी के , रंडी के जने , अरे अपनी उस छिनार महतारी की बड़ी बड़ी चूँचियाँ भी तो तुझे चूसनी हैं , गांडू , ... "




" अरे आओ न जरा अपनी भौजाई के बगल में तो बैठो , "





मैंने मुस्करा के उनसे कहा लेकिन साथ में जिस पैर में मैंने सैंडल पहन रखी थी उसे जरा सा हिला दिया ,

उस पैर की चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल ,,बिछुए रुनझुन रुनझुन कर उठे ,




और मेरा इशारा समझ के हम लोगों के पास आने के पहले , एक हलका सा ही लेकिन साफ़ साफ़ दिखे ,


ऐसा किस मेरी सैंडल के सोल पे।




कैसे देख पा रही होंगी बिचारी ये सीन

लेकिन एक चीज एकदम साफ़ थी ,शीशे की तरह



मेरा पति मेरा है ,सिर्फ मेरा। चाहे उसका मायका हो या ,... या उसकी मायकेवालियां उसके सामने बैठी हों।

मेरा ३४ सी साइज का सीना ५६ इंच का हो गया।



और वो आके अपनी भौजाई के बगल में बैठ गए , मैंने जेठानी जी को छेड़ा,



" अरे दीदी दबवा लीजिये न , आपके देवर पैर वैर बहुत अच्छा दबाते हैं /"

मैने छेड़ा।






" नहीं तुम्ही दबवाओ, तुम्हे मुबारक। मेरे पैर में कोई दर्द नहीं हो रहा , " झुंझला के वो बोलीं।

" अरे दीदी तो कुछ और दबवा लीजिये ,आज तो जेठ जी भी नहीं है। "



थोड़ा सा मूड ठीक करते वो भी मजाक के मूड में आ गयी ,

दो चीजों पर मैं और मेरी जेठानी दोनों झट से एकमत हो जाते थे , एक तो उनकी ममेरी बहन और हम दोनों की एकलौती ननद और

दूसरी हम दोनों की सास।

जेठानी जी उन्हें छेड़ते बोली ,

" अरे वो आएगी न कल , इनका माल , दबवाने के लिए ,दबाना मन भर के। "

मैंने लेकिन मोर्चा बदल दिया।

" इनकी माँ का कोई फोन वोन आया या फिर वहां पंडो दबवाने मिजवाने में ही ,... "

मेरी बात काट के खिलखिलाती मेरी जेठानी बोली ,

" अरे बिचारे पंडों की क्या गलती , वो खुद ही धक्का मारती रगड़वाती ,.. "

और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी , मैंने उन्ही से पूछा ,

" क्यों तुम्हारी भौजी सही कह रही हैं न , खूब दबवाती मिजवाती हैं न लेकिन अभी है भी उनका कितना कड़क बड़ा बड़ा ,दबाने मीजने के लायक। "

जेठानी जी ने जुम्हाई ली तो हम दोनों ने इशारा समझ लिया और हम दोनों भी ऊपर अपने कमरे की ओर ,

सीढ़ी चढ़ते हुए इनके बॉक्सर शार्ट्स में , इनके पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करते ,रगड़ते हलके से मैं बोली चल मादरचोद ऊपर।

पता नहीं मेरी जेठानी ने सुना तो नहीं,

सुना हो तो सुना हो।



ये इनकी अपने मायके में, पहली रात थी अपने नए रूप में।



और क्या रात थी वो ,सावन अपने पूरे जोबन पे।

काली काली घटाएं घिरी हुयी थीं , हलकी पुरवाई चल रही थी ,भीगी भीगी सी बस लगा रहा था की कि कहीं आसपास पानी बरसा हो ,

मिटटी की सोंधी सोंधी महक हवा में घुली हुयी ,
Good one
 
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Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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Lekhika ki soch aur kalpna ko manna padega ki jis tarike se apne Kalpana jariye aise shabdo ka roop deke kahani mein darshaya hai... sach mein saraahaneeya aur prashansaniya hai..

kahani mein ek romance, erotica ke sath sath ek manmahok mahol banane mein aap mahir hai... jishe padhte waqt kahani ki prati dilchaspi badhti jaye...
aur jo scenes create ki hai kahani ke har ek point pe wo sach mein adbhut aur kabile tarif hai... jagah, paristhiti, waqt aur kirdaar... kaise, kaha, kis tarah se, kis karm mein rahenge kahani mein bhumika nibhate huye iska sathik mulyankan karke update ko jis tarah pesh ki hai hum readers ke samaks wo apne apme bemisaal hai.. :bow:
Kahani shadharan si dincharya ho ya sadharan si ghatana (erotic scenes) lekin komaalrani ma'am usko apni kalam ke jaadu se jaan daal deti hai... itna manoram aur manoranjanmay kar deti hai ki sadharan baatein bhi apne apme aasadhaaran ho jaati hai... ...
Chaahe xp ho ya xf Erotica ko ek alag hi level pe le gayi hai komalrani ma'am ne..

Lekhika fantasy ho ya erotica ho ya phir romantic topic ko kayi baar soch vichar kar leti hai ki kis tarah se pesh ki jaye taaki readers us topic ko padhte waqt unko real si lage... wo acceptable ho... aur padhne mein maza bhi aaye... aur entertaining bhi ho...
Brilliant story line with awesome writing skills komaalrani ma'am :yourock: :yourock:
 
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Lekhika ki soch aur kalpna ko manna padega ki jis tarike se apne Kalpana jariye aise shabdo ka roop deke kahani mein darshaya hai... sach mein saraahaneeya aur prashansaniya hai..

kahani mein ek romance, erotica ke sath sath ek manmahok mahol banane mein aap mahir hai... jishe padhte waqt kahani ki prati dilchaspi badhti jaye...
aur jo scenes create ki hai kahani ke har ek point pe wo sach mein adbhut aur kabile tarif hai... jagah, paristhiti, waqt aur kirdaar... kaise, kaha, kis tarah se, kis karm mein rahenge kahani mein bhumika nibhate huye iska sathik mulyankan karke update ko jis tarah pesh ki hai hum readers ke samaks wo apne apme bemisaal hai.. :bow:
Kahani shadharan si dincharya ho ya sadharan si ghatana (erotic scenes) lekin komaalrani ma'am usko apni kalam ke jaadu se jaan daal deti hai... itna manoram aur manoranjanmay kar deti hai ki sadharan baatein bhi apne apme aasadhaaran ho jaati hai... ...
Chaahe xp ho ya xf Erotica ko ek alag hi level pe le gayi hai komalrani ma'am ne..

Lekhika fantasy ho ya erotica ho ya phir romantic topic ko kayi baar soch vichar kar leti hai ki kis tarah se pesh ki jaye taaki readers us topic ko padhte waqt unko real si lage... wo acceptable ho... aur padhne mein maza bhi aaye... aur entertaining bhi ho...
Brilliant story line with awesome writing skills komaalrani ma'am :yourock: :yourock:


I am overwhelmed, speechless, kya kahun.

Your gracing the thread was enough to make me over joyous, but this effusive praise, this appreciation, .... words elude me.
 
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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ८०


सावन अपने पूरे जोबन पे








मैंने लेकिन मोर्चा बदल दिया।


" इनकी माँ का कोई फोन वोन आया या फिर वहां पंडो दबवाने मिजवाने में ही ,... "



मेरी बात काट के खिलखिलाती मेरी जेठानी बोली ,

" अरे बिचारे पंडों की क्या गलती , वो खुद ही धक्का मारती रगड़वाती ,.. "

और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी , मैंने उन्ही से पूछा ,

" क्यों तुम्हारी भौजी सही कह रही हैं न , खूब दबवाती मिजवाती हैं न


लेकिन अभी है भी उनका कितना कड़क बड़ा बड़ा ,दबाने मीजने के लायक। "




जेठानी जी ने जुम्हाई ली तो हम दोनों ने इशारा समझ लिया और हम दोनों भी ऊपर अपने कमरे की ओर ,

सीढ़ी चढ़ते हुए इनके बॉक्सर शार्ट्स में , इनके पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करते ,रगड़ते हलके से मैं बोली


चल मादरचोद ऊपर।

पता नहीं मेरी जेठानी ने सुना तो नहीं,

सुना हो तो सुना हो।


ये इनकी अपने मायके में, पहली रात थी अपने नए रूप में।




और क्या रात थी वो ,


सावन अपने पूरे जोबन पे।

काली काली घटाएं घिरी हुयी थीं , हलकी पुरवाई चल रही थी ,भीगी भीगी सी बस लगा रहा था की कि कहीं आसपास पानी बरसा हो ,

मिटटी की सोंधी सोंधी महक हवा में घुली हुयी ,

कमरे में पहुँच के बजाय दरवाजा बंद करने के
मैंने खिड़की भी खोल दी ,




और बाहर आम का बड़ा पेड़ झूम झूम के , जैसे कजरी गा रहा हो ,




इससे पहले रात में इस कमरे की खिड़की दरवाजे कभी नहीं खुलते थे ,

( कहीं कोई देख ले तो , कोई क्या कहेगा , सेक्स के साथ जुडी गिल्ट फ़ीलिंग , हर चीज एक घुटन के साथ जुडी , छुपी सहमी )



और मैंने अपना कुर्ता उतार के उनकी ओर उछाल दिया , वो उसे तहियाने में लगे थे

की मैं उनके पास ,और नीचे झुक के बॉक्सर शार्ट ,


सररर , नीचे , वो नंगे।




लेकिन अब वो भी तो ,

उन्होंने भी मेरे शलवार का नाडा खींच दिया और शलवार उनके हाथ में

अंडर गारमेंट्स न उन्होंने पहने थे न मैंने।

वो कपडे तह कर के रख रहे थे और मैं निसुती खिड़की के पास ,

खुली खिड़की से आती सावन की गीली गीली हवा का मजा लेती



( ये भी पहली बार था इस कमरे में , सेक्स तो हम लोग बिना नागा करते थे और खूब मजे ले ले कर लेकिन ,

उनका बस चले तो बस ज़िप खोल के काम चला लेते ,
और ज्यादातर कपडे तभी उतरते जब हम दोनों चद्दर के अंदर होते ,लेकिन अब )



सावन की एक मोटी सी बूँद मेरे चेहरे पर पड़ी और फिर कुछ देर में दूसरी मेरे गदराये मस्ताए जुबना पे ,

निपल के बस थोड़ा ऊपर ,





मैं नीचे तक गीली हो गयी।

वो अलमारी बंद ही कर रहे थे ,मेरे ही हालत में बर्थ डे सूट में ,

" ए ज़रा एक सिगी तो सुलगाना , ... अरे वो स्पेशल वाली जो अजय जीजू ने दी थी न। "

मैंने खिड़की के पास से खड़े खड़े ही आवाज लगाई।

अब रुक रुक कर बूंदो की आवाज ,कमरे की छत पर से नीचे जमीन पर से ,आम के पेड़ की खिड़कियों पर से ,




अलग अलग एक सिम्फोनी मस्ती की ,

खिड़की से हाथ बाहर निकाल के मैंने चार पांच बूंदे रोप लीं और सीधे अपने उभारों पर मसल दिया।

तब तक वो मेरे पास आके खड़े हो गए थे वही अजय जीजू वाली स्पेशल सिग्गी सुलगा के सुट्टा लगाते ,

क्या जबरदस्त अजय जीजू की वो ,... एक दो सुट्टे में ही बुर की बुरी हालात हो जाती थी , बस मन करता था की कोई लौंडा दिखे तो उसे पटक के रेप कर दूँ।

" साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद , अकेले अकेले। "


उनके मुंह से सिग्गी छीन कर सुट्टा लगाते मैं बोली।



 
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