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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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komaalrani

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Congratulations Madam...main to Quarter Century kaa wait kar raha hoon :)
komaalrani
aap ka saath rjha, support raha to jald hi vahan bhi pahoonch jaayegi ye story, thanks so much for your best wishes
 

Analyser

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After I read your comment on the previous post or maybe earlier. Your last comment on this thread came in December, to be precise 28th December. Mnay posts have been posted since, please do read and share your views.
Have been reading those komal, binged the last two. I meant the next post.
Views ? Well, not bad. Take that as a big compliment.
Could give detailed feedback but won't do publicly, unless it's negative in whch case can do publcly too
 

komaalrani

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Your last comment on this story is of 26th December and i am sure you must have read these posts too

1. December 29, 2023- भाग २१४ - मेरी सासू जी Page 1136

2. January 12.2024 भाग २१५ आ गए जीजू Page 1144

3. January 24.2024 भाग २१६ कमल जीजू और गुड्डी का पिछवाड़ा—Page 1162


4. February 08,2024 भाग २१७ गुड्डी का पिछवाड़ा Page 1184

I am giving the name page number and dates .

The last few posts were mega updates, Part 217 was of almost 9 K words and the previous one too was about 6 K. so combined they required efforts and time for almost a dozen posts.


I eagerly looked forward to somebody asking for my next post and many thanks. I have started posting a story or a mega story
Phagun ke din chaar where I had posted the first post on 14th Feb. Basant Panchami,

The next Post will come on that thread on 18th Feb.

Next Post on
Chhutaki my another story will also come thereabout,



And after that in the coming week, next post in this thread will come till that time do enjoy Arushi Ji’ s poem in which she has converted a very famous story into a long poem,

And please do comment as it not only inspires and enthuses me bit also increases the confidence of other readers. All your previous comments have been very helpful goad me to do better. Looking forward to read more of your comments.

This is a long story so events will happen in a certain course, so be with the story, Mrs Moitra will certainly come,




Thanks and please do visit and share your views.
 
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komaalrani

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Have been reading those komal, binged the last two. I meant the next post.
Views ? Well, not bad. Take that as a big compliment.
Could give detailed feedback but won't do publicly, unless it's negative in whch case can do publcly too
🙏🙏:thanks::thanks:
 

komaalrani

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Part 4
मेरे पीछे से क्या पकती है खिचड़ी मैं सब से अंजान

एक दिन मैं गई बाजार को लेने कुछ जारुरी सामान

जल्दी लौट के जब बाजार से मैं घर को वापस आई

बाबूजी के कमरे से मुझे हल्की से सिस्की दी सुनाई

खोल के देखि जब उनके कमरे की खिड़की थोड़ी

बाबूजी चोद रहे बिमलाको बिस्तर पर बना के घोड़ी

आंखें लगा लगी देखने में कमरे में फिर पूरे ध्यान से

बाबूजी के लौड़े की तलवार घुसी चूत की मयान में

हचक हचक के चोद रहे थे बिमला को पूरे जोर से

गूँज रहा पूरा कमरा बिमला की सिस्की के शोर से

मालिक जैसा कहा था आपने चिंगारी मैंने सुलगा दी

कंचन बहू की चूत की अब मैंने खुजली खूब बडा दी

अब सोच समझ कर अब आपको कदम बढ़ाना होगा

जल्द ही कंचनबहू को अपने लौड़े के नीचे लाना होगा

शाबाश बिमला तुमने कर दिया जैसा कहा था काम

उसी बेहतर काम का मैं आज तुझे दे रहा हूं ये इनाम

धीरे-धीरे कर के अब खुलने लगे बंद कड़ियो के धागे

बाबूजी का जिक्रकिया क्यों बिमला चाची ने मेरे आगे

लेकिन सच यह था कि अब मैं भी चुदना थी चाहती

इस निगोड़ी चुत की अब मुझसे गर्मी सही नहीं जाती

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अब विमला की पोल खुली,

लेकिन किस तरह से धीरे धीरे मंच पर घटनाएं घट रही हैं, पहले तो पति की विछोह और काम का ज्वर, फिर विमला ने सुलगायी आग और ससुर जी के पौरुष का जबरदस्त वर्णन, फिर लंगोटे में से हल्की झलक, और इस भाग में ससुर जी इन एक्शन


बाबूजी चोद रहे बिमलाको बिस्तर पर बना के घोड़ी

आंखें लगा लगी देखने में कमरे में फिर पूरे ध्यान से

बाबूजी के लौड़े की तलवार घुसी चूत की मयान में

हचक हचक के चोद रहे थे बिमला को पूरे जोर से


अब एक कामविदग्धा को हचक हचक के होती रगड़ाई दिख जाय तो खुद को जरूर उस स्त्री की जगह रख के सोचेगी, काश मैं होती। फिर आँखों की देखी तो हमेशा कानों से सुनी से आगे होती है।

और इस बार जिस प्रौढ़ पुरुष का चित्र आपने इसमें सजाया है, और उससे भी बढ़कर सम्भोग रत स्त्री के चेहरे के भाव, दर्द भी सुःख भी, तृप्ति भी सब एक साथ दिखता है। संबंधो के विकास को विशेष रूप से एक सामाजिक रूप से वर्जित रिश्ते में जिस तरह से आप दिखा रही हैं आप के ही बस का है।


एक बार फिर से धन्यवाद, आभार।
 

komaalrani

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आरुषि जी कविता ---बहू और ससुर

भाग १ - पृष्ठ ११९५

भाग २ - पृष्ठ ११९७

भाग ३ पृष्ठ ११९८

भाग ४ पृष्ठ ११९८



कृपया पढ़ें आनंद ले लाइक करे कमेंट करे। हम सब आभारी है आयुषी जी के इस सुन्दर रचना के लिए
 
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