Part 4
मेरे पीछे से क्या पकती है खिचड़ी मैं सब से अंजान
एक दिन मैं गई बाजार को लेने कुछ जारुरी सामान
जल्दी लौट के जब बाजार से मैं घर को वापस आई
बाबूजी के कमरे से मुझे हल्की से सिस्की दी सुनाई
खोल के देखि जब उनके कमरे की खिड़की थोड़ी
बाबूजी चोद रहे बिमलाको बिस्तर पर बना के घोड़ी
आंखें लगा लगी देखने में कमरे में फिर पूरे ध्यान से
बाबूजी के लौड़े की तलवार घुसी चूत की मयान में
हचक हचक के चोद रहे थे बिमला को पूरे जोर से
गूँज रहा पूरा कमरा बिमला की सिस्की के शोर से
मालिक जैसा कहा था आपने चिंगारी मैंने सुलगा दी
कंचन बहू की चूत की अब मैंने खुजली खूब बडा दी
अब सोच समझ कर अब आपको कदम बढ़ाना होगा
जल्द ही कंचनबहू को अपने लौड़े के नीचे लाना होगा
शाबाश बिमला तुमने कर दिया जैसा कहा था काम
उसी बेहतर काम का मैं आज तुझे दे रहा हूं ये इनाम
धीरे-धीरे कर के अब खुलने लगे बंद कड़ियो के धागे
बाबूजी का जिक्रकिया क्यों बिमला चाची ने मेरे आगे
लेकिन सच यह था कि अब मैं भी चुदना थी चाहती
इस निगोड़ी चुत की अब मुझसे गर्मी सही नहीं जाती