- 22,505
- 58,870
- 259
अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
कृपया पढ़ें, आनंद लें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
कृपया पढ़ें, आनंद लें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
Agr jethani ji kisi ka land lete pkdi jaye to komal ka rasta aasan ho sakta h or guddi ka bhiपता नहीं क्या होगा, कहानी में क्या टर्न आये कई बार ये मेरे हाथ में भी नहीं रहता, ख़ास तौर से कहानी का एन्ड,.. ये स्टोरी पहले इंग्लिश में और उस समय गुड्डी के जाने के साथ ख़तम हो गयी , दूसरी बार जब फोरम बंद होने वाला था मैंने आलमोस्ट डेली पोस्ट्स की थीं , टाइम पर ख़तम होने के लिए और स्टोरी एक फाइनेंसियल थ्रिलर की ओर मुड़ गयी थी,
एक्विजशन और मर्जर, सेबी, इंश्योरेंस कम्पनी, इंटरेनशनल फायनेंशियल मुद्दे , लेकिन उन पार्ट्स को बहुत कम लोगों ने पढ़ा और वो फोरम बंद हो गया जिसकी याद हम सबको आती है,
और इस बार अभी तक तो पलड़ा जेठानी जी का ही भारी है, और पढ़नेवालों में भी जेठानी के चाहने वालों की तादाद कम नहीं, तो बस आगे आगे देखिये,... क्या पता
dekhiye kya hota hai,...Agr jethani ji kisi ka land lete pkdi jaye to komal ka rasta aasan ho sakta h or guddi ka bhi
बहुत बदलाव ऑलरेडी आ चुके हैं...कहानी काफी एक्सपैंड होते जा रहा है...और अगर पिछले version की बात करें तो जेठानी की स्टोरी ही कई महीने चली थी जबकि अपडेट भी 2 से 3 दिन में आ जाया करते थे। इन सबको मध्यनजर रखते हुए खत्म होने की कोई आसार नही दिख रहे हैं...बाकी कोमल जी पे सब डिपेंड करता है क्या , कैसे मैनेज करते हैं।पता नहीं क्या होगा, कहानी में क्या टर्न आये कई बार ये मेरे हाथ में भी नहीं रहता, ख़ास तौर से कहानी का एन्ड,.. ये स्टोरी पहले इंग्लिश में और उस समय गुड्डी के जाने के साथ ख़तम हो गयी , दूसरी बार जब फोरम बंद होने वाला था मैंने आलमोस्ट डेली पोस्ट्स की थीं , टाइम पर ख़तम होने के लिए और स्टोरी एक फाइनेंसियल थ्रिलर की ओर मुड़ गयी थी,
एक्विजशन और मर्जर, सेबी, इंश्योरेंस कम्पनी, इंटरेनशनल फायनेंशियल मुद्दे , लेकिन उन पार्ट्स को बहुत कम लोगों ने पढ़ा और वो फोरम बंद हो गया जिसकी याद हम सबको आती है,
और इस बार अभी तक तो पलड़ा जेठानी जी का ही भारी है, और पढ़नेवालों में भी जेठानी के चाहने वालों की तादाद कम नहीं, तो बस आगे आगे देखिये,... क्या पता
Nice updateजोरू का गुलाम भाग ९
अँधेरे बंद कमरे -मन के
हाँ तो मैं कह रही थी ,असल में बात कुछ ख़ास नहीं बहुत लोग करते हैं। न सुनाना बेईमानी होगी।
फिर भी समझ में नहीं आ रहा है कैसे शुरू करूँ।
बात ये है की मैं एक सीढ़ी ढूंढ रही थी , ऊपर चढ़ने वाली नहीं नीचे उतरने वाली।
हम लोगो की गाडी पटरी पर आ गयी थी , लेकिन आलमोस्ट।
मुझे लगता था की जैसे मैंने किसी तिलस्म को तोड़ तो दिया है ,
जिसमें इनके मायकेवालियों ने इन्हे बंद कर रखा था ,
लेकिन तब भी ऐसे कई कमरे हैं जिसकी चाभी मेरे पास नहीं है।
बात करते करते वो अक्सर 'आफ ' हो जाते थे , कई बार मुझे लगता था की वो मेरे पास हैं लेकिन ,मेरे पास नहीं है।
चारो ओर जैसे रौशनी की दरिया बह रही हो ,
लेकिन बीच में अँधेरे के बड़े बड़े द्वीप होंऔर वो वहां ये ग़ुम हो जाते हों।
अब हम दोनों एक दुसरे से बहुत खुल गए थे फिर भी ,
और उनमे एक चीज थी उनकी लैपी
वो कई बार उसमें उलझे रहते थे। लेकिन जो चीज जिसने मुझे स्ट्राइक की वो थी , ओ के , हिस्ट्री।
मैंने एक दो बार उनसे उनका लैपी माँगा , तो कुछ देर से दिया उन्होंने।
मुझे लगता था की आफिस का कोई काम कर रहे होंगे।
लेकिन एक बार मैंने थोड़ी देर कुछ साइट्स देखने के बाद गलती से बंद कर दिया ,और फिर खोला , जब मुझे याद नहीं आया तो हिस्ट्री खोली , कुछ देर बाद मैंने रिएक्ट किया।
मुझसे पहले की सारी हिस्ट्री साफ ,
अब गलती मेरी ही थी , सिम्पल क्यूरियॉसिटी।
फिर तो हर बार जब मैं इन से इन का लैपी मांगती , तो मारे क्यूरियॉसिटी के पहले हिस्ट्री चेक करती
और हर बार वो शुरू से साफ होती।
और एक दिन मौका मिल गया , आफिस से कोई काल आया और उन्हें तुरंत जाना पड़ा।
बस मैंने सीढ़ी लगा ली ,
सिर्फ उनके मन के गहरे अँधेरे कूएँ में ही नहीं , बल्कि उसके अंदर से ढेर सारी सुरंगे निकलती हुईं ,
कुछ पर भारी भारी पत्थर रखे हुए , कुछ जाले पड़े हुएउनके अंदर चलना मुश्किल , मेरी ऐसी 'बोल्ड ब्यूटी ' के लिए भी ,
हिस्ट्री साइट में कुछ तो पोर्न साइट्स थी , वो मेरे लिए अजूबे की बात नहीं थी , सारे मर्द देखते हैं , लेकिन उसमें ऐसे छिप के देखने का क्या , हम साथ साथ भी देख सकते थे। लेकिन पॉर्न से बहुतज्यादा चैट साइट्स , थोड़ी बहुत चैट तो सभी करते हैं लेकिन व्हाटसऐप आने के बाद।
पर चैट साइट्स के नाम देखते ही मुझे जोर का झटका जोर से लगा।
ज्यादातर बी डी एस एम साइट्स थीं।
चैट्रोपॉलिस , आल्ट , बांडेज और भी न जाने क्या क्या ,
और जब मैंने चैट साइट को खोला तो उसके अंदर तरह तरह के रूम , सब रूम , इन्सेस्ट रूम , मिस्ट्रेस रूम।
एक नयी दुनिया।
ये नहीं की बी डी एस एम से के बारे में मुझे पता नहीं था।
मुझे मालूम था की मैं थोड़ी डॉमिनेटिंग टेण्डेंसीज रखती हूँ , मुझे लाइट बांडेज स्टोरीज पढने में मजा आता था।
और एक बार मेरी कुछ फ्रेंड्स ने चढ़ा दिया तो मैंने नाम बदल के एक कांटेस्ट में लिटइरोटिका पे एक स्टोरी भी लाइट बांडेज की पोस्ट की। और उन्होंने इनाम में एक फर रैप्ड हैंडकफ भी मुझे दिया
जो मैंने सोचा था की हनीमून में इस्तेमाल करुँगी ,
पर कर्टसी उनके मायकेवालों के न हनीमून पे गयी न वो डिब्बा खुला।
पर मैंने कभी इस तरह की चैट नहीं की थी।
अब अगला सवाल था की उनकी आई डी कौन सी है।
मैंने थोड़ा जासूसी लगाई।
मेरे अंदर का छिपा बॉबी जासूस जाग उठा।
Bohot badiya updateबॉबी जासूस
मैंने थोड़ा जासूसी लगाई। मेरे अंदर का छिपा बॉबी जासूस जाग उठा।
कई चैट रूम में मैंने चेक किया , जिस समय वो निकले थे उसके हिसाब से ,. और तीन चैट साइट्स पे एक नाम मिला जो उनके निकलने के समय का था।
ज्यादा चांसेज थे वही आई डी रही होगी , लेकिन प्रोफाइल चेक करने पे कन्फर्म हो जाता।
पर वो पॉसिबल नहीं था , क्योंकि साइट्स पे मैं घूम टहल सकती थी वो भी सिरफ ५ मिनट के लिए उसके बाद साइट पे रजिस्टर करना होता।
बॉबी जासूस ने फिर काम करना शुरू किया।
मुझे मालूम था उनकी लापरवाही और भूलने की आदत , जरूर उन्होंने पासवर्ड कहीं सेव करके रखे होंगे।
और पिछले दिनों मैंने ' दस दिनों में घर बैठे हैकर बनिए ' का कोर्स भी ज्वाइन कर रखा था।
मैंने हिडेन फोल्ड्र्स देखने शुरू किये और एक फोल्डर मिल गया , बिजनेस डेवलेपमेंट , उनके आफिस का काम।
अगर कोई देखे भी तो यही सोचेगा की कुछ आफिस का होगा , लेकिन मैं मुस्कराई।
आफिस के काम को छुपा के रखने की क्या जरूरत थी , और खुलते ही
जैसे कोई कारूं का खजाना खुल गया हो।
उन सारी सुरंगो पर बंद पत्थर हट गए।
साइट वाइज आईडी , पासवर्ड , सबकी आईडी।
एक मजे की बात थी , जिस दिन से हम लोग उन के 'टूर ' से लौटे थे ( वही जहाँ वो 'जोरू का गुलाम ' बने थे और उन का बदलाव शुरू हो गया था ) वो साइट्स खुली भी नहीं थी।
लेकिन तब तक मुझे शक ने आ घेरा और मैंने कंप्यूटर बंद कर दिया।
ये उसी तरह की बात थी जैसे मैं किसी की पर्सनल डायरी पढूं या चिट्ठी खोल के पढूं , गन्दी बात।
कुछ समझ में नहीं आ रहा था , एक तो क्यूरियॉसिटी ऊपर से मैं ये भी सोच रही थी
जितना मैं उन्हें ज्यादा जानूंगी उतना ही हम दोनों के लिए अच्छा होगा।
गनीमत थी मेरी एक फ्रेंड सुजाता ( उनकी एक कुलीग ,जिसकी कुछ दिन पहले शादी हुयी थी की वाइफ ) का फोन आ गया ,
और आधे घंटे तक हम दोनों मस्ती करते रहे।
एक ही टॉपिक होता था , कलकितनी बार , कैसे , कितनी देर तक। और मेरे ध्यान से सब कुछ हट गया।
लेकिन मैं भी न , थोड़ी देर में मैंने फिर कंप्यूटर खोल लिया और अब जब सिम सिम मुझे मालूम हो गया था तो फिर क्या सारी साइट धड़ाम धड़ाम खुल गयीं।
उनकी एक फीमेल आईडी थी , जो मैं सस्पेक्ट कर रही थी , वही।
डॉली और पासवर्ड था ३२ सी।
मुझे बाबी जासूस होने की इस काम के लिए जरूरत नहीं थी , की उनके मन में डॉली और ३२ सी कहाँ से आया।
डॉली →→ गुड्डी एकदम साफ था।
और ३२ सी उसके कच्चे टिकोरे।
यानी उनके मन में मेरी उस छिनाल ननद के लिए साॅफ्ट और हार्ड दोनों कार्नर थे बस उस 'अच्छे बच्चे ' वाली इमेज के पत्थर के चलते ,
और वैसे भी बहुत से लड़के जिनमें थोड़ा भी कांफिडेंस की कमी होती है , लड़कियों की आईडी फेसबुक पे या चैट पे बना के बात करते हैं।
तो शायद यही बात रही हो ,
लेकिन अब मेरे लिए उनकी पुरानी चैट के रिकार्ड भी देखना पॉसिबल था ,
और जिस तरह की ड्रेसेज उन्होंने पहनी थी चैट रूम में , जिस तरह अपने को डिस्क्राइब किया था ,
Lazwaab updateजोरू का गुलाम भाग १०
मिसेज खन्ना
कोई भी फैंटेसी अगर कभी कभार थोड़ा बहुत पूरी हो जाय , खुल के हंसी मजाक में ही सही , उस पे बात हो , तो वो रिप्रेस्सेड नहीं होगा।
और ये रिप्रेसन , पर्सनल रिलेशन पर , काम काज में हर जगह अपना काला साया छोड़ता है।
इसलिए मैंने तय कर लिया , कि ,…
……………………..
तभी मिसेज खन्ना का फोन आया ,
आज लेडीज क्लब की स्पेशल मीटिंग है , आधे घंटे में क्लब पहुँच जाऊं।
मेरी सारी सोच एक मिनट में खत्म हो गयी और मैं मुस्कराने लगी।
बात ही ऐसी थी ,
मिसेज खन्ना की स्पेशल मीटिंग ,
खन्ना साहेब कम्पनी के सीनियर वी पी थे और नंबर टू। और परफेक्ट जोरू के गुलाम।
कंपनी में चलती भी उनकी ही थी।
सी ई ओ अक्सर बाहर ही रहते थे और वैसे भी उनकी वाइफ कभी नहीं आती थी यहाँ।
इसलिए लेडीज क्लब में तो बस
मिसेज खन्ना ,
और आजकल मैं उनके बहुत करीब हो गयी थी। इन मीटिंग्स में पहले तो बियर के दौर ,
साथ में कभी कार्ड्स या कभी कुछ और गेम में , साथ में मेरी ,सुजाता , न्यूली मैरिड लोगों की क्लास लगती थी ,
"कल क्या हुआ , कित्ती बार हुआ। "
और कभी कभी ब्ल्यू फ़िल्म , क्लब के बड़े से स्क्रीन पे।
तैयार हो के बस मैं लिपस्टिक लगा रही थी , की ये आ गए।
आज जल्दी कैसे। मैंने हंस के पूछा।
चमचे पक्के , ये बगल में बैठ के बोले, मूड कर रहा था , आज जरा दिन में ही।
झूठे,
मैने घूर के देखा , और उन्होंने सच उगल दिया ,
आज ये शिफ्ट वर्क फ्रॉम होम की है दो तीन घंटे का काम है।
" हे लिपस्टिक कैसी लग रही है "
मैंने अपने होंठ उनकी ओर बढ़ा दिया।
" चख के देखता हूँ "
शरारत से वो बोले ,
और मैंने सीधे लिपस्टिक उनके निचले होंठ पे , डैश आफ पिंक।
उठते हुए मैं बोली
" सीधे अपने होंठ से चख लेना , अभी लेट हो रही हूँ , लेडीज क्लब पर जरा मुझे ड्राप कर दो न। "
वो भी जानते थे , आफिस की मीटिंग में लेट चलेगा , लेकिन लेडीज क्लब में एकदम नहीं।
लेडीज क्लब जैसा होता है वैसा ही था , बल्कि आज कुछ ज्यादा ही मस्ती हुयी ,
फ़िल्म बहुत हाट थी ,
ऐनल ,
टिट फक ,
एक बहुत यंग गोरी टीनेजर पे दो दो काले मूसल एक साथ ,
और साथ में मिसेज खन्ना के कॉमेंट्स।
बल्कि वो बीच में पाज कर के इंस्ट्रक्शन भी न्यूली मैरिड को देतीं ,
आज तुझे ये करना है ,तू ये ट्राई करना ,.
सुजाता को उन्होंने वोमेन आन टॉप के लिए बोला ,
मुझे डॉगी पोज़ के लिए
दो ढाई घंटे हो गए थे जब मैं लौटी।
खूब मस्ती होती थी , मिसेज खन्ना के साथ , खास तौर से हम जो यंगिस्तान वाले थे ,
कुछ सीनियर्स को शायद ये नहीं पसंद नहीं था , पर लेडीज क्लब में चलती मिसेज खन्ना की है और आफिस में मिस्टर खन्ना की , इसलिए कुछ फरक नहीं पड़ता था ,
वो अपने कंप्यूटर पे एक्सल शीट खोल के बैठे थे और उनके निचले होंठ पर वही डैश आफ पिंक ,
मैंने उन्हें एक छोटी सी शॉपिंग लिस्ट पकड़ा दी ,
और उनके निकलते ही उनके कम्पयुटर के जरिये बस मन के गहरे कूप में ,
उन्होंने पांच छ सीसीफिकेशन साइट खोली थी और
एक दो फोर्स्ड फेमिनाइजेशन की स्टोरीज की।
उनके आने के काफी पहले ही मैं कंप्यूटर वापस बंद कर चुकी थी।
Superb lazwaabब्यूटी पार्लर
' कितना काम बचा है तुम्हारा "
मैंने पुछा।
" ज्यादा नहीं बस मुश्किल से १०-१५ मिनट का। "
वो फिर एक्सेल शीट में धंसते बोले।
मेरे मोबाईल पे जेना का मेसेज था , वही जो १५-२० दिन में मेरे चेहरे पे जादू करती थी , एक एक्सक्लूसिव सैलून था उसका।
आधे घंटे बाद मेरा अपवाइंटमेंट था वही कन्फर्म करना चाहती थी।
उन्हे देखकर मुझे कुछ सूझा और मैंने उसे मेसज किया वो मान गयी.
ड्राइव कर के वही ले गए लेकिन जब मैंने अंदर चलने को कहा तोवही ना नुकुर , मेरा क्या होगा।
लेकिन वो भी जानते थे और मैं भी ना नुकृर १-२ मिनट से ज्यादा नहीं चलती और उसके बाद वो भी अंदर।
और वहां मिली तनु और मेरी मुँहबोली छोटी बहन।
अभी उसने साल भर का ग्रूमिंग कोर्स पूरा किया था।
पहली बार इनसे मिली थी।
" दी मैं इनको जीजू बोल सकती हूँ न "
हंस के उनसे हाथ मिलाते वो बोली।
"नहीं बोलेगी तो पिटेगी मेरे हाथ से बहुत , "
मैंने बोला.
जेना ने मुझे चेयर पे बैठा दिया और तनु ने उन्हें और बोला ,
" डरिये मत जीजू मैंने यूनिसेक्स ग्रूमिंग कोर्स किया है लड़के लड़कियों दोनों का ".
उसने ऐसा मसाज शुरू किया की उन्हें आलमोस्ट नींद आ गयी।
पेडीक्योर , मेनिक्योर और जब चेहरे का नंबर आया तो मैंने अपनी ऊँगली से नाक के नीचे लगा के सीधे साफ करनेका इशारा किया
और जोर से आँख मारी।
तनु ने भी सर हिला के हामी भरी.
और जब वो निकले वहां से बस रूप निखर आया दुल्हन का।
गोरे ,चिकने ,शार्प फीचर्स तो पहले ही थे उनके अब और , ,… लेकिन सबसे बड़ी बात इतनी दिनों की खेती एकदम साफ।
( ये इनके लिए पौरुष का एक झंडा था , " मूंछ तो मर्द की शान होती है। बट नाउ इट वाज गान ,गान फॉरएवर )
कार में मैंने समझाया भी ,
" अरे यार साल्ली है तुम्हारी , आजायेगी कुछ दिन में वैसे ही , और फिर मेरा फायदा होगया न "
" वो कैसे " उन्होंने पूछा।
'ऐसे "
दोनों हाथों से उनके सर को पकड़ के जोर से उनके भूतपूर्व मूंछों की जगह जोर से मैं किस कर के बोली ,
" मोर प्लेस फॉर किसिंग यार ".
उनको मैंने ढांढस तो दिला दिया ,
लेकिन मुझे और तनु को साफ मालूम था की उसने सिर्फ शेव नहीं की थी बल्कि वैक्सिंग भी
और साथ साथ उसने जो इम्पोर्टेड हेयर रिमूविंग क्रीमलगाई है .
अगले डेढ़ दो महीने तक मूंछ क्या इनके चेहरे पे रोएँ भी नहीं आएंगे।
मैंने फिर उनका चेहरा सहलाते हुए कहा ,
" बुरी नजर से बचा के रखना इसे ,एकदम मकखन लग रहा है , चिकनी चमेली। "
और जोर से गाल पे पिंच कर लिया।
गाडी सब्जी मंडी के बीच से चल रही थी , एकदम धीरे।
तब तक मेरी निगाह सड़क पर बैठी एक सब्जीवाली के पास बिक रहे टिकोरों पर पड़ गयी।
Shandaar mazeaar updateटिकोरे , कच्चे
गाडी सब्जी मंडी के बीच से चल रही थी , एकदम धीरे। तब तक मेरी निगाह सड़क पर बैठी एक सब्जीवाली के पास बिक रहे टिकोरों पर पड़ गयी।
और जोर से मैं चीखी , हे गाडी रोको , जल्दी , रोको न।
और उन्होंने तुरंत ब्रेक मार के ,मेरी ओर अचरज देखते हुए कहा " हुआ क्या , "
" वो सब्जी वाली को देख रहे हो न , टिकोरे बेच रही है।
प्लीज जाके आधे किलो ले आओ न। बहुत अच्छे लग हैं , है न। लेकिन हाथ से दबा के चेक कर लेना।
कड़े होने चाहिएएकदम , कच्चे भी चलेंगे। प्लीज जाओ न। "
बड़ी मुश्किल से मैं अपनी मुस्कराहट रोक पा रही थी , जब वो नीचे उत्तर कर उस सब्जी वाली के पास गए।
मुझे अपनी ननद कम सौतन याद आ गयी ,
" मेरे भैया , टिकोरे , छूना भूल जाइए , नाम भी नहीं ले सकते। "
कार के शीशे से मैं देख रही थी।
एक एक दबा के चेक कर के ही वो ले आ रहे थे।
रात को उसकी चटनी बनायीं मैंने , और ऊँगली में लगा के उनकी ओर बढ़ाई और खुद चट्ट कर गयी।
वाउ क्या मस्त स्वाद है , उन्हें सुना के ललचाते मैं बोली। लेकिन फिर उन्हें वार्निंग भी दी
" चाहिए तो मांगना पड़ेगा "
" चटनी चटाओ न "
बड़े द्विअर्थी अंदाज में बोले।
" किस चीज की ,साफ साफ बोलो न "
मैंने और उकसाया।
कुछ देर तक तो वो हिचके ,फिर रुकते रुकते बोले
" टिकोरे की "
" अरे लो न मेरे रज्जा "
और न सिर्फ उन्हें चटनी चटाई बल्कि आधे से ज्यादा उन्होंने ही साफ की।
" अगर टिकोरे की चटनी खाने की मेज पर भी आ जाय न , तो भैय्या ,मेज से उठ कर चले जायेंगे "
.
अगर आज वो ज़रा सा भी नखड़ा करते तो मैं उनकी माँ चोद देती।
लेकिन उनकी माँ बची नहीं , रात में।
बहुत दिन बाद रात में तीन बार , और हर बार पहले मैं , बहुत जोश में थे वो।
एक बूँद हम रात में नहीं सोये।
वो इत्ते जोर जोर का धक्का मार रहे थे की मेरी चूल चूल ढीली हो गयी।
" अरे यार मेरी सास का भोंसड़ा नहीं है जो इत्ती ताकत से , हचक हचक के पेल रहे हो , जरा आराम से। "
वो एक पल के लिए शरारत से मुझे देखते रहे , खूंटा पूरा जड़ तक घुसा हुआ था।
मैंने फिर वार्न किया ,
" अगर तुमने दुबारा ऐसे तेज पेला न तो मैं समझ जाउंगी , तुम मेरी सास का भोंसड़ा समझ के ही ,… "
बस क्या था , उन्होंने मेरी दोनों कलाई जोर पकड़ीं , सुपाड़े तक लंड बाहर निकाला , और क्या धक्का मारा ,
मेरी पांच छ चूड़ियाँ चुरुर मुरुरु करते टूट गयीं ,सीधे मेरे बच्चेदानी पे लगा।
मैं हिल गयी , और उन्होंने फिर निकाल के , दरेरते ,रगड़ते , उससे भी तेज।
पांच धक्के एक के बाद एक ,
मैं गालियां देती रहीं
तेरी माँ की , तेरे सारे मायकेवालियों की ,...
हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे और जब मैं झड़ गयी तभी उन्होंने कुछ रफ्तार कम की।
मेरे बिना कहे दो बार डॉगी पोज भी
Smirnoff vodka my fevrateबर्थडे के, ..... पहले
उनकी हरदम चाय पीने की मायके की आदत मैंने छुड़वा दी थी , फ्रूट जूस वो भी , सिर्फ फ्रेश।
और मैं उनको हमेशा के लिए , पूरी तरह बदल देना चाहती थी टोटल चेंज।
और उस री- बर्थ के लिए ऊनके बर्थडे से अच्छा दिन और क्या होता , इसलिए तीन दिन पूरी तरह ,
बर्थ डे या डी डे के दो दिन पहले २९ जून को हम बाजार गए ,
" सुनो यार तुम सामने वाली जो फ्रूट शाप है न वहां से दो किलो दसहरी , दो किलो लंगड़ा आम ले लेना ,
केले और अंगूर भी। हाँ ,जरा छू के दबा के देख लेना , कच्चे तो नहीं हैं मैं जरा इस कॉस्मेटिक शाप से ,"
बिचारे।
मैं बगल की दूकान से देख रही थी , झिझकते , घबड़ाते , लेकिन लिया उन्होंने और चेक भी किया।
उसके बाद एक पोल्ट्री शाप से , कुछ एग्स , मटन ,
और फिर एक वाइन शाप से रम , व्हिस्की , वोडका
और भी बहुत सी चीजें।
मेरी अपनी जो टेलर थी ,उसके यहां भी मैं उनको ले गयी ,कुछ उसे नाप जोख करनी थी , पर वो मुस्करा के बोली ,
आधे घंटे में आइये थोड़ा सा फिटिंग ,
उतना टाइम हमने ब्यूटी पार्लर में गुजारा ,
आज तनु अकेली थी
लेकिन आज उसने भी और भी ज्यादा ,लाइट ब्राइडल मेकअप , और सारे कॉस्मेटिक्स पक्के ,
पांच छ दिन तो छूटने वाले नहीं।
और अगले दिन जब वो घर में आये ,बर्थ डे या डी डे की पहली वाली शाम , …
३० जून
बाहर दरवाजे पर ताला बंद था और एक नोटिस लगी थी।
पीछे के दरवाजे से आओ ,
वहां एक दूसरी नोटिस थी ,
सीधे बाथरूम में जाओ।
यही मैं भी कह रही थी, आगे कहानी किस करवट बैठती है , इसलिए जस्ट टाइटेन योर सीट बेल्ट्स और कहानी में साथ बने रहिये ,मैंने पढ़े थे आपके सारे पार्ट्स, जो आपने वहाँ लिखे थे।
पर यहाँ कहानी वहाँ से काफी अलग है।