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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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1०० वां भाग

छुटकी -होली दीदी की ससुराल में का १०० वां भाग पोस्टेड, पृष्ठ १०३५


भाग १०० - ननद की बिदायी

कृपया पढ़ें और अपने कमेंट जरूर दें
 
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भाग १६२

रात बाकी, बात बाकी,

मेरी ननदिया के अरमान अभी बाकी,...
 
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भाग १६२

रात बाकी, बात बाकी,



मेरी ननदिया के अरमान अभी बाकी,...



'उनके' हाथ भले ही बंधे हो लेकिन आँखे तो खुल ही गयी थीं इस लिए नयन सुख लेने से कौन रोक सकता था उनको...और मैं चाहती भी तो यही थी...उन्हें तडपाना तरसाना चाहती थी

और हो भी वही रहा था..उनकी आँखे हम दोनों से चिपकी हुयी थीं...फेविकोल से भी ज्यादा क़स के ...मैंने गुड्डी का ध्यान उनकी ओर दिलाया तो उसने उन्हें देख के मुंह चिढा दिया ओर एक फ्लाईंग किस दे दी...




अब तो वे बदहाल

हम दोनों एक दूसरे के जोबन क़स के मसल रहे थे दबा रहे थे कभी वो मेरे निपल पिंच करती कभी मैंने उसके ...

थोड़ी देर में गुड्डी ने धक्का दे के मुझे बिस्तर पे गिरा दिया ओर अब उसके होंठ मेरे रस कूप पे ..लेकिन वो बिचारी थी तो अभी नौसिखिया ..थोड़ी देर तक उसके होंठ स्वर्ग की सुरंग तलाशते रहे...





कभी इधर कभी उधर ...कभी उसके होंठ लग भी जाते तो ..

.मैंने उसे खिंच के नीचे कर दिया...इस तरह की उसका सर एकदम उनके सर के बगल में मुश्किल से एक बित्ते की दूरी होगी दोनों में...पहले आँखे मिली फिर नैना मटक्का चालू हो गया...


' हे बहोत हो गया भाई बहन का प्यार ..चलो अब भाभी के साथ प्यार करो..."


मैंने अपनी किशोर ननद के ऊपर थी...बैठी हुई कुछ इस तरह की मेरी दोनों टांगों के बीच उसका सर था . मेरे प्यार की सुरंग उसके होंठों से बस इंच भर की दूरी पर ..ऊपर...



उसने उचक के अपने होंठों को 'वहां' लगाने की कोशिश की मैंने उसके कंधो को दबा के नीचे झुका दिया ..अब उस बिचारी ने अपनी बाँहों से मेरी पतली कमर को पकड़ के मुझे अपने और खींचने की कोशिश की तो मैंने उसके हाथों को नीचे दबा दिया...

" लोगी क्या.."मैंने उसे चिढ़ाते हुए पूछा,पर कनखियों से मैं उनकी ओर देख रही थी, बेचारे वो, उनकी आँखे बहन के गुलाबी होंठों से चिपकी, ललचाती



" हां भाभी ..दो ना आप तो..." वो बोली.

" अरे मेरी प्यारी ननद रानी क्या लेगी बोल तो एक बार मुंह खोल के ...." मैंने उसे छेड़ा.पहली रात ही मैं उसकी सारी शरम लिहाज , उसके भाई के सामने उसकी गाँड़ में ठेल देना चाहती थी, आयी है चुदवाने और चूत रानी का नाम लेने में, फट रही है पर मैं मक्खन वाली छुरी से धीरे धीरे,... एक बार कल सुबह गीता के हाथ पड़ गयी फिर वो तो इसकी सारी भासा,...






" हाँ वही दे दो ना भाभी ...प्लीज आप ने तो..." वो बिचारी नाम लेने में शरमा रही थी.

" अरी यार सारी रात ऐसे ही गुजर जायेगी खुल के बोल..." मैंने बोला.

" वही भाभी ...आपकी ..आपकी ..योनी ..कन्ट..." वो बहोत हिम्मत कर के थूक गटक कर के बोली.

" अरे यार ये कोई बायोलाजी की क्लास नहीं हो रही है बोल वरना मैंने चलती हूँ इत्ता सिखाया पढाया...तेरे भैया तो इसे कुछ ओर कहते हैं..." मैं दोनों को देख रही थी साथ में एक उंगली मेरी चूत की दरार में ऊपर नीचे हो रही थी..रस की बूंदे निकल रही थीं..



हार के वो बोली..." भाभी अपनी चूत ..अपनी चूत ..."

"क्या करेगी मेरी चूत का तेरे पास लंड तो है नहीं जो चोदेगी..बोल...ना..."

मैं उसकी आँखों में आँखे डाल के बोल रही थी..




" भाभी चूत किस करुँगी ...चाटूंगी..चुसुंगी..." उस समय मेरी चूत उसके होंठ से बस हलकी सी ही दूरी पे होगी.

मैं यही तो चाहती थी..उसके भाई की आँख के सामने उससे अपनो चूत चटवाऊं ..चूसवाऊ ....

" बड़ी चूत चटोरी है तेरी ये बहना यार तू तो कहता था की बड़ी सीधी है..."


मैंने उनको देखते हुए कहा ओर फिर अपनी ननद के गुलाबी होंठों पे चूत रख के बोली..

ले चाट साली चूत चटोरी...

ओर क्या मस्त चाटा उसने ...



पहले तो अपनी जुबान से चूत की दरार में ...

फिर दोनों होंठो के बीच मेरे कन्ट लिप्स ले लिए क़स क़स के रस चूस रही थी ना जाने कब की प्यासी हो...

अब मैंने भी अपनी चूत उसके होंठों पे टिका दी ओर क़स क़स के रगड़ना शुरू कर दिया जैसे मैं उससे चूत चटवा ना रही होऊं बल्कि चूत चोद रही होऊं...

और मैं कभी कभी कनखियों से उनकी ओर देख रही थी, किस तरह लिबराते हुए अपनी बहन को मेरी चूत चाटते हुए देख रहे थे, मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान रोकी। उसी बहन को जिसे वो बड़ी सीधी है, अभी छोटी है कहते नहीं अघाते थे उनसे सटी चिपकी, ठीक बगल में लेट के, ... जैसे लड़कियां चाट का पत्ता चाटती हैं, मेरी चूत खुद सर उठा उठा के चाट रही थी,...

साथ साथ में मैं उसकी ३२ सी साइज की चून्चिया भी दबा रही थी...



मैं जल्दी झड़ती नहीं थी...लेकिन इत्ते देर के खेल तमाशे ने ...

ओर अब उस साल्ली को मेरे क्लिट का भी पता चल गया था ..कभी जुबान से उसे भी लिक कर लेती...



वो अपलक देख रहे थे.

कभी रस बरसाती मेरी चूत को कभी उसे चाटती मेरी ननद को....



हे मैंने झुक के उसके कान में बोला ...


" जरा इनको भी मजा दे दें ना बहोत देर से ये देख के ललचा रहे हैं..."

" एकदम भाभी ..." वो बोली ओर मैं उसके ऊपर से हट गयी.

"लेकिन हाथ नहीं खोलेंगे इनके" मैं बोली...



"एकदम ..." वो शरारती बोली और उनको देख के खिस्स से मुस्करा दी.

मैंने उसके कान में कुछ समझाया...और वो उनके पास जा के बैठ गयी.
 
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बंधे हाथ














"लेकिन हाथ नहीं खोलेंगे इनके" मैं बोली...



"एकदम ..." वो शरारती बोली और उनको देख के खिस्स से मुस्करा दी.

मैंने उसके कान में कुछ समझाया...और वो उनके पास जा के बैठ गयी.

………………………………………….

लिंग उनका जबर्दस्त तना था...

गुड्डी ने उनकी दोनों टाँगे फैलायीं और बीच में बैठ गयी.

पहले तो उसने अपने गुलाबी चिकने गालों से ..उनके तन्नाये शिश्न को छु भर दिया ...





फिर हलके हलके रगडा...हर बार वो रुक के उन्हें देख के मुस्करा भी देती थी.

वो बेचैन हो रहे थे, अपने बंधन छुड़ाने को बार हाथ पटक रहे थे..अपनी देह पलंग पे रगड़ रहे थे ..

गुड्डी ने एक छोटी सी किस्सी उनके लिंग पे ली और फिर कभी छोटे कभी लम्बे स्ट्रोक के साथ अपनी जीभ निकाल के हलके हलके लिक करना शुरू कर दिया...




पहले बाल्स ...



फिर बेस से शुरू कर ऊपर सुपाडे तक...

वो अभी भी चमड़े से ढका था...
वो बैचैन हो रहे थे...सिसकियाँ भर रहे थे...इधर उधर मचल रहे थे...लेकिन उनके हाथ पलंग से कस के बंधे थे ...

"अच्छा नहीं लग रहा है क्या भैय्या .." सीरियस हो के उस शैतान ने पुछा.

नहीं ऐसा नहीं है वो बोले ..कसमसाते मस्ती से पागल होते बोले और कौन भाई पागल नहीं होगा अगर उसकी कच्ची कोरी कुँवारी जस्ट इंटर पास की बहन अपने कुंवारे गुलाब की टटकी खिलती कली जैसे गालों से खूंटे को रगड़े सहलाये,... उसकी बॉल्स को चूसे, जीभ से चाटे

.लेकिन उनकी बात काट के मैं बोली...

हे अगर जुबान खुली तो ये बंद कर देगी इसे पकड़ के मैं अपने पास बुला लूंगी

अब वो बिचारे सिसकी लेना भी मुश्किल ...

गुड्डी ने तेजी से लिक करना शुरू कर दिया...




" हे ढक्कन खोल ..." मैंने गुड्डी से बोला...पर उसकी समझ में नहीं आया.



" चल हट मैं बताती हूँ..."

मैंने कहा और वो हट गयी. लेकिन हटने के पहले उसने वो जबर्दस्त आंख मारी की ...

" अंखियों से गोली मारे ...ननदी हमारी .." मैंने चिढाया और गुड्डी की जगह ले ली ..

पहले तो मैंने भी लिक किया कड़े खड़े ...लंड पे एक किस्सी ली और फिर मेरे होंठ सुपाडे के ऊपर पहुँच गए और मैंने अपने लाल लिपस्टिक लगे होंठ से पहले तो सुपाडे को हलके से प्रेस किया और फिर सिर्फ होंठों से उसके घूंघट को नीचे कर दिया...

मोटे पहाड़ी आलू ऐसा खूब बड़ा...गुस्साया लाल गुलाबी सुपाडा...




नदीदी मेरी ननद की ललचाई आँखे बस उसी पे चिपकी हुयी थीं.

लेकिन नजर लगती उसके पहले मैंने फिर उसे ढँक दिया...



चल अब तेरा नंबर मैंने अपनी छोटी ननद से कहा...लेकिन वो जाती उसके पहले मुझे कुछ याद आ गया.

मैंने उसके कान में समझाया...

" देख लंड देखने में भले कड़ा हो लेकिन होता मुलायम है...इसलिए सबसे पहले अपने दांतों को होंठों से कवर कर लेना एक दम अच्छी तरह किसी भी हालत में दांत नहीं लगना चाहिए...खंरोच भी नहीं..दूसरी बात , खोलने के पहले उस इलाके को गीला कर लेना और पूरा प्रेशर होंठ से ही लगाना..हाँ जब खुल जाय ना तो सुपाडे के साथ कोई छेड़खानी मत करना ...वरना बहोत मारूंगी.."


वो मुस्करा के बोली एकदम और फिर उनके टांगों के बीच...पहले उसने एक छोटी सी किस्सी ली सुपाडे के ऊपर और जैसे ही मैंने बोला...
"अरे ढक्कन खोल ना"

होंठ के जोर से उसने बहोत धीरे धीरे सुपाडे को हलके से खोल दिया...

लाल लाल मस्त सुपाडा..

वो देखती रही लेकिन उठने के पहले उसने सुपाडे पे एक चुम्मी ले ली,




और मेरे पास आके बैठ गयी.

वो बेचारे सोच रहे थे की कुँवारी जस्ट इंटर पास उनकी सीधी साधी बहिनिया उनका लंड अभी चूसेगी, चूस चूस के झाड़ेगी,... पर वो शैतान,... और उन्हें आज झाड़ना अभी मेरे प्लान में भी नहीं था, अभी तो सिर्फ तड़पाना था था और वो भी इस टीनेजर से,... जिससे कल पागल सांड़ की तरह इसके ऊपर चढ़ें और वो चिल्लाती रहे, चीखती रहे, हाथ पैर जोड़ती रहे लेकिन ये उसकी कुँवारी चूत के चिथड़े चिथड़े कर दें,...

लेकिन ये न इन्हे मालूम था न इनकी छुटकी बहिनिया को,...


बदमाश...मैंने बोला और उसके पीठ पे एक कस के धौल जमाई ...
वो खिस्स से हंस दी.

उनकी निगाहे हम दोनों की ओर ही थीं...प्यासी ललचाई...

" खोल दूँ उनको .."

" हाँ भाभी बिचारे..." वो बोली.

" बड़ी आई बिचारे की बिचारी...अच्छा चल..जो काम तूने पूरा नहीं किया ना वो इनसे कराते हैं..."

और मैं उनसे...बोली..

"चलो तुम्हेछोड़ते हैं लेकिन तुम्हे हम दोनों की बारी बारी से चाट के झाडने पड़ेगी..."

मैं बोली.

" मंजूर ..." वो जोर से बोले...

"लेकिन दोनों की साथ साथ झाड़नी पड़ेगी..जिसकी बाद में झडेगी...वो तुम्हारी गांड मार लेगी..."

हंस के मैं बोली...



" एकदम सही शर्त लगाई भाभी..."

हंस के मेरी ननद बोली...
लेकिन भाभी कैसी मारी जायेगी , गुड्डी ने उन्हें छेड़ते हुए मुझे उकसाया।

" वो तो जो बाद में झड़ेगी , वो तय करेगी। " हंस के मैं बोली।



गुड्डी उनका हाथ खोलने के लिए बढ़ी लेकिन मैंने मना कर दिया ,और गुड्डी को इशारा कर के मोबाइल का स्टाप वाच आन कर दिया।
 
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चटोरा ,... नंबर वन




और मैं उनसे...बोली.."चलो तुम्हेछोड़ते हैं लेकिन तुम्हे हम दोनों की बारी बारी से चाट के झाडने पड़ेगी...

" मंजूर ..." वो जोर से बोले...
"लेकिन दोनों की साथ साथ झाड़नी पड़ेगी..जिसकी बाद में झडेगी...वो तुम्हारी गांड मार लेगी..."

हंस के मैं बोली...

" एकदम सही शर्त लगाई भाभी..."हंस के मेरी ननद बोली...


लेकिन भाभी कैसी मारी जायेगी , गुड्डी ने उन्हें छेड़ते हुए मुझे उकसाया।

" वो तो जो बाद में झड़ेगी , वो तय करेगी। " हंस के मैं बोली।



गुड्डी उनका हाथ खोलने के लिए बढ़ी लेकिन मैंने मना कर दिया ,और गुड्डी को इशारा कर के मोबाइल का स्टाप वाच आन कर दिया।

मेरी छुटकी ननदिया सच में बचपन की छिनार ,... वो अपने भैया के ऊपर और उसकी सोनचिरैया उनके प्यासे होंठों से मुश्किल से इंच भर ऊपर ,

उनके हाथ बंधे , वो ऊपर उठने की कोशिश करते तो वो छिनार अपनी चुनमुनिया थोड़ा और ऊपर उठा लेती ,..

कुछ देर तरसाने तड़पाने के बाद , गुड्डी ने अपने बचपन के यार के होंठों पर अपने निचले होंठ छुआ दिए ,



,बस छुआ भर दिए , और ,..


उन्होंने भी जीभ निकाल के जीभ की टिप से चाट लिया, बस इतना काफी था , तड़प तो वो भी रही थी।

बस अब उन्होने कस के चाटना शुरू कर दिया ,जीभ से लपड़ लपड़,




गुड्डी भी अब शिथिल पड़ रही थी ,दोनों हाथों से गुड्डी ने पलंग के हेडबोर्ड को पकड़ लिया था और अपने को अपने बचपन के यार के हवाले कर दिया था।

बस , अब तो ,... वो वैसे भी नम्बरी चूत चटोरे , ... और उनके बचपन का माल ,उनकी ममेरी बहन ,...

दोनों होंठ उनके ,गुड्डी की चूत की फांको से चिपके कस कस के चूस रहे थे , और कुछ देर में जीभ उनकी चूत के अंदर ,

मस्ती के मारे गुड्डी की हालत ख़राब हो रही थी ,चेहरे उसका एकदम टेन्स , निप्स एकदम कड़े कड़े ,...

मोबाइल की स्टाप वाच मेरे हाथ में चल रही थी ,


एक मिनट ,..

और अब गुड्डी ने खुद अपनी कुँवारी अनचुदी चूत अपने भइया के होंठों पर रगड़ना शुरू कर दिया , और वो जीभ से उसकी चूत चोद रहे थे।


गुड्डी की चूत एक तार की चाशनी छोड़ रही थी , दोनों अब पूरी ताकत से ,



एक मिनट बीस सेकेण्ड ,...


वो कस कस चूस रहे थे अपनी बहना की चूत और वो वो उसी तरह चुसवा रही थी।

मेरी निगाह मोबाइल पे , और डेढ़ मिनट होते ही ,मैंने गुड्डी को खिंच के अलग कर दिया।


डेढ़ मिनट उसका नंबर और फिर डेढ़ मिनट मेरा और फिर दो मिनट गुड्डी का और फिर दो मिनट ,..

बस देखना ये था की कौन पहले झड़ती है।

जिसे बाद में वो झाड़ेंगे उसको ये हक था की वो उनकी गांड मार ले ,...

और अब मोबाइल का स्टॉपवॉच गुड्डी के हाथ में था ,

और मुझे उनकी सारी ट्रिक मालूम थी , इसलिए थोड़े ही देर में मेरी बुर अब उनका मुंह चोद रही थी ,...



और गुड्डी देख रही थी चुसवाने चटवाने की सारी ट्रिक्स ,


और अबकी गुड्डी का दो मिनट का नंबर था ,

मैंने गुड्डी के कान में कुछ कहा , वो मुस्करायी पर जोर जोर से सर हिला हिला के उसने मना किया।

मुस्करा के फिर मैं उसके कान में फुसफुसाई , उसकी आँखे चमकी वो भी मुस्करायी और मैंने स्टाप वाच ऑन कर दिया।

अब गुड्डी एक बार फिर उनके ऊपर ,गुड्डी के रसीले निचले होंठ उनके प्यासे होंठों के ऊपर

और गुड्डी कभी उनसे चटवा रहीथी तो कभी खुद अपनी चूत अपने बचपन के यार के होंठों पर रगड़ घिस, रगड़ घिस्स कर रही थी ,



और मेरी आँखे बस गुड्डी की आँखों में देख रही थी ,उससे निहोरा कर रही थीं , और वो शरारत से मुस्करा रही थी , अचानक उसने अपनी कमर उठा ली इनकी होंठों की पहुँच से दूर ,इंच भर नहीं इंच भर भी नहीं मुश्किल से सूत भर ,

उन्होंने जीभ निकाल के छूने की कोशिश की पर वो अभी जस्ट ,.. और गुड्डी मुस्करा रही थी।

इत्ते दिनों से उसकी कच्ची अमिया ने इन्हे तड़पाया था और आज उसकी रसमलाई , ... पल दो पल केबाद एक बार फिर गुड्डी ने खुद अपनी रसीली गुलाबी पंखुड़ियां उनके होंठों पर ,




और एक बार फिर उन्होंने चूसना शुरू कर दिया ,

मुझे देख के गुड्डी ने भी कुछ कुछ सीख लिया था और अब वो भी अपनी चूत से उनके मुंह को चोदने की कोशिश कर रही थी ,

एक बार फिर चूत से चाशनी निकलनी शुरू होगयी थी , और गुड्डी ने एक बार फिर अपनी कोमल कलाइयों से उनके दोनों हाथों को पकड़ा और रस से गीली चूत एक बार फिर उनकी पहुँच से दूर

सिर्फ सात सेकेण्ड

लेकिन इस सात सेकेण्ड में सात पल गुजर गए उनके।


और अब की उसने सिर्फ इतना नीचे किया की उसके भइया अपनी जीभ निकाल के ,... उसकी चूत से निकल रही मीठी चाशनी को बस चाट सकें।

लेकिन मन तो उसका भी चटवाने का चुसवाने का कर रहा था।
 
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बहना की,... रसमलाई




और अब की उसने सिर्फ इतना नीचे किया की उसके भइया अपनी जीभ निकाल के ,... उसकी चूत से निकल रही मीठी चाशनी को बस चाट सकें।

लेकिन मन तो उसका भी चटवाने का चुसवाने का कर रहा था।

और उनके खुले तड़पते होंठों के बीच गुड्डी ने अपनी चूत चिपका दी थी।



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बूँद बूँद रस उसकी योनी से सीज रहा था ,रिस रहा था और उसके भइया मेरे सैंया ,उस कुँवारी चूत का मधु रस चूस रहे थे।

एक मिनट बीस सेकेण्ड( अबकी दो मिनट का राउंड था )

एक मिनट अट्ठाइस सेकेण्ड , और गुड्डी ने एक बार फिर कमर उठा दी और अबकी कम से कम छह इंच ऊपर ,

वो तड़प रहे थे , और वो तड़पा रही थी ,


गुड्डी मेरी ओर देख के मुस्करा रही थी ,मेरी आँखों ने फिर उससे वही कहा जो मेरे होठों ने डेढ़ मिनट पहले कहा था ,

वो मुस्करायी ,और अब जब वो बैठी तो बस बैठने के ठीक पहले ,

थोड़ा सा , बस ज़रा सा , ....कमर आगे की ओर उचका दी, और अब बजाय गुड्डी की फुद्दी के गुड्डी का पिछवाड़ा , पिछवाड़े का छेद उसकी भइया के इन्तजार करते खुले होंठों के बीच ,



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" अरे चाटो चाटो ,.. उसमे भी बहुत रस है , ... " उन्हें चिढ़ाते हुए मैं बोली ।


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गुड्डी सिर्फ मेरी छुटकी ननद ही नहीं ,पक्की सहेली ,छोटी बहन की तरह , ... जो मैंने उसे सिखाया था ,कहा था ,... पूरी तरह।

गुड्डी ने जोर से अपनी गांड का छेद उनके होंठों पर और खुद आगे पीछे ,आगे पीछे ,..



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मम्मी ,मंजू बाई ,गीता और मैंने भी ,.. जो उन्हें सब खेल तमाशे सिखाये थे ,

कुछ देर में ही अपनी छुटकी बहना की वो गांड चाटने में लग गए।



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दस सेकेण्ड बचे थे ,और एक बार उनकी ममेरी बहन की चूत उनके होंठों के बीच ,


एक बार फिर रसमलाई से रस छलकने लगा ,वो चुसूर चुसूर ,..
पर दो मिनट हो गया था

और अब मेरी बुर उनके होंठ ,...


और अब मेरा नंबर था चूसने चटवाने का।

पर कुछ ही देर में क्या कोई लौंडा बुर चोदेगा जिस तरह से मेरी बुर उनका मुंह चोद रहा था ,और मेरी छुटकी ननदिया ,बगल में बैठी देख रही थी ,मुस्करा रही थी , सीख रही थी , मेरी बुर उनके होंठों पर घिस्से पर घिस्से लगा रही थी , एक पल के लिए मैं रुकी तो बाज की तरह झप्पटा मार के

मेरी ननद के यार ने अपने होंठों के बीच मेरे निचले होंठों को गड़ुप कर लिया और आज कुछ ज्यादा ही जोश में थे वो , क्या मस्त चूसना शुरू किया उन्होंने और उसी के साथ मेरे होंठों से गालियों की बहार ,

"मादरचोद ,तेरी माँ ने भोंसड़ा चूसना सिखाया था की इस एलवल की छिनार तेरी बहना ने अपनी कच्ची चूत चटा चटा के ,..."

"ओह्ह चूस साले , पहले ही बता दिया है , जो बाद में झड़ेगी वो तेरी गांड मारेगी ,गांड तो बहन के भंडुए तेरी मारी ही जायेगी"



चाहे मैं मारुं या मेरी प्यारी दुलारी ननद मारे , ...

बस मुझे मालूम था इन गालियों का क्या असर होना था , उनकी जीभ मेरी बुर में घुस गयी और हचा हच सटासट

कुछ देर में रसमलाई का रस ,... जहाँ उनके बहन की चूत का रस उनके होंठों से चिपका था वही अब मेरा रस ,

लेकिन गुड्डी के हाथ में मोबाइल का स्टाप वाच भी चल रहा था ,दो मिनट होते ही वो जोर से चिल्लाई ,स्टाप



और मैं उतर गयी।



असल में मैं पहले झड़ना भी नहीं चाहती थी गुड्डी छोटी थी ,मेरी रसीली प्यारी ननद थी ,आज उसकी इस घर में पहली रात थी।

और ये हक़ उसी का था।

और सबसे बढ़ कर मैं इनकी गांड मारने का हक छोड़ना नहीं चाहती थी।

हम दोनों की चूत गीली हो गयी थी , हल्का हलका रस बह रहा था ,


पर उनका झंडा वैसे ही खड़ा ,... हम दोनों, ननद भौजाई में से किसी ने उसे अभी छुआ भी नहीं था।
गुड्डी की आंखे वही चिपकी थी ,

और उसके भइया के मूसल चंद थे भी ऐसे , बालिश्त भर के और खूब मोटे कड़क ,...

गुड्डी ने मेरा ध्यान उसी ओर दिलाया ,

" भाभी हम दोनों ने तो थोड़ा बहुत ,.. लेकिन भैय्या का देखिये एकदम भूखा ,...बिचारे " मुंह बना के वो बोली।



"बिचारे की बिचारी, ... बड़ी परेशान हो रही है,.. अपने भैय्या के लिए। "

और मैंने गुड्डी के दोनों होंठ चूम लिए, कस के उसके कच्चे टिकोरे मसलते हुए उसके कान में फुसफुसा के चिढ़ाया

" बिचारे की बिचारी , तुझे मालूम है,... हाईस्कूल से तेरे इन टिकोरों के लिए वो बिचारी का बिचारा तड़प रहा है , ये नहीं हुआ की कम से कम जरा सा चखा देती ,कौन से छोटे हो जाते तेरे ये टिकोरे ,.. "
वो बड़ी जोर से खिलखिलाई ,फिर मेरे कान में बोली ,

" ये जो आपके बिचारे हैं न , वो पढ़ने लिखने में चाहे कितने तेज हों , ... उस मामले में एकदम बुध्दू,... मेरी कच्ची अमिया भी तो , उस का भी तो मन करता था की ये थोड़ा सा कुतर दें ,.. हाथ ही लगा दें ,... लेकिन ये आपके वो न एकदम बुधु। ... फिर मैंने भी सोच लिया चल गुड्डी अब इस बिचारे की नथ एक बार मेरी भौजी उतार दें फिर ,... नहीं छोड़ने वाली मैं "

इस बात पर उन कच्चे टिकोरों को एक बार कुतरना तो बनता था तो मैंने कुतर लिया।

मेरी निगाह भी उस तन्नाए खूंटे पर गड़ी थी , माना की आज उन्हें मुझे झड़ने नहीं देना था लेकिन थोड़ी सी पेटपूजा ,
 
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खूंटे पे




मेरी निगाह भी उस तन्नाए खूंटे पर गड़ी थी , माना की आज उन्हें मुझे झड़ने नहीं देना था लेकिन थोड़ी सी पेटपूजा ,


"तो गुड्डी थोड़ा इनको भी रसभरी का मजा चखादें ,... मैं तो तड़पाना चाहती थी इन्हे मेरी मस्त ननद को इतने दिन तड़पाया इन्होने। अब तुम कहती हो तो,... "

मैं मुस्करा के अपनी ननद के निपल्स को पिंच करते बोली।



" एकदम भाभी ,थोड़ा सा ,... देखिये कितना बौराया है। "

गुड्डी की नजर उनके तन्नाए मूसलचंद से नहीं हट रही थी।

मन तो कर रहा था मेरा भी ,

और मैं उनके ऊपर ,...

……………………………………………..




इशारा करके मैंने गुड्डी को भी बुलाया ,एकदम पास में , रिंग साइड सीट पे।

पर मेरी रानी इतनी आसानी से मेरी ननद के भैय्या को थोड़े ही मिलने वाली थी , इतना तड़पाया था उन्होंने मेरी छुटकी ननदिया को ,
" चल पहले दुल्हन का घूंघट तो खोल ,... " मैंने गुड्डी को बोला।




और अब मेरी ननद एक्सपर्ट हो गयी थी ,बस उसने अपनी कोमल कोमल मुट्ठी से हलके हलके उनके लंड को पहले सहलाया फिर एक झटके में ,

और झट्ट से उनका मोटा पहाड़ी आलू ऐसा मोटा पगलाया सुपाड़ा बाहर. देख कर ही मेरी छुटकी ननदिया के होंठों में पानी आ गया ,

लेकिन मैं तो उस बेचारी के बेचारे को और तड़पाना चाहती थी ,

जरा सा और नीचे , और मेरे लोवर लिप्स उस बेचारे के मोटे सुपाडे को सहलाते सहलाते बस छू से गए और मैंने झट से हटा लिया ,

मेरी निगाहें उस टीनेजर पर ही टिकी थी ,जो अब मेरी साजन की रखैल बनने वाली थी , बल्कि बन चुकी थी।

उसके किशोर चेहरे पर मस्ती छा रही थी ,

" हे भाभी दे दो न बिचारे भैय्या को , देखो कैसे तड़प रहे हैं " मुस्कराते हुए वो शोख बोली।




" लेकिन मेरी इस प्यारी दुलारी ननदिया को भी तो बहुत तड़पाया है उन्होंने ,... चल तू कहती है तो बस उन्हें मेरी बात माननी पड़ेगी। "
उस के भोले कमसिन चेहरे को देखते मैं बोली।

" भैय्या , ... बोल दे न। हाँ। बोल दो न भाभी को उनकी बात मानोगे " वो शरीर शोख अदा से बोली

" बोलो ,बहुत तड़पाया है तूने मेरी ननदिया को , बोलो मेरी ननद है न मस्त माल "

अब मैं उनकी आँखों में आँखे डालकर पूछ रही थी।




" हाँ बहुत मस्त है , ... " मस्ताते हुए वो बोले।

" तो बोल चोदोगे न उसको " मेरी निचली फांके अब सुपाड़े पर रगड़ रही थीं।




" हाँ ,हाँ एकदम ,...चोदुँगा। " वो कसमसा रहे थे ,नीचे से कमर उठा रहे थे उचका रहे थे।

" रोज बिना नागा चोदना होगा ,समझ लो। " मैं भी अब अपनी फांके उनके मोटे सुपाड़े पर कमर हिला हिला के रगड़ रही थी। "

" एकदम ,बस जरा सा दो न ,... "

अब सच में उनकी हालत खराब हो रही थी। लेकिन मैं गुड्डी से पूछ रही थी ,धीरे से एकदम लेडीज ओनली टाक की तरह ,



" हे तेरी आंटी जी ,.. "

मेरी बात समझ के वो शोख खिलखिलाते हुए बोली,

" अरे भाभी ,जिस दिन आप लोग आयी हैं बस उसी दिन टाटा बाई बाई किया था उनको ,फिर २५ दिन की छुट्टी। " अपने पीरियड की डेट्स के बारे में,... भाई भी उसके कान पारे सुन रहे थे।




मैंने जल्दी से जोड़ा ,सात दिन हम लोग इनके मायके में थे इसका मतलब अभी बिना किसी हिचक के ,१८ दिन तक इसकी हचक के ,... पिल ये लेती ही है। मैंने खुद दी थी महीने भर का कोटा ,..

" दे दूँ न ,चल अब तेरे भइया जिस दिन भी नागा करेंगे न ,... " मैंने गुड्डी से पूछा।

वो किशोरी इस तरह हंसी,... दूध खील बिखर उठे ,

" दे दो न भौजी ,"



( बात असली ये थी की मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था,... स्साला इत्ता मस्त खड़ा खूंटा देख के किसकी चुनमुनिया में आग नहीं लगेगी, और इनकी छुटकी बहिनिया ने चूस चाट के मुझे किनारे पर पहुँचाया जरूर था, पर पार नहीं लगाया था, ऐन मौके पे मैंने ब्रेक लगा दिया था। )

गचाक गच्चाक ,

गप्प



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गप्पाक
मैंने उसके भइया की पतली केहरि कटि पकड़ी और पूरी ताकत से जैसे गौने की रात कोई दूल्हा दुल्हन की सील तोड़ता है उसी तरह

एक बार दो बार


तीसरी बार में उनका मोटा सुपाड़ा मेरी बुर के अंदर

गच्चाक




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और मेरी मसल्स ने उस को कस के दबोच लिया , वो लाख कमर उठायें ,धक्का मारने की कोशिश करें ,

वो सूत भर भी सरक् नहीं सकता था।

गुड्डी बहुत ध्यान से देख रही थी।

मेरी कसी कसी रसीली बुर में फंसा , धंसा उनका मोटा सुपाड़ा , मेरी बुर के अंदर रगड़ता, दरेरता अब एक सूत भी न अंदर जा सकता था न बाहर निकल सकता था।

गुड्डी के भैय्या ,उस बिचारी के बिचारे , मेरे नीचे दबे , मेरी बुर में धंसे,

बार बार वो कोशिश कर रहे थे , कमर उचकाने की, नीचे से धक्का लगाने की , पर वो सूत भर भी नहीं हिला।

कुछ देर तक उन्हें तड़पाने तरसाने के बाद ,जोर जोर से उनके मोटे सुपाड़े को अपनी बुर से भींचने , स्क्वीज करने के बाद मैंने गुड्डी को की ओर मुंह किया और पूछा ,

" हे गुड्डी हो गया न ,अब निकाल लूँ। "



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" नहीं नहीं भाभी , देखिये भैया ने तो साढ़े तीन मिनट तक,... अभी तो आपने बस शुरू ही ,... " उनकी ममेरी बहन घबड़ा के बोली।

" चल यार तू भी क्या याद करेगी ,मेरी एकलौती छुटकी ननद है ,आज तेरी पहली रात है यहां ठीक है तीन मिनट और ,... " मैं बोली।

" अरे नहीं भाभी ,मेरी अच्छी भाभी ,... तीन मिनट में क्या ,... फिर भैय्या ने साढ़े तीन मिनट तो मेरे साथ भी ,... "



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गुड्डी ने जिस तरह रिक्वेस्ट किया मैं क्या कोई भी नहीं मना कर सकता था लेकिन मैंने भी उससे रिक्वेस्ट कर दी ,
" चल यार तू भी क्या याद करेगी ,... लेकिन साढ़े तीन मिनट तेरे भैय्या ने तेरी चूसी थी तो तू भी आ जा मेरे साथ ,... "

खूंटे पर तो मैं चढ़ी थी , गुड्डी की सवालिया निगाहों का मैंने इशारे से भी जवाब दिया और बोल के भी समझाया ,


मैंने उसके भैय्या की बॉल्स की ओर इशारा किया , और होंठों से अपने चूसने का भी , फिर बोला भी

" अरे यार गन्ने का मजा तो मैं ले रही हूँ लेकिन रसगुल्ला तो मैंने अपनी ननद के लिए छोड़ रखा है न ,असली कारखाना हो वही है मलाई रबड़ी बनाने का। "
गुड्डी थोड़ा ठिठकी ,जरा सा झिझकी ,पर आ कर अपने बचपन के यार के पैरों के बीच बैठ गयी , एक पल वो रुकी , फिर झुक के उसने इनके पेल्हड़ ( बॉल्स ) पर हलके से चुम्मा ले लिया।



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फिर जीभ की टिप से उसे बस छू भर दिया ,
 
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Luckyloda

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जोरू का गुलाम ( दूसरा हिस्सा )

भाग १५८


रेशमी उजाला है मखमली अँधेरा




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मम्मी स्काइप से गायब हो गयी थीं और मैं भी ,... गुड्डी की पदचाप ने मुझे सोच से वापस ला दिया



…………………….


सबसे पहले पेट पूजा ,
आधी बोतल काले कुत्ते की खाली हो गयी ,




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ये ब्लैक डॉग की बॉटल मैंने इसी मौके के लिए रखी थी , जब इनकी बहन इनके साथ बिस्तर पर होगी , हमारे घर में।

और मैं और गुड्डी दोनों इन्हे छेड़ रहे थे ,एक तरुणी ,एक किशोरी

३४ सी और ३२ सी के बीच में दबे ये ,...



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हम लोगों के बेबी डाल, ब्लैक डॉग की बॉट्ल के साथ ही सरक कर बिस्तर पर चले गए थे , हम दोनों लेसी ब्रा पैंटी में


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और वो सिर्फ शार्ट में

"हे देख कैसे कुनमुना रहे हैं ..." मेरी ननद बोली.

" तेरे बारे में सोच सोच के लेकिन चल पहले मेरे बारी है..." मैंने बोला.

मेरे वो बगल में लेटे थे. मैंने और गुड्डी ने मिल के उन्हें पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया था

और मैंने पहले तो गुड्डी की ३२ सी ब्रा उनके चेहरे पे फिराई फिर उनकी मुश्के हम दोनों ने मिल के बाँध दी. गुड्डी प्रेसिडेंट गाइड थी और गाँठ बांधने में एक दम एक्सपर्ट...अब वो बिचारे लाख दम लगा दें टस से मस नहीं हो सकते थे.

मैंने गुड्डी के कान में कुछ बोला और मुस्करा के उसने अपने नितम्बो तक लम्बे घने पूरी तरह खुले बालों को आगे कर लिया और सीधे उनके ऊपर...और उस तह की उस किशोरी का कोई भी अंग " मेरे उनके' देह से नहीं छु रहा था.

वो मुस्करा रही थी.



वो पागल हो रहे थे.


कभी अपनी देह उचकाते...कभी पलंग से बंधे हाथ छुड़ाने की कोशिश करते लेकिन...सब बेकार...बस आँखों से उसकी जवानी का मस्त रस पान कर सकते थे...

" अरे यार तेरा ही माल है...तेरे लिए ही इसे पटा के ले आई हूँ...लेकिन अभी तड़पो थोड़ी देर..".मैंने सोचा.




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गुड्डी ने अपने लम्बे बाल उनके चेहरे पे लहरा दिया...बस उसकी छुअन ...तड़पन...बेचारे...और फिर और थोडा झुक के बालों के परदे के भीतर से उसने रसीले होंठों से उनके होंठों को छु भर दिया.

440 वोल्ट का करेंट हल्का होता..

पलंग पे उसकी कुहनियाँ टिकी थीं...उनकी देह के एकदम पास .. वो थोड़ा और पीछे सरकी और अब उसके बाल लम्बे केश उनकी छाती पे थे...और दोनों एक दूसरे को देख के मुस्करा रहे थे..

वो अपनी गरदन को हलकी सी जुम्बिश दे के कभी अपने बालों को उनकी छाती पे सहला देती , कभी थोड़ा नीचे होके उन्हें हलके से रगड़ देती...

बालों के परदे से उसके उभार थोड़ा छुपते थोडा दीखते...


वो बिचारे ....'वो' एकदम तन्नाया खड़ा था.




मैं कुहनी और पेट के बल लेट के पास से खेल देख रही थी.



गुड्डी थोड़ा और नीचे सरकी..उसके बाल अब उनके पेट के निचले भाग के पास सहला रहे थे.

वो सोच रहे थे की गुड्डी के बाल अब वहां टच करेंगें ...पर वो शैतान ...उसने बालों की एक लट बनायी खूब मोटी और उससे...' उसको' बाँध दिया...

और फिर ऊपर नीचे ..४-५-६ बार...


साथ में उसकी शरारती निगाहें जिस तरह मुस्कराते हुए उनके चेहरे को देख रही थीं और साथ में अब बिलकुल खुले उसके किशोर उभार ...जैसे दावत दे रहे हों...



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वो बेचैन होके बार बार अपने चूतड उचकाते ...

लेकिन ब्रा की गाँठ बड़ी तगड़ी थी...

गुड्डी ने 'उसे' तो बालों से आजाद कर दिया लेकिन अब वो रेशमी जुल्फें उनकी जाँघों पे सितम ढा रही थीं.


अचानक वो उनके ऊपर से उठ के अलग हो गयी और मेरे पास आके बैठ गयी. वहीँ से उसने उन्हें एक जबरदस्त फ्लाईंग किस दिया...

वो उसे लालची निगाहों से देख रहे थे.



" कैसे देखते हो आप ..नदीदे ..." दोनों हाथों से अपने जोबन को छुपाने की कोशिश करते हुए वो जालिम अदा के साथ बोली...



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" आंखों पे पट्टी बाँध दूं क्या..." मैंने मुस्कराते हुए पुछा.

"एकदम भाभी..." वो बोली..



" तो इससे अच्छा और क्या होगा..."

और मैंने एक झटके में झट उसकी काली शियर ट्रांसपरेंट लेसी थांग खींच ली




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और पहले तो दोनों हाथ से उनका मुंह खुलवा के अंदर घुसेड के उसका स्वाद चखाया और फिर उनकी आंखों पे...
Bhut shandaar update bhabhi....
 

Luckyloda

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ब्लाइंडफोल्ड






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" कैसे देखते हो आप ..नदीदे ..." दोनों हाथों से अपने जोबन को छुपाने की कोशिश करते हुए वो जालिम अदा के साथ बोली...

" आंखों पे पट्टी बाँध दूं क्या..." मैंने मुस्कराते हुए पुछा.

"एकदम भाभी..." वो बोली..



" तो इससे अच्छा और क्या होगा..." और मैंने एक झटके में झट उसकी काली शियर ट्रांसपरेंट लेसी थांग खींच ली और पहले तो दोनों हाथ से उनका मुंह खुलवा के अंदर घुसेड के उसका स्वाद चखाया और फिर उनकी आंखों पे...



दो इंच का थांग ना गुड्डी की जवानी को, उसकी गोरी चिकनी 'परी' को अच्छी तरह छिपा पा रहा था और ना ही उनके आँख को पूरी तरह ढक पा रहा था...बस आँखे कुछ कुछ ढँक गयी थीं.

"चल अब हमारा तुम्हारा खेल शुरू ..."



ये कह के हंसते हुए मैंने उसे हल्का सा धक्का दिया और वो सीधे ..उनके..अपने भैया के बगल में..एक बित्ते की भी दूरी नहीं रही होगी दोनों में...बस बिचारे हमने जो मुश्के बाँधी थी हिल डुल नहीं पा रहे थे ...आँखों पर भी उनके माल की सेक्सी जालीदार थांग बंधी थी...हाँ झलक तो उन्हें मिल ही रही थी पैंटी से छन छन के..

" नहीं भाभी..." वो अदा दिखा रही थी लेकिन उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आँखे चुगली कर रही थीं की बस...अब...

मैंने उसकी दोनों बाहों को पकड़ के उसके सर के नीचे रख दिया..और अगले पल मेरे होंठ उसके होंठों पे ...

जैसे कोई भोंरा नयी खिली हवा में हिलती डुलती कली पे बैठ जाये..




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पहले एक हलकी सी किस्सी ...फिर कस के मैंने उसके निचले रसीले गुलाबी होंठ को अपने होंठ के बीच में ले के कस के चूसना चुभलाना शुरू कर दिया और साथ साथ बीच में बोलती भी जाती थी,

" क्या मस्त रसीले होंठ है यार तेरे...जब इन होंठों में इत्ता रस है तो निचले वाले तो एक रस की खान होंगे...ओह वाह...उम्ह्ह उम्ह्ह ..."



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ये सब उनको तडपाने तरसाने के लिए था ...



( तड़प तो वो बिचारे ना जाने कब से रहे थे अपनी इस कजिन के लिए ...जब से उसके जोबन ने अंगड़ाई लेनी शुरू की थी...जब से टिकोरे आने शुरू हुए थे).

मेरे लम्बी उंगलिया साथ उसके गोरे गुलाबी गालों को , कन्धों को सहला रही थीं. एक उनगली उतर के ठीक उसके उभार के नीचे आगयी और वहां उसने हलके से छेड़ना शुरू कर दिया.

मेरे होंठ भी नीचे उतर के पहले उसकी लम्बी गर्दन के पास एक पल के लिए ठहरे ...एक हलकी सी किस के बाद उसके खूबसूरत कंधे ...जैसे कोई तितली एक बाग़ में एक फूल से दूसरे फूल पे उडती फिरे बस वही हालत मेरे प्यासे होंठों की हो रही थी..

और फिर सीधे उसके किशोर गदराये मस्त उभारों के नीचे..हलके हलके छोटे छोटे चुम्बन, साथ में मैं अपनी जीभ से उसके उभारों को छेड़ भी दे रही थी..




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वो सिसक रही थी, गिनगिना रही थी...मैंने आँखे उठा के उसके चेहरे को देखा...



गजब की मस्ती थी बस रस बरस रहा था...आँखे अधखुली सी होंठ अपने आप हिल रहे थे...

थोडा बहोत खेल तमाशा तो पहले भी उसके साथ किया था ' इनके ' मायके में ...लेकिन


आज वो उसके 'बचपन के यार कम भैया' बगल में लेटे थे ...

और मैं अपने घर में थी...

मालकिन, अपने घर की भी और अपने घर वाले की भी



बहोत हुयी अब आँख मिचौली खेलूंगी अब रस की होली...
Sahi Baat Hai...aur kitna intjaar karna.....



Holi shuru karo... kunwara Maal hai aur kuch hi der ka hai.... Phir to phatni hi hai...



Le lo kuware kali ka ras...
 

Luckyloda

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खूंटे पे




मेरी निगाह भी उस तन्नाए खूंटे पर गड़ी थी , माना की आज उन्हें मुझे झड़ने नहीं देना था लेकिन थोड़ी सी पेटपूजा ,


"तो गुड्डी थोड़ा इनको भी रसभरी का मजा चखादें ,... मैं तो तड़पाना चाहती थी इन्हे मेरी मस्त ननद को इतने दिन तड़पाया इन्होने। अब तुम कहती हो तो,... "

मैं मुस्करा के अपनी ननद के निपल्स को पिंच करते बोली।



" एकदम भाभी ,थोड़ा सा ,... देखिये कितना बौराया है। "

गुड्डी की नजर उनके तन्नाए मूसलचंद से नहीं हट रही थी।

मन तो कर रहा था मेरा भी ,

और मैं उनके ऊपर ,...

……………………………………………..




इशारा करके मैंने गुड्डी को भी बुलाया ,एकदम पास में , रिंग साइड सीट पे।

पर मेरी रानी इतनी आसानी से मेरी ननद के भैय्या को थोड़े ही मिलने वाली थी , इतना तड़पाया था उन्होंने मेरी छुटकी ननदिया को ,
" चल पहले दुल्हन का घूंघट तो खोल ,... " मैंने गुड्डी को बोला।




और अब मेरी ननद एक्सपर्ट हो गयी थी ,बस उसने अपनी कोमल कोमल मुट्ठी से हलके हलके उनके लंड को पहले सहलाया फिर एक झटके में ,

और झट्ट से उनका मोटा पहाड़ी आलू ऐसा मोटा पगलाया सुपाड़ा बाहर. देख कर ही मेरी छुटकी ननदिया के होंठों में पानी आ गया ,

लेकिन मैं तो उस बेचारी के बेचारे को और तड़पाना चाहती थी ,

जरा सा और नीचे , और मेरे लोवर लिप्स उस बेचारे के मोटे सुपाडे को सहलाते सहलाते बस छू से गए और मैंने झट से हटा लिया ,

मेरी निगाहें उस टीनेजर पर ही टिकी थी ,जो अब मेरी साजन की रखैल बनने वाली थी , बल्कि बन चुकी थी।

उसके किशोर चेहरे पर मस्ती छा रही थी ,

" हे भाभी दे दो न बिचारे भैय्या को , देखो कैसे तड़प रहे हैं " मुस्कराते हुए वो शोख बोली।




" लेकिन मेरी इस प्यारी दुलारी ननदिया को भी तो बहुत तड़पाया है उन्होंने ,... चल तू कहती है तो बस उन्हें मेरी बात माननी पड़ेगी। "
उस के भोले कमसिन चेहरे को देखते मैं बोली।

" भैय्या , ... बोल दे न। हाँ। बोल दो न भाभी को उनकी बात मानोगे " वो शरीर शोख अदा से बोली

" बोलो ,बहुत तड़पाया है तूने मेरी ननदिया को , बोलो मेरी ननद है न मस्त माल "

अब मैं उनकी आँखों में आँखे डालकर पूछ रही थी।




" हाँ बहुत मस्त है , ... " मस्ताते हुए वो बोले।

" तो बोल चोदोगे न उसको " मेरी निचली फांके अब सुपाड़े पर रगड़ रही थीं।




" हाँ ,हाँ एकदम ,...चोदुँगा। " वो कसमसा रहे थे ,नीचे से कमर उठा रहे थे उचका रहे थे।

" रोज बिना नागा चोदना होगा ,समझ लो। " मैं भी अब अपनी फांके उनके मोटे सुपाड़े पर कमर हिला हिला के रगड़ रही थी। "

" एकदम ,बस जरा सा दो न ,... "

अब सच में उनकी हालत खराब हो रही थी। लेकिन मैं गुड्डी से पूछ रही थी ,धीरे से एकदम लेडीज ओनली टाक की तरह ,



" हे तेरी आंटी जी ,.. "

मेरी बात समझ के वो शोख खिलखिलाते हुए बोली,

" अरे भाभी ,जिस दिन आप लोग आयी हैं बस उसी दिन टाटा बाई बाई किया था उनको ,फिर २५ दिन की छुट्टी। " अपने पीरियड की डेट्स के बारे में,... भाई भी उसके कान पारे सुन रहे थे।




मैंने जल्दी से जोड़ा ,सात दिन हम लोग इनके मायके में थे इसका मतलब अभी बिना किसी हिचक के ,१८ दिन तक इसकी हचक के ,... पिल ये लेती ही है। मैंने खुद दी थी महीने भर का कोटा ,..

" दे दूँ न ,चल अब तेरे भइया जिस दिन भी नागा करेंगे न ,... " मैंने गुड्डी से पूछा।

वो किशोरी इस तरह हंसी,... दूध खील बिखर उठे ,

" दे दो न भौजी ,"



( बात असली ये थी की मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था,... स्साला इत्ता मस्त खड़ा खूंटा देख के किसकी चुनमुनिया में आग नहीं लगेगी, और इनकी छुटकी बहिनिया ने चूस चाट के मुझे किनारे पर पहुँचाया जरूर था, पर पार नहीं लगाया था, ऐन मौके पे मैंने ब्रेक लगा दिया था। )

गचाक गच्चाक ,

गप्प



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गप्पाक
मैंने उसके भइया की पतली केहरि कटि पकड़ी और पूरी ताकत से जैसे गौने की रात कोई दूल्हा दुल्हन की सील तोड़ता है उसी तरह

एक बार दो बार


तीसरी बार में उनका मोटा सुपाड़ा मेरी बुर के अंदर

गच्चाक




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और मेरी मसल्स ने उस को कस के दबोच लिया , वो लाख कमर उठायें ,धक्का मारने की कोशिश करें ,

वो सूत भर भी सरक् नहीं सकता था।

गुड्डी बहुत ध्यान से देख रही थी।

मेरी कसी कसी रसीली बुर में फंसा , धंसा उनका मोटा सुपाड़ा , मेरी बुर के अंदर रगड़ता, दरेरता अब एक सूत भी न अंदर जा सकता था न बाहर निकल सकता था।

गुड्डी के भैय्या ,उस बिचारी के बिचारे , मेरे नीचे दबे , मेरी बुर में धंसे,

बार बार वो कोशिश कर रहे थे , कमर उचकाने की, नीचे से धक्का लगाने की , पर वो सूत भर भी नहीं हिला।

कुछ देर तक उन्हें तड़पाने तरसाने के बाद ,जोर जोर से उनके मोटे सुपाड़े को अपनी बुर से भींचने , स्क्वीज करने के बाद मैंने गुड्डी को की ओर मुंह किया और पूछा ,

" हे गुड्डी हो गया न ,अब निकाल लूँ। "



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" नहीं नहीं भाभी , देखिये भैया ने तो साढ़े तीन मिनट तक,... अभी तो आपने बस शुरू ही ,... " उनकी ममेरी बहन घबड़ा के बोली।

" चल यार तू भी क्या याद करेगी ,मेरी एकलौती छुटकी ननद है ,आज तेरी पहली रात है यहां ठीक है तीन मिनट और ,... " मैं बोली।

" अरे नहीं भाभी ,मेरी अच्छी भाभी ,... तीन मिनट में क्या ,... फिर भैय्या ने साढ़े तीन मिनट तो मेरे साथ भी ,... "



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गुड्डी ने जिस तरह रिक्वेस्ट किया मैं क्या कोई भी नहीं मना कर सकता था लेकिन मैंने भी उससे रिक्वेस्ट कर दी ,
" चल यार तू भी क्या याद करेगी ,... लेकिन साढ़े तीन मिनट तेरे भैय्या ने तेरी चूसी थी तो तू भी आ जा मेरे साथ ,... "

खूंटे पर तो मैं चढ़ी थी , गुड्डी की सवालिया निगाहों का मैंने इशारे से भी जवाब दिया और बोल के भी समझाया ,


मैंने उसके भैय्या की बॉल्स की ओर इशारा किया , और होंठों से अपने चूसने का भी , फिर बोला भी

" अरे यार गन्ने का मजा तो मैं ले रही हूँ लेकिन रसगुल्ला तो मैंने अपनी ननद के लिए छोड़ रखा है न ,असली कारखाना हो वही है मलाई रबड़ी बनाने का। "
गुड्डी थोड़ा ठिठकी ,जरा सा झिझकी ,पर आ कर अपने बचपन के यार के पैरों के बीच बैठ गयी , एक पल वो रुकी , फिर झुक के उसने इनके पेल्हड़ ( बॉल्स ) पर हलके से चुम्मा ले लिया।



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फिर जीभ की टिप से उसे बस छू भर दिया ,
Rasgulla ka swad...... kya jabardast likhti ho bhabhi aap....



Guddi ko full trained kar ke hj randi bnaougi aap
 

Luckyloda

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बहोत हुयी अब आँख मिचौली खेलूंगी अब रस की होली...



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ननदिया का रस

जैसे कोई बाज झपटे ..मेरे प्यासे होंठों ने उसके खड़े कड़े निपल्स को गपक लिया...पहले तो हलके हलके चुम्बन और फिर..हलके से सिर्फ होंठो से दबा कर...

बड़ी जोर से उसकी सिसकी निकल गयी..

मैंने दांतों से बहोत हलके से काटा..

उयीई ओह्ह वो चीखी....



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'उनके' हाथ बंधे थे थोड़ी सी आँखे भी लेकिन कान तो दोनों खुले थे...

मैंने जीभ से निपल के टिप को थोडा सा सहलाया और फिर एक बार...अबकी थोड़े ज्यादा जोर से बाईट किया...

युईईईईईइ ...वो जोर से चीखी ...लेकिन साथ ही मस्ती में उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपने उभारों पे दबा दिया.

" अभी तो शुरुआत है जानम मेरे घर में आई हो...देखना क्या क्या होता है तुम्हारे साथ...और फिर दो दिन में कमल और अजय जीजू भी रिनू के साथ काठमांडू से लौट के आने वाले हैं...फिर तो.." मैंने सोचा

और साथ में दूसरा निपल मेरे अगुठे और तरजनी के बीच ..पहले तो हलके हलके दबाया और फिर कस के भींच दिया....मेरे लम्बे नाखूनों ने भी निपल पे हलके से खरोंच के निशान बना दिए ..



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थोड़ी देर में पूरा उभार मेरे होंठों के हवाले था...मैं चूस रही थी चाट रही थी...हलके हलके बाईट कर रही थी


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और दूसरा जोबन मेरे हाथ कस कस के मसल रहे थे रगड़ रहे थे ..

वो मस्ती में मेरे बालों को कस कस के खिंच रही थी अपने छोटे छोटे चूतड बिस्तर पे पटक रही थी...रगड़ रही थी...

मैंने एक पल के लिए कनखियों से साइड में देखा...

बिचारे 'वो' उनकी तो हालत खराब थी..अपनी सीधी साधी बहना से भी ज्यादा ...वो तड़प रहे थे मचल रहे थे और कनखियों से हम दोनों का खेल तमाशा देख रहे थे ...

मैंने उसके उभार दोनों हाथों से पकड़ के उन्हें दिखाते हुए कस के चूम लिया...मानों कह रही होऊं ..." लोगे क्या ..तेरा ही तो माल है जानम..."

और फिर मेरे होंठो ने पहाड़ों से उतर के घाटी का रास्ता पकड़ा ...उसकी पतली कमर चिकना पेट गहरी नाभी..रस का कुंवा तो अभी नीचे था....


लेकिन उसके जोबन आजाद होगये हों ऐसा नहीं था.,..

मेरे अब तक इन्तजार कर रहे दोनों हाथों ने उन्हें धर दबोचा और अब तक जितना उन्होंने ने मेरे सैयां को...उसके शहर के सारे लौंडों को तडपाया था उसका बदला लेने लगे..हलके हलके नहीं कस के...



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मैंने अपना चेहरा एक पल के लिए ऊपर किया गुड्डी एक दम मस्ती में डूबी थी और वही हालत उनके भाई की भी थी...( कजिन ही सही कहती तो वो भैय्या ही)

दोनों को देख के मैंने एक लाइन गाई जो उन्हें छेड़ने के लिए मैं और मेरी जिठानी गाते थे ...




छोट छोट जोबना दाबे में मजा देय अरे ..छोट छोट जोबना दाबे में मजा देय ..

अरे ननदी हमारी अरे बहना तुम्हारी चोदे में मजा देय ...


साढे तीन बजे गुड्डी जरूर आना साढे तीन बजे...ऐल्वल से


( ऐल्वल उसके मुहल्ले का नाम था जहाँ उनकी कजिन रहती थी)

और कस के एक बात फिर अपनी ननद के होंठों को चूम लिया. अबकी उसने भी उतने ही जोर से रिस्पाण्ड किया. मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठ के बीच ले के वो चूस रही थी चुभला रही थी...दो पल के बाद मैंने उसके दोनों होंठों को अपने होंठों के बीच दबाया और अपनी लम्बी जीभ उसके मुंह मने घुसेड दी जैसे कोई लंड चुसाने के लिए पेल रहा हो...



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थोड़ी देर की टंग फाईट के बाद वो मेरे जीभ को हलके हलके चूसने लगी...
मेरे सैयां की बहन सीखती बहोत तेज थी...सिखाने के लिए ही तो उसे हम अपने साथ लाये थे




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मेरे दोनों हाथ अभी भी कस कस के उसकी चून्चियां दबा रहे थे.

मेरे दोनों टांगों ने उसकी दोनों लम्बी टांगों के बीच जाके अच्छी तरह फैला दिया था.मेरी भरी भरी जांघे अब उसकी जाँघों से रगड़ रही थीं..

गुड्डी ने अपने लम्बे नाखून कस के मेरे कन्धों में धंसा दिए थे.

मैंने जैसे ही अपने होंठ उसके नरम गुलाबी होंठों से अलग किये ...वो कस कस के मुझे किस करने लगी.

मैंने अपनी दोनों जांघें उसके चेहरे के थोड़ी ऊपर की और वो इशारा समझ गयी.

मेरी लाल मुनिया अभी भी बंद थी...उसने अपनी लम्बी उँगलियों से मेरी लेसी गुलाबी पैंटी को एक झटके में खिंच के नीचे कर दिया...अब मेरी चिकनी चमेली उसके होंठों से इंच भर की दूरी पे थी...




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बगल में लेटे वो भी टुकुर टुकुर देख रहे थे ....



मैंने शरारत से गुड्डी की एक उंगली खिंच के अपनी कसी गुलाबी लव लिप्स के ऊपर रगडा और उसकी टिप्स भीतर तक डाल के कस के भींच ली ...

रस में लथपथ उंगली की टिप निकाल के अपने हाथ से पकड़ के मैंने उनके होंठों के ऊपर रगड़ दिया..

मेरा योनी रस तो उन्होंने बहोत चखा था लेकिन अपनी ,'सीधी साधी बहन' की उंगली से...ये मौका पहला था ...

मैंने नीचे देखा तो...उनके हथियार की हालत ख़राब थी...पूरा तन्नाया जोश से पागल हो रहा था ...
Btou ye koi Baat Hai... hamesha ras m dube rahne walo.ko.kaise tadpaya Jaa rha hau......




Guddi k liye use khatarnaak mod m laga ja rha hai.... jisse wo bokhlaya saand uas kachchi kalj par jara bhu raham na kare.... aur khoon khacchar aur shor sharaba me koi kami na rahe
 
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