कच्चे टिकोरों के रसिया ,
" तुझे बुरा नहीं लगा , तेरे स्कूल की लड़कियां इनका नाम ले ले के तुझे छेड़ती थीं " मैंने उसके उभार प्यार से सहलाते पूछा।
" उन्हह , भाभी अच्छा लगता था। बस वो बेचारे ललचाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते , ... और मैं उन्हें खूब दिखा दिखा के ,उभार उभार के ललचाती। बहुत मजा आता था , बल्कि छन्दा तो बोलती थी यार तेरे भइया से कुछ नहीं होगा , तू ही उनका खोल के ,... '
" तेरा क्या मन करता थी की वो क्या करें ,... " मैंने बात साफ़ साफ़ पूछी।
" आप भी न भाभी ,आप को मालूम नहीं क्या की जब नयी नयी जवान होती लड़की के जोबन उठने शुरू होते हैं तो क्या मन करता है उसका ?' उसने बात घुमाने की कोशिश की और मैंने कस के उसके निपल उमेठ दिए ,
" बोल साफ़ साफ़ न ,वरना ,... " और उस शोख ने बोल दिया।
" वही भाभी , ... रगड़वाने , मिजवाने ,मसलवाने का ,... मेरी किसी भी सहेली के पास दो चार से कम नहीं थे ,मीजने रगड़ने वाले ,हाईस्कूल में भी। पर , पर भइया बहुत सीधे थे सिर्फ बिचारे ललचाते रहते थे। "
बात उसकी एकदम सही थी , बहुत सीधे थे वो। ससुराल में भी कोहबर में इनकी इतनी रगड़ाई हुयी थी लेकिन बोल नहीं फूटे ,... बात मैंने थोड़ी बदली ,
," और तेरी गली में इन कच्चे टिकोरों के रसिया ,... "
मेरी बात काट के वो खिलखला के बोली ,
" बारह नहीं ,... पंद्रह ,... "
" सिर्फ पन्दरह ,... " मैंने उसे चिढ़ाते हुए भौंह तरेर कर कहा।
" अरे भाभी , आप ने भी तो सिर्फ मेरी गली के बारे में पूछा। मेरी गली भी तो बहुत छोटी है हाँ आप सड़क , मेरा मोहल्ला ,स्कूल के बाहर खड़े रहने वाले जोड़ ले तो चालीस बयालीस ,... सबसे ज्यादा मेरी लिस्ट ही लम्बी थी। और वो सिर्फ ललचाते नहीं था , उन का बस चलता तो रगड़ना ,मीजना ,मसलना ,... लेकिन ,...”
"लेकिन ,... " मैं भी अपनी ननद के यारों की लिस्ट के बारे में जानना चाहती थी।
" लेकिन ,... अरे भाभी आप ने ही तो मेरी गुलाबो के बारे में कहा था , इस पर जिसका नाम लिखा होगा वही उसको फाड़ेगा , तो बस उसी ने फाड़ा। और उसी का नाम मेरी अमिया पर भी लिखा था , बाकी लोग ललचाते लार टपकाते रह गए। " हंस के वो टीनेजर बोली।
बात उस की एकदम सही थी , मेरी शादी में जो उसने अपने छोटे छोटे टीनेज उभार उछाल उछाल के डांस किया था , लड़के तो छोड़िये ,कोई मर्द नहीं था जो उसके टिकोरों को देख के लार नहीं टपका रहा था।
" अच्छा देखती हूँ तेरी अमिया पर ,... " और मैंने अपना चेहरा उस के टेनिस बाल साइज बूब्स के पास कर के जैसे पढ़ने का नाटक किया , थोड़ी देर कोशिश करती रही , फिर बोली,
" अरे यार ये ,तो बड़ी लम्बी लिस्ट है , इसे दबाने मीजने रगड़ने वालों की ,४८ , ... नहीं ९१ ,... नही १०० से ऊपर है नाम। "
हंसती खिलखिलाती मेरी शरारत समझती वो बोली ,
" अरे भाभी होगी ,होगी लेकिन सबसे पहला नाम किसका है ,... ये तो देखिये "
" उसी का है जिसने तेरी फाड़ी। " मैंने कबूला ,फिर जोड़ा लेकिन ,... उसके बाद ,...
" अरे भाभी उसके बाद की बात उसके बाद ,... नाम तो उद्घाटन करने वाले का होता है। " गुड्डी सच में समझदार थी।
झुक कर मैं अब उसकी चुनमुनिया देखने लगी ,
" हे यहाँ भी लम्बी लिस्ट है ,... " पर अब बिना उसकी बात का इन्तजार किये , मेरे होंठ उसकी चिकनी चमेली पर
और बजाय कुछ बोलने के वो सिसकने लगी। पहले तो मैं हलके हलके चूस रही थी पर कुछ देर में ही मेरी जीभ उसकी चूत में , वो क्यों छोड़ती मुझे ,... मैं भौजाई थी तो वो भी तो ननद थी मेरी। हम दोनों अब 69 की पोज मेंक्या मस्त मलाई थी , मेरी छुटकी ननदिया की। ,उसकी जीभ के पहले मैंने ऊँगली ट्राई की , ऊँगली उसके मैंने पहले भी की थी। कौन भौजाई होगी जो अपनी कुँवारी कच्ची ननद की ऊँगली न की , होली हो , कोई बहाना हो या न हो ,...
कल उसकी फट चुकी थी ,और तब से अबतक ,दस बार चुद चुकी थी , लेकिन वैसे ही कसी की कसी , मुश्किल से एक ऊँगली घुसी।
इसका मतलब मेरा ननद ,कित्ता भी ,कितनों भी से चुदेगी उसकी बिलिया वैसे ही कसी की कसी रहेगी , हर मर्द के लिए चुनौती होगी , मैंने दूसरी ऊँगली भी ठेली पर बहुत कोशिश के बाद भी एक पोर भी मुश्किल से नहीं घुस पायी। ऊँगली के बाद जीभ का नंबर था , अंदर गोल गोल , और मेरे होंठ ननद रानी की चुनमुनिया से चिपके ,
गुड्डी सच में क्विक लरनर थी ,जो जो मैं कर रही थी उसकी चुनमुनिया वही मेरे साथ मेरी ननदिया भी , उसकी जीभ अब मेरी बिलिया में ,
मस्त चूस रही थी ,चाट रही थी और जीभ उसकी कभी अंदर बाहर कभी गोल गोल ,
जवाब में मैं भी अपनी बुर ननद रानी के मीठे मीठे होंठों पर रगड़ रही थी। एक नौसिखिया टीनेजर से बुर चुसवाने चटवाने का मजा ही अलग है।
मैंने अपनी जाँघों से कस के गुड्डी के सर को दबोच रखा था , और जम कर उसके शहद से मीठे होंठों को रगड़ रही थी।
तबतक मैंने देखा की बिचारे वो चुपके चुपके तांक झांक ,... मैंने ग्रीन सिग्नल दे दिया ,लेकिन इशारे से बोल दिया , एकदम चुपचाप ,
और वो अपनी ममेरी बहन की खुली जाँघों के पास , और ,... उनकी बहन की बुर पर मेरे होंठ जम कर रगड़ घिस कर रहे थे। गुड्डी की रसीली फांके मेरे होंठों के बीच और मैं कस कस के चूस रही थी।
बहन की बुर की ये चुसाई देख कर भाई का जो हाल होना चाहिए था वही हुआ ,
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खूंटा एक दम बौराया ,तन्नाया