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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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“”कच्चे टिकोरों के रसिया ,
कोमल बदन की कुंवारी छमिया
नरम मुलायम अभी जिसकी अमिया
" तुझे बुरा नहीं लगा , तेरे स्कूल की लड़कियां इनका नाम ले ले के तुझे छेड़ती थीं " मैंने उसके उभार प्यार से सहलाते पूछा।
" उन्हह , भाभी अच्छा लगता था। बस वो बेचारे ललचाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते , ... और मैं उन्हें खूब दिखा दिखा के ,उभार उभार के ललचाती। बहुत मजा आता था , बल्कि छन्दा तो बोलती थी यार तेरे भइया से कुछ नहीं होगा , तू ही उनका खोल के ,... '
" तेरा क्या मन करता थी की वो क्या करें ,... " मैंने बात साफ़ साफ़ पूछी।
" आप भी न भाभी ,आप को मालूम नहीं क्या की जब नयी नयी जवान होती लड़की के जोबन उठने शुरू होते हैं तो क्या मन करता है उसका ?'
उसने बात घुमाने की कोशिश की और मैंने कस के उसके निपल उमेठ दिए ,
" बोल साफ़ साफ़ न ,वरना ,... " और उस शोख ने बोल दिया।
" वही भाभी , ... रगड़वाने , मिजवाने ,मसलवाने का ,... मेरी किसी भी सहेली के पास दो चार से कम नहीं थे ,मीजने रगड़ने वाले ,हाईस्कूल में भी। पर , पर भइया बहुत सीधे थे सिर्फ बिचारे ललचाते रहते थे। "
बात उसकी एकदम सही थी , बहुत सीधे थे वो। ससुराल में भी कोहबर में इनकी इतनी रगड़ाई हुयी थी लेकिन बोल नहीं फूटे ,... बात मैंने थोड़ी बदली ,
," और तेरी गली में इन कच्चे टिकोरों के रसिया ,... "
मेरी बात काट के वो खिलखला के बोली ,
" बारह नहीं ,... पंद्रह ,... "
" सिर्फ पन्दरह ,... " मैंने उसे चिढ़ाते हुए भौंह तरेर कर कहा।
" अरे भाभी , आप ने भी तो सिर्फ मेरी गली के बारे में पूछा। मेरी गली भी तो बहुत छोटी है हाँ आप सड़क , मेरा मोहल्ला ,स्कूल के बाहर खड़े रहने वाले जोड़ ले तो चालीस बयालीस ,... सबसे ज्यादा मेरी लिस्ट ही लम्बी थी। और वो सिर्फ ललचाते नहीं था , उन का बस चलता तो रगड़ना ,मीजना ,मसलना ,... लेकिन ,...”
"लेकिन ,... " मैं भी अपनी ननद के यारों की लिस्ट के बारे में जानना चाहती थी।
" लेकिन ,... अरे भाभी आप ने ही तो मेरी गुलाबो के बारे में कहा था , इस पर जिसका नाम लिखा होगा वही उसको फाड़ेगा , तो बस उसी ने फाड़ा। और उसी का नाम मेरी अमिया पर भी लिखा था , बाकी लोग ललचाते लार टपकाते रह गए। " हंस के वो टीनेजर बोली।
बात उस की एकदम सही थी , मेरी शादी में जो उसने अपने छोटे छोटे टीनेज उभार उछाल उछाल के डांस किया था , लड़के तो छोड़िये ,कोई मर्द नहीं था जो उसके टिकोरों को देख के लार नहीं टपका रहा था।
" अच्छा देखती हूँ तेरी अमिया पर ,... "
और मैंने अपना चेहरा उस के टेनिस बाल साइज बूब्स के पास कर के जैसे पढ़ने का नाटक किया , थोड़ी देर कोशिश करती रही , फिर बोली,
" अरे यार ये ,तो बड़ी लम्बी लिस्ट है , इसे दबाने मीजने रगड़ने वालों की ,४८ , ... नहीं ९१ ,... नही १०० से ऊपर है नाम। "
हंसती खिलखिलाती मेरी शरारत समझती वो बोली ,
" अरे भाभी होगी ,होगी लेकिन सबसे पहला नाम किसका है ,... ये तो देखिये "
" उसी का है जिसने तेरी फाड़ी। " मैंने कबूला ,फिर जोड़ा लेकिन ,... उसके बाद ,...
" अरे भाभी उसके बाद की बात उसके बाद ,... नाम तो उद्घाटन करने वाले का होता है। "
गुड्डी सच में समझदार थी।
झुक कर मैं अब उसकी चुनमुनिया देखने लगी ,
" हे यहाँ भी लम्बी लिस्ट है ,... " पर अब बिना उसकी बात का इन्तजार किये , मेरे होंठ उसकी चिकनी चमेली पर
और बजाय कुछ बोलने के वो सिसकने लगी। पहले तो मैं हलके हलके चूस रही थी पर कुछ देर में ही मेरी जीभ उसकी चूत में , वो क्यों छोड़ती मुझे ,... मैं भौजाई थी तो वो भी तो ननद थी मेरी। हम दोनों अब 69 की पोज मेंक्या मस्त मलाई थी , मेरी छुटकी ननदिया की। ,
उसकी जीभ के पहले मैंने ऊँगली ट्राई की , ऊँगली उसके मैंने पहले भी की थी। कौन भौजाई होगी जो अपनी कुँवारी कच्ची ननद की ऊँगली न की , होली हो , कोई बहाना हो या न हो ,...
कल उसकी फट चुकी थी ,और तब से अबतक ,दस बार चुद चुकी थी , लेकिन वैसे ही कसी की कसी , मुश्किल से एक ऊँगली घुसी।
इसका मतलब मेरा ननद ,कित्ता भी ,कितनों भी से चुदेगी उसकी बिलिया वैसे ही कसी की कसी रहेगी , हर मर्द के लिए चुनौती होगी , मैंने दूसरी ऊँगली भी ठेली पर बहुत कोशिश के बाद भी एक पोर भी मुश्किल से नहीं घुस पायी। ऊँगली के बाद जीभ का नंबर था , अंदर गोल गोल , और मेरे होंठ ननद रानी की चुनमुनिया से चिपके ,
गुड्डी सच में क्विक लरनर थी ,जो जो मैं कर रही थी उसकी चुनमुनिया वही मेरे साथ मेरी ननदिया भी , उसकी जीभ अब मेरी बिलिया में ,
मस्त चूस रही थी ,चाट रही थी और जीभ उसकी कभी अंदर बाहर कभी गोल गोल ,
जवाब में मैं भी अपनी बुर ननद रानी के मीठे मीठे होंठों पर रगड़ रही थी। एक नौसिखिया टीनेजर से बुर चुसवाने चटवाने का मजा ही अलग है।
मैंने अपनी जाँघों से कस के गुड्डी के सर को दबोच रखा था , और जम कर उसके शहद से मीठे होंठों को रगड़ रही थी।
तबतक मैंने देखा की बिचारे वो चुपके चुपके तांक झांक ,... मैंने ग्रीन सिग्नल दे दिया ,लेकिन इशारे से बोल दिया , एकदम चुपचाप ,
और वो अपनी ममेरी बहन की खुली जाँघों के पास , और ,... उनकी बहन की बुर पर मेरे होंठ जम कर रगड़ घिस कर रहे थे। गुड्डी की रसीली फांके मेरे होंठों के बीच और मैं कस कस के चूस रही थी।
बहन की बुर की ये चुसाई देख कर भाई का जो हाल होना चाहिए था वही हुआ ,
…………………………………..
खूंटा एक दम बौराया ,तन्नाया
Waaaahजब बहन पड़ी हो बिस्तर पे हर चीज सुहानी लगती है
हर अंग उसका मदहोश करे कातिल सी जवानी लगती है
दिल पागल सा हो जाता है जब छूत दिखाई देती है
जन्नत सा मजा तब मिलता है जब मुंह में पूरा लेती है
आँखों में आंखें डाले वो प्रणय का निवेदन करती है
जब ताना हुआ देखा लौड़ा पूरा लेने से डरती है
भइया भी चुची को मीजे उसको विश्वास दिलाता है
तू मस्ती में झूमेगी बहना जब पूरा अंदर जाता है
मैं आराम से तुझको छोड़ूंगा तू थोडा दर्द को सेह लेना
तू कुद कुद के अंदर लेगी जब मजा आएगा तुझको बहना
मैं अपने मक्खन से तेरी प्यारी सी चुत को सिंचुगा
हर रोज़ बिठा के लौड़े पे अपनी बाहों में भींचुगा
अपने दोनों सुंदर छेदो का उद्घाटन मुझसे करवा लेना
तेरी चुत चोद लू पहले मैं फिर गांड भी तू मारवा लेना
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Arushi Ji ka jawab nahi unki upmaayen, aur imagery sb jabrdstWaaaah![]()
Ji haa bilkul sahi kaha aapneArushi Ji ka jawab nahi unki upmaayen, aur imagery sb jabrdst
Arushi ji ye photo bahut mast hai kis album ya film ki hai please batane ka kast karen .
प्यारी प्यारी बहनिया ने बहुत इंतजार किया । भैया का मूसल लेने के लिएभाग १७६
मामा की बेटी बनी है लुगाई,
भैया ने पूरी रात कर दी ठुकाई
मामा की बेटी बनी है लुगाई
भैया ने पूरी रात कर दी ठुकाई
कोमल बदन की कुंवारी छमिया
नरम मुलायम अभी जिसकी अमिया
भैया के लौड़े से दिन रात खेले
होठों से चुमा और कभी मुंह में लेले
मेरे प्यारे भाई मेरे जोबन से खेलो
पूरा घुसा दो और जी भर के पेलो
भैया को भी बहना लगे बड़ी प्यारी
मस्ती सी जब करती लौड़े की सवारी
भैया ने मक्खन से भर दी कटोरी
उन्गली से चाटे अब मामा की छोरी
,,,,
उन्होंने जैसे ही अपना मूसल निकाला मेरी उँगलियाँ ननद की चूत , और रबड़ी मलाई सीधे उसकी चूत से उसके चेहरे पर।
अच्छी तरह फेसियल करा दिया मैंने उसका , लिथड़ लिथड़ कर।
…….और मैंने अपनी ननद को चूम लिया।
मेरे मरद के वीर्य से लिथड़ा चुपड़ा उस किशोरी का ,उनकी ममेरी बहन का चेहरा सच में बहुत प्यारा लग रहा था। मीठा मीठा।
……………..
और छोटी मोटी चुम्मी नहीं कस के , जैसे कोई मर्द किसी नई नवेली , कच्ची जवानी की सील तोड़ते हुए चूमता है , अधिकार से। कचकचा कर ,कुछ देर तक मैं उसके होंठों को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसती चुभलाती रही , फिर मेरे होंठ उसकी ठुड्डी पर थे , हलके हलके चाटते , और मेरी ऊँगली उस टीनेजर के होंठ पर ,
मेरे बिना कहे उस किशोरी ने अपनी जीभ बाहर निकाल दी , आज उस जीभ ने मुझे बहुत मजे दिए थे , आगे पीछे दोनों छेदों में ,
और अब मेरे होंठ गुड्डी के होंठों से दूर थे , लेकिन उन होंठों ने गुड्डी की जीभ दबोच ली और पहले हलके हलके , फिर कस के चूसने लगी।
क्या रस था उस छोरी की मीठी मीठी जीभ में ,
और जब उसने जीभ अंदर कर ली तो साथ में मेरी जीभ भी उसके मुंह में , और साथ में मैंने जैसे स्कूल की लडकियां बबल गम का बुलबुला बनाती है ,मैंने अपने सैलाइवा का , .... वो सब मेरी ननद के मुंह में , ... मेरे होंठों ने उसकी होंठ को सील कर रखा था। मेरा सैलाइवा उसके मुंह में , .... और जब मेरे होंठों ने उस किशोरी के होंठ छोड़े तो सीधे उसके कान में ,
फुसफुसाते हुए मैंने सारे राज़ बता दिए ,
" अरे ननद रानी अभी तो तेरे मुंह में बहुत कुछ जाएगा , रोज नया नया स्वाद। "
और एक बार फिर मेरे हाथ ने जबरन उस गौरेया के गाल दबाकर मुंह खोलवा दिया और मेरी दो उंगलिया सीधे हलक तक ,
अब गुड्डी ने अपने गैग रिफ्लेक्स पर कंट्रोल करना सीख लिया था , दो के बाद तीन , फिर चार उँगलियाँ , पूरी ताकत से मैंने ठोंक दिया , एकदम गले तक. .... वो गों गों कर रही थी , हाथ पैर पटक रही थी पर मैंने कस के उसे दबोच रखा था। चार ऊँगली उसके मुंह में , फिर धीरे धीरे गोल गोल उसके मुंह के अंदर , चारों उँगलियाँ चम्मच की तरह मोड़ कर ,
" अरे रानी देख एक से एक मोटे लंड तेरे इस मुंह में जाएंगे , लंड से निकलने वाले तरह तरह के रस ,.... तनी मुंह फैला के घोंटना सीख ले ,... "
मैंने इशारे में उसे साफ़ साफ़ बता दिया , भले उस की किताब में पहले पन्ने पर उस के बचपन के आशिक का नाम है ,लेकिन अब उस उसपर इतने लोग नाम लिखेंगे की याद करना तो दूर वो पढ़ना भूल जाएगी /
मेरी चारो उँगलियाँ गुड्डी के मुंह के लार से ,थूक से लिथड़ गयी थीं।
मैंने उँगलियाँ बाहर निकालीं और उस किशोरी के मुँह पर लथेड़ दीं ,जहाँ उस के भइया की लंड की मलाई लिपटी थी वहीँ अब उस का भी सैलाइवा , एकदम अच्छी तरह ,पूरा चेहरा गीला।वो हम दोनों का खेल तमाशा देख रहे थे टुकुर टुकुर ,
" हे क्या देख रहे हो शर्म नहीं आ रही ,दो लड़कियों की बातें छुप छुप के सुन रहे हो , बेसरम घर में माँ बहन नहीं है क्या " मैंने कस के हड़काया उन्हें , और बोली ,
" चलो उधर मुंह करो। अपना पिछवाड़ा इधर करो , और अगर बिना हम लोगों के कहे इधर देखा न , तो बस , .... तेरी गांड मार लुंगी , चाहे डिलडो से या मुट्ठी से या लंड से। "
गुड्डी खिलखिला रही थी और वो बिचारे उन्होंने ,.... अपना पिछवाड़ा हम लोगों की ओर कर लिया।
" भाभी आप भी न ,... " गुड्डी खिलखिलाते हुए बोली।
मेरा हाथ अब मेरी ननद के नितम्बों को दबा रहा था ,
" सही तो कह रही हूँ यार, जो मारने वाली चीज है वो तो मारी ही जायेगी , चाहे तेरी हो या तेरे भइया की। "
मैंने उसे चिढ़ाया ,
मेरा दूसरा हाथ उसकी गोलाइयों को सहला रहा था। सच्च में उसकी अमिया का जवाब नहीं था , खूब कड़ी कड़ी , देखने में भी छूने में भी और स्वाद में भी एकदम खटमिठ्वा।
उनकी ममेरी बहन के चढ़ती जवानी के नए जुबना को सहलाते , दबा के मैंने पूछा।
" हे इन टिकोरों पे सब से पहले किस ने नजर लगाई? "
मैंने पूछा।
बजाय जवाब देने के गुड्डी जोर से खिलखिला रही थी , फिर खिलखिलाते हुए ही हम लोगों की ओर पिछवाड़ा किये , उस ने अपने भाई की ओर इशारा किया।
गुड्डी की खिलखिलाहट जारी थी में दूसरा सवाल पूछ दिया , उसके कान को चूमते ,फुसफुसाते ,
" तुम दसवीं में थी न ,... "
"नहीं भाभी ,हाईस्कूल में जस्ट गयी थी। "
अब मैं समझ गयी , मैं भी तो यू पी बोर्ड वाली थी। वहां नौवीं दसवीं दोनों को हाईस्कूल कहते हैं।
" और तुझे पता कैसे चला ,... "
" भाभी आप भी न ,लड़कियां तो सबसे पहले नोटिस करती हैं , ... वो मुझे देखते तो एकदम घबड़ा के और जब मैं उनकी ओर न देखने की ऐक्टिंग करती थी तो चुपके चुपके से वहां ,... " वो बोली।
" वहां , ?" मैंने हड़काया।
वो फिर जोर से हंसी ,बोली ,
" मेरे नए आ रहे उभारों पे , ... अभी तो बहुत छोटे छोटे थे लेकिन आ रहे थे , एकदम रुई के फाहों की तरह। और अगर मैं उन्हें वहां सीखते पकड़ लेती तो क्या कोई चोर घबड़ा जाएगा जैसे वो ,... बोली नहीं निकलती थी। जल्दी से जैसे थूक निगलते थे ,... मैं क्या मेरी सारी सहेलियां भी ,दिया ,छन्दा भी ,... बल्कि छन्दा ने तो मुझसे भी पहले नोटिस किया था। स्कूल की बाकी लड़कियां भी। "
" तुझे बुरा नहीं लगा , तेरे स्कूल की लड़कियां इनका नाम ले ले के तुझे छेड़ती थीं " मैंने उसके उभार प्यार से सहलाते पूछा।
" उन्हह , भाभी अच्छा लगता था। बस वो बेचारे ललचाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते , ... और मैं उन्हें खूब दिखा दिखा के ,उभार उभार के ललचाती। बहुत मजा आता था , बल्कि छन्दा तो बोलती थी यार तेरे भइया से कुछ नहीं होगा , तू ही उनका खोल के ,... '
" तेरा क्या मन करता थी की वो क्या करें ,... " मैंने बात साफ़ साफ़ पूछी।
" आप भी न भाभी ,आप को मालूम नहीं क्या की जब नयी नयी जवान होती लड़की के जोबन उठने शुरू होते हैं तो क्या मन करता है उसका ?'
उसने बात घुमाने की कोशिश की और मैंने कस के उसके निपल उमेठ दिए ,
" बोल साफ़ साफ़ न ,वरना ,... " और उस शोख ने बोल दिया।
" वही भाभी , ... रगड़वाने , मिजवाने ,मसलवाने का ,... मेरी किसी भी सहेली के पास दो चार से कम नहीं थे ,मीजने रगड़ने वाले ,हाईस्कूल में भी। पर , पर भइया बहुत सीधे थे सिर्फ बिचारे ललचाते रहते थे। "
बात उसकी एकदम सही थी , बहुत सीधे थे वो। ससुराल में भी कोहबर में इनकी इतनी रगड़ाई हुयी थी लेकिन बोल नहीं फूटे ,...
अपनी गुड्डी एकदम समझदार है उसे पता है कि उसकी भाभी उसके साथ क्या-क्या करने वाली है और कितने लोग उसकी जवानी में डुबकी लगाने वालेकच्चे टिकोरों के रसिया ,
कोमल बदन की कुंवारी छमिया
नरम मुलायम अभी जिसकी अमिया
" तुझे बुरा नहीं लगा , तेरे स्कूल की लड़कियां इनका नाम ले ले के तुझे छेड़ती थीं " मैंने उसके उभार प्यार से सहलाते पूछा।
" उन्हह , भाभी अच्छा लगता था। बस वो बेचारे ललचाने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाते , ... और मैं उन्हें खूब दिखा दिखा के ,उभार उभार के ललचाती। बहुत मजा आता था , बल्कि छन्दा तो बोलती थी यार तेरे भइया से कुछ नहीं होगा , तू ही उनका खोल के ,... '
" तेरा क्या मन करता थी की वो क्या करें ,... " मैंने बात साफ़ साफ़ पूछी।
" आप भी न भाभी ,आप को मालूम नहीं क्या की जब नयी नयी जवान होती लड़की के जोबन उठने शुरू होते हैं तो क्या मन करता है उसका ?'
उसने बात घुमाने की कोशिश की और मैंने कस के उसके निपल उमेठ दिए ,
" बोल साफ़ साफ़ न ,वरना ,... " और उस शोख ने बोल दिया।
" वही भाभी , ... रगड़वाने , मिजवाने ,मसलवाने का ,... मेरी किसी भी सहेली के पास दो चार से कम नहीं थे ,मीजने रगड़ने वाले ,हाईस्कूल में भी। पर , पर भइया बहुत सीधे थे सिर्फ बिचारे ललचाते रहते थे। "
बात उसकी एकदम सही थी , बहुत सीधे थे वो। ससुराल में भी कोहबर में इनकी इतनी रगड़ाई हुयी थी लेकिन बोल नहीं फूटे ,... बात मैंने थोड़ी बदली ,
," और तेरी गली में इन कच्चे टिकोरों के रसिया ,... "
मेरी बात काट के वो खिलखला के बोली ,
" बारह नहीं ,... पंद्रह ,... "
" सिर्फ पन्दरह ,... " मैंने उसे चिढ़ाते हुए भौंह तरेर कर कहा।
" अरे भाभी , आप ने भी तो सिर्फ मेरी गली के बारे में पूछा। मेरी गली भी तो बहुत छोटी है हाँ आप सड़क , मेरा मोहल्ला ,स्कूल के बाहर खड़े रहने वाले जोड़ ले तो चालीस बयालीस ,... सबसे ज्यादा मेरी लिस्ट ही लम्बी थी। और वो सिर्फ ललचाते नहीं था , उन का बस चलता तो रगड़ना ,मीजना ,मसलना ,... लेकिन ,...”
"लेकिन ,... " मैं भी अपनी ननद के यारों की लिस्ट के बारे में जानना चाहती थी।
" लेकिन ,... अरे भाभी आप ने ही तो मेरी गुलाबो के बारे में कहा था , इस पर जिसका नाम लिखा होगा वही उसको फाड़ेगा , तो बस उसी ने फाड़ा। और उसी का नाम मेरी अमिया पर भी लिखा था , बाकी लोग ललचाते लार टपकाते रह गए। " हंस के वो टीनेजर बोली।
बात उस की एकदम सही थी , मेरी शादी में जो उसने अपने छोटे छोटे टीनेज उभार उछाल उछाल के डांस किया था , लड़के तो छोड़िये ,कोई मर्द नहीं था जो उसके टिकोरों को देख के लार नहीं टपका रहा था।
" अच्छा देखती हूँ तेरी अमिया पर ,... "
और मैंने अपना चेहरा उस के टेनिस बाल साइज बूब्स के पास कर के जैसे पढ़ने का नाटक किया , थोड़ी देर कोशिश करती रही , फिर बोली,
" अरे यार ये ,तो बड़ी लम्बी लिस्ट है , इसे दबाने मीजने रगड़ने वालों की ,४८ , ... नहीं ९१ ,... नही १०० से ऊपर है नाम। "
हंसती खिलखिलाती मेरी शरारत समझती वो बोली ,
" अरे भाभी होगी ,होगी लेकिन सबसे पहला नाम किसका है ,... ये तो देखिये "
" उसी का है जिसने तेरी फाड़ी। " मैंने कबूला ,फिर जोड़ा लेकिन ,... उसके बाद ,...
" अरे भाभी उसके बाद की बात उसके बाद ,... नाम तो उद्घाटन करने वाले का होता है। "
गुड्डी सच में समझदार थी।
झुक कर मैं अब उसकी चुनमुनिया देखने लगी ,
" हे यहाँ भी लम्बी लिस्ट है ,... " पर अब बिना उसकी बात का इन्तजार किये , मेरे होंठ उसकी चिकनी चमेली पर
और बजाय कुछ बोलने के वो सिसकने लगी। पहले तो मैं हलके हलके चूस रही थी पर कुछ देर में ही मेरी जीभ उसकी चूत में , वो क्यों छोड़ती मुझे ,... मैं भौजाई थी तो वो भी तो ननद थी मेरी। हम दोनों अब 69 की पोज मेंक्या मस्त मलाई थी , मेरी छुटकी ननदिया की। ,
उसकी जीभ के पहले मैंने ऊँगली ट्राई की , ऊँगली उसके मैंने पहले भी की थी। कौन भौजाई होगी जो अपनी कुँवारी कच्ची ननद की ऊँगली न की , होली हो , कोई बहाना हो या न हो ,...
कल उसकी फट चुकी थी ,और तब से अबतक ,दस बार चुद चुकी थी , लेकिन वैसे ही कसी की कसी , मुश्किल से एक ऊँगली घुसी।
इसका मतलब मेरा ननद ,कित्ता भी ,कितनों भी से चुदेगी उसकी बिलिया वैसे ही कसी की कसी रहेगी , हर मर्द के लिए चुनौती होगी , मैंने दूसरी ऊँगली भी ठेली पर बहुत कोशिश के बाद भी एक पोर भी मुश्किल से नहीं घुस पायी। ऊँगली के बाद जीभ का नंबर था , अंदर गोल गोल , और मेरे होंठ ननद रानी की चुनमुनिया से चिपके ,
गुड्डी सच में क्विक लरनर थी ,जो जो मैं कर रही थी उसकी चुनमुनिया वही मेरे साथ मेरी ननदिया भी , उसकी जीभ अब मेरी बिलिया में ,
मस्त चूस रही थी ,चाट रही थी और जीभ उसकी कभी अंदर बाहर कभी गोल गोल ,
जवाब में मैं भी अपनी बुर ननद रानी के मीठे मीठे होंठों पर रगड़ रही थी। एक नौसिखिया टीनेजर से बुर चुसवाने चटवाने का मजा ही अलग है।
मैंने अपनी जाँघों से कस के गुड्डी के सर को दबोच रखा था , और जम कर उसके शहद से मीठे होंठों को रगड़ रही थी।
तबतक मैंने देखा की बिचारे वो चुपके चुपके तांक झांक ,... मैंने ग्रीन सिग्नल दे दिया ,लेकिन इशारे से बोल दिया , एकदम चुपचाप ,
और वो अपनी ममेरी बहन की खुली जाँघों के पास , और ,... उनकी बहन की बुर पर मेरे होंठ जम कर रगड़ घिस कर रहे थे। गुड्डी की रसीली फांके मेरे होंठों के बीच और मैं कस कस के चूस रही थी।
बहन की बुर की ये चुसाई देख कर भाई का जो हाल होना चाहिए था वही हुआ ,
…………………………………..
खूंटा एक दम बौराया ,तन्नाया
गुड्डी की सिखलाई में जो कमी रह गई थी उसकी भरपाई लाइव क्लास ने कर दी ।मेरे प्यारे भाई मेरे जोबन से खेलो
पूरा घुसा दो और जी भर के,....
भाई चढ़ा बहिनिया पे
बहन की बुर की ये चुसाई देख कर भाई का जो हाल होना चाहिए था वही हुआ ,
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खूंटा एक दम बौराया ,तन्नाया
होंठ मेरे भले बिजी थे लेकिन हाथ तो खाली थे। मैंने अपने कोमल हाथों से अपने साजन के खूंटे को पकड़ लिया , एक झटके में सुपाड़ा बाहर। मेरे अंगूठा का प्रेशर अब सीधे उनके सुपाड़े के छेद पर , कुछ देर के रगड़ घिस्स के बाद मैं हलके हलके मुठियाने लगी। अब तो उनकी हालत ख़राब
और हालत उनकी बहन की बुर भी बुरी थी , मेरे चूसने से ,
मैंने एक पल के लिए होंठों से उनकी बहन की बिल को आजाद किया और फिर उनका खूंटा मेरे होंठ के बीच
पहले हलके हलके फिर कस के मैं चूसने लगी ,
बारी बारी से , कुछ देर उनका लंड चूसने के बाद उनकी बहन की बुर का नंबर लगता , फिर बहन के भइया का।
" हे चाहिए ,... " बिना बोले मेरी आँखों ने उनसे पूछा ,
सामने एक कच्ची जवानी ,जिसने अभी कुछ दिन पहले ही इंटर पास किया हो ,उसकी फैली जाँघे हो ,गीली भीगी कच्ची चूत हो कौन मना करेगा।
मैंने भैया का लंड पकड़ कर उनकी ममेरी बहन की बुर में सटा दिया ,
एक धक्का
दो धक्का
और सुपाड़ा अंदर।
बेचारी चीख नहीं सकती थी ,उसके होंठ पर मेरे निचले होंठ कस कर चिपके थे मैंने अपना पूरा बजन उसके ऊपर कर रखा था. और उसकी बुर अपने भइया के लंड का धक्का भी खा रही थी और भौजाई के होंठों की रगड़ाई भी, मेरे होंठ कभी उसकी क्लिट की रगड़ाई करते ,तो कभी उसकी बुर में आधे घुसे उसके भइया के लंड की।
लेकिन कुछ देर बाद मैं हट गयी
और अब उस की ताबड़तोड़ चुदाई एक बार फिर से शुरू हो गयी।
कुछ देर में , मेरे चुसाई का असर ,उनकी चुदाई का असर , मेरी ननद झड़ने के कगार पर थी , लग रहा था अब गयी तब गयी।
पर मैंने रोक दिया।
" हे ननद रानी , ... जरा खुद चढ़ के मजा लो न , कब तक नीचे लेटी रहोगी। "
और मेरा इशारा पाते ही ,वो अपने पीठ के बल , खूंटा क़ुतुब मीनार की तरह
चढ़ जा ननद रानी , बहुत मजा आएगा , लेकिन सुबह की तरह मैं नहीं चढ़ाउंगी अपने आप चढ़ना पड़ेगा कुतबमीनार पर ,
मैंने अपनी ननद को चढ़ाया।
बेचारी , मन तो उसका बहुत कर रहा था , और किस लड़की का नहीं करेगा ,इतना लम्बा मोटा कड़क तना ,
" अच्छा चल देख , मैं चढ़ती हूँ , अब तू ठीक से देख ,उसके बाद तेरा नंबर , " मैंने उसका गाल सहलाते हुए कहा ,
जैसे कुतिया बना के चोदना उनकी फेवरिट पोज़ थी ,उसी तरह ऊपर चढ़ के चोदना ,वोमेन ऑन टॉप वाली मेरी। मेरी पर्सनालिटी से मैच भी करती थी।
दोनों टाँगे फैला के ,... मेरी गुलाबो बस उनके मोटे सुपाड़े को छू रही थी , और अपने भगोष्ठों से रगड़ रगड़ के मैं उन्हें ललचा रही थी , मेरे दोनों हाथों ने उनकी कलाइयां पकड़ रखी थी। उनकी आँखों की प्यास मुझे उकसा रही थी ,पर उन्हें तड़पाने में भी मुझे मजा आता था और आज तो उनकी ममेरी बहन के सामने ,,
" बोल बहनचोद , चाहिए ,... " मैंने पूछा।
" हाँ ,... " हलके से वो बोले।
और मैंने हलके से पुश किया , सिर्फ आधा सुपाड़ा मेरी बुर में घोंट के मैं रुक गयी ,और अपनी मसल्स से उसे हलके हलके दबाने लगी।
मस्ती से उनकी हालत खराब थी , वो नीचे से उचकाने लगे अपना चूतड़, पर मेरी पकड़ बहुत तगड़ी थी।
" बोल मादरचोद , चहिए , " झुक के अपने उरोज उनके होंठों पर रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया , पर जैसे ही उनके होंठ मेरे निप्स को पकड़ते , मेरे जोबन उससे दूर थे।
एक बार फिर मैं झुकी , उनके होंठों को चूमा और ,... उड़ गयी उनकी पहुँच से दूर , मेरी बुर कस के उनके सुपाड़े को भींच रही थी। बिचारे वो , मस्ती से उनकी हालत खराब ,
" बोल न चहिये , ले लूँ पूरा अंदर ,... " मैंने फिर चढ़ाया ,
" हाँ हाँ ,... " वो लगभग चिल्लाते बोले।
" बोल फिर , तेरी मायके वाली सब छिनार हैं , हैं न , सब की सब पैदायशी रंडी है , ... " उनकी ममेरी बहन की ओर देख के मुस्कराती मैं बोली। गुड्डी ने भी मुस्कराकर देखा मेरी ओर , उसे भी बहुत मजा आ रहा था।
" बोल बहनचोद, मादरचोद , हैं न सब तेरी मायकेवालियाँ , रंडी ,छिनार ,.... " मैंने फिर उन्हें उकसाया।
" हाँ ,हाँ ,... " उनके मुंह से निकल गया।
बस मेरा अगला धक्का और उनका आधा खूंटा मेरे अंदर , मैंने थोड़ी पकड़ भी ढीली कर दी। बस अब मेरे धक्के का जवाब वो धक्के से दे रहे थे , मैं भी झुक के जिस जोबन के वो दीवाने थे कभी उनकी छाती पर रगड़ती तो कभी होंठों पर।
मैंने थोड़ी कमर ऊपर की आलमोस्ट सुपाड़ा बाहर , और फिर एक पूरे तेज धक्के से , दो तिहाई मूसल अंदर ,
वो सिसक रहे थी।
और गुड्डी भी समझ रही थी ,इस घर ,में चोदता कौन है और चुदवाता कौन है।
सिर्फ ऊपर नीचे ही नहीं ,आगे पीछे गोल गोल , तरह तरह से ,
गुड्डी देख भी रही थी सीख भी रही थी।
ये तो मैं समझ गयी थी की वो बचपन की चुदवासी है बस ,अब उसे नम्बरी चुदक्कड़ बनाना मेरा काम था। और जितना अच्छे तरीके से , जितने पोज़ आयंगे उसे ,...उतना ही ज्यादा मजा दे पायेगी ,न सिर्फ अपने भैया को ,.. बल्कि ,...
कुछ ही देर में पूरा मूसल अंदर था चुदाई चरम सीमा पर पहुँच गयी थी , और वो अभी भी झड़े थे तो उनका इतनी जल्दी झड़ने का कोई सवाल नहीं था।
कुछ देर के लिए मैंने कमान उनके हाथ में दे दिया। उन्होने कस के मुझे अपनी बाहों में भींच लिया फिर उनका टिपिकल तिहरा अटैक
उनके होंठ उंगलिया , मेरे जोबन ,मेरी क्लिट , और उनका हर धक्का , मेरी बच्चेदानी पर बस थोड़ी देर में मैं झड़ने लगी। वैसे भी वो मुझे अक्सर दो तीन बार झाड़ के ही ,
देर तक मैं सिसकती रही कांपती रही और कुछ देर बाद उतर गयी।
लेकिन खूंटा वैसे का वैसे खड़ा ,
पर उनकी ममेरी बहन थी न ,
जो कुछ उसने देखा था सीखा था , और कुछ मेरी मदद से वो इनकी मीठी शूली पर चढ़ गयी।